Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा
JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर :
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि वहाँ कैद किए गए सभी पशु वहाँ उपस्थित हैं। उनमें से कोई भाग अथवा मर तो नहीं गया है।
प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर :
छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। बैल दिनभर जोते जाते थे और उन्हें डंडे भी मारे जाते थे। उन्हें खाने को सूखा भूसा दिया जाता था। बैलों की इस दुर्दशा पर छोटी बच्ची को दया आ गई थी। उसे लगा कि बैलों के साथ भी उसके समान सौतेला व्यवहार हो रहा है। इसलिए उसके मन में बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया था। वह रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला आती थी।
प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं ?
उत्तर :
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने किसानों और पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। हीरा और मोती नामक बैल अपने स्वामी झूरी से बहुत स्नेह करते हैं तथा जी-जान से उसके काम करते हैं परंतु झूरी के साले गया के घर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता। यहाँ तक कि वहाँ जाकर चारा भी नहीं खाते और रात होने पर रस्सी तुड़ाकर वापस झूरी के घर आ जाते हैं। उन्हें फिर गया के घर आना पडता है तो इसे ही अपनी नियति मानकर कहते हैं कि बैल का जन्म लिया है तो मार से कहाँ तक बचना ? वे अपनी जाति के धर्म को निभाते हैं तथा बदले में मनुष्यों को नहीं मारते। काँजीहौस में मित्रता निभाते हैं तथा मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं। दढ़ियल द्वारा खरीदे जाने के बाद अपने घर का रास्ता पहचानकर झूरी के घर आ जाते हैं और अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हैं।
प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे को सीधा, सहनशील, अक्रोधी, सुख – दुःख में समभाव से रहनेवाला प्राणी बताते हुए उसे ऋषियों- मुनियों के सद्गुणों से युक्त बताया है। वे उसे एक सीधा-साधा पशु बताते हैं, जिसके चेहरे पर कभी भी असंतोष की छाया तक नहीं दिखाई देती है और रूखा-सूखा खाकर भी संतुष्ट रहता है।
प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर :
बहुत दिनों से साथ रहते-रहते हीरा और मोती में गहरी दोस्ती हो गई थी। दोनों मूक-भाषा में एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते थे। आपस में सींग मिलाकर, एक-दूसरे को चाट अथवा सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों एक साथ नाँद में मुँह डालते। यदि एक मुँह हटा लेता तो दूसरा भी हटा लेता था। हल या गाड़ी में जोत दिए जाने पर दोनों का यह प्रयास रहता था कि अधिक बोझ उसकी गरदन पर रहे। गया के घर से दोनों मिलकर भागे थे। गया के घर दोनों ही भूखे रहे थे। साँड़ को दोनों ने मिलकर भगा दिया था। मटर के खेत में मोती जब कीचड़ में धँस गया तो हीरा स्वयं ही रखवालों के पास आ गया था जिससे दोनों को एक साथ सजा मिले। काँजीहौस में मोती हीरा के बँधे होने के कारण बाड़े की दीवार टूट जाने पर भी नहीं भागा था। इन सब घटनाओं से हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है।
प्रश्न 6.
‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। ‘ हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने हीरा के इस कथन के माध्यम से इस ओर संकेत किया है कि हमारे समाज में स्त्री को सदा प्रताड़ित किया जाता है। उसे पुरुष की दासी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसे सब प्रकार से मारने-पीटने का अधिकार पुरुष के पास होता है। उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है। उसे पुरुष की इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत करना होता है। स्त्री को सदा पुरुष पर आश्रित रहना पड़ता है।
प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर :
इस कहानी में किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत भावात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। झूरी को अपने बैलों हीरा और मोती से बहुत लगाव है। वह उन्हें अच्छा भोजन देता है। जब वे गया के घर से भागकर आते हैं तो उन्हें दौड़कर गले लगा लेता है। गया के घर जाते हुए बैलों को भी झूरी से बिछुड़ने का दुख है। वे समझते हैं कि उन्हें बेच दिया गया है। वे और अधिक मेहनत करके झूरी के पास ही रहना चाहते हैं। गया के घर की छोटी बच्ची के हाथ से एक-एक रोटी खाकर उन्हें उस बच्ची से स्नेह हो जाता है और बच्ची पर अत्याचार करनेवाली उसकी सौतेली माँ को मोती मारना चाहता है। अंत में जब हीरा और मोती कॉंजीहौस से दढ़ियल के साथ घर पहुँचते हैं, तो झूरी उन्हें गले लगा लेता है और झूरी की पत्नी भी उन दोनों के माथे चूम लेती है।
प्रश्न 8.
‘इतना तो हो गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।’ मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
इस कथन से स्पष्ट होता है कि मोती में परोपकार की भावना है। वह काँजीहौस के बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे नौ-दस जानवर निकलकर भाग जाते हैं। गधों को तो वह स्वयं धकेलकर बाहर निकालता है। मोती सच्चा मित्र भी है। हीरा की रस्सी वह तोड़ नहीं सका था इसलिए वह स्वयं बाड़े से भागकर नहीं गया बल्कि हीरा के पास ही बैठा रहा और सुबह होने पर उसे भी चौकीदार ने मोटी रस्सी से बाँध दिया और खूब मारा। मोती बहादुर भी है। अपने बल पर वह सींग मार-मारकर बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे बाड़े में कैद जानवर बाहर भाग जाते हैं।
प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि पशु भी परस्पर मूक भाषा में एक-दूसरे से वार्तालाप कर लेते हैं तथा एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते हैं। उनकी इस प्रकार से एक-दूसरे की मन की बात को जानने की जो शक्ति है वह केवल उन्हीं में है। मनुष्य, जोकि स्वयं को समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ समझता है, उसमें भी ऐसी शक्ति नहीं है। यह विशेषता केवल पशुओं में ही होती है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर :
गया के घर आने के बाद हीरा-मोती को केवल सूखा चारा खाने को मिलता था। उन्हें सारा दिन खेतों में जोता जाता था तथा उनकी डंडों से पिटाई होती थी। उन्हें प्रेम करनेवाला कोई नहीं था। छोटी बच्ची रात के समय उन्हें एक-एक रोटी खिला देती थी। इस एक रोटी को खाकर ही वे संतुष्ट हो जाते थे। क्योंकि इस एक रोटी के माध्यम से वह बच्ची उन्हें अपना स्नेह दे देती थी जिनसे उनका स्नेह के लिए भूखा हृदय संतुष्ट हो जाता था।
प्रश्न 10.
गया ने हीरा – मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि –
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
उत्तर :
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
रचना और अभिव्यक्ति –
प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर :
हीरा-मोती झूरी के घर आराम से रह रहे थे। वे पूरी मेहनत से झूरी के सब काम करते थे तथा जो मिलता था खा लेते थे। उन्होंने झूरी को कभी शिकायत का मौका नहीं दिया था। जब उन्हें झूरी का साला गया ले जाने लगा तो उन्हें लगा कि उसे झूरी ने गया के हाथों बेच दिया है। उन्हें गया के साथ जाना पसंद नहीं आया। गया ने उन्हें डंडों से मारा, खाने के लिए सूखा चारा दिया। वे इसे अपना अपमान समझकर रस्सी तुड़ाकर झूरी के पास लौट आए। उन्हें फिर गया के पास जाना पड़ा।
वहाँ उन पर फिर अत्याचार हुए। इस बार छोटी बच्ची ने उन्हें आज़ाद कराया। वे अपने घर जा रहे थे कि साँड़ से हुए झगड़े में वे रास्ता भटक गए। मटर खाने के चक्कर में उन्हें काँजीहौस में बंद होना पड़ा। वहाँ दीवार तोड़ने के आरोप में इन पर डंडे बरसाए गए और अंत में एक दढ़ियल के हाथों बिक गए। जब वह दढ़ियल इन्हें ले जा रहा था तो इन्हें अपना घर दिखाई दिया तो वे भागकर वहाँ आ गए और दढ़ियल को मोती ने सींग चलाकर भगा दिया। इस प्रकार अपनी आज़ादी तथा अपनी घर वापसी के लिए किए गए हीरा-मोती के प्रयत्न सार्थक सिद्ध हुए। उन्होंने अनेक मुसीबतें उठाकर भी अपना अधिकार प्राप्त कर लिया।
प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है ?
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने हीरा – मोती को दूसरे की परतंत्रता से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया है। हीरा-मोती अपने बल से गया के स्थान से रस्सी तुड़ाकर अपने घर आ जाते हैं। दूसरी बार अनेक मुसीबतें सहन करते हुए भी गया के खेतों में काम नहीं करते और छोटी बच्ची के सहयोग से आज़ाद हो जाते हैं। अंत में काँजीहौस से अन्य जानवरों को आज़ाद कराते हैं तथा स्वयं दंड पाकर भी दढ़ियल के चंगुल से छूटकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार यह कहानी भारत की आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है कि किस प्रकार भारतवासियों ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अंत में आज़ादी प्राप्त की है।
भाषा-अध्ययन –
प्रश्न 13.
बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिसमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर :
(क) एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
(ख) कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है।
(ग) बैल कभी-कभी मारता भी है।
(घ) न दादा, पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे
(ङ) ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है।
‘प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा – गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे ना छोड़ता।
उत्तर :
(क) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(ख) संयुक्त वाक्य –
उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा कठोर।
भेद – विशेषण उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(घ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो बिकेंगे।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(ङ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
(क) गम खाना-मोहन अपने मित्र सोहन की चार बातें सुनकर भी गम खा गया क्योंकि वह उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहता था।
(ख) ईंट का जवाब पत्थर से- भारतीय सेना ने शत्रु सेना के आक्रमण का जवाब ईंट का जवाब पत्थर से देकर शत्रु सेना को पराजित कर दिया।
(ग) दाँतों पसीना आना-गणित का प्रश्न-पत्र इतना कठिन था कि इसे हल करते हुए परीक्षार्थियों को दाँतों पसीना आ गया।
(घ) बगलें झाँकना- साहूकार को देखते ही हलकू बगलें झाँकने लगा।
(ङ) नौ-दो ग्यारह होना-पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।
पाठेतर सक्रियता –
प्रश्न :
पशु-पक्षियों से संबंधित अन्य रचनाएँ ढूँढ़कर पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखक ने गधे का छोटा भाई बैल को कहा है। बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा है क्योंकि वह गधे से कम बेवकूफ़ है। वह अपना असंतोष प्रकट करने के लिए कभी-कभी मारता भी है और अपनी ज़िद्द पर अड़ जाने के कारण अड़ियल बैल कहलाने लगता है। बैल को बछिया का ताऊ भी कहते हैं।
प्रश्न 2.
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो हीरा-मोती ने क्या सोचा ?
उत्तर :
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो उन्हें लगा कि झूरी ने उन्हें गया के हाथों बेच दिया है। वे सोच रहे थे कि झूरी ने उन्हें निकाल दिया है। वे मन लगाकर उसकी सेवा करते थे। वे और भी अधिक मेहनत करने के लिए तैयार हैं। वे झूरी की सेवा करते हुए मर जाना ही अच्छा समझते हैं उन्होंने झूरी से कभी दाने-चारे की भी शिकायत नहीं की थी। उन्हें गया जैसे जालिम के हाथों अपना बेचा जाना अच्छा नहीं लगा था।
प्रश्न 3.
झूरी जब प्रातः काल सोकर उठा तो उसने क्या देखा ? उसकी तथा गाँववालों की प्रतिक्रिया क्या थी ?
उत्तर :
झूरी ने देखा कि गया द्वारा ले जाए गए दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। उनके गले में आधी-आधी फुंदेदार रस्सी लटक रही थी और उनके पाँव कीचड़ से सने हुए थे। दोनों की आँखों में विद्रोह और स्नेह झलक रहा था। झूरी ने दौड़कर उन्हें गले से लगा लिया। घर और गाँव के लड़कों ने तालियाँ बजा-बजाकर उनका स्वागत किया। बच्चों ने इन दोनों वीर – पशुओं का अभिनंदन करना चाहा क्योंकि ये दोनों इतनी दूर से अकेले अपने घर आ गए थे। उन्हें लगता था कि ये बैल नहीं किसी जन्म के इनसान हैं। झूरी की पत्नी को इनका गया के घर से भाग आना अच्छा नहीं लगा था।
प्रश्न 4.
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों ने काम करने से मना कर दिया। वे दोनों अड़ियल बन गए। गया उन्हें मारत मारते थक गया, परंतु दोनों बैलों ने पाँव न उठाए। गया ने हीरा की नाक पर खूब डंडे मारे तो मोती गुस्से में भरकर हल लेकर भागा तो हल, रस्सी, जुआ, जोत सब टूट गए। गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ बँधी होने के कारण दोनों को पकड़ लिया गया था।
प्रश्न 5.
हीरा – मोती ने स्वयं को साँड़ से कैसे बचाया ?
उत्तर :
साँड़ को देखकर पहले तो हीरा – मोती घबरा गए थे फिर उन्होंने यह सोचा कि दोनों उस पर एक साथ चोट करें। एक आगे से दूसरा पीछे से उसपर चोट करेगा। जैसे ही साँड़ हीरा पर झपटा मोती ने उस पर पीछे से वार किया। साँड़ उसकी तरफ़ दौड़ा तो हीरा ने उस पर आक्रमण कर दिया। साँड़ झल्लाकर हीरा का अंत कर देने के लिए चला तो मोती ने बगल से आकर उसके पेट में सींग भोंक दिया तो दूसरी ओर से हीरा ने उसे सींग चुभो दिया। घायल होकर साँड़ भागा तथा इनका पीछा करने पर साँड़ बेदम होकर गिर पड़ा।
प्रश्न 6.
काँजीहौस के अंदर के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
काँजीहौस के अंदर कई भैंसें, कई बकरियाँ, कई घोड़े और कई गधे बंद थे। हीरा और मोती को भी यहीं बंद कर दिया गया। यहाँ बंद जानवरों के सामने चारा नहीं था। सभी ज़मीन पर मुरदों के समान पड़े थे। कई तो इतने अधिक कमज़ोर हो गए थे कि उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जाता था। हीरा-मोती सारा दिन फाटक की ओर देखते रहे कि कोई चारा लेकर आएगा, पर कोई भी न आया तो दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी ही चाटकर गुज़ारा किया।
प्रश्न 7.
दढ़ियल आदमी के बंधन से हीरा-मोती कैसे आज़ाद हुए ?
उत्तर :
काँजीहौस से एक दढ़ियल आदमी ने हीरा – मोती को खरीद लिया और उन्हें अपने साथ ले चला। उस आदमी की भयानक मुद्रा से ही हीरा – मोती ने समझ लिया था कि वह आदमी उन पर छुरी चलाकर उन्हें मार डालेगा। वे उसके साथ काँपते हुए जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का एक झुंड चरता हुआ नज़र आया। सहसा उन्हें लगा कि यह तो उनकी जानी पहचानी राह है। दोनों दौड़कर अपने स्थान पर आ गए। वह दढ़ियल भी उनके पीछे भागकर आया और उन पर अपना अधिकार जमाने लगा। झूरी ने दोनों बैलों को गले लगा लिया और उस दढ़ियल को कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल ने जब ज़बरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाना चाहा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने फिर पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। इस प्रकार वे दढ़ियल के बंधन से आज़ाद हुए।
प्रश्न 8.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है तथा पशु अपने मालिक के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। हीरा-मोती का झूरी से प्रेम यही सिद्ध करता है। इसी प्रकार से गया के घर में छोटी बच्ची से रोटी प्राप्त कर वे उसके प्रति भी सद्भाव से भर उठते हैं। पशुओं को भी स्वतंत्रता प्रिय है, इसलिए वे गया के घर के बंधनों को तोड़कर, साँड़ से लड़कर, काँजीहौस के बाड़े की दीवार को तोड़कर तथा दढ़ियल के बंधन से भाग निकलते हैं। इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देना है।
प्रश्न 9.
झूरी कौन था ? उसका हीरा-मोती के साथ क्या संबंध था ?
उत्तर :
झूरी एक किसान था। उसे पशुओं से बहुत प्रेम था। हीरा – मोती उसके दो बैल थे। वह उन्हें जान से ज़्यादा प्यार करता था। दोनों बैल बहुत ही सुंदर और तंदरुस्त थे। उन दोनों का भी अपने मालिक झूरी से बहुत प्यार और लगाव था। झूरी बड़े ही चाव और प्यार से उनकी देखभाल करता था।
प्रश्न 10.
मजदूर ने झूरी की किस आज्ञा का और क्यों उल्लंघन किया ?
उत्तर :
गया जब झूरी के दोनों बैलों को हाँककर अपने घर ले गया, तो बैल वहाँ नहीं रुके। दोनों रस्सी तोड़कर भाग आए। गाँववालों तथा बच्चों ने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी को हीरा मोती का वापिस आना तनिक भी अच्छा नहीं लगा। उसने मज़दूर से बैलों को सूखा भूसा देने को कहा। जब झूरी ने भूसा खली डालने को कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा का हवाला देकर झूरी की आज्ञा की अवज्ञा कर दी।
प्रश्न 11.
दूसरी बार गया बैलों को कैसे लेकर जाता है ? घर में वह उनके साथ क्या करता है ?
उत्तर :
दूसरी बार गया हीरा – मोती को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। दोनों बैल रास्ते में सड़क की खाई में बैलगाड़ी को गिराना चाहते हैं, लेकिन गया किसी तरह गाड़ी को गिरने से बचा लेता है। घर ले जाकर वह दोनों बैलों को मोटी रस्सी से बाँध देता है। उन्हें खाने के लिए सूखा भूसा देता है।
महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) जानवरों में किसे सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है ?
(ख) हम किसी आदमी को गधा कब कहते हैं ?
(ग) किस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता ?
उत्तर :
(क) जानवरों में गधे को सबसे ज़्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है।
(ख) हम किसी आदमी को गधा तब कहते हैं जब हम उसे परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं।
(ग) इस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता कि गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन और उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दी है।
2. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं; पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है ? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता ? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) गधे के चेहरे पर कौन-सा भाव स्थायी रूप से छाया रहता है और किन परिस्थितियों में भी नहीं बदलता ?
(ख) गधे में किनके गुण पहुँच गए हैं ? गधे के सद्गुणों का अनादार कैसे होता है ?
(ग) ‘सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है” – क्यों ?
उत्तर :
(क) गधे के चेहरे पर एक निषाद् का भाव स्थायी रूप से छाया रहता है। यह भाव सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में नहीं बदलता।
(ख) गधे में ऋषियों-मुनियों के गुण पराकाष्ठा तक पहुँच गए हैं पर आदमी तब भी उसे बेवकूफ कहकर उसके सद्गुणों का अनादर करता है।
(ग) सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं क्योंकि सीधे-सादे भारतवासियों की अफ्रीका में दुर्दशा हो रही है, अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता। वे शराब नहीं पीते, जरूरत के लिए पैसे बचाकर रखते हैं, जीतोड़ मेहनत करते हैं, शांतिप्रिय हैं फिर भी बदनाम हैं।
3. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे, मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) गधे का छोटा भाई किसे कहा गया है ?
(ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम किस शब्द का प्रयोग करते हैं ?
(ग) “लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। ” – तात्पर्य समझाइए।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को क्या कहेंगे ?
उत्तर :
(क) गधे का छोटा भाई बैल को कहा गया है।
ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम ‘बछिया के ताऊ’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
(ग) इसका तात्पर्य है कि बैल भी लगभग गधे के समान ही सीधा होता है, इसीलिए उसे गधे का छोटा भाई कहते हैं। बैल सीधा होने पर भी कभी – कभी अड़ियल हो जाता है, इसलिए उसे गधे से कम गधा कहा जाता है।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे।
4. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक- भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे – विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) दोनों बैल आपस में विचार-विनिमय कैसे करते थे ?
(ख) मनुष्य किससे वंचित है ?
(ग) दोनों बैल आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए क्या करते थे ?
(घ) बैलों द्वारा आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने का क्या कारण था ?
उत्तर :
(क) दोनों बैल आपस में मूक भाषा में विचार-विनिमय करते थे।
(ख) दोनों बैलों में कोई ऐसी गुप्तशक्ति थी जिससे वे दोनों बिना बोले ही एक-दूसरे की बात समझ जाते थे। ऐसी शक्ति से मनुष्य वंचित है।
(ग) आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए दोनों बैल एक-दूसरे को चाटने, सूँघते थे तथा कभी-कभी सींग भी मिलाते थे।
(घ) दोनों बैल दोस्ती की घनिष्ठता इसलिए दिखाते थे क्योंकि इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज़्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसा करके वे विनोद व आत्मीयता के भाव को प्रकट करते हैं।
5. अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो ? हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम नहीं चलता था तो और काम ले लेते। हमें तो तुम्हारी चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने – चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर खा लिया, फिर तुमने हमें इस ज़ालिम के हाथ क्यों बेच दिया ?
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) हीरा-मोती किसे ज़ालिम कह रहे हैं और क्यों ?
(ख) हीरा – मोती क्यों परेशान हैं ?
(ग) हीरा – मोती का अपने स्वामी के प्रति क्या भाव है ?
(घ) हीरा – मोती किसी दूसरे के साथ क्यों नहीं जाना चाहते ?
(ङ) दो विदेशी शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर :
(क) हीरा – मोती गया को ज़ालिम कह रहे हैं क्योंकि वे अपने मालिक झूरी का घर छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। जब वे रास्ते में अड़कर खड़े हो जाते हैं तो गया उन्हें मार-पीटकर घसीटकर ले जाता है।
(ख) हीरा – मोती इस बात से परेशान हैं कि उनके मालिक ने उन्हें किसी दूसरे के हाथ बेच दिया है जबकि उनका कोई दोष भी नहीं था। वे जी-जान से अपने मालिक का कार्य करते थे।
(ग) हीरा – मोती को अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे पूरी मेहनत से उसके लिए कार्य करते थे तथा जो भी दाना – चारा मिलता था, उसे ही बिना किसी शिकायत के खा लेते थे।
(घ) उन्हें अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे अपने स्वामी के अतिरिक्त अन्य कहीं नहीं जाना चाहते। यहाँ के वातावरण तथा खान-पान से भी वे संतुष्ट हैं। गया के मारने-पीटने से भी वे उसके साथ नहीं जाना चाहते तथा स्वामी के पास ही रहना चाहते हैं।
(ङ) कबूल, ज़ालिम।
6. दोनों ने अपनी मूक- भाषा में सलाह की, एक-दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गए। जब गाँव में सोता पड़ गया, तो दोनों ने जोर मारकर पहे तुड़ा डाले और घर की तरफ़ चले। पगहे बहुत मज़बूत थे। अनुमान न हो सकता था कि कोई बैल उन्हें तोड़ सकेगा; पर इन दोनों में इस समय दूनी शक्ति आ गई थी। एक-एक झटके में रस्सियाँ टूट गईं।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) दोनों ने क्या सलाह की और क्यों ?
(ख) ‘सोता पड़ गया’ और ‘पगहे तुड़ा डाले’ से क्या तात्पर्य है ?
(ग) दोनों कहाँ आ गए थे और क्यों ?
(घ) उन दोनों में ‘दूनी शक्ति’ कैसे आ गई थी ?
(ङ) बैलों ने कितने झटकों में अपनी रस्सियाँ तोड़ दी थीं ?
उत्तर :
(क) दोनों बैलों ने झूरी के साले गया के घर से भागने की सलाह की क्योंकि उन्हें यहाँ आना अच्छा नहीं लगा था। दिन-भर के भूखे होने पर भी उन्होंने कुछ नहीं खाया था। यहाँ सभी कुछ उन्हें बेगाना लग रहा था।
(ख) ‘सोता पड़ गया’ से तात्पर्य यह है कि रात हो गई थी। गाँव के सभी लोग सो गए थे। चारों ओर एकांत था। ‘पगहे तुड़ा डाले’ से तात्पर्य यह है कि जिन रस्सियों से बैलों को खूँटों से बाँधा गया था, उन्होंने उन रस्सियों को तोड़ दिया था।
(ग) दोनों बैलों को झूरी का साला गया अपने गाँव ले आया था। वह उन्हें अपने खेतों में जोतना चाहता था।
(घ) उन दोनों बैलों ने गया के घर आकर कुछ भी नहीं खाया था। जब उन्होंने वहाँ से भाग जाने का निश्चय कर लिया तो इसी निश्चय के उत्साह के कारण कि ‘वे यहाँ से निकलकर अपने पुराने घर जा सकते हैं बहुत मज़बूत रस्सियों को भी उन्होंने तोड़ डाला था। उनमें दुगुनी शक्ति इस विचार से आ गई थी कि वे यहाँ से आज़ाद होकर अपने घर जा सकेंगे।’
(ङ) बैलों ने एक-एक झटके में अपने रस्सियाँ तोड़ दी थीं।
7. ‘मुझे मारेगा, तो मैं भी एक-दो को गिरा दूँगा।’
‘नहीं। हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।’
मोती दिल में ऐंठकर रह गया। गया आ पहुँचा और दोनों को पकड़कर ले चला। कुशल हुई कि उसने इस वक्त मारपीट न की, नहीं तो मोती भी पलट पड़ता। उसके तेवर देखकर गया और उसके सहायक समझ गए कि इस वक्त जाना ही मसलहत है।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) यह किसने और क्यों कहा कि हमारी जाति का यह धर्म नहीं है ? इस जाति का क्या धर्म है ?
(ख) मोती दिल ही दिल में ऐंठकर क्यों रह गया ?
(ग) गया ने बैलों को क्यों नहीं मारा ?
(घ) बैलों ने क्या अपराध किया था ?
(ङ) किस बैल के मन में बदला लेने के विद्रोही भाग उग्र थे ?
उत्तर :
(क) यह कथन हीरा ने मोती को उस समय कहा जब वह गया और उसके सहायकों को मारने की बात कहता है। इस जाति का धर्म परिश्रम करना है। ये मनुष्य जाति के लिए अत्यंत उपयोगी पशु हैं। ये खेत जोतते हैं तथा गाड़ियों को खींचते हैं।
(ख) मोती गया और उसके सहायकों को सबक सिखाना चाहता था कि बैलों को मारने से बैल भी क्रोधित होकर उन्हें मार सकते हैं। हीरा के मना करने पर वह ऐसा नहीं कर सका। इसलिए उसकी इच्छा मन में ही रह गई तथा उसे दिल ही दिल में ऐंठकर रह जाना पड़ा।
(ग) गया ने बैलों को इसलिए नहीं मारा क्योंकि वह बैलों की क्रोध – से भरी हुई मुद्रा को देखकर समझ गया था कि यदि उसने बैलों को मारा तो वे भी बदले में उस पर आक्रमण कर सकते हैं।
(घ) गया ने बैलों को हल में जोता था, पर इन दोनों बैलों ने खेत नहीं जोता था। गया ने इन्हें डंडों से खूब मारा तथा हीरा की नाक पर भी डंडे मारे। इस पर मोती को क्रोध आ गया और वह हल लेकर भागा। इस प्रकार भागने से हल, रस्सी, जुआ, जोत आदि सब टूट गए थे।
(ङ) मोती के हृदय में बदला लेने के उग्र भाव थे।
8. मोती ने आँखों में आँसू लाकर कहा- तुम मुझे स्वार्थी समझते हो, हीरा ? हम और तुम इतने दिनों एक साथ रहे हैं। आज तुम विपत्ति में पड़ गए, तो मैं तुम्हें छोड़कर अलग हो जाऊँ।
हीरा ने कहा – बहुत मार पड़ेगी। लोग समझ जाएँगे, यह तुम्हारी शरारत है।
मोती गर्व से बोला – जिस अपराध के लिए तुम्हारे गले में बंधन पड़ा, उसके लिए अगर मुझ पर मार पड़े, तो क्या चिंता। इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।
अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) मोती स्वयं को स्वार्थी समझने की बात क्यों कह रहा है ?
(ख) मोती की शरारत क्या है ?
(ग) हीरा ने क्या अपराध किया था और क्यों ?
(घ) कौन आशीर्वाद देंगे और क्यों ?
(ङ) गर्व का भाव किसके स्वर से प्रकट हो रहा था ?
उत्तर :
(क) काँजीहौस के चौकीदार ने हीरा को बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ने की कोशिश करने के अपराध में मोटी रस्सी से बाँध दिया था। मोती ने दीवार को अपने बल से गिरा दिया। दीवार के गिरते ही कई जानवर भाग गए। मोती हीरा की रस्सी नहीं तोड़ पाया तो हीरा ने मोती को वहाँ से भाग जाने के लिए कहा। मोती हीरा के बिना वहाँ से नहीं जाना चाहता। इसलिए वह हीरा को कहता है कि क्या उसने उसे इतना स्वार्थी समझ लिया है।
(ख) मोती ने काँजीहौस की कच्ची दीवार को सींग अड़ाकर गिरा दिया था। दीवार के गिरते ही काँजीहौस में बंद जानवर भाग गए थे। काँजी हौस से दीवार तोड़कर जानवरों को भगाने की शरारत मोती की ही समझी जाएगी क्योंकि हीरा मोटी रस्सी से बँधा हुआ था तथा अन्य जानवर ऐसी शरारत नहीं कर सकते थे।
(ग) हीरा भूख से व्याकुल हो गया था। जब रात को भी उसे खाने को कुछ नहीं मिला तो हीरा के दिल में विद्रोह की ज्वाला दहक उठी। उसने काँजीहौस से निकलने के लिए बाड़े की कच्ची दीवार को अपने नुकीले सींगों से तोड़ने का प्रयास किया। दीवार की मिट्टी गिरने लगी थी। तभी काँजीहौस का चौकीदार आ गया और हीरा के इस काम को देखकर उसने हीरा को कई डंडे मारे और उसे मोटी-सी रस्सी से बाँध दिया। हीरा ने यह अपराध अपनी आज़ादी के लिए किया था।
(घ) जो जानवर काँजीहौस के बाड़े से निकलकर भाग गए हैं वे आशीर्वाद देंगे क्योंकि काँजीहौस में उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिलता था। वे भूख-प्यास के कारण अधमरे हो गए थे। बाहर निकलकर वे आज़ादी से खा-पी सकते थे।
(ङ) मोती के स्वर से गर्व का भाव प्रकट हो रहा था।
दो बैलों की कथा Summary in Hindi
लेखक परिचय :
जीवन – प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कथाकार हैं। इस महान कथा – शिल्पी का जन्म वाराणसी जिले के लमही ग्राम में 31 जुलाई, सन् 1880 ई० को हुआ था। इनका मूल नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम मुंशी अजायब राय था। जब प्रेमचंद आठ वर्ष के थे तब इनकी माता का देहांत हो गया था और इसके आठ वर्ष बाद इनके पिता चल बसे थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई और मैट्रिक के बाद अध्यापन का कार्य करने लगे। शिक्षा- विभाग में अध्यापन का कार्य करते हुए इनकी पदोन्नति स्कूल इंस्पेक्टर के पद तक हुई थी। गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर इन्होंने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और पूरी तरह लेखन कार्य के प्रति समर्पित हो गए। इन्होंने कुछ फ़िल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं, लेकिन फ़िल्मी नगरी इन्हें ज़्यादा दिनों तक रास नहीं आई और वापस बनारस लौट आए। इन्होंने ‘हंस’, ‘मर्यादा’, ‘जागरण’ और ‘माधुरी’ नामक पत्रिकाओं का संपादन किया था। इनका देहावसान 8 अक्तूबर, सन् 1936 ई० को हुआ।
रचनाएँ – साहित्यिक जगत में उन्होंने नवाब राय से पदार्पण किया था। ये पहले उर्दू में लिखा करते थे। सन 1907 में प्रकाशित इनकी ‘सोजे – वतन’ नामक पुस्तक को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में इन्होंने प्रेमचंद नाम से हिंदी में लिखना आरंभ कर दिया। इन्होंने अनेक उपन्यास, तीन सौ से अधिक कहानियाँ, नाटक और निबंध लिखे हैं। इनके प्रसिद्ध उपन्यास – निर्मला, प्रतिज्ञा, वरदान, रंगभूमि, कर्मभूमि, सेवासदन, प्रेमाश्रम, गबन और गोदान हैं। इनका कहानी – साहित्य का रचनाकाल सन् 1907 से 1936 तक है। उर्दू में इनकी पहली कहानी ‘दुनिया का सबसे अनमोल रत्न’ थी। हिंदी में इनका पहला कहानी संग्रह ‘सप्त- सरोज’ था। इसके पश्चात् इनके जो अन्य कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए, उनमें नवनिधि, प्रेम-पूर्णिमा, प्रेम-पचीसी, प्रेम- द्वादसी, प्रेम-तीर्थ, प्रेम – चतुर्थी, प्रेम-प्रसून, प्रेम-प्रतिमा, प्रेरणा, समाधि, प्रेम – पंचमी आदि प्रसिद्ध हैं। इनकी समस्त कहानियाँ ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में संकलित हैं।
भाषा-शैली – प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल तथा प्रचलित लोकभाषा के साहित्यिक रूप का प्रयोग किया है। ‘दो बैलों की कथा’ कहानी की भाषा अत्यंत सरल, सहज, स्वाभाविक तथा मुहावरेदार है। इसमें उर्दू, तत्सम तद्भव तथा देशज शब्दों का लेखक ने खुलकर प्रयोग किया है, जिससे भाषा की संप्रेषणीयता में वृद्धि हुई है। उर्दू के दरजे, खुश, बदनाम, जवाब, मिसाल, शिकायत, ताकीद, बेदम आदि शब्दों के साथ – साथ निरापद, सहिष्णुता, दुर्दशा, वंचित, आक्षेप, विद्रोह आदि तत्सम तथा बधिया, ताऊ, छप्पा, नाँद, पगहे, जुआ, जोत, रगेदा आदि देशज शब्दों का सटीक प्रयोग किया है। लेखक ने ईंट का जवाब पत्थर से देना, नौ-दो ग्यारह होना, जान से हाथ धोना, बगले झाँकना आदि मुहावरों के प्रयोग से भाषा में निखार उत्पन्न कर दिया है। कहानी वर्णनात्मक तथा संवादात्मक शैली में लिखी गई है। संवादों से कहानी की रोचकता में वृद्धि हुई है। संवाद सहज, संक्षिप्त, प्रसंगानुकूल तथा भावपूर्ण हैं, जैसे-
मोती ने कहा – ‘ हमारा घर नगीच आ गया। ‘
हीरा बोला – ‘ भगवान की दया है।’
‘मैं तो अब घर भागता हूँ।’
‘यह जाने देगा ?’
‘इसे मैं मार गिराता हूँ। ‘
‘नहीं – नहीं दौड़कर थान पर चलो वहाँ से हम आगे न जाएँगे।’
इस प्रकार लेखक ने सहज एवं भावपूर्ण भाषा – शैली का प्रयोग किया है।
पाठ का सार :
प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में मनुष्य के पशु-प्रेम तथा पशुओं का अपने स्वामी के प्रति लगाव का सजीव चित्रण किया गया है। लेखक ने मूक पशुओं की एक-दूसरे के प्रति सद्भावनाओं तथा स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का भी स्वाभाविक वर्णन किया है।
लेखक का मानना है कि जानवरों में गधा सबसे अधिक बुद्धिहीन समझा जाता है, इसलिए जब हम किसी व्यक्ति को बहुत अधिक बेवकूफ़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहकर संबोधित करते हैं। गधे का चेहरा सदा उदास दिखाई देता है। गाय और कुत्ता भी अवसर आने पर खतरनाक हो जाते हैं। गधे को कभी भी किसी अन्य रूप में नहीं देखा जाता। गधे का यही सीधापन अफ्रीका में दुर्दशा झेल रहे भारतवासियों में भी है। बैल को लेखक ने गधे से कम बेवकूफ़ माना है क्योंकि वह कभी-कभी अड़ियल बन जाता है और मारने भी लगता है।
झूरी के पास हीरा और मोती नामक दो बैल थे। दोनों बैल बहुत सुंदर और तंदरुस्त थे। वे आपस में मूक-भाषा में बातचीत करते रहते थे। झूरी उनकी प्यार से देखभाल करता था। इन बैलों को भी झूरी से बहुत स्नेह था। एक बार झूरी का साला उन दोनों बैलों को अपने गाँव ले गया। वे उसके साथ नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने रास्ते में इधर-उधर भागने की कोशिश भी की थी परंतु झूरी का साला उन्हें किसी प्रकार से हाँककर अपने घर तक ले आया था। उसने इन्हें बाँधकर रखा और सूखा चारा खाने के लिए दिया।
रात को दोनों रस्सी तोड़कर सुबह होने तक अपने ठिकाने पर वापस आ गए। झूरी ने जब उन्हें सुबह अपने स्थान पर खड़े देखा तो इन्हें अपने गले लगा लिया। आस-पास अन्य लोग भी वहाँ एकत्र हो गए तथा तालियाँ बजा-बजाकर उन बैलों का स्वागत करने लगे। झूरी की पत्नी को यह अच्छा नहीं लगा और उसने मज़दूर को इन्हें सूखा भूसा खाने के लिए देने को कहा। झूरी ने भूसे में खली डालने के लिए कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा सुना दी।
अगले दिन झूरी का साला फिर आकर हीरा और मोती को ले जाता है। वह इस बार इन दोनों बैलों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। रास्ते में हीरा गाड़ी को सड़क की खाई में गिराना चाहता है। परंतु हीरा सँभाल लेता है। घर पहुँचकर वह दोनों को मोटी रस्सियों से बाँधता है और उन्हें सूखा भूसा ही खाने को देता है। वह अपने बैलों को खली, चूनी आदि सब कुछ देता है। वह हीरा और मोती से खूब काम लेता है। गया की लड़की को इन पर दया आती है। वह चोरी-छुपे उन्हें एक-एक रोटी खिला देती है। एक रात ये दोनों रस्सी चबाकर भागने की सोच रहे होते हैं तो गया की लड़की इन्हें खोलकर भगा देती है और चिल्लाने लगती है कि फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं। गया गाँव के अन्य लोगों के साथ इन्हें पकड़ने की कोशिश करता है परंतु ये दोनों भाग जाते हैं।
भागते-भागते दोनों बैल रास्ता भूल जाते हैं। उन्हें भूख लगती है तो मटर के खेत से मटर चरने लगते हैं। पेट भर जाने पर आनंद मनाने लगते हैं। तभी एक साँड़ इनकी तरफ आता है। दोनों मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं और उसे मारकर भगा देते हैं। थककर वे खाने के लिए मटर के खेत में घुस जाते हैं। तभी दो आदमी लाठियाँ लेकर दोनों को घेर लेते हैं। हीरा निकल जाता है पर मोती फँस जाता है। मोती को फँसा देखकर हीरा भी रुक जाता है। दोनों को पकड़कर काँजीहौस में बंद कर दिया जाता है।
वहाँ उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। वहाँ अन्य जानवर गधे, भैंसें, बकरियाँ, घोड़े आदि भी बंद थे। हीरा-मोती कोशिश करके काँजीहौस की दीवार को तोड़ देते हैं। सभी जानवर भाग जाते हैं परंतु गधे नहीं भागते तो मोती दोनों गधों को सींगों से मार-मारकर बाड़े से बाहर निकाल देता है। वे दोनों इसलिए नहीं भाग पाते क्योंकि हीरा की रस्सी नहीं टूट सकी थी।
सुबह होने पर काँजीहौस के चौकीदार आदि मोती की खूब मरम्मत करते हैं और उसे मोटी रस्सी से बाँध देते हैं। एक सप्ताह तक उन्हें पानी के अतिरिक्त कुछ खाने के लिए नहीं दिया गया। एक दिन एक दढ़ियल व्यक्ति ने इन्हें नीलामी में खरीद लिया और अपने साथ ले चला। रास्ते में वह उन्हें डंडे मारता जा रहा था। अचानक उन्हें लगा कि यह तो उनका परिचित रास्ता है। यहीं से झूरी के घर से गया उन्हें ले गया था। वे तेज गति से चलने लगे। उन्हें अपना गाँव, खेत, कुआँ दिखाई देने लगे।
दोनों मस्त बछड़ों की तरह कूदते हुए अपने घर की ओर दौड़ने लगे तथा अपने निश्चित स्थान पर आकर खड़े हो गए। दढ़ियल भी उनके पीछे आकर खड़ा हो गया और बैलों की रस्सियाँ पकड़कर बोला ये बैल मैं मवेशीखाने से खरीदकर लाया हूँ। झूरी ने कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल जबरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाने लगा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने उसका पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। गाँव के लोगों ने भी झूरी का साथ दिया। दोनों को खूब खली, भूसा, चोकर और दाना खाने के लिए दिया गया। झूरी उन्हें सहला रहा था. और झूरी की पत्नी ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।
कठिन शब्दों के अर्थ :
- परले दरजे का बेवकूफ़ – एकदम मूर्ख
- सहिष्णुता – सहनशीलता
- विषाद – उदासी, खेद, दुख
- उपयुक्त – उचित
- कुसमय – बुरा समय
- गम खाना – सहन करना
- पछाई – पश्चिम प्रदेश का, पालतू पशुओं की एक नस्ल
- वंचित – रहित, विमुख
- नाँद – पशुओं के लिए चारा डालनेवाला बरतन अथवा स्थान
- कबूल – स्वीकार
- बेगाने – पराए
- सोता पड़ना – सबका सो जाना
- चरनी – वह नाँद जिसमें पशुओं को चारा खिलाया जाता है
- प्रतिवाद – विरोध, खंडन
- मजूर – मादूर
- टिटकार – टिक-टिक की आवाज़
- व्यथा – पीड़ा, दुख
- मसलहत – सही, उचित
- आत्मीयता – अपनापन
- नौ-दो-ग्यारह होना – भाग जाना
- मल्लयुद्ध – कुश्ती
- साबिका – वास्ता
- प्रतिद्वंद्वी – शत्रु, विरोधी
- ठठरियाँ – हड्डियाँ, अस्थि-पिंजर
- हार – चरागाह
- नगीच – नादीक
- शूर – बहादुर
- निरापद – सुरक्षित, जिससे कोई आपत्ति न हो
- कुलेल – उछल-कूद करना, क्रीड़ा करना
- परा का ठठा – चरम-सीमा
- दुर्दशा – बुरी दशा
- जी तोड़कर काम करना – बहुत मेहनत से काम करना गण्य – सम्मान के योग्य
- डील – शरीर का विस्तार, कद
- विग्रह – अलग होना, कलह, झगड़ा, लड़ाई
- पगहिया – पशुओं को बाँधने की रस्सी
- ज्ञालिम – क्रूर, कठोर
- कनखियों – तिरछी नारों से
- पगहे तुड़ाना – रस्सियाँ तोड़ना
- गराँव – फुँदेदार रस्सी जो बैल के गले में बाँधी जाती है
- आक्षेप – आरोप, लांछन
- कड़ी ताकीद – पक्का आदेश
- आहत – चोट खाया हुआ, घायल
- तेवर – क्रोध भरी दृष्टि
- वास – निवास
- आरजू – इच्छा
- तजुरबा – अनुभव
- रगेदा – भागना, खदेड़ना
- काँजीहैस – लावारिस पशुओं का बंदी-गृह
- खेड़ – पशुओं का झुंड
- अंतर्जान – मन का ज्ञान
- थान – पशुओं को बाँधने का स्थान
- अखितयार – अधिकार
- उछाह – उत्साह