Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Questions and Answers
माखक –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उस ज़मीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें और मकान बनाना चाहते थे। इसी कारण समुद्र धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे थे।
प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर :
लेखक का घर पहले ग्वालियर में था। अब वह वर्सेवा (मुंबई) में रहता है।
प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर :
जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।
प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर :
कबूतर का एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया था और दूसरा लेखक की माँ के हाथ से गिरकर टूट गया था। दोनों अंडे टूट जाने के कारण ही कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
लिखित –
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर :
नूह एक पैग़ंबर था, जिसका असली नाम लशकर था। सारी उम्र रोते रहने के कारण ही उसे नूह के नाम से याद किया जाता है। उन्होंने एक बार एक ज़ख़्म कुत्ते को दुत्कार दिया। कुत्ते ने उन्हें कहा कि वह ईश्वर की मर्ज़ी से कुत्ता बना है और वही सबका मालिक है। इसी बात को याद करके नूह सारा जीवन रोते रहे और अपनी गलती पर पछताते रहे।
प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं और क्यों ?
उत्तर :
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों के पत्तों को तोड़ने से मना करती थीं। उनका विश्वास था कि संध्या के समय फूलों को तोड़ने से फूल-पत्तियाँ बदुदुआ देते हैं और पेड़ रोते हैं। वे पेड़ों की पत्तियों और फूलों में भी जीवन का होना मानती थीं।
प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :
प्रकृति में आए असंतुलन के भयंकर परिणाम सामने आए हैं। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, असमय वर्षा होना, भूकंप, बाढ़ तथा तूफान आना, नए-नए रोगों का बढ़ना आदि प्रकृति में आए असंतुलन के ही परिणाम हैं।
प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा ?
उत्तर :
लेखक की माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाकर उसे दूसरे स्थान पर रखने की कोशिश की। इस बीच वह उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इस पाप के पश्चाताप के लिए ही लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा रखा।
प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक जब ग्वालियर में रहता था, तो वहाँ लोगों के मन में सभी प्राणियों के लिए दया के भाव थे; पशु-पक्षियों के प्रति भी करुणा दिखाई जाती थी। लेकिन मुंबई में सबकुछ बदला हुआ था। मुंबई में जंगलों और समुद्र को नष्ट करके बस्तियाँ बसाई जा रही थीं। इन जंगलों और समुद्र में रहने वाले जीव-जंतुओं के विषय में किसी को कोई चिंता नहीं थी।
प्रश्न 6.
‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘डेरा डालने’ से तात्पर्य अल्पकालिक निवास है। जब कोई अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले किसी जगह पर कुछ देर के लिए रुकता है, वो उसे ‘डेरा डालना’ कहते हैं; जैसे-‘आज रात यहीं डेरा डाल लो, सुबह फिर यात्रा शुरू करेंगे’।
प्रश्न 7.
शेख अयाज्त के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए ?
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता भोजन करने से पूर्व कुएँ पर नहाने गए थे। जब वे भोजन करने बैठे, तो उन्होंने देखा कि उनकी बाजू पर एक काला च्योंटा रेंग रहा है। वह नहाते समय उनके बाजू पर चढ़ गया था। वे भोजन छोड़कर उस च्योंटे को उसके घर कुएँ में वापस छोड़ने के लिए ही उठ खड़े हुए थे।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशुपक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है ? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर :
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाकर उसकी ज़मीन पर अपने रहने की जगह बना ली है। पेड़ों की निरंतर कटाई की जा रही है तथा लगातार प्रदूषण के फैलने से पशु-पक्षी बस्तियों से दूर हो गए हैं। पर्यावरण का पूरा संतुलन बिगड़ गया है। पर्यावरण के इसी असंतुलन के कारण अब अधिक गर्मी और असमय वर्षा होने लगी है। समय-समय पर आने वाले भूकंप, बाढ़ और तरह-तरह की बीमारियाँ भी इसी का परिणाम हैं। बढ़ती हुई आबादी से चारों ओर वातावरण प्रदूषित हो गया है, जिससे मनुष्य का साँस लेना भी कठिन होता जा रहा है।
प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर :
लेखक के फ्लैट में कबूतरों ने अपना घोंसला बना लिया था। उन कबूतरों के बच्चे छोटे थे, जिससे वे उन्हें भोजन देने के लिए दिन में आने-जाने लगे। वे कबूतर बार-बार आते-जाते कभी कोई चीज़ गिराकर तोड़ देते थे, तो कभी लेखक की लाइब्रेरी में घुसकर किताबें नीचे गिरा देते थे। लेखक की पत्नी कबूतरों की इस प्रकार की हरकतों से परेशान हो गई। उन कबूतरों को घर में आने-जाने से रोकने के लिए ही उसे खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।
प्रश्न 3.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में समुद्र के गुस्से का क्या कारण था? उसे अपना गुस्सा कैसे शांत किया?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को धीरे-धीरे पीछे धकेलकर उसकी जमीन पर इमारतें बनाते जा रहे थे। जब इन बिल्डरों ने समुद्र की सारी जगह पर अधिकार करना चाहा, तो समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपना गुस्सा निकालने के लिए एक रात तीन समुद्री जहाज़ों को उठाकर तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा के कार्टर रोड के सामने गिरा और तीसरा गेटवेऑफ़ इंडिया पर गिरकर बुरी तरह टूट गया। इस प्रकार समुद्र ने गुस्से को प्रकट करके बिल्डरों को चेतावनी दी थी।
प्रश्न 4.
‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में सबकुछ नश्वर है। मनुष्य अपने आप पर व्यर्थ ही अभिमान करता है। अंततः नष्ट होकर वह मिट्टी में ही मिल जाता है। जीवन-भर बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। मिट्टी में मिल जाने पर यह पहचानना कठिन हो जाता है कि यह किसकी मिट्टी है। लेखक के कहने का भाव यह है कि मनुष्य को अंत में मिट्टी में ही विलीन हो जाना है। अत: उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
प्रश्न :
1. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था।
2. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
3. इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. लेखक का आशय है कि नेचर अर्थात प्रकृति भी एक सीमा तक सबकुछ सहन करती है। जब मनुष्य प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ करता है, तो वह उसे अवश्य दंडित करती है। जब प्रकृति को गुस्सा आता है, तो वह तबाही मचा देती है। कुछ साल पहले बंबई में भी प्रकृति के ऐसे ही गुस्से का एक उदाहरण देखने को मिला था। तब समुद्र ने तीन समुद्री जहाजों को मुंबई के तीन अलग अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त किया था। प्रकृति का गुस्सा अत्यंत भयानक होता है। अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
2. लेखक का आशय है कि जो जितना अधिक महान होता है, वह उतना ही अधिक विनम्र एवं शांत होता है। वह दूसरों पर कम क्रोधित होता है। जो महान होता है, वह प्रायः शांत रहकर अपना बड़प्पन दिखाता है। किंतु यदि कोई उसे बार-बार परेशान करता है, तो उसका गुस्सा भी भयंकर होता है। तब वह बहुत आक्रामक हो जाता है।
3. लेखक का आशय है कि बढ़ती हुई आबादी के कारण मनुष्य ने अनेक बस्तियों को बसाना शुरू कर दिया है। बस्तियों के बसाने के लिए उसने जंगलों को काट डाला है, जिससे जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षी बेघर हो गए हैं। बस्तियों ने इन पशु-पक्षियों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ पशु-पक्षी लोगों के बसने के कारण शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा पाए, उन्होंने इधर-उधर अपने रहने की जगह बना ली है। ये पशु-पक्षी इन बस्तियों के आस-पास ही मँडराते रहते हैं।
4. इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की प्राणीमात्र के प्रति करुणा की भावना व्यक्त हुई है। शेख अयाज़ के पिता शरीर पर चिपके च्योंटे को वापस उसके घर पहुँचा देते हैं। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने एक प्राणी को उसके घर से बेघर कर दिया है। उस बेघर हुए प्राणी के प्रति उनमें करुणा की भावना थी। इसी कारण वे भोजन छोड़कर पहले उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल देते हैं।
भाषा-अध्ययन –
प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिहुनों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे –
(क) माँ ने भोजन परोसा।
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।
उत्तर :
(क) माँ ने भोजन परोसा। – कतो कारक
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ। – संप्रदान कारक
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया। – अपादान कारक
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। – अधिकरण कारक
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो। – अधिकरण कारक
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए –
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर :
चींटी – चींटियाँ
घोड़ा – घोड़े
आवाज़ – आवाजें
बिल – बिलों
फ़ौज – फ़ौजें
रोटी – रोटियाँ
बिंदु – बिंदुओं
दीवार – दीवारें
टुकड़ा – टुकड़े
प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘दफा’ जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
सजा – सज़ा
नाज – नाज़
जरा – ज़रा
तेज – तेज़
निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए –
(क) आजकल ………. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को ……………….. दो। (सजा/सज़ा)
(ग) ………. चीनी तो देना। (जरा/जरा)
(घ) माँ दही ……… भूल गई। (जमाना/जमाना)
(ङ) दोषी को ……………… दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर …………… था। (तेज/तेज़)
उत्तर :
(क) आजकल ज़माना बहुत खराब है।
(ख) पूरे कमरे को सजा दो।
(ग) ज़रा चीनी तो देना।
(घ) माँ दही जमाना भूल गई।
(ङ) दोषी को सज़ा दी गई।
(च) महात्मा के चेहरे पर तेज था।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
पशु-पक्षी एवं वन्य संरक्षण केंद्रों में जाकर पशु-पक्षियों की सेवा-सुश्रूषा के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
परियोजना- कार्य –
प्रश्न 1.
अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आए असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु-पक्षियों का उपयोग किया गया हो
उत्तर :
एक दिन मैं सरकस देखने गया। वहाँ मैंने देखा कि मानव द्वारा अनेक पशु-पक्षियों का उपयोग मनोरंजन के लिए हो रहा था। वहाँ शेर और रीछ के कई कारनामे दिखाकर तथा बंदरों को इधर-उधर उछालकर लोगों का मनोरंजन किया जा रहा था। सरकस में हाथी का उपयोग भी मनोरंजन के लिए हो रहा था। इसके अतिरिक्त चिड़ियाघर में भी तोते, मैना, चिड़िया, शेर, बतख, मगरमच्छ, हाथी और अन्य जीव-जंतुओं का उपयोग मनुष्य के मनोरंजन के लिए ही होता है।
JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Important Questions and Answers
निबंधात्मक प्रश्न –
प्रश्न 1.
बादशाह सुलेमान और चींटियों से जुड़ी घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ईसा से 1025 वर्ष पूर्व सुलेमान नामक बादशाह हुए। वे मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भाषा भी जानते थे। एक बार वे अपनी सेना के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में कुछ चींटियों ने उनके घोड़ों की आवाज़ सुनी, तो वे डर गईं। उन्होंने एक-दूसरे से जल्दी-जल्दी बिलों में घुसने की बात कही। बादशाह सुलेमान ने उनकी बात सुन ली। उन्होंने चींटियों से कहा कि उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है। वे तो सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाले हैं। तब चींटियों ने उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना की और बादशाह अपनी मंजिल की ओर चले गए।
प्रश्न 2.
शेख अयाज़ के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए? इससे उनके व्यक्तित्व की किस विशेषता का पता चलता है ? अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता कुएँ पर नहाने गए थे। वहीं से काला च्योंटा उनके शरीर पर चढ़ गया था। जब उन्होंने अपनी बाजू पर उसे रेंगते देखा, तो तुरंत उसे वापस उसके घर अर्थात कुएँ में छोड़ने का निर्णय लिया। इसलिए वे अपना भोजन वहीं छोड़कर उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल पड़े। इस घटना से पता चलता है कि उनके हृदय में अन्य जीवों के लिए असीमित दया थी।
प्रश्न 3.
नूह सारा जीवन क्यों रोते रहे थे ?
उत्तर :
नूह का वास्तविक नाम लशकर था। एक बार उनके सामने से एक जख्मी कुत्ता गुज़रा। उन्होंने उसे दुत्कारते हुए कहा कि गंदे कुत्ते। मेरी नज़रों से दूर हो जाओ। उस जख्मी कुत्ते ने जवाब दिया कि तुम्हें इनसान और मुझे कुत्ता बनाने वाला ईश्वर एक है। अत: तुम्हें मुझसे इतनी घृणा नहीं करनी चाहिए। यह बात सुनकर नूह को अपनी भूल का अहसास हुआ। इसी भूल का पश्चाताप करने के लिए वे सारा जीवन रोते रहे। लेखक ने इस घटना का उल्लेख करते मानवता व दयालुता का उदाहरण देने के लिए किया है।
प्रश्न 4.
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर क्या किया है?
उत्तर :
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर संसार के अन्य प्राणियों के अधिकार छीने हैं। यद्यपि पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि का इस धरती पर समान अधिकार है, लेकिन मानव ने सारी धरती पर केवल अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है। पहले जहाँ पूरा संसार एक परिवार के समान रहता था, अब मानव-बुद्धि के कारण वह छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है। परिणामस्वरूप मिल-जुलकर रहने की भावना समाप्त होती जा रही है। वर्तमान समय में ऐसे अनेक परिवार देखने को मिल जाएँगे, जो अब संयुक्त न रहकर एकल में परिवर्तित हो गए हैं। यह भी मानव द्वारा बुद्धि प्रयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है।
प्रश्न 5.
बढ़ती हुई जनसंख्या का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर :
जनसंख्या के बढ़ने से मनुष्य ने अपने रहने के लिए पर्वत, जंगल और समुद्र को नष्ट करना शुरू कर दिया है। जंगलों को निरंतर काटा जा रहा है। इससे जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे सभी बेघर होकर इधर-उधर भटकने लगे हैं। कई जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ ही लुप्त होती जा रही हैं। जनसंख्या के बढ़ने से चारों ओर प्रदूषण फैल रहा है, जिससे पक्षी लोगों के निवास स्थानों से दूर होते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। इसके फलस्वरूप जीवों की अनेक प्रजातियाँ दिन-प्रतिदिन विलुप्त हो रही हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे। कैसे?
उत्तर :
सुलेमान बादशाह केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, अपितु वे सभी छोटे-बड़े, पशु-पक्षियों के भी हाकिम थे। वे उनकी भाषा जानते थे। वे मानव ही नहीं बल्कि प्राणीमात्र के हितचिंतक थे। उनके हृदय में प्राणीमात्र के प्रति गहन संवेदनाएँ एवं प्रेम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे।
प्रश्न 2.
शेख अयाज़ कौन थे? उन्होंने आत्मकथा में किस घटना का चित्रण किया है?
उत्तर :
शेख अयाज़ सिंधी भाषा के महाकवि थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने पिताजी के जीवन की एक उदारतापूर्ण घटना का चित्रण किया है, जिसमें उनके पिता एक च्योंटे को उसके घर पहुँचाने के लिए खाना छोड़कर उठ गए थे।
प्रश्न 3.
नूह का परिचय दीजिए।
उत्तर :
बाइबिल और दूसरे पावन-ग्रंथों में नूह नामक एक पैगंबर का वर्णन मिलता है। उनका असली नाम लशकर था, लेकिन अरब ने उनको नूह के जकब से याद किया है।
प्रश्न 4.
नूह ने कुत्ते को क्यों दुत्कारा? कुत्ते ने उनको क्या जवाब दिया?
उत्तर :
नूह ने कुत्ते को इसलिए दुत्कारा था, क्योंकि वह घायल और जख्मी अवस्था में उनके सामने आ गया था। कुत्ते ने उनकी दुत्कार सुनकर जवाब दिया कि न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ, न तुम अपनी पसंद से इनसान हो। बनाने वाला सबका तो वही एक है।
प्रश्न 5.
“सब की पूजा एक-सी, अलग-अलग है रीत।
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में जितने भी प्राणी हैं, उन सभी का प्रभु की पूज़ा करने का ढंग एक समान है। बस उनकी पूजा करने के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। जैसे एक मौलवी मस्ज़िद जाकर नमाज़ अदा करता है, तो कोयल गीत गाकर प्रभु की पूजा करती है।
प्रश्न 6.
संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यह संसार प्रकृति की अनुपम देन है। प्रकृति ने संपूर्ण संसार को एक परिवार की तरह बनाया है। उसने किसी में कोई अंतर नहीं किया। संसार में असंख्य पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि मौजूद हैं, किंतु इन सबकी संसार में बराबर की हिस्सेदारी है। प्रकृति के सम्मुख प्रत्येक प्राणी बराबर है, जो परस्पर परिवार के समान जुड़े हुए हैं। इस प्रकार संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है।
प्रश्न 7.
“नदियाँ सींचे खेत को, तोता कुतरे आम।
सूरज ठेकेदार-सा, सबको बाँटे काम॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में असंख्य प्राणी हैं। प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को उसकी क्षमता, शक्ति एवं बुद्धि के अनुसार अलग अलग कार्य बाँटे हैं। इसलिए यहाँ नदियों का कार्य खेतों का सिंचन करना है और तोते का कार्य आम खाना है। सूर्य एक ठेकेदार के समान है, जो सबमें कार्यों का बँटवारा करता है।
प्रश्न 8.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ लेखक द्वारा लिखा गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव होता था; वह दूसरों के दुख को अपना समझता था, किंतु आज स्थिति बदल गई है। आज वह एक-दूसरे का विरोधी बन गया है। आज प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है। लेखक मानव को प्रकृति से खिलवाड़ न करने तथा मिलजुल कर रहने का संदेश देना चाह रहा है।
प्रश्न 9.
पाठ में लेखक ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है ?
उत्तर :
लेखक अपनी माँ के विषय में बताते हुए कहता है कि उसके हृदय में सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ प्रकृति के कण-कण में जीवन तथा उसके मंगल की कामना करती थी। उसकी माँ को पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर, मुर्गे आदि में जीवन का अहसास होता था। वह इन सभी जीवों तथा प्रकृति के रूप को तंग न करने की भी बात करती थी।
प्रश्न 10.
कबूतर के अंडे को बचाते समय लेखक की माँ के साथ क्या घटना घटी?
उत्तर :
एक बार लेखक की माँ कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने का प्रयास कर रही थी। उसके इसी प्रयास में कबूतर का अंडा उसके हाथ से छिटककर ज़मीन पर गिर गया और टूट गया। इससे माँ का हृदय अत्यंत दुख से भर गया।
प्रश्न 11.
अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ ने उसका पश्चाताप कैसे किया?
उत्तर :
कबूतर का अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ स्वयं को उसका दोषी मान रही थी। वह इस बात से इतनी दुखी थी कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया-पीया। उसे यह घटना पाप के समान लग रही थी। अतः अपनी भूल का पश्चाताप करने हेतु वह सारा दिन नमाज़ पढ़ती रही।
प्रश्न 12.
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कौन करता था?
उत्तर :
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कबूतर करते थे। कभी कबूतर उसके पुस्तकालय में आकर उत्पात मचाते थे, तो कभी घर के अन्दर अन्य चीजों को तोड़-फोड़ देते थे। उनके इस उत्पात से लेखक और उसका परिवार बहुत परेशान था।
प्रश्न 13.
आपकी माँ आपको किन कार्यों के लिए प्रेरित करता है?
उत्तर :
मेरी माँ बहुत अच्छी हैं। वे मुझे प्रतिदिन अच्छी-अच्छी बातें सिखाती हैं। वे कहती हैं कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। किसी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए। प्रकृति को साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए। पशु-पक्षियों का आदर-सम्मान करना चाहिए। एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।
प्रश्न 14.
लेखक के मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति कैसे भाव थे?
उत्तर :
लेखक जन्म से ही धार्मिक स्वभाव का था। उसके मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति अगाध श्रद्धा थी। उसकी माँ अक्सर उसे हज़रत मुहम्मद का हवाला देते हुए उपदेश दिया करती थी। लेखक माँ के उन उपदेशों को मान भी लेता था।
प्रश्न
कुत्ते को नूह गंदा जीव क्यों मानते थे?
उत्तर :
नूह का धर्म इस्लाम था। वे पूर्णतः धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे। कुत्ते को इस्लाम में गंदा जीव कहा गया है। इस्लाम धर्म में आस्था नूह का पर होने के कारण वे कुत्ते को गंदा जीव मानते थे। इसलिए उन्होंने कुत्ते को दुत्कारा था।
प्रश्न 16.
समुद्र ने अपने गुस्से का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर :
मानव द्वारा लगातार प्रकृति से खिलवाड़ करने से समुद्र बहुत दुखी था। उसने अपने दुख को रोष के रूप में प्रकट करते हुए तीन जहाजों को आकाश में उछाल दिया। तीनों जहाज़ तीन अलग-अलग दिशाओं में जा गिरे। पहला जहाज वी तट पर जाकर उलट गया; दूसरा जहाज़ कार्टर रोड बाँद्रा में उल्टा जा गिरा; तीसरा गेटवे ऑफ़ इंडिया पर जाकर गिरा, जहाँ वह बुरी तरह से टूट-फूट गया।
प्रश्न 17.
पाठ के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग अब कम मिलते हैं।
उत्तर
दसरों के दख से दखी होने वाले लोग पहले बहत मिलते थे क्योंकि उनमें प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था. वे दसरों के दुख से दुखी हो जाते थे परन्तु आज लोग दूसरे के दुख को देखकर दुखी नहीं होते। मनुष्य ने धरती पर अधिकार करना शुरू कर दिया है, जिससे पशु, पक्षी, पर्वत, सागर आदि के प्रति भी उसके मन में करुणा नहीं है। जंगलों को काट कर बस्तियाँ बन रही हैं। पर्वतों को फाड़ा जा रहा है तथा सागर को पाट कर बिल्डिंगें बन रही हैं। स्वयं लेखक अपने घर में कबूतरों के बने घोंसले से परेशान होकर खिडकी में जाली लगाकर कबूतरों के घर में प्रवेश पर रोक लगा देता है। इससे स्पष्ट है कि अब दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग कम मिलते हैं।
अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Summary in Hindi
लेखक-परिचय :
जीवन – निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर सन 1938 को दिल्ली में हुआ, लेकिन इनका सारा बचपन ग्वालियर में बीता। निदा फ़ाज़ली उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। इनकी शेरो-शायरी पाठक के दिलो-दिमाग में सरलता से घर कर लेती है। निदा फ़ाज़ली को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए उन्हें 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया था। वर्तमान में निदा फ़ाज़ली फ़िल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं।
रचनाएँ – निदा फ़ाज़ली की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
लफ़्जों का पुल (कविता संग्रह), खोया हुआ सा कुछ (शायरी संग्रह)
दीवारों के बीच (आत्मकथा का पहला भाग), दीवारों के पार (आत्मकथा का दूसरा भाग)
तमाशा मेरे आगे (फ़िल्मी दुनिया पर लिखे संस्मरणों का संग्रह)
निदा फ़ाज़ली को सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रभावशाली काव्य रचना में महारत प्राप्त है। इनकी गद्य रचनाओं में भी शेर-ओ-शायरी को कुछ इस ढंग से पिरोया गया है कि वे थोड़े में ही बहुत कुछ कह जाते हैं। उनकी इस विशेषता ने उन्हें काफी लोकप्रिय बनाया है।
भाषा-शैली – निदा फ़ाज़ली की भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है। सरलता, सहजता, सरसता और प्रभावोत्पादकता इनकी भाषा-शैली की विशेषताएँ हैं। इनकी भाषा में रोचकता और प्रवाहमयता को भी सर्वत्र देखा जा सकता है। इन्होंने तत्सम व तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का सुंदर प्रयोग किया है। प्रस्तुत पाठ में इन्होंने बीच-बीच में जो दोहों और सूक्तियों का प्रयोग किया है, वह इनकी भाषा को चार चाँद लगा देता है। इनकी भाषा में कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – नेचर, बिल्डर, कार्टर रोड, गेटवे ऑफ़ इंडिया, फ्लैट, लाइब्रेरी आदि।
निदा फ़ाज़ली की शैली कहीं वर्णनात्मक है, तो कहीं आत्मकथात्मक है। कहीं-कहीं इन्होंने संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। इनकी शैली में अनेक ऐसे गुण हैं, जो उसे श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं।
पाठ का सार :
प्रस्तुत पाठ ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले निदा फ़ाज़ली द्वारा लिखी पुस्तक ‘तमाशा मेरे आगे’ में से लिया गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीव-जंतुओं के प्रति करुणा का भाव होता था। वह दूसरों के दुख से दुखी होता था, किंतु आज मनुष्य के हृदय में दूसरे के दुख को देखकर भी दुख के भाव नहीं उमड़ते। मनुष्य धरती पर अपना अधिकार करता जा रहा है, जिससे अन्य प्राणी बेघर होते जा रहे हैं। लेखक के अनुसार पहले मनुष्य के हृदय में प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था।
ईसा से 1025 वर्ष पूर्व हुए बादशाह सुलेमान चींटी तक की रक्षा किया करते थे। वे स्वयं को किसी के लिए मुसीबत न मानकर सभी प्राणियों पर करुणा बरसाते थे। एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए लेखक कहता है कि सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज की आत्मकथा में भी उनके पिता की सभी प्राणियों के प्रति करुणा की चलता है। वे लिखते हैं कि एक बार उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे, तो भोजन करते समय उन्होंने अपनी बाजू पर काले च्योंटे को रेंगते हुए देखा। वे तुरंत उस च्योंटे को उसके घर अर्थात् कुएँ में छोड़ने चल दिए। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने उसे बेघर कर दिया है।
प्राणियों के प्रति करुणा का एक अन्य उदाहरण नूह नाम के एक पैग़ंबर से जुड़ा हुआ है। एक बार उन्होंने एक ज़ख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था। कुत्ते ने जवाब दिया कि कोई अपनी मर्ज़ी से जानवर या इनसान नहीं बनता। सबको बनाने वाला खुदा है। तब नूह को अपनी गलती पर इतना पश्चाताप हुआ कि वे जीवन-भर एक कुत्ते को दुख पहुँचाने के दर्द से रोते रहे। लेखक कहता है कि सभी जीव-जंतुओं से प्रेम करने वाले और सबके प्रति करुणा का भाव रखने वाले ऐसे लोग अब नहीं हैं। अब तो मनुष्य ने सारी धरती पर अपना अधिकार करना शुरू कर दिया है। उसके हृदय में पशुओं, पक्षियों, पर्वतों, समंदरों के प्रति कोई करुणा का भाव नहीं है। मिल-जुलकर रहने की भावना भी उसमें धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है।
लेखक कहता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है। बस्तियाँ बसाने के लिए उसने पेड़ों को भी काटना शुरू कर दिया है, जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, भूकंप, बाढ़ और नए-नए रोगों का होना प्रकृति के इसी असंतुलन का परिणाम है। लेखक कहता है कि प्रकृति तंग आकर कई बार अपना गुस्सा भी प्रकट करती है। कुछ वर्ष पहले मुंबई में समुद्र ने तीन समुद्री जहाज़ों को अलग-अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त भी किया था।
लेखक कहता है कि उसकी माँ के हृदय में भी सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ पेड़ों की पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर और मुर्गे आदि में भी जीवन को महसूस करती थी और इन्हें तंग करने से मना करती थी। लेखक एक घटना का वर्णन करता है कि एक बार उसकी माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने की कोशिश की। इस कोशिश में वह अंडा उसके हाथ से गिरकर टूट गया। उसकी माँ इस बात से इतनी दुखी हुई कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया। उसे लगा कि उसके हाथ से पाप हो गया है और वह सारा दिन नमाज़ पढ़कर अपनी भूल पर पश्चाताप करती रही।
लेखक के अनुसार अब काफ़ी कुछ बदल गया है। मनुष्य लगातार बस्तियाँ बसाता जा रहा है, जिससे जंगलों को काटा जा रहा है। जंगलों के काटने से इसमें रहने वाले अनेक जीव-जंतु बेघर हो रहे हैं, लेकिन किसी को इसकी कोई चिंता नहीं है। लेखक कहता है कि उसके फ्लैट में भी कबूतरों ने जब घोंसला बनाया, तो वह परेशान हो उठा था। उसकी पत्नी ने कबूतरों के आने-जाने को रोकने के लिए खिड़की में जाली लगा दी थी। लेखक दुख प्रकट करता है कि अब जीव-जंतुओं के प्रति किसी के हृदय में करुणा का भाव नहीं है। सभी प्राणियों से प्रेम करने वाले और दूसरों के दुख में दुखी होने वाले लोग अब इस संसार में नहीं हैं।
कठिन शब्दों के अर्थ :
बादशाह – राजा, हाकिम – राजा, मालिक, दफा – बार, रखवाला – रक्षा करने वाला, जिक्र – वर्णन, बेघर – घर से रहित, लश्कर (लशकर) – सेना, विशाल जनसमुदाय, लकब – पद सूचक नाम, जख्मी – घायल, मर्जी – इच्छा, मुद्दत – काफ़ी समय, प्रतीकात्मक – प्रतीकस्वरूप, एकांत – अकेलापन, दालान – बरामदा, सिमटना – सिकुड़ना, आबादी – जनसंख्या, बेवक्त – बिना समय के, असमय,
जलजले – भूकंप, लानी – ऐसे पर्यटक जो भ्रमण कर नए-नए स्थानों के विषय में जानना चाहते हैं, काबिल – योग्य, अजीज़ – प्रिय प्यारा, मज़ार – दरगाह, कब्र, गुंबद – मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे आदि के ऊपर बनी गोल छत, अज़ान – नमाज़ के समय की सूचना जो मस्जिद की छत या दूसरी ऊँची जगह पर खड़े होकर दी जाती है, डेरा – अस्थायी पड़ाव, गुनाह – पाप, खुदा – ईश्वर, परिंदे – पक्षी, खामोश – चुप।