JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 2 संघवाद
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संघात्मक शासन प्रणाली में अधिकारों का विभाजन होता है
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच
(ख) एक राज्य एवं अन्य राज्यों के बीच
(ग) व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के बीच
(घ) व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका के बीच
उत्तर:
(क) केन्द्र एवं राज्यों (इकाइयों) के बीच
2. शासन की किस व्यवस्था में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है?
(क) एकात्मक व्यवस्था
(ख) संघीय व्यवस्था
(ग) सामुदायिक व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) संघीय व्यवस्था
3. संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार किसके पास होता है?
(क) न्यायालय
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति
(घ) मुख्यमन्त्री
उत्तर:
(क) न्यायालय
4. निम्नलिखित में से कौन-सा विषय समवर्ती सूची में शामिल है?
(क) पुलिस
(ख) रक्षा
(ग) कृषि
(घ) शिक्षा
उत्तर:
(घ) शिक्षा
5. निम्नलिखित में किस राज्य को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं?
(क) असम
(ख) नागालैण्ड
(ग). मिजोरम
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
6. निम्नलिखित में से कौन-सा संघीय राज्य नहीं है?
(क) दिल्ली
(ख) मणिपुर
(ग) राजस्थान
(घ) तेलंगाना
उत्तर:
(घ) तेलंगाना
7. निम्नलिखित में से किस राज्य का गठन भाषा के आधार पर नहीं हुआ है?
(क) नागालैण्ड
(ख) उत्तराखण्ड
(ग) झारखण्ड
(घ) ये सभी।
उत्तर:
(क) नागालैण्ड
8. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में कितनी भाषाओं का समावेश है? .
(क) 20
(ख) 21
(ग) 22
(घ) 23
उत्तर:
(ग) 22
9. वास्तविक विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक नया कदम किस वर्ष उठाया गया?
(क) 1991 ई. में
(ख) 1992 ई. में
(ग) 1995 ई. में
(घ) 1998 ई. में
उत्तर:
(ख) 1992 ई. में
10. निम्न में से नगर निगम के अध्यक्ष को कहा जाता है?
(क) मेयर
(ख) सभापति
(ग) राज्यपाल
(घ) सरपंच
उत्तर:
(क) मेयर
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. बेल्जियम सरकार ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर ………………… को अपनाया।
उत्तर:
संघीय शासन प्रणाली,
2. पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि, सिंचाई…………….के प्रमुख विषय है।
उत्तर:
राज्य सूची
3. …………………. और ………………. केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
उत्तर:
चण्डीगढ़, लक्षद्वीप,
4. सन् 1947 से भारत में ……………. की स्थापना हुई।
उत्तर:
लोकतंत्र,
5. हमारे संविधान में हिन्दी के अतिरिक्त …………. अन्य भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
उत्तर:
21.
अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संघवाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा
संघवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है।
प्रश्न 2.
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर कौन-सी शासन प्रणाली को अपनाया है?
उत्तर:
बेल्जियम ने एकात्मक शासन प्रणाली के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया है।
प्रश्न 3.
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन के कितने स्तर होते हैं?
उत्तर:
एकात्मक शासन व्यवस्था में शासन का एक स्तर होता है।
प्रश्न 4.
संघीय सरकार की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- यह सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है।
- विभिन्न स्तरों की सरकारों के अधिकार क्षेत्र संविधान में समान रूप से वर्णित होते हैं।
प्रश्न 5.
संघीय शासन व्यवस्था के कोई दो उद्हेश्य बताइए।
उत्तर:
- देश की एकता की सुरक्षा करना व बढ़ावा देना।
- क्षेत्रीय विविधताओं को पूर्ण सम्मान देना।
प्रश्न 6.
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व कौन-सी सरकार करती है?
उत्तर:
सम्पूर्ण भारतीय संघ का प्रतिनिधित्व केन्द्र सरकार करती है।
प्रश्न 7.
संघ सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- प्रतिरक्षा,
- विदेशी मामले,
- बैंकिंग,
- संचार,
- मुद्रा।
प्रश्न 8.
राज्य सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- पुलिस,
- व्यापार,
- वाणिज्य,
- कृषि,
- सिचाई।
प्रश्न 9.
समवर्ती सूची के प्रमुख विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- शिक्षा,
- वन,
- मजदूर संघ,
- विवाह,
- गोद लेना,
- उत्तराधिकार,।
प्रश्न 10.
केन्द्र-शासित प्रदेश के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
केन्द्र-शासित प्रदेश के उदाहरण-
- चण्डीगढ़,
- लक्षद्वीप।
प्रश्न 11.
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का कौन-सा अंग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
उत्तर:
संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में सरकार का न्यायपालिका अंग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 12.
हमारे देश की लोकंतान्त्रिक राजनीति के लिए प्रथम और एक कठिन परीक्षा क्रौन-सी थी?
उत्तर:
भाषा के आधार पर प्रान्तों का गठन।
प्रश्न 13.
भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा कब प्रारम्भ की?
उत्तर:
सन् 1947 ई. में, भारत ने लोकतन्त्र की राह पर अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ की।
प्रश्न 14.
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है?
अथवा
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को भारतीय संविधान की आठवी अनुसूची में रखा गया है ?
उत्तर:
भारतीय संविधानं में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है।
प्रश्न 15.
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवतः सबसे अधिक विविधता वाला देश कौन-सा है?
उत्तर:
भाषा के आधार पर दुनिया का सम्भवत: सबसे अधिक विविधता वाला देश भारत है।
प्रश्न 16.
सत्ता का विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं।
प्रश्न 17.
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
भारत में तीसरे स्तर की सरकार को स्थानीय सरकार के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 18.
ग्रामीण स्थानीय सरकार को और किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
पंचायती राज।
प्रश्न 19.
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के अध्यक्ष को प्रधान या सरपंच के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 20.
पंचायत समिति का गठन कैसे होता है?
उत्तर:
कई ग्राम पंचायतों से मिलकर पंचायत समिति का गठन होता है।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
“केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का यह बँटवारा हमारे संविधान की बुनियादी बात है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान में केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे में किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है?
अथवा
केन्द्र तथा राज्य सरकार के बीच सत्ता के बँटवारे में कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत को राज्यों का संघ घोषित किया है। भारतीय संघ का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धान्त पर हुआ है। संघीय सरकार के अन्तर्गत मौलिक प्रावधानों को सरकार के एक स्तर द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता। अकेले संसद संविधान की मौलिक व्यवस्था में परिवर्तन नहीं कर सकती। ऐसे किसी परिवर्तन को पहले संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया जाना होता है। फिर कम-से-कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से सहमति लेनी होती है।
प्रश्न 2.
संघ सूची एवं राज्य सूची में अन्तर बताइये।
उत्तर:
संघ सूची एवं राज्य सूची में निम्नलिखित अन्तर
संघ सूची | राज्य सूची |
1. संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार को होता है। | राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्य सरकारों को होता है। |
2. संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार एवं मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं। | राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिचाई जैसे प्रान्तीय एवं स्थानीय महत्त्व के विषय सम्मिलित होते हैं। |
प्रश्न 3.
भाषायी राज्यों का गठन क्यों हुआ? इनके लाभ बताइए।
उत्तर:
भारत में भाषायी राज्यों का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया कि एक भाषा बोलने वाले लोग एक राज्य में आ जाएँ। भाषायी राज्यों से लाभ:
- भाषावार राज्य बनाने से देश अधिक एकीकृत एवं मजबूत हुआ है
- इससे प्रशासन भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक सुविधाजनक हो गया है।
प्रश्न 4.
भारत सरकार की भाषा नीति को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत की भाषा नीति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- हमारे संविधान में किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिन्दी को राजभाषा माना गया है पर अन्य भाषाओं के संरक्षण के उपाय भी किये गये हैं।
- भाषा नीति के अन्तर्गत संविधान में 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा का दर्जा दिया गया है। इन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज किया गया है।
- केन्द्र सरकार के किसी पद का उम्मीदवार संविधान की 8वीं अनुसूची में दर्ज किसी भी भाषा में परीक्षा दे सकता है बशर्ते उम्मीदवार इसको विकल्प के रूप में चुने।
- राज्यों की भी अपनी राजभाषाएँ हैं। राज्यों का अधिकांश कार्य राजभाषा में ही होता है।
प्रश्न 6.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
सत्ता के विकेन्द्रीकरण के दो लाभ निम्नलिखित हैं
- स्थानीय सरकारों को संवैधानिक दर्जा दिए जाने से लोकतन्त्र की जड़ें और मजबूत हुई हैं।
- अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा पिछड़ी जातियों के लिए स्थानीय निकायों में सदस्य एवं पदाधिकारी पदों के आरक्षण से वंचित लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 7.
पंचायती राज क्या है? इसका महत्व बताइए।
उत्तर:
ग्राम स्तर पर मौजूद स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। महत्व:
- पंचायती राज लोगों को प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर निर्णय लेने में सहायता करता है।
- यह सत्ता के विकेन्द्रीकरण में सहायता करता है।
- यह केन्द्रीय सरकार के काम के दबाव को कम करने में सहायता करता है।
प्रश्न 8.
पंचायती राज का उच्चतम स्तर कौन-सा होता है? इसके गठन के बारे में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
पंचायती राज्य का उच्चतम स्तर जिला परिषद् होता है। किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त जिले के लोकसभा सदस्य एवं जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। जिला परिषद् का प्रमुख, परिषद् का प्रधान होता है। जिला परिषद् जिले की सम्पूर्ण पंचायत समितियों की गतिविधियों में तालमेल बैठाकर सम्पूर्ण जिले के विकास को अग्रसर करती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
संघवाद ने जातीय समस्या को सुलझाने में बेल्जियम की सहायता किस प्रकार की?
अथवा
संघीय शासन प्रणाली बेल्जियम के लिए किस प्रकार लाभदायक रही है?
उत्तर:
बेल्जियम यूरोप महाद्वीप का एक देश है। सन् 1993 ई. से पहले बेल्जियम में अधिकांश शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथों में थीं। प्रान्तीय सरकारों को नाममात्र के अधिकार प्राप्त थे, पर ये अधिकार उमको केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए थे और इन्हें केन्द्र सरकार वापस भी ले सकती थी अर्थात् बेल्जियम में एकात्मक सरकार थी।
1993 ई. में संविधान संशोधन करने के पश्चात् बेल्जियम में प्रान्तीय सरकारों को कुछ संवैधानिक अधिकार प्रदान किये गये। इन अधिकारों के लिए प्रान्तीय सरकारें अब केन्द्र पर निर्भर नहीं रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन के स्थान पर संघीय शासन प्रणाली को अपनाया जिससे जातीय समस्या के समाधान में सहायता प्राप्त हुई।
प्रश्न 2.
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा प्रत्येक संघीय सरकार में भिन्न क्यों होता है? दो उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
संघीय शासन व्यवस्था के गठन के तरीकों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
अथवा
केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकारों के बीच सही सन्तुलन एक संघीय व्यवस्था का दूसरी संघीय व्यवस्था से भिन्न क्यों होता है? दो तर्क देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य सत्ता का बँटवारा मुख्य रूप से ऐतिहासिक सन्दर्भो पर निर्भर करता है जिन पर संघ की स्थापना हुई है। संघीय शासन व्यवस्था आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती है
1. साथ आकर संघ बनाना:
इसके अन्तर्गत दो या अधिक स्वतन्त्र राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई का गठन किया जाता है तथा सभी स्वतन्त्र राष्ट्र अपनी सम्प्रभुता को साथ रखते हैं, अपनी अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते हैं। साथ आकर संघ बनाने के प्रमुख उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया आदि हैं।
2. साथ लेकर चलने वाला संघ:
इसके अन्तर्गत एक बड़े देश द्वारा अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का गठन किया जाता है तथा फिर राज्य और राष्ट्रीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है। इसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है। भारत, बेल्जियम और जापान इस प्रकार की संघीय शासन व्यवस्था के उदाहरण हैं।
प्रश्न 3.
संघवाद क्या है? भारत में संघवाद का स्वरूप कैसा है? बताइए।
उत्तर:
संघवाद का आशय-संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है। भारत में संघवाद का स्वरूप
- राज्यों का संघ-भारत में अपनी आन्तरिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों के संघ का गठन किया गया है।
- त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था- भारतीय संविधान में मूल रूप से दो स्तर की शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया है
- (अ) संघ या केन्द्र सरकार और
- (ब) राज्य सरकारें। बाद में स्थानीय शासन की संस्थाओं को तीसरे स्तर के रूप में संविधान में मान्यता दी गई। किसी भी देश की तरह यहाँ भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।
- शक्तियों का विभाजन-भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों के द्वारा विभाजित किया गया है
- (अ) संघ सूची,
- (ब) राज्य सूची,
- (स) समवर्ती सूची।
- न्यायपालिका की सर्वोच्चता-भारतीय संघीय व्यवस्था में न्यायपालिका स्वतन्त्र व सर्वोच्च है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने पर उसका फैसला सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
- समस्त राज्यों को बराबर के अधिकार प्राप्त नहीं-भारतीय संविधान में सभी राज्यों को समान अधिकार नहीं दिये गये हैं, जैसे-असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम को अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार दिये गये हैं।
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान में केन्द्र और सज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को कितने भागों में बाँटा गया है? विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में केन्द्र और राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन भागों में बाँटा गया है
- संघ सूची,
- राज्य सूची,
- समवर्ती सूची।
1. संघ सूची:
संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इसमें वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है। इस सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार व मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं। सम्पूर्ण देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत होने के कारण इन विषयों को संघ सूची में रखा गया है।
2. राज्य सूची:
राज्य सूची में प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषयों को रखा गया है। इस सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल राज्य सरकारों को है। राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि एवं सिंचाई जैसे प्रान्तीय व स्थानीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं।
3. समवर्ती सूची:
समवर्ती सूची में वे विषय सम्मिलित हैं जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों को भी कानून बनाने का अधिकार प्रदान करते हैं। लेकिन जब दोनों (केन्द्र एवं राज्य) के कानूनों में टकराव हो तो केन्द्र सरकार द्वारा निर्मित कानून ही मान्य होता है। समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना एवं उत्तराधिकार जैसे विषय सम्मिलित हैं। जो विषय इनमें से किसी भी सूची में नहीं आते हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।.
प्रश्न 6.
भारत में संविधान संशोधन करके भारतीय लोकतन्त्र के स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली तथा प्रभावी बनाने हेतु क्या कदम उठाए गये?
अथवा
लोकतांत्रिक व्यवस्था के तीसरे स्तर को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में उठाए गए किन्हीं तीन कदमों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
तीसरे प्रकार की शासन व्यवस्था को अधिक प्रभावी और शक्तिशाली बनाने लिए 1992 में भारतीय संविधान’ में किए गए संशोधनों के किन्हीं तीन प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विकेन्द्रीकरण की दिशा में 1992 में क्या कदम लिया गया था?
उत्तर:
भारत में 1992 ई. में संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा भारतीय लोकतंत्र के स्थानीय स्वशासी निकायों को अधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी बनाने हेतु निम्नलिखित कदम उठाए गये
- अब स्थानीय स्वशासी निकायों के चुनाव 5 वर्ष में लिखित रूप से कराना संवैधानिक बाध्यता है।
- अब इन निकायों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों के निर्वाचन में अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं।
- कम से कम एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
- प्रत्येक राज्य में इन निकायों के चुनाव कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग’ नामक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया गया है।
- राज्य सरकारों को अपने राजस्व और अधिकारों का कुछ हिस्सा इन निकायों को देना पड़ता है। सत्ता में भागीदारी की प्रकृति प्रत्येक राज्य में अलग-अलग है।
प्रश्न 5.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण से क्या अभिप्राय है? विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच क्या है?
अथवा
भारत में विकेन्द्रीकरण लागू करने के औचित्य का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है:
- केन्द्रीय स्तर,
- राज्य स्तर,
- स्थानीय स्तर।
सत्ता के विकेन्द्रीकरण में प्रथम दो स्तरों केन्द्रीय स्तर व राज्य स्तर से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को प्रदान की जाती हैं। भारत में स्थानीय सरकारों को सन् 1992 में संविधान संशोधन के माध्यम से अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव हेतु चुनाव आयोग की व्यवस्था की गयी है। विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच
1. विकेन्द्रीकरण के पीछे बुनियादी सोच यह है कि अनेक मुद्दों एवं समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही अच्छे तरीके से हो सकता है। लोगों को अपने क्षेत्रों की समस्याओं की अच्छी समझ होती है। लोगों को इस बात की भी जानकारी होती है कि पैसा कहाँ खर्च किया जाए और चीजों का अधिक कुशलता से उपयोग किस तरह किया जा सकता है।
2. स्थानीय स्तर पर लोगों का नीतिगत फैसलों में सीधे भागीदार बनना भी सम्भव हो जाता है, इससे लोकतान्त्रिक भागीदारी की आदत पड़ती है। स्थानीय सरकारों की स्थापना स्वशासन के लोकतान्त्रिक सिद्धान्त को वास्तविक बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संघवाद क्या है? संघवाद की मुख्य विशेषताओं को लिखिए।
अथवा
संघीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
अथवा
संविधान की संघीय व्यवस्था क्या है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
‘संघीय शासन’ की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत किस प्रकार की संघीय व्यवस्था के अन्तर्गत आता है? इस प्रकार की संघीय व्यवस्था की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद-संघवाद सरकार की एक व्यवस्था है जिसमें सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण एवं उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के बीच बँट जाती है। आमतौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं फिर राज्य या प्रान्तों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन के दैनिक काम-काज को देखती हैं।
सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने स्तर पर स्वतन्त्र होकर अपना कार्य करती हैं। उदाहरणार्थ-भारत। संघीय शासन व्यवस्था/संघवाद की विशेषताएँ-प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सरकार के दो या अधिक स्तर:
संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केन्द्रीय प्राधिकरण और उसकी विभिन्न अनुषांगिक इकाइयों के मध्य बँट जाती है। सामान्यतः संघीय शासन व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। एक सरकार सम्पूर्ण देश के लिए होती है एवं दूसरी सरकार राज्य स्तर की होती है। भारत में सरकार का तीसरा स्तर स्थानीय स्वशासन भी है।
2. एक नागरिक समूह, अलग-अलग अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही नागरिक समूह पर शासन करती हैं, पर कानून बनाने, कर वसूलने एवं प्रशासन का उनका अपना-अपना अधिकार क्षेत्र होता है।
3. सुदृढ़ संविधान:
संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार स्वयं अकेले नहीं बदल सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों-केन्द्र व राज्य की सहमति से ही हो सकते हैं।
4. संविधान की सर्वोच्चता:
संविधान में सरकार के विभिन्न स्तरों के अधिकार क्षेत्र स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं इसलिए संविधान सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व एवं प्राधिकार की गारण्टी एवं सुरक्षा देता है।
5. दोहरे उद्देश्य:
संघीय शासन व्यवस्था के दोहरे उद्देश्य हैं-देश की एकता की सुरक्षा करना एवं उसे बढ़ावा देना। इसके साथ ही क्षेत्रीय विभिन्नताओं का पूर्ण सम्मान करना।
6. न्यायालयों के सर्वोच्च अधिकार:
न्यायालयों को संविधान और विभिन्न स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की सरकारों के मध्य अधिकारों के विवाद की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की भूमिका निभाता है।
7. वित्तीय स्वायत्तता:
संघीय शासन व्यवस्था में वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के भिन्न-भिन्न स्रोत निर्धारित हैं।
प्रश्न 2.
‘भारत एक संघीय देश है। उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
1. भारत एक संघीय देश है।’ इसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
- सत्ता का विभाजन:
भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से केन्द्र व राज्य सरकारों के मध्य विधायी अधिकारों को तीन सूचियों में बाँटता है। ये तीन सूचियाँ निम्नलिखित हैं - संघ सूची:
संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व के विषय हैं। पूरे देश के लिए इन मामलों में एक तरह की नीतियों की जरूरत है। इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में डाला गया है। संघ सूची में वर्णित विषयों के बारे में कानून बनाने का अधिकार केवल केन्द्र सरकार को है। - राज्य सूची:
राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य, कृषि और सिंचाई जैसे प्रान्तीय और स्थानीय महत्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित विषयों के बारे में सिर्फ राज्य सरकार ही कानून बना सकती है। - समवर्ती सूची:
समवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मजदूर संघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे विषय हैं, जो केन्द्र के साथ राज्य सरकारों की साझी दिलचस्पी में आते हैं।
2. त्रिस्तरीय व्यवस्था:
भारतीय संविधान में तीन स्तर की शासन व्यवस्थाओं का उल्लेख किया गया है:
- संघ सरकार, जिसे हम केन्द्र सरकार के नाम से जानते हैं।
- राज्य सरकारें।
- स्थानीय सरकारें।
किसी भी संघीय व्यवस्था की तरह हमारे देश में भी तीनों स्तरों की शासन व्यवस्थाओं के अपने अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं।
3. सभी प्रशासनिक इकाइयों को समान अधिकार नहीं:
सबको साथ लेकर चलने की नीति मानकर बनी अधिकांश बड़ी संघीय व्यवस्थाओं में साथी इकाइयों को बराबर के अधिकार नहीं मिलते। भारतीय संघ के सभी राज्यों को भी बराबर-बराबर के अधिकार नहीं मिले हैं। असम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश तथा मिजोरम जैसे कुछ राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त है।
4. सरकार के दोनों स्तरों की सहमति:
संघीय सरकार के अन्तर्गत संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल सकती और यह भारत के लिए भी सही है। अकेली संसद इस व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकती।
5. न्यायालय का क्षेत्र अधिकार:
संघीय शासन व्यवस्था में संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शक्तियों के बँटवारे के सम्बन्ध में कोई विवाद होने की हालत में फैसला उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है।
6. आय के विभिन्न साधन:
सरकार के संचालन एवं अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करने के लिए आवश्यक राजस्व की उगाही के सम्बन्ध में केन्द्र व राज्य सरकारों को विभिन्न प्रकार के कर लगाने एवं संसाधन जमा करने के अधिकार प्राप्त हैं।
प्रश्न 3.
स्थानीय शासन व्यवस्था के विभिन्न स्तर कौन-कौन से हैं? इसके गठन की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
पंचायती राज व्यवस्था की व्याख्या कीजिए। शहरों की स्थानीय शासन व्यवस्था का भी संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
स्थानीय शासन व्यवस्था गाँवों एवं शहरों दोनों पर स्थापित है। गाँवों में इसे पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। शहरों में नगरपालिका, नगर परिषद एवं नगर निगम जैसी संस्थाओं द्वारा इनका नेतृत्व किया जाता हैं।
1. ग्राम स्तर पर:
प्रत्येक गाँव या ग्राम समूह के लिए एक ग्राम पंचायत का प्रावधान किया गया है। यह एक तरह की परिषद् होती है जिसके कई सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है। सदस्य वार्डों से चुने जाते हैं तथा उन्हें सामान्यतया पंच कहा जाता है। इसके अध्यक्ष को सरपंच या प्रधान कहा जाता है। इसका चुनाव गाँव या वार्ड में रहने वाले सभी वयस्क लोग मतदान के माध्यम से करते हैं।
2. खण्ड स्तर पर:
कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर पंचायत समिति का गठन होता है। इसे मण्डल या प्रखण्ड स्तरीय पंचायत भी कहा जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव सम्बन्धित क्षेत्र के सभी पंचायत सदस्य करते हैं।
3. जिला स्तर पर:
किसी जिले की समस्त पंचायत समितियों को मिलाकर जिला परिषद् का गठन होता है। यह पंचायती राज की सर्वोच्च संस्था है। जिला परिषद् के अधिकांश सदस्यों का चुनाव होता है। जिला परिषद् के उस जिले से लोकसभा व राज्यसभा के लिए चुने गये सांसद, विधायक तथा जिला स्तर की संस्थाओं के कुछ अधिकारी भी इसके सदस्य होते हैं।
4. शहरी स्तर पर:
स्थानीय स्वायत्त संस्थाएँ शहरों में भी कार्य करती हैं। शहरों में जनसंख्या के आधार पर नगरपालिका, नगरपरिषद् एवं नगरनिगम का गठन किया गया है। इन संस्थाओं का काम-काज निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। नगरपालिका के अध्यक्ष को नगरपालिका अध्यक्ष, नगर परिषद् में सभापति एवं नगर निगम में इन्हें मेयर (महापौर) कहा जाता है।