JAC Board Class 10th Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन
→ लोकतंत्र एवं दबाव समूह
- लोकतंत्र में सत्ताधारी स्वच्छन्द नहीं हैं। वे अपने ऊपर पड़ने वाले प्रभाव एवं दबाव से मुक्त नहीं रह सकते।
- लोकतंत्र में प्रायः हितों एवं नजरियों के द्वन्द्व की अभिव्यक्ति संगठित तरीके से होती है। जिनके पास सत्ता होती है उन्हें परस्पर विरोधी माँगों एवं दबावों में संतुलन बैठाना पड़ता है।
→ नेपाल में जनसंघर्ष
- हमारे पड़ोसी देश नेपाल में लोकतन्त्र 1990 ई. के दशक में स्थापित हुआ था।
- फरवरी 2005 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ कर जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया।
- अप्रैल 2006 ई. में नेपाल में एक जन आन्दोलन हुआ जिसका उद्देश्य शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर पुनः जनता के हाथों में सौंपना था।
- संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने संयुक्त रूप से एक सप्तदलीय गठबन्धन (सेवेन. पार्टी अलायन्स एस.पी.ए.) का गठन किया तथा देश की राजधानी काठमांडू में चार दिवसीय बन्द. का आह्वान किया जो जल्द ही अनियतकालीन बन्द में परिवर्तित हो गया। आन्दोलनकारियों ने 21 अप्रैल का राजा को ‘अल्टीमेटम’ दे दिया।
- 24 अप्रैल, 2006 अल्टीमेटम का अंतिम दिन था। इस दिन राजा को जनता की तीन माँगों को मानना पड़ा। सप्तदलीय गठबंधन (एस. पी. ए.) ने गिरिजा प्रसाद कोईराला को अन्तरिम सरकार का प्रधानमन्त्री चुना।
- संसद को बहाल किया गया तथा इसने अपनी बैठक में कई कानून पारित किए जिसमें राजा की कई शक्तियों को वापस लेने का भी कानून था। इस संघर्ष को नेपाल के लोकतन्त्र के लिए ‘दूसरा आन्दोलन’ कहा गया।
- नेपाल 2008 में राजतन्त्र को समाप्त कर संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य बना तथा 2015 में यहाँ एक नया संविधान अंगीकार किया गया।
→ बोलिविया का जल युद्ध:
- बोलिविया एक गरीब लातिनी अमेरिकी देश है। विश्व बैंक ने बोलिवियाई सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जल की आपूर्ति से अपना नियन्त्रण छोड़ने हेतु दबाव बनाया।
- बोलिविया सरकार द्वारा कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेचने तथा उसके द्वारा पानी के मासिक बिल में अत्यधिक मात्रा में वृद्धि किये जाने के कारण जनता भड़क उठी। अन्त में सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा। इस आन्दोलन को ‘बोलिविया के जल युद्ध’ के नाम से जाना जाता है।
→ लोकतंत्र और जनसंघर्ष
- लोकतन्त्र का विकास जनसंघर्ष के माध्यम से होता है तथा लोकतान्त्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक गोलबंदी (लामबन्दी) के माध्यम से होता है।
- बोलिविया में पानी के निजीकरण के विरुद्ध संचालित आन्दोलन का नेतृत्व ‘फेडेकोर’ (FEDECOR) नामक संगठन ने किया था।
- बोलिविया की ‘सोशलिस्ट पार्टी’ ने भी इस आन्दोलन को समर्थन दिया। इस पार्टी ने 2006 में देश की सत्ता प्राप्त की।
→ दबाव समूह और आंदोलन
- जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एकजुट होते हैं तब दबाव समूह का निर्माण होता है।
- वर्ग विशेष के हित समूह समाज के किसी विशेष हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देते हैं जबकि जन-सामान्य के हित समूह या लोग कल्याणकारी समूह किसी विशेष हित की जगह सामूहिक हित का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- दबाव समूह एवं आन्दोलन अपने लक्ष्य एवं गतिविधियों के लिए जनता का समर्थन व सहानुभूति प्राप्त करने के लिए अनेक तरीके अपनाते हैं जिनमें सूचना अभियान चलाना, बैठकें आयोजित करना, मीडिया को प्रभावित करना, हड़ताल करना, सरकार के काम-काज में बाधा डालना, राजनीतिक दल बनाना व राजनीतिक दलों द्वारा अपने मुद्दे उठवाना आदि प्रमुख है।
- यद्यपि दबाव समूह और आन्दोलन समह दलीय राजनीति में स्पष्ट रूप से भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर प्रभाव डालते हैं। दबाव समूह एवं आन्दोलन से लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं।
- विभिन्न दबाव समूहों के सक्रिय रहने से कोई एक समूह समाज के ऊपर प्रभुत्व स्थापित नहीं कर सकता। इनसे सरकार को परस्पर विरोधी हितों के मध्य सामंजस्य बैठाना एवं शक्ति संतुलन करना सम्भव होता है।
→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. माओवादी: चीमी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा का अनुसरण करने वाले साम्यवादी। माओवादी श्रमिकों और किसानों के शासन को स्थापित करने के लिए सशस्त्र क्रांति के माध्यम से सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।
2. दबाव समूह: मान हित वाले लोगों के समूह को दबाव समूह के नाम से जाना जाता है। ये अपने हितों को प्राप्त करने के लिए सरकार पर दबाव डालते हैं।
3. हित समूह: समाज के किसी विशेष हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन।।