JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

JAC Class 9 Hindi एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Textbook Questions and Answers

मौखिक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था ?
उत्तर :
अग्रिम दल का नेतृत्व उपनेता प्रेमचंद कर रहा था।

प्रश्न 4.
लेखिका को सागरमाथा नाम क्यों अच्छा लगा ?
उत्तर :
लेखिका ने नेपालियों को एवरेस्ट को सागरमाथा नाम से पुकारते हुए सुना, तो उसे भी यह नाम अच्छा लगा।

प्रश्न 2.
लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा ?
उत्तर :
लेखिका को एवरेस्ट की चोटी पर बर्फ का एक बड़ा फूल लहराते हुए ध्वज जैसा लगा।

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प्रश्न 3.
हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए ?
उत्तर :
हिमस्खलन से किसी की मृत्यु नहीं हुई, पर नौ पुरुष सदस्य घायल हुए थे।

प्रश्न 5.
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा ?
उत्तर :
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा था कि ऐसे साहसपूर्ण अभियानों में होने वाली मृत्यु को सहज रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए।

प्रश्न 6.
रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई ?
उत्तर :
अनुकूल जलवायु न होने के कारण रसोई सहायक की मृत्यु हुई थी।

प्रश्न 7.
कैंप – चार कहाँ और कब लगाया गया ?
उत्तर:
कैंप- चार साउथ कोल में 29 अप्रैल, सन् 1984 को सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था।

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प्रश्न 8.
लेखिका ने शेरपा कुली को अपना परिचय किस तरह दिया ?
उत्तर :
लेखिका ने कहा कि वह बिलकुल नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।

प्रश्न 9.
लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी ?
उत्तर :
कर्नल खुल्लर ने कहा कि उसकी इस अनूठी उपलब्धि के लिए वे उसके माता-पिता को बधाई देना चाहते हैं। देश को उस पर गर्व है और वह अब एक ऐसे संसार में वापस जाएगी, जो एकदम भिन्न होगा।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा ?
उत्तर :
जब लेखिका ने सर्वप्रथम एवरेस्ट को देखा, तो उसे उसकी चोटी पर दिखाई देने वाला एक भारी बर्फ़ का बड़ा फूल जैसे उसकी चोटी पर लहराते हुए ध्वज की तरह लगा। यह दृश्य शिखर की ऊपरी सतह के आसपास एक सौ पचास किलोमीटर अथवा इससे भी अधिक तेज़ गति से चलने वाली हवा से बनता है। बर्फ़ का यह ध्वज दस किलोमीटर या इससे भी अधिक लंबा हो सकता है। वह एवरेस्ट की इस सुंदरता के प्रति विचित्र रूप से आकर्षित हुई।

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प्रश्न 2.
डॉ० मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं ?
उत्तर :
डॉ० मीनू मेहता ने उन्हें अभियान में सहायता देने वाली बातें बताईं। उन्होंने उन्हें एलुमिनियम की सीढ़ियों से अस्थाई पुल बनाना, रस्सियों का उपयोग करना तथा बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना सिखाया। उन्होंने उन्हें उनके अग्रिम दल के द्वारा किए गए तकनीकी कार्यों की भी जानकारी दी।

प्रश्न 4.
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ़ में क्या कहा ?
उत्तर :
लेखिका ने जब अपने बारे में यह कहा कि वह बिल्कुल नौसिखिया है और यह उसका पहला अभियान है, तो तेनजिंग ने उसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। वह पहले प्रयास में अवश्य शिखर पर पहुँच जाएगी।

प्रश्न 5.
लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी ?
उत्तर :
लेखिका को अंगदोरजी, ल्हाटू, की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। की, जय और मीनू उससे बहुत पीछे रह गए थे जबकि वह साउथ कोल कैंप पहुँच गई थी। बाद में वे भी आ गए। अगले दिन सुबह 6.20 पर वह अंगदोरजी के साथ चढ़ाई के लिए निकल पड़ी, जबकि अन्य कोई भी व्यक्ति उस समय उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था।

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प्रश्न 6.
लोपसांग ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया ?
उत्तर :
एक बहुत बड़ा बर्फ़ का पिंड ल्होत्से के ग्लेशियर से टूटकर लेखिका के तंबू पर गिर गया था और लेखिका चारों तरफ़ से बर्फ़ की कब्र में दब गई थी। उस समय लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ़ किया। फिर लेखिका के पास से बड़े-बड़े हिमपिंडों को हटाने के बाद उसने जमी हुई बर्फ़ की खुदाई करके लेखिका को बर्फ़ की कब्र से बाहर निकाला।

प्रश्न 7.
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की ?
उत्तर :
लेखिका ने साउथ कोल कैंप पहुँचकर अगले दिन की अपनी महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। इसके लिए उसने खाने-पीने का सामान, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन के सिलिंडर एकत्र किए। बाद में वह पीछे रह गए अपने साथियों की सहायता करने के लिए नीचे चली गई।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया ?
उत्तर :
एवरेस्ट पर जानेवाले दल के उपनेता प्रेमचंद थे। वे एक अनुभवी पर्वतारोही थे। उपनेता प्रेमचंद ने उन्हें हिमपात से बचने के लिए समझाया, क्योंकि उनका कैंप हिमपात के क्षेत्र में पड़ता था। प्रेमचंद ने उन्हें रस्सियों से पुल बनाने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा, क्योंकि उनके द्वारा बनाया गया पुल हिमपात से कभी भी टूट सकता था। उन्होंने उन्हें ग्लेशियर से भी सावधान रहने के लिए कहा। साथ ही हिमपात से बनी दरारों से भी सावधान रहने की चेतावनी दी।

प्रश्न 2.
हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं ?
उत्तर :
आकाश से बर्फ के गिरने को हिमपात कहते हैं। हिमपात में आकाश से बर्फ के खंड बेढंगे तरीके से जमीन पर गिरते हैं। इससे ग्लेशियर बहने लगते हैं और उनके बहने से अकसर बर्फ में हलचल हो जाती है। इससे बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें तुरंत गिर जाती हैं और खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो जाती है। ग्लेशियर के बहने से धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। यही दरारें कभी-कभी बर्फ के गहरे और चौड़े सुराखों में बदल जाती हैं, जिनमें धँसने से लोगों की मौत भी हो जाती है।

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प्रश्न 3.
लेखिका के तंबू में गिरे बर्फ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया गया है ?
उत्तर :
लेखिका के तंबू पर जब बर्फ़ का पिंड गिरा, तब वह गहरी नींद में सो रही थी। जब पिंड का एक हिस्सा उसके सिर के पिछले हिस्से से टकराया, तो उसकी नींद खुल गई। उस समय रात के साढ़े बारह बजे का समय था। उसी समय एक ज़ोर का धमाका हुआ और कोई ठंडी व बहुत भारी वस्तु उसके शरीर को कुचलती चली गई। उसे साँस लेने में भी कठिनाई होने लगी। बर्फ़ का एक लंबा पिंड उनके कैंप के ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर गिरा था। वह एक विशाल हिमपुंज बन गया था। वह एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण आवाज़ के साथ सीधी ढलान से उनके कैंप पर गिरा था।

प्रश्न 4.
‘की’ लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया ?
उत्तर :
लेखिका जब साउथ कोल कैंप पहुँची, तो अगले दिन की चढ़ाई की तैयारी में व्यस्त हो गई। जब उसकी सारी तैयारी पूरी हो गई तो उसने देखा कि की, जय और मीनू अभी तक नहीं आए हैं। दोपहर बाद उसने अपने इन साथियों की सहायता करने का निश्चय किया। वह एक थरमस में जूस और दूसरे में गरम चाय लेकर नीचे चल पड़ी। रास्ते में उसे मीनू और जय मिले। जय ने उससे चाय लेकर पी और उसे अधिक नीचे जाने से रोका। परंतु लेखिका जय की बात अनसुनी करके नीचे की ओर उतरने लगी। थोड़ा और नीचे उतरने पर उसे की मिला। वह उसे देखकर हक्का-बक्का रह गया कि वह कहाँ से आ गई ? उसने उसे इतना जोखिम उठाने के लिए टोका। लेखिका ने उसे समझाया कि वह भी एक पर्वतारोही है और अपने साथियों की सहायता करना वह अपना फ़र्ज समझती है। की हँसा और जूस पीकर उसके साथ ऊपर चल पड़ा।

प्रश्न 5.
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए ? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर :
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए शिखर कैंप और बेस कैंप के अतिरिक्त चार कैंप लगाए गए थे। कैंप – एक तक इन्होंने सामान ढोकर चढ़ाई का अभ्यास किया। कैंप-दो पर दल सोलह मई को प्रातः आठ बजे पहुँचा था। कैंप – तीन 15-16 मई को बुद्ध पूर्णिमा के दिन ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर नाइलॉन के बने सुंदर रंगीन तंबुओं से लगाया गया था। इसे ग्लेशियर से टूटकर आए हिमखंड ने गिरा दिया था। कैंप-चार साउथ कोल में सात हजार नौ सौ मीटर की ऊँचाई पर लगाया गया था। यह कैंप सुरक्षा और आराम की दृष्टि से अच्छा कैंप था।

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प्रश्न 6.
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी ?
उत्तर :
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी पर तेज़ हवाएँ चल रही थीं। इन तेज़ हवाओं के कारण भुरभुरी बर्फ़ के कण वातावरण में चारों ओर उड़ रहे थे। इससे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वहाँ आगे की चढ़ाई शेष नहीं थी। एकदम सीधी ढलान नीचे जा रही थी। चोटी पर इतनी भी जगह नहीं थी कि वहाँ एक साथ दो व्यक्ति खड़े हो सकते। चोटी के चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। उन्होंने वहाँ की बर्फ़ की खुदाई करके अपने लिए खड़े रहने का सुरक्षित स्थान बनाया।

प्रश्न 7.
सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है ?
उत्तर :
जब बचेंद्री साउथ कोल कैंप पहुँची, तो उसने अगले दिन की चढ़ाई की पूरी तैयारी कर ली। की, जय और मीनू के साथ उसने अगले दिन की चढ़ाई करनी थी, परंतु वे अभी तक वहाँ पहुँचे नहीं थे। इससे वह चिंतित हो उठी और एक थरमस में जूस व दूसरे में गरम चाय लेकर वह उन्हें ढूँढने नीचे की ओर चल पड़ी। कैंप से बाहर आते ही उसकी मीनू से मुलाकात हो गयी। आगे जाने पर जेनेवा स्पर की चोटी पर उसे जय मिला। उसने चाय पीकर उसे धन्यवाद दिया तथा नीचे जाने से रोका। परंतु वह कुछ नीचे गई, तो उसे की मिल गया। वह उसे वहाँ देखकर हैरान रह गया तथा जूस पीकर उसके साथ ऊपर की ओर चल पड़ा। बचेंद्री के इस कार्य से उसकी सहयोग और सहायता की भावना का परिचय मिलता है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उत्तर :
इस पंक्ति में लेखिका स्पष्ट करना चाहती है कि एवरेस्ट की चोटी पर जाने का अभियान बहुत खतरनाक होता है। तेज हवाओं, हिमपात, बर्फ़ की चट्टानों के खिसकने आदि का कुछ पता नहीं चलता। इन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते हुए यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाए तो उसे भी सहज रूप से स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योंकि ऐसे महान अभियानों में यह भी संभव है।

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प्रश्न 2.
सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र ख्याल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर :
हिमपात और ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी बर्फ की चट्टानों के गिरने की बात सुनने के बाद लेखिका को यह सुनना और भी भयभीत करने वाला लग रहा था कि इन बड़ी-बड़ी बर्फ़ की चट्टानों के गिरने से कई बार धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं। ये दरारें बहुत गहरी और चौड़ी बर्फ से ढकी हुई गुफाओं में बदल जाती हैं, जिनमें धँसकर मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त उसे यह जानकारी और भी अधिक भयानक लगी कि इनके सारे अभियान में यह हिमपात लगभग एक दर्जन पर्वतारोहियों और कुलियों को प्रतिदिन प्रभावित करता रहेगा। उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा।

प्रश्न 3.
बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बर्फ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता-पिता का ध्यान आया।
उत्तर :
जब लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची, तो बहुत रोमांचित हो उठी। वह प्रथम भारतीय महिला थी, जो यहाँ पहुँची थी। इस पल की प्रसन्नता को अपने आराध्य और माता-पिता के आशीर्वादों का फल मानते हुए उसने झुके हुए ही अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर लाल कपड़े में लपेटी और उनकी सहज भाव से संक्षिप्त पूजा करने के बाद उन्हें बर्फ में दबा दिया। अपनी सफलता के इन पलों में उसे अपने माता-पिता की याद भी आ गई, जिनके आशीर्वाद से वह इस सफलता तक पहुँची थी।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए –
उत्तर :
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायज़ा लेना, नौसिखिया।
निहारा है – लेखिका ने नमचे बाज़ार में पहुँचकर ही सबसे पहले एवरेस्ट को देखा था। वह उसे देखते ही उसके सौंदर्य पर मुग्ध हो गई थी। इसलिए लेखिका ने इसे मात्र ‘देखा’ न कहकर ‘निहारा ‘ कहती है।
धसकना – ग्लेशियर के पिघलने से धरती धसक जाती थी।
खिसकना – हिमपात से बर्फ़ की चट्टानें खिसक जाती थीं।
सागरमाथा – नेपालियों ने एवरेस्ट का नाम सागरमाथा रखा हुआ था, जो लेखिका को भी अच्छा लगा क्योंकि एवरेस्ट की चोटी से चारों ओर हिम का सागर-सा लहराता दिखाई देता है जिसमें चोटी उस सागर के माथे के समान चमकती रहती है।
जायज़ा लेना – पर्वतारोहियों से पहले अग्रिम दल मार्ग का जायजा लेता था।
नौसिखिया – जब तेनजिंग ने लेखिका से उसका परिचय पूछा तो अपना परिचय देते हुए उसने स्वयं को पर्वतारोहण के क्षेत्र में नौसिखिया बताया। यहाँ नौसिखिया का अर्थ नया-नया सीखने वाला अथवा अनाड़ी का भाव व्यक्त करता है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए –
उत्तर :
(i) उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए –
(ii) क्या तुम भयभीत थीं
(iii) तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री
उत्तर :
(i) उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।”
(ii) “क्या तुम भयभीत थीं ?”
(iii) “तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री ?”

प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
उदाहरण: हमारे पास एक वॉकी-टॉकी था।
टेढ़ी-मेढ़ी, हक्का-बक्का, गहरे-चौड़े, इधर-उधर, आस-पास, लंबे-चौड़े
उत्तर :
टेढ़ी-मेढ़ी : विंध्याचल में सड़कें टेड़ी-मेढ़ी हैं।
हक्का-बक्का : सुरेश को अचानक आया देखकर राजेश हक्का-बक्का रह गया।
गहरे-चौड़े : भूकंप से चमोली की धरती में गहरे-चौड़े खड्डे बन गए।
इधर-उधर : कृष्णन सदा इधर-उधर की हाँकता रहता है, मतलब की बात नहीं करता।
आस-पास : समीना के घर के आस-पास बहुत हरियाली है।
लंबे-चौड़े : नेता वायदे तो लंबे-चौड़े करते हैं, परंतु पूरा एक भी नहीं करते।

प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए –
उदाहरण: अनुकूल – प्रतिकूल।
नियमित, विख्यात, आरोही, निश्चित, सुंदर
उत्तर :
नियमित अनियमित, विख्यात कुख्यात, आरोही अवरोही, निश्चित – अनिश्चित, सुंदर – कुरूप।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए – जैसे : पुत्र- सुपुत्र।
वास, व्यवस्थित, कूल, गति, रोहण, रक्षित
उत्तर :
वास – निवास, निवास, व्यवस्थित अव्यवस्थित, कूल अनुकूल, गति प्रगति, रोहण आरोहण, रक्षित सुरक्षित

प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रिया-विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
(i) मैं ……………. यह कार्य कर लूँगा।
(ii) बादल घिरने के ………….. ही वर्षा हो गई।
(iii) उसने बहुत …………… इतनी तरक्की कर ली।
(iv) नाइकेसा को …………… गाँव जाना था।
उत्तर
(i) मैं सुबह तक यह कार्य कर लूँगा।
(ii) बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
(iii) उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
(iv) नाङकेसा को अगले दिन गाँव जाना था।

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंग्रेज़ी शब्दों का चयन कर उनका अर्थ लिखिए।
उत्तर :

  • बेस कैंप = आधार शिविर
  • ग्लेशियर = हिमनदी
  • एक्सप्रेस = शीघ्रगामी, तेज़
  • फोटो = छायाचित्र
  • प्लूम = पिच्छक
  • साउथ = दक्षिण
  • कुकिंग गैस = खाना पकाने वाली गैस
  • रेगुलेटर = नियंत्रक
  • सिलिंडर = बेलन
  • जूस = रस

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प्रश्न 2.
पर्वतारोहण से संबंधित दस चीज़ों के नाम लिखिए।
उत्तर :
फावड़ा, रस्सी, ऑक्सीजन, वॉकी-टॉकी, एल्युमिनियम की सीढ़ियाँ, छुरी, थरमस, कुकिंग गैस, जूस, खाना।

प्रश्न 3.
तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट’ क्यों पड़ा ? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
आगे बढ़ती भारतीय महिलाओं की पुस्तक पढ़कर उनसे संबंधित चित्रों का संग्रह कीजिए एवं संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए –
(क) पी० टी० उषा
(ख) आरती साहा
(ग) किरन बेदी
प्रश्न 2.
रामधारी सिंह दिनकर का लेख – ‘हिम्मत और जिंदगी’ पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
प्रश्न 3.
‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ – इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बचेंद्री के चरित्र की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
बचेंद्री के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) साहसी – बचेंद्री एक साहसिक महिला हैं। एवरेस्ट अभियान में आने वाली कठिनाइयों को जानते हुए भी वे एवरेस्ट अभियान पर जाने के लिए तैयार हो जाती हैं। वे एवरेस्ट के प्रति विचित्र रूप से आकर्षित थीं और इसकी कठिनतम चुनौतियों का सामना करना चाहती थीं।

(ii) सहृदय – बचेंद्री दूसरों के सुख-दुख में सहायता देने वाली महिला हैं। वे अपने साथियों से पहले ही साउथ कोल कैंप पहुँच गई थीं। जब उनके साथी की, जय और मीनू बहुत देर तक वहाँ न आए तो उनकी सहायता करने का निश्चय करके एक थरमस में जूस और दूसरे में गरम चाय लेकर नीचे की ओर चल पड़ी। कैंप के बाहर ही उनकी भेंट मीनू से हो गई। जय उसे जेनेवा स्पर चोटी पर मिला। उसने चाय पी और बचेंद्री को और नीचे जाने से रोका। पर वे नीचे गईं जहाँ उसे देखकर की हैरान रह गया। उसने जूस पीकर प्यास बुझाई। इस प्रकार बचेंद्री ने अपने साथियों की मदद की।

(iii) स्पष्टवादी – बचेंद्री जो मन में सोचती हैं, स्पष्ट कह देती हैं। तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए उसने स्पष्ट कह दिया था कि वे पर्वतारोहण के क्षेत्र में नौसिखिया हैं और एवरेस्ट उसका प्रथम अभियान है। तेनजिंग ने उसका उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि वह एक पक्की पहाड़ी लड़की है। वह पहले ही प्रयास में एवरेस्ट की चोटी पर पहुँच जाएगी।

(iv) आस्थावान – बचेंद्री एक आस्तिक महिला हैं। वे एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर घुटनों के बल बैठकर एवरेस्ट की चोटी का चुंबन करती हैं और फिर अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर एक लाल कपड़े में लपेटकर पूजा करने के बाद उन्हें वहीं गाड़ देती हैं। यह सब उनके अपने आराध्य के प्रति आस्था को व्यक्त करता है। इस अवसर पर वे अपने माता-पिता को भी स्मरण करती हैं।

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प्रश्न 2.
पैरिच पहुँचने पर लेखिका के दल को क्या समाचार मिला ?
उत्तर :
पैरिच पहुँचने पर लेखिका के दल को हिमस्खलन होने का समाचार मिला। खुंभु हिमपात पर जाने वाले अभियान दल के रास्ते के बाईं ओर सीधी पहाड़ी धँस गई थी। ल्होत्से की ओर बहुत बड़ी बर्फ़ की चट्टान नीचे खिसक आई थी। इस प्रकार के हिमस्खलन से सोलह शेरपा कुलियों के दल में से एक की मृत्यु हो गई थी और चार घायल हो गए थे।

प्रश्न 3.
पर्वतारोहियों के अग्रिम दल के उपनेता प्रेमचंद ने पर्वतारोहियों को किस बात से अवगत करवाया ?
उत्तर :
उपनेता प्रेमचंद ने पर्वतारोहियों के सदस्यों को उनकी पहली बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत करवाया। उनके दल ने कैंप एक के लिए; जो हिमपात के ऊपर बना था; रास्ता साफ कर दिया था। प्रेमचंद ने बताया कि उन लोगों को पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झंडियों से रास्ता चिह्नित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि हिमपात के कारण मौसम में अनियमित और अनिश्चित बदलाव होने के कारण सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं। यह भी हो सकता है कि उन्हें बर्फ़ में रास्ता खोलने का काम दोबारा शुरू करना पड़े।

प्रश्न 4.
हिमपात और ग्लेशियर क्या हैं ? ग्लेशियर के बहने से क्या होता है ?
उत्तर :
आकाश से बर्फ़ की वर्षा को हिमपात कहते हैं। ग्लेशियर हिमनदी को कहते हैं। नदी का पानी बर्फ बन जाता है, जो गर्मी पाकर पिघलने लगता है। ग्लेशियर के बहने से जमी हुई बर्फ पिघलने लगती है। इससे बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें टूटकर पहाड़ से नीचे गिर जाती हैं। इनके नीचे गिरने से जो कुछ भी इनके नीचे होता है, वह दब जाता है।

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प्रश्न 5.
लेखिका के लिए कौन-सा ख्याल डरावना था ?
उत्तर :
लेखिका और अन्य सदस्यों को बताया गया था कि ग्लेशियर के बहने से अकसर बर्फ़ में हलचल हो जाती है और बर्फ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें गिरने लगती हैं। अधिक खतरनाक स्थिति होने पर धरातल पर दरार पड़ने लगती है। इस दरार के गहरे होने पर चौड़ी बर्फ़ की गुफा बन जाती है। यदि इसमें कोई व्यक्ति धँस जाता है, तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है। यह ख्याल लेखिका को बहुत डरावना लग रहा था।

प्रश्न 6.
हिमपिंड के ग्लेशियर से टूटकर गिर जाने पर क्या हुआ और लेखिका को आश्चर्य क्यों हुआ ?
उत्तर :
15-16 मई, सन् 1984 को लेखिका अपने साथियों के साथ कैंप में सो रही थी। रात को लगभग 12:30 बजे ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर एक हिमपिंड लेखिका के कैंप के ऊपर ऐसे आ गिरा, जैसे एक्सप्रेस रेलगाड़ी तेज गति से भीषण गर्जना करते हुए आती है। हिमपिंड के गिरने से कैंप तहस-नहस हो गया था। हिमपिंड के गिरने से उनका कैंप पूरी तरह से नष्ट हो गया था; कैंप में सोए हुए प्रत्येक व्यक्ति को चोट भी लगी थी, परंतु किसी की भी इतनी बड़ी दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई थी। उसी बात पर लेखिका को आश्चर्य हो रहा था।

प्रश्न 7.
अंगदोरजी कैसे चढ़ाई करने वाले थे और उनकी स्थिति कैसी हो जाती थी ?
उत्तर :
अंगदोरजी बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई करने वाले थे। इस कारण से उनके पैर ठंडे पड़ जाते थे। इसलिए वे ऊँचाई पर लंबे समय तक खुले में और रात में शिखर कैंप पर नहीं जाना चाहते थे। अपनी इस स्थिति के कारण उन्हें या तो उसी दिन चोटी पर चढ़कर साउथ कोल वापस आना था या फिर ऊपर जाने का अपना निश्चय छोड़ देना था।

प्रश्न 8.
साउथ कोल से बाहर निकलते समय का वातावरण कैसा था ?
उत्तर :
जब लेखिका और अंगदोरजी साउथ कोल से बाहर निकले, तो दिन चढ़ गया था। हल्की-हल्की हवा चल रही थी। ठंड बहुत अधिक थी। जमी हुई बर्फ़ की सीधी तथा ढलान वाली चट्टानें बहुत अधिक सख्त और भुरभुरी थीं। उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे शीशे की चादरें बिछी हुई हों।

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प्रश्न 9.
लेखिका कितने बजे एवरेस्ट पर पहुँची और उसने वहाँ क्या किया ?
उत्तर :
अंगदोरजी तथा सहायक ल्हाटू के साथ लेखिका 23 मई, सन् 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची थी। वह वहाँ पहुँचने वाली पहली भारतीय महिला थी। वहाँ पहुँचकर उसने बर्फ़ को अपने माथे पर लगाकर ‘सागरमाथे’ के ताज का चुंबन लिया। उन्होंने दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर छोटी-सी पूजा की और उन्हें लाल कपड़े में लपेटकर बर्फ में दबा दिया। उसने उस आनंद के क्षण में अपने माता-पिता को याद किया।

प्रश्न 10.
नमचे बाज़ार के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
नमचे बाज़ार शेरपालैंड का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण नगरीय क्षेत्र है। अधिकांश शेरपा इसी स्थान तथा यहीं के आस-पास के गाँवों के होते हैं। इसी स्थान से लेखिका ने पहली बार एवरेस्ट को निहारा था। यह नेपालियों में ‘सागरमाथा’ के नाम से प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों की ‘सागरमाथा’ के प्रति अत्यंत श्रद्धा है।

प्रश्न 11.
प्लूम किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है ?
उत्तर :
कूल बर्फ के एक बड़े तथा भारी फूल को प्लूम कहते हैं। यह पर्वत की चोटी पर लहरता हुआ इस प्रकार दिखाई देता है, जैसे कोई ध्वज हो। यह बर्फ का पर्वत शिखर की ऊपरी सतह के आस-पास 150 किलोमीटर अथवा इससे भी अधिक गति से हवा चलने के क्योंकि सूखी बर्फ़ तेज हवा के कारण पर्वत के शिखर पर उड़ती रहती है। बर्फ का यह ध्वज दस किलोमीटर या इससे भी अधिक लंबा हो सकता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

प्रश्न 12.
‘बेस कैंप’ पहुँचने से पहले लेखिका और उसके दल को कौन-सी सूचना मिली।
उत्तर :
बेस कैंप पहुँचने से पहले लेखिका और उसके दल को रसोई सहायक की मृत्यु की सूचना मिली, जो जलवायु अनुकूल न होने के कारण मृत्यु का ग्रास बन गया था। यह समाचार लेखिका और उसके दल को हिलाकर रख देने वाला था। लेखिका और उसका दल निश्चित रूप से किसी आशाजनक स्थिति में नहीं चल रहे थे।

प्रश्न 13.
लेखिका किसे देख भौचक्की रह गई और देर तक निहारती रही ? ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
बेस कैंप पहुँचकर लेखिका ने दूसरे दिन एवरेस्ट पर्वत तथा उसकी अन्य श्रेणियों को देखा। यह दृश्य इतना सुंदर और मन को भा जाने वाला था कि लेखिका आश्चर्यचकित होकर खड़ी रह गई। वह पर्वत श्रेणी को ही निहारती रही कि किस प्रकार एवरेस्ट ल्होत्से और नुत्से की ऊँचाइयों से घिरा हुई है। साथ-ही-साथ लेखिका टेढ़ी-मेढ़ी बर्फ़ीली नदी को भी निहार रही थी, जिसे देखकर उसे सुखद आनंद का अनुभव हो रहा था।

प्रश्न 14.
लेखिका और उसके दल के लिए तीसरा दिन क्या करने के लिए निश्चित था ?
उत्तर :
लेखिका और उसके साथियों के लिए तीसरा दिन हिमपात से कैंप एक तक सामान ढोकर चढ़ाई का अभ्यास करने के लिए निश्चित था। लेखिका और उसकी साथी पर्वतारोही रीता गोंबू साथ-साथ चढ़ रहे थे। इन दोनों के पास एक ही वॉकी-टॉकी था। इसी वॉकी-टॉकी के माध्यम से चढ़ाई की प्रत्येक जानकारी लेखिका और उसकी साथी बेस कैंप तक पहुँचा रही थी। जब लेखिका और उसकी साथी रीता गोंबू कैंप पहुँचे, तो कर्नल खुल्लर बहुत प्रसन्न हुए; कैंप एक में पहुँचने वाली केवल ये दो ही महिलाएँ थीं।

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प्रश्न 15.
अप्रैल मास में तेनजिंग से हुई मुलाकात से लेखिका का मनोबल कैसे बढ़ा ?
उत्तर :
अप्रैल मास में लेखिका बेस कैंप में थी। इसी कैंप में तेनज़िंग अपनी सबसे छोटी पुत्री डेकी के साथ लेखिका और उसके साथियों से मिलने आए थे। तेनजिंग इस बात पर विशेष जोर दे रहे थे कि दल के प्रत्येक सदस्य तथा प्रत्येक शेरपा कुली से बातचीत की जाए। जब लेखिका की परिचय देने की बारी आई, तो लेखिका ने कहा कि वह बिलकुल ही नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है। तब तेनजिंग ने लेखिका के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।” तेनजिंग के इन शब्दों से लेखिका का मनोबल अत्यंत ऊँचा उठ गया।

प्रश्न 16.
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की चढ़ाई की तैयारी के लिए क्या-क्या किया ? वह चिंतित क्यों थी ?
उत्तर :
लेखिका जैसे ही साउथ कोल कैंप पहुँची, वह अगले दिन की अपनी महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी में जुट गई। उसने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए। लेखिका चिंतित थी, क्योंकि उसके साथी जय और मीनू अभी बहुत पीछे थे। लेखिका को अगले दिन इन्हीं लोगों के साथ चढ़ाई करनी थी। लेखिका के साथी इसलिए धीरे आ रहे थे, क्योंकि वे बिना ऑक्सीजन के चल रहे थे।

प्रश्न 17.
साउथ कोल के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर :
साउथ कोल पृथ्वी पर बहुत अधिक कठोर स्थानों में से एक है। इसी कारण यह प्रसिद्ध है। साउथ कोल लेखिका और उसके दल के लिए एक बेस कैंप था। अन्य कैंप की अपेक्षा यहाँ अधिक सुरक्षा और आराम उपलब्ध था।

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प्रश्न 18.
लेखिका एवरेस्ट की चोटी पर कब पहुँची ?
उत्तर :
लेखिका 23 मई 1984 के दिन दोपहर एक बजकर सात मिनट पर एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थी। वह एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वहाँ पहुँचकर लेखिका ने अपने अदम्य साहस और अथाह परिश्रम का परिचय दिया था।

एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा Summary in Hindi

लेखिका – परिचय :

जीवन-परिचय – एवरेस्ट विजेता बचेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड के चमोली जिले के बंपा गाँव में 24 मई, सन् 1954 ई० को हुआ था। इनकी माता का नाम हंसादेई नेगी और पिता का नाम किशन सिंह पाल है। ये अपने माता-पिता की तीसरी संतान हैं। आर्थिक कठिनाई के कारण इनके पिता ने इन्हें आठवीं कक्षा तक पढ़ाया। बाद में इन्होंने सिलाई-कढ़ाई करके खर्चा जुटाया और दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। बचेंद्री के प्राचार्य ने इनके पिता को इन्हें आगे पढ़ाने के लिए समझाया। अनेक विषम परिस्थितियों से जूझते हुए इन्होंने एम० ए० (संस्कृत) और बी० एड० तक की शिक्षा प्राप्त की। बचेंद्री पाल को पहाड़ों पर चढ़ने का बचपन से ही शौक था। इन्हें पाँच-छह मील पहाड़ की चढ़ाई चढ़ कर और उतरकर विद्यालय जाना पड़ता था। जब इंडियन माउंटेन फाउंडेशन ने एवरेस्ट अभियान पर जाने के लिए महिलाओं की खोज की, तो वे इस दल में शामिल हो गईं। ट्रेनिंग करते हुए इन्होंने सात हजार पाँच सौ मीटर ऊँची मान चोटी पर सफलापूर्वक चढ़ाई की थी। कई महीने अभ्यास करने के बाद में ये एवरेस्ट विजय पर गईं और 23 मई, 1984 ई० को एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली प्रथम भारतीय महिला बन गईं।

रचनाएँ – बचेंद्री पाल ने एवरेस्ट विजय की अपनी रोमांचक पर्वतारोहण – यात्रा का संपूर्ण विवरण स्वयं लिखा है

भाषा-शैली – लेखिका ने अपनी एवरेस्ट विजय का विवरण अत्यंत ही सहज तथा बोलचाल की भाषा में लिखा है। इसमें यथास्थान तत्सम प्रधान शब्दों की अधिकता है; जैसे- दुर्गम, शिखर, हिमपात, अवसाद, प्रवास, आरोही, उपस्कर, शंकु आदि। इनके साथ ही विदेशी शब्दों का प्रयोग भी सहज भाव से किया गया है; जैसे- बेस कैंप, किलोमीटर, खराब, जोखिम, नाइलॉन, सख्त, ऑक्सीजन, सिलिडंर आदि। लेखिका की शैली अत्यंत रोचक तथा प्रवाहमयी है। कहीं-कहीं इनकी शैली चित्रात्मक भी हो गई है; जैसे- ‘यह क्या हो गया था ? एक लंबा बर्फ़ का पिंड हमारे कैंप के ठीक ऊपर से होते हुए ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़ के इस विशाल पुंज ने एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैंप को तहस-नहस कर दिया।’ लेखिका की भाषा – शैली की सहजता पाठक को सहज ही एवरेस्ट यात्रा का आनंद प्रदान करती है।

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पाठ का सार :

बचेंद्री पाल द्वारा रचित ‘एवरेस्ट विजय’ में उनकी अपनी रोमांचक पर्वतारोहण-यात्रा का संपूर्ण विवरण है, जिसमें से कुछ अंश ‘एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें लेखिका के एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचकर तिरंगा झंडा लहराने का वर्णन किया गया है।

लेखिका एवरेस्ट अभियान दल के साथ 7 मार्च, सन् 1984 ई० को दिल्ली से काठमांडू के लिए हवाई जहाज़ से रवाना हो गई। एक अग्रिम दल इनसे पहले ही जा चुका था, जिससे इनके ‘बेस कैंप’ पहुँचने से पहले ही बर्फ़ गिरने से रुके हुए कठिन मार्गों को साफ़ किया जा सके। शेरपालैंड के नमचे बाज़ार से उसने सर्वप्रथम एवरेस्ट को देखा। नेपाली इसे सागरमाथा कहकर पुकारते हैं। एवरेस्ट पर उसे एक भारी बर्फ का बड़ा फूल, जिसे अंग्रेज़ी में प्लूम कहते हैं, दिखाई दिया। यह एवरेस्ट के शिखर की ऊपरी सतह के आसपास 150 किलोमीटर अथवा इससे भी तेज़ गति से हवा के चलने से बनता था। यह दस किलोमीटर या इससे भी लंबा हो सकता था। शिखर पर जाने वालों को इन तूफ़ानों को झेलना पड़ता था। लेखिका इस विवरण से भयभीत नहीं हुई। वह एवरेस्ट के प्रति विचित्र प्रकार से आकर्षित थी तथा इसके लिए सब प्रकार की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार थी। जब इनका दल 26 मार्च को पैरिच पहुँचा, तो इन्हें बर्फ़ के खिसकने से हुई शेरपा कुली की मृत्यु का समाचार मिला।

हिमपात के समय बर्फ़ के खंड बेतरतीब से गिरते हैं और ग्लेशियर के बहने से बड़ी-बड़ी चट्टानें फ़ौरन गिर जाती हैं। ऐसे में धरातल पर दरार पड़ जाने से खतरनाक स्थिति बन जाती है। हमें बताया गया कि यह हिमपात सारे प्रवास के दौरान हमारे साथ रहेगा। दूसरे दिन वे अपना अधिकांश सामान हिमपात के आधे रास्ते तक ले गए और डॉ० मीनू मेहता से उन्होंने एलुमिनियम की सीढ़ियों से अस्थाई पुल बनाना, रस्सियों का उपयोग, बर्फ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सी बाँधना आदि सीखा।

तीसरे दिन रीता गोबू के साथ लेखिका ने हिमपात से कैंप तक सामान ढोकर चढ़ाई की। बेस कैंप को सूचना देने के लिए उनके पास वॉकी-टॉकी थी, जिससे उन्होंने कर्नल खुल्लर को अपने कैंप पर पहुँचने की सूचना दी। अंगदोरजी, लोपसांग और गगन बिस्सा 29 अप्रैल को साउथ कोल पहुँच गए, जहाँ उन्होंने सात हज़ार नौ सौ मीटर पर चौथा कैंप लगाया।

जब अप्रैल में लेखिका बेस कैंप में थी, तो तेनजिंग अपनी सबसे छोटी पुत्री डेकी के साथ उसके पास आए थे तथा उन्होंने दल के प्रत्येक सदस्य के साथ बात की थी। लेखिका ने जब स्वयं को पर्वतारोहण में नौसिखिया बताया, तो उन्होंने लेखिका के कंधे पर अपना हाथ रख कर कहा कि वह एक पर्वतीय लड़की है। इसलिए पहले ही प्रयास में एवरेस्ट के शिखर पर पहुँच जाएगी।

15-16 मई, सन् 1984 को बुद्ध पूर्णिमा के दिन वह ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर लगाए गए तंबू के कैंप तीन में थी। लेखिका के साथ लोपसांग और तशारिंग तथा अन्य लोग दूसरे तंबुओं में थे। लेखिका गहरी नींद में सोई हुई थी कि अचानक रात में साढ़े बारह बजे के लगभग उसके सिर के पिछले हिस्से में एक सख्त चीज़ आकर टकराई, जिससे उसकी नींद खुल गई। तभी एक ज़ोरदार धमाका भी हुआ। उसे ऐसा लगा, जैसे कोई ठंडी और भारी वस्तु उसे कुचलती हुई जा रही है। उसे साँस लेने में कठिनाई होने लगी।

यह एक लंबा बर्फ़ का पिंड था, जो उनके कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर आ गिरा था। उससे प्रत्येक व्यक्ति को चोट लगी थी। आश्चर्य इस बात का था कि इस दुर्घटना में मौत किसी की नहीं हुई थी। लोपसांग की छुरी की मदद से तंबू का रास्ता साफ़ किया गया। उन्होंने ही लेखिका को बर्फ़ की कब्र से खींच कर बाहर निकाला था। सुबह तक सुरक्षा दल वहाँ पहुँच गया और 16 मई को सुबह आठ बजे सभी कैंप-दो में पहुँच गए। कर्नल खुल्लर ने सुरक्षा दल के इस कार्य को बहुत साहसिक बताया था। उन्होंने लेखिका से पूछा कि क्या वह इस हादसे से भयभीत है और वापस जाना चाहती है? इस पर लेखिका ने कहा कि वह भयभीत तो है, पर वापस नहीं जाएगी।

साउथ कोल कैंप पहुँचते ही लेखिका ने अपनी महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। उसने भोजन, कुकिंग गैस तथा ऑक्सीजन के सिलेंडर एकत्र कर लिए। जय और मीनू पीछे रह गए थे। लेखिका उनके लिए एक थरमस में जूस और दूसरे में गर्म चाय लेकर बर्फीली हवाओं का सामना करते हुए नीचे चल पड़ी। पहले उसकी मुलाकात मीनू से और फिर जय से हुई। अंत में थोड़ा नीचे उतरने पर उसे की मिला। उसने लेखिका के इस प्रकार आने पर आश्चर्य व्यक्त किया और जूस पीकर उसके साथ चल पड़ा। थोड़ी देर बाद साउथ कोल कैंप से ल्हाटू और बिस्सा भी उनसे मिलने नीचे आ गए। बाद में सभी साउथ कोल कैंप में आ गए।

अगले दिन सुबह चार बजे उठकर लेखिका ने बर्फ़ पिघलाकर चाय बनाई और बिस्कुट चॉकलेट का नाश्ता कर लगभग साढ़े पाँच बजे तंबू से बाहर निकल आई। अंगदोरजी तुरंत चढ़ाई शुरू करना चाहते थे। एक ही दिन में साउथ कोल से चोटी तक जाना और लौटना बहुत कठिन और मेहनत का कार्य था। अन्य कोई उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं था। सुबह 6:20 पर लेखिका और अंगदोरजी साउथ कोल से निकल पड़े और दो घंटे से भी कम समय में शिखर कैंप पर पहुँच गए। उसे लगा कि वे दोपहर के एक बजे तक चोटी पर पहुँच जाएँगे।

ल्हाटू उनके पीछे आ रहा था। जब वे दक्षिणी शिखर के नीचे आराम कर रहे थे, तो ल्हाटू भी वहाँ पहुँच गया। चाय पीकर उन्होंने फिर चढ़ाई शुरू कर दी। वे नायलॉन की रस्सी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। दक्षिण शिखर पर हवा की गति बढ़ गई थी, जिस कारण वहाँ भुरभुरी बर्फ के कण चारों ओर उड़ रहे थे। इस कारण कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी उसने देखा कि आगे चढ़ाई नहीं है, केवल ढलान ही एकदम सीधे नीचे चली गई है।

यह 23 मई, सन् 1984 का दिन था। दोपहर का एक बजकर सात मिनट का समय था। लेखिका इस समय एवरेस्ट की चोटी पर खड़ी थी। वह भारत की प्रथम महिला थी, जो इस प्रकार एवरेस्ट की चोटी पर पहुँची थी। वहाँ एक साथ दो व्यक्ति खड़े नहीं हो सकते थे। चारों ओर हज़ारों मीटर लंबी सीधी ढलान थी। उन्होंने बर्फ़ खोदकर स्वयं को ढंग से खड़ा रहने लायक बनाया। फिर घुटनों के बल बैठकर बर्फ़ से अपने माथे को लगाकर सागरमाथे के ताज का चुंबन लिया।

वहीं उसने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकालकर लाल कपड़े में लपेटकर उनकी पूजा कर वहीं बर्फ में दबा दिया। तभी उसे अपने माता-पिता की भी याद आ गई। उसने अंगदोरजी को नमस्कार किया। उन्होंने ही उसे यहाँ तक पहुँचने की प्रेरणा दी थी। लेखिका ने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट पर चढ़ने की बधाई दी, तो उन्होंने भी लेखिका को गले से लगाकर कहा कि तुमने अच्छी चढ़ाई की।

कुछ देर बाद वहाँ सोनम पुलजर आ गए और उन्होंने फ़ोटो खींची। ल्हाटू ने एवरेस्ट पर चारों के होने की सूचना दल के नेता को दे दी थी। कर्नल खुल्लर इस सफलता से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने लेखिका से कहा कि तुम्हारी इस उपलब्धि के लिए मैं तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा। देश को तुम पर गर्व है। अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो पहले से एकदम भिन्न होगा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • शिखर – चोटी, पहाड़ की चोटी।
  • अभियान – चढ़ाई।
  • अग्रिम – पेशगी, अगाऊ।
  • दुर्गम – कठिन।
  • प्लूम – पिच्छक।
  • हिमपात – बर्फ़ का गिरना।
  • अवसाद – उदासी।
  • ग्लेशियर – बर्फ़ की नदी।
  • अव्यवस्थित – बेतरतीब।
  • प्रवास – यात्रा में रहना।
  • हिम-विदर – बर्फ़ में पड़ी हुई दरार।
  • आरोहियों – ऊपर चढ़ने वाले।
  • विख्यात – प्रसिद्ध।
  • अभियांत्रिकी – तकनीकी।
  • नौसिखिया – अनाड़ी, नया-नया सीखने वाला।
  • श्रमसाध्य – परिश्रम से होने वाला।
  • आरोहण – ऊपर की ओर चढ़ना।
  • शंकु – नोक।

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