JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

JAC Board Class 9th Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

JAC Class 9th History आधुनिक विश्व में चरवाहे  InText Questions and Answers

विद्यार्थियों हेतु आवश्यक निर्देश:
पाठ्य-पुस्तक में इस अध्याय के विभिन्न पृष्ठों पर बॉक्स के अन्दर क्रियाकलाप दिए हुए हैं। इन क्रियाकलापों के अन्तर्गत पूछे गए प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर अग्र प्रकार से हैं

क्रियाकलाप (पृष्ठ सख्या-101)

प्रश्न 1.
इन स्रोतों के आधार पर संक्षेप में बताइए कि चरवाहा परिवारों के औरत-मर्द क्या-क्या काम करते थे?
उत्तर:
चरवाहा परिवारों के महिला-पुरुष द्वारा किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित थे

  1. पुरुष मुख्य रूप से मवेशियों को चराने का कार्य करते थे एवं इसके लिए वे कई सप्ताहों तक अपने घरों से दूर रहते थे।
  2. महिलाएँ प्रतिदिन सुबह अपने सिर पर टोकरी और कंधे पर हँडिया लटकाकर बाजार जाती थीं। इन टोकरियों एवं हाँड़ियों में दैनिक खान-पान की चीजें, जैसे दूध, मक्खन, घी आदि होते थे। इन्हें बेचकर वे अपने घर के लिए आवश्यक सामग्री खरीदती थीं।

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प्रश्न 2.
आपकी राय में चरवाहे जंगलों के आस-पास ही क्यों रहते हैं?
उत्तर:
चरवाहों के जंगलों के आस-पास निवास करने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  1. जंगल के आस-पास छोटे-छोटे गाँवों में रहते हुए चरवाहे जंगल की जमीन पर कृषि-कार्य करते हैं।
  2. चरवाहे जंगलों में अपने मवेशियों को चरा लेते हैं।
  3. चरवाहे जंगलों से अनेक ऐसी वस्तुएँ प्राप्त करते हैं जिनको शहरों में बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-104)

प्रश्न 1.
मान लीजिए कि जंगलों में जानवरों को चराने पर रोक लगा दी गई है। इस बात पर निम्नलिखित की दृष्टि से टिप्पणी कीजिए
1. एक वन अधिकारी
2. एक चरवाहा।
उत्तर:
एक वन अधिकारी की दृष्टि से टिप्पणी-चरवाहे जंगलों एवं जंगली जानवरों को नुकसान पहुंचाते हैं। वे पर्यावरण का ध्यान रखे बिना ही अपनी अधिक से अधिक आमदनी करने के लिए जंगलों का अव्यवस्थित विदोहन करते हैं। अतः इन्हें जंगलों में प्रवेश नहीं देना चाहिए। एक चरवाहा की दृष्टि से टिप्पणी-जंगली लकड़ी, फूल-फल, पत्ते, मसाले आदि सभी मानव के उपयोग के लिए ही हैं।

हम सभी लोग जंगल के आस-पास के गाँवों में ही रहते हैं तथा जंगल की रखवाली भी करते हैं। यही हमारी आजीविका का साधन हैं तथा हमारे पशुओं को भी यहीं से चारा मिलता है। जंगल के बिना हमारे पशु एवं हम जीवित नहीं रह पायेंगे अत: हमें जंगलों में अपने पशु चराने की अनुमति मिलनी ही चाहिए।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-105)

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि आप 19वीं सदी के आखिरी सालों यानी सन् 1890 ई. के आस-पास रह रहे हैं। आप घुमंतू चरवाहों या कारीगरों के एक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। आपको पता चला है कि सरकार ने आपके समुदाय को अपराधी समुदाय घोषित कर दिया है।
1. संक्षेप में बताइए कि यह जानकर आपको कैसा महसूस होता और आप क्या करते?
उत्तर:
यह बहुत स्वाभाविक है कि मुझे बुरा लगता क्योंकि किसी समुदाय को अपराधी घोषित कर देना वह भी सिर्फ इस कारण से कि एक घुमंतू समुदाय है, बहुत ही गलत है। ऐसी स्थिति में, मैं सरकार से अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करता।

2. स्थानीय कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर बताइए कि आपकी नज़र में यह कानून किस तरह अन्यायपूर्ण है और इससे आपकी जिन्दगी पर क्या असर पड़ेंगे?
उत्तर:
सेवा में, श्रीमान् कलेक्टर महोदय जैसलमेर विषय-राइका समुदाय को अपराधी समुदाय घोषित करने के सन्दर्भ में। महोदय, विषयानुसार निवेदन है कि आपकी सरकार ने अपराधी जनजाति अधिनियम, 1871 के तहत् हमारे राइका समुदाय को अपराधी घोषित कर दिया है। यह एक अनुचित कार्यवाही है क्योंकि बिना किसी ठोस सबूत के सिर्फ घुमंतू होने के आधार पर हमारे समुदाय को अपराधी जनजाति घोषित किया गया है। समाज में आगे भी आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ इसी आधार पर अपराधी बुलाया जायेगा जो कि घोर अन्याय होगा।

इतना ही नहीं इस अधिनियम के लागू हो जाने पर हमें एक अधिसूचित क्षेत्र की सीमा के अन्दर अपनी जीवन-यापन सम्बन्धी गतिविधियाँ करनी पड़ेगी। इससे बाहर जाने के लिए हमें सरकार से पूर्वानुमति लेनी होगी। पुलिस हमेशा हम पर कड़ी नजर रखेगी। यह बार-बार हमें अपने अपराधी होने का अहसास दिलायेगा। अतः इस तरह का अधिनियम हमारे जीवन पर व्यापक प्रभाव डालेगा एवं हमारी स्वतन्त्रता पूर्णरूपेण बाधित हो जायेगी। अतः इस अधिनियम को निरस्त करने की सरकार से सिफारिश करने की कृपा करें। दिनांक: प्रार्थी जगपत राइका जैसलमेर

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-116)

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि यह सन् 1950 ई. का समय है और आप 60 वर्षीय राइका पशुपालक हैं। आप अपनी पोती को बता रहे हैं कि आजादी के बाद से आपके जीवन में क्या बदलाव आए हैं? आप उसे क्या बताएँगे?
उत्तर:
हमारी जीवन-शैली में स्वतन्त्रता के पश्चात् अनेक तरह के बदलाव आए हैं। पहले हमारे पास बहुत बड़ी संख्या में भेड़-बकरियाँ होते थे किन्तु अब चरागाहों की कमी के कारण हमें इनकी संख्या में कमी लानी पड़ी है। हममें से कुछ लोग पुराने चरागाहों पर प्रतिबन्ध के कारण नये चरागाहों की खोज कर रहे हैं, जो कि एक कठिन कार्य है। भारत एवं पाकिस्तान के विभाजन से आज हम पहले की तरह सिन्ध क्षेत्र में जाकर सिन्धु नदी के किनारे के मैदानों में अपने पशुओं को नहीं चरा सकते।

भारत एवं पाकिस्तान के बीच नई राजनीतिक सीमाओं ने हमारी गतिविधियों पर एक तरह से रोक लगा दी है। आजकल हमारे समुदाय के कुछ लोग हरियाणा की ओर जाने लगे हैं। वहाँ फसल कटने के बाद खेतों में उग आया घास पशुओं को चराने के काम आता है। हमारे समुदाय के कुछ लोग अपनी परम्परागत घुमंतू जीवन-शैली को छोड़ कर एक ही जगह स्थाई रूप से बसने लगे हैं और मैंने भी ऐसा ही किया। अब हम अपनी जमीन पर मेहनत करेंगे एवं फसल उगाएँगे और अपने परिवार का खूब अच्छे ढंग से पालन- पोषण करेंगे।

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प्रश्न 2.
मान लीजिए कि आपको एक प्रसिद्ध पत्रिका ने उपनिवेशवाद से पहले अफ्रीका में मासाइयों की स्थिति के बारे में एक लेख लिखने के लिए कहा है। वह लेख लिखिए और उसे एक सुन्दर शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मासाइयों का जीवन मासाई नाम ‘मा’ शब्द से निकला है। मा-साई का अर्थ होता है-‘मेरे लोग’। परम्परागत रूप से मासाई घुमंतू और चरवाहा समुदाय के लोग होते हैं जो अपनी आजीविका के लिए दूध एवं मॉस पर आश्रित रहते हैं। ये गाय-बैल, ऊँट, बकरी, भेड़ एवं गधे पालते हैं।

ये दूध, माँस, पशुओं की खाल एवं ऊन बेचते हैं। मासाई पशुपालक मूल रूप से पूर्वी अफ्रीका के निवासी हैं। मासाई क्षेत्र उत्तरी कीनिया से लेकर तंज़ानिया के घास के मैदानों तक फैला हुआ है। ऊँचे तापमान और कम वर्षा के कारण यहाँ शुष्क, धूल भरे और बेहद गर्म हालात रहते हैं।

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प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार-बार एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरन्तर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ हैं?
उत्तर:
सूखे से चरवाही समूहों का जीवन प्रायः प्रभावित होता है। जब वर्षा नहीं होती है, चरागाह सूख जाते हैं तो पशुओं के लिए भूखे मरने की स्थिति आ जाती है। यही कारण है कि घुमंतू जनजातियों को, जो चरावाही से अपनी जीविका प्राप्त करते हैं पशुओं के लिए चरागाहों एवं पानी की खोज में एक जगह से दूसरी जगह तक घूमते रहने की आवश्यकता पड़ती है।

घुमंतू समुदायों को कई बार अपने पशुओं को कठोर जलवायु से बचाने के लिए भी स्थान परिवर्तन करना पड़ता है। इस घुमंतू जीवन के कारण उन्हें जीवित रहने तथा संकट से बचने का अवसर प्राप्त होता है। घुमंतू समुदायों के निरन्तर आवागमन से पर्यावरण को लाभ

  1. घुमंतू समुदायों की निरन्तर गतिशीलता के कारण प्राकृतिक वनस्पति को फिर से वृद्धि करने का अवसर प्राप्त होता है। फलस्वरूप, वनस्पति संरक्षण के कारण पर्यावरण सन्तुलन बना रहता है।
  2. उनके मवेशियों को हरा-भरा नया चारा प्राप्त होता है।
  3. घुमंतू समुदायों के लगातार स्थान-परिवर्तन से भूमि की उर्वरा-शक्ति बनी रहती है क्योंकि उनके पशु जिन खेतों में चरते हैं, उन खेतों को उनसे गोबर के रूप में खाद भी मिलती है।
  4. घुमंतू समुदायों के लगातार स्थान-परिवर्तन से क्षेत्र विशेष का अधिक दोहन नहीं होता है।

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प्रश्न 2.
इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? यह भी बताइए कि इन कानूनों से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा
(क) परती भूमि नियमावली,
(ख) वन अधिनियम,
(ग) अपराधी जनजाति अधिनियम,
(घ) चराई कर।
उत्तर:
(क) परती भूमि नियमावली:
औपनिवेशिक सरकार चरागाह भूमि क्षेत्र को ‘बेकार’ भूमि मानती थी। उनके अनुसार चरागाह भूमि से न तो लगान मिलता था और न ही उत्पादन। इसी बात को ध्यान में रखते हुए औपनिवेशिक सरकार ने उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से देश के विभिन्न भागों में ‘परती भूमि के विकास के लिए नियम बनाए।

इस नियम के द्वारा बहुत-सी चरागाह भूमि को कृषि के अन्तर्गत लाया गया। औपनिवेशिक सरकार ने ऐसी भूमियों को गाँव के मुखियाओं को सौंप दिया जिससे वे उनमें खेती का कार्य करायें जिसके परिणामस्वरूप चरागाह क्षेत्र कम हो गए और चरवाहों के लिए अपने पशुओं को चराने की समस्या उत्पन्न हो गई।

(ख) वन अधिनियम:
औपनिवेशिक सरकार द्वारा 1878 ई. में वन अधिनियम लागू किया गया। इसके द्वारा सरकार ने ऐसे कई जंगलों को आरक्षित वन घोषित कर दिया जहाँ देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ी पैदा होती थी। चरवाहे इन वनों का प्रयोग अपने पशुओं को चराने के लिए नहीं कर सकते थे। उनकी किसी भी गतिविधि के लिए इन वनों में पाबन्दी लगा दी गयी। जिन वनों में उन्हें प्रवेश करने की अनुमति थी, उन वनों में भी उनकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखा जाता था।

उन्हें उन वनों में प्रवेश के लिए अनुमति पत्र लेना पड़ता था। जंगल में उनके प्रवेश और वापसी की तारीख पहले से तय होती थी तथा वह जंगल में बहुत ही कम दिन बिता सकते थे। यदि वे निश्चित दिनों से अधिक समय तक वन में रहते थे, तो उन पर जुर्माना लगा दिया जाता था। इस प्रकार इन वन अधिनियमों ने चरवाहों के लिए आजीविका की गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने में कठिनाई उत्पन्न कर दी। अब उन्हें अपने पशुओं की संख्या कम करनी पड़ी।

(ग) अपराधी जनजाति अधिनियम:
औपनिवेशिक सरकार घुमंतू किस्म के लोगों को शक की नजर से देखती थी। औपनिवेशिक शासकों का मानना था कि जो लोग गाँव-गाँव जाकर वस्तुएँ बेचते हैं तथा वे चरवाहे जो ऋतु परिवर्तन के साथ अपना स्थान बदल लेते हैं, वे अपराधी हैं। इसलिए 1871 में औपनिवेशिक सरकार ने ‘अपराधी जनजाति अधिनियम’ पारित किया। इस कानून के तहत् दस्तकारों, व्यापारियों एवं चरवाहों के अनेक समुदायों को अपराधी समुदायों की सूची में रखा गया।

उन्हें कुदरती एवं जन्मजात अपराधी घोषित किया गया। इस कानून के द्वारा ऐसे सभी समुदायों (दस्तकारों, व्यापारियों एवं चरवाहों) को एक निश्चित गाँव में ही रहना पड़ता था। वे बिना अनुमति पत्र (परमिट) के अपना स्थान नहीं बदल सकते थे। ग्रामीण पुलिस उन पर लगातार निगरानी रखती थी।

(घ) चराई कर:
औपनिवेशिक सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में देश के अधिकांश चरवाही क्षेत्रों में ‘चराई कर’ लागू कर दिया, यह कर प्रति पशु पर लिया जाता था। प्रति पशु कर की दर तेजी से बढ़ती चली गई एवं कर वसूली की व्यवस्था दिन- प्रतिदिन मजबूत होती गई। 1850 से 1880 के दशकों के मध्य कर वसूली का काम ठेकेदारों के माध्यम से किया जाता था परन्तु बाद में सरकार ने अपने कारिंदों के माध्यम से सीधे चरवाहों से ही कर वसूलना शुरू कर दिया।

प्रत्येक चरवाहे को एक ‘पास’ जारी किया जाता था। किसी भी चरागाह में प्रवेश करने के लिए चरवाहों को पास दिखाकर पहले कर जमा कराना पड़ता था। इस प्रकार चरवाहों का शोषण होने लगा जिससे बाध्य होकर उन्हें अपने पशुओं की संख्या कम करनी पड़ी। परिणामस्वरूप, चरवाहों को अपनी आजीविका की पूर्ति करना मुश्किल हो गया।

प्रश्न 3.
मासाई समुदाय के चरागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताएँ। उत्तर-मासाई समुदाय को निम्नलिखित कारणों से अपने चरागाह छोड़ने पड़े
1. साम्राज्यवादी प्रसार:
औपनिवेशिक काल से पहले मासाई समुदाय के पास उत्तरी कीनिया से लेकर तंज़ानिया के स्टेपीज तक का क्षेत्र था, परन्तु साम्राज्यवादी प्रसार के कारण सन् 1885 में मासाईलैण्ड को ब्रिटिश कीनिया एवं जर्मन तंज़ानिया के बीच विभाजित कर दिया गया।

इसके बाद श्वेत बस्तियों ने उत्तम चरागाह भूमि पर अधिकार कर लिया और मासाइयों को दक्षिण कीनिया एवं उत्तरी तंज़ानिया के छोटे क्षेत्रों की ओर खदेड़ दिया गया। इस प्रकार मासाइयों की लगभग 60 प्रतिशत भूमि ले ली गई। वे एक शुष्क प्रदेश तक ही सीमित रह गए, जहाँ निम्न श्रेणी के घटिया चरागाह थे।

2. कृषि का विस्तार:
19वीं शताब्दी के अन्त में ब्रिटिश उपनिवेशी सरकार ने पूर्वी अफ्रीका के स्थानीय किसानों को खेती का विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित किया। जैसे ही कृषि आरम्भ हुई, चरागाह कृषि भूमि में बदलते गए। मासाई लोगों के चरागाहों पर स्थानीय किसानों ने अपना अधिकार कर लिया और वे असहाय हो गए।

3. शिकार हेतु आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना:
चरागाहों का एक बहुत बड़ा क्षेत्र शिकार के लिए आरक्षित कर दिया गया था। इनमें कीनिया के मासाई मारा, साम्बुरू नेशनल पार्क एवं तंज़ानिया का सेरेंगेटी पार्क प्रमुख थे। मासाई लोग इन पार्कों में न तो पशु चरा सकते थे और न ही शिकार कर सकते थे। परिणामस्वरूप, चराई क्षेत्रों के छिन जाने से पशुओं के लिए चारा जुटाने की समस्या गम्भीर हो गई।

4. चरागाहों की गुणवत्ता में कमी:
मासाई लोगों को आरक्षित वनों में घुसने की मनाही कर दी गई। अब ऐसे आरक्षित चरागाहों से मासाई न लकड़ी काट सकते थे और न ही अपने पशुओं को चरा सकते थे। अत: मासाई लोगों के पास छोटा क्षेत्र होने से उसमें निरन्तर चराई से चरागाह की गुणवत्ता प्रभावित हुई।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

प्रश्न 4.
आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीका चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई गड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
उत्तर:
भारतीय चरवाहों और मासाई गड़रियों, दोनों में निम्नलिखित दो परिवर्तन समान रूप से मौजूद थे

  1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों की विभिन्न नीतियों ने भारतीय चरवाहों तथा मासाई गड़रियों दोनों को अपने-अपने चरागाहों से बेदखल कर दिया। फलस्वरूप मासाई तथा भारतीय चरवाहों की चरागाह भूमि निरन्तर कम होती गई।
  2. दोनों ही देशों में सरकारों ने विभिन्न वन अधिनियम पारित किए। इन अधिनियमों के द्वारा कुछ वन क्षेत्रों में चरवाहों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई और कुछ में उनकी गतिविधियों को सीमित कर दिया गया।

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JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

JAC Board Class 9th Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

JAC Class 9th History वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद InText Questions and Answers 

विद्यार्थियों हेतु आवश्यक निर्देश-पाठ्य:
पुस्तक में इस अध्याय के विभिन्न पृष्ठों पर बॉक्स के अन्दर क्रियाकलाप दिए हुए हैं। इन क्रियाकलापों के अन्तर्गत पूछे गए प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर निम्न प्रकार से हैं

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-81)

प्रश्न 1.
एक मील लम्बी रेल की पटरी के लिए 1,760 से 2,000 तक स्लीपरों की जरूरत थी। यदि 3 मीटर लम्बी बड़ी लाइन की पटरी बिछाने के लिए एक औसत कद के पेड़ से 3-5 स्लीपर बन सकते हैं तो हिसाब लगाकर देखें कि एक मील लम्बी पटरी बिछाने के लिए कितने पेड़ काटने होंगे?
उत्तर:
1 मील लम्बी पटरी बिछाने के लिए आवश्यक स्लीपरों की औसत संख्या = \(\frac{1760+2000}{2}\) =1880
1 पेड़ से बनाये जा सकने वाले स्लीपरों की औसत संख्या =\(\frac{3+5}{2}\)
1 मील लम्बी पटरी बिछाने के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या = \(\frac{1880}{4}\) = 470

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-83)

प्रश्न 1.
यदि 1862 ई. में भारत सरकार की बागडोर आपके हाथ में होती और आप पर इतने व्यापक पैमाने पर रेलों के लिए स्लीपर और ईंधन आपूर्ति की जिम्मेदारी होती तो आप इसके लिए कौन-कौन से कदम उठाते?
उत्तर:
यदि 1862 ई. में भारत सरकार की बागडोर मेरे हाथ में होती और मुझ पर इतने व्यापक पैमाने पर रेलों के स्लीपर और ईंधन आपूर्ति की जिम्मेदारी होती तो मैं निम्नलिखित कदम उठाता

  1. ईंधन तथा स्लीपरों के लिए रेलवे को लकड़ी की आपूर्ति तो की जाती, किन्तु अवन्यीकरण की कीमत पर कदापि नहीं।
  2. विभिन्न वैकल्पिक संसाधनों, जैसे-लोहे अथवा पत्थरों के स्लीपर का उपयोग किया जाता। ईंधन की आपूर्ति के लिए कोयले का उपयोग किया जाता।
  3. जितनी मात्रा में पेड़ों की कटाई आवश्यक होती उतने ही नवीन पेड़ भी लगाये जाते।

क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-86)

प्रश्न 1.
वन-प्रदेशों में रहने वाले बच्चे पेड़-पौधों की सैकड़ों प्रजातियों के नाम बता सकते हैं। आप पेड़-पौधों की कितनी प्रजातियों के नाम जानते हैं ?
उत्तर:
फलदार पेड़-आम, अमरूद, नींबू, जामुन, केले आदि। औषधि वाले-तुलसी, नीम आदि। काँटेदार-बबूल, बेर आदि।

क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-96)

प्रश्न 1.
जहाँ आप रहते हैं क्या वहाँ के जंगली इलाकों में कोई बदलाव आए हैं? ये बदलाव क्या हैं और क्यों हुए हैं?
उत्तर:
हाँ, हमारे यहाँ के जंगली इलाकों में कई बदलाव दिखाई देते हैं। ये बदलाव निम्नलिखित हैं

  1. इन वन क्षेत्रों में बड़े जंगली जानवरों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है।
  2. इन क्षेत्रों में वृक्षों की संख्या बढ़ गयी है।
  3. वन क्षेत्रों में जगह-जगह पर वन सुरक्षा अधिकारियों द्वारा चैक पोस्ट स्थापित कर दिए गए हैं।
  4. वन क्षेत्रों में प्रवेश प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
  5. हाथी दाँत एवं जंगली बिल्लियों की खालों के अवैध व्यापार को रोका गया है तथा इन जानवरों पर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
  6. वन क्षेत्रों से होकर बहने वाली नदियों को साफ कर दिया गया है।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 2.
एक औपनिवेशिक वनपाल और एक आदिवासी के बीच जंगल में शिकार करने के मसले पर होने वाली बातचीत के संवाद लिखें।
उत्तर:

  1. औपनिवेशिक वनपाल: तुम कौन हो? यहाँ वन में क्या कर रहे हो?
  2. आदिवासी: श्रीमान् जी, मैं एक आदिवासी हूँ। मैं यहाँ नजदीक के गाँव में रहता हूँ। यहाँ वन में कन्द-मूल, फल एकत्रित करने एवं खरगोश का शिकार करने आया हूँ।
  3. औपनिवेशिक वनपाल: क्या तुम नहीं जानते कि वन में शिकार करना प्रतिबन्धित है?
  4. आदिवासी: लेकिन श्रीमान् जी, मेरे बच्चे पिछले पाँच दिनों से भूखे हैं, मैं उनकी भोजन की जरूरत पूरी करने के लिए यहाँ आया हूँ।
  5. औपनिवेशिक वनपाल: मैं ये सब नहीं जानता। मैं बस इतना जानता हूँ कि वन में शिकार करना गैर-कानूनी है। यह एक कानूनन अपराध है, इसकी तुम्हें सजा अवश्य मिलेगी।
  6. आदिवासी: लेकिन श्रीमान् यह वन तो हम आदिवासियों का ही है। इसी से तो हमारी रोजी-रोटी चलती है। अगर हमें शिकार करने से रोका गया तो हमारा क्या होगा? हमारा परिवार तो भूखा ही मर जाएगा।
  7. औपनिवेशिक वनपाल: देखो, तुम मुझसे बहस कर रहे हो। इसकी तुम्हें भारी कीमत चुकानी पर है।
  8. आदिवासी: श्रीमान् जी, प्राचीन समय से ही हम यहाँ रहते आये हैं। हम जंगलों पर ही निर्भर हैं। कृपया हमें शिकार करने दीजिए। हम आपको भी शिकार में से हिस्सा दे देंगे।
  9. औपनिवेशिक वनपाल: नहीं। कदापि नहीं, चुप रहो! हमें अपने वन संरक्षण अधिकारी को तुम्हारी रिपोर्ट करनी ही पड़ेगी। चलो मेरे साथ चलो।

[औपनिवेशिक वनपाल आदिवासी को पकड़कर अपने साथ लेकर चला जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सामान्य परिस्थिति में हथकड़ी नहीं लगेगी]

JAC Class 9th History वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल के वन प्रबन्धन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया
1. झूम खेती करने वालों को।
2. घुमंतू और चरवाहा समुदायों को।
3. लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कम्पनियों को।
4. बागान मालिकों को।
5. शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों को।
उत्तर:
औपनिवेशिक काल के वन प्रबन्धन में आये परिवर्तनों ने विभिन्न समूहों को निम्नलिखित प्रकार प्रभावित किया
1. झूम खेती करने वालों पर प्रभाव:
औपनिवेशिक काल के वन प्रबन्धन की नीति में परिवर्तन का झूम खेती करने वालों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। खेती की इस पद्धति पर प्रतिबन्ध लगा दिये जाने के कारण उन्हें कोई दूसरा व्यवसाय अपनाना पड़ा तथा उनके स्वतन्त्र जीवनयापन की प्राचीन व्यवस्था चरमरा गई। विभिन्न क्षेत्रों में उनका शोषण होने लगा। साथ ही नई नीति ने एक तरह से उन्हें बंधुआ मजदूर बना दिया।

2. घुमंतू और चरवाहा समुदायों पर प्रभाव:
वन प्रबन्धन की नई नीति के तहत् घुमंतू और चरवाहा समुदायों को सुरक्षित वनों में अपनी गतिविधियाँ चलाने से रोक दिया गया। फलत: उनकी रोजी-रोटी प्रभावित हुई। वनोत्पादों के व्यापार को रोके जाने से इन समुदायों के लिए आय के स्रोत बन्द हो गये तथा इनका जीवनयापन कठिन हो गया।

3. लकड़ी और वन:
उत्पादों का व्यापार करने वाली कम्पनियों पर प्रभाव-वन प्रबन्धन की नीति के तहत् इन कम्पनियों को लकड़ी एवं वनोत्पाद का व्यापार करने का एकाधिकार दे दिया गया। इस समूह के लोगों को इस नीति का सर्वाधिक लाभ पहुँचा। इसके फलस्वरूप उन्होंने अपने तथा सरकार के लिए विशाल -मात्रा में वनों के दोहन एवं आदिवासियों के शोषण द्वारा धन एकत्र किया।

4. बागान मालिकों पर प्रभाव:
वन प्रबन्धन की नई नीति से बागान मालिकों को अपने व्यवसाय से बहुत अधिक लाभ हुआ। अवन्यीकरण के पश्चात् चाय, कॉफी, रबर आदि के नये-नये बागानों का विकास किया गया। इन बागानों में भूमिहीन आदिवासियों से मुफ्त काम करवाया जाता था। चूँकि इन उत्पादों का निर्यात होता था अतः सरकार एवं कम्पनियों दोनों को बहुत अधिक लाभ हुआ।

5. शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों पर प्रभाव:
हालांकि वन प्रबन्धन की नई नीति में जंगलों में शिकार करना प्रतिबन्धित कर दिया गया था किन्तु इसमें भेदभाव बरता गया। राजा-महाराजा एवं ब्रिटिश अधिकारी इन नियमों के निर्माण के बावजूद शिकार करते रहे। उनके साथ सरकार की मौन सहमति थी। चूँकि बड़े जंगली जानवरों को वे आदिम, असभ्य तथा बर्बर समुदाय का सूचक मानते थे अत: भारत को सभ्य बनाने के नाम पर इन जानवरों का शिकार चलता रहा।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 2.
बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबन्धन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर:
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर दक्षिण में स्थित बस्तर एक जिला है, जबकि जावा, इण्डोनेशिया देश में स्थित एक द्वीप है। भारत अंग्रेजों का एवं इण्डोनेशिया डचों का उपनिवेश रहा है। औपनिवेशिक काल में बस्तर तथा जावा दोनों में वन प्रबन्धन में निम्नलिखित समानताएँ थीं

  1. रेलवे तथा जहाज निर्माण के लिए अत्यधिक संख्या में पेड़ों की कटाई की गई।
  2. दोनों ही स्थानों पर शिकार को प्रतिबन्धित कर दिया गया।
  3. घुमंतू तथा चरवाहे समुदायों को वनों में प्रवेश करने से रोका गया।
  4. वनवासी समुदायों द्वारा पेड़ों की कटाई का विरोध करने पर उन्हें प्रताड़ित किया गया।
  5. वनोत्पाद से सम्बन्धित स्थानीय लोगों द्वारा किये जाने वाले व्यापार को रोका गया।
  6. वन भूमि को ग्रामीण, सुरक्षित तथा संरक्षित वनों में वर्गीकरण कर दिया गया।
  7. वनवासी समुदायों को जंगल में स्थित अपने घरों में रहने के लिए या तो किराया देने के लिए अथवा बेगारी के लिए मजबूर किया गया।
  8. वनों की कटाई तथा बगीचों के विकास के लिए यूरोपीय फर्मों को लाइसेंस प्रदान किये गये।
  9. दोनों ही स्थानों पर औपनिवेशिक वन प्रबन्धन का उद्देश्य सरकारी सत्ता को लाभ पहुँचाना तथा स्थानीय वनों में या आस-पास रहने वालों का शोषण करना था।
  10. इन नीतियों के निर्माण में दोनों ही स्थानों पर स्थानीय लोगों को शामिल नहीं किया गया, बल्कि यूरोपीय विशेषज्ञों ने इन नीतियों का अपने हितों के लिए निर्माण किया।

प्रश्न 3.
सन् 1880 ई.से सन् 1920 ई.के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएँ
रेलवे, जहाज निर्माण, कृषि-विस्तार, व्यावसायिक खेती, चाय-कॉफी के बागान, आदिवासी और किसान।
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र की गिरावट में विभिन्न कारकों की भूमिका निम्नलिखित थी
1. रेलवे:
औपनिवेशिक शासकों को रेलवे के विस्तार के लिए स्लीपरों की आवश्यकता थी जो कठोर लकड़ी के बनाए जाते थे। एक मील रेलवे लाइन बिछाने के लिए 1,760 से लेकर 2,000 स्लीपरों की आवश्यकता पड़ती थी। सन् 1946 ई. तक लगभग 7,65,000 किलोमीटर रेलवे लाइनें भारत के विभिन्न भागों में बिछाई गई हैं जिससे लाखों की संख्या में वृक्ष, रेलवे की भेंट चढ़ गए। रेल-इंजनों में भी लकड़ी का कोयला जलने से वनों को भारी क्षति हुई।

2. जहाज निर्माण:
ब्रिटेन में 19वीं सदी की शुरुआत तक बलूत (ओक) के वन समाप्त होने लगे थे। इसकी वजह से शाही नौसेना हेतु बनाये जाने वाले जहाजों के लिए मजबूत लकड़ी की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। अत: भारत में मजबूत लकड़ी प्राप्त करने के लिए टीक (सागौन) और साल के वृक्ष लगाये जाने लगे। अन्य सभी प्रकार के वृक्षों को साफ कर दिया गया। भारत से बड़े पैमाने पर लकड़ी इंग्लैण्ड भेजी जाने लगी अत: भारतीय उपमहाद्वीप के वनों से आच्छादित भू-भाग में तेजी से कमी आ गई।

3. कृषि-विस्तार:
सन् 1600 ई. में भारत का लगभग 1/6 भू-भाग कृषि के अधीन था, परन्तु जनसंख्या वृद्धि के साध-साथ खाद्यान्नों की माँग बढ़ने लगी अत: किसान कृषि-क्षेत्र का विस्तार करने लगे। इसके लिए वनों को साफ करके नए खेत बनाए जाने लगे इसके अतिरिक्त खानाबदोशों और चरवाहों के क्रियाकलापों पर प्रतिबन्धों ने भी इन लोगों को कृषि अपनाने के लिए विवश किया। अत: सन् 1880-1920 ई. के मध्य कृषि योग्य भूमि के क्षेत्रफल में 67 लाख हेक्टेयर का विस्तार हुआ अत: वन तीव्रता से समाप्त होने लगे।

4. व्यावसायिक खेती:
व्यावसायिक खेती भी वन-क्षेत्रों की कमी के लिए उत्तरदायी थी। किसानों ने कृषि के व्यवसायीकरण के पश्चात् बाजार में बेचने के लिए फसलों का उत्पादन करना आरम्भ कर दिया जिससे उन्हें अधिक-सेअधिक लाभ प्राप्त हो सके। देश के विस्तृत वन क्षेत्रों से वनों को साफ किया गया और वहाँ चाय एवं कॉफी की खेती की गई।

5. चाय:
कॉफी के बागान-यूरोप में चाय-कॉफी की बहुत अधिक माँग थी। औपनिवेशिक सरकार ने वनों पर नियन्त्रण स्थापित करके बड़ी सस्ती दरों पर यूरोपीय लोगों को बड़े क्षेत्र दे दिए। इन क्षेत्रों से वनों को साफ किया गया तथा चाय एवं कॉफी के बागान स्थापित कर दिए गए।

6. आदिवासी और किसान:
आदिवासी एवं स्थानीय किसान भी वन क्षेत्रों में कमी के लिए उत्तरदायी हैं। व्यावसायिक कृषि के लिए वनों को साफ किया गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने ईंधन के लिए पेड़ों को काटा जिससे वनों का अत्यधिक विनाश हुआ।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 4.
युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
युद्धों से जंगल (वन) प्रभावित होते हैं क्योंकि

  1. विरोधी सेना सबसे पहले भोजन संसाधन और छिपने की जगहों को नष्ट करना चाहती है। इन दोनों की आपूर्ति में वन काफी सहायक होते हैं।
  2. थल सेना एवं वायु सेना की दृश्यता स्पष्ट करने के लिए भी जंगलों को जला दिया जाता है, क्योंकि वे एक अवरोध के रूप में काम करते हैं।
  3. युद्धरत सेना को तुरन्त रास्ता उपलब्ध करवाने के लिए वनों को काटकर रास्ता सुगम किया जाता है।
  4. युद्ध के समय विभिन्न सरकारें लकड़ी के विशाल भण्डारों एवं आरा मिलों को स्वयं भी जला डालती हैं जिससे ये संसाधन शत्रु के हाथ न लग पाएँ।
  5. आधुनिक समय में आक्रमण से बचने के लिए सेनाएँ तथा युद्ध सामग्री को घने वनों में छिपा देती हैं ताकि उन पर कोई हमला न कर सके। शत्रु विरोधी सैनिकों एवं उनकी युद्ध सामग्री पर कब्जा करने के लिए वनों को निशाना बनाते हैं।
  6. युद्ध में व्यस्त हो जाने पर बहुत से देशों का ध्यान वनों का सुव्यवस्थित ढंग से विकास करने के कार्यों से हट जाता है और परिणामस्वरूप बहुत से वन लापरवाही का शिकार हो जाते हैं।

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JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
नात्सीवाद का उदय हुआ
(अ) इंग्लैण्ड में
(ब) जर्मनी में
(स) फ्रांस में
(द) भारत में।
उत्तर:
(ब) जर्मनी में।

2. मित्र राष्ट्रों में सम्मिलित देश नहीं है
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) फ्रांस
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) जर्मनी।
उत्तर:
(द) जर्मनी।

3. आर्थिक महामन्दी की शुरुआत हुई
(अ) सन् 1929 ई. में
(ब) सन् 1939 ई. में
(स) सन् 1949 ई. में
(द) सन् 1990 ई. में।
उत्तर:
(अ) सन् 1929 ई. में।

4. यहूदी लोगों के पूजा गृहों को कहा जाता है
(अ) गैस चैम्बर
(ब) नाजी यूथ लीग
(स) सेननॉग
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(स) सेननॉग।

5. 14 वर्ष से कम आयु के नात्सी लोगों का संगठन कहलाता था
(अ) सेननॉग
(ब) युंगफोक
(स) घेटो
(द) मैन कैम्फ।
उत्तर:
(ब) युंगफोक।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मित्र राष्ट्र कौन-कौन से थे?
उत्तर:
ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

प्रश्न 2.
नात्सी किस भाषा का शब्द है?
उत्तर:
नात्सी जर्मन भाषा के शब्द नात्सियोणाल के प्रारम्भिक अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है।

प्रश्न 3.
हिटलर की पार्टी के लोगों को नात्सी क्यों कहा जाता था?
उत्तर:
हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द नात्सियोणाल था इसलिए इस पार्टी के लोगों को नात्सी कहा जाता था।

प्रश्न 4.
नात्सी पार्टी का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
नेशनल सोशलिस्ट पार्टी।

प्रश्न 5.
हिटलर ने पहली नात्सी सरकार का गठन कब किया?
उत्तर:
30 जनवरी, सन् 1933 ई. को हिटलर ने पहली नात्सी सरकार का गठन किया।

प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध में कब और क्यों प्रवेश किया?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने मई सन् 1945 ई. में द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया क्योंक जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नौ-सैनिक अद्छे पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया।

प्रश्न 7.
विश्व में आर्थिक महामन्दी कब आयी?
उत्तर:
विश्व में आर्थिक महामन्दी सन् 1929-33 ई. के मध्य आयी।

प्रश्न 8.
धुरी शक्तियों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी, जापान और इटली के गुट को धुरी शक्तियाँ कहा गया।

प्रश्न 9.
हिटलर के अनुसार उसके राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक कौन थी?
उत्तर:
माँ।

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प्रश्न 10.
हिटलर की विदेश नीति के दो प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:

  1. जर्मनी को विश्व की महाशक्ति बनाना।
  2. विस्तारवादी नीति में विश्वास।

प्रश्न 11.
गाँधीजी ने हिटलर को पत्र लिखकर क्या कहा?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने 24 दिसम्बर, 1940 को हिटलर को जो पत्र लिखा उसमें उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए कहा।

प्रश्न 12.
स्पार्टकिस्ट लीग क्या था?
उत्तर:
स्पार्टकिस्ट लीग जर्मनी में होने वाला एक क्रान्तिकारी विद्रोह था। यह रूस की बोल्शेविक क्रान्ति की तर्ज पर आधारित था।

प्रश्न 13.
महाध्वंस क्या है?
उत्तर:
महाध्वंस नात्सियों की कत्लेआम प्रक्रिया थी, जिसे यहूदियों को मारने के लिए प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 14.
ह्यालमार शाख़्त कौन था? आर्थिक वसूली के सम्बन्ध में उसका क्या सिद्धान्त था?
उत्तर:
ह्यालमार शाख्त एक अर्थशास्त्री था जिसे हिटलर ने कर वसूली का उत्तरदायित्व सौपा था। राज्य द्वारा अनुदित कार्य निर्माण योजनाओं के माध्यम से उसने पूर्ण उत्पादन एवं पूर्ण रोजगार के सिद्धान्त का प्रयोग किया।

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प्रश्न 15.
किस कानून के तहत् जर्मनी में तानाशाही स्थापित की गयी?
उत्तर:
विशेषाधिकार अधिनियम (इनेबलिग एक्ट) के तहत् जर्मनी में तानाशाही स्थापित की गयी।

प्रश्न 16.
अति जीविता का सिद्धान्त किसने दिया?
उत्तर:
अति जीविता का सिद्धान्त हर्बर्ट स्पेंसर ने दिया।

प्रश्न 17.
हिटलर की विचारधारा का दूसरा पहलू क्या था?
उत्तर:
हिटलर की विचारधारा का दूसरा पहलू लेबेन्स्राउम या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा से सम्बन्धित था।

प्रश्न 18.
नवम्बर का अपराधी किसे कहा गया?
उत्तर:
वाइमर गणराज्य का साथ देने वाले समाजवादी, कैथौलिक एवं डेमोक्रेट आदि लोगों को नवम्बर का अपराधी कहा गया।

प्रश्न 19.
हिटलर ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता से जर्मनी को कब बाहर कर लिया?
उत्तर:
हिटलर ने सन् 1933 ई. में जर्मनी को राष्ट्र संघ की सदस्यता से बाहर कर लिया।

प्रश्न 20.
डॉव्स योगना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मनी को आर्थिक संकट से उबारने हेतु डॉव्स योजना प्रारम्भ की गई थी।

प्रश्न 21.
गैस चैम्बरों को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
नात्सियों द्वारा निर्मित गैस चैम्बरों को संक्रमण मुक्ति क्षेत्र कहा जाता था।

प्रश्न 22.
दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन-सा है?
उत्तर:
वाल स्ट्रीट एक्सचेंज (अमेरिका)।

प्रश्न 23.
हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
हिटलर का जन्म सन् 1889 में आस्ट्रिया में हुआ था।

प्रश्न 24.
छोटी बस्तियाँ क्या थीं?
उत्तर:
यहूदी लोग समाज से अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें छोटी (दड़बा) बस्तियाँ कहा जाता था।

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प्रश्न 25.
कंसन्ट्रेशन कैम्प क्या थे?
उत्तर:
बगैर किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखने के स्थान कंसन्ट्रेशन कैम्प कहलाते थे। यह चारों ओर बिजली के करंट से प्रवाहित तारों से घिरे रहते थे।

प्रश्न 26.
घेटो बस्तियाँ क्या थीं?
उत्तर:
यहूदी लोग समाज से अलग बस्तियों में – रहते थे जिन्हें घेटो (दड़बा) कहा जाता था।

प्रश्न 27.
हिटलर की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर:
अप्रैल, 1945 में बर्लिन के एक बंकर में हिटलर ने पूरे परिवार सहित आत्महत्या कर ली थी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वाइमर गणराज्य का उदय कैसे हुआ?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध में केन्द्रीय शक्तियों की मित्र राष्ट्रों से हार के बाद जर्मनी में सम्राट के द्वारा पद त्याग दिया गया इससे वहाँ की संसदीय पार्टियों को जर्मन राजनीतिक व्यवस्था को नये साँचे में ढालने का मौका मिल गया। इसी सिलसिले में वाइमर में राष्ट्रीय सभा की बैठक बुलाई जिसमें एक लोकतांत्रिक संविधान को पारित कर दिया तथा जर्मन संसद राइखस्टाग के लिए प्रतिनिधियों के चयन हेतु सभी वयस्क नागरिकों को समान मताधिकार दिया गया। इस तरह वाइमर गणराज्य का उदय हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध ने जर्मनी के साथ-साथ पूरे यूरोपीय महाद्वीप को मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक तौर पर तोड़कर रख दिया था। इस युद्ध का हर्जाना नवगठित वाइमर गणराज्य से ही वसूल किया जा रहा था। वाइमर गणराज्य के पक्षधर समाजवादी, कैथलिक और डेमोक्रैट थे। उनका ‘नवम्बर के अपराधी कहकर सार्वजनिक रूप से मजाक उड़ाया जाने लगा। समाज में सिपाहियों को आम नागरिकों की अपेक्षा अधिक सम्मान दिया जाने लगा। राजनेता भी पुरुषों के आक्रामक ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होने के लिए प्रेरित करने लगे।

प्रश्न 3.
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन राजनीति एवं समाज में क्या बदलाव आया? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन राजनीति एवं समाज में निम्नलिखित बदलाव आये

  1. प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन समाज दो भागों में विभाजित हो गया-रूढ़िवादी समाज (जो वाइमर गणराज्य का समर्थन नहीं करते थे) एवं अरूढ़िवादी समाज (जो वाइमर गणराज्य का समर्थन करते थे)।
  2. सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले अधिक सम्मान दिया जाने लगा। सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान एवं प्रतिष्ठा की चाह बढ़ने लगी।
  3. राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।

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प्रश्न 4.
जर्मनी में आर्थिक संकट के क्या कारण थे?
उत्तर:
जर्मनी में आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे

  1. मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर बहुत कठोर शर्ते थोपा जाना।
  2. जर्मनी ने प्रथम विश्वयुद्ध में बहुत अधिक पूँजी खर्च की थी।
  3. जर्मनी ने पहला विश्वयुद्ध मोटेतौर पर कर्ज लेकर लड़ा था और युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इस दोहरे बोझ से जर्मनी का स्वर्ण भण्डार लगभग समाप्त होने की स्थिति में पहुँच गया था। इस सबके परिणामस्वरूप जर्मनी में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
  4. जब जर्मनी ने युद्ध का खर्च और हर्जाना चुकाने से इंकार कर दिया तब इसके जवाब में फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा कर लिया। यह भी आर्थिक संकट का एक कारण बना।

प्रश्न 5.
जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का क्या प्रभाव पड़ा? बताइए। उत्तर-जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. मध्यम-वर्ग-मुद्रा के अवमूल्यन के कारण जर्मन के मध्यम वर्ग की, विशेष रूप से वेतनभोगी एवं पेंशनधारियों की बचत सिकुड़ती जा रही थी।
  2. व्यवसायी वर्ग-व्यापार ठप्प हो जाने से छोटे-मोटे व्यवसायी, स्वरोजगार में लगे लोग और खुदरा व्यापारियों की हालत भी खराब होती जा रही थी। समाज के इन वर्गों को सर्वहाराकरण का भय सता रहा था।
  3. महिला वर्ग-अपने बच्चों का पेट भर पाने में असफल महिलाओं के मन दुःखी थे।
  4. कृषक वर्ग-किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से परेशान था।

प्रश्न 6.
उन कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण जर्मनी में हिटलर का उत्कर्ष हुआ।
उत्तर:
जर्मनी में हिटलर के उत्कर्ष में अनेक तत्वों ने सहायता पहुँचाई, जिनका विवरण निम्नलिखित प्रकार से

  1. हिटलर एक कुशल वक्ता, प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी तथा योग्य नेता था। वह जर्मनवासियों की आहत भावनाओं को उभारना जानता था। जर्मनी की जनता ने उसके सिद्धान्तों का स्वागत किया।
  2. जर्मनी के अन्य राजनीतिक दलों में एकता का अभाव था। अत: इससे हिटलर के उत्कर्ष को बल मिला।
  3. जर्मनी में राजतन्त्र के पतन के बाद भी अनेक शक्तिशाली राजतन्त्र समर्थक थे। इनमें बड़े उद्योगपति, भूस्वामी तथा सैनिक अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने हिटलर का समर्थन किया।
  4. वर्साय की अपमानजनक सन्धि से जर्मनी के नागरिक दुःखी थे। हिटलर ने लोगों को विश्वास दिलाया कि यदि सत्ता में आया तो वह इस अपमान का बदला लेगा।
  5. सन् 1929 ई. में आर्थिक संकट के कारण जर्मनी के 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए। हिटलर ने उन्हें अपने पक्ष में कर लिया।
  6. हिटलर के पास विरोधियों की आलोचना के लिए पर्याप्त कारण एवं भविष्य के लिए आकर्षक कार्यक्रम थे।

प्रश्न 7.
नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास क्या है?
उत्तर:
नवम्बर सन् 1938 ई. के एक जनसंहार में नात्सियों द्वारा यहूदियों के घरों पर हमले किए गए। उनकी सम्पत्ति को लूटा गया एवं यहूदी प्रार्थना घरों को जला दिया गया। इसके अतिरिक्त यहूदियों को गिरफ्तार किया गया यह घटना ‘नाइट ऑफ ब्रोकिन ग्लास’ के नाम से जानी जाती है।

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प्रश्न 8.
क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि नात्सियों ने मीडिया का उपयोग अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए, बड़ा ही सावधानीपूर्वक किया? संक्षेप में बताइए। उत्तर:
मैं इस विचार से सहमत हूँ कि नात्सियों ने मीडिया, का उपयोग अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए बड़ा ही सावधानीपूर्वक किया। यह निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है

  1. नात्सियों ने अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए तस्वीरों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, आकर्षक नारों एवं इश्तहारी पर्यों का खूब सहारा लिया।
  2. पोस्टरों के माध्यम से जर्मनी के दुश्मनों का मजाक उड़ाया गया। उनको शैतान के रूप में बताकर अपमानित किया गया।
  3. समाजवादियों एवं उदारवादियों को कमजोर एवं पथभ्रष्ट तत्वों के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्हें विदेशी एजेंट कहकर बदनाम किया गया।
  4. यहूदियों के विरुद्ध नफरत फैलाने के उद्देश्य से प्रचार फिल्में विशेषकर ‘द एटर्नल ज्यू’ जैसी फिल्में दिखाई गईं। परम्परागत यहूदियों को खास छवि में प्रस्तुत किया गया।

प्रश्न 9.
महिला अधिकार एवं मातृत्व के विषय में नासियों के दृष्टिकोण की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
महिला अधिकार एवं मातृत्व के विषय में नात्सियों का दृष्टिकोण निम्नलिखित था

  1. नात्सी पुरुष ‘स्त्री’ को उनके समान अधिकार देने के विरोधी थे। वे इसे समाज को तोड़ने एवं नष्ट करने वाला समझते थे।
  2. जर्मन महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे अच्छी माँ बनें, शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चे पैदा करें एवं यहूदियों से विवाह तथा विवाहेत्तर सम्बन्ध स्थापित न करें।
  3. वे अपने बच्चों को नात्सी-जर्मनी की शिक्षा का मूल्य समझाएँ एवं आर्य संस्कृति को बढ़ावा दें।

प्रश्न 10.
‘नात्सीवाद’ से आप क्या समझते हैं? नात्सी पार्टी का कार्यक्रम लिखिए।
उत्तर:
नात्सीवाद एक उग्र तानाशाही आन्दोलन था, जो एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी में चलाया गया था। इसका स्वरूप फासीवाद से अधिक भयंकर था। इस आन्दोलन के बल पर ही हिटलर सन् 1933 ई. में जर्मनी का तानाशाह बना था। नात्सी पार्टी का कार्यक्रम निम्नलिखित था

  1. महान् जर्मन साम्राज्य का निर्माण करना।
  2. देश की जनता का पूरी तरह जर्मनीकरण करना तथा विदेशी हस्तक्षेप समाप्त करना।
  3. जर्मनी की सैनिक शक्ति में वृद्धि करना।
  4. साम्यवादियों, समाजवादियों और यहूदियों को कुचलना।
  5. जर्मनी से अलग हुए उपनिवेशों को पुनः प्राप्त करना।
  6. वर्साय की कठोर एवं अपमानजनक सन्धि का अन्त करना।

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प्रश्न 11.
अपने तौर-तरीकों का प्रचार करने के लिए नात्सी शासन ने किस प्रकार भ्रामक शब्दों का प्रयोग किया?
उत्तर:
नात्सी शासन ने अपने विरोधियों पर अमानवीय अत्याचार किये और उन्होंने अपने तौर-तरीकों का प्रचार करने के लिए जो शब्द प्रयोग किये वे बहुत भ्रामक थे। उन्होंने अपने अधिकृत दस्तावेजों में ‘हत्या’ या ‘मौत’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने सामूहिक हत्याओं को विशेष व्यवहार तथा यहूदियों के सन्दर्भ में अन्तिम समाधान का प्रयोग किया।

उन्होंने विकलांगों को यूथनेजिया कहा। ‘इवैक्युएशन’ अर्थात् खाली कराना का आशय था लोगों को गैस चेंबरों में ले जाना। गैस चेंबरों को उन्होंने ‘संक्रमण मुक्ति-क्षेत्र’ कहा। नात्सी जर्मन यहूदियों को केंचुआ, चूहा और कीड़ा जैसे शब्दों से सम्बोधित करते थे।

प्रश्न 12.
वर्साय की सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध का एक प्रमुख कारण कैसे बनी?
उत्तर:
वर्साय का सन्धि-पत्र, जिसके द्वारा युद्ध की समाप्ति हुई थी, मूलत: अन्याय पर आधारित, थी। इस सन्धि-पत्र द्वारा पराजित राष्ट्रों में विशेषकर जर्मनी के साथ बड़ा अपमानजनक व्यवहार किया गया था। जर्मनी को अपने साम्राज्य के अनेक भागों और सभी उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ा था। इसके अतिरिक्त जर्मनी को अपने 75 प्रतिशत लौह भण्डार एवं 26 प्रतिशत कोयला भण्डार, फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क एवं लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।

जर्मनी पर इतना बड़ा आर्थिक भार डाला गया, जिसे चुका पाना असम्भव था। उसकी सेना को भी भंग कर दिया गया। जर्मनी पर यह सन्धि बलपूर्वक थोपी गई थी एवं उससे जो व्यवहार किया गया, वह पूर्णतया बदले की भावना पर आधारित था। इस सन्धि में न्याय का कोई भी दृष्टिकोण जर्मनी के प्रति नहीं अपनाया गया। अत: वर्साय की सन्धि जर्मनी के लोगों के लिए एक कलंक था, जिसे वे हर स्थिति में धो डालना चाहते थे। ऐसी स्थिति में युद्ध अनिवार्य हो गया था।

प्रश्न 13.
द्वितीय विश्वयुद्ध विश्वव्यापी’ कैसे बना? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सितम्बर, सन् 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ, परन्तु सन् 1940 ई. तक यह धीमी गति से चलता रहा, इसका क्षेत्र भी सीमित रहा, परन्तु सन् 1941 ई. में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इसे एक विश्वव्यापी युद्ध बना दिया। जून सन् 1941 ई. में जर्मनी ने सोवियत संघ के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। उस पर लेनिनग्राद, मास्को एवं स्टालिनग्राद अर्थात् तीन ओर से आक्रमण कर दिया गया।

जापान ने दिसम्बर सन् 1941 ई. को प्रशान्त महासागर में हवाई द्वीप में स्थित अमेरिकी नौ-सैनिक बेड़े पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया और उसे भारी नुकसान पहुँचाया अत: बाध्य होकर संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसी वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध जर्मनी और इटली ने युद्ध की घोषणा कर दी। अतः सन् 1941 ई. के अन्त तक यह युद्ध ‘विश्वव्यापी युद्ध’ में बदल गया।

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प्रश्न 14.
नात्सी शासन के जर्मनी पर पड़े प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नात्सी शासन के जर्मनी पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े

  1. नात्सी पार्टी के अतिरिक्त अन्य सभी पार्टियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। परिणामस्वरूप, जर्मनी में नात्सी तानाशाह हिटलर का साम्राज्य स्थापित हो गया।
  2. हिटलर ने जर्मनी को आर्थिक संकट से उबारने के लिए नए उद्योगों की स्थापना की जिससे मजदूरों को रोजगार मिल सके। व्यापार की उन्नति के लिए भी अनेक प्रयत्न किए गए।
  3. समाजवादियों, साम्यवादियों और नात्सी विरोधी नेताओं को यन्त्रणा शिविरों में भेज दिया गया।
  4. नात्सी शासन द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार का प्रमुख कारण यहूदियों को माना गया। अत: उन पर अनेक अत्याचार किये गये।
  5. हिटलर ने जर्मनी को शक्तिशाली बनाने के लिए सैनिक शक्ति में वृद्धि की।

प्रश्न 15.
‘नात्सी शासन एक खूखार, आपराधिक राज्य था।’ संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए। उत्तर-नात्सी शासन एक खूखार, आपराधिक राज्य था यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. नात्सी शासन में पुलिस बल ने काफी अधिक शक्ति प्राप्त कर ली थी।
  2. कुछ अन्य विशेष सुरक्षा दस्तों का भी गठन किया गया जिनमें-
    (अ) गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस),
    (ब) एस एस (अपराध नियन्त्रण पुलिस),
    (स) सुरक्षा सेवा (एसडी) प्रमुख हैं।
  3. इन नवगठित दस्तों को बेहिसाब असंवैधानिक अधिकार दिए गए। गेस्तापो के यन्त्रणा गृहों में किसी को भी बन्द किया जा सकता था। ये नए दस्ते किसी को भी यातना गृह में भेज सकते थे। किसी को भी बिना कार्यवाही के देश निकाला दिया जा सकता था एवं गिरफ्तार किया जा सकता था। इन्हीं सब कार्यों की वजह से नात्सी शासन को एक खूखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई।

प्रश्न 16.
हिटलर की विचारधारा लेबेन्त्राउम’ या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा को बताइए।
उत्तर:
हिटलर की विचारधारा लेबेन्स्त्राउम या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित प्रकार हैं

  1. हिटलर मानता था कि अपने लोगों को बसाने के लिए अधिक से अधिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण करना आवश्यक है। इससे मातृ देश का क्षेत्रफल बढ़ेगा एवं नए इलाके में जाकर बसने वालों को अपने जन्म स्थान के साथ गहरे सम्बन्ध बनाए रखने में मुश्किल भी नहीं आएगी।
  2. हिटलर इन विधियों से जर्मनी के लिए असीमित संसाधन एकत्रित करना चाहता था।
  3. हिटलर जर्मनी की सीमाओं का विस्तार पूर्व दिशा की ओर करना चाहता था जिससे कि समस्त जर्मनों को एक ही जगह एकत्र किया जा सके।

प्रश्न 17.
नात्सीवाद पर आम लोगों की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर:
बहुत सारे लोग नात्सियों द्वारा फैलाये गये शब्दाडंबर एवं धुआँधार प्रचार का शिकार हो गये थे। वे दुनिया को नात्सी नजरों से ही देखने लगे थे। उन्हें विश्वास हो गया था कि नात्सीवाद ही देश को तरक्की पर ले जा सकता है। जर्मनी की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा मूकदर्शक एवं उदासीन बना हुआ था। कुछ लोग पुलिस दमन और मौत की आशंका के बावजूद नात्सीवाद का प्रबल विरोध कर रहे थे। इनमें प्रमुख रूप से कम्युनिस्ट, सोशल डेमोकैट्स एवं यहूदी लोग थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतन्त्र के विनाश हेतु एडोल्फ हिटलर द्वारा क्या कदम उठाए गए थे?
उत्तर:
30 जनवरी, सन् 1933 ई. को जर्मनी के राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने एडोल्फ हिटलर को चांसलर का पद सँभालने का न्यौता दिया जो मन्त्रिमण्डल का सबसे शक्तिशाली पद था। अब तक नात्सी रूढ़िवादियों को अपने उद्देश्य के लिए अपने पक्ष में लाने तथा एक बहुत बड़ी रैली करने में हिटलर सफल हो चुका था। सत्ता पाने के बाद हिटलर ने जर्मनी में लोकतन्त्र के ढाँचे को पूर्णतया समाप्त करने के लिए कार्यवाही प्रारम्भ कर दी। लोकतन्त्र के विनाश हेतु हिटलर द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित थे

1. आम उद्घोषणा एवं नागरिक अधिकारों का स्थगन:
फरवरी सन् 1933 ई. में जर्मनी की संसद की इमारत में रहस्यात्मक रूप से आग लग गई। इसका दोषारोपण साम्यवादियों पर कर दिया गया, जबकि कुछ लोगों का कहना था कि यह कार्य हिटलर के समर्थकों का ही था। 28 फरवरी, सन् 1933 ई. की इस अग्नि सम्बन्धी दुर्घटना ने नागरिक अधिकारों एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, भाषण, प्रेस एवं सभा आयोजन जिनकी गारण्टी वाइमर संविधान ने दी थी, को स्थगित कर दिया गया।

2. इसके बाद एडोल्फ हिटलर अपने शत्रु नम्बर एक अर्थात् जर्मनी के साम्यवादियों की ओर मुड़ा। अधिकतर साम्यवादियों को बन्दी बनाकर यातना शिविरों में भेज दिया गया।

3. साम्यवादियों को भारी यातनाएँ दी गईं। उनकी संख्या हजारों में थी लेकिन नात्सियों द्वारा न सिर्फ साम्यवादियों का सफाया किया वरन् 52 किस्म के अन्य लोगों को भी अपने दमन का शिकार बनाया।

4. 3 मार्च, सन् 1933 ई. को प्रसिद्ध इनेबलिंग एक्ट पारित किया गया था। इस अधिनियम ने जर्मनी में तानाशाही की स्थापना की थी। इस अधिनियम ने सभी तरह की राजनीतिक एवं प्रशासनिक शक्तियाँ ‘एडोल्फ हिटलर’ को सौंप दीं। उसे संसद की अवहेलना करने तथा सभी तरह के अध्यादेश जारी करने के अधिकार दे दिए गए।

5. सभी तरह की पार्टियों पर सिवाय नात्सी पार्टी को छोड़कर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगा दिया गया। जर्मनी में सभी श्रम संघों को भी अवैध घोषित कर दिया गया। केवल वे ही श्रम संगठन काम कर सकते थे जो नात्सी पार्टी से जुड़े हुए थे।

6. राज्य या देश की अर्थव्यवस्था, मीडिया (जनसंचार माध्यमों), सेना एवं न्यायपालिका पर नात्सियों का पूर्ण नियन्त्रण स्थापित हो गया। जिस तरह से नात्सी लोग चाहते थे, उसी ढंग से समाज पर नियन्त्रण एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए गुप्त सेनाओं का गठन किया गया।

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

प्रश्न 2.
नात्सी विचारधारा का बच्चों एवं युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
नात्सी विचारधारा का बच्चों एवं युवाओं पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
1. स्कूलों पर पूर्ण नियन्त्रण:
हिटलर की देश के युवाओं के प्रति रुचि जुनून के हद तक थी। उसका विचार था कि युवाओं को नात्सी के सिद्धान्तों की शिक्षा देकर ही एक शक्तिशाली नात्सी समाज की स्थापना हो सकती है। इसके लिए बच्चों पर स्कूल के अन्दर तथा बाहर दोनों स्थानों पर नियन्त्रण की व्यवस्था की गयी।

2. स्कूलों का शुद्धीकरण:
सभी स्कूलों को शुद्ध तथा साफ किया गया। इसका अर्थ था कि जो अध्यापक यहूदी थे अथवा जो राजनीतिक तौर पर अविश्वसनीय लगते थे, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। बच्चों को पहले अलग किया जाता था-जर्मन तथा यहूदी एक साथ बैठ नहीं सकते थे अथवा एक साथ खेल नहीं सकते थे। यहूदियों, शारीरिक रूप से अपंगों, जिप्सियों आदि अवांछनीय बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और सन् 1940 ई. के दशक में तो उन्हें भी गैस चैम्बरों में झोंक दिया गया।

3. जीवन का विभाजन:
युवाओं के जीवन को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया। प्रत्येक चरण में उसे विभिन्न प्रशिक्षणों तथा शिक्षण कार्यक्रमों से गुजरना होता था।

4. हिटलर यूथ का गठन:
नात्सियों के युवा संघ की स्थापना सन् 1922 ई. में हुई। चार वर्ष बाद इसे हिटलर यूथ नया नाम दिया गया। नात्सी नियन्त्रण के अधीन युवा आन्दोलन को संयुक्त करने के लिए अन्य सभी युवा संस्थाओं को भंग कर दिया गया तथा उन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

5. नई शिक्षा नीति:
अपनी विचारधारा को लोकप्रिय बनाने के लिए हिटलर ने एक नई शिक्षा नीति की घोषणा की। इसके अन्तर्गत पाठ्य-पुस्तकों को फिर से लिखा गया। नात्सी के नस्ली विचारों को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए नस्ल विज्ञान नामक विषय का प्रारम्भ कर दिया गया। बच्चों को वफादारी तथा विनम्रता, यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करने की शिक्षा दी।

प्रश्न 3.
नात्सी अथवा हिटलर की प्रचार की कला को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
नात्सी अथवा हिटलर की प्रचार की कला निम्नलिखित थी
1. सांकेतिक शब्द:
निम्न जातियों को निष्कासित करने के लिए वे सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते थे। अधिकृत दस्तावेज से उन्होंने कभी ‘मौत’ अथवा ‘हत्या’ शब्दों का प्रयोग नहीं किया। सामूहिक हत्याओं के लिए ‘विशेष व्यवहार’ ‘अन्तिम समाधान’ (यहूदियों के लिए), ‘यूथनेजिया’ (अपंगों के लिए), ‘चयन’ तथा ‘संक्रमण मुक्ति’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता। ‘इवैक्युएशन (खाली करना)’ का अर्थ था लोगों को गैस-चैम्बरों में भेजना। उन्हें ‘संक्रमण मुक्ति क्षेत्र’ कहा जाता था।

2. जनसंचार साधनों का प्रयोग:
शासन के लिए समर्थन पाने को तथा इसकी विचारधाराओं को लोकप्रिय बनाने के लिए जनसंचार का बुद्धिपूर्वक प्रयोग किया जाता। नात्सी विचारों को दृश्य-चित्रों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, नारों तथा इश्तहारी पर्चों द्वारा प्रचार किया जाता। पोस्टरों में जर्मन के ‘दुश्मन’ के रूप में प्रसिद्ध लोगों का मजाक उड़ाया जाता, अपमानित किया जाता तथा उन्हें एक शैतान के रूप में पेश किया जाता। समाजवादियों तथा उदारवादियों को कमजोर तथा पथभ्रष्ट बताया जाता। विदेशी एजेण्ट कहकर उन पर आक्रमण किया जाता। यहूदियों के लिए घृणा उत्पन्न करने के लिए प्रचार फिल्में बनाई जातीं। ‘द एटर्नल ज्यू’ (अक्षय यहूदी) सबसे अधिक शर्मनाक फिल्म थी।

3. स्कूलों में नई शिक्षा नीति:
नात्सी विचारधारा के प्रचार के लिए स्कूलों तथा शिक्षण संस्थाओं का प्रयोग किया जाता था। स्कूल की पाठ्य-पुस्तकों को फिर से लिखा गया। नात्सियों की नस्ली विचारधारा को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए नस्ल विज्ञान नामक एक नवीन विषय आरम्भ किया गया। यहूदी, जिप्सी तथा अश्वेत जैसे अवांछनीय बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। नात्सियों के यूथ लीग की स्थापना सन् 1922 ई. में की गयी।

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प्रश्न 4.
महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति का वर्णन करिए।
उत्तर:
महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति निम्नलिखित थी
1. पुरुषों की श्रेष्ठता:
नात्सी जर्मनी में बच्चों को अक्सर यह बताया जाता था कि महिलाएँ , पुरुषों से काफी भिन्न हैं। नात्सी, महिलाओं के लोकतान्त्रिक अधिकारों के विरुद्ध थे। लड़कों को सिखाया जाता था कि वे कठोर, आक्रामक तथा ताकतवर बनें। लड़कियों को बताया जाता था कि उन्हें अच्छी आर्य माताएँ बनना है।

तथा ऐसी सन्तानें पैदा करनी हैं, जिनकी रगों में शुद्ध आर्यों का रक्त प्रवाहित हो। लड़कियों को नस्ल की शुद्धता बनाए रखनी है, यहूदियों से दूरी बनाए रखनी है, घर की देखभाल करनी है तथा अपने बच्चों को नात्सी सिद्धान्तों की शिक्षा देनी है। उन्हें आर्य संस्कृति तथा नस्ल का ध्वज वाहक बनना है।

2. महिलाओं के लिए आचार संहिता:
सभी आर्य महिलाओं के लिए हिटलर के शासन में एक आचार संहिता थी। जो महिलाएँ निर्धारित आचार संहिता का उल्लंघन करती थीं उनकी सार्वजनिक रूप से निन्दा की जाती थी और उन्हें कड़ा दण्ड दिया जाता था। बहुत बड़ी संख्या में औरतों को गंजा करके, मुँह पर कालिख पोत कर और उनके गले में तख्ती लटकाकर पूरे शहर में घुमाया जाता था।

उनके गले में तख्ती लटका दी जाती थी जिस पर लिखा होता था-“मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है।” इस आपराधिक कृत्य के लिए अनेक महिलाओं को जेल की सजा के साथ-साथ उनके नागरिक अधिकार, उनके पति एवं उनके परिवार भी छीन लिए गए।

3. पुरस्कार एवं दण्ड:
जो महिलाएँ नस्ली तौर पर अवांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें दण्डित किया जाता था जो महिलाएँ नस्ली रूप से वांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें पुरस्कार दिया जाता था। अस्पतालों में उन्हें विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं। दुकानों में उन्हें अधिक छूट मिलती, थियेटर एवं रेलगाड़ी के टिकट सस्ते मिलते थे।

अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं को पदक दिये जाते थे। चार बच्चे पैदा करने वाली माँ को कांसे का, छ: बच्चे पैदा करने वाली माँ को चाँदी का एवं आठ या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँ को सोने का पदक दिया जाता था।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-पाठ्य-पुस्तक में दिए गए मानचित्र को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. धुरी शक्तियों को सहयोग प्रदान करने वाले देशों के नाम लिखिए।
2. तटस्थ देश कौन-कौन से थे?
3. मानचित्र में बेल्जियम किस दिशा में है?
उत्तर:

  1. रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी, बुल्गारिया, फिनलैण्ड।
  2. स्वीडन, स्पेन।
  3. पश्चिम दिशा में।

JAC Class 9 Social Science Solutions

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निरंकुश राजशाही के खिलाफ रूस में प्रथम क्रान्ति हुई
(अ) सन् 1905 ई. में
(ब) सन् 1978 ई. में
(स) सन् 1917 ई. में
(द) सन् 1919 ई. में।
उत्तर:
(अ) सन् 1905 ई. में।

2. रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन कहलाते थे
(अ) सोवियत
(ब) पेत्रोग्राद
(स) ड्यूमा
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) सोवियत।

3. रूसी क्रान्ति के समय रूस का शासक था
(अ) निकोलस प्रथम
(ब) निकोलस द्वितीय
(स) लेनिन
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) निकोलस द्वितीय।

4. रूस में सामूहिक खेतों को कहा गया
(अ) घुमन्तू
(ब) कोलखोज
(स) विण्टर पैलेस
(द) कुलक।
उत्तर:
(ब) कोलखोज।

5. बोल्शेविक क्रान्ति के नाम से जाना जाता है
(अ) सं. राज्य अमेरिका की क्रान्ति को
(ब) जर्मनी की क्रान्ति को
(स) भारत की क्रान्ति को।
(द) रूस की क्रान्ति को।
उत्तर:
(द) रूस की क्रान्ति को।

6. रूस की संसद का नाम था
(अ) ड्यूमा
(ब) मजलिस
(स) पार्लियामेन्ट
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) ड्यूमा।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रूसी कान्ति किस जार के शासनकाल में हुऱे?
उत्तर:
निकोलस द्वितीय के शासनकाल में।

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प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध के समय रुस का शासक कौन था?
उत्तर:
जार निकोलस द्वितीय।

प्रश्न 3.
सन् 1905 ई. की रून की क्रान्ति का प्रमुख कारण क्या था?
उत्तर:
जार का निरंकुश शासन।

प्रश्न 4.
रूसी क्रान्ति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि क्या थी?
उत्तर:
चर्च की शक्ति एवं निरंकुश श्ञासन की समाप्ति।

प्रश्न 5.
रुसी क्रान्ति किसे कहते हैं?
उत्तर:
फरवरी, सन् 1917 ई, में राजशाही का पतन एवं अक्टूबर की घटनाओं को रूसी क्रान्ति कहते हैं।

प्रश्न 6.
रुस में बोल्शेखिक क्रान्ति कब्ब हुई?
उत्तर:
सन् 1917 ई. में।

प्रश्न 7.
रूसी क्रान्ति को विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटना क्यों माना जाता है?
उत्तर:
समाजवाद की स्थापना के कारण रूसी क्रान्ति को विश्व इतिहास की महत्वपूर्ण घटना माना जाता है।

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प्रश्न 8.
ऐसे दो भारतीय सुधारकों के नाम बताओ जिन्होंने रुस की क्रान्ति के महत्व के बारे में बताया।
उत्तर:

  1. पं. जवाहर लाल नेहरू,
  2. एस. डी. विद्यालंकार।

प्रश्न 9.
सन् 1898 ई. में रूस में समाजवादियों ने किस पार्टी की स्थापना की?
उत्तर:
रशियन सोशल डेमोक्रैटिक वर्कर्स पार्टीं की।

प्रश्न 10.
रूस की क्रान्ति में बोल्शेविक खेमे का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन।

प्रश्न 11.
रुसी क्रान्ति से पूर्व रूस में कौन-कौन से दल थे?
उत्तर:

  1. बोल्शेविक,
  2. मेन्शेविक।

प्रश्न 12.
सर्वप्रथम रुसी क्रान्ति का झंडा कहाँ फहराया गया?
उत्तर:
पेत्रोग्राद में।

प्रश्न 13.
किस संन्यासी ने रूस में राजशाही को और अधिक अलोकप्रिय बना दिया।
उत्तर:
रासपुतिन ने।

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प्रश्न 14.
कार्ल मार्क्स कौन था?
उत्तर:
कार्ल मार्क्स आधुनिक समाजवाद का जनक था। वह मूलतः जर्मनी का एक महान् विचारक था।

प्रश्न 15.
रूसी सेनाओं को कब एवं कहाँ पराजय झेलनी पड़ी?
उत्तर:
रुसी सेनाओं को सन् 1914 ई. से सन् 1916 ई. के मध्य जर्मनी और ऑस्ट्रिया में पराजय शेलनी पड़ी।

प्रश्न 16.
रूसी स्टीम रोलर किसे कहा जाता है?
उत्तर:
शाही रूसी सेना को रूसी स्टीम रोलर कहा जाता है।

प्रश्न 17.
सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति किस विचारधारा से सबसे अधिक प्रभावित थी?
उत्तर:
सन् 1917 ई. की रुसी क्रान्ति समाजवादी विचारधारा से सबसे अधिक प्रभावित थी।

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प्रश्न 18.
बोल्शेविक पार्टी का संस्थापक कौन था? इस पार्टी के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
बोल्शेविक पार्टीं का संस्थापक ब्लादिमीर लेनिन था। उसका मुख्य उद्देश्य जार निकोलस द्वितीय के शासन को उखाड़ फेंकना तथा रूस में कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना करना था।

प्रश्न 19.
मित्र राष्ट्र किन शक्तियों को कहा जाता था?
उत्तर:
ब्रिटेन, फ्रांस एवं रुस आदि शक्तियों को मित्र राष्ट्र कहा जाता था?

प्रश्न 20.
संघों का महासंघ किसे कहा गया?
उत्तर:
वकीलों, इंजीनियरों, डॉक्टरों एवं मध्यमवर्गीय कामगारों ने मिलकर एक संगठन की स्थापना की जिसे संघों का महासंघ कहा गया।

प्रश्न 21.
निजी सम्पत्ति की व्यवस्था के खिलाफ कौन थे?
उत्तर:
बोल्शेविक।

प्रश्न 22.
बोल्शोविक पार्टी का बदला हुआ नाम क्या था?
उत्तर:
रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक)।

प्रश्न 23.
बोल्शेविकों ने जर्मनी से कब एवं कहाँ संधि कर ली?
उत्तर:
बोल्शेविकों ने जर्मनी से ब्रेस्ट लिटोव्सक में मार्च सन् 1918 ई. में संधि कर ली।

प्रश्न 24.
क्रॉमिन्टर्न क्या हैं?
उत्तर:
बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों के अन्तर्राट्रीय महासंध को कांमिन्टर्न के नाम से जाना गया।

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प्रश्न 25.
समाजवादी निजी सम्पत्ति के विरोधी क्यों थे?
उत्तर:
समाजवादी निजी सम्पत्ति को सभी बुराइयों की जड़ मानते थे।

प्रश्न 26.
भारत में स्वतन्त्रता के बाद लागू की गई पंचवर्षीय योजनाएँ किस देश से प्रभावित थीं?
उत्तर:
रूस से।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के यूरोप में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के प्रति अतिवादियों का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के यूरोप में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के प्रति क्रान्तिकारी या अतिवादियों के दृष्टिकोण को निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है

  1. उन्नीसवीं शताब्दी में अतिवादी या क्रान्तिकारी पार्टियाँ मत देने के अधिकार को अधिक विस्तृत कराना चाहती थीं। वे राजनीति में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी की पक्षधर थीं।
  2. अतिवादी बड़े जमींदारों, कारखाना मालिकों या व्यापारियों के हाथ में सम्पत्ति के केन्द्रीकरण के विरुद्ध थे।

प्रश्न 2.
रूस के इतिहास में कौन-सी घटना ‘खूनी रविवार’ के नाम से जानी जाती है?
उत्तर:
रूस में निरंकुश राजशाही थी। रूस के जार (सम्राट) के अधिकारी जन साधारण वर्ग पर भीषण अत्याचार करते थे। 9 जनवरी, सन् 1905 ई. को रविवार के दिन पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का एक वर्ग अपनी मांगों के समर्थन में एक जुलूस निकालता हुआ जार के महल विंटर पैलेस के सामने पहुंचा तो पुलिस और कोसैक्स ने उन पर हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से अधिक मजदूर मारे गये और लगभग 300 घायल हो गये। सन् 1905 ई. की क्रान्ति की शुरुआत इसी घटना से हुई। इतिहास में इस घटना को खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3.
सन् 1917 ई. में पेत्रोग्राद में फरवरी क्रान्ति के क्या कारण थे?
उत्तर:
पेत्रोग्राद में फरवरी क्रान्ति के निम्नलिखित कारण थे

  1. फरवरी में मजदूरों के निवास क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की भारी कमी उत्पन्न हो गई।
  2. संसदीय प्रतिनिधि चाहते थे कि निर्वाचित सरकार बची रहे, इसलिए वह जार द्वारा ड्यूमा को भंग करने के लिए की जा रही कोशिशों का विरोध कर रहे थे।
  3. फरवरी सन् 1917 ई. में नेवा नदी के दाएँ तट पर स्थित एक फैक्ट्री में तालाबन्दी कर दी गई।
  4. रविवार 25 फरवरी को अपने निरंकुश शासन को बनाये रखने के लिए जार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया।

प्रश्न 4.
“रूसी जनता की समस्त समस्याओं का हल रूसी क्रान्ति में निहित था।”इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1917 ई. की रूसी समाजवादी क्रान्ति विश्व के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना थी। जार निकोलस द्वितीय का निरंकुश शासन रूस के लिए एक अभिशाप बन चुका था। रूस के किसानों, मजदूरों एवं जनसाधारण की दशा अत्यन्त दयनीय थी। रूस कृषि एवं औद्योगिक दृष्टि से एक पिछड़ा हुआ देश था। केरेस्की के नेतृत्व में जो लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थापित की गई थी, वह भी पतन की ओर अग्रसर थी।

प्रथम विश्व युद्ध ने रूस की आन्तरिक दशा को अधिक दयनीय बना दिया। लाखों रूसी सैनिक मौत के मुँह में चले गये और अनेक घायल हो गए। रूसी क्रान्तिकारी इन स्थितियों से निपटने के लिए विश्वयुद्ध से अलग होना, गैर-रूसी जातियों को समान अधिकार देना, जमीन का मालिकाना हक किसानों को देना तथा उद्योगों पर मजदूरों का नियन्त्रण करना चाहते थे।

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प्रश्न 5.
‘बोल्शेविक कौन थे? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
‘बोल्शेविक रूस के औद्योगिक मजदूरों की एक राजनीतिक पार्टी थी, जिसका नेता ब्लादिमीर लेनिन था। इस पार्टी के साथ औद्योगिक मजदूरों की बहुत अधिक संख्या थी। यह गुट क्रान्तिकारी विचारधारा में विश्वास रखता था। उनका विचार था कि जिस देश में न तो संसद हो और न ही नागरिकों को कोई जनतान्त्रिक अधिकार दिए गए हों, वहाँ शान्तिपूर्ण तरीके से कोई परिवर्तन नहीं लाए जा सकते। अन्त में यह पार्टी सन् 1917 ई. में रूस में एक क्रान्ति लाने में सफल हुई।

प्रश्न 6.
स्वस में श्रमिकों की पंचायत (सोवियतों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
रविवार 25 फरवरी सन् 1917 को सरकार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया। इसके विरोध में जगह-जगह प्रदर्शन होने लगे तथा रोटी, वेतन, काम के घण्टों में कमी तथा लोकतान्त्रिक अधिकारों के पक्ष में बड़ी मात्रा में लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगे। जब सरकार ने उन्हें काबू में करने के लिए सैनिकों को आदेश दिया तो उन्होंने अपने अफसर पर गोली चला दी और बगावत कर दी।

कई रेजीमेन्टों के सैनिक हड़ताली मजदूरों के साथ आ गये तथा जिस इमारत में यक की बैठक होती थी, उसी में एकत्र होकर एक सोवियत (परिषद) का गठन किया, जिसे पेत्रोपाद सोवियत कहा गया। इसके बाद अन्य स्थानों पर भी सोवियतों का गठन होने लगा।

प्रश्ना 7.
लेनिन की प्रमुख माँगें कौन-सी थी? उन्हें किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
लेनिन की प्रमुख तीन मांगे निम्नलिखित थीं

  1. पुत्र को समाप्त किया जाए।
  2. समस्त जमीन किसानों को दे दी जाए।
  3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए। इन तीनों माँगों को लेनिन की ‘अप्रैल थीसिस’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 8.
स्तालिन द्वारा सामूहिकीकरण का निर्णय क्यों लिया गया ? कुलक तथा अन्य किसानों ने इसका विरोध क्यों किया?
उत्तर:
स्तालिन का यह मानना था कि कुलक और व्यापारी कीमत बढ़ने की उम्मीद में अनाज नहीं बेच रहे हैं और मिलकर जमाखोरी कर रहे हैं और इस कारण बाजार में कृत्रिम खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया है। इसके अतिरिक्त छोटे कृषि फार्मों का मशीनीकरण भी सम्भव नहीं था।

बड़े फामों पर मशीनों के उपयोग से खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता था इसीलिए स्तालिन ने यह निर्णय लिया कि बड़े सामूहिक फार्म बनाए जाएंगे जिन पर किसान उसी प्रकार काम करेंगे जैसे कारखानों में मजदूर काम करते हैं। कुलकों एवं किसानों ने अपनी भूमि पर सरकारी नियन्त्रण का विरोध किया, क्योंकि वे पहले अपनी जमीन के मालिक थे। सामूहिकीकरण की प्रक्रिया द्वारा वे मात्र मजदूर बनकर रह जाते। स्तालिन ने किसानों और कुलकों के इस विरोध को सख्ती से कुचल दिया।

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प्रश्न 9.
अक्टूबर सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति की सफलता के लिए लेनिन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अक्टूबर 1917 ई. की रूसी क्रान्ति की सफलता के लिए लेनिन ने निम्न कदम उठाये

  1. जार निकोलस द्वितीय के शासन के पतन के बाद लेनिन ने ही क्रान्तिकारियों का नेतृत्व किया।
  2. केरेस्की के नेतृत्व में अन्तरिम सरकार लोगों की मांगों को पूरा करने में असफल रही, जिससे लेनिन ने घोषणा की कि अन्तरिम सरकार के स्थान पर अब सोवियतों को शासन दिया जाना चाहिए।
  3. लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करने, किसानों को जमीन देने तथा समस्त अधिकार सोवियतों को देने सम्बन्धी स्पष्ट नीतियाँ सामने रखीं।
  4. लेनिन ने सभी रूसी साम्राज्यों को राष्ट्रों का कारागार कहा था और घोषणा की थी कि सभी गैर-रूसी लोगों को समान अधिकार दिए बिना वास्तविक लोकतन्त्र की स्थापना नहीं हो सकती।

प्रश्न 10.
सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति के बाद लेनिन द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अक्टूबर सन् 1917 ई. की क्रान्ति के बाद लेनिन द्वारा किए गए प्रमुख कार्य निम्नलिखित थे

  1. सरकार द्वारा निजी सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया गया।
  2. उद्योगों का नियन्त्रण मजदूर सोवियतों एवं श्रमिक संघों को दे दिया गया।
  3. उत्पादन के सभी साधनों पर सरकार का नियन्त्रण स्थापित हो गया।
  4. बैंकों, बड़े उद्योगों, खानों तथा बड़ी कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

प्रश्न 11.
लेनिन ने रूस की कृषि एवं अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कौन-कौन से कदम उठाए? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लेनिन ने रूस की कृषि एवं अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए निम्नलिखित कदम उठाये:

  1. निजी सम्पत्ति के अधिकार को पूर्णत: समाप्त कर दिया गया एवं उत्पादन के सभी साधनों को सरकार के नियन्त्रण में ले लिया गया।
  2. भू-स्वामियों, कुलकों तथा चर्च आदि से भूमि छीन ली गई तथा उसे किसानों में बाँट दिया मया। किसानों को भूमि का वास्तविक मालिक बना दिया गया। शीघ्र ही भूमि की चकबन्दी एवं यन्त्रीकरण शुरू कर दिया गया। प्रत्येक के लिए काम करना अनिवार्य कर दिया गया तथा प्रत्येक के योगदान के अनुसार उत्पादन का विभाजन कर दिया गया।
  3. रूस में कृषि योग्य भूमि, बड़े-बड़े उद्योगों, बैंकों, बीमा कम्पनियों, यातायात के साधनों, संचार के साधनों, शक्ति तथा ऊर्जा के स्रोतों, उत्पादन के साधनों, थोक व्यापार, जहाजरानी, खदानों तथा खनिज सम्पत्ति एवं कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
  4. शीघ्र ही पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से रूस का सुनियोजित ढंग से आर्थिक विकास प्रारम्भ कर दिया गया।
  5. सभी बड़े-बड़े उद्योग-धन्धे एवं कारखाने निजी स्वामियों एवं उद्योगपतियों से ले लिये गये। कामगारों एवं श्रमिकों को उद्योगों का वास्तविक स्वामी बना दिया गया।

प्रश्न 12.
किस सीमा तक प्रथम विश्व युद्ध को रूस की सन् 1917 ई. की क्रान्ति के लिए उत्तरदायी माना जाता है ?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के प्रति रूसी जनता में असन्तोष की भावना व्याप्त थी। सन् 1917 ई. तक लगभग 70 लाख लोग मारे जा चुके थे। इस विश्व युद्ध के कारण बड़ी संख्या में लोग शरणार्थी हो गए थे। युद्ध के परिणामस्वरूप उद्योगों, फसलों एवं घरों की भारी तबाही हुई थी। देश के अच्छी सेहत वाले मर्दो को सेना में भेज दिया गया था जिसके कारण कृषि एवं उद्योग के लिए श्रमिक कम हो गये तथा वे समाप्त होते गए।

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प्रश्न 13.
सन् 1917 ई. की क्रान्ति के बाद रूस प्रथम विश्व युद्ध से क्यों अलग हो गया?
उत्तर:
सन् 1917 ई. में रूस के प्रथम विश्व युद्ध से अलग होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे:

  1. रूस की जनता सर्वप्रथम अपनी आन्तरिक समस्याओं का समाधान करना चाहती थी।
  2. रूस की जनता किसी दूसरे देश के भू-भाग पर अधिकार करना नहीं चाहती थी।
  3. रूस के क्रान्तिकारी आरम्भ से ही युद्ध का भारी विरोध कर रहे थे अत: क्रान्ति के बाद रूस युद्ध से हट गया।
  4. प्रथम विश्व युद्ध में सन् 1917 ई. तक 70 लाख से भी अधिक रूसी लोग मारे जा चुके थे।
  5. रूसी साम्राज्य को अनेक बार युद्धों में पराजय का सामना करना पड़ा था, जिससे देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची थी।
  6. लेनिन के कुशल नेतृत्व में रूस की जनता ने युद्ध को क्रान्तिकारी युद्ध में बदलने का निश्चय कर लिया था।

प्रश्न 14.
रूसी क्रान्तिकारियों के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
रूसी क्रान्तिकारियों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे
1. शान्तिपूर्ण दृष्टिकोण:
जार निकोलस द्वितीय ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में धकेल दिया था। इस युद्ध में रूस को भारी अपमान झेलना पड़ रहा था। सन् 1917 ई. तक रूस के लगभग 70 लाख लोग युद्ध में मारे जा चुके थे। रूसी क्रान्तिकारी अपने देश को युद्ध से अलग रखना चाहते थे। उनका मुख्य लक्ष्य शान्ति की नीति को अपनाना था।

2. उद्योगों पर मजदूरों का नियन्त्रण:
समाजवाद से प्रभावित होकर रूस के क्रान्तिकारी एक ही नारा लगा रहे थे “देश के कारखानों पर मजदूरों का स्वामित्व दिया जाए।” उनकी धारणा थी कि कपड़ा बनाने वाले फटे कपड़े क्यों पहनें? पूँजी अर्जित करने वाले पूँजीपतियों के दास बनकर क्यों रहे?

3. गैर-रूसी राष्ट्रों की जनता को बराबरी का दर्जा:
रूस में ऐसे अनेक राष्ट्र थे जिनको रूसी जारों ने जीत लिया था। इन राष्ट्रों के लोगों को रूसी लोगों के समान अधिकार प्राप्त नहीं थे। अत: क्रान्तिकारियों का उद्देश्य था कि गैर-रूसी राष्ट्रों की जनता रूसी जनता के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त करे।

4. जोतने वालों को जमीन:
रूस की भूमि जार, चर्च एवं जमींदारों के पास थी। यद्यपि किसान भूमि पर खेती सम्बन्धी कार्य करते थे, परन्तु वे भूमि के अधिकार से वंचित थे। अत: क्रान्तिकारियों का नारा था ‘भूमि पर काम करने वाले भूमि के स्वामी होने चाहिए।”

प्रश्न 15.
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् समाजवादी आन्दोलन के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् समाजवादी आन्दोलन दो गुटों में विभाजित हो गया था। ये गुट समाजवादी एवं साम्यवादी गुट थे। इन दोनों गुटों में समाजवाद की मूल योजना तथा अवधारणा में अन्तर था। समाजवादी गुट के अधिकांश लोग मानते थे कि सरकार के द्वारा ही धीरे-धीरे संवैधानिक एवं शान्तिपूर्ण तरीकों से कानून में आवश्यक परिवर्तन करके समाजवाद लाया जा सकता है। इसके विपरीत साम्यवादी मानते थे कि ताकत बन्दूक की नली से निकलती है। यदि क्रान्ति के लिए हिंसा का मार्ग भी अपनाना पड़े तो उससे पीछे नहीं हटना चाहिए।

प्रश्न 16.
अक्टूबर क्रान्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रूस में अक्टूबर क्रान्ति 7 नवम्बर, सन् 1917 ई. को हुई थी। उस दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 24, अक्टूबर का दिन था। इसी कारण से इस क्रान्ति को ‘अक्टूबर क्रान्ति’ नाम दिया गया। इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप रूस में केरेस्की सरकार का पतन हो गया। सरकार के मुख्यालय विंटर पैलेस पर बोल्शेविक क्रान्तिकारी समिति के सदस्यों ने अधिकार कर लिया। उसी दिन पेत्रोग्राद में अखिल रूसी सोवियत कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें बहुमत से बोल्शेविकों की कार्यवाही का समर्थन किया गया तथा लेनिन के हाथ में शासन की बागडोर आ गयी।

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प्रश्न 17.
रूसी क्रान्ति की विरासत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रूसी क्रान्ति की विरासत को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. समाजवाद ने पूँजीवाद के शोषणकारी स्वरूप को जनता के सामने उजागर किया जिसके परिणामस्वरूप यह स्पष्ट हो गया कि हमें धन का कुछ ही हाथों में केन्द्रीकरण नहीं होने देना चाहिए। देश के संसाधनों का उपयोग सभी लोगों के लाभ के लिए होना चाहिए।
  2. रूसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप विश्व के अधिकांश देशों में मजदूरों एवं अन्य कर्मचारियों हेतु न्यायसंगत वेतन एवं अन्य सुविधाएँ देने के लिए कानून बनाए गये हैं।
  3. विश्व के अनेक देशों में अपने नागरिकों की सुविधाओं के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएँ संचालित की जा रही हैं।
  4. विश्व के अनेक देशों में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है। कामकाजी महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए मातृत्व लाभ कानून एवं समान वेतन अधिनियम जैसे कदम उठाये गये हैं।
  5. सम्पूर्ण विश्व यह समझ चुका है कि तानाशाही शासन में नागरिकों को पीड़ा भुगतनी पड़ी है। अतः हम सबके लिए चेतावनी है कि हमें समस्त विश्व में लोकतान्त्रिक समाज के निर्माण में सहयोग करना चाहिए।

प्रश्न 18.
समस्त विश्व पर रूसी क्रान्ति के प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति ने न केवल रूस को वरन् समस्त विश्व को प्रभावित किया इस क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित थे

  1. रूसी क्रान्ति ने साम्राज्यवाद के विनाश की प्रक्रिया को तीव्र किया जिससे सम्पूर्ण विश्व में साम्राज्यवाद की समाप्ति के लिए सशक्त वातावरण बन गया।
  2. रूसी क्रान्ति के पश्चात् समस्त विश्व में पूँजीपतियों और मजदूर वर्ग में निरन्तर चलने वाला संघर्ष प्रारम्भ हो गया।
  3. रूस में किसान और मजदूर वर्ग की सरकार स्थापित हो जाने से इस वर्ग का सम्मान एवं प्रतिष्ठा विश्व के अन्य देशों में बढ़ गयी।
  4. विश्व स्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों की स्थापना हुई।
  5. रूस को साम्यवादी सरकार की तरह अन्य देशों जैसे चीन एवं वियतनाम आदि में साम्यवादी सरकारें बन गयीं।
  6. जनता की दशा सुधारने हेतु राज्य द्वारा आर्थिक नियोजन पर बल दिया गया। भारत में भी पंचवर्षीय योजनाएँ प्रारम्भ की गई।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1917 ई.की रूसी क्रान्ति को जन्म देने वाली परिस्थितियों की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सन् 1917 ई. में जार के विरुद्ध रूस में जो क्रान्ति हुई, उसके लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं
1. सन् 1905 ई.की क्रान्ति:
सन् 1905 ई. की रूसी क्रान्ति को सन् 1917 ई. की क्रान्ति की जननी कहा जाता है। सन् 1905 ई. को मास्को में एक माँग पत्र को लेकर मजदूरों एवं कृषकों द्वारा शान्तिपूर्ण ढंग से एक जुलूस निकाला जा रहा था कि जार की सेना ने निहत्थे लोगों पर गोलियां चला दीं।

फलस्वरूप, लगभग 100 लोग मारे गये एवं 300 लोग घायल हुए। इसके विरोध स्वरूप जगह-जगह हड़तालें तथा दंगे हुए। जार ने दमन के द्वारा क्रान्ति दबा दी किन्तु क्रान्ति की ज्वाला अन्दर ही अन्दर सुलगती रही और सन् 1917 ई. में एक महान् क्रान्ति के रूप में प्रकट हुई।

2. कषकों की बुरी दशा:
सन् 1861 ई. में सामन्तवादी प्रथा समाप्त होने पर भी किसानों की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। उनकी दशा दयनीय ही बनी रही, क्योंकि उनके छोटे-छोटे और अलग-अलग खेत थे, उनके सिंचाई के साधन अच्छे नहीं थे, उनके पास खेतों में खाद डालने के लिए पैसे नहीं थे, उनका खेती करने का ढंग पुराना था, वैज्ञानिक रीति से खेती नहीं करते थे, उनके पास अच्छे कृषि यन्त्र नहीं थे, करों का उन पर भारी बोझ था, उन्हें दो समय का भोजन भी नहीं मिलता था। अतः किसानों की दयनीय दशा क्रान्ति का एक मुख्य कारण बनी।

3. श्रमिकों की दयनीय स्थिति:
रूस में मध्यम वर्ग न होने के कारण औघोगिक क्रान्ति काफी देर से हुई। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में औद्योगिक क्रान्ति का प्रारम्भ हुआ। इसके पश्चात् उसका बड़ी तेजी से विकास हुआ किन्तु निवेश के लिए पूँजी विदेशों से आई। विदेशी पूँजीपति अधिक लाभ कमाना चाहते थे।

उन्होंने मजदूरों की दशा पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। पूँजीपति लोग मजदूरों को कम से कम वेतन देकर अधिक से अधिक काम लेते थे तथा उनसे बुरा व्यवहार करते थे। उन्हें राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे, अत: उनमें असन्तोष बढ़ता जा रहा था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मजदूरों की दयनीय दशा भी रूसी क्रान्ति के उद्भव में सहायक सिद्ध हुई।

4. रूसी विचारकों का योगदान:
अनेक रूसी विचारक यूरोप में हो रहे परिवर्तनों से बहुत प्रभावित हुए। कार्ल मार्क्स, टॉलस्टाय आदि विद्वानों ने अपने विचारों से लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने किसानों और मजदूरों में जागृति लाने और संगठित होकर कार्य करने की विचारधारा का प्रसार किया।

5. प्रथम विश्व युद्ध:
अपनी साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जार ने रूस को प्रथम विश्व .युद्ध में उलझा दिया, जबकि रूस की आर्थिक स्थिति बड़ी खराब थी। इस युद्ध में रूस को पराजय का मुँह देखना पड़ा। फरवरी, सन् 1917 ई. तक 70 लाख लोग मारे जा चुके थे। परिणामस्वरूप, पूरे साम्राज्य एवं सैनिकों में व्यापक रूप से असन्तोष था। इस प्रकार रूस का प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेना भी रूसी क्रान्ति का एक कारण बना।

6. जार का अत्याचारी शासन:
जार एक निरंकुश शासक था। वह साम्राज्यवादी नीति में विश्वास रखता था। निरन्तर युद्धों के कारण रूस आर्थिक संकट में फंस गया था। लोगों को जार का शासन असहनीय होता जा रहा था, वह लोगों पर तरह-तरह के अत्याचार करता था। अत: उसके अत्याचारी शासन ने भी सन् 1917 ई. की क्रान्ति को लाने में सहायता की।

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प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध रूसी क्रान्ति का कारण कैसे बना? विस्तार से बताइए। उत्तर-प्रथम विश्व युद्ध रूसी क्रान्ति का कारण निम्न कारणों से बना
1. युद्ध की लम्बी अवधि:
प्रथम विश्व युद्ध सन् 1914-1918 ई. तक लड़ा गया। युद्ध के आरम्भिक चरण में जर्मन विरोधी भावनाओं के कारण युद्ध लोकप्रिय था। धीरे-धीरे युद्ध के प्रति जन-समर्थन कम होने लगा।

2. रूस की असफलता:
रूस सभी क्षेत्रों में युद्ध में नुकसान उठा रहा था। सन् 1914 ई. से सन् 1916 ई. के बीच जर्मनी एवं ऑस्ट्रिया में रूसी सेनाओं को भारी पराजय झेलनी पड़ी।

3. भारी जान:
माल का नुकसान-रूस में सन् 1917 ई. तक 70 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके थे। सेना की ताकत को बढ़ाने के लिए किसानों और मजदूरों को बलपूर्वक सेना में भर्ती किया गया।

4. फसलों तथा घरों की तबाही:
जैसे-जैसे रूस की सेना पीछे हट रही थी, तो उसने फसलों तथा भवनों को नष्ट कर दिया ताकि शत्रु उसकी धरती पर न रह सकें। फसलों तथा भवनों की तबाही के कारण रूस में 30 लाख से अधिक लोग शरणार्थी हो गए। इस परिस्थिति ने सरकार तथा जार की प्रतिष्ठा को केस पहुँचाई। सैनिक भी युद्ध से तंग आ चुके थे अब वे युद्ध लड़ना नहीं चाहते थे।

5. उद्योगों पर प्रभाव:
युद्ध का उद्योगों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। रूस के अपने उद्योगों की संख्या बहुत कम थी तथा अब बाहर से मिलने वाली आपूर्ति भी बन्द हो गई थी। रूस के औद्योगिक उपकरण, यूरोप के अन्य देशों की अपेक्षा, बहुत तेजी से बेकार होने लगे। सन् 1916 ई. तक रेलवे लाइनें टूटनी आरम्भ हो गईं। स्वस्थ लोगों को युद्ध में बुला लिया गया।

परिणामस्वरूप, मजदूरों की कमी हो गई तथा आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले छोटे-छोटे कारखाने बन्द हो गये। खाद्यान्नों की बड़ी मात्रा सेना के लिए भेजी जाती थी। शहरों में रहने वाले लोगों के लिए पावरोटी तथा आटे की कमी हो गई। सन् 1916 ई. की शीत ऋतु तक पावरोटी की दुकानों पर दंगे होना सामान्य बात हो गई।

प्रश्न 3.
स्तालिन की सामूहिकीकरण की नीति की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. स्तालिन की सामूहिकीकरण की नीति की व्याख्या निम्न प्रकार से है

2. सामूहिकीकरण की नीति स्तालिन द्वारा आरम्भ की गई, जो लेनिन की मृत्यु के बाद सत्ता में आया।

3. सामूहिकीकरण का प्रमुख कारण अनाज की आपूर्ति की कमी थी।

4. सामूहिकीकरण के पक्ष में यह तर्क दिया गया कि अनाज की कमी खेतों के छोटे आकार के कारण थी।

5. सन् 1917 ई. के बाद, भूमि किसानों को दे दी गई। इन छोटे आकार के खेतों का आधुनिकीकरण नहीं हो सकता था। आधुनिक फार्मों को विकसित करने के लिए तथा उन्हें मशीनों के साथ औद्योगिक रूपरेखा के अनुसार चलाने के लिए ‘कुलकों’ को समाप्त करना आवश्यक था। किसानों से जमीन लेकर, राज्य द्वारा नियन्त्रित बड़े-बड़े फार्मों की स्थापना की गई।

6. सन् 1929 ई. से रूस में सामूहिकीकरण की शुरुआत हुई, सरकार ने सामूहिक फार्मों (कोलखोज) पर खेती करने के लिए किसानों को मजबूर किया। अधिकतर भूमि तथा उपकरण, सामूहिक खेतों के स्वामियों को स्थानान्तरित कर दिए गए। किसान भूमि पर काम करते थे और सामूहिक खेतों का लाभ बाँट लिया जाता था।

7. इस फैसले से क्रोधित किसानों ने अधिकारियों का विरोध किया तथा अपने पशुओं को नष्ट कर दिया। सन् 1929 ई.से सन् 1931 ई. के बीच, पशुओं की संख्या कम होकर एक तिहाई रह गई। सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को कड़ी सजा दी गई। बहुत बड़ी संख्या में लोगों को देश से निर्वासित कर दिया गया।

8. सामूहिकीकरण का विरोध करने वाले किसानों ने तर्क दिया कि वे न तो अमीर हैं तथा न समाजवाद के विरोधी। वे केवल विभिन्न कारणों से सामूहिक खेतों पर काम नहीं करना चाहते।

9. स्तालिन की सरकार ने सीमित स्तर पर स्वतन्त्र खेती करने की आज्ञा दे दी, परन्तु उन किसानों को सरकार द्वारा कोई सहयोग नहीं दिया जाता था।

10. सामूहिकीकरण के बावजूद, उत्पादन में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। वास्तव में सन् 1930 ई. से सन् 1933 ई. की खराब फसल के बाद रूसी इतिहास का सबसे अधिक तबाही वाला अकाल पड़ा, जिसमें 40 लाख से अधिक लोग भुखमरी के शिकार हो गये।

प्रश्न 4.
सन् 1917 ई. की क्रान्ति का रूस पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सन् 1917 ई. में रूस में हिंसात्मक क्रान्ति हुई जो बीसवीं शताब्दी के इतिहास की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी। इस क्रान्ति के रूस पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े
1. निरंकुश जारशाही का अन्त:
रूस में सदियों से अत्याचारी तथा निरंकुश जारों का शासन चल रहा था। सन् 1917 ई.की क्रान्ति के बाद रूस में इस निरंकुश शासन का अन्त हो गया। जार निकोलस द्वितीय को अन्तत: पद त्यागना पड़ा।

2. सामन्तशाही की समाप्ति:
इस क्रान्ति के फलस्वरूप रूस में सामन्तवादी व्यवस्था तथा अभिजात्य वर्ग के विशेषाधिकार समाप्त हो गए।

3. साम्राज्यवाद का अन्त:
पोलैण्ड, फिनलैण्ड तथा जार्जिया प्रदेश रूस के उपनिवेश थे। क्रान्ति के बाद उन्हें स्वतन्त्रता दे दी गई। इस प्रकार रूसी साम्राज्यवाद को समाप्त कर दिया गया।

4. साम्यवादी सरकार की स्थापना:
इस क्रान्ति से रूस में व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में नई साम्यवादी सरकार ने देश की बागडोर सँभाली। देश को ‘सोवियत समाजवादी गणराज्यों के संघ’ में परिणत कर दिया गया।

5. शासन में श्रमिकों एवं कृषकों का प्रतिनिधित्व नई शासन व्यवस्था में श्रमिकों एवं कृषकों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया।

6. शोषण का अन्त:
इस क्रान्ति के बाद देश की सम्पूर्ण सम्पत्ति तथा उद्योगों पर सरकार का स्वामित्व स्थापित हो गया। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी क्षमता और योग्यता के अनुरूप काम देना राज्य का उत्तरदायित्व हो गया। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति के लिए कार्य करना अनिवार्य हो गया।

7. समाजवाद की स्थापना:
इस क्रान्ति के बाद सत्ता में आई नई सरकार ने कार्ल मार्क्स के सिद्धान्तों को कार्यरूप में परिणत कर दिया। उद्योगों तथा बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके वास्तविक रूप में समाजवाद की स्थापना की गई। आर्थिक एवं सामाजिक समानताओं पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया।

8. रूस का सर्वांगीण विकास:
क्रान्ति से पूर्व रूस अत्यन्त पिछड़ा हुआ देश था, किन्तु क्रान्ति के बाद नई सरकार ने रूस की काया ही पलट दी। रूस का तीव्रता से आर्थिक विकास होता गया एवं कुछ ही वर्षों में यह विश्व का एक शक्तिशाली राष्ट्र बन गया।

9. सामाजिक कल्याण पर बल:
नई सरकार के गठन के बाद देश के सभी संसाधनों का प्रयोग निजी हित के स्थान पर सार्वजनिक हित के लिए किया जाने लगा। काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को रोटी, कपड़ा और मकान देने की जिम्मेदारी सरकार की हो गई।

10. शिक्षा का प्रसार:
साम्यवादी सरकार ने देश में शिक्षा का तीव्रता से प्रसार किया और अनेक नवीन विद्यालय खोले।

11. केन्द्रीकृत नियोजन की व्यवस्था:
रूस में शासन के लिए केन्द्रीकृत नियोजन की व्यवस्था लागू की गई। इस हेतु पंचवर्षीय योजनाएँ बनाई गईं।

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प्रश्न 5.
रूस की क्रान्ति के अन्तर्राष्ट्रीय परिणामों की विस्तार से विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1917 ई. में रूस में जो क्रान्ति हुई, उसका प्रभाव न केवल रूस पर ही पड़ा बल्कि विश्व के अनेक देशों पर भी उसके प्रभाव पड़े। इन प्रभावों का विवरण निम्नलिखित है

1. पूरे विश्व में समाजवादी आन्दोलन का प्रचार-प्रसार:
रूसी क्रान्ति की सफलता से प्रेरित होकर विश्व के अधिकांश देशों में समाजवादी आन्दोलन जोर पकड़ने लगे। रूस इन आन्दोलनों के लिए उस प्रकाश-स्तम्भ का कार्य कर रहा था, जो समुद्र में भटकते हुए जहाजों को मार्ग दिखाता है।

2. किसानों एवं मजदूरों का स्वाभिमान:
रूस में जब किसानों और मजदूरों की सरकार बन गई तब सम्पूर्ण विश्व में यह वर्ग गर्व से सिर उठाकर चलने लगा। विभिन्न देशों में मजदूरों के मजबूत संगठनों का उदय हुआ।

3. आर्थिक नियोजन:
आर्थिक नियोजन के कारण ही रूस की लड़खड़ाती हुई अर्थव्यवस्था पुनःजीवित हो गई थी। विश्व के अन्य देशों ने भी आर्थिक नियोजन पद्धति अपने देश में लागू करके अपनी आर्थिक दशा को सुदृढ़ किया।

4. दो गुटों का विकास:
रूस की क्रान्ति से प्रभावित होकर विश्व में दो गुट उभरकर सामने आये। वे थे-एक पूँजीवादी और दूसरा समाजवादी। पूँजीवादी समर्थक देशों ने समाजवाद के बढ़ते प्रभाव को रोकने का यथासम्भव प्रयास किया।

5. लोकतन्त्र की नई परिभाषा:
पूँजीवादी समर्थक देशों ने समाजवाद की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर लोकतन्त्र की परिभाषा ही बदल दी। उनके अनुसार सच्चा लोकतन्त्र केवल राजनीतिक स्वतन्त्रता से स्थायी नहीं बनता, जब तक कि उसमें लोगों को आर्थिक एवं सामाजिक शोषण से न बचाया जाए।

6. वर्ग-संघर्ष का उदय:
रूसी क्रान्ति के बाद सम्पूर्ण विश्व में पूँजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग में संघर्ष छिड़ गया। मजदूर अपने अधिकारों के लिए और अधिक सजग हो गए तथा संगठित होकर संघर्ष करने लगे। दूसरी तरफ पूँजीपति और अधिक लाभ कमाने हेतु प्रयास करने लगे।

7. साम्यवादी सरकारों का उदय:
सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति के बाद रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई। इसके अतिरिक्त विश्व के कई अन्य देशों; जैसे-चीन, वियतनाम इत्यादि देशों में भी साम्यवादी सरकारें स्थापित हो गईं।

8. मानव अधिकारों का सिद्धान्त:
सर्वप्रथम रूस ने इस सिद्धान्त की रक्षा के लिए अपने अधीन उपनिवेशों को मुक्त कर दिया तथा विश्व में चल रहे स्वतन्त्रता आन्दोलनों को नैतिक समर्थन दिया।

9. लोक-कल्याणकारी भावनाओं का उदय:
रूसी सरकार की देखा-देखी विश्व की अन्य देशों की सरकारों ने भी लोक-कल्याणकारी योजनाएं लागू की। इस प्रकार विश्व के अन्य देशों में भी कल्याणकारी योजनाओं का विकास
हुआ।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-पाठ्य-पुस्तक में दिए गए यूरोप के मानचित्र का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1. तटस्थ राज्यों के नाम,
2. केन्द्रीय शक्तियों के नाम,
3. मित्र शक्तियों के नाम।।
उत्तर:

  1. तटस्थ राज्य- स्पेन, हॉलैण्ड, नार्वे, स्वीडन एवं डेनमार्क, स्विट्जरलैण्ड एवं अल्बानिया।
  2. केन्द्रीय शक्तियाँ-जर्मनी, ऑस्ट्रिया एवं हंगरी।
  3. मित्र शक्तियाँ-इंग्लैण्ड, फ्रांस एवं रूस। नोट-विद्यार्थी मानचित्र को पाठ्य-पुस्तक के पृष्ठ संख्या 30 पर देखें।

JAC Class 9 Social Science Solutions

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
बू| राजवंश का कौन-सा व्यक्ति सन् 1774 फ्रांस की राजगद्दी पर बैठा
(अ) लुई XVI
(ब) लुई x
(स) नेपोलियन
(द) मिराब्यो।
उत्तर:
(अ) लुई XVI

2. नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बना
(अ) सन् 1984 ई. में
(ब) सन् 1804 ई. में
(स) सन् 1815 ई. में
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) सन् 1804 ई. में।

3. फ्रांसीसी क्रान्ति हुई
(अ) सन् 1989 ई. में
(ब) सन् 1789 ई. में
(स) सन् 1946 ई. में
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) सन् 1789 ई. में।

4. राजा के दैवी और निरंकुश अधिकारों का किसने विरोध किया
(अ) जॉन लॉक
(ब) माण्टेस्क्यू
(स) रूसो
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) जॉन लॉक।

5. वॉटर लू की लड़ाई में किसकी पराजय हुई
(अ) नेपोलियन की
(ब) रूसो की
(स) रोबेस्प्येर की
(द) डेस्मॉलिन्स की।
उत्तर:
(अ) नेपोलियन की।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लुई सोलहवाँ फ्रांस की राजगही पर कब्य आसीन हुआ?
उत्तर:
लुई सोलहवाँ फ्रांस की राजगढी पर सन् 1774 ई. में आसीन हुआ।

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प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रान्ति की शुरुआत किस दिन हुई?
उत्तर:
14 जुलाई, सन् 1789 ई. को।

प्रश्न 3.
लोगों के समूह ने किस किले की जेल को तोड़ डाला?
उत्तर:
बास्तील किले की जेल को लोगों के समूह ने तोड़ छाला।

प्रश्न 4.
फ्रांस का राष्ट्रीय गान कौन-सा है?
उत्तर:
‘मार्सिले’ क्रांस का राष्ट्रीय गान है।

प्रश्न 5.
‘मार्सिले ‘ को किसने लिखा था?
उत्तर:
रॉजेट दि लाइल ने।

प्रश्न 6.
प्रांस के राष्ट्रगान को प्रथम ब्वार कब और किसने गाया?
उत्तर:
फ्रांस के राष्ट्रगान को अप्रैल सन् 1792 .ई को मार्सिलेस के स्वर्यंसेवों ने पेरिस की ओर प्रस्थान करते हुए गाया था।

प्रश्न 7.
प्रांस के दार्शनिकों ने कैसे समाज की परिकल्पना की?
उत्तर:
स्वतन्त्रता, समान नियम एवं समान अवसरों के बिचार पर आधारित समाज की।

प्रश्न 8.
फ्रांस की क्रान्ति का प्रमुख राजनीतिक कारण क्या था?
उत्तर:
सम्राट की निरंकुशता एवं उसका विलासिता-पूर्ण जीवन व्यतीत करना।

प्रश्न 9.
प्रांस की क्रान्ति का प्रमुख आर्थिक कारण क्या था?
उत्तर:
जनता पर करों का अंत्यधिक बोझ एवं पावरोटी की कीमतों का महँगा होना।

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प्रश्न 10.
क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज कितने एस्टेद्स में विभाजित था? नाम लिखें।
उत्तर:
क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेद्स

  1. प्रथम एस्टेट-पादरी वर्ग।
  2. दितीय एस्टेट-कुलीन वर्ग।
  3. तृतीय एस्टेट-जनसाधारण लोग।

प्रश्न 11.
प्रांस की क्रान्ति को किन प्रमुख दार्शनिकों ने प्रभावित किया?
उत्तर:
रुसो, जॉन लॉक एवं मॉन्टेस्त्यू आदि दार्शनिकों ने।

प्रश्न 12.
जॉन लॉक द्वारा लिखित पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
दू ट्रीटाइजेज अंक गवर्नमेण्ट।

प्रश्न 13.
मॉन्टेस्क्यू द्वारा लिखित ग्रत्थ का नाम लिखिए।
उत्तर:
द स्पिरिंट ऑफ द लोंज।

प्रश्न 14.
फ्रांस में सरकार के अन्दर सत्ता विभाजन की बात किसने की?
उत्तर:
मांन्टेस्क्यू ने।

प्रश्न 15.
नैशनल असेम्बली ने संखिधान का प्रारूप कब पूरा किया?
उत्तर:
सन् 1791 ई. में।

प्रश्न 16.
फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज का एकमात्र कौन-सा वर्ग सरकार को कर चुकाता था?
उत्तर:
तृतीय एस्टेट के जनसाधारण लोग।

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प्रश्न 17.
फ्रांसीसी समाज की वर्ग ख्यवस्था में सर्वाधिक संख्या किन लोगों की थी?
उत्तर:
किसानों की लगभग 90 प्रतिशत।

प्रश्न 18.
रूसो द्वारा लिखित पुस्तक का नाम ब्वताइए।
उत्तर:
द सोशल कौन्ट्रैक्ट।

प्रश्न 19.
किस एस्टेट के प्रतिनिधि स्वर्यं को सम्पूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे?
उत्तर:
तृतीय एस्टेट्स के प्रतिनिधि।

प्रश्न 20.
20 जून, सन् 1789 ई. को बर्साय के इन्डोर टेनिस कोर्ट में तृतीय एस्टेट्स के प्रतिनिधियों का नेत्त्व किसने किया?
उत्तर:
मिराब्यो और ऑबेसिए ने।

प्रश्न 21.
लाल फ्राइजियन टोपी क्या है?
उत्तर:
दासों द्वारा स्वतन्य होने के बाद पहनी जाने वाली टोपी को लाल फ्राइजियन टोपी के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 22.
फ्रांस में राजदण्ड किसका प्रतीक था?
उत्तर:
फ्रांस में राजदप्ड शाही सत्ता का प्रतीक था।

प्रश्न 23.
अठारहर्वी शताब्दी में जनत्ता में महत्वपूर्ण विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
आकृतियों और प्रतीकों का।

प्रश्न 24.
फ्रांस में ड्लेनों वाली रती किसका प्रतीक थी?
उत्तर:
कानून के मानवीय रूप का।

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प्रश्न 25.
फ्रांस में नव्रनिवाधित असेम्बली को किस नाम से पुकारा गया?
उत्तर:
कन्वेशन के नाम से।

प्रश्न 26.
फ्रांस को कब गणतन्त्र घोषित किया गया?
उत्तर:
21 सितम्बर, सन् 1792 ई. को।

प्रश्न 27.
फ्रांस की क्रान्ति के दो प्रमुख परिणाम क्या हुए?
उत्तर:

  1. पादरी, सामन्त एवं कुलीन वर्ग के अधिकारों का अन्त।
  2. प्रांसीसी लोगों को सप्राट के निरंकुश शासन से मुक्ति।

प्रश्न 28.
विधियट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विधिपट का तात्पर्य है कि कानून सबके लिए समान है एवं इसकी नज़र में सब बराबर हैं।

प्रश्न 29.
टूटी हुई जंजीर से क्या तात्पर्य था?
उत्तर:
टूटी हुई जंजोर से तात्पर्य दासों की आजादी से था।

प्रश्न 30.
फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास व्यापार की समाप्ति कब हुर्श?
उत्तर;
सन् 1848 ईं. में।

प्रश्न 31.
सम्राट लुईं सोलहवें को कब फाँसी दी गई?
उत्तर:
21 जनवरी, सन् 1793 ई, को।

प्रश्न 32.
रोबेस्प्येर को कब गिलोटिन पर चढ़ाया गया?
उत्तर:
जुलाई, सन् 1794 ई. में।

प्रश्न 33.
जैफोबन क्या था? इसके नेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
जैकोधिन सम्पन्न वर्ग से सम्बन्धित फ्रांस के नेताओं का क्लब था। इसका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था।

प्रश्न 34.
त्रिकोणीय दास व्यापार में कौन-कौन से महाद्वीप सम्मिलित थे?
उत्तर:
यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका।

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प्रश्न 35.
जैकोचिन शासन का क्रान्तिकारी सामाजिक सुधार कौन-सा था?
उत्तर:
दास प्रथा का उन्मूलन करना।

प्रश्न 36.
प्रांस में महिलाओं को मत देने का अधिकार कब् मिला?
उत्तर:
सन्, 1946 ई. में।

प्रश्न 37.
फ्रांस का सबसे प्रसिद्ध महिला क्लब कौन-सा था?
उत्तर:
‘”द सोसाइटी अंफ रिवोल्यूशनरी एण्ड़्ड रिपष्लिकन विमेन'”।

प्रश्न 38.
नेपोलियन का पत्तन कब एर्व कहाँ हुआ?
उत्तर:
नेपोलियन का पतन सन् 1815 ई, में वॉटर लू के युद्ध में हुआ।

प्रश्न 39.
फ्रांस में सेंसरशिप की समाप्ति कब हुई?
उत्तर:
सन् 1789 ई. में।

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प्रश्न 40.
नेपोलियन द्वारा किये गये किन्हीं दो महत्वपूर्ण कार्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. निजी सम्पत्ति की सुरक्षा के कानून बनाना।
  2. दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलाना।

प्रश्न 41.
फ्रांसीसी क्रान्ति में उपजे विचारों से प्रेरणा लेने वाले किनहीं दो भारतीयों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. टीपू सुल्तान,
  2. राजा राममोहन राय।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांस की आर्थिक दशा को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
लम्बे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे। फ्रांस के सम्राटों के ऐश्वर्य एवं विलासितापूर्ण जीवन ने फ्रांस की आर्थिक दशा को और भी अधिक खराब कर दिया था। फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बड़ा भाग कर्ज चुकाने हेतु व्यय करने के लिए मजबूर थी। अपने नियमित खर्चों

जैसे-सेना के रख-रखाव, राजदरबार, सरकारी कार्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को चलाने के लिए फ्रांसीसी सरकार ने जनता पर और अधिक करों का बोझ डाल दिया, लेकिन उच्च वर्ग के लोगों को कोई ‘कर’ नहीं देना पड़ता था। जनता से लिए गए करों की सम्पूर्ण राशि भी सरकारी खजाने में जमा नहीं होती थी, क्योंकि सरकारी अधिकारियों पर किसी भी प्रकार का कोई नियन्त्रण नहीं था। इस प्रकार अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांस की आर्थिक दशा अत्यन्त खराब थी।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में फ्रांस की सामाजिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व फ्रांस का समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था

  1. पादरी वर्ग-इस वर्ग में चर्च के उच्च श्रेणी के पादरी थे। उन्हें कई विशेषाधिकार प्राप्त थे तथा कोई ‘कर’ नहीं देना पड़ता था। इस वर्ग में सम्मिलित लोग धनी थे और विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करते थे।
  2. कुलीन वर्ग-इस वर्ग में उच्च सरकारी अधिकारी एवं बड़े-बड़े जमींदार होते थे। उन्हें भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। वे कृषकों से सामन्ती ‘कर’ वसूल करते थे। इतना ही नहीं, इन लोगों के पास अपनी-अपनी जागीरें होती थीं।
  3. साधारण वर्ग-इस वर्ग में किसान, कारीगर, छोटे कर्मचारी, मजदूर, वकील तथा डॉक्टर आदि शामिल थे। इन लोगों पर करों का अत्यधिक बोझ था, इसके अतिरिक्त इनसे बेगार भी ली जाती थी। यह फ्रांस का सबसे असन्तुष्ट वर्ग था। इस वर्ग में सबसे बड़ा भाग किसानों का था, यह वर्ग अधिकारों से विहीन था। फ्रांस की राज्य-क्रान्ति के विस्फोट में इस वर्ग ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 3.
फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई सन् 1789 का क्या महत्व है?
उत्तर:
फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई सन् 1789 का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन फ्रांस के क्रान्तिकारियों ने बास्तील के किले पर विजय प्राप्त की थी। बास्तील फ्रांस का एक अति प्राचीन किला था, जिसमें राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था। इस किले को राजाओं की निरंकुशता तथा स्वेच्छाचारिता का प्रतीक समझा जाता था। पेरिस की भीड़ ने 14 जुलाई, सन् 1789 ई. के दिन तेजी के साथ बास्तील के किले पर आक्रमण कर दिया। विश्व के इतिहास में यह महत्वपूर्ण एवं अनुपम घटना थी। फ्रांस में यह लोकतन्त्रवाद की विजय एवं निरंकुशवाद की पराजय थी।

प्रश्न 4.
सन् 1789 ई.के बाद के वर्षों में, फ्रांस में पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों के जीवन में अनेक परिवर्तन आए। क्रान्तिकारी सरकारों ने कानून बनाकर स्वतन्त्रता एवं समानता के आदर्शों को दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास किया। ऐसे किन्हीं दो कानूनों का उल्लेख करें।
उत्तर:
1. सैंसरशिप की समाप्ति:
क्रान्ति से पूर्व, सभी लिखित सामग्री का प्रकाशन राजा की सहमति के बाद ही हो सकता था, परन्तु क्रान्ति के तत्काल बाद स्वतन्त्रता तथा समानता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, सैंसरशिप को समाप्त कर दिया गया।

2. साहित्य एवं प्रेस जगत् में क्रान्ति:
सैंसरशिप की समाप्ति के बाद अब प्रेस स्वतन्त्र था। प्रेस की स्वतन्त्रता का अर्थ था कि अब घटनाओं के विरोधी विचार भी अभिव्यक्त किए जा सकते थे। राजनीतिक, दार्शनिक तथा लेखक अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतन्त्र थे। फ्रांस में अखबारों, पर्यों एवं पुस्तकों का प्रचार-प्रसार होने लगा।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रान्ति में मध्यम वर्ग ने क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में उदय हुए समाज के मध्यम वर्ग में सभी पढ़े-लिखे लोग थे। इनका मानना था कि समाज के किसी भी व्यक्ति के पास जन्म से विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। सभी विचारक और दार्शनिक इसी वर्ग से थे। इस वर्ग ने क्रान्ति के लिए वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार की इसके परिणामस्वरूप अन्ततः क्रान्ति हुई।

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प्रश्न 6.
फ्रांसीसी क्रान्ति में जैकोबिन की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रान्ति में जैकोबिन की निम्नलिखित भूमिका थी

  1. जैकोबिन लोगों के राजनीतिक क्लब थे। लोग इन राजनीतिक क्लबों में अड्डे जमा कर सरकारी नीतियों और अपनी कार्य योजना पर बहस करते थे।
  2. मैक्समिलियन रोबेस्प्येर उनका नेता था। जैकोबिन के एक बड़े वर्ग ने गोदी कामगारों की तरह धारीदार लम्बी पतलून पहनने का निर्णय किया।
  3. सन् 1792 ई. में, जैकोबिन ने राजतन्त्र को समाप्त करने के लिए हिंसक विद्रोह की योजना बनाई।
  4. जैकोबिन ने सन् 1793 ई. से सन् 1794 ई. तक फ्रांस पर शासन किया।

प्रश्न 7.
सन् 1791 ई. के फ्रांस के संविधान की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सन् 1791 ई. के फ्रांस के संविधान की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. इसके द्वारा फ्रांस को एक संवैधानिक राजतन्त्र घोषित किया गया।
  2. सम्राट की शक्तियों को सीमित कर दिया गया, उसकी भूमिका अब केवल नाममात्र की रह गई। उसके पास वास्तविक राजनीतिक सत्ता अब नहीं थी।
  3. 25 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे नागरिकों को मत देने का अधिकार दिया गया जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। इनके द्वारा निर्वाचक समूह का चुनाव किया जाता था।
  4. नेशनल असेम्बली को कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जिसके सदस्यों का चुनाव निर्वाचक द्वारा किया जाता था।
  5. सरकार की शक्ति को कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच विभाजित कर दिया गया।
  6. संविधान के अनुसार सभी नागरिकों के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करने का उत्तरदायित्व सभी राज्यों का है।

प्रश्न 8.
फ्रांस के इतिहास में कौन-सा काल ‘आतंक का राज’ के नाम से जाना जाता है? इस काल की प्रमुख बातों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सन् 1793 ई. से सन् 1794 ई. तक का काल ‘आतंक का राज’ के नाम से जाना जाता है। इस काल की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं
1. इस काल के दौरान रोबेस्प्येर ने कठोर नियन्त्रण तथा दण्ड की सख्त नीति को अपनाया।

2. उन सभी को, जिन्हें वह गणतन्त्र के शत्रु के रूप में देखता था अर्थात् कुलीन तथा पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, अपने ही दल के सदस्य, जो उसकी नीतियों से सहमत न थे, गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया तथा क्रान्तिकारी अदालत द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया। यदि अदालत द्वारा दोषी पाया जाता तो उन्हें गिलोटिन पर चढ़ाकर मार दिया जाता था।

3. गोश्त तथा पावरोटी की राशनिंग कर दी गई। किसानों को अपने अनाज को शहरों में ले जाने तथा सरकार द्वारा निश्चित कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। अधिक महँगे सफेद आटे के उपयोग को वर्जित कर दिया गया, सभी नागरिकों को साबुत गेहूँ से बनी और बराबरी का प्रतीक मानी जाने वाली ‘समता रोटी’ खाना अनिवार्य कर दिया गया।

प्रश्न 9.
डिरेक्ट्री शासित फ्रांस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस की सत्ता मध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के हाथ में आ गई। सन् 1795 ई. में फ्रांस में नया संविधान तैयार किया गया। नये संविधान के प्रावधानों के तहत् सम्पत्तिविहीन वर्ग के लोगों को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। नवीन संविधान में दो चुनी गई विधान परिषदों के गठन का प्रावधान था। इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका को नियुक्त किया। इसे ही ‘डिरेक्ट्री’ कहा गया।

इस व्यवस्था के अन्तर्गत किसी एक व्यक्ति के हाथ में शक्तियों के केन्द्रीकरण पर रोक लगायी गयी। इन डिरेक्टरों से अपेक्षा थी कि वे देश में कानून व्यवस्था की दशा सुधारेंगे लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे। डिरेक्टरों का झगड़ा अक्सर विधान परिषदों से होता था और तब परिषद् उन्हें बर्खास्त करने की कोशिश करती। डिरेक्टरों की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

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प्रश्न 10.
ओलम्पदे गज के घोषणा-पत्र में दिए गए स्त्रियों के मूल अधिकारों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
ओलम्प दे गूज एक महान क्रांतिकारी फ्रांसीसी महिला थी, जिसने फ्रांस की महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। उसके घोषणा-पत्र में दिए गए स्त्रियों के कुछ मूल अधिकार निम्नलिखित थे

  1. महिला जन्मना स्वतन्त्र है और उसके अधिकार भी पुरुष के समान होते हैं।
  2. सभी राजनीतिक संस्थाओं का लक्ष्य महिला और पुरुष के नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा करना होता है। ये अधिकार–स्वतन्त्रता, सम्पत्ति, सुरक्षा और सबसे बढ़कर शोषण के प्रतिरोध का अधिकार हैं।
  3. ‘कानून’ सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति होना चाहिए। सभी महिला एवं पुरुष नागरिकों की या तो व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से विधि-निर्माण में भागीदारी होनी चाहिए।
  4. सभी महिला और पुरुषों को उनकी योग्यता के अनुसार सम्मान तथा सार्वजनिक पद मिलने चाहिए।
  5. कानून की दृष्टि से महिला अपवाद नहीं है। वह विधि-सम्मत प्रक्रिया द्वारा अपराधी लहराई जा सकती है, गिरफ्तार और नजरबन्द की जा सकती है। अत: पुरुषों की भाँति महिलाएँ भी इस कङ्गोर कानून का पालन करें।

प्रश्न 11.
फ्रांस में ‘दास-प्रथा का उन्मूलन’ विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैकोबिन शासन के दौरान फ्रांसीसी उपनिवेशों में सामाजिक सुधार के अनेक कार्यक्रम आरम्भ किए गए, जिसमें दास-प्रथा का उन्मूलन एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार कार्यक्रम था। फ्रांस में अठारहवीं सदी में दास-प्रथा की अधिक आलोचना नहीं हुई। नेशनल असेम्बली में इस बात पर बहस हुई कि फ्रांसीसी उपनिवेशों में रहने वाले लोगों सहित समस्त फ्रांसीसी जनता को मूलभूत अधिकार प्रदान किए जाएँ अथवा नहीं, परन्तु दास व्यापार पर निर्भर व्यक्तियों के विरोध के कारण नेशनल असेम्बली में दास-प्रथा से सम्बन्धित कोई कानून पास नहीं किया जा सका।

बाद में सन् 1794 ई. के अधिवेशन में फ्रांसीसी उपनिवेशों में निवास करने वाले सभी दासों की मुक्ति का कानून पास कर दिया परन्तु यह कानून अधिक समय तक लागू नहीं रह सका। दस वर्ष पश्चात् नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस में दास-प्रथा को पुनः आरम्भ कर दिया, जिसके कारण बागान मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी नीग्रो लोगों को दास बनाने की स्वतन्त्रता मिल गई। सन् 1848 ई. में फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास-प्रथा को पूर्णरूप से समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 12.
नेपोलियन बोनापार्ट के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति का एक अप्रत्यक्ष परिणाम सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट का उदय था। नेपोलियन ने फ्रांस की राजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता का लाभ उठाकर सेना की मदद से सत्ता पर अधिकार कर लिया। उसने सन् 1804 ई. में स्वयं को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।

उसने पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय प्राप्त की तथा पुराने राजवंशों को हटाकर नया साम्राज्य स्थापित किया। सन् 1815 ई. में वॉटर लू के युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ और कालान्तर में नेपोलियन की मृत्यु हो गयी। नेपोलियन के क्रांतिकारी कार्यों का असर उसकी मृत्यु के काफी समय बाद सामने आया।

प्रश्न 13.
नेपोलियन स्वयं को यूरोप के आधुनिकीकरण के अग्रदूत के रूप में देखता था। इस कथन को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. यूरोप में बहुत बड़ी संख्या में लोग नेपोलियन को मुक्तिदाता के रूप में देखते थे, जो लोगों के लिए स्वतन्त्रता लाने वाला था।
  2. नेपोलियन ने कई कानून लागू किए, जिनमें निजी सम्पत्ति की सुरक्षा से सम्बन्धित कानून प्रमुख है।
  3. उसने माप एवं तौल की एक समान प्रणाली को लागू किया जो दशमलव पद्धति पर आधारित थी।
  4. नेपोलियन की मृत्यु के बाद भी उसके स्वतन्त्रता सम्बन्धी क्रान्तिकारी विचारों तथा आधुनिक कानूनों को फैलाने वाले क्रान्तिकारी उपायों का प्रभाव लम्बे समय तक लोगों के दिलों पर छाया रहा।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए उत्तरदायी राजनीतिक कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस की क्रान्ति के लिए उत्तरदायी राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे
1. युद्धों से फ्रांस की वित्तीय स्थिति का बिगड़ना:
अनेक युद्धों में सम्मिलित होने के कारण फ्रांस अराजकता की ओर बढ़ने लगा था। लुई सोलहवें के शासन के दौरान फ्रांस ने ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी उपनिवेशों का साथ दिया। इन युद्धों के बाद फ्रांस का खजाना खाली हो गया। फ्रांस को अपने मित्र राष्ट्रों से कर्ज लेना पड़ा, जो उसने कभी वापस नहीं किया। देश की वित्तीय दशा खराब थी।

2. निरंकुश राजतन्त्र:
तत्कालीन यूरोप के लगभग सभी देशों में निरंकुश राजतन्त्र की ही सत्ता थी। फ्रांस में भी निरंकुश राजतन्त्र ही शासन का स्वरूप था। सम्राट प्रजा के हितों की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था, जो क्रान्ति का मुख्य कारण बना।

3. राज्य के मामलों में रानी का हस्तक्षेप:
राजा पर उसकी ऑस्ट्रियन रानी मेरी एन्तोएनेत का काफी प्रभाव था। रानी रियासत की महत्वपूर्ण नियुक्तियों में अपने कृपापात्रों को बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करती थी। राजा पर उसका प्रभाव देश के लिए विनाशकारी साबित हुआ।

4. क्रूर एवं भ्रष्ट प्रशासन:
फ्रांस में प्रशासन भ्रष्ट एवं निरंकुश था। कैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव किया जाता था। लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाता था। जुर्माने का काफी भाग न्यायाधीशों की जेब में चला जाता था। बिना किसी कानूनी अध्यादेश के राजा किसी की भी सम्पत्ति जब्त कर सकता था।

5. कछ लोगों के लिए विशेषाधिकारों का होना:
प्रथम दो एस्टेट्स कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग को जन्म से ही विशेषाधिकार प्राप्त थे उन्हें कर से छूट थी तथा तृतीय एस्टेट के जनसाधारण लोगों से ही कर लिया जाता था जिससे उनमें असन्तोष का भाव था।

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रान्ति के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांस की क्रान्ति विश्व की महानतम घटना थी। इसके मुख्य परिणाम निम्नलिखित थे

  1. इस क्रान्ति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था का अन्त कर दिया।
  2. इस क्रान्ति ने फ्रांस में लम्बे समय से चली आ रही सामन्ती व्यवस्था का अन्त कर दिया।
  3. फ्रांस के क्रान्तिकारियों द्वारा की गई ‘मानव अधिकारों की घोषणा’ (27 अगस्त, सन् 1789 ई.), मानव जाति की स्वतन्त्रता के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण थी।
  4. इस क्रान्ति ने समस्त यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास और प्रसार किया। परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक देशों में क्रान्तियों का सूत्रपात हुआ।
  5. इस क्रान्ति ने लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
  6. फ्रांस की क्रान्ति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया।
  7. इस क्रान्ति ने इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेश नीति को प्रभावित किया।
  8. फ्रांसीसी क्रान्ति ने मानव जाति को स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व का नारा प्रदान किया।
  9. इस क्रान्ति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, शिक्षा एवं सैन्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की।
  10. कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रान्ति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी, क्योंकि इसने समानता का सिद्धान्त प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी खोल दिया था।
  11. इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
  12. दास प्रथा का उन्मूलन भी इसी क्रान्ति का परिणाम था।

प्रश्न 3.
क्रान्ति से पहले तथा बाद में फ्रांस की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
क्रान्ति से पहले तथा बाद में फ्रांस की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों की तुलना निम्न प्रकार से हैक्रान्ति से पहले क्रान्ति के बाद राजनीतिक परिस्थितियाँ :

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व, क्रान्ति के दौरान एवं क्रान्ति के बाद में फ्रांसीसी महिलाओं की स्थिति की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश इतिहासकार इस तथ्य को मानते हैं कि सन् 1789 ई. की क्रान्ति के आरम्भ से ही वहाँ की महिलाएँ समाज में अहम् परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों से जुड़ी हुई थीं। उनकी सक्रिय रुचि तथा भूमिका के कारण ही फ्रांसीसी समाज में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। क्रान्ति से पूर्व, क्रान्ति के दौरान एवं क्रान्ति के बाद में फ्रांसीसी महिलाओं की स्थिति निम्न प्रकार थी

1. क्रान्ति से पूर्व तृतीय एस्टेट्स की महिलाएं अपनी जीविका के लिए काम करती थीं। वे धनवान लोगों के घरों में घरेलू नौकरों के रूप में काम करती थीं अथवा वे सिलाई-बुनाई, कपड़ों की धुलाई करती एवं बाजार में सब्जियाँ, फूल और फल बेचती थीं।

2. क्रान्ति के दिनों से पूर्व एवं उसके दौरान फ्रांस की अधिकांश महिलाएँ न तो अच्छी शिक्षा संस्थाओं और न ही व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं तक पहुँचती थीं इसीलिए अच्छी या उच्च नौकरियाँ उनकी पहुँच से बाहर थीं। केवल कुलीन तथा धनी मध्यम वर्गों की महिलाएँ ही कॉन्वेण्ट में शिक्षा प्राप्त करती थीं तथा शिक्षा समाप्ति के बाद उनके अभिभावक ही उनकी शादी के बारे में निर्णय लेते थे।

3. जो भी महिलाएँ काम करती थीं उनका जीवन बहुत ही कठोर होता था, क्योंकि उन्हें घर से बाहर न केवल नौकरी करनी होती थी, बल्कि घर के अन्दर भी उन्हें अपने-अपने परिवारों की देख-भाल करनी होती थी। उन्हें खाना पकाना होता था, पानी लाना होता था, पावरोटी के लिए लम्बी-लम्बी लाइनों में खड़ा होना पड़ता तथा छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन एवं देख-भाल करनी पड़ती थी।

4. महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता था।

5. क्रान्ति के दिनों में ही फ्रांसीसी महिलाओं ने अपनी आवाज बुलन्द करने के लिए समाचार पत्र निकाले एवं राजनीतिक क्लब बनाये। फ्रांस के विभिन्न शहरों एवं कस्बों में लगभग 60 क्लब बनाये गये। इन सभी क्लबों में ‘द सोसायटी ऑफ रिवोल्यूशनरी एण्ड रिपब्लिक विमेन’ सर्वाधिक प्रसिद्ध क्लब था।

6. फ्रांसीसी महिलाओं ने अपने समाचार-पत्रों तथा राजनीतिक क्लबों के माध्यम से अपनी अनेक राजनीतिक एवं आर्थिक माँगें रखी थीं। उदाहरणार्थ, उनकी एक महत्वपूर्ण माँग यह थी कि उन्हें भी पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त हों। फ्रांस की सभी महिलाओं को वे सभी अधिकार समान रूप से दिये जायें, जो सन् 1791 ई.के संविधान द्वारा पुरुषों को दिए गए हैं। उन्होंने मत देने का अधिकार, चुनाव लड़ने के अधिकार के साथ राजनीतिक पदों पर नियुक्त होने के अधिकार की भी माँग की।

7. प्रारम्भिक वर्षों में, क्रान्तिकारी सरकार ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के उद्देश्य से कानूनों को लागू किया तथा उनके जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से राजकीय विद्यालय खोले तथा सभी लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया।

8. राजनैतिक अधिकारों के लिये महिलाओं का संघर्ष बाद में भी उन्नीसवीं सदी के अन्त एवं बीसवीं सदी के प्रारम्भ तक अन्तर्राष्ट्रीय मताधिकार आन्दोलन के जरिये जारी रहा। अन्ततः सन् 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया।

9. फ्रांस में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए सामाजिक जीवन से जुड़े अनेक कदम उठाये गये

  1. उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उन्हें विवाह के लिए विवश नहीं कर सकते थे।
  2. नागरिक कानून के अधीन शादी को एक समझौता बनाने के लिए उसका पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया।
  3. तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया तथा इसके लिए प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार पुरुषों एवं महिलाओं दोनों को समान रूप से दिया गया।
  4. अब नौकरियों के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा सकता था, वे कलाकार भी बन सकती थीं तथा छोटे-मोटे व्यापार भी कर सकती थीं।

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

प्रश्न 5.
नेपोलियन की साम्राज्यवादी नीति का वर्णन कीजिए। यह नीति नेपोलियन के पतन में किस सीमा तक सहायक रही?
उत्तर:
नेपोलियन अत्यधिक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसमें साम्राज्यवादी भावना कूट-कूट कर भरी थी। उसके पतन का एक प्रमुख कारण उसका सैनिकवाद था। उसका साम्राज्यवाद सैनिक शक्ति पर आधारित था। फ्रांस के सैनिकवाद ने ही नेपोलियन के उत्थान को सम्भव बनाया था।

राष्ट्रीय सम्मेलन ने भी सैनिकवाद को प्रोत्साहन दिया और डिरेक्ट्री के शासन काल में नेपोलियन ने सैनिकवाद को चरम सीमा पर पहुँचाने का कार्य अपने हाथ में ले लिया। उसकी निरन्तर विजयों ने फ्रांस की सैनिक शक्ति का अत्यधिक विस्तार कर दिया और अब फ्रांस अपनी सैनिक शक्ति के बल पर यूरोप के अन्य राज्यों में अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा।

सैनिकवाद के प्रसार ने यूरोप में भीषण युद्धों को जन्म दिया, जिनमें फ्रांस की सैनिक शक्ति निरन्तर कम होती गई। नेपोलियन ने सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए फ्रांस में सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी। उसने युवा तथा वृद्ध सभी को सेना में भर्ती होने के लिए विवश किया, परन्तु उसकी यह नीति अधिक समय तक सफल न हो सकी जो अन्त में उसके लिए विनाशकारी सिद्ध हुई।

उसने अपनी असीमित साम्राज्यवादी लिप्सा को पूरा करने के लिए इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की, लोग उसकी सेनाओं को हमलावर मानने लगे और इसी के फलस्वरूप उसका पतन हो गया। अत: नेपोलियन की महत्वाकांक्षा, युद्धप्रियता एवं सैनिकवाद ने उसके पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पाठ्य-पुस्तक में दिये गये मानचित्र को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
1. लूहांस किस दिशा में स्थित है?
उत्तर:
लूहांस पूर्व दिशा में स्थित है।

2. क्रान्ति के समय भगदड़ वाले 4 क्षेत्रों के नाम।
उत्तर:
लूहांस, एस्त्रीस, नातेस, रोमीली। नोट-विद्यार्थी मानचित्र को पाठ्य-पुस्तक की पृष्ठ संख्या 9 पर देखें।

JAC Class 9 Social Science Solutions

JAC Class 10 Social Science Notes History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना 

JAC Board Class 10th Social Science Notes History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

→ ऐतिहासिक यात्राएँ व सिल्क मार्ग

  • प्राचीनकाल से ही यात्री, व्यापारी, पुजारी एवं तीर्थयात्री ज्ञान, आध्यात्मिक शान्ति के लिए अथवा उत्पीड़न/यातनापूर्ण जीवन से बचने के लिए दूर-दूर की यात्राओं पर जाते रहे हैं।
  • प्राचीनकाल में विश्व के दूरस्थ स्थित भागों के मध्य व्यापारिक एवं सांस्कृतिक सम्पर्कों का सबसे जीवन्त उदाहरण सिल्क मार्गों के रूप में दिखाई देता है।
  • ‘सिल्क मार्ग’ नाम के इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम (सिल्क) के महत्त्व का पता चलता है।
  • सिल्क मार्ग एशिया के विशाल भू-भागों को एक-दूसरे से जोड़ने के साथ ही एशिया को यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे।

JAC Class 10 Social Science Notes History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना 

→ भोज्य पदार्थों की यात्रा

  • खाद्य-पदार्थों से हमें दूर देशों के मध्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बहुत से उदाहरणों का पता चलता है। माना जाता है कि नूडल्स को यात्री चीन से पश्चिम में ले गये, जहाँ वे इसे स्पैघेत्ती कहते थे।
  • लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद आदि के बारे में भारतीय नहीं जानते थे। ये समस्त खाद्य पदार्थ अमेरिकी इण्डियनों से हमारे पास आये हैं।

→  विजय, बीमारी और व्यापार

  • 16वीं शताब्दी के मध्य तक पुर्तगाली एवं स्पेनिश सेनाओं की विजय का प्रारम्भ हो चुका था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना प्रारम्भ कर दिया था। चेचक जैसे कीटाणु स्पेनिश सैनिकों के सबसे शक्तिशाली हथियार थे जो उनके साथ अमेरिका पहुँचे।
  • यूरोप से आने वाली चेचक की बीमारी धीरे-धीरे सम्पूर्ण अमेरिका महाद्वीप में फैल गयी। यह बीमारी वहाँ भी पहुँच गई जहाँ यूरोपीय लोग पहुँचे ही नहीं थे तथा इसने समस्त समुदायों को समाप्त कर दिया।
  • 19वीं शताब्दी में यूरोप में निर्धनता एवं भूख का साम्राज्य हो जाने के कारण हजारों की संख्या में लोग भागकर अमेरिका जाने लगे।
  • 18वीं शताब्दी तक अमेरिका में अफ्रीका से पकड़कर लाये गये गुलामों को कार्य में लगाकर यूरोपीय बाजारों के लिए कपास व चीनी का उत्पादन किया जाने लगा था।चीन तथा भारत की 18वीं शताब्दी का मध्य गुजरने के बाद भी दुनिया के सबसे धनी देशों में गिनती होती थी।
  • 19वीं शताब्दी में समस्त विश्व तेज़ी से बदलने लगा। आर्थिक, राजनीतिक, तकनीकी, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों ने सम्पूर्ण समाजों को परिवर्तित कर दिया।

→  विश्व अर्थव्यवस्था का उदय

  • 18वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में ब्रिटेन की आबादी के तेजी से बढ़ने से देश में भोजन की माँग भी बढ़ने लगी। फलस्वरूप कृषि उत्पाद महँगे हो गए।
  • बड़े भूस्वामियों के दबाव में आकर ब्रिटिश सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगा दी। जिन कानूनों के आधार पर यह पाबन्दी लगायी गयी, उन्हें ‘कॉर्न लॉ’ कहा गया।
  • कॉर्न लॉ के निरस्त होने पर ब्रिटेन की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्व के विभिन्न भागों से खाद्य पदार्थों का आयात होने लगा।
  • सन् 1890 ई. तक एक वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था हमारे समक्ष आ चुकी थी।

→  तकनीक की भूमिका

  • 19वीं शताब्दी में आये विभिन्न परिवर्तनों में रेलवे, यात्रा के जहाज, टेलीग्राफ आदि की बहुत अधिक भूमिका रही।
  • पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गयी जिससे शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं को भी लम्बी यात्राओं पर ले जाया जा सकता था।

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→  उन्नीसवीं सदी के आखिर में उपनिवेशवाद

  • यूरोप के शक्तिशाली देशों ने सन 1885 में बर्लिन में हुई एक बैठक में अफ्रीका के नक्शे पर फुटटे (Scale) से लकीर खींचकर उसे आपस में बाँट लिया।
  • 19वीं शताब्दी के अन्त में उपनिवेशवाद में तीव्रगति से वृद्धि हुई। ब्रिटेन व फ्रांस के साथ-साथ बेल्जियम व जर्मनी नयी औपनिवेशिक ताकतों के रूप में सामने आये।
  • 1890 ई. के दशक के अन्तिम वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक औपनिवेशिक ताकत बन चुका था।

→  रिंडरपेस्ट का दौर

  • अफ्रीका में 1890 ई. के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी बहुतं तीव्र गति से फैली।
  • पशुओं में प्लेग की तरह फैलने वाली छूत की बीमारी से लोगों की आजीविका एवं स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा।
  • 19वीं शताब्दी के अन्त में यूरोपीय ताकतें विशाल भू-क्षेत्र एवं खनिज भण्डारों को देखकर अफ्रीका महाद्वीप की ओर आकर्षित हुईं।

→  अनुबंधित श्रमिक अथवा गिरमटिया मजदूर

  • 19वीं सदी में भारत व चीन से लाखों की संख्या में मजदूरों को बागानों, खदानों तथा सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में कार्य करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था। इन श्रमिकों को विशेष प्रकार के अनुबन्ध के तहत ले जाया जाता था।
  • भारत में अनुबन्धित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरीबियाई द्वीप समूह (त्रिनिदाद, गुयाना व सूरीनाम), मॉरीशस एवं फिजी आदि में ले जाया जाता था। इन मजदूरों को ‘गिरमिटिया मजदूर’ कहा जाता था।
  • यूरोपीय उपनिवेशकारों के पीछे-पीछे व्यापारी एवं महाजन भी अफ्रीका पहुँच गये और उन्होंने वहाँ अपना व्यापार प्रारम्भ कर दिया।

→  भारतीय व्यापार, उपनिवेशवाद व वैश्विक व्यवस्था

  • उन्नीसवीं शताब्दी में भारतीय बाजारों में ब्रिटिश औद्योगिक उत्पादों की बहुलता हो गयी। इसके अतिरिक्त भारत से ब्रिटेन एवं शेष विश्व को भेजे जाने वाले खाद्यान्न व कच्चे मालों के निर्यात में भी वृद्धि हुई।
  • भारत के साथ ब्रिटेन हमेशा ‘व्यापार अधिशेष’ की स्थिति में रहता था अर्थात् ब्रिटेन को आपसी व्यापार में हमेशा लाभ रहता था।

→  प्रथम विश्व युद्ध

  • प्रथम महायुद्ध मुख्य रूप से यूरोप में ही लड़ा गया था लेकिन इसका प्रभाव समस्त विश्व पर देखा गया।
  • अगस्त 1914 में शुरू हुआ प्रथम विश्व युद्ध पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध था जिसमें बड़ी मात्रा में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों एवं रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया गया। इसमें 90 लाख से अधिक लोग मारे गए तथा 2 करोड़ घायल हुए।
  • प्रथम विश्व महायुद्ध के पश्चात् भारतीय बाजार में पहले जैसी एकाधिकार वाली स्थिति प्राप्त करना ब्रिटेन के लिए बहुत मुश्किल हो गया।

→  अमेरिकी अर्थव्यवस्था का बदलाव

  • महायुद्ध के बाद कुछ समय के लिए तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को झटका लगा लेकिन 1920 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था विकास के मार्ग पर चल पड़ी।
  • सन् 1920 के दशक में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृहत् स्तर के उत्पादन का चलन प्रारम्भ हो गया था।
  • सन् 1923 में अमेरिका शेष विश्व की पूँजी का निर्यात पुनः करने लगा तथा वह दुनिया का सबसे बड़ा कर्जदाता देश बन गया।
  • अमेरिका द्वारा आयात एवं पूँजी निर्यात ने यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं को भी संकट से उबरने में मदद की।

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→  वैश्विक महामंदी७

  • वैश्विक आर्थिक महामन्दी की शुरुआत 1929 ई. से हुई और यह संकट 1930 के दशक के मध्य तक बना रहा।
  • महामन्दी के दौरान विश्व के अधिकांश हिस्सों में उत्पादन, रोजगार, आय एवं व्यापार में बहुत अधिक गिरावट दर्ज की गई। महामन्दी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक प्रभावित किया। इससे आयात-निर्यात में कमी देखी गयी तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरने लगी। इससे शहरी लोगों की बजाय किसानों और काश्तकारों का बहुत अधिक नुकसान हुआ।
  • युद्धोत्तर काल (द्वितीय विश्वयुद्ध के समय) में पुनर्निर्माण का कार्य अमेरिका एवं सोवियत संघ की देख-रेख में सम्पन्न
    हुआ।

→  ब्रेटन-वुड्स संस्थान

  • युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक निकटता एवं पूर्ण रोजगार बनाये रखा जाना था, इस हेतु जुलाई 1944 ई. में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी।
  • सदस्य देशों ने विदेश व्यापार में घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम. एफ.) की स्थापना की।
  • युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन का प्रबन्ध करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) का गठन किया। इसलिए आई.एम.एफ तथा विश्व बैंक को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रेटन वुड्स ट्विन (ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान) भी कहते हैं। इन दोनों संस्थानों ने 1947 में औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू किया।
  • ब्रेटन वुड्स व्यवस्था से पश्चिमी औद्योगिक राष्ट्रों एवं जापान के लिए व्यापार और आय में वृद्धि के एक युग का सूत्रपात हुआ।

→  अनौपनिवेशीकरण व स्वतंत्रता

  • द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भी विश्व का एक बड़ा भाग यूरोपीय औपनिवेशिक शासन के अधीन था।
  • अनौपनिवेशीकरण के कई वर्ष बीत जाने के पश्चात् भी अनेक नव स्वतन्त्र राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं पर भूतपूर्व औपनिवेशिक शक्तियों का ही नियन्त्रण बना रहा।
  • पंचास व साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तीव्र प्रगति से कोई लाभ नहीं होने पर अधिकांश विकासशील देशों ने एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रभावी (New International Economic Order-NIEO) की माँग उठायी तथा समूह-77 (जी-77) के रूप में एकजुट हो गए।

→  महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं घटनाएँ

तिथि घटनाएँ
1. 1840 ई. 1840 ई. के दशक के मध्य में किसी बीमारी के कारण आयरलैण्ड में आलू की फसल खराब हो गयी, जिससे लाखों लोग भुखमरी के कारण मौत के मुँह में चले गये।
2. 1870 ई. 1885 ई. 1870 ई. के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था।
3. 1890 ई. 1885 ई. में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में एक बैठक हुई जिसमें अफ्रीका के मानचित्र पर सीधी लकीरें खींचकर उसको आपस में बाँट लिया गया था।
4. 1890 ई. 1890 ई. के दशक के अन्तिम वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका भी औपनिवेशिक शक्ति बन गया था।
5. 1914 ई. 1890 ई. के दशक में अफ्रीका में पशुओं की रिंडरपेस्ट नामक बीमारी फैली। प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ।
6. 1920 ई. 1920 ई. के दशक में आयात एवं निर्यात क्षेत्र में आये उछाल से अमेरिकी सम्पन्नता का आधार पैदा हो चुका था।
7. 1929 ई. आर्थिक महामन्दी की शुरुआत।
8. 1944 ई. अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्व रोजगार बनाये रखने हेतु संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति।
9. 1947 ई. विश्व बैंक व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने औपचारिक रूप से कार्य करना प्रारम्भ किया।

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→  प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. कौड़ियाँ: प्राचीन काल में पैसे या मुद्रा के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएँ।

2. सिल्क रूट (रेशम माग): ये इस प्रकार के मार्ग थे जो न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को परस्पर जोड़ने का कार्य करते थे बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जोड़ते थे। ऐसे मार्ग ईसा पूर्व के समय में ही सामने आ चुके थे।

3. कॉर्न लॉ: जो कानून ब्रिटेन की सरकार को मक्का का आयात करने से प्रतिबन्धित करते थे, उन्हें प्रायः कॉर्न लॉ के नाम से जाना जाता था।

4. गिरमिटिया मजदूर: ऐसे अनुबन्धित बन्धुआ मजदूर जिन्हें मालिक एक निश्चित समयावधि के लिए काम करने की शर्त पर किसी भी नये देश में नियुक्त करते थे।

5. वीटो निषेधाधिकार: इस अधिकार के सहारे एक ही सदस्य की असहमति किसी भी प्रस्ताव के निरस्त करने का आधार बन जाती है।

6. आयात शुल्क: किसी भी दूसरे देश से आने वाली वस्तुओं पर वसूल किया जाने वाला शुल्क। यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जहाँ से वह वस्तु देश में आती है यानि सीमा पर, हवाई अड्डे पर अथवा बन्दरगाह पर।

7. विनिमय दर: इस व्यवस्था के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा के लिए विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं को परस्पर जोड़ा जाता है।

8. स्थिर विनिमय दर: जब विनिमय दर स्थिर होती हैं तथा उसमें आने वाले उतार-चढ़ावों को नियन्त्रित करने के लिए सरकारों को हस्तक्षेप करना पड़ता है तो उस विनिमय दर को स्थिर विनिमय दर कहा जाता है।

9. लचीली विनिमय दर: इसे परिवर्तनशील विनिमय दर भी कहते हैं। इस तरह की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में विभिन्न मुद्राओं की माँग या आपूर्ति के आधार पर और सिद्धान्ततः सरकारों के हस्तक्षेप के बिना घटती-बढ़ती रहती है।

10. उदारीकरण: सरकार द्वारा लगाये गये प्रत्यक्ष अथवा भौतिक नियन्त्रणों से अर्थव्यवस्था की मुक्ति को उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।

11. बहुराष्ट्रीय कम्पनी: एक साथ अनेक देशों में व्यवसाय करने वाली कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनी कहा जाता है। इन्हें बहुराष्ट्रीय निगम भी कहते हैं।

12. विश्व बैंक: यह एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है जो अपने सदस्य राष्ट्रों को विकास के उद्देश्यों के लिए वित्तीय सहयोग प्रदान करती है।

13. असेम्बली लाइन उत्पादन: यह एक प्रकार की उत्पादन प्रक्रिया है जिसमें परिवर्तनीय भागों (पुर्जी) को जोड़कर वस्तु को अन्तिम रूप में तैयार किया जाता है।

14. वाणिज्य अधिशेष: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें निर्यातों का मूल्य आयातों से अधिक होता है।

15. वैश्वीकरण: वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ है-स्वयं की अर्थव्यवस्था को विश्व समुदाय के साथ जोड़ना वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय किया जाता है जिससे वस्तुओं और क्रेताओं, प्रौद्योगिक पूँजी तथा श्रम का इनके मध्य प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण को भूमण्डलीकरण के नाम से भी जाना जाता है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिका

JAC Class 10th Economics उपभोक्ता अधिका Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बाजार में नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? कुछ उदाहरणों के द्वारा समझाएँ।
अथवा
नियम और विनियम किस प्रकार उपभोक्ता की बाजार में सहायता करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियम और विनियमों की आवश्यकता होती है।” इस कथन को न्यायोचित ठहराइए।
उत्तर:
बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए नियमों व विनियमों की आवश्यकता होती है। जिसके निम्नलिखित कारण हैं
1. कमजोर उपभोक्ता:
बाजार में व्यक्तिगत उपभोक्ता स्वयं को प्रायः कमजोर स्थिति में पाते हैं। खरीदी गई वस्तु या सेवा के बारे में जब भी कोई शिकायत होती है तो विक्रेता समस्त उत्तरदायित्व क्रेता पर डालने का प्रयास करता है। ऐसी स्थिति में अधिकतर उपभोक्ताओं का शोषण होता है।

2. उपभोक्ता का शोषण:
बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण कई रूपों में होता है। उदाहरण के लिए; कई बार बेईमान दुकानदार उचित वजन से कम वजन तोलते हैं अथवा व्यापारी उन शुल्कों को जोड़ देते हैं जिनका वर्णन पहले नहीं किया गया हो अथवा मिलावटी वस्तुएँ व दोषपूर्ण वस्तुएँ बेच देते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु नियमों-विनियमों की आवश्यकता होती है।

3. अनुचित बाजार:
जब उत्पादक कम संख्या में एवं अधिक शक्तिशाली होते हैं तो बाजार का संचालन उचित ढंग से नहीं हो पाता है। विशेष रूप से यह स्थिति तब होती है, जब इन वस्तुओं का उत्पादन बड़ी कम्पनियों कर रही होती हैं। अधिक पूँजी वाली, शक्तिशाली और समृद्ध कम्पनियाँ विभिन्न प्रकार से चालाकीपूर्ण तरीके से बाजार को प्रभावित कर उपभोक्ताओं का शोषण करती हैं।

4. गलत सूचना:
उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए अधिकांश बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ समय-समय पर मीडिया व अन्य संकेतों के माध्यम से गलत सूचनाएँ उपलब्ध कराती हैं; जैसे एक कम्पनी पाउडर वाला दूध बेचती है और यह दावा करती है कि उसका उत्पाद माँ के दूध से बेहतर है तो यह सरासर झूठ होगा।

इसी प्रकार एक सिगरेट निर्माता कम्पनी विज्ञापन के माध्यम से यह बताती है कि सिगरेट मानव शरीर में सुस्ती को समाप्त करती है जबकि वास्तविक रूप से सिगरेट पीने से कैंसर होता है। इन सब कारणों से उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा हेतु बाजार में नियमों व विनियमों की आवश्यकता पड़ती है।

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प्रश्न 2.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत किन कारणों से हुई? इसके विकास के बारे में पता लगाएं।
अथवा
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन क्यों प्रारम्भ हुआ? इस आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत निम्नलिखित कारणों से हुई

  1. उपभोक्ताओं का असन्तोष,
  2. बाजार में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए किसी कानून का न होना,
  3. अत्यधिक खाद्य पदार्थों की कमी,
  4. जमाखोरी,
  5. कालाबाजारी,
  6. खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेलों में मिलावट।

इन सब कारणों की वजह से सन् 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आन्दोलन की शुरुआत हुई। 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ व्यापक स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन एवं प्रदर्शनों के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन से अत्यधिक भीड़भाड़ एवं राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर ध्यान रखने के लिए उपभोक्ता दलों का गठन किया।

हाल ही में भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखी गयी है। 24 दिसम्बर, 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया। इस वर्ष उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 पारित किया गया जो COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 3.
दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत का वर्णन करें।
उत्तर:
उपभोक्ता जागरूकता की जरूरत निम्न उदाहरणों द्वारा स्पष्ट हो सकती है:
1. उपभोक्ता द्वारा रसोई में रोजाना काम आने वाले मसालों की खरीददारी बाजार से की जाती है। मुकेश द्वारा बाजार से मसाले खरीदे गये उनमें मिलावट पायी गयी। मुकेश ने उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत की। उपभोक्ता अदालत ने दुकानदार को दोषी ठहराकर हर्जाना देने का आदेश दिया।

2. लोकेश ने बाजार से प्रसिद्ध पेय पदार्थ कम्पनी की एक शीतल पेय की बोतल खरीदी। उस बोतल में उसे कुछ गंदगी दिखाई दी। लोकेश ने सम्बन्धित दुकानदार को दिखाया तो उसने बोतल को वापस करने से मना कर दिया। लोकेश के पास शीतल पेय बोतल क्रय का कैशमीमो उपलब्ध था। उसने जिला उपभोक्ता मंच में शिकायत की। मंच द्वारा दुकानदार व सम्बन्धित कम्पनी को दोषी माना और जुर्माना लगाकर उस राशि को 1 महीने के भीतर लोकेश को देने का आदेश दिया।

उपर्युक्त उदाहरणों की भाँति अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनमें उत्पादक एवं विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है। इसका मुख्य कारण उपभोक्ता की अशिक्षा एवं अज्ञानता है। आज भी अनेक उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं है न ही इससे सम्बन्धित कानूनों की जानकारी है। फलस्वरूप वे शोषण का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को जागरूक बनाना अत्यंत आवश्यक है। जब तक उपभोक्ता स्वयं जागरूक नहीं बनेंगे उन्हें शोषण से नहीं बचाया जा सकता है।

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प्रश्न 4.
कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिनमें उपभोक्ताओं का शोषण होता है ?
अथवा
एक जागरूक नागरिक के रूप में, उपभोक्ता शोषण के कोई चार कारक सुझाइए।
उत्तर:
उपभोक्ताओं के शोषण के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
1. माँग व पूर्ति में असन्तुलन:
जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि के कारण माँग की तुलना में वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धि कम होने के कारणं माँग व पूर्ति में असन्तुलन अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यवसायी घटिया वस्तुओं का उत्पादन कर उपभोक्ता से ऊँचा मूल्य वसूलते हैं।

2. अशिक्षा एवं अज्ञानता:
भारत में उपभोक्ता शोषण का एक प्रमुख कारण उपभोक्ता का अशिक्षित होना व उपभोक्ता अधिकार से अनभिज्ञ होना है। बहुत अधिक संख्या में उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता की पहचान भी नहीं कर पाते हैं। इस वजह से उपभोक्ताओं का शोषण होता है।

3. उपभोक्ता की उदासीनता:
भारत में उपभोक्ताओं के असंगठित होने के कारण एवं अपने अधिकारों के प्रति जानकारी व सजग नहीं होने के कारण वह अपने अधिकारों के प्रति उदासीन रहता है। जिन उपभोक्ताओं को कुछ जानकार होती भी है तो संगठन के अभाव में उनकी प्रवृत्ति समझौतावादी हो जाती है।

4. एकाधिकार;
कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादन व वितरण पर एक व्यावसायिक समूह अथवा किसी राजकीय उपक्रम का एकाधिकार होता है। प्रतिस्पर्धा के अभाव में इन संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं के ऊँचे मूल्य रखे जाते हैं एवं उनमें निरन्तर वृद्धि की जाती है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं के पास अधिक मूल्य देने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं बचता है।

5. गलत जानकारी:
कई कम्पनियाँ उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए विज्ञापनों पर बहुत अधिक धन खर्च करती हैं। ये उपभोक्ताओं को अपने उत्पादन की गलत जानकारियाँ देती हैं।

6. सीमित जानकारी:
उपभोक्ताओं को उत्पादों के लिखित पक्षों; यथा-मूल्य, गुणवत्ता, बनावट, प्रयोग की शर्तों आदि की जानकारी न होने के कारण उपभोक्ता गलत वस्तु का चयन कर लेते हैं और शोषण का शिकार हो जाते हैं।

7. वस्तुओं का गैर लिखित विक्रय:
अधिकांश विक्रेता विक्रय का लेख नहीं करते हैं इसलिए उन पर इस विक्रय के सम्बन्ध में कोई मुकदमा नहीं किया जा सकता है। इसी कारण उपभोक्ता का शोषण होता है।

8. लम्बी वैधानिक प्रक्रिया:
सभी शिक्षित एवं अशिक्षित उपभोक्ता विक्रेताओं के अनुचित व्यवहार के विरुद्ध अपव्ययी एवं जटिल वैयक्तिक प्रक्रिया को अपनाने से घबराते हैं। अत: विक्रेता इस बात का लाभ उठाकर उपभोक्ताओं का भरपूर शोषण करते हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत क्यों पड़ी?
अथवा
उपभोक्ता के हितों को संरक्षित करने के लिए क्या बड़ा कदम उठाया गया है?
अथवा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव हुई?
उत्तर:
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के निर्माण की जरूरत निम्न कारणों से पड़ी-

  1. उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की जानकारी देना।
  2. उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करना।
  3. वस्तुओं के मूल्यों पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए।
  4. उत्पादकों को उनकी गुणवत्ता युक्त वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु।
  5. व्यापारियों द्वारा की जाने वाली जमाखोरी व कालाबाजारी को रोकने हेतु।
  6. उत्पादकों व विक्रेताओं द्वारा खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट को रोकने हेतु।
  7. विक्रेताओं द्वारा निर्धारित माप-तोल व बाटों का प्रयोग करने तथा ग्राहकों से अनुचित कीमतों को वसूलने से रोकने हेतु।
  8. उत्पादकों, व्यापारियों, दुकानदारों व वितरकों के अनुचित व्यवहारों के विरुद्ध उन्हे न्यायालय में सजा दिलाने व उपभोक्ताओं के हितों की हानि की क्षतिपूर्ति करने के लिए।

प्रश्न 6.
अपने क्षेत्र के बाजार में जाने पर उपभोक्ता के रूप में अपने कुछ कर्त्तव्यों का वर्णन करें।
अथवा
एक उपभोक्ता को शोषण से मुक्त होने के लिए किन कर्त्तव्यों का पालन आवश्यक है?
अथवा
आपके अनुसार उपभोक्ता को हानि से बचने के लिए किन कर्तव्यों का पालन करना चाहिए?
अथवा
बाजार में शोषण से बचाने के लिए उपभोक्ताओं में जागरूकता कैसे फेलाई जा सकती है? किन्हीं तीन तरीकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक उपभोक्ता को शाषण से मुक्त होने के लिए निम्न कर्तव्यों का पालन किया जाना आवश्यक हैं

  1. हमें माल खरीदने से पहले वस्तुओं व सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
  2. हमें प्रायः अधिकृत दुकान से ही सामान खरीदना चाहिए।
  3. हमें डिब्बाबंद या पैक ब्राण्ड पर लगे लेबल पर आवश्यक सूचनाएँ तथा ब्राण्ड का नाम, उसमें प्रयुक्त संघटक, उत्पादक का नाम व पता, शुद्ध वजन या माप, बैच नम्बर, पैकिंग तिथि एवं उपभोग योग्यता की अन्तिम तिथि आदि अनिवार्य रूप से देख लेनी चाहिए।
  4.  हमें वस्तुओं को क्रय करते समय आई.एस.आई., एगमार्क, एफ.पी.ओ. हॉलमार्क आदि मानक एवं प्रमाणन की
    मोहर लगे उत्पादों को ही खरीदने में प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए।
  5. हमें वस्तुएँ खरीदने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वस्तु का माप-तौल पूरा हो और इसके लिए प्रमाणित बाँट या माप ही प्रयोग में लिये गये हैं एवं माप-तौल सेन्टीमीटर -मीटर, ग्राम-किलोग्राम, लीटर में है।
  6. जिन वस्तुओं के लिए राजनियम द्वारा मूल्य निर्धारित हैं अगर व्यापारी ने मूल्य सूची जारी की है तो उसमें अधिक मूल्य उपभोक्ता द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए।
  7. हमें वस्तु के विज्ञापन में बताई गई विशेषताओं का यथार्थ स्थिति से मिलान कर गारण्टी या वारण्टी की शर्तों को ठीक से समझकर ही माल खरीदना चाहिए।
  8. हमारा यह भी कर्त्तव्य है कि दुकानदार से सामान खरीदने पर कैशमीमो या वाउचर अवश्य प्राप्त कर लें।
  9. हमें सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण हेतु बनाये गये नियमों-कानूनों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
  10. हमें उपभोक्ता जागरूकता संगठन का सदस्य अवश्य बनना चाहिए।
  11. हमें अपनी शिकायतों पर क्षतिपूर्ति के लिए उपभोक्ता संगठनों की मदद लेनी चाहिए।

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प्रश्न 7.
मान लीजिए, आप शहद की एक बोतल और बिस्किट का एक पैकेट खरीदते हैं। खरीदते समय आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखेंगे और क्यों ?
उत्तर:
मैं शहद की एक बोतल एवं बिस्किट का एक पैकेट खरीदता हूँ तो मुझे एगमार्क या ISI का चिह्न देखना चाहिए क्योंकि उत्पाद पर लोगो होने का अर्थ है कि यह प्रमाणित है तथा इसमें मिलावट घटिया किस्म अथवा मात्रा की कमी की कोई गुंजाइश नहीं है तथा यह उत्पाद प्रयोग करने के योग्य है।

प्रश्न 8.
भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा किन कानूनी मापदण्डों को लागू करना चाहिए?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ताओं को समर्थ बनाने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कानूनी मापदण्डों को लागू करना चाहिए

  1. उपभोक्ता के अधिकारों को प्रोत्साहित एवं संरक्षित करने के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गयी है। इनके माध्यम से उपभोक्ताओं की शिकायतों को सरल, तीव्र एवं कम खर्च में दूर किया जाता है।
  2. सरकार उत्पादों के मानकीकरण द्वारा उत्पादों की गुणवत्ता में कमी एवं उत्पादों के मानकों से उपभोक्ताओं की सुरक्षा करती है।
  3. भारत सरकार ने उत्पादों की गुणवत्ता एवं मानकता को निर्धारित करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो, एगमार्क, हॉलमार्क जैसे विश्वसनीयता के चिह्न अंकित करने का प्रावधान किया है।
  4. सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं के वितरण के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अपनाया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से उचित मूल्य की दुकानों से गरीब लोगों को उचित मूल्य पर आवश्यक सामग्री उपलब्ध करायी जाती है।
  5. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 कुछ विशिष्ट वस्तुओं को छोड़कर सभी वस्तुओं व सेवाओं पर लागू होता है। सरकार को इन सभी को कड़ाई से लागू करना चाहिए, तभी उपभोक्ता के हितों का संरक्षण हो सकता है।

प्रश्न 9.
उपभोक्ताओं के कुछ अधिकारों को बताएँ और प्रत्येक अधिकार पर कुछ पंक्तियाँ लिखें। उत्तर-उपभोक्ताओं के प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं
1. सुरक्षा का अधिकार:
इसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को ऐसे माल के क्रय-विक्रय के विरुद्ध संरक्षण पाने का अधिकार प्रदान किया गया है, जो जीवन व सम्पत्ति के लिए हानिकारक हैं। उपभोक्ता को किसी भी वस्तु या सेवा के क्रय या उपभोग से बीमार होने, चोट लगने या किसी भी व्यक्ति के अविवेकपूर्ण इस्तेमाल से होने वाली हानि के विरुद्ध सुरक्षा पाने का अधिकार है।

2. सूचना पाने का अधिकार:
उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि उसे माल की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक एवं मूल्यों के बारे में सूचना प्रदान की जाये, यदि ये सूचनाएँ माल के उत्पादक द्वारा नहीं लिखी गयी .. हैं, तो उपभोक्ता इन सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार रखता है।

3. चुनाव का अधिकार:
इस अधिकार के तहत उपभोक्ता बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं में से किसी का भी चयन कर सकता है। वह किसी भी व्यवसायी द्वारा उत्पादित माल की किसी भी किस्म को अपनी इच्छा से पसन्द कर सकता है।

4. क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार:
इस अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता को व्यवसायी द्वारा किये जाने वाले प्रतिबन्धात्मक एवं अनुचित व्यवहार के कारण होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति कराने का अधिकार दिया गया है।

5. प्रतिनिधित्व:
का अधिकार उपभोक्ता को वस्तु या सेवा सम्बन्धी किसी भी शिकायत को उचित मंच पर प्रस्तुत करने का अधिकार है। एक उपभोक्ता के रूप में अनुचित व्यापारिक व्यवहार के होने पर उपभोक्ता को अदालतों में जाने का अधिकार है। इस हेतु त्रिस्तरीय न्यायिक तन्त्र की व्यवस्था की गई है।

6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
इस अधिकार के अन्त.. पभोक्ता को वस्तुओं, सेवाओं एवं उनके उपयोग की विधि आदि के सम्बन्ध में जानकारी या शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होता है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को जागरूक उपभोक्ता बने रहने के लिए ज्ञान तथा क्षमता प्रदान करने का अधिकार है। .

प्रश्न 10.
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी एकजुटता का प्रदर्शन निम्न प्रकार कर सकते हैं

  1. उपभोक्ता संगठनों का निर्माण करके।
  2. उपभोक्ता अदालतों में शिकायत दर्ज कराके।
  3. बेईमान उत्पादकों, दुकानदारों, व्यापारियों आदि द्वारा किये जाने वाले अनुचित कार्यों के विरुद्ध प्रदर्शन, प्रचार एवं घेराव करके।
  4. उपभोक्ता संरक्षण समितियों में भागीदारी करके।
  5. धोखाधड़ी करने वाली कम्पनियों के विरुद्ध संयुक्त रूप से आवाज उठाकर।

प्रश्न 11.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति की समीक्षा करें। उत्तर भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने व प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
  2. देश में खाद्य पदार्थों की अत्यधिक कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से सन् 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म हुआ।
  3. सन् 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन एवं प्रदर्शनों के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ तथा राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर निगरानी रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाया।
  4. व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण के अनेक मामले सामने आने पर हाल में ही भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
  5. सन् 1986 में भारत सरकार ने एक बड़ा एवं प्रभावी कदम उठाया और सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया। यह COPRA के नाम से जाना जाता है।
  6. भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की गति धीमी है। कोपरा अधिनियम के 30 वर्ष बाद भी भारत में उपभोक्ता ज्ञान धीरे-धीरे फैल रहा है।

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित को सुमेलित करें:

(क) सुरक्षा का अधिकार (1) एक उत्पाद के घटकों का विवरण
(ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध (2) एगमार्क
(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण। (3) स्कूटर में खराब इंजन के कारण हुई दुर्घटना
(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (4) जिला उपभोक्ता अदालत विकसित करने वाली एजेंसी
(ङ) सूचना का अधिकार (5) उपभोक्ता इंटरनेशनल
(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक (6) भारतीय मानक ब्यूरो

उत्तर:

(क) सुरक्षा का अधिकार (ङ) सूचना का अधिकार
(ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध (ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण।
(ग) अनाजों और खाद्य तेलों का प्रमाण। (क) सुरक्षा का अधिकार
(घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (ख) उपभोक्ता मामलों में सम्बन्ध
(ङ) सूचना का अधिकार (घ) उपभोक्ता कल्याण संगठनों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था
(च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक (च) वस्तुओं और सेवाओं के लिए मानक

प्रश्न 13.
सही या गलत बताएँ
(क) कोपरा केवल सामानों पर लागू होता है। .
(ख) भारत विश्व के उन देशों में से एक है जिनके पास उपभोक्ताओं की समस्याओं के निवारण के लिए विशिष्ट अदालतें हैं।
(ग) जब उपभोक्ता को ऐसा लगे कि उसका शोषण हुआ है, तो उसे जिला उपभोक्ता अदालत में निश्चित रूप से – मुकदमा दायर करना चाहिए।
(घ) जब अधिक मूल्य का नुकसान हो, तभी उपभोक्ता अदालत में जाना लाभप्रद होता है।
(ङ) हॉलमार्क, आभूषणों की गुणवत्ता बनाये रखने वाला प्रमाण है।
(च) उपभोक्ता समस्याओं के निवारण की प्रक्रिया अत्यन्त सरल और शीघ्र होती है।
(छ) उपभोक्ता को मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर:
(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत,
(ङ) सही,
(च) गलत,
(छ) सही।

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

प्रश्न 1.
आपका विद्यालय उपभोक्ता जागरूकता सप्ताह का आयोजन करता है। उपभोक्ता जागरूकता फोरम के सचिव के रूप में सभी उपभोक्ता अधिकारों बिन्दुओं को शामिल करते हुए एक पोस्टर तैयार करें। इसके लिए आप पाठ्य पुस्तक पृष्ठ 84 एवं 85 पर दिए गये विज्ञापनों के विचारों और संकेतों का उपयोग कर सकते हैं। ये कार्य आपके अंग्रेजी शिक्षक के सहयोग से करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
श्रीमती कृष्णा ने 6 महीने की वारण्टी वाला रंगीन टेलीविजन खरीदा। 3 महीने बाद टी.वी. ने काम करना बंद कर दिया। जब उन्होंने उस दुकान पर शिकायत की, जहाँ से टी.वी. खरीदा था तो उसने सही करने के लिए एक इंजीनियर भेजा। टी.वी. बार-बार खराब होता रहा और श्रीमती कृष्णा को दुकानदार से शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने अपने क्षेत्र के उपभोक्ता फोरम से शिकायत करने का निर्णय लिया। आप उनके लिए एक पत्र लिखिए। आप लिखने से पहले अपने सहयोगी/समूह सदस्यों से चर्चा कर सकते हैं।
उत्तर:

सेवा में,
श्रीमान् अध्यक्ष महोदय
जिला उपभोक्ता मंच
जिला भरतपुर
विषय : रंगीन टेलीविजन विक्रेता की लापरवाही के क्रम में।
महोदय,
विषयानुसार नम्र निवेदन है कि मैंने दिनांक 12 सितम्बर, 2020 को 6 महीने की वारंटी वाला एक रंगीन टेलीविजन, श्याम इलेक्ट्रोनिक्स, भरतपुर से खरीदा था। परन्तु यह टेलीविजन तीन महीने पश्चात् ही खराब हो गया। मैंने इसकी शिकायत सम्बन्धित विक्रेता से की। प्रत्युत्तर में उन्होंने इसे ठीक करने के लिए एक इंजीनियर भेजा परन्तु इस टेलीविजन में लगातार खराबी आती रही है। मैंने कई बार विक्रेता से शिकायत की परन्तु मेरी शिकायतों का कोई जवाब नहीं मिला। अतः इस सम्बन्ध में आपसे निवेदन है कि इस दिशा में उचित कार्यवाही हेतु मेरी शिकायत दर्ज कर तथा मुझे पथ प्रदर्शित कर  अनुग्रहीत करें।
संलग्न : रंगीन टेलीविज़न की खरीद का बिल।

दिनांक : 6 जनवरी, 2021.

प्रार्थिनी
श्रीमती कृष्णा
पता- D-45, कृष्णा नगर
भरतपुर

प्रश्न 3.
अपने विद्यालय में उपभोक्ता क्लब स्थापित करें। बनावटी उपभोक्ता जागरूकता कार्यशाला आयोजित करें और उसमें अपने विद्यालय क्षेत्र के पुस्तक केन्द्रों, भोजनालयों और दुकानों के नियंत्रण जैसे मुद्दों को शामिल करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं हल करें।

प्रश्न 4.
आकर्षक नारों वाले विज्ञापन तैयार करें, जैसे:
सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है। ग्राहक सावधान। सचेत उपभोक्ता अपने अधिकारों को पहचानो। उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करें। उठो, जागो और तब तक मत रुको ……….. (पूरा करें)
उत्तर:
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक इन्साफ न मिल जाये। जागो, ग्राहक जागो ग्राहक अपने अधिकारों को पहचानो।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 77)

प्रश्न 1.
वे कौन से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा बाजार में लोगों का शोषण हो सकता है?
अथवा
उपभोक्ता शोषण के कोई दो रूप लिखिए।
अथवा बाजार में उपभोक्ता शोषण के कोई तीन प्रकार समझाइए।
उत्तर:
बाजार में लोगों का शोषण विभिन्न तरीकों से हो सकता है, जो निम्नलिखित हैं
1. निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली:
एक व्यवसायी उपभोक्ताओं से अधिक मूल्य वसूल करके उनका शोषण करता है। कई व्यापारी उपभोक्ता द्वारा खरीदी गयी वस्तु या सेवा के बदले राजनियम द्वारा निर्धारित मूल्य या व्यापारी द्वारा जारी की गई मूल्य सूची में दर्शाये गये मूल्य से अधिक मूल्य वसूल करते हैं।

2. नकली या घटिया किस्म का माल उपलब्ध कराना:
जिन वस्तुओं की माँग बाजार में अत्यधिक बढ़ जाती है तो व्यापारी उपभोक्ता को उन वस्तुओं के स्थान पर नकली वस्तुएँ देने लग जाते हैं। कई बार व्यापारी घटिया एवं दोषपूर्ण माल भी उपभोक्ता को उपलब्ध करा देते हैं।

3. कम माप-तोल:
कुछ व्यापारियों द्वारा माप-तोल के लिए प्रयोग में लिये जाने वाले उपकरण दोषयुक्त होते हैं एवं उनका प्रमाणन भी नहीं किया हुआ होता है। इसके अतिरिक्त व्यापारियों द्वारा पैकिंग सामग्री को भी तोल में सम्मिलित कर उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।

4. अशुद्धता व अपमिश्रण:
आजकल व्यापारियों द्वारा मसाले, तेल, घी तथा सोना व चाँदी के आभूषणों में अशुद्धता एवं मिलावट करके उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है।

5. कृत्रिम अभाव उत्पन्न करना:
व्यापारियों द्वारा माल की कमी के समय माल की जमाखोरी कर वस्तुओं का कृत्रिम अभाव उत्पन्न किया जाता है। इस कारण बाजार में वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है। व्यापारी उपभोक्ताओं से माल पर बढ़ा हुआ मूल्य वसूल कर उनका शोषण करते हैं।

6. सुरक्षा उपायों का अभाव:
स्थानीय व्यापारियों द्वारा उत्पादित विभिन्न उपकरणों की गुणवत्ता, डिजाइन, पैकिंग आदि के बारे में निर्धारित वैधानिक सुरक्षा प्रमाणों का पालन नहीं किया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं को दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है।

7. भ्रामक व मिथ्या प्रस्तुतीकरण:
व्यापारी विभिन्न माध्यमों से विज्ञापन देकर वस्तु की किस्म, निष्पादन क्षमता, उपयुक्तता तथा जीवन-काल के बारे में भ्रामक व मिथ्या सूचनाएँ प्रदान करके उपभोक्ताओं को माल खरीदने के लिए प्रेरित करते हैं।

8. विक्रयोपरान्त सेवाएँ असन्तोषजनक:
स्कूटर, मोटर साइकिल, क , इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रोनिक उपकरणों आदि के लिए विक्रयोपरान्त सेवाओं की आवश्यकता होती है। उपभोक्ताओं द्वारा आवश्यक भुगतान कर देने के पश्चात् भी अधिकांश व्यवसायियों द्वारा ये सेवाएँ सन्तोषजनक ढंग से उपलब्ध नहीं करवायी जाती हैं। अतः यह भी उपभोक्ता शोषण का एक प्रकार है।

प्रश्न 2.
अपने अनुभव से एक ऐसे उदाहरण पर विचार करें, जहाँ आपको यह लगा ो कि बाजार में धोखा’ दिया जा रहा था। कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
आपकी राय में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए सरकार की निम्न भूमिका होनी चाहिए

  1. सरकार को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को कठोरता के साथ लागू करना चाहिए।
  2. सरकार को विभिन्न जनसंचार माध्यमों के द्वारा उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों की स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए।
  3. सरकार उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु बनायी गयी त्रिस्तरीय न्यायिक प्रक्रिया की पूर्ण जानकारी प्रदान करे।
  4. सरकार सभी विक्रेताओं के लिए कीमत सूची लटकाना अनिवार्य करे।
  5. सरकार उत्पादकों के लिए यह अनिवार्य करे कि प्रत्येक उत्पाद पर कीमत, निर्माण तिथि, प्रयोग की अन्तिम तिथि, गारण्टी अथवा वारण्टी अवधि, उत्पाद के गुण, उत्पादक का नाम, पता व टेलीफोन नम्बर भी हो।
  6. सरकार को राशन की दुकानों के माध्यम से समाज के निर्धन वर्गों के लिए सभी आवश्यक वस्तुओं को वितरित करना चाहिए।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 78)

प्रश्न 1.
उपभोक्ता दलों द्वारा कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता दलों द्वारा निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं।

  1. उपभोक्ता जागरूकता पर प्रदर्शनी का आयोजन करना।
  2. सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़भाड़ पर निगरानी रखना।
  3. राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर नजर रखना।
  4. उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों के लेखन का कार्य करना।
  5. उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ एवं अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कम्पनियों एवं सरकार पर दबाव डालना।

प्रश्न 2.
नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। क्यों? विचार-विमर्श करें।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता संरक्षण के अनेक नियम एवं कानून होने के बावजूद उनका अनुपालन नहीं होता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. उपभोक्ता का जागरूक न होना।
  2. कानून लागू करने वाले कई सरकारी अधिकारी भ्रष्ट होते हैं। वे बेईमान व्यापारियों और दुकानदारों से रिश्वत लेकर उन्हें बच निकलने का अवसर देते रहते हैं।
  3. अधिकांश उपभोक्ता सीधे-सादे होते हैं जो कि विक्रेता या उत्पादक के विरुद्ध शिकायत कर किसी झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। वे न्यायालय जाने से घबराते हैं।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 79)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उत्पादों/सेवाओं (आप सूची में नया नाम जोड़ सकते हैं) पर चर्चा करें कि इनमें उत्पादकों द्वारा किन सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए
(क) एल.पी.जी. सिलिंडर,
(ख) सिनेमा थिएटर,
(ग) सर्कस,
(घ) दवाइयाँ,
(च) खाद्य तेल,
(घ) विवाह पंडाल,
(ज) एक बहुमंजिली इमारत।
उत्तर:
दिए गए उत्पादों/सेवाओं की स्थिति में उत्पादकों द्वारा निम्नलिखित सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए:
(क) एल.पी.जी. सिलिंडर:
सिलिंडर में किसी भी प्रकार का गैस रिसाव नहीं होना चाहिए। सिलिंडर का वजन व गुणवत्ता एवं उत्पादक कम्पनी की सील भी ठीक होनी चाहिए।

(ख) सिनेमा थिएटर:
सिनेमा थिएटर के मालिक को सिनेमा थिएटर में सुरक्षित भवन, पार्किंग, पर्याप्त संख्या में निकास एवं प्रवेश द्वार, अग्निशमन यंत्र, कैंटीन एवं शौचालय आदि की व्यवस्था करनी चाहिए।

(ग) सर्कस:
सर्कस के स्थान पर सुरक्षा सम्बन्धी व्यवस्थाएँ होनी चाहिए जिनमें अग्निशमन यंत्र, पानी के टैंक, रेत की बाल्टियाँ, खतरनाक जानवरों के लिए पिंजरे, प्रशिक्षित कर्मचारी आदि प्रमुख हैं। सभी जानवरों को मजबूत पिंजरों में रखना चाहिए। प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा जानवरों का करतब दिखाने के पश्चात् उन्हें पिंजरों में बंद कर देना चाहिए।

(घ) दवाइयों:
दवाई उत्पादक कम्पनियों द्वारा दवाई बनाते समय सभी स्वास्थ्य नियमों व निर्धारित मात्रा में रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। दवाइयों पर निर्माण तिथि, खराब होने की अन्तिम तिथि, बैच संख्या, कीमत, फार्मूला आदि लिखा होना चाहिए।

(च) खाद्य तेल:
खाद्य तेलों में किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होनी चाहिए। खाद्य तेल सीलबन्द डिब्बों या पैकेटों में होना चाहिए। इन पैकेटों पर निर्माण तिथि, समाप्ति तिथि, निर्धारित कीमत तथा एगमार्क अवश्य होना चाहिए।

(झ) विवाह पंडाल:
विवाह पंडाल में उचित स्थान, जनरेटर की व्यवस्था, अग्निशमन यंत्र, शौचालय व पार्किंग व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विवाह पंडाल, टैंट का कपड़ा, नाइलॉन, सिल्क या रेशमी नहीं होना चाहिए।

(ज) एक बहुमंजिली इमारत:
एक बहुमंजिली इमारत का निर्माण सरकार द्वारा अनुमोदित मानचित्र के अनुसार ही होना चाहिए। भवन की मजबूती का ध्यान रखते हुए भूकम्परोधी तकनीक का प्रयोग करना चाहिए। इमारत में पर्याप्त निकास-द्वार, अग्निशमन यंत्र, लिफ्ट तथा इमारत के पास में ही पार्किंग व पार्क की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रश्न 2.
अपने आसपास के लोगों के साथ हुई किसी दुर्घटना या लापरवाही की किसी घटना का पता कीजिए, जहाँ आपको लगता हो कि उसका ज़िम्मेदार उत्पादक है। इस पर विचार विमर्श करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 81)

प्रश्न 1.
“जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है।” इसके सम्भावित कारणों पर बात करें। क्या उपभोक्ता समूह इस मामले में कुछ कर सकते हैं ? चर्चा करें।
उत्तर:
जब हम वस्तुएँ खरीदते हैं तो पाते हैं कि कभी-कभी पैकेट पर छपे मूल्य से अधिक या कम मूल्य लिया जाता है। इसके सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं:

  1. उपभोक्ता की अशिक्षा, अज्ञानता अथवा उदासीनता।
  2. जब पूर्ति की अपेक्षा वस्तु की माँग अधिक होती है तो विक्रेता इस बात का फायदा उठाकर उपभोक्ताओं से अधिक मूल्य वसूल करके अपने लाभ को अधिकतम करना चाहते हैं।
  3. विक्रेता द्वारा निर्धारित कीमत से कम कीमत पर वस्तुएँ बेचने पर हो सकता है कि वह नकली वस्तुएँ बेच रहा हो। इस अवस्था में उपभोक्ता समूहों को विक्रेताओं पर अधिकतम खुदरा मूल्य से कम मूल्य रखने के लिए दबाव डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता संरक्षण न्यायालय अथवा पुलिस की मदद भी ली जा सकती है।

प्रश्न 2.
कुछ डिब्बा बन्द वस्तुओं के पैकेट लें, जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं और उन पर दी गई जानकारियों का परीक्षण करें। देखें कि वे किस तरह उपयोगी हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन डिब्बा बन्द वस्तुओं पर कुछ ऐसी जानकारियाँ दी जानी चाहिये, जो उस पर नहीं हैं ? चर्चा करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
लोग नागरिकों की समस्याओं; जैसे-खराब सड़कों या दूषित पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में शिकायत करते हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता। अब RTI कानून आपको प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। क्या आप सहमत हैं? विचार कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि RTI कानून लोगों को प्रश्न पूछने का अधिकार देता है। यह कानून नागरिकों को सड़क, जल व स्वास्थ्य विभाग आदि के क्रियाकलापों की सूचना व समस्याओं के कारण जानने का अधिकार देता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 82)

प्रश्न 1.
यहाँ कुछ ऐसी वस्तुओं के लुभाने वाले विज्ञापन दिये गये हैं, जिन्हें हम बाजार से खरीदते हैं। इनमें वास्तव में क्या कोई ऐसा विज्ञापन है जो सचमुच में उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाता हो ? इस पर विचार-विमर्श कीजिए।
1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छूट।
2. अखबार के ग्राहक बनें, साल के अन्त में उपहार पायें।
3. खुरचिये और 10 लाख तक का इनाम जीतिए।
4. 500 ग्राम ग्लूकोज डिब्बे के भीतर दूध का चाकलेट।
5. पैकेट के भीतर एक सोने का सिक्का।
6. 2000 रुपये तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता मुफ्त पायें।
उत्तर:

  1. प्रत्येक 500 ग्राम के पैक पर 15 ग्राम की अतिरिक्त छूट।
  2. 500 ग्राम ग्लूकोज डिब्बे के भीतर दूध का चाकलेट।
  3. 2000 रु. तक का जूता खरीदें और 500 रुपये तक का एक जोड़ी जूता मुफ्त पायें।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 84)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सही क्रम में रखें
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(ड.) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवार घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नयी घड़ी दी जाए।
उत्तर:
(छ) वह एक खुदरा विक्रेता से दीवाल घड़ी खरीदती है।
(ग) वह महसूस करती है कि दुकानदार ने उसे दोषयुक्त सामग्री दी है।
(ड.) वह शाखा कार्यालय जाती है और डीलर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करती है। लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ख) वह शिकायत के लिए पेशेवर व्यक्ति से मिलती है।
(क) अरिता जिला उपभोक्ता अदालत में एक मुकदमा दायर करती है।
(घ) वह अदालती कार्यवाहियों में भाग लेना शुरू कर देती है।
(च) अदालत के समक्ष पहले उससे बिल और वारंटी प्रस्तुत करने को कहा गया।
(ज) कुछ ही महीनों के भीतर, न्यायालय ने खुदरा विक्रेता को आदेश दिया कि उसकी पुरानी दीवाल घड़ी की जगह बिना कोई अतिरिक्त मूल्य लिए उसे एक नयी घड़ी दी जाए।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 86)

प्रश्न 1.
इस अध्याय के पोस्टरों के कार्टूनों को देखें-एक उपभोक्ता के दृष्टिकोण से किसी वस्तु विशेष की उससे सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर विचार करें। इसके लिए एक पोस्टर बनाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
अपने क्षेत्र के निकटतम उपभोक्ता अदालत का पता करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण परिषद एवं उपभोक्ता अदालत में क्या अन्तर है?
उत्तर:
उपभोक्ता संरक्षण परिषद:
उपभोक्ता संरक्षण परिषद वह सामाजिक संगठन है जो कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है एवं उन्हें बढ़ावा देता है। उपभोक्ता अदालत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र स्थापित किया गया है जिन्हें जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता अदालतें कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 एक उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार प्रदान करता है
(क) चयन का अधिकार,
(ख) सूचना का अधिकार,
(ग) निवारण का अधिकार,
(घ) प्रतिनिधित्व का अधिकार,
(च) सुरक्षा का अधिकार,
(छ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

निम्नलिखित मामलों को उनके नाम से दिये गये खानों में अलग शीर्षक और चिह्न के साथ श्रेणीबद्ध करें।
(क) लता को एक नए खरीदे गए आयरन-प्रेस से विद्युत का झटका लगा। उसने तुरन्त दुकानदार से शिकायत की।
(ख) जॉन विगत कुछ महीनों से एम.टी.एन.एल द्वारा दी गई सेवाओं से असंतुष्ट है। उसने जिलास्तरीय उपभोक्ता फोरम में मुकदमा दर्ज किया।
(ग) तुम्हारे मित्र ने एक दवा खरीदी, जो समाप्ति तारीख (एक्सपायरी डेट) पार कर चुकी है और तुम उसे शिकायत दर्ज करने की सलाह दे रहे हो।
(घ) इकबाल कोई भी सामग्री खरीदने से पहले उसके आवरण पर दी गई सारी जानकारियों की जाँच करता है।
(च) आप अपने क्षेत्र के केबल ऑपरेटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से असंतुष्ट हैं, लेकिन आपके पास कोई विकल्प । नहीं है।
(छ) आपने यह महसूस किया कि दुकानदार ने आपको खराब कैमरा दिया है। आप मुख्य कार्यालय में दृढ़ता से शिकायत करते हैं।
उत्तर:
(क) सुरक्षा का अधिकार,
(ख) निवारण का अधिकार,
(ग) सूचना का अधिकार,
(घ) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार,
(च) चयन का अधिकार,
(छ) प्रतिनिधित्व का अधिकार।

प्रश्न 5.
यदि मानकीकरण वस्तुओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है तो क्यों बाजार में बहुत-सी वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के मौजूद हैं ?
उत्तर:
बाजार में कई वस्तुएँ बिना आई.एस.आई. अथवा एगमार्क प्रमाणन के मौजूद हैं क्योंकि कुछ उत्पादक असली उत्पादों जैसा नकली उत्पाद बनाकर कम कीमत पर बेचते हैं। इससे उत्पादकों को बहुत अधिक लाभ होता है। इसके अतिरिक्त सभी उत्पादकों को इन मानदण्डों का पालन करना जरूरी नहीं होता है।

प्रश्न 6.
हॉलमार्क या आई.एस.ओ. प्रमाणन उपलब्ध कराने वालों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:

  1. भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) हॉलमार्क प्रमाणन प्रदान करता है।
  2. स्वर्ण जवाहारात के हॉलमार्क प्रमाणन सम्पूर्ण देश के प्रादेशिक और शाखा कार्यालयों के BIS नेटवर्क द्वारा प्रदान . किए जाते हैं।
  3. अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं के मानकों को प्रमाणित करता है। इसकी स्थापना 1947 में की गई थी जो जेनेवा में स्थित है।
  4. बी.आई.एस., अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आई.एस.ओ.) का एक कार्यशील सदस्य है। इसलिए यह भारतीय व्यापार और उद्योग के हितों की सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

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JAC Class 10th Economics विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है ?
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(घ) पाकिस्तान
उत्तर:
(ख) श्रीलंका

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प्रश्न 3.
मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय 3,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है तो चौथे परिवार की आय क्या है ?
(क)7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये
उत्तर:
(घ) 6,000 रुपये

प्रश्न 4.
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की अगर कोई सीमाएँ हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति आय का मापदण्ड प्रयोग करता है। प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहा जाता है। विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार देशों का वर्गीकरण करने में इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी सन् 2017 में प्रति व्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी, वे समृद्ध माने गये हैं तथा वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम थी, वे निम्न आय वर्ग वाले देश माने गये हैं। सीमा: प्रतिव्यक्ति आय मापदण्ड की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं

  1. प्रतिव्यक्ति आय के आँकड़े आय के वितरण के बारे में कुछ नहीं बताते हैं अर्थात् यह आय के वितरण की उपेक्षा करता है।
  2. प्रतिव्यक्ति आय का अधिक होना जनकल्याण में वृद्धि का सूचक नहीं है।
  3. प्रतिव्यक्ति आय के अधिक होने के बावजूद यह सम्भव हो सकता है कि देश में कुछ ही लोग अत्यधिक धनवान हों एवं अधिकांश लोग अत्यधिक निर्धन हों।

प्रश्न 5.
विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर:
विश्व बैंक के विकास मापने के मापदण्ड के अनुसार प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, वे समृद्ध देश कहलाते हैं जबकि वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है, उन्हें निम्न आय वर्ग वाला देश कहा जाता है। महत्त्वपूर्ण होते हुए भी विकास मापने का यह मापदण्ड एक अपर्याप्त एवं दोषपूर्ण मापदण्ड है। यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में, मानव विकास सूचकांक का प्रयोग करता है।

यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना करते समय प्रतिव्यक्ति आय के साथ-साथ लोगों के शैक्षिक तथा . स्वास्थ्य स्तर को भी आधार बनाती है। इस प्रकार विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में आय का प्रयोग करता है, जबकि यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में आय के साथ-साथ शिक्षा व स्वास्थ्य संकेतकों का भी प्रयोग करता है।

प्रश्न 6.
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय एक उपयुक्त माप नहीं है, क्योंकि विभिन्न देशों में जनसंख्या भिन्न-भिन्न होती है इसलिए कुल आय से यह पता नहीं चलता है कि औसत व्यक्ति कितना कमा रहा है। इसका पता औसत आय से ही चलता है। यही कारण है कि हम विकास की माप के लिए औसत या औसत आय का प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त यह दो देशों की आर्थिक स्थिति को जानने का एक अच्छा व सरल मापदण्ड है।

इसके उपयोग की सीमा यह है कि यह हमें लोगों के बीच आय के विभाजन को सही रूप में नहीं दर्शाता है अर्थात औसत आय से हमें यह पता नहीं चलता है कि यह आय लोगों में कैसे वितरित है। यद्यपि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है, फिर भी यह असमानता को छुपा देती है।

उदाहरण के लिए माना ‘A’ और ‘B’ दो देश हैं और प्रत्येक देश में 5 लोग निवास करते हैं

देश

 

नागरिकों की मासिक आय (रुपये में)
1 2 3 4 5 औसत आय
देश ‘A’ 9500 10500 9800 10000 10200, 50,000/5 = 10,000
देश ‘B’ 500 500 500 500 48000 50,000/5 = 10,000

यद्यपि दोनों देशों ‘A’ और ‘B’ की प्रतिव्यक्ति आय समान अर्थात् 10,000 ₹ है। तालिका को देखने से स्पष्ट होता है कि दोनों देश समान रूप से विकसित नहीं हैं। अधिकांश लोग ‘A’ में रहना अधिक पसंद करेंगे क्योंकि इस देश में आय के वितरण में समानताएँ पाई जाती हैं। उपर्युक्त तालिका के अध्ययन में स्पष्ट होता है कि देश में न बहुत अमीर लोग हैं और न ही बहुत निर्धन परन्तु, देश ‘B’ में 5 में से 4 लोग अर्थात् 80 प्रतिशत लोग बहुत निर्धन हैं तथा 5 में से केवल 1 अर्थात् 20 प्रतिशत लोग बहुत अमीर हैं।

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प्रश्न 7.
प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड नहीं है। प्रतिव्यक्ति आय मानव विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है, विश्व का कोई भी देश इसकी उपेक्षा नहीं कर सकता। विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में अर्थात् देशों की तुलना के लिए प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करता है परन्तु इस मापदण्ड की कुछ सीमाएँ भी हैं। यह सच है कि प्रतिव्यक्ति आय मानक उपयुक्त मानव विकास नहीं दर्शाता है।

मुद्रा से वे सभी वस्तुएँ व सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकी जो अच्छे रहन-सहन के लिए आवश्यक हो सकती हैं। उदाहरणस्वरूप; आपके पास उपलब्ध मुद्रा से आप प्रदूषणरहित वातावरण नहीं खरीद सकते। इसलिए केरल की प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी उनका मानव विकास हरियाणा से अच्छा है क्योंकि केरल के पास हरियाणा की तुलना में अन्य सुविधाएँ, जैसे-अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ, अधिक साक्षरता आदि र नब्ध हैं। इसके अतिरिक्त हरियाणा की तुलना में केरल में प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों की निक्ल उपस्थिति अनुपात अधिक है।

प्रश्न 8.
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं ?
उत्तर:
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोत प्रयोग किये जाते हैं

  • परम्परागत स्रोत:
    1. कोयला
    2. खनिज तेल
    3. प्राकृतिक गैस
    4. विद्युत।
  • गैर परम्परागत स्रोत:
    1. पवन ऊर्जा
    2. सौर ऊर्जा
    3. बायो गैस
    4. भूतापीय ऊर्जा
    5. ज्वारीय ऊर्जा
    6. परमाणु ऊर्जा।

आज से 50 वर्ष पश्चात् सम्भवतः ऊर्जा के कुछ स्रोतों पर भारी संकट होगा। पेट्रोलियम उत्पादों की माँग अत्यधिक बढ़ेगी और देश के लिए उनकी आपूर्ति कर पाना सम्भव नहीं हो पायेगा। अपने प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पर्ति न कर पाने के साथ-साथ विश्व में भी इनका भण्डार कम होता जाएगा। इन उत्पादों के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि के कारण इनका आयात महँगा होगा फलस्वरूप भुगतान असन्तुलन की स्थिति पैदा होगी। अतः नये-नये ऊर्जा स्रोतों को खोजना शुरू हो जायेगा। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायो गैस आदि पर निर्भरता बढ़ जायेगी।

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प्रश्न 9.
धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
विकास के लिए धारणीयता (सतत् पोषणीय) महत्त्वपूर्ण क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
धारणीयता का मुद्दा विकास के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
आर्थिक वृद्धि के लिए सतत् पोषणीय विकास अति आवश्यक क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धारणीयता से आशय है कि हमने विकास का जो स्तर प्राप्त कर लिया है, वह भावी-पीढ़ी के लिए भी बना रहे। यदि विकास मनुष्य को क्षति पहुँचाता है तो इसके दुष्परिणाम भावी-पीढ़ी को भुगतने होंगे। धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, इसके निम्नलिखित कारण हैं
1. विश्व स्तर पर हो रहे तीव्र आर्थिक विकास एवं औद्योगीकरण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ है। इस अत्यधिक दोहन के कारण सीमित प्राकृतिक संसाधन समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, खनिज तेल सीमित है। यदि यह सीमित संसाधन पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं तो भविष्य में सभी देशों का विकास खतरे में पड़ जायेगा।

2. यद्यपि खनिज तेल एवं विभिन्न खनिज पदार्थ किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु, इनका प्रयोग पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाता है। ये धरती पर प्रदूषण का कारण बनते हैं एवं भविष्य में सन्तुलन को बाधित करते हैं।

प्रश्न 10.
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन विकास की चर्चा में बहुत प्रासंगिक है, हमारी धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, धरती पर मिट्टी, वायु, जल, वन, वन्य प्राणी, खनिज संसाधन आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। परन्तु इन संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित ढंग से विदोहन किया जाये। हम इनका लालची ढंग से अति विदोहन न करें, दुरुपयोग न करें एवं विनाश न करें।

यदि ऐसा होता है तो धरती पर इनका अभाव नहीं होगा। परन्तु मानव बहुत लालची प्राणी है। उसका लालच इन साधनों के लिए उसे अन्धा बना देता है। विभिन्न देशों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण उनके द्वारा अन्य देशों पर आक्रमण करने की लालसा, उसके संसाधनों को लूटकर ले जाने की इच्छा, स्वयं को विश्व का सर्वेसर्वा बनाने की इच्छा और इन सबके लिए विनाशकारी परमाणु हथियारों का प्रयोग इन संसाधनों को क्षणभर में राख में परिवर्तित कर देगा परिणामस्वरूप संसाधनों का अभाव हो जाएगा।

अतः हमें आर्थिक विकास में लालची नहीं होना चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि विश्व के समस्त देश धरती पर उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण, सुनियोजित एवं मितव्ययी ढंग से उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न वैज्ञानिक कल्याण अनुसंधानों एवं विधियों की सहायता से नये-नये संसाधनों की खोज करें तभी विश्व का कल्याण सम्भव है।

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प्रश्न 11.
पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर:
मैंने अपने आसपास पर्यावरण में गिरावट के निम्नलिखित उदाहरण देखे हैं
1. भूमिगत जलस्तर: में कमी हमारे आसपास भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है जिसके कारण जल के स्तर में निरन्तर कमी आती जा रही है, जो एक चिंता का विषय है।

2. वनों की कटाई हमारे: आसपास वनों की अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है, वन क्षेत्र कारखानों, आवासीय भवनों एवं वाणिज्यिक भवनों में परिवर्तित हो गए हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है तथा रेगिस्तान के फैलाव का खतरा भी उत्पन्न हो गया है।

3. वन्य जीवों का शिकार: शिकारी एवं तस्कर निरन्तर वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं एवं उनके विभिन्न अंगों का व्यापार कर रहे हैं। इससे दुर्लभ वन्य प्राणियों के लुप्त होने का खतरा बढ़ गया है।

4. खनन क्रिया से प्रदूषण: हमारे क्षेत्र के आसपास खनिज निकालने की क्रियाएँ भूमि, जल, वायु को प्रदूषित कर रही हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है।

5. वायु प्रदूषण: औद्योगीकरण एवं शहरीकरण से वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। कल-कारखानों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की गैसें न केवल मानव स्वास्थ्य को वरन् पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचा रही हैं।

6. जल प्रदूषण: उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल, घरेलू मल, उर्वरकों व कीटनाशक दवाइयों के कारण जल प्रदूषण बढ़ा है।

7. औद्योगीकरण व शहरीकरण से ध्वनि-प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है।

प्रश्न 12.
तालिका (1.6 पाठ्य पुस्तक) में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं

तालिका 1.6 : वर्ष 2017 के लिए भारत और उसके पड़ोसी देशों के कछ आँकडे

देश सकल राष्ट्रीय आय (स.रा.आ.) प्रतिव्यक्ति आय (अमरीकी डॉलर में) (2011 क्रय शक्ति क्षमता)। जन्म के समय ।सम्भावित आयु (2017) विद्यालयी सम्भावित आयु औसत आयु 25 वर्ष या उसके अधिक (2017) विश्व में मानव विकास सूचकांक (HDI) का क्रमांक (2016)
श्रीलंका 11,326 75.5 10.9 76
भारत 6,353 68.8 6.4 130
म्यांमार 5,567 66.7 4.9 148
पाकिस्तान 5,331 66.6 5.2 150
नेपाल 2,471 70.6 4.9 149
बांग्लादेश 3,677 72.8 5.8 136
  1. श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय 11,326 अमेरिकी डॉलर है जो सर्वाधिक है, नेपाल की प्रतिव्यक्ति आय सबसे कम 2,471 डॉलर है।
  2. जन्म के समय सम्भावित आयु की दृष्टि से श्रीलंका की स्थिति सर्वोच्च 75.5 वर्ष है जबकि पाकिस्तान की स्थिति निम्नतम 66.6 है।
  3. 25 वर्ष या उससे अधिक आयु की जनसंख्या की विद्यालय औसत आयु के आधार पर श्रीलंका प्रथम (10.9%) है जबकि म्यांमार व नेपाल निम्नतम (4.9%) स्थान पर है।
  4. उपयुक्त तालिका में मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से श्रीलंका का स्थान उच्चतम (76) एवं पाकिस्तान का स्थान निम्नतम (150) है।

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प्रश्न 13.
नीचे दी गई तालिका में भारत में वयस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. < 18.5 kg/m)का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:

राज्य पुरुष (%) महिला (%)
केरल 8.5 10
कर्नाटक 17 21
मध्य प्रदेश 28 28
सभी राज्य 20 23

(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
(ख) क्या आप अंदाज लगा सकते हैं कि देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर:
(क) केरल में अल्पपोषित वयस्कों में पुरुष महिलाओं का प्रतिशत क्रमशः 8.5 व 10 है जबकि मध्य प्रदेश में यह प्रतिशत क्रमशः 17 व 21 है। इसका अभिप्राय है कि केरल की तुलना में मध्य प्रदेश में अल्पपोषण की समस्या पुरुष व महिला दोनों में ही अधिक है।

(ख) हमारे देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित है। इसके निम्न कारण हैं

  1. हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सही ढंग से कार्य नहीं करती जिससे गरीब लोगों को सस्ता खाद्यान्न नहीं मिलता है और वे अल्पपोषित रहते हैं।
  2. देश के अधिकांश लोग इतने गरीब हैं कि वे पौष्टिक भोजन खरीद सकने में समर्थ नहीं हैं।
  3. राशन की दुकानों के विक्रेता घटिया गुणवत्ता वाले अनाज बेचते हैं।
  4. राशन विक्रेताओं द्वारा लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाजार में बेच दिया जाता है।
  5. देश के अनेक भागों में शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है इसलिए अधिकांश लोग पिछड़े हुए गरीब हैं तथा पौष्टिक भोजन नहीं ले पाते हैं।

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र के विकास के विषय में चर्चा के लिए तीन भिन्न वक्ताओं को आमंत्रित कीजिए। अपने मस्तिष्क में आने वाले सभी प्रश्नों को उनसे पूछिए। इन विचारों की समूहों में चर्चा कीजिए। प्रत्येक समूह एक दीवार चार्ट बनाए जिसमें कारण सहित उन विचारों का उल्लेख करे, जिनसे आप सहमत अथवा असहमत हैं।
उत्तर:
निर्देश: विद्यार्थी इसे शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

विकास क्या वादा करता है……….. (पृष्ठ संख्या 4)

हम यह कल्पना करने का प्रयास करें कि तालिका 1.1 में दी गई सूची के अनुसार लोगों के लिए विकास का क्या अर्थ हो सकता है? उनकी क्या आकांक्षाएँ हैं? आप देखेंगे कि कुछ स्तम्भ अधूरे भरे हुए हैं। इस तालिका को पूरा करने की कोशिश कीजिए। आप चाहें तो किन्हीं और श्रेणी के व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं। तालिका 1.1 विभिन्न श्रेणी के लोगों के विकास के लक्ष्य

व्यक्ति की श्रेणी विकास के लक्ष्य/आकांक्षाएँ
भूमिहीन ग्रामीण मजदूर काम करने के अधिक दिन और बेहतर मजदूरी; स्थानीय स्कूल उनके बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करने में सक्षम; कोई सामाजिक भेदभाव नहीं और गाँव में वे भी नेता बन सकते हैं।
पंजाब के समृद्ध किसान किसानों को उनकी उपज के लिए ज्यादा समर्थन मूल्यों और मेहनती और सस्ते मजदूरों द्वारा उच्च पारिवारिक आय सु नेश्चित करना ताकि वे अपने बच्चों को विदेशों में बसा सकें।
किसान जो खेती के लिए केवल वर्षा पर निर्भर हैं अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि, उन्नत बीजों, रासांयनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों की उपलबधता तथा सस्ती कृषि ॠण सुविधाएँ, फसलों का बीमा, उपज का उचित मूल्य दिलाना।
भूस्वामी परिवार की एक ग्रामीण महिला पर्याप्त पारिवारिक आमदनी, शिक्षा की समानता, स्वास्थ्य सुविधाओं की समानता, घर में स्वतन्त्रता, ग्रामीण समाज में गृहकार्य के लिए नौकरानी, आधुनिक सुविधाओं का सामान।
शहरी बेरोजगार युवक रोजगार की प्राप्ति, अच्छा वेतन व प्रशिक्षण की आवश्यकता, आवास सुविधा, परिवहन सुविधा।
शहर के अमीर परिवार का एक लड़का अच्छी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करना, अधिक जेब खर्च, विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना, पर्याप्त पूँजी से अपना व्यवसाय प्रारम्भ करना, मनोरंजन, मौजमस्ती।
शहर के अमीर परिवार की एक लड़की उसे अपने भाई के जैसी आजादी मिलती है और वह अपने फैसले खुद कर सकती है। वह अपनी पढ़ाई विदेश में कर सकती है।
नर्मदा घाटी का एक आदिवासी नियमित काम, पर्याप्त मजदूरी, बच्चों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएँ, उपयुक्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, सुरक्षा व आवास के लिए सुरक्षित स्थान।
अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग पर्याप्त आमदनी, उपयुक्त काम-धन्धा, सामाजिक समानता, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, छात्रवृत्ति की व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएँ, शुद्ध पेयजल व आवास की व्यवस्था।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 6)

प्रश्न 1.
अलग: अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन-सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर:
उपर्युक्त दोनों व्याख्याओं में ‘ख’ अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ एक-दूसरे से भिन्न होती हैं तथा उनकी आवश्यकताएँ भी परिस्थितियों के अनुरूप भिन्न-भिन्न होती हैं तथा इन आवश्यकताओं के आधार पर लोगों के विकास के लक्ष्य अथवा धारणाएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।

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प्रश्न 2.
क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
अथवा
दो व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य किस प्रकार भिन्न हो सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों कथनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होने से तात्पर्य यह है कि वे वह वस्तुएँ खोजते हैं जोकि उनकी इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए अति आवश्यक हैं।

(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है। कई बार दो व्यक्ति या दो गुट ऐसी वस्तुएँ चाह सकते हैं जिनमें परस्पर विरोध हो सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक लड़की अपने भाई के समान आजादी व अवसर चाहती है एवं यह भी आशा रखती है कि भाई भी घर के कामकाज में हाथ बँटाये परन्तु यह शायद उसके भाई को पसंद नहीं होगा।

प्रश्न 3.
कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
उत्तर:
आय के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जो निम्नलिखित हैं

  1. लोग समानता का व्यवहार अर्थात् पक्षपातरहित व्यवहार चाहते हैं।
  2. लोग नियमित काम व बेहतर मजदूरी चाहते हैं।
  3. लोग विचारों की स्वतन्त्रता, धर्म की स्वतन्त्रता एवं आने-जाने की स्वतन्त्रता चाहते हैं।
  4. लोग अपने जान-माल एवं सम्मान की सुरक्षा चाहते हैं।

प्रश्न 4.
ऊपर दिए गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर:
रशा गा रखण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचार निम्नलिखित है:

  1. लोग मंच नियमित कार्य, उपयुक्त मजदूरी, अपनी फसल या उत्पाद के माध्यम से उपयुक्त कीमत चाहते हैं।
  2. अधिक से अधिक आय के अतिरिक्त लोगों के अन्य विकास लक्ष्य होते हैं; जैसे- समान व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा, आश्रय, उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं आत्मसम्मान आदि।
  3. विकास के लिए लोग मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं अर्थात् लोगों के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
  4. यदि महिलाएँ वेतन भोगी कार्य करती हैं तो उनके घर के साथ-साथ समाज के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
  5. एक सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरण के कारण अधिक से अधिक महिलाएँ अनेक प्रकार की नौकरियाँ अथवा व्यापार कर सकती हैं।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 7)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए:
दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
इस प्रकार के क्षेत्र के निम्नलिखित विकासात्मक लक्ष्य होने चाहिए

  1. इस प्रकार का क्षेत्र सही ढंग से नियोजित होना चाहिए। झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
  2. झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों को उनके परिवार के अनुसार स्थान प्राप्त होना चाहिए।
  3. इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए सड़क व गलियाँ आदि बनायी जानी चाहिए।
  4. उनके लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए तथा सफाई सुविधाओं का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
  5. इस क्षेत्र में बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए तथा लोगों को सभी प्रकार की सार्वजनिक सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए।
  6. नियमित कार्य एवं उपयुक्त मजदूरी के माध्यम से झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों की आय में वृद्धि की जानी चाहिए।
  7. इस क्षेत्र में स्थानीय बाजार की व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ समस्त प्रकार की आवश्यक वस्तुएँ: यथा- राशन, फल, सब्जी, दूध आदि उपलब्ध हों।
  8. इस क्षेत्र की समस्त बहुमंजिली इमारतों में लिफ्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
  9. आग जैसी आकस्मिक घटना घटित होने की स्थिति में उसको बुझाने के लिए रेत की बोरियाँ, पानी का टैंक एवं अग्निशमन यंत्र उपलब्ध होने चाहिए।
  10. निकट ही फायर ब्रिगेड केन्द्र होना चाहिए।
  11. इस प्रकार से क्षेत्र के समाज में किसी की तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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प्रश्न 2.
इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए एक जहाज ने 500 टन तरल ज़हरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़ेघर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन खतरनाक जहरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें कीं। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया तथा विषाक्तता के कारण 26,000 लोगों का उपचार किया गया। पेट्रोल और धातुओं से सम्बन्धित एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कम्पनी को अपने जहाज से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किनको नहीं ?
उत्तर:
इससे बहुराष्ट्रीय और स्थानीय कम्पनी के साथ-साथ जहाजरानी कम्पनी को लाभ हुआ जबकि स्थानीय लोगों को हानि हुई। ये लोग बहुत-सी बीमारियों से ग्रस्त हो गये।

(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए ?
उत्तर:

  1. औद्योगिक अपशिष्ट की उचित निकासी।
  2. जनसामान्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
  3. औद्योगिक कृषि, यातायात, संचार आदि का विकास किया जाये जिससे कि वातावरण किसी प्रकार भी दूषित न

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प्रश्न 3.
आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
हमारे गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए

  1. गाँव या शहर या स्थानीय इलाके का सही ढंग से नियोजन होना चाहिए।
  2. आस-पास के झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
  3. क्षेत्र में सड़कें, गलियाँ आदि साफ-सुथरी होनी चाहिए।
  4. लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए जो अच्छी शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हो।
  6. स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होने चाहिए।
  7. लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिए।
  8. बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन आदि नजदीक ही होने चाहिए। इसके अतिरिक्त पुलिस स्टेशन आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
  9. स्थानीय बाजार की भी व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ दैनिक आवश्यकता से सम्बन्धित समस्त सामग्री प्राप्त हो सके।
  10. स्थानीय निवासियों के परिवार के भीतर लिंग असमानता नहीं होनी चाहिए।
  11. स्थानीय समाज से बाल विवाह, बाल श्रम एवं जाति प्रथा का समापन होना चाहिए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न- तालिका (1.2 पाठ्य पुस्तक ) में दिए आँकड़ों के अनुसार दोनों देशों की औसत आय निकालिए
तालिका 1.2: दो देशों की तुलना देश

देश

 

2017 में नागरिकों की मासिक आय (रूपये में)
1 2 3 4 5 औसत आय
देश क 9,500 10.500 9.800 10.000 10.200 10,000
देश ख 500 500 500 500 48,000 10,000

1. क्या आप इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे?
उत्तर:
नहीं, हम इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी नहीं होंगे क्योंकि देश ‘ख’ में आय का वितरण समान नहीं

2. क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। देश ‘क’ के नागरिकों में आय का वितरण समान है। इसके विपरीत देश ‘ख’ के 5 में से 4 नागरिक निर्धन हैं।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 9)

प्रश्न 1.
तीन उदाहरण दीजिए जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
निम्नलिखित स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है

  1. आय की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
  2. किसी परीक्षा में विद्यार्थियों की उपलब्धियों की तुलना करने के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
  3. क्रिकेट खिलाड़ियों की उपलब्धि की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों में विकास को मापने के लिए आय एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। परन्तु कुल आय उपयोगी मापदण्ड नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न भिन्न होती है इसलिए कुल आय की तुलना करने से हमें यह पता नहीं चल पाता है कि प्रत्येक व्यक्ति क्या कमा रहा है? यह औसत आय या प्रतिव्यक्ति आय से जाना जा सकता है, इसी कारण हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि कुल आय को देशों की कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसलिए हम सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है।

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प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, आय के कौन-से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्व रखते हैं?
उत्तर:
यद्यपि प्रतिव्यक्ति आय (औसत आय) दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए उपयोगी है परन्तु इससे यह जानकारी नहीं मिलती है कि यह आय देश के लोगों में किस प्रकार वितरित है, इसलिए प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त आय का समान वितरण शिशु मृत्यु दर, साक्षरता आदि को दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखता

प्रश्न 4.
मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर:
नहीं, हम नहीं मानते हैं कि किसी देश की आय के बढ़ने से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र बेहतर हो गये हैं। समय के साथ किसी देश की औसत आय में वृद्धि का यह अर्थ नहीं होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गये हैं। उदाहरण के लिए: हम अपने देश भारत की स्थिति पर एक नजर डालते हैं। कुछ विशेष वर्षों को छोड़कर स्वतन्त्रता के बाद से भारत की राष्ट्रीय आय एवं औसत आय निरन्तर बढ़ रही है। परन्तु देश की कुल आय में कृषि का योगदान निरन्तर घट रहा है।

प्रश्न 5.
विश्व विकास रिपोर्ट 2017 के अनुसार निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट-2017 के अनुसार, निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय आधार वर्ष के रूप में सन् 2017 में US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है।

प्रश्न 6.
एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर:
भारत को एक विकसित देश बनने के लिए निम्नलिखित कार्य करना या प्राप्त करना चाहिए

  1. सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर तीव्र करनी चाहिए।
  2. लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
  3. कृषि क्षेत्र के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
    • भारत की कुल श्रमशक्ति का लगभग 60 प्रतिशत से भी अधिक भाग कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है जो भारत के संकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल 27 प्रतिशत का योगदान देता है।
    • इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण की प्रक्रिया में इस क्षेत्र की क्षा हुई है जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की वृद्धि दर में कमी आयी है।
    • अत: इस क्षेत्र में वृद्धि हेतु किसानों को कृषि आगतों, प्रशिक्षण, ऋण व विपणन आदि सुविधाएँ प्रदान कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर को तीव्र किया जाना चाहिए।
  4. बुनियादी संरचना, उद्यमिता, उत्पादन की श्रम गहन तकनीक, प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन सुविधाओं में विस्तार करना चाहिए।
  5. देश के विभिन्न राजकीय कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहिए।
  6. देश में व्याप्त भाई-भतीजावाद को भी समाप्त किया जाना चाहिए।
  7. आयातों की तुलना में निर्यातों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि देश को अधिकाधिक विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो सके।

आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्न 1.
तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में ?
उत्तर:
तालिका 1.3 व 1.4 के आँकड़ों के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा साक्षरता दर की दृष्टि से केरल से पीछे है जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल से आगे है। हरियाणा की साक्षरता दर (82%) केरल की साक्षरता दर (94%) से 12% कम है। जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल (1,63,475) की तुलना में हरियाणा (1,80,174) की प्रतिव्यक्ति आय 16,699 रु. अधिक है।

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प्रश्न 2.
ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।
उत्तर:
ऐसे निम्नलिखित उदाहरण हैं जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है

  1. आवश्यक वस्तुओं का राशन की दुकानों व डेयरी बूथों द्वारा निर्धारित कीमतों पर उपलब्ध कराना।
  2. सामूहिक यातायात प्रणाली को अपनाना।
  3. सामूहिक रूप से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
  4. सामूहिक रूप से बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना।
  5. सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करना।
  6. सामूहिक रूप से लोगों को किसी विशेष स्थान, यथा-सामूहिक भवन आदि का उपलब्ध कराना सस्ता पड़ता है।

प्रश्न 3.
अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासंगिक हो सकते हैं? .
उत्तर:
नहीं, यद्यपि एक विकासशील अर्थव्यवस्था में अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता इन सुविधाओं पर सरकार द्वारा किए गए व्यय पर अत्यधिक निर्भर करती है, परन्तु यह केवल इसी कारक पर निर्भर नहीं करती है। इसके अतिरिक्त कुछ और महत्त्वपूर्ण कारक हैं जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए प्रासंगिक हैं, यह निम्नलिखित हैं….

  1. अपने स्वास्थ्य की जाँच कराने की एवं रोगों के बारे में जानने की रोगी की स्वयं की इच्छा।
  2. शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर व्यय करने के लिए अभिभावकों की तत्परता।
  3. परिवार के मुखिया की आमदनी।
  4. अभिभावकों की स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जनजागरूकता।
  5. स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र में निजी सहभागिता।

प्रश्न 4.
तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों ?
उत्तर:
हमारे अनुसार तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन बेहतर होगा क्योंकि उन्हें राशन की दुकानों से कम कीमत पर वस्तुओं की प्राप्ति हो रही है। वस्तुओं की कीमत कम होने के कारण वे लोग अधिक से अधिक मात्रा में उनका उपयोग कर सकते हैं अर्थात् इनका उपभोग स्तर उच्च है। जबकि इस सुविधा का प्रयोग न करने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों का उपभोग स्तर निम्न रहता है।

कार्यकलाप 2 (पृष्ठ संख्या 12)

प्रश्न 1.
तालिका 1.5 का ध्यान से अध्ययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके लिए आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या की शैक्षिक उपलब्धि श्रेणी

श्रेणी पुरुष महिला
ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता दर 76% 54%
10-14 वर्ष के बच्चों में साक्षरता दर 90% 87%
10-14 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले ग्रामीण बच्चों का प्रतिशत 85% 82%

(क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण पुरुषों के लिए ….. थी और ग्रामीण महिलाओं के लिए ……. थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए बल्कि ……. ……. ग्रामीण लड़के तथा …… ग्रामीण लड़कियाँ इस समय स्कूल में नहीं हैं।

(ख) इस तालिका से स्पष्ट है कि ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसलिए 10 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में से …… प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और …… प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर

(ग) हमारी स्वतंत्रता के 68 वर्षों के बाद भी, ……….. आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।
उत्तर:
(क) 76%, 54%, 15% ग्रामीण लड़के व 18% ग्रामीण लड़कियाँ
(ख) 18%, 15%, 13%, 10%
(ग) 10 – 14

उदाहरण (पृष्ठ संख्या 14)

उदाहरण 1.
भारत में भूमिगत जल: “हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल का अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है। 300 जिलों से सूचना मिली है कि वहाँ पिछले 20 सालों में पानी के स्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट आयी है। देश का लगभग एक-तिहाई भाग, भूमिगत जल भण्डारों का अति-उपयोग कर रहा है। यदि इस साधन के प्रयोग करने का वर्तमान तरीका जारी रहा हो अगले 25 वर्षों में देश का 60 प्रतिशत भाग इस साधन का अति-उपयोग कर रहा होगा। भूमिगत जल का अति-उपयोग विशेष रूप से पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों, मध्य और दक्षिण भारत के चट्टानी पठारी क्षेत्रों, कुछ तटवर्ती क्षेत्रों और तेजी से विकसित होती शहरी बस्तियों में पाया जाता है।”
JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 2
1. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जल का अति-उपयोग हो रहा है?
उत्तर:
हाँ, देश के कई भागों में जल, विशेषकर भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है। देश का लगभग एक तिहाई भाग भूमिगत जल भण्डारों का अति उपयोग कर रहा है। लोग घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योगों आदि में जल का अति उपयोग कर उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जल के अति उपयोग के कारण ही दिनों-दिन भूमिगत जल स्तर नीचा होता जा रहा है।

2. क्या बिना अति-उपयोग के विकास हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, जल के अति उपयोग के बिना विकास हो सकता है इसके लिए जरूरी है कि हम जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करें एवं जल संरक्षण के आवश्यक उपायों को अपनायें।

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उदाहरण (पृष्ठ संख्या 15)

उदाहरण: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कच्चे तेल के लिए निम्न आँकड़ों को देखिए
तालिका 1.7 कच्चे तेल के अतिरिक्त भण्डार

क्षेत्र/देश भण्डार (हजार मिलियन बैरल) भण्डारों के चलने की अवधि (वर्षों में)
मध्य-पूर्व 807.7 70
संयुक्त राज्य अमरीका 50 10.5
विश्व 1696.6 50.2

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास 3

यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान (कॉलम 1) को दर्शाती है। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि यह बताती है कि यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर चालू रहा तो ये भण्डार कितने वर्ष चलेंगे। यह सम्पूर्ण विश्व के लिए है किन्तु अलग-अलग देशों की अलग-अलग स्थितियाँ हैं। यह भण्डार केवल 50 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। भारत जैसे देश इसके आयात पर निर्भर हैं, जिसके पास तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं हैं।

तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो प्रत्येक स्तर पर भार पड़ता है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास भण्डार तो कम है लेकिन वे इसे सैन्य और आर्थिक शक्ति के द्वारा पाना चाहते हैं। विकास की धारणीयता का प्रश्न, इसकी प्रकृति और प्रक्रिया के बारे में कई अन्य मूल नए विषय खड़े कर देता है।

1. क्या किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है? चर्चा कीजिए।
2. भारत को कच्चा तेल का आयात करना पड़ता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए आप भारत के लिए आने वाले समय में किन समस्याओं का पूर्वानुमान करते हैं?
उत्तर:
1. हाँ, किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है, कच्चा तेल विभिन्न प्रकार की मशीनों, यंत्रों एवं परिवहन आदि के लिए एक संचालक शक्ति का कार्य करता है।

2. भारत को कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। आने वाले समय में भारत को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :

  1. भारत के आयातों में वृद्धि,
  2. प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न होगी,
  3. विदेशी विनिमय संकट उत्पन्न होगा।
  4. कालाबाजारी बढ़ेगी।

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JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

JAC Board Class 10th English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

JAC Class 10th English The Necklace Textbook Questions and Answers

Read and Find Out (Pages 39, 41 & 42)

Question 1.
What kind of a person is Mme Loisel – why is she always unhappy?
(मैडम लॉयसेल किस तरह की व्यक्ति है – वह हमेशा दुःखी क्यों रहती है ?)
Or
Why was Matilda Loisel always unhappy ?
(मेटिल्डा लॉयसेल हमेशा दुःखी क्यों रहती है?)
Answer:
Mme Loisel is a beautiful woman. She has high dreams. But she is married to a poor man. She overlooks the realities of life and wants to lead a life of grandeur and luxury.
(मैडम लॉयसेल एक सुन्दर महिला है। उसके ऊँचे सपने हैं। लेकिन उसकी शादी एक गरीब आदमी से हो जाती है। वह जीवन की वास्तविकताओं को नजरअंदाज करके वैभव और ऐशो-आराम वाला जीवन जीना चाहती है।)

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Question 2.
What kind of a person is her husband?
(उसका पति किस प्रकार का व्यक्ति है ?)
Answer:
Loisel’s husband is a very simple-hearted person. He works as a clerk. He loves his wife deeply. He wants to see his wife always happy.
(श्रीमती लॉयसेल का पति एक साधारण हृदय वाला आदमी है। वह एक लिपिक के रूप में कार्य करता है। वह अपनी पत्नी से बहुत अधिक प्यार करता है। वह हमेशा अपनी पत्नी को प्रसन्न देखना चाहता है।)

Question 3.
What fresh problem now disturbs Mme Loisel?
(कौन-सी नई समस्या अब मैडम लॉयसेल को परेशान करती है?)
Answer:
The fresh problem is that Mme Loisel has no pretty dress to wear at the party.
(नई समस्या यह है कि मैडम लॉयसेल के पास पार्टी में पहनने के लिए कोई सुन्दर पोशाक नहीं है।)

Question 4.
How is the problem solved?
(समस्या का समाधान कैसे होता है ?)
Answer:
Her husband solves the problem. He buys a new dress for her. In this way, the problem is solved.
(उसका पति समस्या का समाधान करता है। वह उसके लिए एक नई पोशाक खरीदता है। इस प्रकार से, समस्या का समाधान होता है।)

Question 5.
What do M. and Mme Loisel do next?
(उसके बाद श्रीमान और श्रीमती लॉयसेल क्या करते हैं ?)
Answer:
The next problem is that of having a necklace to wear at the party. So Mme Loisel and her husband decide to borrow a necklace from her friend, Mme Forestier.
(अगली समस्या पार्टी में पहनने के लिए एक हार प्राप्त करने की थी। इसलिए श्रीमती लॉयसेल और उनका पति उसकी एक सहेली श्रीमती फोरेस्टियर से एक हार उधार लेने का निर्णय करते हैं।)

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Question 6.
How do they replace the necklace?
(व हार को कैसे वापस करते हैं?)
Or
What did Loisel do to replace the necklace?
(लॉयसेल ने हार वापिस करने के लिए क्या किया?)
Answer:
Mr Loisel buys a necklace in 36,000 francs. He had with him only 18,000 francs. He had to borrow the rest of money on high rates of interest. In this way they replace the necklace.
(मि० लॉयसेल 36,000 फ्रैंक में एक हार खरीदते हैं। उसके पास केवल 18,000 फ्रैंक थे। शेष राशि उसको व्याज की ऊँची दरों पर उधार लेनी पड़ी। इस प्रकार से उन्होंने हार को वापस किया।)

Think about it (Page 46)

Question 1.
The course of the Loisels’ life changed due to the necklace. Comment.
(हार के कारण लॉयसेल की जिन्दगी बदल गई। टिप्पणी कीजिए।)
Answer:
Mr and Mrs Loisel bought another necklace for thirty six thousand francs to replace the lost one. Mr Loisel had eighteen thousand francs of his own. He borrowed the rest of eighteen thousand francs on very high rates of interest. After this incident their life changed a lot. They discharged their maid. They changed their lodgings and rented some rooms in an attic. Madame Loisel learnt the odious work of kitchen. She washed the dishes and sosiy clothes. She went to market herself for shopping. Mr Loisel started working for some merchants in the evening. At night he often did copying at five sous per page. This hard life lasted for ten years.

(श्रीमान और श्रीमती लॉयसेल ने खोए हुए हार के बदले में देने के लिए छत्तीस हज़ार फ्रैंक में एक दूसरा हार खरीदा। उसके पास अठारह हज़ार फ्रैंक तो अपने थे। अठारह हज़ार फ्रैंक श्रीमान लॉयसेल ने व्याज की बहुत ऊंची दरों पर उधार लिए। इस घटना के पश्चात् उनका जीवन बहुत अधिक बदल गया। उन्होंने अपनी नौकरानी को हटा दिया। उन्होंने अपनी रिहायश बदल ली और एक दूसरी अटारी में कुछ कमरे किराये पर ले लिए। श्रीमती लॉयसेल ने रसोई के घृणित कार्य को सीखा। उसने बर्तन तथा गदै कपड़े धोए। वह स्वयं बाजार में खरीददारी के लिए गई। श्रीमान लॉयसेल ने शाम के समय कुछ व्यापारियों के लिए काम करना शुरू कर दिया। रात को वह पांच सॉस प्रति पेज के हिसाब से प्रतिलिपि करता था। ऐसा कठोर जीवन दस वर्ष तक रहा।)

Question 2.
What was the cause of Matilda’s ruin? How could she have avoided it?
(मेटिल्डा की बर्बादी का क्या कारण था ? वह इससे कैसे बच सकती थी)
Answer:
Matilda was not contented with her life. Her discontentment with life was the real cause of her ruin. Had she not borrowed the necklace from her friend, her life would not have been ruined. The immediate cause of the ruin of her life was the diamond necklace that she had borrowed from Madame Forestier.

(मेटिल्डा अपने जीवन से संतुष्ट नहीं थी। जीवन के प्रति यह असंतुष्टता उसकी बर्बादी का प्रमुख कारण थी। यदि उसने अपनी सहेली से हार उधार न लिया होता तो उसका जीवन बर्बाद नहीं होता। उसके जीवन की बर्बादी का तत्काल कारण हीरों का वह हार था, जो उसने श्रीमती फोरेस्टियर से उधार लिया था।)

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 3.
What would have happened to Matilda if she had confessed to her friend that she had lost her necklace?
(यदि मेटिल्डा अपनी सहेली के सामने स्वीकार कर लेती कि उसका हार गुम हो गया है तो क्या होता ?)
Answer:
If Matilda had confessed to her friend that she had lost the necklace, she and her husband would have been saved from all the hardship. Her friend would have told her that her diamonds were false. They were not worth over five hundred francs.
(यदि मेटिल्डा ने अपनी सहेली के सामने स्वीकार कर लिया होता कि उससे हार गुम हो गया था, तो वह और उसका पति परेशानियों से बच सकते थे। उसकी सहेली उसे बता देती कि उसके हीरे नकली थे। उनका मूल्य पांच सौ फ्रैंक से अधिक नहीं था।)

Question 4.
If you were caught in a situation like this, how would you have dealt with it?
(यदि आप ऐसी स्थिति में फंस जाते, तो आप इससे कैसे निपटते ?)
Answer:
If I caught in a situation like this, I would have gone to my friend from whom I had borrowed the necklace. Then I would have confessed before her that I had lost the necklace. I paid the cost of the necklace to her directly if she demanded.

(यदि मैं ऐसी स्थिति में फंस जाता/जाती, तो मैं सीधा अपने उस मित्र (सहेली) के पास जाता जाती जिससे मैंने हार उधार लिया था। तब मैं उसके सामने इस बात को स्वीकार कर लेता/लेती कि मैंने हार खो दिया है। यदि वह माँग करता/करती तो मैं हार की कीमत का भुगतान सीधे ही उसे करता/करती।)

Talk about it (Page 46)

Question 1.
The characters in this story speak in English. Do you think this is their language? What clues are there in the story about the language its characters must be speaking in?
Answer:
This story was originally written in French. So the language of the characters is not English. There are many clues to it. The names of characters are essentially French. The currency mentioned in the story is ‘franc’, which is French. The names of places are French, for example, “Palais-Royal’, ‘Champs-Elysees’ etc.

Question 2.
Honesty is the best policy.
Answer:
It is a well-known proverb that honesty is the best policy. Honesty is a great blessing. An honest person shines like a gem in the world. On the other hand, every one dislikes a dishonest man. Honesty is like a weapon which enables man to face all the difficulties of life. In today’s life, an honest man may not become rich. He may not possess all the comforts of life. He may be troubled by difficulties. But still he will never lose his peace of mind. An honest person is honoured and respected by everybody. Inspite of his poverty, he leads a satisfied life. He has peace of mind. Therefore, we should be honest. It will earn us the respect of our friends.

Question 3.
We should be content with what life gives us.
Answer:
Contentment is the greatest of all virtues. We must learn to be contented with what life gives us. God is all powerful. He looks after all human beings. He gives us joys and sorrows, according to our fate. We must remember that we cannot get anything more than what written in our destiny. At the same time we cannot get anything before the time fixed for it by our destiny. Those who are not content, lead a life of misery. A contented labourer is much better than a discontented millionaire. The labourer works hard, earns some money, then has a sound sleep at night. It is because he is contented. On the other hand, a businessman earns millions, but still spends sleepless nights. He wants to earn more and more. That is a miserable life. In this story Matilda suffers because she is not contented with her lot.

JAC Class 10th English The Necklace Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What kind of a person is Mme Loisel?
Answer:
She is a very beautiful woman.

Question 2.
Why is Mme Loisel always unhappy?
Answer:
Mme Loisel is always unhappy because of her poverty.

Question 3.
What did Mr. Loisel bring home one evening?
Answer:
One evening Mr. Loisel brought home an invitation card. They were invited to a party at the residence to the minister of Public Instruction.

Question 4.
How did Mme Loisel react at the invitation card?
Answer:
She was not interested in the card because she had no beautiful dress to wear in the party.

Question 5.
How did Matilda get the jewels to wear to the ball?
Answer:
She borrowed a necklace from her childhood friend, Mrs. Forestier.

Question 6.
Who is the author of the lesson ‘The Necklace’?
Answer:
Guy de Maupassant.

Question 7.
What kind of a person is Mr. Loisel?
Answer:
He is a very simple-hearted and loving person.

Question 8.
How was the problem of dress solved?
Answer:
Mr. Loisel bought a new dress for his wife.

Question 9.
Why had Mr. Loisel saved four hundred francs?
Answer:
He had saved four hundred francs to buy a shooting gun.

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 10.
Who was Matilda married to?
Answer:
Matilda was married to a poor clerk.

Question 11.
What was the actual cost of Mme Forestier’s necklace?
Answer:
It’s actual cost was only five hundred francs.

Question 12.
How much did the necklace cost to the Loisel?
Answer:
The necklace cost to the Loisel thirty six thousand francs.

Question 13.
In the lesson ‘The Necklace who is described as a mistake of destiny?
Answer:
In this Lesson, Mrs. Loisel is described as a mistake of destiny.

Question 14.
How much time did the Loisels take to repay the loan?
Answer:
They took ten years to repay the loan.

Question 15.
What did Matilda think, she was born for?
Answer:
Matilda thought that she was born for all delicacies and luxuries.

Question 16.
What was the name of Matilda’s rich friend?
Answer:
Her name was Mme Forestier.

Short Answer Type Questions

Question 1.
How was Mrs Loisel ‘a mistake of destiny’?
(श्रीमती लॉयसेल किस प्रकार ‘एक भाग्य की गलती’ थी ?)
Answer:
Mrs Matilda Loisel was very charming and pretty. She appeared to be a lady of a high family. But she was born in a family of clerks. As her parents did not have much money, she was married to a clerk. But her thoughts were high. She wanted to enjoy the luxuries of life. So, the writer says that she was a mistake of destiny.’

(श्रीमती मेटिल्डा लॉयसेल बहुत आकर्षक और सुंदर थी। वह एक ऊंचे परिवार की स्त्री प्रतीत होती थी। लेकिन वह लिपिकों के एक परिवार में पैदा हुई थी। जैसे कि उसके पिता के पास अधिक पैसा नहीं था, इसलिए उसकी शादी एक लिपिक के साथ की गई। मगर उसके विचार ऊंचे थे। वह जीवन के ऐश्वर्यो का आनंद उठाना चाहती थी। इसलिए लेखक कहता है कि वह ‘एक भाग्य की गलती’ थी।)

Question 2.
What was the cause of her ceaseless suffering?
(उसके अनंत कष्टों का क्या कारण था ?)
Answer:
Mrs. Loisel was very beautiful. She wanted to lead a life of comfort and luxury. She wanted to enjoy life. But she was married to a clerk. She lived in a simple house and led an ordinary life. This was the cause of her ceaseless suffering.

(श्रीमती लॉयसेल बहुत सुंदर थी। वह आराम और ऐश्वर्य का जीवन जीना चाहती थी। वह जीवन का आनंद उठाना चाहती थी। मगर उसकी शादी एक लिपिक से हुई थी। वह सादे घर में रहती थी और साधारण जीवन व्यतीत करती थी। यह उसके अनंत कष्टों का कारण था।)

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 3.
What did her husband bring home one evening?
Why was be so elated?
(एक शाम उसका पति घर क्या लेकर आया? वह इतना गर्वित क्यों था?)
ing, her husband brought home an invitation card. They were invited to a party at the residence of the Minister of Public Instruction. He was so elated because he thought that it would make his wife happy.
(एक शाम उसका पति एक निमंत्रण पत्र लाया। उन्हें लोक शिक्षा मंत्री के आवास पर पार्टी में बलाया गया था। वह इतना गर्वित इसलिए था क्योंकि उसने सोचा कि यह उसकी पत्नी को प्रसन्न कर देगा।)

Question 4.
How did Matilda get the jewels to wear to the ball?
(मेटिल्डा ने नृत्य-पार्टी में पहनने के लिए आभूषण कैसे प्राप्त किए ?)
Answer:
Matilda went to her friend Madame Forestier’s house. She told her the story of her distress. She borrowed a necklace of diamonds from her. In this way, she got jewels for the ball.
(मेटिल्डा अपनी सहेली श्रीमती फोरेस्टियर के घर गई। उसने उसे अपनी दर्द-भरी कहानी सुनाई। उसने उससे हीरों का एक हार उधार लिया। इस प्रकार उसने नृत्य-पार्टी के लिए आभूषण प्राप्त किए।)

Question 5.
What happened at the ball? Was her dream fulfilled?
(नृत्य-पार्टी में क्या हुआ ? क्या उसका सपना पूरा हुआ ?)
Answer:
At the ball Madame Loisel was a great success. She was the prettiest of all women. She was full of joy. All the men noticed her and asked her name. Her victory was complete. Her dream was fulfilled.
(नृत्य-पार्टी में श्रीमती लॉयसेल को महान सफलता प्राप्त हुई। वह सभी महिलाओं में सबसे अधिक सुंदर थी। वह बहुत अधिक प्रसन्न थी। सभी पुरुषों ने उसकी ओर ध्यान दिया और उसका नाम पूछा। उसकी विजय पूर्ण थी। उसका स्वप्न पूर्ण हो गया था।)

Question 6.
Why was she not delighted on receiving the invitation for the party?
(वह पार्टी का निमंत्रण पत्र पाकर प्रसन्न क्यों नहीं हुई ?)
Answer:
Mrs Loisel wanted to lead a life of luxury. She wanted to attend parties. One day her husband got an invitation to attend the party given by the Minister of Public Instruction. But she did not have a good dress to wear at the party. So she was not happy to get the invitation.
(श्रीमती लॉयसेल ऐश्वर्य का जीवन जीना चाहती थी। वह पार्टियों में जाना चाहती थी। एक दिन उसके पति को लोक शिक्षा मंत्री द्वारा पार्टी में आने का निमंत्रण पत्र मिला। मगर उसके पास पार्टी में पहनने के लिए अच्छी पोशाक नहीं थी। इसलिए वह निमंत्रण-पत्र पाकर प्रसन्न नहीं थी।)

Question 7.
Why was her husband saving money?
(उसका पति पैसा क्यों बचा रहा था ?)
Answer:
Her husband was fond of shooting birds. He wanted to take part in shooting larks next summer. Some of his friends were also going for shooting. So he was saving money. He wanted to purchase a gun with that money.
(उसके पति को पक्षियों का शिकार करने का शौक था। वह अगली गर्मियों में पक्षियों के शिकार में भाग लेना चाहता था। उसके कुछ मित्र भी शिकार पर जा रहे थे। इसलिए वह पैसा बचा रहा था। वह उस पैसे से बंदूक खरीदना चाहता था।)

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Question 8.
Why was Matilda married to a clerk?
(मेटिल्डा की शादी एक लिपिक से क्यों हुई ?)
Answer:
Matilda belonged to a family of clerks. Her parents were not rich. They did not have a big dowry for Matilda. She had no means to be married to a rich and famous man. So she was married to Loisel who was a clerk.
(मेटिल्डा लिपिकों के परिवार से संबंध रखती थी। उसके माता-पिता अमीर नहीं थे। उनके पास मेटिल्डा को देने के लिए अधिक दहेज नहीं था। उसके पास किसी अमीर और प्रसिद्ध व्यक्ति से शादी करने का साधन नहीं था। इसलिए उसकी शादी लॉयसेल से हुई जो एक लिपिक था।)

Question 9.
How did the Loisel react when they realized that the necklace had been lost?
(जब उन्होंने महसूस किया कि हार खो गया, तो लॉयसेल की कैसी प्रतिक्रिया थी?)
Answer:
When the Loisels realized that the necklace had been lost, it was a big blow for them. They made a big search for the necklace. They looked into the folds of Matilda’s dress. The husband searched the whole route by which they had come home.
(जब लॉयसेल ने महसूस किया कि हार खो गया है, तो यह उनके लिए एक बड़ा झटका था। उन्होंने हार के लिए एक बड़ी खोज की। उन्होंने मोटिल्डा की पोशाक की तहों में देखा। पति ने पूरे रास्ते की तलाशी ली, जिससे वे घर आए थे।)

Question 10.
Describe Matilda’s experience at the dance party.
(नृत्य पार्टी में मेटिल्डा के अनुभवों का वर्णन करो।)
Answer:
Matilda looked very charming at the dance party. All the men at the party looked at her. They asked her name. Everybody wanted to be introduced to her. The officers at the party wanted to dance with her. She danced with joy. She had a great sense of victory.
(मेटिल्डा नाच पार्टी में बहुत आकर्षक लग रही थी। पार्टी में सभी व्यक्तियों ने उसकी ओर देखा। उन्होंने उसका नाम पूछा। प्रत्येक व्यक्ति उसका परिचय प्राप्त करना चाहता था। पार्टी में अफसर भी उसके साथ नृत्य करना चाहते थे। उसने खुशी से नृत्य किया। उसमें महान जीत की भावना आ गई।)

Question 11.
When did the party end? What did Matilda find when she reached home?
(पार्टी कब संपन्न हुई ? जब वह घर पहुंची तो मेटिल्डा ने क्या देखा ?)
Answer:
The party ended at four o’clock in the morning. Matilda and her husband reached home. Matilda stood before the mirror. She wanted to see herself again with the necklace. But she was shocked to find that she had lost the necklace.
(पार्टी सुबह चार बजे संपन्न हुई। मेटिल्ला और उसका पति घर पहुंचे। मेटिल्डा दर्पण के सामने खड़ी हो गई। वह हार के साथ अपने आपको फिर से देखना चाहती थी। मगर उसे यह देखकर सदमा लगा कि उसका हार खो गया था।)

Question 12.
What efforts did Matilda and her husband make to look for the lost necklace?
(मेटिल्डा और उसके पति ने खोए हुए हार को ढूंढने के लिए क्या प्रयत्न किए ?)
Answer:
They looked into the folds of Matilda’s dress, in the folds of her cloak and in her pockets. Her husband searched the whole route by which they had come home. He returned at seven o’clock. He informed the police. He went to the newspaper’s office to announce a reward. But the lost necklace was not found.
(उन्होंने मेटिल्डा की पोशाक की तहों में, उसके चोगे की तहों में और उसकी जेबों में तलाश किया। उसके पति ने उस सारे रास्ते में तलाश किया जिस रास्ते से वे घर आए थे। वह सात बजे लौटकर आया। उसने पुलिस को सूचित किया। वह इनाम घोषित करने के लिए अखबार के कार्यालय में गया। लेकिन खोया हुआ हार नहीं मिला।)

Essay Type Questions

Question 1.
Describe in detail the kind of life that Mrs Loisel dreamed of.
(उस जीवन का विस्तार से वर्णन करो जिसे जीने का सपना श्रीमती लॉयसेल देखती थी।)
Or
Why did Mrs Loisel remain dissatisfied from her life?
(श्रीमती लॉयसेल अपने जीवन से असंतुष्ट क्यों रहती थी?)
Answer:
Mrs Loisel was pretty and charming. She was married to a clerk. She led an ordinary existence. But she was not happy with her life. She felt that she should have been bom in a rich family. She wanted to lead a life of luxury and comfort. She wanted to enjoy life. She dreamed of a big house in which there was very good furniture. She dreamed of beautiful and costly curtains. Mrs Loisel dreamed of her private room which was filled with very good perfume. She wanted to enjoy the company of rich and famous guests. When she sat down to dinner, she disliked her cheap and ordinary dining table. She disliked her simple meals. She dreamed of delicious dinners served in shining silver wares. She dreamed of having a number of attractive dresses and costly ornaments. In short, Mrs Loisel dreamed of a rich and luxurious life.

(श्रीमती लॉयसेल सुंदर और आकर्षक थी। उसकी शादी एक लिपिक से हुई थी। वह एक सादा जीवन जीती थी। लेकिन वह अपने जीवन से खुश नहीं थी। वह महसूस करती थी कि उसे अमीर परिवार में पैदा होना चाहिए था। वह ऐश्वर्य और आराम का जीवन जीना चाहती थी। वह जीवन का आनंद उठाना चाहती थी। वह एक बड़े घर का सपना देखती थी जिसमें अच्छा फीचर हो। वह सुंदर और महंगे पर्दो का सपना देखा करती थी। श्रीमती लॉयसेल एक ऐसे निजी कक्ष का सपना लेती थी जो अच्छी खुशबू से भरा हो। वह अमीर और प्रसिद्ध मेहमानों की संगति का आनंद उठाना चाहती थी। जब वह खाना खाने बैठती तो उसे अपने सस्ते और साधारण खाने की मेज़ से नफरत होने लगती थी। उसे अपने सादे भोजन भी अच्छे नहीं लगते थे। वह चांदी के बर्तनों में परोसे गए स्वादिष्ट भोजन का सपना देखा करती थी। वह बड़ी संख्या में आकर्षक पोशाकों और महंगे आभूषणों का सपना देखती थी। संक्षेप में श्रीमती लॉयसेल अमीर और ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का सपना देखा करती थी।)

Question 2.
What preparations did Mrs Loisel make for the ball?
(श्रीमती लॉयसेल ने नृत्य पार्टी के लिए क्या तैयारियां की?)
or
How did Matilda manage a new dress and jewellery for the ball?
(मटिल्डा ने नृत्य पार्टी के लिए एक नई पोशाक और आभूषणों की व्यवस्था कैसे की?)
Answer:
Mrs Loisel did not have a good dress to wear at the party. She told her husband that a suitable dress would cost four hundred francs. Her husband had been saving money in order to buy a gun. He gave up the idea of purchasing the gun. Mrs Loisel purchased a beautiful dress with that money. But Mrs Loisel was still not happy. Now she told her husband that she did not have any jewellery to wear at the party. Her husband asked her to request Mrs Forestier for help. Mrs Loisel and Mrs Forestier were very good friends. Mrs Forestier was very rich. She had a number of necklaces. Her husband suggested that she should borrow a necklace from her. Mrs Loisel liked the idea. She went to her friend. Mrs Forestier agreed to lend her a necklace. She showed her several of her necklaces. She asked Mrs Loisel to choose any of those necklaces. All these necklaces looked attractive and costly. At last Mrs Loisel selected a beautiful necklace and borrowed it. In this way, Mrs Loisel made preparations for the party.

(श्रीमती लॉयसेल के पास नृत्य पार्टी पर पहनने के लिए अच्छी पोशाक नहीं थी। उसने अपने पति को बताया कि एक उपयुक्त पोशाक पर चार सौ फ्रैंक लग जाएंगे। उसका पति एक बंदूक खरीदने के लिए पैसा बचा रहा था। उसने बंदूक खरीदने का विचार त्याग दिया। श्रीमती लॉयसेल ने उस पैसे से एक सुंदर पोशाक खरीदी।मगर श्रीमती लॉयसेल अब भी खुश नहीं थी। अब उसने अपने पति से कहा कि उसके पास नृत्य पार्टी में पहनने के लिए कोई आभूषण नहीं है। उसके पति ने उसे श्रीमती फोरेस्टियर से मदद के लिए प्रार्थना करने के लिए कहा। श्रीमती लॉबसेल और श्रीमती फोरेस्टियर बहुत अच्छी सहेलियां थीं। श्रीमती फोरेस्टियर बहुत अमीर थी। उसके पास बहुत सारे हार थे। उसके पति ने सलाह दी कि वह उससे एक हार उधार ले ले। श्रीमती लॉयसेल को यह उपाय बहुत अच्छा लगा। वह अपनी सहेली के पास गई। श्रीमती फोरेस्टियर उसे हार उधार देने के लिए तैयार हो गई। उसने उसे अपने बहुत सारे हार दिखाए। ये सब हार आकर्षक और महंगे लगते थे। अंत में श्रीमती लॉयसेल ने एक सुंदर हार का चुनाव किया और उसे उधार ले लिया। इस प्रकार श्रीमती लॉयसेल ने पार्टी के लिए तैयारियां कीं।)

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 3.
How did the couple’s life change after they raised the loan for the necklace?
(हार के लिए कर्ज का प्रबंध करने के बाद दंपति का जीवन कैसे बदल गया?)
Or
What kind of life did Matilda and her husband live after the loss of the diamond necklace?
(हीरे का हार खो जाने के उपरांत मेटिल्डा और उसका पति किस प्रकार का जीवन व्यतीत करते थे?)
Answer:
The couple needed thirty six thousand francs to purchase a diamond necklace and return it to Mrs Forestier. But Mr Loisel had only eighteen thousand francs with him. He raised a loan of eighteen thousand francs for purchasing the necklace. fe worked hard in order to repay that debt. They changed their lodgings. They shifted to a small room. They dismissed their maid. Mrs Loisel did all her household work herself. She had to be very frugal in her purchases. She bargained for small amounts. Mr Loisel did extra work in the evenings. Sometimes late at night he did the work of copying manuscripts. After ten years of hard work, they were able to pay off their debt. But because of hard work and misery, Mrs Loisel looked old. Ten years ago, she was pretty and charming. But now she looked unattractive. She had become an ordinary woman of a poor house. She remembered her past life with sadness. Sometimes she remembered that great party. She remembered how beautiful and attractive she had looked at the party. Thus the couple’s life was completely changed after they had raised the loan for the necklace.

(दंपत्ति को हीरों का हार खरीदने और उसे श्रीमती फोरेस्टियर को लौटाने के लिए छत्तीस हज़ार फ्रैंक की जरूरत थी। लेकिन श्रीमान लॉयसेल के पास केवल अठारह हज़ार फ्रैंक ही थे। उसने हार खरीदने के लिए अठारह हज़ार फ्रैंक के कर्ज़ का प्रबंध किया। अब लॉयसेल और उसकी पत्नी ने ऋण चुकाने के लिए कड़ा परिश्रम किया। उन्होंने अपनी रहने की जगह बदल ली। वे एक छोटे-से कमरे में रहने के लिए आ गए। उन्होंने अपनी नौकरानी को निकाल दिया। श्रीमती लॉयसेल घर का सारा काम स्वयं करती थी। उसे अपनी खरीददारी में भी बहुत कटौती करनी पड़ी। वह छोटी-छोटी राशियों के लिए सौदेबाज़ी करती थी। श्रीमान लॉयसेल ने शाम को अतिरिक्त कार्य किया। कई बार वह रात को देर तक पांडुलिपियों की प्रतियां बनाने का कार्य करता था। दस वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद वे अपना कर्ज चुकाने में सफल हो गए। लेकिन कठिन परिश्रम और कष्ट के कारण श्रीमती लॉयसेल बूढ़ी लगने लगी थी। दस वर्ष पहले वह सुंदर और आकर्षक थी। लेकिन अब वह अनाकर्षक लगती थी। वह एक गरीब घर की सामान्य स्त्री बन गई थी। वह अपने पुराने जीवन को उदासी से याद करती थी। कई बार वह उस महान पार्टी को भी याद करती थी। उसे याद आया कि वह उस पार्टी में कितनी सुंदर और आकर्षक लग रही थी। इस प्रकार दंपत्ति का जीवन हार के लिए कर्ज का प्रबंध करने के बाद पूर्णतया बदल गया।)

Question 4.
Write a brief character-sketch of Matilda Loisel.
(मेटिल्डा लॉयसेल का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।)
Answer:
Mrs Matilda Loisel is the central character in this story. She was born in a poor family. She was very pretty and attractive. She was married to a clerk. So she led to simple life. She always dreamed of a rich and luxurious life. She wanted to enjoy life fully. She wanted to attend parties. She borrowed a necklace from a friend to wear at a party. Everybody praised her beauty. But she lost the necklace. The loss of necklace changed her life. Her husband borrowed a lot of money to replace it. She and her husband worked hard for ten years to repay the debt. In the end, she came to know that the necklace was made of artificial diamonds.
Matilda was a woman of self-respect. She did not tell Mrs Forestier that she had lost the necklace. She decided to suffer in life but not to lose herself respect. She worked hard for ten years. She faced difficulties But she did not grumble. She suffered for no fault of hers. We feel sympathy for her.

(श्रीमती मेटिल्डा लॉयसेल इस कहानी की केंद्रीय पात्र है। उसका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। वह बहुत सुंदर और आकर्षक थी। उसकी शादी एक लिपिक से हुई थी। इसलिए वह सादा जीवन व्यतीत करती थी। वह सदा अमीर एवं ऐश्वर्यपूर्ण जीवन का सपना लेती थी। वह जीवन का पूर्ण आनंद उठाना चाहती थी। वह पार्टियों में जाना चाहती थी। मेटिल्डा एक दर्दनाक पात्र है। उसने एक पार्टी में पहनने के लिए अपनी एक सहेली से एक हार उधार लिया। हर व्यक्ति ने उसकी सुंदरता की तारीफ की। लेकिन उसने हार खो दिया। हार के खो जाने से उसका जीवन बदल गया। उसके पति ने हार को वापस देने के लिए बहुत अधिक पैसा उधार लिया। उसने एवं उसके पति ने कर्ज उतारने के लिए दस साल तक कड़ा परिश्रम किया। अंत में उसे पता चला कि हार नकली हीरों का बना हुआ था। मेटिल्डा आत्म-सम्मान वाली स्त्री थी। उसने श्रीमती फोरेस्टियर को यह नहीं बताया कि हार खो गया है। उसने निर्णय किया कि वह जीवन में कष्ट उठा लेगी लेकिन अपने आत्म-सम्मान को नहीं खोएगी। उसने कठिनाइयों का सामना किया। मगर उसने शिकायत नहीं की। उसने अपने किसी दोष के बिना कष्ट उठाया। हमें उसके लिए सहानुभूति महसूस होती है।)

Question 5.
What would have happened if Matilda had made the true confession to Mme Forestier?
(यदि मेटिल्डा मैडम फोरेस्टियर को सच्चाई बता देती तो क्या घटित होता?)
Answer:
Matilda would have saved herself and her husband a great deal of trouble if she had made the true confession to Mme Forestier. If Matilda had been truthful with Mme Forestier, she could have known from her that the necklace was of false diamonds. But Matilda had not the courage to speak the truth which cost her family full ten years. Matilda could easily have avoided a great deal of misery in her life by her confession. But she tried to hide the truth from her friend and so she and her husba
e truth from her friend and so she and her husband had to face a great deal of hardships and to lead a horrible life for ten years.

(यदि मेटिल्डा मैडम फोरेस्टियर के सामने सच्चाई को स्वीकार कर लेती तो वह स्वयं को तथा अपने पति को एक बहुत बड़े संकट से बचा सकती थी। यदि मेटिल्डा मैडम फोरेस्टियर को सच्चाई बता देती तो उसे उससे यह पता चल जाता कि वह हार नकली हीरों से बना हुआ था। लेकिन मेटिल्डा में सच बोलने का साहस नहीं था, जिसकी कीमत उसके परिवार को पूरे दस वर्षों में चुकानी पड़ी। सच्चाई को स्वीकार करके मेटिल्डा बहुत ही आसानी से इतने बड़े कष्टों से बच सकती थी। लेकिन उसने अपनी सहेली से सच्चाई छुपाने की कोशिश की और इसलिए उसे और उसके पति को बहुत अधिक कष्टों का सामना करना पड़ा और पूरे दस वर्ष तक भयानक कष्टों वाला जीवन व्यतीत करना पड़ा।)

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 6.
How did Matilda come to know the real cost of the necklace?
(मेटिल्डा को हार की असली कीमत का पता कैसे चला?)
Answer:
After a period of about ten years one evening Matilda came face to face with Mme. Forestier. Matilda recognised her and greeted her but Mme. Forestier did not recognise her. When Matilda told her about herself Mme. Forestier was stunned how she changed so much. At this Matilda told her whole tragedy. Then Mme forestier told her that her necklace was of false diamonds and its cost was just five hundred francs.
(दस साल की अवधि के बाद, एक शाम मेटिल्डा और मैडम फोरेस्टियर आमने-सामने आई। मेटिल्डा ने उसे पहचान लिया और उसका अभिवादन किया लेकिन मैडम फोरेस्टियर ने उसे नहीं पहचाना। जब मेटिल्डा ने उसे अपने बारे में बताया तो मैडम फोस्टियर चकित हो गई कि वह इतना कैसे बदल गई। इस पर, मेटिल्डा ने उसे पूरी कहानी बताई। तब मैडम फोरेस्टियर ने उसे बताया कि उसका हार नकली हीरों का था और उसकी कीमत केवल पाँच हजार फ्रैंक थी।)

Multiple Choice Questions

Question 1.
Matilda was born into a family of:
(A) ministers
(B) officers
(C) clerks
(D) shopkeepers
Answer:
(C) clerks

Question 2.
What did Matilda suffer from?
(A) delicacies
(B) luxuries
(C) poverty
(D) all of the above
Answer:
(C) poverty

Question 3.
Whom was Matilda married to?
(A) a petty clerk
(B) a minister
(C) an officer
(D) a businessman
Answer:
(A) a petty clerk

Question 4.
One day Mr Loisel received an invitation from:
(A) the Minister of Health
(B) the Minister of Home Affairs
(C) the Minister of Sea Affairs
(D) the Minister of Public Instruction
Answer:
(D) the Minister of Public Instruction

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 5.
How did Loisel feel on receiving the invitation?
(A) sad
(B) elated
(C) puzzled
(D) surprised
Answer:
(B) elated

Question 6.
Why did Mrs Loisel throw the invitation spitfully?
(A) she had no jewellery to wear
(B) she had not any beautiful dress to wear
(C) she did not like parties
(D) both (A) and (B)
Answer:
(D) both (A) and (B)

Question 7.
For what had Loisel saved four hundred francs?
(A) to buy a gun
(B) to buy a T.V.
(C) to buy a shirt
(D) to buy a bicycle
Answer:
(A) to buy a gun

Question 8.
From where did Mrs Loisel borrow the necklace?
(A) Mme Hillary
(B) Mme Forestier
(C) Mme Marry
(D) Mme Anne
Answer:
(B) Mme Forestier

Question 9.
What did Mrs Loisel borrow from Mme Forestier?
(A) a bracelet
(B) a necklace
(C) a Venetian Crosszx
(D) all of the above
Answer:
(B) a necklace

Question 10.
How did Mrs Loisel perform at the ball?
(A) she had a great success
(B) none noticed her
(C) she did not enjoy the ball
(D) all of the above
Answer:
(A) she had a great success

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 11.
Matilda always remained:
(A) happy
(B) unhappy
(C) contended
(D) delighted
Answer:
(B) unhappy

Question 12.
When did Mr. and Mrs. Loisel return home from the ball?
(A) at 2 a.m.
(B) at 3 a.m.
(C) at 4 a.m.
(D) at 5 a.m.
Answer:
(C) at 4 a.m.

Question 13.
What spoiled Mr. and Mrs. Loisel pleasure?
(A) the loss of necklace
(B) the loss of dress
(C) the loss of money
(D) all of the above
Answer:
(A) the loss of necklace

Question 14.
Did they find the lost necklace?
(A) yes
(B) no
(C) may be
(D) not known
Answer:
(B) no

Question 15.
How much Loisels had to spend to replace the necklace?
(A) eighteen thousand francs
(B) thirty six thousand francs
(C) forty thousand francs
(D) fifty thousand francs
Answer:
(B) thirty six thousand francs

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 16.
What change came in the life of Loisels after raising a big loan?
(A) they sent away the maid
(B) they changed their lodgings
(C) they rented some rooms in an attic
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Question 17.
How did the loan affect Mrs. Loisel’s life?
(A) she learned the odious work of a kitchen
(B) she washed the dishes
(C) she took down the refuse to the street
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Question 18.
How much time did they take to repay the loan?
(A) two years
(B) five years
(C) ten years
(D) twenty years
Answer:
(C) ten years

Question 19.
What was the actual cost of Mme Forestier’s necklace?
(A) five hundred francs
(B) ten thousand francs
(C) one hundred francs
(D) five thousand francs
Answer:
(A) five hundred francs

Question 20.
Did Mrs. Loisel come to know the real cost of the necklace?
(A) yes
(B) no
(C) may be
(D) may not be
Answer:
(A) yes

JAC Class 10 English Solutions Footprints without Feet Chapter 7 The Necklace

Question 21.
Who is the writer of the lesson ‘The Necklace?
(A) Robert W. Peterson
(B) Guy de Maupassant
(C) Sinclair Lewis
(D) K.A. Abbas
Answer:
(B) Guy de Maupassant

The Necklace Summary in English

The Necklace Introduction in English

The Necklace’ is one of the well known stories of Maupassant. The story centres round Matilda Loisel, who is a beautiful woman. She suffers greatly because of her desire to appear rich and fashionable. She is married to a clerk and leads an ordinary life. But she wants to be rich and famous. Her husband gets an invitation to attend a dance party given by the Minister of Public Instruction. Matilda borrows a diamond necklace from her rich friend Madame Forestier to wear it at the party. She looks charming and everybody praises her. But when she returns home, she finds that she has lost the necklace. She and her husband borrow a big amount of money to replace the necklace. Both of them work hard for ten years to pay off their debt. Their life becomes miserable. One day, after the debt is paid off, Matilda comes across Madame Forestier. Matilda is shocked to learn from her that the necklace was made of artificial diamonds and its price was not more than 500 francs.

The Necklace Summary in English

“The Necklace’ is a touching story. The story centers around Matilda Loisel. She is a very charming young lady. She is married to a clerk. She is not satisfied with her ordinary life. She wants to enjoy comforts and luxuries of life. She is jealous of her own schoolmates, who are rich. One day her husband gets an invitation to attend the dance party given by the Minister of Public Instruction. He thinks that she will be happy to get the invitation. But she becomes sad. She tells her husband that she has nothing to wear at the party. Her husband spends all his savings and buys a beautiful gown for her. Now she complains that she has no jewelry or ornament. Without it she will be considered a poor lady. Her husband advises her to borrow some ornaments from her wealthy friend Madame Forestier. She goes to Madame Forestier’s house and borrows a beautiful diamond necklace.

At the party, Matilda looks very beautiful. All the men at the party pay attention to her. They want to be introduced to her. They want to dance with her. Even the Minister pays attention to her. She is filled with joy. She dances with pleasure. She leaves the hall at four o’clock in the morning. When she reaches home, she stands before the mirror to praise her own beauty. But suddenly she utters a cry. She has lost the diamond necklace somewhere. Her husband goes out to see if he can find it. He searches for the necklace everywhere. But he does not find it. Matilda and her husband are greatly depressed.

Matilda’s husband advises her to write to her friend that she has sent the necklace for repairs. It will give them some time to buy another necklace. They go from shop to shop to purchase a similar necklace. At last they find a necklace similar to the lost one. The bargain is settled at 36,000 francs. Matilda’s husband borrows the money at a high interest. They buy the necklace and return it to Madame Forestier. She does not even open the box to look at the necklace.

Now Matilda and her husband are under heavy debt. They work hard to pay off this debt. Their life becomes miserable. They dismiss their servant. They move to a cheap house. Matilda does all the household work herself. Her husband works in the evening and late at night to pay off the debt. They work hard for ten years. At last, they are able to pay off their debt. Now Matilda looks old. She is no longer charming.

One Sunday, Matilda goes out for a walk. She comes across Madame Forestier and talks to her. Madame Forestier is surprised to see Matilda so changed. Matilda tells her the story of her hard life. She tells Madame Forestier that she has suffered greatly because of her. Then she tells Madame Forestier the whole story. She tells her how she lost her necklace and bought another one for thirty six thousand francs. She tells Madame Forestier that it has taken them ten years to pay off the debts. Madame Forestier is moved to hear the whole story. Then she tells Matilda that her necklace was made of artifical diamonds. It was worth only five hundred francs.

The Necklace Summary in Hindi

The Necklace Introduction in Hindi

(‘TheNecklace’ Maupassant की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। यह कहानी मेटिल्डा लॉयसेल पर केंद्रित है, जो एक सुंदर स्त्री है। वह अपनी अमीर और फैशनेबल नज़र आने की इच्छा के कारण बहुत दुःख उठाती है। उसकी शादी एक लिपिक के साथ हुई है और वह एक साधारण जीवन बिताती है। मगर वह अमीर और प्रसिद्ध बनना चाहती है। उसके पति को लोक शिक्षा मंत्री द्वारा नृत्य पार्टी पर आने का निमंत्रण मिलता है। पार्टी पर पहनने के लिए मेटिल्डा अपनी अमीर सहेली श्रीमती फोरेस्टियर से हीरों का एक हार उधार लेती है। वह आकर्षक लगती है और हर व्यक्ति उसकी प्रशंसा करता है। लेकिन जब वह घर पहुंचती है, तो वह देखती है कि उसका हार खो गया है। वह और उसका पति हार लौटाने के लिए बहुत बड़ी राशि उधार लेते हैं। दोनों अपना कर्जा चुकाने के लिए दस वर्ष तक कड़ी मेहनत करते हैं। उनकी जिंदगी कष्टपूर्ण हो जाती है। कर्जा चुकाने के बाद, एक दिन, मेटिल्डा की मुलाकात श्रीमती फोरेस्टियर से होती है। मेटिल्डा उससे यह जानकर हैरान हो जाती है कि वह हार नकली हीरों का बना हुआ था और उसकी कीमत केवल 500 फ्रैंक थी।)

The Necklace Summary in Hindi

‘The Necklace’ एक मार्मिक कहानी है। कहानी मेटिल्डा लॉयसेल के चारों ओर केंद्रित है। वह बहुत आकर्षक युवा स्त्री है। उसकी शादी एक लिपिक से हुई है। वह अपने साधारण जीवन से संतुष्ट नहीं है। वह जीवन के आराम और ऐश्वर्यों का आनंद उठाना चाहती है। वह अपने स्कूल की सखियों से जलती है, जो अमीर हैं।
एक दिन उसके पति को लोक निर्देशक मंत्री द्वारा एक नृत्य पार्टी में आने का निमंत्रण मिलता है। वह सोचता है कि वह निमंत्रण पाकर खुश होगी। लेकिन वह उदास हो जाती है। वह अपने पति को बताती है कि उसके पास पार्टी में पहनने के लिए कुछ भी नहीं है। उसका पति अपनी सारी जमा पूंजी खर्च कर देता है और उसके लिए एक सुंदर लबादा खरीदता है। अब वह शिकायत करती है कि उसके पास गहने या आभूषण नहीं हैं। इसके बिना उसे गरीब स्त्री समझा जाएगा। उसका पति उसे अपनी अमीर सहेली श्रीमती फोरेस्टियर से कोई आभूषण उधार लेने की सलाह देता है। वह श्रीमती फोरेस्टियर के घर जाती है और एक संदर हीरे का हार उधार ले लेती है।

पार्टी में मेटिल्डा बहुत सुंदर लगती है। पार्टी में सभी व्यक्ति उसकी तरफ ध्यान देते हैं। वे उससे परिचित होना चाहते हैं। वे उसके साथ नृत्य करना चाहते हैं। यहां तक कि मंत्री भी उसकी तरफ ध्यान देता है। वह खुशी से भर जाती है। वह खुशी से नृत्य करती है। वह हाल से सुबह चार बजे निकलती है। जब वह घर पहुंचती है तो वह अपनी सुंदरता की तारीफ करने के लिए दर्पण के आगे खड़ी होती है। लेकिन अचानक वह चीख मारती है। उसने हीरों का हार कहीं खो दिया है। उसका पति बाहर चला जाता है ताकि वह उसे ढूंढ सके। वह हार की सब जगह तलाश करता है, लेकिन उसे वह नहीं मिलता। मेटिल्डा और उसका पति उदास हो जाते हैं। . मेटिल्डा का पति उसे अपनी सहेली को यह लिखने की सलाह देता है कि उसने हार को मुरम्मत के लिए भेजा है। इससे उन्हें एक अन्य हार खरीदने का मौका मिल जाएगा। वे ऐसा हार खरीदने के लिए कई दुकानों पर जाते हैं। आखिर उन्हें खोए हुए हार की तरह का एक हार मिल जाता है। सौदा 36,000 फ्रैंक में तय होता है। मेटिल्डा का पति ऊंचे ब्याज पर पैसा उधार ले लेता है। वे हार खरीदकर श्रीमती फोरेस्टियर को वापिस कर देते हैं। वह हार को देखने के लिए बक्सा भी नहीं खोलती।

अब मेटिल्डा और उसका पति भारी कर्जे में दब जाते हैं। वे इस कर्जे को चुकाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। उनका जीवन कष्टदायक बन जाता है। वे अपने नौकर को हटा देते हैं। वे सस्ते घर में चले जाते हैं। मेटिल्डा सभी घरेलू कार्य स्वयं करती है। उसका पति शाम को और देर रात तक कर्ज चुकाने के लिए काम करता है। वे दस वर्ष तक कठिन परिश्रम करते हैं। आखिर वे अपना कर्ज चुकाने में सफल हो जाते हैं। अब मेटिल्डा बूढ़ी नज़र आती है। अब वह आकर्षक नहीं लगती। एक रविवार मेटिल्डा सैर पर जाती है। उसकी मुलाकात श्रीमती फोरेस्टियर से होती है और वह उससे बात करती है। श्रीमती फोरेस्टियर, मेटिल्डा को इतना बदला हुआ देखकर हैरान हो जाती है। मेटिल्डा उसे अपने कठिन जीवन की कहानी सुनाती है। वह श्रीमती फोरेस्टियर को बताती है कि उसने उसके कारण बहुत कष्ट उठाए हैं। तब वह श्रीमती फोरेस्टियर को सारी कहानी सुनाती है। वह उसे बताती है कि उसने किस प्रकार उसका हार खो दिया था और वैसा ही हार 36,000 फ्रैंक में खरीदा था। वह श्रीमती फोरेस्टियर को बताती है कि उन्हें कर्जा चुकाने के लिए दस वर्ष लग गए। श्रीमती फोरेस्टियर सारी कहानी सुनकर द्रवित हो जाती है। तब वह मेटिल्डा को बताती है कि उसका हार नकली हीरों का बना हुआ था। यह केवल 500 फ्रैंक मूल्य का था।

The Necklacet Translation in Hindi

[PAGE 39]: (मेटिल्डा को एक शानदार पार्टी में आमंत्रित किया जाता है। उसके पास एक सुंदर पोशाक है लेकिन आभूषण नहीं है। वह एक सहेली से एक हार उधार लेती है। और उसे खो देती है। तब क्या होता है?) वह उन सुंदर, युवा महिलाओं में से एक थी, जिसने दुर्भाग्य से, लिपिकों के घर में जन्म लिया था। उसके पास न दहेज, न आशाएं, और न ही प्रसिद्ध बनने के लिए साधन थे, जिनके माध्यमसे कोई अमीर या विशिष्ट व्यक्ति उससे प्यार करे या शादी करे; और उसने स्वयं को शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में काम करने वाले एक लिपिक के साथ शादी करने के लिए राजी कर लिया। वह साधारण थी, परंतु वह दुःखी थी। वह निरंतर यह सोचकर दुःखी रहती थी कि, उसका जन्म सभी प्रकार की कोमलताओं और सुख-सुविधाओं के लिए हुआ है। वह अपने घर की निर्धनता, भद्दी दीवारों और टूटी-फूटी कुर्सियों के कारण दुःखी रहती थी। ये सभी चीजें उसे परेशान और क्रोधित कर देती थीं। जब वह अपने पति के सामने रात्रि भोजन करने बैठती, जिसने आनंदित होकर बड़े कटोरे पर से कपड़ा हटाते हुए कहा, “अरे! बड़े अच्छे मालपुए हैं! मैं जानता हूं इससे अधिक स्वादिष्ट कुछ नहीं हो सकता…..”, वह भव्य रात्रि भोज पार्टियों, चमकदार चांदी के बारे में और शानदार प्लेटों में परोसे गए विशिष्ट भोजन के बारे में सोचा करती थी। उसके पास न तो फ्रॉक थी और न ही आभूषण, कुछ भी नहीं। और वह केवल उन्हीं वस्तुओं से प्यार करती थी। उसकी एक अमीर सहेली थी, जो कॉन्वेंट स्कूल में उसके साथ पढ़ती थी, वह उसके घर जाना पसंद नहीं करती थी जब वह उसके घर से लौटती थी तो बहुत दुःखी होती थी। वह कई दिनों तक निराशा और परेशानी के कारण रोती रहती थी। एक शाम उसके पति अपने हाथ में एक बड़ा लिफाफा लिए गर्व के साथ लौटे। “यह है,” उसने कहा “यह तुम्हारे लिए कुछ है।”

[PAGE 40]: उसने जल्दी से एक छपा हुआ कार्ड बाहर निकाला, जिस पर ये शब्द लिखे हुए थे “लोक निर्देशक मंत्री और श्रीमती जॉर्ज रामपौन्यु 18 जनवरी दिन सोमवार सायं को श्री और श्रीमती लॉयसेल को मंत्री के आवास पर सादर आमंत्रित करते हैं।’ प्रसन्न होने के स्थान पर, जैसा कि उसके पति को आशा थी, उसने बुड़बुड़ाते हुए ईर्ष्यापूर्वक पत्र को मेज के ऊपर फेंक दिया, “आपके विचार में मेरा इससे क्या लेना देना है ?” “लेकिन, मेरी प्रिय, मैंने सोचा था कि यह आपको प्रसन्न कर देगा। आप कभी बाहर नहीं जाती हो, और यह एक अवसर है, और एक बढ़िया अवसर ! ऐसे अवसर की तो प्रत्येक को इच्छा होती है, और यह तो एक बहुत ही चुना हुआ अवसर है; इस प्रकार के अवसर अधिकतर कर्मचारियों को नहीं मिला करते। वहां आप समूचे कर्मचारी वर्ग के दर्शन करोगी।” उसने उसकी ओर चिढ़ी हुई नज़रों से देखा और अधीरता से घोषणा कर दी, “आप क्या सोचते हैं ऐसे अवसर पर मैं ऐसे वस्त्र पहनूंगी?” उसने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था; वह हकलाकर बोला, “क्यों, जो पोशाक पहनकर तुम थियेटर जाती हो। वह मुझे सुंदर लगती है वह अपनी पत्नी को रोता हुआ देखकर, दुःख के कारण, घबराकर, मौन हो गया। वह हकलाकर बोला, “क्या बात है ? क्या बात है?” काफी प्रचंड प्रयत्न से, उसने अपनी पीड़ा पर काबू पाया और अपनी गीली गालों को पोंछते हुए एक शांत आवाज़ में उत्तर दिया, “कुछ बात नहीं है। केवल मेरे पास वस्त्र नहीं हैं और परिणामस्वरूप से मैं इस पार्टी में नहीं जा सकती हूं। अपना निमंत्रण पत्र किसी सहकर्मी को दे देना जिसकी पत्नी मेरे से अधिक सुसज्जित हो।” वह दुःखी था, लेकिन उत्तर दिया, “मेटिल्डा, आओ पता करें। एक सही वेशभूषा पर कितनी लागत आएगी, कोई ऐसी वेशभूषा जो अन्य अवसरों पर भी काम आ सके, कोई बहुत ही साधारण सी चीज़?”

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[PAGES 40-41]: उसने कुछ समय के लिए अपने दिमाग पर बल दिया और उस रकम (धन) के बारे में सोचने लगी कि जिससे उसे उसी क्षण इंकार का सामना न करना पड़े और बचत करने वाला लिपिक भयभीत और हैरान न हो। अंत में उसने संकुचाते हुए स्वर में कहा, “मैं सही-सही नहीं बता सकती, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि चार सौ फ्रैंक में काम चल जाएगा।

[PAGE 41]: वह जरा-सा पीला पड़ गया, क्योंकि उसने यह धन एक बंदूक खरीदने के लिए बचाया था ताकि अगली ग्रीष्म ऋतु में, वह किसी दल के साथ शिकार पर जा सके, कुछ मित्रों के साथ जो रविवार को पक्षियों का शिकार करते थे। फिर भी उसने उत्तर दिया, “बहुत अच्छा। मैं आपको चार सौ फ्रैंक दे दूंगा। लेकिन एक सुंदर वेशभूषा खरीदने का प्रयास करना।”
नृत्य-पार्टी का दिन आ पहुंचा और श्रीमती लॉयसेल उदास, परेशान और चिंतित नज़र आई। जबकि, उसकी वेशभूषा लगभग तैयार थी। एक शाम उसके पति ने उससे कहा, “आपको क्या परेशानी है? आप दो-तीन दिनों से विचित्र-सा व्यवहार कर रही हो।” और उसने उत्तर दिया, “मैं परेशान हूं क्योंकि मेरे पास आभूषण नहीं हैं, अपने आपको सजाने-संवारने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं बिल्कुल गरीबी से त्रस्त लगूंगी। मैं इस पार्टी में नहीं जाना पसंद करूंगी।” उसने उत्तर दिया, “आप कुछ प्राकृतिक फूल पहन सकती हो। इस मौसम में वे बहुत फैशन वाले लगते हैं।” वह संतुष्ट नहीं थी। “नहीं,” उसने उत्तर दिया, “अमीर महिलाओं के बीच में भद्दा प्रदर्शन करने से अपमानित होने से अधिक और कुछ नहीं है।”

तब उसका पति चीख उठा, “हम कितने मूर्ख हैं ! जाओ, और अपनी सहेली श्रीमती फोरेस्टियर को ढूंढो और उसे अपने आभूषण उधार देने के लिए कहो।” उसने खुशी के मारे चीख मारी, “यह ठीक है!” उसने कहा, “मैंने तो इसके बारे में सोचा भी नहीं था।” अगले दिन वह अपनी सहेली के घर गई और अपने दर्द की कहानी उसे सुनाई। श्रीमती फोरेस्टियर अपनी गुप्त कोठरी में गई, और आभूषणों का एक बड़ा डिब्बा, बाहर निकालकर लाई, उसे खोला, और कहा, “मेरी प्रिय, इनमें से पसंद कर लो।” शरू में उसने कछ कंगन देखे, तब मोतियों का एक पड़ा देखा, तब सराहनीय कारीगिरी वाला सोने और जवाहरात का एक वेनेटियन क्रास देखा। उसने आईने के सामने आभूषणों को पहनकर देखा, थोड़ा संकुचाई, लेकिन निर्णय नहीं कर पाई कि उन्हें ले या छोड़ दे। तब उसने पूछा, “क्या आपके पास और कुछ नहीं है ?” “क्यों, हां। आप स्वयं देख लो। मुझे मालूम नहीं आप किस चीज को पसंद करोगी।” अचानक, उसने साटिन के काले रंग के एक डिब्बे में, हीरों का एक बहुत बढ़िया हार पाया। उसके हाथ कांपने लगे जब उसने उसे बाहर निकाला। उसने उसे अपनी वेशभूषा के साथ मिलाते हुए अपने गले से लगाया और आनंद-विभोर हो गई। तब उसने, थोड़ा हिचकते हुए, लेकिन पूरी उत्सुकता के साथ कहा, “क्या आप मुझे यह उधार दोगी ? केवल यह ?” “क्यों, हां, अवश्य ही।”

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[PAGE 42] : वह अपनी सहेली की गर्दन पर गिर गई, स्नेहपूर्वक आलिंगन किया और तब अपने खजाने (हार) को लेकर चली गई। नृत्य पार्टी का दिन आ गया। श्रीमती लॉयसेल को महान सफलता मिली। वह पार्टी में सबसे अधिक सुंदर, शान वाली, सुहावनी मुस्कान वाली और प्रसन्नता से भरपूर लग रही थी। सभी पुरुषों ने उसकी ओर देखा, उसका नाम पूछा, और उसके साथ परिचय करना चाहा। वह खुशी में मस्त होकर धूमधाम से नाची, सिवाय अपनी प्रशंसा के किसी अन्य बात की नहीं सोची, यह विजय इतनी संपूर्ण और हृदय को मीठी लगने वाली।
वह सुबह लगभग चार बजे घर लौटी। उसका पति लगभग आधी रात से ही एक छोटे से बाहरी कक्ष में अर्द्ध-सुप्त अवस्था में पड़ा था, उसके साथ तीन और भद्रपुरुष भी थे, जिनकी पलियां स्वयं पार्टी का अत्यधिक आनंद ले रही थीं। उसने अपनी पत्नी के कंधों पर वे शाल लपेट दिए जो वे अपने साथ लाए थे, जिनकी गरीबी पार्टी की शानदार वेशभूषा से मेल नहीं खा रही थी। वह जल्दी में वहां से निकल जाना चाहती थी कहीं दूसरी औरतें उसे देख न लें, जिन्होंने मूल्यवान रोओं वाले वस्त्र पहन रखे थे। लॉयसेल ने उसे रोका, “प्रतीक्षा करो,” उसने कहा, “मैं गाड़ी मंगवा रहा हूं।”
परंतु उसने उसकी बात अनसुनी कर दी और तेजी से सीढ़ियां उतर गई। जब वे गली में आ गए, तो वहां उन्हें कोई वाहन नजर नहीं आया; और उन्होंने वाहन की तलाश करनी शुरू कर दी और वे एक गाड़ीवान को आवाजें देने लग गए जिसे उन्होंने कुछ दूरी पर देखा था।

वे निराश और कांपते हुए साथ-साथ नदी की ओर चल दिए। अंत में उन्हें एक वैसा ही पुराना छकड़ा मिल गया जैसा दिन छिपने के बाद पैरिस के अंदर दिखाई देता है। वह छकड़ा उन्हें उनके दरवाजे तक ले गया और वे थके माद अपने कमरे तक पहुंचे। उसके लिए सभी कुछ संपन्न हो चुका था और उसके पति को याद आया कि उसे दस बजे तक कार्यालय पहुंचना है। उसने आइने के सामने खड़े होकर अपने कंधों से शाल उतारे, अपने आपको पूरी शान में अंतिम बार देखने के लिए। अचानक उसने एक चीख मारी। उसका हार उसके गले में नहीं था। लॉयसेल, जो पहले ही आधे वस्त्र उतार चुका था, ने पूछा, “क्या बात है ?” वह चिंतापूर्वक उसकी ओर मुड़ी। “मेरे पास….मेरे पास…..मेरे पास अब श्रीमती फोरेस्टियर का हार नहीं है।” वह दुःखी होकर उठा, “क्या! यह कैसे हो गया ? यह संभव नहीं है।” और उन्होंने कपड़ों की तहों में, लबादे की तहों में, जेबों में सभी जगह देखा। उन्हें यह नहीं मिला। उसने पूछा, “आपको यकीन है जब हमने मंत्री का घर छोड़ा, तब वह तुम्हारे पास था ?”

[PAGE 43]: “हां, जब हम बाहर आए तो मैंने यह महसूस किया था।” “लेकिन अगर तुमने उसे गली में खोया होता तो, हमें उसके गिरने की आवाज़ सुनाई देनी चाहिए थी। वह अवश्य ही गाड़ी में गिर गया होगा।” “हां, यह संभव है। क्या तुमने गाड़ी का नंबर लिया था ?” “नहीं, और तुमने, क्या तुमने देखा था कि नंबर क्या था?” “नहीं” दोनों ने लज्जित नज़रों से एक-दूसरे को देखा। आखिर में लॉयसेल ने पुनः वस्त्र पहन लिए। “मैं जा रहा हूं”, उसने कहा “उस रास्ते पर जहां हम पैदल चले थे और देखता हूं कि कहीं वह मुझे मिल जाए।” और वह चला गया। वह अपने रात के लबादे में रही, उसमें बिस्तर पर लेटने की हिम्मत नहीं थी। लगभग सात बजे उसका पति लौट आया। उसे कुछ भी नहीं मिला था। वह पुलिस और गाड़ी वालों के कार्यालय में गया, और समाचार-पत्र में इनाम की पेशकश के साथ विज्ञापन भी दिया। उसने इस भयानक तबाही के कार्य से पहले परेशानी की स्थिति में सारा दिन प्रतीक्षा की। लॉयसेल शाम को लौटा, उसका चेहरा पीला था, उसे कुछ भी पता नहीं चल पाया था।

उसने कहा, “अपनी सहेली को पत्र लिख दो कि तुम्हारे से हार का एक कुंदा टूट गया है और तुम उसकी मुरम्मत करवा दोगी। इससे हमें समय मिल जाएगा। जैसा उसने बताया उसने वैसा लिख दिया। एक सप्ताह के बाद उनकी सारी आशाएं लुप्त हो गई। और लॉयसेल ने, जो कि लगभग पांच वर्ष अधिक बूढ़ा हो गया था घोषणा की, “हमें बदले में आभूषण देना चाहिए।” की एक दुकान में, उन्हें हीरों का एक हार दिखाई दिया, जो उन्हें बिल्कुल वैसा ही लगा जैसा उन्होंने खोया था। उसकी कीमत चालीस हज़ार फ्रैंक थी। उन्हें यह छत्तीस हज़ार फ्रैंक में मिल सकता था। लॉयसेल के पास अठारह हज़ार फ्रैंक थे, जो उसका पिता उसके लिए छोड़कर गया था। शेष उसने उधार लिया। उसने तबाह कर देने वाले करार किए, सूदखोरों से पैसे उधार लिए और अन्य सभी देनदारों से पैसे उधार लिए। तब वह नया हार प्राप्त करने के लिए गया, उसने व्यापारी के काऊंटर पर छत्तीस हज़ार फ्रैंक जमा करवा दिए। जब श्रीमती लॉयसेल आभूषणों को लेकर श्रीमती फोरेस्टियर के पास गई, तो श्रीमती फोरेस्टियर ने रूखे स्वर में उससे कहा, “आपको ये मुझे जल्दी लौटा देने चाहिएं थे, क्योंकि मुझे इनकी आवश्यकता पड़ सकती थी।”

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[PAGE 44]: जैसाकि श्रीमती लॉयसेल को भय था श्रीमती फोरेस्टियर ने आभूषणों के डिब्बे को खोलकर नहीं देखा। यदि वह अदला-बदली को देख लेती तो क्या सोचती ? वह क्या कहती ? क्या वह उसे चोर समझती? श्रीमती लॉयसेल को अब आवश्यकता के भयानक जीवन का पता चल गया। उसने पूर्णतया, बड़ी बहादुरी से, अपनी भूमिका अदा की। इस भयानक कर्ज को चुकाना आवश्यक था। वह उसे चुकाएगी। उन्होंने नौकरानी को हटा दिया, उन्होंने अपना घर बदल लिया; उन्होंने एक अटारी में कुछ कमरे किराये पर ले लिए। उसने रसोई के घृणित काम को सीख लिया। उसने बर्तन मांजे। उसने गंदे कपड़े धोए, उसने लोगों के कपड़े धोए और तश्तरियों को ढकने वाले कपड़े धोए और उन्हें सूखने के लिए रस्सी पर टांग दिया। वह हर सुबह घर का कूड़ा बाहर गली में निकालती, पानी लाती और नीचे उतरते समय सांस लेने के लिए ठहर जाती थी। और किसी साधारण महिला की तरह वस्त्र पहनती थी, वह पंसारी, मांस-विक्रेता और फल विक्रेता के पास अपनी बाजू पर टोकरी टांगकर खरीददारी करने के लिए जाती थी और अपनी दयनीय धनराशि की अंतिम सीमा तक सौदेबाजी करती थी। पति शाम में भी काम करता था, किसी व्यापारी की पुस्तकों को क्रम में रखता था, और रात को प्रायः पांच सॉस प्रति पेज के हिसाब से प्रतिलिपि बनाया करता था। और इस प्रकार का जीवन दस वर्ष तक चलता रहा। दस वर्ष के अन्त में, उनका जीवन ऋण मुक्त हो गया।

अब श्रीमती लॉयसेल बूढ़ी नज़र आती थी। वह काफी शक्तिशाली कठोर महिला और एक गरीब परिवार की सूखी महिला बन चुकी थी। उसके बाल बुरी तरह संवारे हुए थे, उसकी स्कों में सिलवटें पड़ी हुई थीं, उसके हाथ लाल हो गए थे, वह ऊंचे स्वर में बोलती थी, और बड़ी-बड़ी बाल्टियों में पानी भरकर फर्श को धोती थी। लेकिन कई बार, जब उसका पति कार्यालय में गया होता था, तो वह खिड़की के सामने बैठ जाया करती थी और पुराने समय वाली उस सायंकालीन पार्टी के बारे में सोचा करती थी, उस नृत्य-पार्टी के बारे में सोचा करती थी जिसमें वह सबसे अधिक सुंदर और प्रशंसा की पात्र थी। . यदि वह हार न खोया होता तो कैसा होता ? कौन जानता है ? जीवन कितना अकेला है, और कितना परिवर्तनों से भरा हुआ है। कितनी छोटी-सी चीज़ व्यक्ति के जीवन को नष्ट कर सकती है और बचा सकती है! रविवार की एक शाम को जब वह Champs Elysees में सप्ताह भर की चिंताओं से स्वयं को मुक्त करने के लिए टहल रही थी, अचानक उसे एक बच्चे के साथ सैर कर रही महिला नज़र आई। यह श्रीमती फोरेस्टियर थी, अभी भी युवा, सुंदर और आकर्षक थी।

श्रीमती लॉयसेल हैरान रह गई। क्या उसे उसके साथ बात करनी चाहिए? हां, निश्चित रूप से। और अब तो वह ऋणमुक्त हो चुकी है, वह उसको सब कुछ बताएगी। क्यों नहीं? वह उसके पास गई, “सुप्रभात, जीन।” उसकी सहेली ने उसे नहीं पहचाना और उस सामान्य महिला द्वारा परिचितों की भांति संबोधित किए जाने पर वह हैरान थी। वह हकलाकर बोली, “लेकिन, श्रीमती मैं आपको नहीं जानती-शायद आपको भ्रम हो गया है.” “नहीं, मैं मेटिल्डा लॉयसेल हूं।” उसकी सहेली आश्चर्य से चीख पड़ी, “अरे! मेरी बेचारी मेटिल्डा! आप कैसे बदल गई हो!”

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[PAGE 45]: “हां, जब से मेरी आपसे पिछली मुलाकात हुई थी तब से मुझे कुछ मुश्किल दिनों का सामना करना पड़ा है; और बहुत दयनीय स्थिति से गुजरना पड़ा है और यह सभी कुछ आपके कारण हुआ है “मेरे कारण ? वह कैसे ?” “क्या आपको हीरों का वह हार याद है जो कमिश्नर की नृत्य पार्टी में पहनने के लिए आपने मुझे उधार दिया था?” “हां, बहुत अच्छी तरह से”
“ठीक है, मैंने उसे खो दिया था।” “वह कैसे हुआ, वह तो तभी तुमने मुझे लौटा दिया था?” “मैंने बिल्कुल उस जैसा दूसरा हार लौटाया था। और उस हार की कीमत चुकाने में हमें दस वर्ष लग गए। आप समझ सकती हो कि यह हमारे लिए, जिनके पास कुछ भी नहीं था, चुकाना बहुत मुश्किल था। लेकिन अब चुकाया जा चुका है और मैं पूर्णतया संतुष्ट हूं।” श्रीमती फोरेस्टियर हैरान (दंग) रह गई। उसने कहा, “तुमने कहा कि तुमने मेरे हार के बदले में हीरों वाला हार खरीदा था?” “हां। तब आपने उसे ध्यान से नहीं देखा था ? वे एक-जैसे थे।” और वह गर्व और सामान्य प्रसन्नता के साथ मुस्कराई। श्रीमती फोरेस्टियर इस बात से भावुक हो गई और उसने यह उत्तर देने से पहले अपने दोनों हाथ पकड़ लिए, “अरे! मेरी बेचारी मेटिल्डा! मेरे हार के हीरे नकली थे। उनकी कीमत पांच सौ फ्रैंक से अधिक नहीं थी!”

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[PAGE 39]: Grand = glorious (शानदार); jewellery = ornament (आभूषण); borrows = owes (उधार लेना); pretty = beautiful (सुंदर); destiny = luck (भाग्य); distinguished = marked out, typical (विशिष्ट, उत्कृष्ट); incessantly = continuously (निरंतर रूप से); delicacies = tenderness (कोमलता); luxuries = comforts (सुविधाएँ); apartment = house (घर); shabby = ugly (भद्दी); tortured = tormented (परेशान किया); tureen = a dish (कटोरा); delighted = pleased (आनंदित); potpie = a sweet bread (मालपुए); elegant = graceful (शान वाली); exquisite = marvellous (शानदार); despair = hopelessness (निराशा); elated = proudfully (गर्वित)।

[PAGE 40]: Inscribed = imprinted (छपे हुए); spitefully = with jealousy (ईर्ष्या से); murmuring = speak in low voice (बुड़बुड़ाना); irritated = offended (चिढ़ा हुआ); declared = announced (घोषणा की); impatiently = restlessly (अधीरतापूर्वक); stammered = spoke with halts (हकलाकर बोला); stupefied = shocked (परेशान अवस्था में); dismay = grief ( दुःख); violent = outrageous ( तीव्र ); vexation = irritation (संताप/पीड़ा); colleague = co-worker (सहकर्मी); grieved = pained (दुःखी); reflected = meditated (मनन करना); immediate =instant (तुरंत); exclamation = surprise (हैरानी); hesitating = doubting (संकोच करते हुए)।

[PAGE 41]: Exactly = nearly (करीब-करीब); larks = small singing bird (गाने वाला पक्षी); adorn = to beautify (सुसज्जित करना); chic = fashionable (फैशन वाली); convinced = assured firmly (पक्का यकीन होना); humiliating = degrading (अपमानित करने वाला); uttered = pronounced (उच्चारण किया); related = narrated (वर्णन किया); distress = sorrow/trouble (संकट); closet = private room (निजी कक्ष); admirable = praise worthy (प्रशंसनीय); workmanship = skill in doing some work (कारीगिरी); ecstatic = very delightful (आनंददायक); anxiety $=$ fear of uncertainty (उत्सुकता); certainly = definitely (अवश्य ही)।

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[PAGE 42]: Embraced = folded in the arms (आलिंगन किया); passion = a strong emotion (भावावेश); treasure = jewels (आभूषण, खजाना); the ball = group-dance (नृत्य-पार्टी); enthusiasm = high spirit (जोश); intoxicated = highly pleasant (उन्माद); salons = decorated rooms (सजावटी कमरे); wraps = shawls (शालें); clashed = conflicted (विरोध करना); detained = stopped (रोका); descended = came down (नीचे उतरते हुए); rapidly = fastly (तीव्र गति से); hailing = calling (पुकारना); coachman = tonga driver (गाड़ीवान); carriage = tonga (तांगा); shivering = trembling ( कांपते हुए); wearily = much tired (थका हुआ); removed = took off (हटाया)।

[PAGE 43]: Cast down = ashamed (शर्मिंदा होना); track = path (मार); advertisement = public announcement (विज्ञापन); state = condition (दशा); bewilderment = perplexity (घबराहट); frightful = horrible (भयानक);clasp = operatorname{link}(जोड़); repaired = mended (मरम्मत); dictated = spoke loudly. (बोलकर लिखवाना); replace = to substitute (बदलना); chaplet = wreathe (माला, हार)।

[PAGE 44]: Perceive = to see minutely (ध्यान से देखना); substitution = replacement (बदलना); horrible = terrible (भयानक); heroically = bravely (बहादुरीपूर्वक); lodgings = temporary habitation (किराये का घर); odious = hateful (घृणित); haggling = quarrelling over prices (मोल-भाव करना); restored = paid back (चुकता कर दिया); awry = with twists (सिलवटों वाले); flattered = false praise (चापलूसी); approached = went near. (पास पहुंचना); recognise = to identify (पहचानना); astonishment = amazement (हैरानी)।

[PAGE 45]: Miserable = wretched (दयनीय); loaned = owed (उधार देना); decently = with respect (शिष्टतापूर्वक); content = satisfied (संतुष्ट); worth = value (मूल्य)।

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JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1.
किसके कल्पनादर्श (युटोपिया) में दुनिया के लोग अलग राष्ट्रों के समूह में बँटे हुए हैं
(क) फ्रेड्रिक सॉरयू
(ख) लुई फिलिप
(ग) ग्रिम्स फेयरीटेल्स
(घ) कार्ल वेल्कर
उत्तर:
(क) फ्रेड्रिक सॉरयू

2. राष्ट्रवाद को चित्रों के माध्यम से दर्शाने वाला निम्नलिखित में से कौन है?
(क) फ्रेडिरिक सॉरयू
(ख) मेत्सिनी
(ग) इमेनुएल
(घ) हैब्सबर्ग
उत्तर:
(क) फ्रेडिरिक सॉरयू

3. राष्ट्रवाद का प्रारम्भ जिस देश से हुआ, वह है
(क) फ्रांस
(ख) जर्मनी
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) इटली
उत्तर:
(क) फ्रांस

4. अठारहवीं सदी में यूरोप में कौन-सा वर्ग सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से प्रभुत्व रखता था ?
(क) भू-स्वामी कुलीन वर्ग
(ख) पादरी
(ग) मजदूर
(घ) सैनिक
उत्तर:
(क) भू-स्वामी कुलीन वर्ग

5. 19वीं सदी यूरोप में उदारवादी राष्ट्रवाद के विचार से निम्नलिखित में से कौन निकटता से जुड़ा हुआ था?
(क) सामाजिक न्याय पर बल
(ख) राज्य में सामाजिक, आर्थिक प्रणाली नियोजित की
(ग) व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी
(घ) राज्य के प्रभुत्व ने राष्ट्रवाद को जन्म दिया।
उत्तर:
(ग) व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी

6. निम्न में से किस वर्ष वियना में एक शांति संधि का आयोजन किया गया था?
(क) सन् 1834
(ख) सन् 1813
(ग) सन् 1815
(घ) सन् 1915
उत्तर:
(ग) सन् 1815

7. ज्युसेपे मेत्सिनी था
(क) फ्रांस का क्रान्तिकारी
(ख) इटली का क्रान्तिकारी
(ग) ब्रिटेन का क्रान्तिकारी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) इटली का क्रान्तिकारी

8. “जब फ्रांस छींकता है, तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।” यह प्रसिद्ध कथन निम्नलिखित में से किसने कहा?
(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ख) मैटरनिख
(ग) ऑटो वॉन बिस्मार्क
(घ) ज्युसेपे गैरीबॉल्डी
उत्तर:
(ख) मैटरनिख

9. जर्मनी को एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया
(क) सन् 1817 में
(ख) सन् 1848 में
(ग) सन् 1871 में
(घ) सन् 1885 में
उत्तर:
(ग) सन् 1871 में

10. जर्मन बलूत प्रतीक है
(क) वीरता
(ख) स्वतन्त्रता
(ग) गुलामी
(घ) एकता
उत्तर:
(क) वीरता

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति सन् ………. में फ्रांसीसी क्रांति के साथ हई।
उत्तर:
1789

2. सन् 1815 ई. में ………. संधि हुई।
उत्तर:
वियना,

3. ………. इटली का एक क्रांतिकारी था।
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी,

4. 18 मई, 1848 ई. गठित जर्मन नेशनल एसेम्बली को ………. के नाम से जाना गया।
उत्तर:
फ्रैंकफर्ट संसद,

5. फ्रांस की जुलाई क्रांति …….. में हुई।
उत्तर:
1830 ई.

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रेडरिक सॉरयू कौन था ?
अथवा
1848 में फ्रेडरिक सॉरयू ने अपने चित्रों में स्वप्नदर्शी प्रस्तुति क्यों की? एक कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ्रेड्रिक सॉरयू एक फ्रांसीसी कलाकार था, जिसने 1848 ई. में चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इसमें उसने अपने सपनों का एक संसार रचा जो उसके शब्दों में जनतान्त्रिक और सामाजिक गणतन्त्रों से मिलकर बना था।

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प्रश्न 2.
युटोपिया क्या है ?
अथवा
कल्पनादर्श क्या है?
उत्तर:
यूटोपिया (कल्पनादर्श) एक ऐसे समाज की कल्पना है जो इतना आदर्श है कि उसका साकार होना लगभग असम्भव होता है।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराना।

प्रश्न 4.
1804 की नागरिक संहिता का नाम लिखिए, जिसने फ्रांस में कानून के समक्ष बराबरी और सम्पत्ति के अधिकार को सरक्षित बनाया।
उत्तर:
नेपोलियन की संहिता

प्रश्न 5.
राष्ट्र राज्य क्या है ?
उत्तर:
वह राज्य जिसमें उसके अधिकांश नागरिकों एवं शासकों में सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो।

प्रश्न 6.
उदारवाद का अर्थ बताइए।
अथवा
‘उदारवादंश राष्ट्ववाद’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उदाग्वाद लैटिन भाषा के शब्द Liber पर आधारित हैं, जिसका अथ है-स्वतन्त्रता अर्थात् व्यक्ति के लिए म्वतन्त्रता व कानुन के समक्ष सबको समानता।

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प्रश्न 7.
1834 ई. में किसकी पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन स्थापित किया गया ?
उत्तर:
834 ईं. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ जॉलवेराइन स्थीपित किया गया।

प्रश्न 8.
किन यूरोपीय शक्तियों ने 1815 ई. में नेपोलियन को हराया था?
उत्तर:
ब्रिंग, रूस, प्रशा और ऑंस्टिया ने 1815 ईं. नेपोलियन को रराया था।

प्रश्न 9.
1815 ई. में आयोजित वियना शांति संधि की अध्यक्षता किसने की?
उत्तर:
ऑंटिय्रया के चांसलर ड्यूक मैटरनिख ने 1815 ई. में आयंजित वियना शांति संधि की अध्यक्षता की थी।

प्रश्न 10.
1815 ई. में आयोजित वियना शांति संधि का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
1815 ईं. में आयोजित वियना शांति संधि का प्रमुख उद्देश्य नेपोलियाई युद्धों के दौरान हुए कई सारे बदलावों को खत्म करना था।

प्रश्न 11.
गूढ़िवाद क्या है ?
उत्तर:
रुं ऩवाद एक ऐसा राजनीतिक दर्शन है जो परम्परा द्वारा स्थापित मंध्थाओं एवं रीति-रिवाजों पर बल देता है तथा चरित परिवर्तन के स्थान पर क्रमिक व धीमे परिवर्तन में विश्वास करता है।

प्रश्न 12.
ज्युसेपे मेत्मिनी का जन्म कब व कहाँ हुआ ?
उत्तर:
ज्युसेपे मेंत्मिनी का जन्म 1807 ई. में जेनोआ में हुआ था।

प्रश्न 13.
ज्युसेपे मेत्तिनी द्वारा स्थापित दो भूमिगत संगठनां कं नाम लिखिए।
उत्तर:
ब्युप्रेपे मेत्सिनी द्वारा स्थापित दो भृमिगत संगटन हैं

  1. यंग इटती (मार्सेई में),
  2. यंग यूरोप (बर्न में)।

प्रश्न 14.
मेत्सिनी द्वारा स्थापित संगठन-यंग इटली व यंग यूरोप कें सदस्य कौन थे?
उत्तर:
मेत्सनी द्वारा स्थापित संगठन-यंग इटली व यंग यूरोप के सदस्स्य पोलेण्ड, फ्रांस, इटली व जर्मन राज्यों में मयान विन्नार ₹वनने नाले युत्रा थे।

प्रश्न 15.
मेत्सिनी का क्या विश्वास था ?
उत्तर:
मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी।

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प्रश्न 16.
मैटरनिख ने किसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया?
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी को।

प्रश्न 17.
बुसेल्स किस वर्ष यूनाइटेड ऑफ द नीदरलैंड से अलग हो गया?
उत्तर:
सन् 1830 ई. में ब्रुसेल्स यूनाइटेड ऑफ द नीदरलेंड से अलग हो गया।

प्रश्न 18.
किस संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी?
उत्तर:
1832 ई. में हुई कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।

प्रश्न 19.
रूमानीवाद क्या है ?
उत्तर:
रूमानीवाद एक सांस्कृतिक आन्दोलन था, जो एक विशेष तरह की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था।

प्रश्न 20.
किस दार्शंनिक ने दावा किया कि सच्ची जर्मनी संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी ?
उत्तर:
योहान गॉंटफ्रीड नामक दार्शनिक ने दावा किया था कि सच्ची जर्मनी संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी।

प्रश्न 21.
फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए खतरा किसने माना ?
उत्तर:
जैकब ग्रिम व विल्हेल्म ग्रिम ने फ्रांस के वर्चस्व को जर्मन संस्कृति के लिए खतरा माना।

प्रश्न 22.
किस वर्ष सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद का आयोजन किया गया ?
उत्तर:
18 मई, 1848 ई. को सेंट पॉल चर्च में फ्रफकफर्ट संसद का आयोजन किया गया।

प्रश्न 23.
जर्मनी के एकीकरण का श्रेय किसे दिया जाता है ?
उत्तर:
ऑंटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का श्रेय दिया जाता है।

प्रश्न 24.
प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट कब घोषित किया गया ?
उत्तर:
जनवरी 1871 ई. में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्नाट घोषित किया गया।

प्रश्न 25.
वर्साय के शीशमहल में आयोजित एक समारोह के दौरान किसे जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया ?
उत्तर:
काइजर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

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प्रश्न 26.
इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया था?
उत्तर:
इटली के प्रदेशों को एकत्रित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व प्रमुख मंत्री कावूर ने किया था।

प्रश्न 27.
इमेनुएल द्वितीय एकीकृत इटली का राजा कब बना?
उत्तर:
1861 ई. में इमेनुएल द्वितीय एकीकृत इटली का राजा बना।

प्रश्न 28.
यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन कब हुआ?
उत्तर:
1707 ई. में यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया।

प्रश्न 29.
कौन: सा देश कैथलिक और प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में बँटा हुआ था?
उत्तर:
आयरलैंड।

प्रश्न 30.
आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम में कब शामिल किया गया?
उत्तर:
सन् 1801 में।

प्रश्न 31.
‘गॉड सेव अवर नोबल किंग ‘ किस देश का राष्ट्रीय गान है?
उत्तर:
‘गॉड सेव अवर नोबल किग’ ग्रेट ब्रिटेन का राष्ट्रीय गान है।

प्रश्न 32.
किस देश ने नारी रूपकों कों मारीआन नाम दिया?
उत्तर:
फ्रांस ने नारी रूपकों को मारीझान नाम दिया।

प्रश्न 33.
सन् 1871 के पश्चात् यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
सन् 1871 के पश्चात् यूरोप में गम्भीर राप्ट्रवादी तनाव का स्रोत बाल्कन क्षेत्र था।

प्रश्न 34.
किस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर ‘स्लाव’ के नाम से पुकारा जाता था?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव के नाम से पुकारा जाता था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप कौन-कौन से परिवर्तन हुए?
उत्तर:
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप निम्न परिवर्तन हुए:

  1. 1789 ई. की क्रान्ति के परिणामस्वरूप प्रभुसत्ता राजतंत्र के हाथों से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह के हाथों में हस्तान्तरित हो गई।
  2. क्रान्ति ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि अब लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन होगा एवं वे ही राष्ट्र का भाग्य निर्धारित करेंगे।

प्रश्न 2.
नेपोलियन संहिता क्या थी?
उत्तर:
नेपोलियन ने 1804 ई. में एक नागरिक संहिता का निर्माण किया जिसे नेपोलियन की संहिता के नाम से जाना जाता है। इस संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिये थे तथा कानून के समक्ष समानता व सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।

प्रश्न 3.
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों की फ्रांसीसी शासन के प्रति क्या प्रतिक्रियाएँ थीं?
अथवा
विजित क्षेत्रों में फ्रांसीसी शासन के प्रति स्थानीय निवासियों की क्या प्रतिक्रियाएँ थीं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों ने फ्रांसीसी शासन के प्रति मिली-जुली प्रतिक्रिया दिखलाई कई स्थानों एवं शहरों में फ्रांसीसी सेना का स्वतन्त्रता के रक्षक के रूप में स्वागत किया गया। परन्तु यह उत्साह शीघ्र ही दुश्मनी में परिवर्तित हो गया क्योंकि नवीन प्रशासनिक व्यवस्थाएँ लोगों को राजनीतिक स्वतन्त्रता के अनुरूप नहीं लगी थीं। करों में वृद्धि, सेंसरसिप, फ्रांसीसी सेना में जबरदस्ती भर्ती आदि फ्रांसीसी शासन द्वारा उठाये गये कुछ ऐसे कदम थे, जिनका स्थानीय लोगों ने बहुत अधिक विरोध किया।

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प्रश्न 4.
जॉलवेराइन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
सन् 1834 ई. में प्रशा की पहल पर एक शुल्क संघ स्थापित किया गया जिसे जॉलवेराइन के नाम से जाना गया। जॉलवेराइन में अधिकांश जर्मन राज्य सम्मिलित हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया तथा मुद्राओं की संख्या घटाकर दो कर दी जो उससे पहले तीस से भी ऊपर थी। जॉलवेराइन ने आर्थिक राष्ट्रवाद के आन्दोलन को जन्म दिया जिसने इस समय में पनप रही व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को मजबूत बनाया।

प्रश्न 5.
यूरोप में 1848 ई. में उदारवादियों के विद्रोह की प्रमुख माँगें कौन-कौन सी थीं?
उत्तर:
1848 ई. में उदारवादियों के विद्रोह की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं

  1. उदारवादी मध्य वर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद के साथ-साथ राष्ट्रीय एकीकरण की माँग सामने रखी।
  2. उन्होंने संविधान, प्रेस की स्वतन्त्रता तथा संगठन बनाने की स्वतन्त्रता जैसे संसदीय सिद्धान्तों पर आधारित राष्ट्र राज्य की माँग की।
  3. महिलाओं ने राजनीतिक अधिकारों की माँग की।

प्रश्न 6.
यूरोप में 1848 ई. की उदारवादी क्रान्ति के क्या परिणाम सामने आये?
उत्तर:
यूरोप में 1848 ई. की उदारवादी क्रान्ति के निम्नलिखित परिणाम सामने आये–

  1. मध्य तथा पूर्वी यूरोप की निरंकुश राजशाही ने उन परिवर्तनों को लागू करना प्रारम्भ कर दिया जो पश्चिमी यूरोप में 1815 ई. से पहले लागू हो चुके थे।
  2. हैब्सबर्ग अधिकार वाले क्षेत्रों में भू-दासत्व एवं बंधुआ मजदूरी समाप्त कर दी गयी।
  3. हैब्सबर्ग शासकों ने हंगरी के लोगों को पर्याप्त स्वतन्त्रता प्रदान की।

प्रश्न 7.
ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक क्यों कहा गया था?
उत्तर:
ऑटो वॉन बिस्मार्क को जर्मनी के एकीकरण का जनक कहा गया क्योंकि उसने 1848 में जर्मनी के एकीकरण के नेतृत्व को सँभाला तथा अपनी ‘रक्त और लौह’ की नीति के द्वारा उसे पूरा किया।

प्रश्न 8.
इटली के एकीकरण में कावूर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कावूर ने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। कावूर ने इटली को एक राष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए कूटनीतिक संधियों का सहारा लिया। उसने फ्रांस के साथ संधि की तथा ऑस्ट्रियाई साम्राज्य को पराजित किया जो इटली के उत्तरी हिस्से में एक विस्तृत क्षेत्र पर शासन कर रहा था। इससे उसे इटली को एकीकृत करने के लिए आगे रास्ता तैयार मिला।

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प्रश्न 9.
रूपक से क्या आशय है ? फ्रांस के नारी रूपक के विषय में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
रूपक से आशय है कोई अमूर्त विचार; जैसे-लालच, ईर्ष्या, स्वतंत्रता एवं मुक्ति आदि को किसी व्यक्ति या किसी वस्तु के माध्यम से इंगित किया जाता है तो उसे रूपक कहते हैं। एक रूपकात्मक कहानी के दो अर्थ होते हैं- एक शाब्दिक व एक प्रतीकात्मक। फ्रांस का नारी रूपक मारीआन था जिसने जन राष्ट्र के विचारों को रेखांकित किया।

प्रश्न 10.
बाल्कन क्षेत्र में वर्तमान में कौन-कौन से देश मम्मिलित थे? यह क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र क्यों बन गया?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र में वर्तमान के रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बानिया, यूनान, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया एवं मॉन्टिनिग्रो देश सम्मिलित थे। इस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव कहकर पुकारा जाता था। जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान एवं स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की, बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा उठाए गये किन्हीं पाँच कदमों का वर्णन कीजिए, जिससे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकी।
अथवा
लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव उत्पन्न करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा कौन-कौन से उपाय किये गये?
उत्तर:
लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव उत्पन्न करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा निम्नलिखित कदम उठाये गये

  1. पितृभूमि और नागरिक जैसे विचार-पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
  2. नये राष्ट्रीय चिह्न-पुराने शाही प्रतीक चिह्नों को विस्थापित करने के लिए एक नये तिरंगे राष्ट्रध्वज का चुनाव किया गया।
  3. केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था-सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाने के लिए केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।
  4. राष्ट्रीय भाषा-क्षेत्रीय भाषाओं को राष्ट्रीयता की राह में अवरोध माना गया इसलिए उन्हें हतोत्साहित किया गया। इन भाषाओं की जगह फ्रेंच भाषा को सामान्य लोगों के बोलने और लिखने की भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया गया।
  5. भार व नाप की एक समान व्यवस्था-फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने भार व नाप की एक समान व्यवस्था लागू की।
  6. आयात-निर्यात शुल्क की समाप्ति-आंतरिक आयात-निर्यात शुल्कों को समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 2.
“फ्रांस में राजतंत्र वापस लाकर नेपोलियन ने निःसन्देह वहाँ प्रजातन्त्र को नष्ट किया था परन्तु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रान्तिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया।” इस कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।
अथवा
“फ्रांस में नेपोलियन ने प्रजातंत्र को नष्ट किया था परन्तु प्रशासनिक क्षेत्र में उसने क्रांतिकारी सिद्धान्तों का समावेश किया जिससे पूरी व्यवस्था अधिक तर्क-संगत और कुशल बन सके।” तर्कों सहित इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
“निःसन्देह नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस में लोकतन्त्र को समाप्त कर दिया था परन्तु उसने कई क्रान्तिकारी प्रशासनिक सुधार भी लागू किए।” उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन का औचित्य सिद्ध करने हेतु निम्नलिखित उदाहरण दिए जा सकते हैं
1. नेपोलियन संहिता:
इस संहिता को सन् 1804 ई. में लागू किया गया। इस संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया। इसने न केवल न्याय के समक्ष समानता स्थापित की बल्कि सम्पत्ति के अधिकार को भी सुरक्षित बनाया।

2. ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार:
नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, समिति व्यवस्था को समाप्त कर दिया। किसानों को भू-दासत्व व जागीरदारी शल्कों से मुक्ति दिलाई।

3. शहरी क्षेत्रों में सुधार:
शहरों में कारीगरों की श्रेणी संघों के नियंत्रण को समाप्त कर दिया। परिवहन व संचार व्यवस्थाओं में सुधार किया।

4. व्यापार में सुधार:
नेपोलियन ने एक समान कानून, मानक भार व नाप की व्यवस्था तथा एक राष्ट्रीय मुद्रा को लाग किया, जिससे व्यापार और व्यापारियों के विकास को बहुत अधिक बल मिला तथा वस्तुओं व पूँजी के आवागमन में सुविधा हुई।

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प्रश्न 3.
फ्रांस पर नेपोलियन के आधिपत्य के बाद फ्रांस के लोगों का प्रारंभिक उत्साह किस प्रकार शीध्र ही दुश्मनी में बदल गया? कोई चार कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस पर नेपोलियन के आधिपत्य के बाद फ्रांस के लोगों के प्रारंभिक उत्साह के शीघ्र ही दुश्मनी में बदलने के चार कारण निम्नलिखित हैं

  1. प्रशासनिक सुधारों का सही ढंग से लागू नहीं कर पाना-नेपोलियन ने फ्रांस में एक बड़े भू-भाग को शामिल करने में सफलता हासिल की परन्तु वह नवीनतम प्रशासनिक सुधारों को सही ढंग से लागू करने में विफल रहा और लोगों का जीवन प्रशासनिक दुष्चक्र में उलझ कर रह गया।
  2. करों में वृद्धि-नेपोलियन ने सत्ता संभालते ही करों की दरों में वृद्धि कर दी जिससे जनता की हालत नाजुक हो गई।
  3. सेंसरशिप को लागू करना-नेपोलियन ने सेंसरशिप लागू कर स्वतंत्र विचारों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके तहत सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने पर कठोर दण्ड का प्रावधान किया गया।
  4. फ्रेंच सेना में जबरन भर्ती-नेपोलियन ने शेष यूरोप को जीतने के लिए लोगों को जबरन फ्रेंच सेना में भर्ती करना शुरू कर दिया जिससे लोगों में उसके प्रति रोष उत्पन्न होने लगा।

प्रश्न 4.
यूरोप में राष्ट्रवाद के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
यूरोप में राष्ट्रवाद के चार कारण निम्नलिखित हैं
1. मध्य वर्ग का उदय:
यूरोप में 19वीं सदी में हुए औद्योगीकरण के कारण नए सामाजिक समूह-श्रामिक वर्ग व मध्य वर्ग, अस्तित्व में आए। मध्य वर्ग ने कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति के बाद शिक्षित व उदारवादी वर्गों के बीच राष्ट्रीय एकता के विचारों को लोकप्रिय बनाया।

2. उदारवादी विचारधारा का प्रारम्भ:
19वीं सदी में प्रारम्भ हुई इस विचारधारा ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया। उदारवाद, राजनीतिक रूप से सहमति से बनी सरकार पर जोर देता था तथा नए मध्य वर्गों के लिए इसका अर्थ था-व्यक्ति के लिए आज़ादी और कानून के समक्ष सबकी बराबरी।

3. यूनान का स्वतत्रंता संग्राम:
यूनान को 1832 ई. में हुई कुस्तुनतुनिया की संधि ने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्रदान की। इसी के साथ यूरोप के अन्य देश भी एकीकरण के लिए प्रेरित हुए।

4. जन-विद्रोह:
1830 के दशक में यूरोप में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई तथा बेरोजगारी व खाद्यान्न की कमी के कारण लोगों ने विद्रोह करने शुरू कर दिए। इन विद्रोहों से रूढ़िवादी सरकारें कमजोर होने लगी तथा राष्ट्रवादी भावनाएँ जन्म लेने लगी।

प्रश्न 5.
यूरोप महाद्वीप के शक्तिशाली कुलीन वर्ग की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
यूरोपीय महाद्वीप के शक्तिशाली कुलीन वर्ग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. जीवन जीने की एक समान शैली: सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग था। इन लोगों की जीवन जीने की शैली एक समान थी। इस साझी जीवन शैली से इस वर्ग के सदस्य एक दूसरे से जुड़े थे।
  2. भू-स्वामित्व: ये लोग ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के मालिक थे। इनके पास बड़ी-बड़ी जागीरें थीं तथा शहरी क्षेत्रों में विशाल भवनों के स्वामी थे।
  3. फ्रेंच भाषा का प्रयोग: कुलीन वर्ग, राजनीतिक कार्यों के लिए एवं उच्च वर्गों के बीच फ्रेंच भाषा का प्रयोग करते थे।
  4. आपस में वैवाहिक सम्बन्ध: कुलीन वर्गों के परिवार वैवाहिक सम्बन्धों के माध्यम से आपस में जुड़े होते थे।
  5. छोटा समूह: यूरोप महाद्वीप में कुलीन वर्ग संख्या की दृष्टि से एक छोटा समूह था।

प्रश्न 6.
यूरोप में मध्यम वर्ग के उदय के क्या कारण थे? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
यूरोप में मध्यम वर्ग के उदय के निम्नलिखित कारण थे

  1. पश्चिमी एवं मध्य यूरोप के विभिन्न भागों में औद्योगिक उत्पादन और व्यापार में वृद्धि से शहरों का विकास तथा वाणिज्यिक वर्गों का उदय हुआ। इस वर्ग का अस्तित्व बाजार के उत्पादन पर निर्भर था।
  2. इंग्लैण्ड में 18वीं शताब्दी के द्वितीय चरण में औद्योगीकरण प्रारम्भ हुआ जबकि फ्रांस व जर्मनी के राज्यों के कुछ हिस्सों में यह 19वीं शताब्दी के दौरान ही हुआ।
  3. औद्योगीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप श्रमिक वर्ग एवं मध्य वर्ग अस्तित्व में आये। यह वर्ग उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं सेना क्षेत्र के लोगों से बनाया गया।
  4. मध्य और पूर्वी यूरोप के इन समूहों का आकार 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशकों तक छोटा ही था। यह वर्ग शिक्षित, धन सम्पन्न एवं उदारवादी था।
  5. कुलीन विशेषाधिकारों की समाप्ति के पश्चात् शिक्षित और उदारवादी मध्य वर्गों के बीच ही राष्ट्रीय एकता के विचार लोकप्रिय हुए।

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प्रश्न 7.
यूरोप में 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में विकसित होने वाले उदारवादी राष्ट्रवाद की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उदारवाद शब्द लैटिन भाषा के मूल शब्द Liber पर आधारित है जिसका अर्थ है ‘स्वतन्त्र’। उदारवाद का अर्थ विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से स्पष्ट किया है। नये मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ है-व्यक्ति के लिए स्वतन्त्रता तथा कानून के समक्ष सबकी बराबरी। राजनीतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो सहमति से गठित हो।

उदारवाद निरंकुश शासन का विरोधी, निरंकुश शासकों एवं पादरियों के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का समर्थक था। 19वीं शताब्दी के उदारवादी, निजी सम्पत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे। आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद का अर्थ है- बाजारों की मुक्ति, उदारवादी, वस्तुओं व पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाये गये नियन्त्रणों की समाप्ति के पक्ष में थे।

प्रश्न 8.
1815 में नेपोलियन की हार के पश्चात् यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से क्यों प्रेरित थीं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1815 ई. में नेपोलियन की हार के पश्चात् यूरोपीय सरकारें रूढ़िवाद की भावना से प्रेरित थीं। रूढ़िवादी यह मानते थे कि राज्य और समाज की स्थापित पारम्परिक संस्थाएँ; जैसे-राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, सम्पत्ति व परिवार को बनाये रखना चाहिए फिर भी रूढ़िवादी लोग क्रान्ति से पहले के दौर में वापसी नहीं चाहते थे।

नेपोलियन द्वारा प्रारम्भ किये गये परिवर्तनों से उन्होंने यह जान लिया था कि आधुनिकीकरण, राजतन्त्र जैसी पारम्परिक संस्थाओं को मजबूत बनाने में सक्षम था। वह राज्य की शक्ति को और अधिक शक्तिशाली बना सकता था। अतः एक आधुनिक सेना, कुशल नौकरशाही, गतिशील अर्थव्यवस्था, सामंतवाद तथा भू-दासत्व की समाप्ति यूरोप के निरंकुश राजतन्त्रों को शक्ति प्रदान कर सकते थे।

प्रश्न 9.
वियना सम्मेलन के प्रमुख प्रस्ताव क्या थे? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
सन् 1815 ई. की वियना संधि द्वारा लाये गये दो महत्वपूर्ण परिवर्तनों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
1815 की वियना संधि के उद्देश्य स्पष्ट रूप से समझाइए।
अथवा
वियना सम्मेलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
नेपोलियन की पराजय के पश्चात् यूरोपीय शक्तियों ने वियना की संधि की। इस संधि के उद्देश्य नेपोलियाई युद्धों द्वारा लाये गये परिवर्तनों को समाप्त करना तथा यूरोप में एक नई रूढ़िवादी व्यवस्था स्थापित करना था। वियना सम्मेलन के प्रमुख प्रस्ताव/वियना संधि की प्रमुख विशेषताएँ/दो महत्वपूर्ण परिवर्तन निम्नलिखित हैं

  1. फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान हटाये गये बूबों राजवंश को सत्ता में बहाल किया गया तथा फ्रांस को नेपोलियन से हुए। युद्धों के दौरान प्राप्त विभिन्न क्षेत्रों को लौटाना पड़ा।
  2. भविष्य में फ्रांस द्वारा सम्भावित विस्तार को रोकने के लिए फ्रांस की सीमाओं पर कई नये राज्यों की स्थापना की – गई। इस प्रकार उत्तर में नीदरलैण्ड का राज्य स्थापित किया गया जिसमें बेल्जियम सम्मिलित था और दक्षिण में पीडमॉण्ट में जेनोआ को सम्मिलित कर दिया गया।
  3. प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमाओं पर महत्वपूर्ण नये क्षेत्र दिये गये जबकि ऑस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियन्त्रण सौंपा गया।
  4. नेपोलियन द्वारा स्थापित 39 राज्यों के जर्मन महासंघ को बरकरार रखा गया।

प्रश्न 10.
ज्युसेपे मेसिनी कौन था? इटली के एकीकरण के सन्दर्भ में उसकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ज्यसेपे मेत्सिनी के बारे में आप क्या जानते हैं? उसके विचार बताइए।
अथवा
इटली के एकीकरण में मेत्सिनी के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक महान् क्रान्तिकारी नेता था। इनका जन्म 1807 ई. में जेनोआ में हुआ। वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। मेत्सिनी ने दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की-(i) यंग इटली (ii) यंग यूरोप। इन संगठनों के सदस्य पोलैण्ड, फ्रांस, इटली व जर्मनी के युवा थे।
इटली के एकीकरण के सन्दर्भ में मेत्सिनी की भूमिका/विचार:

  1. मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की इच्छा के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी।
  2. वह राजशाही के विरुद्ध था तथा लोकतन्त्र में विश्वास करता था।
  3. वह छोटे राज्यों में विश्वास नहीं करता था। वह इटली के विभिन्न राज्यों एवं प्रदेशों को एकीकृत कर एकीकृत इटली एवं एकीकृत गणराज्य बनाना चाहता था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था।
  4. मेत्सिनी ने ‘यंग इटली’ के माध्यम से इटलीवासियों में राष्ट्रीयता, देशभक्ति, त्याग एवं बलिदान की भावनाएँ उत्पन्न की।
  5. मेत्सिनी ने प्रजातांत्रिक गणराज्यों के अपने स्वप्न से रूढ़िवादियों को पराजित कर दिया।
  6. 1830 के दशक में मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने का प्रयास किया।

प्रश्न 11.
रूढ़िवादी, मेत्सिनी के गुप्त संगठनों और विचारों से क्यों डरे हुए थे? कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक क्रांतिकारी युवक था। चौबीस वर्ष की अवस्था में लिगुरिया में क्रांति करने पर उसे बहिष्कृत कर दिया गया। तत्पश्चात् उसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की। एक मार्सेई में यंग इटली और दूसरा बर्न में यंग यूरोप, जिसके सदस्य पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे जो कभी भी आन्दोलन खड़ा कर सकते थे।

2. मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई है। अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशों के पैबंदों की तरह नहीं रह सकता। उसे जोड़कर राष्ट्रों के व्यापक गठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्र बनाना है। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था। उसके ऐसे विचारों तथा राजतंत्र का विरोध करने के कारण ही रूढ़िवादी मेत्सिनी से डरे हुए थे।

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प्रश्न 12.
सन् 1830 का दशक यूरोप में घोर आर्थिक कठिनाइयों का काल था? इसके कारण बताइए।
अथवा
“यूरोप में सन् 1830 का दशक भारी आर्थिक कठिनाइयों का वर्ष सिद्ध हुआ।” इसकी व्याख्या के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:
सन् 1830 का दशक यूरोप में घोर आर्थिक कठिनाइयों का काल था। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  1. सन् 1830 के दशक में यूरोप की जनसंख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
  2. रोजगार के अवसर कम हो गये किन्तु नौकरी की खोज करने वालों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों की अतिरिक्त जनसंख्या शहरों में भीड़ से भरी गरीब बस्तियों में रहने लगी।
  4. शहरों के छोटे उत्पादकों को इंग्लैण्ड से आयातित मशीनों से बने सस्ते वस्त्रों से कठोर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था।
  5. यूरोप में कई भागों में कृषक, सामंती शुल्कों व जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे हुए थे।
  6. खाने-पीने की वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होने तथा फसल के खराब होने से शहरों व गाँवों में व्यापक निर्धनता फैल रही थी।

प्रश्न 13.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि एकीकरण से पहले इटली राजनीतिक रूप से बहुत अधिक विखण्डित था।
उत्तर:
अपने एकीकरण से पहले इटली राजनीतिक रूप से बहुत अधिक विखण्डित था। जर्मनी की तरह इटली में भी राजनीतिक विखण्डन का एक लम्बा इतिहास था, जिसके उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. इटली अनेक वंशानुगत राज्यों एवं बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था।
  2. उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य इटली सात राज्यों में बँटा हुआ था।
  3. सार्डिनिया-पीडमॉण्ट पर एक इतालवी राजघराने का शासन था। उत्तरी भाग में हैब्सबर्ग शासकों का अधिकार था, मध्य क्षेत्र पर पोप का शासन था तथा दक्षिण क्षेत्र पर स्पेन के बू! राजवंश का शासन था।
  4. इतालवी भाषा सम्पूर्ण राष्ट्र की भाषा नहीं थी। अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय व स्थानीय रूप, प्रचलन में थे। 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने इटली को राजनीतिक रूप से एकीकृत करने के लिए एक सुविचारित कार्यक्रम प्रस्तुत करने की कोशिश कर एकीकृत इतालवी गणराज्य की अवधारणा को आगे बढ़ाया।

प्रश्न 14.
ज्युसेपे गैरीबॉल्डी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
ज्युसेपे गैरीबॉल्डी इटली का सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी था। इसका जन्म 1807 ई. में हुआ था। गैरीबॉल्डी का सम्बन्ध एक ऐसे परिवार से था जो तटीय व्यापार में संलग्न था तथा वह स्वयं व्यापारिक नौसेना में एक नाविक था। 1833 ई. में वह मेत्सिनी के ‘यंग इटली’ आन्दोलन का सदस्य बन गया तथा 1834 ई. में उसने पीडमॉण्ट के गणतंत्रीय विद्रोह में भाग लिया। विद्रोह के कुचल दिये जाने के कारण गैरीबॉल्डी को दक्षिण अमेरिका भागना पड़ा। 1854 ई. में उसने इटली लौटकर विक्टर इमेनुएल द्वितीय का समर्थन किया जो इतालवी राज्यों को एकीकृत करने का प्रयास कर रहा था।

1860 ई. में गैरीबॉल्डी ने दक्षिण इटली की ओर एक्सपिडिशन ऑफ द थाउजेंड (हजार लोगों का अभियान) का सफल नेतृत्व किया, इस अभियान में 30,000 स्वयंसेवक जुड़ गये जो रेड शर्ट्स के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1867 ई. में गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में स्वयंसेवकों की एक सेना मेपल राज्यों से लड़ने रोम गयी। वहाँ रेड शर्ट्स, फ्रांसीसी व मेपल सैनिकों के सामने टिक नहीं पाये और पराजित हो गये। 1870 ई. में जब प्रशा से युद्ध के दौरान फ्रांस ने रोम से अपने सैनिक हटा लिए तब जाकर मेपल राज्य अन्ततः इटली में सम्मिलित हुए।

प्रश्न 15.
स्कॉटलैण्ड को किस प्रकार यूनाइटेड किंगडम में शामिल किया गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच ‘एक्ट ऑफ यूनियन’ (1707) समझौते के तहत यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इससे इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व जमा पाने में कामयाब हुआ। इसके पश्चात् ब्रितानी संसद में आंग्ल सदस्यों का दबदबा हो गया। स्कॉटलैण्ड की खास संस्कृति और राजनीतिक संस्थानों को योजनाबद्ध तरीकों से दबा दिया गया और ब्रितानी पहचान का विकास हुआ।

स्कॉटिश हाइलैंड्स के निवासी, कैथोलिक कुलों ने जब भी अपनी आजादी को व्यक्त करने का प्रयास किया, उन्हें जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। स्कॉटिश हाइलैंड्स के लोगों को अपनी गेलिक भाषा बोलने या अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने की मनाही थी। उनमें बहुत से लोगों को अपना वतन छोड़ने पर मजबूर किया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रवाद की प्रथम अभिव्यक्ति 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति से प्रारम्भ हुई थी। स्पष्ट करें।
अथवा
“राष्ट्रवाद की पहली स्पष्ट अभिव्यक्ति 1789 में ‘फ्रांसीसी क्रान्ति’ के साथ हुई।” कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
1789 ई. में हुई फ्रांस की क्रान्ति के परिणामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस की 1789 ई. में होने वाली क्रान्ति को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत समझा जा सकता है
1. फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप हुए परिवर्तन:
1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप प्रभुसत्ता राजतंत्र से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के समूह के हाथों में आ गयी। क्रांतिकारियों ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि अब लोगों के द्वारा राष्ट्र का गठन होगा एवं वे ही राष्ट्र का भाग्य निर्धारित करेंगे।

2. फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा उठाये गये कदम:
प्रारम्भ से ही फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाये जिनसे फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हुई

  1. पितृभूमि एवं नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
  2. एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राष्ट्रध्वज का स्थान ले लिया।
  3. एस्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा तथा उसका नाम परिवर्तित कर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
  4. नवीन स्तुतियाँ रची गयीं, शपथें ली गयीं एवं शहीदों का गुणगान किया गया। यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ। .
  5. एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गयी जिसने अपने भू-भाग में निवास करने वाले समस्त नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाये।
  6. आन्तरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिये गये।
  7. तौलने एवं नापने के लिए एक तरह की व्यवस्था लागू की गयी।
  8. क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर पेरिस की फ्रेंच भाषा ही राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित हुई।

3. यूरोप पर फ्रांसीसी क्रान्ति का प्रभाव-फ्रांसीसी क्रान्ति का यूरोप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. फ्रांस की क्रान्ति ने राष्ट्रवाद के बीज बो दिये, जिससे यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना हुई!
  2. फ्रांस की क्रान्ति ने सम्पूर्ण विश्व को लोकतंत्रीय सिद्धान्त प्रदान किया।
  3. फ्रांस ने यूरोप के अन्य लोगों को राष्ट्रों के गठन में सहायता प्रदान की।
  4. फ्रांसीसी क्रान्ति के पश्चात् यूरोप के विभिन्न देशों के छात्रों एवं शिक्षित मध्य वर्गों के लोगों ने जैकोबिन क्लबों की
  5. स्थापना करना प्रारम्भ कर दिया।
  6. जैकोबिन क्लबों की गतिविधियों एवं अभियानों ने उन फ्रांसीसी सेनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया जो 1790 ई. के दशक में हॉलैण्ड, स्विट्जरलैण्ड एवं इटली के बड़े भू-भाग में प्रविष्ट हुई थीं।
  7. फ्रांसीसी सेनाएँ राष्ट्रवाद के विचार को विदेशों में भी ले गयीं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 2.
19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
यूरोप में 19वीं सदी के शुरुआती दशकों में राष्ट्रीय एकता के विचार उदारवाद से किस प्रकार जुड़े थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद का अर्थ-यूरोप में 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में राष्ट्रीय एकता से सम्बन्धित विचार उदारवाद से जुड़े थे। उदारवाद शब्द लैटिन भाषा के मूल शब्द ‘Liber’ पर आधारित है, जिसका अर्थ है-‘आजाद’। उदारवाद का अर्थ विभिन्न लोगों ने अपने-अपने ढंग से स्पष्ट किया है

  1. नये मध्य वर्गों के लिए उदारवाद का अर्थ था-व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता एवं कानून के समक्ष सबकी बराबरी।
  2. राजनैतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर बल देता था जो सहमति से गठित हो।
  3. कुछ लोगों के लिए इसका अर्थ था-निजी सम्पत्ति रख सकने का अधिकार।
  4. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद का अर्थ बाजारों की मुक्ति था। व्यापारी वर्ग अपने सामान एवं पूँजी के मुक्त आवागमन की माँग करता था।

19वीं सदी के यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद की विशेषताएँ:
1830 ई. के दशक के पश्चात् यूरोपीय उदारवादी राष्ट्रवाद की कई विशेषताएँ पायी गयीं जो निम्न प्रकार से हैं

  1. व्यक्ति की आजादी एवं कानून के समक्ष सबको समानता का अधिकार प्राप्त हो।
  2. उदारवादी निजी सम्पत्ति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देते थे।
  3. उदारवाद निरंकुश सरकार एवं पादरी वर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था।
  4. आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजारों की मुक्ति एवं चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाये गये नियंत्रणों को समाप्त करने के पक्ष में था।
  5. आर्थिक हितों का राष्ट्रीय एकीकरण करना एवं व्यापक राष्ट्रवादी भावनाओं को आर्थिक राष्ट्रवाद की लहर से मजबूत बनाना।
  6. उदारवादी राष्ट्रवादियों ने प्रेस की आजादी की आवश्यकता पर भी बल दिया।

प्रश्न 3.
1830 ई. से 1848 ई. तक के काल को क्रान्तियों का युग’ क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1830 ई. से 1848 ई. तक के काल में कई क्रान्तियाँ हुईं। जैसे ही रूढ़िवादी ताकतें अपनी शक्ति संगठित करने लगीं, उदारवादियों तथा राष्ट्रवादियों ने उनका विरोध किया। इस काल में इटली, जर्मन राज्यों, ऑटोमन साम्राज्य, ऑयरलैण्ड व पॉलैण्ड में क्रान्तियाँ हुईं। ये क्रान्तियाँ उदारवादी-राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में हुईं जो शिक्षित मध्य वर्गीय विशिष्ट लोग थे। इन विशिष्ट लोगों में प्रोफेसर, स्कूल शिक्षक, क्लर्क एवं व्यापार में लगे मध्य वर्ग के लोग थे।
1. फ्रांस में विद्रोह:
प्रथम विद्रोह फ्रांस में जुलाई 1830 में हुआ। बूढे राजा, जिन्हें रूढ़िवादी प्रतिक्रिया के दौरान सत्ता में बहाल किया गया, उन्हें उदारवादी क्रान्तिकारियों ने उखाड़ फेंका। उनके स्थान पर एक संवैधानिक राजतंत्र स्थापित किया गया जिसके अध्यक्ष लुई फिलिप थे।

2. ब्रसेल्स में विद्रोह:
मैटरनिख ने एक बार यह टिप्पणी की थी कि “जब फ्रांस छींकता है तो सारे यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।” यह बात सत्य सिद्ध हुई। फ्रांस में हुई जुलाई की क्रान्ति से ब्रूसेल्स में भी विद्रोह भड़क गया जिसके परिणामस्वरूप यूनाइटेड किंगडम ऑफ द नीदरलैण्ड से ब्रूसेल्स अलग हो गया।

3. यूनान का स्वतन्त्रता संग्राम:
यूनान 15वीं शताब्दी से ही मुस्लिम ऑटोमन साम्राज्य का एक भाग था। यूरोप में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति होने लगी जिससे प्रेरित होकर यूनानियों ने भी सन् 1821 ई. में स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ कर दिया। यूनानियों को स्वतन्त्रता संग्राम में निर्वाचित यूमानियों के साथ-साथ पश्चिमी यूरोप के अनेक लोगों का भी सहयोग प्राप्त हुआ।

कवियों और कलाकारों ने भी यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालक बताकर भरपूर प्रशंसा की तथा एक मुस्लिम साम्राज्य के विरुद्ध यूनान के संघर्ष के लिए जनमत का निर्माण किया। अंग्रेजी कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्रित किया तथा युद्ध में भी सम्मिलित हुए। अंततः 1832 ई. की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता प्रदान कर दी। यूनान के स्वतंत्रता संग्राम ने सम्पूर्ण यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीयता के विकास में रूमानीवाद, लोक परम्परा एवं भाषा के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता के विकास में रूमानीवाद, लोंक परम्परा एवं भाषा का बहुत अधिक महत्त्व रहा है, जो निम्नलिखित
1. रूमानीवाद:
रूमानीवाद, एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जो एक विशेष प्रकार की राष्ट्रीय भावना का विकास करना चाहता था। साधारणतया रूमानी कलाकारों और कवियों ने तर्क-वितर्क व विज्ञान के महिमामंडन की आलोचना की तथा उसके स्थान पर भावनाओं, अन्तर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओं पर बल दिया। उनका यह प्रयास था कि एक साझा सामूहिक विरासत की अनुमति तथा एक साझा सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया जाए।

2. लोक परम्पराएँ:
जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड जैसे रूमानी चिंतकों ने दावा किया कि सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी। राष्ट्र की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जन काव्य तथा लोक नृत्यों से प्रकट होती है इसलिए लोक संस्कृति के इन स्वरूपों को एकत्र और अंकित करना राष्ट्र के निर्माण की परियोजना के लिए आवश्यक था।

स्थानीय बोलियों पर बल तथा स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र करने का उद्देश्य मात्र प्राचीन राष्ट्रीय भावना को वापस लाना नहीं था बल्कि आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे। संगीत व भाषा के माध्यम से राष्ट्रीय भावना जीवित रखी गयी। केरोल कुर्पिस्की ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा व संगीत से गुणगान किया। पोलेनेस तथा माजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया गया।

3. भाषा:
भाषा ने भी राष्ट्रीयता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के पश्चात् पोलिश भाषा को स्कूलों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को प्रत्येक जगह जबरदस्ती थोपा गया। 1831 ई. में रूस के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसे आखिरकार कुचल दिया गया। इसके अनेक सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया। चर्च के आयोजनों तथा सम्पूर्ण धार्मिक शिक्षा में पोलिश भाषा का प्रयोग हुआ।

इसका परिणाम यह हुआ कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया। रूसी अधिकारियों ने उन्हें सजा देते हुए साइबेरिया भेज दिया क्योंकि उन्होंने रूसी भाषा का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था। पोलिश भाषा रूसी शासन के विरुद्ध एक संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी।

प्रश्न 5.
1848 ई. के जर्मन उदारवादी आंदोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
1848 ई. की जर्मन क्रांति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1848 ई. के जर्मन उदारवादी आंदोलन को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

  1. 1848 ई. में जब अनेक यूरोपीय देशों में निर्धनता, बेरोजगारी एवं भुखमरी से ग्रस्त किसान-मजदूर विद्रोह कर रहे थे तब उनके समानांतर शिक्षित मध्य वर्गों में भी एक क्रान्ति हो रही थी।
  2. फरवरी 1848 ई. की घटनाओं के कारण राजा को गद्दी छोड़नी पड़ी तथा एक गणतन्त्र की घोषणा की गई जो समस्त पुरुषों के सार्वभौमिक मताधिकार पर आधारित था।
  3. जर्मन क्षेत्रों में विशाल संख्या में राजनीतिक संगठनों ने फ्रैंकफर्ट शहर में मिलकर एक सर्व जर्मन नेशनल एसेंबली के समर्थन में मतदान का निर्णय लिया।
  4. 18 मई, 1848 ई. को 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे-धजे जुलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया। सेंटपॉल चर्च में आयोजित इस बैठक में जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया।
  5. नवोदित जर्मन राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गयी जिसे संसद के नियन्त्रण में रहना था।
  6. प्रशा के राजा फ्रेडरिक विल्हेम चतुर्थ ने इस संविधान को अस्वीकृत कर निर्वाचित सभा के विरोधी राजाओं का साथ दिया।
  7. इस बात पर कुलीन वर्ग व सेना का विरोध बढ़ गया, जिससे संसद का सामाजिक आधार कमजोर हो गया।
  8. संसद में मध्य वर्गों का अधिक प्रभाव था जिन्होंने श्रमिकों व कारीगरों की माँगों का विरोध किया।
  9. बहुत बड़ी संख्या में महिलाएँ भी आन्दोलन में सम्मिलित हुईं तथापि उन्हें उनके राजनीतिक अधिकार नहीं दिये गये।
  10. अन्त में सैनिकों को बुलाया गया तथा एसेम्बली को भंग कर दिया गया। इस तरह रूढ़िवादी ताकतें 1848 ई. के उदारवादी आन्दोलन को दबा पाने में सफल हो गयीं।

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 6.
ग्रेट ब्रिटेन के आदर्श राष्ट्र राज्य बनने के कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रेट ब्रिटेन में आदर्श खण्ड राष्ट्र का निर्माण अचानक हुई किसी उथल-पुथल अथवा क्रान्ति का परिणाम नहीं था, बल्कि यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था। ग्रेट ब्रिटेन के आदर्श राष्ट्र राज्य बनने के कारण निम्नलिखित थे

1. अठारहवीं सदी से पूर्व ब्रिटिश राष्ट्र का न होना:
अठारहवीं सदी से पूर्व ब्रिटेन राष्ट्र नहीं था। ब्रिटिश द्वीप समूह में रहने वाले लोगों-अंग्रेज, वेल्स, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय थी। इन समस्त जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक व राजनीतिक परम्परायें थीं, परन्तु जब आंग्ल राष्ट्र की शक्ति, जन सम्पत्ति एवं गौरव में वृद्धि होने लगी तो वह द्वीप समूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हुआ।

2. आंग्ल संसद द्वारा अपनी सर्वोच्चता स्थापित करना:
एक लम्बे संघर्ष के पश्चात् आंग्ल संसद ने 1688 ई. में राजतन्त्र से सत्ता छीन ली तथा अपनी सर्वोच्च सत्ता स्थापित कर ली। इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र राज्य का निर्माण हुआ, जिसके केन्द्र में इंग्लैण्ड था।

3. यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना:
1707 ई. में इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के मध्य एक्ट ऑफ यूनियन के द्वारा ‘यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का गठन हुआ। इस एक्ट के माध्यम से इंग्लैण्ड को स्कॉटलैण्ड पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का अधिकार मिल गया।

4. स्कॉटलैण्ड की संस्कृति का दमन:
ब्रिटिश संसद में आंग्ल (अंग्रेज) सदस्यों के दबदबे के कारण अब स्कॉटलैण्ड की संस्कृति एवं राजनीतिक संस्थाओं का दमन होने लगा। स्कॉटलैण्ड के लोगों को संसद में अपनी भाषा का प्रयोग करने एवं अपनी राष्ट्रीय पोशाक पहनने से मना कर दिया गया। इसके अतिरिक्त अनेक लोगों को देश छेड़ने के लिए मजबूर भी किया गया।

5. आयरलैण्ड में कैथोलिक धर्मावलम्बियों का दमन करना:
आयरलैण्ड कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट धार्मिक गुटों में विभाजित था, परन्तु अधिकांश लोग कैथोलिक थे। इंग्लैण्ड ने कैथोलिकों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रोटेस्टेंटों को समर्थन देना प्रारम्भ कर दिया। इंग्लैण्ड के इस कार्य के विरुद्ध कैथोलिक धर्म मानने वाले लोगों ने विद्रोह प्रारम्भ कर दिया। इस विद्रोह को बलपूर्वक दबा दिया गया।

6. आयरलैण्ड को यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित करना:
1801 ई. में आयरलैण्ड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में सम्मिलित कर लिया गया। इस प्रकार एक नवीन ब्रिटिश राष्ट्र का निर्माण हुआ।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
निम्न में से किस वर्ष महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे
(क) 1915 ई.
(ख) 1951 ई.
(ग) 1927 ई.
(घ) 1918 ई.
उत्तर:
(क) 1915 ई.

2. सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था ?
(क) शुद्ध आत्मिक बल
(ख) कमज़ोर का हथियार
(ग) भौतिक (शारीरिक बल)
(घ) हथियारों का बल
उत्तर:
(क) शुद्ध आत्मिक बल

3. चौरी-चौरा कांड किस वर्ष हुआ
(क) 1920 ई.
(ख) 1922 ई.
(ग) 1925 ई.
(घ) 1928 ई.
उत्तर:
(ख) 1922 ई.

4. कुछ घटनाएँ नीचे दी गई हैं। उचित कालक्रमानुसार क्रम का चयन कीजिए
1. साइमन कमीशन का भारत आना ।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग
3. भारत अधिनियम 1919
4. चंपारन सत्याग्रह सही विकल्प का चयन कीजिए
(क)3-2-4-1
(ख) 1-2-3-4
(ग) 2-3-1-4
(घ) 4-3-1-2
उत्तर:
(घ) 4-3-1-2

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

5. किस घटना से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत हुई
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा
(ख) जब गाँधी-अम्बेडकर समझौता हुआ
(ग) जब गाँधीजी ने इरविन को पत्र लिखा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा

6. पूना पैक्ट किन दो नेताओं के मध्य हुआ?
(क) गाँधीजी व नेहरू
(ख) नेहरू व सुभाषचन्द्र बोस
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर
(घ) गाँधीजी व सरदार पटेल
उत्तर:
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर

7. निम्नलिखित में से किसने ‘वन्देमातरम्’ लिखा?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ग) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
(घ) द्वारकानाथ टैगोर
उत्तर:
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

8. निम्न में से किसने आन्दोलन से प्रेरित होकर भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया
(क) बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ख) कृपाल सिंह शेखावत ने ।
(घ) राजा रवि वर्मा ने
उत्तर:
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने

रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. भारत आने के बाद गाँधीजी ने कई स्थानों पर ……. आंदोलन चलाया।
उत्तर:
सत्यग्राह

2. ………. आंदोलन जनवरी, 1921 में प्रारंभ हुआ।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत,

3. फरवरी माह, 1992 ई. में ………. कांड हुआ।
उत्तर:
चौरी-चौरा,

4. ………. को गांधी-इरविन समझौता हुआ।
उत्तर:
मार्च,

5. ………. ने भारत माता की छवि को चित्रित किया।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर।

अति लयूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सत्याग्रह के विच्चार में किस बात पर जोर दिया जाता है?
उत्नर:
सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति के आय्रह एबं सत्य की खोज पर जोर दिया आता है।

प्रश्न 2.
सत्याय्रह से कर्मा अभिप्राय है?
उत्तर:
मात्मा गाँधी के अनुसार, सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है। मत्य ही आत्मा का आधार होता है। इसीलिए इस बल को सत्याग्रह का नाम दिया गया है।

प्रश्न 3.
उन तीन स्थानों के नाम बताइए जहाँ गाँधीजी ने सत्याग्रह किया था ?
उत्तर:
गाँधीजी के सत्याग्रह से सम्बन्धित तीन स्थान-

  1. चंपारन-बिहार,
  2. खेड़ा-गुजरात,
  3. अहमदाबाद – गुजरात।

प्रश्न 4.
भारत में सबसे पहले महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह किस स्थान पर आयोजित किया था?
उत्तर: चंपारन (बिहार, 1916) में।.

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प्रश्न 5.
चंपारन में गाँधी ने किसानों को क्या प्रेरणा दी?
उत्तर:
सन् 1916 में गाँधीजी ने बिहार के चंपारन का दौरा कर दमनकारी शासन व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 6.
तैरेट एकड दर्यो तागू किया गया था?
अथवा
भारतीयों ने किस विधेयक को ‘काला कानून’ का
उत्तर:
रॉलेट एक्ट को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने तथा राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बन्द रखने के लिए लागू किया गया। भारतीयों ने इसे ‘काला कानून’ कहा और विरोध किया।

प्रश्न 7.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड कब व कहाँ हुआ?
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में हुआ।

प्रश्न 8.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए कौन
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए जनरल डायर उत्तरदायी था जिसने निहत्थी जनता पर गोली चलाने का आदेश दिया।

प्रश्न 9.
भारत में खिलाफ़ आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया गया ?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा तुर्की के खलीफा के साथ किये गये विश्वासघात के कारण मुसलमानों में असन्तोष था। खलीफा की प्रतिष्ठा की पुनस्थ्थापना हेतु भारत में खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था।

प्रश्न 10.
खिलाफ्त समिति का गठन कब व क्यों किया गया ?
उत्तर:
खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च, 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।

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प्रश्न 11.
हिन्द स्वराज पुस्तक के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्द स्वराज्य पुस्तक के लेखक महात्मा गाँधी थे।

प्रश्न 12.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई?
उत्तर:
दिसम्बर, 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई।

प्रश्न 13.
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ तथा इसमें किसने हिस्सा लिया ?
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन जनवरी, 1921 में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 14.
पिकेर्टिंग क्या है ?
उत्तर:
प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, कारखाना अथवा कार्यालय के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

प्रश्म 15.
अवध किसान सभा किसके द्वारा बमाई गई?
उतर:
अवध किसान सभा जवाहरलाल नेहरू, बाबा रामचंत्र और कुछ अन्य लोगों द्वारा बनाई गई।

प्रश्न 16.1
920 के दशक में किस राज्य में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ?
उत्तर:
1920 के दशक में आन्ध्र प्रदेश राज्य की गूड़ेम पहाड़ियों में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ था।

प्रश्न 17.
“इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट” क्या था?
उत्तर:
इनलेंड इमिग्रेशन एक्ट 1859 ई. में बना था। इसके तहत बागानों में काम करने वाले मजदूर बिना इजाजत बागानों से बाहर नहीं जा सकते थें।

प्रश्न 18.
गाँधीजी ने किस घटना के कारण असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया ?
अथवा
गाँधीजी ने 1922 में असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
चौरी-चौरा की हिंसात्मक घटना के कारण गाँधी जी ने फरवरी, 1922 में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

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प्रश्न 19.
साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्य-शैली का अध्ययन करने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया था ?

प्रश्न 20.
पूर्ण स्वराज की माँग कांग्रेस के किस अधिवेशन में और कब रखी गयी?
अथवा
कांग्रेस ने किस अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज्य”‘ की माँग की?
उत्तर:
पूर्ण स्वराज की माँग दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रखी गयी।

प्रश्न 21.
1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
जवाहर लाल नेहरु।

प्रश्न 22.
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में क्या तय किया गया?
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह तय किया गया कि 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा तथा उस दिन लोग पूर्ण स्वराज्य के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे।

प्रश्न 23.
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व धा?
उत्तर:
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया था।

प्रश्न 24.
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को कौन शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया?
उत्तर:
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया।

प्रश्न 25.
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ना था।

प्रश्न 26.
गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ? इस समझौते की मुख्य बात क्या थी?
उत्तर:
5 मार्च, 1931 को गाँधी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते के माध्यम से गाँधीजी ने लन्दन में आयोजित होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी सहमति प्रदान की थी।

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प्रश्न 27.
लेजिस्लेटिव असेंबली पर कब व किसने बम फेंका ?
उत्तर:
1929 ई. में भगतसिहह एवं बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम फेंका था।

प्रश्न 28.
यह किसने कहा था कि “हम बम और पिस्तौल की उपासना नहीं करते बल्कि समाज में क्रांति चाहते हैं।”
उत्तर:
भगतसिंह ने।

प्रश्न 29.
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा किस स्वतन्त्रता सेनानी ने दिया?
उत्तर:
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा सरदार भगतसिंह ने दिया था।

प्रश्न 30.
गाँवों में सम्पत्न कृषकों एवं उत्तर प्रदेश के जाटों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों सक्रिय भाग लिया?
उत्तर:
क्योंकि वे व्यावसायिक फसलों की खेती के कारण व्यापार में मंदी एवं गिरती कीमतों से परेशान थे।

प्रश्न 31.
अधिकांश व्यवसायी स्वराज को कैसे युग के रूप में देखते थे?
उत्तर:
जहाँ व्यापार पर औपनिवेशिक पाबन्दियाँ नहीं होंगी एवं व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।

प्रश्न 32.
किसने व कब दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया?
अथवा
दमित वर्ग एसोसिएशन का गठन कब हुआ? 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। में संगठित किया।
उत्तर:
सन् 1930 ई. में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।

प्रश्न 33.
दलित वर्गों ने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग क्यों की?
उत्तर:
दलित वर्गों का मत था कि उनकी सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तिकरण से ही दूर हो सकती है। इसलिए उन्होंने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की।

प्रश्न 34.
पूना समझौता कब और किन-किन के मध्य हुआ?
उत्तर:
पूना समझौता सितम्बर, 1932 में महात्मा गाँधी व डॉ. भीमराम अम्बेडकर के मध्य हुआ था।

प्रश्न 35.
पूना पैक्ट की किन्हीं दो मुख्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. दलित वर्गों के लिए प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें दी जायें,
2. दलित वर्गों के लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही-हो।

प्रश्न 36.
‘आनंदमठ’ उपन्यास के लेखक का नाम बताइए।
उत्तर:
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय।

प्रश्न 37.
अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित भारत माता की पेंटिंग की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया, जिसमें वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
दक्षिणी अफ्रीका में महात्मा गाँधी सत्याग्रह में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने 6 नवम्बर, 1913 ई. को न्यूकैसल से ट्रांसवाल की ओर बढ़ रहे मजदूरों के जुलूस का नेतृत्व किया। इस जुलूस को जब अंग्रेज सरकार द्वारा रोका गया तो हजारों मजदूर अश्वेतों के अधिकारों का हनन करने वाले नस्लभेदी कानूनों के खिलाफ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह में सम्मिलित हो गये।

प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट क्या था? इस एक्ट का किसने विरोध किया?
उत्तर:
रॉलेट एक्ट, इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल द्वारा पारित एक ऐसा कानून था जिसके तहत ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द रखने की अनुमति मिल गयी थी। इस एक्ट का भारतीयों ने विरोध किया।

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प्रश्न 3.
अंग्रेज सरकार ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में क्या-क्या कदम उठाए?
अथवा
राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उठाए गए किन्हीं तीन दमनकारी उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेज सरकार ने रॉलट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में निम्नलिखित कदम उठाए

  1. रैलियों एवं जुलूसों पर रोक लगाई गयी।
  2. अंग्रेजी सरकार द्वारा रेलवे व संचार व्यवस्था की सुरक्षा हेतु इंतजाम किये गये।
  3. अमृतसर के स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
  4. दिल्ली में महात्मा गाँधी के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी।
  5. अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया तथा जनरल डायर ने कमान संभाल ली।

प्रश्न 4.
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया निम्न प्रकार थीं

  1. जलियाँवाला बाग घटना की खबर फैलते ही उत्तर भारत के अनेक शहरों में लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरने लगे।
  2. हड़तालें होने लगीं, लोग पुलिस का सामना करने लगे तथा सरकारी इमारतों को निशाना बनाने लगे।

प्रश्न 5.
गाँधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन क्यों किया?
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी सम्पूर्ण भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आन्दोलन चलाना चाहते थे लेकिन उनका मानना था कि हिन्दू और मुसलमानों को एक-दूसरे के नजदीक लाए बिना ऐसा कोई आन्दोलन नहीं चलाया जा सकता इसलिए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। मोहम्मद अली एवं शौकत अली बन्धुओं जैसे युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जन कार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गाँधीजी के साथ चर्चा शुरू कर दी थी।

प्रश्न 6.
महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग की नीति क्यों अपनायी?
अथवा
गाँधीजी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ में महात्मा गाँधी ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था तथा यह शासन इसी सहयोग की वजह से चलाया जा रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्षभर के भीतर ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज की स्थापना हो जायेगी। अत: गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।

प्रश्न 7.
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की कौन-कौन सी योजनाएँ थीं?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
महात्मा गाँधी द्वारा सुझाए गए असहयोग आन्दोलन के संदर्भ में प्रमुख प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की निम्नलिखित योजनाएँ थीं

  1. असहयोग आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।
  2. अंग्रेज सरकार द्वारा दी गई समस्त पदयिय वापिस कर दी जाने
  3. भारतीयों को सरकारी नाकारयों, सेना, पुलिस, अदालतों, म्कलों, विधाया परिषदों एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
  4. यदि अंग्रेज सरकार दमनात्मक कार्यवाही करती है तो एक व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की जायेगी।

प्रश्न 8.
भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति क्या प्रतिक्रिया हुई ?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के किन्हीं तीन आर्थिक प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असहयोग आन्दोलन का क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘असहयोग आन्दोलन’ किस प्रकार शहरी मध्य वर्ग की हिस्सेदारी के साथ शहरों में हुआ? आर्थिक मोर्चे पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ हुईं
    1. हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का परित्याग कर दिया।
    2. प्रधानाध्यापकों एवं अध्यापकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
    3. वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिया।
    4. मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के अतिरिक्त अधिकांश प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
  • असहयोग आन्दोलन के आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित थे
    1. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों पर धरने दिये गये तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
    2. 1921 से 1922 ई. के मध्य विदेशी कपड़ों का आयात आधा हो गया। उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई।
    3. जब लोगों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।

प्रश्न 9.
कुछ समय पश्चात् शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन धीमा पड़ने लगा। क्यों?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के धीरे-धीरे धीमा हो जाने के पीछे कौन से कारण उत्तरदायी थे?
अथवा
शहरों में असहयोग आन्दोलन के मंद होने के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन के धीमा पड़ने/पतन के निम्नलिखित कारण थे

  1. वृहत् स्तर पर मिलों में बनने वाले कपड़ों की अपेक्षा खादी के कपड़े महँगे थे जिन्हें गरीब नहीं खरीद सकते थे। अतः गरीब लोगों ने मिलों के कपड़े पहनने ही पसन्द किए।
  2. वैकल्पिक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया के धीमा होने के कारण विद्यार्थी व शिक्षक राजकीय विद्यालयों में वापस लौटने लगे।
  3. वकीलों के लिए बेरोजगारी एक समस्या बन गयी। अत: वे अपने काम पर धीरे-धीरे वापस लौटने लगे।

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प्रश्न 10.
अवध के किसानों की क्या समस्याएँ थीं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अवध के किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं

  1. अवध के तालुकदारों एवं जमींदारों द्वारा किसानों से अधिक लगान एवं अन्य प्रकार के कर वसूले जा रहे थे।
  2. किसानों को जमींदारों के खेतों पर बेगार अर्थात् बिना किसी पारिश्रमिक के काम करना पड़ता था।
  3. एक पट्टेदार के रूप में किसानों के पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से बेदखल कर दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके।

प्रश्न 11.
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए क्या किया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए निम्नलिखित घोषणाएँ की

  1. वायसराय लॉर्ड इरविन ने भारत को एक डोमिनियन स्टेट्स प्रदान करने के अस्पष्ट प्रस्ताव की घोषणा की।
  2. भारत के भावी संविधान के बारे में चर्चा करने के लिए एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।

प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने से पहले गाँधीजी ने क्या किया?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने से पहले गाँधीजी ने 31 जनवरी, 1930 को वायसराय इरविन को पत्र लिखकर अपनी 11 सूत्री माँगें उसके समक्ष पी। इन्हीं माँगों में से एक थी नमक कर को समाप्त करना। गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार को 11 मार्च 1930 ई. तक सभी माँगें मान ल. की चेतावनी दी अन्यथा वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ कर देंगे।

प्रश्न 13.
महात्मा गाँधी ने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध लड़ने के लिए नमक को ही अस्त्र के रूप में क्यों चुना?
उत्तर:

  1. नमक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था जिसका प्रयोग अमीर व गरीब दोनों समान रूप से करते हैं।
  2. ब्रिटिश सरकार ने नमक पर कर तथा उसके उत्पादन पर सरकारी एकाधिकार स्थापित कर रखा था जो कि ब्रिटिश सरकार का एक दमनकारी पहलू था।
  3. स्वतन्त्रता आन्दोलन को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक अस्त्र के रूप में चुना।

प्रश्न 14.
गाँधीजी की नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था? गाँधीजी द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति किस प्रकार की गई?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा 12 मार्च, 1930 को साबरमती से प्रारम्भ होकर 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचकर समाप्त हुई। गाँधीजी की इस नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा निर्मित नमक कानून को तोड़ना था। गाँधीजी ने समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाकर इस उद्देश्य को पूर्ण किया।

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प्रश्न 15.
गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस क्यों लिया ?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान अप्रैल, 1930 में महात्मा गाँधी के साथी खान अब्दुल गफ्फार खान एवं मई, 1930 में महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी से आन्दोलन उग्र हो गया। लोगों ने हिंसक गतिविधियों की जिससे कई लोग मारे गये। अतः जनता द्वारा की जाने वाली हिंसात्मक कार्यवाहियों के कारण गाँधीजी ने आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया।

प्रश्न 16.
गाँवों के सम्पन्न किसान समुदाय ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों भाग लिया?
अथवा
सम्पन्न कृषक सिविल नाफरमानी आन्दोलन में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:

  1. सम्पन्न कृषक व्यापारिक फसलों का उत्पादन करते थे, कीमतों में गिरावट के कारण व्यापार में मन्दी आ गई, जिसके कारण उनकी आय में बहुत कमी आ गई थी।
  2. उनकी नगद आय समाप्त होने से उनके द्वारा राजकीय लगान चुकाना मुश्किल हो गया।
  3. ब्रिटिश सरकार द्वारा लगान में कमी करने से इन्कार कर दिया गया था।
  4. इससे सम्पन्न कृषकों में रोष उत्पन्न हो गया और वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय हो गये।

प्रश्न 17.
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ में गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते थे। महामंदी के लम्बी खिंचने तथा नकद आमदनी के कम होने पर उनके लिए जमीन का किराया चुकाना मुश्किल हो गया। अतः वे लगान में कमी के साथ ही जमींदारों को दिए जाने वाले भाड़े की माफी चाहते थे। इसलिए उन्होंने कई क्रांतिकारी आन्दोलनों में भाग लिया। इन आन्दोलनों का नेतृत्व प्रायः समाजवादियों तथा कम्युनिस्टों द्वारा किया जाता था। कांग्रेस ‘भाड़ा विरोधी’ आन्दोलनों का समर्थन करने में संकोच करती थी क्योंकि इससे अमीर किसानों तथा जमींदारों के नाराज होने का डर था। अत: गरीब किसानों तथा कांग्रेस के मध्य संबंध अनिश्चित बने रहे।

प्रश्न 18.
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
महिलाओं ने सविनय अवज्ञान आन्दोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भाग लिया। गाँधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान वे अपने घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया तथा विदेशी वस्त्रों एवं शराब की दुकानों पर विरोध प्रदर्शन किया। कई महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी क्षेत्रों में जो महिलाएँ उच्च जाति वर्ग की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में से धनिक कृषक परिवारों में से थीं, वे राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र कर्त्तव्य मानती थीं।

प्रश्न 19.
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए ? संक्षेप में बताइए।
अथवा
गाँधी द्वारा हरिजनों को उनके अधिकारों को दिलाने के लिए लिए तीन प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किये

  1. गाँधीजी ने अछूतों को हरिजन अर्थात् ईश्वर की सन्तान बताया।
  2. उन्होंने मन्दिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों एवं कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया।
  3. मैला ढोने वालों के काम को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए उन्होंने स्वयं शौचालय साफ किए।
  4. गाँधीजी ने ऊँची जातियों का आह्वान किया कि वे अपना हृदय परिवर्तन करें एवं अस्पृश्यता के पाप का त्याग करें।

प्रश्न 20.
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता कौन थे? इस संगठन की प्रमुख माँगें क्या थीं?
उत्तर:
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल की माँग की किन्तु बाद में मुस्लिम लीग अपनी इस माँग को छोड़ने के लिए तैयार हो गयी बशर्ते मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में सीटों का आरक्षण दिया जाए तथा मुस्लिम बाहुल्य प्रान्तों में मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 21.
बंगाल में ‘स्वदेशी आन्दोलन’ के दौरान किस प्रकार का झण्डा तैयार किया गया था? इसकी मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान हरे, पीले व लाल रंग का एक तिरंगा झण्डा तैयार किया गया। मुख्य विशेषताएँ:

  1. इसमें कमल के आठ फूलों को दर्शाया गया जो कि ब्रिटिश भारत में आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते थे।
  2. इसमें अर्द्धचंद्र दर्शाया गया जो हिन्दुओं और मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था।

प्रश्न 22,
1921 तक किसने स्वराज का झण्डा’ तैयार कर लिया था? स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1921 तक महात्मा गाँधी ने भी स्वराज का झण्डा तैयार कर लिया था। मुख्य विशेषताएँ

  1. यह झण्डा तिरंगा (सफेद, हरा व लाल) था।
  2. इसके बीच में गाँधीवादी प्रतीक चरखें को स्थान दिया गया था जो स्वावलंबन का प्रतीक था।
  3. यह झण्डा जुलूसों में थामकर चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में उत्पन्न नई आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा भारत में पैदा की गई नयी आर्थिक स्थिति के संदर्भ में किन्हीं तीन तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर प्रथम विश्वयुद्ध के निहितार्थों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा

  1. प्रथम विश्वयुद्ध ने नई आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति पैदा कर दी थी।
  2. युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, जिसकी भरपाई युद्ध-ऋणों व करों में वृद्धि से की गई।
  3. युद्ध के दौरान देश में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई। 1913 से 1918 ई. के मध्य कीमतें लगभग दो गुनी हो गईं जिसके कारण सामान्य जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें अपनी सीमित आमदनी से घरेलू आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदना मुश्किल हो गया।
  4. अंग्रेजों ने गाँवों के लोगों को जबरदस्ती सेना में भर्ती कर लिया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रोष फैल गया।
  5. आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोगों का जीवन स्तर निम्न होने से उन्हें अनेक बीमारियों ने घेर लिया जिनमें फ्लू की महामारी प्रमुख थी।

प्रश्न 2.
किन्हीं ऐसे तीन कार्यों को बताइए जो गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद किए ?
अथवा
भारत आने के बाद गाँधी जी ने किन-किन तीन स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया?
गाँधीजी ने निम्नलिखित सत्याग्रह क्यों किए
(अ) चम्पारन,
(ब) खेड़ा,
(स) अहमदाबाद।
अथवा चम्पारन किसान आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद महात्मा गाँधी द्वारा किए गए कार्य अथवा सत्याग्रह निम्नलिखित थे
1. बिहार के चम्पारन में अंग्रेज सरकार द्वारा बागान श्रमिकों का शोषण किया जाता था। महात्मा गाँधी को यह जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंने 1916 ई. में चम्पारन का दौरा कर सत्याग्रह के माध्यम से दमनकारी बागान व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

2. फसल खराब हो जाने एवं प्लेग की महामारी के कारण गुजरात के खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की स्थिति में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाये। – जी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने 1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया।

3. अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिलों के मजदूर अपनी कठोर सेवा शतों से परेशान थे। गाँधीजी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने सन् 1918 ई. में अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह का आयोजन किया।

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प्रश्न 3.
खिलाफत आन्दोलन क्या था? राष्ट्रीय आन्दोलन में इसके महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की साम्राज्य को पराजय का सामना करना पड़ा था। भारतीय मुसलमान अंग्रेज सरकार से नाराज थे क्योंकि उसने तुर्की के सुल्तान के साथ उचित व्यवहार नहीं किया। तुर्की के सुल्तान को विश्वभर के मुसलमानों का आध्यात्मिक नेता (खलीफा) माना जाता था।

इस आशय की खबर फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक कठोर सन्धि थोपी जायेगी। इस प्रकार से खलीफा को अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। मोहम्मद अली व शौकत अली इसके प्रमुख नेता थे।

गाँधीजी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधीजी ने दूसरे अन्य नेताओं को खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करने एवं स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफत आन्दोलन का बहुत अधिक महत्त्व था। इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की तथा हिन्दू व मुसलमानों में एकता स्थापित की। मुसलमानों ने भी असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

प्रश्न 4.
1909 में गाँधी जी द्वारा रचित पुस्तक का नाम बताइए। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति क्यों अपनावी?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जी ने 1909 में ‘हिन्दू स्वराज’ नामक पुस्तक का लेखन किया था। गाँधी जी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन उसी सहयोग की वजह से चल रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्ष भर के भीतर ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज्य की स्थापना हो जायेगी।

असहयोग का विचार आन्दोलन कैसे बन सकता था? गाँधी जी का सुझाव था कि यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। सर्वप्रथम लोगों को सरकार द्वारा दी गई उपाधियाँ लौटा देनी चाहिए तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए, यदि ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर दमन का रास्ता अपनाती है तो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन खत्म कर दिया जाए।

प्रश्न 5.
देहात में असहयोग आन्दोलन के फैलने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन शहरों से बढ़कर देहात में भी फैल गया। प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् देश के विभिन्न भागों में चले किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में समा गए। अवध में किसानविद्रोह का नेतृत्व संन्यासी बाबा रामचन्द्र कर रहे थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों व जमीदारों के विरुद्ध था।

जवाहरलाल नेहरू ने अनेक गाँवों का दौरा कर किसानों को असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित करने का प्रयास किया। 1921 में जब असहयोग आन्दोलन फैला तो तालुकदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे। आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में फैले आन्दोलन का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू कर रहे थे। उन्होंने लोगों को खादी पहनने एवं शराब छोड़ने को प्रेरित किया।

प्रश्न 6.
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की क्या समस्याएँ थीं?
अथवा
वे कौन-कौन से कारण थे जिनकी वजह से आन्ध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों के आदिवासी किसानों ने विद्रोह किया ?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं जिसकी वजह से उन्होंने विद्रोह किया

  1. ब्रिटिश सरकार ने सम्पूर्ण वन क्षेत्र में लोगों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी थी।
  2. आदिवासी लोग अपने मवेशियों को वन क्षेत्र में नहीं चरा सकते थे।
  3. अब आदिवासी लोग वन क्षेत्र से जलावन की लकड़ी एवं फल इकट्ठा नहीं कर सकते थे।
  4. ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें सड़कों के निर्माण कार्य में बेगार करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
  5. ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासी लोगों के परम्परागत अधिकारों को छीना जा रहा था जिससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था। इन समस्याओं के कारण पहाड़ी क्षेत्र के आदिवासी किसानों ने 1920 के दशक के प्रारम्भ में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन के रूप में विद्रोह कर दिया।

प्रश्न 7.
गाँधीजी की ‘नमक यात्रा’ को स्पष्ट कीजिए और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना बताइए।
अथवा
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ का कार्यक्रम क्या था? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा-नमक कर को समाप्त करने की गाँधीजी की माँग को ब्रिटिश सरकार द्वारा नहीं माना गया फलस्वरूप गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वसनीय सहयोगियों के साथ प्रसिद्ध दांडी यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से लेकर गुजरात के तटीय शहर दांडी तक 240 किमी लम्बी थी।

6 अप्रैल, 1930 ई. को गाँधीजी दांडी पहुँचे तथा समुद्री पानी को उबालकर नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। यहीं से सविनय आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना-गाँधीजी द्वारा प्रारम्भ सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना में निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं

  1. नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ना,
  2. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना एवं स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना,
  3. महिलाओं द्वारा शराब व विदेशी वस्तुओं की दुकानों पर धरना देना,
  4. अंग्रेजों को सहयोग न करना,
  5. औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करना,
  6. सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपनी नौकरियों से त्याग-पत्र देना,
  7. जन-सामान्य द्वारा सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार करना।

प्रश्न 8.
इतिहास की पुनर्व्याख्या ने राष्ट्रवाद की भावनाओं को बढ़ावा देने में किस प्रकार मदद की?
अथवा
“भारत के इतिहास की पुनर्व्याख्या राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक और साधन थी।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।

उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अतः राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उसकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए एवं संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। निबन्धात्मक प्रश्न

JAC Class 10 Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

प्रश्न 1.
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई पाँच प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित थीं:
1. करों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इन खर्चों की पूर्ति हेतु सरकार ने करों में वृद्धि कर दी। सीमा शुल्क को बढ़ा दिया तथा आयकर नामक एक नया कर भी लगा दिया गया। इससे जनता दुखी हो गई।

2. कीमतों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वस्तुओं की कीमतें लगभग दो गुनी हो चुकी थीं। बढ़ती हुई कीमतों के कारण आम जनता की कठिनाइयाँ बढ़ गयीं और उनका जीवन निर्वाह करना भी कठिन हो रहा था।

3. सैनिकों की बलपूर्वक भर्ती-प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को अधिक से अधिक सैनिकों की आवश्यकता थी। अतः गाँवों में भारतीय युवाओं को सेना में बलपूर्वक भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया।

4. दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप-वर्ष 1918-1920 व 1920-1921 में देश में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। उसी समय देशभर में फ्लू की महामारी फैल गयी। दुर्भिक्ष व महामारी के कारण 120-130 लाख भारतीय मौत के मुँह में समा गए।

5. जनता की आकांक्षाएँ पूरी न होना-भारतीय जनता को यह आशा थी कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् उसके कष्टों एवं कठिनाइयों का अन्त हो जायेगा परन्तु उनकी आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुई। इस कारण भी भारतीयों में घोर असन्तोष फैला हुआ था।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के सत्याग्रह सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए। गाँधीजी के किन गुणों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को एक जन आन्दोलन बना दिया?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जनवरी, 1915 दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गाँधीजी ने एक नए तरह के आन्दोलन पर चलते हुए दक्षिण अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था। इस पद्धति को वह सत्याग्रह कहते थे। सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था।

सत्याग्रह का अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है, तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का भारत में राष्ट्रवाद 45 सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। सत्याग्रह के लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।

उत्पीड़क शत्रु को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाए सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है। गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा का यही मार्ग सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है। गाँधीजी के अहिंसावादी गुणों के कारण उनके साथ विद्यार्थी, शिक्षक, वकील, किसान, उद्योगपति, श्रमिक व सभी जाति, धर्मों के लोग जुड़ गये और उनके आन्दोलन ने जन आन्दोलन का रूप ले लिया।

प्रश्न 3.
रॉलेट एक्ट क्या था? गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध एवं ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति का वर्णन कीजिए।
अथवा
रॉलेट एक्ट का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
गाँधीजी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट-देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना गया। इस कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।

गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध-गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये। दुकानों को बन्द कर दिया गया। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई।

अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दीं। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया।

ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलाबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में घायल हो गये।

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प्रश्न 4.
असहयोग:
खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे कौन-कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार थीं?
अथवा
गाँधीजी ने असहयोग व खिलाफत आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? किस कारण यह आन्दोलन वापस ले लिए गए?
अथवा
1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के खिलाफ गाँधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला क्यों लिया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे निम्नलिखित परिस्थितियाँ जिम्मेदार थीं
1. प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा पैदा की गई परिस्थितियाँ:
प्रथम विश्वयुद्ध 1914 ई. से 1918 ई. के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, इन खर्चों की भरपाई के लिए करों में वृद्धि की गयी। युद्ध के कारण कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया तथा आयकर शुरू कर दिया गया। इन सब कारणों से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयीं।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने के कारण बहुत अधिक रोष व्याप्त था। सन् 191819 एवं 1920-21 में देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गयी थी, जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव उत्पन्न हो गया था। दुर्भिक्ष एवं फ्लू की महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। लोगों को ऐसी उम्मीद थी कि विश्वयुद्ध की समाप्ति से उनकी मुसीबत कम होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

2. गाँधीजी की दक्षिण अफ्रीका से वापसी एवं सत्याग्रह:
महात्मा गाँधी जनवरी 1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा एवं सत्याग्रह का नया तरीका अपनाकर वहाँ की औपनिवेशिक सरकार से सरलतापूर्वक टक्कर ली। भारत में भी उन्होंने अनेक स्थानों; जैसे-चंपारन (बिहार), खेड़ा (गुजरात) एवं अहमदाबाद (गुजरात) आदि में सफलतापूर्वक सत्याग्रह का आयोजन किया। इन सत्याग्रहों ने असहयोग आन्दोलन को आधार प्रदान किया।

3. रॉलेट एक्ट:
भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल ने रॉलेट एक्ट कानून को पारित कर दिया। इस एक्ट के तहत पुलिस के अधिकारों में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए तथा राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द रखने का अधिकार मिलं गया था। अतः गाँधी जी ने इस एक्ट के खिलाफ राष्ट्रव्यायी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला लिया।

4. जलियाँवाला बाग की घटना:
जलियाँवाला बाग की घटना ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन का और अधिक विरोधी बना दिया। पहले से ही रॉलेट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन हो रहे थे। जलियाँवाला बाग में लोग वैशाखी मेले के साथ-साथ इस एक्ट का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। जनरल डायर ने वहाँ पहुँचकर निहत्थी भीड़ को गोलियों से भून दिया। इस हत्याकांड में अनेक लोग मारे गये व अनेक घायल हुए। जैसे ही इस हत्याकांड की खबर देश की जनता में फैली, लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतर पड़े।

आन्दोलन वापस लेने के कारण निम्नलिखित थे:
1. गोरखपुर स्थित चौरी:
चौरा के बाज़ार से गुज़र रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन रोकने का आहवान किया।

2. फरवरी:
1922 में महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला कर लिया क्योंकि उनको लगता था कि आन्दोलन हिंसक हाता जा रहा है और सत्याग्रहियों को व्यापक प्रशिक्षण की ज़रूरत है।

3. आन्दोलन यापन लेने का:
एक कारण यह भी था कि कांग्रेस के कुछ नेता इस तरह के जनसंघर्षों से थक चुके थे तथा वे प्रान्तीय परिपदी के चुनाव में हिस्सा होना चाहते थे जिससे कि वे ब्रिटिश नीतियों का विरोध कर सकें।

प्रश्न 5.
अवध किसान आन्दोलन के घटनाक्रम का वर्णन कीजिए। किसानों ने विरोध प्रदर्शन कैसे किया ?
उत्तर:
अवध में संन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों के आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे। बाबा रामचन्द्र इससे पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर काम कर चुके थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ था, जो किसानों से भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल कर रहे थे। किसानों को बेगार करनी पड़ती थी।

पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी ज़मींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। बहुत सारे स्थानों पर ज़मींदारों को नाई-धोबी की सुविधाओं से भी वंचित करने के लिए पंचायतों ने नाई-धोबी कार्य बन्द करने का फैसला लिया।

भारत में राष्ट्रवाद (47) जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गाँवों का दौरा किया, गाँव वालों से बातचीत की और उनकी व्यथा समझने का प्रयास किया। अक्टूबर तक जवाहर लाल नेहरू, बाबा रामचन्द्र तथा कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन कर लिया गया।

महीने भर में इस पूरे इलाके के गाँवों में संगठन की 300 से ज्यादा शाखाएँ बन चुकी थीं। अगले साल जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया लेकिन किसानों के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं था।

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प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन किन परिस्थितियों में चलाया गया?
अथवा
1930 में महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निर्णय कैसे किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं नमक आन्दोलन निम्न परिस्थितियों में चलाया गया
1. साइमन कमीशन की असफलता:
भारत में राष्ट्रवादियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन कर दिया। इस आयोग का प्रमुख कार्य भारत में संवैधानिक कार्य शैली का अध्ययन कर उसके बारे में सुझाव देना था।

इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण 1928 ई. में इस कमीशन के भारत पहुँचने पर उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। इस तरह यह कमीशन भारतीय लोगों एवं नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।

2. पूर्ण स्वराज की माँग:
दिसम्बर, 1929 ई. में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया। इस अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय किया गया।

उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे। परन्तु इस उत्सव की ओर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया। अत: महात्मा गाँधी को स्वतन्त्रता के इस अमूर्त विचार को दैनिक जीवन के ठोस मुद्दे से जोड़ने के लिए कोई और रास्ता ढूँढ़ना था।

3. गाँधीजी की 11 माँगें:
31 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने भारतीय जनता के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए अंग्रेज वायसराय लॉर्ड इरविन के समक्ष 11 माँगों को प्रस्तुत करते हुए एक पत्र लिखा। इनमें एक प्रमुख माँग थी-नमक पर लगाए कर को समाप्त करना। महात्मा गाँधी का यह पत्र एक चेतावनी की तरह था। यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी।

लॉर्ड इरविन ने गाँधीजी की शर्ते मानने से इन्कार कर दिया फलस्वरूप गाँधीजी ने अपने विश्वासपात्र 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से दांडी तक यात्रा की। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत थी।

4. आर्थिक कारण:
1929 ई. की आर्थिक महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषकर कृषि पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादों की कीमतें बहुत अधिक गिर गयीं वहीं दूसरी ओर औपनिवेशिक सरकार ने लगानों में वृद्धि कर दी जिससे किसानों को अपनी उपज बेचकर लगान चुकाना भी कठिन हो गया। व्यापारी वर्ग औपनिवेशिक सरकार के व्यापार नियमों से परेशान थे। इन सब कारणों ने आन्दोलन करने के मार्ग को प्रशस्त किया।

प्रश्न 7.
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रवाद को साकार करने में लोककथाओं, गीतों एवं चित्रों आदि के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
1. चित्र:
किसी भी राष्ट्र की पहचान सबसे अधिक किसी चित्र में अंकित की जाती है। इससे लोगों को एक ऐसी छवि निर्मित करने में सहायता मिलती है जिसके माध्यम से वे राष्ट्र को पहचान सकते हैं। स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा से सन् 1905 में अबनीन्द्रनाथ द्वारा बनाए चित्र में भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में चित्रित किया गया, इस चित्र में वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती हैं। इस छवि में भारत माता को शिक्षा, भोजन व कपड़े देती हुई दर्शाया गया है। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद की आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।

2. चिह्न एवं प्रतीक:
भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार के साथ-साथ राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने एवं उनमें राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करने के लिए विभिन्न चिह्नों एवं प्रतीकों का भरपूर उपयोग होने लगा। . बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा तैयार किया गया जिसमें हरा, पीला व लाल रंग थे।

इस तिरंगे झण्डे में ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल तथा हिन्दुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक अर्धचन्द्र दर्शाया गया था। 1921 ई. तक गाँधीजी ने भी स्वराज का एक झण्डा तैयार कर लिया था, यह भी तिरंगा था, इसमें सफेद, हरा व लाल रंग था। इस झण्डे के मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलम्बन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।

3. लोक कथाएँ एवं गीत:
भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने में आन्दोलन ने भी राष्ट्रवाद के विकास में पर्याप्त योगदान दिया। 19वीं सदी में अन्त में राष्ट्रवादियों ने भाटों एवं चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं का संग्रह करना प्रारम्भ कर दिया। वे लोकगीतों व जनश्रुतियों को एकत्रित करने के लिए गाँव-गाँव घूमने लगे। उनकी मान्यता थी कि ये लोक कथाएँ हमारी उस परम्परागत संस्कृति की सही तस्वीर प्रस्तुत करती हैं जो बाहरी शक्तियों के प्रभाव से भ्रष्ट व दूषित हो चुकी हैं।

बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक कथा गीतों, बाल गीतों एवं मिथकों का संग्रह करने का प्रयास किया। उन्होंने लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने ‘द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इण्डिया’ के नाम से तमिल लोक कथाओं का विशाल संग्रह चार खण्डों में प्रकाशित किया। उनका मत था कि लोक कथाएँ राष्ट्रीय साहित्य होती हैं। यह लोगों के वास्तविक विचारों एवं विशिष्टताओं की सबसे विश्वसनीय अभिव्यक्ति हैं।

4. इतिहास की पुनर्व्याख्या:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।

उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अत: राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उनकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया।

स्रोत पर आधारित प्रश्न

दिए गए स्रोत को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
स्रोत : शहरों में आंदोलन
आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हज़ारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।

मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के ज़रिए उन्हें वे अधिकार मिल सकते हैं जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते हैं इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।

आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज़्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था।

उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़े को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।

प्रश्न 1.
परिषद् चुनावों के बहिष्कार के संबंध में जस्टिस पार्टी’ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जस्टिस पार्टी का मत था कि काउंसिल में प्रवेश के द्वारा वह उन अधिकारों को हासिल कर सकती है जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिलते हैं। अत: उसने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।

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प्रश्न 2.
‘आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन’ का असर नाटकीय क्यों रहा?
उत्तर:
विदेशी सामानों का बहिष्कार किए जाने, शराब की दुकानों की पिकेटिंग करने तथा विदेशी कपड़ों की होती जलाने के कारण आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन का असर नाटकीय रहा।

प्रश्न 3.
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार’ आन्दोलन से पड़े प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार आन्दोलन’ के प्रभाव के कारण लोगों ने आयापित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़ों को पहनना शुरू कर दिया जिससे भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघो का उत्पादन बढ़ गया।

मानचित्र कार्य

1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चंकरण
(ii) खेड़ा

2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) दिल्ली
(ii) जलियाँवाला बाग

3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) अवध
(ii) बंबई

4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिएअंकित कीजिए-
(i) साबरमती
(ii) पूना

5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण। अंकित कीजिए-

6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) बंगाल
(ii) पंजाब

7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चौरी-चौरा
(ii) कलकत्ता

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8. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) चेन्नई (मद्रास)
(ii) दांडी

9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) बंगाल
(ii) बारदोली।

10. भारत के रेखा मानचित्र में भारत के राष्ट्रवाद से जड़े अंकित कीजिए किन्हीं दो स्थलों को दर्शाइए।
(i) अहमदाबाद
(ii) अमृतसर।

11. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण।

12. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) सूरत
(ii) गोवा।

13. दिए गए भारत के रेखा मानत्रित मानचित्र मेंनिम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. अहमदाबाद
  2. दादरा और नगर हवेली
  3. सिक्किम
  4. दिल्ली

1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ दिसंबर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। (नागयुर)
  2. वह स्थान जो किसानों के सत्याग्रह से जुड़ा था। – खेडा (गुजरता)
  3. वह स्थान जो असहयोग आन्दोलन को वापस लेने से जुड़ा था। – चौरी-चौरा
    • अथवा
      वह स्थान जहाँ 22 पुलिस वालों को हिंसक भीड़ द्वारा जला दिया था और इस कारण गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया था।
  4.  वह स्थान जहाँ नील उगाने वाले किसानों का आन्दोलन हुआ था। – चंपारन (बिहार)

2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. सन् 1918 में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में गाँधी जी ने सत्याग्रह किया। – अहमदाबादं (गुजरात)
  2. 10 अप्रैल, 1919 में अंग्रेजों ने शांतिपूर्ण जुलूस पर गोलीबारी की। -अमृतसर (पंजाब)

3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ हुआ। -दांडी (गुजरात)
  2. वह स्थान जहाँ 1927 का (में) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन हुआ था। -मद्रास
  3. वह स्थान जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। -अमृतसर (पंजाब)

4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. वह स्थान जहाँ 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -लाहोर
  2. वह स्थान जहाँ नील की ख्वेती करने वाले किसानों ने सत्याग्रह आयोजित किया था। – चंपारन (बिहार)

5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए

  1. सितम्बर 1920 में यहाँ कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। अथवा लेजिस्लेटिव असेम्बली पर भगतसिंह व बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका।
  2. दिसम्बर 1920 में हुए कांग्रेस अधिवेशन का स्थल। -नागपुर

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6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। -मद्रास
  2. वह स्थान जहाँ गाँधीजी ने सूती मिल मजदूरों के पक्ष में सत्याग्रह किया। – हमदाबाद (गुजरात)

7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. 6 जनवरी, 1921 को पुलिस ने किसानों पर गोलियाँ चलाईं। – रायबरेली (उत्तरप्रदेश)
  2. वह स्थान जहाँ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह के आह्वान पर बागानी मजदूरों ने बागान छोड़ दिए। – असम

8. दिए गए भारत के रेखा मानचिन्न में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. शांतिपूर्ण जुलूस तथा पुलिस के हिंसक टकराव में सत्याग्रहियों ने एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। -चौरी-चौरा (उत्तरप्रदेश)
  2. सन 1931 में कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरु आदि उपस्थित थे। -इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश)

9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ से गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया था। -साबरमती (गुजरात)
  2. वह स्थान जहाँ 1927 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। गएास भार

10. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-

  1. वह स्थान जहाँ सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -कलकत्ता
  2. वह स्थान जहाँ किसान सत्याग्रह हुआ था। – खेड़ा (गुजरात)

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