Jharkhand Board JAC Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Important Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Science Important Questions Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. हरित क्रांति सम्बन्धित है-
(a) दुग्ध उत्पादन से
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से
(c) मछली उत्पादन से
(d) मधुमक्खी पालन से।
उत्तर:
(b) फसल उत्पादन में वृद्धि से।
2. श्वेत क्रांति सम्बन्धित है-
(a) उर्वरक उत्पादन से
(b) खाद उत्पादन से
(c) दुग्ध उत्पादन से
(d) कृषि उत्पादन से।
उत्तर:
(c) दुग्ध उत्पादन से।
3. निम्न से कौन-से प्राथमिक पोषक तत्व हैं?
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस
(b) सल्फर, लोहा, मैंगनीज
(c) कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन
(d) कॉपर, क्लोरीन, बोरॉन
उत्तर:
(a) नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस।
4. उर्वरक का प्रयोग कब किया जाता है-
(a) बीज बोने से पहले
(b) बीज बोने के बाद
(c) फसल कटने के बाद
(d) कभी भी।
उत्तर:
(c) फसल कटने के बाद
5. कीटनाशी का प्रयोग किसे मारने के लिए किया जाता है?
(a) कीट
(b) जीवाणु
(c) पौधा
(d) चूहा।
उत्तर:
(a) कीट।
6. दो सामान्य फसलों के बीच दलहनी फसल उगाने की विधि को कहते हैं-
(a) एकल खेती
(b) फसल चक्र
(c) मिश्रित खेती
(d) बहुफसली खेती।
उत्तर:
(d) बहुफसली खेती।
7. मुर्गियों की संकर नस्ल कौन सी है-
(a) व्हाइट लेगहॉर्न
(b) बसरा
(c) असील
(d) ILS-82
उत्तर:
(d) ILS-82।
8. खरपतवार वाले पौधे हैं-
(a) गोखरू
(b) गाजर घास
(c) मोथा
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
9. पौधों में रोग उत्पन्न करने वाले कारक हैं-
(a) बैक्टीरिया
(b) कवक
(c) वाइरस
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
10. पशुओं की सामान्य बीमारी कौन-सी है?
(a) बुखार
(b) हैजा
(c) पशु महामारी
(d) मुँहपका एवं खुरपका।
उत्तर:
(d) मुँहपका एवं खुरपका।
11. माँस के लिए पाला जाता है-
(a) ब्रौलर
(b) लेयर
(c) बौलर एवं लेयर
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(a) ब्रौलर।
12. ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है.
(a) गोश्त प्राप्ति के लिए
(b) अंडे प्राप्ति के लिए
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए
(d) औषधि निर्माण के लिए।
उत्तर:
(c) मोतियों को प्राप्त करने के लिए।
13. मिश्रित मछली संवर्धन किया जाता है-
(a) समुद्र में
(b) नदियों में
(c) झीलों में
(d) तालाबों में
उत्तर:
(d) तालाबों में।
14. देशी किस्म की मधुमक्खी है-
(a) ऐपिस सेरना इंडिका
(b) ऐपिस डोरसेटा
(c) ऐपिस फ्लोरी
(d) उपर्युक्त तीनों ही।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त तीनों ही।
15. फसल के लिए कुल कितने पोषक तत्व आवश्यक हैं-
(a) 16
(b) 13
(c) 7
(d) 6
उत्तर:
(a) 16।
16. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल मृदा को नाइट्रोजन से समृद्ध करेगी-
(a) सेम
(b) मटर
(c) धान
(d) आलू।
उत्तर:
(b) मटर।
रिक्त स्थान भरो-
- ………………….. क्रांति द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- ………………….. क्रांति द्वारा दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- पशुधन के प्रबंधन को ………………….. कहते हैं।
- नस्लों की गायों में रोगप्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है।
उत्तर:
- हरित
- श्वेत
- पशुपालन
- देशी।
सुमेलन कीजिए-
कॉलम ‘क’ | कौलम ‘ख’ |
1. विदेशी गाय | (क) मत्स्य पालन |
2. देशी गाय | (ख) रेडसिंधी |
3. मछली | (ग) जर्सी |
4. देशी मुर्गी | (घ) एसिल |
उत्तर:
1. (ग) जर्सी
2. (ख) रेडसिंधी
3. (क) मत्स्य पालन
4. (घ) एसिल
सत्य / असत्य-
- माँस के लिए लेयर मुर्गी को पाला जाता है।
- मधुमक्खी पालन में बहुत अधिक पूँजी निवेश होता है।
- सामान्य भारतीय मधुमक्खी का वैज्ञानिक नाम ऐपिस सेरना इंडिका है।
- ग्रास कॉर्प मछली खरपतवार खाती है।
उत्तर:
- असत्य
- असत्य
- सत्य
- सत्य।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
भोजन से हमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 2.
हमारे भोजन के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
जन्तु तथा पौधे हमारे भोजन के स्रोत हैं।
प्रश्न 3.
हमारे देश की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
हमारे देश की जनसंख्या 1 बिलियन (1 अरब) से अधिक है।
प्रश्न 4.
किस क्रान्ति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
हरित क्रांति से फसल उत्पादन में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 5.
दुग्ध उत्पादन किस प्रकार बढ़ाया गया है?
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन श्वेत क्रांति से बढ़ाया गया है।
प्रश्न 6.
कृषि और पशुपालन के लिए किन प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है?
उत्तर:
कृषि और पशुपालन के लिए संपोषणीय प्रणालियों को अपनाने की आवश्यकता है।
प्रश्न 7.
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमें क्या अपनाना होगा?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक प्रणालियाँ एवं प्रबन्धन अन्तराफसलीकरण तथा सम्बन्धित कृषि प्रणालियाँ अपनानी होंगी।
प्रश्न 8.
हमें कार्बोहाइड्रेट किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
हमें कार्बोहाइड्रेट गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा से प्राप्त होता है।
प्रश्न 9.
प्रोटीन किन-किन फसलों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रोटीन चना, मटर, अरहर, उड़द, मूंग और मसूर से प्राप्त होता है।
प्रश्न 10.
तेल प्रदान करने वाले बीजों के नाम बताइये।
उत्तर:
सरसों, अलसी, सूरजमुखी, अरंड, तिल, सोयाबीन, मूंगफली तेल देने वाले बीज हैं।
प्रश्न 11.
चारा देने वाली फसलों के नाम बताइये।
उत्तर:
बरसीम, जई, सूडान घास, चरी (हरी ज्वार) के पौधे आदि चारा देने वाली फसलें हैं।
प्रश्न 12.
फसलों की उचित वृद्धि के लिए किन-किन परिस्थितियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
फसल की उचित वृद्धि के लिए जलवायुवीय परिस्थितियाँ, उचित तापमान और दीप्तिकाल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
दीप्ति काल किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
दीप्तिकाल सूर्य के प्रकाश काल से सम्बन्धित है।
प्रश्न 14.
पौधों में पुष्पन और वृद्धि किस पर निर्भर है?
उत्तर:
पौधों में पुष्पन और वृद्धि सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है।
प्रश्न 15.
पौधे किस प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं?
उत्तर:
पौधे प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा अपना भोजन निर्माण करते हैं।
प्रश्न 16.
वर्षा ऋतु में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
वर्षा ऋतु में धान, सोयाबीन, अरहर, मक्का, मूंग तथा उड़द की फसलें उगाई जाती हैं। इन्हें खरीफ फसल कहते हैं।
प्रश्न 17.
खरीफ फसलों का समय बताइये।
उत्तर:
खरीफ फसलों का समय जून से अक्टूबर माह तक है।
प्रश्न 18.
रबी में कौन सी फसलें उगाई जाती हैं?
उत्तर:
रबी में गेहूँ, चना, मटर, सरसों, अलसी की फसलें उगाई जाती हैं। ये शीत ऋतु की फसलें हैं।
प्रश्न 19.
रबी की फसलों का समय क्या है?
उत्तर:
रबी की फसलों का समय नवम्बर से अप्रैल तक का है।
प्रश्न 20.
कृषि प्रणालियों को किन तीन चरणों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
कृषि प्रणालियों को तीन चरणों में बाँटा जा सकता है-
- बीज का चुनना
- फसल की उचित देखभाल
- खेत में उगी फसल की सुरक्षा तथा कटी हुई फसल को हानि से बचाना।
प्रश्न 21.
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण किस विधि से डाले जाते हैं?
उत्तर:
फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुण संकरण विधि से डाले जाते हैं।
प्रश्न 22.
सस्य विज्ञान वाली किस्में किसमें सहायक हैं?
उत्तर:
सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन में सहायक हैं।
प्रश्न 23.
पौधे अपने पोषण के लिए पोषक तत्व कहाँ से प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
पौधे अपने पोषण के लिए हवा से ऑक्सीजन, CO2, पानी से हाइड्रोजन और मिट्टी से 13 पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 24.
पौधों को कितने वृहत् और कितने सूक्ष्म पोषकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
पौधों को 6 बृहत् और 7 सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 25.
पौधों के लिए वृहत् पोषकों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पौधों के लिए बृहत् पोषक हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर।
प्रश्न 26.
सूक्ष्म पोषक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आयरन, मैंगनीज, जिंक, कॉपर, बोरॉन, मॉलिब्डेनम और क्लोरीन सूक्ष्म पोषक हैं।
प्रश्न 27.
खाद में किन पदार्थों की अधिकता होती है?
उत्तर:
खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।
प्रश्न 28.
खाद की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों को प्रचुर मात्रा में प्रदान कर उसकी उर्वरता को बढ़ाता है।
प्रश्न 29.
रेतीली मिट्टी पर खाद का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
खाद से रेतीली मिट्टी में पानी को रोकने की क्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न 30.
कम्पोस्ट खाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
कृषि और जन्तु अपशिष्ट (गोबर), घरेलू कचरे, खरपतवार आदि को गड्ढों में अपघटित करके बनाई जाने वाली खाद को कम्पोस्ट खाद कहते हैं।
प्रश्न 31.
वर्मीकम्पोस्ट क्या है?
उत्तर:
केंचुए के उपयोग से तैयार कम्पोस्ट को वर्मी कम्पोस्ट कहते हैं।
प्रश्न 32.
हरी खाद क्या है?
उत्तर:
खेत में फसल उगाने से पहले पटसन, मूंग, ज्वार, ढेंचा आदि को उगाकर उन्हें खेत की जुताई करके मिट्टी में मिला देनें से हरे पौधे खाद में बदल जाते हैं।
प्रश्न 33.
हरी खाद में कौन-कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
हरी खाद में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में होते हैं।
प्रश्न 34.
उर्वरक क्या हैं?
उत्तर:
उर्वरक व्यावसायिक रूप से तैयार पादप पोषक हैं, जिनमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम की अधिकता होती है। जैसे यूरिया, डी.ए.पी. आदि।
प्रश्न 35.
उर्वरक के अधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम क्यों हो जाती है?
उत्तर:
उर्वरकों के अधिक उपयोग से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की पुनः पूर्ति नहीं होती है तथा सूक्ष्म जीवों का जीवन चक्र अवरुद्ध हो जाता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है।
प्रश्न 36.
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय क्या है?
उत्तर:
मिट्टी की उर्वरता बनाये रखने का प्राकृतिक उपाय फसल चक्र अपनाया जाना है।
प्रश्न 37.
सिंचाई के चार जल स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सिंचाई के चार जल स्रोत हैं- कुएँ, नहरें, नदियाँ, तालाब।
प्रश्न 38.
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारकों का नाम लिखो।
उत्तर:
सिंचाई की मात्रा निर्धारित करने वाले कारक हैं- मिट्टी की प्रकृति, फसल विशेष की प्रकृति और वर्षा।
प्रश्न 39.
नदी लिफ्ट पम्प क्या है?
उत्तर:
नदियों के किनारे स्थित खेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकालना (पम्पिंग सैट द्वारा) ‘नदी लिफ्ट पम्प’ कहलाता है।
प्रश्न 40.
चैक डैम का क्या उपयोग है?
उत्तर:
चैक डैम वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं और मृदा अपरदन को कम करते हैं।
प्रश्न 41.
मिश्रित फसल के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
मिश्रित फसल के उदाहरण मेहूँ सरसों, गेहूँ + चना, मूंगफली + सूरजमुखी।
प्रश्न 42.
अन्तराफसलीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खोत में निर्दिष्ट पैटर्न पर उगाया जाता है तो इसे अन्तराफसलीकरण कहते हैं। इसमें कुछ पंक्तियों में एक प्रकार की फसल तथा उसके एकान्तर दूसरी पंक्तियों में दूसरी फसल उगाई जाती है।
प्रश्न 43.
अन्तराफसलीकरण के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- सोयाबीन + मक्का
- बाजरा लोबिया।
प्रश्न 44.
खरपतवार क्या हैं? इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
फसल के पौधों के साथ उगने वाले अवांछित पौधों को खररपतवार कहते हैं, जैसे- गोखरू, गाजर घास, मोथा, जई, चौलाई, बथुआ तथा हिरनखुरी, जंगली मेथी आदि।
प्रश्न 45.
पौधों में रोग किन कारकों से होते हैं?
उत्तर:
पौधों में रोग बैक्टीरिया, वाइरस और कवक द्वारा होते हैं।
प्रश्न 46.
हानिकारक कारक अनाज को क्या हानि पहुँचाते हैं?
उत्तर:
हानिकारक कारक अनाज की गुणवत्ता खराब करते हैं, वजन कम कर देते हैं, अंकुरण करने की क्षमता कम करते हैं और उन्हें बदरंग करते हैं।
प्रश्न 47.
पशुपालन किसे कहते हैं? इसके अन्तर्गत क्या-क्या कार्य किये जाते हैं?
उत्तर:
पशुओं को पालने के प्रबन्धन को पशुपालन कहते हैं। इसके अन्तर्गत पशुओं को भोजन देना, प्रजनन कराना तथा रोगों पर नियन्त्रण करना शामिल हैं।
प्रश्न 48.
दुधारू तथा ड्राफ्ट पशु किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
दूध देने वाली मादाओं को दुधारू पशु तथा बोझा ढोने वाले पशुओं को ड्राफ्ट पशु कहते हैं।
प्रश्न 49.
लम्बे समय तक दुग्ध स्रावणकाल के लिए विदेशी नसलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
जर्सी, ब्राउन, स्विस गाय का दुग्ध स्रावण काल लम्बा होता है।
प्रश्न 50.
अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली गाय की दो देशी नस्लों के नाम बताओ।
उत्तर:
रेडसिंधी तथा साहीवाल अधिक रोग प्रतिरोधकता वाली नस्ल की गाय हैं।
प्रश्न 51.
पर्णकृमि कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
पर्णकृमि (फ्लूकवर्म) पशुओं के यकृत में पाया जाता है।
प्रश्न 52.
कुक्कुट पालन में किन मुर्गियों का पालन किया जाता है?
उत्तर:
कुक्कुट पालन में अण्डों के लिए लेअर तथा माँस के लिए बौलर का पालन किया जाता है।
प्रश्न 53.
नई किस्मों के लिए किन कुक्कुटों का संकरण कराया जाता है ?
उत्तर:
नई किस्मों के लिए देशी एसिल तथा विदेशी लेगहार्न नस्लों का संकरण कराया जाता है।
प्रश्न 54.
बौलर के आहार में कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं?
उत्तर:
ब्रॉलर के आहार में प्रोटीन तथा वसा प्रचुर मात्रा में होते हैं।
प्रश्न 55.
मुर्गियों में रोग होने के कारण बताइए।
उत्तर:
मुर्गियों में रोग होने के कारण हैं- जीवाणु, विषाणु, कवक, परजीवी तथा पोषणहीनता।
प्रश्न 56.
प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
मछली प्रोटीन प्राप्ति का अच्छा और सस्ता स्रोत है।
प्रश्न 57.
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र कितना है?
उत्तर:
भारत का समुद्री संसाधन क्षेत्र 7500 किलोमीटर समुद्री तट तथा इसके बाद समुद्र की गहराई तक है।
प्रश्न 58.
सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियों के नाम बताइए।
उत्तर:
पॉसफेट, मैकलं, दुना, सारडाइन व कंबेडक सर्वाधिक प्रचलित समुद्री मछलियाँ हैं।
प्रश्न 59.
मछलियों के बड़े समूह का पता कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
मछलियों के बड़े समूह का पता सैटेलाइट तथा प्रतिध्वनि ध्वनित्र से लगाया जाता है।
प्रश्न 60.
समुद्री जल में संवर्द्धित मछलियों के नाम बताओ।
उत्तर:
मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पंख युक्त मछलियाँ)।
प्रश्न 61.
मोतियों की प्राप्ति के लिए किसका संवर्धन किया जाता है?
उत्तर:
मोतियों की प्राप्ति के लिए ऑएस्टर का संवर्धन किया जाता है।
प्रश्न 62.
समुद्री संवर्धन (मेरी कल्चर) किसे कहते हैं?
उत्तर:
समुद्री मछलियों का भण्डार (स्टॉक) कम होने की दशा में इन मछलियों की पूर्ति संवर्धन के द्वारा हो सकती है। इस प्रणाली को समुद्री संवर्धन (मेरीकल्चर) कहते हैं।
प्रश्न 63.
एस्चुरी किसे कहते हैं?
उत्तर:
ताजे पानी और समुद्री खारे पानी के मिश्रण को एस्चुरी कहते हैं।
प्रश्न 64.
उस फसल का नाम बताइए जिसके साथ मछली संवर्धन किया जाता है।
उत्तर:
धान की फसल के साथ मछली संवर्धन किया जाता है।
प्रश्न 65.
खारे तथा मीठे पानी की मछलियों की दो किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर:
- खारे पानी की मछलियाँ हिल्सा, कैट फिश, डॉग फिश, रेड, मुलैट आदि।
- मीठे पानी की मछलियाँ – कतला, रोहू (लेबियो) मिरिटस, मिल्क फिश।
प्रश्न 66.
मधुमक्खी क्या बनाती है?
उत्तर:
मधुमक्खी शहद और मोम तैयार करती है।
प्रश्न 67.
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए किस देशी मधुमक्खी का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
व्यावसायिक स्तर पर शहद उत्पादन के लिए ऐपिस सेरना इण्डिका (सामान्य भारतीय मधुमक्खी), ऐपिस डोरसेटा (एक शैल मधुमक्खी) तथा ऐपिस फ्लोरी (छोटी मधुमक्खी) का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 68.
किसी मधुमक्खी की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है?
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी ऐपिस मेलीफेरा की सहायता से मधु उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।
प्रश्न 69.
इटेलियन मधुमक्खी की दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
इटेलियन मधुमक्खी में-
- मधु एकत्र करने की क्षमता अधिक होती है
- यह डंक कम मारती है।
प्रश्न 70.
मधु की गुणवत्ता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
मधु की गुणवत्ता मधुमक्खियों द्वारा मकरंद एकत्र करने के लिए उपलब्ध फूलों पर निर्भर करती है।
लघूत्तरात्मक एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
पौधों के लिए आवश्यक बृहत् और सूक्ष्म तत्व कौन-कौन से हैं? प्रत्येक को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हरे पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए 16 तत्वों की आवश्यकता होती है, जिन्हें वानस्पतिक पोषक तत्व कहते हैं। ये पौधों की आवश्यकता की मात्रा के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-
- बृहत् पोषक तत्व ऐसे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को अधिक मात्रा में होती है, वृहत् पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- नाइट्रोजन, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम ऑक्सीजन और सल्फर।
- सूक्ष्म पोषक तत्व- वे पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता पौधों को सूक्ष्म (अल्प) मात्रा में होती है, सूक्ष्म पोषक तत्व कहलाते हैं। ये पोषक तत्व हैं- आयरन, मैगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, मॉलिब्डेनम, क्लोरीन।
प्रश्न 2.
पौधों के लिए पोषक तत्वों के विभिन्न स्त्रोत बताइए।
उत्तर:
पौधों के लिए पोषक तत्व तीन स्रोतों से प्राप्त होते हैं- हवा, पानी तथा मृदा।
स्रोत | पोषक |
हवा | कार्बन, ऑक्सीजन |
पानी | हाइड्रोजन, ऑक्सीजन |
मृदा | (i) वृहत् पोषक: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर (ii) सूक्ष्म पोषक: आयरन, मैंगनीज, बोरॉन, जिंक, कॉपर, क्लोरीन, मॉलिब्डेनम |
प्रश्न 3.
खाद किसे कहते हैं? खाद के प्रयोग करने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
खाद एक कार्बनिक पदार्थ है जो पौधों और जन्तुओं के अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त होता है। खाद पौधों के लिए पोषक तत्वों का स्रोत है। गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद वर्मीखाद मुख्य प्रकार की खाद हैं।
खाद के प्रयोग से लाभ-
- मिट्टी में अपघटन के द्वारा कार्बनिक खाद हयूमस में परिवर्तित हो जाती है।
- खाद से मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाती है।
- पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं।
- कार्बनिक खादें मृदा की नमी को संरक्षित करने में सहायक होती हैं।
- खादों के प्रयोग से मृदा प्रदूषण कम होता है।
- अपशिष्ट पदार्थों का पुनः चक्रीकरण हो जाता है।
- खाद में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों का भोजन हैं। ये जीव पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सहायक होते हैं।
- खादों के प्रयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।
प्रश्न 4.
उर्वरक क्या हैं? ये खाद से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
उर्वरक (फर्टीलाइजर्स) – ये व्यावसायिक रूप से तैयार रासायनिक खाद हैं, जो मृदा में पौधों को पोषक तत्व – नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं। इनके उपयोग से पौधों की अच्छी वृद्धि होती है, स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है और फसल उत्पादन में वृद्धि होती है।
उर्वरक और खाद में अन्तर:
उर्वरक (फर्टीलाइजस) | खाद (मैन्योस) |
1. ये कृत्रिम रूप से बनाए गये मुख्यतः अकार्बनिक रासायनिक पदार्थ हैं। | 1. ये प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त होने वाले कार्बनिक पदार्थ हैं। |
2. ये कम स्थान घेरते हैं। | 2. ये अधिक स्थान घेरते हैं। |
3. इनमें भंडारण, स्थानातरण तथा उपयोग की विधि आसान है। | 3. इनका भंडारण तथा स्थानान्तरण, असुविधाजनक है। |
4. उर्वरक नमी का अवशोषण करके शीघ्र खराब हो जाते हैं। | 4. ये नमी का अवशोषण करके खराब नहीं होते हैं। |
5. ये मृदा के संघटन को स्थिर नहीं रखते हैं। | 5. ये मृदा के संघटन को स्थिर रखते हैं। |
6. इनके उपयोग से मृदा में पानी रोकने तथा वातन की क्षमता कम होती है। | 6. इनमें मृदा में पानी रोकने एवं वातन की क्षमता अधिक होती है। |
7. इनमें विशिष्ट पोषक तत्व पाया जाता है। | 7. इनमें सभी पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। |
प्रश्न 5.
भंडारण में अनाज की क्षति किन कारणों से होती है?
उत्तर:
भंडारण में अनाज की क्षति दो प्रमुख कारणों से होती है ये कारक निम्नलिखित हैं-
- जैविक कारक-इनमें चूहे आदि कृंतक, कीट, दीमक, जन्तु, कवक, पक्षी तथा जीवाणु आदि सम्मिलित हैं।
- अजैविक कारक-इनमें नमी तथा तापमान सम्मिलित हैं ताप, आर्द्रता, नमी आदि अजैविक घटक फलों एवं सब्जियों को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 6.
कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट तथा हरी खाद पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता, को बढ़ाती है। खाद में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा मिट्टी की संरचना में सुधार करती है। जबकि उर्वरक का सतत् प्रयोग मिट्टी की उर्वरता को घटाता है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा इससे सूक्ष्म जीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवनचक्र अवरुद्ध होता है। उर्वरकों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन कम समय में प्राप्त हो सकता है, किन्तु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं। जबकि खाद के उपयोग के लाभ दीर्घावधि हैं।
कार्बनिक खेती, खेती करने की वह पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, पीड़कनाशी, शाकनाशी आदि का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता। इस पद्धति में अधिकाधिक कार्बनिक खाद, कृषि अंपशिष्ट (पुआल तथा पशुधन) का पुनर्चक्रण, जैविक कारक जैसे-नील-हरित शैवाल का संवर्धन, जैविक उर्वरक बनाने में उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों तथा हल्दी का विशेष रूप से जैव कीटनाशकों के रूप में खाद्य संग्रहण में प्रयोग किया जाता है। कुशल फसलीकरण पद्धति के लिए मिश्रित खोती, अन्तर फसलीकरण तथा फसल चक्र आवश्यक हैं। ये फसल तन्त्र कीट, पीड़क तथा खरपतवार को नियन्त्रित करते हैं और पोषक तत्व भी प्रदान करते हैं।
प्रश्न 7.
कार्बनिक खेती किसे कहते हैं?
उत्तर:
फसल उत्पादन प्रबन्धन – भारत में कृषि छोटेछोटे खेतों से लेकर बहुत बड़े फार्मों तक में होती है। इसलिए विभिन्न किसानों के पास भूमि, धन, सूचना तथा तकनीकी उपलब्धता कम या अधिक होती है। संक्षेप में धन अथवा आर्थिक परिस्थितियाँ किसान को विभिन्न कृषि प्रणालियों तथा कृषि तकनीकों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। योगदान, उच्च निवेश तथा फसल उत्पादन में सह-सम्बन्ध है। इस प्रकार किसान की लागत क्षमता फसलतन्त्र तथा उत्पादन प्रणालियों का निर्धारण करती है। बिना लागत उत्पादन, अल्प लागत उत्पादन तथा अधिक लागत उत्पादन प्रणालियौँ इनमें सम्मिलित हैं।
प्रश्न 8.
सिंचाई के साधनों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सिंचाई (Itrigation) – भारत में अधिकांश कृषि वर्षा पर आधारित हैं अथथत् अधिकांश क्षेत्रों में फसल की उपज, समय पर मानसून आने तथा वृद्धि काल में वर्षा होने पर निर्भर करती है। इसलिए कम वर्षा होने पर फसल उत्पादन कम हो जाता है। फसल की वृद्धि काल में उचित समय पर सिंचाई करने से सम्भावित फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। इसलिए अधिकाधिक कृषि भूमि को सिचित करने के लिए अनेक उपाय किये जाते हैं।
भारत में पानी के अनेक सोता हैं और विभिन्न प्रकार की जलवायु है। इन परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार की सिंचाई की विधियाँ पानी के स्रोत की उपलब्यता के आधार पर अपनायी जाती है। इन स्रोतों के कुछ उदाहरण; कुएँ, नहरें, नदियाँ और तालाब हैं।
(1) कुएँ-कुएँ दो प्रकार के होते हैं- खुदे हुए कुएँ और नलकुप। स्रुदे हुए कुएँ द्वारा भूमिगत जल स्तरों में स्थित पानी को एकत्रित किया जाता है। नलकूप में पानी गहरे जलस्तरों से निकाला जाता है। इन कुओं से सिंचाई के लिए पानी को पम्प द्वारा निकाला जाता है।
(2) नहों-यह सिंचाई का बहुत विस्तृत तथा व्यापक तन्त्र है। इनमें पानी एक या अधिक जलाशयों अथवा नदियों से आता है। मुख्य नहर से शाखाएँ निकलती हैं जो विभाजित होकर खेतों में सिंचाई करती हैं।
(3) नदी जल उठाव प्रणाली-जिन क्षेत्रों में जलाशयों से कम पानी मिलने के कारण नहरों का बहाव अनियमित अथवा अपर्याप्त होता है वहाँ जल उठाव प्रणाली अधिक उपयोगी होती है। नदियों के किनारे स्थित ख्रेतों में सिंचाई करने के लिए नदियों से सीधे ही पानी निकाला जाता है।
(4) तालाब-छोटे जलाशय जो छोटे क्षेत्रों में बहते हुए पानी का संग्रह करते हैं, तालाब का रूप ले लेते हैं।
कृषि में पानी की उपलब्धि बढ़ाने के लिए आधुनिक विधियाँ, जैसे-वर्षां के पानी का संग्रहण तथा जल विभाजन का उचित प्रबन्धन द्वारा उपयोग किया जाता है। इसके लिए छोटे बाँध बनाने होते हैं जिससे कि भूमि के नीचे जलस्तर बढ़ जाए। ये छोटे बाँध वर्षा के पानी को बहने से रोकते हैं तथा मृदा अपरदन को भी कम करते हैं।
प्रश्न 9.
फसल चक्र किसे कहते हैं? इससे क्या लाभ हैं?
उत्तर:
फसल चक्र – एक ही खेत में प्रतिवर्ष अनाज तथा फलीदार पौधों की फसल को अदल-बदल कर एक के बाद एक को उगाने की क्रिया को फसल चक्र कहते हैं।
फसल चक्र के लाभ –
- मृदा की उर्वरता बनी रहती है।
- अधिक उपज प्राप्त होती है।
- खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।
- कीट-पतंगों और रोगों पर नियंत्रण में सहायता मिलती है।
प्रश्न 10.
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव कैसे किया जाता है?
उत्तर:
फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव-फसल चक्र के लिए फसलों का चुनाव करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- मृदा में पोषक तत्व गहरी तथा उथली हुई जड़ वाली फसलों को एक के बाद एक करके बौना चाहिए जिससे फसलें मिट्टी की विभिन्न सतहों से पोषक तत्व ग्रहण कर सकें।
- नमी या जल की उपलब्धता अधिक पानी वाली फसल के बाद कम पानी वाली फसल बोनी चाहिए जिससे मिट्टी में वायु का संचार हो सके।
- पोषक तत्वों की उपलब्धता अनाज की फसल के बाद दलहनी फसल बोनी चाहिए ताकि दलहनी फसलों की जड़ों में उपस्थित जीवाणु नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके भूमि की उर्वरता को बनाए रखें।
प्रश्न 11.
फसल चक्र का महत्व बताइए।
उत्तर:
फसल चक्र का महत्व –
- इससे मृदा की उर्वरता में कमी नहीं आती है और वह यथावत बनी रहती है।
- इससे खेतों में खरपतवार कम पैदा होते हैं।
- दलहनी फसल उगाने से भूमि में नाइट्रोजन की वृद्धि हो जाती है।
- फसलें कीटों तथा अन्य व्याधियों से सुरक्षित रहती हैं।
- इससे मृदा अपरदन कम होता है।
प्रश्न 12.
पादपों में संकरण के लाभ बताइये।
उत्तर:
पादपों में संकरण के लाभ निम्नलिखित हैं-
- संकरण से प्राप्त पौधे पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होते हैं।
- ये पौधे छोटे होते हैं इसलिए इन पर तेज हवाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है।
- इन पौधों में वांछित लक्षण पाये जाते हैं।
- इन पौधों से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है अर्थात् ये अच्छी उपज देते हैं।
प्रश्न 13.
कुक्कुट पालन क्यों किया जाता है? किन गुणों की प्राप्ति के लिए इनकी नई किस्में विकसित की जाती हैं?
उत्तर:
कुक्कुट (मुर्गी पालन) (Poultry farming) अंडे व कुक्कुट माँस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन किया जाता है। इसलिए कुक्कुट पालन में उन्नत मुर्गी की नस्लें विकसित की जाती हैं। अंडों के लिए अंडे देने वाली ( लेयर) मुर्गी पालन किया जाता है तथा माँस के लिए ब्रौलर को पाला जाता है।
निम्नलिखित गुणों के लिए नई-नई किस्में विकसित की जाती हैं। नई किस्में बनाने के लिए देशी; जैसे-एसिल तथा विदेशी; जैसे-लेगहॉर्न नस्लों का संकरण कराया जाता है-
- चूजों की संख्या तथा गुणवत्ता;
- छोटे कद के ब्रोलर माता-पिता द्वारा चूजों के व्यावसायिक उत्पादन हेतु;
- गर्मी अनुकूलन क्षमता। उच्च तापमान को सहने की क्षमता;
- देखभाल में कम खर्च की आवश्यकता;
- अंडे देने वाले तथा ऐसी क्षमता वाले पक्षी जो कृषि के उपोत्पाद (एग्रीकल्चर बाइप्रोडक्ट्स) से प्राप्त सस्ते रेशेदार आहार का उपभोग कर सकें।
प्रश्न 14.
खौलर क्या है? इसकी आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर:
ब्रौलर-मांस प्रदान करने वाले कुक्कुटों को बौलर कहते हैं। इनकी आवास, पोषण तथा पर्यावरणीय आवश्यकताएँ अंडे देने वाली मुर्गियों से कुछ भिन्न होती हैं। इनको इनकी तीव्र वृद्धि एवं अल्पमृत्यु दर के अनुकूल परिस्थितियों में रखना आवश्यक है। इनके आहार में प्रोटीन वसा के साथ विटामिन A व K की मात्रा अधिक रखी जाती है।
प्रश्न 15.
हमारे देश में अलवण जलीय मछलियों के स्त्रोत एवं नस्लों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में तालाब, पोखर, झील, झरने, नदियाँ आदि अलवण मछलियों के स्रोत हैं कतला, रोहू, मृगल, सिल्वर कार्प तथा ग्रास कार्प आदि अलवण जल प्रदायों की खाद्य मछलियाँ हैं। कतला मछली सबसे तीव्र (शीघ्र) वृद्धि करने वाली मछली है।
प्रश्न 16.
मछली संवर्धन की उपयोगिता बताइए।
उत्तर:
मछली संवर्धन की उपयोगिता-मछली संवर्धन धान की फसल के साथ किया जा सकता है। अधिक मछली संवर्धन मिश्रित मछली संवर्धन तन्त्र से तालाब में किया जाता है। इसमें देशी तथा विदेशी प्रकार की मछलियों का उपयोग किया जाता है ऐसे तन्त्र में अकेले तालाब में 5 या 6 प्रकार की मछलियों की स्पीशीज का उपयोग किया जाता है। इनमें ऐसी मछलियों का चुनाव किया जाता है। जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो तथा उनके आहार की आदत अलग-अलग हो।
इससे तालाब के हर भाग में स्थित उपलब्ध आहार का उपयोग हो जाता है जैसे कटला मछली पानी की सतह से भोजन लेती है, रोहू मछली तालाब के मध्य क्षेत्र से अपना भोजन लेती है। मृगल तथा कॉमन कार्य तालाब की तली से भोजन लेती है। ग्रास कार्प खरपतवार खाती है। इस प्रकार ये मछलियाँ साथ साथ रहते हुए भी स्पर्धा के बिना अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब में मछली उत्पादन में वृद्धि होती है।
प्रश्न 17.
शहद क्या है? इसकी शुद्धता की पहचान कैसे की जा सकती है? शहद के मुख्य गुण व उपयोग बताइये।
उत्तर:
शहद एक गाड़ा, मीठा तरल पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा अपने छत्तों में एकत्र किया जाता है। शहद मुख्य संघटक जल, शर्करा, खनिज तथा प्रकिण्व हैं।
शुद्ध शहद की पहचान –
- काँच के एक गिलास में पानी भरकर उसमें शहद की बूँदें मिलाने पर शुद्ध शहद पानी में एक पतला तार बनाएगा जबकि मिलावटी शहद पानी में घुल जायेगा।
- सूक्ष्मदर्शी से देखने पर शुद्ध शहद में अनेक परागकण दिखाई देते हैं, अशुद्ध शब्द में नहीं।
शहद के गुण-शहद स्वाद में मीठा और पानी में घुलनशील होता है। शहद को खुला रखने पर वायुमंडल से नमी सोख लेता है तथा इसका किण्वन हो जाता है।
उपयोग – शहद सहज ही पाचक तथा एंटीसेप्टिक होता है इसलिए इसका प्रयोग अनेक प्रकार की औषधियों में किया जाता है।
प्रश्न 18.
मधुमक्खी के छत्ते से शहद किस प्रकार निकाला जाता है?
उत्तर:
मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालना – छते से शहद दो विधियों द्वारा निकाला जाता है-
- सीधे ही छत्ते से धूम्र विधि से रात के समय मक्खियों को उड़ा दिया जाता है और छत्ते को तोड़कर निचोड़ कर शहद प्राप्त कर लिया जाता है। किन्तु यह विधि अवैज्ञानिक है।
- मशीन द्वारा – शहद निकालने की मशीन एक खोखले सिलिन्डर से बनी होती है। इसके केन्द्रीय अक्ष पर धातु की जाली का सिलिन्डर के आकार का कक्ष बना होता है और कक्ष की तली में जाली लगी होती है। एक हैन्डिल की सहायता से इस कक्ष को केन्द्रीय अक्ष के चारों ओर घुमाया जाता है।
शहद निकालने के लिए मधुकोषों सहित लकड़ी के फ्रेमों को मशीन में बने जालीदार कक्ष को घुमाया जाता है। जिससे शहद मधुकोषों से निकलकर मशीन के तल में एकत्रित हो जाता है।