Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. जनता पार्टी के शासनकाल में भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?
(क) चौ. देवीलाल
(ख) चौ. चरण सिंह
(ग) मोरारजी देसाई
(घ) ए.बी. वाजपेयी
उत्तर:
(ग) मोरारजी देसाई
2. श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत में आपातकाल की घोषणा कब की थी?
(क) 18 जून, 1975
(ख) 25 जून, 1975
(ग) 5 जुलाई, 1975
(घ) 10 जून, 1975
उत्तर:
(ख) 25 जून, 1975
3. भारत में प्रतिबद्ध नौकरशाही तथा प्रतिबद्ध न्यायपालिका की घोषणा को किसने जन्म दिया?
(क) इंदिरा गाँधी
(ख) लालबहादुर शास्त्री
(ग) मोरारजी देसाई
(घ) जवाहरलाल नेहरू
उत्तर:
(क) इंदिरा गाँधी
4. समग्र क्रान्ति के प्रतिपादक कौन थे?
(क) जयप्रकाश नारायण
(ख) मोरारजी देसाई
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर:
(क) जयप्रकाश नारायण
5. निम्न में से नक्सलवादी आन्दोलन से किसका सम्बन्ध है?
(क) सुरेश कलमाड़ी
(ख) चारु मजूमदार
(ग) ममता बैनर्जी
(घ) जयललिता
उत्तर:
(ख) चारु मजूमदार
6. आपातकाल के समय भारत के राष्ट्रपति कौन थे?
(क) ज्ञानी जेलसिंह
(ख) फखरुद्दीन अली अहमद
(ग) आर. वैंकटरमन
(घ) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
उत्तर:
(ख) फखरुद्दीन अली अहमद
7. शाह आयोग की स्थापना कब की गई ?
(क) 1977
(ख) 1978
(ग) 1985
(घ) 1980
उत्तर:
(क) 1977
8. 1971 के चुनाव में कांग्रेस ने कौनसा नारा दिया?
(क) जय जवान जय किसान
(ख) अच्छे दिन
(ग) गरीबी हटाओ
(घ) कट्टर सोच नहीं युवा जोश
उत्तर:
(ग) गरीबी हटाओ
9. आपातकाल का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
(क) अनुच्छेद 350
(ख) अनुच्छेद 42
(ग) अनुच्छेद 351
(घ) अनुच्छेद 352
उत्तर:
(ग) गरीबी हटाओ
10. संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार आपातकाल की घोषणा कौन कर सकता है?
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री
(ग) लोकसभा अध्यक्ष
(घ) राज्यसभा अध्यक्ष
उत्तर:
(क) राष्ट्रपति
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. सामाजिक और सांप्रदायिक गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर सरकार ने आपातकाल के दौरान …………………और ……….. पर प्रतिबंध लगा दिया।
उत्तर:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जमात-ए-इस्लामी
2. …………………और ………………जैसे अखबारों ने प्रेस पर लगी सेंसरशिप का विरोध किया।
उत्तर:
इंडियन एक्सप्रेस, स्टेट्समैन
3. संविधान के 42वें अनुच्छेद में संशोधन करते हुए देश की विधायिका का कार्यकाल 6 से ………………..साल कर दिया गया।
उत्तर:
6
4. वर्तमान स्थिति में अंदरूनी आपातकाल सिर्फ ………………… की स्थिति में लगाया जा सकता है।
उत्तर:
सशस्त्र विद्रोह
5. काँग्रेस पार्टी में टूट के पश्चात् मोरारजी देसाई ……………………. पार्टी में शामिल हुए।
उत्तर:
काँग्रेस (ओ)
6. चौधरी चरण सिंह ने ……………………..पार्टी की स्थापना की।
उत्तर:
लोकदल
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लोकसभा का पाँचवाँ आम चुनाव किस वर्ष में हुआ था ?
उत्तर:
1971 में।
प्रश्न 2. भारत में आन्तरिक आपातकाल के समय प्रधानमंत्री कौन था ?
उत्तर:
श्रीमती इंदिरा गाँधी।
प्रश्न 3.
बिहार आन्दोलन के प्रमुख नेता कौन थे?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण।
प्रश्न 4.
1975 में आपातकाल संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत लगाया गया?
अथवा
25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा संविधान के किस अनुच्छेद के तहत की गई?
उत्तर:
अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत।
प्रश्न 5.
आपातकाल लागू करने का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
आपातकाल लागू करने का तात्कालिक कारण था। श्रीमती इन्दिरा गाँधी के निर्वाचन को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अवैध घोषित करना तथा विपक्षी दलों द्वारा उनके इस्तीफे की माँग करना।
प्रश्न 6.
लोकतंत्र की बहाली का प्रतीक कौंन बना?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण।
प्रश्न 7.
प्रतिबद्ध न्यायपालिका से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिबद्ध न्यायपालिका से अभिप्राय है कि न्यायपालिका शासक दल और उसकी नीतियों के प्रति निष्ठावान रहे।
प्रश्न 8.
शाह आयोग का गठन किसलिए किया गया?
उत्तर:
आपातकाल की जाँच हेतु।
प्रश्न 9.
भारत में आपातकाल की जाँच के लिए किस आयोग का गठन किया गया?
उत्तर:
शाह आयोग का।
प्रश्न 10.
1977 के चुनावों में कौनसी पार्टी की करारी हार हुई?
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी की।
प्रश्न 11.
देश के प्रथम गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तर:
मोरारजी देसाई।
प्रश्न 12.
1975 में किस नेता ने सेना, पुलिस और सरकारी कर्मचारियों को आह्वान किया कि वे सरकार के अनैतिक व अवैधानिक आदेशों का पालन न करें।
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण ने।
प्रश्न 13.
किस वर्ष नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए संघ का नाम बदल कर नागरिक स्वतन्त्रताओं के लिए लोगों का संघ रख दिया गया?
उत्त
सन् 1980 में।
प्रश्न 14.
1973 में किस न्यायाधीश को तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की अनदेखी करके भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया?
उत्तर:
न्यायाधीश ए. एन. रे।
प्रश्न 15.
केशवानंद भारती मुकदमे का निर्णय कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1973 में।
प्रश्न 16.
किस मुकदमे में संविधान के मूलभूत ढाँचे की धारणा का जन्म हुआ?
उत्तर:
केशवानंद भारती मुकदमा।
प्रश्न 17.
जनता पार्टी की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1977।
प्रश्न 18.
1977 का चुनाव विपक्ष ने किस नारे से लड़ा?
उत्तर:
लोकतन्त्र बचाओ नारे से।
प्रश्न 19.
आपातकाल की अवधि कब तक रही?
उत्तर;
1975 से 1977 तक।
प्रश्न 20.
1975 में भारत में आपातकाल की घोषणा किसने की थी?
उत्तर:
1975 में भारत में आपातकाल की घोषणा श्रीमती इन्दिरा गाँधी की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने की थी।
प्रश्न 21.
1974 की रेल हड़ताल के प्रमुख नेता कौन थे?
उत्तर
जार्ज फर्नांडिस ।
प्रश्न 22.
1970 के दशक के किन दो वर्षों में कीमतों में अधिक वृद्धि हुई?
उत्तर:
1973 और 1974 के दो वर्षों में।
प्रश्न 23.
1974 के बिहार आन्दोलन का प्रमुख नारा क्या था?
उत्तर:
” सम्पूर्ण क्रान्ति अब नारा है— भावी इतिहास हमारा है। ”
प्रश्न 24.
जनता पार्टी के पतन का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर:
जनता पार्टी की आन्तरिक गुटबाजी|
प्रश्न 25.
1977 के चुनावों में जनता पार्टी को कुल कितनी सीटें प्राप्त हुईं?
उत्तर:
कुल 295 सीटें प्राप्त हुईं?
प्रश्न 26.
1977 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटें प्राप्त हुईं?
उत्तर:
कुल 154 सीटें मिलीं।
प्रश्न 27.
प्रेस सेंसरशिप से आप क्या समझते हैं?
अथवा
प्रेस सेंसरशिप क्या है?
उत्तर:
प्रेस सेंसरशिप के अन्तर्गत अखबारों को कोई भी खबर छापने से पहले उसकी अनुमति सरकार से लेना अनिवार्य है।
प्रश्न 28.
अनुच्छेद 352 क्या है?
उत्तर:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत देश में आपातकाल की घोषणा की जा सकती है। 1962, 1971 एवं 1975 में की गई आपात की घोषणा अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत ही की गई थी।
प्रश्न 29.
शाह आयोग की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
शाह आयोग की स्थापना आपातकाल के दौरान की गई कार्यवाही तथा सत्ता के दुरुपयोग, अतिचार और कदाचार के विविध पहलुओं की जाँच करने के लिए की गई।
प्रश्न 30.
1977 में स्वतन्त्रता से सम्बन्धित किस संगठन का निर्माण हुआ?
उत्तर:
1977 में स्वतन्त्रता से सम्बन्धित नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए लोगों के संघ का निर्माण हुआ।
प्रश्न 31.
किस भारतीय नेता ने वचनबद्ध नौकरशाही एवं वचनबद्ध न्यायपालिका की धारणा को जन्म दिया?
उत्तर:
श्रीमती इंदिरा गाँधी ने वचनबद्ध नौकरशाही एवं वचनबद्ध न्यायपालिका की धारणा का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 32.
1980 के मध्यावधि चुनाव क्यों करवाने पड़े?
उत्तर:
जनता पार्टी की सरकार की अक्षमता एवं अस्थिरता के कारण 1980 के मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े।
प्रश्न 33.
शाह आयोग के अनुसार निवारक नजरबंदी के कानून के तहत कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया?
उत्तर:
शाह आयोग के अनुसार एक लाख ग्यारह हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया।
प्रश्न 34.
जनता पार्टी के किन्हीं चार प्रमुख नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनता पार्टी के चार प्रमुख नेता थे। मोरारजी देसाई, चरणसिंह, जयप्रकाश नारायण, सिकन्दर बख्त।
प्रश्न 35.
समग्र क्रान्ति से क्या अभिप्राय है? इसके प्रतिपादक कौन थे?
उत्तर:
समग्र क्रान्ति का अर्थ है चारों तरफ परिवर्तन। इसके प्रतिपादक जयप्रकाश नारायण थे।
प्रश्न 36.
जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रान्ति के चार पहलू कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रान्ति के चार पहलू हैं। संघर्ष, निर्माण, प्रचार, संगठन।
प्रश्न 37.
निवारक नजरबंदी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निवारक नजरबंदी अधिनियम के अंतर्गत सरकार उन लोगों को हिरासत में ले सकती है जिन पर भविष्य में अपराध करने की आशंका होती है।
प्रश्न 38.
आपातकाल के विरोध का प्रतीक कौन बन गया था?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण।
प्रश्न 39.
रेल हड़ताल कब हुई थी?
उत्तर:
1974
प्रश्न 40.
किस हिंदी लेखक ने आपातकाल के विरोध में पद्मश्री की पदवी लौटा दी?
उत्तर:
फणीश्वरनाथ ‘रेणु’।
प्रश्न 41.
1975 के आपातकाल की वजह क्या बताई गई?
उत्तर:
अंदरूनी गड़बड़ी।
प्रश्न 42.
1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय गाँधी ने चुनाव किस क्षेत्र से लड़े?
उत्तर:
1977 के चुनाव में इंदिरा रायबरेली से तथा संजय गाँधी अमेठी से चुनाव लड़े।
प्रश्न 43.
1971 के चुनाव में काँग्रेस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं?
उत्तर:
353
प्रश्न 44.
1974 के बिहार आंदोलन का नारा क्या था?
उत्तर:
सम्पूर्ण क्रांति अब नारा है भावी इतिहास हमारा है।
प्रश्न 45.
1974 के मार्च महीने में बिहार के छात्रों द्वारा आंदोलन क्यों छेड़ा गया ?
उत्तर:
1974 के मार्च महीने में बढ़ती हुई कीमतों, खाद्यान्न के अभाव, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार के छात्रों ने आंदोलन छेड़ा।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
1977 के चुनावों में कौन-कौनसी पार्टियाँ विजयी रहीं?
उत्तर:
1977 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी विजयी रही। इस पार्टी की सरकार में मोरारजी देसाई भारत के प्रथम गैर-कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री बने। जनता पार्टी और उसके साथी दलों को लोकसभा की कुल 542 सीटों में से 330 सीटें मिलीं। खुद जनता पार्टी अकेले 295 सीटों पर विजयी रही और उसे स्पष्ट बहुमत मिला।
प्रश्न 2.
आपातकाल के कोई दो कारण बताइये।
उत्तर:
आपातकाल के कारण है।
- आंतरिक गड़बड़ी के आधार पर 1975 में आपातकाल घोषित किया गया।
- श्रीमती गाँधी के चुनावों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित करना तथा विपक्षी दलों द्वारा श्रीमती गाँधी से इस्तीफे की माँग करना।
प्रश्न 3.
जयप्रकाश नारायण की समग्र क्रान्ति पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण के अनुसार समग्र क्रान्ति का अर्थ है। चारों तरफ परिवर्तन। जयप्रकाश नारायण ने समग्र क्रान्ति के चार पहलू बताये निर्माण, प्रचार संगठन और संघर्ष वर्तमान स्थिति के सम्बन्ध में उनका मत था कि हमें निर्माण कार्य पर ध्यान देना होगा। युवा वर्ग दहेज, जाति-भेद, अस्पृश्यता, सम्प्रदायवाद आदि के विरुद्ध एकजुट होकर कार्य करें।
प्रश्न 4.
1974 की रेल हड़ताल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
1974 में रेल की सबसे बड़ी और राष्ट्रव्यापी हड़ताल हुई। रेलवे कर्मचारियों के संघर्ष से संबंधित राष्ट्रीय समन्वय समिति ने जॉर्ज फर्नान्डिस के नेतृत्व में रेलवे कर्मचारियों की एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया। बोनस और सेवा से जुड़ी शर्तों के संबंध में अपनी माँगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल का यह आह्वान किया गया था। सरकार इन माँगों के खिलाफ थी। ऐसे में भारत के इस सबसे बड़े सार्वजनिक उद्यम के कर्मचारी 1974 के मई महीने में हड़ताल पर चले गए।
प्रश्न 5.
वचनबद्ध न्यायपालिका से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वचनबद्ध न्यायपालिका: ऐसी न्यायपालिका जो एक दल विशेष या सरकार विशेष के प्रति वफादार हो तथा उसके निर्देशों एवं आदेशों के अनुसार ही चले, उसे वचनबद्ध न्यायपालिका कहा जाता है।
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान में न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु क्या-क्या प्रावधान किये गये हैं?
उत्तर:
न्यायपालिका की स्वतन्त्रता हेतु संवैधानिक उपबन्ध निम्न हैं।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- न्यायाधीशों की योग्यता का संविधान में वर्णन किया गया है।
- न्यायाधीश एक निश्चित आयु पर सेवानिवृत्त होते हैं।
- न्यायाधीशों को केवल महाभियोग द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 7.
बिहार आन्दोलन क्या था?
उत्तर:
बिहार आन्दोलन:
बिहार आन्दोलन सन् 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चलाया गया। जयप्रकाश नारायण ने इसे पूर्ण या व्यापक क्रान्ति भी कहा है। जयप्रकाश ने 1975 में बिहार के लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि बिहार आन्दोलन का उद्देश्य समाज एवं व्यक्ति के सभी पक्षों में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना
प्रश्न 8.
गुजरात आन्दोलन 1974 को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1974 के जनवरी माह में गुजरात के छात्रों ने खाद्यान्न, खाद्य तेल तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमत तथा उच्च पदों पर जारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया। इस आन्दोलन में बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ भी शरीक हो गईं। फलतः गुजरात में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
प्रश्न 9.
1977 के चुनावों में जनता पार्टी की जीत के कोई दो कारण लिखिए।
अथवा
1977 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1977 में जनता पार्टी की जीत व कांग्रेस की हार के कारण निम्न हैं।
- इन्दिरा गाँधी की घटती लोकप्रियता: श्रीमती गाँधी द्वारा की गई आपातकाल की घोषणा से उनकी लोकप्रियता घट गई थी। इससे कांग्रेस की हार हुई
- जयप्रकाश नारायण का व्यक्तित्व: जयप्रकाश नारायण इस दौर के सबसे करिश्माई व्यक्तित्व थे। उन्हें अपार जन समर्थन प्राप्त था। जनता पार्टी को जिताने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
प्रश्न 10.
संक्षेप में बताइए कि 1975-76 के 18 माह के आपातकाल के दौरान क्या-क्या हुआ था?
उत्तर:
इंदिरा सरकार ने गरीबों के हित के लिए बीस सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की और उसे तेजी से लागू करने का प्रयास किया। इस कार्यक्रम में भूमि सुधार, भू-पुनर्वितरण, खेतीहर मजदूरों के पारिश्रमिक पर पुनर्विचार, प्रबंधन में कामगारों की भागीदारी, बंधुआ मजदूरी की समाप्ति इत्यादि मामले शामिल थे। देश के बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया। प्रेस पर कई तरह की पाबंदी लगाई। प्रेस सेंसरशिप का बड़ा ढाँचा तैयार किया । झुग्गी-झोंपड़ियों को हटा दिया गया। इस काल के दौरान पुलिस की यातनाएँ और पुलिस हिरासत में यातनाएँ दी गईं। अनिवार्य रूप से नसबंदी के कार्यक्रम चलाए गए।
प्रश्न 11.
नागरिक स्वतन्त्रता के संगठनों की किन्हीं दो समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- प्रायः नागरिक स्वतन्त्रता के संगठनों को राष्ट्रविरोधी कहकर इनकी आलोचना की जाती है।
- कुछ तथाकथित ऐसे समाज सुधार भी इन संगठनों से जुड़ गए हैं, जिनके लिए यह केवल एक व्यवसाय है।
प्रश्न 12.
चारू मजूमदार कौन थे?
उत्तर:
चारू मजूमदार:
चारु मजूमदार एक क्रान्तिकारी समाजवादी नेता थे। उनका जन्म 1918 में हुआ। उन्होंने सी. पी. आई. पार्टी छोड़कर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की स्थापना की। यह पार्टी नक्सलवादी आन्दोलन की प्रेरणास्रोत बनी। वे क्रान्तिकारी हिंसा के समर्थक थे।
प्रश्न 13.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 1902 में हुआ। उन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की । उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया । स्वतन्त्रता के बाद उन्होंने नेहरू मन्त्रिमण्डल में शामिल होने से मना किया। वे बिहार आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। 1979 में उनकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 14.
जगजीवन राम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जगजीवन राम: जगजीवन राम भारत के महान् स्वतन्त्रता सेनानी और बिहार राज्य के उच्चकोटि के कांग्रेसी नेता थे। इनका जन्म 1908 में हुआ। ये स्वतन्त्र भारत के पहले केंद्रीय मंत्रिमण्डल में श्रम मंत्री बने। 1952 से 1977 तक उन्होंने अनेक मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई। वे देश की संविधान सभा के सदस्य थे। वे 1952 से लेकर मृत्युपर्यन्त तक सांसद रहे। 1977 से 1979 तक देश के उपप्रधानमंत्री पद पर रहे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन दलितों की सेवा में बिताया और उनकी सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते थे। 1986 में उनका निधन हो गया।
प्रश्न 15.
चौधरी चरणसिंह के जीवन पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
चौधरी चरणसिंह: चौधरी चरणसिंह का जन्म 1902 में हुआ। वे महान् स्वतन्त्रता सेनानी और प्रारम्भ में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। वे ग्रामीण एवं कृषि विकास की नीति और कार्यक्रमों के कट्टर समर्थक थे। 1967 में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर उन्होंने भारतीय क्रान्ति दल का गठन किया। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने वे जयप्रकाश के क्रांति आन्दोलन से जुड़े और 1977 में जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। 1977 से 1979 तक वे भारत के उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे। उन्होंने लोक दल की स्थापना की। वे कुछ महीनों के लिए जुलाई, 1979 से जनवरी, 1980 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे। चौधरी चरणसिंह का निधन 1987 में हुआ।
प्रश्न 16.
मोरारजी देसाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मोरारजी देसाई: मोरारजी देसाई एक महान् स्वतन्त्रता सेनानी और गांधीवादी नेता थे। इनका जन्म 1896 में हुआ। वे बम्बई (वर्तमान में मुम्बई ) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 1966 में कांग्रेस संसदीय पार्टी का नेतृत्व सम्भाला। वे 1967-1969 तक देश के उपप्रधानमंत्री रहे । वे कांग्रेस पार्टी में सिंडिकेट के एक प्रमुख सदस्य थे। बाद में जनता पार्टी के द्वारा प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए और वे देश में पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1977 से 1979 के मध्य लगभग 18 महीने इस पद पर कार्य किया। 1995 में उनका देहान्त हो गया।
प्रश्न 17.
प्रतिबद्ध नौकरशाही पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रतिबद्ध नौकरशाही: प्रतिबद्ध नौकरशाही का अर्थ है कि नौकरशाही किसी विशिष्ट राजनीतिक दल के सिद्धान्तों एवं नीतियों से बंधी हुई रहती है और उस दल के निर्देशन में ही कार्य करती है। प्रतिबद्ध नौकरशाही निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र होकर कार्य नहीं करती। इसका कार्य किसी दल विशेष की योजनाओं को बिना कोई प्रश्न उठाए आँखें मूंद कर लागू करना होता है। लोकतान्त्रिक देशों में नौकरशाही प्रतिबद्ध नहीं होती। परन्तु साम्यवादी देशों में जैसे कि चीन में वचनबद्ध नौकरशाही पायी जाती है। भारत में प्रतिबद्ध नौकरशाही से आशय किसी दल के सिद्धान्तों के प्रति वचनबद्ध न होकर संविधान के प्रति वचनबद्धता ह ।
प्रश्न 18.
भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका की धारणा का उदय कैसे हुआ?
उत्तर:
भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका का उदय: केशवानन्द भारती मुकदमे की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय की एक 13 सदस्यीय संविधान पीठ ने की। 13 में से 9 न्यायाधीशों ने यह निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान में संशोधन कर सकती है, परन्तु संविधान के मूलभूत ढाँचे में परिवर्तन नहीं कर सकती। इस निर्णय से सरकार एवं न्यायपालिका में मतभेद बढ़ गए, क्योंकि 1973 में सरकार का नेतृत्व श्रीमती इंदिरा गाँधी कर रही थीं। अतः यह विवाद श्रीमती गांधी एवं न्यायालय के बीच हुआ जिसमें जीत न्यायालय की हुई क्योंकि न्यायालय ने संसद की संविधान में संशोधन करने की शक्ति को सीमित कर दिया। इसी कारण श्रीमती गाँधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका की धारणा को आगे बढ़ाया। 1975 में आपातकाल के समय वचनबद्ध न्यायपालिका का सिद्धान्त कार्यपालिका का सिद्धान्त बन गया।
प्रश्न 19.
भारत में वचनबद्ध (प्रतिबद्ध ) न्यायपालिका के लिए सरकार द्वारा प्रयोग किये गये किन्हीं तीन उपायों का वर्णन करें।
अथवा
भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका की धारणा को उदाहरण सहित समझाइये
उत्तर:
भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका के उदाहरण- भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं।
- न्यायाधीशों की नियुक्ति में वरिष्ठता की अनदेखी: श्रीमती गाँधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति में तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके श्री ए. एन. रे को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया।
- न्यायाधीशों का स्थानान्तरण: श्रीमती गाँधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों के स्थानान्तरण का सहारा लिया। उन्होंने 1981 में मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश इस्माइल को केरल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाकर भेजा।
- अन्य पदों पर नियुक्तियाँ: सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से उन्हें राज्यपाल, राजदूत, मन्त्री या किसी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, जो सरकार के प्रति वफादार थ।
प्रश्न 20.
उन कारकों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण पिछड़े राज्यों में नक्सली आन्दोलन हुआ।
उत्तर:
- बंधुआ मजदूरी।
- जमींदारों द्वारा शोषण।
- बाहरी लोगों द्वारा संसाधनों का शोषण।
प्रश्न 21.
भारत के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में आप आपातकाल की आलोचना किन आधारों पर करते हैं?
अथवा
भारतीय लोकतंत्र पर आपातकाल के कोई चार दुष्प्रभाव बताइये।
उत्तर:
भारतीय लोकतंत्र पर आपातकाल के दुष्प्रभाव: भारतीय लोकतंत्र पर आपातकाल के निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़े; जिनके कारण हम आपातकाल की आलोचना करते हैं।
- लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली का ठप होना- आपातकाल में लोगों को सार्वजनिक तौर पर सरकार के विरोध करने की लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली को ठप कर दिया गया।
- निवारक नजरबंदी कानून का दुरुपयोग – आपातकाल में निवारक नजरबंदी कानून का दुरुपयोग करते हुए लगभग 1 लाख 11 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन्हें अपनी गिरफ्तारी की चुनौती का अधिकार भी नहीं दिया गया।
- प्रेस पर नियंत्रण: आपातकाल के दौरान सरकार ने प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी।
- संविधान का 42वाँ संशोधन: आपातकाल के दौरान ही संविधान का 42वाँ संशोधन पारित हुआ । इसके जरिये संविधान के अनेक हिस्सों में बदलाव किये गये।
प्रश्न 22.
आपातकाल के सबकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
आपातकाल के सबक: आपातकाल से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्न सबक मिले-
- विरोधी दलों और मतदाताओं ने जितनी अपनी राजनीतिक जागृति दिखाई, इससे साबित हो गया कि बड़े से बड़ा तानाशाह नेता भी भारत से लोकतन्त्र विदा नहीं कर सकता।
- आपातकाल के बाद संविधान में अच्छे सुधार किए गए। अब आपातकाल सशक्त स्थिति में लगाया जा सकता था । ऐसा तभी हो सकता था जब मन्त्रिमण्डल लिखित रूप से राष्ट्रपति को ऐसा परामर्श दे।
- आपातकाल में भी न्यायालयों में व्यक्ति के नागरिक अधिकारों की रक्षा करने की भूमिका सक्रिय रहेगी और नागरिक अधिकारों की रक्षा तत्परता से होने लगी।
प्रश्न 23.
जनता पार्टी की सरकार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जनता पार्टी की सरकार- जनता पार्टी की सरकार के सम्बन्ध में निम्नलिखित विचार प्रकट किये जा सकते हैं।
- 1977 के चुनावों के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में कोई तालमेल नहीं था। पहले प्रधानमंत्री के पद को लेकर मोरारजी देसाई, चरणसिंह और जगजीवन राम में खींचतान हुई। अंतत: मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने।
- जनता पार्टी अनेक राजनैतिक दलों का संगठन था। इन दलों में निरन्तर खींचा-तानी बनी रही और यह दल कुछ ही महीनों तक अपनी एकता बनाए रख सका।
- इस पार्टी की सरकार के पास एक निश्चित दिशा या दीर्घकालीन कल्याणकारी बहुजनप्रिय कार्यक्रम या सर्वमान्य नेतृत्व या न्यूनतम साध्य कार्यक्रम नहीं था।
- 18 मास के पश्चात् मोरारजी देसाई को त्यागपत्र देना पड़ा। 1980 के नए चुनावों में जनता पार्टी की हार हुई और कांग्रेस पुनः सत्ता में आयी।
प्रश्न 24.
विरोधी दलों के विरोध तथा कांग्रेस की टूट ने आपातकाल की पृष्ठभूमि कैसे तैयार की?
उत्तर:
आपातकाल की पृष्ठभूमि के कारण:
- 1967 के चुनावों के बाद कुछ प्रान्तों में विरोधी दलों या संयुक्त विरोधी दलों की सरकार बनी। वे केन्द्र में सत्ता में आना चाहते थे।
- कांग्रेस के विपक्ष में जो दल थे उन्हें लग रहा था कि सरकारी प्राधिकार को निजी प्राधिकार मान कर इस्तेमाल किया जा रहा है और राजनीति हद से ज्यादा व्यक्तिगत होती जा रही है।
- कांग्रेस टूट से इंदिरा गाँधी और उनके विरोधियों के बीच मतभेद गहरे हो गये थे।
- इस अवधि में न्यायपालिका और सरकार के आपसी रिश्तों में भी तनाव आए। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की कई पहलकदमियों को संविधान के विरुद्ध माना सरकार ने न्यायपालिका को प्रगति विरोधी बताया तथा 1975 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रीमती इन्दिरा गाँधी के चुनाव को अवैध करार दिया था।
- जयप्रकाश नारायण समग्र क्रान्ति की बात कर रहे थे। ऐसी सभी घटनाओं ने आपातकाल के लिए पृष्ठभूमि तैयार की।
प्रश्न 25.
“ 1967 के बाद देश की कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के सम्बन्धों में आए तनावों ने आपातकाल की पृष्ठभूमि तैयार की थी।” इस कथन को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
1967 के बाद भारत में श्रीमती इंदिरा गाँधी एक कद्दावर नेता के रूप में उभरीं और 1973-74 तक उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर थी लेकिन इस दौर में दलगत प्रतिस्पर्धा कहीं ज्यादा तीखी और ध्रुवीकृत हो चली थी। इस अवधि में न्यायपालिका और सरकार के सम्बन्धों में तनाव आए सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की कई पहलकदमियों को संविधान के विरुद्ध माना कांग्रेस पार्टी का मानना था कि अदालत का यह रवैया लोकतन्त्र के सिद्धान्तों और संसद की सर्वोच्चता के विरुद्ध है। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि अदालत एक यथास्थितिवादी संस्था है और यह संस्था गरीबों को लाभ पहुँचाने वाले कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने की राह में रोड़ा अटका रही है।
प्रश्न 26.
आपातकाल के संवैधानिक एवं उत्तर संवैधानिक पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आपातकाल के संवैधानिक एवं उत्तर: संवैधानिक पक्ष- आपातकाल के समय कुछ संवैधानिक एवं उत्तर संवैधानिक पक्ष भी सामने आए। श्रीमती गांधी ने संविधान में 39वाँ संवैधानिक संशोधन किया। इस संशोधन द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं स्पीकर के चुनाव से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति समाप्त कर दी गई।
इस संशोधन को पास करने का मुख्य उद्देश्य श्रीमती गाँधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय से राहत दिलाना था। विरोधी पक्ष ने 39 वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध बताया परन्तु उच्च न्यायालय की पीठ के पाँच में से चार न्यायाधीशों ने 39वें संशोधन को वैध ठहराया तथा इस संशोधन के आधार पर श्रीमती गाँधी के निर्वाचन को पूर्ण रूप से वैध ठहराया।
प्रश्न 27.
बिहार आन्दोलन की घटनाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बिहार आन्दोलन: बिहार आन्दोलन प्रशासन में भ्रष्टाचारी एवं अयोग्य कर्मचारियों के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। 1974 में इस आन्दोलन का श्रीगणेश हुआ । इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य समाज एवं व्यक्ति के सभी पक्षों में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इस आन्दोलन को एक लम्बे समय तक चलाए जाने पर बल दिया गया था।
बिहार आन्दोलन में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं को भी हल करने का प्रयास किया गया। जयप्रकाश नारायण ने बिहार आन्दोलन के चार पक्षों का वर्णन किया प्रथम संघर्ष, द्वितीय निर्माण, तृतीय प्रचार तथा चतुर्थ संगठन । जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन परिस्थितियों में निर्माण कार्य पर अधिक जोर दिया।
प्रश्न 28.
आपातकाल के संदर्भ में विवादों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आपातकाल के संदर्भ में विवाद: आपातकाल के संदर्भ में सरकार तथा विपक्षी दलों के बीच विवाद निम्नलिखित थे।
(अ) आपातकाल लगाना उचित था।: आपातकाल के औचित्य के सम्बन्ध में सरकार के तर्क ये थे:
- भारत में लोकतंत्र है और विपक्षी दलों को निर्वाचित शासक दल अपनी नीतियों के अनुसार शासन चलाने दें। देश में लगातार गैर-संसदीय राजनीति से अस्थिरता पैदा होती है।
- षडयंत्रकारी ताकतें सरकार के प्रगतिशील कार्यक्रमों में अडंगे लगा रही थीं।
- ये ताकतें श्रीमती गाँधी को गैर-संवैधानिक साधनों के बूते सत्ता से बेदखल करना चाहती थी।
(ब) आपातकाल लगाना अनुचित था आपातकाल लगाना अनुचित था। इसके सम्बन्ध में विपक्षी दलों के तर्क येथे
- भारत में स्वतंत्रता के आंदोलन से लेकर लगातार भारत में जन आंदोलन का एक सिलसिला रहा है तथा लोकतंत्र में लोगों को सार्वजनिक तौर पर सरकार के विरोध का अधिकार होना चाहिए। इनके कारण आपातकाल लगाना अनुचित था। किया।
- जन आंदोलनों से खतरा देश की एकता और अखंडता को नहीं, बल्कि शासक दल और प्रधानमंत्री को था।
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने निजी ताकतों को बचाने के लिए संवैधानिक आपातकालीन प्रावधानों का दुरुपयोग अतः आपातकाल लागू करना अनुचित था।
प्रश्न 29.
नक्सली आंदोलन के दो परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नक्सली आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार और आसपास के क्षेत्रों में मार्क्सवादी और लेनिनवादी कृषि कार्यकर्ता थे जिन्होंने आर्थिक अन्याय और असमानता के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किए और किसानों को भूमि का पुनर्वितरण करने की माँग की।
प्रश्न 30.
बिहार में 1974 के छात्र आंदोलन के कारकों को स्पष्ट कीजिए। जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन के लिए क्या शर्तें रखीं?
उत्तर:
बिहार आंदोलन के निम्न कारण थे।
बढ़ती हुई कीमत। सर्वोच्चता के विरुद्ध है। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि अदालत एक यथास्थितिवादी संस्था है और यह संस्था गरीबों को लाभ पहुँचाने वाले कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने की राह में रोड़ा अटका रही है।
प्रश्न 26.
आपातकाल के संवैधानिक एवं उत्तर संवैधानिक पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आपातकाल के संवैधानिक एवं उत्तर: संवैधानिक पक्ष- आपातकाल के समय कुछ संवैधानिक एवं उत्तर संवैधानिक पक्ष भी सामने आए। श्रीमती गांधी ने संविधान में 39वाँ संवैधानिक संशोधन किया। इस संशोधन द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं स्पीकर के चुनाव से सम्बन्धित मुकदमों की सुनवाई की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति समाप्त कर दी गई। इस संशोधन को पास करने का मुख्य उद्देश्य श्रीमती गाँधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय से राहत दिलाना था। विरोधी पक्ष ने 39 वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे के विरुद्ध बताया परन्तु उच्च न्यायालय की पीठ के पाँच में से चार न्यायाधीशों ने 39वें संशोधन को वैध ठहराया तथा इस संशोधन के आधार पर श्रीमती गाँधी के निर्वाचन को पूर्ण रूप से वैध ठहराया।
प्रश्न 27.
बिहार आन्दोलन की घटनाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बिहार आन्दोलन: बिहार आन्दोलन प्रशासन में भ्रष्टाचारी एवं अयोग्य कर्मचारियों के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। 1974 में इस आन्दोलन का श्रीगणेश हुआ। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य समाज एवं व्यक्ति के सभी पक्षों में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए इस आन्दोलन को एक लम्बे समय तक चलाए जाने पर बल दिया गया था।
बिहार आन्दोलन में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं को भी हल करने का प्रयास किया गया। जयप्रकाश नारायण ने बिहार आन्दोलन के चार पक्षों का वर्णन किया प्रथम संघर्ष, द्वितीय निर्माण, तृतीय प्रचार तथा चतुर्थ संगठन। जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन परिस्थितियों में निर्माण कार्य पर अधिक जोर दिया।
प्रश्न 28.
आपातकाल के संदर्भ में विवादों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
आपातकाल के संदर्भ में विवाद: आपातकाल के संदर्भ में सरकार तथा विपक्षी दलों के बीच विवाद निम्नलिखित थे।
(अ) आपातकाल लगाना उचित था आपातकाल के औचित्य के सम्बन्ध में सरकार के तर्क ये थे।
- भारत में लोकतंत्र है और विपक्षी दलों को निर्वाचित शासक दल अपनी नीतियों के अनुसार शासन चलाने दें। देश में लगातार गैर-संसदीय राजनीति से अस्थिरता पैदा होती है।
- षडयंत्रकारी ताकतें सरकार के प्रगतिशील कार्यक्रमों में अडंगे लगा रही थीं।
- ये ताकतें श्रीमती गाँधी को गैर-संवैधानिक साधनों के बूते सत्ता से बेदखल करना चाहती थी।
(ब) आपातकाल लगाना अनुचित था। आपातकाल लगाना अनुचित था। इसके सम्बन्ध में विपक्षी दलों के तर्क येथे
- भारत में स्वतंत्रता के आंदोलन से लेकर लगातार भारत में जन आंदोलन का एक सिलसिला रहा है। तथा लोकतंत्र में लोगों को सार्वजनिक तौर पर सरकार के विरोध का अधिकार होना चाहिए। इनके कारण आपातकाल लगाना अनुचित था।
- जन आंदोलनों से खतरा देश की एकता और अखंडता को नहीं, बल्कि शासक दल और प्रधानमंत्री को था।
- श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने निजी ताकतों को बचाने के लिए संवैधानिक आपातकालीन प्रावधानों का दुरुपयोग अतः आपातकाल लागू करना अनुचित था।
प्रश्न 29.
नक्सली आंदोलन के दो परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नक्सली आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, बिहार और आसपास के क्षेत्रों में मार्क्सवादी और लेनिनवादी कृषि कार्यकर्ता थे जिन्होंने आर्थिक अन्याय और असमानता के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किए और किसानों को भूमि का पुनर्वितरण करने की माँग की।
प्रश्न 30.
बिहार में 1974 के छात्र आंदोलन के कारकों को स्पष्ट कीजिए। जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन के लिए क्या शर्तें रखीं?
उत्तर:
बिहार आंदोलन के निम्न कारण थे।
- बढ़ती हुई कीमत।
- खाद्यान्न के अभाव।
- बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि।
छात्रों ने अपने आंदोलन की अगुवाई के लिए जयप्रकाश नारायण को बुलावा भेजा। जेपी ने छात्रों का निमंत्रण इस शर्त पर स्वीकार किया कि आंदोलन अहिंसक रहेगा और अपने को सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रखेगा।
प्रश्न 31.
गुजरात के छात्र आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
गुजरात के छात्र आंदोलन के राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हुए। इस आंदोलन में बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ भी शरीक हो गईं। इस प्रकार आंदोलन ने विकराल रूप धारण कर लिया। ऐसे में गुजरात में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। राज्य में दुबारा विधानसभा के चुनाव की माँग उठने लगी।
प्रश्न 32.
जयप्रकाश नारायण द्वारा बिहार के छात्रों के आंदोलन में साथ देने का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण द्वारा बिहार आंदोलन के साथ जुड़ते ही इस आंदोलन ने राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया और राष्ट्रव्यापी अपील आई। जीवन के हर क्षेत्र के लोग आंदोलन से जुड़ गए। बिहार की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की माँग की। बिहार की सरकार के खिलाफ लगातार घेराव, बंद और हड़ताल का एक सिलसिला चल पड़ा। इस आंदोलन का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ा।
प्रश्न 33.
आपातकाल की घोषणा के साथ राजनीति में क्या बदलाव आता है?
उत्तर:
आपातकाल की घोषणा के साथ ही शक्तियों के बँटवारे का संघीय ढाँचा व्यावहारिक तौर पर निष्प्रभावी हो जाता है और सारी शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथ में चली आती हैं। दूसरे, सरकार चाहे तो ऐसी स्थिति में किसी एक अथवा सभी मौलिक अधिकारों पर रोक लगा सकती है अथवा उनमें कटौती कर सकती है।
प्रश्न 34.
आपातकाल के संदर्भ में दो विवादों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- आपातकाल भारतीय राजनीति का सर्वाधिक विवादास्पद प्रकरण है। इसके दो विवाद निम्न हैं।
- खाद्यान्न के अभाव।
- बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में वृद्धि।
छात्रों ने अपने आंदोलन की अगुवाई के लिए जयप्रकाश नारायण को बुलावा भेजा। जेपी ने छात्रों का निमंत्रण इस शर्त पर स्वीकार किया कि आंदोलन अहिंसक रहेगा और अपने को सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रखेगा।
प्रश्न 31.
गुजरात के छात्र आंदोलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
गुजरात के छात्र आंदोलन के राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हुए। इस आंदोलन में बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ भी शरीक हो गईं। इस प्रकार आंदोलन ने विकराल रूप धारण कर लिया। ऐसे में गुजरात में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। राज्य में दुबारा विधानसभा के चुनाव की माँग उठने लगी।
प्रश्न 32.
जयप्रकाश नारायण द्वारा बिहार के छात्रों के आंदोलन में साथ देने का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
जयप्रकाश नारायण द्वारा बिहार आंदोलन के साथ जुड़ते ही इस आंदोलन ने राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया और राष्ट्रव्यापी अपील आई। जीवन के हर क्षेत्र के लोग आंदोलन से जुड़ गए। बिहार की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त करने की माँग की। बिहार की सरकार के खिलाफ लगातार घेराव, बंद और हड़ताल का एक सिलसिला चल पड़ा। इस आंदोलन का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ा।
प्रश्न 33.
आपातकाल की घोषणा के साथ राजनीति में क्या बदलाव आता है?
उत्तर:
आपातकाल की घोषणा के साथ ही शक्तियों के बँटवारे का संघीय ढाँचा व्यावहारिक तौर पर निष्प्रभावी हो जाता है और सारी शक्तियाँ केन्द्र सरकार के हाथ में चली आती हैं। दूसरे, सरकार चाहे तो ऐसी स्थिति में किसी एक अथवा सभी मौलिक अधिकारों पर रोक लगा सकती है अथवा उनमें कटौती कर सकती है।
प्रश्न 34.
आपातकाल के संदर्भ में दो विवादों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आपातकाल भारतीय राजनीति का सर्वाधिक विवादास्पद प्रकरण है। इसके दो विवाद निम्न हैं।
- आपातकाल की घोषणा की जरूरत को लेकर विभिन्न दृष्टिकोणों का होना।
- सरकार ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करके व्यावहारिक तौर पर लोकतांत्रिक कामकाज को ठप्प कर दिया था।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
1975 में आंतरिक आपातकाल क्यों घोषित किया गया? इस दौरान कौनसे परिणाम महसूस किये गये? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारतीय सरकार के अनुसार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के क्या कारण थे? आपातकाल की घोषणा से पूर्व क्या घटनाएँ घटित हुई थीं? कीजिए।
अथवा
1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लागू किये गये आपातकाल की घोषणा के प्रमुख कारणों का वर्णन
उत्तर:
- आपातकाल के कारण 1975 में आन्तरिक राष्ट्रीय आपातकाल के प्रमुख ‘कारण निम्नलिखित हैं।
- 1971 के युद्ध में अत्यधिक व्यय: 1971 के भारत-पाक युद्ध तथा बांग्लादेशी शरणार्थियों पर हुए व्यय का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा। इससे लोगों में असन्तोष फैल गया।
- कृषिगत तथा औद्योगिक उत्पादन में कमी: 1972-1973 में भारत में फसल भी अच्छी नहीं हुई तथा औद्योगिक उत्पादन में भी निरन्तर कमी आ रही थी। इससे कृषक तथा औद्योगिक कर्मचारियों में असन्तोष बढ़ रहा था।
- रेलवे की हड़ताल: 1975 में की गई आपातकालीन घोषणा का एक कारण रेलवे कर्मचारियों द्वारा की गई हड़ताल भी थी जिससे यातायात व्यवस्था बिल्कुल खराब हो गई।
- बिहार आंदोलन: जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में किया जा रहा बिहार आन्दोलन भी 1975 में आपातकाल की घोषणा का एक प्रमुख कारण था।
- श्रीमती गाँधी के चुनाव को अवैध घोषित करना: 1975 के आपातकाल का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा उनके निर्वाचन को अवैध घोषित करना था। इसके बाद विपक्षी दल श्रीमती गाँधी के त्यागपत्र की माँग करने लगा।
- आपातकाल के दौरान महंसूस किये गए परिणाम:
- आपातकाल की घोषणा की जरूरत को लेकर विभिन्न दृष्टिकोणों का होना।
- सरकार ने संविधान प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करके व्यावहारिक तौर पर लोकतांत्रिक कामकाज को ठप्प कर दिया था।
- आपातकाल के दौरान महसूस किये गए परिणाम:दिया
- आपातकाल में लोगों को सार्वजनिक तौर पर सरकार का विरोध करने की लोकतांत्रिक प्रणाली को ठप्प कर
- इस काल में निवारक नजरबंदी कानून का दुरुपयोग किया गया।
- इस दौरान सरकार ने प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी।
- इस दौरान 42वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान के अनेक हिस्सों में बदलाव किये गये।
प्रश्न 2.
1977 में कांग्रेस पार्टी की पराजय के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
उत्तर;
1977 में कांग्रेस की पराजय के कारण 1977 के चुनावों में कांग्रेस की पराजय के पीछे निम्नलिखित कारण जिम्मेदार रहे।
- आपातकाल की घोषणा: श्रीमती गाँधी द्वारा लागू किये गये आपातकाल के विरुद्ध सभी गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दल एकजुट हो गये।
- आपातकाल के दौरान अत्याचार: श्रीमती गाँधी ने आपातकाल के दौरान मीसा कानून तथा अनिवार्य नसबंदी के द्वारा लोगों पर अनेक अत्याचार किये। इससे लोगों में कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध असन्तोष पैदा हुआ।
- कीमतों में अत्यधिक वृद्धि: श्रीमती गाँधी की सरकार सभी प्रकार के उपाय करके भी कीमतों की वृद्धि को नहीं रोक पा रही थी तथा 1971 के चुनावों में उनके द्वारा दिया गया गरीबी हटाओ का नारा भी दम तोड़ता नजर आ रहा था।
- प्रेस पर प्रतिबन्ध: आपातकाल के समय श्रीमती गाँधी ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया। इस तरह के प्रतिबन्ध से भी लोगों में असन्तोष था।
- कर्मचारियों की दयनीय स्थिति: तत्कालीन समय में वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि से सरकारी कर्मचारियों की दशा खराब होने लगी थी। वे सरकार से नाराज हो गए थे।
- जगजीवन राम का त्यागपत्र: आपातकाल के समय जगजीवन राम जैसे श्रीमती गाँधी के वफादार नेता भी उनके साथ नहीं रहे तथा कांग्रेस एवं सरकार से त्यागपत्र दे दिया।
प्रश्न 3.
1977 के लोकसभा चुनावों के किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण परिणामों एवं निष्कर्षों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1977 के लोकसभा चुनावों के निष्कर्ष एवं परिणाम: 1977 के चुनावों के कुछ निष्कर्ष इस प्रकार हैं।
- कांग्रेस पार्टी के एकाधिकार की समाप्ति: 1977 के चुनावों का सबसे महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह रहा पिछले तीन दशकों से चली आ रही कांग्रेसी सत्ता का एकाधिकार समाप्त हो गया।
- केन्द्र में प्रथम गैर-कांग्रेस सरकार का निर्माण: 1977 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में पहली बार गैर- कांग्रेस सरकार का निर्माण हुआ। विपक्षी दलों ने मिलकर जनता पार्टी के झण्डे के नीचे गठबन्धन सरकार का निर्माण किया। जनता पार्टी को मार्च, 1977 के लोकसभा के चुनाव में भारी सफलता प्राप्त हुई। 542 सीटों में से जनता पार्टी गठबन्धन को 330 सीटें मिलीं। इस प्रकार जनता पार्टी ने कांग्रेस को करारी शिकस्त दी, अतः जनता पार्टी की सरकार बनी।
- पिछड़े वर्गों की भलाई का मुद्दा प्रभावी हो गया: 1977 के चुनावों के बाद अप्रत्यक्ष रूप से पिछड़े वर्गों की भलाई का मुद्दा भारतीय राजनीति पर हावी होना शुरू हुआ क्योंकि 1977 के चुनाव परिणामों पर पिछड़ी जातियों के मतदान का असर पड़ा था।
प्रश्न 4.
नागरिक स्वतन्त्रताओं के संगठनों के उदय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नागरिक स्वतन्त्रताओं के संगठनों का उदय: आपातकाल से पूर्व तथा इसके पश्चात् नागरिक स्वतन्त्रता संगठनों के उदय एवं प्रसार में कुछ प्रगति हुई, जिसका वर्णन इस प्रकार है।
1. नव निर्माण समिति का गठन:
जयप्रकाश नारायण ने बिहार आंदोलन के समय दलविहीन लोकतन्त्र तथा सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन को भी इसमें शामिल किया। जयप्रकाश नारायण ने इसके लिए गुजरात एवं बिहार के युवा छात्रों को शामिल किया तथा एक नवनिर्माण समिति का गठन किया। इस समिति का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार को समाप्त करना था।
2. नक्सलवादी संगठनों का उदय:
नक्सलवादी पद्धति बंगाल, केरल एवं आन्ध्रप्रदेश में सक्रिय थी। नक्सलवादी वामदलों से अलग हुआ गुट था, क्योंकि इनका वामदलों से मोह भंग हो गया था। इन्होंने लोगों की स्वतन्त्रता एवं माँगों पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लिया, परन्तु सरकारों ने इस प्रकार के आन्दोलन को समाप्त करने के लिए बल प्रयोग का सहारा लिया।
3. नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए लोगों का संघ: नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए लोगों के संघ का उदय अक्टूबर, 1976 में हुआ। संगठन ने न केवल आपातकाल में बल्कि सामान्य परिस्थितियों में भी लोगों को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क रहने के लिए कहा। 1980 में नागरिक स्वतन्त्रता एवं लोकतान्त्रिक अधिकारों के लिए लोगों के संघ का नाम बदलकर ‘नागरिक स्वतन्त्रताओं के लिए लोगों का संघ’ रख दिया गया तथा इस संगठन का प्रचार-प्रसार पूरे देश में किया गया। यह संगठन नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए जनमत तैयार करवाता था।
प्रश्न 5.
वचनबद्ध न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? श्रीमती इन्दिरा गाँधी की सरकार ने इसके लिए क्या प्रयत्न किये?
उत्तर:
वचनबद्ध न्यायपालिका: वचनबद्ध न्यायपालिका से तात्पर्य न्यायपालिका का सरकार के प्रति प्रतिबद्ध होना या सरकार की नीतियों का आंख मूंद कर पालन करने से है। वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए सरकार द्वारा प्रयोग किए गए उपाय थे तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती गांधी की सरकार ने न्यायपालिका की वचनबद्धता के लिए अग्रलिखित उपाय किये
- न्यायाधीशों की नियुक्ति में वरिष्ठता के सिद्धान्त की अनदेखी: श्रीमती गाँधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति में वरिष्ठता की अनदेखी की तथा उन न्यायाधीशों को पदोन्नत किया, जो सरकार के प्रति वफादार थे।
- न्यायाधीशों का स्थानान्तरण: श्रीमती गाँधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए न्यायाधीशों के स्थानान्तरण का सहारा भी लिया।
- न्यायपालिका की आलोचना: न्यायाधीशों द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों की प्रायः अधिकारियों द्वारा आलोचना की जाती थी, जबकि ऐसा किया जाना संविधान के विरुद्ध था।
- अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति: सरकार अस्थायी तौर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति करके न्यायाधीशों की कार्यप्रणाली एवं व्यवहार का अध्ययन करती थी, कि वह सरकार के पक्ष में कार्य कर रहा है, या विपक्ष में।
- अन्य पदों पर नियुक्तियाँ: सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से उन्हें राज्यपाल, राजदूत या किसी आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, जो सरकार के प्रति वफादार थे अथवा सरकार की नीतियों के अनुसार चलते थे।
- कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का प्रावधान: कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक प्रावधानों को भी वचनबद्ध न्यायपालिका के लिए प्रयोग किया गया।
प्रश्न 6.
नक्सलवादी आन्दोलन क्या है? भारतीय राजनीति में इसकी भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
नक्सलवादी आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
1. नक्सलवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि:
पश्चिम बंगाल के पर्वतीय जिले दार्जिलिंग के नक्सलबाड़ी पुलिस थाने के इलाके में 1967 में एक किसान विद्रोह उठ खड़ा हुआ। इस विद्रोह की अगुवाई मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय नेताओं ने की। नक्सलबाड़ी पुलिस थाने से शुरू होने वाला यह आंदोलन भारत के कई राज्यों में फैल गया। इस आंदोलन को नक्सलवादी आंदोलन के रूप में जाना जाता है।
2. सी.पी.आई. से अलग होना और गुरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाना:
1969 में नक्सलवादी सी. पी. आई. (एम.) से अलग हो गए और उन्होंने सी.पी.आई. (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) नाम से एक नई पार्टी ‘चारु मजूमदार’ के नेतृत्व में बनायी। इस पार्टी की दलील थी कि भारत में लोकतन्त्र एक छलावा है। इस पार्टी ने क्रान्ति करने के लिए गोरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनायी।
3. नक्सलवादियों के कार्यक्रम:
नक्सलवादी आंदोलन ने धनी भूस्वामियों से जमीन बलपूर्वक छीन कर गरीब और भूमिहीन लोगों को दी। इस आंदोलन के समर्थक अपने राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हिंसक साधनों के इस्तेमाल के पक्ष में दलील देते थे।
4. नक्सलवाद का प्रसार एवं प्रभाव:
1970 के दशक में भारत में 9 राज्यों के लगभग 75 जिले नक्सलवाद की हिंसा से प्रभावित हुए। इनमें अधिकांश बहुत पिछड़े इलाके हैं और यहाँ आदिवासियों की संख्या बहुत अधिक है। नक्सलवादी हिंसा व नक्सल विरोधी कार्यवाहियों में अब तक हजारों लोग जान गँवा चुके हैं।
प्रश्न 7.
निम्न बिन्दुओं का वर्णन आपातकाल 1975 की पृष्ठभूमि के संदर्भ में कीजिए
(अ) गुजरात व बिहार आंदोलन
(ब) सरकार व न्यायपालिका में संघर्ष।
उत्तर:
( अ ) गुजरात आंदोलन:
गुजरांत में नव निर्माण आंदोलन के प्रभावस्वरूप गुजरात के मुख्यमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ा। आपातकाल की घोषणा का यह भी एक कारण बना। बिहार आंदोलन बिहार आंदोलन प्रशासन में भ्रष्टाचारी व अयोग्य कर्मचारियों के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाया गया आंदोलन था। बिहार आंदोलन में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं को भी हल करने का प्रयास किया गया। यह बिहार आंदोलन भी 1975 में आपातकाल की घोषणा का एक प्रमुख कारण बना।
(ब) सरकार व न्यापालिका में संघर्ष:
1973-74 की अवधि में न्यायपालिका और सरकार के सम्बन्धों में भी तनाव आए। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की नई पहलकदमियों को संविधान के विरुद्ध माना। सरकार का मानना था कि अदालत का यह रवैया लोकतंत्र के सिद्धान्तों और संसद की सर्वोच्चता के विरुद्ध है। यह सरकार के गरीबों को लाभ पहुँचाने वाले कल्याण कार्यक्रमों को लागू करने की राह में रोड़ा अटका रही है। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रीमती गाँधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया तथा श्रीमती गाँधी को छ: वर्ष तक संसद की सदस्यता न ग्रहण करने की सजा दी गई। सरकार और न्यायपालिका के इस संघर्ष ने आपातकाल की घोषणा की पूर्ण पृष्ठभूमि तैयार कर दी।
प्रश्न 8.
1975 के आपातकालीन घोषणा और क्रियान्वयन से देश के राजनैतिक माहौल, प्रेस, नागरिक अधिकारों, न्यायपालिका के निर्णयों और संविधान पर क्या प्रभाव पड़े? विस्तार में लिखिए ।
उत्तर:
इंदिरा सरकार के आपातकाल की घोषणा पर विरोध- आंदोलनों में कमी आई क्योंकि आपातकाल के दौरान अनेक विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। राजनीतिक माहौल तनावग्रस्त हो गया था। आपातकालीन प्रावधानों का हवाला देते हुए सरकार ने प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी। इसे प्रेस सेंसरशिप के नाम से जाना गया। सामाजिक और सांप्रदायिक गड़बड़ी की आशंका के मद्देनजर सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जमात-ए- इस्लामी जैसे संगठनों पर रोक लगा दी। आपातकालीन प्रावधानों के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकार निष्प्रभावी हो गए।
उनके पास यह अधिकार भी नहीं रहा कि मौलिक अधिकारों की बहाली के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाएँ। निवारक नजरबंदी के अंतर्गत लोगों को गिरफ्तार इसलिए नहीं किया जाता था कि उन्होंने कोई अपराध किया है बल्कि इसके विपरीत, इस प्रावधान के अंतर्गत लोगों को इस आशंका से गिरफ्तार किया जाता था कि भविष्य में वे कोई अपराध कर सकते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत सरकार ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियाँ कीं। गिरफ्तार लोग अपनी गिरफ्तारी को चुनौती नहीं दे पाते थे। गिरफ्तार लोगों अथवा उनके पक्ष से किन्हीं और ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में कई मामले दायर किए, किन्तु सरकार का कहना था कि गिरफ्तार लोगों को कोई कारण बताना कतई जरूरी नहीं है।
अनेक उच्च न्यायालयों ने फैसला दिया कि आपातकाल की घोषणा के बावजूद अदालत किसी व्यक्ति द्वारा दायर की गई ऐसी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को विचार के लिए स्वीकार कर सकती है। परंतु 1976 के अप्रैल माह में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को उलट दिया और सरकार की दलील को सही ठहराया। इसका सामान्य शब्दों में यही अर्थ था कि आपातकाल के दौरान सरकार, नागरिक से जीवन और आजादी का अधिकार वापस ले सकती है। आपातकाल के समय जो नेता गिरफ्तारी से बच गए थे वे भूमिगत हो गए और सरकार के खिलाफ मुहिम चलाई।
पद्मभूषण से सम्मानित कन्नड़ लेखक शिवम कारंत और पद्मश्री से सम्मानित हिन्दी लेखक फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ ने अपनी-अपनी पदवी वापस कर दी। संसद ने संविधान के सामने कई नई चुनौतियाँ खड़ी कीं। इंदिरा गाँधी के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में संशोधन हुआ। इस संशोधन के अनुसार प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के निर्वाचन को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। आपातकाल के दौरान ही संविधान में 42वाँ संशोधन किया गया।
प्रश्न 9.
बिहार आंदोलन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए संक्षिप्त सार लिखिए।
उत्तर:
बिहार के आंदोलन के समय वहाँ पर काँग्रेस की सरकार थी। यहाँ आंदोलन छात्र आंदोलन के रूप में शुरू हुआ। यह आंदोलन न केवल बिहार तक बल्कि अनेक वर्षों तक राष्ट्रीय राजनीति पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला साबित हुआ। बिहार आंदोलन के कारण 1974 के मार्च माह में बढ़ती हुई कीमतों, खाद्यान्न के अभाव, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार के छात्रों ने आंदोलन छेड़ दिया। आंदोलन के क्रम में उन्होंने जयप्रकाश नारायण को बुलावा भेजा। जेपी तब सक्रिय राजनीति छोड़ चुके थे और सामाजिक कार्यों में लगे थे। छात्रों ने अपने आंदोलन की अगुवाई के लिए जयप्रकाश नारायण को बुलावा भेजा।
जेपी ने छात्रों का निमंत्रण इस शर्त पर स्वीकार किया कि आंदोलन अहिंसक रहेगा और अपने को सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं रखेगा। इस प्रकार छात्र आंदोलन ने एक राजनीतिक चरित्र ग्रहण किया और उसके भीतर राष्ट्रव्यापी अपील आई जीवन के हर क्षेत्र के लोग अब आंदोलन से आ जुड़े। आंदोलन की प्रगति और सार जयप्रकाश नारायण ने बिहार की कांग्रेस को बर्खास्त करने की माँग की। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दायरे में ‘सम्पूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया ताकि ‘सच्चे लोकतंत्र’ की स्थापना की जा सके। बिहार की सरकार के खिलाफ लगातार घेराव, बंद और हड़ताल का एक सिलसिला चल पड़ा। बहराल, सरकार ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। 1974 के बिहार आंदोलन का एक प्रसिद्ध नारा था, “संपूर्ण क्रांति अब नारा है- भावी इतिहास हमारा है।”
प्रभाव-आंदोलन का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ना शुरू हुआ। जयप्रकाश नारायण चाहते थे यह आंदोलन देश के दूसरे हिस्से में भी फैले। जेपी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के साथ ही साथ रेलवे के कर्मचारियों ने भी एक राष्ट्रवादी हड़ताल का आह्वान किया। इससे देश के रोजमर्रा के कामकाज के ठप्प हो जाने का खतरा पैदा हो गया। 1975 में जेपी ने जनता के ‘संसद मार्च’ का नेतृत्व किया। देश की राजधानी में अब तक इतनी बड़ी रैली नहीं हुई थी। जेपी को भारतीय जनसंघ, काँगेस (ओ), भारतीय लोकदल, सोशलिस्ट पार्टी जैसे गैर- काँग्रेसी का समर्थन मिला। इन दलों ने जेपी को इंदिरा के विकल्प के रूप में पेश किया।
टिप्पणी-जेपी के विचारों और उनके द्वारा अपनायी नई जन-प्रतिरोध की रणनीति की आलोचनाएँ भी मुखर हुईं गुजरात और बिहार, दोनों ही राज्यों के आंदोलन को कांग्रेस विरोधी आंदोलन माना गया। कहा गया कि ये आंदोलन राज्य सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी के नेतृत्व के खिलाफ चलाए गए हैं। इंदिरा गाधी का मानना था कि ये आंदोलन उनके प्रति व्यक्तिगत विरोध से प्रेरित हैं।
प्रश्न 10.
1975 के आपातकाल से सीखे गए तीन सबकों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
- 1975 की आपातकाल से एकबारगी भारतीय लोकतंत्र की ताकत और कमजोरियाँ उजागर हो गईं। हालाँकि बहुत से पर्यवेक्षक मानते हैं कि आपातकाल के दौरान भारत लोकतांत्रिक नहीं रह गया था। लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि थोड़े ही दिनों के अंदर कामकाज फिर से लोकतांत्रिक ढर्रे पर लौट आया। इस तरह आपातकाल का एक सबक तो यही है कि भारत से लोकतंत्र को विदा कर पाना बहुत कठिन हैं।
- आपातकाल से संविधान में वर्णित आपातकाल के प्रावधानों के कुछ अर्थगत उलझाव भी प्रकट हुए, जिन्हें बाद में सुधार लिया गया। अब ‘अंदरूनी’ आपातकाल सिर्फ ‘सशस्त्र विद्रोह’ की स्थिति में लगाया जा सकता है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि आपातकाल की धारणा की सलाह मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को लिखित में दे।
- आपातकाल से हर कोई नागरिक अधिकारों के प्रति ज्यादा सचेत हुआ। आपातकाल की सम्पत्ति के बाद अदालतों ने व्यक्ति के नागरिक अधिकारों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाई। यपालिका आपातकाल के वक्त नागरिक अधिकारों की रक्षा में तत्पर हो गई। आपातकाल के बाद नागरिक अधिकारों के कई संगठन वजूद में आए।