JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 5 खनिज और ऊर्जा संसाधन
वस्तुनिष्ठ
प्रश्न 1.
विभिन्न खनिजों के योग से बनी चट्टानों से निर्मित है
(क) भू-पर्पटी
(ख) वायुमण्डल
(ग) जलमण्डल
(घ) अंतरिक्ष
उत्तर:
(क) भू-पर्पटी
2. निम्न में से धात्विक खनिज का उदाहरण है
(क) लौह अयस्क
(ख) अभ्रक
(ग) कोयला
(घ) नमक।
उत्तर:
(क) लौह अयस्क
3. सर्वोत्तम प्रकार का लौह अयस्क है
(क) मैग्नेटाइट
(ख) हेमेटाइट
(ग) सिडेराइट
(घ) लिमोनाइट।
उत्तर:
(क) मैग्नेटाइट
4. निम्न में से भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है
(क) गुजरात
(ख) राजस्थान
(ग) असम
(घ) बिहार।
उत्तर:
(ग) असम
5. पृथ्वी के आन्तरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को कहा जाता है
(क) बायो गैस
(ख) ज्वारीय ऊर्जा
(ग) भूतापीय ऊर्जा
(घ) पवन ऊर्जा।
उत्तर:
(ग) भूतापीय ऊर्जा
6. अणुओं की संरचना को बदलने से किस प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है?
(क) सौर ऊर्जा
(ख) पवन ऊर्जा
(ग) ज्वारीय
(घ) परमाणु ऊर्जा
उत्तर:
(घ) परमाणु ऊर्जा
7. हजीरा – विजयपुर – जगदीशपुर गैस पाइप लाइन की सही लम्बाई कितनी है?
(क) 1400 किमी.
(ख) 1700 किमी.
(ग) 1900 किमी.
(घ) 2100 किमी.
उत्तर:
(ख) 1700 किमी.
8. भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(क) राजस्थान
(ख) ओडिशा
(ग) उत्तर-प्रदेश
(घ) गुजरात
उत्तर:
(ख) ओडिशा
9. रावतभाटा आणविक ऊर्जा संयंत्र निम्न में से किस राज्य में स्थित है?
(क) गुजरात
(ख) केरल
(ग) पंजाब
(घ) राजस्थान
उत्तर:
(क) गुजरात
रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. खनिज सामान्यतः………में पाए जाते हैं।
उत्तर:
अयस्कों,
2. नमक, मैगनीशियम………में मिलने वाले खनिज हैं।
उत्तर:
समुद्र,
3. ……….भारत का सबसे बड़ा मैंगनीज उत्पादक राज्य है।
उत्तर:
ओडिशा,
4. ……….सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल है।
उत्तर:
चूना पत्थर,
5. मुम्बई हाई, गुजरात तथा असम भारत के प्रमुख………. उत्पादक क्षेत्र हैं।
उत्तर:
पेट्रोलियम।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्तमान तक कितने खनिजों की पहचान की जा चुकी है?
उत्तर:
वर्तमान तक लगभग 2000 से अधिक खनिजों की पहचान की जा चुकी है।
प्रश्न 2.
भू-वैज्ञानिक किन विशेषताओं के आधार पर खनिजों का वर्गीकरण करते हैं?
उत्तर:
खनिजों का रंग, कठोरता, चमक, घनत्व एवं विविध क्रिस्टलों के आधार पर।
प्रश्न 3.
लौह खनिज (धातु) किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे खनिज जिनमें लौह की मात्रा अधिक होती है, लौह खनिज या लौह धातु कहलाते हैं।
प्रश्न 4.
अलौह धातु किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे खनिज जिनमें लोहे का अंश नहीं होता, अलौह धातु कहलाते हैं।
प्रश्न 5.
‘अयस्क’ शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
खनिज में अन्य अवयवों अथवा तत्वों के मिश्रण या संचयन के लिए अयस्क शब्द का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 6.
उस शैल का नाम बताइए जिसमें कोयला पाया जाता है।
उत्तर:
अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
प्रश्न 7.
शुष्क प्रदेशों में वाष्पीकरण से किन-किन खनिजों का निर्माण होता है?
उत्तर:
शुष्क प्रदेशों में वाष्पीकरण से निम्न खनिजों का निर्माण होता है
- जिप्सम,
- पोटाश,
- नमक,
- सोडियम।
प्रश्न 8.
प्लेसर निक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो खनिज पहाड़ियों के आधार एवं घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में पाये जाते हैं, प्लेसर निक्षेप कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
भारत में लौह अयस्क की किन्हीं दो पेटियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में लॉह अयस्क की दो प्रमुख पेटियाँ हैं:
- ओडिशा-श्शारखण्ड फेटी,
- दुर्ण-बस्तर-चन्द्रपुर पेटी।
प्रश्न 10.
किस पत्तन से लौह अयस्क जापान और कोरिया को निर्यांत किया जाता है?
उत्तर:
विशाखापट्टनम पत्तन से’ लौह अयस्क जापान और कोरिया को निर्यात किया जाता है।
प्रश्न 11.
बेलाडिला लौह अयस्क खानें किस राज़्य में स्थित है?
उत्तर:
छत्तीसगढ़ राज्य में।
प्रश्न 12.
भारत में मैंगनीज का सक्रसे ब्रड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है? राज्य कौन सा है?
उत्तर:
भारत में मैंगनीज का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा है।
प्रश्न 13.
किन्हीं दो अलौह खनिजों के नाम बताइए।
उत्तर:
ताँबा, बौक्साइट।
प्रश्न 14.
राजस्थान की कौनसी खदानें ताबे के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
खोतड़ी खादानें।
प्रश्न 15.
एल्युमिनियम किस अयस्क से प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
एल्युमिनियम बॉक्साइट अयस्क से प्राप्त किया ज्ञाता है। आता है।
प्रश्न 16.
भारत में बॉक्साइट के निक्षेप कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
- अमरकंटक पठार,
- मैकाल पहाड़ियाँ,
- बिलासपुर-कटनी के पठारी क्षेत्र।
प्रश्न 17.
कौन-सा खनिज प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है?
उत्तर:
अभ्रक प्लेरों अथया पत्रण क्रम में पाया जाता है।
प्रश्न 18.
भारत के दो अभ्रक उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में अभ्रक उत्पादक राज्य: बिहार, झारखण्ड
प्रश्न 19.
चूना पत्थर किस उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है? कच्चा माल है?
उत्तर:
चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का आधारभूत कच्चा माल है।
प्रश्न 20.
परम्परागत ऊर्जा संसाधनों के कोई चार उदाहरण बताइए।
उत्तर:
- लकड़ी,
- कोयला,
- पेट्रोलियम,
- प्राकृतिक गैस।
प्रश्न 21.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाथनों के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- सौर ऊर्जा,
- पवन ऊर्जा,
- ज्वारीय कर्जा तथा
- बायो गैस।
प्रश्न 22.
लिग्नाइट के पर्याप्त भण्डार कहाँ मिलते हैं?
उत्तर:
लिग्नाइट के पर्याप्त ।ण्डार तमिलनाडु के नैवेली में मिलते हैं।
प्रश्न 23.
निम्न कोटि का कोयला कौन-सा है?
उत्तर:
लिग्नाइट कोयल निम्न कोटि का कोयला है।
प्रश्न 24.
किन दो प्रमुख भूर्गर्भिक युगों की शैलों में कोयला पाया जाता है? नाम बताइए।
उत्तर:
भारत में कोयला गोंडवाना एवं टरीशियरी भूगर्भिक युगों की शौलों में पाया जाता है।
प्रश्न 25.
भारत की किन नदी घाटियों में कोयले के जमाय पाये जाते है?
उत्तर:
- दामोदर
- गोदावरी
- महानदी
- सोन
- वर्धा नदी घाटियों में कोयले के जमाव पाये जाते हैं।
प्रश्न 26.
टरशियरी कोयला के प्रमुख प्राप्त क्षेत्र कौन-कौन से है?
उत्तर:
मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड।
प्रश्न 27.
भारत में पेट्रोलियम किस युग की चट्टानों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
भारत में पेट्रोलियम टरशियरी युग की चट्टानों से प्राप्त होता है।
प्रश्न 28.
मुंबई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
मुंबई हाई भारत का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण खनिज तेल उत्पादक क्षेत्र है।
प्रश्न 29.
भारत्त का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य कौन सा है?
उत्तर:
असम भारत का सबसे, पुराना तेल उत्पादक राज्य है।
प्रश्न 30.
स्तम्भ A और B में से सही विकल्प का चयन कीजिए:
A | B |
(क) चन्द्रपुर तापीय ऊर्जा संयंख्र ओडिशा | (1) ओडिशा |
(ख) मयूरभंज लौह अयस्क की अमरकंटक खान | (2) अमरकंटक |
(ग) कलोल तेल क्षेत्र | (3) गुजरात |
(घ) बॉंक्साइट खदान | (4) गारख्नण्ड |
उत्तर:
(ग) कलोल तेल क्षेत्र – गुजरात
प्रश्न 31.
प्राकृतिक गैस को पयावाएण के अनुकूल इंधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
कार्बन ड्वाइऑक्साइड के कम उत्सर्जन के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण के अनुकूल इैधन माना जाता है।
प्रश्न 32.
किस नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार खोजे गये हैं?
उत्तर:
कुण्ण-गोदावरी नदी बेसिन में प्राकृतिक गैस के विशाल भण्डार खोजे गये हैं।
प्रश्न 33.
संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G) का एक उपयोग बताइए।
उत्तर:
मोटर गाड़ियों में तरल इंधन के रूप में संपीडित प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 34.
विद्युत कितने प्रकार से उत्पन्न की जाती है?
उत्तर:
विद्युत प्रवाही जल से या अन्य ईंधन, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस को जलाने से उत्पन्न की आती है।
प्रश्न 35.
भारत में विद्युत ऊर्जा उत्यन्न करने वाली किन्हीं दो बहुउछ्देशीय परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- भाखड़ा नाँगल परियोजना,
- दामोदर घाटी परियोजना।
प्रश्न 36.
परमाणु ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
परमाणु ऊज्जी अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 37.
परमाणु ऊर्जा के दो प्रमुख खनिज कौन से है?
उत्तर:
बूरेनियम तथा. थोरियम। प्रश्न 38. भारत में यूरेनियम व थोरियम किन-किन राज्यों से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
झारखण्ड तथा राजस्थान।
प्रश्न 39.
किस राज्य में मिलने वाली मोनोजाइट रेत में थोरियम पाया ज्ञाता है? बायो गैस कहते हैं।
उत्तर:
केरल।
प्रश्न 40.
बायो गैस क्या है?
उत्तर:
जैविक पदार्थों के अपघटन से प्राप्त ऊर्जा को बायो गैस कहते हैं।
प्रश्न 41.
किसानों के लिए गोबर गैस संयंत्र के लाभ ब्बताइए।
उत्तर:
- ऊर्जा की प्राप्ति,
- उन्नत प्रकार के उर्वरक की प्राप्ति।
प्रश्न 42.
भारत में संचालित दो भूतापीय ऊर्जा परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
- पार्वती घाटी-मणिकरण ( हिमाचल प्रदेश)
- पूगा घाटी-लहाख।
प्रश्न 43.
पोषणीय ऊर्जा के दो आधार क्या हैं?
उत्तर:
- ऊर्जा संरक्षण की प्रोन्नति,
- नवीकरणीय ऊर्जा संसाधर्नों का बद्शता प्रयोग। पोषणीय ऊर्जा के दो प्रमुख आधार हैं।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
खनिज को परिभाषित कीजिए। ये इतनी विविधता लिए हुए क्यों होते हैं? भू-वैज्ञानिक किस आधार पर इनका वर्गीकरण करते हैं?
उत्तर;
खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है, जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है। खनिज विशेष निश्चित तत्वों का योग होता है। चूंकि इन तत्वों का निर्माण विभिन्न भौतिक व रासायनिक गतिविधियों का परिणाम है, अतः खनिज इतनी विविधता लिए हुए होते हैं। भूवैज्ञानिकों द्वारा निम्नलिखित आधारों पर खनिजों का वर्गीकरण किया जाता है
- खनिजों के विविध रंग,
- कठोरता,
- चमक,
- घनत्व,
- क्रिस्टल का रूप।
प्रश्न 2.
अवसादी चट्टानों में खनिज किस प्रकार पाये जाते हैं?
अथवा
परतदार शैलों में खनिज किस प्रकार मिलते हैं?
उत्तर:
अनेक खनिज अवसादी (परतदार) चट्टानों के संस्तरों अथवा परतों में पाये जाते हैं। इनका निर्माण क्षैतिज परतों में निक्षेपण, संचलन व जमाव का परिणाम है। कोयला व अन्य प्रकार के लौह अयस्कों का निर्माण लम्बी अवधि तक अत्यधिक ऊष्मा व दबाव का परिणाम है। अवसादी चट्टानों में दूसरी श्रेणी के खनिजों में जिप्सम, पोटाश, नमक व सोडियम सम्मिलित हैं। इनका निर्माण विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में वाष्पीकरण के परिणामस्वरूप होता है।
प्रश्न 3.
जलोढ़ जमाव के रूप में खनिज किस प्रकार पाये जाते हैं?
उत्तर:
पहाड़ियों के आधार एवं घाटी तल की बालू में जलोढ़ जमाव के रूप में भी कुछ मात्रा में खनिज पाये जाते हैं। खनिजों के इस प्रकार के निक्षेप प्लेसर निक्षेप के नाम से जाने जाते हैं। जलोढ़ जमाव के रूप से प्राप्त खनिजों में प्रायः ऐसे खनिज होते हैं जो जल द्वारा घर्षित नहीं होते हैं। प्लेसर निक्षेप के रूप में प्राप्त खनिजों में सोना, चाँदी, टिन एवं प्लेटिनम आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 4.
रैट होल खनन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारत में अधिकांश खनिज राष्ट्रीयकृत हैं, जिनका निष्कर्षण राजकीय अनुमति से ही सम्भव है, लेकिन उत्तरी-पूर्वी भारत के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में खनिजों का स्वामित्व व्यक्तिगत एवं समुदायों को प्राप्त है। मेघालय में जोवाई व चेरापूंजी में कोयले का खनन जनजातीय परिवारों के सदस्यों द्वारा एक लम्बी संकीर्ण सुरंग के रूप में किया जाता है, जिसे रैट होल खनन कहते हैं।
प्रश्न 5.
लौह अयस्क के दो सबसे महत्वपूर्ण प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर:
1. मैग्नेटाइट:
यह सर्वोत्तम प्रकार का अयस्क है, जिसमें लगभग 70 प्रतिशत लौह धातु का अंश पाया जाता है। इस लोहे में सर्वश्रेष्ठ चुम्बकीय गुण होता है, जो विद्युत उद्योगों में विशेष रूप से उपयोगी है।
2. हेमेटाइट:
हेमेटाइट सर्वाधिक महत्वपूर्ण औद्योगिक लौह अयस्क है। इसका अधिकांशतया उपयोग उद्योगों में होता । है। इसमें लौह अंश की मात्रा 50 से 60 प्रतिशत तक होती है।
प्रश्न 6.
मैंगनीज़ की क्या उपयोगिता है? भारत में इसके वितरण को बताइए।
उत्तर:
मैंगनीज़ एक महत्वपूर्ण धात्विक खनिज है। इसका मुख्य उपयोग इस्पात के निर्माण में होता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाएँ, पेंट, बिजली की बैटरियों, काँच का रंग उड़ाने, वार्निश सुखाने एवं पोटेशियम परमैंगनेट आदि बनाने में होता है। भारत में मैंगनीज़ का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज़ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश से भी प्राप्त होता है।
प्रश्न 7.
किन दो समान गुणों के कारण ताँवा और एल्युमिनियम अत्यन्त उपयोगी खनिज माना जाता है?
उत्तर:
ताँबा एवं एल्युमिनियम दोनों ही अलौह खनिज हैं। ताँबा खनिज, ताँबा अयस्क से तथा एल्युमिनियम, बॉक्साइट अयस्क से प्राप्त होता है। ताप सुचालक एवं घातवर्ध्यता ऐसे दो गुण हैं जो ताँबा एवं ऐल्युमिनियम में समान रूप से पाये जाते हैं, जिस कारण इन्हें अत्यन्त उपयोगी खनिज माना जाता है। .
प्रश्न 8.
बॉक्साइट का उपयोग एवं वितरण बताइए।
उत्तर:
बॉक्साइट एल्युमिनियम धातु का खनिज अयस्क है। यह एक हल्की एवं विद्युत की कुचालक धातु है। वायुयान निर्माण, बिजली से सम्बन्धित उद्योगों एवं दैनिक जीवन में इस धातु का बहुत अधिक उपयोग होता है। भारत में बॉक्साइट के निक्षेप मुख्य रूप से अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियाँ एवं बिलासपुर-कटनी के पठारी प्रदेशों में पाये जाते हैं। ओडिशा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इस राज्य के कोरापुट जिले में पंचपतमाली में इसके निक्षेप पाये जाते हैं।
प्रश्न 9.
अभ्रक की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
अभ्रक की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- अभ्रक प्लेटों अथवा पत्रण क्रम में पाया जाता है।
- इसका चादरों में विपाटन (Split) आसानी से हो सकता है।
- अभ्रक पारदर्शी हो सकता है।
- अभ्रक काले, हरे, लाल, पीले एवं भूरे रंग का भी हो सकता है।
- इसका उपयोग विद्युत प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, रेडियो व टेलीफोन आदि में भी किया जाता है।
प्रश्न 10.
अभ्रक का क्या उपयोग है?
उत्तर:
अभ्रक के निम्नलिखित उपयोग हैं
- विद्युत का कुचालक होने के कारण अभ्रक का उपयोग मुख्य रूप से विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में होता है।
- अभ्रक का उपयोग औषधि निर्माण में होता है।
- तार व टेलीफोन, रेडियो, चश्मे एवं बेतार का तार निर्माण में अभ्रक का उपयोग किया जाता है।
- मोटर, वायुयान, सजावट एवं धमन भट्टियों की ईंट निर्माण में भी अभ्रक का उपयोग होता है।
प्रश्न 11.
भारत में अभ्रक उत्पादक क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में अभ्रक उत्पादक क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
- छोटा नागपुर पठार के उत्तरी पठारी किनारे।
- बिहार- झारखण्ड की कोडरमा-गया-हजारीबाग पेटी
- राजस्थान में अजमेर के आस-पास का क्षेत्र
- आन्ध्र प्रदेश की नेल्लोर अभ्रक पेटी।
प्रश्न 12.
खनिज | सुमेलित कीजिए |
(क) लौह अयस्क खान | 1. अमरकंटक |
(ख) अभ्रक | 2. मयूरभंज |
(ग) बॉक्साइट | 3. नागपुर |
(घ) मैंगनीज | 4. नेल्लोर |
उत्तर:
खनिज | सुमेलित कीजिए |
(क) लौह अयस्क खान | 1. मयूरभंज |
(ख) अभ्रक | 2. नेल्लोर |
(ग) बॉक्साइट | 3. अमरकंटक |
(घ) मैंगनीज | 4. नागपुर |
प्रश्न 13.
चूना पत्थर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
चूना पत्थर कैल्शियम या कैल्शियम कार्बोनेट तथा मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है। चूना पत्थर सीमेंट उद्योग का एक आधारभूत कच्चा माल है। इसका उपयोग लौह प्रगलन की भट्टियों में भी होता है। चूना पत्थर की प्राप्ति राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात व तमिलनाडु आदि राज्यों से होती है। 2016-17 में चूना पत्थर का उत्पादन सबसे अधिक राजस्थान (21%) में हुआ।
प्रश्न 14.
खनिजों को कौन-कौन से उपायों से सुरक्षित रखा जा सकता है?
उत्तर:
खनिजों को निम्नलिखित उपायों से सुरक्षित रखा जा सकता है
- खनिजों का प्रयोग नियोजित ढंग से किया जाना चाहिए।
- खनिजों के दुरुपयोग को कम करने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
- धातुओं के पुनः चक्रण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- खनिजों को बचाने के लिए हमें इनके अन्य विकल्पों के प्रयोग के बारे में सोचना चाहिए।
प्रश्न 15.
उत्खनन का खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
अथवा
खान मजदूरों तथा वातावरण पर खनन का क्या प्रभाव पड़ता है? किन्हीं तीन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्खनन का खदान श्रमिकों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है
- खदान श्रमिक लगातार धूल एवं हानिकारक धुएँ में साँस लेते हुए फेफड़ों सम्बन्धी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
- श्रमिकों के लिए जल प्लावित होने का खतरा सदैव बना रहता है।
- खदान क्षेत्रों में खनन के कारण जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं।
- अवशिष्ट पदार्थों एवं खनिज तरल के मलबे का ढेर लगने से भूमि व मिट्टी का अवय होता है तथा नदियों का जल प्रदूषित होता है।
प्रश्न 16.
सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए:
सूची-I (कोयले के प्रकार) | सूची-II (कार्बन की मात्रा) |
(क) बिटुमिनस | 1. 35 से 50% |
(ख) लिग्नाइट | 2. 15 से 35% |
(ग) पीट | 3. 80 से 90% |
(घ) ऐन्थ्रेसाइट | 4. 75 से 80% |
उत्तर:
सूची-I (कोयले के प्रकार) | सूची-II (कार्बन की मात्रा) |
(क) बिटुमिनस | 4. 75 से 80% |
(ख लिग्नाइट | 1. 35 से 50% |
(ग) पीट | 2. 15 से 35% |
(घ) ऐन्थ्रेसाइट | 3. 80 से 90% |
प्रश्न 17.
पेट्रोलियम हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
पेट्रोलियम निम्नलिखित कारणों से हमारे लिए महत्वपूर्ण है
- पेट्रोलियम हमारे देश में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
- यह ताप व प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनों को स्नेहक एवं अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है।
- तेलशोधन शालाएँ, संश्लेषित वस्त्र, उर्वरक एवं असंख्य रसायन उद्योगों में यह एक नोडीय बिन्दु का काम करता है।
प्रश्न 18.
भारत में पेट्रोलियम की उपस्थिति किस प्रकार की शैल संरचनाओं में पायी जाती है ?
उत्तर:
भारत में अधिकांश पेट्रोलियम की उपस्थिति टरशियरी युग की शैल संरचनाओं के अपनति एवं भ्रंश ट्रेप में पायी जाती है। पेट्रोलियम वलन, अपनति तथा गुम्बदों वाले उन क्षेत्रों में पाया जाता है जहाँ उद्धवलन के शीर्ष में तेल ट्रेप हुआ होता है। तेल धारक परत सरंध्र चूना पत्थर या बालू पत्थर होता है जिसमें से तेल प्रवाहित हो सकता है। मध्यवर्ती असरंध्र परतें तेल को ऊपर उतने एवं नीचे रिसने से रोकती हैं। पेट्रोलियम सरंध्र और असरंध्र चट्टानों के मध्य भ्रंश ट्रेप में भी पाया जाता है।
प्रश्न 19.
भारत में खनिज तेल के वितरण को संक्षेप में बताइए। हजार
अथवा
भारत में पेट्रोलियम के प्राप्ति क्षेत्रों को बताइए।
उत्तर:
असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ के प्रमुख तेल क्षेत्रों में डिगबोई, नहरकटिया, मोरन-हुगरीजन आदि हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात एवं मुंबई हाई तेल क्षेत्र भी प्रमुख हैं। भारत में कुल खनिज तेल उत्पादन का 63 प्रतिशत मुम्बई हाई से, 18 प्रतिशत गुजरात से एवं 16 प्रतिशत असम से प्राप्त होता है।
प्रश्न 20.
प्राकृतिक गैस के क्या उपयोग हैं? इसे पर्यावरण के अनुकूल क्यों माना जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक गैस के निम्न उपयोग हैं
- ऊर्जा के एक साधन के रूप में।
- पेट्रो रसायन उद्योग में एक औद्योगिक कच्चे माल के रूप में।
- गाड़ियों में संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G.) के रूप में। जलने पर बहुत कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होने के कारण प्राकृतिक गैस को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है।
प्रश्न 21.
भारत में परमाणु ऊर्जा का उपयोग किसलिए किया जाता है? दो परमाणु ऊर्जा संयन्त्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत में परमाणु ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भारत के दो परमाणु ऊर्जा संयन्त्र निम्न हैं
- रावतभाटा (राजस्थान),
- तारापुर (महाराष्ट्र)।
प्रश्न 22.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत अवस्थित क्षेत्र
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत | अवस्थित क्षेत्र |
1. सौर ऊर्जा | (अ) कच्छ की खाड़ी |
2. पवन ऊर्जा | (ब) भुज-माधापुर |
3. ज्वारीय ऊर्जा | (स) लद्दाख |
4. भूतापीय ऊर्जा | (द) जैसलमेर |
उत्तर:
गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोत | अवस्थित क्षेत्र |
1. सौर ऊर्जा | (ब) भुज-माधापुर |
2. पवन ऊर्जा | (द) जैसलमेर |
3. ज्वारीय ऊर्जा | (अ) कच्छ की खाड़ी |
4. भूतापीय ऊर्जा | (स) लद्दाख |
प्रश्न 23.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए राज्य परमाणु ऊर्जा संयन्त्र
राज्य | परमाणु ऊर्जा संयन्त्र |
(अ) उत्तर प्रदेश | (i) कलपक्कम |
(ब) कर्नाटक | (ii) काकरापारा |
(स) गुजरात | (iii) नरोरा |
(द) तमिलनाडु | (iv) कैगा |
उत्तर:
राज्य | परमाणु ऊर्जा संयन्त्र |
(अ) उत्तर प्रदेश | (iii) नरोरा |
(ब) कर्नाटक | (iv) कैगा |
(स) गुजरात | (ii) काकरापारा |
(द) तमिलनाडु | (i) कलपक्कम |
प्रश्न 24.
बायो गैस के उपयोग से होने वाले लाभ बताइए।
उत्तर:
बायो गैस के उपयोग से होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं
- बायो गैस का उपयोग घरेलू आवश्यकताओं के लिए विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
- पशुओं के गोबर का उपयोग करने का यह एक सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है।
- यह खाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- यह उपलों तथा लकड़ी के जलने से होने वाले वृक्षों के नुकसान को रोकता है।
प्रश्न 25.
‘भारत गाँवों का देश है’ ऊर्जा संकट को कम करने के लिए आप किस प्रकार के ऊर्जा स्रोत का सुझाव देंगे?
उत्तर:
ऊर्जा संकट को कम करने के लिए बायोगैस को उपयोग में लाने का सुझाव देना हितकर रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के गोबर का प्रयोग ‘गोबर गैस प्लांट’ संयंत्र में किया जाता है। जिससे विद्युत ऊर्जा भी प्राप्त होती है।
प्रश्न 26.
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का महत्व बताइए।
उत्तर:
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का महत्व निम्नलिखित है
- इन संसाधनों का नवीनीकरण किया जा सकता है।
- इनकी मात्रा असीमित है।
- ये संसाधन हमें प्रकृति से निःशुल्क प्राप्त हैं।
- ये प्रदूषण मुक्त ऊर्जा संसाधन हैं।
- इनका प्रयोग भविष्य में अधिकाधिक होगा।
प्रश्न 27.
व्यक्तिगत रूप से हमें ऊर्जा संरक्षण हेतु क्या उपाय करने चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत रूप से हम ऊर्जा के संरक्षण हेतु निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं
- हमें यातायात के लिए व्यक्तिगत अथवा निजी वाहन के स्थान पर सार्वजनिक वाहन का उपयोग करना चाहिए।
- जब प्रयोग में नहीं आ रही हो तो बिजली बंद कर देनी चाहिए।
- हमें विद्युत की बचत करने वाले उपकरणों का प्रयोग करना चाहिए।
- हमें गैर-पारम्परिक ऊर्जा साधनों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भाग हैं।’ इस कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
खनिजों का मानव के लिए क्या उपयोग है? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
खनिज हमारे जीवन के अति अनिवार्य भाग हैं क्योंकि हमारे विकास के लिए आवश्यक विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में उनका प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए:
- दैनिक जीवन में काम आने वाली प्रत्येक वस्तु का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से खनिजों से सम्बन्ध जुड़ा है।
- यातायात के सभी साधन, मशीनें, उपकरण, कृषि मशीनें व यंत्र, पटरियाँ, पेट्रोलियम से बने सभी पदार्थ, सोने, चाँदी व हीरे से.बने आभूषण आदि अनगिनत पदार्थ हमें खनिजों से प्राप्त होते हैं।
- औद्योगिक विकास का आधार खनिज ही है। लोहा व कोयला, दो ऐसे खनिज हैं जिनके बिना औद्योगिक प्रगति संभव नहीं।
- खनिजों का शक्ति के साधनों में महत्वपूर्ण स्थान है। बस, रेलगाड़ियाँ, कारें, हवाई जहाज व अन्य दूसरे वाहन खनिजों से बने होते हैं तथा धरती से प्राप्त ऊर्जा के साधनों द्वारा चालित होते हैं।
- हम भोजन में भी खनिजों का प्रयोग करते हैं।
- मनुष्य ने विकास की सभी अवस्थाओं में, अपनी जीविका, सजावट, त्यौहारों एवं धार्मिक अनुष्ठान के लिए खनिजों का प्रयोग किया है।
प्रश्न 2.
खनिज क्या हैं? खनिजों को वर्गीकृत कीजिए।
अथवा
सामान्य एवं वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु खनिजों को कितने भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:
खनिज- भूवैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्व है जिसकी एक निश्चित आन्तरिक संरचना होती है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाये जाते हैं, जिसमें कठोर हीरा से लेकर नरम चूना तक सम्मिलित हैं। सामान्य एवं वाणिज्यिक उद्देश्य हेतु खनिजों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
- धात्विक खनिज-वे खनिज जिसमें धातु अंश प्रधानता पायी जाती है, धात्विक खनिज कहलाते हैं। धात्विक खनिज तीन प्रकार के होते हैं
- लौह खनिज-इन खनिजों में लोहे का अंश होता है, जैसे-लौह अयस्क, मैंगनीज़, निकिल व कोबाल्ट आदि।
- अलौह खनिज-इन खनिजों में लोहे का अंश नहीं होता है, जैसे-ताँबा, सीसा, जस्ता व बॉक्साइट आदि।
- बहुमूल्य खनिज-सोना, चाँदी, प्लेटिनम आदि।
- अधात्विक खनिज-वे खनिज जिनमें धातु अंश नहीं पाया जाता है, अधात्विक खनिज कहलाते हैं, जैसेअभ्रक, नमक, पोटाश, सल्फर, चूना पत्थर, संगमरमर एवं बलुआ पत्थर आदि।
- ऊर्जा खनिज-वे खनिज जिनसे ऊर्जा की प्राप्ति होती है, ऊर्जा खनिज कहलाते हैं, जैसे-कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस आदि।
प्रश्न 3.
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अन्तर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
धात्विक और अधात्विक खनिजों में अन्तर निम्नलिखित हैंधात्विक खनिज अधात्विक खनिज
धात्विक खनिज | अधात्विक खनिज |
1. वे खनिज जिनमें धातु अंश की प्रधानता पायी जाती हैं, धात्विक खनिज कहलाते हैं। | 1. वे खनिज जिनमें धातु अंश नहीं पाया जाता है, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। |
2. लौह अयस्क, मैंगनीज़, निकल, ताँबा, जस्ता, सीसा, टंगस्टन व कोबाल्ट आदि धात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। | 2. अभ्रक, पोटाश, नमक, सल्फर, चूना पत्थर, संगमरमर, बलुआ पत्थर आदि अधात्विक खनिजों के उदाहरण हैं। |
3. खानों से निकाले जाने पर इनमें अनेक अशुद्धियों का मिश्रण रहता है। अतः इन्हें प्रयोग करने से पूर्व इनका परिष्करण करना आवंश्यक होता है। | 3. इन खनिजों में अशुद्धियाँ बहुत कम होती हैं। अतः इनके परिष्करण की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती है। |
4. धात्विक खनिज ताप व विद्युत के सुचालक होते हैं। | 4. अधात्विक खनिज ताप एवं विद्युत के कुचालक होते हैं। |
5. यह खनिज प्रायः आग्नेय शैलों में पाये जाते हैं। | 5. यह खनिज प्राय: अवसादी शैलों में पाये जाते हैं। |
6. इन खनिजों को गलाकर पुनः प्रयोग में लाया जा सकता है। | 6. इन खनिजों को सिर्फ एक बार ही प्रयोग में लिया जा सकता है। |
प्रश्न 4.
लौह अयस्क में बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरु-तुमकूस पेटी के विशिष्ट लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह अयस्क में बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरु-तुमकूरु पेटी के विशिष्ट लक्षण इस प्रकार से हैं
- लौह अयस्क की वृहत् राशि कर्नाटक की बेलारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमंगलूरू-तुमकूरु पेटी में संचित है।
- कर्नाटक के पश्चिमी घाट में अवस्थित कुद्रेमुख की खानों से लौह अयस्क निर्यात किया जाता है। यहाँ से लौह अयस्क कर्दम (Slurry) के रूप में पाइपलाइल द्वारा मंगलूरू के निकट एक पत्तन पर भेजा जाता है।
प्रश्न 5.
ताँबा का प्रमुख उपयोग क्या है? भारत में यह कहाँ-कहाँ पाया जाता है?
अथवा
ताँबा खनिज के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ताँबा एक अलौह धातु है। भारत में इसका उपयोग प्राचीनकाल से होता आ रहा है। इसकी सुचालकता के कारण इसका मुख्य रूप से उपयोग बिजली के तार बनाने, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं रसायन उद्योगों में किया जाता है। इसका अन्य वस्तुओं के साथ मिलाकर रासायनिक कार्यों व बर्तन बनाने आदि में उपयोग किया जाता है।
ताँबा व जस्ता मिलाकर पीतल, ताँबा व सोना मिलाकर रोल्ड गोल्ड एवं ताँबा व राँगा को मिलाकर काँसा बनाया जाता है। भारत में ताँबे के निक्षेप व उत्पादन कम है। देश का अधिकांश ताँबा मध्य प्रदेश के बालाघाट एवं झारखण्ड के सिंहभूमि जिलों व राजस्थान के खेतड़ी से प्राप्त किया जाता है। मध्य प्रदेश की बालाघाट खदानें देश का लगभग 52 प्रतिशत ताँबा उत्पादित करती हैं।
प्रश्न 6.
“खनिज संसाधनों को सुनियोजित एवं सतत् पोषणीय ढंग से प्रयोग करने के लिए तालमेल युक्त प्रयास करना होगा।” कोई तीन उपाय सुझाइए और उनका स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर:
- निम्न कोटि के अयस्कों का कम लागतों पर प्रयोग करने हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियों का सतत् विकास करते रहना होगा।
- धातुओं का पुनः चक्रण अपनाना होगा।
- रद्दी धातुओं का प्रयोग और अन्य प्रतिस्थापनों का उपयोग करने पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।
प्रश्न 7.
पवन, ज्वारीय, सौर तथा अन्य नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का प्रयोग क्यों बढ़ता जा रहा है? कारण लिखिए।
उत्तर:
- आज दिन-प्रतिदिन गैस व तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, जो भविष्य में ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा के प्रति अनिश्चितताएँ उत्पन्न कर रही हैं।
- इसके अलावा हम जीवाश्मी ईंधनों का जो प्रयोग करते हैं वह गम्भीर पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न करते हैं ।
- ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधनों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा है, जिनका आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
- धूप, जल तथा जीवभार साधनों में भारत समृद्ध है। यही कारण है कि नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधनों के विकास हेतु भारत में अनेक कार्यक्रम बनाये गये हैं ।
प्रश्न 8.
बायो गैस क्या है? इसका उत्पादन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
बायो गैस-बायो गैस ऊर्जा का एक गैर-परम्परागत साधन है। इसे जैव ऊर्जा भी कहते हैं। कृषि अपशिष्टों, पशु एवं मानवजनित अपशिष्टों व झाड़ियों आदि के उपयोग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बायो गैस का उत्पादन किया जाता है। बायो गैस का उत्पादन एक विशेष प्रकार के संयंत्र में किया जाता है, जिसे बायो गैस संयंत्र कहते हैं। इस संयंत्र में कार्बनिक पदार्थों के विघटन से गैस उत्पन्न होती है।
यह बायोगैस एक ज्वलनशील गैसीय मिश्रण है जिसमें मुख्यतः मीथेन, कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन गैस होती है, जिसकी तापीय क्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। इस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा एवं खाना बनाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। भारत जैसे देश में, जहाँ कृषि एवं पशुपालन मुख्य व्यवसाय है, वहाँ बायो गैस के विकास की अपार सम्भावनाएँ हैं। बायो गैस संयंत्र नगरपालिका, सहकारिता एवं निजी स्तर पर लगाये जाते हैं।
प्रश्न 9.
प्राकृतिक गैस एवं बायो गैस में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक गैस | बायो गैस |
1. प्राकृतिक गैस के भण्डार भूगर्भ में पाये जाते हैं। | 1. बायो गैस मानव द्वारा धरातल पर निर्मित की जाती है। |
2. यह अधिकतर भूगर्भ की चट्टानों में पेट्रोलियम के साथ पायी जाती है। | 2. यह झाड़-झंखाड़ों, कृषि के अपशिष्टों, जीव-जन्तुओं |
3. इसका उपयोग वाहनों के ईंधन के रूप में तथा बिजली उत्पादन में भी किया जाता है। | व मानव के मलमूत्र के उपयोग से पैदा की जाती है। |
4. भूगर्भ में मिलने के कारण इसके भण्डार सीमित हैं, जो कभी भी समाप्त हो सकते हैं। | 3. इसका केवल घरेलू उपयोग होता है। |
5. इससे कोई अवशिष्ट प्राप्त नहीं होता है जिसका पुन: उपयोग किया जा सके। | 4. इसके निर्माण में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ भारी मात्रा में उपलब्ध हैं जिनका विकास तकनीक द्वारा किया जा सकता है। |
प्रश्न 10.
ज्वारीय ऊर्जा क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ज्वारीय ऊर्जा-महासागरीय तरंगें ऊर्जा का अपरिमित भण्डार गृह हैं। महासागरीय तरंगों का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है। सँकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वार बनाकर बाँध बनाये जाते हैं। उच्च ज्वार में इस संकरे खाड़ीनुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर भर जाता है तथा द्वार बन्द होने पर बाँध में ही रह जाता है।
बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर बाँध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। टरबाइन के माध्यम से गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। भारत में खम्भात की खाड़ी एवं कच्छ की खाड़ी में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएँ उपस्थित हैं।
प्रश्न 11.
भूतापीय ऊर्जा क्या है? किन्हीं दो परियोजनाओं के नाम बताइए, जो भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए प्रारम्भ की गयी हैं?
अथवा
पर्वतीय क्षेत्रों पर बिजली की समस्या को भू-तापीय ऊर्जा द्वारा किस सीमा तक हल किया जा सकता है?
अथवा
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए- भूतापीय ऊर्जा।
उत्तर:
भूतापीय ऊर्जा-पृथ्वी का आन्तरिक भाग अत्यन्त तरल’ है। अतः पृथ्वी के भीतर से कभी-कभी कई स्थानों पर एक सूखी भाप या गर्म पानी के स्रोत के रूप में ऊर्जा बाहर निकलती रहती है। पृथ्वी के आन्तरिक भागों के ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं। भूतापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है। जहाँ भी भूतापीय प्रवणता अधिक होती है, वहाँ उथली गहराइयों पर भी अधिक तापमान मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चट्टानों से ऊष्मा का अवशोषण कर गर्म हो जाता है।
यह जल इतना अधिक गर्म हो जाता है कि पृथ्वी की सतह की ओर उठता है तो यह भाप में परिवर्तित हो जाता है। इसी भाप का उपयोग टरबाइन को चलाने एवं विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। भारत में भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं। एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण – के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी परियोजना लद्दाख में पूगा घाटी में स्थापित है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में लौह अयस्क का वितरण समझाइए।
अथवा भारत में लौह अयस्क की पेटियाँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
आधुनिक यांत्रिक युग में लोहा प्रत्येक देश के आर्थिक विकास की धुरी है। इससे सुई से लेकर विशालकाय जलपोत एवं विभिन्न संयन्त्र आदि का निर्माण किया जाता है। इसलिए आधुनिक युग को लौह-इस्पात का युग भी कहा जा, सकता है। लोहे की कच्ची धातुं लौह अयस्क कहलाती है। भारत में लौह अयस्क का वितरण- भारत में लौह अयस्क के प्रचुर भंडार हैं। देश में लौह अयस्क के दो प्रमुख प्रकार-हेमेटाइट एवं मैग्नेटाइट पाये जाते हैं। हमारे देश के लौह अयस्क में लोहे की मात्रा 70-72 प्रतिशत तक होती है।
लौह अयस्क की खदानें देश के उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश में कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं। लौह अयस्क के कुल आरक्षित भण्डारों का लगभग 95 प्रतिशत भाग ओडिशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं कर्नाटक राज्यों में स्थित है। 2016-17 में लौह-अयस्क का उत्पादन सबसे अधिक ओडिशा (52%), इसके पश्चात्, छत्तीसगढ़ (16%), कर्नाटक (14%), झारखण्ड (11.%) व अन्य (7%) में हुआ। भारत में लौह अयस्क की प्रमुख पेटियाँ निम्नलिखित हैं
1. ओडिशा झारखण्ड पेटी:
ओडिशा में उच्चकोटि का हेमेटाइट किस्म का लौह अयस्क मयूरभंज व केंदूझर जिलों में बादाम पहाड़ की खदानों से निकाला जाता है। झारखण्ड राज्य के सिंहभूमि जिले में गुआ एवं नोआमुंडी से हेमेटाइट अयस्क प्राप्त किया जाता है।
2. दुर्ग-बस्तर चंद्रपुर पेटी:
लौह अयस्क की यह पेटी महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्यों में फैली हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में बेलाडिला पहाड़ी श्रृंखलाओं से उत्तम किस्म का हेमेटाइट लौह अयस्क प्राप्त होता है। यहाँ लौह अयस्क के 14 जमाव मिलते हैं। इन खदानों से लौह अयस्क विशाखापट्टनम बन्दरगाह से जापान एवं दक्षिण कोरिया को निर्यात किया जाता है।
3. बेलारी चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलूरू:
तुमकूरू पेटी-लौह अयस्क की यह पेटी कर्नाटक राज्य में स्थित है। इस पेटी में लौह अयस्क की विशाल राशि संचित है। कर्नाटक के पश्चिमी घाट में स्थित कुद्रेमुख की खानों से सम्पूर्ण लौह अयस्क का निर्यात कर दिया जाता है। कुद्रेमुख विश्व के सबसे बड़े लौह अयस्क निक्षेपों में से एक है।
4. महाराष्ट्र गोवा पेटी:
यह पेटी गोवा एवं महाराष्ट्र राज्य के रत्नागिरि जिले में स्थित है। इस पेटी से प्राप्त लौह अयस्क उत्तम किस्म का नहीं होता है। मार्मागाओ बन्दरगाह से इसका निर्यात कर दिया जाता है।
प्रश्न 2.
अनवीकरणीय ऊर्जा को संरक्षित रखने की आवश्यकता के पक्ष में दो तर्क दीजिए। इसके संसाधनों के संरक्षण के लिए किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- अनवीकरणीय ऊर्जा को संरक्षित रखने की आवश्यकता
- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि से अनवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। ये सभी खनिज समाप्त होने की स्थिति में हैं। इनको हम पुनः उत्पादित नहीं कर सकते हैं। इसलिए इनको संरक्षित रखना अत्यन्त आवश्यक है ।
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र (कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य आदि) में तथा घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यदि हम ऊर्जा के अनवीकरणीय साधनों का सही उपयोग नहीं करेंगे तो हमें भविष्य में अति आवश्यक कार्यों के लिए भी ऊर्जा प्राप्त नहीं होगी।
- ऊर्जा संसाधनों के संरक्षण के उपाय
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र जैसे- कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए हमें उसका नियोजित प्रयोग करना चाहिए।
- स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद क्रियान्वित आर्थिक विकास की योजनाओं को चलाए रखने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा की आवश्यकता थी। परिणामस्वरूप पूरे देश में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसकी पूर्ति हेतु ऊर्जा के नवीकरणीय साधनों के प्रयोग पर बल देना चाहिए।
- वर्तमान में भारत विश्व के अल्पतम ऊर्जा दक्ष देशों में गिना जाता है। हमें सावधानीपूर्वक उपागम को ऊर्जा के सीमित संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिए अपनाना होगा। हमें एक जागरूक नागरिक के रूप में यातायात के लिए निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना चाहिए। जब हम बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं कर रहे। हों तब हमें बिजली को बन्द करके विद्युत की बचत करनी चाहिए।
प्रश्न 3.
भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन कोयला है। इसके विभिन्न रूपों के महत्व का आकलन कीजिए।
अथवा
परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए एवं किसी एक पर लेख लिखिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत-लकड़ी, कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जल व तापीय विद्युत आदि। कोयला-भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन कोयला है।
कोयला के विभिन्न रूप एवं उनका महत्व-कोयले का उपयोग विद्युत उत्पादन, उद्योगों एवं घरेलू आवश्यकता के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। भारत अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हेतु मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है। कोयला मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रकार का होता है
1. एन्थेसाइट:
यह सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा सर्वाधिक होती है।
2. बिटुमिनस:
गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयला को बिटुमिनस के नाम से जाना जाता है। वाणिज्यिक उपयोग में यह कोयला सर्वाधिक लोकप्रिय है। परन्तु शोधन में उच्च श्रेणी के बिटुमिनस कोयले का उपयोग किया जाता है। लोहे के प्रगलन में इस कोयले का विशेष महत्व है।
3. लिग्नाइट:
यह निम्न किस्म का भूरा कोयला होता है। यह मुलायम होने के साथ अधिक नमीयुक्त होता है। भारत में लिग्नाइट के मुख्य भण्डार तमिलनाडु के नैवेली क्षेत्र में पाये जाते हैं। लिग्नाइट कोयले का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जाता है।
4. पीट:
इस प्रकार का कोयला दलदली भागों में क्षय होने वाले पेड़-पौधों से उत्पन्न होता है। इसमें कार्बन की मात्रा कम एवं नमी की मात्रा अधिक होती है। अधिक नमी के कारण पीट कोयले की ताप क्षमता कम होती है।
प्रश्न 4.
भारत में गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में प्रमुख गैर-परम्परागत शक्ति के साधन कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों से अभिप्राय ऐसे ऊर्जा संसाधनों से है जो आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन हैं। इनके अन्तर्गत सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, बायो गैस एवं परमाणु ऊर्जा को सम्मिलित किया जाता है। इनमें से अधिकांश सतत् एवं सनातन हैं। आणविक ऊर्जा ऐसा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत है, जो असमाप्य है। भारत में प्रमुख गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन (शक्ति के साधन) निम्नलिखित हैं
1. सौर ऊर्जा-गैर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोतों में सौर-ऊर्जा सर्वोपरि है। सौर-ऊर्जा सूर्य से प्राप्त होती है। भारत में सौर ऊर्जा के विकास की असीम सम्भावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक विधि से धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
2. पवन ऊर्जा:
पवन की गति से उत्पन्न ऊर्जा पवन ऊर्जा कहलाती है। यह पूर्ण रूप से प्रदूषणमुक्त एवं ऊर्जा का असमाप्य स्रोत है। पवन ऊर्जा को पवनचक्कियों से प्राप्त किया जाता है। पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। इस ऊर्जा का मुख्य उपयोग कुओं से पानी निकालने, सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में किया जाता है। भारत में पवन ऊर्जा फार्म की विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक फैली हुई है। इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र एवं लक्षद्वीप में भी महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म स्थापित हैं। तमिलनाडु में नागरकोइल एवं राजस्थान का जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी उपयोग के लिए जाने जाते पा
3. बायो गैस:
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्टों, पशुओं और मानवजनित अपशिष्टों के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायो गैस उत्पन्न की जाती है। यह गैस जैविक पदार्थों के अपघटन से उत्पन्न होती है। भारत में पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र गोबर गैस संयंत्र के नाम से जाने जाते हैं। ऊर्जा प्राप्ति का यह साधन पर्यावरण को संरक्षित करने वाला है।
4. भू-तापीय ऊर्जा:
पृथ्वी के आंतरिक भागों में ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भारत में सैकड़ों गर्म पानी के झरने हैं जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रौद्योगिक परियोजनाएँ प्रारम्भ की गयी हैं
- पार्वती घाटी-मणिकरण (हिमाचल प्रदेश),
- पूगा घाटी-लद्दाख।
5. ज्वारीय ऊर्जा:
महासागरों में उठने वाली तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन में किया जा सकता है। भारत में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएँ खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी और पश्चिमी तट पर गुजरात में तथा पश्चिम बंगाल में सुन्दरवन क्षेत्र में गंगा के डेल्टा में पाई जाती है।
6. परमाणु ऊर्जा:
परमाणु ऊर्जा अथवा आणविक ऊर्जा अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त की जाती है। भारत के झारखण्ड एवं राजस्थान में मिलने वाले यूरेनियम व थोरियम का प्रयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। भारत में आणविक ऊर्जा के उत्पादन हेतु तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), काकरापारा (गुजरात) एवं कैगा (कर्नाटक) में अणु विद्युत गृहों की स्थापना की गई है।
मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए रेखा मानचित्र का अध्ययन कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. 1, 2, 3, 4 पर चिह्नित लौह अयस्क पेटियों को पहचानें।
2. क, ख, ग, घ पर चिह्नित लौह अयस्क निर्यातक पत्तनों को पहचानें।
3. विशाखापट्टनम को मानचित्र में अंकित कीजिए।
4. पारादीप को मानचित्र में अंकित कीजिए।
5. मैंगनीज उत्पादक क्षेत्रों को मानचित्र में अंकित कीजिए।
6. बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र
7. अभ्रक उत्पादक क्षेत्र
उत्तर:
(i) 1. बेलारी-चित्रदुर्ग, चिक्कमंगलूरू-तुमकूरू-लौह अयस्क पेटी,
2. महाराष्ट्र-गोवा लौह अयस्क पेटी,
3. दुर्ग-बस्तर- चन्द्रपुर लौह अयस्क पेटी,
4. उड़ीसा-झारखण्ड लौह अयस्क पेटी
(ii) (क) मार्मागाओ,
(ख) मंगलूरू,
(ग) विशाखापट्टनम,
(घ) पारादीप।
प्रश्न 2.
केवल चिह्नित करें
उत्तर:
- लौह अयस्क खानें – बेलाडिला, बेलारी, कुद्रेमुख, दुर्ग, मयूरभंज।
- अभ्रक खानें – अजमेर, बेवर, नैल्लोर, गया और हजारीबाग।
प्रश्न 3.
केवल चिह्नित करें
उत्तर:
- कोयला खानें – रानीगंज, झरिया बोकारो, तलचर, कोरबा, सिंगरौली, सिंगरेनी, नेवेली।
- खनिज तेल क्षेत्र – डिगबोई, नाहरकटिया, मुम्बई हाई, बसीन, कलोल और अंकलेश्वर।
प्रश्न 4.
केवल चिन्हित करें
उत्तर:
- तापीय ऊर्जा संयंत्र बरौनी, पनकी, रामागुंडम विजयवाड़ा नेवेली, ट्रॉम्बे, दुर्गापुर कोरबा, तलचर, तूतीकोरिन
- आणविक ऊर्जा संयंत्र, नरोरा, रावतभाटा, काकरापारा, कैगा, कलपक्कम