Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. प्राजैक्ट टाइगर का उद्देश्य क्या था?
(A) शेरों का शिकार करना
(B) अवैध शिकार को रोक कर शेरों की सुरक्षा
(C) शेरों को चिड़ियाघरों में रखना
(D) शेरों पर चित्र बनाना।
उत्तर:
(B) अवैध शिकार को रोककर शेरों की सुरक्षा।
2. नन्दा देवी जीव आरक्षण क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) बिहार
(B) उत्तराखण्ड
(C) उत्तर प्रदेश
(D) उड़ीसा।
उत्तर:
(B) उत्तराखण्ड।
3. संदल किस प्रकार के वन की लकड़ी है?
(A) सदाबहार
(B) डैल्टा वन
(C) पतझड़ीय
(D) कंटीले वन।
उत्तर:
(C) पतझड़ीय।
4. IUCN द्वारा कितने जीव आरक्षण स्थल मान्यता प्राप्त है?
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
उत्तर:
(D) 4
5. वन नीति के अधीन वन क्षेत्र का लक्ष्य कितना था?
(A) 33%
(B) 53%
(C) 44%
(D) 22%.
उत्तर:
(A) 33%.
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति क्या है? जलवायु की किन परिस्थितियों में ऊष्ण कटिबन्धीय वन उगते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस पौधा समुदाय से है जो लम्बे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है। इसकी विभिन्न प्रजातियां मृदा व जलवायु के अनुसार पनपती हैं। उष्ण कटिबन्धीय वन-ये वन उष्ण एवं आई प्रदेशों में उगते हैं। यहां वार्षिक वर्षा 200 सें० मी० से अधिक तथा औसत वार्षिक तापमान 22°C से अधिक रहता है। इससे कम वर्षा तथा तापमान में उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन मिलते हैं।
प्रश्न 2.
जलवायु की कौन-सी परिस्थितियां सदाबहार वन उगने के लिए अनुकूल हैं?
उत्तर:
- वार्षिक वर्षा 200 सें० मी०
- औसत वार्षिक तापमान 22°C. ये दशाएं भूमध्य रेखीय जलवायु में मिलती हैं।
प्रश्न 3.
सामाजिक वानिकी से आपका क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का अर्थ है- पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद करने के उद्देश्य से वनों का प्रबन्ध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनारोपण। इसका उद्देश्य है ग्रामीण जनसंख्या के लिए ज्लावन छोटी इमारती लकड़ी और छोटे-छोटे वन उत्पादों की पूर्ति करना।
प्रश्न 4.
जीवमण्डल निचय को परिभाषित करें, वन क्षेत्र और वन आवरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जीवमण्डल निचय आरक्षित क्षेत्र (Bioreserves) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय पारिस्थितिक तन्त्र हैं जिन्हें UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त है। वन क्षेत्र और वन आवरण एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न हैं। वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र हैं चाहे वहां वृक्ष हो या न हो। वन आवरण वास्तविक रूप से वनों से ढका प्रदेश है। सन् 2001 में भारत में वन आवरण, 20.55% था, परन्तु इनमें 12.6% सघन तथा 7.8% विरल वन थे।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दोप्रश्न
प्रश्न 1.
वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
जनसंख्या के अत्यधिक दबाव तथा पशुओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण वन सम्पदा का संरक्षण आवश्यक है। वन संरक्षण कृषि एवं चराई के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता के कारण आवश्यक है। इसके लिए वनवर्द्धन के उत्तम तरीकों को अपनाया जा रहा है। तेज़ी से उगने वाले पौधों की जातियों को लगाया जा रहा है। घास के मैदानों का पुनर्विकास किया जा रहा है। वन क्षेत्रों का विस्तार किया जा रहा है।
वनों का जीवन तथा पर्यावरण के साथ जटिल सम्बन्ध है, वन संरक्षण के लिए कई कदम उठाए गए हैं:
- वन नीति-1952 तथा 1988 में वन संरक्षण हेतु वन नीति लागू की गई।
- वन संसाधनों का सतत्-पोषणीय विकास किया जाएगा तथा स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
- देश में 33% वन लगाने के यत्न किए जा रहे हैं।
- वनों में जैव विविधता तथा पारिस्थितिक सन्तुलन कायम रखा जाएगा।
- मृदा अपरदन तथा बाढ़ पर नियन्त्रण।
- सामाजिक वानिकी तथा वनरोपण द्वारा वन आवरण का विस्तार हो रहा है।
- वनों की उत्पादकता को बढ़ाया जा रहा है।
प्रश्न 2.
वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
वन संरक्षण में लोगों की भागीदारी द्वारा सामाजिक वानिकी की विचारधारा का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की संस्थाएं तथा महिलाएं योगदान दे रही हैं।
1. 1976 के राष्ट्रीय कृषि आयोग ने पहले-पहल ‘सामाजिक वानिकी’ शब्दावली का प्रयोग किया था। इसका अर्थ है-ग्रामीण जनसंख्या के लिए जलावन, छोटी इमारती लकड़ी और छोटे-छोटे वन उत्पादों की आपूर्ति करना।
2. अधिकतर राज्यों में वन विभागों के अन्तर्गत सामाजिक वानिकी के अलग से प्रकोष्ठ बनाए गए हैं।
3. सामाजिक वानिकी के मुख्य रूप से तीन अंग हैं: कृषि वानिकी किसानों को अपनी भूमि पर वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करना, वन-भूखण्ड (वुडलाट्स) वन विभागों द्वारा लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सड़कों, के किनारे, नहर के तटों तथा ऐसी अन्य सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण, सामुदायिक वन-भूखण्ड लोगों द्वारा स्वयं बराबर की हिस्सेदारी के आधार पर भूमि पर वृक्षारोपण।
4. यह लोगों की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कार्यक्रम के स्थान पर किसानों का धनोपार्जन कार्यक्रम बन गया।
प्राकृतिक वनस्पति JAC Class 11 Geography Notes
→ वन-एक प्राकृतिक साधन (Forests-A Natural Resource): वन एक नदी की भाँति बहुमुखी। संसाधन हैं। किसी देश का आर्थिक विकास वनों के उपयोग पर निर्भर करता है। जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति-जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति में घना सम्बन्ध है। विभिन्न प्रकार के वन-सदाबहार, पतझड़ीय, शुष्क; सभी वन तापमान तथा वर्षा पर निर्भर करते हैं।
→ वनों की महत्ता (Importance of Forests):
- वन हमें भोजन सम्बन्धी वस्तुएं प्रदान करते हैं।
- इनसे लकड़ी प्राप्त होती है।
- वन विश्व का 40% ईंधन प्रदान करते हैं। लकड़ी का प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जैसे घरों में ईंधन, प्रगलन उद्योगों में तथा रेल इंजनों में।
- नर्म लकड़ी, लकड़ी की लुग्दी कागज़, रेयॉन उद्योग के लिये कच्चा माल, प्रदान करती है।
- वन वायु में नमी ग्रहण करके वर्षा लाने में सहायता करते हैं।
- वन मिट्टी अपरदन तथा बाढ़ को रोकते हैं।
- ये मरुस्थलों को बढ़ने से रोकते हैं।
→ भारत में वनों के प्रकार (Types of Forests in India): भारत में वर्षा, तापमान तथा ऊंचाई की विभिन्नता होने के कारण विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं
- उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन
- पतझड़ीय वन
- शुष्क वन
- ज्वारीय वन
- पर्वती वन।
→ वनों का ह्रास (Depletion of Forests): निम्नलिखित कारणों द्वारा उत्तम वनों का विशाल क्षेत्रों पर ह्रास हुआ है
- विशाल पैमाने पर वन क्षेत्र की कटाई
- स्थानान्तरी कृषि
- भारी मृदा अपरदन
- चरागाहों की अत्यधिक चराई
- लकड़ी तथा ईंधन के लिये वनों की कटाई
- भूमि का मानव के लिये प्रयोग।
→ वनों का संरक्षण (Conservation of Forests): देश के वन संसाधनों पर जनसंख्या का भारी दबाव है। बढ़ती। हुई जनसंख्या को कृषि योग्य भूमि की अधिक आवश्यकता है। इसलिए वन संरक्षण उपाय आवश्यक हैं।
→ वृक्षारोपण का विभिन्न क्षेत्रों में विकास हुआ है। घास के मैदानों का विकास किया गया है। रेशम के कीड़े पालने के विकसित तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है। तेज़ी से बढ़ने वाले पौधों को लगाया जा रहा है। वनों । के अन्तर्गत क्षेत्रों में वृद्धि की गई है। राष्ट्रीय वन नीति-1988 की राष्ट्रीय वन नीति ने वनों का संरक्षण, पुनः विकास किया है। इसका उद्देश्य वातावरण, का संरक्षण तथा पारिस्थितिक सन्तुलन बनाये रखना है। इसके अन्य उद्देश्य सामाजिक वाणिकी तथा वन उत्पादन में वृद्धि करना है।