Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 14 महासागरीय जल संचलन
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए।
1. महासागरों में लवणता की मात्रा को प्रभावित करने वाला अधिक महत्त्वपूर्ण कारक कौन-सा है?
(A) धाराएं
(B) प्रचलित पवनें
(C) वाष्पीकरण की मात्रा
(D) जल का मिश्रण।
उत्तर;
(C) वाष्पीकरण की मात्रा।
2. संसार में औसत सागरीय लवणता कितनी है?
(A) 35 प्रति हज़ार ग्राम
(B) 210 प्रति हजार ग्राम
(C) 16 प्रति हजार ग्राम
(D) 112 प्रति हज़ार ग्राम।
उत्तर:
(A) 35 प्रति हजार ग्राम।
3. निम्नलिखित में से किस सागर में सबसे अधिक लवणता पाई जाती है?
(A) लाल सागर
(B) बाल्टिक सागर
(C) मृत सागर
(D) रूम सागर।
उत्तर:
(C) मृत सागर।
4. निम्नलिखित में से प्रशान्त महासागर में चलने वाली धारा कौन-सी है?
(A) मडगास्कर धारा
(B) खाड़ी की धारा
(C) क्यूरोसिवो धारा
(D) लैब्रेडार धारा।
उत्तर:
(C) क्यूरोसिवो धारा।
5. महासागरीय जल की लवणता मुख्यतः निर्भर करती है:
(A) वाष्पीकरण की मात्रा पर
(B) मीठे जल की आपूर्ति पर
(C) महासागरीय जल के परस्पर मिश्रण पर
(D) वाष्पीकरण की मात्रा और मीठे जल की आपूर्ति के बीच अन्तर पर ।
उत्तर:
(A) वाष्पीकरण की मात्रा पर।
6. कलासागर में लवणता का मध्यमान है:
(A) 170 प्रति हज़ार
(B) 18 प्रति हज़ार
(C) 40 प्रति हज़ार
(D) 330 प्रति हज़ार।
उत्तर:
(B) 18 प्रति हज़ार।
7. विषुवतीय क्षेत्र में सामान्यतः लवणता कम होती है, क्योंकि यहां
(A) वाष्पीकरण अधिक होता है।
(B) वर्षा अधिक होती है
(C) बड़ी-बड़ी नदियां आकर गिरती हैं।
(D) वाष्पीकरण की मात्रा की तुलना में मीठे जल की आपूर्ति अधिक होती है।
उत्तर;
(A) वाष्पीकरण अधिक होता है।
8. महासागरीय धाराओं का प्रमुख कारण है:
(A) पवन की क्रिया
(B) महासागरीय जल के घनत्व में अन्तर
(C) पृथ्वी का घूर्णन
(D) स्थलखण्डों की रुकावट ।
उत्तर:
(A) पवन की क्रिया।
9. तटीय भागों में टूटती हुई तरंगों को क्या कहते हैं?
(A) स्वेल
(B) सी
(C) सर्फ
(D) बैकवाश।
उत्तर:
(C) सर्फ।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
महासागरीय जल के तापन की मुख्य क्रियाएं बताओ।
उत्तर:
विकिरण तथा संवहन।
प्रश्न 2.
ज्वार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: लघु ज्वार, बृहत् ज्वार।
प्रश्न 3.
महासागरों में लवणता के स्रोत बताओ।
उत्तर: नदियां, लहरें , ज्वालामुखी , रासायनिक क्रियाएं।
प्रश्न 4.
सागरीय जल के प्रमुख लवण बताओ।
उत्तर:
- सोडियम क्लोराइड
- मैग्नेशियम क्लोराइड
- मैग्नेशियम सल्फेट
- कैल्शियम सल्फेट
- पोटाशियम सल्फेट।
प्रश्न 5.
महासागरीय जल की तीन गतियां बताओ।
उत्तर: तरंगें , धाराएं, ज्वार-भाटा।
प्रश्न 6.
तरंग के दो भाग बताओ
उत्तर:
शीर्ष तथा गर्त।
प्रश्न 7.
तरंगों के तीन मुख्य प्रकार बताओ।
उत्तर: सर्फ, स्वैश, अधः प्रवाह
प्रश्न 8.
बृहत् ज्वार कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
अमावस्या तथा पूर्णिमा के दिन
प्रश्न 9.
लघु ज्वार कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
कृष्ण तथा शुक्ल अष्टमी के दिन।
प्रश्न 10.
भूमध्य रेखा 40° तथा 60° अक्षांश पर महासागरीय जल का तापमान कितना होता है?
उत्तर:
- भूमध्य रेखा – 26°C
- 40°C अक्षांश – 14°C
- 60°C अक्षांश -1°C
प्रश्न 11.
प्लावी हिमशैल (Icebergs) के दो स्रोत बताओ।
उत्तर:
अलास्का तथा ग्रीनलैंड
प्रश्न 12.
घिरे हुए तीन सागरों के नाम तथा लवणता लिखो।
उत्तर:
- ग्रेट साल्ट झील – 220 प्रति हज़ार
- मृत सागर – 240 प्रति हज़ार
- वान झील – 330 प्रति हज़ार
प्रश्न 13.
अन्ध महासागर में सबसे महत्त्वपूर्ण गर्म धारा कौन-सी है?
उत्तर:
खाड़ी की धारा
प्रश्न 14.
जापान के पूर्वी तट पर कौन- सी गर्म धारा बहती है?
उत्तर:
क्यूरोशियो।
प्रश्न 15.
ज्वार-भाटा के उत्पन्न होने के मुख्य कारण लिखो।
उत्तर:
चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति।
प्रश्न 16.
महासागरों में मिलने वाले दो प्रमुख लवण तथा उनकी मात्रा लिखो।
उत्तर:
- सोडियम क्लोराइड = 77.7%,
- मैग्नेशियम क्लोराइड = 10.9%
प्रश्न 17.
भूमध्य रेखा के समीप महासागरीय लवणता कम क्यों होती है?
उत्तर:
अधिक वर्षा के कारण
प्रश्न 18.
काला सागर में लवणता क्यों कम है?
उत्तर:
अनेक नदियों से स्वच्छ जल की प्राप्ति।
प्रश्न 19.
लाल नागर में अधिक लवणता के दो कारण लिखो।
उत्तर:
नदियों का अभाव तथा अधिक वाष्पीकरण।
प्रश्न 20.
‘सर्फ’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
तटीय क्षेत्रों में टूटती हुई तरंग को सर्फ कहते हैं
प्रश्न 21.
ज्वार की ऊंचाई सर्वाधिक कहां होती है?
उत्तर:
फंडी की खाड़ी (नोवास्कोशिया) 15 से 18 मीटर।
प्रश्न 22.
न्यू फाउंडलैंड के निकट कोहरा क्यों उत्पन्न होता है?
उत्तर:
लैब्रोडोर की ठण्डी धारा तथा खाड़ी की गर्म धारा के मिलने से।
प्रश्न 23.
प्रशान्त महासागर की दो ठण्डी धाराओं के नाम बताओ।
उत्तर:
- पेरू की धारा,
- कैलीफोर्निया की धारा।
प्रश्न 24.
महासागरों में औसत लवणता कितनी है?
उत्तर:
35 प्रति हज़ार ग्राम।
प्रश्न 25.
कालाहारी मरुस्थल के पश्चिमी तट पर कौन-सी धारा बहती है?
उत्तर:
बेंगुएला धारा।
प्रश्न 26.
दो ज्वारों के बीच कितने समय का अन्तर होता है?
उत्तर:
12 घण्टे 26 मिनट।
प्रश्न 27.
दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर दक्षिण की ओर कौन-सी धारा बहती है?
उत्तर;
हम्बोल्ट ठण्डी धारा।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
महासागरीय जल धाराओं की सामान्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
- जलधाराएं निरन्तर एक निश्चित दिशा में प्रवाह करती हैं।
- निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों की ओर बहने वाली धाराओं को गर्म जल- – धाराएं कहते हैं।
- उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहने वाली धाराओं को ठण्डी जल- धाराएं कहते हैं।
- उत्तरी गोलार्द्ध की जल- धाराएं अपनी दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध की जल- धाराएं अपने बाईं ओर मुड़ जाती हैं।
- निम्न अक्षांशों में पूर्वी तटों पर गर्म जल – धाराएं तथा पश्चिमी तटों पर ठण्डी जल- धाराएं बहती हैं।
- उच्च अक्षांशों में पश्चिमी तटों पर गर्म जल – धाराएं और पूर्वी तटों पर ठण्डी जल-धाराएं बहती हैं।
प्रश्न 2.
प्लावी हिम- शैल किसे कहते हैं? इनके स्रोत बताओ।
उत्तर:
प्लावी हिम शैल (Icebergs):
तैरते हुए हिमखण्डों के बहुत बड़े पिण्डों को प्लावी हिम शैल कहते हैं। ये हिमखण्डों से टूट कर महासागर में अलग तैरते हैं। इनका 1/10 भाग ही जलस्तर के ऊपर दिखाई देता है। उत्तरी अन्धमहासागर में इनकी अधिक संख्या है। ये अधिकतर ग्रीनलैण्ड की हिमानियों से उत्पन्न होते हैं। अलास्का तथा अंटार्कटिका हिम चादर से भी हिमशैल टूटते हैं। ये नौका संचालन के लिए खतरनाक हैं तथा कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
प्रश्न 3.
साउथैम्पन ( इंग्लैण्ड) के तट पर प्रतिदिन चार बार ज्वार क्यों आते हैं?
उत्तर:
सामान्यतः ज्वार प्रतिदिन दो बार आते हैं । परन्तु साउथैम्पन (इंग्लैण्ड के दक्षिणी तट) पर ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं। यह प्रदेश इंग्लिश चैनल द्वारा उत्तरी सागर तथा अन्धमहासागर को जोड़ता है। दो बार ज्वार अन्धमहासागर की ओर से आते हैं तथा दो बार ज्वार उत्तरी सागर की ओर से आते हैं।
प्रश्न 4.
हुगली नदी में नौका संचालन के लिए ज्वार भाटा का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
ऊंचे ज्वार आने पर नदियों के मुहाने पर जल अधिक गहरा हो जाता है। इस प्रकार बड़े-बड़े जलयान नदी में कई मील भीतर तक प्रवेश कर जाते हैं। कोलकाता हुगली नदी के किनारे समुद्रतट से 120 कि० मी० दूर स्थित है, परन्तु हुगली नदी में आने-जाने वाले ज्वार के कारण ही जलयान कोलकाता तक पहुँच पाते हैं।
प्रश्न 5.
ज्वारीय भित्ति किसे कहते हैं? इसके क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
ज्वारीय भित्ति (Tidal Bare ):
नदियों के मुहाने पर पानी की ऊंची, खड़ी दीवार को ज्वारीय भित्ति कहते हैं। जब ज्वार उठता है तो पानी की एक धारा नदी घाटी में प्रवेश करती है। यह लहर नदी के जल को विपरीत दिशा में बहाने का प्रयत्न करती है। ज्वारीय लहर की ऊंचाई बढ़ जाती है तथा पानी का बहाव उलट जाता है। हुगली नदी में ज्वारीय भित्ति के कारण छोटी नावों को बहुत हानि पहुंचती है।
प्रश्न 6.
दीर्घ ज्वार तथा लघु ज्वार का अन्तर बताओ।
उत्तर:
दीर्घ ज्वार (Spring Tide ):
सबसे अधिक ऊंचे ज्वार को दीर्घ ज्वार कहते हैं। यह स्थिति अमावस (New moon) तथा पूर्णमासी (Full moon) के दिन होती है।
कारण:
इस स्थिति में सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीध में होते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा की संयुक्त आकर्षण शक्ति बढ़ जाने से ज्वार शक्ति बढ़ जाती है। सूर्य तथा चन्द्रमा के कारण ज्वार उत्पन्न हो जाते हैं। (Spring tide is the sum of Solar and Lunar tides.) इन दिनों ज्वार अधिकतम ऊंचा तथा भाटा से कम नीचा होता है । दीर्घ ज्वार प्रायः साधारण ज्वार की अपेक्षा 20% अधिक ऊंचा होता है।
लघु ज्वार (Neap tide ): अमावस के सात दिन पश्चात् या पूर्णमासी के सात दिन पश्चात् ज्वार की ऊंचाई अन्य दिनों की अपेक्षा नीची रह जाती है। इसे लघु ज्वार कहते हैं।
इस स्थिति को शुक्ल और कृष्ण पक्ष की अष्टमी कहते हैं। जब आधा चांद (Half moon) होता है।
कारण:
इस स्थिति में सूर्य तथा चन्द्रमा पृथ्वी से समकोण स्थिति ( At Right Angles) पर होते हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति विपरीत दिशाओं में कार्य करती हैं। सूर्य तथा चन्द्रमा के ज्वार तथा भाटा एक-दूसरे को घटाते हैं। (Neap tide is the difference of solar and Lunar tides.) इन दिनों उच्च ज्वार कम ऊंचा तथा भाटा कम नीचा होता है। लघु ज्वार प्रायः साधारण ज्वार की अपेक्षा 20% कम ऊंचा होता है।
प्रश्न 7.
ज्वार प्रतिदिन 50 मिनट विलम्ब से क्यों आते हैं
उत्तर:
ज्वार भाटा का नियम (Law of Tides ):
किसी स्थान पर ज्वार भाटा नित्य एक ही समय पर नहीं आता। कारण (Causes) चन्द्रमा पृथ्वी के इर्द-गिर्द 29 दिन में पूरा चक्कर लगाता है। चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर का 29वां भाग हर रोज़ आगे बढ़ जाता है। इसलिए किसी स्थान को चन्द्रमा के सामने दोबारा आने में 24 घण्टे से कुछ अधिक ही समय लगता है।
दूसरे शब्दों में प्रत्येक 24 घण्टों के पश्चात् चन्द्रमा अपनी पहली स्थिति से लगभग 13° (360/29 = 12.5°) आगे चला जाता है, इसलिए किसी स्थान को चन्द्रमा के ठीक सामने आने में 12.5 x 4= 50 मिनट अधिक लग जाते हैं। क्योंकि दिन में दो बार ज्वार आता है इसलिए प्रतिदिन ज्वार 25 मिनट देर के अन्तर से अनुभव किया जाता है। पूरे 12 घण्टे के बाद पानी का चढ़ाव देखने में नहीं आता, परन्तु ज्वार 12 घण्टे 25 मिनट बाद आता है। 6 घण्टे 13 मिनट तक जल चढ़ाव पर रहता है और उसके पश्चात् 6 घण्टे 13 मिनट तक जल उतरता रहता है। ज्वार के उतार-चढ़ाव का यह क्रम बराबर चलता रहता है।
प्रश्न 8.
ज्वार भाटा के लाभ तथा हानियों का वर्णन करो।
उत्तर:
- ज्वार भाटा के लाभ (Advantages):
- ज्वार-भाय समुद्री तटों को स्वच्छ रखते हैं। ये उतार के समय कूड़ा-कर्कट तथा कीचड़ को साथ बहाकर ले जाते हैं।
- ज्वार-भाटा की हलचल के कारण समुद्री जल जमने नहीं पाता।
- ज्वार के समय नदियों के मुहानों पर जल की गहराई बहुत बढ़ जाती है। जिससे बड़े – बड़े जहाज़ सेंट लारेंस, हुगली, हडसन नदी में प्रवेश कर सकते हैं। ज्वार भाटे के समय को प्रकट करने के लिए टाइम टेबल बनाए जाते हैं।
- ज्वार-भाटा के लौटते हुए जल से जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है। इस शक्ति का उपयोग करने के लिए फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रयत्न किए गए हैं।
- ज्वार-भाटा के कारण बहुत-सी सीपियां, कौड़ियां आदि वस्तुएं तट पर जमा हो जाती हैं। कई समुद्री जीव तटों पर पकड़े जाते हैं।
- ज्वार-भाटा बन्दरगाहों की अयोग्यता को दूर करते हैं तथा आदर्श बन्दरगाहों को जन्म देते हैं। कम गहरे बन्दरगाहों में बड़े-बड़े जहाज़ ज्वार के साथ प्रवेश कर जाते हैं तथा भाटा के साथ वापस लौट आते हैं, जैसे- कोलकाता, कराची, लन्दन।
- ज्वार-भाटय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सरल, सुगम तथा निरन्तर रखते हैं।
- हानियां (Disadvantages):
- ज्वार-भाटा से कभी – कभी जलयानों को हानि पहुंचती है। छोटे-छोटे जहाज़ व नावें डूब जाती हैं।
- इससे बन्दरगाहों के समीप रेत जम जाने से जहाज़ों के आने-जाने में रुकावट होती है।
- ज्वार-भाटा द्वारा मिट्टी के बहाव के कारण डेल्टा नहीं बनते।
- मछली पकड़ने के काम में रुकावट होती है।
- ज्वार का पानी जमा होने से तट पर दलदल बन जाती है।
प्रश्न 9.
पवन निर्मित तरंगों के विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
तरंगें (Waves): पवन के सम्पर्क से सागरीय जल की आगे पीछे, ऊपर-नीचे की गति से तरंगें उत्पन्न होती हैं। पवन द्वारा तरंगें तीन प्रकार की होती हैं-
‘सी’ (Sea), स्वेल (Swell), (iii) सर्फ (Surf)। विभिन्न दिशाओं तथा गतियों से उत्पन्न तरंगों को ‘सी’ कहते हैं। जब यह तरंगें एक नियमित रूप से एक निश्चित गति तथा दिशा से आगे बढ़ती हैं तो इसे स्वेल कहते हैं। समुद्र तट पर शोर करती, टूटती हुई तरंगों को सर्फ कहते हैं जब यह तरंगें समुद्र तट पर वेग से दौड़ती हैं तो इन्हें ‘स्वाश’ (Swash) कहते हैं। समुद्र की ओर वापस लौटती हुई तरंगों को बैक वाश (Back wash) कहते हैं।
प्रश्न 10.
न्यूफाउंडलैंड के निकट कोहरे का निर्माण क्यों होता है?
उत्तर:
न्यूफाउंडलैंड के निकट पूर्वी तट पर लैब्रेडोर की ठण्डी धारा बहती है। दक्षिण की ओर से खाड़ी को गर्म धारा यहां आकर मिलती है। इन दो विभिन्न तापमान वाली धाराओं के संगम से यहां कोहरे का निर्माण होता है। ठण्डी वायु के जलकण सूर्य की किरणों का मार्ग रोक कर कोहरा उत्पन्न कर देते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
किसी देश की जलवायु तथा व्यापार पर समुद्री धाराओं के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर:
समुद्री धाराओं के प्रभाव (Effects of Ocean Currents): समुद्री धाराएं आसपास के क्षेत्रों में मानव जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। धाराओं का यह प्रभाव कई प्रकार से होता है।
(क) जलवायु पर प्रभाव (Effects on Climate)
1. जलवायु (Climate) – जिन तटों पर गर्म या ठण्डी धाराएं चलती हैं वहां की जलवायु क्रमशः गर्म या ठण्डी हो जाती है।
2. तापक्रम (Temperature):
धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनें अपने साथ गर्मी या शीत ले जाती हैं। गर्म धारा के प्रभाव से तटीय प्रदेशों का तापक्रम ऊंचा हो जाता है तथा जलवायु कम हो जाती है। ठण्डी धारा के कारण शीतकाल में तापक्रम बहुत नीचा हो जाता है तथा जलवायु विषम व कठोर हो जाती है।
उदाहरण (Examples):
- लैब्रेडोर (Labrador) की ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा का पूर्वी तट तथा क्यूराइल (Kurile) की ठण्डी धारा के प्रभाव से साइबेरिया का पूर्वी तट शीतकाल में बर्फ से जमा रहता है
- खाड़ी की गर्म धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीपसमूह तथा नार्वे के तटीय भागों का तापक्रम ऊंचा रहता है और जल शीतकाल में भी नहीं जमता जलवायु सुहावनी तथा सम रहती है।
3. वर्षा (Rainfall):
गर्म धाराओं के समीप के प्रदेशों में अधिक वर्षा होती है, परन्तु ठण्डी धाराओं के समीप के प्रदेशों में कम वर्षा होती है। गर्म धाराओं के ऊपर से बहने वाली पवनों में नमी धारण करने की शक्ति बढ़ जाती है परन्तु ठण्डी धाराओं के सम्पर्क में आकर पवनें ठण्डी हो जाती हैं और अधिक नमी धारण नहीं कर सकतीं। उदाहरण (Examples):
- उत्तर: पश्चिम यूरोप में खाड़ी की धारा के कारण तथा जापान के पूर्वी तट पर क्यूरोसियो की गर्म धारा के कारण अधिक वर्षा होती है।
- संसार के प्रमुख मरुस्थलों के पश्चिमी तटों के समीप ठण्डी धाराएं बहती हैं, जैसे- सहारा तट पर कनेरी धारा, कालाहारी तट पर बेंगुएला धारा, ऐटेकामा तट पर पीरू की धारा ।
4. धुन्ध की उत्पत्ति (Fog ):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने पर धुन्ध व कोहरा उत्पन्न हो जाता है। गर्म धारा के ऊपर की वायु ठण्डी हो जाती है। उसके जल-कण सूर्य की किरणों का मार्ग रोक कर कोहरा उत्पन्न कर देते हैं। उदाहरण (Example) – खाड़ी की गर्म धारा लैब्रेडोर की ठण्डी धारा के ऊपर की वायु के मिलने से न्यूफाउंडलैंड (New foundland) के निकट धुन्ध उत्पन्न हो जाती है।
5. तूफानी चक्रवात (Cyclones):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने से गर्म वायु बड़े वेग से ऊपर उठती है तथा तीव्र तूफानी चक्रवात को जन्म देती है।
(ख) व्यापार पर प्रभाव (Effect on Trade):
1. बन्दरगाहों का खुला रहना (Open Sea-ports):
ठण्डे प्रदेशों में गर्म धाराओं के प्रभावों से सर्दियों में भी बर्फ़ नहीं जमती तो बन्दरगाह व्यापार के लिए वर्ष भर खुले रहते हैं, परन्तु ठण्डी धारा के समीप का तट महीनों बर्फ से जमा रहता है। ठण्डी धाराएं व्यापार में बाधक हो जाती हैं।
उदाहरण (Example ):
- खाड़ी की धारा के कारण नार्वे तथा ब्रिटिश द्वीपसमूह के बन्दरगाह सारा वर्ष खुले रहते हैं परन्तु हालैंड तथा स्वीडन के बन्दरगाह समुद्र का जल जम जाने से शीतकाल में बन्द रहते हैं।
- लैब्रेडोर की ठण्डी धारा के कारण पूर्वी कैनेडा व सैंट लारेंस (St. Lawrence Valley) के बन्दरगाह तथा क्यूराइल की ठण्डी धारा के कारण व्लाडीवास्टक (Vladivostok) के बन्दरगाह शीतकाल में जम जाते हैं।
2. समुद्री मार्ग (Ocean Routes ):
धाराएं जल मार्गों का निर्धारण करती हैं। ठण्डे सागरों से ठण्डी धाराओं के साथ बहकर आने वाली हिमशिलाएं (Icebergs) जहाज़ों को बहुत हानि पहुंचाती हैं। इनसे मार्ग बचाकर समुद्री मार्ग निर्धारित किए जाते हैं।
3. जहाज़ों की गति पर प्रभाव (Effect on the Velocity of the Ships):
प्राचीन काल में धाराओं का बादबानी जहाज़ों की गति पर प्रभाव पड़ता था धाराओं के अनुकूल दिशा में चलने से उनकी गति बढ़ जाती थी परन्तु विपरीत दिशा में चलने से उनकी चाल मन्द पड़ जाती थी। आजकल भाप से चलने वाले जहाजों (Steam Ships) की गति पर धाराओं का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
4. समुद्र जल की स्वच्छता (Purity of Sea Water ):
धाराओं के कारण समुद्र जल गतिशील, शुद्ध तथा स्वच्छ रहता है। धाराएं तट पर जमा पदार्थ दूर बहाकर ले जाती हैं तथा समुद्र तट उथले होने से बचे रहते हैं।
5. दुर्घटनाएं (Accidents):
कोहरे व धुन्ध के कारण दृश्यता (Visibility) कम हो जाती है। प्रायः जहाज़ों के डूबने तथा हिम शिलाओं से टकराने की दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
(ग) समुद्री जीवों पर प्रभाव (Effect on Marine Life)
1. समुद्री जीवों का भोजन (Plankton ):
धाराएं समुद्री जीवन का प्राण हैं। ये अपने साथ बहुत गली – सड़ी वस्तुएं (Plankton) बहाकर लाती हैं। ये पदार्थ मछलियों के भोजन का आधार हैं।
2. मछलियों का वितरण (Distribution of Fish ):
मछलियां धाराओं के साथ बहती हैं। ठण्डे समुद्रों से आने वाली ठण्डी धाराओं के साथ उत्तम मछलियों के झुण्ड के झुण्ड गर्म-गर्म समुद्रों में चले आते हैं
उदाहरण (Example):
गर्म व ठण्डी धाराओं के मिलने के कारण जापान तट तथा न्यूफाउंडलैंड के किट ग्रांड बैंक (Grand Bank) मछली उद्योग के प्रसिद्ध केन्द्र बन गए हैं।
प्रश्न 2.
तरंगों की उत्पत्ति तथा विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
तरंगें (Waves):
तरंगें वास्तव में ऊर्जा हैं, जल नहीं, जो कि महासागरीय सतह के आर-पार गति करते हैं। तरंगों में जलकण छोटे वृत्ताकार रूप में गति करते हैं। वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं। वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं तथा ऊर्जा तटरेखा पर निर्मुक्त होती है। सतह जल की गति महासागरों के गहरे तल के स्थिर जल को कदाचित् ही प्रभावित करती है। जैसे ही एक तरंग महासागरीय तट पर पहुँचती है इसकी गति कम हो जाती है। ऐसा गत्यात्मक जल के मध्य आपस में घर्षण होने के कारण होता है तथा जब जल की गहराई तरंग के तरंगदैर्ध्य के आधे से कम होती है तब तरंग टूट जाते हैं। बड़ी तरंगें खुले महासागरों में पायी जाती हैं।
तरंगें जैसे ही आगे की ओर बढ़ती हैं बड़ी होती जाती हैं तथा वायु से ऊर्जा को अवशोषित करती हैं। अधिकतर तरंगें वायु जल की विपरीत दिशा में गतिमान से होती हैं। जब दो नॉट या उससे कम वाली समीर शांत जल पर बहती है, तब छोटी-छोटी उर्मिकाएँ (Ripples) बनती हैं तथा वायु की गति बढ़ने के साथ ही इनका आकार बढ़ता जाता है, जब तक इनके टूटने से सफेद बुलबुले नहीं बन जाते तट के पास पहुँचने, टूटने तथा (सफेद बुलबुलों में सर्फ की भाँति घुलने से पहले तरंगें हज़ारों कि० मी० की यात्रा करती हैं ।)
तरंग का आकार:
एक तरंग का आकार एवं आकृति उसकी उत्पत्ति को दर्शाता है। युवा तरंगें अपेक्षाकृत ढाल वाली होती हैं तथा सम्भवतः स्थानीय वायु के कारण बनी होती हैं। कम एवं नियमित गति वाली तरंगों की उत्पत्ति दूरस्थ स्थानों पर होती है, सम्भवतः दूसरे गोलार्द्ध में तरंग के उच्चतम बिन्दु का पता वायु की तीव्रता के द्वारा लगाया जाता है, यानि यह कितने समय तक प्रभावी है तथा उस क्षेत्र के ऊपर कितने समय से एक ही दिशा में प्रवाहमान है?
तरंगें गति करती हैं, क्योंकि वायु जल को प्रवाहित करती है जबकि गुरुत्वाकर्षण तरंगों के शिखरों को नीचे की ओर खींचती है। गिरता हुआ जल पहले वाले गर्त को ऊपर की ओर धकेलता है एवं तरंगें नयी स्थिति में गति करती हैं। तरंगों के नीचे जल की गति वृत्ताकार होती है। यह इंगित करता है कि आती हुई तरंग पर वस्तुओं का वहन आगे तथा ऊपर की ओर होता है एवं लौटती हुई तरंग पर नीचे तथा पीछे की ओर।
तरंगों की विशेषताएँ:
- तरंग शिखर एवं गर्त (Wave crest and trough ): एक तरंग के उच्चतम एवं निम्नतम बिंदुओं को क्रमशः शिखर एवं गर्त कहा जाता है।
- तरंग की ऊँचाई (Wave height): यह एक तरंग के गर्त के अधः स्थल से शिखर के ऊपरी भाग तक की उर्ध्वाधर दूरी है।
- तरंग आयाम (Amplitude) : यह तरंग की ऊँचाई का आधा होता है।
- तरंग काल (Wave Period): तरंग काल एक निश्चित बिन्दु से गुज़रने वाले दो लगातार तरंग शिखरों या गर्तों के बीच का समयान्तराल है।
- तरंगदैर्ध्य (Wavelength ): यह दो लगातार शिखरों या गर्तों के बीच की क्षैतिज दूरी है।
- तरंग गति (Wave speed): जल के माध्यम से तरंग के गति करने की दर को तरंग गति कहते हैं तथा इसे नॉट में मापा जाता है।
- तरंग आवृत्ति: यह एक सेकेंड के समयान्तराल में दिए गए बिन्दु से गुज़रने वाली तरंगों की संख्या है।
प्रश्न 3.
ज्वार-भाटा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
ज्वार-भाटा के प्रकार ज्वार-भाटा की आवृत्ति, दिशा गति में स्थानीय व सामयिक भिन्नता पाई जाती है। ज्वारभाटाओं को उनकी बारम्बारता एक दिन में या 24 घंटे में या उनकी ऊँचाई के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
आवृत्ति पर आधारित ज्वार-भाटा (Tides based on frequency)
1. अर्द्ध- दैनिक ज्वार ( Semi- diurnal):
यह सबसे सामान्य ज्वारीय प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक दिन दो उच्च एवं दो निम्न ज्वार आते हैं। दो लगातार उच्च एवं निम्न ज्वार लगभग समान ऊँचाई के होते हैं।
2. दैनिक ज्वार (Diurnal tide ):
इसमें प्रतिदिन केवल एक उच्च एवं एक निम्न ज्वार होता है। उच्च एवं निम्न ज्वारों की ऊँचाई समान होती है।
3. मिश्रित ज्वार (Mixed tide ):
ऐसे ज्वार-भाटा जिनकी ऊँचाई में भिन्नता होती है, उसे मिश्रित ज्वार-भाटा कहा जाता है। ये ज्वार-भाटा सामान्यतः उत्तरी अमरीका के पश्चिमी तट एवं प्रशान्त महासागर के बहुत से द्वीप समूहों पर उत्पन्न होती हैं।
4. सूर्य, चंद्रमा एवं पृथ्वी की स्थिति पर आधारित ज्वारभाटा (Spring tides ):
उच्च ज्वार की ऊँचाई में भिन्नता पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य एवं चन्द्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है। वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार इसी वर्ग के अन्तर्गत आते हैं।
5. वृहत् ज्वार (Spring tides ):
पृथ्वी के सन्दर्भ में सूर्य एवं चन्द्रमा की स्थिति ज्वार की ऊँचाई को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जब तीनों एक सीधी रेखा में होते हैं, तब ज्वारीय उभार अधिकतम होगा। इनको वृहत् ज्वार- भाटा कहा जाता है तथा ऐसा महीने में दो बार होता है- पूर्णिमा के समय तथा दूसरा अमावस्या के समय।
6. निम्न ज्वार (Neap tides ):
सामान्यतः वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अन्तर होता है। इस समय चन्द्रमा एवं सूर्य एक-दूसरे के समकोण पर होते हैं तथा सूर्य एवं चन्द्रमा के गुरुत्व बल एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते हैं। चन्द्रमा का आकर्षण सूर्य के दोगुने से अधिक होते हुए भी, यह बल सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के समक्ष धूमिल हो जाता है। चन्द्रमा का आकर्षण अधिक इसीलिए है क्योंकि वह पृथ्वी के अधिक निकट है।