JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

JAC Class 10 Hindi हरिहर काका Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं ?
अथवा
हरिहर काका के प्रति लेखक की आसक्ति के क्या कारण थे?
उत्तर :
कथावाचक और हरिहर काका के मध्य स्नेह का संबंध है। यद्यपि हरिहर काका के प्रति स्नेह के कई वैचारिक और व्यावहारिक कारण हैं, लेकिन उनमें से दो कारण प्रमुख हैं। पहला कारण यह था कि हरिहर काका कथावाचक के पड़ोसी थे। दूसरा कारण यह था कि हरिहर काका ने कथावाचक को बहुत प्यार-दुलार दिया था। हरिहर काका उसे बचपन में अपने कंधे पर बैठाकर गाँव भर में घुमाया करते थे। हरिहर काका नि:संतान थे, इसलिए वे एक पिता की तरह कथावाचक की देखभाल करते थे। जब लेखक बड़ा हुआ, तो उसकी पहली मित्रता हरिहर काका के साथ हुई थी। हरिहर काका ने उसकी मित्रता स्वीकार करते हुए, उससे अपने मन की सारी बात की थी। वे उससे कुछ नहीं छिपाते थे। यही कारण था कि हरिहर काका और कथावाचक में उम्र का अंतर होते हुए भी बहुत गहरा संबंध था।

प्रश्न 2.
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगते हैं?
उत्तर :
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के लगते हैं, क्योंकि दोनों में ही स्वार्थ और हिंसावृत्ति की भावना विद्यमान थी। हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे जमीन थी। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए महंत और हरिहर काका के भाई उनके खेत अपने नाम लिखवाना चाहते थे। हरिहर काका अपने जीवित रहते ऐसा नहीं करना चाहते थे, इसलिए महंत और उनके भाई अपने-अपने ढंग से खेत हथियाने के लिए उन पर अत्याचार करने लगे।

दूसरों को मोह-माया से दूर रहने तथा अपना अगला जन्म सुधारने का उपदेश देने वाला महंत हरिहर काका के खेतों को अपने नाम करवाने के लिए उन्हें मारने के लिए तैयार हो जाता है। दूसरी ओर खून के रिश्ते अर्थात उनके सगे भाई भी खेतों को लेकर उनके खून के प्यासे हो जाते हैं। यही कारण था कि हरिहर काका को दोनों गुट एक ही श्रेणी के लगते हैं।

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प्रश्न 3.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उनसे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर :
कथावाचक के गाँव में तीन स्थान प्रमुख थे-तालाब, पुराना बरगद का वृक्ष और ठाकुरबारी। ठाकुरबारी में सुबह-शाम ठाकुर जी की पूजा होती थी। गाँव के लोगों में ठाकुर जी के प्रति अगाध श्रद्धा थी। वे लोग अपने हर कार्य की छोटी-बड़ी सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देते थे। जिसको जैसी सफलता मिलती थी, वह ठाकुर जी को वैसा ही चढ़ावा चढ़ाता था। यह चढ़ावा रुपये, जेवर और अनाज के रूप में होता था। यदि किसी को अपने कार्य में बहुत अधिक सफलता मिलती थी, तो वह अपनी जमीन का छोटा-सा भाग ठाकुर जी के नाम लिख देता था। इस प्रकार ठाकुर जी के प्रति लोगों के अंधविश्वास का पता चलता है। लोगों के इस विश्वास के कारण ही गाँव के विकास की अपेक्षा ठाकुर जी का विकास हज़ार गुणा हो गया था।

प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं ? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“हरिहर काका एक सीधे सादे और भोले किसान की अपेक्षा चतुर हो चले थे’ कथन के संदर्भ में 60-70 शब्दों में विचार व्यक्त करें।
उत्तर :
हरिहर काका कथावाचक के पड़ोस में रहते थे। वे बहुत समझदार व्यक्ति थे। उनके तीन भाई थे। तीनों भाइयों का अपना परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, लेकिन दोनों पत्नियों से उनकी एक भी संतान नहीं थी। दोनों पलियाँ भी जल्दी स्वर्ग सिधार गई थीं। लोगों ने उन्हें तीसरी शादी के लिए कहा, लेकिन उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण इनकार कर दिया था। इस प्रकार तीनों भाइयों का उनके हिस्से के खेतों पर अधिकार था। आरंभ में हरिहर काका की घर में उचित देखभा ने भी काका की देखभाल की जिम्मेदारी अपनी पत्नियों पर डाल दी थी। बाद में उनकी पत्नियों ने हरिहर काका की देखभाल में अनदेखी आरंभ कर दी।

हरिहर काका को बहुत दुख हुआ। उनके दुखी और कोमल हृदय का लाभ ठाकुरबारी के महंत ने उठाना आरंभ कर दिया। उन्होंने काका को अपना अगला जन्म सुधारने के लिए अपने खेत ठाकुरबारी के नाम लिखने के लिए कहा। उधर भाइयों को जब इस बात की भनक लगी, तो उन्होंने भी काका पर दबाव डालना आरंभ कर दिया। हरिहर काका स्वभाव से सीधे व्यक्ति थे, परंतु उन्हें दुनिया का बहुत ज्ञान था। वे जानते थे कि भाइयों व महंत द्वारा उसकी आवभगत करना केवल स्वार्थ और लालच पर आधारित है।

वे अपने जीवित रहते हुए अपने खेत किसी के भी नाम नहीं करना चाहते थे। उन्होंने ऐसे बहुत-से लोगों को देखा था, जिन्होंने जीवित रहते अपना सबकुछ अपने उत्तराधिकारियों के नाम लिख दिया और बाद में उन्हें पछताना पड़ा। इसलिए वे जीवित रहते अपने खेत किसी के भी नाम नहीं लिखना चाहते थे। इससे लगता है कि अनपढ़ होते हुए भी उन्हें दुनिया का बेहतर ज्ञान था।

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प्रश्न 5.
अथवा
महंत ने हरिहर काका से ज़मीन नसीयत होते न देख क्या उपाय सोचा?
उत्तर :
हरिहर को ज़बरदस्ती उठाकर ले जाने वाले ठाकुरबारी के महंत के आदमी थे। महंत हरिहर काका के खेत अपने नाम लिखवाना चाहते थे। जब उन्होंने देखा कि हरिहर काका सीधे ढंग से उनके नाम खेत नहीं लिखना चाहते, तो उन्होंने हरिहर काका को घर से उठवा लिया। महंत ने हरिहर काका को ठाकुरबारी के एक कमरे में बंद कर दिया था और उन्हें मारा-पीटा गया। उनसे कोरे कागज़ों पर ज़बरदस्ती अंगूठे का निशान लगवा लिया गया। बाद में उनके हाथों-पैरों को कपड़े से बाँध दिया और मुँह में कपड़ा लूंसकर कमरे में बंद कर दिया।

प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?
उत्तर :
हरिहर काका को लेकर गाँव वाले दो गुटों में बँट गए थे। एक गुट महंत के पक्ष में था और दूसरा गुट उनके भाइयों के पक्ष में था। महंत के पक्ष के लोग धार्मिक संस्कारों के लोग थे। उनकी राय थी कि हरिहर काका को अपनी ज़मीन ठाकुरबारी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनकी कीर्ति अचल बनी रहेगी। यह वे लोग थे, जिनका पेट ठाकुर जी को लगाए भोग अर्थात हलवा-पूड़ी से भरता था; उन्हें सारा दिन कुछ करने की ज़रूरत नहीं थी। दूसरे गुट में गाँव के सामाजिक विचारों वाले लोग अर्थात किसान थे। ऐसे लोगों की स्थिति हरिहर काका जैसी थी। वे खून के रिश्तों में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार व्यक्ति का गुजारा अपने परिवार से ही होता है। इस प्रकार हरिहर काका के मामले को लेकर गाँव वाले अपनी-अपनी राय दे रहे थे।

प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
उत्तर :
हरिहर काका के तीन भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की, लेकिन उनके संतान नहीं हुई। दोनों पत्नियों के मरने के बाद हरिहर काका ने अपना सारा समय भजन-कीर्तन और भाइयों के परिवार में बिताना आरंभ कर दिया। शुरू-शुरू में उनका बहुत आदर-सत्कार होता था। लेकिन बाद में उन्हें रूखा-सूखा खाने को देते थे या फिर वह भी देना भूल जाते थे। जिस दिन हरिहर काका ने अपने खेतों पर अधिकार जमाया, उसी दिन से तीनों भाई और महंत उनका भरपूर ख्याल रखने लगे।

हरिहर काका अनपढ़ होते हुए भी समझ गए थे कि यह सारा आदर-सत्कार उनके खेतों के कारण है। इसलिए उन्होंने अपने जीवित रहते अपने खेत किसी एक के नाम करने से मना कर दिया। उसी दिन से भाई और महंत उनके दुश्मन हो गए। हरिहर काका उन लोगों से भयमुक्त हो गए थे, क्योंकि वे अपनी कीमत जान चुके थे। इसलिए वे अपने खेतों का उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाना चाहते थे। जब तक खेत उनके पास हैं, तब तक सभी उनके इर्द-गिर्द घूम रहे हैं, बाद में उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है-इस सत्य को उन्होंने जान लिया था। इसलिए वे अपने भाइयों द्वारा मारने की धमकी देने से भी नहीं डरे अर्थात उन्होंने जीवित रहते मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली थी।

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प्रश्न 8.
समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है ? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज का समाज भौतिकवाद की ओर अग्रसर हो रहा है जिससे मानवीय रिश्तों का महत्व कम होता जा रहा है। सभी रिश्तों में स्वार्थ दिखाई देता है। आजकल घरों में बड़े आदमी को कोई नहीं पूछता; वे घर में सजावटी वस्तु बनकर रह गए हैं। सभी लोग आज की भागती-दौडती जिंदगी के साथ कदम मिलाने के लिए भाग रहे हैं, जिससे किसी के पास भी एक-दूसरे का सुख-दुख जानने का समय नहीं रहा है। भौतिकवादी और दिखावापसंद जीवन ने घर के बुजुर्गों और बच्चों को एक-दूसरे से दूर कर दिया है। इससे आज की पीढ़ी मानवीय रिश्तों को समझने में नाकाम हो गई है। समाज में रिश्तों की अहमियत में कमी आने से मनुष्य ने अपना स्वाभाविक स्वरूप खो दिया है।

प्रश्न 9.
यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
उत्तर :
यदि हमारे घर के आस-पास हरिहर काका जैसी स्थिति वाले बुजुर्ग होंगे, तो हम उनकी पूरी मदद करेंगे। पहले उनके इस फैसले का समर्थन करेंगे कि जीवित रहते अपने खेतों को किसी और के नाम नहीं लिखेंगे। आज के भौतिकवाद की ओर बढ़ते समाज में बुजुर्गों की स्थिति घर में पहले जैसी नहीं रह गई है, इसलिए सरकार और कई अन्य सामाजिक संस्थाओं ने ऐसे वृद्धाश्रम खोल दिए हैं, जहाँ घर में उपेक्षित लोग वहाँ आराम से रह सकें। ऐसे ही वृद्धाश्रम में हम उनके रहने का उचित प्रबंध करेंगे, जहाँ वे अपनी उम्र के दूसरे
लोगों के बीच अपने को सुरक्षित अनुभव करेंगे।

प्रश्न 10.
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हरिहर काका का जिस प्रकार से धर्म और खून के रिश्तों से विश्वास उठ चुका था, उससे वे मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। वे बिलकुल चुप रहते थे। किसी की भी बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। यदि हरिहर काका के गाँव में मीडिया की पहुँच होती, तो उनकी स्थिति भिन्न होती। मीडिया उनकी स्थिति तथा उनके साथ हुए दुर्व्यवहार की बात को दुनिया के सामने लाती। धर्म के नाम पर संपत्ति इकट्ठा करने वाले महंत का असली चेहरा लोगों के सामने आता।

खून के रिश्ते किस प्रकार निजी स्वार्थ के कारण अपने घर के सदस्य की जान के प्यासे हो जाते हैं-इस बात से दुनिया को अवगत करवाती। हरिहर काका को मीडिया उचित न्याय दिलवाती। उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में मदद करती। जिस प्रकार के दबाव में वे जी रहे थे, वैसी स्थिति मीडिया की सहायता मिलने के बाद नहीं होती।

JAC Class 10 Hindi हरिहर काका Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘हरिहर काका’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ कहानी के कथाकार मिथिलेश्वर हैं। हरिहर काका कथाकार के पड़ोस में रहते थे। कथाकार ने हरिहर काका के माध्यम से हमारे पारिवारिक जीवन तथा हमारे आस्था के प्रतीक धर्मस्थालों पर व्याप्त होती जा रही स्वार्थ लिप्सा को उजागर किया है। हरिहर काका संयुक्त परिवार में रहते थे। वे चार भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। उनके कोई संतान नहीं थी, इसलिए उनकी जायदाद के हकदार उनके परिवार के सदस्य थे।

परंतु घर में कुछ इस प्रकार की घटनाएं घटती हैं, जिसका लाभ ठाकुरबारी के महंत उठाना चाहता है। महंत हरिहर काका को लोक-परलोक सुधारने के लिए अपनी जमीन ठाकुर जी के नाम लिखने के लिए कहता है। यह बात भाइयों को पता चलती है। वे भी हरिहर खून के रिश्तों का दिखावा करके काका से जायदाद उनके नाम करने को कहते हैं। इस खींचतान में हरिहर काका के सामने धर्म और परिवार दोनों का असली चेहरा आता है। उन्हें धर्म का नाम लेकर लोगों को फँसाने वाले महंत और अपने परिवार से घृणा हो जाती है।

यह नफ़रत उन्हें कभी न खत्म होने वाली चुप्पी साध लेने को मजबूर कर देती है। इस कहानी के माध्यम से कथाकार ने घर और धर्म का असली चेहरा लोगों के सामने रखा है। घर एक ऐसा स्थान होता है, जहाँ लोग अपने सुख-दुख, खुशी-गम आपस में बाँटते हैं। धर्मस्थल वे स्थान होते हैं, लोगों में अपनेपन और सहृदयता के संस्कार देते हैं। परंतु स्वार्थलिप्सा और हिंसावृत्ति के चलते घर और धर्मस्थल दोनों ही अराजकता, अनाचार और अन्याय पथ पर अग्रसर हैं। इसी उद्देश्य को कथाकार ने हरिहर काका के माध्यम से स्पष्ट किया है।

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प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर ‘हरिहर काका’ का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ कहानी के लेखक मिथिलेश्वर हैं। इस कहानी के मुख्य पात्र हरिहर काका हैं। हरिहर काका का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है –
1. परिचय – ‘हरिहर काका’ लेखक के पड़ोस में रहते थे। वे एक संयुक्त परिवार के सदस्य थे। उनके तीन भाई थे। तीनों भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, परंतु उनकी एक भी संतान नहीं हुई। उनके परिवार के पास साठ बीघे खेत थे।

2. धार्मिक विचारों वाले – हरिहर काका धार्मिक विचारों वाले थे। वे अपना कृषि से बचा समय गाँव की ठाकुरबारी में व्यतीत करते थे। वहाँ वे भजन-कीर्तन में ध्यान लगाते थे।

3. संस्कारशील – हरिहर काका संस्कारों को मानने वाले व्यक्ति थे। दोनों पत्नियों के मरने के बाद लोगों ने उन्हें तीसरी शादी करने के लिए कहा परंतु उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र तथा धार्मिक संस्कारों के कारण शादी से इनकार कर दिया।

4. सहनशील – हरिहर काका सहनशील व्यक्ति थे। उनको अपने परिवार में उचित सम्मान नहीं मिलता था। लेकिन वे अपने परिवार की बेरुखी चुपचाप सहन करते हैं।

5. ममतालु – हरिहर काका का स्वभाव दूसरों पर प्यार लुटाने वाला था। उन्होंने लेखक को बचपन में एक पिता की तरह दुलार दिया था। वे अपने भाइयों और उनके परिवार से भी बहुत प्यार करते थे, इसलिए उन सबकी बेरुखी चुपचाप सहन कर लेते थे।

6. जागरूक विचारों वाले – हरिहर काका अनपढ़ व्यक्ति थे, परंतु अपने अधिकारों के प्रति सचेत थे। जब उन्हें घर में उचित सम्मान मिलना बंद हो गया, तब उन्होंने अपने खेतों पर अधिकार जमाना आरंभ कर दिया। वे अपने जीवित रहते किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाना चाहते थे। उन्होंने बहुत दुनिया देखी थी। उनके अनुसार यदि जीवित रहते अपनी जायदाद दूसरों के नाम लिख दो, तो बाद में उन्हें कोई नहीं पूछता। इससे पता चलता है कि हरिहर काका जागरूक विचारों वाले थे। हरिहर काका अनपढ़ थे, परंतु उन्हें दुनियादारी का पूरा ज्ञान था। वे सहनशील, ममतालु और धार्मिक विचारों के व्यक्ति थे।

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प्रश्न 3.
ठाकुरबारी का गाँव में मुख्य काम क्या था?
उत्तर
ठाकुरबारी का मुख्य काम गाँव के लोगों में ठाकुर जी के प्रति भक्ति-भावना पैदा करना था। जो लोग धर्म के मार्ग से विमुख हो गए थे, उन्हें सही मार्ग पर लाना भी ठाकुरबारी का प्रमुख कार्य था। गाँव में जब भी बाढ़ या सूखा पड़ता था, उस समय ठाकुरबारी के आँगन में तंबू लगाकर सुबह-शाम ज़ोर-ज़ोर से भजन-कीर्तन शुरू हो जाता था। घरों में सभी शुभ कार्य ठाकुरबारी के महंत द्वारा आरंभ किए जाते थे।

प्रश्न 4.
ठाकुरबारी के महंत और पुजारी की नियुक्ति कौन करता था?
उत्तर
ठाकुरबारी के स्वरूप का विकास होने पर धार्मिक लोगों ने मिलकर समिति बना ली थी। यह समिति हर तीन साल बाद महंत और पुजारी की नियुक्ति करती थी।

प्रश्न 5.
हरिहर काका के परिवार में कौन-कौन थे? उनकी आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर
हरिहर काका का परिवार संयुक्त परिवार था। वे चार भाई थे। हरिहर काका ने दो शादियाँ की, परंतु उनकी संतान नहीं थी। दोनों पत्नियों के मरने के उपरांत वे अपने भाइयों के साथ रहने लगे थे। तीनों भाइयों के भरे-पूरे परिवार थे। दो भाइयों ने अपने लड़कों की शादियाँ भी कर दी थीं। उन लड़कों में से एक लड़का शहर में क्लर्की का काम करता था। हरिहर काका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी थी। उनके परिवार के पास साठ बीघे जमीन थी। सभी भाइयों के हिस्से में पंद्रह बीघे खेत थे।

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प्रश्न 6.
किस घटना ने हरिहर काका को क्रोधित किया?
उत्तर
हरिहर काका अपनी दोनों पत्नियों के मरने के उपरांत भाइयों के पास रहने लगे थे। भाइयों ने भी अपने परिवार की औरतों को हरिहर काका की उचित देखभाल करने के लिए कह दिया था। कुछ दिन तक उनकी उचित देखभाल हुई, लेकिन बाद में घर में उनको अनदेखा किया जाने लगा। खाने में भी रूखा-सूखा भोजन दिया जाता था। बीमार पड़ने पर कोई उन्हें पूछने भी नहीं आता था।

एक दिन उनके शहर में रहने वाले भतीजे के साथ उसका मित्र आया। उस मित्र की मेहमानबाजी में घर में अच्छा खाना बना था। उस दिन हरिहर काका अच्छा खाना खाने की सोच रहे थे। लेकिन उन्हें देर तक कोई पूछने भी नहीं आया। हरिहर काका स्वयं रसोई में जाकर खाना माँगने लगे। उनके खाना माँगने पर घर की बहू ने उन्हें प्रतिदिन की तरह थाली में रूखा-सूखा खाना रखकर दे दिया। यह देखकर हरिहर काका को क्रोध आ गया और उन्होंने खाने की थाली घर के आँगन में फेंक दी।

प्रश्न 7.
हरिहर काका की अपने परिवार के साथ हुई लड़ाई का लाभ कौन उठाना चाहता था और उसने हरिहर काका को क्या समझाया?
उत्तर
हरिहर काका की अपने परिवार के साथ हुई लड़ाई का लाभ महंत उठाना चाहते थे। हरिहर काका के पास पंद्रह बीघे ज़मीन थी। उस जमीन को महंत ठाकुरबारी की ज़मीन के साथ मिलाना चाहते थे। इसलिए वे हरिहर काका को बहला-फुसलाकर ठाकुरबारी में ले गए। उन्होंने हरिहर काका को मोह-माया के बंधन से दूर रहने का उपदेश दिया। वे हरिहर काका को अपने खेत ठाकुर जी के नाम लिखने की सलाह दी और कहा कि ऐसा करने से हरिहर काका के लोक-परलोक दोनों सुधर जाएँगे। इस जन्म में उन्हें संतान सुख नहीं मिला, परंतु वे अपना खेत ईश्वर के नाम लिख देंगे तो अगले जन्म में उन्हें ईश्वर सभी प्रकार के सुखों से भर देगा। इस प्रकार की बातें करके महंत हरिहर काका को अपने जाल में फँसाने में लगे थे।

प्रश्न 8.
“जिनका धन वह रहे उपास, खाने वाले करें विलास।” कथावाचक ने यह शब्द किसके लिए और क्यों कहे हैं?
उत्तर :
कथावाचक ने यह शब्द हरिहर काका तथा उनकी सुरक्षा के लिए आए पुलिसकर्मियों के लिए कहे थे। हरिहर काका के खेतों को लेकर गाँव में चर्चाओं का वातावरण गर्म था। महंत और उनके तीनों भाई खेतों को अपने नाम करवाना चाहते थे। इसलिए दोनों ही उन पर अत्याचार करने लगे थे। काका को उन लोगों से बचाने के लिए पुलिस वालों ने उनकी सुरक्षा का प्रबंध कर दिया था। हरिहर काका अपने भाइयों और महंत का बिनौना रूप देखकर सकते में थे। उन्होंने चुष्पी धारण कर ली थी।

वे किसी से कुछ नहीं कहते थे। अब वे भाइयों से अलग हो चुके थे। उन्होंने अपने कार्यों के लिए एक नौकर रख लिया था। अब उन्हें खाने की इच्छा नहीं रह गई थी। जब वे खाना चाहते थे, तब उन्हें खाने के लिए मिलता ही नहीं था। खाने के नाम पर ही सब झगड़ा हुआ था। अब उनके खर्चे पर पुलिस वाले, नौकर आदि खाकर आनंद मना रहे हैं। इसलिए कथाकार ने ये शब्द हरिहर काका के न खा सकने तथा अन्य लोगों द्वारा उनके पैसे पर मौज़ उड़ाने को लेकर कहे हैं।

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प्रश्न 9.
हरिहर काका के साथ उनके सगे भाइयों का व्यवहार क्यों बदल गया?
उत्तर :
हरिहर काका के परिवार के पास साठ बीघे खेत थे। वे चार भाई थे। तीन भाइयों का भरपूर परिवार था। हरिहर काका निःसंतान थे। इसलिए उनके खेतों की देखभाल और उसका लाभ उनके भाइयों को मिलता था। इसके बदले में उनकी उचित देखभाल होती थी, परंतु थोड़े दिनों बाद वे परिवार में फालतू वस्तु बनकर रह गए थे। इस पर उन्होंने अपने हिस्से के खेतों पर अधिकार जमाना आरंभ कर दिया। उनके तीनों भाइयों का व्यवहार बदल गया। पहले तो प्यार और आदर का दिखावा करके उन्हें अपने खेत उन लोगों के नाम लिखने के लिए कहा।

हरिहर काका ने दुनिया देखी थी; वे समझ गए थे कि यदि जीवित रहते खेत उन लोगों के नाम लिख दिए तो वे लोग उन्हें पूछने तक नहीं आएँगे। उनकी इस सोच ने उनके भाइयों को क्रूर और अत्याचारी बना दिया। वे तीनों उन्हें सताने लगे। वे उनसे मारपीट करते थे तथा उन्हें जान से मार देने की धमकी देते थे। खेतों के लिए भाइयों का बदला व्यवहार देखकर समाज के हर रिश्ते से हरिहर काका का विश्वास उठ गया था।

प्रश्न 10.
आपके विचार में हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर किसके अधिकार की संभावना है? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरिहर काका के खेतों पर अधिकार जमाने के लिए महंत और उनके भाइयों ने उनसे मारपीट करके कोरे कागजों पर उनके अंगूठे के निशान ले लिए थे। दोनों ही गुट उनकी जमीन के उत्तराधिकारी बन गए थे। परंतु हरिहर काका के न रहने पर उनकी जमीन पर अधिकार करने की संभावना महंत की अधिक है, क्योंकि उनके साथ धर्म का नाम है और वे जानते हैं कि धर्म के नाम पर लोगों को कैसे उकसाया जाता है; कैसे दंगा-फसाद खड़ा किया जा सकता है? उनके साथ गाँव के अंधविश्वासी लोग अधिक हैं।

वे लोग, जो अपने हर छोटे बड़े कार्य की सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देकर चढ़ावा चढ़ाते हैं, तो उन लोगों का समर्थन लेकर खेतों को अपने अधिकार में करना महंत के लिए आसान कार्य था। इसमें हरिहर काका के भाई कुछ भी नहीं कर सकते थे।

प्रश्न 11.
ठाकुर जी के नाम जमीन वसीयत करने की बात कहने में महंत ने हरिहर काका को क्या-क्या लालच दिए?
उत्तर :
ठाकुर जी के नाम ज़मीन वसीयत करने की बात कहते हुए महंत ने हरिहर काका से कहा कि ऐसा करने से वे समस्त मोह-माया के बंधनों से मुक्त हो जाएँगे; वे धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, उन्हें ईश्वर में ध्यान लगाना चाहिए। इससे उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होगी तथा तीनों लोकों में उनकी कीर्ति जगमगा उठेगी। लोग उन्हें सदा स्मरण करते रहेंगे। तुम आराम से ठाकुरबारी में अपना शेष जीवन व्यतीत करना, जहा तुम्ह सबकुछ मिलता रहेगा।

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प्रश्न 12.
भाइयों की किन बातों से हरिहर काका का दिल पसीजा और वे घर लौट आए?
उत्तर :
हरिहर काका ठाकुरबारी से घर नहीं आना चाहते थे, क्योंकि वहाँ उन्हें सब प्रकार का आराम मिल रहा था। लेकिन जब उनके तीनों भाई उन्हें मनाने बार-बार ठाकुरबारी आने लगे; उनके पाँव पकड़कर रोने लगे; अपनी पत्नियों की गलतियों के लिए माफ़ी माँगने लगे, तो उनका दिल पसीज गया। उनके भाइयों ने अपनी पलियों को दंड देने की बात कही तथा खून के रिश्ते की दुहाई दी, तो वे पुन: वापस घर लौट आए।

प्रश्न 13.
ठाकुरबारी में हरिहर काका की सेवा के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई ?
उत्तर :
ठाकुरबारी में हरिहर काका की सेवा के लिए दो सेवकों ने एक साफ़-सुथरे कमरे में पलंग पर बिस्तर लगाकर उन्हें वहाँ लिटा दिया। उनके लिए विशेष प्रकार के भोजन की व्यवस्था की गई। उन्हें घी टपकते मालपुए, रस बुनिया, लड्डू, छेने की तरकारी, दही, खीर आदि खाने के लिए दी गई।

प्रश्न 14.
ठाकुरबारी की देखभाल की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर :
ठाकुरबारी की देखभाल के लिए धार्मिक लोगों की एक समिति थी, जो ठाकुरबारी के संचालन के लिए प्रत्येक तीन वर्ष पर एक महंत और एक पुजारी की नियुक्ति करती थी। ठाकुरबारी का खर्चा चंदे, दान, चढ़ावे तथा बीस बीघे खेतों की फ़सल की आय से चलता था।

प्रश्न 15.
तीसरी शादी करने से हरिहर काका ने क्यों मनाकर दिया?
उत्तर :
हरिहर काका ने अपनी ढलती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण तीसरी शादी करने से इनकार कर दिया था। औलाद के लिए उन्होंने दो शादियाँ की थीं, परंतु जब दोनों ही बिना संतान को जन्म दिए स्वर्ग सिधार गईं, तो वे विरक्त हो गए। इसके बाद तीसरी शादी का विचार छोड़कर ‘प्रभु में लीन’ हो गए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

प्रश्न 16.
हरिहर काका ने खाने की थाली बीच आँगन में क्यों फेंक दी?
उत्तर :
एक दिन हरिहर काका के शहर में रहने वाले भतीजे के साथ उसका मित्र आया। उस मित्र की मेहमानबाजी में अच्छा खाना बना था। उस दिन हरिहर काका को अच्छा खाना मिलने की उम्मीद थी। लेकिन उन्हें देर तक कोई भी पूछने नहीं आया। हरिहर काका स्वयं रसोई में जाकर खाना माँगने लगे। उनके खाना माँगने पर घर की बहू ने उन्हें प्रतिदिन की तरह रूखा-सूखा खाना थाली में रखकर दे दिया। यह देखकर हरिहर काका को क्रोध आ गया और उन्होंने खाने की थाली घर के आँगन में फेंक दी।

प्रश्न 17.
‘हरिहर काका’ कहानी के आधार पर बताइए कि एक महंत से समाज की क्या अपेक्षा होती है। उक्त कहानी में महंतों की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए। उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
उत्तर :
‘हरिहर काका’ पाठ में ठाकुर बारी के महंत किसी न किसी प्रकार से हरिहर काका की संपत्ति हड़पना चाहते हैं। वे एक धर्माधि कारी होते हुए भी धर्म की उचित शिक्षा नहीं दे रहे हैं। वे मात्र अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं। वास्तव में एक धर्माधिकारी महंत का सर्वप्रथम कर्तव्य यह है कि वह समाज को धर्मानुसार आचरण करने की शिक्षा दे। जो लोग अधर्म के मार्ग पर चल रहे हैं, उन्हें सही मार्ग पर लाए। इसके लिए उन्हें समाज में नैतिक मूल्यों के विकास का प्रयत्न करते हुए उनमें परंपरागत भारतीय संस्कार जागृत करने होंगे।

इस कार्य को सफल बनाने के लिए उन्हें अपने आचरण के द्वारा लोगों को शिक्षित करना होगा। उदाहरण के लिए एक माँ ने गुरू नानकदेव जी से प्रार्थना की कि उसका बेटा गुड़ बहुत खाता है, उसे गुड़ खाने से मना करें। गुरूजी ने उसे एक सप्ताह बाद आने के लिए कहा। वह एक सप्ताह बाद बेटे के साथ आई तो गुरूजी ने बालक के सिर पर हाथ रख कर कहा कि बेटा गुड़ मत खाना।

इस पर माँ ने गुरूजी को कहा कि इतनी सी बात के लिए उसे दुबारा क्यों बुलाया, उसी दिन कह देते। गुरूजी ने उत्तर दिया कि तब मैं स्वयं गुड़ खाता था, इसलिए गुड़ नहीं खाने का उपदेश नहीं दे सकता था। अब मैं गुड़ नहीं खाता इसलिए बालक को गुड़ नहीं खाने के लिए कह सका हूँ। धर्मानुसार आचरण करने के लिए समाज को प्रेरित करना ही महंतों का मुख्य कार्य है न कि अपना स्वार्थ सिद्ध करना।

हरिहर काका Summary in Hindi

पाठ का सार :

हरिहर काका’ कहानी के कथाकार ‘मिथिलेश्वर’ हैं। इस कहानी के माध्यम से कथाकार ने ग्रामीण पारिवारिक जीवन तथा हमारी आस्था के प्रतीक धर्मस्थलों में पाँव फैला रही स्वार्थलिप्सा को उजागर किया है। कहानी में ‘हरिहर काका’ को इसी स्वार्थलिप्सा के कारण पारिवारिक संबंधों से बेदखल किया गया। लेखक का हरिहर काका से परिचय बचपन का है। हरिहर काका उसके पड़ोस में रहते थे। उन्होंने उसे अपने बच्चे की तरह प्यार और दुलार दिया था। वे उससे अपनी कोई भी बात नहीं छिपाते थे।

परंतु पिछले कुछ दिनों की घटी घटनाओं के कारण हरिहर काका ने चुप्पी साध ली थी। वे किसी से बात नहीं करते थे। वे हर समय चुपचाप बैठे हुए कुछ-न-कुछ सोचते रहते थे। ऐसा लगता था कि उनकी यह चुप्पी उनके साथ ही खत्म होगी। लेखक का गाँव आरा शहर से चालीस किलोमीटर की दूरी पर था। गाँव में तीन स्थान प्रमुख हैं। एक तालाब, दूसरा पुराना बरगद का वृक्ष और तीसरा ठाकुर जी का विशाल मंदिर जिसे लोग ठाकुरबारी भी कहते हैं। ठाकुरबारी की स्थापना कब हुई, इसका किसी को विशेष ज्ञान नहीं था।

इस संबंध में प्रचलित है कि जब गाँव बसा था, तो उस समय एक संत इस स्थान पर झोंपड़ी बनाकर रहने लगे थे। उस संत ने इस स्थान पर ठाकुर जी की पूजा आरंभ कर दी। लोगों ने धर्म और सेवा-भावना से प्रेरित होकर चंदा इकट्ठा करके ठाकुर जी का मंदिर बनवा दिया। ग्रामीण लोगों के विश्वास ने ठाकुर जी के मंदिर और संपत्ति में विशेष योगदान दिया। वहाँ के लोग अपने प्रत्येक कार्य की सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देते थे और अपनी जमीन का एक छोटा टुकड़ा ठाकुर जी के नाम लिख देते थे।

लोगों के इस विश्वास के कारण ठाकुर जी के नाम बीस बीघे जमीन हो गई थी। ठाकुरबारी की देखभाल महंत और एक पुजारी करते थे। इनकी नियुक्ति धार्मिक लोगों की समिति द्वारा तीन साल के लिए की जाती थी। ठाकुरबारी का काम लोगों में धर्मभावना और सेवाभावना उत्पन्न करना था। वहाँ के लोगों के सभी काम ठाकुरबारी से शुरू होते थे। लोग अपना कृषि से बचा समय ठाकुरबारी में व्यतीत करते थे। लेखक कभी-कभी ठाकुरबारी में जाता था। उसे वहाँ बैठे साधु-संत अच्छे नहीं लगते थे। लेखक को लगता था कि ये साधु-संत खाली बातें बनाकर हलवा-पूड़ी खाने का कार्य करते हैं। हरिहर काका चार भाई थे।

सबकी शादियाँ हो गई थी और सभी के पास बच्चे थे। हरिहर काका ने दो शादियाँ की थीं, परंतु उन्हें बच्चे नहीं हुए थे। उनकी दोनों पत्नियाँ भी जल्दी स्वर्ग सिधार गई थीं। हरिहर काका ने तीसरी शादी बढ़ती उम्र और धार्मिक संस्कारों के कारण नहीं की थी। वे अपने भाइयों के साथ रहने लगे थे। उनके परिवार के पास साठ बीघे जमीन थी। सभी भाइयों के हिस्से में पंद्रह-पंद्रह बीघे जमीन आई थी। तीनों भाइयों ने अपनी पत्नियों से कह रखा था कि हरिहर काका की अच्छी तरह सेवा करें; उन्हें किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होना चाहिए। कुछ समय तक सबकुछ ठीक प्रकार से चलता रहा।

थोड़े दिनों बाद सब अपने-अपने परिवार और बच्चों में मग्न हो गए। हरिहर काका का ध्यान रखने वाला कोई नहीं रहा। कभी-कभी उन्हें बचा-खुचा खाना दिया जाता था। बीमार पड़ने पर उन्हें पानी देने वाला कोई नहीं था। उनका अपने भाइयों के परिवार से मोहभंग हो गया। एक दिन उनके भतीजे का मित्र शहर से आया। उसके लिए तरह-तरह के व्यंजन बने। हरिहर काका को विश्वास था कि आज उन्हें अच्छा खाना मिलेगा। परंतु उन्हें किसी ने कुछ नहीं दिया। माँगने पर उन्हें वही रूखा-सूखा भोजन थाली में रखकर दे दिया गया।

हरिहर काका को गुस्सा आ गया। उन्होंने वह थाली आँगन में फेंक दी और कहने लगे कि उनके हिस्से के धन पर घर के सभी लोग मज़े कर रहे हैं। जिस समय हरिहर काका बोल रहे थे, उस समय ठाकुरबारी का पुजारी उनके घर के दालान में बैठा हुआ था। उसने ठाकुरबारी के महंत को सारी बात कह सुनाई। महंत ने इस घटना का लाभ उठाते हुए

हरिहर काका को अपने जाल में फंसा लिया। महंत हरिहर काका को एकांत में ले जाकर लोक-परलोक की बातें समझाने लगे कि यदि वह अपने हिस्से की ज़मीन ठाकुरबारी को दान कर दे, तो चारों ओर उनका गुणगान होगा, ईश्वर की भी उसके ऊपर कृपा बनी रहेगी। हरिहर काका ने पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा, जिस कारण उसे पत्नी और संतान सुख नहीं मिला।

यदि अब वह अपना तन, मन, धन ईश्वर के नाम कर देगा, तो उसे अगले जन्म में पूर्ण सुख की प्राप्ति होगी। हरिहर काका देर तक महंत की बातों पर विचार करते रहे। महंत ने उन्हें खूब अच्छा खाने को दिया और सोने के लिए एक आरामदायक कमरा दे दिया। हरिहर काका के भाइयों को जब घर में घटी घटना का पता चला, तो उन्होंने अपनी पत्नियों को बहुत फटकारा। वे तीनों काका को लेने ठाकुरबारी पहुँच गए। महंत ने हरिहर काका को एक रात के लिए अपने यहाँ रोक लिया।

इससे भाइयों को हरिहर काका की पंद्रह बीघे जमीन हाथ से निकलती दिखाई देने लगी। सुबह होते ही तीनों फिर से ठाकुरबारी पहुँच गए। हरिहर काका के पैर पकड़कर रोने लगे। हरिहर काका का दिल पसीज गया और वे उनके साथ घर आ गए। घर में सभी लोगों ने उन्हें हाथों पर लिया। उनकी बहत आवभगत हुई। अब उनकी सभी इच्छाओं का ध्यान रखा जाने लगा। हरिहर काका इस परिवर्तन का श्रेय महंत को दे रहे थे। गाँव के लोगों बताया था, परंतु फिर भी उन लोगों को सारी घटना का पता चल गया था।

हरिहर काका को लेकर गाँव में दो गुट बन गए। एक गुट का मानना था कि हरिहर काका को अपना अगला जन्म सुधारने के लिए जमीन ठाकुरबारी के नाम लिख देनी चाहिए और दूसरे गुट के लोगों का कहना था कि भाइयों के साथ खून का रिश्ता है, इसलिए ज़मीन उनको देनी चाहिए। हरिहर काका को लेकर गाँव का वातावरण तनावपूर्ण हो गया था। सभी लोग अपनी बात को ठीक बताने में लगे थे। हरिहर काका के भाइयों को भी यही आशंका होने लगी थी कि कहीं लोगों और महंत के दबाव के कारण वे अपनी जमीन ठाकुरबारी के नाम न लिख दें। हरिहर काका जीते-जी किसी को भी अपनी जमीन का स्वामी नहीं बनाना चाहते थे।

उन्हें अपने गाँव के कई बुजुर्ग याद थे, जिन्होंने अपने जीवित रहते अपनी जमीन दूसरों के नाम लिख दी और फिर उनका जीवन एक कुत्ते के जीवन के समान हो गया। हरिहर काका ने न तो महंत को इंकार किया और न ही अपने भाइयों को। वे भी इस बदलाव का असली कारण समझ गए थे। हरिहर काका को लेकर महंत चिंता में पड़ गए। उन्हें लगता था कि कहीं हाथ आई चिड़िया उड़ न जाए, इसलिए उन्होंने हरिहर काका का अपहरण करवाने का निश्चय किया। बाहर से कुछ साधु बुलाकर हरिहर काका को आधी रात के समय घर से उठवा लिया गया। उनके भाई उन्हें ढूँढ़ने लगे। उन्हें लग रहा था कि यह काम महंत का है।

वे लोग ठाकुरबारी गए। वहाँ शांति और खामोशी थी, फिर उन्हें लगा कि कहीं रुपये-पैसे के लालच में डाकू न उठाकर ले गए हों। वे यह सोच ही रहे थे कि उन्हें ठाकुरबारी में से बातचीत करने की आवाजें – आने लगीं। उन्होंने ठाकुरबारी के दरवाजे को पीटना आरंभ कर दिया। ठाकुरबारी की छत से पथराव और फायरिंग होने लगी। हरिहर काका के भाइयों ने पुलिस की सहायता लेकर ठाकुरबारी से काका को बाहर निकाला। काका की हालत बिगड़ी हुई थी। उनके अनुसार महंत उनसे जबरदस्ती जमीन के कागजों पर अंगूठा लगवाना चाहते थे। हरिहर काका के मन में महंत, पुजारी और ठाकुरबारी के प्रति नफ़रत। भर गई थी। हरिहर काका के भाई काका की रक्षा इस प्रकार करते थे, जैसे कोई अनमोल वस्तु हो। काका को यह अनुभव हो गया था।

कि भाइयों द्वारा स्नेह और आदर उनकी जायदाद के कारण है। ठाकुरबारी की घटना के पश्चात भाइयों का दबाव बढ़ने लगा था कि जायदाद उनके नाम कर दें, परंतु काका अपनी बात पर अड़े हुए थे। काका की टालने वाली बातें सुनकर तीनों भाइयों ने महंत वाला रास्ता अपनाया। हरिहर काका से मारपीट आरंभ कर दी। मार पड़ने पर हरिहर काका ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगे, जिस कारण उनकी आवाजें घर से बाहर निकल गईं। लोगों ने हरिहर काका के साथ हो रही जोर-ज़बरदस्ती की बात महंत को बताई।

महंत ने पुलिस कार्यवाही करने। में तत्परता दिखाई। पुलिस ने हरिहर को भाइयों के कब्जे से बड़ी बुरी हालत में बरामद किया। हरिहर काका का धर्म से तो पहले ही मोहभंग हो गया था, लेकिन भाइयों के व्यवहार को देखकर खून के रिश्ते से भी उनका मन उचट गया था। हरिहर काका को लेकर महंत और तीनों भाइयों में खींचतान आरंभ हो गई। दोनों गुटों को एक-दूसरे से डर लगा रहता था कि हरिहर काका को कोई भी गुट अपने पक्ष में न कर ले। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस का पहरा लगा दिया गया।

महंत और तीनों भाई हरिहर काका का विश्वास फिर से जीतने में लगे हुए थे। इस बीच गाँव के एक नेताजी का भी ध्यान हरिहर काका और उनकी जायदाद पर जाता है। वे हरिहर काका से स्कूल बनाने के बहाने से ज़मीन हथियाना चाहते थे, लेकिन हरिहर काका अब किसी की भी बातों में नहीं आते थे। नेताजी को खाली हाथ लौटना पड़ा। गाँववालों के पास अब उठते-बैठते एक ही चर्चा थी कि हरिहर काका अपनी जमीन किसके नाम लिखेंगे।

गाँव में खबरों का बाजार गर्म था कि हरिहर काका के मरने के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर भी दोनों गुटों में झगड़ा होगा, क्योंकि दोनों के पास हरिहर काका के अंगूठा लगे कागज़ थे। हरिहर काका ने तो सबकी बातें सुननी बंद कर दी थीं। वह किसी की भी बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। हरिहर काका ने अपने कामों के लिए एक नौकर रख लिया था। उन्हें तो धर्म के अधर्म स्वरूप ने और खून के रिश्तों की स्वार्थता ने गूंगा बना दिया था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

कठिन शब्दों के अर्थ :

यंत्रणाओं – यातनाओं, मनःस्थिति – मानसिक दशा, आसक्ति – लगाव, सयाना – बड़ा होना, मझदार – बीच में, विलीन – लुप्त होना, विकल्प – दूसरा उपाय, मन्नौती – मन्नत, ठाकुरबारी – देवस्थान, संचालन – चलाना, अखरना – बुरा लगना, नियुक्ति – लगाया गया, दवनी – अन्न निकालने की प्रक्रिया, अगउम – देवता के लिए निकाला गया अंश, घनिष्ठ – गहरा, हाज़िर – उपस्थित, प्रवचन – उपदेश, मशगूल – व्यस्त, चटोर – खाने-पीने वाले, हमाध – हवन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, तत्क्षण – उसी पल, अकारथ – बेकार, विलंब – देर, मुस्तैद – तैयार, निष्कर्ष – परिणाम, जून – समय, बय – उम्र, अप्रत्याशित – आकस्मिक, महटिया – टाल जाना, छल, बल, कल – वंचना, शक्ति, बुद्धि, आच्छादित – ढका हुआ।

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