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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 14 उर्जा के स्रोत
→ सूर्य – पृथ्वी के लिए ऊर्जा का सबसे अधिक प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत सूर्य है। सूर्य ऊर्जा के सभी रूपों का आदि स्रोत है। इसका भार 1029 टन है तथा यह पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर हैं।
→ सौर ऊर्जा सूर्य द्वारा विमोचित प्रकाश और ऊष्मीय ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। यह विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं।
→ सौर ऊर्जा का स्त्रोत- सूर्य की ऊर्जा का स्रोत इसके नाभिक में उपस्थित हाइड्रोजन नाभिकों का उच्च दाब व ताप (लगभग 107K) पर संलयित होकर हीलियम नाभिक का बनना है।
→ सूर्य प्रकाश का संघटन सूर्य का प्रकाश तीन प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगों से मिलकर बना है –
- पराबैंगनी तरंगें
- दृश्य प्रकाश तरंगें (बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल)
- अवरक्त तरंगें।
→ सौर ऊर्जा का पृथ्वी द्वारा अवशोषण – पृथ्वी के वायुमण्डल की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ग मीटर लगभग 136 जूल ऊर्जा प्रति सेकण्ड प्राप्त करता है, परन्तु इसका केवल 47% भाग ही पृथ्वी के धरातल पर पहुँचता है।
→ प्रकाश संश्लेषण- हरे पौधों द्वारा सौर ऊर्जा को ग्रहण कर संग्रह करने की यान्त्रिक प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है।
→ सौर तापन युक्तियाँ- सौर ऊर्जा का दोहन करने वाली युक्तियों को सौर ऊर्जा युक्तियाँ कहते हैं।
→ सोलर कुकर सौर ऊर्जा द्वारा खाना पकाने की युक्ति है।
→ सौर ऊष्मक-सौर ऊर्जा द्वारा पानी गर्म करने की युक्ति है।
→ परावर्तक- परावर्तक सौर ऊर्जा को इकट्ठा करके बक्से के अन्दर संकेन्द्रित करता है।
→ सोलर सेल – सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करने वाली युक्ति है।
→ पवन ऊर्जा बहती पवन की गतिज ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हैं। इससे पवन चक्की चलाकर पवन ऊर्जा का उपयोग अनाज पीसने तथा जमीन से पानी निकालने में किया जाता है। इससे पाल नाव को भी जलाया जाता है।
→ जल ऊर्जा नदियों में बहते हुए जल की गतिज ऊर्जा एवं बाँधों में भण्डारित जल की स्थितिज ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं।
→ जल विद्युत बाँध बनाकर जल एकत्रित करके जल को ऊँचाई से टरबाइन पर गिराया जाता है जिससे टरबाइन जनरेटर को चलाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
→ सागरीय तापीय ऊर्जा-म – महासागर की सतह के जल तथा गहराई के जल के ताप में अन्तर के कारण उपलब्ध ऊर्जा को ‘सागरीय तापीय ऊर्जा’ कहते हैं।
→ जैव द्रव्यमान ऊर्जा वनस्पतियों तथा जन्तुओं के शरीर में स्थित पदार्थों को जैव द्रव्यमान कहते हैं। यह ईंधन की तरह कार्य करता है।
→ ऊर्जा स्त्रोत- नवीकरणीय व अनवीकरणीय।
- ऊर्जा के वे स्रोत जिन्हें हम बार-बार उपयोग में ला सकते हैं, जैसे- जल, पवन और सूर्य का प्रकाश आदि नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत कहलाते हैं।
- ऊर्जा के वे स्रोत जिनका उपयोग बार-बार नहीं हो सकता, जैसे- कोयला, पेट्रोल और प्राकृतिक गैस आदि अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।
→ ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। इसको केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
→ ऊर्जा स्रोतों का खत्म होना ऊर्जा संकट कहलाता है। जैसे – तेल और गैस के स्रोत कुछ ही वर्षों के लिए उपलब्ध हैं।
→ बायोगैस — बायोगैस का मुख्य अवयव मेथेन गैस (CH4) है।
→ बायोमास – सजीव वस्तुओं के मृत भाग व अपशिष्ट पदार्थ इसमें कूड़ा करकट, औद्योगिक अपशिष्ट, फसलों के अपशिष्ट व मल आदि सभी बायोमास के अवयव हैं।
→ सौर कुकर व सौर ऊष्मक – (Solar Cell and Solar Heater) – सौर कुकर व सौर ऊष्मक (Heater) ऐसी साधारण युक्तियाँ होती हैं जिनका उपयोग धूप में 5 से 7 घंटे की अवधि तक, सौर ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में एकत्र करने के लिए किया जाता है। यह प्रयोगों द्वारा ज्ञात हो चुका है कि काला पृष्ठ, किसी श्वेत या चमकीले पृष्ठ की तुलना में अधिक ऊष्मा का अवशोषण करता है। काली सतहों का यह गुण सौर कुकर और सौर- ऊष्मक बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
→ ग्रीन हाउस प्रभाव – ग्रीन हाउस काँच से बना एक छोटा घर होता है, इसकी काँच की छत व दीवारें प्रकाश व ऊष्मा को भीतर तो जाने देती हैं लेकिन बाहर नहीं निकलने देती हैं। अतः ग्रीन हाउस के भीतर रखे पौधे बाहर की ठंड (सामान्यत: ठंडी जलवायु वाले स्थानों में) से बचे रहते हैं।
इसी प्रकार इस प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। धूप में खड़ी बंद खिड़की वाली कार भी ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण अंदर से गर्म हो जाती है। वातावरण में वाहनों के धुएँ में निकली CO2 गैस (कार्बन डाइऑक्साइड) भी पृथ्वी से परावर्तित सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करके (ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण) वातावरण का तापक्रम बढ़ा देती है।
→ नाभिकीय संलयन द्वारा सूर्य में ऊर्जा उत्पन्न होती है। 25. गामा किरणें उच्चभेदन क्षमता वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं।
→ नाभिकीय रिएक्टर एक ऐसी युक्ति है, जिसमें नाभिकीय विखण्डन क्रिया करायी जाती है।
→ नाभिकीय विखण्डन क्रिया में ईंधन के रूप में यूरेनियम अथवा थोरियम तथा मंदक के रूप में भारी जल (D2O) प्रयोग होता है।
→ यूरेनियम के एक नाभिक के टूटने पर अन्य यूरेनियम के नाभिकों का श्रृंखलाबद्ध टूटना, श्रृंखला अभिक्रिया कहलाती है।
→ प्रकृति से प्राप्त होने वाले यूरेनियम के दो समस्थानिक \({ }_{92} \mathrm{U}^{235}\) तथा \({ }_{92} \mathrm{U}^{238}\) हैं।