Jharkhand Board JAC Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निम्नलिखित में से कौन भारत में बाहरी व्यक्ति है ?
(अ) रीता जो भारत में जन्मे अपने पिता और ब्रिटिश माँ के साथ रहती है।
(ब) जानकी जो भारत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए मारीशस से आई है।
(स) जयपुर का रहने वाला एक लड़का रहीम जो आस्ट्रेलिया में पढ़ाई कर रहा है।
(द) शांति भूषण जो अमेरिका में भारतीय उच्चायोग में भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं।
उत्तर:
(ब) जानकी जो भारत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए मारीशस से आई है।
2. निम्न में किस आधार पर भारत की नागरिकता ग्रहण नहीं की जा सकती
(अ) वह व्यक्ति जिसका जन्म भारत में हुआ है।
(ब) भारत में निवास कर रहा वह व्यक्ति जिसके माता-पिता का जन्म भारत
(स) वह व्यक्ति जिसके माता-पिता संविधान लागू होने से कम से कम पांच
(द) वह विदेशी व्यक्ति जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत में रह रहा है।
उत्तर:
(द) वह विदेशी व्यक्ति जो शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत में रह रहा है।
3. निम्नलिखित में से किसे अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ेगी
(अ) जगन सिंह, जिसे डकैती डालते हुए पकड़ा गया।
(ब) मनोरमा, जिसे ब्रिटेन में अध्ययन के लिए शोधवृत्ति मिली है।
(स) सुरेश, जो छुट्टियाँ मनाने स्विट्जरलैंड गया है।
(द) अशोक मेहता, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति का सलाहकार नियुक्त किया गया है।
उत्तर:
(द) अशोक मेहता, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति का सलाहकार नियुक्त किया गया है।
4. टी. एच. मार्शल नागरिकता में कितने प्रकार के अधिकारों को शामिल मानते हैं-
(अ) चार
(ब) तीन
(स) दो
(द) पाँच
उत्तर:
(ब) तीन
5. टी. एच. मार्शल की नागरिकता सम्बन्धी धारणा मिलती-जुलती है-
(अ) उदारवाद से
(ब) मार्क्सवाद से
(स) राष्ट्रवाद से
(द) आदर्शवाद से
उत्तर:
(अ) उदारवाद से
6. भारतीय नागरिकता अधिनियम कब बनाया गया
(अ) 1955 में
(ब) 1951 में
(स) 1954 में
(द) 1952 में
उत्तर:
(अ) 1955 में
7. आदर्श नागरिकता के मार्ग में प्रमुख बाधा है-
(अ) संकीर्णता
(ब) उग्र राष्ट्रीयता
(स) अज्ञानता
(द) उक्त सभी
उत्तर:
(द) उक्त सभी
8. ‘नागरिकता और सामाजिक वर्ग’ के लेखक हैं-
(अ) टी. एच. मार्शल
(ब) डेविड हेल्ड
(स) रिची
(द) जॉन लॉक
उत्तर:
(अ) टी. एच. मार्शल
9. मार्शल टी. एच. ने नागरिकता में निम्न में से किस प्रकार के अधिकारों को शामिल नहीं किया
(अ) नागरिक अधिकार
(ब) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(स) राजनीतिक अधिकार
(द) सामाजिक अधिकार
उत्तर:
(ब) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
10. संयुक्त राज्य अमेरिका के अनेक दक्षिणी राज्यों में काले और गोरे लोगों के भेदभावपूर्ण कानूनों के खिलाफ आंदोलन के प्रमुख ‘नेता थे-
(अ) मार्टिन लूथर किंग जूनियर
(ब) टी. एच. मार्शल
(स) ओल्गाटेलिस
(द) रॉबर्ट मुगावे।
उत्तर:
(अ) मार्टिन लूथर किंग जूनियर
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. नागरिकता की परिभाषा किसी राजनीतिक समुदाय की ……………… और ……………… सदस्यता के रूप में की गई है।
उत्तर:
पूर्ण, समान
2. शरणार्थी और …………………… प्रवासियों को कोई राष्ट्र पूर्ण सदस्यता देने के लिए तैयार नहीं है।
उत्तर:
अवैध
3. नागरिकता सिर्फ राज्यसत्ता और उसके सदस्यों के बीच के संबंधों का निरूपण नहीं बल्कि यह ………………….. आपसी संबंधों के बारे में भी ह।
उत्तर:
नागरिकों
4. किसी राष्ट्र की संपूर्ण और समान सदस्यता का अर्थ है कि सभी अमीर-गरीब नागरिकों को कुछ ……………….. अधिकार और सुविधाएँ मिलें।
उत्तर:
बुनियादी
5. देश के सभी नागरिकों को ‘पूर्ण और समान सदस्यता’ से संबंधित विवादों का समाधान बल प्रयोग के बजाय …………………. और ……………….. से हो।
उत्तर:
संधि-वार्ता, विचार-विमर्श
निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये-
1. अवांछित आगन्तुकों को नागरिकता से बाहर रखने के लिए राज्य सत्ताएँ ताकत का प्रयोग करती हैं।
उत्तर:
सत्य
2. नागरिकता के नए आवेदकों को अनुमति देने की कसौटी हर देश में समान होती है।
उत्तर:
असत्य
3. नागरिकता प्रदान करने में फ्रांस में धर्म या जातीय मूल जैसे तत्त्व को वरीयता दी जाती है।
उत्तर:
असत्य
4. इजरायल ऐसा देश है जो धर्मनिरपेक्ष और समावेशी होने का दावा करता है।
उत्तर:
असत्य
5. समान नागरिकता की अवधारणा का अर्थ यही है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करना सरकारी नीतियों का मार्गदर्शक सिद्धान्त हो।
उत्तर:
सत्य
निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये
1. ‘नागरिकता और सामाजिक वर्ग’ पुस्तक | (अ) सर्वोच्च न्यायालय का 1985 का एक निर्णय |
2. संविधान के अनु. 21 में जीने के अधिकार में आजीविका का अधिकार भी शामिल है। | (ब) भारत |
3. एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश | (स) राज्यविहीन शरणार्थी लोग |
4. शिविरों में या अवैध प्रवासी के रूप में रहने को मजबूर लोग | (द) इजरायल |
5. नागरिकता देने में धर्म या जातीय मूल तत्त्व को वरीयता देने वाला देश | (य) टी. एच. मार्शल |
उत्तर:
1. ‘नागरिकता और सामाजिक वर्ग’ पुस्तक | (य) टी. एच. मार्शल |
2. संविधान के अनु. 21 में जीने के अधिकार में आजीविका का अधिकार भी शामिल है। | (अ) सर्वोच्च न्यायालय का 1985 का एक निर्णय |
3. एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश | (ब) भारत |
4. शिविरों में या अवैध प्रवासी के रूप में रहने को मजबूर लोग | (स) राज्यविहीन शरणार्थी लोग |
5. नागरिकता देने में धर्म या जातीय मूल तत्त्व को वरीयता देने वाला देश | (द) इजरायल |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नागरिकता की परिभाषा किस रूप में की गई है?
उत्तर:
नागरिकता की परिभाषा किसी राजनीतिक समुदाय की पूर्ण और समान सदस्यता के रूप में की गई है।
प्रश्न 2.
भारत में नागरिकता कैसे हासिल की जा सकती है?
उत्तर:
भारत में जन्म, वंश-परम्परा, पंजीकरण, देशीकरण या किसी भू-क्षेत्र के राजक्षेत्र में शामिल होने से नागरिकता हासिल की जा सकती है।
प्रश्न 3.
लोगों के विस्थापित होने या शरणार्थी होने के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए गए हैं।
उत्तर:
युद्ध, उत्पीड़न तथा अकाल।
प्रश्न 4.
ऐसे लोगों का उदाहरण दीजिए जो अपने ही देश या पड़ौसी देश में शरणार्थी बनने के लिए विवश किए
उत्तर:
सूडान के डरफर क्षेत्र के शरणार्थी, फिलिस्तीनी, बर्मी तथा बांग्लादेशी शरणार्थी।
प्रश्न 5.
शरणार्थियों की जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने क्या कदम उठाया है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने शरणार्थियों की जांच करने एवं उनकी मदद करने हेतु उच्चायुक्त नियुक्त किया है।
प्रश्न 6.
एक देश में भ्रमण हेतु आया हुआ अन्य देश का नागरिक क्या कहलाता है?
उत्तर:
विदेशी।
प्रश्न 7.
भारत में किस प्रकार की नागरिकता है?
उत्तर:
इकहरी नागरिकता।
प्रश्न 8.
नागरिकता में समाज के प्रति क्या दायित्व है?
उत्तर:
नागरिकता में समाज के सहजीवन में भागीदार होने और योगदान करने का नैतिक दायित्व शामिल है।
प्रश्न 9.
शहरों की गंदी बस्तियों की कोई दो समस्यायें लिखिये।
उत्तर:
- शौचालय, जलापूर्ति और सफाई की समस्या
- जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा की समस्या।
प्रश्न 10.
झोंपड़पट्टियों के निवासी किस प्रकार अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं?
उत्तर:
झोंपड़पट्टियों के निवासी अपने श्रम से अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।
प्रश्न 11.
भारतीय संविधान में नागरिकता की कौनसी धारणा को अपनाया है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में नागरिकता की लोकतांत्रिक और समावेशी धारणा को अपनाया गया है।
प्रश्न 12.
नागरिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए हुए किसी एक संघर्ष का नाम लिखिये।
उत्तर:
1789 की फ्रांसीसी क्रांति।
प्रश्न 13.
शरणार्थियों के किन्हीं दो रूपों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
- युद्ध या अकाल से विस्थापित लोग।
- यूरोप या अमेरिका में चोरी-छिपे घुसने के प्रयास में तत्पर लोग।
प्रश्न 14.
मार्शल ने नागरिकता में कौन-कौनसे तीन अधिकार शामिल किये थे?
उत्तर:
मार्शल नागरिकता में तीन प्रकार के अधिकारों को शामिल करते हैं, वे हैं
- नागरिक अधिकार
- राजनैतिक अधिकार
- सामाजिक अधिकार।
प्रश्न 15.
उन दो परिस्थितियों का उल्लेख कीजिये जिनमें नागरिकता समाप्त हो जाती है।
उत्तर:
- दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार करने पर।
- वह उस देश से बाहर लगातार निश्चित वर्षों तक, जैसे सात वर्ष तक निवास करता रहा हो।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में नागरिकता किन-किन आधारों पर प्राप्त की जा सकती है?
अथवा
भारत में नागरिकता किस प्रकार हासिल की जा सकती है?
उत्तर:
भारत में जन्म, वंश-परम्परा, पंजीकरण, देशीयकरण या किसी भू-क्षेत्र के राज क्षेत्र में शामिल होने से नागरिकता हासिल की जा सकती है।
प्रश्न 2.
किसी राज्य की नागरिकता हेतु दो शर्तें बताइये।
उत्तर:
किसी राज्य की नागरिकता हेतु निम्न दो शर्तों का होना आवश्यक होता है।
- यदि कोई विदेशी एक निश्चित अवधि तक विदेश में रहता है तो उसका देशीयकरण कर उसे उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
- यदि कोई स्त्री अन्य देश के नागरिक से विवाह कर लेती है तो उसे अपने पति के देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 3.
कोई नागरिक अपनी नागरिकता का स्वेच्छा से त्याग किस प्रकार कर सकता है?
उत्तर:
अनेक देश अपने नागरिकों को यह अधिकार प्रदान करते हैं कि यदि वे अपनी इच्छा के अनुसार वहाँ नागरिकता छोड़कर किसी दूसरे अन्य देश की नागरिकता ग्रहण करना चाहें तो वे सरकार की अनुमति लेकर ऐसा कर सकते हैं। इसके लिये नागरिकों को सरकार के पास आवेदन करना होता है। जर्मनी में नागरिकता की समाप्ति के लिये इस प्रकार का नियम प्रचलित है।
प्रश्न 4.
नागरिकों के प्रमुख राजनीतिक अधिकार कौन-कौनसे हैं? उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
नागरिकों के प्रमुख राजनीतिक अधिकार ये हैं।
- मत देने का अधिकार।
- विधायिका की सदस्यता हेतु प्रत्याशी बनने का अधिकार।
- राजकीय पद धारण करने का अधिकार।
- कानून के समक्ष समानता का अधिकार।
प्रश्न 5.
नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाये रखने में राज्य की क्या भूमिका है?
उत्तर:
नागरिकों की स्वतन्त्रता को बनाये रखने के लिए राज्य को केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म-स्थान या इनमें से किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिये।
प्रश्न 6.
एक आदर्श नागरिक लोकतंत्र को किस प्रकार मजबूती प्रदान कर सकता है?
उत्तर:
एक आदर्श नागरिक निम्न उपायों से लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर सकता है।
- प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिये।
- प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह देश एवं सरकार के प्रति आस्था रखे एवं वफादार रहे और किसी भी तरह का देशद्रोहिता का कार्य न करे।
प्रश्न 7.
नागरिक और बाहरी व्यक्ति में क्या अन्तर है?
उत्तर:
नागरिक और बाहरी व्यक्ति में अन्तर: नागरिक वह व्यक्ति है जो किसी देश या राज्य का सदस्य होता है, वह उसके प्रति निष्ठावान होता है तथा नागरिक और राजनैतिक अधिकारों का उपभोग करता है। वह देश के शासन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेता है। बाहरी व्यक्ति वह व्यक्ति होता है जो किसी देश में अस्थाई रूप से निवास करता है। उसे उस देश के राजनैतिक व नागरिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। वह देश के शासन में भाग नहीं लेता।
प्रश्न 8.
जन्मजात और देशीयकृत नागरिक में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जन्मजात और देशीयकृत नागरिक में अन्तर: जन्मजात नागरिक वह व्यक्ति कहलाता है जो उस देश में पैदा होता है या उसके माता-पिता उस देश के नागरिक होते हैं, जिसमें वह निवास कर रहा है। देशीयकृत नागरिक वह व्यक्ति होता है जो किसी अन्य देश की नागरिकता कुछ आवश्यक शर्तों को प्राप्त करता है।
प्रश्न 9.
राज्य प्रदत्त नागरिकता कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
नागरिकता सामान्यतः जन्म के आधार पर प्रदान की जाती है और जब यह राज्य द्वारा प्रदान की जाती है तो उसे देशीयकरण नागरिकता कहा जाता है। राज्य द्वारा नागरिकता अनेक तरीकों से प्राप्त की जा सकती है। यथा
- एक स्त्री विवाह के बाद अपने पति की नागरिकता प्राप्त कर लेती है।
- एक गोद लिया बच्चा, गोद लेने के बाद अपने नये माता-पिता की नागरिकता प्राप्त कर लेता है।
- यदि कोई विदेशी एक राज्य में लम्बी अवधि से रह रहा है तथा अपने मूल राज्य में लौटने का उसका कोई इरादा नहीं है, तो वह नागरिकता के लिए प्रार्थना पत्र दे सकता है। उस विदेशी को कुछ निश्चित औपचारिकताओं के बाद तथा कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
- सरकारी नौकरी करने या सम्पत्ति खरीदने के आधार पर भी किसी बाहरी व्यक्ति को राज्य नागरिकता प्रदान कर सकता है।
- कुछ क्षेत्र के हस्तांतरण के बाद भी प्रकृतिस्थ नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 10.
दोहरी नागरिकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दोहरी नागरिकता: सामान्यतः एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही राज्य का नागरिक हो सकता है। लेकिन एक नागरिक को दोहरी नागरिकता की आवश्यकता होती है। जब एक व्यक्ति रक्त सम्बन्ध के सिद्धान्त के आधार पर एक राज्य की प्रकृतिस्थ नागरिकता प्राप्त करता है और क्षेत्र के सिद्धान्त के आधार पर दूसरे राज्य की नागरिकता प्राप्त करता है। इस प्रकार वह जन्म से दोहरी नागरिकता प्राप्त करता है। ऐसी स्थिति में जब वह व्यक्ति वयस्क होता है तो उसे उन दो नागरिकताओं में किसी एक को चुनना पड़ता है। इसके बाद उसकी दोहरी नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
प्रश्न 11.
सार्वभौमिक नागरिकता से क्या आशय है?
उत्तर:
सार्वभौमिक नागरिकता: सार्वभौमिक नागरिकता की धारणा का आशय यह है कि सभी व्यक्ति, जो किसी राज्य में रहते हैं, राज्य द्वारा स्वीकार किये जाने चाहिए और उन्हें उस राज्य का नागरिक घोषित किया जाना चाहिए तथा सभी व्यक्ति समाज के पूर्ण तथा समान सदस्य के रूप में होने चाहिए तथा उन्हें समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य में रह रहा है, चाहे वह वहाँ जन्म से रह रहा हो या दूसरे राज्य का आप्रवासी हो, चाहे वह यहाँ विधिक और आधिकारिक तौर पर आया आप्रवासी हो, चाहे गैर-कानूनी रूप से आया घुसपैठिया हो, वह नागरिकता के अधिकार और स्तर का अधिकारी होना चाहिए। तब विश्व में कहीं भी कोई भी व्यक्ति शरणार्थी या राज्यविहीन नहीं होगा। लेकिन यह व्यावहारिक नहीं है।
प्रश्न 12.
वैश्विक नागरिकता से क्या आशय है?
उत्तर:
वैश्विक नागरिकता: वैश्वीकरण की अवधारणा के विकास के साथ-साथ वैश्विक नागरिकता की अवधारणा का विकास हो रहा है। वैश्विक नागरिकता की अवधारणा में राज्य की सीमाओं तथा पासपोर्ट की आवश्यकता की बाधायें नहीं रहेंगी। विश्व के सभी भागों के लोग संचार के इंटरनेट, टेलीविजन और सेलफोन के साधनों के कारण परस्पर अन्तर्सम्बन्धित महसूस करते हैं। इस प्रकार एक व्यक्ति अपने आपको न केवल एक विशेष समाज का सदस्य महसूस करता है, बल्कि वह सम्पूर्ण विश्व का सदस्य भी महसूस करता है। इस प्रकार किसी विशेष राज्य की नागरिकता विश्व की नागरिकता में बदल दी जानी चाहिए। वैश्विक नागकिरता पूरे विश्व की सदस्यता के रूप में मिलनी चाहिए।
लेकिन यह अवधारणा अव्यावहारिक है क्योंकि कोई भी राज्य अपनी संप्रभुता को त्यागना नहीं चाहता। वैश्विक नागरिकता की अवधारण को व्यावहारिक बनाने के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय नागरिकता को वैश्विक नागरिकता के साथ इस समझ के साथ जोड़ा जाये कि हम आज अन्तर्सम्बद्ध विश्व में रहते हैं। साथ ही हमें विश्व के विभिन्न हिस्सों के लोगों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहिए तथा राष्ट्रीय सीमाओं के पार के लोगों और सरकारों के साथ काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 13.
एक आदर्श नागरिक के लिये कौनसे गुण आपकी दृष्टि में आवश्यक हैं?
अथवा
एक आदर्श नागरिक के गुणों का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
उत्तर:
आदर्श नागरिक के गुण-एक आदर्श नागरिक में निम्नलिखित गुण होने आवश्यक हैं।
- एक अच्छे नागरिक को शिक्षित होना चाहिए ताकि उसे अपने अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान हो सके।
- एक अच्छे नागरिक में समाज सेवा, दूसरों की सहायता, परस्पर प्रेम तथा सहनशीलता आदि गुण होने चाहिए।
- अच्छे नागरिक को दूसरे नागरिकों, समाज तथा राज्य के प्रति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।
- एक अच्छा नागरिक अपने देश के प्रति वफादार, देशभक्त व निष्ठावान होता है।
प्रश्न 14.
एक नागरिक और एक विदेशी में चार अन्तर लिखिये।
उत्तर:
एक नागरिक और एक विदेशी में अन्तर: एक नागरिक और एक विदेशी में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित
- एक नागरिक उस राज्य का स्थायी निवासी होता है जिसमें वह रह रहा है, जबकि विदेशी दूसरे राज्य का स्थायी निवासी होता है।
- नागरिकों को राजनैतिक, नागरिक व सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं, विदेशियों को नहीं।
- नागरिक अपने राज्य के प्रति भक्तिभाव रखता है, जबकि विदेशी उस राज्य के प्रति वफादार होता है जिसका कि वह नागरिक है।
- युद्ध के समय विदेशियों को राज्य की सीमा से बाहर जाने के लिए कहा जा सकता है, परन्तु नागरिकों को नहीं।
प्रश्न 15.
” लोकतंत्र के सफल संचालन के लिये नागरिकों का जागरूक होना जरूरी है। ” संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
लोकतंत्र के सफल संचालन के लिए नागरिकों का जागरूक होना जरूरी है। उदाहरण के लिए प्रतिवाद करने का अधिकार हमारे संविधान में नागरिकों के लिए सुनिश्चित की गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का एक पक्ष है, बशर्ते कि वह प्रतिवाद दूसरे लोगों या राज्य के जीवन या सम्पत्ति को हानि न पहुँचाये। यदि नागरिक इस सम्बन्ध में जागरूक होंगे तो वे समूह बनाकर, प्रदर्शन कर, मीडिया का उपयोग कर, राजनीतिक दलों से अपील कर या अदालत में जाकर जनमत और सरकारी नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। अदालतें उस पर निर्णय दे सकती हैं या समाधान के लिए सरकार से आग्रह कर सकती हैं। इससे समाज में समय-समय पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं का सर्वमान्य समाधान निकल सकता है।
प्रश्न 16.
“नागरिकता राज्य सत्ता और उसके सदस्यों के बीच विधिक संबंधों का निरूपण है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
नागरिकों के विधिक कर्तव्यों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
नागरिकों के विधिक कर्तव्य: नागरिकों के विधिक कर्तव्य हैं जो राज्य द्वारा पारिभाषित, मान्य तथा लागू किये जाते हैं तथा जिनका उल्लंघन करने पर नागरिक दंड का भागी बनता है। नागरिकों के प्रमुख विधिक कर्तव्य निम्नलिखित हैं।
1. कानूनों का पालन करना: राज्य शांति व्यवस्था तथा जीवन की सुरक्षा हेतु कानून बनाता है जो कि व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक हैं। नागरिक का यह पहला कर्तव्य है कि वह राज्य द्वारा निर्मित कानूनों का पालन करे। वे व्यक्ति जो कानूनों का उल्लंघन करेंगे, उन्हें राज्य द्वारा दंडित किया जा सकता है। कानूनों का पालन करके नागरिक राज्य को उसके उद्देश्यों को पूरा करने में सहयोग करते हैं।
2. करों का भुगतान करना:
सरकार को अपने कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती है। सरकार धन की प्राप्ति हेतु कर लगाती है। अत: नागरिकों का यह कानूनी कर्तव्य है कि वे अपने हिस्से के करों का भुगतान ईमानदारी से करें। करों को ईमानदारी से न चुकाने पर राज्य द्वारा दण्ड भी दिया जा सकता है।
3. राज्य के प्रति वफादारी:\
राज्य प्रत्येक नागरिक को अनेक प्रकार के अधिकार प्रदान करता है; कई प्रकार की सुख-सुविधाएँ प्रदान करता है तथा बाहरी आक्रमणों व प्राकृतिक विपदाओं से उनकी रक्षा करता है। अतः प्रत्येकं नागरिक से राज्य के प्रति निष्ठा व भक्ति की आशा की जाती है। प्रत्येक नागरिक का यह कानूनी कर्तव्य है कि वह देशद्रोह न करे तथा देश की रक्षा हेतु हर संभव प्रयत्न करे।
4. सैनिक सेवा में भाग लेना:
नागरिकों का यह भी कर्तव्य है कि आवश्यकता पड़ने पर देश की सुरक्षा हेतु सेना में भर्ती हो । राज्य की रक्षा हेतु नागरिकों से यह आशा की जाती है कि वे प्रत्येक चीज का त्याग करने, यहाँ तक कि अपने जीवन को न्यौछावर करने के लिए तैयार रहें।
5. राजनीतिक अधिकारों का उचित प्रयोग:
प्रत्येक नागरिक का यह कानूनी कर्तव्य है कि वह अपने मत देने के अधिकार का सदुपयोग करे। यदि इस अधिकार का प्रयोग करके बुरे व्यक्तियों का चुनाव किया जायेगा तो वे शक्ति का दुरुपयोग करेंगे तथा पूरा समाज इसे भुगतेगा |
6. संविधान का आदर करना:
प्रशासन संविधान के अनुसार कार्य करता है। निर्वाचित व्यक्ति व मंत्रीगण संविधान की शपथ लेते हैं। इसलिए सभी नागरिकों को भी संविधान के प्रति आदर प्रदर्शित करना चाहिए।
प्रश्न 17.
आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य अपने नागरिकों को कौन-कौन से राजनैतिक अधिकार प्रदान करते
उत्तर:
आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य अपने नागरिकों को निम्नलिखित राजनैतिक अधिकार प्रदान करते हैं।
- मतदान का अधिकार: लोकतांत्रिक राज्यों में प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार प्रदान किया जाता है। इसके द्वारा वे समय-समय पर होने वाले चुनावों के द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं। ये प्रतिनिधि ही सरकार का निर्माण करते हैं तथा शासन को चलाते हैं।
- चुनाव लड़ने का अधिकार: लोकतांत्रिक राज्यों में प्रत्येक नागरिक को निर्वाचन में खड़ा होने का भी अधिकार है। निर्वाचित होने के बाद व्यक्ति नागरिकों के प्रतिनिधि के रूप में सरकार का निर्माण करते हैं।
- सरकारी नौकरी प्राप्त करने का अधिकार: आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरियाँ पाने का अधिकार है।
- कानून के समक्ष समानता का अधिकार: आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार प्रदान किया जाता है।
- अभिव्यक्ति या धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता: आधुनिक लोकतांत्रिक राज्यों में नागरिकों को अभिव्यक्ति तथा धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता का अधिकार भी प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 18.
“नागरिकता राज्यसत्ता और उसके सदस्यों के बीच विधिक सम्बन्धों के निरूपण के साथ-साथ नागरिकों के आपसी सम्बन्धों का भी निरूपण है ।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नागरिकता एक तरफ जहाँ राज्य सत्ता और उसके सदस्यों के बीच विधिक सम्बन्धों, जैसे कानूनों का पालन करने, करों का भुगतान करने, राज्य के प्रति वफादारी, सैनिक सेवा में भाग लेना, राजनीतिक अधिकारों के प्रयोग तथा संविधान के आदर, आदि का निरूपण है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह नागरिकों के आपसी सम्बन्धों के बारे में भी है। यथा
- इसमें नागरिकों के एक-दूसरे के प्रति और समाज के प्रति निश्चित दायित्व शामिल हैं।
- इसमें समुदाय के सहजीवन में भागीदार होने और योगदान करने का नैतिक दायित्व भी शामिल होता है।
- नागरिकों को देश के सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों का उत्तराधिकारी और न्यासी भी माना जाता है।
प्रश्न 19.
भारत में नागिरकता किस प्रकार मिलती है? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
भारत में जन्म, वंश-परम्परा, पंजीकरण, देशीयकरण या किसी भू-क्षेत्र के राजक्षेत्र में शामिल होने से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। यथा
- संविधान लागू होने के पश्चात् भारत में पैदा होने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा।
- संविधान लागू होने के पश्चात् भारत के बाहर पैदा हुआ वह व्यक्ति भारत का नागरिक होगा, यदि जन्म के समय उसका पिता वंशक्रम से भारत का नागरिक रहा हो।
- पंजीकरण के द्वारा निम्नलिखित व्यक्ति भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
- भारत में उत्पन्न व्यक्ति जो पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र देने के छ: महीने पहले से भारत में आमतौर पर निवास करते रहे हों।
- भारत में पैदा हुए व्यक्ति जो भारत के बाहर किसी अन्य देश में आमतौर पर निवास करते रहे हों।
- भारतीय नागरिकों की पत्नियाँ।
- भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चे।
- कोई भी विदेशी व्यक्ति भारतीय सरकार को कुछ निर्धारित शर्तों का पालन करके आवेदन करके भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। इसे देशीयकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति कहा जाता है।
प्रश्न 20.
नागरिकता किन-किन कारणों से खो जाती है? कोई चार कारण लिखिये।
अथवा
किसी नागरिक की नागरिकता कैसे समाप्त हो सकती है?
उत्तर:
नागरिकता की समाप्ति के कारण: किसी नागरिक की नागरिकता की समाप्ति के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
- देशद्रोह या निरंतर विद्रोही गतिविधियाँ: यदि कोई नागरिक देश के साथ गद्दारी करते हुए संविधान का अनादर करे तथा देश की शांति व्यवस्था को लगातार भंग करे तो उसे देश की नागरिकता से वंचित किया जा सकता है।
- किसी भू-भाग के पृथक् होने पर: यदि किसी देश का कोई भाग किसी समझौते या संधि द्वारा अलग हो जाए, तो वहाँ के सभी नागरिक दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त करेंगे व उन्हें पहले देश की नागरिकता छोड़नी होगी।
- विदेश में सरकारी अधिकारी के रूप में नियुक्ति: जब कोई व्यक्ति किसी विदेशी सरकार की सेवा में पद ग्रहण करता है, तो उसकी मूल नागरिकता समाप्त हो सकती है।
- विदेशी से विवाह: यदि कोई भारतीय स्त्री किसी विदेशी से विवाह करती है, तो वह भारतीय नागरिकता छोड़कर अपने पति के देश की नागरिकता ग्रहण कर सकती है।
- विदेश में स्थायी निवास: यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में स्थायी रूप में जाकर रहने लगे, तब वह अपने देश की नागरिकता खो देता है।
प्रश्न 21.
“नागरिक आज जिन अधिकारों का प्रयोग करते हैं, उन सभी को संघर्ष के बाद हासिल किया गया है।” ऐसे कुछ संघर्षों का उदाहरण दीजिए। यथा
उत्तर:
नागरिक आज जिन अधिकारों का प्रयोग करते हैं, उन सभी को संघर्ष के बाद हासिल किया गया है।
- यूरोप में राजतंत्रों के विरुद्ध संघर्ष:
अनेक यूरोपीय देशों में जनता ने अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए कुछ प्रारंभिक संघर्ष शक्तिशाली राजतंत्रों के खिलाफ छेड़े थे। उनमें कुछ हिंसक संघर्ष भी थे, जैसे – 1789 की फ्रांसीसी क्रांति। - एशिया व अफ्रीका में संघर्ष:
एशिया और अफ्रीका के अनेक उपनिवेशों में समान नागरिकता की माँग औपनिवेशिक शासकों से स्वतंत्रता हासिल करने के संघर्ष का भाग रही। दक्षिण अफ्रीका में समान नागरिकता पाने के लिए अफ्रीका की अश्वेत आबादी को सत्तारूढ़ गोरे अल्पसंख्यकों के खिलाफ लम्बा संघर्ष करना पड़ा जो 1990 के दशक के आरंभ तक जारी रहा। - महिला व दलित आंदोलन:
वर्तमान में विश्व के अनेक हिस्सों में महिला और दलित आंदोलन भी इस संघर्ष का एक भाग हैं।
प्रश्न 22.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय लिखिये।
उत्तर:
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय: आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अग्रलिखित उपाय किये जा सकते हैं।
- उचित शिक्षा: आदर्श नागरिकता के मार्ग की प्रमुख बाधा अज्ञानता है। इस बाधा को दूर करने के लिए नागरिकों को मानवीय मूल्य पर आधारित उचित शिक्षा दिलाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। उचित शिक्षा से उनके विचारों में परिपक्वता आयेगी तथा अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का ज्ञान होगा।
- आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति: आदर्श नागरिकता के मार्ग की एक अन्य बाधा व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाना है। इसलिए देश में ऐसी आर्थिक व्यवस्था होनी चाहिए जिससे नागरिकों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति सुचारु रूप से हो सके।
- राष्ट्रीय चरित्र का विकास: किसी भी राष्ट्र के व्यक्ति आदर्श नागरिक तभी बन सकते हैं जबकि उस राष्ट्र का राष्ट्रीय चरित्र उच्च कोटि का हो। अर्थात् लोग राष्ट्र को अपने स्वार्थों से ऊँचा स्थान दें तथा सभी प्रकार की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर सोचें।
- विश्व बंधुत्व की भावना: आदर्श नागरिकता के मार्ग की एक अन्य बाधा उग्र राष्ट्रीयता की भावना है। यह नागरिकों की मनोवृत्ति संकीर्ण बनाती है। इस बाधा को दूर करने के लिए आवश्यक है कि वसुधैव कुटुम्बकम् एवं विश्व बंधुत्व की भावना को स्वीकार कर लिया जाये।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘नागरिक’ कौन होता है? भारतीय संविधान नागरिक के बारे में क्या कहता है? भारत में नागरिकता ग्रहण करने की पद्धतियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
‘नागरिक’ से आशय: नागरिक वह व्यक्ति है जो किसी राज्य का सदस्य होता है, उसके प्रति निष्ठावान होता है, उसे नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं और वह देश के शासन में, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी न किसी रूप में, भागीदार होता है।
भारत का संविधान एवं नागरिक: भारत के संविधान का भाग 2 केवल उन वर्गों के लोगों के बारे में उल्लेख करता है जो संविधान के लागू होने के समय अर्थात् 26 जनवरी, 1950 को भारतीय नागरिक माने गये। नागरिकता से संबंधित शेष बातों की व्यवस्था भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में की गई है।
1. संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता: संविधान के प्रारंभ पर निम्नलिखित व्यक्तियों को अधिवास द्वारा नागरिकता प्रदान की गई।
संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार इस संविधान के आरंभ पर प्रत्येक व्यक्ति, जिसका भारत में अधिवास (Domicile) है, भारत का नागरिक होगा, यदि
- वह भारत में जन्मा हो। अथवा
- उसके माता-पिता में से कोई भी भारत में जन्मा हो ।
- जो संविधान के प्रारंभ होने से ठीक पहले कम से कम पांच वर्षों तक भारत का साधारण तौर से निवासी रहा हो।
इस प्रकार भारत में अधिवास (निवास) द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के लिए दो शर्तें पूरी होनी चाहिए – प्रथम, यह कि व्यक्ति का भारत में अधिवास हो; और दूसरा, यह कि वह व्यक्ति उक्त वर्णित तीन शर्तों में से एक शर्त पूरी कर रहा. हो।
2. भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने की विधियाँ:
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार भारत में निम्नलिखित पांच प्रकार से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।
- जन्म से नागरिकता:
संविधान लागू होने के पश्चात् भारत में पैदा होने वाला प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा। लेकिन यदि उसके जन्म के समय उसके पिता को ऐसे मुकदमों या कानूनी प्रक्रियाओं से विमुक्ति प्राप्त थी, जो भारत में कूटनीतिक राजदूतों को प्रदान की जाती है या उसका पिता एक विदेशी शत्रु है और उसका जन्म ऐसे स्थान में होता है, जो उस समय शत्रु के कब्जे में है, तो ऐसा व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं होगा। - वंश क्रम द्वारा नागरिकता की प्राप्ति;
कोई ऐसा व्यक्ति जो 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत के बाहर पैदा हुआ हो, भारत का नागरिक होगा, यदि उसके जन्म के समय में उसका पिता वंशक्रम से भारत का नागरिक रहा हो।
3. पंजीकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति-व्यक्तियों के कुछ वर्ग जिन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं है, निर्धारित अधिकारियों के समक्ष पंजीकरण करवा कर उसे ग्रहण कर सकते हैं। पंजीकरण द्वारा निम्नलिखित व्यक्ति नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
- भारत में उत्पन्न व्यक्ति जो रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन पत्र देने के छः महीने पहले से भारत में आमतौर से निवास करते रहे हों।
- भारत में पैदा हुए व्यक्ति जो भारत के बाहर किसी अन्य देश में आमतौर से निवास करते रहे हों।
- भारतीय नागरिकों की पत्नियाँ।
- भारतीय नागरिकों के नाबालिग बच्चे।
4. देशीयकरण द्वारा नागरिकता की प्राप्ति:
कोई भी विदेशी व्यक्ति भारतीय सरकार को देशीयकरण के लिए आवेदन करके भारत की नागरिकता ग्रहण कर सकता है। देशीयकरण का अर्थ है। कुछ शर्तों का पालन करके किसी देश की नागरिकता लेना। हो। देशीयकरण द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्ति के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना आवश्यक है।
- वह किसी ऐसे देश का नागरिक न हो जहाँ भारतीय देशीयकरण द्वारा नागरिक बनने से रोक दिये जाते हों।
- उसने अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर दिया हो और केन्द्रीय सरकार को इस बात की सूचना दे दी
- वह देशीयकरण के लिए आवेदन करने की तिथि से पहले 12 वर्ष तक या तो भारत में रहा हो या भारत सरकार की सेवा में रहा हो।
- उपर्युक्त 12 वर्षों के पहले के कुल 7 वर्षों में से कम-से-कम 4 वर्ष तक उसने भारत में निवास किया हो या भारत सरकार की नौकरी में रहा हो।
- वह अच्छे चरित्र का व्यक्ति हो।
- वह राज्यनिष्ठा की शपथ ग्रहण करे।
- उसे भारतीय संविधान द्वारा मान्य भाषा का सम्यक् ज्ञान हो।
- देशीयकरण के प्रमाणपत्र की प्राप्ति के उपरान्त उसका भारत में निवास करने या भारत सरकार की नौकरी में रहने का इरादा हो।
5. क्षेत्र के समावेशन के आधार पर नागरिकता: यदि कोई नया क्षेत्र भारत का भाग बन जाता है, तो भारत सरकार उस क्षेत्र के लोगों को नागरिकता दे देगी।
प्रश्न 2.
भारतीय नागरिकता की समाप्ति कितने प्रकार से हो सकती है?
उत्तर:
भारतीय नागरिकता की समाप्ति: भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार भारतीय नागरिकता की समाप्ति निम्नलिखित तीन प्रकार से हो सकती है।
1. नागरिकता का परित्याग: कोई भी वयस्क भारतीय नागरिक, जो किसी दूसरे देश का भी नागरिक है, भारतीय नागरिकता को त्याग सकता है। इसके लिए उसे एक घोषणा करनी होगी और इस घोषणा के पंजीकृत हो जाने पर वह भारत का नागरिक नहीं रह जायेगा।
2. दूसरे देश की नागरिकता स्वीकार करने पर यदि भारत का कोई भी नागरिक अपनी इच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता को स्वीकार कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाती है।
3. नागरिकता से वंचित किया जाना: भारत की केन्द्र सरकार किसी भी भारतीय नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित कर सकती है। देशीयकरण, पंजीकरण, अधिवास और निवास के आधार पर बने हुए किसी भी नागरिक को भारत सरकार एक आदेश जारी करके उसको नागरिकता से वंचित कर सकती है, बशर्ते कि उसे यह समाधान हो जाये कि लोकहित के लिए यह उचित नहीं है कि उसे भारत का नागरिक बने रहने दिया जाये। था। केन्द्र सरकार इस प्रकार का आदेश तभी जारी करेगी जब उसे इस बात का समाधान हो जाये कि
- पंजीकरण या देशीयकरण कपट से, मिथ्या निरूपण से या किसी सारवान तथ्य को छिपाकर प्राप्त किया गया
- उस व्यक्ति ने व्यवहार या भाषण द्वारा अपने को भारतीय संविधान के प्रति निष्ठाहीन दिखाया है।
- किसी ऐसे युद्ध में, जिसमें भारत युद्धरत रहा हो, अवैध रूप से दुश्मन से व्यापार या संचार किया हो।
- वह अपने पंजीकरण या देशीयकरण से पांच वर्ष की अवधि के अन्दर कम से कम दो वर्ष के लिए दण्डित किया गया हो।
- यदि वह भारत से बाहर लगातार 7 वर्षों तक सामान्यतयां निवास करता रहा हो।
प्रश्न 3.
नागरिकता का अर्थ स्पष्ट करते हुये बताइये कि जन्मजात नागरिकता किन स्थितियों में प्राप्त होती
अथवा
नागरिकता से क्या आशय है? नागरिकता प्राप्त करने की विधियों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
नागरिकता का अर्थ: नागरिकता वह वैज्ञानिक व्यवस्था है जिसके द्वारा नागरिक को राज्य की ओर से सामाजिक और राजनीतिक और नागरिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा उसे राज्य तथा दूसरे नागरिकों के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता है। इस प्रकार नागरिकता एक कानून सम्मत पद है। गैटिल के अनुसार, “नागरिकता किसी व्यक्ति की उस स्थिति को कहते हैं जिसके अनुसार वह अपने राज्य में साधारण और राजनीतिक अधिकारों का भोग करता है तथा अपने कर्त्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार रहता है।” नागरिकता प्राप्त करने की विधियाँ किसी भी राज्य में नागरिकता प्राप्त करने की दो विधियाँ होती हैं।
(अ) जन्मजात नागरिकता
(ब) देशीयकरण द्वारा प्राप्त नागरिकता
(अ) जन्मजात नागरिकता: जन्मजात नागरिकता निम्नलिखित स्थितियों में प्राप्त होती है।
- रक्त या वंश के आधार पर:
रक्त या वंश के आधार पर बच्चा जन्म लेते ही उस देश का नागरिक समझा जाता है, जिस देश के उसके माता-पिता नागरिक होते हैं, चाहे बच्चे का जन्म उसके माता-पिता के देश में हुआ हो या विदेश में । जर्मनी, फ्रांस आदि अनेक देशों में यही नियम मान्य है। - जन्म स्थान के आधार पर:
जन्म स्थान के आधार पर बच्चा उस देश का नागरिक समझा जाता है जहाँ उसका जन्म होता है, चाहे उसके माता-पिता किसी अन्य देश के नागरिक हों। अर्जेंटाइना में इसी नियम का पालन किया जाता है। - मिश्रित नियम: इस नियम के अनुसार यदि किसी देश के नागरिकों की सन्तान का जन्म विदेश में होता है। अथवा विदेश के नागरिकों का जन्म उस देश में होता है, जहाँ उस देश के माता-पिता उस समय निवास कर रहे हैं तो दोनों ही स्थितियों में वह बच्चा उस देश का नागरिक होता है जहाँ उसका जन्म होता है। इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा भारत में इसी नियम को अपनाया गया है।
(ब) देशीयकरण द्वारा प्राप्त नागरिकता: देशीयकरण द्वारा निम्नलिखित उपायों से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है।
- निवास: यदि कोई विदेशी एक निश्चित अवधि तक विदेश में रहता है तो उसका देशीयकरण कर उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। निवास की अवधि भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न रखी गई है। भारत में यह 10 वर्ष रखी गयी है।
- विवाह: यदि कोई स्त्री अन्य देश के नागरिक से विवाह कर लेती है तो उसे अपने पति के देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। अधिकांश देशों में यह विधि प्रचलित है।
- गोद लेने पर: यदि किसी देश का नागरिक किसी अन्य देश में उत्पन्न बालक को गोद ले लेता है तो वह बालक अपने देश की नागरिकता खोकर नये देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है।
- सरकारी पद: यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य देश में कोई सरकारी पद प्राप्त कर लेता है तो वह उस राज्य की नागरिकता प्राप्त कर सकता है। रूस में यह नियम प्रचलित है।
- सम्पत्ति क्रय द्वारा: यदि कोई व्यक्ति किसी देश में भूमि आदि अचल सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
- विजय द्वारा: जब कोई देश युद्ध में अन्य देश पर विजय प्राप्त करके उसे अपने में मिला लेता है तो उस देश के नागरिकों को विजेता देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
- वैधता: यदि किसी नागरिक के किसी विदेशी महिला से अवैध सन्तान उत्पन्न हो जाये तो माता-पिता के आपस में नियमानुसार विवाह कर लेने पर सन्तान को पिता के देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है।
- योग्यता या विद्वता: कुछ देशों में कुछ प्रमुख विद्वानों को अपने देश की नागरिकता प्रदान कर दी जाती है अथवा उनके निवास की अवधि में रियायत कर दी जाती है, जैसे – 10 वर्ष के स्थान पर 1 वर्ष।
प्रश्न 4.
सार्वभौमिक नागरिकता की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
सार्वभौमिक नागरिकता: सार्वभौमिक नागरिकता से आशय यह है कि किसी देश की पूर्ण एवं समान सदस्यता उन सबको उपलब्ध होनी चाहिए, जो सामान्यतः उस देश में रहते या काम करते हैं या जो नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। किसी देश में रहने वाले सभी व्यक्तयों से यहाँ आशय यह है कि वे व्यक्ति उस देश में चाहे शरणार्थियों के रूप में रहे हों या अवैध आप्रवासियों के रूप में, यदि वे उस देश की नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें उस देश की नागरिकता प्रदान करने से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, प्रत्येक व्यक्ति जो किसी राज्य में रह रहा है, उसे उस राज्य की नागरिकता के लिए मान्यता देनी चाहिए।
लेकिन किसी भी राज्य द्वारा सार्वभौमिक नागरिकता प्रदान नहीं की जा रही है। सूडान के डरफन क्षेत्र के शरणार्थी, फिलिस्तीनी, बर्मी या बंगलादेशी शरणार्थी जैसे अनेक उदाहरण हैं जो अपने ही देश या पड़ौसी देश में शरणार्थी बनने के लिए मजबूर किये गये हैं और ये राज्यविहीन हैं, जिन्हें किसी देश की नागरिकता प्राप्त नहीं है। वे शिविरों या अवैध प्रवासियों के रूप में रहने को मजबूर हैं। प्रायः वे कानूनी रूप से कार्य नहीं कर सकते, संपत्ति अर्जित नहीं कर सकते। ऐसे लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कुछ विद्वानों ने सार्वभौमिक नागरिकता की अवधारणा प्रतिपादित की। सार्वभौमिक नागरिकता की अवधारणा की अव्यावहारिकता – यद्यपि सार्वभौमिक नागरिकता की अवधारणा एक प्रभावित करने वाला विचार है, लेकिन निम्नलिखित कारणों से यह व्यावहारिक नहीं है।
- प्रत्येक राज्य यह निर्धारित करता है कि उसकी जनसंख्या, क्षेत्र, रोजगार के अवसरों, व्यापार तथा व्यवसाय को ध्यान में रखते हुए कितने लोगों को राज्य में प्रवेश दिया जाना चाहिए। कोई भी राज्य लोगों की अनियंत्रित भीड़ को देश की अर्थव्यवस्था व आर्थिक विकास की दृष्टि से स्वीकार नहीं कर सकता।
- प्रत्येक राज्य को यह निर्धारित करना पड़ता है कि किस प्रकार को आप्रवासी उसकी अर्थव्यवस्था, सामाजिक वातावरण तथा संस्कृति के विकास के लिए उचित होंगे। कोई भी राज्य प्रत्येक प्रकार के आप्रवासियों – शिक्षित, अशिक्षित, कुशल और अकुशल- को आने की अनुमति देकर राज्य स्वयं की सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ना नहीं चाहता।
- राज्य को कानून और व्यवस्था को भी ध्यान में रखना पड़ता है। यदि वह अनियंत्रित शरणार्थियों को प्रवेश देने की स्वीकृति दे देगा तो उसके यहाँ कानून-व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।
- आप्रवासियों का अनियंत्रित प्रवेश और उनको नागरिकता प्रदान करना सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक पहचान तथा आर्थिक विकास पर दुष्प्रभाव डाल सकता है।
अनेक देश यद्यपि वैश्विक और समावेशी नागरिकता का समर्थन करते हैं लेकिन वे नागरिकता देने की शर्तें भी निर्धारित करते हैं। ये शर्तें आमतौर पर देश के संविधान और कानूनों में लिखी होती हैं और अवांछित आगंतुकों को नागरिकता से बाहर रखने के लिए राज्य सत्ताएँ ताकत का प्रयोग करती हैं। राज्यकृत नागरिकता सभी अवैध लोगों को नागरिकता प्रदान करने में असमर्थ रहती है। इसलिए सार्वभौमिक नागरिकता की अवधारणा प्रभावित करती है और इस समस्या का हल भी सुझाती है, लेकिन संप्रभु राज्य की अवधारणा से मिलने वाली नागरिकता के चलते यह अवधारणा अव्यावहारिक है।
प्रश्न 5.
शरणार्थियों द्वारा कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है? वैश्विक नागरिकता की अवधारणा किस प्रकार इनकी समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है?
अथवा
वैश्विक नागरिकता की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक नागरिकता की अवधारणा: आज हम एक ऐसे विश्व में रहते हैं जो आपस में जुड़ा हुआ है। संचार के इंटरनेट, टेलीविजन और सेलफोन जैसे नये साधनों ने विश्व के विभिन्न हिस्सों की हलचलों को हमारे तत्काल सम्पर्क के दायरे में ला दिया है। टेलीविजन के पर्दे पर विनाश और युद्धों को देखने से विश्व के विभिन्न देशों के लोगों में साझे सरोकार और सहानुभूति विकसित होने में मदद मिली है। विश्व नागरिकता के समर्थकों का मत है कि चाहे विश्व- कुटुम्ब और वैश्विक समाज अभी विद्यमान नहीं है, लेकिन राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार लोग आज एक-दूसरे से जुड़ा महसूस करते हैं।
इसलिए विश्व नागरिकता की अवधारणा की दिशा में सक्रिय हुआ जा सकता है। विश्व नागरिकता में विश्व के सभी व्यक्ति एक परिवार के सदस्य की तरह होते हैं। राज्यों की सीमाओं की बाधाएँ वैश्विक नागरिकता के अन्तर्गत समाप्त हो जायेंगी और विभिन्न राज्यों में व्यक्तियों तथा वस्तुओं का स्वतंत्र आवागमन होगा। अतः एक राज्य की नागरिकता पूरे विश्व में आने-जाने तथा सभी जगह समान अधिकारों की प्राप्ति के लिए पर्याप्त होगी। लोग यह महसूस करेंगे कि वे किसी व्यक्तिगत समाजों के सदस्य नहीं हैं, बल्कि एक वैश्विक समाज के सदस्य हैं।
शरणार्थियों से आशय: शरणार्थी वे व्यक्ति हैं जिन्हें किसी भी देश की नागरिकता प्राप्त नहीं है या वे राज्यविहीन व्यक्ति हैं। युद्ध, उत्पीड़न, अकाल या अन्य कारणों से लोग विस्थापित होते हैं। अगर कोई देश उन्हें स्वीकार करने के लिए राजी नहीं होता और वे अपने घर नहीं लौट सकते तो वे राज्यविहीन और शरणार्थी हो जाते हैं। अनेक देशों में युद्ध या उत्पीड़न से पलायन करने वाले लोगों को अंगीकार करने की नीति है। लेकिन वे भी लोगों की अनियंत्रित भीड़ को स्वीकार करना सुरक्षा के संदर्भ में देश को जोखिम में डालना नहीं चाहेंगे। भारत में यद्यपि उत्पीड़ित लोगों को आश्रय उपलब्ध कराने की नीति अपनायी गयी है, लेकिन भारत राष्ट्र की सभी सीमाओं से पड़ौसी देशों के लोगों का प्रवेश हुआ है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। इनमें से अनेक लोग वर्षों या पीढ़ियों तक राज्यहीन व्यक्तियों के रूप में पड़े रहते हैं। शिविरों या अवैध प्रवासी के रूप में। ये हैं।
शरणार्थियों या राज्यविहीन व्यक्तियों की समस्यायें: राज्यविहीन व्यक्तियों या शरणार्थियों की प्रमुख समस्यायें
- वे शिविरों में या अवैध प्रवासी के रूप में रहने को मजबूर किये जाते हैं।
- उन्हें कोई भी सामाजिक-राजनैतिक अधिकार नहीं मिले होते।
- प्राय: वे कानूनी तौर पर काम नहीं कर सकते या अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा नहीं सकते या सम्पत्ति अर्जित नहीं कर सकते।
वैश्विक नागरिकता की अवधारणा और शरणार्थियों की समस्याओं का समाधान यद्यपि अभी तक वैश्विक नागरिकता की अवधारणा का विचार अन्तर्राष्ट्रीय जगत में स्वीकार नहीं किया जा सका है, लेकिन यदि यह स्वीकार कर लिया जाता है तो यह शरणार्थियों की अनेक समस्याओं का समाधान कर देगा तथा उनके लिए लाभकारी रहेगा। यथा
- वैश्विक नागरिकता की अवधारणा के कारण संसार का कोई भी व्यक्ति राज्यविहीन या शरणार्थी नहीं रहेगा।
- शरणार्थी अधिकारों के वंचन से पीड़ित नहीं होंगे।
- पूरे विश्व के लोगों में राज्य की सीमाओं के आर-पार मानव जाति की सहायता करने का भाव विकसित होगा।
- वैश्विक नागरिकता अनेक वैश्विक समस्याओं, जैसे- आतंकवाद, पर्यावरण को खतरा, कुछ राज्यों में जनाधिक्य की समस्या तथा कुछ राज्यों में भोजन तथा स्वास्थ्य की समस्यायें आदि को हल करने में लाभप्रद होगी।