JAC Class 10 Sanskrit रचना अनुवाद कार्यम्

Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions रचना अनुवाद कार्यम् Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10th Sanskrit Rachana अनुवाद कार्यम्

हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद :

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय कर्ता, कर्म, क्रिया तथा अन्य शब्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष या वचन में हो, उसी के अनुरूप पुरुष, वचन तथा काल के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना चाहिए। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए –

1. कारक

संज्ञा और सर्वनाम के वे रूप जो वाक्य में आये अन्य शब्दों के साथ उनके सम्बन्ध को बताते हैं, ‘कारक’ कहलाते हैं। मुख्य रूप से कारक छः प्रकार के होते हैं, किन्तु ‘सम्बन्ध’ और ‘सम्बोधन’ सहित ये आठ प्रकार के होते हैं। संस्कृत में इन्हें ‘विभक्ति’ भी कहते हैं। इन विभक्तियों के चिह्न प्रकार हैं –

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नोट – जिस शब्द के आगे जो चिह्न लगा हो, उसके अनुसार विभक्ति का प्रयोग करते हैं। जैसे – राम ने यहाँ पर राम के आगे ‘ने’ चिह्न है। अतः राम शब्द में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग करते हुए ‘रामः’ लिखा जायेगा।
‘रावण को’ यहाँ पर रावण के आगे ‘को’ यह द्वितीया विभक्ति का चिह्न है। अतः ‘रावण’ शब्द में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग करके ‘रावणम्’ लिखा जायेगा।

‘बाण के द्वारा’ यहाँ पर बाण शब्द के बाद के द्वारा’ यह तृतीया का चिह्न लगा है। अतः ‘बाणेन’ का प्रयोग किया जायेगा। इसी प्रकार अन्य विभक्तियों के प्रयोग के विषय में समझना चाहिए।

यह बात विशेष ध्यान रखने की है कि जिस पुरुष तथा वचन का कर्ता होगा, उसी पुरुष तथा वचन की क्रिया भी प्रयोग की जायेगी। जैसे –
‘पठामि’ इस वाक्य में कर्ता, ‘अहम्’ उत्तम पुरुष तथा एकवचन है तो क्रिया भी उत्तम पुरुष, एकवचन की है। अतः ‘पठामि’ का प्रयोग किया गया है।

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2. पुरुष

पुरुष तीन होते हैं, जो निम्न हैं –

(अ) प्रथम पुरुष – जिस व्यक्ति के विषय में बात की जाय, उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। इसे अन्य पुरुष भी कहते हैं। जैसे-सः = वह। तौ = वे दोनों। ते = वे सब। रामः = राम। बालकः = बालक। कः = कौन। भवान् = आप (पुं.)। भवती = आप (स्त्री.)।
(ब) मध्यम पुरुष – जिस व्यक्ति से बात की जाती है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे- त
अहम् = मैं। आवाम् = हम दोनों। वयम् = हम सब।

3. वचन

संस्कृत में तीन वचन माने गये हैं –
(अ) एकवचन – जो केवल एक व्यक्ति अथवा एक वस्तु का बोध कराये, उसे एकवचन कहते हैं। एकवचन के कर्ता के साथ एकवचन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है। जैसे…’अहं गच्छामि’ इस वाक्य में एकवचन कर्ता, ‘अहम्’ तथा एकवचन की क्रिया ‘गच्छामि’ का प्रयोग किया गया है।
(ब) द्विवचन – दो व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिए द्विवचन का प्रयोग होता है। जैसे – ‘आवाम्’ तथा क्रिया ‘पठावः’ दोनों ही द्विवचन में प्रयुक्त हैं।।
(स) बहुवचन – तीन या तीन से अधिक व्यक्ति अथवा वस्तुओं का बोध कराने के लिये बहुवचन का प्रयोग कियां जाता है। जैसे – ‘वयम् पठामः’ इस वाक्य में अनेक का बोध होता है। अतः कर्ता ‘वयम्’ तथा क्रिया ‘पठामः’ दोनों ही बहुवचन में प्रयुक्त हैं।

4. लिंग

संस्कृत में लिंग तीन होते हैं –
(अ) पुल्लिंग – जो शब्द पुरुष -जाति का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे ‘रामः काशी गच्छति’ (राम काशी जाता है) में ‘राम’ पुल्लिंग है।
(ब) स्त्रीलिंग – जो शब्द स्त्री-जाति का बोध कराये, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे—गीता गृहं गच्छति’ (गीता घर जाती है।) इस वाक्य में ‘गीता’ स्त्रीलिंग है।
(स) नपुंसकलिंग – जो शब्द नपुंसकत्व (न स्त्री, न पुरुष) का बोध कराये, उसे नपुंसक-लिंग कहते हैं। जैसे धनम्, वनम्, फलम्, पुस्तकम, ज्ञानम्, दधि, मधु आदि।

5. धान

क्रिया अपने, मूल रूप में धातु कही जाती है। जैसे – गम् = जाना, हस् = हँसना। कृ = करना, पृच्छ् = पूछना। ‘भ्वादयो धातवः’ सूत्र के अनुसार क्रियावाची – ‘भू’, ‘गम्’, ‘पठ्’ आदि की धातु संज्ञा होती है।

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6. लकार

लकार – ये क्रिया की विभिन्न अवस्थाओं तथा कालों (भूत, भविष्य, वर्तमान) का बोध कराते हैं। लकार दस हैं, इनमें पाँच प्रमुख लकारों का विवरण निम्नवत् है :

(क) लट् लकार (वर्तमान काल) – इस काल में कोई भी कार्य प्रचलित अवस्था में ही रहता है। कार्य की समाप्ति नहीं होती। वर्तमान काल में लट् लकार का प्रयोग होता है। इस काल में वाक्य के अन्त में ‘ता है’, ‘ती है’, ‘ते हैं’ का प्रयोग होता है जैसे राम पुस्तक पढ़ता है।
(रामः पुस्तकं पठति।) बालक हँसता है।
(बालकः हसति।) हम गेंद से खेलते हैं।
(वयं कन्दुकेन क्रीडामः।) छात्र दौड़ते हैं।
(छात्राः धावन्ति।) गीता घर जाती है। (गीता गृहं गच्छति।)

(ख) लङ् लकार (भूतकाल) – जिसमें कार्य की समाप्ति हो जाती है, उसे भूतकाल कहते हैं। भूतकाल में लङ् लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
राम गाँव गया। (रामः ग्रामम् अगच्छत्।)
मैंने रामायण पढ़ी। (अहम् रामायणम् अपठम्।)
मोहन वाराणसी गया। (मोहनः वाराणीसम् अगच्छत्।)
राम राजा हुए। (रामः राजा अभवत्।)
उसने यह कार्य किया। (सः इदं कार्यम् अकरोत्।)

(ग) लट् लकार (भविष्यत् काल) – इसमें कार्य आगे आने वाले समय में होता है। इस काल के सूचक वर्ण गा, गी, गे आते हैं। जैसे –
राम आयेगा। (रामः आगमिष्यति।)
मोहन वाराणसी जायेगा। (मोहन: वाराणसी गमिष्यति।)
वह पुस्तक पढ़ेगा। (सः पुस्तकं पठिष्यति।)
रमा जल पियेगी। (रमा जलं पास्यति।)

(घ) लोट् लकार (आज्ञार्थक) – इसमें आज्ञा या अनुमति का बोध होता है। आशीर्वाद आदि के अर्थ में भी इस लकार का प्रयोग होता है। जैसे –
वह विद्यालय जाये। (सः विद्यालयं गच्छतु।)
तुम घर जाओ। (त्वं गृहं गच्छ।)
तुम चिरंजीवी होओ। (त्वं चिरंजीवी भव।)
राम पुस्तक पढ़े। (रामः पुस्तकं पठतु।)
जल्दी आओ। (शीघ्रम् आगच्छ।)

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(ङ) विधिलिङ् लकार’चाहिए’ के अर्थ में इस लकार का प्रयोग किया जाता है। इससे निमन्त्रण, आमन्त्रण तथा सम्भावना आदि का भी बोध होता है। जैसे –
उसे वहाँ जाना चाहिए। (सः तत्र गच्छेत्।)
तुम्हें अपना पाठ पढ़ना चाहिए। (त्वं स्वपाठं पठेः।)
मुझे वहाँ जाना चाहिए। (अहं तत्र गच्छेयम्।)
हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करते समय सर्वप्रथम कर्ता को खोजना चाहिए। कर्ता जिस पुरुष एवं वचन का हो, उसी पुरुष एवं वचन की क्रिया भी प्रयोग करनी चाहिए।
कर्ता कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं। जैसे – ‘देवदत्तः पुस्तकं पठति’ यहाँ पर पढ़ने का काम करने वाला देवदत्त है। अतः देवदत्त कर्ता है।
कर्म-कर्ता जिस काम को करे वह कर्म है। जैसे – ‘भक्तः हरि भजति’ में भजन रूपी कार्य करने वाला भक्त है। वह हरि को भजता है। अतः हरि कर्म है।
क्रिया-जिससे किसी कार्य का करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-जाना, पढ़ना, हँसना, खेलना आदि क्रियाएँ हैं।
निम्न तालिका से पुरुष एवं वचनों के 3-3 प्रकारों का ज्ञान भलीभाँति सम्भव है –

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इस प्रकार स्पष्ट है कि कर्ता के इन प्रारूपों के अनुसार प्रत्येक लकार में तीनों पुरुषों एवं तीनों वचनों के लिए क्रिया के भी ‘नौ’ ही रूप होते हैं। अब निम्नतालिका से कर्ता एवं क्रिया के समन्वय को समझिये –

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नोट – संज्ञा शब्दों को प्रथम पुरुष मानकर उनके साथ क्रियाओं का प्रयोग करना चाहिए। निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा कर्ता के अनुरूप क्रिया-पदों का प्रयोग करना सीखें –

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नोट – भवान् एवं भवती को प्रथम पुरुष मानकर इनके साथ प्रथम पुरुष की ही क्रिया का प्रयोग करना चाहिए।

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सर्वनामों का तीनों लिंगों में प्रयोग

संज्ञा के बदले में या संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे—अहम् = मैं। त्वम् = तुम। अयम् = यह। कः = कौन। यः = जो। सा = वह। तत् = वह। सः = वह आदि। केवल ‘अपने और तुम्हारे’ बोधक ‘अस्मद् और ‘युष्मद्’ सर्वनामों का प्रयोग तीनों लिंगों में एक रूप ही रहता है, शेष का पृथक् रूप रहता है।

प्रथम पुरुष तद् सर्वनाम (वह-वे) का प्रयोग

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जब कर्ता प्रथम पुरुष का हो तो क्रिया भी प्रथम पुरुष की ही प्रयोग की जाती है। जैसे –

वह जल पीता है। सः जलं पिबति।
वे दोनों हँसते हैं। तौ हसतः।
वे सब लिखते हैं। ते लिखन्ति।

स्त्रीलिंग प्रथम पुरुष में –

वह पढ़ती है। सा पठति।
वे दोनों जाती हैं। ते गच्छतः।
वे सब हँसती हैं। ताः हसन्ति।

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नपुंसकलिंग प्रथम पुरुष में –

वह घर है। तद् गृहम् अस्ति।
वे दोनों पुस्तकें हैं। ते पुस्तके स्तः।
वे सब फल हैं। तानि फलानि सन्ति।

विद्यार्थी इस श्लोक को कण्ठस्थ करें :

उत्तमाः पुरुषाः ज्ञेयाः – अहम् आवाम् वयम् सदा।
मध्यमाः त्वम् युवाम् यूयम्, अन्ये तु प्रथमाः स्मृताः।।

अर्थात् अहम्, आवाम्, वयम् – उत्तम पुरुषः; त्वम्, युवाम्, यूयम् – मध्यम पुरुष; (शेष) अन्य सभी सदा प्रथम पुरुष जानने चाहिए।

उदाहरण – लट् लकार (वर्तमान काल) (गम् धातु = जाना) का प्रयोग

प्रथम पुरुष –

1. सः गच्छति। वह जाता है।
2. तौ गच्छतः। वे दोनों जाते हैं।
3. ते गच्छन्ति। वे सब जाते हैं।

मध्यम पुरुष –

4. त्वं गच्छसि। तुम जाते हो।
5. युवां गच्छथः। तुम दोनों जाते हो।
6. यूयं गच्छथ। तुम सब जाते हो।

उत्तम पुरुष –

7. अहं गच्छामि मैं जाता हूँ।
8. आवां गच्छावः। हम दोनों जाते हैं।
9. वयं गच्छामः। हम सब जाते हैं।

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उपर्युक्त उदाहरणों में ‘प्रथम पुरुष’ के कर्ता-पद क्रमशः ‘सः, तौ, ते’ दिये गये हैं। इनके स्थान पर किसी भी संज्ञा-सर्वनाम के रूप रखे जा सकते हैं। जैसे-गोविन्दः गच्छति, बालकौ गच्छतः, मयूराः नृत्यन्ति ।

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नट् – लकार (वर्तमान काल) की क्रिया में ‘स्म’ लगाकर लङ् लकार (भूतकाल) में अनुवाद किया जा सकता है। प्रायः वाक्य के अन्त में यदि ‘था’ लगा रहता है, तभी इसका प्रयोग करते हैं। जैसे –

1. वन में सिंह रहता था। वने सिंहः निवसति स्म।
2. बालक खेलता था। बालकः क्रीडति स्म।

उदाहरण – लुट् लकार (भविष्यत् काल) (लिख धातु = लिखना) का प्रयोग

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उदाहरण – लोट् लकार (आज्ञार्थक) (कथ् धातु = कहना)

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उदाहरण – विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक-चाहिए के अर्थ में)

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उत्तम पुरुष –

अहं तिष्ठेयम् मुझे ठहरना चाहिए।
आवां तिष्ठेव हम दोनों को ठहरना चाहिए।
वयं तिष्ठेम। हम सबको ठहरना चाहिए।

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नोट – विधिलिङ् लकार में कर्ता में कर्म कारक जैसा चिह्न लगा रहता है। जैसे-उसे, उन दोनों को, तुमको आदि। किन्तु ये कार्य के करने वाले (कर्ता) हैं। अतः इनमें प्रथमा विभक्ति (कर्ता कारक) का ही प्रयोग किया जाता है।
निर्देश – अधोलिखितवाक्यानां संस्कृतेऽनुवादो विधेयः

JAC Class 10 Sanskrit रचना अनुवाद कार्यम् 10

अभ्यासः

प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. मोहन दौड़ता है।
2. बालक पढ़ता है।
3. राधा भोजन पकाती है।
4. छात्र देखता है।
5. गीदड़ आता है।
6. वह प्रश्न पूछता है।
उत्तरम :
1. मोहनः धावति।
2. बालकः पठति।
3. राधा भोजनं पचति।
4. छात्रः पश्यति।
5. शृगालः आगच्छति।
6. सः प्रश्नं पृच्छति।

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प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. बन्दर फल खाता है।
2. दो बच्चे पढ़ते हैं।
3. वे सब दौड़ते हैं।
4. बालक चित्र देखते हैं।
5. माता जी कहानी कहती हैं।
6. मोहन और सोहन पत्र लिखते हैं।
उत्तरम :
1. कपिः फलं भक्षयति।
2. शिशू पठतः।
3. ते धावन्ति।
4. बालकाः चित्रं पश्यन्ति।
5. जननी कथां कथयति।
6. मोहनः सोहनः च पत्रं लिखतः।

प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. दो छात्र क्या देखते हैं?
2. दो बालक पाठ पढ़ते हैं।
3. सिंह वन में दौड़ता है।
4. हाथी गाँव को जाता है।
5. सीता वन को जाती है।
6. राम और श्याम हँसते हैं।
उत्तरम :
1. छात्रौ किं पश्यतः?
2. बालकौ पाठं पठतः।
3. सिंहः वने धावति।
4. गजः ग्रामं गच्छति।
5. सीता वनं गच्छति।
6. रामः श्यामः च हसतः।

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प्रश्न 4.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. बालक पाठ याद करता है।
2. किसान बकरी ले जाता है।
3. तुम पाठ पढ़ते हो।
4. तुम क्या देखते हो?
5. तुम कब जाते हो?
6. तुम दोनों चित्र देते हो।
उत्तरम :
1. बालकः पाठं स्मरति।
2. कृषक: अजां नयति।
3. त्वं पाठं स्मरसि।
4. त्वं किं पश्यसि?
5. त्वं कदा गच्छसि?
6. युवां चित्रं यच्छथः।

प्रश्न 5.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. तुम दोनों पत्र लिखते हो।
2. तुम सब यहाँ आते हो।
3. तुम सब प्रातः दौड़ते हो।
4. तुम दोनों फल खाते हो।
5. तुम यहाँ आते हो।
6. तुम सब कहाँ जाते हो?
उत्तरम :
1. युवां पत्रं लिखथः।
2. यूयं अत्र आगच्छथ।
3. यूयं प्रातः धावथ।
4. युवां फलं भक्षयथः।
5. त्वम् अत्र आगच्छसि।
6. यूयं कुत्र गच्छथ?

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प्रश्न 6.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृत अनुवादं कुरुत –
1. तुम दोनों पाठ याद करते हो।
2. तुम क्या पीते हो?
3. मैं दूध पीता हूँ।
4. हम दोनों कहाँ जाते हैं?
5. हम सब कहानी कहते हैं।
6. मैं मयूर देखता हूँ।
उत्तरम :
1. युवां पाठं स्मरथः।
2. त्वं किं पिबसि?
3. अहं दुग्धं पिबामि।
4. आवां कुत्र गच्छावः?
5. वयं कथां कथयामः।
6. अहं मयूरं पश्यामि।

प्रश्न 7.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. हम दोनों जल पीते हैं।
2. हम सब खेल के मैदान को जाते हैं।
3. मैं क्या खाता हूँ?
4. हम दोनों क्या पकाती हैं?
5. हम सब प्रश्न पूछती हैं।
6. हम दोनों क्या लिखती हैं?
उत्तरम :
1. आवां जलं पिबावः।
2. वयं क्रीडाक्षेत्रं गच्छामः।
3. अहं किं भक्षयामि?
4. आवां किं पचावः?
5. वयं प्रश्नं पृच्छामः।
6. आवां किं लिखावः?

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प्रश्न 8.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. हम दोनों क्यों हँसती हैं?
2. मैं कब पुस्तकें लाती हूँ?
3. मोहन प्रातः व्यायाम करता है।
4. राधा खाना पकाती है।
5. राम कक्षा में पढ़ता है।
6. रमेश मेरा मित्र है।
उत्तरम :
1. आवां किमर्थं हसाव:?
2. अहं कदा पुस्तकानि आनयामि?
3. मोहनः प्रातः व्यायाम करोति।
4. राधा भोजनं पचति।
5. रामः कक्षायां पठति।
6. रमेशः मम मित्रम् अस्ति।

प्रश्न 9.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. यह मेरा घर है।
2. वह एक शिक्षक है।
3. वह सिनेमा देखता है।
4. घोड़ा घास खाता है।
5. वे फल चाहते हैं।
6. तुम सब धन चुराते हो।
उत्तरम :
1. एतत् मम गृहम् अस्ति।
2. सः एकः शिक्षकः अस्ति।
3. सः चलचित्रं पश्यति।
4. अश्वः घासं भक्षयति।
5. ते फलम् इच्छन्ति।
6. यूयं धनं चोरयथ।

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प्रश्न 10.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. नदी में जल है।
2. विद्यालय में अध्यापक हैं।
3. वह गाँव को गया।
4. ब्राह्मण घर गया।
5. उसने स्नान किया।
6. राम और मोहन पढ़े।
उत्तरम :
1. नद्यां जलम् अस्ति।
2. विद्यालये अध्यापकाः सन्ति।
3. सः ग्रामम् अगच्छत्।
4. विप्रः गृहम् अगच्छत्।
5. सः स्नानम् अकरोत्।
6. रामः मोहनः च अपठताम्।

प्रश्न 11.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णां वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. वे दोनों बाग को गये।
2. सीता पानी लायी।
3. लड़की ने खाना खाया।
4. क्या तुम्हारा भाई यहाँ आया?
5. तुम लोग कहाँ गये?
6. सीता ने एक पत्र लिखा।
उत्तरम :
1. तौ उद्यानम् अगच्छताम्।
2. सीता जलम् आनयत्।
3. बालिका भोजनम् अभक्षयत्।
4. किं तव सहोदरः अत्र आगच्छत् ?
5. यूयं कुत्र अगच्छथ?
6. सीता एक पत्रम् अलिखत्।

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प्रश्न 12.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. राजा ने रक्षा की।
2. वह प्रसन्न हुआ।
3. उसका मित्र आया।
4. कृष्ण ने अर्जुन से कहा।
5. मुनि ने तप किया।
6. शिशु भयभीत था।
उत्तरम :
1. नृपः अरक्षत्।
2. सः प्रसन्नः अभवत्।
3. तस्य मित्रम् आगच्छत्।
4. कृष्णः अर्जुनम् अकथयत्।
5. मुनिः तपः अकरोत्।
6. शिशुः भयभीतः आसीत्।

प्रश्न 13.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत-.
1. मैंने चोरों को देखा।
2. राम ने सदा सत्य बोला।
3. सेवक ने अपना कार्य किया।
4. धनिक ने धन दिया।
5. अध्यापक क्रुद्ध हुआ।
6. तुमने कल क्या किया?
उत्तरम :
1. अहं चौरान् अपश्यम्।
2. रामः सदा सत्यम् अवदत्।
3. सेवकः स्वकार्यम् अकरोत्।
4. धनिकः धनम् अयच्छत्।
5. अध्यापकः क्रुद्धः अभवत्।
6. त्वं ह्यः किम् अकरो:?

प्रश्न 14.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. हमने झूठ नहीं बोला।
2. पिता ने पुत्र को पीटा।
3. ब्रह्मदत्त जावेगा।
4. मोहनश्याम पत्र लिखेगा।
5. लड़के पाठ पढ़ेंगे।
6. तुम पाठ याद करोगे।
उत्तरम :
1. वयम् असत्यं न अवदाम।
2. जनकः पुत्रम् अताडयत्।
3. ब्रह्मदत्त: गमिष्यति।
4. मोहनश्यामः पत्रं लेखिष्यति।
5. बालकाः पाठं पष्ठियन्ति।
6. त्वं पाठं स्मरिष्यसि।

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प्रश्न 15.
अधोलिखितेषु षड्सु वाक्येषु केषाञ्चन चतुर्णा वाक्यानां संस्कृतेन अनुवादं कुरुत –
1. सीता वन को जावेगी।
2. वे सब चित्र देखेंगे।
3. प्रमिला खाना पकायेगी।
4. तुम दोनों दूध पियोगे।
5. छात्र खेल के मैदान में दौड़ेंगे।
6. मैं क्या करूँगा?
उत्तरम :
1. सीता वनं गमिष्यति।
2. ते चित्रं द्रक्ष्यन्ति।
3. प्रमिला भोजनं पक्ष्यति।
2. युवां दुग्धं पास्यथः।
5. छात्राः क्रीडाक्षेत्रे धाविष्यन्ति।
6. अहं किं करिष्यामि?

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