Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 12 ध्वनि
Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर:
ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कान में श्रवण संवेदना उत्पन्न करती है। जब हम किसी घण्टे पर चोट मारते हैं तो हमें ध्वनि सुनाई देती है तथा घण्टे को हल्का-सा छूने पर उसमें झनझनाहट-सी महसूस होती है। जैसे ही घण्टे में कंपन बंद हो जाता है ध्वनि भी बंद हो जाती है। इसी कारण जब सितार के तार को अँगुली से दबाकर छोड़ देते हैं, तो वह कम्पन करने लगता है और उससे ध्वनि निकलने लगती है। जीवधारी अपने गले की झिल्ली में कम्पन करके मुँह से ध्वनि निकालते हैं। इन कम्पनों की आवृत्ति 20 से 20,000 प्रति सेकण्ड के बीच होती है।
प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट बायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
ध्वनि हवा के माध्यम से गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वह अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीडन कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। कंपित वस्तु
पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन कहलाता है जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, वैसे-वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है।
प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
चित्र 12.16 के अनुसार उपकरणों को व्यवस्थित करके स्विच को दबाने पर हम घंटी की आवाज सुनते हैं। बेलजार से धीरे-धीरे हवा निकालने पर घंटी की आवाज धीमी होती जाती है, हालाँकि अभी भी उसमें उतनी ही विद्युत प्रवाहित हो रही है बेलजार में थोड़ी-सी हवा बचने पर घंटी की आवाज बहुत धीमी सुनाई पड़ती है। हवा पूरी तरह निकल जाने पर घंटी की आवाज बिल्कुल सुनाई नहीं देती। इस प्रयोग से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ध्वनि को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर:
जब ध्वनि तरंगें संचरण करती हैं, तो हवा के अणु तरंग की गति की दिशा के अनुदिश गति करते हैं। इसीलिए ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य तरंगें होती हैं।
प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अँधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर:
ध्वनि की गुणता वह अभिलक्षण है जो हमें आवाज पहचानने में सहायता करता है और हम मित्र की आवाज पहचान लेते हैं।
प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं, लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं लेकिन पहले चमक दिखाई देती है और गर्जन की आवाज बाद में सुनाई देती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वायु में प्रकाश का वेग, ध्वनि के वेग से अधिक होता है। अतः चमक हमें पहले दिखाई देती है और ध्वनि कुछ देर बाद सुनाई देती है।
प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परास 20 Hz से 20 kHz है। दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1
हल:
I. आवृत्ति = 20 हज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मीटर / सेकण्ड
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
v = λ × v
344 मीटर / सेकण्ड = λ x 20 हर्ट्ज
II. आवृत्ति v = 20 किलो हर्ट्ज = 20,000 हर्ट्ज
वायु में ध्वनि का वेग v = 344 मी./से.
तरंगदैर्ध्य λ = ?
वेग तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
344 मीटर / सेकण्ड = λ × 20,000 हर्ट्ज
इस प्रकार, 20 हर्ट्ज और 20 किलो हर्ट्ज के अनुरूप तरंगदैर्ध्य हैं क्रमश: 17.2 मीटर और 0.0172 मीटर।
प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
हवा में ध्वनि का वेग v1 = 346 मी./से.
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग v2 = 6420 मी./से.
प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
हल:
आवृत्ति = 100 Hz
समय = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
कंपनों की संख्या = आवृत्ति x समय
= 100 Hz x 60 सेकण्ड
= 6000 कंपन।
प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका प्रकाश तरंगें करती हैं। ये नियम इस प्रकार हैं-
- अभिलम्ब तथा ध्वनि के आपतित होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं।
- ये तीनों एक ही तल में होते हैं।
प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक सतह के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक सतह की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी – (i) जिस दिन तापमान अधिक हो? (ii) जिस दिन तापमान कम हो?
उत्तर:
समय और वेग में प्रतिलोम अनुपात है। किसी भी माध्यम का ताप बढ़ने से उनमें ध्वनि का वेग बढ़ जाता है। इसलिए, गर्म दिन में अधिक तापमान के कारण ध्वनि का वेग बढ़ जाएगा और हमें प्रतिध्वनि ठंडे दिन की अपेक्षा जल्दी सुनाई देगी।
प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के उपयोग-
- श्रवण सहायक यंत्र ध्वनि के परावर्तन की प्रक्रिया पर ही आधारित होते हैं।
- सोनार
प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी। (g = 10ms-2 तथा ध्वनि की चाल 340 ms है)
हल:
मीनार की ऊँचाई = 500 मी.
ध्वनि की चाल = 340 ms-1
g = 10ms-1
ध्वनि द्वारा तालाब से मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा समय = \(\frac { 500 }{ 340 }\) = 1.5 सेकण्ड
पत्थर द्वारा चोटी से तालाब तक पहुँचने में लगा समय
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt²
500 = 0 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 x t²
(पत्थर विरामावस्था में था अतः u = 0 व ut = 0)
5t² = 500
t² = \(\frac { 500 }{ 5 }\) = 100
t = \(\sqrt{100}\)
= 10 सेकण्ड
अतः ध्वनि को मीनार की चोटी पर पहुँचने में लगा कुल समय
= 1.5 सेकण्ड + 10 सेकण्ड = 11.5 सेकण्ड
प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms की चाल से चलती है। यदि ध्वनि की तरंगदैर्ध्य 1.5 सेमी हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होंगी?
हल:
ध्वनि की चाल = 339 ms-1
तरंगदैर्ध्य = 1.5 सेमी. = 0.015 मी.
हम जानते हैं-
चाल = आवृत्ति x तरंगदैर्ध्य
339 = आवृत्ति x 0.015 मी.
आवृत्ति =\(\frac { 339 }{ 0.015 }\)
= \(\frac { 339×1000 }{ 15 }\)
= 22600 Hz
यह श्रव्य नहीं है।
प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
ध्वनि के बार बार दीवार से टकराकर बार-बार परावर्तन के कारण ध्वनि निर्बंध होता है। इसे अनुरणन कहते है।
अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे- संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरा या पर्दे लगा देते हैं।
प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
किसी ध्वनि की प्रबलता उसकी तीव्रता है। यह उसके आयाम पर निर्भर करती है। ऐसी ध्वनि को जिसमें अधिक ऊर्जा होती है, उसकी प्रबलता कहते हैं।
कारक – यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-
- आयाम पर
- ऊर्जा पर
- तीव्रता पर
- तरंग के वेग पर
इकाई क्षेत्र से 1 सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि को प्रबलता कहते हैं।
प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ों की आँखें कमजोर होती हैं, इसीलिए वे अपना शिकार देख नहीं पाते। अपनी उड़ान के समय वे उच्च आवृत्ति वाली पराश्रव्य तरंगें छोड़ते हैं ये तरंगें अवरोध या शिकार द्वारा परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक वापस पहुँचती हैं। इन परावर्तित तरंगों की प्रकृति से चमगादड़ अवरोध या शिकार की स्थिति व आकार जान लेते हैं।
प्रश्न 18
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग ऐसे भागों को साफ करने के लिए किया जाता है, जो पहुँच से परे होती हैं, जैसे- सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे आदि। इन्हें साफ करने के लिए साफ करने वाले मार्जन विलयन में रखते हैं। इस विलयन में पराध्वनि की तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण, धूल, चिकनाई तथा गंदगी अलग हो जाती है। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।
प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उसके उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसे जल में स्थित पिंडों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है। प्रेषित पराध्वनि उत्पन्न व प्रेषित करता है, ये तरंगें जल में चलती हैं तथा जल से टकराकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है। जिसका उचित विश्लेषण करके अनेक चीजों की जानकारी हासिल की जाती है।
सोनार के उपयोग:
- सोनार का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
- इसका उपयोग जल के अन्दर स्थित चट्टानों या घाटियों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
- इसका उपयोग हिम शैल या डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है।
प्रश्न 20.
कडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
वस्तु की दूरी = 3625m; समय = 5s
ध्वनि की चाल = ?
2 x दूरी = चाल x समय
2 x 3625 = v x 5
5v = 2 x 3625
v = \(\frac {2×3625 }{ 5 }\) = 1450m/s
अतः ध्वनि की चाल = 1450m/s
प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातुओं से बने ब्लॉकों के दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। धातु के ब्लॉकों में विद्यमान दरार या छिद्र जो बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि जरा सा भी दोष आता है तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं। इस प्रकार धातु के ब्लॉकों से दोष दूर कर दिया जाता है।
प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का बाहरी कान, जिसे कर्णपल्लव कहते हैं, वातावरण से ध्वनि को एकत्र करके उसे श्रवण नलिका से होकर, मध्य कर्ण की ओर प्रेषित कर देता है। ध्वनि तरंगों के संपीडन तथा विरलन श्रवण नलिका से होकर कर्णपटल तक पहुँच जाते हैं। संपीडन कर्णपटल पर भीतर की ओर दवाब डालता है और विरलन के कारण कर्णपटल बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों के कारण कर्णपटल कम्पन्न करने लगता है।
मुग्दरक, निहाई तथा वलयक नामक हडडियाँ इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण में स्थित कर्णावर्त इन दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदल देता है और श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क को भेज देता है। मस्तिष्क इन विद्युत संकेतों की ध्वनि के रूप में व्यख्या कर लेता है।
Jharkhand Board Class 9 Science ध्वनि InText Questions and Answers
क्रियाकलाप 12.1. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक स्वरित्र द्विभुज लेकर इसकी किसी भुजा को एक रबड़ के पैड पर मार कर इसे कंपित कराकर अपने कान के पास लाइए। क्या आपको इसकी ध्वनि सुनाई देती है और क्या अँगुली से स्पर्श करने पर यह कंपित हो रही है।
अब एक टेबिल टेनिस या एक छोटी प्लास्टिक की गेंद को एक धागे से लटकाकर चिंत्रानुसार पहले कम्पन न करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये। फिर कम्पन करते हुए स्वरित्र की एक भुजा से गेंद को स्पर्श करिये और दोनों अवस्थाओं में अन्तर की व्याख्या करने का प्रयास करिये।
क्रियाकलाप 12.2. (पा. पु. पृ. सं. 179)
एक बीकर या गिलास को ऊपर तक पानी से भरकर कंपमान स्वरित्र की एक भुजा को चित्र में दर्शाए अनुसार पानी की सतह से स्पर्श कराये तथा कंपमान स्वरित्र की दोनों भुजाओं को पानी में डुबोइए और दोनों अवस्थाओं के बारे में अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए।
क्रियाकलाप 12.3. (पा. पु. पृ. सं. 180 )
विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाकर अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए कि ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इस वाद्य यंत्रों का कौन सा भाग कंपन करता है।
अब उत्तर दें –
प्रश्न 1.
क्रियाकलाप 12.1 में दोनों अवस्थाओं में क्या विचार-विमर्श किया?
उत्तर:
स्वरित्र की भुजा को पैड पर मारने पर इसमें कम्पन उत्पन्न होते हैं तथा लटकाई गेंद को कंपन करते हुए स्वरित्र की भुजा से छूने पर गेंद भी कंपित होने लगती है।
प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 12.2 में चित्र 12.2 व 12.3 से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा पानी की सतह को छूती है तो स्वरित्र के स्पर्श बिन्दु से तरंगें उत्पन्न होकर फैल जाती हैं (चित्र 12.2) तथा चित्र 12.3 में स्वरित्र द्विभुज के दोनों सिरे पानी की सतह को छू रहे हैं तो तरंगें एक-दूसरे के ऊपर आकर अवरोध उत्पन्न करती हैं।
प्रश्न 3.
क्रियाकलाप 12.3 में वाद्य यंत्रों की सूची व कंपित भाग की सूची बनाइए।
उत्तर:
वाद्य यंत्र | कंपित भाग |
गिटार, सितार | तार में उत्पन्न कम्पन |
बाँसुरी | बाँसुरी के अन्दर की वायु |
ढोलक | पर्दा |
हारमोनियम | हारमोनियम की रीड |
खंड 12.2 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)
प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर:
जब ध्वनि के कारण किसी माध्यम में कोई विक्षोभ उत्पन्न होता है तो यह विक्षोभ माध्यम के कणों में गति उत्पन्न कर देता है। ये कण अपने समीपवर्ती माध्यम के अन्य कणों में उसी प्रकार की गति उत्पन्न कर देते हैं। यह क्रिया इसी प्रकार माध्यम के अन्य कणों में फैलती जाती है और विक्षोभ हमारे कानों तक पहुँच जाता है।
खंड 12.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 182)
प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घण्टी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर:
जब घण्टी पर हथौड़े से आघात किया जाता है तो घण्टी कम्पित हो उठती है। घण्टी के कम्पित होने से ध्वनि उत्पन्न होती है।
प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें इसलिए कहा जाता है; क्योंकि ये माध्यम के कणों की कम्पनिक गति के द्वारा संचारित होती हैं, अर्थात् इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर:
किसी स्रोत से उत्पन्न ध्वनि तरंग वायु से होकर हमारे कानों तक पहुँचती है और तब हमें सुनाई पड़ती है। वायु की अनुपस्थिति में ध्वनि तरंगों का हमें सुनाई पड़ना सम्भव नहीं है। चूँक चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है; अत: हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को नहीं सुन पायेंगे।
क्रियाकलाप 12.4. (पा. पु. पृ. सं. 182)
एक स्लिंकी लेकर चित्र के अनुसार खींचिए तथा अपने मित्र की ओर स्लिंकी को एक तेज झटका दीजिए। यदि आप अपने हाथ से स्लिंकी को लगातार आगे पीछे बारी-बारी से धक्का देते और खीचते रहें और स्लिंकी पर एक चिह्न लगा दें तो आप पायेंगे कि स्लिंकी पर लगा चिह्न विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर आगे-पीछे गति करता है।
उन क्षेत्रों को जहाँ कुंडलियाँ पास-पास आ जाती हैं संपीडन (C) कहते हैं तथा उन क्षेत्रों को जहाँ कुण्डलियाँ दूर दूर हो जाती हैं, विरलन (R) कहते हैं। स्लिंकी में विक्षोभ के संचरण की तरंगों को अनुदैर्ध्य तरंगें कहते हैं। इन तरंगों में माध्यम से कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है।
खंड 12.2.3 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 186)
प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) प्रबलता-किसी ध्वनि तरंग की प्रबलता मूलत: उसके आयाम द्वारा निर्धारित होती है। बड़े आयाम की ध्वनि प्रबल तथा छोटे आयाम की ध्वनि मृदु होती है।
(b) तारत्व-ध्वनि का तारत्व उसकी आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है। उच्च आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व ऊँचा तथा निम्न आवृत्ति की ध्वनि का तारत्व नीचा होता है।
प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्नलिखित में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है ?
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार की ध्वनि का तारत्व अधिक होता है।
तरंग के किसी बिन्दु जैसे एक संपीडन या एक विरलन द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी तरंग वेग कहलाती है।
हम जानते हैं
v = λv (∵ \(\frac { 1 }{ T }\) = v)
अथवा V = λv
वेग = तरंगदैर्ध्य x आवृत्ति
क्रियाकलाप 12.5. (पा. पु. पृ. स. 188)
चित्र 12.10 की भाँति दो एक जैसे पाइप लेकर इन्हें दीवार के समीप किसी मेज पर व्यवस्थित करें। एक पाइप के खुले सिरे के पास एक घड़ी रखिए तथा दूसरे पाइप की ओर से ध्वनि सुनने की कोशिश कीजिए। जब ठीक प्रकार से समायोजित होने पर ध्वनि सुनाई देने लगे तब इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलंब के बीच के कोणों को मापिए तथा इनके बीच के संबंध को देखिए। दाईं ओर का पाइप थोड़ा सा उठाने पर क्या प्रेक्षित होता है?
निष्कर्ष-
- जब पाइप दीवार के साथ बराबर कोण पर होते है अर्थात् ∠i = ∠r तब घड़ी की ध्वनि सबसे अच्छी सुनाई देती है।
- जब दायीं ओर के पाइप को थोड़ा ऊपर उठाया जाता है तो घड़ी की ध्वनि अच्छी तरह सुनाई नहीं देगी।
खंड 12.3 .1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 189)
प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3 s पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर:
धवनि की चाल (V) = 342-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय (t) = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = V x t = 342 ms-1 x 3 s
3 s में प्रतिध्वनि सुनाई दी। अतः 3 s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक के बीच की दुगनी दूरी तय की।
स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच की दूरी होगी
= \(\frac { 1026 }{ 2 }\)m = 513 m
खंड 12.3.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 190)
प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।
खंड 12.4 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 191)
प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों में ध्वनि की श्रव्यता का परास लगभग 20 हर्ट्ज से 20,000 हर्ट्ज तक होता है।
प्रश्न 2.
निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अपश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ।
(b) 20000 हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति की ध्वनियाँ।
खंड 12.5 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 193)
प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
सोनार स्पंद प्राप्त करने तथा प्रेषित्र के बीच समय, t = 1.02 s
लवणीय जल (खारे पानी) में ध्वनि की गति, V = 1531 ms-1
माना चट्टान की दूरी = d
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2d
परंतु 2d = ध्वनि की गति x समय = v t
= 1531 x 1.02 m
d = \(\frac { 1531×1.02 }{ 2 }\)
= 780.81 m
नोट-चमगादड़ अंधेरे में भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनिक तरंगें उत्सर्जित करके परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से टकराकर उनसे परावर्तित होकर चमगादड़ के कान तक पहुँचते हैं, इससे चमगादड़ को अवरोध या कीट आदि की स्थिति का पता लग जाता है।