Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions व्याकरणम् सर्वनाम शब्दरूप प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 9th Sanskrit व्याकरणम् सर्वनाम शब्दरूप प्रकरणम्
1. भवत् (आप-प्रथम पुरुष) पुल्लिंग
(नोट-सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।)
‘भवत्’ के साथ सदैव प्रथम पुरुष को क्रिया प्रयोग की जाती है।
2. भवत् (आप) नपुंसकलिंग
नोट – शेष सभी विभक्तियों में ‘भवत्’ के ये रूप पुल्लिंग भवत्’ के समान ही चलेंगे।
3. भवत् (आप) स्त्रीलिंग
नोट – भवत्-ई-भवती के सम्पूर्ण रूप ‘नदी’ (दीर्घ कारान्त स्त्रीलिंग) के समान चलते हैं।
4. इदम् (यह) पुल्लिंग
5. इदम् (यह) नपुंसकलिंग
नोट-शेष सभी विभक्तियों में ‘इदम्’ के ये रूप पुल्लिंग ‘इदम्’ के समान ही चलेंगे।
6. इदम् (यह) स्त्रीलिंग
7. युष्मद् (तुम) शब्द
नोट-युष्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते
8. अस्मद् (मैं) शब्द
नोट- अस्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते
9. सर्व (सब) पुल्लिंग शब्द
10. सर्व (सब) स्त्रीलिंग शब्द
11. सर्व (सब) नपुंसकलिंग शब्द
नोट-शेष विभक्तियों के रूप पुल्लिंग ‘सर्व’ की तरह चलेंगे।
12. तत्/तद् (वह) पुल्लिंग शब्द
नोट-प्रथमा विभक्ति एकवचन को छोड़कर सभी रूपों का आधार ‘त’ अक्षर है तथा ‘सर्व’ शब्द के समान रूप हैं।
13. तत् / तद् (वह) स्त्रीलिंग शब्द
14. तत् / तद् (वह) नपुंसकलिंग
नोट – ‘तद्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के ये सभी रूप ‘तद्’ पुल्लिंग के समान चलतेहै।
15. यत् (जो) पुंल्लिग शब्द
नोट-इस ‘यत्’ शब्द का सभी लिंगों में, सभी विभक्तियों के रूप में ‘य’ आधार रहेगा तथा इसके ‘सर्व’ के समान ही रूप चलेंगे।
16. यत् (जो) स्त्रीलिंग शब्द
17. यत् (जो) नपुंसकलिंग शब्द
नोट-‘यत्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सम्पूर्ण रूप ‘यत्’ पुंल्लिंग के समान ही चलेंगे।
18.किम् (कौन) पुंल्लिंग शब्द
नोट-‘किम्’ शब्द के रूपों का मूल आधार सभी लिंगों एवं विभक्तियों में ‘क’ होता है तथा इसके रूप ‘सर्व’ शब्द के समान ही चलते हैं।
19. किम् (कौन) स्त्रीलिंग शब्द
20.किम् (कौन) नपुंसकलिंग शब्द
नोट – ‘किम्’ शब्द के नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सभी रूप ‘किम्’ पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।
21. ‘एतत्’ (यह) पुल्लिंग शब्द नोट-‘एतत्’ के सभी रूप ‘तत्’ शब्द में पूर्व में ‘ए’ जोड़कर ‘तत्’ के रूपों के समान ही चलते हैं।
22. ‘एतत्’ (यह) शब्द स्त्रीलिंग
23. ‘एतत्’ (यह) शब्द नपुंसकलिंग
नोट-शेष सभी विभक्तियों में रूप पुल्लिंग ‘एतत्’ की भाँति ही चलेंगे।
अभ्यास
प्रश्न: 1.
कोष्ठके प्रदत्तं निर्देशानुसारम् उचितविभक्तिपदेन रिक्तस्थानानां पूर्ति कुरुत
(कोष्ठक में दिये निर्देशानुसार उचित विभक्ति पद से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
- …………….. च एका दुहिता आसीत्।(तत्-स्त्रीलिंग षष्ठी)
- ……………….. विस्मयं गता।(तत्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
- ………… मम श्वश्रूः सदैव मर्मघातिभिः कटुवचनैराक्षिपति माम्। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथम)
- ………………. काकिणी अपि न दत्ता। (यत्-पुल्लिंग तृतीया)
- तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता। (तत्-पुल्लिंग पंचमी)
- ………………. मरालैः सह विप्रयोगः। (यत्-पुंल्लिग षष्ठी)
- …………. अनुकूले स्थिते शक्रोऽपि नास्मान् बाधितुं शक्नुयात्। (इदम्-पुंल्लिंग सप्तमी)
- तत् ………….. अस्मात् मनोरथमभीष्टं साधयामि। (अस्मद्-प्रथमा)
- किन्तु ……….. सह केलिभिः कोऽपि न उपलभ्यमानः आसीत्। (तत्-पुंल्लिंग तृतीया)
- अयि चटकपोत ! ….. मित्रं भविष्यसि। (अस्मद्-षष्ठी)
- अपूर्वः इव ते हर्षो ब्रूहि ……. असि विस्मितः। (किम्-पुंल्लिंग तृतीया)
- …………… कुले आत्मस्तवं कर्तुमनुचितम्। (अस्मद्-षष्ठी)
- तां च …………. चित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा देशान्तरं प्रस्थितः। (किम्-पुल्लिंग षष्ठी)
- वत्स! पितृव्योऽयं ………….. । (युष्मद्-षष्ठी)
- …………… अस्मि तपोदत्तः। (अस्मद्-प्रथमा)
- गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो …………… करणीयः। (अस्मद्-तृतीया)
- ………….. शब्दमवसुप्तस्तु जटायुरथ शुश्रुवे। (तत्-पुल्लिंग द्वितीया)
- वृद्धोऽहं …………. युवा धन्वी सरथः कवची शरी। (युष्मद्-प्रथमा)
- यतः ………………. स्थलमलापनोदिनी जलमलापहारिणश्च। (तत्-पुल्लिग प्रथमा)
- ……………. सर्वान् पुष्णाति विविधैः प्रकारैः। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
उत्तरम् :
- तस्याः
- सा
- इयम्
- येन
- तस्मात्
- येषाम्
- अस्मिन्
- अहम्
- तेन
- मम
- केन
- अस्माकं
- कस्य
- तव
- अहम्
- मया
- तम्
- त्वम्
- स:
- इयम्।
प्रश्न: 2.
कोष्ठकात् उचितविभक्तियुक्तं पदं चित्वा वाक्यपूर्तिः क्रियताम्
(कोष्ठक से उचित विभक्ति युक्त पद को चुनकर वाक्य की पूर्ति कीजिए-)
- नाऽहं जाने ……………… कोऽस्ति भवान्। (यत्, याभ्याम्, याः)
- सिकता: जलप्रवाहे स्थास्यन्ति ………………. ? (किम्, कानि, काषु)
- त्वया …………… पूर्वेषाम् अभीष्टाः कामाः पूरिताः। (आवाभ्याम्, अस्मत्, अहम्)
- प्रकृतिरेव ………………. विनाशकी सजाता। (तस्य, तयोः, तेषां)
- ………………. सर्वमिदानी चिन्तनीयं प्रतिभाति। (तत्, ते, तानि)
- भगवन् ! प्रष्टुमिच्छामि किम् ………………. मनः ? (इयं, अयं, इदम्)
- अशितस्यान्नस्य योऽणिष्ठः ……………… मनः। (तत्, तम्, तासाम्)
- बालिका ………………. निवारयन्ती। (तस्मै, ताभ्याम्, तम्)
- परं ………………. माता एकाकिनी वर्तते। (तव, तयोः, तेषु)
- …………………. अपि चायपेयस्य नास्ति। (इदम्, इदानीम्, अयम्)
- यत् ……………. अपि कथनीयं यां प्रत्येव कथय। (किम्, कौ, कानि)
- ………………. नृशंसाः । (मह्यम्, अस्मत्, वयम्)
- …………. इदानीं कुत्र गताः ? (ते, ताभ्याम्, तेभ्यः)
- कल्पतरुः ………….. उद्याने तिष्ठति स तव सदा पूज्यः। (तव, तेभ्यः, तस्मै)
- विषाक्तं जलं नद्यां निपात्यते …………….. मत्स्यादीनां जलचराणां च नाशो जायते। (येन, याभ्यां, याषु)
उत्तरम् :
- यत्
- किम्
- अस्मत्
- तेषां
- तत्
- इदम्
- तत्
- तम्
- तव
- इदानीम्
- किम्
- वयम्
- ते
- तव
- येन।