JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक

Jharkhand Board Class 9 Science ऊतक Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ऊतक को परिभाषित करें।
उत्तर:
कोशिकाओं के ऐसे समूह को जिसकी उत्पत्ति, संरचना एवं कार्य समान हों, ऊतक कहते हैं।

प्रश्न 2.
कितने प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं? उनके नाम बताएँ।
उत्तर:
चार प्रकार के तत्व मिलकर जाइलम ऊतक का निर्माण करते हैं। ये चार तत्व हैं-

  • वाहिनिका (ट्रैकीड्स)
  • वाहिका (Trachea)
  • जाइलम पैरेन्काइमा और
  • जाइलम फाइबर (रेशे)।

प्रश्न 3.
पौधों में सरल ऊतक जटिल ऊतक से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
सरल ऊतक एवं जटिल ऊतक में भिन्नता

सरल ऊतक जटिल ऊतक
1. ये एक ही प्रकार की कोशिकाओं के बने हो ते हैं। उदाहरण पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा, स्क्लेरेनकाइमा। 1. ये एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं के बने होते हैं। उदाहरण-जाइलम तथा फ्लोएम।
2. इनकी कोशिकाएँ जीवित होती हैं। 2. अधिकतर कोशिकाएँ मृत होती हैं।
3. ये पतली कोशिका भित्ति वाली सरल कोशिकाओं के बने होते हैं। 3. इनकी कोशिका भित्ति मोटी होती है।
4. सरल ऊतक आधारीय पैकिंग पदार्थ के रूप में जल एवं भोजन संचय करने तथा यान्त्रिक सहायता प्रदान करने का कार्य करते हैं। 4. जटिल ऊतक संवहन ऊतक का कार्य करते हैं एवं पौधों को यान्त्रिक दृढ़ता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 4.
कोशिका भित्ति के आधार पर पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा और स्क्लेरेन्काइमा के बीच भेद स्पष्ट करें।
उत्तर:
पैरेन्काइमा, कॉलेन्काइमा एवं स्क्लेरेन्काइमा में भेद (अन्तर)

पैरेन्काइमा कॉलेन्काइमा स्क्लेरेन्काइमा
1. यह गोल, महीन कोशिका भित्ति वाली कोशिकाओं का बना होता है, जिनमें केन्द्रक विद्यमान होता है। इनके बीच अंतराकोशिकीय स्थान पाये जाते हैं। 1. यह बहुभुजी कोशिकाओं का बना होता है। इनके बीच अंतराकोशिकीय स्थान नहीं होते हैं। 1. यह मोटी भित्ति वाली कोशिकाओं का बना होता है जो आकार में लम्बी अथवा अनियमित होती हैं।
2. ये सजीव होती हैं। 2. ये भी सजीव होती हैं। 2. ये कोशिकाएँ मृत होती हैं।
3. कोशिका भित्ति पैक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी व पतली होती है। 3. कोशिका भित्ति पैक्टिन तथा सेल्यूलोज की बनी होती है। 3. कोशिका भित्ति लिगिन की बनी तथा मोटी होती है।

प्रश्न 5.
रन्ध्र के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
रन्ष्र के प्रमुख कार्य-

  • वायुमण्डल से गैसों का आदान-प्रदान करना,
  • वाष्पोत्सर्जन की क्रिया करना।

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प्रश्न 6.
तीनों प्रकार के पेशीय रेशों के चित्र बनाकर अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
चित्र 6.11 देखिये।

ऐच्छिक पेशी अनैच्छिक पेशी हृदयक पेशी
1. ये प्रायः अस्थियों से जुड़ी रहती हैं। 1. ये आँख की पलकों, मूत्रवाहिनी और फेफड़ों की श्वसनी में होती हैं। 1. ये हुदय की भित्ति में होती हैं।
2. ये ऐच्छिक होती हैं। 2. ये अनैच्छिक होती हैं। 2. ये भी अनैच्छिक होती हैं।
3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पट्टियाँ होती हैं। इसलिए इन्हें रेखित पेशियाँ भी कहते हैं। 3 इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पट्टियाँ नहीं होती हैं। इसलिए इन्हें अरेखित पेशियाँ भी कहते हैं। 3. इनमें गहरे तथा हल्के रंग की पद्टियों का अभाव होता है।
4. ये लम्बी, बेलनाकार, शाखारहित और बहुकेन्द्रकीय होती हैं। 4. ये लम्बी, एक केन्द्रकीय और सिरों की ओर नुकीली तर्कुआकार होती हैं। 4. ये बेलनाकार, शाखाओं वाली और केन्द्रकीय होती हैं।

प्रश्न 7.
कार्डिक (हृदयक) पेशी का विशेष कार्य क्या है?
उत्तर:
कार्डिक पेशियाँ जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार तथा संकुचन करती रहती हैं। इससे प्राणियों में रक्त परिसंचरण होता है।

प्रश्न 8.
रेखित, अरेखित तथा कार्डिक (हददयक) पेशियों में शरीर में स्थित कार्य और स्थान के आधार पर अन्तर स्पष्ट करें।।
उत्तर:
रेखित, अरेखित व कार्डिक पेशियों में अन्तर

रेखित पेशियाँ अरेखित पेशियाँ कार्डिक पेशियाँ
शरीर में स्थिति के स्थान-हाथ, पैर में अस्थियों से जुड़ी हुई। आहार नली में, आँख की पलक, मूत्रवाहिनी, फेफड़ों की श्वसनी, रक्त वाहिनियाँ। हृदय की भित्ति।
कार्य-
शरीर के अंगों (हाथ, पैर आदि) में इच्छानुसार गति प्रदान करना। इनकी गति ऐच्छिक पेशियों द्वारा नियन्त्रित होती है।
जन्तु की इच्छानुसार गति नहीं करती हैं। इनकी गति को अनैच्छिक पेशियाँ नियन्त्रित करती हैं। ये जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार और संकुचन करती हैं। इससे प्राणियों में रक्त परिसंचरण होता है।

प्रश्न 9.
न्यूरॉन का एक चिह्लित चित्र बनाएँ।
उत्तर:
चित्र 6.12 देखिये।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के नाम लिखें-
(a) ऊतक जो मुँह के भीतरी अस्तर का निर्माण करता है।
(b) ऊतक जो मनुष्य में पेशियों को अस्थि से जोड़ता है।
(c) ऊतक जो पौधों में भोजन का संवहन करता है।
(d) ऊतक जो हमारे शरीर में वसा का संचय करता है।
(e) तरल आधात्री सहित संयोजी ऊतक।
(f) मस्तिष्क में स्थित ऊतक।
उत्तर:
(a) शल्की एपीथीलियम ऊतक
(b) कंडरा
(c) फ्लोएम ऊतक
(d) वसामय (एडीपोज) ऊतक
(e) रक्त (Blood)
(f) तन्त्रिका ऊतक।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में ऊतक के प्रकार की पहचान करें-त्वचा, पौधों का वल्क, अस्थि, वृक्कीय नलिका अस्तर, संवहन बंडल।
उत्तर:

  • त्वच – एपीथीलियम ऊतक
  • पौधों का वल्क- सरल स्थायी ऊतक-पैरेन्काइमा
  • अस्थि – संयोजी कंकाल ऊतक (अस्थि)
  • वृक्कीय नलिका अस्तर – घनाकार एपीथीलियम
  • संवहन बण्डल – जटिल ऊतक- जाइलम तथा फ्लोएम।

प्रश्न 12.
पैरेन्काइमा ऊतक किस क्षेत्र में स्थित होते हैं?
उत्तर:
पैरेन्काइमा ऊतक तने तथा पत्तियों में स्थित होते हैं।

प्रश्न 13.
पौधों में एपीडर्मिस की क्या भूमिका है?
उत्तर:
एपीड़्रिस ऊतक पौँधों की पूरी सतह को ढके रहता है और पौधों के सभी भागों की रक्षा करता है। यह पौधों को यान्त्रिक सहायता प्रदान करती है।

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प्रश्न 14.
छाल (कॉक) किस प्रकार सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है?
उत्तर:
छाल या कॉर्क मोटी भित्ति वाली मृत कोशिकाओं का बना होता है। इनकी भित्ति पर सुबेरिन नामक रसायन होता है, जो कॉर्क को हवा एवं पानी के लिए अभेद्य बनाता है। इस प्रकार छाल या कॉर्क सुरक्षा ऊतक के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 15.
निम्न दी गई तालिका को पूर्ण करें-
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 1a
उत्तर:
JAC Class 9 Science Solutions Chapter 6 ऊतक 1b

Jharkhand Board Class 9 Science ऊतक InText Questions and Answers

खण्ड 6.1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 77)

प्रश्न 1.
ऊतक क्या है?
उत्तर:
ऊतक (Tissue) – ऊतक समान उत्पत्ति, संरचना तथा कार्य करने वाली कोशिकाओं का एक समूह होता है।

प्रश्न 2.
बहुकोशिक जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है?
उत्तर:
बहुकोशिक जीवों में प्रत्येक कार्य कोशिकाओं के विभिन्न समूहों द्वारा किया जाता है। कोशिकाओं के ये समूह एक विशिष्ट कार्य को ही अति दक्षतापूर्वक सम्पन्न करने की क्षमता रखते हैं। अतः बहुकोशिक जीवों में ऊतकों के कारण श्रम-विभाजन होता है। प्रत्येक ऊतक एक विशिष्ट कार्य बड़ी दक्षता से करता है।

जैसे-मनुष्यों तथा पशु-पक्षियों में अस्थिओं और पेशिओं की सहायता से गति होती है, पक्षी वायु में उड़ते हैं। तन्त्रिका से संदेश का संवहन होता है। रक्त तथा लसीका द्वारा ऑक्सीजन, CO2 पोषक पदार्थ, हार्मोन्स तथा उत्सर्जी पदार्थों का संवहन होता है। पौधों में भोजन तथा जल एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाता है। ऊतक पेड़ पौधों को स्थिरता प्रदान करते हैं। उन्हें सहारा और मजबूती देते हैं।

क्रियाकलाप 6.1.
दो काँच के जार लेकर उनमें पानी भर देते हैं। अब दो प्याज लेकर दोनों जारों पर एक-एक
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प्याज रख देते हैं (चित्र 6.2 के अनुसार)। कुछ दिनों तक दोनों प्याजों की मूलों की लम्बाई को मापते हैं। पहले, दूसरे और तीसरे दिनों में मूल की लम्बाई को माप लेते हैं। दूसरे जार में रखी प्याज की मूल को चौथे दिन 1 cm. काट लेते हैं। इसके बाद दोनों जार में रखी प्याज की मूलों की लम्बाइयों का पाँच दिनों तक निरीक्षण करते हैं और उनमें हुई प्रत्येक दिन की वृद्धि को मापते हैं।

प्रश्न 1.
किस जार में रखी हुई प्याज की मूल लम्बी होती है?
उत्तर:
पहले जार में रखी हुई प्याज की मूल लम्बी होती है।

प्रश्न 2.
हमारे द्वारा मूल के ऊपरी हिस्से को काट लेने के बाद भी क्या वह वृद्धि करती रहती है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 3.
जार-2 में रखी प्याज की मूल के ऊपरी हिस्से को काटने से वह वृद्धि करना बन्द कर देगी, क्यों?
उत्तर:
क्योंकि प्याज के ऊपरी हिस्से पर विभज्योतक ऊतक उपस्थित होते हैं। अतः उस हिस्से के काटने से वे ऊतक नष्ट हो जाते हैं और मूल में वृद्धि नहीं होती।

क्रियाकलाप 6.2.
एक पौधे का तना लेकर अपने शिक्षक की सहायता से उसके पतले सैक्शन (अनुप्रस्थ काट) काट लेते हैं। अब सभी सैकशनों को सेफ्रेनिन से रंजित कर लेते
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हैं। उनमें से एक अच्छे से कटे हुए सैक्शन को स्लाइड पर रखकर उस पर ग्लिसरीन की एक बूँद डालते हैं। उसको कवर स्लिप से ढक कर स्लाइड का सूक्ष्मदर्शी से निरीक्षण करते हैं और कोशिकाओं के विन्यास का अध्ययन करते हैं।

प्रश्न 1.
(i) क्या सभी कोशिकाओं की संरचनाएँ समान हैं?
उत्तर:
नहीं। सभी कोशिकाओं की संरचनाएँ समान नहीं हैं।

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(ii) कोशिकाओं के विभिन्न प्रकार क्यों हैं?
उत्तर:
क्योंकि विभज्योतक की कोशिकाएँ विभाजित होकर विशेष प्रकार का कार्य करती हैं। इस प्रकार विशिष्ट कार्य करने के लिए इन कोशिकाओं का विभेदीकरण हो जाता है। इसलिए ये विभिन्न प्रकार की होती हैं।

क्रियाकलाप 6.3.
रियो की एक ताजा तोड़ी हुई पत्ती लेते हैं। इसे दबाव लगाकर इस तरह तोड़ते हैं कि पत्ती का छिलका निकल आये। इस छिलके को अलग करके जल सै
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भरी हुई पैट्रीडिश में रखते हैं। इसमें कुछ बूंदे सैफ्रेनिन विलयन की डालकर लगभग 2 मिनट बाद छिलके को स्लाइड पर रखते हैं और इसे धीरे से कवर स्लिप से ढक देते हैं। अब इसका सूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करते हैं। हम देखते हैं कि कोशिकाओं की सबसे बाहरी परत एपीडर्मिस हैं। यह जल की हानि कम करके पादपों की रक्षा करती ह तथा पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है।

इसकी कोशिकाएँ बिना किसी अन्तर्कोशिकीय स्थान के अविछिन्न परत बनाती हैं। अधिकांश एपीडर्मल कोशिकाएँ अपेक्षाकृत चपटी होती हैं। पत्ती की एपीडर्मिस में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं। स्टोमेटा दो वृक्काकार कोशिकाओं से घिरे रहते हैं जिन्हें रक्षी कोशिकाएँ कहते हैं। ये कोशिकाएँ वायुमण्डल से गैसों का आदान-प्रदान करने का कार्य करती हैं। वाष्पोत्सर्जन की क्रिया भी स्टोमेटा द्वारा होती है।

प्रश्न 1.
पैरेन्काइमा ऊतक का कार्य क्या है?
उत्तर:
पैरेन्काइमा ऊतक पौधे को सहायता प्रदान करता है और भोजन का भण्डारण करता है।

प्रश्न 2.
क्लोरोफिल किन कोशिकाओं में पाया जाता है?
उत्तर:
क्लोरोफिल पैरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाओं में पाया जाता है।

प्रश्न 3.
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया किन ऊतकों में होती है?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया क्लोरेन्काइमा (हरित ऊतक) की कोशिकाओं में होती है।

प्रश्न 4.
जलीय पौधों में कौन से ऊतक की कोशिकाएँ उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं?
उत्तर:
जलीय पौधों में पैरेन्काइमा ऊतक की कोशिकाएँ उत्प्लावन बल प्रदान करती हैं।

प्रश्न 5.
लिग्निन क्या है तथा यह क्या कार्य करता है?
उत्तर:
लिग्निन कोशिकाओं को दृढ़ बनाने के लिए सीमेन्ट का कार्य करने वाला एक रासायनिक पदार्थ होता है।

प्रश्न 6.
कोशिकाओं की बाहरी परत कौन सी होती है?
उत्तर:
कोशिकाओं की बाहरी परत एपीडर्मिस होती है।

प्रश्न 7.
एपीडर्मिस का कार्य बताओ।
उत्तर:
एपीडर्मिस पौधों के सभी भागों की रक्षा करती है। यह जल हानि के विरुद्ध यान्त्रिक आघात व परजीवी कवक के प्रवेश को रोकती है।

प्रश्न 8.
पौधों में स्टोमेटा का क्या कार्य है?
उत्तर:
पौधों में स्टोमेटा गैसों का आदान-प्रदान करने तथा वाष्पोत्सर्जन का कार्य करते हैं।

खण्ड 6.2 सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. 81)

प्रश्न 1.
याद करें प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) गैस की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2.
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख
उत्तर:
पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्य-

  • वाष्पोत्सर्जन के कारण जल के अवशोषण, रसारोहण तथा समान वितरण में सहायता मिलती है।
  • भूमि से खनिज लवणों के अवशोषण में सहायता मिलती है।
  • पौधों में ताप का नियमन होता रहता है।
  • वाष्पोत्सर्जन के कारण पौधे सड़ने-गलने नहीं पाते हैं।
  • फलों में शर्करा आदि पोषक पदार्थों की मात्रा में वृद्धि होती है।

जड़ों की एपीडर्मल कोशिकाएँ जल को अवशोषित करने का कार्य करती हैं। इनमें बाल जैसे प्रवर्ध होते हैं जो अवशोषक सतह को बढ़ा देते हैं और उनकी जड़ की कुल पानी सोखने की क्षमता बढ़ जाती है।

मरुस्थलीय पौधों की बाह्य सतह पर एपीडर्मिस में क्यूटिन का लेप होता है क्यूटिन एक जल अवरोधक रासायनिक पदार्थ होता है।
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पेड़ों की आयु बढ़ने के साथ उनके बाहरी सुरक्षात्मक ऊतकों में भी परिवर्तन आता है। द्वितीयक विभज्योतक की एक पट्टी (जो कॉर्टेक्स में होती है), कॉर्क नामक कोशिकाओं की परत का निर्माण करती है। इन छालों की कोशिकाएँ मृत होती हैं। ये अंत: कोशिकीय स्थानों के बिना व्यवस्थित होती हैं (चित्र 6.6 देखें)। इनकी भित्ति पर सुबरिन होता है। सुबरिन छालों को पानी और हवा के लिए अभेद्य बनाता।

खण्ड 6.2.2 (ii) से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 83)

प्रश्न 1.
सरल ऊतक के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
सरल ऊतक तीन प्रकार के होते हैं-

  • पैरेन्काइमा (मृदूतक-Parenchyma)
  • कॉलेन्काइमा (स्थूलकोण ऊतक-Collenchyma) तथा
  • स्क्लेरेन्काइमा (दृढ़ ऊतक Sclerenchyma)।

प्रश्न 2.
प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक जड़ों और तनों की वृद्धि वाले भागों में पाया जाता है, और यह इनकी लम्बाई में वृद्धि करता है।

प्रश्न 3.
नारियल का रेशा किस ऊतक का बना होता है?
उत्तर:
नारियल का रेशा स्क्लेरेन्काइमा (दृढ़ ऊतक ) का बना होता है।

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प्रश्न 4.
फ्लोएम के संघटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
चालनी नलिका, साथी कोशिकाएँ, फ्लोएम पैरेन्काइमा तथा फ्लोएम रेशे फ्लोएम के संघटक हैं।

क्रियाकलाप 6.4.
रक्त की एक बूँद स्लाइड पर डालें। सूक्ष्मदर्शी की सहायता से उसमें उपस्थित विभिन्न कोशिकाओं को देखें।

रक्त (Blood) एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक है। रक्त के तरल आधात्री भाग को प्लाज्मा (Plasma) कहते हैं। प्लाज्मा में लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) तथा प्लेटलेट्स निलम्बित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॉर्मोन भी होते हैं।

रक्त गैसों, शरीर के पचे हुए भोजन, हॉर्मोन और उत्सर्जी पदार्थों का शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करता है। अस्थि (Bone) कंकाल संयोजी ऊतक है। यह पंजर का निर्माण कर शरीर को निश्चित आकार प्रदान करता है, माँसपेशियों को सहारा देता है और शरीर के मुख्य अंगों को सहारा देता है।
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संयोजी ऊतकों के प्रकार: (a) एरिओलर ऊतक, (b) वसामय (एडीपोज़) ऊतक, (c) संहत अस्थि ऊतक, (d) काचाभ स्नायु ऊतक (e) विभिन्न रक्त कोशिकाएँ।

यह ऊतक कठोर और मजबूत होता है। अस्थि कोशिकाएँ कठोर आधात्री में धँसी होती हैं जो कैल्सियम तथा फॉस्फोरस से बनी होती हैं।

दो अस्थियाँ परस्पर एक अन्य संयोजी ऊतक-स्नायु (Ligament) से जुड़ी होती हैं। यह ऊतक बहुत लचीला एवं मजबूत होता है। स्नायु में बहुत कम आधात्री होती है। एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक कन्डरा (Tendon) है, जो माँसपेशियों को अस्थियों से जोड़ता है। यह मजबूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं।

उपास्थि (Cartilage) भी एक प्रकार का कंकाल संयोजी ऊतक है। इसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधानी प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है। यह नाक, कान, कंठ और श्वास नली में भी उपस्थित होती है।

ऐरियोलर (Aerolar) संयोजी ऊतक त्वचा और माँसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है। यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है, आन्तरिक अंगों को सहारा देता है और ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।

वसामय (Adipose) ऊतक त्वचा के नीचे आन्तरिक अंगों के बीच पाया जाता है और वसा के संग्रह का कार्य करता है । इस ऊतक की कोशिकाएँ वसा की गोलिकाओं से भरी होती हैं। यह वसा संग्रहित होने के कारण ऊष्मीय कुचालक का कार्य भी करता है।

क्रियाकलाप 6.5.
विभिन्न प्रकार की पेशीय ऊतकों की संरचना की तुलना कीजिए। उनके आकार, केन्द्रक की संख्या और कोशिका में केन्द्रक की स्थिति को नोट कीजिए।

लक्षण रेखित चिकनी हृद्
आकार बेलनाकार, अशखित लंबी और शंक्वाकार बेलनाकार व शखित
केंद्रकों की संख्या बहुनाभिकीय एक एक
केंद्रकों की स्थिति हाथ, पैर में अस्थितयों से जुड़ी हुई आहार नली, आँख्र की नलक, मूत्रवाहिनी, फेफड़ों की श्वसनी रक्त-वाहिनियाँ हदय की भित्ति

खण्ड 6.3 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 87)

प्रश्न 1.
उस ऊतक का नाम बताएँ जो हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी है।
उत्तर:
पेशीय ऊतक हमारे शरीर में गति के लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 2.
न्यूरॉन देखने में कैसा लगता है?
उत्तर:
न्यूरॉन देखने में लम्बा धागे जैसा लगता है। इसकी लम्बाई 1 मीटर तक हो सकती है। न्यूरॉन का मुख्य भाग कोशिकाकाय (Cyton) कहलाता है। इससे एक लम्बा एक्सॉन (Axon) तथा अनेक छोटे-छोटे डेन्ड्राइट्स (Dendrites) निकले होते हैं।

प्रश्न 3.
हृदय पेशी ‘के तीन लक्षणों को बताएँ।
उत्तर:
हृदय पेशी के तीन लक्षण-

  • यह केवल हृदय भित्ति में पायी जाती है।
  • इसकी कोशिकाएँ बेलनाकार, शाखाओं युक्त व एक केन्द्रकीय होती हैं।
  • ये पेशियाँ जीवन भर बिना थके लयबद्ध होकर प्रसार एवं संकुचन करती रहती हैं।

प्रश्न 4.
एरियोलर ऊतक के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
एरियोलर ऊतक के कार्य-

  • यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है।
  • यह ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।
  • यह ऑतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है।

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