JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 4 कृषि
वस्तुनिष्ठ
प्रश्न 1.
निम्न में से प्राथमिक क्रिया है
(क) कृषि
(ख) उद्योग
(ग) अध्ययन
(घ) संचार
उत्तर:
(क) कृषि
2. भारत निम्न में से किस उत्पाद का निर्यात करता है?
(क) चाय
(ख) कॉफी
(ग) मसाले
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
3. किस प्रकार की कृषि में किसान भूमि के टुकड़े को साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए
अनाज
व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं
(क) प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि
(ख) कर्तन दहन प्रणाली कृषि
(ग) वाणिज्यिक कृषि ।
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) कर्तन दहन प्रणाली कृषि
4. कर्नाटक में मुख्य रोपण फसल है?
(क) चाय
(ख) कॉफी
(ग) रबड़
(घ) गन्ना
उत्तर:
(ख) कॉफी
5. निम्न में से कौन-सी रबी की फसल है?
(क) गेहूँ
(ख) धान
(ग) बाजरा
(घ) मक्का
उत्तर:
(क) गेहूँ
6. निम्न में से कौन-सी खरीफ की फसल है?
(क) चना
(ख) चावल
(ग) कपास
(घ) (ख) व (ग) दोनों
उत्तर:
(घ) (ख) व (ग) दोनों
7. निम्न में से किस फसल के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है
(क) गन्ना
(ख) तिलहन
(ग) चावल
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
8. निम्न में से किस फसल को सुनहरा रेशा कहा जाता है
(क) गेहूँ
(ख) कपास
(ग) जूट
(घ) चाय
उत्तर:
(ग) जूट
स्थान सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. भारत की लगभग………जनसंख्या कृषि कार्यों से जुड़ी हुई है।
उत्तर:
दो-तिहाई,
2. कर्तन दहन कृषि को नागालैण्ड में………कहा जाता है।
उत्तर:
झूम कृषि,
3. ……….वाणिज्यिक कृषि का एक प्रकार है।
उत्तर:
रोपण कृषि,
4. भारत चीन के पश्चात् दूसरा सबसे बड़ा………. उत्पादक राज्य है।
उत्तर:
चावल,
5. भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा……….उत्पादक देश है?
उत्तर:
तिलहन।
अति लयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भूमि के छोटे टुकड़े पर आदिम कृषि औजारों की सहायता से की जाने वाली कृषि का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रारम्भिक जीवन निर्वाह कृषि।
प्रश्न 2.
झूम (झूमिंग) कृषि भारत के किन-किन राज्यों में की जाती है?
उत्तर:
झूम (झुमिंग) कृषि भरत के असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड आदि राज्यों में की जाती है।
प्रश्न 3.
दीपा क्या है?
उत्तर:
छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले एवं अण्डमान: निकोबार द्वीप समूह में की जाने वाली कर्तन दहन प्रणाली कृषि को दीपा कहा जाता है।
प्रश्न 4.
दक्षिणी:
पूर्वी राजस्थान में की जाने वाली कर्तन दहन प्रणाली कृषि को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर:
दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में की जाने वाली कर्तन दहन प्रणाली कृषि को वालरे या वाल्टरे के नाम से पुकारा जाता है।
प्रश्न 5.
रोपण कृषि क्र क्या है ?
उत्तर:
रोपण-कृषि एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है जिसमें लम्बे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोयी जाती है।
प्रश्न 6.
भारत में उत्पादित की जाने वाली किन्हीं पाँच रोपण फसलों का नाम लिखिए।
उत्तर:
- चाय,
- कॉफी,
- रबड़,
- गन्ना,
- केला न द्धरी
प्रश्न 7.
रोपण कुषि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले फारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
परिवहन, संचार के साधन, बाजार।
प्रश्न 8.
रबी की प्रमुख फसलें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
- गेहूँ,
- जौ,
- मटर,
- चना,
- सरसों।
प्रश्न 9.
खरीफ की प्रमुख फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
खरीफ की प्रमुख फसलें हैं:
चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, जूट, मूँगफली, सोयाबीन, मूँग, अरहर, उड़द, कपास।
प्रश्ने 10.
असम, पश्चिमी बंगाल तथा ओडिशा में चावल की कौन-कौनसी फसलें बोयी जाती हैं?
उत्तर:
ऑस, अमन, बोरो।
प्रश्न 11.
प्रमुख जायद फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, सब्जियाँ आदि प्रमुख जायद फसलें हैं।
प्रश्न 12.
सिंचाई की सह्नायता से किन-किन राज्यों में चावल उगाया जाता है?
उत्तर:
- पंजाब
- हरियाणा
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश
- राजस्थान।
प्रश्न 13.
गेहूँ की कृषि के लिए आवश्यक वार्षिक वर्षा की मात्रा लिखिए।
उत्तर;
50 सेमी से 75 सेमी।
प्रश्न 14.
भारत में गेहूँ उत्पादक क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
गंगा-सतलुज का मैदान, दक्कन का काली मिट्टी का क्षेत्र।
प्रश्न 15.
भारत में उगाये जाने वाले प्रमुख मोटे अनाज कौन-कौन से हैं? से हैं? लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व हरियाणा।
प्रश्न 18.
ज्वार तथा बाजरा के उत्पादन में भारत के अग्रणी राज्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ज्यार-महाराष्ट्र तथा बाजरा-राजस्थान।
प्रश्न 19.
मक्का फसल के लिए आवश्यक तापमान लिखिए।
उत्तर:
21°C
प्रश्न 20.
भारत की प्रमुख दलहनी फसलें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
तुर (अरहर), उड़द, मूँग, मसूर, मटर, चना।
प्रश्न 21.
प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रमुख दलहन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक हैं।
प्रश्न 22.
गन्ना किस कटिबन्भ की फसल है?
उत्तर:
गन्ना उष्ण एवं उपोष्ण कटिबन्ध की फसल है।
प्रश्न 23.
भारत में गन्ना कहाँ-कहाँ उगाया जाता है?
उत्तर:
भारत में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में गन्ना उगाया जाता है।
प्रश्न 24.
किन्हीं चार तिलहन फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सरसे, तिल, मूँगफली, सोयाबीन।
प्रश्न 25.
चाय का पौधा किन क्षेत्रों में उगाया जा सकता है?
उत्तर:
चाय का पौधा उष्ण व उप्पेष्ण कंटिबन्धीय जलवायु, ह्रूमस व जीवांशयुक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलवाँ क्षेत्रों में उगाया जा सकता है।
प्रश्न 26.
चाय के किन्हीं चार उत्पादक रंज्यों के नाम लिखिए। की जाती है?
उत्तर:
भारत में अरेबिका किस्म की कॉफी पैदा की जाती है।
प्रश्न 28.
किन्हीं दो रेशेदार फसतों के नाम लिखिए?
उत्तर:
जूट, केपस।
प्रश्न 29.
कपास उगाने वाले दो प्रमुख संच्चें के नाम लिखिए ।
उत्तर:
महाराष्ट्र, गुजरात।
प्रश्न 30.
किसानों को बिचौलियों तथा दलालों के शोषण से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये किन्हीं दो कदमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- सहायिकी उपलब्ध कराना,
- समर्थन मूल्यों की घोषणा।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
कर्तन दहन प्रणाली कृषि को विश्व के विभिन्न भागों में किन-किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
कर्तन दहन प्रणाली कृषि को विश्व के विभिन्न भागों में निम्नलिखित नामों से जाना जाता है
क्षेत्र | कर्तन दहन प्रणाली कृषि का नाम |
1. मैक्सिको व मध्य अमेरिका | मिल्पा |
2. वेनेजुएला | कोनुको |
3. ब्राजील | रोका |
4. मध्य अफ्रीका | मसोले |
5. इंडोनेशिया | लदांग |
6. वियतनाम | रे |
प्रश्न 2.
रबी एवं खरीफ फसलों में कोई तीन अन्तर बताइए।
अथवा
खरीफ शस्य ऋतु और रबी शस्य ऋतु के बीच किन्हीं तीन अन्तरों को उजागर कीजिए।
अथवा
‘रबी शस्य ऋतु’ की किन्हीं तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
‘खरीफ शस्य ऋतु’ की किन्हीं तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रबी एवं खरीफ फसलों में निम्नलिखित अन्तर हैं
रबी फसल | खरीफ फसल |
1. रबी फसलों की बुवाई शीत ऋतु में अक्टूबर से दसम्बर के मध्य की जाती है। | 1. खरीफ फसलों की बुवाई मानसून के आगमन के साथ ही जून-जुलाई के महीनों में की जाती है। |
2. इन फसलों को ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून माह के मध्य काट लिया जाता है। | 2. इन फसलों को शीत ऋतु के प्रारम्भ होने से पूर्व ही सितम्बर-अक्टूबर माह में काट लिया जाता है। |
3. गेहूँ जौ, चना, मटर व सरसों आदि प्रमुख रबी फसलें हैं। | 3. चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, कपास, दालें आदि प्रमुख खरीफ फसलें हैं। |
प्रश्न 3.
चावल की कृषि का वर्णन निम्न बिन्दुओं के आधार पर कीजिए
उत्तर:
- जलवायु: यह खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (250 सेल्सियस से ऊपर) और अधिक आर्द्रता (100 सेमी. से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है।
- उत्पादक क्षेत्र: चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों के जाल और नलकूपों की सघनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है।
प्रश्न 4.
गेहूँ की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- गेहूँ की खेती के लिए 10° से 25° सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। तापमान क्रमशः बढ़ना बहुत लाभदायक होता है।
- इसकी खेती के लिए समान रूप से वितरित 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- इसकी खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी व चिकनी मिट्टी उपयुक्त रहती है।
प्रश्न 5.
दलहन फसलों को अधिकांशतः अन्य फसलों के आवर्तन में क्यों बोया जाता है? दलहन उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
अथवा
भारत की प्रमुख दलहन फसलों व उनके उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दालें फलीदार फसलें हैं जो वायुमण्डल से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाये रखती हैं। यही कारण है कि इन्हें अन्य फसलों के आवर्तन में बोया जाता है। दालों के उत्पादन हेतु कम नमी की आवश्यकता होती है। दलहन उत्पादक राज्य भारत में दालें मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक में उत्पादित की जाती हैं। प्रमुख दलहन फसलें-अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, मटर एवं चना प्रमुख रूप से उत्पादित होने वाली दलहन फसलें हैं।
प्रश्न 6.
भारत में कॉफी के उत्पादन के बारे में बताइए।
उत्तर:
- भारत विश्व के कुल कॉफी उत्पादन का लगभग 4 प्रतिशत भाग उत्पादित करता है।
- भारत में अरेबिका किस्म की कॉफी की खेती की जाती है।
- कॉफी की इस किस्म को यमन से लाया गया था।
- भारत में इसकी कृषि की शुरुआत बाबा बूदन की पहाड़ियों में हुई।
- भारत के प्रमुख कॉफी उत्पादक राज्य कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु हैं।
प्रश्न 7.
रबड़ की कृषि के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
रबड़ की कृषि के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं
- रबड़ की खेती भूमध्यरेखीय, उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु वाले प्रदेशों में की जाती है।
- इस कृषि के लिए नम व आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
- इसके लिए 25° सेल्सियस से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
- इसकी कृषि के लिए 200 सेमी. से अधिक वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 8.
भारत के कौन-कौन से राज्य रबड़ के उत्पादन में अग्रणी हैं? इनके अग्रणी होने के कारण लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रायद्वीपीय राज्य विशेषकर केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु रबड़ के उत्पादन में अग्रणी हैं। इसके अतिरिक्त रबड़ का उत्पादन अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह और मेघालय में भी होता है। इन राज्यों के रबड़ उत्पादन में अग्रणी होने का मुख्य कारण है, इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियों का इन राज्यों में उपलब्ध होना। इन राज्यों में रबड़ उत्पादन हेतु आवश्यक 200 सेमी. से अधिक वर्षा तथा 25° सेल्सियस से अधिक तापमान वाली नम और आर्द्र जलवायु उपलब्ध है।
प्रश्न 9.
कपास के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ कौन-कौनसी होनी चाहिए?
उत्तर:
कपास के उत्पादन के लिए निम्नलिखित आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियाँ होनी चाहिए
- कपास की खेती के लिए उच्च तापमान होना चाहिए।
- इसकी कृषि के लिए हल्की वर्षा की आवश्यकता होती है।
- कपास के रेशे की चमक को बनाये रखने के लिए 210 पालारहित दिन व खिली धूप की आवश्यकता होती है।
- लावा की काली मिट्टी अथवा दोमट मिट्टी कपास की खेती के लिए आवश्यक है।
- कपास की कृषि के लिए अच्छे जलप्रवाह युक्त धरातल व पर्याप्त मानव श्रम की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 10.
जूट के उत्पादन के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ एवं जूट का उपयोग बताइए।
उत्तर:
- जूट के उत्पादन के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं
- जूट की खेती के वृद्धि काल के दौरान उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।
- जूट की खेती के लिए बाढ़ के मैदानों की जल निकास वाली उपजाऊ मिट्टी आदर्श है जहाँ प्रतिवर्ष नई मिट्टी जमा होती रहती है।
- जूट का उपयोग:
- जूट का उपयोग बोरियाँ, चटाई, रस्सी, तन्तु, धागे व गलीचे आदि के निर्माण में होता है।
- दस्तकारी की वस्तुओं के निर्माण में भी जूट का उपयोग होता है।
प्रश्न 11.
भारत सरकार द्वारा कृषि के आधुनिकीकरण के लिए क्या-क्या कदम उठाये गये हैं?
अथवा
अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने कृषि के आधुनिकीकरण के लिए कौन-कौन-से गम्भीर प्रयास किये हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने कृषि के आधुनिकीकरण के लिए निम्नलिखित कदम उठाये हैं।
- भारतीय कृषि में सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना की गयी।
- कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी।
- पशु चिकित्सा सेवाएँ एवं पशु प्रजनन केन्द्रों की स्थापना की गयी।
- बागवानी का विकास किया गया।
- मौसम विज्ञान एवं मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसन्धान एवं विकास को प्राथमिकता दी गयी।
प्रश्न 12.
व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम क्या था? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए संस्थागत और तकनीकी सुधारों को अपनाया गया। इस दिशा में उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों में सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान और किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों तथा भूमि विकास बैंकों की स्थापना सम्मिलित है।
प्रश्न 13.
जीन क्रांति किसे कहते हैं? कार्बनिक कृषि का आज अधिक प्रचलन क्यों है? दो कारण दीजिए।
उत्तर:
जननिक इंजीनियरिंग द्वारा बीजों की नई संकर किस्मों को तैयार कर फसलों का उत्पादन बढ़ाए जाने को जीन क्रांति कहा जाता है। आज कार्बनिक कृषि के अधिक प्रचलन के दो कारण निम्नलिखित हैं
- इसमें उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- इसका पर्यावरण पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार क्यों माना जाता है?
उत्तर:
कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जो व्यक्ति के लिए अधिकांशतः खाद्यान्न एवं विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल उत्पन्न करती है। भारत में कृषि प्राचीनकाल से ही होती आ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व निम्नलिखित कारणों से है
- भारत की कुल राष्ट्रीय आय में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान हैं।
- देश की लगभग दो-तिहाई जनसंख्या कृषि कार्यों में संलग्न है।
- कृषि से उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।
- भारत की लगभंग 52 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।
- चाय, कॉफी, मसाले जैसे कई कृषि उत्पादों का निर्यात करके भारत विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
- कृषि का देश की समृद्धि एवं सुरक्षा से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
- व्यापार, उद्योग एवं यातायात का विकास कृषि पर निर्भर करता है।
- कृषि भारत में रोजगार का प्रमुख स्रोत है।
प्रश्न 2.
कर्तन दहन प्रणाली कृषि किसे कहते हैं? कर्तन दहन प्रणाली कृषि के भारत के विभिन्न भागों में स्थानीय नाम क्या हैं ? बताइए।
उत्तर:
कर्तन दहन प्रणाली कृषि एक आदिमकालीन कृषि है। इस प्रकार की कृषि जंगलों में निवास करने वाले आदिवासियों एवं पिछड़ी जातियों द्वारा की जाती है। इसमें कृषक जमीन के टुकड़े को साफ करके उन पर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं। आज भी भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग, राजस्थान, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड आदि राज्यों में आदिवासियों द्वारा इस प्रकार की कृषि की जाती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग स्थानीय नामों से जाना जाता है।
उत्तरी-पूर्वी राज्यों यथा असम, मेघालय, मिजोरम एवं नागालैण्ड में इसे झूम अथवा झूमिंग कहा जाता है। मणिपुर में पामलू, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले एवं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में इसे दीपा, मध्य प्रदेश में बेबर या दहिया, आन्ध्र प्रदेश में पोडु या पेंडा, ओडिशा में पामाडाबी या कोमान या बरीगाँ, पश्चिमी घाट में कुमारी, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में वालरे या वाल्टरे, हिमालय क्षेत्रों में खिल तथा झारखण्ड में कुरूवा आदि नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 3.
गहन जीविका कृषि से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
गहन जीविका कृषि से आप क्या समझते हैं? इसके कोई पाँच लक्षण लिखिए।
अथवा
गहन जीविका कृषि की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा:
उत्तर:
गहन जीविका कृषि-गहन जीविका कृषि एक प्रकार की श्रम गहन खेती है जिसमें अधिक उत्पादन के लिए अधिक मात्रा में जैव रासायनिक निवेशों एवं सिंचाई का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ खेती की जाने वाली भूमि सीमित होती है तथा जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। गहन जीविका कृषि की विशेषताएँ/लक्षण-इस कृषि की प्रमुख विशेषताएँ/लक्षण निम्नलिखित हैं
- यह एक श्रम गहन खेती है।
- इस कृषि में अत्यधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए जैव-रासायनिक निवेशों व सिंचाई का अधिक प्रयोग किया जाता है।
- इस कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
- भूस्वामित्व में विरासत के अधिकार के कारण पीढ़ी पर पीढ़ी जोतों का आकार लगातार छोटा व अलाभप्रद होता जा रहा है।
- इस कृषि में किसान वैकल्पिक रोजगार न होने के कारण सीमित भूमि से अधिकाधिक पैदावार लेने की कोशिश करते हैं। अतः कृषि भूमि पर दबाव बहुत अधिक है।
प्रश्न 4.
वाणिज्यिक कृषि से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए। किन्हीं दो वाणिज्यिक फसलों के नाम बताइए।
अथवा
वाणिज्यिक कृषि की प्रमुख विशेषताओं को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
वाणिज्यिक कृषि-वाणिज्यिक कृषि, कृषि का वह रूप है जिसमें फसलें मुख्य रूप से बेचने अथवा व्यापार के उद्देश्य से ही उगायी जाती हैं। इस कृषि में निर्यात की दृष्टि से अतिरिक्त उत्पादन किया जाता है। वाणिज्यिक कृषि की विशेषताएँ-इस कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- इस कृषि में व्यापार करने के लिए ही फसलों को उगाया जाता है।
- यह कृषि बड़े-बड़े खेतों पर की जाती है।
- इस कृषि में अधिक उत्पादकता प्राप्त करने के लिए आधुनिक तकनीकों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग होता है।
- इस कृषि में अत्यधिक पूँजी के साथ-साथ श्रमिकों का भी प्रयोग होता है।
- इस कृषि के अन्तर्गत वाणिज्यीकरण का स्तर विभिन्न प्रदेशों में भिन्न-भिन्न है; यथा-हरियाणा और पंजाब में चावल एक वाणिज्य फसल है जबकि ओडिशा में यह एक जीविका फसल है।
- इस कृषि में मुख्यतः नकदी फसलें उगायी जाती हैं क्योंकि बाजार में उनकी अच्छी कीमत मिल जाती है। दो प्रमुख वाणिज्यिक फसलें-चाय व गन्ना हैं।
प्रश्न 5.
रोपण कृषि की कोई चार विशेषताएँ लिखिएं।
अथवा
‘रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है।’ इस कथन को स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक खेती है जिसमें फसलें मुख्य रूप से बाजार एवं व्यापार को ध्यान में रखते हुए उगायी जाती हैं। इस कृषि के अन्तर्गत एक नगदी फसल उगायी जाती है जिसका उत्पादन केवल बेचने के उद्देश्य से किया जाता है। चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, कहवा, केला आदि महत्वपूर्ण रोपण फसलें हैं।
रोपण कषि की विशेषताएँ/लक्षण
- इस कृषि के अन्तर्गत एक ही फसल वृहत स्तर पर उगायी जाती है।
- इस कृषि में अत्यधिक मात्रा में पूँजी निवेश किया जाता है।
- इस कृषि में आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग किया जाता है।
- इस कृषि के लिए विस्तृत क्षेत्र, कुशल प्रबन्ध, तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक मशीनरी, उर्वरक, पीड़कनाशी तथा विकसित परिवहन व्यवस्था, बाजार आदि की भी आवश्यकता होती है।
- इस कृषि से प्राप्त समस्त उत्पादन विभिन्न उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त होता है।
- इस कृषि में अत्यधिक मात्रा में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है।
- रोपण कृषि उद्योग व कृषि के मध्य एक अन्तरापृष्ठ (interface) होती है। और
प्रश्न 6.
भारत की तीन शस्य ऋतुओं के बारे में संक्षेप में बताइए।
1. रबी:
शीत ऋतु में वर्षा के बाद अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य इन फसलों को बोया जाता है। रबी की प्रमुख फसलों में गेहूँ, जौ, मटर, चना व सरसों आदि हैं। इन फसलों की अप्रैल से जून के मध्य कटाई की जाती है।
2. खरीफ:
देश में वर्षा ऋतु के प्रारम्भ होते ही जून-जुलाई में खरीफ की फसलें बोई जाती हैं। इस ऋतु में बोयी जाने वाली प्रमुख फसलों में चावल, मक्का, कपास, जूट, उड़द, बाजरा, ज्वार, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, जूट व मूंग आदि हैं। इन फसलों को सितम्बर-अक्टूबर में काट लिया जाता है।
3. जायद:
यह गर्मी में बोयी जाने वाली कृषि फसल है। रबी व खरीफ की फसल ऋतुओं के मध्य ग्रीष्मकाल में बोई जाने वाली फसल को जायद के नाम से जाना जाता है। इस ऋतु की प्रमुख फसलों में तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा, सब्जियाँ आदि हैं।
प्रश्न 7.
गेहूँ की खेती के लिए कौन-कौन सी भौगोलिक दशाएँ आवश्यक होती हैं? प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों के नाम भी लिखिए।
उत्तर:
गेहूँ की खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ निम्नलिखित हैं
1. तापमान:
गेहूँ की खेती के लिए 10° से 25° सेल्सियस तापमान उपयुक्त रहता है। बहुत कम तापमान गेहूँ की खेती के लिए हानिकारक होता है। गेहूँ बोने के समय जलवायु का नम एवं तर होना आवश्यक है। तापमान का क्रमशः बढ़ना बहुत लाभदायक होता है।
2. वर्षा:
गेहूँ बोते समय साधारण वर्षा लाभकारी होती है। इससे गेहूँ का पौधा अंकुरित होकर बढ़ने लग जाता है। इसकी कृषि के लिए 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा पर्याप्त रहती है। अधिक वर्षा इसके लिए हानिकारक होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई आवश्यक होती है। गेहूँ की फसल काटते समय शुष्क मौसम अवश्य होना चाहिए।
3. मिट्टी:
गेहूँ की कृषि के लिए हल्की दोमट मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी उपयुक्त रहती है। घास के मैदानों की गहरी भूरी मिट्टी भी इसके लिए लाभदायक होती है। मिट्टी में शोरा व अमोनियम सल्फेट की खाद लाभदायक होती है। प्रमुख गेहूँ.उत्पादक राज्य:
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार।
प्रश्न 8.
गन्ने की खेती के लिए आवश्यक जलवायविक परिस्थितियों की चर्चा कीजिए। दो प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
अथवा
गन्ने की उपज के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए, उसके उत्पादन तथा उपयोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गन्ने की खेती के लिए आवश्यक जलवायविक परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
- उष्ण एवं उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु में गन्ने की फसल अच्छी होती है।
- इसकी खेती के लिए 21°C से 27°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है। निरन्तर समान ताप बने रहने से गन्ने में मिठास की मात्रा बढ़ जाती है।
- गन्ने की खेती के लिए पर्याप्त वर्षा चाहिए। इसके लिए 75 सेमी. से 100 सेमी. तक वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की भी आवश्यकता पड़ती है।
- मेघाच्छादन एवं पाला गन्ने की फसल के लिए हानिकारक होते हैं। फसल के पकते समय शुष्क मौसम उपयुक्त रहता है। गन्ना उत्पादक राज्य-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब व हरियाणा आदि हैं। गन्ने का उपयोग-गन्ने से चीनी, गुड, खांडसारी और शीरा बनाया जाता है।
प्रश्न 9.
भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कृषि क्षेत्र में हुए सुधारों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित सुधार किए गए हैं
- भूमि को टुकड़ों में विभाजित होने से रोकने के लिए चकबन्दी कार्यक्रम चलाया गया।
- सन् 1980 तथा 1990 के दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुरू किये गये जो संस्थागत और तकनीकी सुधारों पर आधारित थे।
- किसानों के लाभ के लिए किसान क्रेडिट कार्ड एवं व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गयी।
- किसानों को बिचौलियों और दलालों से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य एवं कुछ महत्वपूर्ण फसलों के लिए लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार द्वारा घोषणा की जाती है।
- किसानों को सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग एवं बीमारी के लिए फसल बीमा उपलब्ध कराया गया तथा उन्हें न्यूनतम दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों एवं भूमि विकास बैंकों की स्थापना की गयी।
- पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रांति एवं श्वेत क्रांति जैसे कृषि-सुधार कार्यक्रमों का संचालन किया गया।
- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर कृषकों के लिए मौसम की जानकारी के बुलेटिन एवं कृषि कार्यक्रमों का प्रचार प्रारम्भ किया गया।
प्रश्न 10.
भूदान तथा ग्रामदान से आप क्या समझते हैं?
अथवा
विनोबा भावे द्वारा संचालित ग्रामदान व भूदान आन्दोलन को रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
विनोबा भावे ने महात्मा गाँधी के सत्याग्रह में सबसे निष्ठावान सत्याग्रही के रूप में भाग लिया था। गाँधी जी ने उनको अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी नियुक्त किया था। विनोबा भावे की गाँधी जी के ग्राम स्वराज अवधारणा में गहरी आस्था थी। गाँधी जी की शहादत के पश्चात् उनके संदेश को लोगों तक पहुँचाने के लिए विनोबा भावे लगभग सम्पूर्ण देश की यात्रा की। यात्रा के दौरान इन्होंने भूदान व ग्रामदान आन्दोलन का संचालन किया। भूदान आन्दोलन के अन्तर्गत जमीदारों ने स्वेच्छा से जमीनों के टुकड़े दान में दिए थे, जिन्हें निर्धन भूमिहीन लोगों के बीच बाँट दिया गया था।
ग्रामदान आन्दोलन में कुछ जमीदारों एवं कई-कई गाँवों के मालिक भूपतियों द्वारा गाँवों का दान दिया गया था। इन गाँवों की भूमि को विनोबा भावे द्वारा भूमिहीन किसानों एवं मजदूरों के बीच बाँट दिया गया था। भूदान-ग्रामदान आन्दोलन के लिए न तो किसी वैधानिक दबाव अथवा न ही किसी राजनीतिक शक्ति का प्रयोग किया गया था और न ही किसी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लिया गया था। धनवान लोगों द्वारा अपनी जमीन स्वेच्छा से दान में दी गई थी। यही कारण है कि इस आन्दोलन को ‘रक्तहीन क्रान्ति’ कहा जाता है।
प्रश्न 11.
पिछले वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है परन्तु इससे देश में पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। कारण सहित उक्त कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पिछले कुछ वर्षों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है परन्तु कृषि रोजगार घट रहे हैं। कारण दीजिए।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हुई है परन्तु इससे देश में पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जिसके निम्नलिखित कारण हैं
- कृषि में विकास दर कम होती जा रही है जोकि एक चिन्ताजनक स्थिति है।
- वर्तमान में भारतीय किसान को कड़ी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
- रासायनिक उर्वरकों पर सहायिकी कम करने से उत्पादन लागत बढ़ रही है।
- सरकार कृषि सेक्टर में विशेष रूप से सिंचाई, ऊर्जा, ग्रामीण सड़कों, मंडियों और यंत्रीकरण में सार्वजनिक पूँजी के निवेश को कम करती जा रही है।
- कृषि उत्पादों पर आयात कर घटाने से देश में कृषि को नुकसान पहुँच रहा है। किसान कृषि में पूँजी निवेश कम कर रहे हैं। इन्हीं सब कारणों की वजह से पिछले कुछ वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि के बावजूद कृषि का उसमें योगदान लगातार कम होता जा रहा है। फलस्वरूप कृषि रोजगार घट रहे हैं।
प्रश्न 12.
सन् 1990 के पश्चात् वैश्वीकरण के अन्तर्गत भारतीय किसानों को कौन-कौन सी नवीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1990 के पश्चात् भारत में वैश्वीकरण की शुरुआत हुई। वैश्वीकरण के अन्तर्गत हमारे देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय कर दिया गया है। सन् 1990 के पश्चात् वैश्वीकरण के तहत भारतीय किसानों को अनेक नवीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चावल, कपास, रबड़, चाय, कॉफी, जूट एवं मसालों का मुख्य उत्पादक देश होने के बावजूद भारतीय कृषि विश्व के विकसित देशों से प्रतियोगिता करने में असमर्थ है क्योंकि विकसित देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी दी जाती है। इसी कारण विश्व बाजार में ये देश अपने कृषि उत्पादों को कम मूल्य पर बेचते हैं जबकि भारतीय कृषि उत्पादों की कम सहायिकी के कारण लागत अधिक बैठती है। अतः इस समस्या के निराकरण के लिए छोटे एवं सीमांत भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने पर जोर देना होगा।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्तमान समय में भारत के विभिन्न भागों में कौन-कौनसे कृषि तंत्र अपनाये गये हैं? किसी एक कृषि तंत्र का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के कृषि तंत्र-वर्तमान समय में भारत के विभिन्न भागों में निम्नलिखित प्रकार के कृषि तंत्र अपनाये गये हैं
- प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि,
- गहन जीविका कृषि,
- वाणिज्यिक कृषि,
- रोपण कृषि।
प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि:
प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि, कृषि का एक आदिम रूप है। इस प्रकार की कृषि हमारे देश के कुछ भागों में आज भी की जाती है। यह कृषि जंगलों में निवास करने वाले आदिवासी एवं पिछड़ी जातियों द्वारा की जाती है। इसमें वनों को जलाकर भूमि साफ करके दो तीन वर्षों तक अपने परिवार के भरण पोषण के लिए अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगायी जाती हैं और जब मिट्टी की उर्वराशक्ति समाप्त हो जाती है तो उस भूमि को छोड़कर यही प्रक्रिया दूसरे क्षेत्रों में अपनायी जाती है। इस कृषि को कर्तन दहन प्रणाली कृषि अथवा स्थानान्तरित कृषि के नाम से भी जाना जाता है।
विशेषताएँ:
प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- इस प्रकार की कृषि भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों पर की जाती है।
- इस प्रकार की कृषि में पुरानी तकनीक एवं आदिम औजारों का प्रयोग किया जाता है। आदिम कृषि औजारों में लकड़ी के हल, डाओ एवं खुदाई करने वाली छड़ी आदि सम्मिलित हैं।
- इस प्रकार की कृषि परिवार अथवा समुदाय श्रम की सहायता से की जाती है।
- इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून, मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता तथा फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करती है।
- इस प्रकार की कृषि में उर्वरा शक्ति समाप्त होने पर भूमि के टुकड़े बदलते रहते हैं। इस प्रकार के स्थानान्तरण से प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। इसे कर्तन दहन प्रणाली कृषि भी कहा जाता है।
- इस कृषि में उत्पादकता कम होती है क्योंकि किसान उर्वरकों या अन्य आधुनिक तकनीकों का प्रयोग नहीं करते हैं।
- इस प्रकार की कृषि के अन्तर्गत मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलों का उत्पादन किया जाता है।
- इस प्रकार की कृषि में कृषि क्षेत्र एवं आवास दोनों बदलते रहते हैं।
- इस प्रकार की कृषि में किसान केवल उतना ही उत्पादन करता है जो कि उसके जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है।
- भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इस कृषि को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
उत्तरी: पूर्वी राज्यों यथा असम, मेघालय, मिजोरम एवं नागालैण्ड में इसे झूम (झूमिंग) कृषि कहा जाता है। इसको मणिपुर में पामल, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले एवं अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह में दीपा, मध्य प्रदेश में बेबर या दहिया, आन्ध्र प्रदेश में पोडु या पेंडा, ओडिशा में पामाडाबी या कोमान या बरीगाँ, पश्चिमी घाट में कुमारी, दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में वालरे या वाल्टरे, हिमालयन क्षेत्र में खिल एवं झारखण्ड में कुरुवा आदि नामों से जाना जाता है।
प्रश्न 2.
भारत में पैदा होने वाली प्रमुख खाद्यान्न फसलों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में पैदा होने वाली प्रमुख खाद्यान्न फसलें निम्नलिखित हैं
1. चावल:
चावल खरीफ की फसल है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है। भारत की अधिकांश जनसंख्या का खाद्यान्न चावल है। चावल को उगाने के लिए 25° सेल्सियस से अधिक तापमान एवं 100 सेमी. से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है। भारत में चावल उत्तर व उत्तरी-पूर्वी मैदानों, तटीय क्षेत्रों एवं डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है। नहरों व नलकूपों की सुविधा के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान के कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चावल उगाना सम्भव हो पाया है।
2. गेहूँ:
गेहूँ रबी की फसल है। यह भारत का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न है। इसे उगाने के लिए शीत ऋतु एवं पकने के समय खिली धूप की आवश्यकता होती है। इसे 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की भी आवश्यकता होती है। देश में गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं-गंगा-सतलुज का मैदान एवं दक्कन का काली मिट्टी का क्षेत्र। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले मुख्का राज्य हैं।
3. ज्वार:
क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से ज्वारं देश की तीसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। अधिकांशतया आर्द्र प्रदेशों में उगाये जाने के कारण इस फसल को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। ज्वार की सर्वाधिक पैदावार महाराष्ट्र में होती है। अन्य उत्पादक राज्य कर्नाटक, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश व मध्य प्रदेश आदि हैं।
4. बाजरा:
बाजरे की फसल बलुआ व उथली काली मिट्टी में उत्पादित की जाती है। बाजरे का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य राजस्थान है। अन्य उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व हरियाणा आदि हैं।
5. रागी:
यह शुष्क प्रदेशों की फसल है जो लाल, काली, बलुआ, दोमट व उथली काली मिट्टी में उगायी जाती है। रागी में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व मिलते हैं। रागी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कर्नाटक है। अन्य उत्पादक राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, सिक्किम, झारखण्ड व अरुणाचल प्रदेश आदि हैं।
6. दालें:
भारत विश्व का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश एवं उपभोक्ता देश है। तुर (अरहर), उड़द, मूंग, मसूर, चना व मटर आदि भारत की प्रमुख दलहनी फसल हैं। दालें कम नमी में पैदा की जा सकती हैं। फलीदार फसल होने के कारण अरहर के अतिरिक्त अन्य सभी दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाये रखती हैं।
भारत में दाल के प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व कर्नाटक आदि हैं।
7. मक्का:
मक्का एक खरीफ की फसल है, जिसका प्रयोग खाद्यान्न व चारा दोनों रूपों में किया जाता है। इसे उगाने के लिए 21° से 27° सेल्सियस तापमान व पुरानी जलोढ़ मिट्टी आवश्यक होती है। मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आन्ध्र प्रदेश एवं तेलंगाना आदि हैं।
मानचित्र संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए मानचित्र का अध्ययन कर किन्हीं 6 चावल उत्पादक राज्यों को पहचानें।
उत्तर:
- पश्चिमी बंगाल,
- पंजाब,
- हरियाणा,
- उत्तर प्रदेश,
- आन्ध्र प्रदेश,
- तमिलनाडु।
प्रश्न 2.
भारत के रेखा मानचित्र में कपास फसल क्षेत्रों को अंकित कीजिए।
उत्तर: