JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 1 विकास
JAC Class 10th Economics विकास Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है ?
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ख) औसत साक्षरता स्तर
(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है
(क) बांग्लादेश
(ख) श्रीलंका
(घ) पाकिस्तान
उत्तर:
(ख) श्रीलंका
प्रश्न 3.
मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रति व्यक्ति आय 3,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमशः 4,000, 7,000 और 3,000 रुपये है तो चौथे परिवार की आय क्या है ?
(क)7,500 रुपये
(ख) 3,000 रुपये
(ग) 2,000 रुपये
(घ) 6,000 रुपये
उत्तर:
(घ) 6,000 रुपये
प्रश्न 4.
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की अगर कोई सीमाएँ हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिए प्रति व्यक्ति आय का मापदण्ड प्रयोग करता है। प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहा जाता है। विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार देशों का वर्गीकरण करने में इसी मापदण्ड का प्रयोग किया गया है। वे देश जिनकी सन् 2017 में प्रति व्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी, वे समृद्ध माने गये हैं तथा वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम थी, वे निम्न आय वर्ग वाले देश माने गये हैं। सीमा: प्रतिव्यक्ति आय मापदण्ड की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं
- प्रतिव्यक्ति आय के आँकड़े आय के वितरण के बारे में कुछ नहीं बताते हैं अर्थात् यह आय के वितरण की उपेक्षा करता है।
- प्रतिव्यक्ति आय का अधिक होना जनकल्याण में वृद्धि का सूचक नहीं है।
- प्रतिव्यक्ति आय के अधिक होने के बावजूद यह सम्भव हो सकता है कि देश में कुछ ही लोग अत्यधिक धनवान हों एवं अधिकांश लोग अत्यधिक निर्धन हों।
प्रश्न 5.
विकास मापने का यू. एन. डी. पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?
उत्तर:
विश्व बैंक के विकास मापने के मापदण्ड के अनुसार प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक है, वे समृद्ध देश कहलाते हैं जबकि वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है, उन्हें निम्न आय वर्ग वाला देश कहा जाता है। महत्त्वपूर्ण होते हुए भी विकास मापने का यह मापदण्ड एक अपर्याप्त एवं दोषपूर्ण मापदण्ड है। यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में, मानव विकास सूचकांक का प्रयोग करता है।
यू. एन. डी. पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना करते समय प्रतिव्यक्ति आय के साथ-साथ लोगों के शैक्षिक तथा . स्वास्थ्य स्तर को भी आधार बनाती है। इस प्रकार विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में आय का प्रयोग करता है, जबकि यू. एन. डी. पी. विकास के मापदण्ड के रूप में आय के साथ-साथ शिक्षा व स्वास्थ्य संकेतकों का भी प्रयोग करता है।
प्रश्न 6.
हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय एक उपयुक्त माप नहीं है, क्योंकि विभिन्न देशों में जनसंख्या भिन्न-भिन्न होती है इसलिए कुल आय से यह पता नहीं चलता है कि औसत व्यक्ति कितना कमा रहा है। इसका पता औसत आय से ही चलता है। यही कारण है कि हम विकास की माप के लिए औसत या औसत आय का प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त यह दो देशों की आर्थिक स्थिति को जानने का एक अच्छा व सरल मापदण्ड है।
इसके उपयोग की सीमा यह है कि यह हमें लोगों के बीच आय के विभाजन को सही रूप में नहीं दर्शाता है अर्थात औसत आय से हमें यह पता नहीं चलता है कि यह आय लोगों में कैसे वितरित है। यद्यपि औसत आय तुलना के लिए उपयोगी है, फिर भी यह असमानता को छुपा देती है।
उदाहरण के लिए माना ‘A’ और ‘B’ दो देश हैं और प्रत्येक देश में 5 लोग निवास करते हैं
देश
|
नागरिकों की मासिक आय (रुपये में) | |||||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | औसत आय | |
देश ‘A’ | 9500 | 10500 | 9800 | 10000 | 10200, | 50,000/5 = 10,000 |
देश ‘B’ | 500 | 500 | 500 | 500 | 48000 | 50,000/5 = 10,000 |
यद्यपि दोनों देशों ‘A’ और ‘B’ की प्रतिव्यक्ति आय समान अर्थात् 10,000 ₹ है। तालिका को देखने से स्पष्ट होता है कि दोनों देश समान रूप से विकसित नहीं हैं। अधिकांश लोग ‘A’ में रहना अधिक पसंद करेंगे क्योंकि इस देश में आय के वितरण में समानताएँ पाई जाती हैं। उपर्युक्त तालिका के अध्ययन में स्पष्ट होता है कि देश में न बहुत अमीर लोग हैं और न ही बहुत निर्धन परन्तु, देश ‘B’ में 5 में से 4 लोग अर्थात् 80 प्रतिशत लोग बहुत निर्धन हैं तथा 5 में से केवल 1 अर्थात् 20 प्रतिशत लोग बहुत अमीर हैं।
प्रश्न 7.
प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक हरियाणा से ऊँचा है इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिल्कुल नहीं है और राज्यों की तुलना के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नहीं, मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड नहीं है। प्रतिव्यक्ति आय मानव विकास का सबसे महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है, विश्व का कोई भी देश इसकी उपेक्षा नहीं कर सकता। विश्व बैंक विकास के मापदण्ड के रूप में अर्थात् देशों की तुलना के लिए प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करता है परन्तु इस मापदण्ड की कुछ सीमाएँ भी हैं। यह सच है कि प्रतिव्यक्ति आय मानक उपयुक्त मानव विकास नहीं दर्शाता है।
मुद्रा से वे सभी वस्तुएँ व सेवाएँ नहीं खरीदी जा सकी जो अच्छे रहन-सहन के लिए आवश्यक हो सकती हैं। उदाहरणस्वरूप; आपके पास उपलब्ध मुद्रा से आप प्रदूषणरहित वातावरण नहीं खरीद सकते। इसलिए केरल की प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी उनका मानव विकास हरियाणा से अच्छा है क्योंकि केरल के पास हरियाणा की तुलना में अन्य सुविधाएँ, जैसे-अच्छी स्वास्थ्य सेवाएँ, अधिक साक्षरता आदि र नब्ध हैं। इसके अतिरिक्त हरियाणा की तुलना में केरल में प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों की निक्ल उपस्थिति अनुपात अधिक है।
प्रश्न 8.
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या सम्भावनाएँ हो सकती हैं ?
उत्तर:
भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के निम्नलिखित स्रोत प्रयोग किये जाते हैं
- परम्परागत स्रोत:
- कोयला
- खनिज तेल
- प्राकृतिक गैस
- विद्युत।
- गैर परम्परागत स्रोत:
- पवन ऊर्जा
- सौर ऊर्जा
- बायो गैस
- भूतापीय ऊर्जा
- ज्वारीय ऊर्जा
- परमाणु ऊर्जा।
आज से 50 वर्ष पश्चात् सम्भवतः ऊर्जा के कुछ स्रोतों पर भारी संकट होगा। पेट्रोलियम उत्पादों की माँग अत्यधिक बढ़ेगी और देश के लिए उनकी आपूर्ति कर पाना सम्भव नहीं हो पायेगा। अपने प्राकृतिक संसाधनों द्वारा पर्ति न कर पाने के साथ-साथ विश्व में भी इनका भण्डार कम होता जाएगा। इन उत्पादों के मूल्यों में निरन्तर वृद्धि के कारण इनका आयात महँगा होगा फलस्वरूप भुगतान असन्तुलन की स्थिति पैदा होगी। अतः नये-नये ऊर्जा स्रोतों को खोजना शुरू हो जायेगा। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायो गैस आदि पर निर्भरता बढ़ जायेगी।
प्रश्न 9.
धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
विकास के लिए धारणीयता (सतत् पोषणीय) महत्त्वपूर्ण क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
धारणीयता का मुद्दा विकास के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
आर्थिक वृद्धि के लिए सतत् पोषणीय विकास अति आवश्यक क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धारणीयता से आशय है कि हमने विकास का जो स्तर प्राप्त कर लिया है, वह भावी-पीढ़ी के लिए भी बना रहे। यदि विकास मनुष्य को क्षति पहुँचाता है तो इसके दुष्परिणाम भावी-पीढ़ी को भुगतने होंगे। धारणीयता का विषय विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है, इसके निम्नलिखित कारण हैं
1. विश्व स्तर पर हो रहे तीव्र आर्थिक विकास एवं औद्योगीकरण से प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ है। इस अत्यधिक दोहन के कारण सीमित प्राकृतिक संसाधन समाप्त होते जा रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, खनिज तेल सीमित है। यदि यह सीमित संसाधन पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं तो भविष्य में सभी देशों का विकास खतरे में पड़ जायेगा।
2. यद्यपि खनिज तेल एवं विभिन्न खनिज पदार्थ किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु, इनका प्रयोग पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाता है। ये धरती पर प्रदूषण का कारण बनते हैं एवं भविष्य में सन्तुलन को बाधित करते हैं।
प्रश्न 10.
धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन विकास की चर्चा में बहुत प्रासंगिक है, हमारी धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। दूसरे शब्दों में, धरती पर मिट्टी, वायु, जल, वन, वन्य प्राणी, खनिज संसाधन आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। परन्तु इन संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित ढंग से विदोहन किया जाये। हम इनका लालची ढंग से अति विदोहन न करें, दुरुपयोग न करें एवं विनाश न करें।
यदि ऐसा होता है तो धरती पर इनका अभाव नहीं होगा। परन्तु मानव बहुत लालची प्राणी है। उसका लालच इन साधनों के लिए उसे अन्धा बना देता है। विभिन्न देशों की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति के कारण उनके द्वारा अन्य देशों पर आक्रमण करने की लालसा, उसके संसाधनों को लूटकर ले जाने की इच्छा, स्वयं को विश्व का सर्वेसर्वा बनाने की इच्छा और इन सबके लिए विनाशकारी परमाणु हथियारों का प्रयोग इन संसाधनों को क्षणभर में राख में परिवर्तित कर देगा परिणामस्वरूप संसाधनों का अभाव हो जाएगा।
अतः हमें आर्थिक विकास में लालची नहीं होना चाहिए। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि विश्व के समस्त देश धरती पर उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण, सुनियोजित एवं मितव्ययी ढंग से उपयोग करें। इसके अतिरिक्त विभिन्न वैज्ञानिक कल्याण अनुसंधानों एवं विधियों की सहायता से नये-नये संसाधनों की खोज करें तभी विश्व का कल्याण सम्भव है।
प्रश्न 11.
पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।
उत्तर:
मैंने अपने आसपास पर्यावरण में गिरावट के निम्नलिखित उदाहरण देखे हैं
1. भूमिगत जलस्तर: में कमी हमारे आसपास भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है जिसके कारण जल के स्तर में निरन्तर कमी आती जा रही है, जो एक चिंता का विषय है।
2. वनों की कटाई हमारे: आसपास वनों की अन्धाधुन्ध कटाई हो रही है, वन क्षेत्र कारखानों, आवासीय भवनों एवं वाणिज्यिक भवनों में परिवर्तित हो गए हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है तथा रेगिस्तान के फैलाव का खतरा भी उत्पन्न हो गया है।
3. वन्य जीवों का शिकार: शिकारी एवं तस्कर निरन्तर वन्य जीवों का शिकार कर रहे हैं एवं उनके विभिन्न अंगों का व्यापार कर रहे हैं। इससे दुर्लभ वन्य प्राणियों के लुप्त होने का खतरा बढ़ गया है।
4. खनन क्रिया से प्रदूषण: हमारे क्षेत्र के आसपास खनिज निकालने की क्रियाएँ भूमि, जल, वायु को प्रदूषित कर रही हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है।
5. वायु प्रदूषण: औद्योगीकरण एवं शहरीकरण से वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है। कल-कारखानों से निकलने वाली विभिन्न प्रकार की गैसें न केवल मानव स्वास्थ्य को वरन् पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचा रही हैं।
6. जल प्रदूषण: उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल, घरेलू मल, उर्वरकों व कीटनाशक दवाइयों के कारण जल प्रदूषण बढ़ा है।
7. औद्योगीकरण व शहरीकरण से ध्वनि-प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 12.
तालिका (1.6 पाठ्य पुस्तक) में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन-सा देश सबसे ऊपर है और कौन-सा सबसे नीचे।
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका के आधार पर हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं
तालिका 1.6 : वर्ष 2017 के लिए भारत और उसके पड़ोसी देशों के कछ आँकडे
देश | सकल राष्ट्रीय आय (स.रा.आ.) प्रतिव्यक्ति आय (अमरीकी डॉलर में) (2011 क्रय शक्ति क्षमता)। | जन्म के समय ।सम्भावित आयु (2017) | विद्यालयी सम्भावित आयु औसत आयु 25 वर्ष या उसके अधिक (2017) | विश्व में मानव विकास सूचकांक (HDI) का क्रमांक (2016) |
श्रीलंका | 11,326 | 75.5 | 10.9 | 76 |
भारत | 6,353 | 68.8 | 6.4 | 130 |
म्यांमार | 5,567 | 66.7 | 4.9 | 148 |
पाकिस्तान | 5,331 | 66.6 | 5.2 | 150 |
नेपाल | 2,471 | 70.6 | 4.9 | 149 |
बांग्लादेश | 3,677 | 72.8 | 5.8 | 136 |
- श्रीलंका की प्रतिव्यक्ति आय 11,326 अमेरिकी डॉलर है जो सर्वाधिक है, नेपाल की प्रतिव्यक्ति आय सबसे कम 2,471 डॉलर है।
- जन्म के समय सम्भावित आयु की दृष्टि से श्रीलंका की स्थिति सर्वोच्च 75.5 वर्ष है जबकि पाकिस्तान की स्थिति निम्नतम 66.6 है।
- 25 वर्ष या उससे अधिक आयु की जनसंख्या की विद्यालय औसत आयु के आधार पर श्रीलंका प्रथम (10.9%) है जबकि म्यांमार व नेपाल निम्नतम (4.9%) स्थान पर है।
- उपयुक्त तालिका में मानव विकास सूचकांक की दृष्टि से श्रीलंका का स्थान उच्चतम (76) एवं पाकिस्तान का स्थान निम्नतम (150) है।
प्रश्न 13.
नीचे दी गई तालिका में भारत में वयस्कों (15-49 वर्ष आयु वाले) जिनका बी.एम.आई. सामान्य से कम है (बी.एम.आई. < 18.5 kg/m)का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2015-16 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:
राज्य | पुरुष (%) | महिला (%) |
केरल | 8.5 | 10 |
कर्नाटक | 17 | 21 |
मध्य प्रदेश | 28 | 28 |
सभी राज्य | 20 | 23 |
(क) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।
(ख) क्या आप अंदाज लगा सकते हैं कि देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित क्यों है, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।
उत्तर:
(क) केरल में अल्पपोषित वयस्कों में पुरुष महिलाओं का प्रतिशत क्रमशः 8.5 व 10 है जबकि मध्य प्रदेश में यह प्रतिशत क्रमशः 17 व 21 है। इसका अभिप्राय है कि केरल की तुलना में मध्य प्रदेश में अल्पपोषण की समस्या पुरुष व महिला दोनों में ही अधिक है।
(ख) हमारे देश के लगभग हर पाँच में से एक व्यक्ति अल्पपोषित है। इसके निम्न कारण हैं
- हमारे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सही ढंग से कार्य नहीं करती जिससे गरीब लोगों को सस्ता खाद्यान्न नहीं मिलता है और वे अल्पपोषित रहते हैं।
- देश के अधिकांश लोग इतने गरीब हैं कि वे पौष्टिक भोजन खरीद सकने में समर्थ नहीं हैं।
- राशन की दुकानों के विक्रेता घटिया गुणवत्ता वाले अनाज बेचते हैं।
- राशन विक्रेताओं द्वारा लाभ कमाने के लिए अनाज को खुले बाजार में बेच दिया जाता है।
- देश के अनेक भागों में शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है इसलिए अधिकांश लोग पिछड़े हुए गरीब हैं तथा पौष्टिक भोजन नहीं ले पाते हैं।
अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप
प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र के विकास के विषय में चर्चा के लिए तीन भिन्न वक्ताओं को आमंत्रित कीजिए। अपने मस्तिष्क में आने वाले सभी प्रश्नों को उनसे पूछिए। इन विचारों की समूहों में चर्चा कीजिए। प्रत्येक समूह एक दीवार चार्ट बनाए जिसमें कारण सहित उन विचारों का उल्लेख करे, जिनसे आप सहमत अथवा असहमत हैं।
उत्तर:
निर्देश: विद्यार्थी इसे शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।
पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न
विकास क्या वादा करता है……….. (पृष्ठ संख्या 4)
हम यह कल्पना करने का प्रयास करें कि तालिका 1.1 में दी गई सूची के अनुसार लोगों के लिए विकास का क्या अर्थ हो सकता है? उनकी क्या आकांक्षाएँ हैं? आप देखेंगे कि कुछ स्तम्भ अधूरे भरे हुए हैं। इस तालिका को पूरा करने की कोशिश कीजिए। आप चाहें तो किन्हीं और श्रेणी के व्यक्तियों को जोड़ सकते हैं। तालिका 1.1 विभिन्न श्रेणी के लोगों के विकास के लक्ष्य
व्यक्ति की श्रेणी | विकास के लक्ष्य/आकांक्षाएँ |
भूमिहीन ग्रामीण मजदूर | काम करने के अधिक दिन और बेहतर मजदूरी; स्थानीय स्कूल उनके बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करने में सक्षम; कोई सामाजिक भेदभाव नहीं और गाँव में वे भी नेता बन सकते हैं। |
पंजाब के समृद्ध किसान | किसानों को उनकी उपज के लिए ज्यादा समर्थन मूल्यों और मेहनती और सस्ते मजदूरों द्वारा उच्च पारिवारिक आय सु नेश्चित करना ताकि वे अपने बच्चों को विदेशों में बसा सकें। |
किसान जो खेती के लिए केवल वर्षा पर निर्भर हैं | अच्छी पैदावार के लिए सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि, उन्नत बीजों, रासांयनिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाइयों की उपलबधता तथा सस्ती कृषि ॠण सुविधाएँ, फसलों का बीमा, उपज का उचित मूल्य दिलाना। |
भूस्वामी परिवार की एक ग्रामीण महिला | पर्याप्त पारिवारिक आमदनी, शिक्षा की समानता, स्वास्थ्य सुविधाओं की समानता, घर में स्वतन्त्रता, ग्रामीण समाज में गृहकार्य के लिए नौकरानी, आधुनिक सुविधाओं का सामान। |
शहरी बेरोजगार युवक | रोजगार की प्राप्ति, अच्छा वेतन व प्रशिक्षण की आवश्यकता, आवास सुविधा, परिवहन सुविधा। |
शहर के अमीर परिवार का एक लड़का | अच्छी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करना, अधिक जेब खर्च, विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करना, पर्याप्त पूँजी से अपना व्यवसाय प्रारम्भ करना, मनोरंजन, मौजमस्ती। |
शहर के अमीर परिवार की एक लड़की | उसे अपने भाई के जैसी आजादी मिलती है और वह अपने फैसले खुद कर सकती है। वह अपनी पढ़ाई विदेश में कर सकती है। |
नर्मदा घाटी का एक आदिवासी | नियमित काम, पर्याप्त मजदूरी, बच्चों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएँ, उपयुक्त शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, सुरक्षा व आवास के लिए सुरक्षित स्थान। |
अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग | पर्याप्त आमदनी, उपयुक्त काम-धन्धा, सामाजिक समानता, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, छात्रवृत्ति की व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाएँ, शुद्ध पेयजल व आवास की व्यवस्था। |
आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 6)
प्रश्न 1.
अलग: अलग लोगों की विकास की धारणाएँ अलग क्यों हैं? नीचे दी गई व्याख्याओं में कौन-सी अधिक महत्त्वपूर्ण है और क्यों?
(क) क्योंकि लोग भिन्न होते हैं।
(ख) क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
उत्तर:
उपर्युक्त दोनों व्याख्याओं में ‘ख’ अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि लोगों के जीवन की परिस्थितियाँ एक-दूसरे से भिन्न होती हैं तथा उनकी आवश्यकताएँ भी परिस्थितियों के अनुरूप भिन्न-भिन्न होती हैं तथा इन आवश्यकताओं के आधार पर लोगों के विकास के लक्ष्य अथवा धारणाएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं।
प्रश्न 2.
क्या निम्न दो कथनों का एक अर्थ है, कारण सहित उत्तर दीजिए
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होते हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है।
अथवा
दो व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य किस प्रकार भिन्न हो सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों कथनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।
(क) लोगों के विकास के लक्ष्य भिन्न होने से तात्पर्य यह है कि वे वह वस्तुएँ खोजते हैं जोकि उनकी इच्छाओं की सन्तुष्टि के लिए अति आवश्यक हैं।
(ख) लोगों के विकास के लक्ष्यों में परस्पर विरोध होता है। कई बार दो व्यक्ति या दो गुट ऐसी वस्तुएँ चाह सकते हैं जिनमें परस्पर विरोध हो सकता है। उदाहरणस्वरूप, एक लड़की अपने भाई के समान आजादी व अवसर चाहती है एवं यह भी आशा रखती है कि भाई भी घर के कामकाज में हाथ बँटाये परन्तु यह शायद उसके भाई को पसंद नहीं होगा।
प्रश्न 3.
कुछ ऐसे उदाहरण दीजिए, जहाँ आय के अतिरिक्त अन्य कारक हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।
उत्तर:
आय के अतिरिक्त कुछ अन्य कारक भी हमारे जीवन के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जो निम्नलिखित हैं
- लोग समानता का व्यवहार अर्थात् पक्षपातरहित व्यवहार चाहते हैं।
- लोग नियमित काम व बेहतर मजदूरी चाहते हैं।
- लोग विचारों की स्वतन्त्रता, धर्म की स्वतन्त्रता एवं आने-जाने की स्वतन्त्रता चाहते हैं।
- लोग अपने जान-माल एवं सम्मान की सुरक्षा चाहते हैं।
प्रश्न 4.
ऊपर दिए गए खण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचारों को अपनी भाषा में समझाइए।
उत्तर:
रशा गा रखण्ड के कुछ महत्त्वपूर्ण विचार निम्नलिखित है:
- लोग मंच नियमित कार्य, उपयुक्त मजदूरी, अपनी फसल या उत्पाद के माध्यम से उपयुक्त कीमत चाहते हैं।
- अधिक से अधिक आय के अतिरिक्त लोगों के अन्य विकास लक्ष्य होते हैं; जैसे- समान व्यवहार, स्वतन्त्रता, सुरक्षा, आश्रय, उचित शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा एवं आत्मसम्मान आदि।
- विकास के लिए लोग मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं अर्थात् लोगों के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
- यदि महिलाएँ वेतन भोगी कार्य करती हैं तो उनके घर के साथ-साथ समाज के कई प्रकार के लक्ष्य होते हैं।
- एक सुरक्षित एवं संरक्षित वातावरण के कारण अधिक से अधिक महिलाएँ अनेक प्रकार की नौकरियाँ अथवा व्यापार कर सकती हैं।
आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 7)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थितियों पर चर्चा कीजिए:
दाहिनी ओर दिए गए चित्र को देखिए। इस प्रकार के क्षेत्र के विकासात्मक लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
इस प्रकार के क्षेत्र के निम्नलिखित विकासात्मक लक्ष्य होने चाहिए
- इस प्रकार का क्षेत्र सही ढंग से नियोजित होना चाहिए। झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
- झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों को उनके परिवार के अनुसार स्थान प्राप्त होना चाहिए।
- इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए सड़क व गलियाँ आदि बनायी जानी चाहिए।
- उनके लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए तथा सफाई सुविधाओं का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
- इस क्षेत्र में बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए तथा लोगों को सभी प्रकार की सार्वजनिक सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए।
- नियमित कार्य एवं उपयुक्त मजदूरी के माध्यम से झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले लोगों की आय में वृद्धि की जानी चाहिए।
- इस क्षेत्र में स्थानीय बाजार की व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ समस्त प्रकार की आवश्यक वस्तुएँ: यथा- राशन, फल, सब्जी, दूध आदि उपलब्ध हों।
- इस क्षेत्र की समस्त बहुमंजिली इमारतों में लिफ्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
- आग जैसी आकस्मिक घटना घटित होने की स्थिति में उसको बुझाने के लिए रेत की बोरियाँ, पानी का टैंक एवं अग्निशमन यंत्र उपलब्ध होने चाहिए।
- निकट ही फायर ब्रिगेड केन्द्र होना चाहिए।
- इस प्रकार से क्षेत्र के समाज में किसी की तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 2.
इस अखबार की रिपोर्ट देखिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए एक जहाज ने 500 टन तरल ज़हरीले अवशेष एक शहर के खुले कूड़ेघर और आसपास के समुद्र में डाल दिए। यह अफ्रीका देश के आइवरी कोस्ट में अबिदजान शहर में हुआ। इन खतरनाक जहरीले अवशेषों से निकलने वाले धुएँ से लोगों ने जी मितलाना, चमड़ी पर ददोरे पड़ना, बेहोश होना, दस्त लगना इत्यादि की शिकायतें कीं। एक महीने के बाद 7 लोग मारे गए, 20 लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया तथा विषाक्तता के कारण 26,000 लोगों का उपचार किया गया। पेट्रोल और धातुओं से सम्बन्धित एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी ने आइवरी कोस्ट की एक स्थानीय कम्पनी को अपने जहाज से जहरीले पदार्थ फेंकने का ठेका दिया था।
(क) किन लोगों को लाभ हुआ और किनको नहीं ?
उत्तर:
इससे बहुराष्ट्रीय और स्थानीय कम्पनी के साथ-साथ जहाजरानी कम्पनी को लाभ हुआ जबकि स्थानीय लोगों को हानि हुई। ये लोग बहुत-सी बीमारियों से ग्रस्त हो गये।
(ख) इस देश के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए ?
उत्तर:
- औद्योगिक अपशिष्ट की उचित निकासी।
- जनसामान्य के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ।
- औद्योगिक कृषि, यातायात, संचार आदि का विकास किया जाये जिससे कि वातावरण किसी प्रकार भी दूषित न
प्रश्न 3.
आपके गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर:
हमारे गाँव या शहर या स्थानीय इलाके के विकास के लक्ष्य निम्नलिखित होने चाहिए
- गाँव या शहर या स्थानीय इलाके का सही ढंग से नियोजन होना चाहिए।
- आस-पास के झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले गरीब लोगों के लिए पक्के घर बनाये जाने चाहिए।
- क्षेत्र में सड़कें, गलियाँ आदि साफ-सुथरी होनी चाहिए।
- लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
- बच्चों के लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए जो अच्छी शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हो।
- स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होने चाहिए।
- लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पताल की व्यवस्था होनी चाहिए।
- बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन आदि नजदीक ही होने चाहिए। इसके अतिरिक्त पुलिस स्टेशन आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
- स्थानीय बाजार की भी व्यवस्था होनी चाहिए जहाँ दैनिक आवश्यकता से सम्बन्धित समस्त सामग्री प्राप्त हो सके।
- स्थानीय निवासियों के परिवार के भीतर लिंग असमानता नहीं होनी चाहिए।
- स्थानीय समाज से बाल विवाह, बाल श्रम एवं जाति प्रथा का समापन होना चाहिए।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 9)
प्रश्न- तालिका (1.2 पाठ्य पुस्तक ) में दिए आँकड़ों के अनुसार दोनों देशों की औसत आय निकालिए
तालिका 1.2: दो देशों की तुलना देश
देश
|
2017 में नागरिकों की मासिक आय (रूपये में) | |||||
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | औसत आय | |
देश क | 9,500 | 10.500 | 9.800 | 10.000 | 10.200 | 10,000 |
देश ख | 500 | 500 | 500 | 500 | 48,000 | 10,000 |
1. क्या आप इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी होंगे?
उत्तर:
नहीं, हम इन दोनों देशों में रहकर समान रूप से सुखी नहीं होंगे क्योंकि देश ‘ख’ में आय का वितरण समान नहीं
2. क्या दोनों देश बराबर विकसित हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों देश बराबर विकसित नहीं हैं। देश ‘क’ के नागरिकों में आय का वितरण समान है। इसके विपरीत देश ‘ख’ के 5 में से 4 नागरिक निर्धन हैं।
आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 9)
प्रश्न 1.
तीन उदाहरण दीजिए जहाँ स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
निम्नलिखित स्थितियों की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है
- आय की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
- किसी परीक्षा में विद्यार्थियों की उपलब्धियों की तुलना करने के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
- क्रिकेट खिलाड़ियों की उपलब्धि की तुलना के लिए औसत का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों में विकास को मापने के लिए आय एक महत्त्वपूर्ण तत्व है। परन्तु कुल आय उपयोगी मापदण्ड नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या भिन्न भिन्न होती है इसलिए कुल आय की तुलना करने से हमें यह पता नहीं चल पाता है कि प्रत्येक व्यक्ति क्या कमा रहा है? यह औसत आय या प्रतिव्यक्ति आय से जाना जा सकता है, इसी कारण हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि कुल आय को देशों की कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है। इसलिए हम सोचते हैं कि औसत आय विकास को समझने का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है।
प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त, आय के कौन-से अन्य लक्षण हैं जो दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्व रखते हैं?
उत्तर:
यद्यपि प्रतिव्यक्ति आय (औसत आय) दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए उपयोगी है परन्तु इससे यह जानकारी नहीं मिलती है कि यह आय देश के लोगों में किस प्रकार वितरित है, इसलिए प्रतिव्यक्ति आय के माप के अतिरिक्त आय का समान वितरण शिशु मृत्यु दर, साक्षरता आदि को दो या दो से अधिक देशों की तुलना के लिए महत्त्व रखता
प्रश्न 4.
मान लीजिए कि रिकॉर्ड ये दिखाते हैं कि किसी देश की आय समय के साथ बढ़ती जा रही है। क्या इससे हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गए हैं? अपना उत्तर उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर:
नहीं, हम नहीं मानते हैं कि किसी देश की आय के बढ़ने से अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्र बेहतर हो गये हैं। समय के साथ किसी देश की औसत आय में वृद्धि का यह अर्थ नहीं होता है कि अर्थव्यवस्था के सभी भाग बेहतर हो गये हैं। उदाहरण के लिए: हम अपने देश भारत की स्थिति पर एक नजर डालते हैं। कुछ विशेष वर्षों को छोड़कर स्वतन्त्रता के बाद से भारत की राष्ट्रीय आय एवं औसत आय निरन्तर बढ़ रही है। परन्तु देश की कुल आय में कृषि का योगदान निरन्तर घट रहा है।
प्रश्न 5.
विश्व विकास रिपोर्ट 2017 के अनुसार निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट-2017 के अनुसार, निम्न आय वाले देशों की प्रतिव्यक्ति आय आधार वर्ष के रूप में सन् 2017 में US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या इससे कम है।
प्रश्न 6.
एक अनुच्छेद लिखिए कि भारत को एक विकसित देश बनने के लिए क्या करना या प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर:
भारत को एक विकसित देश बनने के लिए निम्नलिखित कार्य करना या प्राप्त करना चाहिए
- सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर तीव्र करनी चाहिए।
- लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
- कृषि क्षेत्र के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
- भारत की कुल श्रमशक्ति का लगभग 60 प्रतिशत से भी अधिक भाग कृषि क्षेत्र में लगा हुआ है जो भारत के संकल राष्ट्रीय उत्पाद में केवल 27 प्रतिशत का योगदान देता है।
- इसके अतिरिक्त वैश्वीकरण की प्रक्रिया में इस क्षेत्र की क्षा हुई है जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र की वृद्धि दर में कमी आयी है।
- अत: इस क्षेत्र में वृद्धि हेतु किसानों को कृषि आगतों, प्रशिक्षण, ऋण व विपणन आदि सुविधाएँ प्रदान कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर को तीव्र किया जाना चाहिए।
- बुनियादी संरचना, उद्यमिता, उत्पादन की श्रम गहन तकनीक, प्रशिक्षण, ऋण एवं विपणन सुविधाओं में विस्तार करना चाहिए।
- देश के विभिन्न राजकीय कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहिए।
- देश में व्याप्त भाई-भतीजावाद को भी समाप्त किया जाना चाहिए।
- आयातों की तुलना में निर्यातों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि देश को अधिकाधिक विदेशी मुद्रा की प्राप्ति हो सके।
आओ इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 12)
प्रश्न 1.
तालिका 1.3 और 1.4 के आँकड़ों को देखिए। क्या हरियाणा केरल से साक्षरता दर आदि में उतना ही आगे है जितना कि प्रतिव्यक्ति आय के विषय में ?
उत्तर:
तालिका 1.3 व 1.4 के आँकड़ों के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है कि हरियाणा साक्षरता दर की दृष्टि से केरल से पीछे है जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल से आगे है। हरियाणा की साक्षरता दर (82%) केरल की साक्षरता दर (94%) से 12% कम है। जबकि प्रतिव्यक्ति आय की दृष्टि से केरल (1,63,475) की तुलना में हरियाणा (1,80,174) की प्रतिव्यक्ति आय 16,699 रु. अधिक है।
प्रश्न 2.
ऐसे दूसरे उदाहरण सोचिए, जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है।
उत्तर:
ऐसे निम्नलिखित उदाहरण हैं जहाँ वस्तुएँ और सेवाएँ व्यक्तिगत स्तर की अपेक्षा सामूहिक स्तर पर उपलब्ध कराना अधिक सस्ता है
- आवश्यक वस्तुओं का राशन की दुकानों व डेयरी बूथों द्वारा निर्धारित कीमतों पर उपलब्ध कराना।
- सामूहिक यातायात प्रणाली को अपनाना।
- सामूहिक रूप से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
- सामूहिक रूप से बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना।
- सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था करना।
- सामूहिक रूप से लोगों को किसी विशेष स्थान, यथा-सामूहिक भवन आदि का उपलब्ध कराना सस्ता पड़ता है।
प्रश्न 3.
अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता क्या केवल सरकार द्वारा इन सुविधाओं के लिए किए गए व्यय पर ही निर्भर करती है? अन्य कौन से कारक प्रासंगिक हो सकते हैं? .
उत्तर:
नहीं, यद्यपि एक विकासशील अर्थव्यवस्था में अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की उपलब्धता इन सुविधाओं पर सरकार द्वारा किए गए व्यय पर अत्यधिक निर्भर करती है, परन्तु यह केवल इसी कारक पर निर्भर नहीं करती है। इसके अतिरिक्त कुछ और महत्त्वपूर्ण कारक हैं जो शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए प्रासंगिक हैं, यह निम्नलिखित हैं….
- अपने स्वास्थ्य की जाँच कराने की एवं रोगों के बारे में जानने की रोगी की स्वयं की इच्छा।
- शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर व्यय करने के लिए अभिभावकों की तत्परता।
- परिवार के मुखिया की आमदनी।
- अभिभावकों की स्वास्थ्य व शिक्षा के प्रति जनजागरूकता।
- स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र में निजी सहभागिता।
प्रश्न 4.
तमिलनाडु में ग्रामीण क्षेत्रों के 90 प्रतिशत लोग राशन की दुकानों का प्रयोग करते हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में केवल 35 प्रतिशत ग्रामीण निवासी इसका प्रयोग करते हैं। कहाँ के लोगों का जीवन बेहतर होगा और क्यों ?
उत्तर:
हमारे अनुसार तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन बेहतर होगा क्योंकि उन्हें राशन की दुकानों से कम कीमत पर वस्तुओं की प्राप्ति हो रही है। वस्तुओं की कीमत कम होने के कारण वे लोग अधिक से अधिक मात्रा में उनका उपयोग कर सकते हैं अर्थात् इनका उपभोग स्तर उच्च है। जबकि इस सुविधा का प्रयोग न करने वाले पश्चिम बंगाल के लोगों का उपभोग स्तर निम्न रहता है।
कार्यकलाप 2 (पृष्ठ संख्या 12)
प्रश्न 1.
तालिका 1.5 का ध्यान से अध्ययन कीजिए और निम्न अनुच्छेदों में रिक्त स्थानों को भरिए। हो सकता है इसके लिए आपको तालिका के आधार पर कुछ गणना करनी पड़े।
तालिका 1.5 उत्तर प्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या की शैक्षिक उपलब्धि श्रेणी
श्रेणी | पुरुष | महिला |
ग्रामीण जनसंख्या की साक्षरता दर | 76% | 54% |
10-14 वर्ष के बच्चों में साक्षरता दर | 90% | 87% |
10-14 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले ग्रामीण बच्चों का प्रतिशत | 85% | 82% |
(क) सभी आयु वर्गों की साक्षरता दर, जिसमें युवक और वृद्ध दोनों सम्मिलित हैं, ग्रामीण पुरुषों के लिए ….. थी और ग्रामीण महिलाओं के लिए ……. थी। यही नहीं कि बहुत से वयस्क स्कूल ही नहीं जा पाए बल्कि ……. ……. ग्रामीण लड़के तथा …… ग्रामीण लड़कियाँ इस समय स्कूल में नहीं हैं।
(ख) इस तालिका से स्पष्ट है कि ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और ……. प्रतिशत ग्रामीण लड़के स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसलिए 10 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों में से …… प्रतिशत ग्रामीण लड़कियाँ और …… प्रतिशत ग्रामीण लड़के निरक्षर
(ग) हमारी स्वतंत्रता के 68 वर्षों के बाद भी, ……….. आयु के वर्ग में इस उच्च स्तर की निरक्षरता चिंताजनक है। बहुत से अन्य राज्यों में भी 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के संवैधानिक लक्ष्य के निकट भी नहीं पहुँच पाए हैं, जबकि इस लक्ष्य को 1960 तक पूरा करना था।
उत्तर:
(क) 76%, 54%, 15% ग्रामीण लड़के व 18% ग्रामीण लड़कियाँ
(ख) 18%, 15%, 13%, 10%
(ग) 10 – 14
उदाहरण (पृष्ठ संख्या 14)
उदाहरण 1.
भारत में भूमिगत जल: “हाल के प्रमाणों से पता चलता है कि देश के कई भागों में भूमिगत जल का अति-उपयोग होने का गंभीर संकट है। 300 जिलों से सूचना मिली है कि वहाँ पिछले 20 सालों में पानी के स्तर में 4 मीटर से अधिक की गिरावट आयी है। देश का लगभग एक-तिहाई भाग, भूमिगत जल भण्डारों का अति-उपयोग कर रहा है। यदि इस साधन के प्रयोग करने का वर्तमान तरीका जारी रहा हो अगले 25 वर्षों में देश का 60 प्रतिशत भाग इस साधन का अति-उपयोग कर रहा होगा। भूमिगत जल का अति-उपयोग विशेष रूप से पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कृषि की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्रों, मध्य और दक्षिण भारत के चट्टानी पठारी क्षेत्रों, कुछ तटवर्ती क्षेत्रों और तेजी से विकसित होती शहरी बस्तियों में पाया जाता है।”
1. आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि जल का अति-उपयोग हो रहा है?
उत्तर:
हाँ, देश के कई भागों में जल, विशेषकर भूमिगत जल का अति उपयोग हो रहा है। देश का लगभग एक तिहाई भाग भूमिगत जल भण्डारों का अति उपयोग कर रहा है। लोग घरेलू कार्य, सिंचाई, उद्योगों आदि में जल का अति उपयोग कर उसका दुरुपयोग कर रहे हैं। जल के अति उपयोग के कारण ही दिनों-दिन भूमिगत जल स्तर नीचा होता जा रहा है।
2. क्या बिना अति-उपयोग के विकास हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, जल के अति उपयोग के बिना विकास हो सकता है इसके लिए जरूरी है कि हम जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करें एवं जल संरक्षण के आवश्यक उपायों को अपनायें।
उदाहरण (पृष्ठ संख्या 15)
उदाहरण: प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कच्चे तेल के लिए निम्न आँकड़ों को देखिए
तालिका 1.7 कच्चे तेल के अतिरिक्त भण्डार
क्षेत्र/देश | भण्डार (हजार मिलियन बैरल) | भण्डारों के चलने की अवधि (वर्षों में) |
मध्य-पूर्व | 807.7 | 70 |
संयुक्त राज्य अमरीका | 50 | 10.5 |
विश्व | 1696.6 | 50.2 |
यह तालिका कच्चे तेल के भण्डारों के अनुमान (कॉलम 1) को दर्शाती है। अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि यह बताती है कि यदि कच्चे तेल का प्रयोग वर्तमान दर पर चालू रहा तो ये भण्डार कितने वर्ष चलेंगे। यह सम्पूर्ण विश्व के लिए है किन्तु अलग-अलग देशों की अलग-अलग स्थितियाँ हैं। यह भण्डार केवल 50 वर्षों में समाप्त हो जाएँगे। भारत जैसे देश इसके आयात पर निर्भर हैं, जिसके पास तेल के पर्याप्त भण्डार नहीं हैं।
तेल की कीमतें बढ़ती हैं, तो प्रत्येक स्तर पर भार पड़ता है। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे कुछ देश हैं जिनके पास भण्डार तो कम है लेकिन वे इसे सैन्य और आर्थिक शक्ति के द्वारा पाना चाहते हैं। विकास की धारणीयता का प्रश्न, इसकी प्रकृति और प्रक्रिया के बारे में कई अन्य मूल नए विषय खड़े कर देता है।
1. क्या किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है? चर्चा कीजिए।
2. भारत को कच्चा तेल का आयात करना पड़ता है। उपरोक्त स्थिति को देखते हुए आप भारत के लिए आने वाले समय में किन समस्याओं का पूर्वानुमान करते हैं?
उत्तर:
1. हाँ, किसी देश की विकास प्रक्रिया के लिए कच्चा तेल अनिवार्य है, कच्चा तेल विभिन्न प्रकार की मशीनों, यंत्रों एवं परिवहन आदि के लिए एक संचालक शक्ति का कार्य करता है।
2. भारत को कच्चे तेल का आयात करना पड़ता है। आने वाले समय में भारत को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :
- भारत के आयातों में वृद्धि,
- प्रतिकूल भुगतान सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न होगी,
- विदेशी विनिमय संकट उत्पन्न होगा।
- कालाबाजारी बढ़ेगी।