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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय
→ तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन)-सन्देश संवहन की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।
→ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र-तंत्रिका तन्त्र जो जन्तुओं में मस्तिष्क और मेरूरज्जु का बना होता है।
→ हॉर्मोन-शरीर की क्रियात्मक प्रक्रियाओं को नियन्त्रित करने के लिए विशेष रसायन होते हैं जिन्हें हॉर्मोन कहते हैं।
→ पादप हॉर्मोन-पौधों द्वारा स्नावित हॉर्मोन जो विभिन्न कार्य करते हैं। ये हैं-
- ऑक्सिन
- जिबरलिन
- साइटोकाइनिन
- वृद्धिरोधक।
→ संवेदी तंत्रिका कोशिकाएँ-ये संवेदी अंगों से उद्दीपनों को लेकर मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।
→ चालक तंत्रिका कोशिकाएँ-ये उद्दीपनों के प्रत्युत्तर को कार्यकारी अंगों तक पहुँचाती हैं।
→ अन्तः स्रावी ग्रन्थियाँ-नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ जो हॉर्मोन स्रावित करती हैं।
→ डेन्ड्राइट्स-तंत्रिका कोशिकाओं के कोशिकाय बहुशाखी प्रवर्ध।
→ ऐक्सोन-तंत्रिका कोशिका का बहुत अधिक लम्बा व अशाखी प्रबन्ध है।
→ मस्तिष्क-केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र का वह भाग जो अत्यन्त कोमल तथा संवेदनशील होता है।
→ मस्तिष्क के भाग-मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं-
- अग्रमस्तिष्क
- अनुमस्तिष्क
- प्रमस्तिष्क।
→ अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ-थॉयराइड, पेंक्रियास, एड्रिनल, पीयूष, अण्डाशय आदि अन्तःस्तावी ग्रन्थियाँ हैं।
→ मेरुरज्जु-पश्च मस्तिष्क की मेड्यूला ऑब्लांगेटा खोपड़ी के महारन्ध्र छिद्र से निकलकर कशेरुकाओं की तन्त्रिका नाल से होती हुई अन्त तक फैली रहती है और इसे मेरुरज्जु कहते हैं।
→ प्रतिवर्ती क्रियाएँ-किसी उद्दीपन से होने वाली स्वचालित जल्दी से और अनैच्छिक क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं।
→ तंत्रिका आवेग-तंत्रिका कोशिकाओं का (रासायनिक या विद्युत) संकेत भेजना।