JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

JAC Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गयाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ?
उत्तर :
मैना सेनापति ‘हे’ को कहती है कि जिन लोगों ने आपके विरुद्ध शस्त्र उठाए थे, दोषी तो वे लोग थे। इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका कोई अपराध नहीं किया है, इसलिए इस मकान की रक्षा कीजिए। वह उन्हें अपने और उनकी पुत्री मेरी के साथ अपने प्रेम-संबंधों की याद दिलाती है और कहती है कि वह मेरी की मृत्यु से बहुत दुखी हुई थी। उसने मेरी की यादगार के रूप में उसका एक पत्र भी संभालकर रखा हुआ था। उसने जनरल ‘हे’ को उनके घर आने-जाने तथा उसके परिवार से संबंधों की याद दिलाकर भी मकान की रक्षा के लिए प्रेरित किया है।

प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों ?
उत्तर :
मैना जड़ पदार्थ मकान को इसलिए बचाना चाहती थी क्योंकि उस मकान ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया था तथा यह मकान उसे बहुत प्रिय था। अंग्रेज़ इस मकान को इसलिए नष्ट करना चाहते हैं क्योंकि वे नाना साहब को पकड़ नहीं सके हैं। वे नाना साहब से संबंधित प्रत्येक वस्तु को नष्ट कर देना चाहते थे।

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प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया भाव के क्या कारण रहे थे ?
उत्तर :
सर टामस ‘हे’ ने जब मैना को पहचाना कि यह तो नाना साहब की पुत्री है तो उसके मन में इस छोटी-सी बालिका के प्रति दया का भाव उत्पन्न हो गया। वह नाना साहब के घर आता-जाता रहता था। उसके नाना साहब के घर के साथ पारिवारिक संबंध थे। मैना और उनकी पुत्री मेरी की परस्पर अच्छी मित्रता थी। वह मैना को भी मेरी के समान ही स्नेह करता था। इन सब बातों को सोचकर उसे मैना पर दया आ गई थी और उसने मैना को कहा था कि मैं तुम्हारी रक्षा का प्रयत्न करूँगा।

प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भर कर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ?
उत्तर :
पाषाण हृदय वाले जनरल अउटरम ने मैना की अंतिम इच्छा कि वह उस प्रासाद पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती है, इसलिए पूरी न होने दी क्योंकि उसे भय था कि कहीं वह भी नाना साहब की तरह भाग न जाए। पहले भी महल की तलाशी लेने पर उसे मैना कहीं नहीं मिली थी। इसलिए उसने उसे फौरन हथकड़ी पहना दी।

प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर :
मैना एक निडर, स्वाभिमानी, स्वदेश प्रेमी, स्पष्टवादी तथा भावुक बालिका है। इसके चरित्र की इन विशेषताओं को हम अपनाना चाहेंगे। इससे हमारा व्यक्तित्व निखरता है और हमें अपने देश के प्रति आत्म- बलिदान की प्रेरणा मिलती है। हम निडरतापूर्वक प्रत्येक स्थिति का सामना कर सकते हैं।

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प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था – ‘ बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है ?
उत्तर :
इस वाक्य में भारत सरकार से आशय भारत में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी ?
उत्तर :
‘इस प्रकार के लेखों से स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेने वालों को अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए आत्म- बलिदान देने की प्रेरणा प्राप्त हुई होगी। अनेक भारतवासी ऐसे लेखों को पढ़कर स्वाधीनता आंदोलन में कूद पड़े होंगे। उन्होंने निडरतापूर्वक विदेशी शक्तियों का डटकर मुकाबला किया होगा।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की इस खबर को आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर :
इतिहासकार महादेव चिटनवीस से आज ज्ञात हुआ कि स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के सेनानी नाना साहब की पुत्री मैना को कानपुर के किले में जीवित जला कर भस्म कर दिया। मैना को अंग्रेज़ी सेना के जनरल अउटरम ने नाना साहब के धराशायी महल के पास से बंदी बनाया था। छह सितंबर को हॉउस ऑफ़ लार्ड्स में सर टामस की अध्यक्षता में नाना के परिवारजनों तथा संबंधियों को मार डालने का क्रूरता भरा निर्णय लिया गया था। भीषण अग्नि में शांत भाव से जलती बालिका मैना को वहाँ उपस्थित लोगों ने देवी समझकर प्रणाम किया।

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प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप –
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
(ख) अपने आस-पास का किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर :
(क) 1. हिमाचल में मछली फार्म में जहर फैलने से सैकड़ों मछलियों की मौत हिमाचल प्रदेश के मछली फार्म में जहर फैलने की वजह से सैकड़ों हिमालयी मछलियों के मारे जाने की खबर मिली है। बताया गया है कि ये मछलियाँ दुर्लभ प्रजाति की थीं। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी तारा चंद ने इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल के धमवाड़ी सरकारी मछली फार्म में लगभग 3000 छोटी मछलियाँ मरी पाई गईं, जबकि 400 वयस्क मछलियों के मारे जाने की भी खबर मिली है। तारा चंद ने बताया कि मरी हुई मछलियों की जाँच करने से पाया गया है कि मछली- टैंक में जहरीले रासायनिक पदार्थ के फैलने की वजह से इन मछलियों की मौत हुई है। उल्लेखनीय है कि राज्य की राजधानी शिमला से 140 किलोमीटर दूरी पर स्थित पब्बर घाटी पर सरकार द्वारा मछली फार्म संचालित किए जाते हैं, जिन्हें हैचरी बोला जाता है।

2. यहाँ किसी भी हिंदी समाचार पत्र से कोई समाचार काटकर चिपकाइए।
(ख) वह रात अति डरावनी थी, मूसलाधार बारिश में पूरी मुंबई गले तक डूब चुकी थी। लोग घरों तक पहुँचने की जद्दोजहद में अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे।
सारे संपर्क टूट गए थे। मैं तीसरे माले की अपनी बालकनी से प्रकृति का तांडव देख रही थी। बेटे और पति से बड़ी मुश्किल से बात हो पाई थी। पास के रिश्तेदारों के यहाँ उन्हें रुकने को कहने के बाद मैं घर में अकेली थी। हमेशा जगमगाती मुंबई आज अंधकार में डूबी थी। मैंने टॉर्च की रोशनी में देखा कि पास के नाले में भरा कचरा पानी के साथ पूरे मोहल्ले में फैल गया है।

इस दृश्य को मैं कई दिनों तक भुला नहीं पाई। धीरे-धीरे बारिश का प्रकोप थमा और जीवन सामान्य होने लगा। मैंने ठान लिया था कि मुझे क्या करना है। मैंने तीन कचरा पेटी खरीदीं और नाले के सामने रखवा दीं। आस-पास के हर घर में जाकर अपील की कि कचरा नाले में नहीं कचरापेटी में ही डालें। सोसायटी के अध्यक्ष से कहकर नाले की पूरी सफाई करवाई। काफी लोगों ने समझा, तो कुछ ने मजाक बनाया। जानबूझकर कचरा नाले में डाल देते। उनसे उलझने की जगह मैं खुद जाकर कचरा उठाकर पेटी में डाल आती। अब सभी लोग कचरा सही जगह पर डालते हैं और साफ-सुथरी कॉलोनी में रहने पर गर्व महसूस करते हैं।
ऐसी ही कोई न कोई पहल हम सब कर सकते हैं।

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प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर :
पिछले सप्ताह मेरी कक्षा एक पिकनिक ट्रिप पर गई थी। हमारे साथ शीतल मैडम और गुप्ता सर भी थे। हम तीस बच्चे स्कूल की वैन में गए थे। हम बहुत प्रसन्न थे और अपने साथ खेलने और खाने का बहुत-सा सामान ले गए थे। वैन से उतरते ही हम सब झील के किनारे चले गए। झील में किनारे के पास ही एक सुंदर फूल लगा था जिसे संदीप ने तोड़ना चाहा। सब बच्चों ने उसे ऐसा न करने को कहा पर वह माना ही नहीं।

वहाँ थोड़ी ढलान और फिसलन थी। जैसे ही उसने पाँव बढ़ाया वह फ़िसल गया और झील में जा गिरा। हम सब ज़ोर-ज़ोर से चीखने-चिल्लाने लगे। हममें से किसी को भी तैरना नहीं आता था। संदीप गोते खा रहा था। पास ही भैंस चराने वाला एक लड़का अपनी भैंसों को चरा रहा था। हमारी चीख-पुकार सुनकर वह भागा हुआ आया। उसने कपड़ों समेत झील में छलांग लगा दी और डूबते संदीप को झील से बाहर खींच लाया।

तब तक गुप्ता सर भी दूर से भागते हुए हमारे पास पहुँच गए। उन्होंने उस लड़के को शाबाशी दी और एक सौ रुपए इनाम देने की बहुत कोशिश की, पर उसने इनाम नहीं लिया। हम सब बच्चों ने उसकी बहुत प्रशंसा की, पर वह तो सिर नीचा कर चुपचाप बैठा रहा। उसकी बहादुरी के कारण ही संदीप डूबने से बच गया।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इसी पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले प्रचलित था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
उत्तर :
मानक रूप – अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अंत में वृद्धावस्था में सर टामस हे एक मामूली मराठी बालिका के सौंदर्य पर मोहित होकर अपना कर्तव्य ही भूल गए। हमारे मत से नाना के पुत्र, कन्या तथा अन्य कोई भी संबंधी जहाँ कहीं मिलें, मार दिए जाएँ। यह भी जानें –

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पाठेतर सक्रियता –

अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
इन पुस्तकों को पढ़िए- ‘ भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’ – राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली। ‘सन् 1857 की कहानियाँ’ – ख्वाजा हसन निज़ामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें –
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
आजाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हज़ार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा – “ जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी।

केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हज़ार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”

मुझे याद आता है सन् 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया – “चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”

मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।

1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया ?
2. दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया ?
3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं ?
4. आजादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा ?
5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे ?
उत्तर :
1. अनेक सरकारों ने उन्हें पैसे से तोलना चाहा। पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरदार दरबारा सिंह ने उन्हें इक्यावन हज़ार रुपये भेंट किए थे।
2. दुर्गा भाभी ने पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा भेंट स्वरूप दिए गए रुपये इसलिए वापस कर दिए थे क्योंकि वे व्यक्तिगत लाभ नहीं लेना चाहती थीं।
3. दुर्गा भाभी को चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वे दलगत राजनीति से दूर रहना चाहती थीं, इसलिए अनेक बड़े-बड़े नेताओं से निकट संपर्क होते हुए भी संसदीय राजनीति से दूर रहीं।
4. आजादी के बाद उन्होंने स्वयं को नयी पीढ़ी के निर्माण में लगा दिया तथा अपना सारा समय अपने विद्यालय को समर्पित कर दिया।
5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व से हम उनकी यह विशेषता अपनाना चाहेंगे कि मनुष्य को कोई भी कार्य अपने व्यक्तिगत लाभ अथवा उपलब्धि के लिए न करके समाज के कल्याण के लिए करना चाहिए।

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यह भी जानें –

हिंदू – पंच – अपने समय की चर्चित पत्रिका हिंदू पंच का प्रकाशन सन् 1926 में कलकत्ता से हुआ। इसके संपादक थे – ईश्वरीदत्त शर्मा सन् 1930 में इसका ‘बलिदान’ अंक निकला जिसे अंग्रेज़ सरकार ने तत्काल जब्त कर लिया। चाँद के ‘फाँसी’ अंक की तरह यह भी आजादी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इस अंक में देश और समाज के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले व्यक्तियों के बारे में बताया गया है।

JAC Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर :
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों ने अपना सैनिक दल बिठूर भेज दिया। बिठूर आकर उन्होंने नाना साहब का राजमहल लूट लिया। इस लूट में उन्हें बहुत थोड़ी संपत्ति मिली थी। उन्होंने तोप के गोलों से नाना साहब का महल नष्ट करने का निश्चय किया। सैनिकों ने जब वहाँ तोपें लगाईं तो नाना साहब की पुत्री मैना ने सेनापति ‘हे’ से ऐसा न करने की प्रार्थना की, किंतु जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना साहब का महल मिट्टी में मिला दिया गया और मैना को कानपुर के एक किले में लाकर जलाकर भस्म कर दिया गया।

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प्रश्न 2.
सर टामस हे की रिपोर्ट पर ‘हाउस ऑफ़ लाईस’ ने क्या टिप्पणी की थी ?
उत्तर :
सर टामस हे की रिपोर्ट पर हाउस ऑफ़ लार्ड्स में बहुत आलोचना हुई थी। इस संबंध में टाइम्स ने लिखा था कि ‘हे’ के लिए निश्चय ही यह कलंक की बात है। जिस नाना ने अंग्रेज़ नर-नारियों का संहार किया उसकी कन्या के लिए वे क्षमा- दान की माँग कर रहे हैं। लगता है, अपना सारा जीवन युद्ध में बिताकर अंत में वृद्धावस्था में वे एक मामूली महाराष्ट्रीयन बालिका के सौंदर्य पर मुग्ध होकर अपना कर्तव्य भूल गए हैं। हमारे विचार में नाना का जो भी संबंधी मिले, उसे मार डाला जाए तथा जिस कन्या की ‘हे’ ने क्षमादान की अपील की है, उसे ‘हे’ के सामने फाँसी पर लटका दिया जाए।

प्रश्न 3.
धुंधुपंत नाना साहब से क्या गलती हुई थी और उस ग़लती का परिणाम किसे भुगतना पड़ा ?
उत्तर :
धुंधुपत नाना साहब सन् 1857 ई० के विद्रोह के नेताओं में से एक थे। नाना साहब कानपुर में असफल हो गए थे। वे जल्दी से वहाँ : से भाग निकले थे परंतु जल्दी-जल्दी में वे अपनी पुत्री मैना को अपने साथ नहीं ले सके थे। उनकी इस छोटी सी ग़लती का परिणाम छोटी बच्ची को भुगतना पड़ा। उस छोटी बच्ची मैना को अंग्रेजों की क्रूरता का शिकार होना पड़ा था।

प्रश्न 4.
अंग्रेज़ी सरकार ने सेनापति टामस ‘हे’ को क्या आदेश दिया था ?
उत्तर :
अंग्रेज़ी सरकार सन् 1857 के संग्राम में भाग लेने वालों के विरुद्ध क्रूरतापूर्ण व्यवहार कर रही थी। नाना साहब के असफल होने पर और वहाँ से सुरक्षित निकल जाने पर अंग्रेज़ों ने उनके महल पर कब्जा कर लिया। अंग्रेजी सरकार ने सेनापति टामस ‘हे’ को आदेश दिया कि नाना साहब के संबंधी, पुत्र और कन्या जो भी मिले उसे मार डाला जाए। नाना साहब की पुत्री को फाँसी देने का आदेश दिया गया था परंतु अंग्रेजों ने उसे जिंदा जला दिया।

प्रश्न 5.
सेनापति टामस ‘हे’ और नाना साहब की पुत्री मैना के मध्य हुए संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
नाना साहब का महल नष्ट करने के लिए अंग्रेज़ों की तरफ से सेनापति टामस ‘हे’ आए थे। मैना ने उन्हें पहचान लिया कि वे उसकी सहेली के पिता थे। मैना ने उनसे मकान को नष्ट करने से पहले मकान के द्वारा किया गया अपराध पूछा। सेनापति ‘हे’ ने कहा कि वह नाना साहब का निवास स्थान था। हमें उनसे संबंधित सभी वस्तुओं को नष्ट करने का आदेश मिला था। मैना सेनापति ‘हे’ को अपना परिचय उनकी पुत्री मेरी की सखी के रूप में दिया था। साथ ही जड़ पदार्थ मकान को नष्ट न करने की प्रार्थना की।

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प्रश्न 6.
सेनापति ‘हे’ मैना की बातें सुनकर असमंजस में क्यों पड़ जाता है ?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ नाना साहब का महल नष्ट करने आया था परंतु मैना की बातें सेनापति ‘हे’ पर गहरा प्रभाव डालती हैं। वह महल को नष्ट नहीं करना चाहता था परंतु उसे अंग्रेज़ सरकार से आदेश मिला था जिसे वह ठुकरा नहीं सकता था। वह मैना को अपनी पुत्री मेरी के समान प्यार करता था। वह असमंजस में पड़ जाता है कि वह सरकार का आदेश का पालन करे या मैना की बात मानकर महल की रक्षा करे।

प्रश्न 7.
प्रधान सेनापति जनरल अउटरम सेनापति ‘हे’ पर क्यों क्रोधित हुआ ?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ को आदेश दिया गया था कि नाना साहब से संबंधित सभी चीज़ों को नष्ट कर दिया जाए परंतु सेनापति ‘हे’ ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि मैना उनकी पुत्री मेरी की सहेली थी। वे उसकी रक्षा करने का प्रयत्न करते हैं। उसी समय जनरल अउटरम वहाँ पहुँच जाता है और सेनापति ‘हे’ को आदेश का पालन नहीं करते हुए देखकर वह उस पर बिगड़ जाता है।

प्रश्न 8.
सेनापति ‘हे’ ने नाना साहब के महल को बचाने के लिए क्या प्रयास किए?
उत्तर :
सेनापति ‘हे’ ने अंग्रेज़ी सरकार के आदेश का उल्लंघन करते हुए जनरल अउटरम से प्रार्थना करता है कि नाना साहब के महल को नष्ट न किया जाए। जनरल अउटरम उसकी प्रार्थना को ठुकरा देता है। सेनापति ‘हे’ गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग को एक तार भेजता है। गवर्नर जनरल भी उसकी प्रार्थना को ठुकरा देते हैं। सेनापति ‘हे’ नाना साहब के महल को बचाने में स्वयं को असमर्थ पाते हैं।

प्रश्न 9.
अंत में मैना कहाँ बैठी थी और उसकी अंतिम इच्छा क्या थी ?
उत्तर :
जनरल अउटरम ने नाना साहब के महल को नष्ट कर दिया था। वहाँ उसे मैना कहीं नहीं मिली थी। सितंबर 1857 को आधी रात के समय मैना साफ़ कपड़े पहने हुए महल की राख की पास बैठी रो रही थी। अंग्रेज़ों ने उसे चारों ओर से घेर लिया। वह मरने से नहीं डर रही थी। वह केवल कुछ देर के लिए अपने पिता के महल की राख के पास बैठकर रोना चाहती थी परंतु अंग्रेजों ने उसकी इच्छा पूरी नहीं की।

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प्रश्न 10.
अंग्रेज़ों ने मैना के साथ कैसा व्यवहार किया ?
उत्तर :
अंग्रेजों ने मैना को उसके महल में से गिरफ्तार कर लिया। उसे कानपुर के किले में बंद कर दिया। मैना को फाँसी की सजा सुनाई गई थी, परंतु अंग्रेज़ों ने उसे कानपुर के किले में आग में जलाकर भस्म कर दिया। अंग्रेजों ने उस छोटी बच्ची को जिंदा जलाकर नाना साहब से अपना बदला लिया था।

प्रश्न 11.
मैना के मरने का समाचार किसने दिया और मरते समय वह कैसी लग रही थी ?
उत्तर :
मैना के मरने का समाचार महाराष्ट्रीय इतिहास वेत्ता महादेव चिटनवीस ने अपने पत्र ‘बाखर’ में छापा था। उसमें लिखा था, ‘अंग्रेज़ों ने कानपुर के किले में भीषण हत्याकांड किया और मैना को जिंदा आग में जलाकर भस्म कर दिया। भीषण अग्नि में जलते समय मैना शांत और सरल मूर्ति लग रही थी। वहाँ उपस्थित लोगों ने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।’

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. सन् 1857 के विद्रोही नेता धुंधुपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ . न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी, पर विद्रोह का दमन करने के बाद अंग्रेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. विद्रोह कब हुआ था ?
2. 1857 के विद्रोही नेता का क्या नाम था ?
3. नाना साहब कानपुर में किसको और क्यों छोड़कर चले गए थे ?
4. अंग्रेज़ों ने किसे अग्नि में भस्म कर दिया था ?
उत्तर :
1. विद्रोह सन् 1857 में हुआ था।
2. सन् 1857 के विद्रोही नेता का नाम धुंधपंत नाना साहब था।
3. सन् 1857 के विद्रोह में नाना साहब असफल हो गए थे, इसलिए वे वहाँ से जल्दी में भागने लगे। इसी जल्दबाजी में वे कानपुर में अपनी पुत्री देवी मैना को छोड़ गए, जो उनके महल में उनके साथ रहती थी।
4. अंग्रेज़ों ने नाना साहब की पुत्री देवी मैना को बड़ी ही क्रूरता से आग में जलाकर भस्म कर दिया।

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2. कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों का सैनिक दल बिठूर की ओर गया। बिठूर में नाना साहब का राजमहल लूट लिया गया, पर उसमें बहुत थोड़ी संपत्ति अंगरेजों के हाथ लगी। इसके बाद अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से नाना साहब का महल भस्म कर देने का निश्चय किया। सैनिक दल ने जब वहाँ तोपें लगाईं, उस समय महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका उठकर खड़ी हो गई।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. अंग्रेज़ों के सैनिक भीषण हत्याकांड के पश्चात् कहाँ गए ?
2. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के राजमहल के साथ क्या किया ?
3. अंग्रेज़ों ने क्या निश्चय किया ?
4. नाना साहब के महल को तोपों से उड़ाते समय क्या हुआ ?
उत्तर
1. कानपुर में भीषण हत्याकांड के बाद अंग्रेज़ों के सैनिक दल बिठूर की ओर गए।
2. अंग्रेज़ों ने बिठूर में नाना साहब के राजमहल को लूट लिया। इसके पश्चात अंग्रेज़ों ने तोप के गोलों से उनका राजमहल भस्म करने का निश्चय किया।
3. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को तोप से उड़ा देने का निश्चय किया।
4. अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को तोप से उड़ाने का निश्चय करने के बाद वहाँ पर तोपें लगवा दीं। उसी समय महल के बरामदे में एक सुंदर बालिका उठकर खड़ी हो गई।

3. मैं जानती हूँ कि आप जनरल ‘हे’ हैं। आपकी प्यारी कन्या मेरी में और मुझ में बहुत प्रेम संबंध था। कई वर्ष पूर्व मेरी मेरे पास बराबर आती थी और मुझे हृदय से चाहती थी। उस समय आप भी हमारे यहाँ आते थे और मुझे अपनी पुत्री के ही समान प्यार करते थे। मालूम होता है कि आप वे सब बातें भूल गए हैं। मेरी की मृत्यु से मैं बहुत दुखी हुई थी, उसकी एक चिट्ठी मेरे पास अब तक है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह शब्द किसने, किसे और क्यों कहे ?
(ख) जनरल ‘हे’ कौन था ? वह यहाँ किसलिए आया था ?
(ग) मेरी की सखी जनरल ‘हे’ को क्या समझाना चाहती थी और क्यों ?
(घ) मेरी की सखी ने मेरी का पत्र क्यों संभालकर रखा हुआ था ?
(ङ) जनरल ‘हे’ के मन में मैना ने क्या भाव भरने का प्रयत्न किया था ?
उत्तर :
(क) यह शब्द धुंधुपंत नाना साहब की पुत्री मैना ने अंग्रेज़ सेनापति जनरल ‘हे’ से कहे थे। जब जनरल ‘हे’ सरकार की आज्ञा से नाना साहब का महल तोपों से गिराना चाहता था तो मैना उनसे यह महल न गिराने का अनुरोध करते हुए उन्हें अपना परिचय देती है।
(ख) जनरल ‘हे’ एक अंग्रेज़ अधिकारी था। वह वहाँ नाना साहब का महल गिराने आया था।
(ग) मेरी की सखी मैना जनरल ‘हे’ को यह समझाना चाहती है कि उसका तथा उनकी पुत्री मैरी का आपस में बहुत प्रेम – भाव था। वे उनके घर आते रहते थे तथा मेरी भी उनके घर आती थी। वे उसे भी अपनी पुत्री के समान स्नेह देते थे। इस प्रकार उनके तथा मैना के परिवार के आपस में अच्छे संबंध थे, इसलिए उन्हें उनका महल नष्ट नहीं करना चाहिए।
(घ) मैना का मेरी के साथ बहुत प्रेम-भाव था। वे आपस में मिलती-जुलती रहती थीं। मेरी की मृत्यु से मैना बहुत दु:खी हुई थी। मेरी की यादगार के रूप में मैना ने मेरी का एक पत्र संभालकर रखा हुआ था।
(ङ) मैना ने जनरल ‘हे’ के मन में अपने प्रति प्रेम और सहानुभूति के भाव भरने चाहे थे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

4. बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक इस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी जिस पर समस्त अंग्रेज जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंग्रेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह कथन किसने, कब और क्यों कहा ?
(ख) भारत सरकार किसे कहा गया है ? वह असफल क्यों रही ?
(ग) नाना साहब को दुर्दात क्यों कहा गया है ? अंग्रेज़ों को उन पर क्रोध क्यों है ?
(घ) कानपुर में कैसा हत्याकांड हुआ था ? यह घटना कब की है ?
(ङ) अंग्रेज़ सरकार को किसने भड़काया और उकसाया था ?
उत्तर :
(क) यह समाचार लंदन से प्रकाशित ‘टाइम्स’ के 6 सितंबर, सन् 1857 के अंक में छपा था। कानपुर में धुंधुपंत नाना साहब द्वारा अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध किए गए विद्रोह के कारण यह समाचार प्रकाशित हुआ था। अंग्रेज़ सेना नाना को पकड़ नहीं सकी थी।
(ख) भारत सरकार तत्कालीन अंग्रेज़ सरकार को कहा गया है। वह सरकार नाना साहब द्वारा किए गए विद्रोह को दबा नहीं सकी थी और नाना साहब को भी पकड़ने में असमर्थ रही थी। इसलिए ‘टाइम्स’ ने इस सरकार को असफल कहा था।
(ग) नाना साहब को दुर्गांत इसलिए कहा गया है क्योंकि अंग्रेज़ सरकार के सैनिक नाना साहब के विद्रोह का दमन नहीं कर सके थे और न ही वे नाना साहब को पकड़ सके। नाना साहब द्वारा किए गए विद्रोह और अंग्रेज़ों की हत्याओं के कारण ही अंग्रेज़ों को उन पर क्रोध है।
(घ) कानपुर में अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध हुए नाना साहब के विद्रोह में अनेक अंग्रेज़ मारे गए थे। इसके बाद बदला लेने के लिए अंग्रेज़ सैनिकों ने कानपुर में अनेक भारतीयों को मार दिया था। यह घटना सन् 1857 ई० के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की है।
(ङ) अंग्रेज़ सरकार को भारत सरकार के विरुद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ ने भड़काया और उकसाया था।

नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया Summary in Hindi

लेखिका – परिचय :

जीवन परिचय – चपला देवी द्विवेदी युग की लेखिका मानी जाती हैं। इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है।

रचनाएँ – चपला देवी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में रिपोर्ताज लिखे थे। ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ उनके द्वारा रचित प्रसिद्ध रिपोर्ताज है। उनकी अन्य रचनाओं के संबंध में हिंदी साहित्य का इतिहास मौन है।

भाषा-शैली – चपला देवी द्वारा रचित रिपोर्ताज इस शैली का प्रारंभिक रूप है। इसमें लेखिका ने तत्कालीन प्रचलित बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। इसमें क्रूरता, विद्रोह, दमन, वासस्थान, अल्पवयस, भग्नावशिष्ट आदि तत्सम प्रधान शब्दों के अतिरिक्त महल, बरामदा, चिट्ठी, फिक्र, तार आदि विदेशी शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। संवादात्मकता ने इस रिपोर्ताज की रोचकता में वृद्धि की है, जैसे-सेनापति ने उससे पूछा – ‘क्या चाहती है ?”

बालिका ने शुद्ध अंग्रेज़ी भाषा में उत्तर दिया – ‘क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे ?”
सेनापति – ‘क्यों, तुम्हारा इसमें क्या उद्देश्य है ?’
बालिका – ‘आप ही बताइए कि यह मकान गिराने में आपका क्या उद्देश्य है ?”
कहीं-कहीं विवरणात्मक शैली के दर्शन होते हैं, जैसे – ‘कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।’
इस प्रकार लेखिका ने सहज, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी भाषा – शैली में अपने भावों को व्यक्त किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी, मैना को भस्म कर दिया गया

पाठ का सार :

‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ चपला देवी द्वारा रचित रिपोर्ताज है, जिसमें लेखिका ने सन् 1857 ई० की क्रांति के नेता धुंधुपंत नाना साहब की पुत्री मैना को अंग्रेजों द्वारा जलाकर मार डालने की लोमहर्षक घटना का हृदयस्पर्शी वर्णन किया गया है। कानपुर में भीषण नरसंहार करने के बाद अंग्रेज़ों की सेना ने बिठूर जाकर नाना साहब का राजमहल लूट लिया।

इसके बाद उन्होंने तोप के गोलों से महल को उड़ाने की तैयारी की तो महल के बरामदे में एक बहुत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई तथा अंग्रेज सेनापति को महल पर तोप के गोले बरसाने से मना किया। उस छोटी-सी बालिका पर अंग्रेज सेनापति को दया आ गई और उसने उस बालिका से पूछा कि वह क्या चाहती है? उस बालिका ने सेनापति को अंग्रेज़ी भाषा में ही उत्तर दिया कि वह इस महल की रक्षा करना चाहती है क्योंकि जिन्होंने आप के विरुद्ध शस्त्र उठाए थे वे दोषी हो सकते हैं परंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने तो आप का कुछ नहीं बिगाड़ा है। सेनापति ने उत्तर दिया कि वह अपने कर्तव्य से बँधा हुआ है, इसलिए उसे यह मकान गिराना ही होगा।

तब वह बालिका उस अंग्रेज सेनापति को बताती है कि वह जानती है कि वे जनरल ‘हे’ हैं। उनकी पुत्री मैरी से उसकी मित्रता थी। मैरी की मृत्यु से वह बहुत दुखी हुई थी। मैरी का एक पत्र आज भी उसके पास सुरक्षित है। तब सेनापति ने उस बालिका को पहचान लिया कि वह नाना साहब की पुत्री मैना है। वह उसे बचाने का प्रयत्न करने की बात कहता है। तभी वहाँ जनरल अउटरम आकर नाना साहब के महल को तोप से उड़ाने के लिए कहता है।

सेनापति ‘हे’ नाना साहब के महल को किसी प्रकार से बचाने के लिए उनसे पूछता है तो अउटरम स्पष्ट कह देता है कि गवर्नर जनरल की आज्ञा के बिना यह संभव नहीं है। सेनापति ‘हे’ गवर्नर जनरल लॉर्ड केनिंग से इस विषय में तार भेजकर अनुरोध करता है। लॉर्ड केनिंग का उत्तर आता है कि ‘लंदन के मंत्रिमंडल का यह मत है कि नाना का स्मृति चिह्न तक मिटा दिया जाए।’ उसी क्षण जनरल अउटरम की आज्ञा से नाना का राजमहल तोप के गोले बरसा कर मिट्टी में मिला दिया जाता है।

इस संदर्भ में लंदन से प्रकाशित ‘टाइम्स’ पत्र में छठी सितंबर को एक लेख में नाना साहब को पकड़ सकने में अंग्रेजी सेना की असमर्थता पर खेद व्यक्त किया गया और ‘हाउस ऑफ लाईस’ की सभा में सर टामस ‘हे’ की इस रिपोर्ट की निंदा की गई कि नाना की कन्या पर दया की जाए। उन्होंने नाना के परिवारजनों तथा संबंधियों को मार डालने तथा मैना को फाँसी पर लटकाने का आदेश दिया।

सन् 1857 ई० के सितंबर महीने की आधी रात के समय चाँदनी में स्वच्छ उज्ज्वल वस्त्र पहनकर एक बालिका नाना साहब के धराशायी महल के ढेर पर बैठी रो रही थी। वहीं पास में जनरल अउटरम और उसकी सेना भी ठहरी हुई थी। बालिका के रोने की आवाज़ सुनकर वह वहाँ पहुँच गया और उसने उसे पहचान लिया कि यह तो नाना की पुत्री मैना है। उसने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसे कानपुर के किले में लाकर कैद कर दिया गया। बाद में महाराष्ट्रीय इतिहासकार महादेव चिटनवीस के समाचार पत्र ‘बाखर’ में यह प्रकाशित हुआ कि कल कानपुर के किले में नाना साहब की पुत्री मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में भी शांत भाव से उस बालिका को जलती देखकर सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।

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कठिन शब्दों के अर्थ :

  • विद्रोही – बाग़ी
  • दमन – बगावत को बलपूर्वक रोकना
  • निरीह – बेचारा, चुपचाप पड़ा रहनेवाला
  • पाषाण – पत्थर
  • अल्पवयस – कम उम्र
  • विध्वंस – नष्ट, नाश
  • दुर्दांत – जिसे दबाना बहुत कठिन हो
  • प्रासाद – महल
  • विद्रोह – राज्य को उलटने के लिए बलवा करना, बगावत
  • कूरता – निर्दयता, निष्ठुरता
  • निरपराध – जिसने कोई अपराध न किया हो, निर्दोष
  • द्रवीभूत – दया से पसीजा हुआ
  • वास स्थान – रहने का स्थान
  • फिक्र – चिंता
  • भग्नावशिष्ट – खंडहर
  • आर्त – दुखी

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