Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions मौखिक अभिव्यक्ति सुनना Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 10 Hindi मौखिक अभिव्यक्ति सुनना
अर्थग्रहण करना :
हम सब मानव सामाजिक प्राणी हैं। हम बोल- सुनकर अपने भावों का आदान-प्रदान करते हैं। लिखकर तथा संकेतों से भी हम स्वयं को अभिव्यक्त कर सकते हैं पर सुनने-बोलने से हमारी अभिव्यक्ति अधिक सहजता और सरलता से होती है। हमारे दैनिक जीवन में बोलने-सुनने से हो आपसी व्यवहार अधिक होता है।
सुनना एक कला है। हम सब इसके महत्त्व को समझते हैं। ईश्वर ने इसीलिए तो हमें दो कान दिए हैं। एक छोटा बच्चा बोलना बाद में सीखता है पर सुनना और समझना पहले आरंभ करता है। वास्तव में हम सुनने से ही तो बोलना सीखते हैं। तभी तो जन्म से बहरे लोग प्रायः गूँगे भी होते हैं। सुनना किसी के द्वारा बोले गए शब्दों का कानों में जाना मात्र नहीं है। उसका वास्तविक अर्थ उनका तात्पर्य समझना है; उसे मन-मस्तिष्क में बिठाना है और उसके अनुसार जीवन में अपनी प्रतिक्रियाओं को प्रकट करना है। किसी की बात को सुनकर उसे बाहर निकाल देना किसी भी प्रकार से सार्थक नहीं हो सकता। यदि किसी के द्वारा कही गई किसी बात का अनुपालन हमें बाद में करना हो तो उसे लिखकर अपने पास रख लेना अधिक अच्छा रहता है। ऐसा करने से प्रत्येक बात हमारे ध्यान में बनी रहती है।
सुनने से संबंधित प्रश्नों का स्वरूप :
आपके अध्यापक/अध्यापिका आपको कोई गद्य या पद्य सुनाएँगे और उस पर आधारित प्रश्न आप से पूछेंगे। आपको उन प्रश्नों के उत्तर सुने गए गद्य या पद्य के आधार पर देने होंगे। जिन प्रश्नों को आप से पूछा जाएगा उससे संबंधित प्रश्न पत्र आपको कुछ सुनाने से पहले दिया जाएगा। ये प्रश्न व्याकरण, रिक्त स्थान पूर्ति, शब्द – अर्थ, नाम, निष्कर्ष आदि से संबंधित हो सकते हैं। अध्यापक/अध्यापिका आपको गद्य या पद्य केवल एक ही बार सुनाएँगे। आपको स्मरण के आधार पर उत्तर देने होंगे। प्रत्येक प्रश्न-पत्र में दस प्रश्न होंगे।
उदाहरण –
1. आपको परीक्षक एक अनुच्छेद सुनाएँगे। उसे ध्यानपूर्वक सुनिए और अनुच्छेद पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। अनुच्छेद दोबारा नहीं पढ़ा जाएगा।
दक्षिण भारत में कन्याकुमारी के आसपास स्थित ऐतिहासिक स्थल भी दर्शनीय हैं। यहाँ से कुछ दूर एक गोलाकार दुर्ग है, जिसे सर्कुलर फोर्ट कहा जाता है। यह सागर के किनारे बना हुआ है। यहाँ समुद्र की लहरें शांत गति से बहती हैं। कुछ किलोमीटर पर कानुमलायन मंदिर, नागराज मंदिर, पद्मनाभपुरम मंदिर भी देखने योग्य हैं।
कन्याकुमारी के छोटे से खोकेनुमा बाज़ारों में ताड़पत्तों और नारियल से निर्मित हस्तशिल्प की वस्तुएँ तथा सागर से प्राप्त शंख और सीप की मालाएँ और दूसरी वस्तुएँ पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती हैं। यहाँ तीनों समुद्रों से अलग-अलग रंग की रेत निकलती है। यह रेत इन बाज़ारों में प्लास्टिक की छोटी-छोटी थैलियों में बिक्री के लिए मिल जाती है, जिसे पर्यटक खरीदना नहीं भूलते। कन्याकुमारी में ठहरने की अच्छी व्यवस्था है। विवेकानंद शिला स्मारक समिति ने विवेकानंदपुरम आश्रम का निर्माण किया है, जहाँ यात्रियों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था है। यहीं एक ऐसा स्थान है जहाँ उत्तर भारत के यात्रियों को अपने घर जैसा खाना प्राप्त हो जाता है।
कन्याकुमारी यद्यपि तमिलनाडु प्रदेश में है लेकिन यहाँ पहुँचने और लौटने का रास्ता केरल प्रदेश की राजधानी त्रिवेंद्रम से है। केरल को भारत का हरियाला जादू कहा जाता है क्योंकि इस प्रदेश में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आती है। इसलिए कन्याकुमारी से यदि टैक्सी या निजी कार अथवा बस द्वारा त्रिवेंद्रम लौटा जाए तो यात्रा का पूरा मार्ग हरियाली की सुखद छाया को ओढ़कर चलता है। इसी रास्ते पर हाथियों की सुरक्षित
वनस्थली और अरब सागर तट पर स्थित कोवलम बीच भी दर्शनीय है। कोवलम सागर तट पर सागर – स्नान की सुखद अनुभूति प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक आकर स्नान करते हैं और नारियल का मीठा पेय पीकर परम तुष्टि भाव से यात्रा की परिपूर्णता का आनंद लाभ करते हैं।
प्रश्न :
1. इसमें किसकी सुंदरता का वर्णन किया गया है ?
2. गोलाकार दुर्ग का नाम क्या है ?
3. बाज़ारों में बिकने वाली हस्तशिल्प की वस्तुएँ बनी होती हैं-
(क) रेशम की (ख) ताड़ – पत्तों की (ग) पत्थर की (घ) चीनी – मिट्टी की
4. यहाँ कितने समुद्रों की रंग-बिरंगी रेत मिलती है ?
5. विवेकानंद शिक्षा स्मारक समिति ने किस आश्रम का निर्माण किया है ?
6. आश्रम में किन यात्रियों को घर जैसा खाना प्राप्त होता है ?
7. कन्याकुमारी किस राज्य में है ?
8. कन्याकुमारी पहुँचने और लौटने का रास्ता किस राज्य से है ?
9. अरब सागर का कौन-सा तट दर्शनीय है ?
10. यात्री यहाँ क्या पीना पसंद करते हैं ?
उत्तर :
1. कन्याकुमारी की सुंदरता का वर्णन।
2. सर्कुलर फोर्ट।
3. (ख) ताड़पत्तों की।
4. तीन समुद्रों की रंग-बिरंगी रेत।
विवेकानंदपुरम आश्रम का निर्माण।
6. उत्तर भारत के यात्रियों को।
7. तमिलनाडु प्रदेश में।
8. केरल राज्य से।
9. कोवलम बीच
10. नारियल का मीठा पेय।
2. अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक सुनकर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर अनुच्छेद में खोजकर लिखिए।
सर्कस अब घाटे का सौदा हो चुका है। अब जहाँ कहीं भी सर्कस लगाया जाता है सर्कस मालिक को चार गुना दाम पर ज़मीन, बिजली तथा अन्य सुविधाएँ प्राप्त हो पाती हैं। इसके अतिरिक्त पुलिस और प्रशासन का रवैया भी प्रायः असहयोगात्मक ही रहता है। ‘इंडियन सर्कस फेडरेशन’ का मानना है कि सर्कस के लिए सबसे बड़ी समस्या उसे लगाने वाले मैदान की है। एक दशक पहले तक शहरों में खाली भूखंड आसानी से मिल जाते थे।
अब वहाँ व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बन गए हैं। अधिकांश शहरों में आबादी से काफ़ी दूर ही जगह मिल पाती है। इससे काफ़ी कम दर्शक ‘शो’ देखने आते हैं। कई सर्कस मालिक अब सर्कस को समाप्त होती कला मानने लगे हैं, जिसे सरकार और समाज हर कोई मरते देखकर भी खामोश है। पिछले कुछ वर्षों में जैमिनी, भारत, ओरिएंटल और प्रभात सर्कस को बंद होना पड़ा। कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने केरल में ‘जमुना स्टिर सेंटर’ की स्थापना की है। ताकि इस व्यवसाय में आने वाले बच्चों के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो सके। सर्कस उस्ताद चुन्नी बाबू कहते हैं कि सर्कस संकट के दौर से गुजर रहा है। अगर सरकार ने इसकी मदद नहीं की तो जिन हज़ारों लोगों को इसके माध्यम से दो जून की रोटी मिल रही है, वह भी बंद हो जाएगी।
सर्कस के कलाकारों का ‘शो’ के दौरान अधिकांश खाली सीटें देखकर मनोबल टूट गया है। जब कभी सीटें भरी होती हैं, खेल दिखाने में मज़ा आ जाता है। सर्कस का एक प्रमुख हिस्सा है- जोकर। आमतौर पर बिना किसी काम का लगने वाला कद-काठी में छोटा-सा इनसान जो किसी काम का नहीं लगता सर्कस की ‘रिंग’ में अपनी अजीब हरकतों से किसी को भी हँसा देता है। तीन घंटे के ‘शो’ में दर्शकों को हँसाते रहने का आकर्षण ही कलाकारों को बाँधे रखता है।
प्रश्न :
1. सर्कस अब आर्थिक दृष्टि से कैसा सौदा है ?
2. सर्कस मालिकों को सुविधाएँ अब किस दाम पर प्राप्त हो पाती हैं ?
3. सर्कस के प्रति पुलिस और प्रशासन का रवैया रहता है –
(क) सहयोगात्मक
(ख) असहयोगात्मक
(ग) उदासीन
(घ) नृशंस
4. खाली भूखंडों पर अब क्या बन गए हैं ?
5. सर्कस को समाप्त होता देखकर कौन-कौन खामोश हैं ?
6. पिछले वर्षों में कौन-कौन सी सर्कसें बंद हुई हैं ?
7. बच्चों को सर्कस हेतु प्रशिक्षण की व्यवस्था किसने की है ?
8. किसने कहा है कि सर्कस संकट के दौर से गुजर रहा है ?
9. सर्कस के कलाकारों का मनोबल क्यों टूट रहा है ?
10. रिंग में अपनी हरकतों से कौन हँसाता है ?
उत्तर :
1. घाटे का सौदा।
2. चार गुना दाम पर
3. (ख) असहयोगात्मक।
4. व्यावसायिक कॉम्पलेक्स।
5. जनता और सरकार।
6. जैमिनी, भारत, ओरिएंटल और प्रभात सर्कसें
7. केरल में ‘जमुना स्टिर सेंटर’ ने।
8. उस्ताद चुन्नी बाबू ने।
9. अधिकांश शो में खाली सीटों को देखकर।
10. अपनी हरकतों से जोकर हँसाता है।
भाषण –
3. भाषण को ध्यानपूर्वक सुनकर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर भाषण के आधार पर दीजिए –
युगों से गुरु का स्थान भारतीय समाज में अत्यंत ऊँचा माना जाता रहा है। भक्ति का साधन कृपा है और गुरुकृपा के बिना उसकी प्राप्ति नहीं होती। नारायण तीर्थ ने प्राचीन आचार्यों के आधार पर भक्ति के जो तेईस अंग गिनाए हैं उनमें गुरु को भक्ति का प्रथम अंग माना गया है। रामचरित मानस में गुरु शंकर रूपी हैं; हरि का नर रूप है; यही नहीं भगवान राम से भी बढ़कर है। विधाता के रुष्ट हो जाने पर गुरु रक्षा कर लेता है किंतु गुरु के रुष्ट हो जाने पर कोई ऐसा साधन नहीं बचता जो रक्षा का आधार बन सकता हो। गुरु की इस गरिमा का कारण यह है कि वही जीव के मोह-अंधकार को दूर करता है और उसे ज्ञान प्रदान करता है। गुरु की शरण में जाकर उससे शिक्षा प्राप्त करना ही ज्ञान की प्राप्ति करना है –
श्री गुरु पद नख मनि गन जोती।
सुमिरत दिव्य दृष्टि हिय होती ॥
तुलसी के राम ने शबरी को उपदेश देते समय गुरु सेवा को राम कृपा का स्वतंत्र और अमोघ साधन माना है।
प्राचीन साहित्य में गुरु का स्वरूप और उसके कार्यक्षेत्र समय, स्थान और परिस्थिति के अनुसार बदलते रहे हैं पर उसका विवेक, ज्ञान, दूरदर्शिता और निष्ठा बदलती हुई दिखाई नहीं देती। देवताओं के गुरु बृहस्पति यदि देवताओं के हित और कल्याण के विषय में कार्य करते रहे तो दानवों के गुरु शुक्राचार्य दानवों की मानसिकता के आधार पर सोचते – विचारते रहे। वशिष्ठ मुनि और विश्वामित्र ने यदि श्री राम को शिक्षित किया तो संदीपन गुरु ने श्रीकृष्ण को ज्ञान ही नहीं दिया अपितु सहज-सरल जीवन जीने का भी पाठ पढ़ाया।
द्रोणाचार्य ने कौरवों – पांडवों को अस्त्र-शस्त्र चलाने के अभ्यास के साथ-साथ धर्म और नीति का भी ज्ञान दिया था। चाणक्य ने चंद्रगुप्त को शिक्षित कर देश के इतिहास को ही बदल दिया था। यदि सिकंदर के गुरु अरस्तु ने उसे सारे विश्व को जीतने के लिए उकसाया था तो चाणक्य ने अपने शिष्य को धर्म और देश की रक्षा करना सिखाकर उसके कमजोर इरादों को मिट्टी में मिला दिया था। गुरु कुम्हार की तरह कार्य करता हुआ शिष्य रूपी कच्ची मिट्टी को मनचाहा आकार प्रदान कर देता है।
यह ठीक है कि हर माँ अपने बच्चे की पहली गुरु होती है। वह उसे जीवन के साथ-साथ अच्छे संस्कार देती है पर किसी भी छोटे बच्चे के मन पर अपने अध्यापक का जैसा गहरा प्रभाव पड़ता है, वैसा किसी अन्य व्यक्ति का नहीं पड़ता। वह उसे अपना आदर्श मानने लगता है और उसी का अनुकरण करने का प्रयत्न करता है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि वह वास्तव में ही आदर्श जीवन जीने का प्रयत्न करे।
अध्यापक ही ऐसा केंद्रबिंदु है जहाँ से बौद्धिक परंपराएँ तथा तकनीकी कुशलता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को संचारित होती हैं। वह सभ्यता के दीप को प्रज्वलित रखने में योगदान प्रदान करता है। वह केवल व्यक्ति का ही मार्गदर्शन नहीं करता बल्कि सारे राष्ट्र के भाग्य का निर्माण करता है। इसलिए उसे समाज के प्रति अपने विशिष्ट कर्तव्य को भली-भाँति पहचानना चाहिए। अध्यापक का जितना महत्त्व है, उतने ही व्यापक उसके व्यापक कार्य हैं। शिक्षण, गठन, निरीक्षण, परीक्षण, मार्गदर्शन, मूल्यांकन और सुधारात्मक कार्यों के साथ-साथ उसे विद्यार्थियों, अभिभावकों और समुदाय से अनुकूल संबंध स्थापित करने पड़ते हैं।
कोई भी अध्यापक अपने छात्र – छात्राओं में लोकप्रिय तभी हो सकता है जब उसमें उचित जीवन शक्ति विद्यमान हो। मार-पीट, डाँट-डपट का विद्यार्थियों के कोमल मन पर सदा ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। छात्रों के भावात्मक विकास के लिए अध्यापक का संवेगात्मक संतुलन बहुत आवश्यक होता है। उसमें सामाजिक चातुर्य, उत्तम निर्णय की क्षमता, जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण, परिस्थितियों का सामना करने का साहस और व्यावसायिक निष्ठा निश्चित रूप से होनी चाहिए।
कोई भी व्यक्ति विषय के ज्ञान के अभाव में शिक्षक नहीं हो सकता। प्रायः माना जाता है कि एक अयोग्य चिकित्सक मरीज के शारीरिक हित के लिए खतरनाक है परंतु एक अयोग्य शिक्षक राष्ट्र के लिए इससे भी अधिक घातक है क्योंकि वह न केवल अपने छात्रों के मस्तिष्क को विकृत बनाता तथा हानि पहुँचाता है बल्कि उनके विकास को अवरुद्ध भी करता है तथा उनकी आत्मा को विकृत कर देता है।
अध्यापक में नेतृत्व की क्षमता होना आवश्यक है पर उसे जिस प्रकार के नेतृत्व की क्षमता की आवश्यकता है वह अन्य प्रकार के नेतृत्व से भिन्न है। उसका नेतृत्व उसके चरित्र, शक्ति, प्रभावशीलता तथा दूसरों से प्राप्त आदर पर निर्भर है। यह भी ध्यान रखने योग्य है कि अति दृढ़ व्यक्तित्व नेतृत्व के लिए उसी प्रकार की अयोग्यता है जिस प्रकार का निर्बल व्यक्तित्व व्यर्थ होता है। उसका मानसिक रूप से सुसज्जित होना आवश्यक है।
एक समय था जब अध्यापक राज्याश्रम में पलते थे और गुरुकुलों में विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करते थे। इस भौतिकतावादी युग में शिक्षा का व्यावसायीकरण हो चुका है पर फिर भी अध्यापक को किसी भी अवस्था में शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा को नहीं त्यागना चाहिए और उसे जीवन-मूल्यों को बनाकर रखना चाहिए। व्यावसायीकरण के कारण अध्यापकों छात्रों के संबंधों में परिवर्तन आया है जो समाज के समुचित विकास के लिए अच्छा नहीं है। अध्यापक को विद्यार्थियों की भावनाओं को मानवीय रूप प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए।
यदि वह स्वयं जलता हुआ दीप नहीं है तो वह दूसरों में ज्ञान के प्रकाश को प्रसारित करने में सदैव असमर्थ रहेगा। समाज के विकास के लिए आदर्श अध्यापक अति आवश्यक है। उनके अभाव में सभ्यता और संस्कृति की कल्पना करना भी अत्यंत कठिन है।
प्रश्न :
1. भारतीय समाज में गुरु का स्थान कब से अति ऊँचा माना जाता रहा है ?
2. नारायण तीर्थ ने भक्ति के तेईस अंगों में गुरु को भक्ति का कौन-सा अंग माना है ?
(क) पहला
(ग) चौदहवाँ
(ख) दसवाँ
(घ) बीसवाँ
3. तुलसी ने राम कृपा का स्वतंत्र और अमोघ साधन किसे माना है ?
4. देवताओं के गुरु कौन थे ?
5. सिकंदर को विश्व-विजय के लिए किसने उकसाया था ?
6. सारे राष्ट्र के भाग्य का निर्माण कौन करता है ?
7. छात्रों के विकास के लिए अध्यापकों में किसकी अति आवश्यकता होती है ?
8. अध्यापक का नेतृत्व किन विशेषताओं पर निर्भर करता है ?
9. गुरुकुलों में विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति के लिए क्या दिया करते थे ?
10. भौतिकतावादी युग में शिक्षा का क्या हो गया है ?
उत्तर :
1. युगों से।
2. (क) पहला।
3. गुरु की शरण में जाकर उससे शिक्षा प्राप्त करने को।
4. बृहस्पति।
5. सिकंदर के गुरु अरस्तु ने।
6. अध्यापक।
7. संवेगात्मक संतुलन की।
8. अध्यापक के चरित्र, शक्ति और प्रभावशीलता तथा दूसरों से प्राप्त आदर पर।
9. विद्यार्थी निःशुल्क शिक्षा प्राप्त किया करते थे।
10. व्यावसायीकरण
वार्तालाप / संवाद –
4. नीचे दिए गए वार्तालाप को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(वार्तालाप) :
राम्या – मुझे जल्दी से मम्मी को बताना है कि मेरा परीक्षा परिणाम आज शाम तक आ जाएगा।
शर्मिष्ठा – तो बता दे। देर क्यों कर रही है ?
राम्या – मेरा मोबाइल तो घर पर ही रह गया है। क्या करूँ ?
शर्मिष्ठा – करना क्या है ? मेरा मोबाइल ले और मम्मी से बात कर ले।
राम्या – हाँ, यह तो है। कितना सुख हो गया है मोबाइल का अब।
शर्मिष्ठा – अरे, इसने सारी दुनिया को गाँव बनाकर रख दिया है।
राम्या – क्या मतलब ?
शर्मिष्ठा – मतलब यह है कि अब पल भर में संसार के किसी भी कोने में किसी से भी बात कर लो। लगता है कि हर कोई बिलकुल पास है। ऐसा तो गाँवों में ही होता था।
राम्या – मोबाइल लोगों के पास पहुँचा भी बहुत तेज़ी से है
शर्मिष्ठा – कभी सोचा भी नहीं था कि मोबाइल इतनी तेज़ी से लोगों की जेब में अपना स्थान बनाएगा।
राम्या – बहुत लाभ हैं इसके
शर्मिष्ठा – लाभ तो हैं तभी तो हर अमीर-गरीब के पास दिखाई देने लगा है यह।
राम्या – अब तो यह मज़दूरों और रिक्शा चलाने वालों के पास भी दिखाई देता है
शर्मिष्ठा – उनके लिए यह और भी ज़रूरी है। वे छोटे शहरों और गाँवों से काम करने बड़े शहरों में आते हैं। मोबाइल से वे अपने घर से सदा जुड़े रहते हैं।
राम्या – नुकसान भी तो हैं इसके
शर्मिष्ठा – वे क्या हैं? मेरे विचार से तो मोबाइल का कोई नुकसान नहीं है।
राम्या – इससे अपराध बढ़े हैं। बच्चे भी क्लास में इसे लेकर बैठे रहते हैं। उनका ध्यान पढ़ाई की ओर कम और मोबाइल पर अधिक रहता है। शर्मिष्ठा – हाँ, आतंकवादी तो इससे विस्फोट तक करने लगे हैं।
राम्या – ओह ! फिर तो बड़ा खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
शर्मिष्ठा – जेलों में भी अपराधी छिप-छिप कर इनका प्रयोग करते हुए पकड़े जा चुके हैं।
राम्या – अरे, हर अच्छाई में बुराई तो सदा ही छिपी रहती है। वह इसमें भी है।
शर्मिष्ठा – वह तो है। अच्छा यह ले मोबाइल और कर ले बात
प्रश्न :
1. वार्तालाप किस-किस के बीच हुआ ?
2. किसने किससे मोबाइल पर बात करनी थी ?
3. मोबाइल ने दुनिया को बना दिया है-
(क) नगर
(ख) कस्बा
(ग) गाँव
(घ) महानगर
4. मोबाइल की पहुँच किस-किस के पास हो चुकी है ?
5. अपराधों की वृद्धि में किसने सहायता दी है ?
6. क्लास में बच्चे मोबाइल से क्या करते रहते हैं ?
7. आतंकवादी मोबाइल का प्रयोग किस कार्य के लिए करने लगे हैं ?
8. अपराधी छिप-छिप कर कहाँ से मोबाइल का प्रयोग करने लगे हैं ?
9. सदा अच्छाई में क्या छिपी रहती है ?
10. किसने मम्मी से बात करने के लिए अपना मोबाइल दिया ?
उत्तर :
1. राम्या और शर्मिष्ठा के बीच।
2. राम्या को अपनी मम्मी से बात करनी थी।
3. (ग) गाँव।
4. हर गरीब-अमीर के पास।
5. मोबाइल के प्रयोग ने।
6. एस०एम०एस० करते रहते हैं।
7. विस्फोट करने में।
8. जेलों से।
9. बुराई।
10. शर्मिष्ठा ने।
कविता –
5. कविता को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
प्रश्न :
1. कवि ने पगली को कहाँ देखा था ?
2. नाक को ढके बिना कहाँ से नहीं गुजरा जा सकता था ?
(क) गंदी नाली के पास से
(ग) गंदे कपड़ों के पास से
(ख) कूड़े के ढेर के पास से
(घ) सड़े हुए फलों के पास से
3. कवि ने किस महीने में पगली को देखा था ?
4. पगली का शरीर किससे ढका हुआ था ?
5. पगली क्यों चिल्ला रही थी ?
6. पगली की वाणी थी –
(क) कोमल
(ख) कटु-कर्कश
(ग) सहज
(घ) शांत
7. पगली का रूप आकार क्या था ?
8. ‘दैव की मारी’ से तात्पर्य है –
(क) किस्मत की मारी
(ख) भूख की मारी
(ग) रिश्तेदारों की सताई हुई
(घ) गरीबी की मारी
9. कवि ने पगली के पागलपन का कारण किसे माना है ?
10. कवि का स्वर कैसा है ?
उत्तर :
1. कॉलेज के निकट, कच्ची सड़क के पास।
2. (क) गंदी नाली के पास से।
3. पौष के महीने में।
4. गंदे काले चिथड़ों से।
5. पगली पागलपन के कारण चिल्ला रही थी। उसके अवचेतन मन में पागल हो जाने के दुखदायी कारण छिपे हुए थे।
6. (ख) कटु-कर्कश।
7. वह कुबड़ी काली थी।
8. (क) किस्मत की मारी।
9. कवि ने किसी एक को पगली के पागलपन का कारण नहीं बताया। उसने अनेक संभावनाएँ प्रकट की हैं।
10. मानवतावादी।