Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. आधुनिक लोकतन्त्र में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र का निकटतम उदाहरण है।
(क) ग्राम सभा
(ग) पंचायत समिति
(ख) ग्राम पंचायत
(घ) नगरपालिक।
उत्तर:
(क) ग्राम सभा
2. निम्नलिखित में कौनसा कथन भारत की लोकसभा सदस्यों के निर्वाचन व्यवस्था की विशेषता नहीं है।
(क) पूरे देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
(ख) प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
(ग) उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
(घ) विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।
उत्तर:
(घ) विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।
3. जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाते हैं, उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है। निर्वाचन की इस विधि को कहते हैं।
(क) समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली
(ख) एकल संक्रमणीय मत प्रणाली
(ग) जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) जो सबसे आगे वही जीते’ प्रणाली
4. ‘पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र मानकर प्रत्येक पार्टी को राष्ट्रीय चुनावों में प्राप्त वोटों के अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं।’ समानुपातिक प्रतिनिधित्व का यह प्रकार किस देश में अपनाया जा रहा है?
(क) भारत
(ख) ब्रिटेन
(ग) इजरायल
(घ) पुर्तगाल।
उत्तर:
(ग) इजरायल
5. भारत में निम्नलिखित में से किसमें आनुपातिक प्रतिनिधिक प्रणाली को नहीं अपनाया गयां है?
(क) लोकसभा के चुनाव में
(ख) राज्यसभा के चुनाव में
(ग) राष्ट्रपति के चुनाव में
(घ) विधान परिषदों के चुनाव में।
उत्तर:
(क) लोकसभा के चुनाव में
6. भारत में निम्नलिखित में किस संस्था के चुनाव के लिए फर्स्ट- पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम को अपनाया गया है-
(क) लोकसभा के चुनाव के लिए
(ख) विधानसभा के चुनाव के लिए
(ग) स्थानीय स्वशासन संस्थाओं के चुनाव के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
7. निम्नलिखित में कौनसा कथन ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ प्रणाली से सम्बद्ध नहीं है।
(क) पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट दिया जाता है।
(ख) हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
(ग) मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है।
(घ) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
उत्तर:
(घ) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
8. निम्नलिखित में कौनसा कथन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषता को व्यक्त नहीं करता है?
(क) एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जाते हैं।
(ख) मतदाता पार्टी को वोट देता है।
(ग) विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं कि उसे वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले।
(घ) हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
उत्तर:
(ग) विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं कि उसे वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले।
9. भारत में वयस्क मताधिकार की न्यूनतम आयु है।
(क) 21 वर्ष
(ख) 18 वर्ष
(ग) 25 वर्ष
(घ) 16 वर्ष।
उत्तर:
(ख) 18 वर्ष
10. भारत में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम-से-कम कितने वर्ष का होना चाहिए?
(क) 25 वर्ष
(ख) 21 वर्ष
(ग) 30 वर्ष उत्तरमाला
(घ) 35 वर्ष।
उत्तर:
(क) 25 वर्ष
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. लोकतंत्र का वह रूप जिसमें देश के शासन और प्रशासन को चलाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है, ………………. लोकतंत्र कहलाता है।
उत्तर:
अप्रत्यक्ष
2. आधुनिक भारत में ग्राम पंचायत की ……………….. प्रत्यक्ष लोकतंत्र की उदाहरण हैं।
उत्तर:
ग्राम सभाएँ
3. भारत में लोकसभा चुनावों में ……………………. प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनायी गई है।
उत्तर:
जो सबसे आगे वही जीते
4. इजरायल के चुनावों में ……………………. प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनायी गई है।
उत्तर:
समानुपातिक
5. पृथक् निर्वाचन मंडल की व्यवस्था भारत के लिए …………………. रही है।
उत्तर:
अभिशाप
निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिये
1. भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को केवल अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए ही सीमित रूप में अपनाया गया है।
उत्तर:
सत्य
2. भारत के संविधान निर्माताओं ने दलित उत्पीड़ित सामाजिक समूहों के लिए उचित प्रतिनिधित्व हेतु पृथक् निर्वाचन मंडल की व्यवस्था को अपनाया गया. है।
उत्तर:
असत्य
3. भारतीय संविधान में प्रत्येक वयस्क नागरिक को चुनाव में मत देने का अधिकार है।
उत्तर:
सत्य
4. लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशी के लिए कम से कम 35 वर्ष की आयु आवश्यक है।
उत्तर:
असत्य
5. भारत में एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग का प्रावधान किया गया है।
उत्तर:
सत्य
निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये
1. ग्राम सभा | (अ) प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र |
2. लोकसभा | (ब) भारत के राष्ट्रपति का चुनाव |
3. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार | (स) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति |
4. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली | (द) सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार |
5. लोकसभा और राज्यसभा | (य) प्रत्यक्ष लोकतंत्र |
उत्तर:
1. ग्राम सभा | (य) प्रत्यक्ष लोकतंत्र |
2. लोकसभा | (अ) प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र |
3. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार | (द) सभी वयस्कों को मत देने का अधिकार |
4. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली | (ब) भारत के राष्ट्रपति का चुनाव |
5. लोकसभा और राज्यसभा | (स) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का वह रूप जिसमें नागरिक रोजमर्रा के फैसलों और सरकार चलाने में सीधे भाग लेते हैं, लोकतन्त्र कहलाता
प्रश्न 2.
प्रत्यक्ष लोकतन्त्र के कोई दो उदाहरण दीजि ।
उत्तर:
- प्राचीन यूनान के नगर राज्य।
- आधुनिक भारत में ग्राम पंचायत की ग्राम सभाएँ।
प्रश्न 3.
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतन्त्र का वह रूप जिसमें देश के शासन और प्रशासन को चलाने के लिए जनता अपने प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है।, अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र कहलाता है।
प्रश्न 4.
लोकतंत्र का बुनियादी तत्त्व क्या है।
उत्तर:
लोकतंत्र का बुनियादी तत्त्व जनता द्वारा प्रतिनिधियों का निर्वाचन है।
प्रश्न 5.
निर्वाचन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनता अपने प्रतिनिधियों को जिस विधि से निर्वाचित करती है, उस विधि को चुनाव या निर्वाचन कहते
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान चुनाव से सम्बन्धितं किन दो लक्ष्यों को लेकर चलता है?
उत्तर:
- एक स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव, जिसे लोकतान्त्रिक चुनाव कहा जा सके।
- न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व।
प्रश्न 7.
भारतीय संविधान स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव हेतु किन मूलभूत नियमों को निर्धारित करता है? (कोई दो का उल्लेख कीजिए ।)
उत्तर:
- भारत का प्रत्येक वयस्क नागरिक, जिसकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, मत देने का अधिकार रखता है
- सभी नागरिकों को चुनाव में खड़े होने और जनता का प्रतिनिधि होने का अधिकार है।
प्रश्न 8.
निर्वाचक मण्डल से क्या आशय है?
उत्तर:
निर्वाचक मण्डल से आशय एक ऐसे समूह से है जिसका निर्माण किसी विशेष पद के चुनाव के लिए किया जाता है।
प्रश्न 9.
निर्वाचन विधि से क्या आशय है?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक चुनाव में अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए लोगों के द्वारा अपनी रुचि जिस तरीके से व्यक्त की जाती है और उनकी पसन्द की गणना जिस विधि से की जाती है, उसे निर्वाचन विधि कहते हैं।
प्रश्न 10.
पृथक् निर्वाचक मण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथक् निर्वाचक मण्डल से अभिप्राय किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे।
प्रश्न 11.
चुनाव आचार संहिता क्या है?
उत्तर:
चुनाव आचार संहिता निर्वाचन के समय में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के चुनाव – संचालन के नियंत्रण हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों की एक संहिता होती है ।
प्रश्न 12.
विशेष बहुमत क्या होता है?
उत्तर:
विशेष बहुमत का आशय सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत तथा सदन की कुल सदस्य संख्या के साधारण बहुमत से है।
प्रश्न 13.
परिसीमन आयोग का गठन कौन करता है?
उत्तर;
परिसीमन आयोग का गठन राष्ट्रपति करता है।
प्रश्न 14.
किन्हीं दो निर्वाचन विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- जो सबसे आगे वही जीते (फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम) विधि।
- समानुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति।
प्रश्न 15.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ पद्धति की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- इसमें पूरे देश को छोटे-छोटे एकल निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है।
- इसमें सर्वाधिक वोट पाने वाले प्रत्याशी को विजयी घोषित कर दिया जाता है।
प्रश्न 16.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ पद्धति को अपनाने वाले किन्हीं दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- यूनाइटेड किंग्डम
- भारत।
प्रश्न 17.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
- हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
प्रश्न 18.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को अपनाने वाले किन्हीं दो देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- इजरायल
- नीदरलैंड
प्रश्न 19.
भारत में सर्वाधिक जीत वाली व्यवस्था जिन संस्थाओं के चुनाव के लिए अपनाई गई है, उनमें से किन्हीं दो संस्थाओं के नाम लिखिए। है?
उत्तर:
- लोकसभा
- राज्यों की विधानसभाएँ।
प्रश्न 20.
हमारे संविधान ने किन संस्थाओं के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को लागू किया
उत्तर:
हमारे संविधान ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषदों के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को लागू किया है।
प्रश्न 21.
संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में किन जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करता है?
उत्तर:
संविधान अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण की व्यवस्था करता है।
प्रश्न 22.
भारतीय संविधान में निर्वाचन आयोग की व्यवस्था क्यों की गई है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए तथा चुनावों के संचालन और देखरेख के लिए निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 23.
निर्वाचन आयोग के कोई दो कार्य बताइए।
उत्तर:
- मतदाता सूची तैयार करना।
- स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव की व्यवस्था करना।
प्रश्न 24.
20 वर्ष पहले के मुकाबले आज निर्वाचन आयोग ज्यादा स्वतन्त्र और प्रभावी क्यों है?
उत्तर:
वर्तमान में निर्वाचन आयोग ने उन शक्तियों का और प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करना शुरू कर दिया है जो उसे संविधान में पहले से ही प्राप्त थीं। इसी कारण आज यह 20 वर्ष पहले की तुलना में ज्यादा स्वतन्त्र और प्रभावी है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए किस विधि को स्वीकार करता है? समझाइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए ‘जो सबसे आगे वही जीते’ (फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट) व्यवस्था को स्वीकार करता है। इस व्यवस्था में जिस प्रत्याशी को अन्य सभी प्रत्याशियों से अधिक वोट मिल जाते हैं, उसे ही निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है । विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।
प्रश्न 2.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस चुनाव व्यवस्था में प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है और अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे मतगणना के बाद प्राप्त वोटों के अनुपात के हिसाब से दिया जाता है। चुनावों की इस व्यवस्था को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में सर्वाधिक वोट से जीत प्रणाली क्यों स्वीकार की गई?
उत्तर:
भारत के संविधान निर्माताओं ने भारत में सर्वाधिक वोट से जीत प्रणाली इन कारणों से अपनायी।
- यह प्रणाली अत्यधिक सरल तथा लोकप्रिय है।
- इसमें चुनाव के समय मतदाताओं के पास स्पष्ट विकल्प होते हैं कि वह प्रत्याशी को मत दे या दल को।
- प्रतिनिधि का मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होने की दृष्टि से भी यह प्रणाली श्रेष्ठ है।
- यह प्रणाली स्थायी सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
प्रश्न 4.
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर:
आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था से यह आशय है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए वह सीट आरक्षित है।
प्रश्न 5.
भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए तथा चुनाव की देख-रेख करने के लिए किस संस्था का गठन किया गया है?
उत्तर:
भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने तथा चुनाव की देख-रेख करने के लिए एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है। वर्तमान में भारत का निर्वाचन आयोग बहुसदस्यीय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य निर्वाचन आयुक्त होते हैं। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श पर की जाती है।
प्रश्न 6.
भारत में चुनावों को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए किये गये किन्हीं तीन संवैधानिक व्यवस्थाओं का उल्लेख कीजिए। जाये।
उत्तर:
भारत में चुनावों को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए संविधान में निम्नलिखित तीन व्यवस्थाएँ की गई
- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था।
- प्रत्येक नागरिक को चुनाव लड़ने की स्वतन्त्रता।
- एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना।
प्रश्न 7.
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए कोई तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए सुझाव।
- चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियन्त्रित करने के लिए और कठोर कानूनी प्रावधानों की व्यवस्था की
- सभी उम्मीदवार, राजनीतिक दल और वे सभी लोग जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं। लोकतान्त्रिक प्रतिस्पर्द्धा की भावना का सम्मान करें।
- जनता स्वयं ही और अधिक सतर्क रहते हुए राजनीतिक कार्यों में और अधिक सक्रियता से भाग ले।
प्रश्न 8.
जो सबसे आगे वही जीते अर्थात् सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनांव व्यवस्था ( फर्स्ट- पास्ट-द- पोस्ट सिस्टम) की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनाव व्यवस्था – सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत वाली चुनाव व्यवस्था (फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट – सिस्टम) की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
- निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण: इस चुनाव प्रणाली के अन्तर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं।
- एक क्षेत्र से एक प्रतिनिधि का निर्वाचन: इसमें हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
- मतदान प्रत्याशी को इसमें मतदाता प्रत्याशी को मत देता है।
- वोट प्रतिशत तथा सीटों की संख्या में असन्तुलन: इस प्रणाली में पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं।
- इसमें विजयी उम्मीदवार के लिए यह जरूरी नहीं है कि वोटों का बहुमत (50% + 1 ) ही मिले।
प्रश्न 9.
समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की विशेषताएँ – समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
- निर्वाचन क्षेत्र: समानुपातिक प्रतिनिधिक प्रणाली में या तो किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है, जिससे दो या दो से अधिक सदस्यों का निर्वाचन होना अनिवार्य होता है या पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है।
- एक क्षेत्र से प्रतिनिधियों की संख्या: इसमें एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
- मतदान पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में मतदाता पार्टी को वोट देता है, न कि प्रत्याशी को।
- सीटें प्राप्त मतों के अनुपात में: इस प्रणाली में प्रत्येक पार्टी को प्राप्त मतों के अनुपात में विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
- वोटों के बहुमत से विजय: इसमें विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत (50% + 1 ) हासिल होता है।
प्रश्न 10.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ तथा ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’ प्रणाली के बीच कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत’ तथा ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व’ चुनाव प्रणाली में अन्तर
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत | समानुपातिक प्रतिनिधित्व |
1. पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट देते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं। | 1. किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को एक निर्वाचन क्षेत्र मान लिया जाता है। पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र गिना जा सकता है। |
2. हर निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है। | 2. एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं। |
3. मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है। | 3. मतदाता रांजनैतिक दल को वोट देता है। |
4. पार्टी को प्राप्तोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं। | 4. हर पार्टी को प्रास मत के अनुपात में ही विधायिका में सीटें हासिल होती हैं। |
प्रश्न 11.
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्या है?
उत्तर:
जब देश के सभी वयस्क नागरिकों को जाति, धर्मा, लिंग, धन, स्थान आदि के आधार पर उत्पन्न भेदभाव के बिना, समान रूप से मतदान का अधिकार दे दिया जाए तो उसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं। इंग्लैंड, भारत तथा अमेरिका में इसकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। इस निश्चित आयु के पश्चात् प्रत्येक नागरिक को यहाँ मतदान करने का अधिकार प्राप्त है।
प्रश्न 12.
परिसीमन आयोग किसे कहते हैं? उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिसीमन आयोग पूरे देश में निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा खींचने के उद्देश्य से राष्ट्रपति द्वारा एक स्वतन्त्र संस्था का गठन किया जाता है जिसे परिसीमन आयोग कहते हैं। परिसीमन आयोग के कार्य: रिसीमन आयोग के दो प्रमुख कार्य हैं।
1. निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएँ निर्धारित करना: परिसीमन आयोग आम निर्वाचन से पहले पूरे देश में निर्वाचन के क्षेत्रों की सीमाएँ निर्धारित करता है। इस कार्य को वह चुनाव आयोग के साथ मिलकर करता है।
2. आरक्षित किये जाने वाले निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण: प्रत्येक राज्य में आरक्षण के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का एक कोटा होता है जो उस राज्य में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की संख्या के अनुपात में होता ह। परिसीमन के बाद, परिसीमन आयोग प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में जनसंख्या की संरचना देखता है। जिन निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या सबसे ज्यादा होती है उसे उनके लिए आरक्षित कर दिया जाता है। अनुसूचित जातियों के मामले में परिसीमन आयोग दो बातों पर ध्यान देता है।
आयोग उन निर्वाचन क्षेत्रों को चुनता है जिनमें अनुसूचित जातियों का अनुपात ज्यादा होता है। लेकिन वह इन निर्वाचन क्षेत्रों को राज्य के विभिन्न भागों में फैला भी देता है। ऐसा इसलिए कि अनुसूचित जातियों को पूरे देश में बिखराव समरूप है। जब कभी भी परिसीमन का काम होता है, इन आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ परिवर्तन कर दिया जाता है।
प्रश्न 13.
1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 543 में से 415 सीटें जीतीं – जो कुल सीटों के 80 प्रतिशत से भी अधिक है। जबकि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 48 प्रतिशत वोट ही मिले थे। अन्य दलों के प्रदर्शन से भी उनको प्राप्त मतों और प्राप्त सीटों में कोई सन्तुलन नहीं है। ऐसा कैसे हुआ?
उत्तर:
1984 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्राप्त मतों के अनुपात से अधिक सीटें मिलीं जबकि भाजपा, लोकदल को प्राप्त मतों के अनुपात से कम सीटें मिलीं। ऐसा इसलिए सम्भव हुआ कि भारत में चुनाव की एक विशेष विधि का पालन किया जाता है। इस विधि को फर्स्ट – पास्ट – द – पोस्ट सिस्टम कहते हैं । इस विधि के अन्तर्गत चुनाव की निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है।
- पूरे देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँट दिया गया है।
- प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है।
- उस निर्वाचन क्षेत्र में जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट मिलते हैं, उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जाता।
- इसमें विजयी प्रत्याशी के लिए यह जरूरी नहीं है कि उसे कुल मतों का बहुमत मिले।
यदि चुनाव मैदान में कई प्रत्याशी हों तो जीतने वाले प्रत्याशी को प्रायः 50 प्रतिशत से कम वोट मिलते हैं। सभी हारने वाले प्रत्याशियों के वोट बेकार चले जाते हैं क्योंकि इन वोटों के आधार पर उन प्रत्याशियों या दलों को कोई सीट नहीं मिलती। मान लीजिए कि किसी पार्टी को प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में 25 प्रतिशत वोट मिलते हैं लेकिन अन्य प्रत्याशियों को उससे भी कम वोट मिलते हैं। उस स्थिति में केवल 25 प्रतिशत या उससे कम वोट पाकर कोई दल सभी सीटें जीत सकता है। इस विधि की इसी विशेषता के कारण 1984 में कांग्रेस पार्टी ने 48% मत पाकर भी 80 प्रतिशत सीटें प्राप्त कीं।
प्रश्न 14.
इजरायल में अपनायी गयी समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इजराइल में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली: इजराइल में चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाई गई है। वहाँ विधायिका (नेसेट) के चुनाव प्रत्येक चार वर्ष पर होते हैं। यहाँ पूरे देश को एक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है। प्रत्येक पार्टी चुनावों से पहले अपने प्रत्याशियों की एक प्राथमिकता सूची जारी कर देती है। लेकिन मतदाता प्रत्याशियों को नहीं वरन् पार्टियों को वोट देते हैं। मतगणना के बाद, प्रत्येक पार्टी को संसद में उसी अनुपात में सीटें दे दी जाती हैं जिस अनुपात में उन्हें वोटों में हिस्सा मिलता है।
इस प्रकार प्रत्येक पार्टी अपने उतने ही प्रत्याशियों को उस प्राथमिकता सूची से चुन लेती है जितनी सीटों का कोटा उसे दिया जाता है। इससे सीमित जनाधार वाली छोटी पार्टियों को भी विधायिका में कुछ प्रतिनिधित्व मिल जाता है। शर्त यह है कि विधायिका में सीट पाने के लिए न्यूनतम 3.25 प्रतिशत वोट मिलने चाहिए। इससे प्राय: बहुदलीय गठबन्धन सरकारें बनती हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग के संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग का संगठन: भारत में चुनाव प्रक्रिया को स्वतन्त्र और निष्पक्ष बनाने के लिए एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई संविधान के अनुच्छेद 324(1) के अनुसार, “इस संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमण्डल के लिए कराये जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों के निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली
तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचकों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियन्त्रण एक आयोग में निहित होगा (जिसे इस संविधान में निर्वाचन आयोग कहा गया है।)
निर्वाचन आयुक्त: भारत का निर्वाचन आयोग एक सदस्यीय या बहुसदस्यीय भी हो सकता है। वर्तमान में निर्वाचन आयोग त्रिसदस्यीय है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं। एक सामूहिक संस्था के रूप में चुनाव सम्बन्धी हर निर्णय में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य दोनों निर्वाचन आयुक्तों की शक्तियाँ समान हैं।
नियुक्ति: निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मन्त्रिपरिषद् के परामर्श पर की जाती है।
कार्यकाल: संविधान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों के कार्यकाल की सुरक्षा देता है। उन्हें 6 वर्षों के लिए अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो पहले खत्म हो) के लिए नियुक्त किया जाता है।
पद: विमुक्ति-मुख्य निर्वाचन आयुक्त को कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है; पर इसके लिए संसद के दोनों सदनों को विशेष बहुमत से पारित कर इस आशय का एक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को भेजना होगा। विशेष बहुमत से आशय है। उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत; और सदन की कुल सदस्य संख्या का साधारण बहुमत। मुख्य निर्वाचन अधिकारी व अन्य कर्मचारी – भारत के निर्वाचन आयोग की सहायता करने के लिए प्रत्येक राज्य में एक मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता है। निर्वाचन आयोग के पास बहुत ही सीमित कर्मचारी होते हैं।
वह प्रशासनिक मशीनरी की मदद से कार्य करता है। एक बार चुनाव प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाने के बाद चुनाव सम्बन्धी कार्यों के सम्बन्ध में आयोग का पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर नियन्त्रण हो जाता है। चुनाव प्रक्रिया के दौरान राज्य और केन्द्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों को चुनाव सम्बन्धी कार्य दिये जाते हैं और इस सम्बन्ध में निर्वाचन आयोग का उन पर पूरा नियन्त्रण होता है। निर्वाचन आयोग इन अधिकारियों का तबादला कर सकता है या उनके तबादले रोक सकता है; अधिकारियों के निष्पक्ष ढंग से काम करने में विफल रहने पर आयोग उनके विरुद्ध कार्यवाही भी कर सकता है।
प्रश्न 2.
भारतीय निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चुनाव आयोग के कार्य: भारत में चुनाव आयोग के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं।
1. निर्वाचक नामावली तैयार करना:
निर्वाचन आयोग का प्रमुख कार्य निर्वाचन हेतु निर्वाचक नामावली तैयार करना है। इस हेतु वह मतदाता सूचियों को नया करने के काम की देख-रेख करता है। वह पूरा प्रयास करता है कि मतदाता सूचियों में गलतियाँ न हों अर्थात् पंजीकृत मतदाताओं के नाम न छूट जाएँ और न ही उसमें ऐसे लोगों के नाम हों जो मतदान के अयोग्य हों या जीवित न हों।
2. चुनाव कार्यक्रम तैयार करना तथा इसका क्रियान्वयन करना:
निष्पक्ष और स्वतन्त्र निर्वाचन कराने की दृष्टि से वह चुनाव का समय और चुनावों का पूरा कार्यक्रम तैयार करता है। इसमें चुनाव की अधिघोषणा, नामांकन प्रक्रिया शुरू करने की तिथि, मतदान की तिथि, मतगणना की तिथि और चुनाव परिणामों की घोषणा आदि बातों का उल्लेख होता है। चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग इस निर्वाचन कार्यक्रम को क्रियान्वित करता है।
3. चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति:
चुनाव आयोग चुनाव करवाने के लिए प्रत्येक राज्य में मुख्य चुनाव अधिकारी और प्रत्येक चुनाव क्षेत्र के लिए एक चुनाव अधिकारी व अन्य कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं। चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग का पूरी प्रशासनिक मशीनरी पर नियंत्रण हो जाता है। निर्वाचन आयोग इन प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को चुनाव सम्बन्धी कार्य देता है।
4. राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता का निर्माण:
निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करता है।
5. राजनीतिक दलों को मान्यता तथा चुनाव चिह्न का आवंटन: निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों को मान्यता देता है और उन्हें चुनाव चिह्न आवंटित करता है।
6. अन्य कार्य: निर्वाचन आयोग को स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्णय लेने का अधिकार है।
- वह पूरे देश, किसी राज्य या किसी निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों को इस आधार पर स्थगित या रद्द कर सकता है कि वहाँ माकूल माहौल नहीं है तथा स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव कराना सम्भव नहीं है।
- वह किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में दुबारा चुनाव कराने की आज्ञा दे सकता है।
- यदि उसे लगे कि मतगणना प्रक्रिया पूरी तरह से उचित और न्यायपूर्ण नहीं थी तो वह दोबारा मतगणना कराने की भी आज्ञा दे सकता है।
प्रश्न 3.
भारत में चुनावों को निष्पक्ष और स्वतन्त्र बनाने हेतु चुनाव सुधार सम्बन्धी सुझाव दीजिए।
उत्तर:
चुनाव सुधार हेतु सुझाव: वयस्क मताधिकार, चुनाव लड़ने की स्वतन्त्रता और एक स्वतन्त्र निर्वाचन आयोग की स्थापना को स्वीकार कर भारत में चुनावों को स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने की कोशिश की गई है। पिछले 50 वर्षों के अनुभव के बाद इस सन्दर्भ में भारत की चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं।
1. समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू की जाये: भारत में चुनाव व्यवस्था के अन्तर्गत ‘सर्वाधिक मत से जीत वाली प्रणाली’ (फर्स्ट- पास्ट-द-पोस्ट-सिस्टम) के स्थान पर किसी प्रकार की समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करनी चाहिए। इससे राजनीतिक दलों को उसी अनुपात में सीटें मिलेंगी जिस अनुपात में उन्हें वोट मिलेंगे।
2. महिलाओं को आरक्षण दिया जाये: संसद और विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटों पर महिलाओं को चुनने के लिए विशेष प्रावधान बनाये जाएँ।
3. धन के प्रभाव पर नियन्त्रण हो: चुनावी राजनीति में धन के प्रभाव को नियन्त्रित करने के लिए और अधिक कठोर प्रावधान होने चाहिए। सरकार को एक विशेष निधि से चुनावी खर्चों का भुगतान करना चाहिए।
4. अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक: जिस उम्मीदवार के विरुद्ध फौजदारी का मुकदमा हो उसे चुनाव लड़ने से रोक दिया जाना चाहिए, भले ही उसने इसके विरुद्ध न्यायालय में अपील कर रखी हो।
5. जाति: धर्म आधारित चुनावी अपीलों पर प्रतिबन्ध लगे- चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधार पर की जाने वाली किसी भी अपील को पूरी तरह से प्रतिबन्धित कर देना चाहिए।
6. राजनीतिक दलों को अधिक पारदर्शी तथा लोकतान्त्रिक बनाया जाये: राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली को नियन्त्रित करने के लिए तथा उनकी कार्यविधि को और अधिक पारदर्शी तथा लोकतान्त्रिक बनाने के लिए एक कानून होना चाहिए।
7. जनता की सतर्कता और सक्रियता में वृद्धि आवश्यक; कानूनी सुधारों के अतिरिक्त चुनावों की स्वतन्त्रता व निष्पक्षता के लिए यह भी आवश्यक है कि स्वयं जनता अधिक सतर्क रहते हुए राजनीतिक कार्यों में सक्रिय रहे। वास्तव में निष्पक्ष और स्वतन्त्र चुनाव तभी हो सकते हैं जब सभी उम्मीदवार, राजनीतिक दल और वे सभी लोग जो चुनाव प्रक्रिया में भाग लेते हैं। लोकतान्त्रिक प्रतिस्पर्द्धा की भावना का सम्मान करें।
प्रश्न 4.
भारत में चुनाव व्यवस्था की सफलता का मापन कीजिए।
अथवा
भारत में चुनाव व्यवस्था ने सफलतापूर्वक अपना कार्य किया है। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए भारत में चुनाव व्यवस्था की सफलता।
उत्तर:
जिन देशों में प्रतिनिध्यात्मक लोकतान्त्रिक व्यवस्था है, वहाँ चुनाव और चुनाव का प्रतिनिधित्व वाला स्वरूप लोकतन्त्र को प्रभावी और विश्वसनीय बनाने में निर्णायक भूमिका निभाता है। भारत में चुनाव व्यवस्था ने अपना कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया है। इसकी सफलता को निम्नलिखित आधारों पर मापा जा सकता है।
1. शान्तिपूर्ण ढंग से सरकारों में परिवर्तन सम्भव: भारतीय चुनाव व्यवस्था ने मतदाताओं को न केवल अपने प्रतिनिधियों को चुनने की स्वतन्त्रता दी है, बल्कि उन्हें केन्द्र और राज्यों में शान्तिपूर्ण ढंग से सरकारों को बदलने का अवसर भी दिया है।
2. मतदाताओं तथा दलों की चुनाव प्रक्रिया में निरन्तर रुचि का होना; भारतीय चुनाव व्यवस्था के अन्तर्गत मतदाताओं ने चुनाव प्रक्रिया में लगातार रुचि ली है और उसमें भाग लिया है। चुनावों में भाग लेने वाले उम्मीदवारों और दलों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
3. सभी को साथ लेकर चलना: भारतीय निर्वाचन व्यवस्था में सभी को स्थान मिला है और यह सभी को साथ लेकर चली है। हमारे प्रतिनिधियों की सामाजिक पृष्ठभूमि भी धीरे-धीरे बदली है। अब हमारे प्रतिनिधि विभिन्न सामाजिक वर्गों से आते हैं।
4. अधिकाश चुनाव परिणाम चुनावी अनियमितताओं और धाँधली से अप्रभावित: देश के अधिकतर भागों में चुनाव परिणाम चुनावी अनियमितताओं और धाँधली से प्रभावित नहीं होते, यद्यपि चुनाव में धाँधली करने के अनेक प्रयास किये जाते हैं। फिर भी ऐसी घटनाओं से शायद ही कोई चुनाव परिणाम प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता हो।
5. चुनाव भारत के लोकतान्त्रिक जीवन के अभिन्न अंग: चुनाव भारत के लोकतान्त्रिक जीवन के अभिन्न अंग बन गये हैं। कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि कभी कोई सरकार चुनावों में जनादेश का उल्लंघन भी करेगी। इसी तरह, कोई यह भी कल्पना नहीं कर सकता कि बिना चुनावों के कोई सरकार बन सकेगी। भारत में निश्चित अन्तराल पर होने वाले नियमित चुनावों को एक महान लोकतान्त्रिक प्रयोग के रूप में ख्याति मिली है। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि भारत में निर्वाचन व्यवस्था ने सफलतापूर्वक निर्वाचन कार्य को सम्पन्न किया है। इससे भारत में मतदाता के अन्दर आत्म-विश्वास बढ़ा है तथा मतदाताओं की निगाह में निर्वाचन आयोग का कद बढ़ा है।
प्रश्न 5.
भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को किनके चुनावों के लिए अपनाया गया है? राज्यसभा के चुनावों का विवेचन करते हुए इसके स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का स्वरूप: भारत में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली को केवल अप्रत्यक्ष चुनावों के लिए ही सीमित रूप में अपनाया गया है। भारत का संविधान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों के लिए समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का एक जटिल स्वरूप प्रस्तावित करता है जिसे एकल संक्रमणीय मत प्रणाली कहा जाता है। राज्यसभा के चुनावों में समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली समानुपातिक प्रतिनिधित्व के एकल संक्रमणीय मत प्रणाली का स्वरूप हमें भारत में राज्यसभा के चुनावों में देखने को मिलता है। यथा
1. राज्यवार सीटों की संख्या का निर्धारण: प्रत्येक राज्य को राज्यसभा में सीटों का एक निश्चित कोटा प्राप्त है।
2. मतदाता: राज्यों की विधानसभा के सदस्यों द्वारा इन सीटों के लिए चुनाव किया जाता है। इसमें राज्य के विधायक ही मतदाता होते हैं।
3. प्रत्याशियों को वरीयता क्रम में मतदान: मतदाता चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों को अपनी पसन्द के अनुसार एक वरीयता क्रम में मत देता है।
4. कोटा का निर्धारण: जीतने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को मतों का एक कोटा प्राप्त करना पड़ता है, निम्नलिखित फार्मूले के आधार पर निकाला जाता है।
उदाहरण के लिए यदि राजस्थान के 200 विधायकों को राज्यसभा के लिए चार सदस्य चुनने हैं तो विजयी उम्मीदवार को \(\left(\frac{200}{4+1}\right)\) + 1 = \(\frac{200}{5}\) + 1 = 41 वोटों की जरूरत पड़ेगी।
5. मतगणना और परिणाम: जब मतगणना होती है तब उम्मीदवारों को प्राप्त ‘प्रथम वरीयता’ का वोट गिना जाता है। प्रथम वरीयता के आधार पर वोटों की गणना के पश्चात्, यदि प्रत्याशियों की वांछित संख्या वोटों का कोटा प्राप्त नहीं कर पाती तो पुनः मतगणना की जाती है। ऐसे प्रत्याशी को मतगणना से निकल दिया जाता है जिसे प्रथम वरीयता वाले सबसे कम वोट मिले हों। उसके वोटों को दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य प्रत्याशियों को हस्तान्तरित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखा जाता है जब तक वाँछित संख्या में प्रत्याशियों को विजयी घोषित नहीं कर दिया जाता।
प्रश्न 6.
‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ की तुलना कीजिए।
उत्तर:
सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली और समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की तुलना- ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ और ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ की तुलना अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की गई है।
1. निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत पूरे देश को छोटी-छोटी भौगोलिक इकाइयों में बाँट दिया जाता है जिसे निर्वाचन क्षेत्र या जिला कहते हैं। एक निर्वाचन दूसरी तरफ ‘समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली’ के अन्तर्गत या तो किसी बड़े भौगोलिक क्षेत्र को क्षेत्र मानकर पूरे देश को इस प्रकार के बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है या पूरा का पूरा देश एक निर्वाचन क्षेत्र गिना जा सकता है।
2. एकल या बहुल निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर-सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से केवल एक प्रतिनिधि चुना जाता है, जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एक निर्वाचन क्षेत्र से कई प्रतिनिधि चुने जा सकते हैं।
3. वोट प्रत्याशी को या दल को: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत मतदाता प्रत्याशी को वोट देता है। दूसरी तरफ समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत मतदाता पार्टी को वोट देता है।
4. प्राप्त मत और प्राप्त सीटें: ‘सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली’ के अन्तर्गत पार्टी को प्राप्त वोटों के अनुपात से अधिक या कम सीटें विधायिका में मिल सकती हैं; जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत हर पार्टी को प्राप्त मत के अनुपात में ही विधायिका में सीटें हासिल होती हैं।
6. वोटों के बहुमत का अन्तर-सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली के अन्तर्गत विजयी उम्मीदवार को जरूरी नहीं है कि उसे कुल वोटों का बहुमत (50% + 1) मिले जबकि समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अन्तर्गत विजयी उम्मीदवार को वोटों का बहुमत हासिल होता है। सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत प्रणाली के उदाहरण हैं – यूनाइटेड किंगडम और भारत तथा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के उदाहरण हैं- इजरायल और नीदरलैण्ड।