JAC Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत – एक परिचय
Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Solutions Chapter 1 राजनीतिक सिद्धांत – एक परिचय Textbook Exercise Questions and Answers.
Jharkhand Board Class 11 Political Science राजनीतिक सिद्धांत – एक परिचय InText Questions and Answers
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प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 3 के कार्टून में एक स्त्री अपने राजनेता पति से अपने बच्चे के झूठ और धोखाधड़ी के सम्बन्ध में शिकायत करती हुई कहती है कि ” आपको तुरन्त राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।
आपके काम-काज का इस पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है । वह सोचता है कि वह झूठ और धोखाधड़ी से काम चला सकता है।
उत्तर:
इस कार्टून में आर. के. लक्ष्मण ने स्वार्थपूर्ण और घोटालों से भरी राजनीति पर व्यंग्य करते हुए राजनीति के इस अर्थ को चित्रित किया है कि कई अन्य के लिए राजनीति वही है, जो राजनेता करते हैं। अगर वे राजनेताओं को दल- बदल करते, झूठे वायदे और बढ़े- चढ़े दावे करते, विभिन्न तबकों से जोड़-तोड़ करते, निजी या सामूहिक स्वार्थों में निष्ठुरता से रत और घृणित रूप में हिंसा पर उतारू होता देखते हैं तो वे राजनीति का सम्बन्ध ‘घोटालों’ से जोड़ते हैं।
इस तरह की सोच इतनी प्रचलित है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हम हर संभव तरीके से अपने स्वार्थ को साधनों में लग जाते हैं। इसी गंदी राजनीति के जनता में प्रभाव को इस कार्टून में दर्शाया जा रहा है और राजनेताओं पर यह व्यंग्य किया गया है कि इनके ऐसे कृत्यों से राजनीति का सम्बन्ध किसी भी तरीके से निजी स्वार्थ साधने के धन्धे से जुड़ गया है।
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प्रश्न 2.
ऐसे किसी भी राजनीतिक चिंतक के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये, जिसका उल्लेख अध्याय में किया गया है।
उत्तर:
कार्ल मार्क्स – कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी में राइन नदी के तटवर्ती भाग के ट्रीब्ज नामक स्थान पर 1818 ई. में हुआ। मार्क्स के माता-पिता यहूदी वंश के थे लेकिन जब वे 6 वर्ष के थे तब उनके पिता और परिवार के सदस्यों ने ईसाई धर्म अपना लिया। प्रारंभिक शिक्षा के बाद मार्क्स ने बान विश्वविद्यालय में दर्शन और इतिहास का अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने बर्लिन और जेना के विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया।
यहाँ उन्होंने यूनानी और हीगल के दर्शन का अध्ययन किया। शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह एक पत्र के सम्पादक बने, लेकिन वह पत्र जल्दी ही बंद हो गया। बाद में उन्होंने. साम्राज्यवादी साहित्य का अध्ययन किया तथा 1845 में वे इंग्लैंड चले गये, जहाँ उनकी मित्रता ऐंजिल्स से हुई। मार्क्स ने स्वयं और ऐंजिल्स के साथ मिलकर अनेक ग्रंथों की रचना की, जिसमें ‘साम्यवादी घोषणापत्र’, ‘दास कैपीटल’, ‘होली फैमिली’ आदि प्रमुख हैं। सन् 1883 में इंग्लैंड में ही उनकी मृत्यु हो गई।
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प्रश्न 3.
क्या आप पहचान सकते हैं कि नीचे दिए गये प्रत्येक कथन/स्थिति में कौन – सा राजनीतिक सिद्धांत/मूल्य प्रयोग में आया है?
(क) मुझे विद्यालय में कौन-सा विषय पढ़ना है, यह तय करना मेरा अधिकार होना चाहिए। (ख) छुआछूत की प्रथा का उन्मूलन कर दिया गया है।
(ग) कानून के समक्ष सभी भारतीय समान हैं।
(घ) अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अपनी पाठशालाएँ और विद्यालय स्थापित कर सकते हैं।
(ङ) भारत की यात्रा पर आये हुये विदेशी, भारतीय चुनाव में मतदान नहीं कर सकते।
(च) मीडिया या फिल्मों पर कोई भी सेंसरशिप नहीं होनी चाहिये।
(छ) विद्यालय के वार्षिकोत्सव की योजना बनाते समय छात्र – छात्राओं से सलाह ली जानी चाहिए।
(ज) गणतंत्र दिवस के समारोह में प्रत्येक को भाग लेना चाहिये।
उत्तर:
(क) स्वतंत्रता
(ख) समानता
(ग) समानता
(घ) धर्मनिरपेक्षता
(ङ) नागरिकता
(च) स्वतंत्रता
(छ) लोकतंत्र
(ज) लोकतंत्र।
Jharkhand Board Class 11 Political Science राजनीतिक सिद्धांत – एक परिचय Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
राजनीतिक सिद्धान्त के बारे में नीचे लिखे कौन-से कथन सही हैं और कौनसे गलत?
(क) राजनीतिक सिद्धान्त उन विचारों पर चर्चा करते हैं जिनके आधार पर राजनीतिक संस्थाएँ बनती हैं।
(ख) राजनीतिक सिद्धान्त विभिन्न धर्मों के अन्तर्सम्बन्धों की व्याख्या करते हैं।
(ग) ये स्वतंत्रता और समानता जैसी अवधारणाओं के अर्थ की व्याख्या करते हैं।
(घ) ये राजनैतिक दलों के प्रदर्शन की भविष्यवाणी करते हैं।
उत्तर:
(क) सही
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) गलत।
प्रश्न 2.
“राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण भी दीजिये।
उत्तर:
हम इस कथन से सहमत हैं कि राजनीति उस सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं; क्योंकि राजनीति के अन्तर्गत निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जाता है
1. राजनेताओं के राजनैतिक व्यवहार: राजनेताओं का वह राजनैतिक व्यवहार जो जनता और समाज के हित से संबंधित लिये जाने वाले निर्णयों से संबंधित है।
2. सरकार के कार्यकलाप: राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय का वह ढांचा अर्थात् राजनैतिक संस्थाएँ जो हमें साथ रहने के उपाय खोजने और एक-दूसरे के प्रति अपने कर्त्तव्यों को कबूलने में मदद करती हैं, इन संस्थाओं के साथ सरकारें भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकारें कैसे बनती हैं और कैसे कार्य करती हैं आदि।
3. सरकार को प्रभावित करने के लिए जनता की मांगें, विरोध प्रदर्शन व संघर्ष: राजनीति सरकार के कार्यकलापों तक ही सीमित नहीं होती। सरकारों के कार्यकलाप लोगों के जीवन को भिन्न-भिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं। ये कार्यकलाप जनता के जीवन को उन्नत करने में सहायक भी हो सकते हैं या उनके जीवन को संकट में डालने वाले हो सकते हैं। इसलिए हम सरकार पर जनहितकारी नीतियाँ बनाने के उद्देश्य से संस्थाएँ बनाते हैं, मांगों को स्वीकार कराने के लिए प्रचार अभियान चलाते हैं तथा सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते हैं; सरकारी कृत्यों पर वाद-विवाद और विचार-विमर्श करते हुए राजनीतिक प्रक्रियाओं, राजनैतिक दलों, नेताओं के व्यवहार व निर्णयों के बारे में तर्कसंगत कारण तलाशते हैं। ये सभी कार्य भी राजनीति के अन्तर्गत आते हैं।
अत: यह कहा जा सकता है कि राजनीति का जन्म इस तथ्य से होता है कि हमारे और हमारे समाज के लिए क्या उचित है और क्या अनुचित । इस सम्बन्ध में समाज में चलने वाली विविध वार्ताओं के माध्यम से सामूहिक निर्णय लिए जाते हैं। इन वार्ताओं में एक तरफ तो सरकार के कार्य और उनका जनता पर होने वाले प्रभाव के तथ्य शामिल होते हैं तो दूसरी तरफ जनता का संघर्ष और उसके निर्णय लेने पर इस संघर्ष का प्रभाव शामिल होता है। इन समस्त क्रियाओं के सम्मिलित रूप को राजनीति कहा जाता है।
प्रश्न 3.
” लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना जरूरी है।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना आवश्यक है। यथा
1. जागरूक नागरिक साझा हितों को गढ़ने तथा व्यक्त करने में अधिक समर्थ: लोकतंत्र में सभी को मत देने तथा अन्य मसलों पर फैसला करने का अधिकार नागरिकों को मिलता है। इन दायित्वपूर्ण कार्यों के निर्वहन के लिए उन राजनीतिक विचारों और संस्थाओं, जो हमारी दुनिया को आकार देते हैं, की जानकारी का होना नागरिकों के लिए सहायक होती है। यदि हम विचारशील और परिपक्व हैं, तो हम अपने साझा हितों को गढ़ने तथा व्यक्त करने के लिए नये माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं।
2. जागरूक नागरिक राजनेताओं को जनाभिमुखी बनाते हैं: नागरिक के रूप में, हम किसी संगीत कार्यक्रम के श्रोता जैसे होते हैं जो कार्यक्रम तय करते हैं, प्रस्तुति का रसास्वादन करते हैं और नये अनुरोध करते हैं। लेकिन संगीतकार, संगीत के जानकार और उसके कद्रदान श्रोताओं के समक्ष ही बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इसी तरह शिक्षित और सचेत नागरिक ही राजनीति करने वालों को जनाभिमुखी बनाते हैं।
3. राजनेताओं द्वारा की जा रही उपेक्षाओं का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। जागरूक नागरिक लिखकर बोलकर तथा प्रदर्शन करके देश की सरकार तथा राजनेताओं को उनके कार्यक्रम, घोषित योजनाओं, वायदों के प्रति उनकी की जा रही उपेक्षाओं के प्रति ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
4. संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठकर जनमत का निर्माण: जागरूक नागरिक स्वस्थ जनमत के निर्माण में सहायक होते हैं क्योंकि वे मतदान व्यवहार में जाति, संप्रदाय, क्षेत्रवाद व भाषावाद जैसी संकीर्ण भावनाओं में न बहकर योग्यता को तरजीह देते हैं।
प्रश्न 4.
राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए किन रूपों में उपयोगी है? ऐसे चार तरीकों की पहचान करें जिनमें राजनीतिक सिद्धान्त हमारे लिए उपयोगी हों।
उत्तर:
राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन की उपयोगिता
राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए निम्न प्रकार से उपयोगी है:
1. एक छात्र के रूप में राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन की उपयोगिता: राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन राजनेताओं, नीतिनिर्माताओं, राजनीति के अध्यापकों, संविधान और कानूनों की व्याख्या करने वाले वकीलों व जजों, शोषण का पर्दाफाश करने वाले और नये अधिकारों की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के लिए उपयोगी है। एक छात्र के लिए राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन इसलिए उपयोगी है; क्योंकि छात्र भविष्य में उपर्युक्त पेशों में किसी एक को चुन सकते हैं। इसलिए परोक्ष रूप से राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमारे लिए आवश्यक है।
2. एक नागरिक के रूप में राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन की उपयोगिता:
लोकतंत्र में नागरिकों को मत देने और अन्य मामलों पर फैसला लेना होता है। इस दायित्वपूर्ण कार्य के निर्वहन के लिए राजनीतिक विचारों और राजनीतिक संस्थाओं की बुनियादी जानकारी हमारे लिए (एक नागरिक के लिए) सहायक होती है। यह जानकारी हमें तर्कशील बनाती है तथा निर्णय लेने में सहायक होती है। राजनीतिक सिद्धान्तों का अध्ययन कर हम विचारशील और परिपक्व होकर अपने साझा हितों को गढ़ने और व्यक्त करने के लिए नये माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं तथा राजनेताओं को जनाभिमुखी बना सकते हैं।
3. राजनीतिक सिद्धान्त के अध्ययन से हम अपने विचारों और भावनाओं में उदार हो जाते हैं- राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन हमें राजनीतिक चीजों के बारे में अपने विचारों और भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है और हम अपने विचारों और भावनाओं के प्रति उदार होते जाते हैं।
4. न्याय और समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच का ज्ञानराजनीतिक सिद्धान्त हमें न्याय व समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच से अवगत कराते हैं, ताकि हम अपने विचारों को परिष्कृत कर सकें और सार्वजनिक हित में सुविज्ञ तरीके से तर्क-वितर्क कर सकें।
प्रश्न 5.
क्या एक अच्छा प्रभावपूर्ण तर्क औरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है?
उत्तर:
हाँ, एक अच्छा और प्रभावपूर्ण तर्क दूसरों को आपकी बात सुनने के लिए बाध्य कर सकता है; क्योंकि उसमें उदारता तथा सार्वजनिक हित का सामञ्जस्य होता है तथा यह सुव्यवस्थित होता है। ऐसी बात को गलत साबित करना अति कठिन होता है।
प्रश्न 6.
क्या राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ना, गणित पढ़ने के समान है? अपने उत्तर के पक्ष में कारण दीजिए।
उत्तर:
हाँ, राजनीतिक सिद्धान्त का पढ़ना, गणित पढ़ने के समान है; क्योंकि।
1. राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन एक छात्र के लिए उतना ही उपयोगी है, जितना कि एक गणित का अध्ययन। जिस प्रकार एक छात्र का गणित का ज्ञान गणितज्ञ या इंजीनियर जैसे व्यक्तियों के लिए उपयोगी व आवश्यक है, उसी प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त का अध्ययन राजनेताओं, नीति-निर्माताओं, राजनीति पढ़ाने वाले अध्यापकों, संविधान की व्याख्या करने वाले जजों व वकीलों आदि के लिए उपयोगी व आवश्यक है।
2. जिस प्रकार गणित का ज्ञान, विशेषकर बुनियादी अंकगणित का ज्ञान, व्यक्ति के जीवन में उपयोगी होता है, उसी प्रकार राजनीतिक सिद्धान्त का बुनियादी ज्ञान, उचित तथा अनुचित निर्णयों में भेद करने का ज्ञान, एक नागरिक के लिए लोकतंत्र में उपयोगी होता है।
राजनीतिक सिद्धांत – एक परिचय JAC Class 11 Political Science Notes
→ राजनीतिक सिद्धान्त, हमें सरकार की जरूरत क्यों है? सरकार का सर्वश्रेष्ठ रूप कौन-सा है? क्या कानून हमारी स्वतंत्रता को सीमित करता है? राजसत्ता की अपने नागरिकों के प्रति क्या देनदारी होती है ? नागरिक के रूप में हमारे क्या दायित्व हैं? आदि प्रश्नों की पड़ताल करता है और राजनीतिक जीवन को अनुप्राणित करने वाले स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे मूल्यों के बारे में सुव्यवस्थित रूप से विचार करता है।
→ राजनीतिक सिद्धान्त का उद्देश्य:
राजनीतिक सिद्धान्त का उद्देश्य नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्कसंगत ढंग से सोचने और सामयिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आँकने का प्रशिक्षण देना है। राजनीति क्या है?
लोग राजनीति के बारे में अलग-अलग राय रखते हैं। यथा
→ राजनेता और चुनाव लड़ने वाले लोग अथवा राजनीतिक पदाधिकारी राजनीति को एक प्रकार की जनसेवा बताते हैं। राजनीति से जुड़े अन्य लोग राजनीति को दांव-पेच से जोड़ते हैं।
→ कई अन्य के लिए राजनीति वही है, जो राजनेता करते हैं और जब वे राजनेताओं को दल-बदल करते, झूठे वायदे करते, विभिन्न तबकों से जोड़-तोड़ करते और निजी या सामूहिक स्वार्थ साधने के रूप में देखते हैं, तो उनकी दृष्टि में राजनीति का सम्बन्ध किसी भी तरह से निजी स्वार्थ साधने के धंधे से जुड़ गया है। लेकिन राजनीति के ये अर्थ त्रुटिपरक हैं ।
→ निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि राजनीति किसी भी समाज का महत्त्वपूर्ण और अविभाज्य अंग है। राजनीतिक संगठन और सामूहिक निर्णय के किसी ढांचे के बगैर कोई भी समाज जिन्दा नहीं रह सकता। राजनीति का जन्म इस तथ्य से होता है कि हमारे और हमारे समाज के लिए क्या उचित एवं वांछनीय है और क्या नहीं? इस बारे में हमारी दृष्टि अलग-अलग होती है। इसमें समाज में चलने वाली वार्ताओं के माध्यम से सामूहिक निर्णय किये जाते हैं। इन वार्ताओं में एक स्तर से सरकारों के कार्य और इन कार्यों से जनता का जुड़ा होना शामिल होता है तो दूसरे स्तर से जनता के संघर्ष और सरकारों के निर्णयों पर संघर्ष का प्रभाव शामिल होता है। इस प्रकार जब जनता सामाजिक विकास को बढ़ावा देने और सामान्य समस्याओं के समाधान हेतु परस्पर वार्ता करती है और सामूहिक गतिविधियों में भाग लेती है, तो उसे राजनीति कहते हैं।
→ राजनीतिक सिद्धान्त में हम क्या पढ़ते हैं?
- राजनीतिक सिद्धान्त उन विचारों और नीतियों के व्यवस्थित रूप को प्रतिबिंबित करता है, जिनसे हमारे सामाजिक जीवन, सरकार और संविधान ने आकार ग्रहण किया है।
करता - यह स्वतंत्रता, समानता, न्याय, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसी अवधारणाओं का अर्थ स्पष्ट करता है।
- यह कानून का राज, अधिकारों का बंटवारा और न्यायिक पुनरावलोकन जैसी नीतियों की सार्थकता की जाँच है।
- विभिन्न तर्कों की जाँच-पड़ताल के साथ-साथ राजनीतिक सिद्धान्तकार हमारे वर्तमान राजनीतिक अनुभवों की छानबीन करते हैं और भावी रुझानों तथा संभावनाओं को चिन्हित करते हैं।
→ राजनीतिक सिद्धान्त की प्रासंगिकता:
स्वतंत्रता, समानता और लोकतंत्र से संबंधित प्रश्न अभी भी उठ रहे हैं और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में ये अलग-अलग रफ्तार से बढ़ रहे हैं। जैसे- सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में समानता का प्राप्त न होना, कुछ लोगों का मूल आवश्यकताओं से वंचित होना आदि।
→ यद्यपि हमारे संविधान में स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है, फिर भी हमें हरदम नई व्याख्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नई परिस्थितियों के संदर्भ में मोलिक अधिकारों की नई व्याख्यायें की जा रही हैं। ये व्याख्यायें नई समस्याओं का समाधान कर रही हैं। जैसे आजीविका के अधिकार को जीवन के अधिकार में शामिल करने के लिए अदालतों द्वारा पुनर्व्याख्या की गई है।
→ जैसे-जैसे हमारी दुनिया बदल रही है, हम स्वतंत्रता और स्वतंत्रता पर संभावित खतरों के नये-नये आयामों को खोज रहे हैं। जैसे वैश्विक संचार तकनीक से जंगल की सुरक्षा के लिए सक्रिय कार्यकर्ताओं का एक नेटवर्क बन रहा है, वहीं आतंकवादियों का भी एक नेटवर्क बना है। राजनीतिक सिद्धान्त में ऐसे अनेक प्रश्नों के संभावित उत्तरों के सिलसिले में हमारे लिए सीखने के लिए बहुत कुछ हैं और इसीलिए यह प्रासंगिक है।
→ राजनीतिक सिद्धान्तों को व्यवहार में उतारना
राजनीतिक अवधारणाओं के अर्थ को राजनीतिक सिद्धान्तकार यह देखते हुए स्पष्ट करते हैं कि आम भाषा में इसे कैसे समझा और बरता जाता है। वे विविध अर्थों और रायों पर विचार-विमर्श और उनकी जांच-पड़ताल भी सुव्यवस्थित तरीके से करते हैं। उदाहरण के लिए, अवसर की समानता कब पर्याप्त है? कब लोगों को विशेष बरताव की जरूरत होती है? ऐसा विशेष बरताव कब तक और किस हद तक किया जाना चाहिए? क्या गरीब बच्चों को स्कूल में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु दोपहर का भोजन दिया जाना चाहिए? ऐसे प्रश्नों की ओर वे मुखातिब होते हैं।
ये मसले पूर्णतः व्यावहारिक हैं। वे शिक्षा और रोजगार के बारे में सार्वजनिक नीतियाँ तय करने में मार्गदर्शन करते हैं। समानता की तरह ही अन्य अवधारणाओं के सम्बन्ध में राजनीतिक सिद्धान्तकारों को रोजमर्रा के विचारों के प्रसंग में संभावित अर्थों पर विचार-विमर्श करना पड़ता है और नीतिगत विकल्पों को सूत्रबद्ध करना पड़ता है।
→ हमें राजनीतिक सिद्धान्त क्यों पढ़ने चाहिए?
हमें राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ने चाहिए; क्योंकि।
- राजनीतिक सिद्धान्तों का अध्ययन राजनेताओं, नीति निर्माता नौकरशाहों, राजनीतिक सिद्धान्त पढ़ाने वाले अध्यापकों, वकीलों, जजों, शोषण का पर्दाफाश करने वाले कार्यकर्ताओं व पत्रकारों आदि ऐसे सभी समूहों के लिए प्रासंगिक है।
- दायित्वपूर्ण कार्य निर्वहन के लिए उन राजनीतिक विचारों और संस्थाओं की बुनियादी जानकारी हमारे लिए सहायक होती है, जो हमारी दुनिया को आकार देते हैं। राजनीतिक सिद्धान्तों का अध्ययन नागरिकों के लिए आवश्यक है क्योंकि शिक्षित और सचेत नागरिक राजनीति करने वालों को जनाभिमुख बना देते हैं।
- राजनीतिक सिद्धान्त हमें राजनीतिक चीजों के बारे में अपने विचारों और भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है और थोड़ी अधिक सतर्कता से चीजों को देखने से हम अपने विचारों और भावनाओं में उदार हो जाते हैं।
- राजनीतिक सिद्धान्त हमें न्याय या समानता के बारे में सुव्यवस्थित सोच से अवगत कराते हैं, ताकि हम अपने विचारों को परिष्कृत कर सकें और सार्वजनिक हित में तर्क-वितर्क कर सकें।