Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
JAC Class 9 Hindi कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Textbook Questions and Answers
बोध-प्रश्न –
प्रश्न 1.
उनाकोटी का अर्थ स्पष्ट करते हुए बतलाएँ कि यह स्थान इस नाम से क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर :
उनाकोटी का अर्थ है-‘एक कोटि अर्थात एक करोड़ से एक कम’। उनाकोटी में भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। इसी कारण इस स्थान को उनाकोटी नाम से बुलाया जाता है। यह स्थान काफ़ी पुराना है। पाल शासन के दौरान नवीं से बारहवीं शताब्दी तक के तीन सौ वर्षों में उनाकोटी में खूब चहल-पहल रहा करती थी। भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियों वाला यह स्थान तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2.
पाठ के संदर्भ में उनाकोटी में स्थित गंगावतरण की कथा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
पाठ के अनुसार उनाकोटी में एक विशाल चट्टान है, जो ऋषि भगीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर आने वाली गंगा के अवतरण को चित्रित करती है। जब ऋषि भगीरथ गंगा को लेकर पृथ्वी पर आ रहे थे, तो गंगा के वेग से पृथ्वी के पाताल लोक में धँसने का डर पैदा हो गया। तब भगवान शिव से प्रार्थना की गई कि वे गंगा को अपनी जटाओं में जगह दें और बाद में उसे धीरे-धीरे पृथ्वी पर बहने दें। भगवान शिव ने उनाकोटी में ही गंगा को अपनी जटाओं में स्थान दिया। वहाँ एक समूची चट्टान पर शिव का चेहरा बना हुआ है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। यहाँ पूरे साल बहने वाला एक जलप्रपात पहाड़ों से उतरता है जिसे गंगा के समान ही पवित्र माना जाता है। उनाकोटी में गंगावतरण की यही कथा प्रसिद्ध है।
प्रश्न 3.
कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से किस प्रकार जुड़ गया ?
उत्तर :
उनाकोटी में बनी सभी मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार माना जाता है। वह पार्वती का भक्त था। उसकी इच्छा शिव-पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर जाने की थी। भगवान शिव उसे लेकर नहीं जाना चाहते थे, किंतु पार्वती के जोर देने पर वे कल्लू कुम्हार को कैलाश ले चलने को तैयार हो गए। इसके लिए उन्होंने एक शर्त रखी कि कल्लू को एक रात में उनकी एक कोटि (करोड़) मूर्तियाँ बनानी होंगी। कल्लू सारी रात मूर्तियाँ बनाता रहा, लेकिन प्रातः काल होने पर उसकी मूर्तियाँ एक करोड़ से एक कम निकलीं। भगवान शिव शर्त पूरी न करने के कारण कल्लू को उनाकोटी में ही छोड़कर कैलाश पर्वत की ओर चले गए। तब से कल्लू कुम्हार का नाम उनाकोटी से जुड़ गया।
प्रश्न 4.
‘मेरी रीढ़ में एक झुरझुरी – सी दौड़ गई’ – लेखक के इस कथन के पीछे कौन-सी घटना जुड़ी है ?
उत्तर :
लेखक और उसकी शूटिंग टीम के सदस्य सी०आर० पी०एफ० की निगरानी में शूटिंग कर रहे थे। उन्हें बताया गया था कि वहाँ जंगलों में विद्रोही भी छिपे हुए हो सकते हैं। लेखक अपनी शूटिंग के काम में इतना व्यस्त हो गया कि उसे कोई डर नहीं लगा। तभी सुरक्षा प्रदान कर रहे सी० आर० पी०एफ० के एक जवान ने लेखक का ध्यान निचली पहाड़ियों पर जानबूझकर रखे दो पत्थरों की ओर दिलाया। उसने लेखक को बताया कि दो दिन पहले उनका एक जवान यहीं विद्रोहियों द्वारा मार डाला गया था। यह सुनकर लेखक विद्रोहियों के इरादों की कल्पना करके बुरी तरह सहम गया। उस समय डर के मारे उसकी रीढ़ में एक झुरझुरी – सी दौड़ गई।
प्रश्न 5.
त्रिपुरा ‘बहुधार्मिक समाज’ का उदाहरण कैसे बना?
उत्तर :
त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। यहाँ के स्थानीय निवासियों की संख्या बहुत कम है, किंतु त्रिपुरा के आस-पास से बहुत लोग आकर यहाँ बस गए हैं। यह तीन तरफ से बाँग्लादेश से घिरा हुआ है। इसके सोनामुरा, बेलोनिया, सवरूप और कैलाशनगर शहर बाँग्लादेश की सीमा से बिल्कुल जुड़े हुए हैं। अतः बाँग्लादेश से लोगों का गैर-कानूनी ढंग से त्रिपुरा में लगातार आना लगा रहता है। इन लोगों को त्रिपुरा में सामाजिक स्वीकृति भी मिली हुई है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का त्रिपुरा में प्रवास होता. है। इस प्रकार त्रिपुरा में आस-पास के अनेक लोग आकर बस जाते हैं। ये लोग भिन्न-भिन्न धर्म में आस्था रखने वाले होते हैं। धीरे- धीरे त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जातियाँ और विश्व के चारों बड़े धर्मों के लोग आकर बस गए हैं। इस प्रकार त्रिपुरा बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया।
प्रश्न 6.
टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ ? समाज कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था ?
उत्तर :
टीलियामुरा कस्बे में लेखक का परिचय प्रसिद्ध लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया तथा मंजु ऋषिदास से हुआ। हेमंत कुमार जमातिया को सन् 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया जा चुका है। वे पहले पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के कार्यकर्ता थे, अब वे त्रिपुरा के जिला परिषद् के सदस्य थे। वे अपने गीतों के माध्यम से अपने क्षेत्र की खुशहाली और शांति को व्यक्त करते थे। मंजु ऋषिदास टीलियामुरा शहर के वार्ड नं० 3 का प्रतिनिधित्व करने वाली आकर्षक महिला थीं। वे रेडियो कलाकार होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि लेती थीं। वे अपने वार्ड के लिए स्वच्छ पेयजल जुटाने के लिए प्रयासरत थीं। उन्होंने अपने वार्ड में नल का पानी पहुँचाने और मुख्य गलियों में ईंटें बिछवाने का काम करवाने के लिए नगर पंचायत को तैयार कर लिया था। निरक्षर होने पर भी वे अपने वार्ड की उन्नति और खुशहाली के लिए लगातार प्रयास करती थीं।
प्रश्न 7.
कैलासशहर के जिलाधिकारी ने आलू की खेती के विषय में लेखक को क्या जानकारी दी ?
उत्तर :
कैलासशहर के जिलाधिकारी केरल से आए तेजतर्रार, मिलनसार और उत्साही व्यक्ति थे। उन्होंने त्रिपुरा में आलू की खेती के विषय में लेखक को बताया कि वहाँ अब टी०पी०एस० (टरू पोटैटो सीड्स) से आलू की खेती होती है। सामान्य तौर पर एक हेक्टेयर भूमि में पारंपरिक आलू के दो मीट्रिक टन बीजों की जरूरत पड़ती है, लेकिन टी०पी०एस० की सिर्फ 100 ग्राम मात्रा ही एक हेक्टेयर भूमि की बुआई के लिए काफी होती है। इस प्रकार यह बीज सस्ता होने के कारण वहाँ के लोग टी०पी०एस० से आलू की खेती करने लगे है। हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने बताया कि त्रिपुरा से टी०पी०एस० का निर्यात पूरे भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी होने लगा
प्रश्न 8.
त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों पर प्रकाश डालते हुए अपनी जानकारी के कुछ अन्य घरेलू उद्योगों के विषय में बताइए।
उत्तर :
त्रिपुरा के घरेलू उद्योगों में सबसे प्रमुख उद्योग अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना है। यह कार्य त्रिपुरा में बहुतायत में किया जाता है। इन सींकों को फिर अगरबत्तियाँ बनाने के लिए कर्नाटक और गुजरात भेजा जाता है। इसके अतिरिक्त त्रिपुरा में ऋषिदास नामक समुदाय जूते बनाने के अलावा थाप वाले वाद्यों जैसे तबला व ढोल के निर्माण तथा उनकी मरम्मत का काम भी करता है। वे इस कार्य में निपुण हैं। कुछ अन्य घरेलू उद्योगों में साबुन बनाना, मोमबत्ती बनाना, मिट्टी के बर्तन व मूर्तियाँ बनाना, चटाई व टोकरियाँ बनाना आदि को लिया जा सकता है।
JAC Class 9 Hindi कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
किस घटना के कारण लेखक त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र की यादों में खो गया ?
उत्तर :
एक दिन प्रातःकाल आकाश काले बादलों से भर गया। चारों ओर अँधेरा छा गया था। उस दिन सुबह – सुबह आकाश बिल्कुल ठंडा और भूरा दिखाई दे रहा था। बादलों की तेज़ गर्जना और बीच-बीच में बिजली का कड़क कर चमकना प्रकृति के तांडव के समान दिखाई दे रहा था। तीन साल पहले ठीक ऐसा ही लेखक के साथ त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र में हुआ था। वहाँ भी अचानक घनघोर बादल घिर आए थे और गर्जन – तर्जन के साथ प्रकृति का तांडव शुरू हो गया था। तीन साल पहले और उस दिन के वातावरण में पूर्ण समानता होने के कारण ही लेखक त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र की यादों में खो गया।
प्रश्न 2.
प्रस्तुत पाठ में त्रिपुरा के विषय में दी गई जानकारी को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि दिसंबर 1999 में ‘ ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी०वी० श्रृंखला बनाने के सिलसिले में वह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था। उसने बताया कि त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि की दर चौंतीस प्रतिशत से भी अधिक है। यह तीन ओर से बाँग्लादेश और एक ओर से भारत के मिज़ोरम व असम राज्य से जुड़ा हुआ है। यहाँ बाँग्लादेश के लोगों का गैर-कानूनी ढंग से आना-जाना लगा रहता है। असम और पश्चिम बंगाल के लोग भी यहाँ खूब रहते हैं।
यहाँ बाहरी लोगों के लगातार आने से जनसंख्या का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। यह त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष का भी मुख्य कारण है। इसके साथ-साथ त्रिपुरा अनेक धर्मों के लोगों के यहाँ बस जाने के कारण बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना हुआ है। त्रिपुरा में महात्मा बुद्ध और भगवान शिव की अनेक मूर्तियाँ हैं। यहाँ के उनाकोटी क्षेत्र को तो शैव तीर्थ के रूप में जाना जाता है। यहाँ का पूरा इलाका देवी – देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है। उनाकोटी में भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं।
प्रश्न 3.
लेखक के त्रिपुरा जाने का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर :
लेखक दिसंबर 1999 में ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी०वी० श्रृंखला बनाने के सिलसिले में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था। इसके पीछे उसका उद्देश्य त्रिपुरा की समूची लंबाई में आर-पार जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग – 44 से यात्रा करने और त्रिपुरा की विकास संबंधी गतिविधियों के बारे में जानकारी ग्रहण करके उसे अपनी टी०वी० श्रृंखला में प्रस्तुत करना था।
प्रश्न 4.
उनाकोटी में शूटिंग करते समय शाम का मौसम अचानक कैसा हो गया ?
उत्तर :
लेखक और उसके साथियों को उनाकोटी में शूटिंग करते-करते शाम के चार बज गए। शाम होते ही सूर्य उनाकोटी के ऊँचे पहाड़ों के पीछे छिप गया और चारों ओर भयानक अंधकार छा गया। अचानक मौसम में भी बदलाव आ गया। तभी कुछ ही मिनटों में वहाँ चारों ओर बादल घिर आए। बादलों ने गर्जन – तर्जन के साथ कहर बरपाना आरंभ कर दिया। उस समय लेखक को ऐसा लगा, मानो शिव का तांडव शुरू हो गया हो।
प्रश्न 5.
त्रिपुरा के आदिवासियों के असंतोष का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर :
त्रिपुरा भारत का एक छोटा राज्य है। यहाँ जनसंख्या वृद्धि दर चौंतीस प्रतिशत से भी अधिक है। इसका कारण पड़ोसी देश बाँग्लादेश से लोगों का अवैध ढंग से यहाँ आना है। असम और पश्चिम बंगाल से भी लोग यहाँ आकर बस गए हैं। बाहरी लोगों के यहाँ आकर रहने के कारण यहाँ के स्थानीय आदिवासियों में असंतोष फैल गया है; वे विद्रोही हो गए हैं।
प्रश्न 6.
लेखक ने अगरतला के विषय में क्या कहा है ?
उत्तर :
अगरतला त्रिपुरा की राजधानी है। पहले अगरतला मंदिरों और महलों के शहर के रूप में जाना जाता था। उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है। इस महल में अब त्रिपुरा की विधानसभा बैठती है। यह महल राजाओं से आम जनता को हुए सत्ता हस्तांतरण को अभिव्यक्त करता है।
प्रश्न 7.
डूबते सूरज में मनु नदी का दृश्य कैसा लग रहा था ?
उत्तर :
मनु नदी त्रिपुरा की प्रमुख नदियों में से एक है। जब लेखक मनु नदी के पुल पर पहुँचा, तो उस समय ऐसा लग रहा था कि सूर्य मनु के जल में अपनी सुनहरी किरणों से सोना उड़ेल रहा हो। यह दृश्य देखकर लेखक सम्मोहित – सा हो गया।
प्रश्न 8.
उज्जयंत महल के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उज्जयंत महल अगरतला का मुख्य महल है। इसकी शोभा अद्वितीय है। पूरे अगरतला में इस तरह का सुंदर एवं भव्य महल अन्य दूसरा कोई नहीं है। वर्तमान समय में अगरतला की विधानसभा इस महल में बैठती है। राजाओं से आम जनता को हुए सत्ता हस्तांतरण को यह महल एक प्रतीक रूप हैं चित्रित करता है। यह भारत के सबसे सफल शासक वंशों में से एक माणिक्य वंश के दुखद अंत का साक्षी है।
प्रश्न 9.
ज़िला परिषद ने लेखक और उसकी शूटिंग यूनिट के लिए किस प्रकार का आयोजन किया था ?
उत्तर :
ज़िला परिषद ने लेखक और उसकी शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का आयोजन किया था। यह एक सीधा-सादा खाना था, जिसे सम्मान और लगाव के साथ परोसा गया था। यह ज़िला परिषद का प्यार था, जो भोज के रूप में लेखक और उसकी यूनिट के सामने आया था।
प्रश्न 10.
त्रिपुरा में संगीत की जड़ें काफ़ी गहरी हैं। कैसे ?
उत्तर :
त्रिपुरा को यदि सुरों का घर कहा जाए, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। त्रिपुरा में संगीत की जड़ें काफी गहरी हैं। बॉलीवुड के सबसे मौलिक संगीतकारों में से एक एस०डी० बर्मन त्रिपुरा से ही आए थे। वे त्रिपुरा के राजपरिवार के उत्तराधिकारियों में से एक थे। यहीं लोकगायक हेमंत कुमार जमातियाँ हुए, जिन्होंने अपने गीतों से जनमानस को आनंदित किया।
प्रश्न 11.
उत्तरी त्रिपुरा किस कार्य के लिए लोकप्रिय है ?
उत्तर :
उत्तरी त्रिपुरा घरेलू उद्योगों और विकास का जीता-जागता नमूना है। यहाँ की घरेलू गतिविधियों में अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सीकें तैयार करना सम्मिलित है। इन सीकों को अगरबत्तियाँ बनाने के लिए गुजरात तथा कर्नाटक भेजा जाता है। उत्तरी त्रिपुरा का मुख्यालय कैलाश शहर है। यह बाँग्लादेश की सीमा के बहुत नज़दीक है।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी Summary in Hindi
पाठ का सार :
एक दिन प्रातः काल जब लेखक ने खिड़की से झाँककर बाहर देखा, तो आकाश में चारों ओर बादल छाए हुए थे। ऐसा लगता था, जैसे प्रलय आने वाली हो। मौसम के इस बदलाव ने लेखक को तीन साल पहले त्रिपुरा में उनाकोटी की एक शाम की याद दिलवा दी। लेखक दिसंबर 1999 में ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी०वी० श्रृंखला बनाने के सिलसिले में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था। वह त्रिपुरा के राजमार्ग – 44 से यात्रा करना और त्रिपुरा की विकास संबंधी गतिविधियाँ जानना चाहता था।
लेखक त्रिपुरा के विषय में बताता है कि वह भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि दर काफ़ी ऊँची है। त्रिपुरा तीन ओर से बाँग्लादेश से घिरा है। आस-पास के अनेक लोगों के यहाँ आकर बस जाने से त्रिपुरा बहुधार्मिक समाज का अच्छा उदाहरण बन गया है। पहले तीन दिन लेखक ने अगरतला में शूटिंग की। उसके बाद वह राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से होता हुआ टीलियामुरा कस्बे में पहुँचा। वहाँ उसकी मुलाकात प्रसिद्ध लोकगायक हेमंत कुमार जमातिया से हुई। उन्हें वर्ष 1996 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी किया गया था। वे वहाँ की ज़िला परिषद् के सदस्य थे। वहीं लेखक का परिचय मंजु ऋषिदास नामक एक आकर्षक महिला से हुआ। वह एक अच्छी गायिका होने के साथ-साथ टीलियामुरा शहर के वार्ड नं० 3 का प्रतिनिधित्व भी कर रही थी। मंजु ऋषिदास बिलकुल अनपढ़ होने के बावजूद समाज कल्याण के कार्यों में सक्रिय योगदान दे रही थी।
लेखक अपनी शूटिंग टीम के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से 83 किलोमीटर आगे के हिंसाग्रस्त भाग में सी०आर० पी०एफ० के जवानों की घेराबंदी में चला। उनका काफिला दिन में 11 बजे के आसपास चलना शुरू हुआ। लेखक को अपने काम में व्यस्त होने के कारण कोई डर नहीं लगा। बाद में एक जवान ने लेखक का ध्यान निचली पहाड़ियों पर इरादतन रखे दो पत्थरों की ओर आकृष्ट किया और बताया कि दो दिन पहले उनका एक साथी वहाँ विरोधियों द्वारा मार डाला गया था। लेखक यह सुनकर बुरी तरह सहम गया। लेखक त्रिपुरा के विषय में बताता है कि वहाँ का लोकप्रिय घरेलू उद्योग अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार करना है।
लेखक की मुलाकात त्रिपुरा जिले के मुख्यालय कैलाश शहर के जिलाधिकारी से भी हुई। वे एक तेजतर्रार मिलनसार और उत्साही व्यक्ति थे। उन्होंने लेखक को बताया कि अब त्रिपुरा में टी०पी०एस० (टरू पोटैटो सीड्स) से आलू की खेती होती है। यह पारंपरिक आलू की खेती से काफी सस्ता पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया कि त्रिपुरा से टी०पी०एस० का निर्यात केवल भारत के विभिन्न राज्यों में ही नहीं अपितु विदेशों में भी हो रहा है। जिलाधिकारी ने लेखक से उनाकोटी में शूटिंग करने के विषय में भी पूछा। लेखक ने उनाकोटी के विषय में जानने की इच्छा प्रकट की। जिलाधिकारी ने बताया कि उनाकोटी शैव तीर्थ के रूप में काफी प्रसिद्ध स्थान है। लेखक ने अगले दिन उनाकोटी जाकर शूटिंग करने का निश्चय किया।
उनाकोटी का मतलब है- ‘एक करोड़ से एक कम’। ऐसा कहा जाता है कि उनाकोटी में भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं। उनाकोटी में एक विशाल चट्टान पर भगवान शिव की मूर्ति बनी हुई है और उनकी जटाएँ दो पहाड़ों की चोटियों पर फैली हैं। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि भगीरथ ने जब स्वर्गलोक से गंगा को अवतरित किया, तो भगवान शिव ने इसी स्थान पर गंगा को अपनी जटाओं में धारण किया था। उनाकोटी में भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम बनी मूर्तियों के बारे में वहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि ये मूर्तियाँ कल्लू नामक कुम्हार ने बनाई हैं। कल्लू कुम्हार पार्वती का भक्त था और शिव-पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था।
पार्वती द्वारा ज़ोर दिए जाने पर शिव ने कल्लू कुम्हार के आगे शर्त रखी कि यदि वह एक रात में उनकी एक कोटि (करोड़) मूर्तियाँ बना लेगा, तो वे उसे कैलाश पर्वत पर ले जाएँगे। कल्लू कुम्हार सारी रात मूर्तियाँ बनाता रहा। प्रातःकाल होने पर उन मूर्तियों की संख्या एक करोड़ से एक कम थी। भगवान शिव कल्लू कुम्हार को वहीं छोड़कर कैलाश पर्वत चले गए। तब से उनाकोटी के साथ कल्लू कुम्हार का नाम जुड़ गया। लेखक और उसके साथी उनाकोटी में शाम चार बजे तक शूटिंग करते रहे। शाम होते ही अचानक चारों ओर भयानक अंधकार छा गया। कुछ ही मिनटों में बादलों ने गर्जन-तर्जन के साथ कहर बरपाना शुरू कर दिया। अब तीन साल बाद जब दिल्ली में लेखक ने वैसा ही वातावरण देखा, तो उसे उनाकोटी की वह शाम याद आ गई और वह उसकी यादों में खो गया।
कठिन शब्दों के अर्थ :
- अद्भुत – विचित्र।
- सोहबत – संगति, साथ।
- आमतौर पर – सामान्य रूप से।
- दरअसल – वास्तव में।
- ऊर्जादायी – ऊर्जा (शक्ति) देने वाली।
- खलल – बाधा, रूकावट।
- कानफाड़ू – बहुत तेज़ आवाज़।
- खुदा – ईश्वर।
- विक्षिप्त – पागल।
- तड़ित – बिजली।
- अलस्सुबह – प्रात:काल, बिल्कुल सुबह।
- दुर्गम – जहाँ जाया न जा सके।
- अवैध – गैर-कानूनी।
- सत्ता हस्तांतरण – एक व्यक्ति के हाथ से दूसरे व्यक्ति के हाथ में सत्ता का आना।
- प्रतीकित – अभिव्यक्त।
- लोकगायक – लोकगीत गाने वाला।
- कबीलाई – कबीले से संबंधित।
- निरक्षर – अनपढ़।
- पेयजल – पीने का पानी।
- गृहिणी – घरेलू स्त्री।
- स्वच्छता – साफ़-सफ़ाई।
- इरादतन – जान-बूझकर।
- आकृष्ट – खींचा हुआ, आकर्षित।
- तेज़तर्रार – बहुत तेज़।
- पारंपरिक – परंपरा से चले आ रहे।
- शैव – भगवान् शिव से संबंधित।
- दंतकथा – कल्पित कथा, लोगों में प्रचलित कथा।
- अवतरण – आना।
- मिथक – पौराणिक कथा।
- जल-प्रपात – झरना।
- कोटि – एक करोड़।
- भयावना – डरावना।
- जाड़ा – सर्दी।