JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 3 जल संसाधन

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 3 जल संसाधन

वस्तुनिष्ठ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा अलवणीय जल प्राप्ति का स्रोत है
(क) सतही अपवाह
(ख) भौम जल
(ग) (क) व (ख)
(घ) महासागर
उत्तर:
(ग) (क) व (ख)

2. निम्न में से किसकी सहायता से जल का लगातार नवीनीकरण और पुनर्भरण होता रहता है
(क) ऑक्सीजन चक्र
(ख) नाइट्रोजन चक्र
(ग) जलीय चक्र
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) ऑक्सीजन चक्र

3. धरातल पर जल की कमी का कारण है
(क) अतिशोषण
(ख) अत्यधिक प्रयोग।
(ग) समाज के विभिन्न वर्गों में असमान वितरण
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(घ) ये सभी।

4. निम्न में से किस नदी बेसिन में हीराकुड परियोजना जल संरक्षण तथा बाढ़ नियन्त्रण का समन्वय है?
(क) महानदी बेसिन
(ख) सतलुज-व्यास बेसिन
(ग) नर्मदा बेसिन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) महानदी बेसिन

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5. निम्न में से किसने बाँधों को ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ कहा?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) लाल बहादुर शास्त्री
(ग) पं. जवाहरलाल नेहरू
(घ) सरदार पटेल
उत्तर:
(ग) पं. जवाहरलाल नेहरू

6. सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर बनाया गया है?
(क) महानदी
(ख) नर्मदा
(ग) दामोदर
(घ) ब्रह्मपुत्र
उत्तर:
(ख) नर्मदा

7. राजस्थान के अर्द्धशुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों में प्रयोग की जाने वाली जल-संग्रहण प्रणाली को कहा जाता है
(क) कुल
(ख) गुल
(ग) बाँस ड्रिप
(घ) टाँका
उत्तर:
(घ) टाँका

रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. सम्पूर्ण पृथ्वी के लगभग………भाग पर जल का विस्तार पाया जाता है।
उत्तर:
तीन-चौथाई,

2. सतलुज-व्यास बेसिन में………परियोजना जल विद्युत उत्पादन और सिंचाई दोनों के काम आती है।
उत्तर:
भाखड़ा-नांगल,

3. 11वीं सदी में बनवाई गई……….अपने समय की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
उत्तर:
भोपाल झील,

4. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बाँधों को……….कहा।
उत्तर:
आधुनिक भारत के मन्दिर,

5. ……….में बाँस ड्रिप सिंचाई की जाती है।
उत्तर:
मेघालय।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हमें अलवणीय जल कहाँ से प्राप्त होता है ?
अथवा
भारत में अलवणीय जल के दो स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
हमें अलवणीय जल सतही अपवाह एवं भौम जल स्रोत से प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
विश्व का कौन-सा देश है जहाँ मात्र 25 सेमी. औसत वार्षिक वर्षा होने पर भी पानी का अभाव नहीं है ?
उत्तर:
इजराइल।

प्रश्न 3.
भारत में उत्कृष्ट सिंचाई तत्र्र होने के प्रमाण कहाँ मिले हैं?
उत्तर:

  1. कलिंग (ओडिशा),
  2. नागार्जुनकोंडा (आन्ध्र प्रदेश),
  3. बेन्नूर (कर्नाटक),
  4. कोल्हापुर (मांराष्ट्र)।

प्रश्न 4.
प्राचीनकाल में गंगानदी की बाढ़ के जल को संरक्षित करने के लिए किस स्थान पर एक जल संग्रहण तंत्र बनाया गया था?
उत्तर:
इलाहाबाद के निकट श्रिंगवेरा में।

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प्रश्न 5.
बहुउद्छेशीं परियोजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुउद्देशीय परियोजनाएँ वह हैं जो एक साथ अनेक उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं, कैसे-सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियन्त्रण, मृदा संरक्षण; मत्स्य पालन आदि ।

प्रश्न 6.
जवाहर लाल नेहरू गर्व से बाँधों को ‘आधुनिक भारत के मन्दि” क्यों कहा करते थे?
उत्तर:
क्योंकि इन परियोजनाओं के कारण कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था, औद्योगीकरण और नगरीय अर्थव्यवस्था समन्वित रूप से विकास करती है।

प्रश्न 7.
नर्मंबा बचाओ एवं टिडरी बाँ आन्दोरोज जैसे पए आदोलनो का कूल कारण क्या है?
उत्तर:
नर्मदा बचाओ एवं टिहरी बाँध आन्दोलन जैसे नए आन्दोलन का मूल कारण स्थानीय समुदायों का वृहद् स्तर पर विस्थापन होना है।

प्रश्न 8.
बहुउद्देशीय परियोजनाओं से सम्बन्धित अंतराज्यीय झगड़े क्यों बढ़ते जा रहे हैं?
उत्तर:
बहुउद्देशीय परियोजनाओं की लागत व लाभ के बँटवारे को लेकर अंतर्राज्यीय झगड़े बढ़ते जा रहे हैं।

प्रश्न 9.
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के विरोध में एक
उत्तर:
बहुउद्देशीय परियोजना के निर्माण के कारण स्थायी समुदायों को वृहद स्तर पर विस्थापित होना पड़ता है।

प्रश्न 10.
किन्हीं दो सामाजिक आन्दोलनों के नाम बताएँ, जिन्हें बहुउद्छेशीय परियोजनाओं के विरोध में आरम्भ किया गया है ?
उत्तर:

  1. नर्मदा बचाओ आन्दोलन एवं
  2. टिहरी बाँध आन्दोलन हैं ।

प्रश्न 11.
कृष्णा-गोदावरी विवाद किन-किन राज्यों से सम्बन्धित है?
उत्तर:
कृष्णा-गोदावरी विवाद निम्न राज्यों से सम्बन्धित है

  1. महाराष्ट्र,
  2. कर्नाटक,
  3. आन्ध्र प्रदेश।

प्रश्न 12.
वर्ष 2006 में भारी वर्षा के दौरान बाँधों से छोड़े गये जल की वजह से किन राज्यों में बाढ़ की स्थिति और अधिक विकट हो गई?
उत्तर:
महाराष्ट्र, गुजरात।

प्रश्न 13.
तुंगभद्रा बहुउद्देश्यीय परियोजना में कौन-कौन से राज्य हिस्सेदार हैं?
उत्तर:
कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश।

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प्रश्न 14.
किन्हीं तीन राज्यों के नाम बताइए जहाँ छत वर्षा जल संग्रहण का तरीका अपनाया जाता है?
उत्तर:
छत वर्षा जल संग्रहण का तरीका अपनाने वाले तीन राज्य हैं- मेघालय, राजस्थान और तमिलनाडु।

प्रश्न 15.
राजस्थान के अर्द्धशुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
राजस्थान के शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में लोग भूमिगत टैंक अथवा टाँका बनाकर वर्षा जल संग्रहण करते हैं।

प्रश्न 16.
राजस्थान के शुष्क वर्द्धशुष्क क्षेत्रों में अधिकतर लोग जल में टाँकों के साथ भूमिगत कमरे बनवाया करते हैं ? कारण दें।
उत्तर:
टाँकों के साथ भूमिगत कमरे बनवाने से जल का यह स्रोत इन कमरों को ठंडा रखता है जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है।

प्रश्न 17.
वर्षा जल संग्रहण की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
जल की कमी की समस्था को सुलझाने के लिए वर्षाजल संग्रहण की आवश्यकता है।

प्रश्न 18.
वर्षा जल संग्रहण के किन्हीं दो उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर:

  1. जल की बढ़ती माँग को पूरा करना,
  2. धरातल पर अनावश्यक बहते जल की मात्रा को कम करना।

प्रश्न 19.
पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण की रीति किस नहर से वर्ष भर पेयजल की उपलब्धता के कारण कम होती जा रही है ?
उत्तर:
इंदिरा गाँधी नहर के कारण पश्चिमी राजस्थान में छत वर्षा जल संग्रहण की रीति कम होती जा रही है।

प्रश्न 20.
विश्व का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
विश्य का सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान मॉसिनराम (मेघालय) है।

प्रश्न 21.
मेघालय का वह शहर कौन-सा है जहाँ छत वर्षा जल संग्रहण प्रणाली प्रचलित है?
उत्तर:
मेघालय की राजधानी शिलांग में छत वर्षा जल संग्रहण प्रणाली प्रचलित है।

प्रश्न 22.
बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसं विधि द्वारा मेघालय में नदियों व झरनों के जल को बाँस से बने पाइप द्वारा एकत्रित करके सिंचाई के काम में लिया जाता है।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
बढ़ती जनसंख्या जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी है। व्याख्या करें।
अथवा
अधिक जनसंख्या के कारण जल दुर्लभता होती है। बताइए।
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या अर्थात् जल की अधिक माँग। जल अधिक जनसंख्या के लिए घरेलू उपभोग में ही नहीं बल्कि अधिक अनाज उगाने के लिए भी आवश्यक होता है। अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए जल संसाधनों का अतिशोषण करके ही सिंचित क्षेत्र बढ़ाया जाता है और शुष्क ऋतु में भी खेती की जाती हैं। इस तरह जल के अत्यधिक प्रयोग के परिणामस्वरूप भूमिगत जल का स्तर नीचे गिर जाता है और जल की कमी हो जाती है। इस तरह बढ़ती जनसंख्या जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण किस प्रकार जल दुर्लभता के लिए उत्तरदायी है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् भारत में तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ है। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। उद्योगों को अत्यधिक जल के अतिरिक्त उनको चलाने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है जिसका उत्पादन जल से होता है। वर्तमान समय में भारत में कुल विद्युत का लगभग 22 % भाग जल विद्युत से प्राप्त होता है। औद्योगिक अपशिष्टों से भी जल प्रदूषित हो जाता है जिससे शुद्ध जल की कमी होती है। उद्योग ही जल को मानव उपयोग के लिए खतरनाक बनाने के लिए उत्तरदायी हैं। इस प्रकार औद्योगीकरण जल-दुर्लभता के लिए उत्तरदायी है।

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प्रश्न 3.
पर्याप्त जल संसाधन होने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में जल की दुर्लभता क्यों पायी जाती है?
उत्तर:
पर्याप्त जल संसाधन होने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में जल की दुर्लभता पायी जाती है। यह दुर्लभता जल की खराब गुणवत्ता के कारण हो सकती है। खराब गुणवत्ता के कारण हैं

  1. घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्टों का जल में मिल जाना।
  2. रसायनों, कीटनाशकों एवं उर्वरकों का जल में मिल जाना।
  3. इस प्रकार उत्सर्जित जल को मानव उपयोग के लायक बनाने हेतु जल के पुनर्शोधन का कोई उपाय नहीं किया जाना।

प्रश्न 4.
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. कृषि हेतु सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना।
  2. बाढ़ पर नियन्त्रण करना।
  3. जल विद्युत का उत्पादन करना।
  4. भूमि अपरदन पर प्रभावी नियन्त्रण करना।
  5. उद्योग-धन्धों का विकास करना।
  6. जल परिवहन का विकास करना।
  7. मत्स्य पालन का विकास करना।
  8. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।

प्रश्न 5.
बाँध क्या हैं? हम इन्हें बहुउद्देशीय परियोजनाएँ क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
बाँध, प्रवाहित होने वाले जल को रोकने, उसको एक दिशा देने अथवा उसके बहाव को कम करने के लिए बनाई गई बाधा है जो सामान्यतः जलाशय, झील अथवा जलभरण बनाती है। बाँधों का निर्माण विभिन्न उद्देश्यों, जैसे-सिंचाई, जलापूर्ति, विद्युत उत्पादन, घरेलू उत्पादन, औद्योगिक उपयोग, बाढ़ नियन्त्रण, मत्स्य पालन, नौकायन, मनोरंजन आदि के लिए किया जाता है। इस प्रकार बाँधों द्वारा विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति किये जाने के कारण इन्हें बहुउद्देशीय परियोजनाएँ कहा जाता है।

प्रश्न 6.
आपके मतानुसार बाँध कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर:
मेरे मतानुसार वर्तमान समय में बाँध बहुत उपयोगी हैं। बाँध केवल सिंचाई के लिए ही नहीं बनाये जाते बल्कि इनका उपयोग विद्युत उत्पादन, घरेलू व औद्योगिक उपयोग, जलापूर्ति, बाढ़ नियन्त्रण, मनोरंजन, मत्स्यपालन, नौकायन आदि के लिए भी किया जाता है।

प्रश्न 7.
नर्मदा बचाओ आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
नर्मदा बचाओ आन्दोलन एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है जो जनजातीय लोगों, किसानों, पर्यावरणविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गुजरात में नर्मदा नदी पर निर्मित सरदार सरोवर बाँध के विरोध में लामबंद करता है। प्रारम्भ में यह आन्दोलन, जंगलों के बाँध के पानी में डूबने जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर केन्द्रित था परन्तु हाल में ही इस आन्दोलन का लक्ष्य बाँध के कारण विस्थापित निर्धन लोगों को सरकार से समस्त पुनर्वास सुविधाएँ दिलाना हो गया है।

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प्रश्न 8.
जल संरक्षण हेतु प्रमुख उपाय सुझाइए।
अथवा
जल संसाधनों का संरक्षण करने के तीन उपाय सुझाइए।
उत्तर:
जल संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

  1. बाढ़ के जल का नियन्त्रण
  2. जल का विवेकपूर्ण उपयोग
  3. भू-जल विदोहन निषिद्ध क्षेत्र का निर्धारण
  4. वर्षाजल का अधिकतम संग्रहण, संधारण, पुनर्भरण एवं अनुकूलतम उपयोग
  5. परम्परागत जल स्रोतों का पुनरुद्धार
  6. जल प्रदूषण को रोकना
  7. कम जल की आवश्यकता वाली कृषि फसलों को बढ़ावा देना।

प्रश्न 9.
वर्षाजल संग्रहण किसे कहते हैं? वर्षाजल संग्रहण के उद्देश्यों को बताइए।
उत्तर:
वर्षा के जल को शुष्क मौसम में उपयोग करने के लिए एकत्रित करके रखना वर्षा जल संग्रहण कहलाता है। वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  1. संग्रहित पानी से भूमि का जलस्तर ऊँचा उठाना।
  2. नदियों व नालों में आयी बाढ़ पर नियन्त्रण स्थापित करना।
  3. वर्षा जल संग्रहण के अन्तर्गत एकत्रित जल से शुष्क मौसम में आवश्यक जलापूर्ति सम्भव बनाना।
  4. भूमिगत जलस्तर बढ़ने से खेतों की सिंचाई करने में सहायता मिलना।

प्रश्न 10.
छत वर्षा जल संग्रहण की विधि को संक्षेप में बताइए।
अथवा
छत वर्षाजल संग्रहण तकनीक क्या है? बताइए। उत्तर-छत वर्षा जल संग्रहण की विधि (तकनीक) निम्नलिखित है

  1. पी. वी. सी. पाइप का इस्तेमाल करके छत का वर्षा जल एकत्रित किया जाता है।
  2. रेत एवं ईंट का प्रयोग करके जल का छनन किया जाता है।
  3. भूमिगत पाइप द्वारा जल हौज तक ले जाया जाता है जहाँ से उसे तत्काल उपयोग में लाया जा सकता है।
  4. हौज से अतिरिक्त जल कुएँ तक ले जाया जाता है।
  5. कुएँ से पानी रिसकर भूमिगत जल स्तर में वृद्धि करता है।
  6. गर्मी के दिनों में इन कुओं के पानी का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 11.
बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत के मेघालय राज्य में नदियों व झरनों के जल को बाँस के पाइप द्वारा एकत्रित करके सिंचाई करने की लगभग 200 वर्ष पुरानी विधि प्रचलित है। इसे बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली कहते हैं। इस विधि से लगभग 18 से 20 लीटर जल सिंचाई के लिए बाँस के पाइपों के द्वारा सैकड़ों मीटर की दूरी तक ले जाया जाता है। अन्त में पानी का बहाव 20 से 80 बूंद प्रति मिनट तक घटाकर पौधे पर छोड़ा जाता है। इससे भूमि नम हो जाती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
जल संसाधन के प्रमुख स्रोतों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
जल के स्रोतों के आधार पर जल संसाधनों की उपलब्धता कितने रूपों में होती है ?
उत्तर:
जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है। इसके बिना धरातल पर किसी भी प्रकार का जीवन सम्भव नहीं है। पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है। इसका वितरण भी सर्वत्र समान नहीं है। वर्षा जल संसाधन का प्रमुख स्रोत है। जल के स्रोतों के आधार पर जल संसाधन की उपलब्धता निम्नलिखित तीन रूपों में होती है’

  1. भूमिगत जल-धरातल के नीचे चट्टानों की दरारों व छिद्रों में अवस्थित जल भूमिगत जल कहलाता है।
  2. धरातलीय या सतही जल-इसके अन्तर्गत धरातल पर स्थित विभिन्न जल स्रोत-नदियाँ, झीलें, नहरें व विभिन्न जलाशय सम्मिलित हैं।
  3. महासागरीय जल-धरातल पर प्राप्त समस्त जल का 96.5 प्रतिशत भाग महासागरों में पाया जाता है। सभी महासागर एक विशाल जलीय इकाई के रूप में मिले हुए हैं।

प्रश्न 2.
ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है कि सन् 2025 में 20 करोड़ लोग जल की नितांत कमी झेलेंगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ। निम्नलिखित कारणों से सन् 2025 तक लगभग 20 करोड़ लोग जल दुर्लभता के गम्भीर संकट का सामना कर रहे होंगे:

  1. सिंचित क्षेत्र का तीव्र गति से विस्तार हुआ है जिससे जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। किसान अपनी पैदावार बढ़ाने के लिए खेतों पर नलकूप लगवा रहे हैं। इससे भौमजल स्तर में कमी आती जा रही है जिससे जल की उपलब्धता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  2. उद्योगों से विशाल मात्रा में प्रदूषित जल एवं रसायनों को नदियों में प्रवाहित किया जाता है जिससे जल प्रदूषित हो रहा है।
  3. कृषि में प्रयुक्त होने वाले उर्वरकों एवं रसायनों द्वारा भी जल संसाधन प्रदूषित होते हैं। इससे जल मानव उपयोग के लिए खतरनाक बन जाता है।
  4. तीव्र औद्योगीकरण से जल संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। उद्योग न केवल अधिक जल की माँग करते हैं बल्कि उन्हें संचालित करने के लिए ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है। इस ऊर्जा का उत्पादन जल-विद्युत शक्ति से भी होता है।
  5. तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या एवं तीव्र शहरीकरण ने न केवल जल की माँग बल्कि ऊर्जा की माँग को भी बढ़ाया है जिससे जल संकट में वृद्धि

प्रश्न 3.
तीव्र शहरीकरण ने जल दुर्लभता को बढ़ाया है। व्याख्या कीजिए।
अथवा
शहरी क्षेत्रों में गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों रूपों में जल दुर्लभता महसूस की जा रही है। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिसका लगातार नवीकरण एवं पुनर्भरण जलीय चक्रण द्वारा होता रहता है। जल का विश्व वितरण समान नहीं है। पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग जल से घिरा होने के बावजूद विश्व के कई देशों एवं क्षेत्रों में जल की कमी महसूस की जा रही है। जल की कमी की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक है। शहरी क्षेत्रों में गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों रूपों में जल दुर्लभता महसूस की जा रही है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. अधिक जनसंख्या वाले कई शहरी केन्द्रों के निर्माण के कारण जल एवं ऊर्जा की माँग में लगातार वृद्धि हो रही है।
  2. शहरी जीवन शैली के कारण जल और ऊर्जा की आवश्यकता में वृद्धि हुई है।
  3. शहरी आवास समितियों एवं कॉलोनियों के पास अपनी जल सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमिगत जल को बाहर निकालने वाली अपनी-अपनी युक्तियाँ हैं। इस कारण जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है।
  4. कई बार जल की खराब गुणवत्ता भी इसकी कमी का कारण बन जाती है। घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्टों, रसायनों, कीटनाशकों एवं कृषि में प्रयुक्त होने वाले उर्वरकों के कारण जल प्रदूषित होता है एवं उसकी गुणवत्ता खत्म हो जाती है।

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प्रश्न 4.
प्राचीनकाल में हमारे पास उत्कृष्ट जलीय कृतियाँ निर्मित करने की तकनीक उपलब्ध थी? व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्राचीनकाल की कुछ जलीय कृतियों का विवरण दीजिए।
अथवा
“पुरातात्वीय और ऐतिहासिक अभिलेख बताते हैं कि हमने प्राचीन काल से ही भारत में उत्कृष्ट जलीय कृतियाँ बनाई हैं।” इस कथन को प्रमाणित करने के लिए तीन साक्ष्य दीजिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल में हमारे पास उत्कृष्ट जलीय कृतियाँ निर्मित करने की तकनीक उपलब्ध थी। प्राचीनकाल से ही हम सिंचाई के लिए पत्थरों और मलबे से बाँध, जलाशय, झील एवं नहर आदि बनाते आ रहे हैं। प्राचीनकाल की प्रमुख जलीय कृतियों के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. ईसा से एक शताब्दी पूर्व इलाहाबाद के नजदीक भिंगवेरा में गंगा नदी की बाढ़ के जल को संरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट जल संग्रहण तन्त्र बनाया गया था।
  2. चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में बड़े पैमाने पर बाँध, झील और सिंचाई तन्त्रों का निर्माण करवाया गया।
  3. कलिंग (ओडिशा), नागार्जुनकोंडा (आन्ध्र प्रदेश), बेन्नूर (कर्नाटक) एवं कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में उत्कृष्ट सिंचाई तंत्र के प्रमाण मिलते हैं।
  4. 11वीं शताब्दी में अपने समय की बड़ी झीलों में से एक भोपाल झील का निर्माण किया गया।
  5. 14वीं शताब्दी में दिल्ली में सिरी फोर्ट क्षेत्र में जल की आपूर्ति हेतु एक विशिष्ट तालाब ‘हौज खास’ का निर्माण करवाया गया।

प्रश्न 5.
जल संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है? कारण दीजिए।
अथवा
भारत में जल प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
आज भारत में लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पेयजल एवं कृषि फसलों की सिंचाई हेतु जल की आवश्यकता निरन्तर बढ़ती जा रही है लेकिन स्वच्छ जल की निरन्तर आपूर्ति कम होती जा रही है। फलस्वरूप जल संरक्षण एवं प्रबन्धन वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारत में जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से भी है

  1. जल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धि के बावजूद इसके अतिशोषण, अत्यधिक प्रयोग एवं समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण इसके संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता बढ़ गयी है।
  2. प्राकृतिक पारितन्त्र को निम्नीकृत होने से बचाने के लिए जल का संरक्षण महत्वपूर्ण है।
  3. बढ़ती जनसंख्या, कृषि का आधुनिकीकरण, शहरीकरण व औद्योगीकरण के कारण नदियों का जल प्रदूषित हुआ है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इससे सम्पूर्ण जीवन खतरे में है।
  4. फसलों का उगाना भी जल की उपलब्धता पर निर्भर है।
  5. जल पीने एवं घरेलू उपयोग के लिए भी प्रयोग होता है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या एवं शहरी जीवन शैली के कारणं जल की माँग बढ़ती ही जा रही है। इन सबके लिए जल की भविष्य में आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता है।

प्रश्न 6.
वर्षा जल संग्रहण क्या है? भारत में छत वर्षा जल संग्रहण तकनीक के सफल प्रयोग के कोई दो उदाहरण दीजिए।
अथवा
ऐसे कोई दो उदाहरण दें जहाँ छत वर्षा जल संग्रहण तकनीक का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा द्वारा भूमिगत जल की क्षमता में वृद्धि करने की तकनीक वर्षा जल संग्रहण कहलाती है। इसमें वर्षाजल को रोकने एवं एकत्रित करने के लिए विशेष ढाँचों; जैसे-कुएँ, गड्ढे, बाँध आदि का निर्माण किया जाता है। इससे न केवल जल का संग्रहण होता है बल्कि जल को भूमिगत होने की अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं।
भारत में छत वर्षा जल संग्रहण तकनीक के सफल प्रयोग के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं
1. शिलांग (मेघालय):
मेघालय की राजधानी शिलांग को पीने के पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए शिलांग के लगभग प्रत्येक परिवार ने छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था कर रखी है। इस तकनीक से प्रत्येक परिवार की जल की कुल आवश्यकता का 15-25 प्रतिशत भाग की आपूर्ति होती है।

2. गंडाथूर (कर्नाटक):
कर्नाटक राज्य के मैसूर जिले के गंडाथूर गाँव में भी लोग पानी की आपूर्ति हेतु छत वर्षा जल संग्रहण तकनीक का प्रयोग करते हैं। गाँव के लगभग 200 परिवारों ने इस विधि का उपयोग कर जल की कमी की समस्या का समाधान किया है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जल दुर्लभता से क्या आशय है? जल दुर्लभता के कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
जल दुर्लभता से क्या आशय है ? सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल दुर्लभता से आशय-किसी स्थान अथवा क्षेत्र में माँग की तुलना में जल की कमी का होना जल दुर्लभता कहलाता है। स्वीडन के एक विशेषज्ञ फाल्कन मार्क ने जल दुर्लभता को निम्न प्रकार से परिभाषित किया है. फाल्कन मार्क के अनुसार, “जल की कमी तब होती है जब प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिवर्ष 1,000 से 1,600 घन मीटर के मध्य जल उपलब्ध होता है।” जल दुर्लभता के कारण भारत में जल दुलर्भता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. जल के वितरण में असमानता:
हमारे देश में वर्षा में वार्षिक एवं मौसमी परिवर्तनों के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता में समय और स्थान के अनुसार विभिन्नता पायी जाती है। जहाँ एक तरफ हमारे देश के मॉसिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है वहीं राजस्थान का मरुस्थल सूखाग्रस्त है। प्रकृति के साथ-साथ जल के असमान वितरण के लिए हम भी ज़िम्मेदार हैं। अधिकांशतः जल की कमी इसके अतिशोषण, अत्यधिक प्रयोग एवं समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण होती है।

2. बढ़ती हुई जनसंख्या:
हमारे देश में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है जिस कारण जल की माँग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। जल की बढ़ती माँग एवं उसका असमान वितरण जल दुर्लभता का कारण बनता जा रहा है। .

3. सिंचाई:
जल की उपलब्धता जनसंख्या के लिए सिर्फ घरेलू उपभोग के लिए ही नहीं बल्कि अधिक अनाज उगाने के लिए भी आवश्यक है। अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए जल संसाधनों का अति शोषण करके ही सिंचित क्षेत्र में वृद्धि की जा सकती है और शुष्क ऋतु में भी कृषि की जा सकती है। हमारे देश के अधिकांश किसान अपने खेत की सिंचाई निजी कुओं एवं नलकूपों से करके अपने कृषि उत्पादन को बढ़ा रहे हैं। सिंचाई में जल के अत्यधिक प्रयोग से भौमजल स्तर नीचे गिर रहा है तथा लोगों के लिए उपलब्ध जल में निरन्तर कमी होती जा रही है।

4. औद्योगीकरण:
स्वतन्त्रता के पश्चात् हमारे देश में तीव्र गति से औद्योगीकरण हुआ है। आजकल प्रत्येक स्थान पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ बड़े औद्योगिक घरानों के रूप में फैली हुई हैं। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा है, उद्योगों को अत्यधिक जल के अतिरिक्त उनके संचालन के लिए भी ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति जल विद्युत से होती है।

5. शहरीकरण:
शहरीकरण भी जल दुर्लभता के लिए एक जिम्मेदार कारक है, इसने भी ज़ल दुर्लभता की समस्या में वृद्धि की है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या एवं शहरी जीवन शैली के कारण न केवल जल और ऊर्जा की आवश्यकता में वृद्धि हुई है बल्कि उनसे सम्बन्धित समस्याएँ और भी बढ़ गयी हैं। अधिक जनसंख्या जल संसाधनों का अति उपयोग कर रही है तथा उपलब्ध संसाधनों को प्रदूषित कर रही है।

6. जल प्रदूषण:
जल की दुर्लभता का एक प्रमुख कारण जल की खराब गुणवत्ता अर्थात् जल प्रदूषण भी है। पिछले कुछ वर्षों से यह एक चिन्ताजनक विषय बनता जा रहा है कि लोगों की आवश्यकता के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होने के बावजूद. यह घरेलू एवं औद्योगिक अपशिष्टों, रसायनों, कीटनाशकों एवं कृषि में प्रयुक्त उर्वरकों द्वारा प्रदूषित है। ऐसा जल, मानव के उपयोग के लिए खतरनाक है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 3 जल संसाधन

प्रश्न 2.
बहुउद्देशीय नदी परियोजना से क्या तात्पर्य है? पिछले कुछ वर्षों से ये परियोजनाएँ विरोध का विषय क्यों बन गयी हैं? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा
बाँध किस प्रकार बाढ़ एवं अन्य पर्यावरणीय समस्याओं के जनक बनते जा रहे हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बहुउद्देशीय नदी परियोजना-एक नदी घाटी परियोजना जो एक साथ कई उद्देश्यों, जैसे-सिंचाई, बाढ़, नियन्त्रण, जल व मृदा का संरक्षण, जल विद्युत, जल परिवहन, पर्यटन का विकास, मत्स्यपालन, कृषि एवं औद्योगिक विकास आदि की पूर्ति करती है, बहुउद्देशीय नदी परियोजना कहलाती है। बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के विरोध के कारण-पिछले कुछ वर्षों से बाँध बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ निम्न कारणों से विरोध का विषय बन गयी हैं

1. नदियों में रहने वाले जलीय जीवों के भोजन व आवास को हानि:
नदियों पर बांध बनाने एवं उनका बहाव नियन्त्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध हो जाता है। जिसके कारण तलछट का बहाव कम हो जाता है और अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा होता रहता है जिससे नदी का तल अधिक चट्टानी हो जाता है और नदी के जलीय जीव आवासों में भोजन की कमी हो जाती है।

2. जलीय जीवों का आवागमन अवरुद्ध होना:
बहुउद्देशीय परियोजनाओं हेतु बनाये गये बाँध नदियों को कई टुकड़ों में विभाजित कर देते हैं, जिससे अण्डे देने की ऋतु में जलीय जीवों का नदियों में आवागमन अवरुद्ध हो जाता है।

3. वनस्पति एवं मृदाओं का जल में डूब जाना:
बाढ़ के मैदानों में बनाये जाने वाले जलाशयों द्वारा वहाँ उपलब्ध वनस्पति एवं मिट्टियाँ जल में डूब जाती हैं जो कि कालान्तर में अपघटित हो जाती हैं।

4. स्थानीय लोगों का वृहत स्तर पर विस्थापित होना;
बहुउद्देशीय परियोजनाएँ एवं बड़े बाँध नये सामाजिक आन्दोलनों, जैसे-नर्मदा बचाओ आन्दोलन एवं टिहरी बाँध आन्दोलन के कारण भी बन गये हैं। इन परियोजनाओं का विरोध मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों के वृहत् स्तर पर विस्थापित होने के कारण हो रहा है। प्रायः स्थानीय लोगों को राष्ट्रहित में अपनी भूमि एवं आजीविका का त्याग करना पड़ता है।

5. बाढ़ों में वृद्धि होना:
बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं पर उठी अधिकांश आपत्तियाँ उनके उद्देश्यों में असफल हो जाने पर हैं। यह एक विडम्बना है कि जिन बाँधों का निर्माण बाढ़ नियन्त्रण के लिए किया जाता है, उन जलाशयों में तलछट के जमा हो जाने से वे बाढ़ आने का कारण बन जाते हैं। अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति में तो बड़े बाँध भी अनेक बार बाढ़ नियन्त्रण में असफल रहते हैं। उदाहरण के लिए सन् 2006 में महाराष्ट्र एवं गुजरात में भारी वर्षा के दौरान बाँधों में छोड़े गये जल के कारण बाढ़ की स्थिति और भी विकट हो गयी थी। इन बाढ़ों से न केवल जान-माल का नुकसान हुआ बल्कि. मृदा अपरदन भी पर्याप्त मात्रा में हुआ था।

6. मृदाओं का लवणीकरण होना:
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के फलस्वरूप अत्यधिक सिंचाई के कारण देश के अनेक क्षेत्रों में फसल प्रारूप में अत्यधिक परिवर्तन हो रहा है। इन क्षेत्रों में किसान वाणिज्यिक फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इससे मृदाओं में लवणीकरण जैसी गम्भीर परिस्थिति एवं समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं।

7. भूमि निम्नीकरण की समस्याओं का बढ़ना:
बाँधों के जलाशय में तलछट जमा होने का अर्थ यह भी है कि यह तलछट जो कि एक प्राकृतिक उर्वरक है, बाढ़ के मैदानों तक नहीं पहुँच पाती है। जिसके कारण भूमि निम्नीकरण की समस्याएँ बढ़ती हैं।

8. भूकम्प एवं जलजनित बीमारियाँ:
यह भी माना जाता है कि बहुउद्देशीय परियोजनाओं के कारण क्षेत्र विशेष में भूकम्प आने की सम्भावनाओं में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक जल के उपयोग से जलजनित बीमारियाँ, फसलों में कीटाणुजनित बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं एवं जल प्रदूषण में वृद्धि होती है।

9. अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों में वृद्धि होना:
बहुउद्देशीय परियोजनाओं के फलस्वरूप धनिक भूमि मालिकों एवं निर्धन भूमिहीनों में सामाजिक दूरी बढ़ गयी है जिससे सामाजिक परिदृश्य बदल गया है। बाँध उसी जल के अलग-अलग उपयोग एवं लाभ प्राप्त करने वालों के मध्य संघर्ष उत्पन्न करते हैं। गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जलापूर्ति देने पर परेशान किसान उपद्रव पर उतारू हो गये। बहुउद्देशीय परियोजनाओं के लागत एवं लाभ के बँटवारे को लेकर भी अन्तर्राष्ट्रीय झगड़े निरन्तर बढ़ते जा रहे हैं।

मानचित्र कार्य

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
हीराकुड परियोजना, पेरियार बाँध, सलाल प्रोजेक्ट, सरदार सरोवर बाँध, भाखड़ा नांगल बाँध, टिहरी बाँध
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 3 जल संसाधन 1

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