JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन
बहुविकल्पीय
प्रश्न 1.
सन् 2006 में अप्रैल माह में नेपाल में एक विलक्षण जन आन्दोलन उठ खड़ा हुआ, जिसका उद्देश्य था
(क) राजतन्त्र स्थापित करना
(ख) लोकतन्त्र स्थापित करना
(ग) माओवादी शासन लाना
(घ) राजा को पद से हटाना
उत्तर:
(ख) लोकतन्त्र स्थापित करना
2. नेपाल में सर्वप्रथम लोकतन्त्र किस वर्ष स्थापित हुआ
(क) 1955 ई.
(ख) 1959 ई.
(ग) 1989 ई.
(घ) 1990 ई.
उत्तर:
(घ) 1990 ई.
3. नेपाल में लोकतन्त्र की स्थापना कब हुई?
(क) 2006 में
(ख) 2007 में
(ग) 2008 में
(घ) 2015 में
उत्तर:
(ग) 2008 में
4. नेपाल के लोकतान्त्रिक आन्दोलन तथा बोलिविया के जल युद्ध के बीच समानता थी
(क) राष्ट्रीय भागीदारी की
(ख) जनता की लामबंदी की
(ग) अहिंसक आन्दोलन की
(घ) हिंसा की अधिकता की
उत्तर:
(ख) जनता की लामबंदी की
5. निम्न में से किस देश में उठे लोकतन्त्र के आन्दोलन का विशेष उद्देश्य था राजा को अपने आदेशों को वापस लेने के लिए बाध्य करना
(क) नेपाल
(ख) चीन
(ग) भारत
(घ) श्रीलंका
उत्तर:
(क) नेपाल
6. दबाव समूह सरकारी नीतियों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
(क) संगठन द्वारा
(ख) एकजुटता द्वारा
(ग) नियन्त्रण द्वारो
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) एकजुटता द्वारा
7. किस नदी पर बनाये जा रहे सरदार सरोवर बाँध के कारण लोग विस्थापित हुए हैं
(क) चम्बल नदी
(ख) नर्मदा नदी
(ग) ताप्ती नदी
(घ) गंगा नदी
उत्तर:
(ख) नर्मदा नदी
8. ट्रेड यूनियन्स किस प्रकार का समूह है
(क) सामाजिक समूह
(ख) वर्ग विशेष समूह
(ग) संस्थागत समूह
(घ) अस्थायी समूह
उत्तर:
(ख) वर्ग विशेष समूह
9. निम्नलिखित में से सामाजिक समूह कौन-सा है?
(क) फिक्की
(ख) रामकृष्ण मिशन
(ग) सी. आई. आई.
(घ) इन्टक
उत्तर:
(ख) रामकृष्ण मिशन
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. नेपाल में लोकतंत्र……….ई. के दशक में स्थापित हुआ था।
उत्तर:
1990,
2. बोलिबिया का जलयुद्ध……….शहर में पानी की बढ़ी दरों के विरोध में हुआ।
उत्तर:
कोचबंबा,
3. बोलिबिया के जन-संघर्षों का नेतृत्व……….नामक.संगठन ने किया।
उत्तर:
फेडेकोर,
4. दबाव समूह एवं आन्दोलनों में लोकतंत्र की जड़ें………..हुई है।
उत्तर:
मजबूत।
अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नेपाल में विलक्षण जन आन्दोलन कब हुआ?
उत्तर:
नेपाल में विलक्षण जन आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में हुआ।
प्रश्न 2.
नेपाल में किस संघर्ष को लोकतन्त्र के लिए ‘दूसरा आन्दोलन’ कहा गया था?
उत्तर:
अप्रैल 2006 के लोकतन्त्र के संघर्ष को।
प्रश्न 3.
सेवेन पार्टी अलायंस (सप्तदलीय गठबंधन एस. पी. ए.) क्या था?
उत्तर:
नेपाल की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने मिलकर एक गठबंधन बनाया था जिसे सेवेन पार्टी अलायंस कहा गया।
प्रश्न 4.
नेपाल में सप्तदलीय गठबन्धन क्यों बनाया गया?
उत्तर:
नेपाल में लोकतन्त्र को पुनः स्थापित करने के लिए सप्तदलीय गठबन्धन बनाया गया।
प्रश्न 5.
नेपाल की जनता की क्या माँगें थीं?
उत्तर:
- संसद की पुनस्थ्थापना,
- सर्वदलीय सरकार का गठन,
- नयी संविधान सभा का गठन।
प्रश्न 6.
चीनी क्रान्ति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी माओवादी कहलाते हैं।
प्रश्न 7.
किस देश के लोगों का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोकतन्त्र प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है?
उत्तर:
नेपाल के लोगों का संघर्ष सम्पूर्ण विश्व के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है ।
प्रश्न 8.
बोलिविया सरकार ने किस शहर की जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिए।
उत्तर:
बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर की जलापूर्तिं के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिए।
प्रश्न 9.
जनवरी 2000 ई. में बोलिविया के लोगों ने संघर्ष क्यों किया?
उत्तर:
जनवरी 2000 ई. में बोलिविया के लोगों ने संघर्ष इसलिए किया क्योंकि सरकार ने कोचबंबा शहर में जल आपर्ति के अधिकार एक बहराष्टीय कम्पनी को बेच दिए।
प्रश्न 10.
बोलिविया जलयुद्ध का परिणाम क्या निकला?
उत्तर:
बोलिविया सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ करार रद्द कर दिया गया तथा जलापूर्ति पुनः नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें कायम कर दी गईं.।
प्रश्न 11.
फेडेकोर क्या है?
उत्तर:
फेडेकोर बोलिविया का एक संगठन है जिसे वहाँ के पेशेवर इंजीनियर एवं पर्यावरणवादियों ने गठित किया है। इसने बोलिविया में पानी के निजीकरण के विरोध में व्यापक संघर्ष किया था।
प्रश्न 12.
वर्ग विशेष हित समूह क्या हैं?
उत्तर:
वे हित समूह जो समाज के किसी एक वर्ग विशेष के हितों को बढ़ावा देते हैं, वर्ग विशेष हित समूह कहलाते हैं।
प्रश्न 13.
किस आन्दोलन के अन्तर्गत केन्या में तीन करोड़ वृद्ध लगाये गये?
उत्तर:
ग्रीनबेल्ट (हरितपट्टी आन्दोलन ) के अन्तर्गत।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
बोलिविया के जल युद्ध के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बोलिविया लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। विश्व बैंक के दबाव के कारण बोलिविया की सरकार ने नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। इस कम्पनी ने शीघ्र ही जल की कीमत चार गुना बढ़ा दी जिससे जन संघर्ष भड़क उठा। इस लोकप्रिय स्वतः स्फूर्त जन संघर्ष को बोलिविया के जल युद्ध के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 2.
बोलिविया के जल युद्ध का समापन किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
बोलिविया की सरकार ने विश्व बैंक के दबाव में जल आपूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया, जिसने जल की कीमत में चार गुना वृद्धि कर दी। इस वृद्धि के विरोध में लोग भड़क उठे। जनवरी 2000 ई. में बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियन्त्रण करने के लिए मार्शल लॉ लगा दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ीं। बोलिविया सरकार द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया गया तथा जलापूर्ति पुनः नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें लागू कर दी गईं।
प्रश्न 3.
नेपाल तथा बोलिविया आन्दोलन में क्या अन्तर था?
अथवा
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की असमानताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेपाल तथा बोलिविया आन्दोलन में निम्नलिखित अन्तर थे
- नेपाल में चले आन्दोलन का लक्ष्य लोकतन्त्र को स्थापित करना था, जबकि बोलिविया के जन संघर्ष में सरकार को जनता की माँग मानने के लिए बाध्य करना था।
- नेपाल में संघर्ष देश की राजनीति के आधार से सम्बन्धित था, जबकि बोलिविया का जन संघर्ष सरकार की एक विशेष नीति के खिलाफ था।
प्रश्न 4.
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की समानताएँ लिखिए।
उत्तर:
नेपाल तथा बोलिविया के जन संघर्षों की निम्नलिखित समानताएँ थीं
- नेपाल का आन्दोलन व बोलिविया का जलयुद्ध दोनों लोकतान्त्रिक आन्दोलन थे।
- दोनों देशों में हुए संघर्षों को सफलता प्राप्त हुई।
- दोनों देशों में हुए आन्दोलन विश्व के लोकतन्त्र प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं।
- दोनों देशों में हुए इन लोकतान्त्रिक संघर्षों में विभिन्न संगठनों की निर्णायक भूमिका रही।
प्रश्न 5.
बामसेफ क्या है? इसके प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
बामसेफ का पूरा नाम “बैकवर्ड एण्ड माइनॉरिटी कम्युनिटीज़ एम्पलाइज फेडरेशन” (BAMCEF) है। यह मुख्यतया सरकारी कर्मचारियों का एक संगठन है। बामसेफ के मुख्य उद्देश्य:
- यह संगठन जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है।
- यह संगठन जातिगत भेदभाव के विरुद्ध अपने सदस्यों की समस्याओं को देखता है।
- इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय एवं सम्पूर्ण समाज के लिए सामाजिक समानता को हासिल करना है।
प्रश्न 6.
“कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं?” इस कथन की व्याख्या उदाहरण देकर कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश आन्दोलन राजनीतिक दल से सम्बद्ध नहीं होते लेकिन उनका एक राजनीतिक पक्ष होता है आन्दोलनों की राजनीतिक विचारधारा होती है तथा बड़े मुद्दों पर उनका राजनीतिक पक्ष होता है। राजनीतिक दल एवं दबाव समूह के मध्य का सम्बन्ध कई रूप धारण कर सकता है। जिसमें कुछ प्रत्यक्ष होते हैं तो कुछ अप्रत्यक्षा कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप ले लेते हैं। उदाहरण के लिए, विदेशी लोगों के विरुद्ध विद्यार्थियों ने असम आन्दोलन चलाया। आन्दोलन की समाप्ति पर इस आन्दोलन ने ‘असम गण परिषद्’ नामक राजनीतिक दल का रूप ले लिया।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
नेपाल में लोकतान्त्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना किस प्रकार हुई? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
नेपाल में लोकतन्त्र के लिए दूसरा आन्दोलन’ की विवेचना कीजिए।
अथवा
नेपाल में ‘लोकतन्त्र के लिए दूसरा आन्दोलन’ के विभिन्न चरणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेपाल में 1990 ई. के दशक में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। नेपाल में औपचारिक रूप से राजा देश का प्रधान बना रहा लेकिन वास्तविक शक्ति का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता था। लोकतन्त्र के लिए नेपाल में दूसरा आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में प्रारम्भ हुआ।
इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना करना था। सप्तदलीय गठबन्धन (एस. पी. ए.) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद का किया, जिसमें माओवादी बागी व अन्य संगठन भी साथ हो लिए। 21 अप्रैल के दिन लगभग 3 से 5 लाख आन्दोलनकारियों ने राजा को अल्टीमेटम दे दिया। 24 अप्रैल 2006 को राजा ने आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें मान ली।
गिरिजा प्रसाद कोईराला को अन्तरिम सरकार का प्रधानमन्त्री बनाया गया। संसद की बहाली की गई, नई संविधान सभा के गठन की बात भी मान ली गयी। संसद ने विभिन्न कानून पारित कर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया गया। 2008 में राजतन्त्र की समाप्ति के साथ नेपाल संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य बना। इस प्रकार नेपाल में लोकतन्त्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना हुई।
प्रश्न 2.
बोलिविया में अचानक जन-आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे क्या कारण थे? इसके क्या परिणाम निकले?
अथवा
लोकतंत्र की जीवंतता में जन संघर्ष का अंदरूनी रिश्ता कैसे है? जल के लिए बोलिविया संघर्ष का उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
बोलिविया, लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। जल के लिए बोलिविया का संघर्ष लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित सरकार के निर्णय के विरुद्ध हुआ। विश्व बैंक के दबाव में वहाँ की सरकार ने नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। बहुराष्ट्रीय कम्पनी को कोचबंबा शहर में जलापूर्ति करनी थी। इस कम्पनी ने शीघ्र ही पानी की कीमतों में चार गुना तक वृद्धि कर दी। अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1,000 रुपये तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5,000 रुपये महीना है।
इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा पानी के बिलों में की गयी वृद्धि के विरोध में बोलिविया में एक स्वंतः स्फूर्त जन संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इस संघर्ष को बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना जाता है। जनवरी 2000 में सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियंत्रण करने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा तथा बोलिविया की सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ी।
प्रश्न 3.
नेपाल में लोक न्त्रिक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना एवं बोलिविया में जलयुद्ध की समस्या के समाधान में लामबंदी व संगठन ने क्या भूमिका निभायी?
उत्तर:
नेपाल में अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान सात दलों के गठबन्धन (एस.पी.ए.) ने किया था। इस विरोध प्रदर्शन में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) भी सम्मिलित थी जिसे संसदीय लोकतंत्र पर विश्वास नहीं था। यह पार्टी नेपाल की सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष चला रही थी और इसने नेपाल के एक बड़े हिस्से पर अपना नियंत्रण कर लिया था।
इसके अतिरिक्त इस स्वतंत्रता संघर्ष में नेपाल के मूलवासी लोगों के संगठन, शिक्षक, वकील व मानवाधिकार कार्यकर्ता भी सम्मिलित हो गये। वहीं दूसरी ओर बोलिविया के जल युद्ध का नेतृत्व फेडेकोर नामक संगठन ने किया। इस संगठन में इंजीनियर, र्यावरणवादी तथा स्थानीय कामकाजी लोग सम्मिलित थे। इस अभियान का समर्थन किसान संघ, कारखाना मजदूर संघ, विश्वविद्यालय के छात्र, बेघर लोगों का संगठन तथा सोशलिस्ट पार्टी ने भी किया था।
प्रश्न 4.
दबाव समूह क्या हैं? कुछ मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए होते हैं? उदाहरण सहित कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
दबाव-समूह से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
दबाव समूह: दबाव समूह ‘ऐसे संगठन होते हैं जो सरकार की नीति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के समान दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियन्त्रण करने अथवा उसमें हिस्सेदारी करने का नहीं होता है। दबाव समूह का निर्माण तब होता है, जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं। कुछ मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा इन दबाव समूहों का नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करते हैं।
उदाहरण: भारत के अधिकांश मजदूर संगठनों तथा छात्र संगठनों का निर्माण तो बड़े-बड़े राजनीतिक दलों द्वारा किया गया है अथवा ये संगठन राजनीतिक दलों से सम्बद्धता रखते हैं। ऐसे दबाव समूहों के अधिकांश नेता किसी-न-किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता व नेता होते हैं।
प्रश्न 5.
वर्ग विशेष के हित समूह एवं जन सामान्य के हित समूह में क्या अन्तर है?
अथवा
वर्ग हितकारी समूह तथा लोक कल्याणकारी समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ग विशेष के हित समूह (वर्ग हितकारी समूह) एवं जन सामान्य हित समूह (लोक कल्याणकारी समूह) में निम्नलिखित अन्तर हैं
- वह हितकारी समूह जो समाज के किसी विशेष वर्ग या समूह के हितों को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं, वर्ग विशेष के हित समूह कहलाते हैं, जबकि वे समूह जो समाज अथवा सामान्य हितों की बात करते हैं, जन सामान्य के हित समूह कहलाते हैं। .
- वर्ग विशेष के हित समूह समाज के एक वर्ग, जैसे- कर्मचारी, पेशेवर, उद्योगपति, जाति समूह अथवा किसी धर्म के अनुयायी आदि का प्रतिनिधित्व करता है जबकि जन सामान्य के हित समूह सम्पूर्ण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- वर्ग विशेष के हित समूह का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों की भलाई के लिए कार्य करना है; जबकि जन सामान्य के हित समूह अपने सदस्यों के साथ-साथ सम्पूर्ण समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं।
प्रश्न 6.
आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? आन्दोलन दबाव समूहों से किस प्रकार भिन्नता रखते हैं?
उत्तर:
आन्दोलन से आशय-किसी संस्था की सहायता अथवा उसके बिना सामाजिक, आर्थिक अथवा राजनीतिक समस्या के समाधान हेतु आरम्भ किया गया संघर्ष ही आन्दोलन कहलाता है।
दूसरे शब्दों में, कभी-कभी लोग बगैर संगठन बनाए अपनी मांगों के लिए एकजुट होने का फैसला करते हैं। ऐसे समूहों को आन्दोलन कहा जाता है। आन्दोलन एवं दबाव समूहों में अन्तर-आन्दोलन एवं दबाव समूहों में निम्नलिखित अन्तर हैंआन्दोलन समूह
आन्दोलन समूह | दबाव समूह |
1. आन्दोलन चुनावी मुकाबले में सीधी भागीदारी करने की बजाय राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। | 1. दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। |
2. आन्दोलन का संगठन ढीला-ढाला होता है। | 2. दबाव समूहों का संगठन मज़ूल होता है। |
3. आन्दोलन में निर्णय की प्रक्रिया अधिक औपचारिक व लचीली होती है। | 3. दबाव समूहों में एक प्रबल एवं औपचारिक निर्णय निर्माण प्रक्रिया होती है। |
4. आन्दोलन जनता की स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं। | 4. दबाव समूह स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर नहीं होते हैं। |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लोकतंत्र के लिए नेपालियों के जनसंघर्ष एवं बोलिविया के जलयुद्ध से आप क्या सामान्य निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
लोकतंत्र के लिए नेपाल के लोगों द्वारा किए गए जनसंघर्ष एवं बोलिविया के लोगों द्वारा जल के लिए किए गए जनसंघर्ष से हम निम्नलिखित सामान्य निष्कर्ष निकाल सकते हैं:
1. लोकतन्त्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास:
लोकतंत्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास होता है। यह भी संभव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ तथा ऐसे फैसलों के पीछे किसी प्रकार का संघर्ष न हो। फिर भी इसे अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र की निर्णायक घड़ी प्रायः वही होती है जब सत्ताधारी लोगों एवं सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वाले लोगों के मध्य संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
2. जनता की व्यापक लामबंदी से लोकतान्त्रिक संघर्ष का समाधान:
लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के माध्यम से होता है। कभी-कभी इस संघर्ष का समाधान वर्तमान संस्थाओं जैसे संसद अथवा न्यायपालिका के माध्यम से हो जाए लेकिन जब विवाद अधिक गहन हो जाए तो सरकार के संगठन भी उसका हिस्सा बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में समाधान इन संस्थाओं के माध्यम से नहीं बल्कि उनके बाहर अर्थात् जनता के माध्यम से होता है।
3. संगठित राजनीति:
इस प्रकार के संघर्ष एवं लामबंदियों का आधार राजनीतिक संगठन होते हैं। यद्यपि इस प्रकार की घटनाओं में स्वतः स्फूर्त होने का भाव भी कहीं तक मौजूद जरूर होता है लेकिन जनता की स्वतः स्फूर्त सार्वजनिक भागीदारी संगठित राजनीति के माध्यम से सफल हो जाती है। संगठित राजनीति के कई माध्यम हो सकते हैं ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल, दबाव समूह एवं आन्दोलनकारी समूह सम्मिलित हैं।
प्रश्न 2.
“दुनियाभर में लोकतन्त्र का विकास जन संघर्षों और आन्दोलनों से हुआ है।” इस कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
दुनियाभर में लोकतन्त्र का विकास जनसंघर्षों और आन्दोलनों से हुआ है। यह सत्य है। यह भी सम्भव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले जन सहमति से हो जाएँ और ऐसे फैसलों के पीछे किसी प्रकार का संघर्ष न हो फिर भी इसे अपवाद ही कहा जायेगा। लोकतन्त्र की निर्णायक घड़ी प्राय: वही होती है जब सत्ताधारियों एवं सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वाले लोगों के म य संघर्ष होता है। ऐसी समस्या तब आती है जब कोई देश लोकतन्त्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतन्त्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
उदाहरण:
1. नेपाल में लोकतन्त्र का आन्दोलन:
नेपाल में 1990 ई. के दशक में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। नेपाल में औपचारिक रूप से राजा देश का प्रधान बना रहा लेकिन वास्तविक शक्ति का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा किया जाता था। लोकतन्त्र के लिए नेपाल में दूसरा आन्दोलन अप्रैल 2006 ई. में प्रारम्भ हुआ।
इस आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना करना था। सप्तदलीय गठबन्धन (एस. पी. ए.) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद का आह्वान किया, जिसमें माओवादी बागी व अन्य संगठन भी साथ हो लिए। 21 अप्रैल के दिन लगभग 3 से 5 लाख आन्दोलनकारियों ने राजा को अल्टीमेटम दे दिया।
24 अप्रैल 2006 को राजा ने आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें मान ली। गिरिजा प्रसाद कोईराला को अन्तरिम सरकार का प्रधानमन्त्री बनाया गया। संसद की बहाली की गई, नई संविधान सभा के गठन की बात भी मान ली गयी। संसद ने विभिन्न कानून पारित कर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया। इस प्रकार नेपाल में लोकतन्त्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना हुई।
2. बोलिविया में जनसंघर्ष:
बोलिविया, लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। जल के लिए बोलिविया का संघर्ष लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित सरकार के निर्णय के विरुद्ध हुआ। विश्व बैंक के दबाव में वहाँ की सरकार ने नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। बहुराष्ट्रीय कम्पनी को कोचबंबा शहर में जलापूर्ति करनी थी। इस कम्पनी ने शीघ्र ही पानी की कीमतों में चार गुना तक वृद्धि कर दी। अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 1,000 रुपये तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5,000 रुपये महीना है।
इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा पानी के बिलों में की गयी वृद्धि के विरोध में बोलिविया में एक स्वतः स्फूर्त जन संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इस संघर्ष को बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना जाता है। जनवरी 2000 में सरकार ने कोचबंबा शहर में एक सामान्य हड़ताल पर नियंत्रण करने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा तथा बोलिविया की सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ी।
प्रश्न 3.
“हित समूह एवं आन्दोलन के प्रभाव सदैव सकारात्मक नहीं होते हैं बल्कि इनके प्रभाव नकारात्मक भी होते हैं।” कथन की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए। अथवा दबाव समूह, हित समूह तथा आन्दोलन के नकारात्मक तथा सकारात्मक प्रभाव होते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हित समूह एवं आन्दोलन के प्रभाव सदैव सकारात्मक नहीं होते हैं उनके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। जिनका विवरण निम्न प्रकार से है
नकारात्मक प्रभाव:
- ये किसी एक वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा करते हैं।
- कभी-कभी दबाव समूह का आन्दोलन राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर देता है।
- ये लोकतन्त्र के मूल ढाँचे को कमजोर करने का प्रयास करते हैं क्योंकि ये अक्सर किसी एक वर्ग अथवा किसी एक मुद्दे पर कार्य करते हैं जबकि लोकतंत्र केवल एक वर्ग के हितों की रक्षा नहीं करता बल्कि सभी वर्गों के कल्याण पर नजर रखता है।
- ये समूह सत्ता का उपयोग तो करना चाहते हैं किन्तु अपनी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं। राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता के समक्ष जाना पड़ता है। लेकिन ये समूह जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते।
- यह भी संभव है कि हित समूहों एवं आन्दोलनों में जनता से समर्थन प्राप्त न हो अथवा आर्थिक सहायता भी प्राप्त न हो। कभी-कभी ऐसा भी सम्भव हो सकता है कि हित समूहों में बहुत ही कम लोगों का समर्थन प्राप्त हो लेकिन उनके पास बहुत अधिक धन हो तथा इसके बल पर अपने संकुचित एजेंडे पर वे सार्वजनिक बहस का रुख मोड़ने में सफल हो जाएँ। सकारात्मक प्रभाव
- हित समूहों एवं आन्दोलनों के कारण लोकतन्त्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। शासकों के ऊपर दबाव डालना लोकतन्त्र में कोई अहितकारी गतिविधि नहीं है। बशर्ते इसका अवसर सभी को प्राप्त हो।
- सरकारें अक्सर कुछ धनी एवं ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जन सामान्य के हित समूह तथा आन्दोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका का निर्वाह करते हैं। इसके अतिरिक्त सामान्य जनता की आवश्यकताओं एवं सरोकारों से सरकार को अवगत कराते हैं।