JAC Class 10 Hindi रचना संदेश लेखन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana संदेश लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana संदेश लेखन

अपने मनोभावों और विचारों को प्रकट करने का सशक्त माध्यम संदेश-लेखन कहलाता है। इस माध्यम के द्वारा हम अपने प्रियजन, सहपाठियों, मित्रों, पारिवारिक सदस्यों या संबंधियों को किसी शुभ अवसर, त्योहार या फिर परीक्षा अथवा नौकरी में सफलता प्राप्त करने आदि अवसरों में अपने मन के भावों को संदेश लिखकर आत्मीयता से प्रकट करते हैं। इस प्रकार संदेश लेखन के माध्यम से शुभकामनाएँ भेजने के साथ-साथ नि:संदेह उनका मनोबल बढ़ाना होता है।

संदेश लेखन लिखते समय ध्यान देने योग्य प्रमुख बिंदु – 

  1. संदेश को बॉक्स के अंदर लिखना चाहिए।
  2. संदेश लिखते समय शब्द, शब्द-सीमा 30 से 40 शब्द ही होनी चाहिए।
  3. संदेश हृदयस्पर्शी तथा संक्षिप्त होने चाहिए।
  4. बॉक्स के बाएँ शीर्ष में दिनांक और उसके नीचे स्थान अवश्य लिखें।
  5. संदेश के आखिर में नीचे प्रेषक का नाम लिखना न भूलें।
  6. संदेश लिखते समय केवल महत्वपूर्ण बातों का ही उल्लेख करें।
  7. मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करने वाली होती है।
  8. संदेश लेखन में तुकबंदी वाली प्रभावशाली पंक्तियाँ भी लिखी जाती हैं।
  9. संदेश दो प्रकार के अनौपचारिक व औपचारिक हो सकते हैं।

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उदाहरण स्वरनप कुछ संदेश दिए गए हैं –

1. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने सहेली को 30 से 40 शब्दों में एक शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

15 अगस्त, 20XX
चेन्नई
प्रिय सहेली।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है, विजयी-विश्व का गान अमर है। देश-हित सबसे पहले है, बाकी सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको हार्दिक शुभ कामनाएँ। रोशनी

2. अपने मित्र को वसंत पंचमी के अवसर पर शब्बों में शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :

संवेश

10 फ़रवरी, 20
नई दिल्ली
मित्रवर,
गेंदा गमके महक बिखेरे।
उपवन को आभास दिलाए।
बहे बयरिया मधुरम-मधुरम।
प्यारी कोयल गीत जो गाए।
ऐसी बेला में उत्सव होता जब।
वाग्देवी भी तान लगाए।
आपको वसंत पंचमी के अवसर पर ढेर सारी बधाई और उम्मीद है कि आप हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी वार्षिक वसंतोत्सव में वाग्देवी की सेवा में सहभागिता देंगे।
आर्यन

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3. आप अमेरिका में रहते हैं और गणतंत्र दिवस के अवसर पर अपने भारतीय सहेली को 30 से 40 शब्बों में शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

26 जनवरी, 20
नवी मुंबई
प्रिय मान्यता।
भारत देश हमारा है यह हमको जान से प्यारा है
दुनिया में सबसे न्यारा यह सबकी आँखों का तारा है
मोती हैं इसके कण-कण में बूँद-बूँद में सागर है
प्रहरी बना हिमालय बैठ धरा सोने की गागर है।
इस गणतंत्र दिवस की आप और आपके परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ। भारत देश ऐसे ही कामयाबी की बुलंदियों को छूता रहे। अपने राष्ट्र की समृद्धि और उन्नति में अपना योगदान देना हर भारतवासी का कर्तव्य है।
कविता

4. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर शिष्य द्वारा विज्ञान शिक्षक को 30 से 40 शब्दों में शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

28 फ़रवरी, 20XX
नई दिल्ली
आदरणीय गुरुदेव,
28 फ़रवरी, 1928 को सर सी०आर० रमन ने 1930 में अपनी खोज की घोषणा कर नोबल पुरस्कार प्राप्त किया था। जो विज्ञान विशिष्ट ज्ञान को जीवन के अनुभव के साथ जोड़कर शिक्षा देता है और उस शिक्षा से शिक्षार्थी का जीवन सार्थक बनता है, वही विषय विज्ञान कहलाता है। हर दिन आपके द्वारा पढ़ाए गए विज्ञान विषय से मेरी रुचि में अद्भुत परिवर्तन आया। आपके अनुभव ने मेरा और मुझ जैसे अनेक शिष्यों का मार्गदर्शन कर आदर्श विज्ञान शिक्षक की भूमिका का निर्वाह किया। आपका उद्देश्य सर्वदा विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना रहा है। ऐसे विशिष्ट गुरु को मेरा शत-शत प्रणाम। विज्ञान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
अभिनव

5. विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के प्रकाशन पर अध्यक्ष द्वारा विद्यार्थियों को 30 से 40 शब्दों में शुभकामना संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

5 अप्रैल, 20
कोलकाता
प्रिय विद्यार्थियो,
सत्र 20-20 की वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन हो रहा है। उत्कृष्ट लेख, नाटक, प्रहसन, चुट्कुले, निबंध आदि के प्रकाशन हेतु प्रवेश नियम विद्यार्थियों को विद्यालय के सूचना बोर्ड पर शर्तों के साथ सूचित कर दिया गया है। इस साहित्यिक पत्रिका में विद्यार्थियों का चहुमुखी साहित्यिक विकास होगा और आप कवि या लेखक के रूप में लेखन द्वारा राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वहन करेंगे, मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।
अध्यक्ष
शिखर त्रिवेदी

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6. अपने मित्र की नौकरी में पदोन्नति होने पर बधाई देते हुए शुभकामना संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

संदेश

8 जून, 20
नई दिल्ली
मित्रवर,
फूल बनके मुसकराना ज़िंदगी है
मुसकरा कर गम भुलाना भी ज़िंदगी है
जीत कर खुश हो तो अच्छा है पर,
हार कर खुशियाँ मनाना भी ज़िंदगी है
आपने अपनी योग्यता और कुशलता का अद्भुत परिचय तो परीक्षा का अंतिम पड़ाव पारकर सभी का दिल जीत लिया था। आज फिर वह अवसर आ गया है कि आपको योग्यता और परिश्रम के बल पर पदोन्नति मिली है, आप इस पदोन्नति के सच्चे हकदार हैं। भविष्य में भी आप अपने सहकर्मियों के लिए एक आदर्श बने रहेंगे। आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ।
जयंत शुक्ल

7. अपनी पूजनीया माता जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

14 अप्रैल, 20
नई दिल्ली
खुद से पहले तुम मुझे खिलाती थी,
रोने पर तुम भी बच्चा बन जाती थी,
खुद जाग-जागकर मुझे सुलाती थी,
शिक्षक बनकर तुम मुझे पढ़ाती थी,
कभी बहन कभी सहेली बन जाती थी।
आपने-अपने प्रेम, परम त्याग और आदर्शों से पूरे परिवार को प्रेम के धागे में बाँधे रखा। हमेशा अपने मश्दु अनुभवों से हमारा मार्गदर्शन किया। मैंने माँ के रूप में सच्ची सहेली और शिक्षिका पाया। आपके चरणों में शत-शत नमन। जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
अनन्या

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8. मोबाइल फोन को कम उपयोग करने के लिए विद्यार्थियों को 30-40 शब्दों में संदेश लिखिए।
उत्तर :

संदेश

22 जुलाई, 20
नई दिल्ली
प्रिय विद्यार्थियो
खोजा बहुत ही उसको, नहीं मुलाकात हुई उससे।
घर-घर में खिलता था वह बचपन बिना मोबाइल जो।
जो करता दुरुपयोग इसका नर्वस सिस्टम होता खराब।
बीमारियों का आमंत्रण, डिप्रैशन, अनेक विकार।
स्मरण शक्ति का निश्चय होता है ह्रास।
रवि

9. अपनी छोटी बहन के जन्मदिवस पर उसे एक बधाई संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
शुभकामना संवेश
दिनांक : 6 नवंबर, 20
समय : प्रातः 6 : 00 बजे
प्रिय आयुषि
जन्मदिन की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।
खुशियाँ व सफलता तुम्हारे कदम चूमें। मेरी ईश्वर से यही दुआ है कि तुम दीर्घायु हो, स्वस्थ रहो और प्रगति के मार्ग प्रशस्त करती रहो। तुम्हारी बड़ी बहन
कामिनी

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10. ‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर अपने हिंदी शिक्षक के लिए एक भावपूर्ण संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
दिनांक : 5 सितंबर, 20 संदेश
समय : प्रातः 8: 00 बजे
आदरणीय गीता मैडम
शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
“मातृभाषा (हिंदी) का हमें ज्ञान कराया
अपने अथक प्रयासों से हमारे भविष्य को चमकाया।
आप जैसे शिक्षक से हमने अपना जीवन धन्य पाया।”
“शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ”
आपका शिष्य
क० ख० ग०

JAC Class 10 Hindi रचना संवाद-लेखन

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JAC Board Class 10 Hindi Rachana संवाद-लेखन

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत को संवाद कहते हैं। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह-तरह के हाव-भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह-अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं।

संवादों के बिना दो लोगों के बीच बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थिति तो जड़ अवस्था को जन्म देती है। सामान्य बातचीत, लड़ाई-झगड़ा, हँसी-मज़ाक, प्रेम-घृणा, वाद-विवाद आदि सभी संवादों के सहारे ही पूरे होते हैं। संवादों में अनेक गुण होने चाहिए ताकि उनसे दूसरों को मनचाहे ढंग से प्रभावित किया जा सके या उन पर वही प्रभाव डाला जा सके जो हम डालना चाहते हैं। संवादों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

  • संवाद स्वाभाविक होने चाहिए।
  • उनकी भाषा अति सरल, सरस, भावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
  • उनमें जहाँ कहीं संभव हो वहाँ विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • उनकी लंबाई अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे संवाद स्वाभाविक और सहज होते हैं। लंबे संवाद भाषण का बोध कराते हैं।
  • भाषा में भावों के अनुरूप चुटीलापन, पैनापन, स्पष्टता और सहजता होनी चाहिए।
  • उनमें कही जाने वाली बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो जानी चाहिए।

संवाद के कुछ उदाहरण – 

प्रश्न 1.
घर आए मेहमान और राकेश की बातचीत संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • राकेश – कौन है बाहर ?
  • मेहमान – मैं हूँ नीरज गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
  • राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। आप भीतर आइए। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
  • मेहमान – आप कौन हैं? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेरे सहयोगी हैं।
  • राकेश – मैं उनका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरू रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आप को नहीं पहचानता।
  • मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
  • राकेश – वहाँ एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ।
  • मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीरज गुप्ता आए थे।
  • राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
  • मेहमान – उनका नंबर नहीं लग रहा, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ़्तर की किसी समस्या के बारे में।
  • राकेश – ठीक है। जैसा आप उचित समझें।

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प्रश्न 2.
हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए दो मित्रों की बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
  • रजत – आती क्यों नहीं ! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
  • कमल – भाषा का संबंध अच्छे-बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
  • रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
  • कमल – अपनी-अपनी समझ है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज़ी तो सबको समझ भी नहीं आती।
  • रजत – वैसे भी हम जितनी अच्छी तरह अपने भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
  • कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कहीं-कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
  • रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
  • कमल – हाँ, हम इसमें जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।

प्रश्न 3.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
  • काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई-लिखाई में तेज़ है।
  • मनस्वी – वह अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है – इससे तो बड़े-बड़े भी डरते हैं।
  • काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए?
  • मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में एक भी छुट्टी नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
  • काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
  • मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
  • काम्या – यह बात तो ठीक है। पर अब हम कर क्या सकते हैं ?

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प्रश्न 4.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद रूप में कीजिए।
उत्तर :

  • मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
  • गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
  • मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
  • गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
  • मनुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
  • गीतिका n- हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर लुटेरा ही न हो।
  • मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
  • गीतिका – यह अच्छा है।
  • मनुज – रिश्ते-नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।

प्रश्न 5.
मालविका और सागरिका में पेड़-पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • मालविका – कल वन महोत्सव है।
  • सागरिका – तो, कल क्या होगा ?
  • मालविका – हम तो मिलजुल कर अपने स्कूल में नए पौधे लगाएँगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
  • सागरिका – उससे क्या लाभ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
  • मालविका – अरे नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
  • सागरिका – इससे क्या होता है ?
  • मालविका – इसी से तो होता है। पेड़-पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
  • सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
  • मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा-भरा रह सकेगा।

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प्रश्न 6.
वृंदा और मानसी के बीच चिड़ियाघर को देखते समय की गई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • वृंदा (ऊपर की तरफ़ देखते हुए) – देख ऊपर, पेड़ पर चार लंगूर कैसे बैठे हैं।
  • मानसी – उनका मुँह कितना काला है और पूँछें कितनी लंबी-लंबी।
  • वृंदा – हाँ, उधर देख मोर अपने पंख फैलाकर कैसे नाच रहा है।
  • मानसी – बादल छाए हुए हैं न। पापा ने बताया था कि बादलों को देखकर मोर नाचते हैं। इनके पंख कितने सुंदर हैं। ये तो गोल-गोल घूम भी रहे हैं।
  • वृंदा – उधर देख, कितने बड़े-बड़े दो शेर हैं।
  • मानसी – चलो भागें यहाँ से। कहीं इन्होंने हमें देख लिया तो खा जाएँगे।
  • वृंदा – डर मत हमारे और इनके बीच गहरी खाई है और चारों तरफ़ जाल भी तो लगा है। ये हम तक नहीं पहुँच सकते।
  • मानसी – वह देख, हिरणों के कितने सुंदर झुंड हैं। उनकी आँखें देख, कितनी सुंदर हैं। हम भी एक हिरण घर में पालेंगे – पापा से कहेंगे कि हमें भी एक हिरण ला दें।
  • वृंदा- नहीं, जंगली जीवों को यहीं रहना चाहिए या जंगल में। इन्हें घर में रखना तो अपराध है।

प्रश्न 7.
छुट्टियों में किसी दर्शनीय स्थल को देखने की योजना पर अपने और अपने भाई के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखो।
उत्तर :

  • सानिया – अगले हफ़्ते से स्कूल में छुट्टियाँ हो जाएँगी। चल अब्बा-अम्मी से कहें कि कहीं बाहर चलें।
  • अज्जू – हाँ। हमें बाहर कहीं भी गए हुए दो साल हो गए हैं।
  • सानिया – उन्हें कहते हैं कि मसूरी ले चलें।
  • अज्जू – हाँ, वह बहुत सुंदर जगह है।
  • सानिया – तुझे कैसे पता ?
  • अज्जू – गुरुप्रीत कह रहा था। वह पिछले वर्ष छुट्टियों में गया था अपनी मम्मी-पापा के साथ।
  • सानिया – वहाँ तो गर्मियों में भी गर्मी नहीं होती। वह तो पर्वतों की रानी है।
  • अज्जू – वहाँ तो सब तरफ पहाड़ – ही पहाड़ हैं। वहाँ तो एक बड़ा और सुंदर प्राकृतिक झरना भी है।
  • सानिया – वह कैंप्टी फॉल है। बहुत ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है।
  • अज्जू – तुझे कैसे पता ?
  • सानिया – मैंने एक मैग्जीन में पढ़ा था और उसकी फ़ोटो देखी थी।

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प्रश्न 8.
मनजीत और सिमरन में बार-बार बिजली जाने से उत्पन्न परेशानी को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • सिमरन – लो, बिजली तो फिर गई।
  • मनजीत – अब गई और पता नहीं कब आएगी ? इसने हर समय का मज़ाक बना दिया है।
  • सिमरन – पता नहीं, ये बिजली बोर्ड वाले करते क्या हैं ? बार-बार बिजली खराब क्यों हो जाती है ?
  • मनजीत – यह खराब नहीं हो जाती। इसे पीछे से बंद कर देते हैं। अलग-अलग समय में अलग-अलग क्षेत्रों को बिजली देते हैं।
  • सिमरन – क्यों ?
  • मनजीत – बिजली पैदा कम हो रही है और इसकी खपत बढ़ गई है। हर घर में तो कूलर और एयर कंडीशनर लगे हैं। वे दिन-रात चलते हैं।
  • सिमरन – तो सरकार को अधिक बिजली बनानी चाहिए। वह ऐसा क्यों नहीं करती ?
  • मनजीत – नए बिजली – घर बनाए जा रहे हैं पर उनकी भी कई तरह की समस्याएँ हैं।
  • सिमरन – समस्याएँ तो हैं पर सरकार को उनसे निपटना भी चाहिए।

प्रश्न 9.
नगर की टूटी-फूटी सड़कों से परेशान विनीता और पल्लवी के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • विनीता – मैं तो कल बड़े ज़ोर से सड़क पर गिर गई थी। सारी टाँग छिल गई है।
  • पल्लवी – वह कैसे ? फिसल गई थी क्या ?
  • विनीता – नहीं। सारे नगर की सड़कों का हाल तो तुझे पता ही है। हमारी सड़कों पर चंद्रमा की सतह की तरह गड्ढे हैं। मेरी साइकिल
  • उछल गई और मैं गिर गई।
  • पल्लवी – सारी सड़कें ही खराब हैं। सरकार कुछ करती भी तो नहीं।
  • विनीता – अब बरसातें आने वाली हैं। इनमें पानी भर जाएगा और फिर वहाँ मच्छरों के अंडों की भरमार हो जाएगी।
  • पल्लवी – तभी तो पिछले साल कितना मलेरिया फैला था।
  • विनीता – पता नहीं रोज़ कितने लोग गिरते हैं इनके कारण।
  • पल्लवी – लोगों को कुछ करना चाहिए। यदि हम अपने आस-पास की सड़कों के गड्ढों में खुद मिट्टी भर दें तो …..।
  • विनीता – मिट्टी तो एक दिन में निकल जाएगी। इस काम में पैसा लगता है और वह सरकार के पास है।

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प्रश्न 10.
खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मोहन – (सोहन को मुँह लटकाए देखकर) क्या हुआ? ये थैला लिए कहाँ चल दिए ?
  • सोहन – क्या बताऊँ ? चावल लाया था, वापस करने जा रहा
  • मोहन – क्यों ?
  • सोहन – माँ ने बताया, इनमें संगमरमर का चूरा मिला है।
  • मोहन – अरे ! आजकल खूब देखभाल कर खरीदा करो, हर चीज़ में मिलावट आ रही है।
  • सोहन – हाँ, ठीक तो है, पर सरकार कुछ क्यों नहीं करती ?
  • मोहन – उपभोक्ता फोरम में शिकायत करो तो सरकार भी कुछ करेगी।
  • सोहन – ठीक है, फिर ऐसा ही करता हूँ।

प्रश्न 11.
आजकल दूरदर्शन पर होने वाले किशोरों के लिए कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता पर मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • विजय – अरे, देव! इस समय इधर कैसे, दूरदर्शन पर तो विशेष किशोर सभा आ रही होगी, चलो देंखें।
  • देव – अरे, छोड़ो, उसमें क्या है, वही घिसे-पिटे उपदेशात्मक कार्यक्रम !
  • विजय – हाँ, अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता पर क्या दूरदर्शन वाले किशोरों के लिए उनके ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम नहीं दे सकता ?
  • देव – क्यों नहीं, अनेक कार्यक्रम हैं, जैसे देशभक्ति से संबंधित, महापुरूषों के जीवन की घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम
  • विजय – किशोरों के सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य, खेल-कूद से संबंधित कार्यक्रम भी तो हो सकते हैं।
  • देव – हाँ, चलो आराम से बैठकर इस संबंध में दूरदर्शन के निदेशक को पत्र लिखते हैं।

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प्रश्न 12.
शहर में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से बचकर रहने के बारे में मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मानव – (कमल को लंगड़ा कर चलते देख) क्या हुआ कमल ?
  • कमल – कल सड़क पर गिर गया था, टांग दब गई है।
  • मानव – कैसे, क्या हुआ था ?
  • कमल – सड़क पर इतने गड्ढे हैं कि पता ही नहीं चलता कि सड़क कहाँ है, बस मेरी बाईक गड्ढे में फंस गई और मैं उछल कर जा गिरा।
  • मानव – ध्यान से चलाया कर, पर तेरा भी क्या दोष, सारी सड़कें ही खराब हैं और निर्माण विभाग सोया हुआ है।
  • कमल – मैं नगर निगम में पत्र लिखकर दे आया हूँ तो शायद सड़कों की मरम्मत हो जाए।
  • मानव – फिर भी हमें यातायात नियमों का पालन करते हुए तथा ध्यानपूर्वक वाहन चलाना चाहिए।
  • कमल – वाहन चलाते हुए पैदल चलने वालों को अपनी दिशा, ओवरटेक करना आदि भी सावधानी से करना चाहिए।
  • मानव – ठीक तो है, सावधानी हटी, तो दुर्घटना घटी।

प्रश्न 13.
आजकल स्कूली वाहनों द्वारा हो रही असावधानियों पर माँ-बेटे के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • माँ – रमन, आज देर कैसे हो गई?
  • रमन – माँ, बस खराब हो गई थी।
  • माँ – कैसे ? सुबह तो ठीक थी।
  • रमन – सामने से दूसरे स्कूल की बस ने हमारी बस को टक्कर मार दी थी, जिससे ब्रेक जाम हो गई थी।
  • माँ – अरे, क्या चोट तो नहीं लगी?
  • रमन – नहीं, हमारी बस के ड्राइवर ने सावधानी से हैंडब्रेक का प्रयोग किया और सभी बच्चे सुरक्षित रहे।
  • माँ – कई बस चालक तेज़ गति से बस चलाते हैं, जिससे दुर्घटना हो जाती है, ऐसे चालकों को नौकरी से निकाल देना चाहिए।
  • रमन – ठीक है, पर करेगा कौन?
  • माँ – तुम तेज़ चलते वाहनों का नंबर नोट कर लिया करो, मैं परिवहन विभाग को सूचित कर दूँगी कि इनका चालान किया जाए।

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प्रश्न 14.
गृहकार्य में शिथिलता देखकर पिता-पुत्र के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • पिता – मोहित, अपने विद्यालय की डायरी दिखाना।
  • मोहित – पता नहीं कहाँ रख दी !
  • पिता – मुझे तुम्हारे अध्यापक का फोन आया था कि तुम गृहकार्य ठीक से नहीं कर रहे।
  • मोहित – नहीं, ऐसा तो नहीं है।
  • पिता – इसलिए डायरी नहीं मिल रही।
  • मोहित – (डायरी लाकर दिखाता है) मिल गई है।
  • पिता – (डायरी देखकर) देखो, जगह-जगह अध्यापक की टिप्पणियाँ हैं।
  • मोहित – गलती हो गई, आगे से ऐसा नहीं होगा।

प्रश्न 15.
परीक्षा में आपकी शानदार उपलब्धियों पर आपके और पिताजी के बीच हुए संवाद को 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – पिताजी! मेरा परीक्षा परिणाम आ गया है।
  • पिता – अच्छा, कैसा रहा?
  • कमल – बहुत अच्छा, मुझे तीन विषयों में विशेष योग्यता प्राप्त हुई है।
  • पिता – शाबाश! ये तो बहुत बड़ी उपलब्धि है। आगे क्या करना है?
  • कमल – मैं कॉमर्स विषयों के साथ स्नातक बनकर सी०ए० करना चाहता हूँ।
  • पिता – ठीक है, मैं तुम्हारी पूरी सहायता करूँगा, पर खूब मेहनत करनी होगी।
  • कमल – आप के आशीर्वाद से मैं और भी अच्छे परिणाम लाऊँगा।
  • पिता – ऐसा ही आत्मविश्वास बनाकर आगे बढ़ो।

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JAC Board Class 10 Hindi Rachana सूचना-लेखन

किसी संस्थान में सब के सूचनार्थ जारी किए गए वे आदेश जो संस्थान की दैनिक कार्यवाही के लिए आवश्यक होते हैं, नोटिस अथवा सूचना
कहलाते हैं। सूचना कम शब्दों में औपचारिक रूप से लिखी गई संक्षिप्त जानकारी होती है। सूचना लेखन के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं –

  • सबसे पहले संस्था का नाम या शीर्षक लिखिना चाहिए।
  • फिर सूचना जारी करने की दिनांक लिखिनी चाहिए।
  • फिर सूचना लेखन का उद्देश्य लिखिना चाहिए।
  • सूचना की भाषा संक्षिप्त, स्पष्ट तथा सरल होनी चाहिए।

प्रश्न 1.
महर्षि दयानंद विद्यालय दिनांक 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक ग्रीष्मावकाश के लिए बंद रहेगा। इस आशय की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
महर्षि दयानंद विद्यालय, जयपुर

दिनांक 10 मई, 20…..
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि ग्रीष्मावकाश के कारण विद्यालय 15 मई से 1 जुलाई, 20… तक बंद रहेगा। विद्यालय 2 जुलाई को प्रातः 8 बजे खुलेगा।
सर्वजीत कौर
प्राचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 2.
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों को अपनी छात्रवृत्ति महाविद्यालय के लेखापाल से प्राप्त करने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय विद्यालय, फरीदकोट

दिनांक 10 अगस्त, 20….
अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्तियाँ पंजाब सरकार से प्राप्त हो गई हैं। वे विद्यालय के लेखापाल से खिड़की संख्या दो पर अपनी छात्रवृत्ति किसी भी कार्य दिवस में प्रातः 9 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक प्राप्त कर सकते हैं।
गोविंद सिंह बेदी
प्राचार्य

प्रश्न 3.
श्री हरबंस लाल भंडारी का पंद्रह वर्षीय लड़का घर से भाग गया है। उसकी तलाश के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुमशुदगी की सूचना

दिनांक 25 सितंबर, 20 ….

सबको सूचित जाता है कि मेरा पुत्र जिसका नाम संदीप कुमार है दिनांक 22 सितंबर से घर से लड़कर भाग गया है। उसकी उम्र पंद्रह वर्ष, कद 5′-2″, शरीर गठीला, चेहरा गोल तथा बाएँ गाल पर चोट का निशान है। उसने काली – सफ़ेद धारियों वाली कमीज़ तथा पैंट पहनी हुई है। उसका पता देने वाले अथवा घर तक पहुँचाने वाले को समुचित पुरस्कार दिया जाएगा। यदि संदीप स्वयं इस सूचना को पढ़ता है तो वह स्वयं घर चला आए। उसकी माँ बहुत बीमार है। उसे अब कोई कुछ नहीं कहेगा।
हरबंस लाल भंडारी
512, सदर बाज़ार,
फिरोज़पुर छावनी

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 4.
भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भूकंप पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता

दिनांक 28 जनवरी, 20….
आम जनता को सूचित किया जाता है कि जो दानी महानुभाव / स्वयंसेवी संगठन और निजी तौर पर गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कार्यों हेतु वित्तीय सहायता देने के इच्छुक हैं, वे ‘पंजाब चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड गुजरात’ के नाम चैक / ड्रॉफ्ट तैयार करवा के पंजाब सिविल सचिवालय, चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के कार्यालय में डाक द्वारा या स्वयं दे सकते हैं।
जारीकर्ता
सूचना एवं लोक संपर्क, पंजाब

प्रश्न 5.
अपने विद्यालय में वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
गुरु नानक देव कन्या विद्यालय, खन्ना

दिनांक 13 मार्च, 20….

विद्यालय का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह विद्यालय परिसर में शनिवार दिनांक 17 मार्च, 20…. को प्रातः 11.00 बजे मनाया जाएगा। मुख्य अतिथि शिक्षा आयुक्त श्रीमती सिमरण कौर होंगी। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के बाद जलपान की व्यवस्था है।
तृप्ता सचदेव
प्रधानाचार्या

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 6.
अपने विद्यालय में कवि सम्मेलन के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
माता प्रकाश कौर कन्या उच्च विद्यालय, फिरोज़पुर

दिनांक 15 नवंबर, 20….

सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि मंगलवार दिनांक 19 नवंबर, 20…. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय परिसर में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इच्छुक विद्यार्थी प्रधानाचार्या कार्यालय में संपर्क करें।
सिमरन कौर
प्रधानाचार्या

प्रश्न 7.
अपने विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 14 जुलाई, 20 ….
समस्त विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 20 जुलाई, 20…. को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस समारोह की अध्यक्षता प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ० गोविंद खुराना करेंगे तथा विद्यालय प्रांगण में वृक्ष लगाए जाएँगे। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की उपस्थिति अनिवार्य है।
के०सी० भाटी
प्रधानाचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 8.
अपने विद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी के आयोजन की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
दयाल सिंह पब्लिक स्कूल, गांधीनगर

दिनांक 12 फरवरी, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि सोमवार, दिनांक 21 फरवरी, 20….. प्रात: 10.00 बजे विद्यालय परिसर में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
एस०के० मकवाना
प्रधानाचार्य
सूचना-लेखन

प्रश्न 9.
अपने विद्यालय में बाल दिवस मनाए जाने की सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
राजकीय उच्च विद्यालय, कानपुर

दिनांक 10 नवंबर, 20 ….

सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में बुधवार, दिनांक 14 नवंबर, 20…. को प्रात: 10.00 बजे बाल दिसव मनाया जाएगा, जिसमें अनेक विद्वान अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इस समारोह में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
समारोह के पश्चात जलपान का प्रबंध है।
आशीष वाजपेयी
प्राचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 10.
अपने विद्यालय में अध्यापक दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
आर्य कन्या विद्यालय, वाराणसी

दिनांक 01 सितंबर, 20 ….
सभी विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 05 सितंबर, 20…. को प्रातः 9.00 बजे विद्यालय प्रांगण में अध्यापक दिवस मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अध्यापक श्री विकास शुक्ला करेंगे।
इस कार्यक्रम में सभी की उपस्थिति अनिवार्य है।
देवेन्द्र मिश्रा
प्राचार्य

प्रश्न 11.
अपने विद्यालय में हिंदी दिवस मनाने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
छबीलदास विद्यालय, गाजियाबाद

दिनांक 8 सितंबर, 20….
सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 14 सितंबर 20…. को प्रातः 10.00 बजे विद्यालय परिसर में हिंदी दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर हिंदी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन होगा। विद्यार्थी अपने-अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
अशोक कुमार
हिंदी विभाग अध्यक्ष

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 12.
नवनिर्मित क्लीनिक के उद्घाटन के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
ननकाना क्लीनिक का उद्घाटन

दिनांक 10 दिसंबर, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता है कि भगवान की असीम कृपा से अपने सुपुत्र डॉ० ओंकार ननकाना के नव-निर्मित औषधालय ‘ननकाना क्लीनिक’ के डॉ० जी०एस० सोढी द्वारा मुहूर्त के शुभ अवसर पर आशीर्वाद देने हेतु श्री किशन चंद्र ननकाना आपको दिनांक 21 दिसंबर 20…. को कार्यक्रमानुसार सादर आमंत्रित करते हैं।

र्कायिक्रम
हवन – 10.00 बजे प्रातः
जलपान 11.30 बजे प्रातः
स्थान: निकट पुलिस चौकी, राम नगर, फाजिल्का

दर्शनाभिलाषी
कैलाश चंद्र ननकाना

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 13.
खेल – कूद की पुरानी सामग्री की बेचने के लिए सूचना लिखिए।
उत्तर :

सूचना
डी०ए०वी० विद्यालय, दिल्ली

दिनांक 21 अगस्त, 20….
आप सभी को सूचित किया जाता कि खेल – कूद की बहुत सारी सामग्रियों को बेहद किफायती दामों पर बेचा जाने वाला है। सभी खेल उपकरण एवं सामग्री एकदम सही हालत में है। जो कोई भी इन्हें खरीदना चाहता है, वह इस महीने की दस तारीख को विद्यालय के हॉल में दोपहर एक बजे तक आ जाए। सामग्री की कीमत उसी समय देनी होगी।
अशोक मेहता
खेल, कप्तान

प्रश्न 14.
विद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित किया जाने वाला है, इस हेतु एक सूचना जारी कीजिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, पटना

दिनांक 12 नवंबर, 20….
हमारे विद्यालय में दिनांक 20 नवंबर, 20…. को एक रक्तदान शिविर लगाया जा रहा है। शहर के उपायुक्त शिविर का उद्घाटन तथा अध्यक्षता करेंगे। रक्तदान करना मानवता के लिए सबसे बड़ा दान है। जो भी रक्तदान के लिए इच्छुक हों वे निश्चित तिथि पर विद्यालय के हॉल में आ जाएँ।
विवेक झा
प्रधानाचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 15.
विद्यालय में साहित्यिक क्लब के सचिव के रूप में ‘प्राचीर’ पत्रिका के लिए लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करने हेतु सूचना-पट के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, चेन्नई

दिनांक : 25 जुलाई, 20….
विद्यालय की पत्रिका ‘प्राचीर’ में प्रकाशनार्थ हेतु लेख, कविता, निबंध आदि विद्यार्थियों से आमंत्रित किए जाते हैं। इच्छुक विद्यार्थी अपनी रचनाएँ दिनांक 12 अगस्त तक साहित्यिक क्लब के सचिव को दे दें।
वी० – रमा
सचिव, साहित्यिक क्लब
आर०के० मेनन प्राचार्य

प्रश्न 16.
विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रातः काल में योग की अभ्यास कक्षाएँ चलने की सूचना देते हुए इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा अपना नाम देने हेतु सूचना पट्ट के लिए यह सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
विवेकानंद विद्या मंदिर, नागपुर

दिनांक 15 जून, 20…..
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय में छुट्टी के दिनों में भी प्रात: काल 6 बजे से 7 बजे तक योग की अभ्यास कक्षाएँ लगेंगी। इसमें भाग लेने के इच्छुक विद्यार्थी अपने नाम दिनांक 20 जून, 20… तक अपनी-अपनी कक्षा के अध्यापकों को दे दें।
देवेंद्र नाथ पुरोहित
प्राचार्य

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 17.
विद्यालय में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में साहित्यिक क्लब के सचिव की ओर से विद्यालय सूचना पट के लिए लिखिए।
उत्तर :

सूचना
भारतीय विद्या मंदिर, जयपुर

दिनांक 15 सितंबर 20…….
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 19 सितंबर, 20….. को प्रात: 10.00 बजे विद्यालय के सभागार में साहित्यिक क्लब की ओर से ‘बाल मज़दूरी’ विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विद्यार्थी दिनांक 18-9-20 तक अपने नाम साहित्यिक कल्ब के सचिव को दे दें।
सुधा राजे
सचिव, साहित्यिक क्लब

प्रश्न 18.
विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह के आयोजन के लिए आपको संयोजक बनाया गया है। पूरे विद्यालय की सहभागिता के लिए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :

सूचना
टैगोर विद्या मंदिर, नई दिल्ली

दिनांक : 15 जुलाई, 20…….

विद्यालय के समस्त विद्यार्थियों एवं अध्यापक गण को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर में दिनांक 21 जुलाई, 20को प्रात: 10.00 बजे वृक्षारोपण समारोह का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सबकी सहभागिता अपेक्षित है। समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ० एस० के० भट्ट करेंगे।
संजीव चौधरी
संयोजक, पर्यावरण क्लब

JAC Class 10 Hindi रचना सूचना-लेखन

प्रश्न 19.
विद्यालय परिसर के बाहर अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक खाद्य वस्तुएँ बेची जाती हैं और विद्यार्थी उस ओर आकृष्ट होकर उन वस्तुओं को खरीदते हैं। विद्यालय के छात्र प्रमुख के रूप में इन चीजों से दूर रहने की सलाह देते हुए एक सूचना लगभग 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

सूचना
नवोदय विद्यालय, राजेंद्र नगर

दिनांक 12 जुलाई, 20……
समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि विद्यालय परिसर के बाहर ठेले वाले जो खाद्य-पदार्थ बेचते हैं, वे स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होते हैं। इसलिए कोई भी विद्यार्थी उन वस्तुओं को नहीं खरीदें तथा कुछ खाना ही हो तो विद्यालय की कैन्टीन से खरीदें।
प्रियांश शुक्ला
छात्र प्रमुख

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran पद-परिचय Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran पद-परिचय

प्रश्न 1.
पद-परिचय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
किसी वाक्य में आए संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय आदि का अलग-अलग पूर्ण परिचय देना ‘पद-परिचय’ कहलाता है।

प्रश्न 2.
पद-परिचय में क्या-क्या बताना आवश्यक है?
उत्तर :
प्रत्येक पद-परिचय में निम्नलिखित तथ्यों का होना आवश्यक है –

  • संज्ञा – प्रकार, लिंग, वचन, कारक, संबंध।
  • सर्वनाम – प्रकार, लिंग, वाचक, कारक, संबंध।
  • विशेषण – प्रकार, विशेष्य, लिंग, वचन, संबंध।
  • क्रिया – प्रकार, वाच्य, अर्थ, काल, पुरुष, लिंग, वचन, प्रयोग।
  • क्रिया-विशेषण – प्रकार, विशेष्य, विकार, संबंध।
  • समुच्चयबोधक – प्रकार, अन्विति, शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य।
  • संबंधसूचक – प्रकार, विकार (हो तो) संबंध।
  • विस्मयादिबोधक – प्रकार, संबंध (हो तो)।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य में आए शब्दों का पद-परिचय दीजिए –
ममता की मारी माता ने अपने घायल बच्चे को तुरंत उठा लिया।
उत्तर :

  • ममता की – भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, संबंधकारक-इसका संबंध ‘मारी’ भूतकालिक कृदंत विशेषण से है।
  • मारी – भूतकालिक कृदंत विशेषण।
  • माता – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘उठा लिया’ क्रिया की कर्ता।
  • तुरंत – कालवाचक क्रिया-विशेषण, ‘उठा लिया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
  • उठा लिया – सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, इसका स्त्रीलिंग कर्ता ‘माता’ है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्य के मोटे काले शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) मैं गाय के दूध को पसंद करता हूँ।
(ख) पके आम बड़े मधुर होते हैं।
उत्तर :
(क) मैं पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘पसंद करता हूँ’ क्रिया का कर्ता।
दूध को – जातिवाचक संज्ञा. एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘करता हूँ’ क्रिया का कर्म।
करता हूँ – क्रिया, सकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, उत्तम पुरुष, एकवचन, इसका कर्म ‘मैं’ है।
(ख) पके – गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन इसका विशेष्य ‘आम’ है।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक होते हैं’ क्रिया का कर्ता।
मधुर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण ‘होते हैं’ क्रिया की विशेषता प्रकट करता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों का पद-परिचय दीजिए –
(क) आह! उपवन में सुंदर फूल खिले हैं।
(ख) परिश्रम के बिना धन प्राप्त नहीं होता।
उत्तर :
(क) आह! विस्मयादिबोधक, हर्षबोधक अव्यय।
उपवन में – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक ‘खिले हैं’ का स्थान।
सुंदर – विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य ‘फूल’ है।
खिले हैं – क्रिया, अकर्मक, वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्ता ‘फूल’ है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ख) परिश्रम – संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन ‘के बिना’ संबंधबोधक का संबंधी शब्द।
धन – संज्ञा, पुल्लिंग, कर्ता कारक, एकवचन, कर्मवाच्य वाक्य का कर्ता।
प्राप्त – ‘होता’ क्रिया का पूरक। नहीं-क्रिया-विशेषण रीतिवाचक, निषेधार्थक।
होता – हो धातु, क्रिया, अपूर्ण अकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, कर्मवाच्य, कर्माणि प्रयोग। ‘प्राप्त’ इसका पूरक।

प्रश्न 6.
पद-परिचय दीजिए –
(क) अनुराग यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
(ख) हम बाग में गए पर वहाँ कोई आम न मिला।
(ग) शीत ऋतु में हिमालय का क्षेत्र पूर्णतया बर्फ से ढक जाता है और वहाँ जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
उत्तर :
(क) अनुराग-संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता था’ क्रिया का कर्ता।
यहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थान निर्देश।
दसवीं – विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण।
कक्षा में – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – अकर्मक क्रिया, पढ़ धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता, ‘अनुराग’ है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ख) हम – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
बाग में जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
गए – अकर्मक क्रिया, जा धातु, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, भूतकाल निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, ‘हम’ सर्वनाम इसका कर्ता है।
परंतु – व्याधिकरण, समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ता है।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
कोई – संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, आम विशेष्य का विशेषण।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
न – रीतिवाचक, क्रिया-विशेषण।
मिला – सकर्मक क्रिया, मिल धातु, अन्य पुरुष पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्मणि प्रयोग (‘हमें’ कर्ता का लोप है) इस क्रिया का कर्म ‘आम’ है।

(ग) शीत – विशेषण, गुणवाचक, ऋतु संज्ञा का विशेषण।
ऋतु में – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
हिमालय का – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, संबंध कारक।
क्षेत्र – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता, ‘ढक जाना’ क्रिया का कर्ता।
पूर्णतया – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-‘ढक जाता है’ क्रिया पद की विशेषता प्रकट कर रहा है।
बर्फ से – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, करण कारक।
ढक जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता क्षेत्र है।
और – समानाधिकरण समुच्चयबोधक।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
जन-जीवन – भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
हो जाता है – क्रिया का कर्ता।
अस्त-व्यस्त – रीतिवाचक क्रिया विशेषण हो जाता है क्रिया का क्रिया-विशेषण।
हो जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे (काले) पदों का परिचय दीजिए –
1. वह विश्वास के योग्य नहीं है।
2. मैं उस छात्र को नहीं जानता।
3. वाह! बहत मनोरंजक कहानी है यह।
4. मैं अभी आया।
5. हिमालय संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है।
6. किसी विद्वान से बातचीत करने से ज्ञान बढ़ता है।
7. मेरा भाई तीसरी कक्षा में पढ़ता है।
8. यह घडी मेरे छोटे भाई की है. इसलिए मैं इसे किसी को नहीं दे सकता।
9. दौड़कर जाओ और बाज़ार से कुछ ले आओ।
10. इंदिरा जी जहाँ-जहाँ भी गईं, सर्वत्र उनका स्वागत हुआ।
11. हम आज भी देश पर प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
12. राम ने श्याम को बुरी तरह मारा।
13. विद्वान लोग सदैव समय का सदुपयोग करते हैं।
14. रमेश यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
15. हम मुंबई गए पर कोई लाभ नहीं हुआ।
16. कल हमने ताजमहल देखा।
17. स्वतंत्रता दिवस पर हमने स्कूल में राष्ट्रीय-ध्वज फहराया।
18. जब मैं पहुँचा तो रमेश सो रहा था।
19. जल्दी चलो वरना गाड़ी छूट जाएगी।
20. लोग धीरे-धीरे उस सँकरे रास्ते से ताजमहल की ओर बढ़े।
उत्तर :
1. वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष. एकवचन, पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, कर्ता कारक है-क्रिया का कर्ता।

2. मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्ता।
उस – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य, छात्र।
छात्र – संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्म।

3. वाह! विस्मयादिबोधक अव्यय हर्षसूचक।
बहुत – प्रविशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, मनोरंजक-विशेषण की विशेषता बताता है।
मनोरंजक – गुणवाचक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘कहानी’ संज्ञा की विशेषता बताता है।
कहानी – जातिवाचक, संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘है’ क्रिया का ‘पूरक’।
है – अपूर्ण सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, सामान्य वर्तमान काल, अन्य पुरुष कर्ता –
‘कहानी’-कर्मपूरक-‘कहानी’।
यह – निश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, ‘है’ क्रिया का ‘कर्ता’ पुल्लिंग या स्त्रीलिंग।

4. अभी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘आया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
आया – अकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, निश्चयार्थ, भूतकाल (सामान्य) उत्तम पुरुष, कर्ता-‘मैं’।

5. हिमालय – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
पर्वत – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म की भाँति प्रयुक्त, ‘है’ क्रिया का पूरक।

6. किसी सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-‘विद्वान’।
बढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष, ‘ज्ञान’
कर्ता।

7. भाई – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पढ़ता है’-क्रिया का कर्ता।
तीसरी – विशेषण संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘कक्षा।
पढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष ‘भाई’-कर्ता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

8. यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘घड़ी।
छोटे – विशेषण, गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, भाई-विशेष्य।
इसलिए – समानाधिकरण समुच्चयबोधक ‘यह घड़ी मेरे भाई की है’ तथा ‘मैं इसे किसी को नहीं दे सकता’-इन दो
वाक्यों को जोड़ता है।

9. दौड़कर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, ‘आओ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
बाज़ार से – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

10. इंदिरा जी सर्वत्र – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘गईं’-क्रिया का कर्ता।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘स्वागत हुआ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
उनका – सर्वनाम पुरुषवाचक, आदरार्थ बहुवचन, संबंध कारक, अन्य पुरुष कर्ता कारक।

11. हम – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, उत्तम पुरुष, कर्ता कारक हो जाते हैं’-क्रिया का कर्ता।
देश पर – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।

12. राम – संज्ञा जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘मारा’ क्रिया का कर्ता।
मारा – सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ भावे प्रयोग, ‘राम’
कर्ता तथा ‘श्याम’-कर्म।

13. विद्वान – गुणवाचक विशेषण, बहुवचन, पुल्लिंग. विशेष्य-‘लोग।
करते हैं – सकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, कर्ता ‘विद्वान’।

14. दसवीं – विशेषण संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य-‘कक्षा’।
कक्षा में – संज्ञा जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – क्रिया, अकर्मक, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग कर्तृवाच्य, कर्ता ‘रमेश’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

15. मुंबई – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
लाभ – संज्ञा, भाववाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, हुआ-क्रिया से संबंध।

16. कल – कालवाचक क्रिया-विशेषण ‘देखा’ क्रिया की विशेषता बताता है।
ताजमहल – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक। ‘देखा’ या स्त्रीलिंग, क्रिया का कर्म।

17. हमने – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘फहराया’-क्रिया का कर्ता।
फहराया – क्रिया सकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, सामान्य भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्मणि, प्रयोग, पूर्णपक्ष, कर्तृवाच्य, ‘हमने’
कर्ता, राष्ट्रीय ध्वज-कर्म।

18. मैं – सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पहुँचा’ क्रिया का कर्ता।
सो रहा था – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, अपूर्ण पक्ष, कर्तरि प्रयोग, कर्तृवाच्य, ‘रमेश’-कर्ता।

19. जल्दी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘चलो-क्रिया को विशेषता बताता है।
गाड़ी – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्म कारक, ‘छूट जाएगी’ क्रिया का कर्म (कर्ता तुम छिपा हुआ है)।

20. धीरे-धीरे – क्रिया-विशेषण, रीतिबोधक ‘बढ़े-क्रिया की विशेषता बताता है।
सँकरे – विशेषण गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-.’रास्ते’।

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर – 

प्रश्न :
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे छपे शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) भूषण वीर रस के कवि थे।
(ख) वह कल आएगा।
(ग) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।
(घ) वह अचानक दिखाई पड़ा।
(ङ) यह पुस्तक किसकी है?
उत्तर :
(क) भूषण – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, क्रिया का कर्ता।

(ख) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
आएगा – भूतकालिक क्रिया, सकर्मक, भविष्यतकालिक, कर्मवाचक।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
दसवीं – विशेषण, संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-कक्षा।
पढ़ता हूँ – क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, एकवचन, वर्तमान काल।

(घ) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
अचानक – क्रिया-विशेषण, रीतिवाचक।

(ङ) यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-पुस्तक।
किसकी है – क्रिया, सकर्मक, वर्तमानकालिक, एकवचन, स्त्रीलिंग, प्रश्नवाचक।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर – 

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) नवाब लखनवी अंदाज़ लेखक को प्रभावित न कर सका।
(i) विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, कालवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

(ख) उसने सुंदर झीलों को देखा।
(i) अकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सकर्मक क्रिया, पूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) प्रेरणार्थक क्रिया, अपूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

(ग) ‘उन्होंने खीरे को बड़ी नज़ाकत से बाहर फेंक दिया।’
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण
(iii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
उत्तर :
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(घ) तू यहाँ क्यों बैठा है?
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, ममयम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, निश्चयवाचक, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सर्वनाम, संबंधवाचक, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।

(ङ) उसने उनके वैराग्यपूर्ण जीवन को नमन किया।
(i) विशेषण, परिमाणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) उन्होंने आस्था प्रकट की।
(i) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) संज्ञा, भाववाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(iv) संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन!

(ख) वे पिता जी की स्मृति में सर्वदा डूब जाते।
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iii) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक. ‘डूब जाते’ का विशेषण।
उत्तर :
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
(i) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक, पुल्लिंग. एकवचन।
(iii) सर्वनाम, अनिश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, निजवाचक, पुल्लिग. एकवचन।
उत्तर :
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक. पुल्लिंग, एकवचन।

(घ) मैं रामायण पढ़ता हूँ।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
(ii) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(iv) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
उत्तर :
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।

(ङ) उसने विशाल किला देखा।
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन!
(ii) विशेषण, परिमाणवाचक, स्त्रीलिंग एकवचन
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण. परिमाणवाचक स्त्रीलिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर – 

प्रश्न 1.
रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव सभ्य तभी है जब वह युद्ध से शांति की ओर आगे बढ़े।
उत्तर :

  • मानव – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग. एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
  • सभ्य – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य ‘मानव’
  • वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, ‘बढ़े’ क्रिया का कर्ता
  • बढ़े – क्रिया, अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव को इनसान बनाना अत्यन्त ही कठिन कार्य है लेकिन असंभव नहीं।
उत्तर :

  • मानव को – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कठिन – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, विशेष्य ‘कार्य’, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कार्य – संज्ञा, भाववाचक संज्ञा. कर्मकारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • लेकिन – अव्यय, समुच्यबोधक अव्यय, समानाधिकरण।

प्रश्न 3.
रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए –
अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया।
उत्तर :

  • गाँव की – संज्ञा (जातिवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक।
  • मिट्टी – संज्ञा (जातिवाचक), स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
  • मैं – सर्वनाम (उत्तम पुरुषवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
  • तरस गया – क्रिया (अकर्मक), पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, ‘तरस’ मुख्य क्रिया, ‘गया’ रंजक क्रिया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों का पदपरिचय लिखिए –
(क) आज भी भारत में अनेक अभिमन्यु हैं।
(ख) प्रात:काल घूमने जाया करो ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे।
(ग) पिता जी कल ही तीर्थ यात्रा पर गए।
(घ) अनुराग ने काला कोट पहना है।
उत्तर :
(क) अभिमन्यु – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ख) ताकि – अव्यव, समुच्चयबोधक अव्यय।
(ग) गए – क्रिया, अकर्मक क्रिया, भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, पुल्लिंग।
(घ) काला – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, ‘कोट’-विशेष्य।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए…
(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं।
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था।
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय से पूरा कर लेती है।
(ङ) रवि रोज़ सवेरे दौड़ता है।
उत्तर :
(क) पढ़ती हैं – क्रिया, सकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ख) यहाँ – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(ग) वे – सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, बहुवचन पुल्लिंग।
(घ) परिश्रमी – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ङ) रवि – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 6.
रेखांकित पदों में से किन्हीं चार पदों का पद-परिचय लिखिए –
नेताजी की उस मूर्ति पर टूटा चश्मा लगा था।
उत्तर :
(क) नेताजी की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, पुल्लिंग एकवचन।
(ख) उस – विशेषण, सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ग) मूर्ति पर – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, अधिकरण कारक, स्त्रीलिंग एकवचन।
(घ) चश्मा – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, एकवचन, पुल्लिंग।
(ङ) लगा था – क्रिया, अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 7.
मुझे देखते ही प्रतिष्ठित व्यक्ति अंबालाल जी ने गर्मजोशी से मेरा सम्मान किया।
उत्तर :
(क) मुझे – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्मवाचक, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग।
(ख) देखते ही – क्रियाविशेषण, कालवाचक क्रियाविशेषण, सम्मान क्रिया, क्रिया का विशेषण।
(ग) प्रतिष्ठित – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन।
(घ) व्यक्ति – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ङ) अंबालाल जी ने – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 8.
सुलोचना की नई फ़िल्म आई और वे चले फ़िल्म देखने।
उत्तर :
(क) सुलोचना की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक।
(ख) नई – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ग) और – अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय।
(घ) वे – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक, कर्ता कारक, पुल्लिंग, बहुवचन।
(ङ) चले – क्रिया, अकर्मक क्रिया, वर्तमान काल, पुल्लिंग, बहुवचन। \

1. इस वाक्य का वाच्य लिखिए-‘अशोक ने विश्व को शांति का संदेश दिया।’
(क) कर्मवाक्य
(ख) भाववाच्य
(ग) कर्तृवाच्य
(घ) करणवाच्य
उत्तर :
(ग) कर्तृवाच्य।

2. “हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते हैं।’-उपर्युक्त वाक्य को भाववाच्य में बदलिए–
(क) हम दौड़ सकते हैं इस खुले मैदान में
(ख) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकेंगे।
(ग) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जाएगा।
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
उत्तर :
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

3. “सुमन जल्दी नहीं उठती।”-प्रस्तुत वाक्य को भाववाच्य में बदलिए
(क) सुमन जल्दी नहीं उठ पाती।
(ख) सुमन जल्दी से नहीं उठ सकेगी।
(ग) सुमन जल्दी नहीं उठ पाएगी।
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।
उत्तर :
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छाँटिए –
(क) अरविंद द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा।
(ख) बच्चों द्वारा नमस्कार किया गया।
(ग) सरकार द्वारा लोक कलाकारों का सम्मान किया गया।
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
उत्तर :
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा भाववाच्य का सही विकल्प नहीं है?
(क) मुझसे अब देखा नहीं जाता।
(ख) आइए चला जाए।
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।
(घ) राधा से बोला नहीं जाता।
उत्तर :
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा ही नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लजीज होता है।

7. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) किसान के द्वारा खेत की जुताई की गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) कितने कंबल बँटे? (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) आओ, यहाँ बैठ सकते हैं? (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) सैनिकों द्वारा देश की रखवाली की जाती है। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) किसान ने खेत जोता।
(ख) कितने कंबल बाँटे गए?
(ग) आओ, यहाँ बैठा जाए।
(घ) सैनिक देश की रखवाली करते हैं।

8. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा दी गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) मैं दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाऊँगी। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता पैदल चल नहीं सकती। (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) तुमसे चुप नहीं रहा जाता। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) विद्यार्थियों ने परीक्षा दी।
(ख) मेरे द्वारा दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाए जाएंगे।
(ग) हर्षिता से पैदल चला नहीं जाता।
(घ) तुम चुप नहीं रह सकते।

9. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

10. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) पतोहू ने आग दी। (कर्मवाच्य में)
(ख) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह खेलेगा। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) पतोहू द्वारा आग दी गई।
(ख) अब नहीं सोया।
(ग) उससे खेला जाएगा।

11. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) अब गायक संगतकारों का आदर नहीं करते। (कर्मवाच्य में)
(ख) चिड़िया चोट के कारण उड़ नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) अब गायकों द्वारा संगतकारों का आदर नहीं किया जाता।
(ख) चिड़िया द्वारा चोट के कारण उड़ा नहीं जा पा रहा था।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran वाच्य Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran वाच्य

प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सामान्य रूप से वाच्य का शाब्दिक अर्थ होता है-‘बोलने योग्य’ या ‘जो बोलने का विषय हो’। इसे किसी बात को कहने का ढंग भी माना जा सकता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति अपनी किसी बात के बिंदु को प्रमुखता से स्पष्ट करता है। वाच्य इस बात को प्रकट करता है कि कोई किस कथ्य बिंदु को अधिक महत्व दे रहा है- वह कर्ता है, कर्म है या क्रिया- भाव है। जैसे –

आद्या नाच रही है।
इस वाक्य में ‘नाचना’ क्रिया का प्रधान कथ्य बिंदु है तथा आद्या कर्ता है इसलिए यह कर्तृवाच्य वाक्य है।

सचिन द्वारा बॉल को हिट मारी जा रही है।
इस वाक्य में कथ्य बिंदु ‘बॉल’ कर्म है इसलिए यह कर्मवाच्य है।

आप से खाया नहीं जा रहा।
इस वाक्य में ‘खाया जाना’ (क्रिया भाव) कथ्य बिंदु है इसलिए यह भाववाच्य वाक्य है।
अंतः क्रिया के जिस रूप यह पता लगे कि क्रिया का मुख्य विषय क्या है-कर्ता, कर्म या भाव; उसे वाच्य कहते हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

प्रश्न 2.
वाच्य के भेदों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वाच्य के तीन भेद होते हैं – 1. कर्तृवाच्य 2. कर्मवाच्य 3. भाववाच्य
1. कर्तृवाच्य – जिस वाक्य में कर्ता प्रधान होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्ता के अनुसार आती है। जैसे –
राम पढ़ रहा है।
सिपाही घूम रहा है।
इन वाक्यों में राम, सिपाही प्रधान कर्ता हैं इसलिए ये कर्तृवाच्य वाक्य हैं।

2. कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। इसमें क्रिया कर्म के अनुसार आती है। इसमें वाक्य का उद्देश्य कर्म होता है और मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। इसकी क्रिया में एक से अधिक क्रियापद होते हैं। जैसे गणेश से पेन से लिखा जा रहा है।
रीना से चाय पी जाती है।

3. भाववाच्य – जिस वाक्य में भाव की प्रधानता होती है, उसे भाववाच्य कहते हैं। भाववाच्य की क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहती है। इसमें कर्ता और कर्म की प्रधानता नहीं होती। वास्तव में भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का कर्मवाच्य ही भाववाच्य होता है। जैसे –
हमसे अब भागा नहीं जाता।
लक्ष्मी से अब गाया नहीं जाता।

विशेष – प्रायः विवशता / असमर्थता प्रकट करने के लिए नहीं के साथ भाववाच्य का प्रयोग किया जाता है। जैसे –

  • दिनभर कैसे भूखा रहा जाएगा ?
  • अब तो उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा।

जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता वहाँ कर्ता जन सामान्य होता है। जैसे –

  • चलो, ज़रा टहला जाए।
  • अब तो खिसका जाए।
  • धुंध में भीतर ही बैठा जाता है।

वाच्य की दृष्टि से वाक्य परिवर्तन –

1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना –

कर्तृवाच्य में कर्ता और कर्म अपने शुद्ध रूप में प्रयुक्त होते हैं, पर कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ करण कारक का चिह्न से के द्वारा लगाया जाता है, और कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है व उसके साथ परसर्ग नहीं लगाया जाता है। क्रिया की धातु में या / ता जोड़ा जाता है तथा ‘जा’ धातु का कर्म के लिंग, वचन, काल तथा पुरुष के अनुसार प्रयोग किया जाता है। जैसे –

कर्मवाच्य – कर्तृवाच्य

  1. मैंने गाना गाया। – मुझ से गाना गाया गया।
  2. रेखा ने कहानी पढ़ी। – रेखा से कहानी पढ़ी गई।
  3. पिता ने पुत्र को पढ़ाया – पिता के द्वारा पुत्र को पढ़ाया गया।
  4. आप लिख नहीं सकते। – आप से लिखा नहीं जा सकता।
  5. राघव पतंग उड़ा रहा है। – राघव से पतंग उड़ाई जा रही है।
  6. मज़दूर वृक्ष काटेंगे। – मज़दूर द्वारा वृक्ष काटे जाएँगे।
  7. मैंने पत्र लिखा। – मुझसे पत्र लिखा गया।
  8. पूनम दूध पिएगी। – पूनम द्वारा दूध पिया जाएगा।
  9. अमित चाय पी रहा था। – अमित द्वारा चाय पी जा रही थी।
  10. सूरदास ने सूरसागर की रचना की। – सूरदास के द्वारा सूरसागर की रचना की गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना –

भाववाच्य में कर्म नहीं होता। इसमें कर्ता के आगे ‘से’, ‘द्वारा’, या ‘के द्वारा’ लगाया जाता है।
भाववाच्य बनाने के लिए कर्ता को करण कारक में बदला जाता है। अकर्मक धातु के सामान्य भूतकाल के रूप बनाकर अंत में ‘जा’ धातु के प्रथम पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन का रूप लगाया जाता है। क्रिया पुल्लिंग अन्य पुरुष एकवचन में रहती है –

कर्तृवाच्य – भाववाच्य

  1. श्याम जागता है। – श्याम से जागा जाता है।
  2. राम नहीं रोता है। – राम से रोया नहीं जाता।
  3. राम तेज़ दौड़ा है। – राम से तेज़ दौड़ा जाता है।
  4. मैं सर्दियों में नहीं नहाता। – मुझसे सर्दियों में नहीं नहाया जाता।
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। – पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है।
  6. लड़की आँगन में सो रही थी। – लड़की के द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
  7. बच्चे खेलेंगे। – बच्चों से खेला जाएगा।
  8. हम वहाँ नहीं रहेंगे। – हमसे वहाँ नहीं रहा जाएगा।
  9. राजन दौड़ेगा। – राजन से दौड़ा जाएगा।
  10. बच्चा हँसता है। – बच्चे से हँसा जाता है।

3. कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना –

कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना ऊपर दी गई विधियों से ठीक विपरीत हैं। इसमें सामान्य भूतकाल क्रिया को मुख्य क्रिया में बनाया जाता है। कर्ता के साथ प्रयुक्त परसर्ग से / के द्वारा हटा दिए जाते हैं। इसमें रंजक क्रिया जा / जाना हटा दिया जाता है। जैसे –
कर्मवाच्य या भाववाच्य – कर्तृवाच्य

  1. गौरांग से भागा नहीं जाता। – गौरांग भाग नहीं सकता।
  2. रुचि से नाचा नहीं जाता। – रुचि नाच नहीं सकती।
  3. बूढ़ों से खेला नहीं जाता। – बूढ़े खेल नहीं सकते।
  4. नरेश द्वारा पुस्तक लिखी जाएगी। – नरेश पुस्तक लिखेगा।
  5. आओ, अब चला जाए। – आओ, अब चलें।
  6. उठो, अब खाया जाए। – उठो, अब खाएँ।
  7. सुरेखा से उठा नहीं जाता। – सुरेखा उठ नहीं सकती।
  8. अनुष्का से खाना नहीं पकाया जाता। – अनुष्का खाना नहीं पकाती।
  9. सुरेश से बैठा नहीं जाता। – सुरेश बैठ नहीं सकता।
  10. नूतन से चला नहीं जाता। – नूतन चल नहीं सकती।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

1. निम्नलिखित वाक्यों में वाच्य परिवर्तन कीजिए –

  1. बच्चे फूल तोड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  2. अनेक कवियों ने सुंदर कविताएँ लिखी हैं। (कर्मवाच्य)
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए। (कर्तृवाच्य)
  4. सिपाही ने चोर को पकड़ा। (कर्मवाच्य)
  5. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। (कर्मवाच्य)
  6. पुलिस द्वारा कल रात कई चोर पकड़े गए। (कर्तृवाच्य)
  7. भिखारिन सड़क पर जा रही थी। (भाववाच्य)
  8. अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  9. पक्षी आकाश में उड़ेंगे। (भाववाच्य)
  10. राम पुस्तक पढ़ रहा है। (कर्मवाच्य)
  11. अध्यापक विद्यालय में शिक्षा देते हैं। (कर्मवाच्य)
  12. अध्यापक ने हमें आज नया पाठ पढ़ाया। (कर्मवाच्य)
  13. रोगी बिस्तर से उठ नहीं सकता। (भाववाच्य)
  14. मैं नहीं बैठ सकता। (कर्मवाच्य)
  15. मैं यह भाषा नहीं पढ़ सकूँगा। (भाववाच्य)

उत्तर :

  1. बच्चों से फूल तोड़ जाते हैं।
  2. अनेक कवियों द्वारा सुंदर कविताएँ लिखी गई हैं।
  3. बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए।
  4. सिपाही द्वारा चोर पकड़ा गया।
  5. पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है
  6. पुलिस ने कल रात कई चोर पकड़े।
  7. भिखारिन से सड़क पर जाया जा रहा था।
  8. अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पढ़ाया गया।
  9. पक्षियों से आकाश में उड़ा जाएगा।
  10. राम से पुस्तक पढ़ी जा रही है।
  11. अध्यापकों द्वारा विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
  12. अध्यापक द्वारा हमें आज नया पाठ पढ़ाया गया।
  13. रोगी द्वारा बिस्तर से उठा नहीं जाता।
  14. मुझसे यह भाषा पढ़ी नहीं जाएगी।
  15. मुझसे बैठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर –

(अ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(क) मुझसे पतंग नहीं उड़ाई जा सकती।
(ख) मेरे द्वारा पतंग नहीं उड़ाई जा रही।
(ग) मैं पतंग नहीं उड़ाता।
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।
उत्तर :
(घ) मैं पतंग नहीं उड़ा सकता।

2. मुझ से निबंध नहीं लिखा गया।
(क) मैं निबंध नहीं लिख सकता।
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।
(ग) मैं निबंध नहीं लिखता।
(घ) मैंने निबंध नहीं लिखा था।
उत्तर :
(ख) मैंने निबंध नहीं लिखा।

3. किसानों से खेतों की जुताई नहीं की जा रही।
(क) किसान खेतों की जुताई नहीं कर रहे।
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।
(ग) किसानों ने खेत नहीं जोते।
(घ) किसान खेत नहीं जोत रहे हैं।
उत्तर :
(ख) किसान खेतों की जुताई नहीं कर पा रहे हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से कर्मवाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. उन ठगों ने हमें ठग लिया।
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।
(ख) उन ठगों द्वारा हम ठगे गए।
(ग) उन ठगों ने हमारे साथ ठगी कर ली।
(घ) उन ठगों से हम ठगे गए हैं।
उत्तर :
(क) उन ठगों द्वारा हम ठग लिए गए।

2. शेफ़ाली खाना पका रही है।
(क) शेफ़ाली से खाना पकाया जाएगा।
(ख) शेफ़ाली खाना पकाएगी।
(ग) शेफ़ाली द्वारा खाना पकाया गया।
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।
उत्तर :
(घ) शेफाली द्वारा खाना पकाया जा रहा है।

3. दीपा ग़ज़ल गा रही थी।
(क) दीपा से ग़ज़ल गाई जा रही है।
(ख) दीपा ग़ज़ल गाएगी।
(ग) दीपा द्ववारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।
(घ) दीपा से ग़ज़ल गाई गई थी।
उत्तर :
(ग) दीपा द्वारा ग़ज़ल गाई जा रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(इ) निम्नलिखित वाक्यों में से भाववाच्य संबंधी उचित विकल्प को चुनिए –

1. कौआ पेड़ पर काँव-काँव करता है।
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।
(ख) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती रहेगी।
(ग) कौए के द्वारा पेड़ पर काँव-काँव किया जाता है।
(घ) कौए से पेड़ पर काँव-काँव होती है।
उत्तर :
(क) कौए से पेड़ पर काँव-काँव की जाती है।

2. मैं कल रात वहीं ठहरूँगा।
(क) मुझे कल रात वहीं ठहरना होगा।
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।
(ग) मेंरे द्वारा कल रात वहीं पर ठहरना होगा।
(घ) मेरा कल रात वहीं ठहरना होगा।
उत्तर :
(ख) मुझसे कल रात नहीं ठहरा जाएगा।

3. बच्चे चुप नहीं बैठ सकते।
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।
(ख) बच्चों से चुप नहीं बैठा जाता।
(ग) बच्चों से चुप बैठा नहीं जा सकता।
(घ) बच्चों से चुप नहीं हुआ जा सकता।
उत्तर :
(क) बच्चों से चुप नहीं बैठा जा सकता।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर –

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) कर्मवाच्य में किसकी प्रधानता होती है-
(i) कर्ता की
(ii) कर्म की
(iii) क्रिया की
(iv) भाव की
उत्तर :
(ii) कर्म की

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ख) नीचे दिए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है –
(i) कालिदास के नाटक खूब प्रस्तुत किए गए हैं।
(ii) उससे मंच तक नहीं पहुँचा जाएगा।
(iii) उससे तो उठा ही नहीं जाता।
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
उत्तर :
(iv) बालिकाओं ने अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

(ग) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है –
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।
(ii) हम आपका समर्थन करते हैं।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) रेल मंत्री ने बुलेट ट्रेन चलाई।
उत्तर :
(i) तुम्हें उपहार दिया जाता है।

(घ) नीचे लिखे वाक्यों में से भाववाच्य वाला वाक्य छाँटिए-
(i) वह थकान के कारण सो गया।
(ii) आओ, सैर करने चले।
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।
(iv) यह किला राणा कुंभा के द्वारा बनाया गया है।
उत्तर :
(iii) मुझसे उठा नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(ङ) नीचे लिखे वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सैनिक बढ़ते जा रहे थे।
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।
(iii) वह नदी में डूब गया।
(iv) ऑँधी से टॉवर गिर गया।
उत्तर :
(ii) जलेबियाँ बनाई जा रही हैं।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनिए –

(क) कर्तृवाच्य ऐसा वाक्य होता है-
(i) जहाँ कर्म प्रधान होता है।
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।
(iii) जहाँ भाव प्रधान होता है।
(iv) जहाँ अन्य पद प्रधान होता है।
उत्तर :
(ii) जहाँ कर्ता प्रधान होता है।

(ख) दिए गए वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य है-
(i) तुमसे कार नहीं चलाई जाएगी।
(ii) सारे दिन कैसे सोया जाएगा?
(iii) तुम शोर क्यों मचाते हो?
(iv) चटनी खाई ही नहीं जा रही है।
उत्तर :
(iii) तुम शोक क्यों मचाते हो?

(ग) दिए गए वाक्यों में से कर्मवाच्य वाला वाक्य है-
(i) सेना ने आतंकियों को पकड़ लिया है।
(ii) बाढ़-पीड़ितों में राहत-सामग्री बाँटी जा रही है।
(iii) आइए, चला जाए।
(iv) वह रात-भर कैसे काम करता रहा?
उत्तर :
(ii) बाढ़ पीड़ितों में राहत सामग्री बाँटी जा रही है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

(घ) दिए गए वाक्यों में से भाववाच्य का वाक्य है-
(i) अब हम गा नहीं पा रहे हैं।
(ii) अमेरिका ने मित्रता का हाथ बढ़ाया है।
(iii) यह पाठ एक दिन में पढ़ा जा सकता है।
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा?
उत्तर :
(iv) क्या तुमसे इतनी देर तक पढ़ा जाएगा ?

(ङ) “तुमने अच्छी नीति अपनाई। ” वाक्य का कर्मवाच्य है-
(i) तुम अच्छी नीति अपना लेते हो।
(ii) तुमसे अच्छी नीति अपनाने की आशा थी।
(iii) तुम्हारे द्वारा क्या नीति अपनाई जाएगी?
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।
उत्तर :
(iv) तुम्हारे द्वारा अच्छी नीति अपनाई गई।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर

निर्देशानुसार वाच्य बदलिए –

1. (क) मैं सो नहीं सकता हूँ। (भाववाच्य में)
(ख) तुम्हें यहाँ किसने भेजा है ? (कर्मवाच्य में)
(ग) विद्व्वानों द्वारा जो कहा जाता है उसको सुना जाए। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मेरे द्वारा सोया नहीं जा सकता है।
(ख) तुम यहाँ किसके द्वारा भेजे गए हो ?
(ग) विद्वान जो कहते हैं, उसे सुनो।

2. (क) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तकें दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे चला नहीं जाता। (कर्तृवाज्य्य में)
(ग) वह तो उठ भी नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दी।
(ख) वह चल नहीं सकता।
(ग) उससे तो उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

3. (क) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठा जाएगा। (कर्तृवाच्य में)
(ग) हम इतना भार नहीं सह सकते। (कर्मवाच्य में)
(घ) अब राष्ट्रपति नहीं आएँगे। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की।
(ख) इतनी गरमी में कैसे बैठेंगे।
(ग) हमारे द्वारा इतना भार नहीं सहा जा सकता।
(घ) अब राष्ट्रपति से नहीं आया जा सकेगा।

4. (क) भाईसाहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) आओ कहीं चला जाए। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मेरी मित्र चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) भाई साहब ने मुझे पतंग दी
(ख) आओ, कहीं चलें।
(ग) मेरी मित्र से चला नहीं जाता।
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

5. (क) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) मेरे मित्र से चला नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) उनके सामने कौन बोल सकेगा ? (भाववाच्य में)
(घ) भाई साहब ने मुझे पतंग दी। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।
(ख) मेरा मित्र नहीं चलता।
(ग) उनके सामने किससे बोला जा सकेगा ?
(घ) भाई साहब के द्वारा मुझे पतंग दी गई।

6. (क) राष्ट्रपति द्वारा इस भवन का उद्धाटन किया गया। (कर्तृवाच्य में)
(ख) हमसे इतना भार नहीं सहा जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठ सकते हैं ? (भाववाच्य में)
(घ) तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) राष्ट्रपति ने इस भवन का उद्घाटन किया।
(ख) हम इतना भार नहीं सह सकते।
(ग) इतनी गरमी में कैसे बैठा जा सकता है ?
(घ) तुलसीदास द्वारा ‘रामचरितमानस’ की रचना की गई।

7. (क) उनके द्वारा उछलकर डोर पकड़ ली गई। (कर्तृवाच्य में)
(ख) उससे तो उठा भी नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) मैं चल नहीं सकती। (भाववांच्य में)
(घ) दादा जी ने हम सबको पुस्तकें दीं। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) उन्होंने उछलकर डोर पकड़ ली।
(ख) वह उठ नहीं सकते।
(ग) मुझसे उठा भी नहीं जा सकता।
(घ) दादा जी के द्वारा हम सबको पुस्तक दी गई।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

8. (क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में)
(ख) श्यामा द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। (कर्तृवाच्य में)
(ग) दर्द के कारण वह चल नहीं सकती। (भाववाच्य में)
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से की जाती है। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कूजन कुंज में आस-पास के पक्षियों द्वारा संगीत का अभ्यास किया जाता है।
(ख) श्यामा सुबह-दोपहर के राग बख़बी गाती है।
(ग) दर्द के कारण उससे चला नहीं जा सकता।
(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से होती है।

9. (क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) फ़ाख़्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था। (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) फ़ुरसत में मैना द्वारा खूब रियाज किया जाता है।
(ख) फ़ाख़्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
(ग) बच्चे से साँस नहीं लिया जा रहा था।
(घ) दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूद रहे थे।

10. (क) बुलबुल रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सँहाल लिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह रात भर कैसे जागेगी? (भाववाच्य में)
(घ) सात सुरों को इसने गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया। (कर्मवाच्य में)
उत्तर :
(क) बुलबुल के द्वारा रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर किया जाता है।
(ख) कुछ छोटे भूरे पक्षी मंच संभाल लेते हैं।
(ग) उससे रात भर कैसे जागा जाएगा?
(घ) सात सुरों को इसके द्वारा गज़ब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया गया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

11. (क) मैनाओं ने गीत सुनाया। (कर्मवाच्य में)
(ख) माँ अभी भी खड़ी नहीं हो पाती। (भाववाच्य में)
(ग) बीमारी के कारण उससे उठा नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(घ) क्या अब चला जाए? (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मैनाओं के द्वारा गीत सुनाया गया।
(ख) माँ से अभी भी खड़ा नहीं हुआ जाता।
(ग) बीमारी के कारण वह नहीं उठता।
(घ) क्या अब चलें?

12. (क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में)
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।
(कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों के द्वारा नोटिस थमा दिया गया।
(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद करते हैं।
(ग) खबर सुनकर उससे चला भी नहीं जा पा रहा था।
(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा।

13. (क) अनेक पाठकों ने पुस्तक की सराहना की। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता रोज़ अख़बार पढ़ती है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) मेरे द्वारा समय की पाबंदी पर निबंध लिखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) अनेक पाठकों द्वारा पुस्तक की सराहना की गई।
(ख) पक्षियों से बाग छोड़कर उड़ा नहीं गया।
(ग) हर्षिता द्वारा रोज़ अख़बार पढ़ा जाता है।
(घ) मैंने समय की पाबंदी पर निबंध लिखा।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

14. (क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) बालगोबिन भगत के द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थीं।
(ख) बीमारी के कारण उससे यहाँ न आया गया।
(ग) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था।
(घ) अवनि द्वारा चाय बनाई जा रही है।
(ङ) घायल हंस से उड़ा न जा सका।

15. (क) गाँव की स्त्रियाँ बहू को चुप कराने की कोशिश कर रही हैं। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) भगत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ग) नवाब साहब ने खीरे को धोकर पोंछ लिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(घ) हम लोग क्लास छोड़कर बाहर नहीं आ सके। (भाववाच्य में बदलिए)
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया गया है, लुंगी पर नहीं। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) गाँव की स्त्रियों के द्वारा बहू को चुप कराने की कोशिश की जा रही है।
(ख) भारत की संगीत साधना का चरम उत्कर्ष देखा।
(ग) नवाब साहब के द्वारा खीरे को धोकर पोछ लिया गया।
(घ) हम लोगों से क्लास छोड़कर बाहर नहीं आया गया।
(ङ) भारत-रत्न हमको शहनाई पर दिया है, लुंगी पर नहीं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण वाच्य

16. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा हीं नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लज़ीज होता है।

17. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-भेद Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
एक विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाले क्रमबद्ध सार्थक शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे-अशोक पुस्तक पढ़ता है। राम दिल्ली गया है। एक वाक्य में कम-से-कम दो शब्द-कर्ता और क्रिया अवश्य होने चाहिए, लेकिन वार्तालाप की स्थिति में कभी-कभी एक शब्द भी पूरे वाक्य का काम कर जाता है; जैसे –
आप कहाँ गए थे?
दिल्ली।
बीमार कौन है?
माता जी।

रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद 1

प्रश्न 2.
सरल वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सरल वाक्य स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य है। इसमें एक उद्देश्य, एक विधेय और एक ही समापिका क्रिया होती है। इसमें कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया-विशेषण में से कुछ घटकों का योग होता है; जैसे –

  • नकुल हँसता है।
  • रजत रुचि का छोटा भाई है।
  • आप क्या लेंगे?
  • पापा के द्वारा समझाने पर भी वह नहीं मानी।
  • आप खाना खाकर सो जाइए।
  • शाम होते ही पिताजी वापस आ गए।
  • रीना रो-रो कर बेहाल हो रही थी।
  • आँधी आते ही टैंट उड़ गया था।
  • आद्या थोड़ी देर चुप रहकर बोली।
  • मैंने उसे खाना खिलाकर सुला दिया है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 3.
संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य स्वतंत्र रूप में समुच्चयबोधक अथवा योजक द्वारा मिले हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे –

  • अशोक पुस्तक पढ़ता है, परंतु शीला नहीं पढ़ती।
  • अशोक पुस्तक पढ़ता है और शीला लेख लिख रही है।
  • आप चाय पीएँगे या आपके लिए ठंडा लाऊँ।
  • हम लोग घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।
  • मम्मी बीमार थी इसलिए बाज़ार नहीं गई।
  • भीड़ ने आग लगाई और पत्थर बरसाने आरंभ कर दिए।
  • वह मंडी गई और ढेरों फल खरीद लाई।
  • वह मोटा है पर तेज़ भागता है।
  • रुचि बाज़ार गई लेकिन कपड़े खरीदना भूल गई।
  • अमृता ने समझाया और रघू मान गया।
  • उसने परिश्रम किया और सफलता प्राप्त कर ली।

प्रश्न 4.
मिश्र वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्रित वाक्य कहा जाता है। मिश्रित वाक्य में उपवाक्य परस्पर व्याधिकरण योजकों; कि, यदि, अगर, तो, तथापि, यद्यपि इसलिए आदि; से जुड़े होते हैं। जैसे –

  • खाने – पीने का मतलब है कि मनुष्य स्वस्थ बने।
  • खाने – पीने का मतलब है-स्वतंत्र या प्रधान उपवाक्य।
  • कि – समुच्चयबोधक या योजक।
  • मनुष्य स्वस्थ बने – आश्रित उपवाक्य।

अन्य उदाहरण –

  • जब बाघ और शिकारी घात लगाकर निकलते हैं तब उनकी शक्ल देखने लायक होती है।
  • जो अपने वचन का पालन नहीं करता, वह विश्वास खो बैठता है।
  • जैसे ही मैं घर पहुँचा वैसे ही आँधी आ गई थी।
  • मैंने एक औरत देखी जो बहुत ठिगनी थी।
  • जैसे ही सिपाही पहुँचा वैसे ही गुंडे भाग गए।
  • मुझे एक बच्चा मिला जो बहुत दुबला-पतला था।
  • जब भूकंप आया तब अनेक इमारतें गिर गईं।
  • यद्यपि वह अच्छी टीम थी तथापि इनके सामने टिक नहीं पाई।
  • यह वही लड़की है जिसने आम तोड़े थे।
  • जैसे ही नेताजी पधारे वैसे ही स्वागत गान आरंभ हो गया।

मिश्र वाक्य में आने वाले आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं –

1. संज्ञा उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा पदबंध के बदले आने वाला उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। जैसे –

  • राकेश बोला कि मैं लखनऊ जा रहा हूँ।
  • यहाँ ‘मैं लखनऊ जा रहा हूँ’ उपवाक्य, प्रधान वाक्य ‘राकेश बोला’ क्रिया के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अत: यह संज्ञा उपवाक्य है।
  • मेरे जीवन का मूल उद्देश्य है कि मैं विद्या प्राप्त करूँ।
  • संज्ञा वाक्य के आरंभ में ‘कि’ योजक का प्रयोग होता है।

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2. विशेषण उपवाक्य – मुख्य या प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताने वाला उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे –

  • मैंने एक भिखारी देखा जो बहुत भूखा-प्यासा था।
  • जो व्यक्ति सच्चरित्र होता है, उसे सभी चाहते हैं।

3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की क्रिया के संबंध में किसी प्रकार की सूचना देने वाला उपवाक्य
क्रिया – विशेषण उपवाक्य कहा जाता है। जैसे –
क्रिया – विशेषण उपवाक्य पाँच प्रकार के होते हैं –
(i) कालवाची उपवाक्य –

  • ज्योंही मैं स्टेशन पहुँचा, त्योंही गाड़ी ने सीटी बजाई।
  • जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।

(ii) स्थानवाची उपवाक्य –

  • जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था।
  • जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।

(iii) रीतिवाची उपवाक्य –

  • मैंने वैसे ही किया है जैसे आपने बताया था।
  • वह उसी प्रकार खेलता है जैसा उसके कोच सिखाते हैं।

(iv) परिणामवाची उपवाक्य

  • जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
  • तुम जितना पढ़ोगे उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।

(v) परिमाणवाची (कार्य-कारिणी) उपवाक्य –

  • वह जाएगा ज़रूर क्योंकि उसका साक्षात्कार है।
  • यदि मैंने पढ़ा होता तो अवश्य उत्तीर्ण हो गया होता।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में उपवाक्य अलग करके उनके नाम लिखिए –
(क) गीता में कहा गया है कि कर्म ही मनुष्य का अधिकार है।
(ख) वीर सैनिकों ने ललकार कर कहा कि प्राण रहते शत्रु को नगर में नहीं घुसने देंगे।
(ग) समाज को एक सूत्र में बद्ध करने के लिए न्याय यह है कि सबको अपना काम करने की स्वतंत्रता मिले ताकि किसी को शिकायत करने का मौका न हो।
(घ) आज लोगों के मन में यही एक बात समा रही है कि जहाँ तक हो सके शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिए। (ङ) सब जानते हैं, ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया है।
(च) हमारे खिलाड़ी कल मुंबई पहुंचेंगे और परसों पहला मैच खेलेंगे, जिसे हज़ारों दर्शक देखेंगे।
(छ) कल हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव है, जिसमें अनेक प्रकार के कार्यक्रम होंगे।
(ज) मेरी आकाँक्षा है कि मैं एक सफल शिक्षक बनूँ, क्योंकि आज देश को योग्य शिक्षकों की जरूरत है।
(झ) जासूस को अपराधियों का भेद लगाना था, इसलिए वह उनके पास ठहर गया।
(ब) मैं जानता हूँ कि वह तुम्हारा भाई है।
(ट) मैं पढ़ रहा हूँ और वह सो रहा है।
(ठ) जब वह यहाँ आया, मैं सो रहा था।
(ड) वह आदमी जो कल यहाँ आया था, मेरा मित्र है।
(ढ) जब भी मैं वहाँ गया, उसने मेरा सत्कार किया।
(ण) जो छात्र परिश्रमी होता है, वह सभी को अच्छा लगता है।
(त) मैंने एक व्यक्ति देखा जो बहुत लंबा था।
(थ) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं डॉक्टर बनें।
(द) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं इंजीनियर बनूं।
(ध) उसने कहा कि मैं कल आगरा जाऊँगा।
(न) रमेश ने कहा कि मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा।
उत्तर :
(क) (i) गीता में कहा गया है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) कर्म पर ही मनुष्य का अधिकार है – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ख) (i) वीर सैनिकों ने ललकार कर कहा – प्रधान उपवाक्य ।
(ii) प्राण रहते शत्रु को नगर में नहीं घुसने देंगे – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ग) (i) समाज को एक सूत्र में बद्ध करने के लिए न्याय यह है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) सबको अपना काम करने की स्वतंत्रता मिले – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) किसी को शिकायत करने का मौका न मिले – आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(घ) (i) आज लोगों के मन में यही बात समा रही है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) जहाँ तक हो सके शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिए – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ङ) (i) सब जानते हैं-प्रधान उपवाक्य।
(ii) ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(च) (i) हमारे खिलाड़ी कल मुंबई पहुँचेंगे-प्रधान उपवाक्य।
(ii) (वे) परसों पहला मैच खेलेंगे-समानाधिकरण उपवाक्य।
(iii) जिसे हज़ारों दर्शक देखेंगे-आश्रित विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(छ) (i) कल हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जिसमें अनेक प्रकार के कार्यक्रम होंगे-आश्रित विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ज) (i) मेरी आकाँक्षा है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं एक सफल शिक्षक बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) आज देश को योग्य शिक्षकों की ज़रूरत है-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(झ) (i) जासूस को अपराधियों का भेद लेना था-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह उसके पास ठहर गया-समानाधिकरण-उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(ञ) (i) मैं जानता हूँ-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह तुम्हारा भाई है-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ट) (i) मैं पढ़ रहा हूँ-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह सो रहा है-समानाधिकरण-उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(ठ) (i) मैं सो रहा था-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जब वह यहाँ आया-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ड) (i) वह आदमी मेरा मित्र है-प्रधान वाक्य।
(ii) जो कल यहाँ आया था-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(ढ) (i) उसने मेरा सत्कार किया-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जब भी मैं वहाँ गया-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(ण) (i) वह सभी को अच्छा लगता है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जो छात्र परिश्रमी होता है-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(त) (i) मैंने एक व्यक्ति देखा-प्रधान वाक्य।
(ii) जो बहुत लंबा था-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(थ) (i) मेरे जीवन का लक्ष्य है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं डॉक्टर बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(द) (i) मेरे जीवन का लक्ष्य है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं इंजीनियर बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ध) (i) उसने कहा-प्रधान उपवाक्य
(ii) मैं कल आगरा जाऊँगा-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-प्रधान उपवाक्य।

(न) (i) रमेश ने कहा-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

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प्रश्न 6.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार वाक्यों में उचित परिवर्तन कीजिए –
(क) रमा को पुस्तक खरीदनी थी, इसलिए बाज़ार गई। (सरल वाक्य)
(ख) कल फूलपुर में मेला है और हम वहाँ जाएँगे। (साधारण वाक्य)
(ग) झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(घ) आज अंदर बैठकर देर तक बातें करें। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ। (सरल वाक्य)
(च) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (साधारण वाक्य)
(छ) उसने नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा। (मिश्र वाक्य)
(ज) दिन-रात मेहनत करने वालों को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। (मिश्रित वाक्य)
(झ) मैंने उस बच्चे को देखा जो स्कूटर चला रहा था। (सरल वाक्य)
(ञ) वहाँ एक गाँव था। वह गाँव बहुत बड़ा था। वह गाँव चारों ओर जंगल से घिरा था। उस गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे। (सरल वाक्य)
(ट) मज़दूर खूब मेहनत करता है परंतु उसे उसका लाभ नहीं मिलता। (सरल वाक्य)
(ठ) मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को भीख माँगते देखा। (मिश्र वाक्य)
(ड) जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (सरल वाक्य)
(ढ) मेरा विचार है कि आज घूमने चलें। (सरल वाक्य)
(ण) मैंने उसे पढ़ाकर नौकरी दिलवाई। (संयुक्त वाक्य)
(त) वह फल खरीदने के लिए बाज़ार गया। (मिश्र वाक्य)
(थ) तुम बस रुकने के स्थान पर चले जाओ। (मिश्र वाक्य)
(द) शशि गा रही है और नाच रही है। (सरल वाक्य)
(ध) अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहते हैं। (मिश्रित वाक्य)
(न) बालिकाएँ गा रही हैं और नाच रही हैं। (सरल वाक्य)
उत्तर :
(क) रमा पुस्तकें खरीदने के लिए बाजार गई।
(ख) कल हम फूलपुर के मेले में जाएंगे।
(ग) बिल्ली झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
(घ) आज अंदर बैठें और देर तक बातें करें।
(ङ) सुबह पहली बस पकड़कर शाम तक लौट आओ।
(च) मैंने पीड़ा से कराहते उस व्यक्ति को देखा।
(छ) उसने प्रार्थना-पत्र लिखा जो नौकरी के लिए था।
(ज) जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
(झ) मैंने स्कूटर चला रहे बच्चे को देखा।
(ञ) चारों ओर जंगल से घिरे उस बहुत बड़े गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे।
(ट) मजदूर को खूब मेहनत करने पर भी उसका लाभ नहीं मिलता।
(ठ) मैंने एक व्यक्ति को भीख माँगते देखा जो दुबला-पतला था।
(ड) परिश्रमी लोगों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता; या
परिश्रम करने वाले लोगों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
(ढ) मेरे विचार में आज घूमने चलें; या।
मेरा विचार घूमने के लिए चलने का है।
(ण) मैंने उसे पढ़ाया और नौकरी दिलवाई।
(त) वह बाज़ार गया क्योंकि उसे फल खरीदने थे।
(थ) तुम उस स्थान पर चले जाओ जहाँ बस रुकती है।
(द) शशि नाच-गा रही है।
(ध) अध्यापक चाहते हैं कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
(न) बालिकाएँ नाच-गा रही हैं।

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प्रश्न 7.
नीचे लिखे वाक्यों में कुछ साधारण वाक्य, कुछ मिश्रित वाक्य और कुछ संयुक्त वाक्य हैं। उनके ठीक-ठीक नाम लिखिए।
(क) मोहन ने कहा कि मैं जिस सिनेमाघर में गया उसमें टिकट नहीं मिला।
(ख) जो विद्वान होता है, उसे सभी आदर देते हैं।
(ग) मैं चाहता हूँ कि तुम परिश्रम करो और परीक्षा में सफल हो।
(घ) वह आदमी पागल हो गया है।
(ङ) स्त्री कपड़े सिलती है।
(च) झूठ बोलना महापाप है।
(छ) हमारे जीवन का आधार केवल धन नहीं, बल्कि कई और पदार्थ भी हैं।
(ज) अपना काम देखो।
(झ) जब राजा नगर में आया तो उत्सव मनाया गया।
(ञ) जो पत्र मिला है, उसे शीला ने लिखा होगा।
उत्तर :
(क) मिश्र
(ख) मिश्र
(ग) मिश्र
(घ) सरल
(ङ) सरल
(च) संयुक्त
(छ) सरल
(ज) सरल या सरल
(झ) मिश्र
(ञ) मिश्र

वाक्य रचनांतरण –

प्रश्न 1.
वाक्य रचनांतरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
सरल वाक्य को संयुक्त एवं मिश्र बनाना, संयुक्त को सरल एवं मिश्र बनाना रचनांतरण कहलाता है। जैसे –
(i) सरल से मिश्र और संयुक्त वाक्य बनाना –
सरल – मोहन हिंदी पढ़ने के लिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। जैसे –
मिश्र – मोहन को हिंदी पढ़ना है, इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है।
संयुक्त – मोहन को हिंदी पढ़ना है और इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है।

(ii) मिश्र से सरल वाक्य बनाना –
मिश्र – जब तक मोहन घर पहुंचा तब तक उसके पिता चल चुके थे।
सरल – मोहन के घर पहुंचने से पूर्व उसके पिता चल चुके थे।

(iii) मिश्र से सरल और संयुक्त वाक्य बनाना –
मिश्र – मैंने एक आदमी देखा जो बहुत बीमार था।
सरल – मैंने एक बहुत बीमार आदमी देखा।
संयक्त – मैंने एक आदमी देखा और वह बहत बीमार था।

(iv) संयुक्त से सरल और मिश्र वाक्य बनाना –
संयुक्त – मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी है लेकिन फेल कभी नहीं होता।
सरल – मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी होने पर भी फेल कभी नहीं होता।
मिश्र – यद्यपि मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी है तथापि फेल कभी नहीं होता।

(v) सरल वाक्यों से एक मिश्र वाक्य बनाना
सरल – पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था। कक्षा में उस प्रश्न को कोई भी हल नहीं कर सका। मैंने उस प्रश्न को हल कर दिया।
मिश्र – पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका मैंने उसे हल कर लिया है।

(vi) सरल वाक्यों से संयुक्त और मिश्र वाक्य बनाना –
सरल – इस वर्ष हमारे विद्यालय में बहुत-से वक्ता पधारे। कुछ वक्ता धर्म पर बोले। कुछ वक्ता साहित्य पर बोले। कुछ वक्ता वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
संयुक्त – इस वर्ष हमारे विद्यालय में पधारने वाले बहुत-से वक्ताओं में से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
मिश्र – इस वर्ष हमारे विद्यालय में जो बहुत-से वक्ता पधारे उनमें से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
(vii) वाच्य की दृष्टि से रचनांतरण – राम नहीं खाता। = राम से नहीं खाया जाता।
(viii) सकर्मक से अकर्मक में रचनांतरण – मोहन पेड़ काट रहा है। = मोहन से पेड़ कट रहा है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 2.
रूपांतरण कैसे होता है?
उत्तर :
अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। उसमें परस्पर रूपांतरण का अभ्यास होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि उन सभी भेदों की रचना से आप सुपरिचित हों। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं –

  • विधानवाचक – राम स्कूल जाएगा।
  • निषेधवाचक – राम स्कूल नहीं जाएगा।
  • प्रश्नवाचक – क्या राम स्कूल जाएगा?
  • आज्ञावाचक – राम, स्कूल जाओ।
  • विस्मयवाचक – अरे, राम स्कूल जाएगा!
  • इच्छावाचक – राम स्कूल जाए।
  • संदेहवाचक – राम स्कूल गया होगा।
  • संकेतवाचक – राम स्कूल जाए तो

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार बदलिए –

  1. माँ खाना पका रही है और परोस रही है। (सरल वाक्य में)
  2. अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहता है। (मिश्र वाक्य में)
  3. मैंने एक बहुत मोटा व्यक्ति देखा। (मिश्र वाक्य में)
  4. मैं बाज़ार जाऊँगा और कपड़े खरीदूंगा। (सरल वाक्य में)
  5. आप खूब परिश्रम करते हैं और अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। (सरल वाक्य में)
  6. मेरा निर्णय आज मौन रहने का है। (मिश्र वाक्य में)
  7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढका। हवेली को अंतिम बार देखा। (सरल वाक्य में)
  8. शाहनी ने हिचकियों को रोका और रुंधे गले से कहा। (सरल वाक्य में)
  9. चातक थोड़ी देर चुप रहकर बोला। (संयुक्त वाक्य में)
  10. मैंने गौरा को देखा और उसे पालने का निश्चय किया। (सरल वाक्य में)
  11. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत गरीब था। (मिश्र वाक्य में)
  12. वहाँ एक गाँव था। वह गाँव छोटा-सा था। उसके चारों ओर जंगल था। (मिश्र वाक्य में)
  13. मोहन कल यहाँ आया। उसने राम से बात की। वह चला गया। (संयुक्त वाक्य में)
  14. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत दुबला-पतला था। (मिश्र वाक्य में)
  15. सड़क पार करता हुआ एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया। (मिश्र वाक्य में)
  16. यही वह बच्चा है, जिसे बैल ने मारा था। (सरल वाक्य में)
  17. रमेश गा रहा था। लता हँस रही थी। (मिश्र वाक्य में)

उत्तर :

  1. माँ खाना पका और परोस रही है।
  2. अध्यापक चाहता है कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
  3. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत मोटा था।
  4. मैं बाज़ार जाकर कपड़े खरीदूंगा।
  5. आप खूब परिश्रम कर अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
  6. मेरा निर्णय है कि मैं आज मौन रहूँ।
  7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढककर हवेली को अंतिम बार देखा।
  8. शाहनी ने हिचकियों को रोककर रुंधे गले से कहा।
  9. चातक थोड़ी देर चुप रहा और बोला।
  10. मैंने गौरा को देखकर, उसे पालने का निश्चय कर लिया।
  11. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत गरीब था।
  12. वहाँ उस छोटे-से गाँव के चारों ओर जंगल था।
  13. मोहन ने कल यहाँ आकर राम से बात की और चला गया।
  14. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत दुबला-पतला था।
  15. जो व्यक्ति सड़क पार कर रहा था, वह बस से टकराकर मर गया।
  16. इस बच्चे को बैल ने मारा था।
  17. रमेश गा रहा था तो लता हँस रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर – 

(अ) निम्नलिखित वाक्यों में से सरल वाक्य चुनिए
1. (क) जो लोग परिश्रम से धन कमाते हैं उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
(ख) वह बाज़ार गया और वहाँ से आवश्यक सामान खरीद लाया।
(ग) सिपाही को देखते ही चोर भाग गया।
(घ) जो साहसी था वह तो अब रहा नहीं।
उत्तर :
(ग) सिपाही को देखते ही चोर भाग गया।

2. (क) नौकर भीतर आया उसने रोना शुरू कर दिया।
(ख) सच्चा-ईमानदार व्यक्ति सबको अच्छा लगता है।
(ग) मेरे बिस्तर पर जो चादर बिछी है वह मैली नहीं है।
(घ) जैसे ही समय पूरा हुआ वैसे ही मैंने पेपर मैडम को दे दिया था।
उत्तर :
(ख) सच्चा ईमानदार व्यक्ति सबको अच्छा लगता है।

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से संयुक्त वाक्य चुनिए –
1. (क) चहा बिल से बाहर निकला और बिल्ली ने उसे दबोच लिया।
(ख) इला भी क्रिकेट खेलने की शौकीन है।
(ग) परिश्रम न करने के कारण रीमा उत्तीर्ण न हो सकी।
(घ) सड़क पर शोर होने के कारण सब बाहर भागे थे।
उत्तर :
(क) चूहा बिल से बाहर निकला और बिल्ली ने उसे दबोच लिया।

(क) श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था।
(ख) लड़का छात्रावास में जाकर बीमार हो गया।
(ग) डालियों पर आम का बौर लगा और कोयल कूकने लगी।
(घ) यह वही बदमाश है जिसने तुम सबको गालियाँ दी थीं।
उत्तर :
(ग) डालियों पर आम का बौर लगा और कोयल कूकने लगी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(इ) निम्नलिखित में से मिश्र वाक्य चुनिए
1. (क) माँ ने कहा कि मैं कल हरिद्वार जा रही हूँ।
(ख) राधेय ने बाण साधा और अर्जुन की ओर छोड़ दिया।
(ग) जो दूसरों के लिए मर-मिटते हैं, उनकी आज भी कमी नहीं है।
(घ) जंगल में शेर झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ था।

2. (क) चीता भाग रहा था और शिकारी उसके पीछे लगे हुए थे।
(ख) जितनी महँगाई बढ़ेगी, उतना ही असंतोष का भाव बढ़ेगा।
(ग) किसान ने हल नीचे उतारा और बैल को चरने के लिए छोड़ दिया।
(घ) कर्ण बहादुर ही नहीं अपितु दानवीर भी था।

3. (क) बालक खाते-खाते ही सो गया था।
(ख) आइए अंदर चलें और बैठकर बात करें।
(ग) कठोर बनकर भी सहृदयता रखो।
(घ) जो दिन-रात लड़ते-झगड़ते रहते हैं, उनका जीवन कभी सुखद नहीं हो सकता।
उत्तर :
1. (ग) जो दूसरों के लिए मर मिटते हैं, उनकी आज भी कमी नहीं है।
2. (ख) जितनी महँगाई बढ़ेगी, उतना ही असंतोष का भाव बढ़ेगा।
3. (घ) जो दिन-रात लड़ते-झगड़ते रहते हैं, उनका जीवन कभी सुखद नहीं हो सकता।

(ई) संयुक्त तथा मिश्र वाक्य में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संयुक्त वाक्य – संयुक्त वाक्य में दो अथवा अधिक वाक्य समुच्चयबोधक, योजक शब्द द्वारा जुड़े होते हैं।
उदाहरण – वह हॉकी खेलेगा और मैं फुटबॉल खेलँगा।
मिश्र वाक्य – मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है तथा अन्य उपवाक्य उसके अधीन होकर आते हैं।
उदाहरण – मैंने सुना है कि तुम बनारस जा रहे हो।
मैंने सुना है – प्रधान वाक्य तथा तुम बनारस जा रहे हो उपवाक्य है।

(उ) और, पर, या, ताकि का प्रयोग करते हुए चारों के दो-दो संयुक्त वाक्य बनाइए।
उत्तर :
और –
1. राकेश विद्यालय जाएगा और महेश घर का काम करेगा।
2. सूर्य डूबता है और अँधेरा हो जाता है।

पर –
1. मैं चल-चित्र देखने जाना चाहता था पर जा न सका।
2. मैं तो गया था पर उसने मेरी बात ही नहीं सुनी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

या –
1. आप घर जाइए या कार्यालय में जाइए।
2. अनुशासन में रहो या बाहर चले जाओ।

ताकि –
1. आप परिश्रम करें ताकि सफल हो जाएँ।
2. मैं प्रतीक्षा करता रहा ताकि काम बन जाए।

(ऊ) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

  1. पिता ने बच्चे को तैयार करके स्कूल भेजा। (संयुक्त वाक्य)
  2. हम लोग तैरने के लिए नहर पर गए थे। (मिश्र वाक्य)
  3. प्लेट नीचे गिरी और टूट गई। (सरल वाक्य)
  4. फ़ायदे वाला काम करो। (मिश्र वाक्य)
  5. जुआ खेलने वाले लोग मुझे अच्छे नहीं लगते। (मिश्र वाक्य)
  6. मैं एक ऐसे पंडित से मिला जो बहुत विद्वान था। (संयुक्त वाक्य)
  7. आप कमीज़ लेना चाहेंगे अथवा पैंट लेना चाहेंगे? (सरल वाक्य)
  8. मेरे घर में एक पुरानी मेज़ है। (मिश्र वाक्य)
  9. मेरे विचार से काम करें। (मिश्र वाक्य)
  10. मैंने उसे बुलाया तब वह मेरे पास आया। (सरल वाक्य)
  11. सफ़ेद पैंट वाला आदमी कहाँ गया। (मिश्र वाक्य)
  12. मैंने उसे पढ़ाकर काबिल बनाया। (संयुक्त वाक्य)

उत्तर :

  1. पिता ने बच्चे को तैयार किया और स्कूल भेजा।
  2. हम लोगों को तैरना था इसलिए हम नहर पर गए थे।
  3. प्लेट नीचे गिरकर टूट गई।
  4. काम वही करो जिसमें फायदा हो।
  5. जो लोग जुआ खेलते हैं, मुझे अच्छे नहीं लगते।
  6. मैं एक पंडित से मिला और वह बहुत विद्वान था।
  7. आप कमीज़ या पैंट में से क्या लेंगे?
  8. मेरे घर में जो मेज़ है, वह बहुत पुरानी है।
  9. मेरा विचार है कि काम करें।
  10. मेरे बुलाने पर वह मेरे पास आया।
  11. वह आदमी कहाँ गया जो सफ़ेद पैंट पहने हुए था।
  12. मैंने उसे पढ़ाया और काबिल बनाया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर –

1. रचना के आधार पर वाक्य-भेद संबंधी प्रश्नों के सही विकल्प वाले उत्तर चुनिए –
(क) जहाँ दो स्वतंत्र वाक्य समुच्चयबोधक द्वारा जुड़े हों, उसे कहते हैं।
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) सरल वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) जटिल वाक्य
उत्तर :
(i) संयुक्त वाक्य

(ख) दिए गए वाक्यों में से मिश्र वाक्य है –
(i) प्रधानमंत्री आने वाले थे किंतु नहीं आए।
(ii) मैं महँगी साइकिल नहीं खरीदूंगा।
(iii) जो योग्य है, वही इस पद का हकदार है।
(iv) वह विदेश गया और मेरे लिए उपहार लाया।
उत्तर :
(iii) जो योग्य है, वही इस पद का हकदार है।

(ग) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है
(i) मैंने उसे अभी रुकने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया।
(ii) तुम्हारे विचार ऐसे हैं जो उनको पसंद नहीं हैं।
(iii) उस युग में उत्पीड़न का बोलवाला था।
(iv) वहाँ एक धनी रहता है जिसके पास अपार संपत्ति है।
उत्तर :
(i) मैंने उसे अभी रुकने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(घ) जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उसको कहते हैं –
(i) मिश्र वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) जटिल वाक्य
(iv) सरल वाक्य
उत्तर :
(iv) सरल वाक्य

(ङ) जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के साथ एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हो, उसे कहते हैं –
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) साधारण वाक्य
(iii) सरल वाक्य
(iv) मिश्र वाक्य
उत्तर :
(iv) मिश्र वाक्य

2. निर्देशानुसार उपयुक्त विकल्प चुनिए –
(क) निम्नलिखित में से संयुक्त वाक्य है
(i) जैसे ही कार आई, वह बैठ गया।
(ii) हम कल पुणे जाएँगे।
(iii) मैंने उसे जंगल में जाने से मना किया पर वह नहीं माना।
(iv) भीख माँगना दीनता का द्योतक है।
उत्तर :
(iii) मैंने उसे जंगल में जाने से मना किया पर वह नहीं माना।

(ख) निम्नलिखित में से सरल वाक्य है –
(i) जो श्रम के आश्रित हैं, उन्हें सफलता अवश्य मिलती है।
(ii) जैसे ही बच्चे ने माँ को देखा वैसे ही चुप हो गया।
(iii) सफलता परिश्रमी के कदम चूमती है।
(iv) वह आएगी तो हम मसौदा बनाएँगे।
उत्तर :
(iii) सफलता परिश्रमी के कदम चूमती है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(ग) “जो छात्र पढ़ने के इच्छुक हैं, उन्हें यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।” साधारण वाक्य में होगा –
(i) पढ़ने के इच्छुक छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(ii) पढ़ाई करने वालों छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ मिलती हैं।
(iii) पढ़ाई करने वाले यहाँ सभी सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
(iv) यहाँ पढ़ने वाले सभी छात्र सुविधाएँ पाते हैं।
उत्तर :
(i) पढ़ने के इच्छुक छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

(घ) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है –
(i) तुम्हारा ज्ञान दुख का विनाश करेगा।
(ii) आप सब कुछ बोलिए किंतु उसको राक्षस मत कहिए।
(iii) वह ज्यों ही घर से निकला त्यों ही आँधी आने लगी।
(iv) तुम जहाँ रहते हो, वहीं जाओ।
उत्तर :
(ii) आप सब कुछ बोलिए किंतु उसको राक्षस मत कहिए।

(ङ) “उसकी चाची घर में आकर माँ से मिलकर चली गई।” मिश्र वाक्य का रूप होगा –
(i) उसकी चाची घर में आई और माँ से मिलकर गई।
(ii) जैसे ही चाची घर में आई वैसे ही माँ से मिलकर चली गई।
(iii) चाची घर में आते ही माँ से मिली और चली गई।
(iv) चाची घर में आकर माँ से मिलकर चली गई।
उत्तर :
(ii) जैसे ही चाची घर में आई वैसे ही माँ से मिलकर चली गई।

3. निर्देशानुसार उपयुक्त विकल्प चुनिए –
(क) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है
(i) मेरे दफ्तर में एक पुरानी अलमारी है।
(ii) वह छात्रा पास हो गई जो कल यहाँ आई थी।
(iii) पिता जी ने खाना खाया और सो गए।
(iv) मैंने सुना है कि तुम अयोध्या जा रहे थे।
उत्तर :
(iii) पिता जी ने खाना खाया और सो गए।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(ख) “वर्षा हो रही थी। राम छाता लेकर विद्यालय आया।” सरल वाक्य में होगा
(i) राम विद्यालय में छाता लेकर गया क्योंकि वर्षा हो रही थी।
(ii) राम वर्षा में छाता लेकर विद्यालय गया।
(iii) वर्षा हो रही थी इसलिए राम छाता लेकर विद्यालय गया।
(iv) वर्षा होते ही राम छाता लेकर विद्यालय गया।
उत्तर :
(ii) राम वर्षा में छाता लेकर विद्यालय गया।

(ग) दिए गए वाक्यों में से मिश्र वाक्य छाँटिए
(i) लाल कमीज़ वाले छात्र को यह ट्रॉफी दे दो।
(ii) जो भाषण मैंने मंच से दिया वह अखबारों में छप गया।
(iii) वे बेबाक राय और सुझाव देते हैं।
(iv) आगरा आने पर वे मुझसे मिले।
उत्तर :
(ii) जो भाषण मैंने मंच से दिया वह अखबारों में छप गया।

(घ) जहाँ एक प्रधान उपवाक्य और एक या एक के अधिक उपवाक्य योजकों द्वारा जुड़े हों, उसे क्या कहते हैं?
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) जटिल वाक्य
उत्तर :
(ii) संयुक्त वाक्य

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(ङ) “बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया।” वाक्य में रेखांकित उपवाक्य का भेद है –
(i) विशेषण उपवाक्य
(ii) सर्वनाम उपवाक्य
(iii) क्रिया उपवाक्य
(iv) संज्ञा उपवाक्य
उत्तर :
(iv) संज्ञा उपवाक्य

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर –

1. (i) बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश नहीं लगाया गया तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) अनेक संस्थाएँ जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कार्यरत हैं। (मिश्र वाक्य बनाइए)
(iii) जो अपने भाई साहब से मिलने आए हैं उन्हें मैं जानता भी नहीं। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) बढ़ती जनसंख्या पर अकुंश लगाये बिना मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा।
(ii) अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करेंगी।
(iii) अपने भाई साहब को मिलने कोई आए हैं और मैं उन्हें नहीं जानता।

2. (i) एक तुमने ही इस जादू पर विजय प्राप्त की है। (वाक्य भेद लिखिए)
(ii) एक मोटरकार उनकी दुकान के सामने आकर रुकी। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) सभी विद्यार्थी कवि-सम्मेलन में समय से पहुँचे और शांति से बैठे रहे। (मिश्रित वाक्य में बदलिए)
उत्तर
(i) सरल वाक्य।
(ii) एक मोटरकार आई और उनकी दुकान के सामने रुकी।
(iii) जो भी विद्यार्थी कवि-सम्मेलन में आए हुए थे वे सभी शांति से बैठे रहे।

3. (i) सर्वदयाल ने शीत से बचने के लिए हाथ जेब में डाला तो कागज़ का एक टुकड़ा निकल आया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) उसे दफ़्तर की नौकरी से घृणा थी। (वाक्य भेद बताइए)
(ii) उनको पूरा-पूरा विश्वास था कि ठाकुर साहब मेंबर बन जाएँगे। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(i) सर्वदयाल ने जब शीत से बचने के लिए हाथ जेब में डाला तब कागज़ का एक टुकड़ा निकल आया।
(ii) सरल वाक्य।
(iii) ठाकुर साहब के मेंबर बनने का उन्हें पूरा विश्वास था।

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4. (i) उनको पूरा-पूरा विश्वास था कि ठाकुर साहब मेंबर बन जाएंगे। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(ii) लालची लोग दिन-रात ठाकुर साहब के घर मिठाइयाँ उड़ाते थे। (उद्देश्य-विधेय छाँटकर लिखिए)
(iii) उसे वोट दें जो सच्चे अर्थों में देश का हितैषी हो। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) आश्रित उप वाक्य – ठाकुर जी मेंबर बन जाएँगे।
भेद – आश्रित संज्ञा उपवाक्य
(ii) उद्देश्य – लालची लोग
विधेय – ठाकुर साहब के घर मिठाइयाँ उड़ाते थे।
(iii) सच्चे अर्थों में देश के हितैषी को वोट दें।

5. (i) जीवन की कुछ चीजें हैं जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए) (ii) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालकर बाहर रखते जाते थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(iii) हमें स्वयं करना पड़ा और पसीने छूट गए। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) विशेषण आश्रित उपवाक्य-जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं।
(ii) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालते थे और बाहर रखते जाते थे।
(iii) जब हमें स्वयं करना पड़ा तब पसीने छूट गए।

6. (i) वे उन सब लोगों से मिले, जो मुझे जानते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में निकलते हैं। (वाक्य का भेद लिखिए)
(iii) आषाढ़ की एक सुबह एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ को सुर दिया था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) वे मुझे जानने वाले सब लोगों से मिले।
(ii) सरल वाक्य
(iii) आषाढ़ की एक सुबह थी और एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ की सुर दिया था।

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7. (i) कभी ऐसा वक्त भी आएगा जब हमारा देश विश्वशक्ति होगा।
(आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।)
(ii) घर से दूर होने के कारण वे उदास थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) जब बच्चे उतावले हो रहे थे तब कस्तूरबा की आशंकाएँ भीतर उसे खरोंच रही थीं। (सरल वाक्य में बदलिए) उत्तर :
(i) क्रिया-विशेषण आश्रित उपवाक्य-जब हमारा देश विश्व शक्ति होगा।
(ii) वे घर से दूर थे इसलिए उदास थे।
(iii) बच्चों के उतावले होने पर कस्तूरबा की आशंकाएँ भीतर उसे खरोंच रही थीं।

8. (i) जब सावन-भादों आते हैं तब दर्जिन की आवाज़ पूरे इलाके में गूंजती है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) भुजंगा शाम को तार पर बैठकर पतिंगों को पकड़ता रहता है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) अँधेरा होते-होते चौदह घंटों बाद कूजन-कुंज का दिन ख़त्म हो जाता है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) सावन-भादों आने पर दर्जिन की आवाज़ पूरे इलाके में गूंजती है।
(ii) जब भुजंगा शाम को तार पर बैठता है तब पतिंगों को पकड़ता रहता है।
(iii) अँधेरा होने लगता है और चौदह घंटों बाद कूजन-कुंज का दिन ख़त्म हो जाता है।

9. (i) मैंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में मैं सब जानती हूँ। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।)
(ii) सीधा-सादा किसान सुभाष पालेकर अपनी नेचुरल फार्मिंग से कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(iii) अपने उत्पाद को सीधे ग्राहक को बेचने के कारण किसान को दुगुनी कीमत मिलती है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) संज्ञा आश्रित उपवाक्य-कि स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में मैं सब जानती हूँ।
(ii) सुभाष पालेकर सीधा-सादा किसान है जो अपनी नेचुरल फार्मिंग से कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है।
(iii) किसान अपने उत्पाद को सीधे ग्राहक को बेचता है और इसलिए उसे दुगुनी कीमत मिलती है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

10. (i) डलिया में आम हैं, दूसरे फलों के साथ आम रखे हैं। (सरल वाक्य बनाइए)
(ii) शर्मीला पीलक पेड़ के पत्तों में छुपकर बोलता है। (संयुक्त वाक्य बनाइए)
(iii) पीलक जितना शर्मीला होता है उतनी ही इसकी आवाज़ भी शर्मीली है। (वाक्य-भेद लिखिए)
उत्तर :
(i) डलिया में दूसरे फलों के साथ आम रखे हैं।
(ii) शर्मीला पीलक पेड़ के पत्तों में छुपता है और बोलता है।
(iii) मिश्र वाक्य।

11. (i) बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(ii) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) कि अब बुढ़ापा आ गया है (संज्ञा उपवाक्य)
(ii) जब मॉरीशस की स्वच्छता देखी तो मन प्रसन्न हो गया।
(iii) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनन्द ले रहे थे।

12. (i) कठोर होकर भी सहृदय बनो। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) यद्यपि वह सेनानी नहीं था पर लोग उसे कैप्टन कहते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(iii) बच्चे वैसे करते हैं जैसे उन्हें सिखाया जाता है। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(iv) सभी लोगों ने सुंदर दृश्य देखा। (रचना के आधार पर वाक्य भेद लिखिए)
उत्तर :
(i) कठोर बनो और सहृदय रहो।
(ii) सेनानी न होने पर भी लोग उसे कैप्टन कहते थे।
(iii) क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य।
(iv) सरल वाक्य।

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13. (i) एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) कहा जा चुका है कि मूर्ति संगमरमर की थी। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(iii) मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(iv) हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों ही आँखों में हँसा। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) एक चश्मे वाले का नाम कैप्टन है।
(ii) कि मूर्ति संगमरमर की थी।
(iii) मूर्ति की आँखों पर चश्मा था, जो सरकंडे से बना था।
(iv) उसने हालदार साहब का प्रश्न सुना और आँखों ही आँखों में हँसा।

14. (i) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(iii) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत पसंद है। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(iv) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) मैंने उस व्यक्ति को देखा और वह पीड़ा से कराह रहा था।
(ii) परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है।
(iii) प्रधान वाक्य।
(iv) उनका ताबूत निकल्सन कब्रगाह में उतारा गया जो कश्मीरी गेट में है।

15. “हर्षिता बहुत विनम्र है और सर्वत्र सम्मान प्राप्त करती है।”-रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(क) सरल वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) साधारण वाक्य
उत्तर :
(ग) संयुक्त वाक्य।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

16. निम्नलिखित में मिश्र वाक्य है
(क) मैंने एक वष्टद्ध की सहायता की।
(ख) जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
(ग) अध्यापिका ने अवनि की प्रशंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया।
(घ) नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
उत्तर :
(ख) जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।

17. “प्रयश बाज़ार गया। वहाँ से सेब लाया।”-इस वाक्य का संयुक्त वाक्य में रूपांतरण होगा
(क) प्रयश बाज़ार गया और वहाँ से सेब लाया।
(ख) प्रयश सेब लाया जब वह बाज़ार गया।
(ग) प्रयश बाज़ार जाकर सेब लाया।
(घ) जब प्रयश बाज़ार गया तो वहाँ से सेब लाया।
उत्तर :
(क) प्रयश बाज़ार गया और वहाँ से सेब लाया।

18. “जो वीर होते हैं, वे रणभूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हैं।” रेखांकित उपवाक्य का भेद है
(क) संज्ञा आश्रित उपवाक्य
(ख) सर्वनाम आश्रित उपवाक्य
(ग) क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य
(घ) विशेषण आश्रित उपवाक्य
उत्तर :
(घ) विशेषण आश्रित उपवाक्य

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

19. निम्नलिखित में सरल वाक्य है
(क) प्रातःकाल हुआ और सूरज की किरणें चमक उठीं।
(ख) जब प्रात:काल हुआ, सूरज की किरणें चमक उठीं।
(ग) प्रात:काल होते ही सूरज की किरणें चमक उठीं।
(घ) जैसे ही प्रात:काल हुआ सूरज की किरणें चमक उठीं।
उत्तर :
(ग) प्रात:काल होते ही सूरज की किरणें चमक उठीं।

20. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) पत्थर की मूर्ति पर चश्मा असली था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) मूर्तिकार ने सुना और जवाब दिया। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(घ) एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
उत्तर :
(क) मूर्ति पत्थर की थी (और/परंतु) चश्मा असली था।
(ख) मूर्तिकार ने सुनकर जवाब दिया।
(ग) वह काशी है जहाँ संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(घ) जिसका नाम कैप्टन है। संज्ञा आश्रित उपवाक्य

21. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) एक साल पहले बने कॉलेज में शीला अग्रवाल की नियुक्ति हुई थी। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) जो व्यक्ति साहसी है उनके कोई कार्य असंभव नहीं है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) सवार का संतुलन बिगड़ा और वह गिर गया। (मिश्रवाक्य में बदलिए)
(घ) केवट ने कहा कि बिना पाँव धोए आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) उत्तर :
(क) कॉलेज एक साल पहले बना था और उसमें शीला अग्रवाल की नियुक्ति हुई थी।
(ख) साहसी व्यक्ति के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है।
(ग) जैसे ही सवार का संतुलन बिगड़ा वैसे ही वह गिर गया।
(घ) कि बिना पाँव धोए आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

22. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) उसने स्टेडियम जाकर क्रिकेट मैच देखा। (संयुक्त वाक्य)
(ख) जैसे ही बच्चे को खिलौना मिला वह चुप हो गया। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) मन्नू जी की साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(घ) जो शांति बरसती थी वह चेहरे में स्थिर थी। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद लिखिए)
उत्तर :
(क) वह स्टेडियम गया और क्रिकेट मैच देखा।
(ख) खिलौना मिलने के बाद बच्चा चुप हो गया।
उत्तर
(ग) जो मन्न जी हैं उन्हें साहित्यिक उपलब्धियों के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
(घ) वह चेहरे में स्थिर थी।

23. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) सब कुछ हो चुका था, सिर्फ नाक नहीं थी। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद पहचानकर लिखिए)
(ख) थोड़ी देर में मिठाई की दुकान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(ग) जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते, तब बाबूजी खेलने के लिए ले जाते। (आश्रित उपवाक्य पहचानकर लिखिए और उसका भेद भी लिखिए)
(घ) कानाफूसी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) संयुक्त वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य-जब हम मिठाई की दुकान बढ़ाते थे तब हम लोगों को घरौंदा बनता था।
(ग) जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते-क्रियाविशेषण उपवाक्य
(घ) सरल वाक्य-कानाफूसी होने के बाद मूर्तिकार को इजाजत दे दी गई।

24. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) बालगोबिन भगत का यह संगीत है। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद लिखिए)
(ख) जब पान के पैसे चुकाकर जीप में आ बैठे, तब रवाना हो गए। (आश्रित उपवाक्य पहचानकर लिखिए और उसका भेद भी लिखिए)
(ग) थोड़ी देर में मिठाई की दुकान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(घ) फसल को एक जगह रखते और उसे पैरों से रौंद डालते। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) सरल वाक्य।
(ख) जब पान के पैसे चुकाकर जीप में बैठे-क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य-जब हम मिठाई की दुकान बढ़ाते थे तब हम लोगों का घरौंदा बनता था।
(घ) सरल वाक्य-फसल को एक जगह रखकर उसे पैरों से रौंद डालते।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

25. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) वे इंदौर से अजमेर आ गए, जहाँ उन्होंने अपने अकेले के बल-बूते अधूरे काम को आग बढ़ाया। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद लिखिए)
(ख) कानाफूसी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) अगली बार जाने पर भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(घ) हालदार साहब जीप में बैठकर चले गए। (संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए)
उत्तर :
(क) मिश्र वाक्य।
(ख) सरल वाक्य-कानाफूसी होने के बाद मूर्तिकार को इजाजत दे दी गई।
(ग) मिश्र वाक्य-जब अगली बार गए तब भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था।
(घ) संयुक्त वाक्य-हालदार साहब जीप में बैठे और चले गए।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
एक विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाले सार्थक शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं।
जैसे – अशोक पुस्तक पढ़ता है। राम दिल्ली गया। एक वाक्य में कम-से-कम दो शब्द-कर्ता और क्रिया अवश्य होने चाहिए लेकिन वार्तालाप की स्थिति में कभी एक शब्द भी पूरे वाक्य का काम कर जाता है।
जैसे – आप कहाँ गए थे?
दिल्ली!
बीमार कौन है ?
माता जी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण 1

प्रश्न 2.
रचना के आधार पर वाक्य कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के सरल वाक्य, संयुक्त वाक्य और मिश्र वाक्य होते हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण

प्रश्न 3.
सरल वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सरल वाक्य स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य है। इसमें एक उद्देश्य, एक विधेय और एक ही समापिका क्रिया होती है। इसमें कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया-विशेषण में से कुछ घटकों का प्रयोग होता है। जैसे –

  • नकुल हँसता है।
  • रजत रुचि का छोटा भाई है।
  • आप क्या लेंगे?
  • बालक खेलता है।
  • राधा धीरे-धीरे चल रही है।
  • परिश्रम करने वाले विद्यार्थी सदा सफल रहते हैं।

प्रश्न 4.
संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य स्वतंत्र रूप में समुच्चय बोधक अथवा योजक द्वारा जुड़े हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे-अशोक पुस्तक पढ़ता है, परंतु शीला नहीं पढ़ती।

  • आशीष पुस्तक पढ़ता है और शीला लेख लिख रही है।
  • आप चाय पीएँगे या आप के लिए ठंडा लाऊँ ।
  • हम लोग घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।
  • चुपचाप बैठो या यहाँ से चले जाओ।
  • सत्य बोलो परंतु कटु सत्य मत बोलो।
  • मोहन बीमार है अतः आने में असमर्थ है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण

प्रश्न 5.
मिश्र वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहा जाता है। मिश्र वाक्य में उपवाक्य परस्पर व्याधिकरण योजकों जैसे कि, यदि, अगर, तो, तथापि, यद्यपि, इसलिए आदि से जुड़े होते हैं। जैसे-खाने-पीने का मतलब है कि मनुष्य स्वस्थ बने।
खाने-पीने का मतलब है-स्वतंत्र या प्रधान उपवाक्य।
कि-समुच्चयबोधक या योजक।
मनुष्य स्वस्थ बने-आश्रित उपवाक्य।
जब बाघ और शिकारी घात लगाकर निकलते हैं तब उनकी शक्ल देखने लायक होती है।
जो अपने वचन का पालन नहीं करता, वह विश्वास खो बैठता है।
रुचि ने कहा कि वह चंडीगढ़ जा रही है।
जहाँ-जहाँ हम गए, हमारा सत्कार हुआ।
मैं आपके पास आ रहा हूँ, जिससे कुछ योजना बन सके।

मिश्र वाक्य में आने वाले आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं –

संज्ञा उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा पदबंध के बदले आने वाला उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। जैसे-राकेश बोला कि मैं लखनऊ जा रहा हूँ। यहाँ ‘मैं लखनऊ जा रहा हूँ’ उपवाक्य, प्रधान वाक्य ‘राकेश बोला’ क्रिया के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अतः यह संज्ञा उपवाक्य है।
मेरे जीवन का मूल उद्देश्य है कि मैं विद्या प्राप्त करूँ।
संज्ञा वाक्य के आरंभ में ‘कि’ योजक का प्रयोग होता है।

विशेषण उपवाक्य – मुख्य या प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताने वाला उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहलाता है।

मैंने एक भिखारी देखा जो बहुत भूखा-प्यासा था।
जो व्यक्ति सच्चरित्र होता है, उसे सभी चाहते हैं।

क्रिया – विशेषण उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की क्रिया के संबंध में किसी प्रकार की सूचना देने वाला उपवाक्य क्रिया-विशेषण उपवाक्य कहा जाता है। क्रिया-विशेषण उपवाक्य पाँच प्रकार के होते हैं –

(i) कालवाची उपवाक्य –
ज्योंही मैं स्टेशन पहुंचा, त्योंही गाड़ी ने सीटी बजाई।
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।

(ii) स्थानवाची उपवाक्य –
जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था।
जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।

(iii) रीतिवाची उपवाक्य –
मैंने वैसे ही किया है जैसे आपने बताया था।
वह उसी प्रकार खेलता है जैसा उसके कोच सिखाते हैं।

(iv) परिमाणवाची उपवाक्य –
जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
तुम जितना पढ़ोगे उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।

(v) परिमाणवाची (कार्य-कारिणी) उपवाक्य –
वह जाएगा ज़रूर क्योंकि उसका साक्षात्कार है।

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प्रश्न 6.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार वाक्यों में उचित परिवर्तन कीजिए –
(क) रमा को पुस्तक खरीदनी थी, इसलिए बाज़ार गई। (सरल वाक्य)
(ख) कल फूलपुर में मेला है और हम वहाँ जाएँगे। (सरल वाक्य)
(ग) झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(घ) आओ अंदर बैठकर देर तक बातें करें। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ। (सरल वाक्य)
(च) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (सरल वाक्य)
(छ) उसने नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा। (मिश्र वाक्य)
(ज) दिन-रात मेहनत करने वालों को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। (मिश्र वाक्य)
(झ) मैंने उस बच्चे को देखा जो स्कूटर चला रहा था। (सरल वाक्य)
(ब) वहाँ एक गाँव था। वह गाँव बहुत बड़ा था। वह गाँव चारों ओर जंगल से घिरा था। उस गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे। (सरल वाक्य)
(ट) मज़दूर खूब मेहनत करता है परंतु उसे उसका लाभ नहीं मिलता। (सरल वाक्य)
(ठ) मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को भीख माँगते देखा। (मिश्र वाक्य)
(ड) जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (सरल वाक्य)
(ढ) मेरा विचार है कि आज घूमने चलें। (सरल वाक्य)
(ण) मैंने उसे पढ़ाकर नौकरी दिलाई। (संयुक्त वाक्य)
(त) वह फल खरीदने के लिए बाजार गया। (मिश्र वाक्य)
(थ) तुम बस रुकने के स्थान पर चले जाओ। (मिश्र वाक्य)
(द) शशि गा रही है और नाच रही है। (सरल वाक्य)
(ध) अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहता है। (मिश्र वाक्य)
(न) बालिकाएँ गा रही हैं और नाच रही हैं। (सरल वाक्य)
उत्तर :
(क) रमा पुस्तकें खरीदने के लिए बाज़ार गई।
(ख) कल हम फूलपुर के मेले में जाएँगे।
(ग) बिल्ली झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
(घ) आओ अंदर बैठे और देर तक बातें करें।
(ङ) सुबह पहली बस पकड़कर शाम तक लौट आओ।
(च) मैंने पीड़ा से कराहते उस व्यक्ति को देखा।
(छ) उसने प्रार्थना-पत्र लिखा जो नौकरी के लिए था।
(ज) जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
(झ) मैंने स्कूटर चला रहे बच्चे को देखा।
(अ) चारों ओर जंगल से घिरे उस बहुत बड़े गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे।
(ट) मजदूर को खूब मेहनत करने पर भी उसका लाभ नहीं मिलता।
(ठ) मैंने एक व्यक्ति को भीख माँगते देखा जो दुबला-पतला था।
(ड) परिश्रमी व्यक्तियों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
या
परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
(ढ) मेरे विचार में आज घूमने चलें; या मेरा विचार घूमने के लिए चलने का है।
(ण) मैंने उसे पढ़ाया और नौकरी दिलवाई।
(त) वह बाजार गया क्योंकि उसे फल खरीदने थे।
(थ) तुम उस स्थान पर चले जाओ जहाँ बस रुकती है।
(द) शशि नाच-गा रही है।
(ध) अध्यापक चाहते हैं कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
(न) बालिकाएँ नाच-गा रही हैं।

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प्रश्न 7.
वाक्य रूपांतरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सरल वाक्य को संयुक्त एवं मिश्र बनाना, संयुक्त को सरल एवं मिश्र बनाना रूपांतरण कहलाता है। जैसे –
(i) सरल से मिश्र और संयुक्त वाक्य बनाना –
सरल – बारिश में बच्चे भीग रहे हैं। मिश्र-क्योंकि बारिश हो रही है, इसलिए बच्चे उसमें भीग रहे हैं।
संयुक्त – बारिश हो रही है और बच्चे उसमें भीग रहे हैं।

(ii) मिश्र से सरल वाक्य बनाना –
मिश्र – जब तक मोहन घर पहुँचा तब तक उसके पिता चल चुके थे।
सरल – मोहन के घर पहुँचने से पूर्व उसके पिता चल चुके थे।

(ii) मिश्र से सरल और संयुक्त वाक्य बनाना
मिश्र – मैंने एक आदमी देखा जो बहुत बीमार था।
सरल – मैंने एक बहुत बीमार आदमी देखा।
संयुक्त – मैंने एक आदमी देखा और वह बहुत बीमार था।

(iv) संयुक्त से सरल और मिश्र वाक्य बनाना
संयुक्त – मोहन बहुत खिलाड़ी है लेकिन फेल कभी नहीं होता।
सरल – मोहन बहुत खिलाड़ी होने पर भी फेल कभी नहीं होता।
मिश्र – यद्यपि मोहन बहुत खिलाड़ी है तथापि फेल कभी नहीं होता।

(v) सरल वाक्यों से एक मिश्र वाक्य बनाना –
सरल – पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था। कक्षा में उस प्रश्न को कोई भी हल नहीं कर सका। मैंने उस प्रश्न को हल कर दिया।
मिश्र – पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका मैंने उसे हल कर दिया है।

(vi) सरल वाक्यों से संयुक्त और मिश्र वाक्य बनाना –
सरल वाक्य – इस वर्ष हमारे विद्यालय में बहुत-से वक्ता पधारे। कुछ वक्ता धर्म पर बोले। कुछ वक्ता साहित्य पर बोले। कुछ वक्ता वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
संयुक्त वाक्य में रूपांतरण – इस वर्ष हमारे विद्यालय में पधारने वाले बहुत-से वक्ताओं में से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
मिश्र वाक्य में रूपांतरण – इस वर्ष हमारे विद्यालय में जो बहुत-से वक्ता पधारे उनमें से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।

(vii) वाच्य की दृष्टि से रूपांतरण-राम नहीं खाता। = राम से नहीं खाया जाता।

(viii) सकर्मक से अकर्मक में रूपांतरण-मोहन पेड़ काट रहा है। = मोहन से पेड़ कट रहा है।

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प्रश्न 8.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार बदलिए –
1. बालिकाएँ नाच रही हैं और गा रही हैं। (सरल वाक्य में)
2. अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहता है। (मिश्र वाक्य में)
3. मैंने एक बहुत मोटा व्यक्ति देखा। (मिश्र वाक्य में)
4. मैं बाज़ार जाऊँगा और कपड़े खरीदूंगा। (सरल वाक्य में)
5. आप खूब परिश्रम करते हैं और अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। (सरल वाक्य में)
6. मेरा निर्णय आज मौन रहने का है। (मिश्र वाक्य में)
7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढका। हवेली को अंतिम बार देखा। (सरल वाक्य में)
8. शाहनी ने हिचकियों को रोका और रूंधे गले से कहा। (सरल वाक्य में)
9. चातक थोड़ी देर चुप रहकर बोला। (संयुक्त वाक्य में)
10. मैंने गौरा को देखा और उसे पालने का निश्चय किया। (सरल वाक्य में)
11. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत ग़रीब था। (मिश्र वाक्य में)
12. बच्चा भूखा था। वह रोने लगा। माँ ने उसे गोद में ले लिया। (मिश्र वाक्य में)
13. मोहन कल यहाँ आया। उसने राम से बात की। वह चला गया। (संयुक्त वाक्य में)
14. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत दुबला-पतला था। (मिश्र वाक्य में)
15. सड़क पार करता हुआ एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया। (मिश्र वाक्य में)
16. यही वह बच्चा है, जिसे बैल ने मारा था। (सरल वाक्य में)
17. रमेश जा रहा था। लता हँस रही थी। (मिश्र वाक्य में)
उत्तर :
1. बालिकाएँ नाच और गा रही हैं।
2. अध्यापक चाहता है कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
3. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत मोटा था।
4. मैं बाज़ार जाकर कपड़े खरीदूंगा।
5. आप खूब परिश्रम कर अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
6. मेरा निर्णय है कि मैं आज मौन रहूँ।
7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढककर हवेली को अंतिम बार देखा।
8. शाहनी ने हिचकियों को रोक कर रुंधे गले से कहा।
9. चातक थोड़ी देर चुप रहा और बोला।
10. मैंने गौरा को देखकर, उसे पालने का निश्चय कर लिया।
11. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत ग़रीब था।
12. क्योंकि बच्चा भूख से रो रहा था, इसलिए माँ ने उसे गोद में ले लिया।
13. मोहन ने कल यहाँ आकर राम से बात की और चला गया।
14. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत दुबला-पतला था।
15. जो व्यक्ति सड़क पार कर रहा था, वह बस से टकराकर मर गया।
16. इस बच्चे को बैल ने मारा था।
17. रमेश गा रहा था तो लता हँस रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-रूपांतरण

प्रश्न 9.
नीचे लिखे वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिए –

  1. जापान में चाय पीने की एक विधि है जिसे ‘चा-नो-यू’ कहते हैं। (सरल वाक्य में)
  2. तताँरा को देखते ही वामीरो फूट-फूट कर रोने लगी। (मिश्र वाक्य में)
  3. तताँरा की व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं। (संयुक्त वाक्य में)

उत्तर :

  1. जापान में चाय पीने की एक विधि को ‘चा-नो-यू’ कहते हैं।
  2. जैसे ही वामीरो ने तताँरा को देखा वैसे ही वह फूट-फूट कर रोने लगी।
  3. तताँरा की आँखें व्याकुल थीं और वे वामीरो को ढूंढने में व्यस्त थीं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions अपठित बोध अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

अपठित बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को किसी को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व अपठित को अच्छी प्रकार से पढ़कर समझ लेना चाहिए। जिन प्रश्नों के उत्तर पूछे गए हैं वे उसी में ही छिपे रहते हैं। उन उत्तरों को अपने शब्दों में लिखना चाहिए। अपठित का शीर्षक भी पूछा जाता है। शीर्षक अपठित में व्यक्त भावों के अनुरूप होना चाहिए। शीर्षक कम-से-कम शब्दों में लिखना चाहिए। शीर्षक से अपठित का मूल-भाव भी स्पष्ट होना चाहिए।

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर समझिए –

1. हम आम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि कोई व्यक्ति अच्छा है या बुरा इसकी पहचान उसकी संगति से होती है। यह स्वाभाविक ही है कि स्वभाव, आचार, व्यवहार की दृष्टि से जैसा व्यक्ति खुद होगा, वैसे ही लोगों से वह मिलना-जुलना पसन्द करेगा। कौए कौओं से ही मिलकर बैठते हैं। कुंजे कूजों से। केवल इतना ही नहीं, किसी का चरित्र बनाने या बिगाड़ने में भी संगति का बहुत बड़ा हाथ होता है।

अगर कोई शराबियों के साथ उठता-बैठता है तो उसे शराब की बुराई चिपट जाएगी। हम प्रतिदिन कहते और सुनते हैं कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है। इसलिए मनुष्य अपनी संगति के प्रभाव से कैसे बच सकता है। इस प्रकार साधु-संगति या सत्संग कहलाने का मान केवल उस संगत को होता है, जिसमें सन्त सतगुरु शामिल हों। यह महापुरुष दया और दयालुता के स्रोत होते हैं और वे अपनी शिक्षा, दयालुता और दया भाव से अनेक जीवों को कृतार्थ करते हैं।

जहाँ ऐसे उपकारी पुरुष वास करते हैं उस स्थान की संगति परोपकार की भावना से भर जाती है। ऐसी साधु-संगति से मन का मैल दूर हो जाता है। सारी सृष्टि के जीवों में ईश्वर का ही नूर दिखाई देता है। विश्व-बन्धुत्व की भावना बढ़ जाती है। अतः परमानन्द प्राप्त करने के लिए अच्छे पुरुषों की संगति ही एक मात्र उपाय या साधन है। अतः सत्संग को अपनाना ही सही कदम है।

प्रश्न :
1. उपरोक्त अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान कैसे होती है?
3. चरित्र निर्माण में कैसी संगति बाधक है?
4. मनुष्य के आचार व्यवहार पर अधिक प्रभाव किसका होता है ?
5. सत्संगति कहलाने का मान किस संगति को प्राप्त है?
उत्तर :
1. सत्संगति।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान उसकी संगति से होती है क्योंकि व्यक्ति स्वयं जैसा होता है, वह वैसे ही लोगों से मिलना-जुलना पसंद करता है।
3. चरित्र-निर्माण में बुरी संगति बाधक है। यदि हम शराबियों, जुआरियों की संगति में रहेंगे तो हम भी उन जैसे बुरे बनेंगे।
4. मनुष्य के आचार-व्यवहार पर अधिक प्रभाव उसकी संगति का होता है क्योंकि जैसी संगति हो वैसी यति भी हो जाती है।
5. सत्संगति कहलाने का मान उस संगति को प्राप्त है, जिसमें संत, सतगुरु शामिल होते हैं। वे हमें सद्मार्ग पर चलाते हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनंद-वर्ग में उत्साह का है। भय में हम प्रस्तुत कठिन स्थिति के नियम से विशेष रूप से दुखी और कभी-कभी उस स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान भी होते हैं। उत्साह में हम आने वाली कठिन स्थिति के भीतर साहस के अवसर के निश्चय द्वारा प्रस्तुत कर्म-सुख की उमंग से अवश्य प्रयत्नवान होते हैं। उत्साह से कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। साहसपूर्ण आनंद की उमंग का नाम उत्साह है। कर्म-सौंदर्य के उपासक ही सच्चे उत्साही कहलाते हैं।

जिन कर्मों में किसी प्रकार कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अंतर्गत लिया जाता है। कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्ध-वीर, दान-वीर, दया-वीर इत्यादि भेद किए हैं। इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा क्या मृत्यु तक की परवाह नहीं रहती। इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता चला आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं। केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता।

उसके साथ आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए। बिना बेहोश हुए भारी फोड़ा चिराने को तैयार होना साहस कहा जाएगा, पर उत्साह नहीं। इसी प्रकार चुपचाप, बिना हाथ-पैर हिलाए, घोर प्रहार सहने के लिए तैयार रहना साहस और कठिन-से-कठिन प्रहार सह कर भी जगह से न हटना वीरता कही जाएगी। ऐसे साहस और वीरता को उत्साह के अंतर्गत तभी ले सकते हैं जबकि साहसी या वीर उस काम को आनंद के साथ करता चला जाएगा जिसके कारण उसे इतने प्रहार सहने पड़ते हैं। सारांश यह है कि आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में ही उत्साह का दर्शन होता है, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं। वृत्ति और साहस दोनों का उत्साह के बीच संचरण होता है।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. उत्साह का स्थान क्या है?
3. उत्साह में किसका योग रहता है ?
4. उत्साह के भेदों में सबसे प्राचीन किसे माना जाता है?
5. उत्साह के दर्शन कहाँ होते हैं?
उत्तर :
1. उत्साह।
2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है वही स्थान आनंद के वर्ग में उत्साह का है।
3. उत्साह में कष्ट या नुकसान सहने की दृढ़ता के साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। कर्म सौंदर्य में उत्साह का योग बना
रहता है।
4. उत्साह के भेदों दानवीर, दयावीर, युद्धवीर आदि में सबसे प्राचीन युद्धवीर माना जाता है, जिसमें व्यक्ति मृत्यु-प्राप्ति से भी नहीं डरता। इसमें साहस और प्रयत्न पराकाष्ठा पर होते हैं।
5. उत्साह के दर्शन आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में होते हैं, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

3. सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्तव्य यह देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे। इसी सिद्धांत के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीला-ढाला, असावधान था, सत्पुरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों-का-त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न बन सका।

स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता है कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा। प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि, सेना बनाकर चलने वाला सेनापति, भुट्टे चुराने वाला चोर-डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रुचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा। जब यह विदित हो जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची शिक्षा दिलाई जाए।

ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धंधे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है, जिनके काम-धंधे का पूर्ण प्रतिबिंब बचपन में नहीं दिखता वे अपवाद ही हैं। प्रत्येक मनुष्य में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती। उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा काम कर लिया।

प्रश्न :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का क्या सिद्धांत था? समझाइए।
2. इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आज़माया? और क्या परिणाम रहा?
3. बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है?
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ हैं?
5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का सिद्धांत स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक तथा केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानना था।
2. इसे उन्होंने सर्वप्रथम अपने पुत्र स्टेनहाप पर आजमाया था। इसका परिणाम यह रहा कि वर्षों परिश्रम करने के बाद भी उनके बेटे में कोई सुधार नहीं हुआ।
3. बालक के भविष्य में क्या बनने का अनुमान उसके बचपन के कामों में किसी कार्य विशेष के प्रति रुचि देखकर लगाया जा सकता है, जैसे विज्ञान में रुचि रखने वाला बालक बड़ा होकर वैज्ञानिक बन सकता है।
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने से जीवन में सफलता मिलती है तथा वह निरंतर उन्नति करता है।
5. सफलता का रहस्य।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

4. जातियाँ इस देश में अनेक आई हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, फिर प्रेमपूर्वक बस भी गई हैं। सभ्यता की नाना सीढ़ियों पर खड़ी और नाना ओर मुख करके चलने वाली इन जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना कोई सहज बात नहीं थी। भारतवर्ष के ऋषियों ने अनेक प्रकार से अनेक ओर से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी। पर एक बात उन्होंने लक्ष्य की थी। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है। वह है अपने ही बंधनों से अपने को बाँधना। मनुष्य पशु से किस बात में भिन्न है ? आहार-निद्रा आदि पशु सुलभ स्वभाव उसके ठीक वैसे ही हैं, जैसे अन्य प्राणियों के, लेकिन वह फिर भी पशु से भिन्न है।

उसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति संवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है। यह मनुष्य के स्वयं के उद्भावित बंधन हैं। इसीलिए मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़ दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी खास जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। वह मनुष्य-मात्र का धर्म है।

महाभारत में इसीलिए निर्वर भाव, सत्य और अक्रोध को सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा है। अन्यत्र इसमें निरंतर दानशीलता को भी गिनाया गया है। गौतम ने ठीक ही कहा था कि मनुष्य की मनुष्यता यही है कि यह सबके दुख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। यह आत्म-निर्मित बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोधमूलक धर्म का मूल उत्स यही है। मुझे आश्चर्य होता है कि अनजाने में भी हमारी भाषा से यह भाव कैसे रह गया है। लेकिन मुझे नाखून के बढ़ने पर आश्चर्य हुआ था, अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है। और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।

प्रश्न :
1. ‘अनजाने’ में उपसर्ग बताइए।
2. ऋषियों ने क्या किया था?
3. मनुष्य में पशु से भिन्न क्या है?
4. मनुष्य किसे गलत आचरण मानता है?
5. मनुष्य की मनुष्यता क्या है?
उत्तर :
1. अन + जाने = ‘अन’ उपसर्ग।
2. प्राचीनकाल में ऋषियों ने समस्याओं को सुलझाने की अनेक प्रकार से कोशिश की थी और सभी के लिए आदर्श स्थापित किया था।
3. मनुष्य में पशुओं से संयम, सुख-दुख के प्रति संवेदना, श्रद्धा, तप और त्याग की भावनाएँ भिन्न हैं। यही उन्हें पशुओं से श्रेष्ठ बनाती हैं।
4. मनुष्य मन, वचन और कर्म के द्वारा किए गए असत्याचरण को गलत मानता है।
5. मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके सुख-दुख को सहानुभूति से देखता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोध मूलकता ही उसके आधार हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

5. हमारा हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला हुआ देश, आकार और आत्मा दोनों दृष्टियों से महान और सुंदर है। उसका बाह्य सौंदर्य विविधता की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है और आत्मा का सौंदर्य विविधता में छिपी हुई एकता की अनुभूति है। चाहे कभी न गलने वाला हिम का प्राचीर हो, चाहे कभी न जमने वाला अतल समुद्र हो, चाहे किरणों की रेखाओं से खचित हरीतिमा हो, चाहे एकरस शून्यता ओढ़े हुए मरु हो, चाहे साँवले भरे मेघ हों, चाहे लपटों में साँस लेता हुआ बवंडर हो, सब अपनी भिन्नता में भी एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता देते हैं।

जैसे मूर्ति के एक अंग का टूट जाना संपूर्ण देव-विग्रह खंडित कर देता है, वैसे ही हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति है। यदि इस भौगोलिक विविधता में व्याप्त सांस्कृतिक एकता न होती, तो यह विविध नदी, पर्वत, वनों का संग्रह-मात्र रह जाता। परंतु इस महादेश की प्रतिभा ने इसकी अंतरात्मा को एक रसमयता में प्लावित करके इसे विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान किया है, जिससे यह आसमुद्र एक नाम की परिधि में बँध जाता है। हर देश अपनी सीमा में विकास पाने वाले जीवन के साथ एक भौतिक इकाई है, जिससे वह समस्त विश्व की भौतिक और भौगोलिक इकाई से जुड़ा हुआ है।

विकास की दृष्टि से उसकी दूसरी स्थिति आत्मरक्षात्मक तथा व्यवस्थापक राजनीतिक सत्ता में है। तीसरी सबसे गहरी तथा व्यापक स्थिति उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है, जिससे वह अपने विशेष व्यक्तित्व की रक्षा और विकास करता हुआ विश्व-जीवन के विकास में योग देता है। यह सभी बाह्य और स्थूल तथा आंतरिक और सूक्ष्म स्थितियाँ एक दूसरे पर प्रभाव डालतीं और एक-दूसरी से संयमित होती चलती हैं। एक विशेष भूखंड में रहने वाले मानव का प्रथम परिचय, संपर्क और संघर्ष अपने वातावरण से ही होता है और उससे प्राप्त जय, पराजय, समन्वय आदि से उसका कर्म-जगत ही संचालित नहीं होता, प्रत्युत अंतर्जगत और मानसिक संस्कार भी प्रभावित होते हैं।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. हमारे देश की सुंदरता किसमें निहित है?
3. कौन एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं ?
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति कैसी है?
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति किसमें है?
उत्तर :
1. देश की सांस्कृतिक एकता।
2. हमारे देश की बाह्य सुंदरता विविधता के सामंजस्य और आत्मा की सुंदरता विविधता में छिपी एकता में निहित है।
3. ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पर्वत, अतल गहराई वाले सागर, रेगिस्तान, घने-काले बादल, बवंडर आदि देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं।
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति वैसी ही है जैसे किसी मूर्ति की पूर्णता। मूर्ति का एक अंग भी टूट जाना देव मूर्ति को जैसे खंडित कर देता है वैसे ही हमारे देश की अखंडता है।
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति आत्मरक्षात्मक और व्यवस्थापरक राजनीतिक सत्ता में है। वह उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है।

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6. हमारे देश ने आलोक और अंधकार के अनेक युग पार किए हैं, परंतु अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार के प्रति वह अत्यंत सावधान रहा है। उसमें अनेक विचारधाराएँ समाहित हो गईं, अनेक मान्यताओं ने स्थान पाया, पर उसका व्यक्तित्व सार्वभौम होकर भी उसी का रहा। उसके अंतर्गत आलोक ने उसकी वाणी के हर स्वर को उसी प्रकार उद्भासित कर दिया, जैसे आलोक हर तरंग पर प्रतिबिंबित होकर उसे आलोक की रेखा बना देता है। एक ही उत्स से जल पाने वाली नदियों के समान भारतीय भाषाओं के बाह्य और आंतरिक रूपों में उत्सगत विशेषताओं का सीमित हो जाना ही स्वाभाविक था। कूप अपने अस्तित्व में भिन्न हो सकते हैं, परंतु धरती के तल का जल तो एक ही रहेगा। इसी से हमारे चिंतन और भावजगत में ऐसा कुछ नहीं है, जिसमें सब प्रदेशों के हृदय और बुद्धि का योगदान और समान अधिकार नहीं है।

आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति पा चुके हैं, राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं- भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के निकट अपना परिचय देता है जहाँ तक बहुभाषा भाषी होने का प्रश्न है, ऐसे देशों की संख्या कम नहीं है, जिनके भिन्न भागों में भिन्न भाषाओं की स्थिति है। पर उनकी अविच्छिन्न स्वतंत्रता की परंपरा ने उन्हें सम-विषम स्वरों से एक राग रच लेने की क्षमता दे दी है।

हमारे देश की कथा कुछ दूसरी है। हमारी परतंत्रता आँधी-तूफान के समान नहीं आई, जिसका आकस्मिक संपर्क तीव्र अनुभूति से अस्तित्व को कंपित कर देता है। वह तो रोग के कीटाणु लाने वाले मंद समीर के समान साँस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमने अपने संपूर्ण अस्तित्व से उसके भार को दुर्वह नहीं अनुभव किया और हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई भी विजेता विजित कर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक, शिक्षा, साहित्य कला आदि हैं।

प्रश्न :
1. ‘आलोक’ का एक पर्यायवाची शब्द लिखें।
2. हमारा देश प्रमुख रूप से किसके प्रति सावधान रहा है?
3. राष्ट्र की कौन-सी दो अनिवार्य विशेषताएँ हमारे पास हैं ?
4. अब तक हम भारतवासी किसे प्राप्त नहीं कर पाए हैं ?
5. हमारे देश में परतंत्रता किस प्रकार आई थी?
उत्तर :
1. प्रकाश।
2. हमारे देश ने अनेक संकटों को झेला है। उसे अनेक विचारधाराएँ और मान्यताएँ मिली हैं पर फिर भी वह सदा अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार की रक्षा के प्रति सावधान रहता है।
3. हमारे पास भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता है।
4. अब तक हम भारतवासी उस एक भाषा को प्राप्त नहीं कर पाए हैं जिसके द्वारा एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय दे पाता है।
5. हमारे देश में परतंत्रता आँधी-तूफ़ान की तरह एकदम से नहीं आई थी बल्कि उसने धीरे-धीरे हमारे अस्तित्व को अपने बस में कर लिया था।

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7. मैं घहरते हुए सावन-भादों में भी वहाँ गया हूँ और मैंने इस प्रपात के उद्दम यौवन के उस महावेग को भी देखा है जो सौ-डेढ़-सौ फीट की धरती के चटकीले धानी आँचर में उफनाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल हो जाता है और मैंने देखा है कि जब अंबर के महलों में घनालिंगन करने वाली सौदामिनी धरती के इस सौभाग्य की ईर्ष्या में तड़प उठती है, तब उस तड़पन की कौंध में इस प्रपात का उमड़ाव फूलकर दुगुना हो जाता है।

शरद की शुभ्र ज्योत्सना में जब यामिनी पुलकित हो गई है और जब इस प्रपात के यौवन का मद खुमार पर आ गया है और उस खुमारी में इसका सौंदर्य मुग्धा के वदनमंडल की भाँति और अधिक मोहक बन गया है, तब भी मैंने इसे देखा है और तभी जाकर मैंने शरदिंदु को इस प्रपात की शांत तरल स्फटिक-धारा पर बिछलते हुए देखा है। पहली बार जब मैं गया था तो वहाँ ठहरने के लिए कोई स्थान बना नहीं था और इसलिए खड़ी दुपहरी में चट्टानों की ओट में ही छाँह मिल सकी थी।

ये भूरी-भूरी चट्टानें पानी के आघात से घिस-घिसकर काफ़ी समतल बन गई हैं और इनका ढाल बिलकुल खड़ा है। इन चट्टानों के कगारों पर बैठकर लगभग सात-आठ हाथ दूर प्रपात के सीकरों का छिड़काव रोम-रोम से पीया जा सकता है। इन शिलाओं से ही कुंड में छलाँग मारने वाले धवल जल-बादल पेंग मारते से दिखाई देते हैं और उनके मंद गर्जन का स्वर भी जाने किस मलार के राग में चढ़ता-उतरता रहता है कि मन उसमें खो-सा जाता है।

एक शिला की शीतल छाया में कगार के नीचे पैर डाले मैं बड़ी देर तक बैठे-बैठे सोचता रहा कि मृत्यु के गहन कूप की जगत पर पैर लटकाए भले ही कोई बैठा हो, किंतु यदि उसे किसी ऐसे सौंदर्य के उद्रेक का दर्शन मिलता रहे तो वह मृत्यु की भयावह गहराई भूल जाएगा। मृत्यु स्वयं ऐसे उन्मादी सौंदर्य के आगे हार मान लेती है, नहीं तो समय की कसौटी पर यौवन का गान अमिट स्वर्ण-रेखा नहीं खींच सकता था।

प्रश्न :
1. अवतरण के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में कैसा हो जाता है?
3. शरद की चाँदनी में जल-प्रपात लेखक को कैसा प्रतीत हुआ था?
4. जब लेखक पहली बार वहाँ गया था तो कहाँ रुका था?
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु किसके आगे हार मान लेती है?
उत्तर :
1. जल-प्रपात का सौंदर्य।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में बढ़कर दुगुना हो जाता है और वह उफ़नाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल-सा हो उठता है।
3. लेखक को शरद की चाँदनी में जल-प्रपात ऐसा लगा था जैसे वह शांत रूप में स्फटिक धारा पर फैला हुआ हो। वह चाँदनी में जगमगा रहा था।
4. जब लेखक पहली बार जल-प्रपात देखने गया था तो वहाँ ठहरने का कोई स्थान नहीं था। उसने दोपहर की धूप चट्टानों की ओट में झेली थी।
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु स्वयं ऐसे जल-प्रपात के उन्मादी सौंदर्य के सामने हार मान लेती है।

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8. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए अनिवार्य है। अज्ञान के अंधकार में जीना तो मृत्यु से भी अधिक कष्टकर है। ज्ञान के प्रकाश से ही जीवन के रहस्य खुलते हैं और हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और देह का उचित प्रयोग करना सिखाती है। व को पाठ्य-पुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त कुछ गंभीर चिंतन न दे, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय, सच्चा परंतु अनपढ़ मज़दूर उस स्नातक से कहीं अच्छा है जो निर्दय और चरित्रहीन है।

संसार के सभी वैभव और सुख-साधन भी मनुष्य को तब तक सुखी नहीं बना सकते जब तक कि मनुष्य को आत्मिक ज्ञान न हो। हमारे कुछ अधिकार व उत्तरदायित्व भी हैं। शिक्षित व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों का उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना कि अधिकारों का क्योंकि उत्तरदायित्व निभाने और कर्तव्य करने के बाद ही हम अधिकार पाने के अधिकारी बनते हैं।

प्रश्न :
1. अज्ञान में जीवित रहना मृत्यु से अधिक कष्टकर है, ऐसा क्यों कहा गया है?
2. शिक्षा के किन्हीं दो लाभों को समझाइए।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का पारस्परिक संबंध समझाइए।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए क्यों आवश्यक है?
5. इस गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. अज्ञान के कारण हम जीवन के रहस्यों को नहीं समझ सकते और न ही हमें अपनी पहचान मिलती है। हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी कुंठित हो जाती है। इसलिए इस दशा में हमारा जीवन मरने से भी अधिक कष्टदायी हो जाता है।
2. शिक्षा से हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा हमें तन-मन का उचित प्रयोग करना सिखाती है। शिक्षा हमें जीवन के विभिन्न रहस्यों से परिचित कराती है। शिक्षा हमें अच्छा नागरिक बनाती है।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का आपस में गहरा संबंध है। यदि हम अपने कर्तव्यों का उचित रूप से पालन करेंगे तो हम अधिकारों के भी अधिकारी हो सकते हैं। अपने उत्तरदायित्व निभाकर ही हम अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज को सहृदय, सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र तथा अच्छा नागरिक बनाती है, जिससे दोनों का ही विकास होता है। शिक्षा के अभाव में यह संभव नहीं है।
5. शिक्षा की अनिवार्यता।

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9. कवियों, शायरों तथा आम आदमी को सम्मोहित करने वाला ‘पलाश’ आज संकट में है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इसी तरह पलाश का विनाश जारी रहा तो यह ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत में ही बचेगा। अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में जब पलाश वृक्ष चैत (वसंत) में फूलता था तो लगता था कि वन में आग लग गई हो अथवा अग्नि-देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।

पलाश पर एक-दो दिन में ही संकट नहीं आ गया है। पिछले तीस-चालीस वर्षों में दोना-पत्तल बनाने वाले, कारखाने बढ़ने, गाँव-गाँव में चकबंदी होने तथा वन माफियाओं द्वारा अंधाधुंध कटान कराने के कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में पलाश के वन घटकर दस प्रतिशत से भी कम रह गए हैं। वैज्ञानिकों ने पलाश के वनों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) द्वारा परखनली में पलाश के पौधों को विकसित कर एक अभियान चलाकर पलाश के वन रोपने की योजना प्रस्तुत की है। हरियाणा तथा पुणे में ऐसी दो प्रयोगशालाएँ भी खोली हैं।

एक समय था जब बंगाल के पलाश का मैदान, अरावली की पर्वत-मालाएँ टेसू के फूलों के लिए दुनिया में मशहूर थीं। विदेशों से लोग पलाश के रक्तिम वर्ण के फूल देखने आते थे। महाकवि पद्माकर का छंद-‘कहै पद्माकर परागन में, पौन हूँ में, पानन में, पिक में, पलासन पगंत है’ लिखकर पलाश की महिमा बखान की थी। ब्रज, अवधी, बुंदेलखंडी, राजस्थानी, हरियाणवी, पंजाबी लोकगीतों में पलाश के गुण गाए गए हैं। कबीर ने तो ‘खांखर भया पलाश’-कहकर पलाश की तुलना एक ऐसे सुंदर-सजीले नवयुवक से की है, जो अपनी जवानी में सबको आकर्षित कर लेता है किंतु बुढ़ापे में अकेला रह जाता है।

वसंत और ग्रीष्म ऋतु में जब तक टेसू में फूल और हरे-भरे पत्ते रहते हैं, उसे सभी निहारते हैं किंतु शेष आठ महीने वह पतझड़ का शिकार होकर झाड़-झंखाड़ की तरह रह जाता है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगाने के बाद पलाश की उपयोगिता महसूस की गई, जिसके पत्ते, दोनों, थैले, पत्तल, थाली, गिलास सहित न जाने कितने काम में उपयोग में आ सकते हैं। पिछले तीस-चालीस साल में नब्बे प्रतिशत वन नष्ट कर डाले गए। बिन पानी के बंजर, ऊसर तक में उग आने वाले इस पेड़ की नई पीढ़ी तैयार नहीं हुई। यदि यही स्थिति रही है और समाज जागरूक न हुआ तो पलाश विलुप्त वृक्ष हो जाएगा।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. अरावली और सतपुड़ा में पलाश के वृक्ष कैसे लगते थे?
3. पलाश के वृक्ष कम क्यों रह गए हैं ?
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
5. पलाश की उपयोगिता कब अनुभव की गई ?
उत्तर :
1. पलाश।
2. अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में फूले हुए पलाश के वृक्ष ऐसे लगते थे जैसे जंगल में आग लग गई हो या अग्नि देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।
3. पलाश के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, गाँवों की चकबंदी आदि के कारण इनकी संख्या बहुत कम रह गई है।
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन द्वारा परखनली में इन्हें विकसित करने का अभियान चलाया गया है। इस काम के लिए हरियाणा और पुणे में दो प्रयोगशालाएँ आरंभ की गई हैं।
5. पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगने के बाद पलाश की उपयोगिता अनुभव की गई है।

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10. संसार के सभी देशों में शिक्षित व्यक्ति की सबसे पहली पहचान यह होती है कि वह अपनी मातृभाषा में दक्षता से काम कर सकता है। केवल भारत ही एक देश है जिसमें शिक्षित व्यक्ति वह समझा जाता है जो अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या नहीं, किंतु अंग्रेज़ी में जिसकी दक्षता असंदिग्ध हो। संसार के अन्य देशों में सुसंस्कृत व्यक्ति वह समझा जाता है जिसके घर में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह हो और जिसे बराबर यह पता रहे कि उसकी भाषा के अच्छे लेखक और कवि कौन हैं तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं।

भारत में स्थिति दूसरी है। यहाँ प्रायः घर में साज-सज्जा के आधुनिक उपकरण तो होते हैं किंतु अपनी भाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका दिखाई नहीं पड़ती। यह दुरावस्था भले ही किसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है, किंतु यह सुदशा नहीं, दुरावस्था ही है और जब तक यह दुरावस्था कायम है, हमें अपने-आपको, सही अर्थों में शिक्षित और सुसंस्कृत मानने का ठीक-ठाक न्यायसंगत अधिकार नहीं है। इस दुरावस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं।

इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से ही हीन नहीं हैं, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इंडोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती।

हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेजी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

प्रश्न :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की क्या पहचान है?
2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्ति में मूल अंतर क्या है ?
3. ‘यह दुरावस्था ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है’ कथन से लेखक का नया अभिप्राय है?
4. भारतीय शिक्षा समुदाय प्रायः किस भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है? उनके लिए ‘तथाकथित’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
5. मातृभाषा के प्रति शिक्षित भारतीयों की कैसी भावना है?
उत्तर :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की पहचान यह है कि वह चाहे अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या न हो पर अंग्रेजी भाषा बोलने और लिखने में पूरी तरह से दक्ष होता है।

2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्तियों में मूल अंतर यह है कि भारत के व्यक्ति अंग्रेजी भाषा में दक्षता-प्राप्ति को महत्त्वपूर्ण मानते हैं जबकि विश्व के अन्य देशों के व्यक्ति अपनी मातृभूमि में दक्षता को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। भारत के व्यक्ति अपने घर में सजावटी सामान तो शान-शौकत के लिए इकट्ठा करते हैं लेकिन अपनी मातृभाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका नहीं खरीदते, जबकि अन्य देशों के सुसंस्कृत व्यक्ति घरों में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह करते हैं और उन्हें पढ़ते हैं।

3. हमारा देश सैकड़ों वर्षों तक विदेशियों का गुलाम रहा और राजनीतिक गुलामी के साथ हमारे पूर्वजों ने मानसिक गुलामी भी प्राप्त कर ली थी। इसीलिए उन्हें अपनी मातृभाषा की अपेक्षा अंग्रेजी भाषा के प्रति अधिक मोह है। पढ़ने-लिखने के प्रति कम रुचि होने के कारण उनके घरों में पुस्तकों के दर्शन नहीं होते।

4. भारतीय शिक्षित समुदाय प्रायः अंग्रेजी भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है। ‘तथाकथित’ विशेषण में व्यंग्य और वितृष्णा के भाव छिपे हुए हैं कि भारत में जो स्वयं को शिक्षित मानते हैं वे अपने देश के साहित्य से अपरिचित हैं लेकिन अंग्रेजी भाषा के मोहजाल में फँस कर अंग्रेजी साहित्य को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

5. हीन भावना है।

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11. जहाँ भी दो नदियाँ आकर मिल जाती हैं, उस स्थान को अपने देश में तीर्थ कहने का रिवाज है। यह केवल रिवाज की बात नहीं है। हम सचमुच मानते हैं कि अलग-अलग नदियों में स्नान करने से जितना पुण्य होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य संगम स्नान में है। किंतु, भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें असली संगम वे स्थान, वे सभाएँ तथा वे मंच हैं, जिन पर एक से अधिक भाषाएँ एकत्र होती हैं। नदियों की विशेषता यह है कि वे अपनी धाराओं में अनेक जनपदों का सौरभ, अनेक जनपदों के आँसू और उल्लास लिए चलती हैं और उनका पारस्परिक मिलन वास्तव में नाना जनपदों के मिलन का ही प्रतीक है। यही हाल भाषाओं का भी है।

उनके भीतर भी नाना जनपदों में बसने वाली जनता के आँसू और उमंगें, भाव और विचार, आशाएँ और शंकाएँ समाहित होती हैं। अतः जहाँ भाषाओं का मिलन होता है, वहाँ वास्तव में, विभिन्न जनपदों के हृदय ही मिलते हैं, उनके भावों और विचारों का ही मिलन होता है तथा भिन्नताओं में छिपी हुई एकता वहाँ कुछ अधिक प्रत्यक्ष हो उठती है। इस दष्टि से भाषाओं के संगम आज सबसे बडे तीर्थ हैं और इन तीर्थों में जो भी भारतवासी श्रदधा से स्नान करता है, वह भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही और संत है।

हमारी भाषाएँ जितनी ही तेज़ी से जगेंगी, हमारे विभिन्न प्रदेशों का पारस्परिक ज्ञान उतना ही बढ़ता जाएगा। भारतीय लेखकों की बहुत दिनों से यह आकांक्षा रही थी कि वे केवल अपनी ही भाषा में प्रसिद्ध होकर न रह जाएँ, बल्कि भारत की अन्य भाषाओं में भी उनके नाम पहुँचे और उनकी कृतियों की चर्चा हो। भाषाओं के जागरण के आरंभ होते ही एक प्रकार का अखिल भारतीय मंच आप-से आप प्रकट होने लगा है।

आज प्रत्येक भाषा के भीतर यह जानने की इच्छा उत्पन्न हो गई है कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है, उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिनकी कृतियाँ उल्लेखनीय हैं तथा कौन-सी विचारधारा वहाँ प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही है।

प्रश्न :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल किसको माना है और क्यों?
2. भाषा-संगमों में क्या होता है?
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत किसको कहा है ?
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में क्या जिज्ञासा उत्पन्न हुई?
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का क्या अभिप्राय है? .
उत्तर :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल उन सभाओं और मंचों को माना है जिन पर एक से अधिक भाषाएँ इकट्ठी होती हैं। क्योंकि इन पर विभिन्न जनपदों में बसने वाली जनता के सुख-दुख, भाव-विचार, आशाएँ-शंकाएँ आदि प्रकट होते हैं।
2. विभिन्न भाषाओं का मिलन।
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत उस भारतवासी को माना है, जो भाषाओं के संगम पर श्रद्धापूर्वक स्नान करता है।
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है। उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिन्होंने उल्लेखनीय रचनाओं को प्रदान किया था और वहाँ कौन-सी विचारधारा प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही थी।
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का अभिप्राय देश-भर की विभिन्न भाषाओं के बीच संबंधों की स्थापना है, जिससे देश के सभी लोग दूसरे राज्यों के विषय में जान सकें।

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12. प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को खुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे? मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाए एक खास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक स्प र्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं।

वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान् माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग ‘विची सिंड्रोम’ से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।

बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आजमाने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आजमाना दखल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ का मंत्र ही शुरू से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज्यादा फ़ोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आजमा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।

प्रश्न :
1. बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?
2. बहुमुखी प्रतिभा बालों की किन कमियों की ओर संकेत है?
3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?
4. ऐसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्रायः सफल क्यों नहीं हो पाते?
5. प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?
6. आशय स्पष्ट कीजिए-प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती है।
उत्तर :
1. अनेक विषयों का ज्ञान होना बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न होना है। प्रतिभा से समस्या तब पैदा हो जाती है, जब एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा हमारे भीतर खड़ी हो जाती है।

2. बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग स्प र्धा से घबराते हैं, वे आलोचना से डरते हैं, वे सिर्फ अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं, और उन्हें असफल होने की आशंका अधिक रहती है।

3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ कई विषयों में होती है, किंतु एक विषय में स्पर्धा होने पर वे दूसरे की ओर भागते हैं, जिससे उनकी असफलता की संभावना अधिक हो जाती है क्योंकि वे टिक कर कोई काम नहीं कर पाते।

4. ऐसे लोगों का स्वभाव अस्थिर और चंचल होता है, जिसके कारण उनमें कई कार्य करने की तीव्र इच्छा होती है। इससे वे एक से दूसरे और फिर तीसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने लगते हैं, परंतु एकाग्र भाव से किसी एक काम को नहीं करने से वे प्रायः किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाते।

5. प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो किसी एक कार्य को मन लगाकर सही रूप से करते हैं क्योंकि इससे उनके सभी कार्य सफल हो जाते हैं।

6. इस कथन का आशय यह है कि प्रतिभा को किसी दूसरे के सहारे की आवश्यकता नहीं होती है। व्यक्ति के अंदर उसकी प्रतिभा छिपी रहती है, जिसे वह अपने परिश्रम और एकाग्र भाव से कार्य करते हुए निखारता है।

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13. महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है – आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं।

हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फंसकर रह जाता है।

बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें।

अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

प्रश्न :
1. अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
4. तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- “हम सुनना चाहते ही नहीं”
5. अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए।
उत्तर :
1. अनसुना करने की कला इसलिए विकसित होती है क्योंकि हम किसी की सुनना नहीं चाहते और सिर्फ बोलना चाहते हैं। हमारे अधिक बोलने तथा किसी की नहीं सुनने से अनसुना करने की कला विकसित होती है।

2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान सही रूप से विकसित नहीं हो पाता क्योंकि अभिभावकों का ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे बच्चे शब्दों के जाल में फँस कर रह जाते हैं।

3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का यह कारण बताया गया है कि वे लोगों की अधिक सुनते थे। वे किसी को अनसुना नहीं करते थे।

4. इस कथन का आशय यह है कि हम सदा अपनी बात को ही कहना चाहते हैं तथा दूसरे की बिलकुल भी नहीं सुनते क्योंकि हमें अपनी बात कहते रहने से ही आत्मसंतोष मिलता है।

5. आजकल अधिकांश लोग अपनी सुनाना चाहते हैं, दूसरे की सुनते नहीं हैं। इस प्रकार दूसरों को अनसुना करने से हम अपने अनेक दुश्मन बना लेते हैं और हमारी लोकप्रियता में कमी आती है, इसलिए अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए हमें दूसरों की भी सुननी चाहिए।

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14. चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक-रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी।

सब प्रकार के शासन में चाहे धर्म-शासन हो, चाहे राज-शासन, मनुष्य-जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्रायः हुआ है और होता रहता है।

जिस प्रकार शासक-वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत-प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत-प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय का भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

प्रश्न :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है?
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है?
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है?
4. शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है?
5. प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा चरित्र के मूल भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है तथा इसका उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत-शासन में किया गया है।
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ राज-शासन ने दिखाया है, जिससे उनके स्वार्थ सिद्ध हो सकें और वे अपनी रक्षा कर सकें।
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का लोभ और भय अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए दिखाया है।
4. शासन व्यवस्था अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती है।
5. प्रतिष्ठा = कीर्ति, प्रसिद्धि। लोभ = लालच, लिप्सा।

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15. पता नहीं क्यों, उनकी नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाए अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे-बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है।

स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक ‘बड़ी सोच का बड़ा कमाल’ में लिखते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार-बार सोचे।

व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि वह उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते-देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं-महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

प्रश्न :
1. गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं?
2. गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्त्व है?
4. गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
5. ‘सफलता’ और आतंकित’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय का उल्लेख कीजिए।
6. गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
1. इस गद्यांश में बड़ा बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने के लिए बड़ा सोचते हैं और एक दिन बड़ा करके भी दिखाते हैं।
2. समृद्धि और उन्नति के लिए मन में दरिद्रता की सोच के स्थान पर अच्छे विचारों को स्थान देना होगा। इससे दरिद्रता, नीचता, कुविचार दूर हो जाएंगे और उन्नति तथा समृद्धि का जीवन में प्रवेश हो जाएगा।
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का बहुत महत्त्व है क्योंकि व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है। संकल्प करने से लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है।
4. गद्यांश में व्यक्ति की सोच को जादुई शक्ति बताया गया है क्योंकि अपनी सोच का उचित प्रयोग करने से व्यक्ति कहीं से कहीं पहुँच सकता है। सही सोच व्यक्ति को बड़ा बना देती है और उसके लिए उन्नति के मार्ग खोल देती है।
5. सफलता = ‘स’ उपसर्ग, ‘ता’ प्रत्यय, स + फल + ता।
आतंकित = ‘इत’ प्रत्यय, आतंक + इत।
6. लंबी चलना = नरेश की बीमारी ठीक होने के स्थान पर लंबी चलती जा रही है।
चक्कर में रहना = बुरी संगत के चक्कर में रहकर हरभजन सिंह ने अपनी सेहत ही खराब कर दी है।

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16. हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो राते हैं। उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है-‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं। मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है। कि उससे शोक और दुख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है। एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।

प्रश्न :
1. हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है?
2. पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्तव क्यों दिया?
3. हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है?
4. हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है?
5. गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. हँसी भीतरी आनंद को अपने प्रसन्नता के भावों से प्रकट करती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
2. पुराने समय के लोगों ने हँसी को महत्त्व दिया है क्योंकि इससे मनुष्य की आयु बढ़ती है और वह निरोग रहता है।
3. हँसी से जिस आनंद की प्राप्ति होती है उससे मनुष्य अपने दुखों और शोक से मुक्त हो जाता है।
4. इनके उदाहरणों से लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि सदा खीझने वाले व्यक्ति की आयु कम होती है परन्तु सदा हँसने वाले की आयु लम्बी होती है।
5. हँसी का महत्त्व।

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17. आदमियों की तिजारत करना मूरों का काम है। सोने और लोहे के बदले मनुष्य को बेचना मना है। आजकल आप की कलों का दाम तो हजारों रुपया है; परन्तु मनुष्य कौड़ी के सौ-सौ बिकते हैं। सोने और चाँदी की प्राप्ति से जीवन का आनंद नहीं मिल सकता। सच्चा आनंद तो मुझे मेरे काम से मिलता है। मुझे अपना काम मिल जाए तो फिर स्वर्ग प्राप्ति की इच्छा नहीं, मनुष्य-पूजा ही सच्ची ईश्वर-पूजा है। आज से हम अपने ईश्वर की तलाश किसी वस्तु, स्थान या तीर्थ में नहीं करेंगे।

अब तो यही इरादा है कि मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करेंगे यही आर्ट है-यही धर्म है। मनुष्य के हाथ से ही ईश्वर के दर्शन कराने वाले निकलते हैं। बिना काम, बिना मजदूरी, बिना हाथ के कला-कौशल के विचार और चिंतन किस काम के! जिन देशों में हाथ और मुँह पर मज़दूरी की धूल नहीं पड़ने पाती वे धर्म और कला-कौशल में कभी उन्नति नहीं कर सकते।

पद्मासन निकम्मे सिद्ध हो चुके हैं। वही आसन ईश्वर-प्राप्ति करा सकते हैं जिनसे जोतने, बोने, काटने और मजदूरी का काम लिया जाता है। लकड़ी, ईंट और पत्थर को मूर्तिमान करने वाले लुहार, बढ़ई, मेमार तथा किसान आदि वैसे ही पुरुष हैं जैसे कवि, महात्मा और योगी आदि। उत्तम से उत्तम और नीच से नीच काम, सबके सब प्रेमरूपी शरीर के अंग हैं।

प्रश्न :
1. आदमियों की तिजारत से आप क्या समझते हैं?
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा क्यों कहाँ गया है?
3. लेखक के अनुसार धर्म क्या है?
4. लुहार, बढ़ई और किसान की तुलना कवि, महात्मा और योगी से क्यों की गई है?
5. लेखक को सच्चा आनंद किससे मिलता है?
6. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
1. आदमियों को किसी वस्तु के बदले बेचना, उन्हें खरीदकर अपना गुलाम बनाना आदमियों की तिजारत करना है।
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा इसलिए कहा गया है क्योंकि मनुष्य द्वारा सच्चे मन से किए गए अपने कार्य ही ईश्वर-पूजा के समान होते हैं। अपने कर्म के प्रति समर्पण ही सच्ची पूजा है।
3. लेखक के अनुसार कर्म के प्रति समर्पित मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करना ही सच्चा धर्म है। ईश्वर को विभिन्न धर्मस्थानों में देखने का आडंबर नहीं करना चाहिए।
4. क्योंकि लुहार, बढ़ई और किसान सृजन करने वाले होते हैं। वे अपने अथक परिश्रम से लकड़ी, ईंट, पत्थर, लोहे, मिट्टी आदि को मूर्तिमान कर देते हैं। इसमें उनकी त्याग, श्रम तथा शक्ति लगी रहती है।
5. सच्चा आनंद अपना कर्म करने से मिलता है।
6. कर्म में ईश्वर है।

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18. साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धम बनाते हैं।

1. साहस की जिंदगी की पहचान क्या है?
(क) निडर होती है।
(ख) दुखभरी होती है।
(ग) खुशहाल होती है।
(घ) उधार की होती है।
उत्तर :
(क) निडर होती है

2. दुनिया की असली ताकत कौन होता है?
(क) दूसरों का अनुसरण करने वाला
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला
(ग) डरपोक व्यक्ति
(घ) निडर व्यक्ति
उत्तर :
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला

3. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) साहस की जिंदगी
(ख) अड़ोस-पड़ोस
(ग) जनमत
(घ) साहस
उत्तर :
(क) साहस की जिंदगी

4. अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना किसका काम है?
(क) सामाजिक व्यक्ति का
(ख) असामाजिक व्यक्ति का
(ग) कामचोर व्यक्ति का
(घ) साधारण व्यक्ति का
उत्तर :
(घ) साधारण व्यक्ति का

5. क्रांति करने वाले लोग क्या नहीं करते?
(क) अपनी तुलना दूसरों से
(ख) अपनी उपेक्षा
(ग) दूसरों की उपेक्षा
(घ) किसी की भी उपेक्षा
उत्तर :
(क) अपनी तुलना दूसरों से

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19. आपका जीवन एक संग्राम-स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। महान जीवन के रथ के पहिए फूलों से भरे नंदन वन से नहीं गुज़रते, कंटकों से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान जीवन पथ का सारथि बनकर अपनी यात्रा को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म विश्वास का दुर्जय शस्त्र नहीं है, न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, न जीवन संग्राम में विजय प्राप्त कर सकते हैं और न महान जीवन के सोपानों पर चढ़ सकते हैं। जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अंधकार मुँह फैलाए आपकी प्रगति को निगलने के लिए बढ़ा चला आ रहा है, लेकिन आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो इस दुख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार कट जाएगा जिस प्रकार सूर्य की किरणों के फूटते ही अंधकार भाग जाता है।

1. महान जीवन के रथ किस रास्ते से गुजरते हैं?
(क) काँटों से भरे रास्तों से
(ख) नंदन वन से
(ग) नदियों से
(घ) आसान रास्तों से
उत्तर :
(क) काँटों से भरे रास्तों से

2. आप किस शस्त्र के द्वारा जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं?
(क) आत्म-रक्षा के शस्त्र से
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से
(ग) क्रोध के शस्त्र से
(घ) अभिमान के शस्त्र से
उत्तर :
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से

3. जीवन-पथ पर हमारा सामना किनसे होता है?
(क) खुशियों से
(ख) शत्रुओं से
(ग) निराशाओं और आपत्तियों से
(घ) आशाओं से
उत्तर :
(क) निराशाओं और आपत्तियों से

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) आत्म-विश्वास
(ख) आत्मा की शांति
(ग) आत्म-रक्षा
(घ) परोपकार
उत्तर :
(क) आत्म-विश्वास

5. जीवन क्या है?
(क) परीक्षा
(ख) संग्राम-स्थल
(ग) दंड
(घ) कसौटी
उत्तर :
(ख) संग्राम-स्थल

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20. विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरा उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्तव्य पूरा करने में नहीं। अहं बुरी चीज़ कही जा सकती है। यह सब में होता है और एक सीमा तक आवश्यक भी है किंतु आज के विद्यार्थियों में यह इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाम मात्र के नहीं रह गए हैं। गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने अधिकारों के बहुत अधिकारी नहीं हैं। उसे भी वह अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्तव्य दोनों एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का संतुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है परंतु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है। एक सीमा की अति का दूसरे पर भी असर पड़ता है।

1. आधुनिक विद्यार्थियों में किसकी कमी होती जा रही है?
(क) अहंकार की
(ख) नम्रता की
(ग) जागरूकता की
(घ) अहं की
उत्तर :
(ख) नम्रता की

2. विद्यार्थी प्रायः किसका विरोध करते हैं?
(क) अपने मित्रों का
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों का
(ग) अपने माता-पिता का
(घ) अध्यापकों का
उत्तर :
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों को

3. विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति
(ख) अपनी चीज़ों के प्रति
(ग) अपने भविष्य के प्रति
(घ) अपने सम्मान के प्रति
उत्तर :
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) विद्यार्थी जीवन
(ख) विद्यार्थी और अहंकार
(ग) अहंकार
(घ) अधिकार और माँग
उत्तर :
(ख) विद्यार्थी और अहंकार

5. अधिकार किससे जुड़ा है?
(क) अहंकार
(ख) गुणों से
(ग) माँग से
(घ) कर्तव्य से
उत्तर :
(घ) कर्तव्य से

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21. प्यासा आदमी कुएँ के पास जाता है, यह बात निर्विवाद है। परंतु सत्संगति के लिए यह आवश्यक नहीं कि आप सज्जनों के पास जाएँ और उनकी संगति प्राप्त करें। घर बैठे-बैठे भी आप सत्संगति का आनंद लूट सकते हैं। यह बात पुस्तकों द्वारा संभव है। हर कलाकार और लेखक को जन-साधारण से एक विशेष बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का नाम प्रतिभा है। पुस्तक निर्माता अपनी प्रतिभा के बल से जीवन भर से संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में उड़ेल देता है। जब हम घर की चारदीवारी में बैठकर किसी पुस्तक का अध्ययन करते हैं तब हम एक अनुभवी और ज्ञानी सज्जन की संगति में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। नित्य नई पुस्तक का अध्ययन हमें नित्य नए सज्जन की संगति दिलाता है। इसलिए विद्वानों ने स्वाध्याय को विशेष महत्व दिया है। घर बैठे-बैठे सत्संगति दिलाना पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता है।

1. कौन कुएँ के पास जाता है?
(क) प्यासा आदमी
(ख) भूखा आदमी
(ग) धनी आदमी
(घ) निर्धन आदमी
उत्तर :
(क) प्यासा आदमी

2. घर बैठे-बैठे सत्संगति का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
(क) टी०वी० देखने से
(ख) कीर्तन करने से
(ग) बात करने से
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से
उत्तर :
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से

3. पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या है?
(क) लिखित रूप में होना
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना
(ग) पढ़े-लिखे लोगों द्वारा उपयोग किया जाना
(घ) चित्रयुक्त होना
उत्तर :
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना

4. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(क) पुस्तकों का लाभ
(ख) संगति
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता
(घ) अनुभव व ज्ञान
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता

5. विद्वानों ने किसे विशेष महत्व दिया है?
(क) पुस्तकों को
(ख) स्वास्थ्य को
(ग) स्वाध्याय को
(घ) सत्संगति को
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय को

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22. संसार में धर्म की दुहाई सभी देते हैं। पर कितने लोग ऐसे हैं, जो धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। धर्म कोई बुरी चीज़ नहीं है। धर्म ही एक ऐसी विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से भिन्न करती है। अन्यथा मनुष्य और पशु में अंतर ही क्या है। उस धर्म को समझने की आवश्यकता है। धर्म में त्याग की महत्ता है। इस त्याग और कर्तव्यपरायणता में ही धर्म का वास्तविक स्वरूप निहित है। त्याग परिवार के लिए, ग्राम के लिए, नगर के लिए, देश के लिए और मानव-मात्र के लिए भी हो सकता है।

परिवार से मनुष्य मात्र तक पहुँचते-पहुँचते हम एक संकुचित घेरे से निकलकर विशाल परिधि में घूमने लगते हैं। यही वह क्षेत्र है, जहाँ देश और जाति की सभी दीवारें गिर कर चूर-चूर हो जाती हैं। मनुष्य संसार भर को अपना परिवार और अपने आपको उसका सदस्य समझने लगता है। भावना के इस विस्तार ने ही धर्म का वास्तविक स्वरूप दिया है जिसे कोई निर्मल हृदय संत ही पहचान सकता है।

1. संसार में सब किसकी दुहाई देते हैं?
(क) दया की
(ख) अधर्म की
(ग) धर्म की
(घ) धन की
उत्तर :
(ग) धर्म की

2. धर्म की प्रमुख उपयोगिता क्या है?
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।
(ख) धर्म मनुष्य को आस्तिक बनाता है।
(ग) धर्म मनुष्य को धनी बनाता है।
(घ) धर्म मनुष्य को न्यायप्रिय बनाता है।
उत्तर :
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।

3. धर्म का वास्तविक रूप किसमें निहित है?
(क) आस्था में
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में
(ग) अधिकार ने
(घ) मोह-माया में
उत्तर :
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में

4. धर्म का वास्तविक रूप कौन पहचान सकता है?
(क) धर्मात्मा
(ख) दानवीर व्यक्ति
(ग) निर्मल हृदय संत
(घ) धनी व्यक्ति
उत्तर :
(ग) निर्मल हृदय संत

5. उचित शीर्षक है –
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप
(ख) धर्म-अधर्म
(ग) त्याग
(घ) कर्तव्यपरायणता
उत्तर :
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

23. आधुनिक मानव समाज में एक ओर विज्ञान को भी चकित कर देने वाली उपलब्धियों से निरंतर सभ्यता का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर मानव मूल्यों का ह्रास होने से समस्या उत्तरोत्तर गूढ होती जा रही है। अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का शिकार आज का मनुष्य विवेक और ईमानदारी का त्याग कर भौतिक स्तर से ऊँचा उठने का प्रयत्न कर रहा है। वह सफलता पाने की लालसा में उचित और अनुचित की चिंता नहीं करता। उसे तो बस साध्य को पाने की प्रबल इच्छा रहती है।

ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भयंकर अपराध करने में भी संकोच नहीं करता। वह इनके नित नए-नए रूपों की खोज करने में अपनी बुद्धि का अपव्यय कर रहा है। आज हमारे सामने यह प्रमुख समस्या है कि इस अपराध वृद्धि पर किस प्रकार रोक लगाई जाए। सदाचार, कर्तव्यपरायणता, त्याग आदि नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर समाज के सुख की कामना करना स्वप्न मात्र है।

1. मानव जीवन में समस्याएँ निरंतर क्यों बढ़ रही हैं?
(क) आधुनिकता के कारण
(ख) अज्ञानता के कारण
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण
(घ) विकास के कारण
उत्तर :
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण

2. आज का मानव सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए?
(क) तकनीक का विकास
(ख) विवेक का प्रयोग
(ग) व्यापार का विस्तार
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य
उत्तर :
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य

3. किन जीवन-मूल्यों के द्वारा सुख की कामना की जा सकती है?
(क) सेवकाई
(ख) वीरता
(ग) दानवीरता
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि
उत्तर :
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि

4. ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए आज का मनुष्य क्या कर रहा है?
(क) अपराध
(ख) व्यापार
(ग) संदिग्ध कार्य
(घ) नौकरी
उत्तर :
(क) अपराध

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) विवेक की आवश्यकता
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता
(ग) कर्तव्यपरायणता
(घ) त्याग व बलिदान
उत्तर :
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

24. कर लेखक का काम बहुत अंशों में मधु-मक्खियों के काम से मिलता है। मधु-मक्ख्यिाँ मकरंद संग्रह करने के लिए कोसों के चक्कर लगाती हैं और अच्छे-अच्छे फूलों पर बैठकर उनका रस लेती हैं। तभी तो उनके मधु में संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता रहती है। यदि आप अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आपको भी यही वत्ति ग्रहण करनी चाहिए। अच्छे-अच्छे ग्रंथों का खब अध्ययन करना चाहिए और उनकी बातों का मनन करना चाहिए फिर आपकी रचनाओं में से मधु का-सा माधुर्य आने लगेगा।

कोई अच्छी उक्ति, कोई अच्छा विचार भले ही दूसरों से ग्रहण किया गया हो, पर यदि यथेष्ठ मनन करके आप उसे अपनी रचना में स्थान देंगे तो वह आपका ही हो जाएगा। मननपूर्वक लिखी गई चीज़ के संबंध में जल्दी किसी को यह कहने का साहस नहीं होगा कि यह अमुक स्थान से ली गई है या उच्छिष्ट है। जो बात आप अच्छी तरह आत्मसात कर लेंगे, वह फिर आपकी हो ही जाएगी।

1. लेखक का काम किससे मिलता है?
(क) तितलियों के काम से
(ख) चींटियों के काम से
(ग) मधुमक्खियों के काम से
(घ) टिड्डों के काम से
उत्तर :
(ग) मधुमक्खियों के काम से

2. मधुमक्खियाँ किसका संग्रह करती हैं?
(क) शहद का
(ख) मकरंद का
(ग) पानी का
(घ) छत्ते का
उत्तर :
(ख) मकरंद का

3. संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता किसमें होती है?
(क) गन्ने के रस में
(ख) चीनी में
(ग) शहद में
(घ) गुड़ में
उत्तर :
(ग) शहद में

4. कौन-सी बात आपकी अपनी हो जाती है?
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए।
(ख) जो बात लिखी जाए।
(ग) जो बात पढ़ी जाए।
(घ) जो बात बोली जाए।
उत्तर :
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) मुधुमक्खी का काम
(ख) मकरंद
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता
(घ) मधु का-सा माधुर्य
उत्तर :
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

25. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ, प्रत्येक व्यक्ति का काम आंतरिक सहयोग पर अवलंबित है। किसी मशीन का उसके पुर्जे के साथ संबंध है। यदि उसका एक भी पुर्जा खराब हो जाता है तो वह मशीन चल नहीं सकती। किसी शरीर का उसके आँख, कान, हाथ, पाँव आदि पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है, मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है।

पहले क्षण आँख देखती है, दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए पहुँच जाता है। इसी तरह समाज और व्यक्ति का संबंध है। समाज शरीर है तो व्यक्ति उसका अंग है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अंग परस्पर सहयोग करते हैं उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का आपसी सहयोग अनिवार्य है। शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। समाज को पूर्णता व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति, जो जहाँ पर भी है, अपना काम ईमानदारी और लगन से करता रहे, तो समाज फलता-फूलता है।

1. सहयोग क्या है?
(क) बनावटी तत्व
(ख) धर्म
(ग) ईमान
(घ) प्राकृतिक नियम
उत्तर :
(घ) प्राकृतिक नियम

2. समाज कैसे फलता-फूलता है?
(क) धन से
(ख) कर्म से
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से
(घ) रीति-रिवाजों से
उत्तर :
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से

3. समाज और व्यक्ति का क्या संबंध है?
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।
(ख) व्यक्ति से समाज है।
(ग) समाज घर, व्यक्ति कमरा है
(घ) समाज से व्यक्ति है।
उत्तर :
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।

4. शरीर को पूर्णता कैसे मिलती है?
(क) समाज से
(ख) भोजन से
(ग) अंगों से
(घ) कार्य से
उत्तर :
(ग) अंगों से

5. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है –
(क) समाज
(ख) सहयोग
(ग) विकास
(घ) शरीर और अंग
उत्तर :
(ख) सहयोग

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

26. शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूस दिया जाता है और आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हैं तो पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण और अंततोगत्वा ये दोनों ही अनुशासन के ही भिन्न रूप हैं।

1. जीवन-निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में क्या सहायक है?
(क) धर्म
(ख) जाति
(ग) धन
(घ) शिक्षा
उत्तर :
(घ) शिक्षा

2. शिक्षा और आचरण को किसका रूप माना गया है?
(क) ज्ञान का
(ख) अनुशासन का
(ग) चरित्र का
(घ) आचरण का
उत्तर :
(ख) अनुशासन का

3. बिना आचरण के क्या अधूरा है?
(क) चरित्र
(ख) ज्ञान
(ग) शिक्षा
(घ) जीवन
उत्तर :
(ग) शिक्षा

4. कौन व्यक्ति शिक्षित है?
(क) शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाने वाला
(ख) ग्रंथ पढ़ने वाला
(ग) शास्त्रों का ज्ञाता
(घ) ग्रंथ कंठस्थ करने वाला
उत्तर :
(क) जो शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाता है।

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) शिक्षित व्यक्ति
(ख) चरित्र-निर्माण
(ग) मनुष्य का प्रभाव
(घ) शिक्षा और आचरण
उत्तर :
(घ) शिक्षा और आचरण

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

27. कुछ लोग भाग्यवादी होते हैं और सब-कुछ भाग्य के सहारे छोड़कर कर्म से विरत हो जाते हैं। ऐसे लोग समाज के लिए बोझ हैं। वे कभी कोई बड़ा कर्म नहीं कर पाते। बड़ी-बड़ी खोज, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण कार्य कर्मशील लोगों के द्वारा ही संभव हो सके हैं। हम अपनी बुद्धि और प्रतिभा तथा कार्य-क्षमता के बल पर सही मार्ग पर चल सकते हैं; किंतु बिना कठिन श्रम के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते। कठिन परिश्रम करने के बाद पाई गई सफलता हमारे मन को अलौकिक आनंद से भर देती है। यदि हम अपने कार्य में अपेक्षित श्रम नहीं करते हो हमारा मन ग्लानि का अनुभव करता है।

1. कैसे लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यहीन
(ख) भाग्यशाली
(ग) भाग्यवादी
(घ) अभागे
उत्तर :
(ग) भाग्यवादी

2. बडे-बडे कार्य करने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता किसकी है?
(क) कर्म करने की
(ख) भाग्य की
(ग) धर्म की
(घ) लक्ष्य की
उत्तर :
(क) कर्म करने की

3. किस प्रकार के लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यशाली
(ख) कर्मशील
(ग) कर्म न करने वाले
(घ) भाग्यहीन
उत्तर :
(ग) कर्म न करने वाले

4. जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ कैसे संभव हो सकती हैं?
(क) भाग्य पर भरोसा करने से
(ख) कर्म न करने से
(ग) पूजा-पाठ से
(घ) परिश्रम और कर्म करने से
उत्तर :
(घ) परिश्रम और कर्म करने से

5. इस गद्यांश का शीर्षक है
(क) परिश्रम और सफलता
(ख) भाग्य के भरोसे
(ग) भाग्यवादी
(घ) कर्महीन
उत्तर :
(क) परिश्रम और सफलता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

28. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है, आत्मनिर्भरता तथा सबसे बड़ा अवगुण है, स्वावलंबन का अभाव। स्वावलंबन सबके लिए अनिवार्य है। जीवन के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। यदि उनके कारण हम निराश हो जाएँ, संघर्ष से जी चुराएँ या मेहनत से दूर रहें तो भला हा में सफल कैसे होंगे? अतः आवश्यक है कि हम स्वावलंबी बनें तथा अपने आत्मविश्वास को जाग्रत करके मजबूत बनें। यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जाग्रत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वह न कर सके।

स्वयं में विश्वास करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता आया है। सफलता स्वावलंबी मनुष्य के पैर छूती है। आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता से आत्मबल मिलता है जिससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रवृत्त होता है। स्वावलंबन मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है। आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मरक्षा, साहस, संतोज़, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन के सहोदर हैं। स्वावलंबन व्यक्ति, राष्ट्र तथा मानव मात्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।

1. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण क्या है?
(क) परोपकार
(ख) आशावाद
(ग) ईमानदारी
(घ) आत्मनिर्भरता
उत्तर :
(घ) आत्मनिर्भरता

2. मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण क्या है?
(क) निराशा का अभाव
(ख) स्वावलंबन का अभाव
(ग) कर्मशील होना
(घ) परोपकारी होना
उत्तर :
(ख) स्वावलंबन का अभाव

3. हमें किनसे निराशा नहीं होना चाहिए?
(क) उन्नति से
(ख) धन से
(ग) बाधाओं से
(घ) सम्मान से
उत्तर :
(ग) बाधाओं से

4. ‘आत्मबल’ के लिए क्या आवश्यक है?
(क) ईमानदारी
(ख) परोपकार की भावना
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता
(घ) स्वाभिमान
उत्तर :
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता

5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(क) आत्मसंयम
(ख) स्वाभिमान
(ग) स्वावलंबन का महत्व
(घ) आत्मबल
उत्तर :
(ग) स्वावलंबन का महत्व

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

29. लाखों वर्षों से मधुमक्खी जिस तरह छत्ता बनाती आई है वैसे ही बनाती है। उसमें फेर-बदल करना उसके लिए संभव नहीं है। छत्ता तो त्रुटिहीन बनता है लेकिन मधुमक्खी अपने अभ्यास के दायरे में आबद्ध रहती है। इस तरह सभी प्राणियों के संबंध में प्रकृति ने उन्हें अपने आँचल में सुरक्षित रखा है, उन्हें विपत्तियों से बचाने के लिए उनकी आंतरिक गतिशीलता को ही प्रकृति ने घटा दिया है। लेकिन सृष्टिकर्ता ने मनुष्य की रचना करने में अद्भुत साहस का परिचय दिया है। उसने मानव के अंत:करण को बाधाहीन बनाया है। हालाँकि बाह्य रूप से उसे निर्वस्त्र, निरस्त्र और दुर्बल बनाकर उसके चित्त को स्वच्छंदता प्रदान की है।

इस मुक्ति से आनंदित होकर मनुष्य कहता है-“हम असाध्य को संभव बनाएँगे।” अर्थात जो सदा से होता आया है और होता रहेगा, हम उससे संतुष्ट नहीं रहेंगे। जो कभी नहीं हुआ, वह हमारे द्वारा होगा। इसीलिए मनुष्य ने अपने इतिहास के प्रथम युग में जब प्रचंडकाय प्राणियों के भीषण नखदंतों का सामना किया तो उसने हिरण की तरह पलायन करना नहीं चाहा, न कछुए की तरह छिपना चाहा। उसने असाध्य लगने वाले कार्य को सिद्ध किया-पत्थरों को काटकर भीषणतर नखदंतों का निर्माण किया। प्राणियों के नखदंत की उन्नति केवल प्राकृतिक कारणों पर निर्भर होती है। लेकिन मनुष्य के ये नखदंत उसकी अपनी सृष्टि क्रिया से निर्मित थे।

इसलिए आगे चलकर उसने पत्थरों को छोड़कर लोहे के हथियार बनाए। इससे यह प्रमाणित होता है कि मानवीय अंत:करण संधानशील है। उसके चारों ओर जो कुछ है उस पर ही वह आसक्त नहीं हो जाता। जो उसके हाथ में नहीं है उस पर अधिकार जमाना चाहता है। पत्थर उसके सामने रखा है पर वह उससे संतुष्ट नहीं। लोहा धरती के नीचे है, मानव उसे वहाँ से बाहर निकालता है। पत्थर को घिसकर हथियार बनाना आसान है लेकिन वह लोहे को गलाकर, साँचे में ढाल-ढालकर, हथौड़े से पीटकर, सब बाधाओं को पार करके, उसे अपने अधीन बनाता है। मनुष्य के अंत:करण का धर्म यही है कि वह परिश्रम से केवल सफलता ही नहीं बल्कि आनंद भी प्राप्त करता है।

1. सभी प्राणियों को किसने अपने आँचल में सुरक्षित रखा है?
(क) पृथ्वी ने
(ख) पर्यावरण ने
(ग) प्रकृति ने
(घ) आकाश ने
उत्तर :
(ग) प्रकृति ने

2. सृष्टिकर्ता ने मनुष्य के अंतःकरण को कैसा बनाया है?
(क) बाधाहीन
(ख) बाधाओं से युक्त
(ग) परतंत्र
(घ) विवेकहीन
उत्तर :
(क) बाधाहीन

3. मनुष्य ने किसके द्वारा नखदतों का निर्माण किया?
(क) लोहे के द्वारा
(ख) लकड़ी के द्वारा
(ग) पत्थर के द्वारा
(घ) नाखूनों के द्वारा
उत्तर :
(ग) पत्थर के द्वारा

4. परिश्रम से क्या प्राप्त होता है?
(क) निराशा
(ख) दुख
(ग) इज्जत
(घ) आनंद और सफलता
उत्तर :
(घ) आनंद और सफलता

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) बाधाहीन जीवन
(ख) सृष्टिकर्ता
(ग) संधानशील मनुष्य
(घ) अंत:करण
उत्तर :
(ग) संधानशील मनुष्य

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30. यह हमारी एकता का ही प्रमाण है कि उत्तर या दक्षिण चाहे जहाँ भी चले जाइए, आपको जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे, एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं, तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं अथवा जो नई रोशनी को अपना लेने के कारण इन बातों को कुछ शंका की दृष्टि से देखते हैं। उत्तर भारत के लोगों का जो स्वभाव है, जीवन को देखने की उनकी जो दृष्टि है, वही स्वभाव और वही दृष्टि दक्षिण वालों की भी है।

भाषा की दीवार के टूटते ही एक उत्तर भारतीय और एक दक्षिण भारतीय के बीच कोई भी भेद नहीं रह जाता और वे आपस में एक-दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। असल में भाषा की दीवार के आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं। वे एक धर्म के अनुयायी और संस्कृति की एक ही विरासत के भागीदार हैं, उन्होंने देश की आजादी के लिए एक ही होकर लड़ाई लड़ी और आज उनकी पार्लियामेंट और शासन-विधान भी एक है। और जो बात हिंदुओं के बारे में कही जा रही है। वही बहुत दूर तक मुसलमानों के बारे में भी कही जा सकती है।

देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर जहाँ एक धर्म को लेकर एक तरह की आपसी एकता है। वहाँ वे संस्कृति की दृष्टि से हिंदुओं के भी बहुत करीब हैं, क्योंकि ज़्यादा मुसलमान तो ऐसे ही हैं, जिनके पूर्वज हिंदू थे और जो इस्लाम धर्म में जाने के समय अपनी हिंदू-आदतें अपने साथ ले गए। इसके सिवा अनेक सदियों तक हिंदू-मुसलमान साथ रहते आए हैं और इस लंबी संगति के फलस्वरूप उनके बीच संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी सामान बातें पैदा हो गई हैं जो उन्हें दिनों-दिन आपस में नज़दीक लाती जा रही हैं।

1. लेखक भारत की एकता का कौन-सा प्रमाण प्रस्तुत करता है?
(क) जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे।
(ख) एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं।
(ग) तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं।
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।

2. भारत और दक्षिण भारत के लोगों की कौन-सी स्वाभाविक एकता बताई गई है
(क) जीवन को देखने की दृष्टि
(ख) स्वार्थी जीवन को अपनाने की दृष्टि
(ग) केवल तीर्थ-व्रत में विश्वास करने की दृष्टि
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) जीवन को देखने की दृष्टि

3. किसके आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं?
(क) सीमा रेखा के आर-पार
(ख) रहन-सहन की दीवार के आर-पार
(ग) भाषा की दीवार के आर-पार
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) सीमा रेखा के आर-पार

4. हिंदू-मुसलमान की लंबी संगति के फलस्वरूप क्या हुआ?
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गई।
(ख) बहुत-सी असमान बातें पैदा हो गई।
(ग) भाषा की दीवार बन गई।
(घ) (क) व (ख) विकल्प।
उत्तर :
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गईं।

5. देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर किसे लेकर आपसी एकता है?
(क) कर्म को लेकर
(ख) धर्म को लेकर
(ग) व्यवसाय को लेकर
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(ख) धर्म को लेकर

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

31. अहिंसा और कायरता कभी साथ नहीं चलती। मैं पूरी तरह शस्त्र-सज्जित मनुष्य के हृदय से कायर होने की कल्पना कर सकता हूँ। हथियार रखना कायरता नहीं तो डर का होना तो प्रकट करता ही है, परंतु सच्ची अहिंसा शुद्ध निर्भयता के बिना असंभव है। क्या मुझमें बहादुरों की वह अहिंसा है? केवल मेरी मृत्यु ही इसे बताएगी। अगर कोई मेरी हत्या करे और मैं मुँह से हत्यारे के लिए प्रार्थना करते हुए तथा ईश्वर का नाम जपते हुए और हृदये मंदिर में उसकी जीती-जागती उपस्थिति का भान रखते हुए मरूँ तो ही कहा जाएगा कि मझमें बहादुरों की अहिंसा थी। मेरी सारी शक्तियों के क्षीण हो जाने से अपंग बनकर मैं एक हारे हुए आदमी के रूप में नहीं मरना चाहता।

किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका स्वागत करूँगा। लेकिन सबसे ज़्यादा तो मैं अंतिम श्वास तक अपना कर्तव्य-पालन करते हुए ही मरना पसंद करूंगा। मुझे शहीद होने की तमन्ना नहीं है। लेकिन अगर धर्म की रक्षा का उच्चतम कर्तव्य-पालन करते हुए मुझे शहादत मिल जाए तो मैं उसका पात्र माना जाऊँगा। भूतकाल में मेरे प्राण लेने के लिए मुझ पर अनेक बार आक्रमण किए गए हैं, परंतु आज तक भगवान ने मेरी रक्षा की है और प्राण लेने का प्रयत्न करने वाले अपने किए पर पछताए हैं। लेकिन अगर कोई आदमी यह मानकर मुझ पर गोली चलाए कि वह एक दुष्ट का खात्मा कर रहा है, तो वह एक सच्चे गांधी की हत्या नहीं करेगा, बल्कि उस गांधी की करेगा जो उसे दुष्ट दिखाई दिया था।

1. अहिंसा और कायरता के बारे में क्या कहा गया है?
(क) कभी-कभी एक साथ चलती है।
(ख) हमेशा साथ चलती है।
(ग) दोनों खतरनाक होती हैं।
(घ) कभी साथ नहीं चलती।
उत्तर :
(घ) कभी साथ नहीं चलती।

2. सच्ची अहिंसा किसके बिना असंभव है?
(क) कायरता के बिना
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना
(ग) ममता के बिना
(घ) शुद्ध जड़ता के बिना
उत्तर :
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना

3. गांधी जी किस प्रकार मरना पसंद करेंगे?
(क) कर्तव्य पालन करते हुए
(ख) शत्रु को बदले की भावना से मारते हुए
(ग) हिंसा करते हुए
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(क) कर्तव्य पालन करते हुए

4. प्राण लेने का प्रयत्न करने वालों के साथ क्या हुआ है?
(क) कोई फ़र्क नहीं पड़ा है।
(ख) आंतरिक ग्लानि नहीं हुई।
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।
(घ) कभी झुके नहीं हैं।
उत्तर :
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।

5. किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका –
(क) उसका जड़ से खात्मा करूँगा।
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।
(ग) उसको मिट्टी में मिला दूंगा।
(घ) मैं उसकी प्रशंसा करूँगा।
उत्तर :
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

32. उन्नीसवीं शताब्दी से पहले, मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी। कालांतर में जब औद्योगिक क्रांति के कारण मानव सभ्यता की समृद्धि में भारी वृद्धि हुई तब उसके परिणामस्वरूप कई पश्चिमी देश ऐसी बाधाओं से लगभग अनिवार्य रूप से मुक्त हो गए। इससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि अब मानव जनसंख्या विस्फोटक रूप से बढ़ सकती है। परंतु इन देशों में परिवारों का औसत आकार घटने लगा था और जल्दी ही समृद्धि और प्रजनन के बीच एक उलटा संबंध प्रकाश में आ गया था।

जीवविज्ञानियों ने मानव समाज की तुलना जानवरों की दुनिया से कर इस संबंध को समझाने की कोशिश की और कहा कि ऐसे जानवर जिनके अधिक बच्चे होते हैं, वे अधिकतर प्रतिकूल वातावरण में रहते हैं और ये वातावरण प्रायः उनके लिए प्राकृतिक खतरों से भरे रहते हैं। चूँकि इनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना कम होती है, इसलिए कई संतानें पैदा करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि उनमें से कम-से-कम एक या दो जीवित रहेंगी। इसके विपरीत, जिन जानवरों के बच्चे कम होते हैं, वे स्थिर और अनुकूल वातावरण में रहते हैं।

ठीक इसी प्रकार यदि समदध वातावरण में रहने वाले लोग केवल कुछ ही बच्चे पैदा करते हैं, तो उनके ये कम बच्चे उन बच्चों को पछाड़ देंगे जिनके परिवार इतने समृद्ध नहीं थे तथा इनकी आपस की प्रतिस्पर्धा भी कम होगी। इस सिद्धांत के आलोचकों का तर्क है कि पशु और मानव व्यवहार की तुलना नहीं की जा सकती है। वे इसके बजाए यह तर्क देते हैं कि सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन इस घटना को समझाने के लिए पर्याप्त हैं। श्रम-आश्रित परिवारों में बच्चों की बड़ी संख्या एक वरदान के समान होती है।

वे जल्दी काम कर परिवार की आय बढ़ाते हैं। जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता जाता है, वैसे-वैसे बच्चे जीवन के लगभग पहले 25-30 सालों तक शिक्षा ग्रहण करते हैं। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में उर्वरता अधिक होती है तथा देर से विवाह के कारण संतानों की संख्या कम हो जाने की संभावना बनी रहती है।

1. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊपर लिखित पाठ्यांश का प्राथमिक उद्देश्य है?
(क) मानव परिवारों के आकार के संबंध में दिए गए उस स्पष्टीकरण की आलोचना जो पूरी तरह से जानवरों की दुनिया से ली गई टिप्पणियों पर आधारित है।
(ख) औद्योगिक क्रांति के बाद अपेक्षित जनसंख्या विस्फोट न होने के कारणों की विवेचना।
(ग) औद्योगिक क्रांति से पहले और बाद में पर्यावरणीय प्रतिबंधों और सामाजिक दृष्टिकोण से परिवार का आकार कैसे प्रभावित हुआ, का अंतर्संबंध दर्शाना।
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।
उत्तर :
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।

2. पाठ्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा जनसंख्या विस्फोट के विषय में सत्य है?
(क) पश्चिमी देशों में यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि औद्योगीकरण से प्राप्त समृद्धि ने परिवारों को बच्चों की शिक्षा की विस्तारित अवधि को वहन करने का सामर्थ्य प्रदान किया था।
(ख) यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।
(ग) श्रम आधारित अर्थव्यवस्था में केवल उद्योग के आधार पर ही परिवार का आकार निर्भर रहता है।
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।
उत्तर :
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।

3. अंतिम अनुच्छेद निम्नलिखित में कौन-सा कार्य करता है?
(क) यह पहले अनुच्छेद से वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।
(ख) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत स्पष्टीकरण की आलोचना करता है।
(ग) यह वर्णन करता है कि समाज के समृद्ध होने के साथ सामाजिक दृष्टिकोण कैसे बदलते हैं।
(घ) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत घटना की व्याख्या करता है।
उत्तर :
(क) यह पहले अनुच्छेद में वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।

4. पाठ्यांश में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख औद्योगिक देशों में औसत परिवार का आकार हाल ही में गिरने के एक संभावित कारण के रूप में नहीं किया गया है?
(क) शिक्षा की विस्तारित अवधि।
(ख) पहले की अपेक्षा देरी से विवाह करना।
(ग) बदल हुआ सामाजिक दृष्टिकोण।
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।
उत्तर :
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।

5. पाठ्यांश में दी गई कौन-सी जानकारी बताती है कि निम्नलिखित में से किस जानवर के कई बच्चे होने की संभावना है
(क) एक विशाल शाकाहारी जो घास के मैदान में रहता है और अपनी संतानों की भरसक सुरक्षा करता है।
(ख) एक सर्वभक्षी जिसकी आबादी कई छोटे द्वीपों तक सीमित है और जिसे मानव अतिक्रमण से खतरा है।
(ग) एक मांसाहारी जिसका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं है, लेकिन उसे भोजन की आपति बनाए रखने के लिए लंबी दरी तय करनी पड़ती है।
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।
उत्तर :
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

33. विज्ञान-शिक्षण के पक्षधरों ने कल्पना की थी कि शिक्षा में इसकी शुरुआत पारंपरिकता, कृत्रिमता और पिछड़ेपन को दूर करेगी। यह सोच पुराने समय से चली आ रही-‘तथ्य प्रचुर पाठ्यचर्या’ जिसके अंतर्गत- आलोचना, चुनौती, सृजनात्मकता व विवेचनात्मकता का अभाव था, आदि के कारण पैदा हो रही थी। मानवतावादियों ने सोचा था कि वैज्ञानिक-पद्धति मध्यकालीन मतवाद के अंधविश्वासों को जड़ से मिटा देगी।

किंतु हमारे शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं की समझ को भी प्रेमचंद की कहानियों की तरह केवल पढ़ा व रटाकर उन्हें नीरस बना दिया। शिक्षा में विज्ञान-शिक्षण सम्मिलित करने के लिए यह तर्क दिया गया था कि इससे बच्चे विज्ञान की खोजों से परिचित हो सकेंगे तथा अपने वास्तविक जीवन में घट रही घटनाओं के बारे में कुछ सीखेंगे। वे वैज्ञानिक विधि का अध्ययन कर तार्किक रूप से कैसे सोचना है, के कौशल में पारंगत होंगे। इन उद्देश्यों में से केवल पहले ही में एक सीमित सफलता मिली है।

दूसरे व तीसरे में व्यावहारिक रूप से बच्चे कुछ भी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। अधिकतर बच्चों से भौतिकी और रसायन विज्ञान के तथ्यों के बारे में कुछ जानने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन वे शायद ही जानते हों कि उनका कंप्यूटर अथवा कार का इंजन कैसे कार्य करते हैं अथवा क्यों उनकी माता जी सब्जी पकाने के लिए उसे छोटे टुकड़ों में काटती हैं जबकि वैज्ञानिक पद्धति में रुचि रखने वाले किसी भी उज्ज्वल लड़के को ये बातें सहज रूप से ही ज्ञात हो जाती हैं।

वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा अधिकांश विद्यालयों में भली प्रकार से नहीं दी जा रही है। दरअसल, शिक्षकों ने अपनी सुविधा और परीक्षा केंद्रित सोच के कारण, यह सुनिश्चित कर लिया है कि छात्र वैज्ञानिक पद्धति न सीख कर ठीक इसका उलटा सीखें, अर्थात वे जो बताएँ, उस पर आँख मूंद कर विश्वास करें और पूछे जाने पर उसे जस का तस परीक्षा में लिख दें।

वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए लंबे व्यक्तिगत अनुभव तथा परिश्रम व धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्यों की आवश्यकता होती है और जब तक इसे संभव बनाने के लिए शैक्षिक या सामाजिक प्रणालियों को बदल नहीं दिया जाता है, वैज्ञानिक तकनीकों में सक्षम केवल कुछ बच्चे ही सामने आएँगे तथा इन तकनीकों को आगे विकसित करने वालों की संख्या इसका भी अंश मात्र ही होगी।

1. लेखक का तात्पर्य है कि शिक्षकों ने
(क) अपने सीमित ज्ञान के कारण विज्ञान पढ़ाने में रुचि नहीं ली है।
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।
(ग) बच्चों को अनुभव आधारित ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।
(घ) मानवतावादियों का समर्थन करते हुए कार्य किया है।
उत्तर :
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।

2. स्कूल शिक्षा में विज्ञान शिक्षण के प्रति लेखक का क्या रवैया है?
(क) तटस्थ
(ख) सकारात्मक
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) नकारात्मक
उत्तर :
(घ) नकारात्मक

3. उपर्युक्त पाठ्यांश निम्नलिखित में से किस वशक में लिखा गया होगा?
(क) 1950-60
(ख) 1970-80
(ग) 1980-90
(घ) 2000-10
उत्तर :
(क) 1950-60

4. लेखक वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने में विफलता के लिए निम्नलिखित किस कारक को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराता है?
(क) शिक्षक
(ख) परीक्षा के तरीके
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी
(घ) सामाजिक और शिक्षा-प्रणाली
उत्तर :
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी

5. यदि लेखक वर्तमान समय में आकर विज्ञान-शिक्षण का प्रभाव सुनिश्चित करना चाहे तो निम्नलिखित में से किस प्रश्न के उत्तर में दिलचस्पी लेगा?
(क) क्या छात्र दुनिया के बारे में अधिक जानते हैं?
(ख) क्या छात्र प्रयोगशालाओं में अधिक समय बिताते हैं?
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?
(घ) क्या पाठ्यपुस्तकों में तथ्याधारित सामग्री बढ़ी है?
उत्तर :
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन टोपी शुक्ला का सबसे पहला मित्र था। इफ़्फ़न और उसकी दादी से टोपी शुक्ला को वह प्यार मिला था, जो उसे कभी अपने घर से नहीं मिला। इपफन एक मुसलमान था, परंतु प्यार जाति-पाति नहीं देखता। इफ्फ़न के पास रहते हुए टोपी ने स्वयं को कभी अकेला नहीं समझा। वह उससे अपने मन की सारी बातें करता था। इफ्फन उसका दुख-दर्द समझता था। पिता का तबादला होने पर इफ्फन चला गया और टोपी बिलकुल अकेला पड़ गया। उसे कोई समझने वाला और दिलासा देने वाला नहीं रहा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फन की दादी एक ज़मींदार परिवार से थी। उसका ससुराल लखनऊ में था। उसके पति और ससुर वहाँ के प्रसिद्ध मौलवी थे। ससुराल में इफ्फन की दादी को बंदिशों में रहना पड़ता था, क्योंकि वह एक मौलविन थी। वह लखनऊ में रहकर उस दही को तरस गई थी, जो उनके यहाँ घी पिलाई हंडियों में असामियों के यहाँ से आता था। जब भी वे अपने पीहर जाती तो खूब दूध, घी और दही खाती थी। ससुराल में उसकी आत्मा सदा बेचैन रहती थी। दादी ने अपनी सारी उम्र ससुराल की पाबंदियों में व्यतीत की थी, इसलिए वह खुली हवा में साँस लेने और दूध, घी व दही खाने के लिए पीहर जाना चाहती थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 3.
दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं ?
उत्तर :
इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थी। उसे गाने-बजाने का बहुत शौक था। इफ्फन के दादा एक मौलवी थे, इसलिए उनके घर में गाना-बजाना नहीं होता था। इफ़्फ़न की दादी की इच्छा थी कि वह अपने बेटे की शादी में गाना-बजाना करे, परंतु मौलवी की पत्नी होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी को इफ्फ़न की दादी के मुंह से अम्मी शब्द सुनना अच्छा लगता था, इसलिए उसने अपने घर में अपनी माँ को अम्मी कहकर बुलाया। उसके मुंह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर के सदस्यों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। उस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे समय थम गया हो; परंपराओं की दीवारें हिलने लगी हों। अम्मी शब्द कहने और सुनने से ही धर्म संकट में पड़ गया था। दादी सुभद्रा देवी ने टोपी के साथ-साथ उसकी माँ रामदुलारी को भी बुरा-भला कहा। रामदुलारी ने गुस्से में टोपी की बहुत पिटाई की। उसे मार पड़ने पर मुन्नी बाबू और भैरव खुश हो रहे थे। यदि टोपी को पता होता कि उसके अम्मी कहने से घरवाले उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे, तो शायद वह कभी इस शब्द का प्रयोग न करता।

प्रश्न 5.
दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता था?
उत्तर :
टोपी के जीवन में दस अक्तूबर सन पैंतालीस के दिन का बहुत अधिक महत्व था। इसी दिन इफ्फन टोपी को छोड़कर दूसरे शहर चला गया था। इफ़्फ़न के पिता जी कलेक्टर थे। उनका तबादला दूसरे शहर में हो गया था, इसलिए इफ्फन भी उनके साथ चला गया। उसके जाने से टोपी अकेला पड़ गया। उस दिन उसने कसम खाई थी कि आगे से तबादले की नौकरी करने वाले के लड़के से दोस्ती नहीं करूँगा।

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प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती थी। वह उसे हर समय डाँटती थी। टोपी को इफ्फ़न की दादी अच्छी लगती थी। वह उसे पास बैठाकर प्यार करती थी और उसका हाल-चाल पूछती थी। टोपी को उनका अम्मी कहना अच्छा लगता था। इफ्फ़न की दादी की बोली भी उनकी तरह थी। उसे इफ्फन की दादी से बहुत अपनापन मिला था। वह उसे अच्छी तरह समझती थी, इसलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही थी।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
इफ्फन को अपने पूरे परिवार से प्यार था, परंतु उसे अपनी दादी से विशेष स्नेह था। उसकी अम्मी और बहन उसे डाँटती थी। छोटी बहन भी उसे तंग करती थी। अब्बू भी कभी-कभी घर को कचहरी समझकर अपना फैसला सुना दिया करते थे। घर में केवल एक दादी ही थी, जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया था। वह रात को सोते समय उसे कई कहानियाँ सुनाती थी। दादी की पूरबी बोली में उसे कहानी सुनना अच्छा लगता था। दादी के पास उसकी हर शिकायत का समाधान होता था, इसलिए इफ्फ़न अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी उनके घर गया, तो उसे घर खाली-सा लगा। उसे इफ्फन के घर में दादी ही अपनी लगती थी। इफ्फन की दादी और उसके बीच के संबंध को कोई नहीं समझ सकता था। टोपी और इफ्फन की दादी ने एक-दूसरे के प्रेम की चाहत को पूरा किया था। दोनों अपने घर में अकेले और अजनबी थे। दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर अपने अकेलेपन को भर लिया था। लेकिन इफ्फन की दादी के मरने से टोपी फिर अकेला हो गया था। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी के मरने के बाद उसका घर खाली खाली लगा।

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प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे, परंतु वे दोनों एक अटूट रिश्ते से बँधे हुए थे। टोपी हिंदू था और इफ्फन की दादी मुसलमान थी। टोपी की आयु आठ वर्ष थी और दादी की आयु बहत्तर वर्ष की थी। टोपी दादी के हाथ से कुछ नहीं खाता था, परंतु उसकी प्यार की चाहत उनके पास जाकर पूरी होती थी। टोपी को अपने घर में बिलकुल भी प्यार नहीं मिला था। घर में हर कोई उसे डाँटता और मारता था। वह प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता रहता था। जहाँ उसे प्यार मिलता, वह वहीं का हो जाता था।

इफ़्फ़न की दादी भी अपने घर में अकेली और अजनबी थी। वह पूरबी भाषा बोलती थी। घर के अन्य सदस्य उर्दू बोलते थे। उसकी भाषा को लेकर घर में हँसी उड़ती थी। इसलिए वह भी प्यार पाने के लिए तरसती थी। जब दादी और टोपी आपस में मिले, तो दोनों ने एक-दूसरे के स्नेह पाने की चाहत को पूरा किया। दोनों में एक विशेष लगाव था। यह बात दोनों के घरों में कोई नहीं समझ सका था कि उनमें इतना प्यार क्यों था। इससे हम कह सकते हैं कि प्यार उम्र और मजहब नहीं देखता। जिसे प्यार की चाहत होती है उसे जहाँ प्यार मिलता है वह वहीं चला जाता है।

प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मददेनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर :
(क) टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। वह पढ़ाई में बहुत ज़हीन था, परंतु उसे कोई पढ़ने नहीं देता था। जब भी वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर में कोई-न-कोई काम निकल आता था। उस काम को केवल टोपी कर सकता था। घर के नौकरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी मुन्नी बाबू, तो कभी रामदुलारी उसे किसी-न-किसी काम के लिए पढ़ने से उठा देते थे। रवालों को कुछ काम नहीं होता था, तो भैरव ही उसकी कॉपियों के कागज़ों के हवाई जहाज़ उड़ा चुका होता था। दूसरे साल उसने अच्छी तैयारी की थी, परंतु उसे टायफाइड हो गया था। इस कारण वह फेल हो गया।

(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में अब उसका कोई भी मित्र नहीं था, इसलिए वह कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टर जी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे, जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी।

जब वह दूसरी बार फेल हुआ, तो वह कक्षा में ऐसे गया जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था। सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवीं में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता, तो अध्यापक यह कहकर उसे मनाकर देते थे कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाली कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था, परंतु टोपी दो साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।

(ग) टोपी लगातार दो साल नवीं कक्षा में फेल हुआ। इसके लिए उसके घर के सदस्य तथा स्कूल के अध्यापक भी जिम्मेदार थे। यदि कोई बच्चा होशियार होते हुए भी कक्षा में पिछड़ जाए, तो अध्यापक को उसका कारण जानना चाहिए और जहाँ तक संभव हो, उसकी पढ़ाई में सहायता करनी चाहिए। उसे कक्षा में शर्मसार नहीं करना चाहिए। कक्षा का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि फेल हुए बच्चे अपने को अकेला न समझे।

प्रत्येक बच्चे में कोई-न-कोई गुण होता है। अध्यापकों को चाहिए कि फेल हुए बच्चों को अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे बच्चे में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़े और उसका अच्छा परिणाम आए।

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प्रश्न 11.
इफ्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
इफ्फन की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। इफ्फन की दादी के मायके वाले कराची चले गए थे। वे लोग वहीं रहने लगे थे। इसलिए उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया था, क्योंकि उस संपत्ति पर किसी का भी अधिकार नहीं था।

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘टोपी शुक्ला’ पाठ का मूल भाव लिखिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी अपने घर और स्कूल दोनों स्थानों पर उपेक्षित बच्चा है, जिसे कोई प्यार नहीं करता। उसके माध्यम से बताया गया है कि बच्चों की दृष्टि में अपना वही होता है, जो प्यार से सिर पर हाथ रखे और दुलार से बात करे। टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती। वे उसे हर समय डाँटती रहती है। मुन्नी बाबू और भैरव भी उसे पिटवाने के अवसर ढूँढ़ते रहते हैं। दोनों झूठ-सच बोलकर सबको टोपी के विरुद्ध करते हैं।

इसलिए टोपी भरे-पूरे घर में स्वयं को अकेला समझता है। उसका अकेलापन इफ्फ़न की दादी से मिलकर दूर होता है। अपनापन और प्यार जात-पात नहीं देखते। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी अपनी लगती है। उनके मरने पर वह बहुत रोता है। बच्चे भी प्यार को समझते । हैं। टोपी की प्यार पाने की चाहत उसे घर की बूढ़ी नौकरानी सीता के आँचल में खींच ले जाती है।

घर के पढ़े-लिखे लोग यह नहीं समझते कि टोपी जैसा आज्ञाकारी बालक उनकी केवल एक हिदायत नहीं मानता कि उसे इफ्फन की दादी और नौकरानी सीता से रिश्ता नहीं रखना है। वे लोग उसकी प्यार की चाहत को नहीं समझते। बच्चों का मन साफ़ होता है। उसमें छल-कपट या हिसाब-किताब नहीं होता। उन्हें जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। बचपन प्रेम के रिश्तों को मानता है। वह किसी और रिश्तों को नहीं पहचानता। यही दशा टोपी की भी है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार इफ्फन की बड़ाई किसमें थी?
उत्तर :
इफ्फन टोपी का सबसे पहला दोस्त था। टोपी ने उसे सदा इफ्फन कहकर बुलाया था। इफ़्फ़न उसके इस तरह बुलाने का बुरा मानता था, परंतु फिर भी वह टोपी द्वारा इफ्फन बुलाने पर उससे बोलता था। इस प्रकार बोलने में इफ्फन की बड़ाई थी।

प्रश्न 3.
नामों के चक्कर अजीब क्यों थे?
उत्तर :
लेखक नामों के चक्कर को अजीब मानता है। जिस व्यक्ति, वस्तु या भाषा को जिस नाम से पुकारो वह अपना स्वरूप नहीं बदलते। उर्दू और हिंदी एक ही भाषा हिंदवी के दो नाम हैं। श्रीकृष्ण को अवतार और मुहम्मद को पैगंबर कहकर बुलाया जाता है। लोगों के लिए यह दो नाम दो अलग-अलग धर्म के हैं, परंतु दोनों का कार्य एक था; दोनों ही दूध देने वाले जानवर चराया करते थे। इसलिए लेखक को नामों के चक्कर में उलझना अजीब लगता है।

प्रश्न 4.
इफ्फ़न और टोपी के वास्तविक नाम क्या थे?
उत्तर :
इफ्फन का नाम सय्यद जरगाम मुरतुजा और टोपी का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला था। दोनों चौथी कक्षा में पढ़ते थे। इफ्फन के पिता कलेक्टर थे और टोपी के पिता शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर थे।

प्रश्न 5.
इफ्फन की दादी मरते दम तक पूरबी बोली क्यों बोलती रही थीं?
उत्तर :
इफ्फन की दादी पूरब की रहने वाली थीं। वे नौ या दस वर्ष की थीं, जब शादी करके लखनऊ आ गई थीं। ससुराल में सब उर्दू बोलते में रहने वाली थे; परंतु वे जब तक जीवित रहीं, पूरबी बोली ही बोलती रहीं। उन्हें लगता था कि ससुराल में यह बोली उनकी अपनी है, जो उनके सुख-दुख को समझती है। इसलिए उन्होंने कभी भी उर्दू बोलने का प्रयास नहीं किया। यही कारण था कि वे मरते दम तक पूरबी बोली को गले लगाए रहीं।

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प्रश्न 6.
मरते समय इफ्फ़न की दादी को अपने मायके का घर क्यों याद आ रहा था?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मरते समय आदमी अपने जीवन के सबसे खूबसूरत सपने को देखता है। इफ़्फ़ की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। वे ससुराल में रहते हुए हमेशा अपने मायके को याद करती थीं। वे एक ज़र्मींदार की बेटी थीं। उनके घर पर दूध, दही और घी की कमी नहीं थी। जब भी वे अपने घर जाती थीं, खूब दूध-दही खाती थीं। उन्होंने अपने घर में अपने हाथों से दसहरी आम का पेड़ लगाया था। अब वह पेड़ भी उनकी तरह बूढ़ा हो गया था। ऐसी ही कई मीठी यादें थीं, जो उन्हें मरते समय याद आ रही रीं।

प्रश्न 7.
टोपी के पिता को जब इफ्फन के साथ उसकी मित्रता का पता चला, तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर :
इफ्फन मुसलमान था और टोपी हिंदू। जब घर के सदस्यों को पता चला कि टोपी की मित्रता मुसलमान लड़के से है, तो सब सकते में आ गए। टोपी के पिता को बहुत क्रोध आया; परंतु जब उन्हें यह पता चला कि टोपी का मित्र इफ्फन कलेक्टर का बेटा है, तो वे अपने क्रोध को पी गए। उन्होंने टोपी की मित्रता का लाभ उठाते हुए इफ्फन के पिता से कपड़े और शक्कर के परमिट अपने नाम करवा लिए थे।

प्रश्न 8.
मुन्नी बाबू ने क्या झूठ बोला था और सच क्या था?
उत्तर :
घर में जब यह पता चला कि टोपी की मित्रता एक मुसलमान लड़के से है, तो उसकी माँ रामदुलारी ने उसे बहुत मारा। उसे मार पड़ते देखकर मुन्नी बाबू अपनी माँ से झूठ बोलता है कि एक दिन उसने टोपी को कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह सुनते ही उसकी माँ ने टोपी को दुगुने क्रोध से मारना शुरू कर दिया। वास्तव में कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। मुन्नी बाबू को कबाब खाते टोपी ने देख लिया था। मुन्नी बाबू इस बात से डर गए थे कि कहीं टोपी मार खाते हुए उसके भेद को खोल न दे, इसलिए उसने अपनी बात टोपी पर डाल दी।

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प्रश्न 9.
पाठ के आधार पर टोपी के चरित्र का चित्रांकन कीजिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी के चरित्र का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है –
परिचय – टोपी के पिता का नाम भृगु नारायण और माँ का नाम रामदुलारी था। टोपी के दो भाई मुन्नी बाबू और भैरव थे। टोपी का एक मित्र इफ्फन था। टोपी स्कूल में पढ़ता है।

सरल स्वभाव – टोपी सरल स्वभाव का बच्चा है। उसमें छल-कपट नहीं है। जब मुन्नी बाबू उस पर कबाब खाने का झूठा आरोप: लगाते हैं, तो वह मुन्नी बाबू की बात को चुपचाप स्वीकार कर लेता है। उसकी बात का कोई प्रतिवाद नहीं करता।

एकाकीपन – टोपी का परिवार भरा-पूरा है, फिर भी वह अकेला है। घर में सभी लोग अपने आप में व्यस्त हैं। किसी के पास भी। टोपी के लिए समय नहीं है। टोपी अपना अकेलापन दूर करने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है।

प्यार की चाहत – टोपी को अपने परिवार से प्यार नहीं मिला। वह प्यार पाने के लिए इधर-उधर जाता है। उसे इफ्फन, इफ्फ़न की दादी और घर की बूढी नौकरानी सीता से प्यार मिलता है। प्यार पाने की चाहत ने टोपी को सभी प्रकार के बंधनों को तोड़ने के लिए मज़बूर किया था।

सहनशील – टोपी एक सहनशील बालक था। वह शांत रहकर अपने घरवालों का अपने प्रति व्यवहार सहन करता था। टोपी घर में ही नहीं स्कूल में भी छात्रों और अध्यापकों का कड़वा व्यवहार चुपचाप सहन करता है। टोपी जब नवीं में दो बार फेल हो जाता है, तो उसे घर और स्कूल दोनों जगह से प्रताड़ना मिलती है जिसे वह बड़े साहस से सहन करता है।

आज्ञाकारी बालक – टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। वह किसी का कहना नहीं टालता। वह सबके काम चुपचाप कर देता है। वह जब भी पढ़ने बैठता था उसकी माँ, मुन्नी बाबू या अन्य उसे कोई-न-कोई काम सौंप देते थे। वह पढ़ाई छोड़कर उस काम को। पूरा करने में लग जाता था।

भावुक बालक – टोपी एक भावुक लड़का था। वह इफ्फन से अपनी दादी के बदले में उसकी दादी माँगता है। लेकिन जब इफ्फन। इनकार कर देता है, तो वह इफ्फन से भावुक होकर कहता है कि क्या वह उसके लिए इतना भी नहीं कर सकता। टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। उसके परिवार में सब हैं, परंतु फिर भी वह घर में स्वयं को अकेला अनुभव करता है। इसलिए वह अपनापन और प्यार प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकता है।

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प्रश्न 10.
कहानी कहते समय इफ्फन की दादी ऐसा क्यों कहती होंगी-“आँखों की देखी नहीं कहती। कानों की सुनी कहती हूँ….।”
उत्तर :
इफ्फन की दादी जब भी कहानी सुनाना शुरू करती थीं, उससे पहले वे एक पंक्ति कहती थीं कि ‘आँखों की देखी नहीं कहती, कानों की सुनी कहती हूँ’। वे ऐसा इसलिए कहती थीं क्योंकि जो कहानियाँ वे इफ्फन को सुनाती थीं, वे भी उनकी सुनी हुई थीं। वे कहानियाँ उनकी आँखों के आगे नहीं घटी थी, इसलिए वे सुना हुआ ही उसे सुनाती थीं। कहानियों में कई काल्पनिक घटनाएँ होती हैं। बच्चे उन्हें सच न मान लें, इसलिए भी कहानी शुरू करने से पहले इस पंक्ति को कहा जाता होगा।

प्रश्न 11.
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद के आधार पर मानवीय संबंधों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर :
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद रिश्तों में अविश्वास को उजागर करते हैं। सुभद्रा देवी टोपी की दादी सा, है। वह घर में अपने बड़े होने का वर्चस्व कायम रखने के लिए रामदुलारी को डाँटती है कि वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती। रामदुलारी अपनी सास का गुस्सा टोपी पर उतारती है। टोपी अपनी सफ़ाई में कुछ नहीं कह पाता। इसके बाद मुन्नी बाबू एक झूठ टोपी के नाम लिख देते हैं कि वह कबाब खाता है।

यह सुनते ही रामदुलारी दुगुने वेग से टोपी को मारने लगती है। वह टोपी से कोई सच्चाई नहीं जानना चाहती। उन लोगों के संवाद से यह सिद्ध होता है कि घर में जिसे बेकार समझा जाता है, उस पर हर कोई अपना दबाव डालना चाहता है। परिवार का आधार विश्वास और प्यार होता है, परंतु टोपी के परिवार में विश्वास और प्यार देखने को नहीं मिलता था। इसलिए टोपी प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता था।

प्रश्न 12.
इफ़्फ़न के दादा-परदादा क्या वसीयत करके मरे?
उत्तर :
इफ्फन के दादा और परदादा प्रसिद्ध मौलवी थे। उनका जन्म इसी देश में हुआ था। उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी। परंतु मरने से पहले उन्होंने वसीयत की थी कि उनके मरने के बाद उनकी लाश करबला ले जाई जाए। वे चाहते थे कि उन्हें करबला में दफनाया जाए।

प्रश्न 13.
इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले क्यों खरीदे?
उत्तर :
इफ्फ़न के घर जाने पर जब टोपी को बहुत मार पड़ी, तो वह बहुत उदास हुआ और अगले दिन उसने सब बातें इफ्फन को बता दी। इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले खरीदे, क्योंकि उसे पता था कि टोपी फल के अलावा कोई और चीज़ नहीं खाएगा। इस प्रकार वह टोपी को फल खिलाकर सांत्वना देने लगा।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

प्रश्न 14.
रामदुलारी की मार से इफ्फन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
जब टोपी ने इफ़्फ़न को बताया कि उसकी दादी उसे उसके घर जाने से रोकती है और उसके न मानने पर उसे खूब पीटती है, तो इफ्फ़न और वह भूगोल की कक्षा छोड़कर बाहर आ जाते हैं। इफ़्फ़न उसके लिए पंचम की दुकान से केले खरीदता है और उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि दादी बूढ़ी है, इसलिए वह मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

प्रश्न 15.
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों श्ते से बंधे थे। इस कथन पर कहानी के आधार पर विचार कीजिए।
अथवा
टोपी और इफ़्फ़न के संबंध धर्म से नहीं, मानवीय संबंधों से निर्धारित थे।
उत्तर :
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग धर्मों को मानने वाले हैं। इफ्फन मुसलमान है जबकि टोपी शुक्ला हिंदू है। इन दोनों की मित्रता में धर्म कहीं भी आड़े नहीं आता है। टोपी शुक्ला को इफ्फन और उसकी दादी से इतना प्यार मिला था, जो उसे अपने घर से भी नहीं मिलता था। इनकी इस मित्रता में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। दोनों एक-दूसरे से अपने मन की बातें खुलकर कर लेते थे। इफ्फन टोपी का सारा दुख-दर्द समझ कर उसे दिलासा देता था। बच्चों का मन साफ होता है।

उन्हें तो जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। इफ्फन को यह भी ध्यान रहता है कि टोपी को फल के अतिरिक्त अपने घर का कुछ नहीं खिलाना हैं। वह टोपी के परिवार के संस्कारों पर कोई प्रहार नहीं करता है। इफ्फन के पिता का जब स्थानांतरण हो जाता है तो टोपी स्वयं को बिल्कुल अकेला अनुभव करने लगता है। इफ्फन और टोपी अलग-अलग परिवेश में पले परन्तु उनकी मित्रता में किसी प्रकार का भी भेदभाव नहीं आया।

उनकी यह मित्रता हमें प्रेरणा देती है कि धर्म-संप्रदाय-जातिगत विविधता से समाज में तोड़ने की नहीं अपितु परस्पर जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। अलग-अलग विचारधारा, धार्मिक मान्यताएँ, संस्कार आदि होते हुए भी विभिन्न धर्म-जाति के लोग अपने-अपने रास्ते पर चलते हुए भी परस्पर टोपी और इफ्फन की तरह मिलजुल कर मित्रता के भाव से रह सकते हैं। परस्पर प्यार-मैत्री में कोई जातिगत-धर्मगत भेदभाव नहीं होता, इसलिए कहा गया है –

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना।
हिंदी हैं हम वतन हैं, हिंदुस्तान हमारा।।

टोपी शुक्ला Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘टोपी शुक्ला’ कहानी के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है, वह वहीं रहना चाहता है। टोपी को बचपन में अपनापन अपने परिवार की नौकरानी और अपने मित्र की दादी माँ से मिलता है। वह उन्हीं लोगों के साथ रहना चाहता है। इफ्फन टोपी का पहला मित्र था। टोपी उसे इफ्फन कहकर बुलाता था। इफ्फन को बुरा अवश्य लगता था, परंतु फिर भी वह उससे बात करता था। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

दोनों के घरों की परंपराएँ अलग-अलग थीं, लेकिन फिर भी इफ्फन टोपी के जीवन का अटूट हिस्सा है। इफ्फन के दादा-परदादा मौलवी थे। वे जीवित रहते हुए हिन्दुस्तान में रहे थे, परंतु उनकी लाश को करबला ले जाकर दफनाया गया। इफ्फन के पिताजी उनके खानदान में पहले बच्चे थे, जो हिंदुस्तानी थे। इफ्फन की दादी मौलवी परिवार से नहीं थी। वह एक जमींदार परिवार की तथा पूरब की रहने वाली थी।

उनकी ससुराल लखनऊ में थी, जहाँ गाना-बजाना बुरा समझा जाता था। इफ्फन के पिता की शादी पर उनके मन में विवाह के गीत गाने की इच्छा थी, परंतु इफ्फन के दादा के डर से नहीं गा पाई। उन्हें इफ्फन के दादा से केवल एक शिकायत थी कि वे सदा मौलवी बने रहते थे। इफ्फन की दादी जब मरने लगी, तो उसे अपनी माँ का घर याद आने लगा। इफ्फन उस समय स्कूल गया हुआ था। उसे अपनी दादी से बहुत प्यार था। वह उसे रात के समय कहानियाँ सुनाया करती थी।

दादी पूरबिया भाषा बोलती थी, जो उसे अच्छी लगती थी। टोपी को भी उसकी दादी की भाषा अच्छी लगती थी। टोपी को इफ्फन की दादी अपनी माँ जैसी लगती थी। उसे अपनी दादी से नफ़रत थी। वह इफ्फन के घर जाकर उसकी दादी से बात करता था। एक दिन टोपी ने अपने घर में जैसे ही अपनी माँ के लिए अम्मी शब्द का प्रयोग किया, उसी क्षण उनके यहाँ तूफान आ गया। माँ से ज्यादा उसकी दादी भड़क गई।

बाद में उसकी माँ से बहुत पिटाई हुई। उसके भाई मुन्नी बाबू ने माँ से झूठ कह दिया था कि उसने कबाब खाए हैं, जबकि कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। सबने मुन्नी बाबू के झूठ को सच समझ लिया। अगले दिन टोपी ने सारी बात इफ्फन से कह दी। चौथे पीरियड में दोनों स्कूल से भाग गए। टोपी इफ़्फ़न से कहता है कि क्यों न वह अपनी दादी बदल लें। इफ्फन ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी दादी उसके पिताजी की माँ भी थी। इफ्फन ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि फ़िक्र मत करो, तुम्हारी दादी जल्दी मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

उसी दिन इफ्फन की दादी मर जाती है। इफ्फन के साथ टोपी को भी लगता है कि उसका सबकुछ चला गया है। अब उसे इफ्फ़न के घर में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। दादी के बिना सारा घर खाली-खाली लगता है। टोपी सोचता है कि इफ्फन की दादी के स्थान पर उसकी दादी मर जाती, तो अच्छा रहता। जल्दी ही इफ्फन के पिता का तबादला हो गया। उस दिन टोपी ने कसम खाई कि आगे से किसी ऐसे लड़के से मित्रता नहीं करेगा, जिसके पिता की नौकरी बदलने वाली हो।

इफ्फन के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया। उस शहर के अगले कलेक्टर हरिनाम सिंह थे। उनके तीन लड़के थे। उन्हें इस बात का एहसास था कि वे एक कलेक्टर के बेटे हैं, इसलिए उन्होंने टोपी को मुँह नहीं लगाया। इसके बाद टोपी ने अपना अकेलापन घर की बूढी नौकरानी सीता से दूर किया। सीता उसे बहुत प्यार करती थी। वह उसका दुख-दर्द समझती थी। घर के सभी सदस्य उसे बेकार समझते थे। घर में सभी के लिए सर्दी में गर्म कपड़े बने, परंतु टोपी को मुन्नी बाबू का उतरा कोट मिला। उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। उसने वह कोट घर की नौकरानी केतकी को दे दिया। उसकी इस हरकत पर दादी क्रोधित हो गई। उन्होंने उसे बिना गर्म कपड़े के सर्दी बिताने का आदेश दे दिया।

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था, जिस कारण उसे घर में और अधिक डाँट पड़ने लगी थी। जिस समय वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर के सदस्यों को बाहर से कुछ-न-कुछ मँगवाना होता था। स्कूल में भी उसे अध्यापकों ने सहयोग नहीं दिया। अध्यापकों ने उसके नवीं में लगातार तीन साल फेल होने पर उसे नजरअंदाज कर दिया था। कोई भी ऐसा नहीं था, जो उसके साथ सहानुभूति रखता; उसे परीक्षा में पास होने के लिए प्रेरित करता। घर और स्कूल में किसी ने भी उससे अपनापन नहीं दिखाया। उसने स्वयं ही मेहनत की और तीसरी श्रेणी में नवीं पास कर ली। उसके नवीं पास करने पर दादी ने कहा कि उसकी रफ़्तार अच्छी है। तीसरे वर्ष में तीसरी श्रेणी में पास तो हो गए हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

कठिन शब्दों के अर्थ :

परंपरा – प्रथा, डेवलपमेंट – विकास, बेमानी – व्यर्थ, अटूट – न टूटने वाला, मज़बूत, करबला – इस्लाम का एक पवित्र स्थान, नमाज़ी – नियमित रूप से नमाज़ पढ़ने वाला, मास का सदका – एक टोटका, चेचक – एक संक्रामक रोग, छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान, जश्न – उत्सव, फर्क – अंतर, नाक-नक्शा – रूप-रंग, बीजू पेड़ – आम की गुठली से उगाया गया आम का पेड़, बेशुमार – बहुत सारी, बाजी – बड़ी बहन, कचहरी – न्यायालय, पाक – पवित्र, मुलुक – देश, अलबत्ता – बल्कि,

अमावट – पके आम के रस को सुखाकर बनाई गई वस्तु, तिलवा – तिल का लड्डू, लफ़्ज – शब्द, दुर्गति – बुरी हालत, कुटाई – पिटाई, कबाबची – कबाब बनाने वाला, जुगराफ़िया – भूगोल शास्त्र, पुरसा – सांत्वना देना, तबादला – बदली, एहसास – अनुभूति, टर्राव – बड़बड़ करना, गाउदी – भोंदू, सितम – अत्याचार, लौंदा – गीली मिट्टी का पिंड, लोगन – लोग, नज़रे बद – बुरी नज़र

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती-पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं डाल सकती। लेखक बचपन में जहाँ रहता था, वहाँ पर अधिकतर घर राजस्थान या हरियाणा से आकर बसे हुए लोगों के थे। वहाँ पर उन लोगों के व्यापार तथा दुकानदारी थी। उन लोगों की भाषा और रहन-सहन स्थानीय लोगों से भिन्न था। उनकी बोली बहुत कम समझ में आती थी। कुछ शब्द तो ऐसे थे, जिन्हें सुनकर हँसी आती थी। परंतु खेल के समय उन लोगों की भाषा में कोई अंतर नहीं आता था। वे सब एक-दूसरे की भाषा को अच्छी तरह समझ लेते थे। इसलिए लेखक ने कहा है कि भाषा आपसी व्यवहार में कोई बाधा नहीं बनती।

प्रश्न 2.
पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पीटी मास्टर प्रीतम चंद बहुत सख्त स्वभाव और अनुशासन में रहने वाले व्यक्ति थे। वे छोटी-से-छोटी गलती पर भी बच्चों को बुरी
तरह मारते थे। बच्चों ने उन्हें कभी भी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। वे उनसे बहुत डरते थे कि पता नहीं कब ‘खाल खींचने’ वाला मुहावरा प्रत्यक्ष हो जाए। बच्चों को स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती थी, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों को वह शाबाश फ़ौज के तमगों जैसी लगती थी। बच्चों को लगता कि उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण कार्य अच्छे : ढंग से संपन्न किया है, जिस कारण पीटी साहब से शाबाश रूपी तमगा मिला है।

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प्रश्न 3.
नयी श्रेणी में जाने और नयी कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?
उत्तर :
लेखक को नई श्रेणी में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे नई कॉपियों और पुरानी किताबों में से एक अजीब-सी गंध आती थी। वह उस गंध को कभी नहीं समझ सका लेकिन वह गंध उसे उदास कर देती थी। इसके पीछे कारण हो सकता है कि नई श्रेणी की पढ़ाई मास्टरों से पड़ने वाली मार का भय उसके मन में गहरी जड़ें जमा चुका था, इसलिए नई कक्षा में जाने पर लेखक को खुशी नहीं होती थी। पाठ को अच्छी तरह समझ न आने पर मास्टरों से चमड़ी उधेड़ने वाले मुहावरों को प्रत्यक्ष होते हुए देखना ही उसे अंदर तक उदास कर देता था।

प्रश्न 4.
स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?
उत्तर :
लेखक को अपने स्कूल में यदि कुछ अच्छा लगता था तो वह था-स्काउट परेड। स्काउट परेड के लिए धोबी से धुली खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते पहनने को मिलते थे। परेड करते समय मास्टर प्रीतम चंद विह्सल बजाते हुए लेफ्ट-राइट, राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाउट टर्न कहते थे। उस समय छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या एकदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक-ठक से आगे बढ़ते जाना उन्हें अच्छा लगता था। उस समय वे स्वयं को विद्यार्थी नहीं फ़ौजी जवान समझते थे।

प्रश्न 5.
हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?
उत्तर :
पीटी उन्हें मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा को फ़ारसी भाषा पढ़ाते थे। बच्चों के लिए फ़ारसी भाषा अंग्रेज़ी से भी कठिन थी। फ़ारसी पढ़ाते हुए उन्हें अभी एक सप्ताह हुआ था कि उन्होंने चौथी कक्षा के छात्रों को एक शब्द-रूप याद करके लाने और अगले दिन सुनाने का आदेश दिया। शब्द-रूप बहुत कठिन था। मार के डर से बच्चे सारा दिन शब्द-रूप याद करते रहे, परंतु वह उन्हें याद नहीं हुआ। अगले दिन कोई भी बच्चा शब्द-रूप नहीं सुना पाया। पीटी साहब ने अपने सख्त स्वभाव के अनुरूप बच्चों को झुककर टाँगों में से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा सुनाई। कमजोर बच्चे तीन-चार मिनट में ही थकने लगे। हेडमास्टर शर्मा जी ने जब यह दृश्य देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने पीटी साहब को बच्चों के साथ बुरा व्यवहार करने पर मुअत्तल कर दिया।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
अथवा
स्कूल किस प्रकार की स्थिति में अच्छा लगने लगता है और क्यों?
उत्तर :
लेखक को स्कूल कभी भी ऐसी जगह नहीं लगता था, जहाँ खुशी से जाया जाए। स्कूल जाना उसके लिए एक सज़ा के समान था। परंतु एक-दो अवसर ऐसे होते थे, जब उसे स्कूल जाना अच्छा लगता था। पीटी मास्टर जब स्कूल में स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते थे, उस समय वे बच्चों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे। मास्टर जी के वन, टू, थ्री कहने पर बच्चे झंडियों को ऊपर नीचे, दाएँ-बाएँ करते थे। उस समय हवा में लहराती हुई झंडियाँ बच्चों को अच्छी लगती थीं। उन्हें पहनने के लिए खाकी वर्दी और पॉलिश किए जूते मिलते थे। गले में दोरंगा रूमाल पहनने को मिलता था। उस समय स्कूल के सभी बच्चे खुशी-खुशी स्कूल जाते थे।

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प्रश्न 7.
लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति बहादुर बनने की कल्पना किया करता था?
उत्तर :
लेखक के छात्र जीवन में अप्रैल से स्कूल आरंभ होते थे। डेढ़ महीना स्कूल जाने के बाद उन्हें डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। पहला एक महीना वे खेल-कूद में व्यतीत करते थे या फिर अपनी माँ के साथ ननिहाल जाते थे। यदि ननिहाल नहीं जाते, तो घर के पास तालाब में नहाते और पास के टीले की रेत से खेलते थे। रेत से खेलना और तालाब में नहाने का क्रम अनगिनत बार चलता था।

जब छुट्टियों का एक महीना शेष बचता था, तो स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब वाले मास्टर दो सौ से कम सवाल नहीं देते थे। वे दस सवाल हर रोज़ करने की योजना बनाते। इस प्रकार दो सौ सवाल बीस दिन में पूरे हो जाएंगे, ऐसा सोचकर फिर खेल में लग जाते थे। इस प्रकार पंद्रह दिन निकल जाते थे। फिर वे पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचते थे। लेखक के कई साथियों को छुट्टियों में स्कूल का काम करने की अपेक्षा मास्टर के हाथों से मार खाना सस्ता सौदा लगता था। लेखक के साथियों में ‘ओमा’ नाम का एक साथी था, जो बहुत बहादुर था। लेखक भी काम करने की अपेक्षा ‘ओमा’ की तरह बहादुर बनकर मार खाने के लिए तैयार हो जाता था।

प्रश्न 8.
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
1. व्यक्तित्व – मास्टर प्रीतम चंद देखने में दुबले-पतले लगते थे, परंतु उनका शरीर गठीला था। उनका कद छोटा था। चेहरे पर माता के दाग थे। उनकी आँखें बाज़ जैसी तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और फ़ौजियों वाले भारी-भरकम बूट पहनते थे। बूटों की ऊँची एड़ियों – के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। पंजों के नीचे मोटे सिरों वाले कील लगे हुए थे। उनका पूरा व्यक्तित्व बच्चों को भयभीत करने वाला था।

2. अनुशासन पसंद – मास्टर प्रीतम चंद अनुशासन में रहना पसंद करते थे। उन्हें अनुशासनहीनता पसंद नहीं थी। स्कूल में प्रार्थना के समय सभी लड़के कद के अनुसार कतारों में सीधे खड़े होते थे। यदि कोई लड़का हिलता हुआ दिखाई दे जाता था, तो मास्टर प्रीतम चंद उस लड़के को वहीं बुरी तरह मारने लगते थे।

3. कठोर स्वभाव – मास्टर प्रीतम चंद का स्वभाव बहुत कठोर था। बच्चे उनसे बहत डरते थे। बच्चों ने उन्हें कभी हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। स्काउटिंग की परेड का अभ्यास करवाते समय यदि कोई गलती नहीं होती, तो वे बच्चों को ‘शाबाश’ कहते थे। बच्चों के लिए वह ‘शाबास’ किसी फ़ौजी तमगे से कम नहीं होती थी। पीटी साहब के मुंह से निकली ‘शाबाश’ सारा साल कॉपियों पर मास्टरों से मिलने वाली ‘गुडों’ से ऊपर होती थी।

4. भावना रहित – मास्टर प्रीतम चंद में मानवीय भावनाएँ बिलकुल नहीं थीं। वे छोटे-छोटे बच्चों को छोटी-से-छोटी गलती पर बड़ी-से-बड़ी सजा देने में झिझकते नहीं थे। एक बार मास्टर प्रीतम चंद ने चौथी कक्षा के बच्चों को शब्द-रूप याद करके न आने पर उन्हें झुककर टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने की सजा दी। कमजोर और छोटे बच्चे तीन-चार मिनट में ही जलन और थकान के कारण गिर पड़े, परंतु मास्टर जी पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। अपने इसी अमानवीय व्यवहार के कारण उन्हें हेडमास्टर शर्मा जी ने नौकरी से निकाल दिया था।

5. पक्षी प्रेम – मास्टर प्रीतम चंद को छोटे-छोटे बच्चों के साथ कोई दया या प्रेम नहीं था, परंतु उन्हें पक्षियों से प्रेम था। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। वे उन तोतों को बादाम की गिरियाँ खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करते थे। पीटी साहब का पक्षियों से मीठी-मीठी बातें करना बच्चों को एक चमत्कार लगता था। जो अध्यापक स्कूल में बच्चों को निर्दयता से मारे और घर में पक्षियों के साथ अच्छा व्यवहार करे, यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। पीटी साहब को अपने कठोर और अमानवीय स्वभाव के कारण ही स्कूल से मुअत्तल किया गया था। उन्हें अपनी गलती पर कोई पछतावा नहीं था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 9.
विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
लेखक के अनुसार उनके साथ विद्यार्थी जीवन में बहुत कठोर और अमानवीय व्यवहार किया जाता था। उनके मन में अध्यापकों की मार का इतना डर बैठ गया था कि उन्हें नई कक्षा में जाने की कोई खुशी नहीं होती थी। स्कूल उन्हें एक जेल के समान लगता था, जहाँ वे कैद की सजा काटने के लिए जाते थे। अधिकतर बच्चे स्कूल जाने की अपेक्षा माँ-बाप के साथ उनके काम में हाथ बँटाना अधिक उचित मानते थे।

वर्तमान समय में स्कूल के अध्यापक बच्चों को कठोर शारीरिक दंड नहीं देते। यदि कोई अध्यापक ऐसा करता है, तो उस पर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। वर्तमान में अध्यापकों को बच्चों के मनोविज्ञान को समझने का प्रशिक्षण दिया जाता है। पढ़ाई में कमजोर बच्चों के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहिए, उन्हें प्रशिक्षण के समय सिखाया जाता है।

यदि कोई शरारती बच्चा हो, जो प्यार से समझाने से भी नहीं समझता, उस पर माँ-बाप के कहने पर ही सख्ती की जाती है या उसे बाल मनोचिकित्सक से परामर्श करने का सुझाव दिया जाता है। वर्तमान समय में बच्चों को आने वाले कल का निर्माता समझा जाता है। इसलिए उनके मन में स्कूल के प्रति भय को निकालने के लिए स्कूल का वातावरण खुशहाल बनाया जाता है जिससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास हो सके।

प्रश्न 10.
बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों कीं। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।
उत्तर :
बचपन की यादें कभी किसी को नहीं भूलतीं। उन दिनों मैं प्राइमरी स्कूल में पढ़ता था। घर से स्कूल के रास्ते में एक बड़ी-सी कोठी थी। उसमें बाहरी दीवार के पास फलों के अनेक पेड़ उगे थे। मैं अपने मित्रों के साथ बाहर से पत्थर फेंककर फलों को प्रायः तोड़ने की कोशिश करता था। कभी-कभी कोई फल टूटकर बाहर भी आ गिरता था और हम उस कच्चे-पक्के फल को पाकर इतने प्रसन्न हुआ करते थे, जैसे हमें कोई खजाना मिल गया हो।

हमारे घर के पास एक जोहड़ था। हम हर रोज़ उसके किनारे बैठकर उसमें तैरते-उछलते मेंढकों को घंटों देखा करते थे। वे कभी पानी में डुबकी लगाते थे, तो कभी किनारे पर आ जाते थे। जब वे गले की झिल्ली फुलाकर टर्र-टरी किया करते थे, तो हमें बड़ा मज़ा आता था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 11.
प्रायः अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज्यादा रुचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए –
(क) खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं?
(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर :
(क) जीवन में खेल का बहुत महत्व है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेल परम आवश्यक है। स्वस्थ शरीर वाला व्यक्ति संसार के सभी सुखों को प्राप्त करता है। खेल-कूद से शरीर ही स्वस्थ नहीं रहता अपितु उसका बौद्धिक विकास भी होता है। इससे मनुष्य को मानसिक थकावट नहीं होती; शरीर में स्फूर्ति आती है; शिथिलता और आलस्य दूर भागता है। खेलने से बच्चों में एकता की भावना का विकास होता है। उनमें मिल-जुलकर रहने की आदत का विकास होता है। दूसरे बच्चों के साथ खेलने से बच्चे अकेलेपन का शिकार नहीं होते। खेल से बच्चों में नेतृत्व, अनुशासन, धैर्य, सहनशीलता, मेल-जोल, सहयोग आदि के गुण स्वतः ही विकसित हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए खेल ज़रूरी है।

(ख) खेल से बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। परंतु अधिक खेलना बच्चों के भविष्य के लिए खतरनाक है। इसलिए बच्चों के लिए कुछ ऐसे नियम बनाने चाहिए, जिससे उनके खेलने और पढ़ाई में संतुलन बना रहे। बच्चों को खेलने का समय निर्धारित करना चाहिए। खेलने से पहले उन्हें अपना स्कूल का कार्य समाप्त कर लेना चाहिए। इससे अभिभावकों को भी उनके खेलने से परेशानी नहीं होगी। खेलने के बाद कुछ शारीरिक थकावट अवश्य होती है, परंतु कुछ देर आराम करने के बाद शरीर और दिमाग ताजगी से भर जाते हैं।

उस समय स्कूल से मिले अन्य कार्य पूरे किए जा सकते हैं तथा माता-पिता के कार्य में उनकी सहायता की जा सकती है। बच्चों को ऐसे खेल खेलने चाहिए जिनमें चोट लगने का डर न हो। उन्हें सड़क के बीच में नहीं खेलना चाहिए। खेल ऐसे न हों, जिनसे उन्हें या दूसरों को कोई नुकसान पहुँचे। खेलने के लिए खुले स्थान का चुनाव करना चाहिए, जो घर से अधिक दूर न हो। यदि बच्चे अपने बनाए नियमों का उचित ढंग से पालन करें, तो अभिभावक भी उनको खेलने से मना नहीं करेंगे। अभिभावकों को भी पता होता है कि खेलने से बच्चों में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक गुणों का विकास होता है।

JAC Class 10 Hindi सपनों के-से दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक के साथ खेलने वाले बच्चों की हालत कैसी होती थी?
उत्तर :
लेखक के साथ खेलने वाले सभी बच्चों का हाल एक जैसा होता था। बच्चों के पैर नंगे होते थे। उन्होंने फटी-मैली कच्छी पहनी होती थी। उनके कुर्ते बिना बटनों के होते थे। कई बच्चों के कुर्ते फटे हुए भी होते थे। अधिकतर बच्चों को खेलते समय चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर पहुँचकर माँ, बहन या पिताजी से बहुत मार पड़ती थी। किसी को भी चोट में से बहते खून को देखकर तरस नहीं आता था।

प्रश्न 2.
लेखक के समय में अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में दिलचस्पी क्यों नहीं लेते थे?
उत्तर :
लेखक के समय में बच्चों या अभिभावकों को स्कूल में कोई खास दिलचस्पी नहीं होती थी। जिन बच्चों की पढ़ाई में रचचि नहीं होती थी, वह अपना बस्ता किसी तालाब में फेंक आते और फिर कभी स्कूल नहीं जाते थे। अभिभावक भी बच्चों को अपने साथ अपने काम में लगा लेते थे। उनके अनुसार पढ़-लिखकर उन्होंने कौन-सा तहसीलदार बनना था। उनकी यही सोच बच्चों को स्कूल से दूर रखती थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

प्रश्न 3.
“बचपन में घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है”-लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
बचपन में बच्चे हर प्रकार के भेदभाव, समस्याओं तथा छल-कपट से दूर होते हैं। उनकी अपनी अलग दुनिया होती है, जिसमें वे मस्त रहते हैं। वे इस बात से बेखबर होते हैं कि उनके आस-पास के संसार में क्या हो रहा है। वे अपने दुख में दुखी और अपनी खुशी में खुश होते हैं, इसलिए उनके लिए अपने आस-पास का वातावरण अधिक खुशगवार और सुहावना होता है। उन्हें पतझड़ में भी बहार दिखाई देती है। बचपन में बच्चे अल्हड़ और अलमस्त होते हैं, इसलिए उन्हें घास अधिक हरी और फूलों की सुगंध अधिक मनमोहक लगती है।

प्रश्न 4.
लेखक को बचपन में स्कूल जाते समय किन-किन चीज़ों की महक आज भी याद है?
उत्तर :
लेखक को अपने बचपन के दिन और स्कूल आज भी अच्छी तरह याद हैं। कुछ चीज़ों की महक उसे आज भी अच्छी तरह से याद है। उनके स्कूल के अंदर जाने के रास्ते के दोनों ओर अलियार के बड़े ढंग से कटे-छाँटे झाड़ उगे हुए थे। उनमें से आने वाली नीम के पत्तों जैसी महक लेखक आज भी आँख बंद करके अनुभव कर सकता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे होते थे। उन फूलों को वे चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे। उन फूलों की तेज़ गंध को भी लेखक आँख बंद करके अनुभव कर सकता है।

प्रश्न 5.
लेखक बचपन में अपनी छुट्टियों को किस प्रकार व्यतीत करता था?
अथवा
तालाब में तैरने का आनंद लेखक कैसे लेता था?
उत्तर :
लेखक अपनी छुट्टियाँ खेलने-कूदने में व्यतीत करता था। छुट्टियाँ होते ही वह अपनी माँ के साथ नाना के घर चला जाता था। वहाँ का तालाब भी उनके घर के पास वाले तालाब जितना ही बड़ा था। दोपहर तक तालाब पर नहाते थे, फिर घर आकर नानी से कुछ भी माँगकर खा लेते थे। जिस साल लेखक नाना के घर नहीं जाता था, उस साल अपने घर के पास बने तालाब में मित्रों के साथ नहाता था। तालाब में नहाकर वे पास के टीले की रेत में खेलते थे। उस टीले की गरम रेत को अपने शरीर पर लगाते थे। फिर रेत को धोने के लिए तालाब में छलाँग लगाते थे। ऐसा दिन में कितनी बार करते थे, यह उन्हें याद नहीं था। ऐसे ही उनकी छुट्टियाँ खेल-कूद में बीत जाती थीं।

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प्रश्न 6.
पाठ में वर्णित ‘ओमा’ का व्यक्तित्व कैसा था?
अथवा
ओमा का लड़ाई करने का क्या ढंग था?
उत्तर :
लेखक के साथियों में ‘ओमा’ उनका नेता था। ओमा बहुत बहादुर था। वह किसी से नहीं डरता था। उस जैसा लड़का उनके समूह में नहीं था। ओमा’ की सूरत सबसे भिन्न थी। उसका सिर बहुत बड़ा था, ऐसा लगता था जैसे बड़ा मटका हो। उसका कद छोटा था, इसलिए छोटे कद पर बड़ा सिर अजीब लगता था। उसका सिर जितना बड़ा था, चेहरा उतना ही छोटा था। उसकी बातें, गालियाँ और मारपीट का ढंग अलग ही था। वह अपने हाथ-पैरों से नहीं लड़ता था। वह अपने सिर से लड़ने वाले की छाती पर वार करता था। उससे दुगुने शरीर वाले लड़के भी उसके वार को सहन नहीं कर सकते थे। उसके सिर की चोट पड़ते ही लड़के दर्द से चिल्लाने लगते थे। उसके सिर की टक्कर को लड़के ‘रेल-बम्बा’ कहकर बुलाते थे।

प्रश्न 7.
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव कैसा था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का स्वभाव सरल था। वह कभी किसी की पिटाई नहीं करते थे। वह पाँचवीं कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेज़ी पढ़ाते थे। वह उस समय के मास्टरों से भिन्न थे। वे बच्चों की चमड़ी उधेड़ने में विश्वास नहीं करते थे। यदि उन्हें किसी बच्चे पर क्रोध आ भी जाता तो वे जल्दी आँखें सकपकाने लगते थे। अपने हाथ से इस प्रकार थप्पड़ लगाते थे, जैसे हाथ में नमकीन पापड़ी पकड़ ली हो। बच्चों को उनके पीरियड में पढ़ना सबसे अधिक अच्छा लगता था।

प्रश्न 8.
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर किस प्रकार उसकी पढ़ाई पूरी हुई थी?
उत्तर :
लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति कमज़ोर थी। उस समय एक-दो रुपये में सारी किताबें आ जाया करती थीं, परंतु यह उस समय में बड़ी रकम समझी जाती थी, जिससे घर का गुजारा अच्छी तरह हो सकता था। इसलिए उन दिनों अमीर परिवारों के बच्चे स्कूल जाया करते थे। लेखक अपने दो परिवारों में पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। उसके परिवार की स्थिति देखते हुए हेडमास्टर शर्मा जी एक अमीर बच्चे की किताबें लाकर उसको दे देते थे। कॉपियों, पेंसिलों, होल्डर या स्याही-दवात पर साल भर में मुश्किल से एक या दो रुपये खर्च होता था। यदि हेडमास्टर शर्मा जी उसकी मदद नहीं करते, तो उसकी तीसरी-चौथी कक्षा में ही पढ़ाई छूट जाती।

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प्रश्न 9.
आज का बचपन लेखक के बचपन से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर :
आज का बचपन लेखक के बचपन से बहुत भिन्न है। आजकल के बच्चों के पास पहले के बच्चों की तरह न खेलने का समय है आज और न ही खुला स्थान है। बच्चों को बचपन से ही बड़े होकर डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ और बनने के लिए उकसाया जाता है, जिससे बच्चे महत्वाकांक्षी बन जाते हैं। वे भी अपना भविष्य बनाने के लिए खेल-कूद को बेकार समझने लगते हैं। आज के बच्चे लेखक के मस्त, अल्हड़ या ब समाप्त होती जा रही है। बच्चों के सार्वभौमिक विकास के लिए उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए, जिससे वे बड़े होकर एक अच्छा नागरिक बन देश और समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकें।

प्रश्न 10.
ननिहाल जाने पर लेखक को क्या सुख मिलता था?
उत्तर :
छुट्टियों में लेखक अपनी माँ के साथ ननिहाल चला जाता था। वहाँ नानी उसे खूब दूध, दही, मक्खन खिलाती थी। वह उसे बहुत प्यार करती थी। वहाँ वह तालाब में खब नहाता और बाद में नानी से जो मन में आता, माँगकर खाता था।

प्रश्न 11.
फ़ौज में भर्ती करने के लिए अफ़सरों के साथ नौटंकी वाले क्यों आते थे?
उत्तर :
लेखक जहाँ रहता था, वहाँ के लोगों को अंग्रेज़ ‘जबरन’ फ़ौज में भर्ती नहीं कर पा रहे थे। इसलिए लोगों को फ़ौज में भर्ती होने का लालच देने के लिए वे नौटंकी वालों के साथ आते और रात को गाँव में खुले मैदान में शामियाने लगाकर नौटंकी वालों से फ़ौज के सुख-आराम, बहादुरी आदि के दृश्यों का मंचन करवाते थे। इसके साथ ही कुछ मसखरे गाने भी गाते थे, जिनसे आकर्षित होकर कई नौजवान फ़ौज में भर्ती होने के लिए तैयार हो जाते थे।

प्रश्न 12.
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक क्या सोचा करता था ?
उत्तर :
स्कूल की पिटाई का डर भुलाने के लिए लेखक उन बहादुर लड़कों के समान यह सोचा करता था कि छुट्टियों का काम करने की बजाय मास्टरों की पिटाई अधिक सस्ता सौदा है। ऐसे में उसे ओमा याद आ जाता था, जो उन जैसे सब लड़कों का नेता था।

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प्रश्न 13.
हेडमास्टर साहब का विद्यार्थियों के साथ कैसा व्यवहार था?
उत्तर :
हेडमास्टर शर्मा जी का अपने विद्यार्थियों के साथ व्यवहार अत्यंत मृदुल था। वे पाँचवीं और आठवीं कक्षा को अंग्रेजी पढ़ाते थे। वे कभी भी किसी विद्यार्थी को डाँटते नहीं थे। जब कभी उन्हें गुस्सा आता, तो वे बहुत जल्दी-जल्दी अपनी आँखें झपकाते हुए उल्टी उँगलियों से एक हल्की-सी चपत लगा देते थे। यह चपत विद्यार्थियों को भाई भीखे की नमकीन पापड़ी जैसी मज़ेदार लगती थी।

सपनों के-से दिन Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘सपनों के-से दिन’ पाठ के लेखक ‘गुरदयाल सिंह’ हैं। इस पाठ के माध्यम से लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन किया है। बच्चों को स्कूल की पढ़ाई से अधिक साथियों के साथ खेलना अच्छा लगता है। स्कूल उन्हें जेल के समान प्रतीत होता है। लेखक बचपन में जिन बच्चों के साथ खेलता था, उन सभी की पारिवारिक स्थिति लगभग एक जैसी थी। प्राय: सभी बच्चे मैली कच्छी और टूटे बटनों वाला कुर्ता पहने हुए होते थे। खेलते हुए प्रायः घुटने, पैर और पिंडलियों पर चोट लग जाती थी। चोट लगने पर घर में किसी को तरस नहीं आता था।

चोट देखकर माँ, बहन या पिता के हाथ से जोरदार पिटाई होती थी। पिटाई होने के बावजूद बच्चे फिर अगले दिन खेलने के लिए तैयार हो जाते थे। लेखक और उसके साथियों में से अधिकतर बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। उन दिनों यदि बच्चों को स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था, तो माँ-बाप भी उनके साथ जबरदस्ती । नहीं करते थे। वे भी बच्चों को अपने साथ काम में लगा लेते थे।

थोड़ा-सा बड़े होने पर वे बच्चों को बहीखाते का हिसाब-किताब सिखा देना आवश्यक समझते थे। बचपन में बच्चों को सबकुछ अच्छा लगता था, केवल उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था। लेखक को अपने स्कूल जाने का रास्ता याद था, जिसके दोनों ओर काँटेदार झाड़ियाँ थीं। उनके पत्तों की महक नीम जैसी थी, जिसे लेखक आज भी अपनी साँसों में अनुभव करता है। स्कूल की क्यारियों में कई तरह के फूल लगे हुए थे, जिन्हें वे लोग चपरासी की नज़र बचाकर तोड़ लेते थे।

उन फूलों की खुशबू आज भी याद है। नई कक्षा में जाना अच्छा लगता था, परंतु साथ में डर भी लगता था कि मास्टरों से पहले से अधिक मार पड़ेगी। उन दिनों स्कूल में डेढ़ महीना पढ़ाई होने के बाद डेढ़-दो महीने की छुट्टियाँ होती थीं। छुट्टियों के शुरू के दो-तीन सप्ताह खेलने में बीत जाते थे। वे अपनी माँ के साथ नाना के घर जाकर छुट्टियों का भरपूर आनंद लेते थे। यदि किसी कारण नाना के घर नहीं जाते थे, तो घर के पास बने तालाब में सारा दिन खेलते थे।

तालाब में नहाकर गीले बदन ही पास में पड़ी रेत में खेलते और फिर से तालाब में कूद जाते। ऐसा वे एक बार नहीं, न जाने कितनी बार करते थे। उनमें कोई भी अच्छा तैराक नहीं था। यदि कोई बच्चा गहरे पानी में चला जाता था, तो दूसरे बच्चे उसे भैंस के सींग या पूँछ पकड़कर बाहर आने की सलाह देते थे। इसी तरह छुट्टियों का एक महीना बीत जाता था। एक महीना शेष रहने पर स्कूल से मिले काम की याद आने लगती थी। हिसाब के अध्यापक दो सौ सवाल करके लाने के लिए कहते थे। बच्चे अपने मन में हिसाब लगाते थे कि यदि दस सवाल भी प्रतिदिन किए जाएँ, तो बीस दिन में काम समाप्त हो जाएगा। इसलिए दस दिन और खेला जा सकता है।

दस की बजाय पंद्रह दिन खेल में निकल जाते थे। पंद्रह सवाल प्रतिदिन करने की सोचकर एक-दो दिन और खेल में निकल जाते थे। ऐसे ही हिसाब लगाते लगाते छुट्टियाँ कम होती जाती थीं और स्कूल जाने का भय सताने लगता था। कुछ सहपाठियों को छुट्टियों में काम करने की अपेक्षा स्कूल में मास्टर के हाथ से मार खाना अधिक सस्ता सौदा लगता था। लेखक जो पिटाई से डरता था, वह भी उनकी संगत में रहकर उनकी तरह सोचने लगता था। उनका नेता ‘ओमा’ था। ‘ओमा’ की सभी बातें अलग ढंग की थीं।

लड़ाई में उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था। लेखक का स्कूल बहुत छोटा था। उसमें केवल नौ कमरे थे। दाईं ओर से पहला कमरा मुख्याध्यापक श्री मदनमोहन शर्मा का था। पीटी मास्टर प्रीतम चंद की पिटाई के डर से सभी बच्चे प्रार्थना में सीधे कतारों में खड़े रहते थे। यदि कोई बच्चा उसे पीटी मास्टर बुरी तरह पीटते थे। मास्टर प्रीतम चंद से विपरीत स्वभाव वाले हेडमास्टर शर्मा थे। वे कभी किसी बच्चे को नहीं मारते थे। वे पाँचवीं कक्षा से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाते थे। लेखक को अपना स्कूल कभी पसंद नहीं आया।

पहली कक्षा से लेकर चौथी कक्षा तक अधिकतर बच्चे स्कूल रोते हुए जाते थे। उन्हें स्कूल स्काउटिंग का अभ्यास करते समय अच्छा लगता था। पीटी मास्टर अभ्यास करवाते समय नीली-पीली झंडियाँ बच्चों के हाथों में दे देते थे। अभ्यास के समय वे खाकी वर्दी के साथ गले में दो रंगा रूमाल पहनते थे। जब कभी अभ्यास करते हुए पीटी मास्टर के मुँह से ‘शाबाश’ का शब्द सुनने को मिल जाता, तो उस समय ऐसा लगता जैसे फौज में मिलने वाले सभी तमगे उन्हें मिल गए हों।

लेखक के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए हेडमास्टर शर्मा एक अमीर परिवार के लड़के की किताबें लाकर उसे दे देते थे। अपने स्कूल के हेडमास्टर के कारण ही लेखक अपनी शुरू की पढ़ाई पूरी कर सका। लेखक अपने परिवार का पहला लड़का था, जो स्कूल जाने लगा था। लेखक को नई कक्षा में जाने पर कभी कोई खुशी अनुभव नहीं होती थी। उसे किताबों और कॉपियों में से अजीब-सी गंध आती थी, जिससे उसका मन उदास हो जाता था। इसका कारण उसे आज भी समझ में नहीं आता।

इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण हो सकते थे; जैसे-आगे की पढ़ाई का कठिन होना या नए मास्टरों से मार का भय। यह भय मन के अंदर गहरी जड़ें जमा चुका था। इसलिए लेखक को नई कक्षा में जाने का कोई उत्साह नहीं होता था। उसे स्कूल उस समय अच्छा लगता था, जब मास्टर प्रीतम चंद उनसे परेड करवाते थे। फ़ौजी वर्दी पहनकर वे स्वयं को महत्वपूर्ण व्यक्ति समझने लगते थे। दूसरे विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों ने 1923 में नाभा रियासत के राजा को तमिलनाडु के कोडाएकेनाल में गिरफ्तार कर लिया था। उनका बेटा बाहर पढ़ता था, इसलिए रियासत में अंग्रेज़ी शासन की चलती थी।

उस समय अंग्रेजी फौज़ में भर्ती करने के लिए कुछ अफसर नौटंकी वालों को अपने साथ लेकर गाँव-गाँव जाते थे वे ग्रामीण लोगों को नौटंकी वालों के माध्यम से फौज़ में भर्ती होने के लाभ दिखाते थे, जिससे लालच में आकर अनेक लोग फौज़ में भर्ती हो जाते थे। लेखक को भी स्काउटिंग की परेड में जब धुली वर्दी और पॉलिश किए बूट मिलते थे, तो वह स्वयं को फौजी से कम नहीं समझता था। बच्चों ने कभी मास्टर प्रीतम चंद को हँसते या मुस्कुराते हुए नहीं देखा था। उनका व्यक्तित्व और फौज़ी पहनावा बच्चों को भयभीत करने वाला था। बच्चे उनसे डरते ही नहीं थे अपितु नफ़रत भी करते थे। मास्टर प्रीतम चंद चौथी कक्षा के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाते थे। एक दिन उन्होंने सभी बच्चों को शब्द-रूप याद करने के लिए कहा।

अगले दिन उन्होंने सब बच्चों से शब्द-रूप सुने, परंतु किसी भी बच्चे को पूरी तरह शब्द-रूप याद नहीं थे। मास्टर जी ने सभी बच्चों को टाँगों के पीछे से बाँहें निकालकर कान पकड़ने और पीठ ऊँची करने के लिए कहा। कमजोर बच्चे सहन नहीं कर सके; तीन चार मिनट बाद वे गिरने लगे थे। जब लेखक की बारी आई, उसी समय हेडमास्टर शर्मा जी उधर से निकले। उन्होंने पीटी सर को बच्चों से इतना बुरा व्यवहार करते देखा, तो उन्हें सहन नहीं हुआ। उन्होंने उन्हें बहुत डाँटा और उनकी शिकायत डायरेक्टर को लिखकर भेज दी।

जब तक ऊपर से आदेश नहीं आ जाते थे, तब तक पीटी सर स्कूल में नहीं आ सकते थे। लेकिन बच्चों के मन में फ़ारसी की घंटी बजते ही दहशत बैठ जाती थी। वह उस समय दूर होती थी, जब कक्षा में शर्मा जी या नौहरिया सर फ़ारसी पढ़ाने नहीं आ जाते थे। पीटी मास्टर कई दिनों तक स्कूल नहीं आए। वे बाजार में एक दुकान के ऊपर बने किराए के चौबारे में रहते थे। उन्होंने दो तोते पाले हुए थे। उन्हें नौकरी से निकाले जाने की कोई चिंता नहीं थी। वे अपने तोतों को बादाम खिलाते और उनसे मीठी-मीठी बातें करने में अपना दिन व्यतीत करते थे। बच्चों को यह एक चमत्कार लगता था कि जो मास्टर स्कूल में बच्चों को बुरी तरह मारता था, वह अपने तोतों के साथ कैसे मीठी बातें कर लेता था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

कठिन शब्दों के अर्थ :

लहू – खून, गुस्सैल – गुस्से वाले, ट्रेनिंग – प्रशिक्षण, लंडे – हिसाब-किताब लिखने की पंजाबी लिपि, बहियाँ – खाता, जिसमें हिसाब-किताब लिखा जाता है, – अनुभव, खेडण – खेलने के, सुगंध – खुशबू, बास – महक, फ़र्क – अंतर, चपड़ासी – चपरासी, ननिहाल – नाना का घर, दुम – पूँछ, दाढ़स – धीरज, गंदला – गंदा, कतार – पंक्ति, खाल खींचना – बुरी तरह मारना,

चपत – थप्पड़, तमगा – मेडल, डिसिप्लिन – अनुशासन, सतिगुर – सतगुरु, परमात्मा, धनाढ्य – अमीर, हरफनमौला – पारंगत, विद्वान, हर शिक्षा में निपुण, लेफ्ट-राइट – बायाँ-दायाँ, विह्सल – सीटी, टर्न – मुड़ना, रियासत – राज्य, जंग – लड़ाई, देहांत – स्वर्गवास, जबरन – ज़बरदस्ती, बलपूर्वक, अठे – यहाँ, उठै – वहाँ, लीतर – टूटे हुए पुराने जूते, बर्बरता – हैवानियत, बहुत बुरा व्यवहार, मुअत्तल – निलंबित, महकमाए तालीम – शिक्षा विभाग, मंजूरी – अनुमति बहाल करना – फिर से नौकरी पर रखना

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

JAC Class 10 Hindi हरिहर काका Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं ?
अथवा
हरिहर काका के प्रति लेखक की आसक्ति के क्या कारण थे?
उत्तर :
कथावाचक और हरिहर काका के मध्य स्नेह का संबंध है। यद्यपि हरिहर काका के प्रति स्नेह के कई वैचारिक और व्यावहारिक कारण हैं, लेकिन उनमें से दो कारण प्रमुख हैं। पहला कारण यह था कि हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे। दूसरा कारण यह था कि हरिहर काका ने कथावाचक को बहुत प्यार-दुलार दिया था। हरिहर काका उसे बचपन में अपने कंधे पर बैठाकर गाँव भर में घुमाया करते थे। हरिहर काका नि:संतान थे, इसलिए वे एक पिता की तरह कथावाचक की देखभाल करते थे। जब लेखक बड़ा हुआ, तो उसकी पहली मित्रता हरिहर काका के साथ हुई थी। हरिहर काका ने उसकी मित्रता स्वीकार करते हुए, उससे अपने मन की सारी बात की थी। वे उससे कुछ नहीं छिपाते थे। यही कारण था कि हरिहर काका और कथावाचक में उम्र का अंतर होते हुए भी बहुत गहरा संबंध था।

प्रश्न 2.
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगते हैं?
उत्तर :
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगते हैं, क्योंकि दोनों में ही स्वार्थ और हिंसावृत्ति की भावना विद्यमान थी। हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे जमीन थी। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए महंत और हरिहर काका के भाई उनके खेत अपने नाम लिखवाना चाहते थे। हरिहर काका अपने जीवित रहते ऐसा नहीं करना चाहते थे, इसलिए महंत और उनके भाई अपने-अपने ढंग से खेत हथियाने के लिए उन पर अत्याचार करने लगे।

दूसरों को मोह-माया से दूर रहने तथा अपना अगला जन्म सुधारने का उपदेश देने वाला महंत हरिहर काका के खेतों को अपने नाम करवाने के लिए उन्हें मारने के लिए तैयार हो जाता है। दूसरी ओर खून के रिश्ते अर्थात उनके सगे भाई भी खेतों को लेकर उनके खून के प्यासे हो जाते हैं। यही कारण था कि हरिहर काका को दोनों गुट एक ही श्रेणी के लगते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 3.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उनसे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर :
कथावाचक के गाँव में तीन स्थान प्रमुख थे-तालाब, पुराना बरगद का वृक्ष और ठाकुरबारी। ठाकुरबारी में सुबह-शाम ठाकुर जी की पूजा होती थी। गाँव के लोगों में ठाकुर जी के प्रति अगाध श्रद्धा थी। वे लोग अपने हर कार्य की छोटी-बड़ी सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देते थे। जिसको जैसी सफलता मिलती थी, वह ठाकुर जी को वैसा ही चढ़ावा चढ़ाता था। यह चढ़ावा रुपये, जेवर और अनाज के रूप में होता था। यदि किसी को अपने कार्य में बहुत अधिक सफलता मिलती थी, तो वह अपनी जमीन का छोटा-सा भाग ठाकुर जी के नाम लिख देता था। इस प्रकार ठाकुर जी के प्रति लोगों के अंधविश्वास का पता चलता है। लोगों के इस विश्वास के कारण ही गाँव के विकास की अपेक्षा ठाकुर जी का विकास हज़ार गुणा हो गया था।

प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“हरिहर काका एक सीधे सादे और भोले किसान की अपेक्षा चतुर हो चले थे’ कथन के संदर्भ में 60-70 शब्दों में विचार व्यक्त करें।
उत्तर :
हरिहर काका कथावाचक के पड़ोस में रहते थे। वे बहुत समझदार व्यक्ति थे। उनके तीन भाई थे। तीनों भाइयों का अपना परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, लेकिन दोनों पत्नियों से उनकी एक भी संतान नहीं थी। दोनों पलियाँ भी जल्दी स्वर्ग सिधार गई थीं। लोगों ने उन्हें तीसरी शादी के लिए कहा, लेकिन उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण इनकार कर दिया था। इस प्रकार तीनों भाइयों का उनके हिस्से के खेतों पर अधिकार था। आरंभ में हरिहर काका की घर में उचित देखभा ने भी काका की देखभाल की जिम्मेदारी अपनी पत्नियों पर डाल दी थी। बाद में उनकी पत्नियों ने हरिहर काका की देखभाल में अनदेखी आरंभ कर दी।

हरिहर काका को बहुत दुख हुआ। उनके दुखी और कोमल हृदय का लाभ ठाकुरबारी के महंत ने उठाना आरंभ कर दिया। उन्होंने काका को अपना अगला जन्म सुधारने के लिए अपने खेत ठाकुरबारी के नाम लिखने के लिए कहा। उधर भाइयों को जब इस बात की भनक लगी, तो उन्होंने भी काका पर दबाव डालना आरंभ कर दिया। हरिहर काका स्वभाव से सीधे व्यक्ति थे, परंतु उन्हें दुनिया का बहुत ज्ञान था। वे जानते थे कि भाइयों व महंत द्वारा उसकी आवभगत करना केवल स्वार्थ और लालच पर आधारित है।

वे अपने जीवित रहते हुए अपने खेत किसी के भी नाम नहीं करना चाहते थे। उन्होंने ऐसे बहुत-से लोगों को देखा था, जिन्होंने जीवित रहते अपना सबकुछ अपने उत्तराधिकारियों के नाम लिख दिया और बाद में उन्हें पछताना पड़ा। इसलिए वे जीवित रहते अपने खेत किसी के भी नाम नहीं लिखना चाहते थे। इससे लगता है कि अनपढ़ होते हुए भी उन्हें दुनिया का बेहतर ज्ञान था।

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प्रश्न 5.
अथवा
महंत ने हरिहर काका से ज़मीन नसीयत होते न देख क्या उपाय सोचा?
उत्तर :
हरिहर को ज़बरदस्ती उठाकर ले जाने वाले ठाकुरबारी के महंत के आदमी थे। महंत हरिहर काका के खेत अपने नाम लिखवाना चाहते थे। जब उन्होंने देखा कि हरिहर काका सीधे ढंग से उनके नाम खेत नहीं लिखना चाहते, तो उन्होंने हरिहर काका को घर से उठवा लिया। महंत ने हरिहर काका को ठाकुरबारी के एक कमरे में बंद कर दिया था और उन्हें मारा-पीटा गया। उनसे कोरे कागज़ों पर ज़बरदस्ती अंगूठे का निशान लगवा लिया गया। बाद में उनके हाथों-पैरों को कपड़े से बाँध दिया और मुँह में कपड़ा लूंसकर कमरे में बंद कर दिया।

प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर :
हरिहर काका को लेकर गाँव वाले दो गुटों में बँट गए थे। एक गुट महंत के पक्ष में था और दूसरा गुट उनके भाइयों के पक्ष में था। महंत के पक्ष के लोग धार्मिक संस्कारों के लोग थे। उनकी राय थी कि हरिहर काका को अपनी ज़मीन ठाकुरबारी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनकी कीर्ति अचल बनी रहेगी। यह वे लोग थे, जिनका पेट ठाकुर जी को लगाए भोग अर्थात हलवा-पूड़ी से भरता था; उन्हें सारा दिन कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी। दूसरे गुट में गाँव के सामाजिक विचारों वाले लोग अर्थात किसान थे। ऐसे लोगों की स्थिति हरिहर काका जैसी थी। वे खून के रिश्तों में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार व्यक्ति का गुजारा अपने परिवार से ही होता है। इस प्रकार हरिहर काका के मामले को लेकर गाँव वाले अपनी-अपनी राय दे रहे थे।

प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
उत्तर :
हरिहर काका के तीन भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की, लेकिन उनके संतान नहीं हुई। दोनों पत्नियों के मरने के बाद हरिहर काका ने अपना सारा समय भजन-कीर्तन और भाइयों के परिवार में बिताना आरंभ कर दिया। शुरू-शुरू में उनका बहुत आदर-सत्कार होता था। लेकिन बाद में उन्हें रूखा-सूखा खाने को देते थे या फिर वह भी देना भूल जाते थे। जिस दिन हरिहर काका ने अपने खेतों पर अधिकार जमाया, उसी दिन से तीनों भाई और महंत उनका भरपूर ख्याल रखने लगे।

हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी समझ गए थे कि यह सारा आदर-सत्कार उनके खेतों के कारण है। इसलिए उन्होंने अपने जीवित रहते अपने खेत किसी एक के नाम करने से मना कर दिया। उसी दिन से भाई और महंत उनके दुश्मन हो गए। हरिहर काका उन लोगों से भयमुक्त हो गए थे, क्योंकि वे अपनी कीमत जान चुके थे। इसलिए वे अपने खेतों का उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाना चाहते थे। जब तक खेत उनके पास हैं, तब तक सभी उनके इर्द-गिर्द घूम रहे हैं, बाद में उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है-इस सत्य को उन्होंने जान लिया था। इसलिए वे अपने भाइयों द्वारा मारने की धमकी देने से भी नहीं डरे अर्थात उन्होंने जीवित रहते मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 8.
समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है ? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज का समाज भौतिकवाद की ओर अग्रसर हो रहा है जिससे मानवीय रिश्तों का महत्व कम होता जा रहा है। सभी रिश्तों में स्वार्थ दिखाई देता है। आजकल घरों में बड़े आदमी को कोई नहीं पूछता; वे घर में सजावटी वस्तु बनकर रह गए हैं। सभी लोग आज की भागती-दौडती जिंदगी के साथ कदम मिलाने के लिए भाग रहे हैं, जिससे किसी के पास भी एक-दूसरे का सुख-दुख जानने का समय नहीं रहा है। भौतिकवादी और दिखावापसंद जीवन ने घर के बुजुर्गों और बच्चों को एक-दूसरे से दूर कर दिया है। इससे आज की पीढ़ी मानवीय रिश्तों को समझने में नाकाम हो गई है। समाज में रिश्तों की अहमियत में कमी आने से मनुष्य ने अपना स्वाभाविक स्वरूप खो दिया है।

प्रश्न 9.
यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
उत्तर :
यदि हमारे घर के आस-पास हरिहर काका जैसी स्थिति वाले बुजुर्ग होंगे, तो हम उनकी पूरी मदद करेंगे। पहले उनके इस फैसले का समर्थन करेंगे कि जीवित रहते अपने खेतों को किसी और के नाम नहीं लिखेंगे। आज के भौतिकवाद की ओर बढ़ते समाज में बुजुर्गों की स्थिति घर में पहले जैसी नहीं रह गई है, इसलिए सरकार और कई अन्य सामाजिक संस्थाओं ने ऐसे वृद्धाश्रम खोल दिए हैं, जहाँ घर में उपेक्षित लोग वहाँ आराम से रह सकें। ऐसे ही वृद्धाश्रम में हम उनके रहने का उचित प्रबंध करेंगे, जहाँ वे अपनी उम्र के दूसरे
लोगों के बीच अपने को सुरक्षित अनुभव करेंगे।

प्रश्न 10.
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हरिहर काका का जिस प्रकार से धर्म और खून के रिश्तों से विश्वास उठ चुका था, उससे वे मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। वे बिलकुल चुप रहते थे। किसी की भी बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती, तो उनकी स्थिति भिन्न होती। मीडिया उनकी स्थिति तथा उनके साथ हुए दुर्व्यवहार की बात को दुनिया के सामने लाती। धर्म के नाम पर संपत्ति इकट्ठा करने वाले महंत का असली चेहरा लोगों के सामने आता।

खून के रिश्ते किस प्रकार निजी स्वार्थ के कारण अपने घर के सदस्य की जान के प्यासे हो जाते हैं-इस बात से दुनिया को अवगत करवाती। हरिहर काका को मीडिया उचित न्याय दिलवाती। उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में मदद करती। जिस प्रकार के दबाव में वे जी रहे थे, वैसी स्थिति मीडिया की सहायता मिलने के बाद नहीं होती।

JAC Class 10 Hindi हरिहर काका Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘हरिहर काका’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ कहानी के कथाकार मिथिलेश्वर हैं। हरिहर काका कथाकार के पड़ोस में रहते थे। कथाकार ने हरिहर काका के माध्यम से हमारे पारिवारिक जीवन तथा हमारे आस्था के प्रतीक धर्मस्थालों पर व्याप्त होती जा रही स्वार्थ लिप्सा को उजागर किया है। हरिहर काका संयुक्त परिवार में रहते थे। वे चार भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए उनकी जायदाद के हकदार उनके परिवार के सदस्य थे।

परंतु घर में कुछ इस प्रकार की घटनाएं घटती हैं, जिसका लाभ ठाकुरबारी के महंत उठाना चाहता है। महंत हरिहर काका को लोक-परलोक सुधारने के लिए अपनी जमीन ठाकुर जी के नाम लिखने के लिए कहता है। यह बात भाइयों को पता चलती है। वे भी हरिहर खून के रिश्तों का दिखावा करके काका से जायदाद उनके नाम करने को कहते हैं। इस खींचतान में हरिहर काका के सामने धर्म और परिवार दोनों का असली चेहरा आता है। उन्हें धर्म का नाम लेकर लोगों को फँसाने वाले महंत और अपने परिवार से घृणा हो जाती है।

यह नफ़रत उन्हें कभी न खत्म होने वाली चुप्पी साध लेने को मजबूर कर देती है। इस कहानी के माध्यम से कथाकार ने घर और धर्म का असली चेहरा लोगों के सामने रखा है। घर एक ऐसा स्थान होता है, जहाँ लोग अपने सुख-दुख, खुशी-गम आपस में बाँटते हैं। धर्मस्थल वे स्थान होते हैं, लोगों में अपनेपन और सहृदयता के संस्कार देते हैं। परंतु स्वार्थलिप्सा और हिंसावृत्ति के चलते घर और धर्मस्थल दोनों ही अराजकता, अनाचार और अन्याय पथ पर अग्रसर हैं। इसी उद्देश्य को कथाकार ने हरिहर काका के माध्यम से स्पष्ट किया है।

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प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर ‘हरिहर काका’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ कहानी के लेखक मिथिलेश्वर हैं। इस कहानी के मुख्य पात्र हरिहर काका हैं। हरिहर काका का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है –
1. परिचय – ‘हरिहर काका’ लेखक के पड़ोस में रहते थे। वे एक संयुक्त परिवार के सदस्य थे। उनके तीन भाई थे। तीनों भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, परंतु उनकी एक भी संतान नहीं हुई। उनके परिवार के पास साठ बीघे खेत थे।

2. धार्मिक विचारों वाले – हरिहर काका धार्मिक विचारों वाले थे। वे अपना कृषि से बचा समय गाँव की ठाकुरबारी में व्यतीत करते थे। वहाँ वे भजन-कीर्तन में ध्यान लगाते थे।

3. संस्कारशील – हरिहर काका संस्कारों को मानने वाले व्यक्ति थे। दोनों पत्नियों के मरने के बाद लोगों ने उन्हें तीसरी शादी करने के लिए कहा परंतु उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र तथा धार्मिक संस्कारों के कारण शादी से इनकार कर दिया।

4. सहनशील – हरिहर काका सहनशील व्यक्ति थे। उनको अपने परिवार में उचित सम्मान नहीं मिलता था। लेकिन वे अपने परिवार की बेरुखी चुपचाप सहन करते हैं।

5. ममतालु – हरिहर काका का स्वभाव दूसरों पर प्यार लुटाने वाला था। उन्होंने लेखक को बचपन में एक पिता की तरह दुलार दिया था। वे अपने भाइयों और उनके परिवार से भी बहुत प्यार करते थे, इसलिए उन सबकी बेरुखी चुपचाप सहन कर लेते थे।

6. जागरूक विचारों वाले – हरिहर काका अनपढ़ व्यक्ति थे, परंतु अपने अधिकारों के प्रति सचेत थे। जब उन्हें घर में उचित सम्मान मिलना बंद हो गया, तब उन्होंने अपने खेतों पर अधिकार जमाना आरंभ कर दिया। वे अपने जीवित रहते किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाना चाहते थे। उन्होंने बहुत दुनिया देखी थी। उनके अनुसार यदि जीवित रहते अपनी जायदाद दूसरों के नाम लिख दो, तो बाद में उन्हें कोई नहीं पूछता। इससे पता चलता है कि हरिहर काका जागरूक विचारों वाले थे। हरिहर काका अनपढ़ थे, परंतु उन्हें दुनियादारी का पूरा ज्ञान था। वे सहनशील, ममतालु और धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे।

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प्रश्न 3.
ठाकुरबारी का गाँव में मुख्य काम क्या था?
उत्तर
ठाकुरबारी का मुख्य काम गाँव के लोगों में ठाकुर जी के प्रति भक्ति-भावना पैदा करना था। जो लोग धर्म के मार्ग से विमुख हो गए थे, उन्हें सही मार्ग पर लाना भी ठाकुरबारी का प्रमुख कार्य था। गाँव में जब भी बाढ़ या सूखा पड़ता था, उस समय ठाकुरबारी के आँगन में तंबू लगाकर सुबह-शाम ज़ोर-ज़ोर से भजन-कीर्तन शुरू हो जाता था। घरों में सभी शुभ कार्य ठाकुरबारी के महंत द्वारा आरंभ किए जाते थे।

प्रश्न 4.
ठाकुरबारी के महंत और पुजारी की नियुक्ति कौन करता था?
उत्तर
ठाकुरबारी के स्वरूप का विकास होने पर धार्मिक लोगों ने मिलकर समिति बना ली थी। यह समिति हर तीन साल बाद महंत और पुजारी की नियुक्ति करती थी।

प्रश्न 5.
हरिहर काका के परिवार में कौन-कौन थे? उनकी आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर
हरिहर काका का परिवार संयुक्त परिवार था। वे चार भाई थे। हरिहर काका ने दो शादियाँ की, परंतु उनकी संतान नहीं थी। दोनों पत्नियों के मरने के उपरांत वे अपने भाइयों के साथ रहने लगे थे। तीनों भाइयों के भरे-पूरे परिवार थे। दो भाइयों ने अपने लड़कों की शादियाँ भी कर दी थीं। उन लड़कों में से एक लड़का शहर में क्लर्की का काम करता था। हरिहर काका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी। उनके परिवार के पास साठ बीघे जमीन थी। सभी भाइयों के हिस्से में पंद्रह बीघे खेत थे।

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प्रश्न 6.
किस घटना ने हरिहर काका को क्रोधित किया?
उत्तर
हरिहर काका अपनी दोनों पत्नियों के मरने के उपरांत भाइयों के पास रहने लगे थे। भाइयों ने भी अपने परिवार की औरतों को हरिहर काका की उचित देखभाल करने के लिए कह दिया था। कुछ दिन तक उनकी उचित देखभाल हुई, लेकिन बाद में घर में उनको अनदेखा किया जाने लगा। खाने में भी रूखा-सूखा भोजन दिया जाता था। बीमार पड़ने पर कोई उन्हें पूछने भी नहीं आता था।

एक दिन उनके शहर में रहने वाले भतीजे के साथ उसका मित्र आया। उस मित्र की मेहमानबाजी में घर में अच्छा खाना बना था। उस दिन हरिहर काका अच्छा खाना खाने की सोच रहे थे। लेकिन उन्हें देर तक कोई पूछने भी नहीं आया। हरिहर काका स्वयं रसोई में जाकर खाना माँगने लगे। उनके खाना माँगने पर घर की बहू ने उन्हें प्रतिदिन की तरह थाली में रूखा-सूखा खाना रखकर दे दिया। यह देखकर हरिहर काका को क्रोध आ गया और उन्होंने खाने की थाली घर के आँगन में फेंक दी।

प्रश्न 7.
हरिहर काका की अपने परिवार के साथ हुई लड़ाई का लाभ कौन उठाना चाहता था और उसने हरिहर काका को क्या समझाया?
उत्तर
हरिहर काका की अपने परिवार के साथ हुई लड़ाई का लाभ महंत उठाना चाहते थे। हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे ज़मीन थी। उस जमीन को महंत ठाकुरबारी की ज़मीन के साथ मिलाना चाहते थे। इसलिए वे हरिहर काका को बहला-फुसलाकर ठाकुरबारी में ले गए। उन्होंने हरिहर काका को मोह-माया के बंधन से दूर रहने का उपदेश दिया। वे हरिहर काका को अपने खेत ठाकुर जी के नाम लिखने की सलाह दी और कहा कि ऐसा करने से हरिहर काका के लोक-परलोक दोनों सुधर जाएँगे। इस जन्म में उन्हें संतान सुख नहीं मिला, परंतु वे अपना खेत ईश्वर के नाम लिख देंगे तो अगले जन्म में उन्हें ईश्वर सभी प्रकार के सुखों से भर देगा। इस प्रकार की बातें करके महंत हरिहर काका को अपने जाल में फँसाने में लगे थे।

प्रश्न 8.
“जिनका धन वह रहे उपास, खाने वाले करें विलास।” कथावाचक ने यह शब्द किसके लिए और क्यों कहे हैं?
उत्तर :
कथावाचक ने यह शब्द हरिहर काका तथा उनकी सुरक्षा के लिए आए पुलिसकर्मियों के लिए कहे थे। हरिहर काका के खेतों को लेकर गाँव में चर्चाओं का वातावरण गर्म था। महंत और उनके तीनों भाई खेतों को अपने नाम करवाना चाहते थे। इसलिए दोनों ही उन पर अत्याचार करने लगे थे। काका को उन लोगों से बचाने के लिए पुलिस वालों ने उनकी सुरक्षा का प्रबंध कर दिया था। हरिहर काका अपने भाइयों और महंत का बिनौना रूप देखकर सकते में थे। उन्होंने चुष्पी धारण कर ली थी।

वे किसी से कुछ नहीं कहते थे। अब वे भाइयों से अलग हो चुके थे। उन्होंने अपने कार्यों के लिए एक नौकर रख लिया था। अब उन्हें खाने की इच्छा नहीं रह गई थी। जब वे खाना चाहते थे, तब उन्हें खाने के लिए मिलता ही नहीं था। खाने के नाम पर ही सब झगड़ा हुआ था। अब उनके खर्चे पर पुलिस वाले, नौकर आदि खाकर आनंद मना रहे हैं। इसलिए कथाकार ने ये शब्द हरिहर काका के न खा सकने तथा अन्य लोगों द्वारा उनके पैसे पर मौज़ उड़ाने को लेकर कहे हैं।

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प्रश्न 9.
हरिहर काका के साथ उनके सगे भाइयों का व्यवहार क्यों बदल गया?
उत्तर :
हरिहर काका के परिवार के पास साठ बीघे खेत थे। वे चार भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका निःसंतान थे। इसलिए उनके खेतों की देखभाल और उसका लाभ उनके भाइयों को मिलता था। इसके बदले में उनकी उचित देखभाल होती थी, परंतु थोड़े दिनों बाद वे परिवार में फालतू वस्तु बनकर रह गए थे। इस पर उन्होंने अपने हिस्से के खेतों पर अधिकार जमाना आरंभ कर दिया। उनके तीनों भाइयों का व्यवहार बदल गया। पहले तो प्यार और आदर का दिखावा करके उन्हें अपने खेत उन लोगों के नाम लिखने के लिए कहा।

हरिहर काका ने दुनिया देखी थी; वे समझ गए थे कि यदि जीवित रहते खेत उन लोगों के नाम लिख दिए तो वे लोग उन्हें पूछने तक नहीं आएँगे। उनकी इस सोच ने उनके भाइयों को क्रूर और अत्याचारी बना दिया। वे तीनों उन्हें सताने लगे। वे उनसे मारपीट करते थे तथा उन्हें जान से मार देने की धमकी देते थे। खेतों के लिए भाइयों का बदला व्यवहार देखकर समाज के हर रिश्ते से हरिहर काका का विश्वास उठ गया था।

प्रश्न 10.
आपके विचार में हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर किसके अधिकार की संभावना है? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के खेतों पर अधिकार जमाने के लिए महंत और उनके भाइयों ने उनसे मारपीट करके कोरे कागजों पर उनके अंगूठे के निशान ले लिए थे। दोनों ही गुट उनकी जमीन के उत्तराधिकारी बन गए थे। परंतु हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर अधिकार करने की संभावना महंत की अधिक है, क्योंकि उनके साथ धर्म का नाम है और वे जानते हैं कि धर्म के नाम पर लोगों को कैसे उकसाया जाता है; कैसे दंगा-फसाद खड़ा किया जा सकता है? उनके साथ गाँव के अंधविश्वासी लोग अधिक हैं।

वे लोग, जो अपने हर छोटे बड़े कार्य की सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देकर चढ़ावा चढ़ाते हैं, तो उन लोगों का समर्थन लेकर खेतों को अपने अधिकार में करना महंत के लिए आसान कार्य था। इसमें हरिहर काका के भाई कुछ भी नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 11.
ठाकुर जी के नाम जमीन वसीयत करने की बात कहने में महंत ने हरिहर काका को क्या-क्या लालच दिए?
उत्तर :
ठाकुर जी के नाम ज़मीन वसीयत करने की बात कहते हुए महंत ने हरिहर काका से कहा कि ऐसा करने से वे समस्त मोह-माया के बंधनों से मुक्त हो जाएँगे; वे धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, उन्हें ईश्वर में ध्यान लगाना चाहिए। इससे उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होगी तथा तीनों लोकों में उनकी कीर्ति जगमगा उठेगी। लोग उन्हें सदा स्मरण करते रहेंगे। तुम आराम से ठाकुरबारी में अपना शेष जीवन व्यतीत करना, जहा तुम्ह सबकुछ मिलता रहेगा।

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प्रश्न 12.
भाइयों की किन बातों से हरिहर काका का दिल पसीजा और वे घर लौट आए?
उत्तर :
हरिहर काका ठाकुरबारी से घर नहीं आना चाहते थे, क्योंकि वहाँ उन्हें सब प्रकार का आराम मिल रहा था। लेकिन जब उनके तीनों भाई उन्हें मनाने बार-बार ठाकुरबारी आने लगे; उनके पाँव पकड़कर रोने लगे; अपनी पत्नियों की गलतियों के लिए माफ़ी माँगने लगे, तो उनका दिल पसीज गया। उनके भाइयों ने अपनी पलियों को दंड देने की बात कही तथा खून के रिश्ते की दुहाई दी, तो वे पुन: वापस घर लौट आए।

प्रश्न 13.
ठाकुरबारी में हरिहर काका की सेवा के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई ?
उत्तर :
ठाकुरबारी में हरिहर काका की सेवा के लिए दो सेवकों ने एक साफ़-सुथरे कमरे में पलंग पर बिस्तर लगाकर उन्हें वहाँ लिटा दिया। उनके लिए विशेष प्रकार के भोजन की व्यवस्था की गई। उन्हें घी टपकते मालपुए, रस बुनिया, लड्डू, छेने की तरकारी, दही, खीर आदि खाने के लिए दी गई।

प्रश्न 14.
ठाकुरबारी की देखभाल की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर :
ठाकुरबारी की देखभाल के लिए धार्मिक लोगों की एक समिति थी, जो ठाकुरबारी के संचालन के लिए प्रत्येक तीन वर्ष पर एक महंत और एक पुजारी की नियुक्ति करती थी। ठाकुरबारी का खर्चा चंदे, दान, चढ़ावे तथा बीस बीघे खेतों की फ़सल की आय से चलता था।

प्रश्न 15.
तीसरी शादी करने से हरिहर काका ने क्यों मनाकर दिया?
उत्तर :
हरिहर काका ने अपनी ढलती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण तीसरी शादी करने से इनकार कर दिया था। औलाद के लिए उन्होंने दो शादियाँ की थीं, परंतु जब दोनों ही बिना संतान को जन्म दिए स्वर्ग सिधार गईं, तो वे विरक्त हो गए। इसके बाद तीसरी शादी का विचार छोड़कर ‘प्रभु में लीन’ हो गए।

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प्रश्न 16.
हरिहर काका ने खाने की थाली बीच आँगन में क्यों फेंक दी?
उत्तर :
एक दिन हरिहर काका के शहर में रहने वाले भतीजे के साथ उसका मित्र आया। उस मित्र की मेहमानबाजी में अच्छा खाना बना था। उस दिन हरिहर काका को अच्छा खाना मिलने की उम्मीद थी। लेकिन उन्हें देर तक कोई भी पूछने नहीं आया। हरिहर काका स्वयं रसोई में जाकर खाना माँगने लगे। उनके खाना माँगने पर घर की बहू ने उन्हें प्रतिदिन की तरह रूखा-सूखा खाना थाली में रखकर दे दिया। यह देखकर हरिहर काका को क्रोध आ गया और उन्होंने खाने की थाली घर के आँगन में फेंक दी।

प्रश्न 17.
‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है। उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ पाठ में ठाकुर बारी के महंत किसी न किसी प्रकार से हरिहर काका की संपत्ति हड़पना चाहते हैं। वे एक धर्माधि कारी होते हुए भी धर्म की उचित शिक्षा नहीं दे रहे हैं। वे मात्र अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं। वास्तव में एक धर्माधिकारी महंत का सर्वप्रथम कर्तव्य यह है कि वह समाज को धर्मानुसार आचरण करने की शिक्षा दे। जो लोग अधर्म के मार्ग पर चल रहे हैं, उन्हें सही मार्ग पर लाए। इसके लिए उन्हें समाज में नैतिक मूल्यों के विकास का प्रयत्न करते हुए उनमें परंपरागत भारतीय संस्कार जागृत करने होंगे।

इस कार्य को सफल बनाने के लिए उन्हें अपने आचरण के द्वारा लोगों को शिक्षित करना होगा। उदाहरण के लिए एक माँ ने गुरू नानकदेव जी से प्रार्थना की कि उसका बेटा गुड़ बहुत खाता है, उसे गुड़ खाने से मना करें। गुरूजी ने उसे एक सप्ताह बाद आने के लिए कहा। वह एक सप्ताह बाद बेटे के साथ आई तो गुरूजी ने बालक के सिर पर हाथ रख कर कहा कि बेटा गुड़ मत खाना।

इस पर माँ ने गुरूजी को कहा कि इतनी सी बात के लिए उसे दुबारा क्यों बुलाया, उसी दिन कह देते। गुरूजी ने उत्तर दिया कि तब मैं स्वयं गुड़ खाता था, इसलिए गुड़ नहीं खाने का उपदेश नहीं दे सकता था। अब मैं गुड़ नहीं खाता इसलिए बालक को गुड़ नहीं खाने के लिए कह सका हूँ। धर्मानुसार आचरण करने के लिए समाज को प्रेरित करना ही महंतों का मुख्य कार्य है न कि अपना स्वार्थ सिद्ध करना।

हरिहर काका Summary in Hindi

पाठ का सार :

हरिहर काका’ कहानी के कथाकार ‘मिथिलेश्वर’ हैं। इस कहानी के माध्यम से कथाकार ने ग्रामीण पारिवारिक जीवन तथा हमारी आस्था के प्रतीक धर्मस्थलों में पाँव फैला रही स्वार्थलिप्सा को उजागर किया है। कहानी में ‘हरिहर काका’ को इसी स्वार्थलिप्सा के कारण पारिवारिक संबंधों से बेदखल किया गया। लेखक का हरिहर काका से परिचय बचपन का है। हरिहर काका उसके पड़ोस में रहते थे। उन्होंने उसे अपने बच्चे की तरह प्यार और दुलार दिया था। वे उससे अपनी कोई भी बात नहीं छिपाते थे।

परंतु पिछले कुछ दिनों की घटी घटनाओं के कारण हरिहर काका ने चुप्पी साध ली थी। वे किसी से बात नहीं करते थे। वे हर समय चुपचाप बैठे हुए कुछ-न-कुछ सोचते रहते थे। ऐसा लगता था कि उनकी यह चुप्पी उनके साथ ही खत्म होगी। लेखक का गाँव आरा शहर से चालीस किलोमीटर की दूरी पर था। गाँव में तीन स्थान प्रमुख हैं। एक तालाब, दूसरा पुराना बरगद का वृक्ष और तीसरा ठाकुर जी का विशाल मंदिर जिसे लोग ठाकुरबारी भी कहते हैं। ठाकुरबारी की स्थापना कब हुई, इसका किसी को विशेष ज्ञान नहीं था।

इस संबंध में प्रचलित है कि जब गाँव बसा था, तो उस समय एक संत इस स्थान पर झोंपड़ी बनाकर रहने लगे थे। उस संत ने इस स्थान पर ठाकुर जी की पूजा आरंभ कर दी। लोगों ने धर्म और सेवा-भावना से प्रेरित होकर चंदा इकट्ठा करके ठाकुर जी का मंदिर बनवा दिया। ग्रामीण लोगों के विश्वास ने ठाकुर जी के मंदिर और संपत्ति में विशेष योगदान दिया। वहाँ के लोग अपने प्रत्येक कार्य की सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देते थे और अपनी जमीन का एक छोटा टुकड़ा ठाकुर जी के नाम लिख देते थे।

लोगों के इस विश्वास के कारण ठाकुर जी के नाम बीस बीघे जमीन हो गई थी। ठाकुरबारी की देखभाल महंत और एक पुजारी करते थे। इनकी नियुक्ति धार्मिक लोगों की समिति द्वारा तीन साल के लिए की जाती थी। ठाकुरबारी का काम लोगों में धर्मभावना और सेवाभावना उत्पन्न करना था। वहाँ के लोगों के सभी काम ठाकुरबारी से शुरू होते थे। लोग अपना कृषि से बचा समय ठाकुरबारी में व्यतीत करते थे। लेखक कभी-कभी ठाकुरबारी में जाता था। उसे वहाँ बैठे साधु-संत अच्छे नहीं लगते थे। लेखक को लगता था कि ये साधु-संत खाली बातें बनाकर हलवा-पूड़ी खाने का कार्य करते हैं। हरिहर काका चार भाई थे।

सबकी शादियाँ हो गई थी और सभी के पास बच्चे थे। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, परंतु उन्हें बच्चे नहीं हुए थे। उनकी दोनों पत्नियाँ भी जल्दी स्वर्ग सिधार गई थीं। हरिहर काका ने तीसरी शादी बढ़ती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण नहीं की थी। वे अपने भाइयों के साथ रहने लगे थे। उनके परिवार के पास साठ बीघे जमीन थी। सभी भाइयों के हिस्से में पंद्रह-पंद्रह बीघे जमीन आई थी। तीनों भाइयों ने अपनी पत्नियों से कह रखा था कि हरिहर काका की अच्छी तरह सेवा करें; उन्हें किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होना चाहिए। कुछ समय तक सबकुछ ठीक प्रकार से चलता रहा।

थोड़े दिनों बाद सब अपने-अपने परिवार और बच्चों में मग्न हो गए। हरिहर काका का ध्यान रखने वाला कोई नहीं रहा। कभी-कभी उन्हें बचा-खुचा खाना दिया जाता था। बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला कोई नहीं था। उनका अपने भाइयों के परिवार से मोहभंग हो गया। एक दिन उनके भतीजे का मित्र शहर से आया। उसके लिए तरह-तरह के व्यंजन बने। हरिहर काका को विश्वास था कि आज उन्हें अच्छा खाना मिलेगा। परंतु उन्हें किसी ने कुछ नहीं दिया। माँगने पर उन्हें वही रूखा-सूखा भोजन थाली में रखकर दे दिया गया।

हरिहर काका को गुस्सा आ गया। उन्होंने वह थाली आँगन में फेंक दी और कहने लगे कि उनके हिस्से के धन पर घर के सभी लोग मज़े कर रहे हैं। जिस समय हरिहर काका बोल रहे थे, उस समय ठाकुरबारी का पुजारी उनके घर के दालान में बैठा हुआ था। उसने ठाकुरबारी के महंत को सारी बात कह सुनाई। महंत ने इस घटना का लाभ उठाते हुए

हरिहर काका को अपने जाल में फंसा लिया। महंत हरिहर काका को एकांत में ले जाकर लोक-परलोक की बातें समझाने लगे कि यदि वह अपने हिस्से की ज़मीन ठाकुरबारी को दान कर दे, तो चारों ओर उनका गुणगान होगा, ईश्वर की भी उसके ऊपर कृपा बनी रहेगी। हरिहर काका ने पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा, जिस कारण उसे पत्नी और संतान सुख नहीं मिला।

यदि अब वह अपना तन, मन, धन ईश्वर के नाम कर देगा, तो उसे अगले जन्म में पूर्ण सुख की प्राप्ति होगी। हरिहर काका देर तक महंत की बातों पर विचार करते रहे। महंत ने उन्हें खूब अच्छा खाने को दिया और सोने के लिए एक आरामदायक कमरा दे दिया। हरिहर काका के भाइयों को जब घर में घटी घटना का पता चला, तो उन्होंने अपनी पत्नियों को बहुत फटकारा। वे तीनों काका को लेने ठाकुरबारी पहुँच गए। महंत ने हरिहर काका को एक रात के लिए अपने यहाँ रोक लिया।

इससे भाइयों को हरिहर काका की पंद्रह बीघे जमीन हाथ से निकलती दिखाई देने लगी। सुबह होते ही तीनों फिर से ठाकुरबारी पहुँच गए। हरिहर काका के पैर पकड़कर रोने लगे। हरिहर काका का दिल पसीज गया और वे उनके साथ घर आ गए। घर में सभी लोगों ने उन्हें हाथों पर लिया। उनकी बहत आवभगत हुई। अब उनकी सभी इच्छाओं का ध्यान रखा जाने लगा। हरिहर काका इस परिवर्तन का श्रेय महंत को दे रहे थे। गाँव के लोगों बताया था, परंतु फिर भी उन लोगों को सारी घटना का पता चल गया था।

हरिहर काका को लेकर गाँव में दो गुट बन गए। एक गुट का मानना था कि हरिहर काका को अपना अगला जन्म सुधारने के लिए जमीन ठाकुरबारी के नाम लिख देनी चाहिए और दूसरे गुट के लोगों का कहना था कि भाइयों के साथ खून का रिश्ता है, इसलिए ज़मीन उनको देनी चाहिए। हरिहर काका को लेकर गाँव का वातावरण तनावपूर्ण हो गया था। सभी लोग अपनी बात को ठीक बताने में लगे थे। हरिहर काका के भाइयों को भी यही आशंका होने लगी थी कि कहीं लोगों और महंत के दबाव के कारण वे अपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम न लिख दें। हरिहर काका जीते-जी किसी को भी अपनी जमीन का स्वामी नहीं बनाना चाहते थे।

उन्हें अपने गाँव के कई बुजुर्ग याद थे, जिन्होंने अपने जीवित रहते अपनी जमीन दूसरों के नाम लिख दी और फिर उनका जीवन एक कुत्ते के जीवन के समान हो गया। हरिहर काका ने न तो महंत को इंकार किया और न ही अपने भाइयों को। वे भी इस बदलाव का असली कारण समझ गए थे। हरिहर काका को लेकर महंत चिंता में पड़ गए। उन्हें लगता था कि कहीं हाथ आई चिड़िया उड़ न जाए, इसलिए उन्होंने हरिहर काका का अपहरण करवाने का निश्चय किया। बाहर से कुछ साधु बुलाकर हरिहर काका को आधी रात के समय घर से उठवा लिया गया। उनके भाई उन्हें ढूँढ़ने लगे। उन्हें लग रहा था कि यह काम महंत का है।

वे लोग ठाकुरबारी गए। वहाँ शांति और खामोशी थी, फिर उन्हें लगा कि कहीं रुपये-पैसे के लालच में डाकू न उठाकर ले गए हों। वे यह सोच ही रहे थे कि उन्हें ठाकुरबारी में से बातचीत करने की आवाजें – आने लगीं। उन्होंने ठाकुरबारी के दरवाजे को पीटना आरंभ कर दिया। ठाकुरबारी की छत से पथराव और फायरिंग होने लगी। हरिहर काका के भाइयों ने पुलिस की सहायता लेकर ठाकुरबारी से काका को बाहर निकाला। काका की हालत बिगड़ी हुई थी। उनके अनुसार महंत उनसे जबरदस्ती जमीन के कागजों पर अंगूठा लगवाना चाहते थे। हरिहर काका के मन में महंत, पुजारी और ठाकुरबारी के प्रति नफ़रत। भर गई थी। हरिहर काका के भाई काका की रक्षा इस प्रकार करते थे, जैसे कोई अनमोल वस्तु हो। काका को यह अनुभव हो गया था।

कि भाइयों द्वारा स्नेह और आदर उनकी जायदाद के कारण है। ठाकुरबारी की घटना के पश्चात भाइयों का दबाव बढ़ने लगा था कि जायदाद उनके नाम कर दें, परंतु काका अपनी बात पर अड़े हुए थे। काका की टालने वाली बातें सुनकर तीनों भाइयों ने महंत वाला रास्ता अपनाया। हरिहर काका से मारपीट आरंभ कर दी। मार पड़ने पर हरिहर काका ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, जिस कारण उनकी आवाजें घर से बाहर निकल गईं। लोगों ने हरिहर काका के साथ हो रही जोर-ज़बरदस्ती की बात महंत को बताई।

महंत ने पुलिस कार्यवाही करने। में तत्परता दिखाई। पुलिस ने हरिहर को भाइयों के कब्जे से बड़ी बुरी हालत में बरामद किया। हरिहर काका का धर्म से तो पहले ही मोहभंग हो गया था, लेकिन भाइयों के व्यवहार को देखकर खून के रिश्ते से भी उनका मन उचट गया था। हरिहर काका को लेकर महंत और तीनों भाइयों में खींचतान आरंभ हो गई। दोनों गुटों को एक-दूसरे से डर लगा रहता था कि हरिहर काका को कोई भी गुट अपने पक्ष में न कर ले। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा लगा दिया गया।

महंत और तीनों भाई हरिहर काका का विश्वास फिर से जीतने में लगे हुए थे। इस बीच गाँव के एक नेताजी का भी ध्यान हरिहर काका और उनकी जायदाद पर जाता है। वे हरिहर काका से स्कूल बनाने के बहाने से ज़मीन हथियाना चाहते थे, लेकिन हरिहर काका अब किसी की भी बातों में नहीं आते थे। नेताजी को खाली हाथ लौटना पड़ा। गाँववालों के पास अब उठते-बैठते एक ही चर्चा थी कि हरिहर काका अपनी जमीन किसके नाम लिखेंगे।

गाँव में खबरों का बाजार गर्म था कि हरिहर काका के मरने के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर भी दोनों गुटों में झगड़ा होगा, क्योंकि दोनों के पास हरिहर काका के अंगूठा लगे कागज़ थे। हरिहर काका ने तो सबकी बातें सुननी बंद कर दी थीं। वह किसी की भी बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। हरिहर काका ने अपने कामों के लिए एक नौकर रख लिया था। उन्हें तो धर्म के अधर्म स्वरूप ने और खून के रिश्तों की स्वार्थता ने गूंगा बना दिया था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

कठिन शब्दों के अर्थ :

यंत्रणाओं – यातनाओं, मनःस्थिति – मानसिक दशा, आसक्ति – लगाव, सयाना – बड़ा होना, मझदार – बीच में, विलीन – लुप्त होना, विकल्प – दूसरा उपाय, मन्नौती – मन्नत, ठाकुरबारी – देवस्थान, संचालन – चलाना, अखरना – बुरा लगना, नियुक्ति – लगाया गया, दवनी – अन्न निकालने की प्रक्रिया, अगउम – देवता के लिए निकाला गया अंश, घनिष्ठ – गहरा, हाज़िर – उपस्थित, प्रवचन – उपदेश, मशगूल – व्यस्त, चटोर – खाने-पीने वाले, हमाध – हवन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, तत्क्षण – उसी पल, अकारथ – बेकार, विलंब – देर, मुस्तैद – तैयार, निष्कर्ष – परिणाम, जून – समय, बय – उम्र, अप्रत्याशित – आकस्मिक, महटिया – टाल जाना, छल, बल, कल – वंचना, शक्ति, बुद्धि, आच्छादित – ढका हुआ।