JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Geography Chapter 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वर्णिम चतुर्भज महाराजमार्ग सम्बन्धित है
(क) सड़क परिवहन से
(ख) जल परिवहन से
(ग) रेल परिवहन से
(घ) वायु परिवहन से।
उत्तर:
(क) सड़क परिवहन से
2. सीमा सड़क संगठन का गठन किया गया था
(क) सन् 1960 में
(ख) सन् 1970 में
(ग) सन् 1990 में
(घ) सन् 2008 में
उत्तर:
(क) सन् 1960 में
3. भारत में प्रथम रेलगाड़ी चलायी गयी थी
(क) सन् 1853 में
(ख) सन् 1857 में
(ग) सन् 1863 में
(घ) सन् 2010 में
उत्तर:
(क) सन् 1853 में
4. देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है
(क) विशाखापट्टनम
(ख) हल्दिया
(ग) चेन्नई
(घ) मुम्बई
उत्तर:
(ग) चेन्नई
5. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है
(क) राष्ट्रीय व्यापार
(ख) स्थानीय व्यापार
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(घ) राज्यस्तरीय व्यापार
उत्तर:
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
रिक्त स्थान सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1……..विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है।
उत्तर:
भारत, 2.7516.6 किमी,
2. भारत का……….विश्व का सबसे वृहत्तम संचार तंत्र है।
उत्तर:
डाक संचार तंत्र,
3. विश्व में……….ही सबसे अधिक फिल्में बनाता है।
उत्तर:
भारत,
4. ……….राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन से जुड़ा है।
उत्तर:
गुजरात।
अति लयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
परिवहन किसे कहते हैं ?
उत्तर;
एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रियों एवं वस्तुओं के आवागमन के साधनों को परिवहन कहते हैं।
प्रश्न 2.
व्यापारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं, उन्हें व्यापारी कहते हैं।
प्रश्न 3.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना किन-किन स्थानों को मिलाती है ?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग योजना दिल्लीकोलकाता-चेन्नई व मुम्बई को मिलाती है।
प्रश्न 4.
पूर्व-पश्चिम गलियारे के पश्चिमी सिरे के स्टेशन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पोरबन्दर (गुजरात)।
प्रश्न 5.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगासिटियों के मध्य दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है।
प्रश्न 6.
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना किस संस्था के अधिकार क्षेत्र में है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग परियोजना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।
प्रश्न 7.
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखाखाव का दायित्व किसका होता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) का होता है।
प्रश्न 8.
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानों के नाम बताइए।
उत्तर:
कोलकाता आसनसोल-धनबाद-वाराणसीइलाहाबाद-कानपुर-आगरा-दिल्ली-अम्बाला-अमृतसर।
प्रश्न 9.
जिला मार्ग क्या हैं ?
उत्तर-
जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कों को जिला मार्ग कहते हैं।
प्रश्न 10.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना का प्रमुख प्रावधान क्या है?
उत्तर:
इस परियोजना के अन्तर्गत कुछ विशेष प्रावधान हैं, जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है, जिन पर वर्षभर वाहन चल सकें।
प्रश्न 11.
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण भारतीय रेल है।
प्रश्न 12.
भारत में प्रथम रेलगाड़ी कब व कहाँ चलायी गयी?
उत्तर:
भारत मे प्रथम रेलगाड़ी सन् 1853 में मुम्बई और थाणे के मध्य 34 किमी. की दूरी में चलायी गयी।
प्रश्न 13.
भारत में तीन रेल गेज कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- बड़ी लाइन (ब्रॉडगेज)
- मीटर लाइन (स्मॉल गेज)
- सँकरी लाइन (नैरो गेज)।
प्रश्न 14.
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
बड़ी लाइन के गेज में दो पटरियों के मध्य की दूरी $1.676$ मीटर होती है।
प्रश्न 15.
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी कितनी होती है?
उत्तर:
मीटर लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी 1.000 मीटर होती है।
प्रश्न 16.
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी बताइए।
उत्तर:
सँकरी लाइन में रेल पटरियों के बीच की दूरी $0.762$ अथवा $0.610$ मीटर होती है।
प्रश्न 17.
हम अपनी रेलगाड़ियों को निर्धारित समय पर चलने में कैसे मद्व कर सकते हैं?
उत्तर:
यात्री जंजीर खींचकर अनावश्यक रूप से गाड़ी न रोकें तथा टिकट लेकर ही यात्रा करें।
प्रश्न 18.
जल परिवहन को किन दो वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
- आंतरिक जल परिवहन,
- समुद्री परिवहन।
प्रश्न 19.
भारत के किन्हीं दो राष्ट्रीय जलमार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्न हैं:
- गंगा नदी जलमार्ग,
- ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।
प्रश्न 20.
उस नदी का नाम लिखिए जिसका संबंध ‘राष्ट्रीय नौगम्य जलमार्ग’ संख्या-1 से है।
उत्तर:
गंगा नदी।
प्रश्न 21.
भारत के एक प्रमुख प्राकृतिक एवं एक कृत्रिम पत्तन का नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक पत्तन – मुम्बई, कृत्रिम पत्तन-चेन्नई।
प्रश्न 22.
लोह अयस्क के निर्यांत की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन कौन-सा है?
उत्तन:
लोह अयस्क के निर्यात की दृष्टि से देश का प्रमुख पत्तन गाओ है।
प्रश्न 23.
कौन-से पत्तन के माध्यम से कुद्मेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है?
उत्तर:
न्यू मंगलौर पत्तन के माध्यम से कुद्रेभुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात होता है।
प्रश्न 24.
कर्नाटक एवं केरल राज्य में स्थित एकएक पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कर्नाटक-न्यू मंगलौर, केरल-कोच्चि।
प्रश्न 25.
लैंगून के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कौन-सा है?
उत्तर:
लैगृन के मुहाने पर स्थित प्राकृतिक पोताश्रय कोच्चि पत्तन है।
प्रश्न 26.
भारत का सबसे प्रार्घीनतम कृत्रिम समुद्री पत्तन कॉन-सा है?
उत्तर:
बन्न्न
प्रश्न 27.
भाग्त का मखम गहरा, स्थिल से धिरा व सुरक्षित समुद्री पत्तन कौन-सा है?
उत्तर:
विशाखापद्टनम।
प्रश्न 28.
भारत के एक अंतःस्थलीय नदीय पत्तन का नाम लिखिए।
उत्तर:
कोलकाता पत्तन एक अंत:स्थलीय नदीय पत्तन है।
प्रश्न 29.
कौन-सा पत्तन गंगा-ब्रहपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है?
उत्तर:
कोलकाता पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन की वृहत व समुद्र पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है।
प्रश्न 30.
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र किस देश का है?
उत्तर:
विश्व का वृहत्तम डाक संचार तंत्र भारत का है।
प्रश्न 31.
जनसंचार क्या है?
उत्तर:
लोगों तक महत्वपूर्ण घटना या किसी समाचार को नियोजित ढंग से पहुँचाना जनसंचार कहलाता है। जनसंचार में माध्यम का होना आवश्यक होता है। यह कोई सन्देशवाहक,
रेडियो, टेलीविजन और समाचारपत्र आदि कुछ भी हो सकता है।
प्रश्न 32.
भारत के छः डाक मार्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- राजधानी मार्ग,
- मेट्रो चैनल,
- ग्रीन चैनल,
- व्यापार चैनल,
- भारी चैनल,
- दस्तावेज़ चैनल।
प्रश्न 33.
भारत में भारतीय व विदेशी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकतर किस संस्था को है?
उत्तर:
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड।
प्रश्न 34.
व्यापार क्या है?
उत्तर:
राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है।
प्रश्न 35.
बाजार क्या है?
उत्तर:
बाजार एक ऐसा स्थान है, जहाँ वस्तुओं व सेवाओं का विनिमय होता है।
प्रश्न 36.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 37.
व्यापार संतुलन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक देश के आयात व नियांत के अन्तर को व्यापार संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 38.
अनुकूल व्यापार संतुलन से क्या अभिप्राय? आशय है?
उत्तर:
यद्ध किसों देश का आयात मूल्य नियांत मूल्य से अधिक हो तो व्यापार संतुलन प्रतिकृल होता है।
प्रश्न 39.
पर्यटन का क्या महत्व है?
उत्तर:
पर्यटन राप्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को संरक्षण प्रदान करना है।
प्रश्न 40.
भारत में विदेशी पर्यटक क्यों आते हैं?
उत्तर:
भारत में विदेशी पर्यटक विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन एवं व्यापारिक पर्यटन आदि के लिए आते हैं।
लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वस्तुओं एवं सेवाओं को आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। परिवहन के विभिन्न साधनों के माध्यम से व्यापारी विभिन्न उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो, गया है। परिवहन का यह विकास संचार-साधनों के विकास की सहायता से ही सम्भव हो सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि परिवहन, संचार एवं व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्रश्न 2.
राष्ट्रीय राजमार्ग से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
राष्ट्रीय राजमार्ग की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश की प्रमुख पक्की सड़कें हैं जो देश के दूरस्थ मार्गों को जोड़ती हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। ये सड़कें देश के एक-सिरे से दूसरे-सिरे तक कई राज्यों से होकर जाती हैं तथा देश के प्रमुख नगरों, राजधानियों एवं महत्वपूर्ण पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं। उदाहरण-ग्रांड ट्रंक रोड।
प्रश्न 3.
राज्य राजमार्ग क्या हैं? इनके निर्माण व रखरखाव के लिए कौन उत्तरदायी होता है?
उत्तर:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। सड़कें राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं . रखरखाव का दायित्व वहाँ के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।
प्रश्न 4.
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य राजमार्ग में निम्नलिखित अन्तर
राष्ट्रीय राजमार्ग | राज्य राजमार्ग |
1. ये राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। | 1. ये राजमार्ग राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ते हैं। |
2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग का होता है। | 2. इन सड़कों के निर्माण व रखरखाव का दायित्व सम्बन्धित राज्य व केन्द्रशासित प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है। |
3. ये राष्ट्रीय महत्व की सड़कें हैं। | 3. ये राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। |
प्रश्न 5.
सीमा सड़क संगठन के प्रमुख कार्य क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सीमा सड़क संगठन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सीमा सड़क संगठन भारत सरकार के अन्तर्गत एक ऐसा संगठन है, जो देश के सीमान्त क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देखरेख करता है। सीमा सड़क संगठन की स्थापना सन् 1960 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्व की सड़कों का विकास करना है। ये सड़कें दुर्गम क्षेत्रों एवं प्रतिकूल जलवायविक परिस्थितियों में भी आपूर्ति बनाये रखने में सहायता करती हैं।
प्रश्न 6.
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ कौन-कौन सी हैं?
अथवा
‘भारतीय सड़क परिवहन समस्याओं से ग्रसित है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन से सम्बन्धित किन्हीं चार समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़क परिवहन की समस्याएँ निम्न प्रकार हैं
- देश के आकार तथा यात्रियों की संख्या को देखते हुए भारत में सड़कों का जाल अपर्याप्त है।
- देश की लगभग 50 प्रतिशत सड़कें कच्ची हैं। वर्षा ऋतु के दौरान कीचड़ हो जाने के कारण इनका प्रयोग सीमित हो जाता है।
- शहरों में सड़कें अत्यन्त तंग व भीड़भरी हैं तथा इन पर निर्मित पुल व पुलिया पुरानी एवं तंग हैं।
- राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त हैं।
प्रश्न 7.
भारत में रेलमार्ग के विकास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण परिवहन साधन के रूप में जानी जाती है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके बाद भारतीय रेलवे का कार्यक्षेत्र बढ़ता गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की लम्बाई 68,442 किमी. है। भारत में रेलमार्गों के प्रकारों में बड़ी लाइनें, मीटर लाइनें एवं सँकरी लाइन हैं। भारत में 16 नवीन रेल मण्डल बनाये गये हैं। इसके अतिरिक्त छोटी व मीटर लाइनों को बड़ी रेल लाइनों में तीव्र गति से बदला जा रहा है।
प्रश्न 8.
हमारे देश में कौन-कौन से क्षेत्र रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं? संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
- हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या एवं आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन निर्माण के लिए अनुकूल नहीं हैं।
- राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखण्ड में रेलवे लाइन स्थापित करना कठिन है। अतः यहाँ रेलवे का विकास कम हुआ है।
- पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पहाड़ी क्षेत्रों में भी रेलवे का बहुत कम विकास हुआ है।
प्रश्न 9.
रेल परिवहन की समस्याएँ लिखिए।
अथवा
भारत में रेलवे परिवहन की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं
- बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
- कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना जिससे ट्रेनों के चलने में देर होती है तथा यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।
- रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
- रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
- पुरानी पटरियों का होना।
- मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
- किसी-किसी भाग में भूस्खलन के कारण रेलवे ट्रैक का धंसना।
प्रश्न 10.
जल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में जल परिवहन के किन्हीं चार महत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल परिवहन का निम्नलिखित महत्त्व है
- जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
- यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
- यह लौह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
- देश का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।
प्रश्न 11.
भारत के प्रमुख जलमार्गों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख राष्ट्रीय जलमार्ग निम्नलिखित हैं
- नौगम्य जलमार्ग संख्या-1: हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1,620 किमी. लम्बा है।
- नौगम्य जलमार्ग संख्या-2: सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जलमार्ग।
- नौगम्य जलमार्ग संख्या-3: केरल में पश्चिमी तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोम्मान तक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें 205 किमी)।
प्रश्न 12.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में किस पत्तन को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया और क्यों?
अथवा
कांडला बंदरगाह के विकास की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांडला पत्तन (अब दीनदयाल पत्तन) को पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया क्योंकि देश विभाजन के पश्चात् कराची पत्तन पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। अतः कराची पत्तन की कमी को पूरा करने एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए कांडला पत्तन का विकास किया गया। कांडला एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात व राजस्थान के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।
प्रश्न 13.
भारत का सबसे वृहत्तम पत्तन कौन-सा है? जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
मुम्बई भारत का प्रमुख पत्तन है। यह देश का वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत एवं सुचारु पोताश्रय हैं। देश के समुद्री व्यापार का अधिकांश भाग मुम्बई पत्तन के माध्यम से ही होता है। जवाहरलाल नेहरू पत्तन के विकास का उद्देश्य था मुम्बई पत्तन पर पड़ने वाले परिवहन के दबाव को कम करना एवं इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करना।
प्रश्न 14.
आज वायु परिवहन अधिक उपयोगी क्यों हो रहा है? कारण दीजिए।
अथवा
वायु परिवहन का महत्व बताइए।
उत्तर:
आज वायु परिवहन के अधिक उपयोगी होने के निम्नलिखित कारण हैं
- वायु परिवहन यातायात का सबसे तीव्रतम साधन है, जिससे समय की बहुत बचत होती है।
- यह आरामदायक एवं प्रतिष्ठित परिवहन साधन है।
- इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों; जैसे-ऊँचे पहाड़ों, मरुस्थलों, बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों, घने जंगलों व लम्बे समुद्री रास्तों को आसानी से पार किया जा सकता है।
- वायु परिवहन के कारण शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं का आवागमन सुगम हुआ है, जिससे व्यापार में वृद्धि हुई हैं।
प्रश्न 15.
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी दूरसंचार एवं जनसंचार में निम्नलिखित अन्तर हैं
निजी दूरसंचार | जनसंच्वर |
1. निजी दूरसंचार द्वारा केवल निजी संदेशों का आदान- प्रदान होता है। | 1. जनसंचार के साधनों से एक साथ अनेक्क व्यक्तियों के साथ विचारों का आदान-प्रदान होता है। |
2. इनका प्रयोग एक व्यक्ति केवल अपने व्यक्तिगत कार्यों के लिए करता है। | 2. इनका प्रयोग सरकार जनसाधारण में विभित्र राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के बारे में जागरूकता लाने के लिए कर सकती है। |
3. टेलीफॉन, मोबाइल, डाक-सेवाएँ, पोस्टकार्ड आदि निजी दूरसंचार के साधनों में सम्मिलित हैं। | 3. रेडियो, टेलीविजन, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ आदि जनसंचार के प्रमुख साधन हैं। |
प्रश्न 16.
भारत के दूरसंचार तंत्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारत के दूरसंचार तंत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
- दूरसंचार तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है।
- शहरी क्षेत्रों के अतिरिक्त देश के दो-तिहाई से अधिक गाँव एस. टी. डी. दूरभाष सेवा से जुड़े हुए हैं।
- सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक विकिसित करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घंटे एस. टी. डी. सुविधा के विशेष प्रबन्ध किये हैं।
- सम्पूर्ण देश में एस. टी. डी. की दरों को भी नियन्त्रित किया है।
प्रश्न 17.
किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उसका आर्थिक बैरोमीटर क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो या दो से अधिक देशों के मध्य किया जाता है। व्यापार के दो घटक होते हैं-आयात एवं निर्यात। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्राप्ति उसके निर्यातों से आँकी जाती है। जिस देश के निर्यात आयात की अपेक्षा जितने अधिक होंगे, उसे विदेशी मुद्रा भी उतनी ही अधिक प्राप्त होगी तथा देश आर्थिक रूप से समृद्ध होता चला जायेगा। एक देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की यही प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक मानी जाती है। इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को एक राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।
प्रश्न 18.
व्यापार सन्तुलन क्या है? यह अनुकूल अथवा प्रतिकूल कब माना जाता है?
उत्तर:
आयात और निर्यात मिलकर किसी देश के विदेशी व्यापार की रचना करते हैं। आयात एवं निर्यात के अन्तर को व्यापार सन्तुलन कहते हैं। व्यापार सन्तुलन पक्ष एवं विपक्ष दोनों में हो सकता है। यदि आयात की अपेक्षा निर्यात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन पक्ष में अर्थात् अनुकूल रहता है। इसके विपरीत यदि निर्यात की अपेक्षा आयात की मात्रा अधिक है तो व्यापार सन्तुलन विपक्ष में अर्थात् प्रतिकूल रहता है।
प्रश्न 19.
पर्यटन का क्या महत्व है?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में पर्यटन का महत्व बताइए।
उत्तर:
भारत में पर्यटन उद्योग के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
- पर्यटन राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देता है।
- पर्यटन स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रोत्साहित करता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति एवं विरासत की समझ विकसित करने में सहायक होता है।
- यह लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है।
- यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक है।
प्रश्न 20.
पर्यटन किस प्रकार से एक व्यापार है? बताइए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ के अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य, ऐतिहासिक धरोहरों एवं धार्मिक स्थलों ने विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। अतः यहाँ प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक विभिन्न प्राकृतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, व्यापारिक, चिकित्सा, रोमांचकारी एवं पारि-पर्यटन के लिए आते हैं। इससे देश के विदेशी मुद्रा भण्डार में वृद्धि होती है तथा स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। इस प्रकार पर्यटन एक व्यापार के रूप में उभरा है।
लघुत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
अथवा
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन के बढ़ते महत्व के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सड़क परिवहन की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की महत्ता अधिक है।” इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
अथवा
“भारत में सड़क परिवहन अभी भी रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” तर्कों सहित इस कथन का समर्थन कीजिए।
उत्तर:
रेल परिवहन की तुलना में सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्नलिखित कारणों से है:
- रेलवे लाइन बिछाने की तुलना में बहुत कम व्यय में सड़कों का निर्माण किया जा सकता है।
- रेगिस्तानी, पहाड़ी, ऊबड़-खाबड़ एवं विच्छिन्न भू-भागों पर भी रेलमार्गों की अपेक्षा सड़कें आसानी से बनायी जा सकती हैं।
- तेज ढाल वाले स्थानों पर भी सड़कें बनायी जा सकती हैं।
- रेलमार्गों की तुलना में सड़कों की देखभाल की लागत कम आती है।
- अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
- शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन के लिए सड़क मार्ग अधिक उपयोगी सेवाएं प्रदान करते हैं।
- सड़क मार्ग खेतों, मंडियों व कारखानों को आपस में जोड़ते हैं एवं सरलतापूर्वक घर-घर तक सामान पहुँचाते हैं।
- सड़क परिवहन, अन्य परिवहन के साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। उदाहरणार्थ-सड़कें, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डों व समुद्री पत्तनों को आपस में जोड़ती हैं।
प्रश्न 2.
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग से क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का वर्णन कीजिए।
अथवा
महाराजमार्ग क्या हैं? किन्हीं दो सड़कों के नाम बताइए जिनका निर्माण इस परियोजना के तहत किया गया है।
अथवा
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के वृहद् नगरों के मध्य की दूरी एवं परिवहन समय को न्यूनतम करने के लिए भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को जोड़ने के लिए 6 लेन वाले महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारम्भ की है जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग के नाम से जाना जाता है। यह राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है। इस परियोजना के तहत दो सड़कें बनायी गयी हैं जिन्हें गलियारे कहा जाता है।
- उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) को कन्याकुमारी (तमिलनाडु) से जोड़ती है।
- पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) को पोरबंदर (गुजरात) से जोड़ता है।
प्रश्न 3.
भारत में रेल परिवहन का क्या महत्व है?
अथवा
भारत में वस्तुओं और यात्रियों के लिए परिवहन के मुख्य साधन के रूप में रेल परिवहन का महत्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का महत्व निम्न कारणों से है
- भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं एवं यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है।
- रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है; जैसे-व्यापार, भ्रमण, तीर्थयात्राएँ तथा लम्बी दूरी तक सामान का परिवहन आदि
- भारतीय रेलवे ने विभिन्न लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- भारतीय रेलवे ने देश की अर्थव्यवस्था, कृषि व उद्योगों के तीव्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- रेलवे ने बहत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
- रेलवे खनिज अवक. कोयना यामेंट व खाद्यान्न आदि जैसे भारी व स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।
प्रश्न 4.
पाइप लाइन परिवहन के प्रमुख लाभ क्या हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
पाइप लाइन परिवहन के महत्व को बताइए।
अथवा
परिवहन साधनों के रूप में पाइपलाइनों के महत्व को उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से उजागर कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं
- सस्ता साधन-यह अपेक्षाकृत सस्ता साधन है। पाइपलाइनों के निर्माण के पश्चात् इनके संचालन में व्यय बहुत कम होता है।
- सुगम परिवहन-इसमें ट्रकों या रेलों की भाँति सामान को उतारने-चढ़ाने का झंझट नहीं है।
- ऊबड़-खाबड़ मार्ग से परिवहन-पाइप लाइनें ऊबड़-खाबड़ व दुर्गम मार्गों में भी बनायी जा सकती हैं।
- ऊर्जा की बचत-इस परिवहन में पम्पिंग में ऊर्जा की थोड़ी खपत के कारण अतिरिक्त ऊर्जा की बचत होती है।
- समुद्री जल में भी पाइपलाइनें-समुद्री जल में भी पाइपलाइनें बिछायी जा सकती हैं। अपतटीय क्षेत्रों में कच्चा तेल पाइपलाइनों द्वारा ही स्थल तक आता है।
- सुनिश्चित आपूर्ति-पाइपलाइन परिवहन द्वारा तेल की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहती है।
- समय की बचत-पाइपलाइन परिवहन में ट्रक एवं रेलों की तुलना में परिवहन बहुत कम समय में होता है।
- प्रदूषण का कम खतरा-खनिज तेल जैसे पदार्थों का अन्य साधनों द्वारा परिवहन होने से तेल रिसाव के दौरान प्रदूषण का खतरा बना रहता है। पाइपलाइनों द्वारा तेल का परिवहन प्रदूषणरहित ढंग से होता है।
- ठोस पदार्थों का परिवहन-पाइपलाइनों द्वारा ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में बदलकर भी परिवहन किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
भारत में जलमार्गों की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जलमार्गों की विशेषताएँ-भारत में जलमार्गों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह सभी परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम एवं पर्यावरण अनुकूल है।
- यह लोह अयस्क, कोयला, सीमेंट आदि स्थूल व भारी वस्तुओं की सस्ती ढुलाई के अनुकूल है।
- भारत का 95 प्रतिशत व्यापार जल परिवहन द्वारा होता है।
प्रश्न 6.
भारत में पश्चिमी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम लिखिए। प्रत्येक की प्रमुख विशेषता लिखें।
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट के प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कांडला पत्तन:
यह एक ज्वारीय पत्तन है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांङला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इसके निर्माण का कारण विभाजन के फलस्वरूप कराची पत्तन के पाकिस्तान में चले जाने की कमी को पूरा करना एवं मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करना था। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक व खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।
2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। मुम्बई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है ताकि इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा भी प्रदान कर सके।
3. मार्मागाओ पत्तन:
गोवा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह देश के कुल निर्यात का 50 प्रतिशत लोह अयस्क निर्यात करता है।
4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लोह अयस्क का निर्यात करता है।
5. कोच्चि पत्तन-केरल राज्य में स्थित यह पत्तन लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।
प्रश्न 7.
पूर्वी तट पर स्थित किन्हीं पाँच पत्तनों के नाम बताएँ। प्रत्येक की प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
अथवा
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन कौन-कौन से हैं? प्रत्येक के विकास का एक उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं
1. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्तःस्थलीय नदीय पत्तन है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएं प्रदान करता है। ज्वारीय पत्तन होने के कारण एवं हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।
2. पारादीप पत्तन:
यह पत्तन ओडिशा राज्य में स्थित है। इसे मुख्य रूप से लोह अयस्क के निर्यात के लिए। विकसित किया गया है।
3. विशाखापट्टनम पत्तन-यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में इसे लोह अयस्क निर्यातक पत्तन के रूप में विकसित किया गया। इस पत्तन को ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है।
4. चेन्नई पत्तन:
यह हमारे देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इस पत्तन का मुम्बई के पश्चात् दूसरा स्थान है।
5. हल्दिया:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए इसका सहायक पत्तन के रूप में। विकास किया गया है।
प्रश्न 8.
जनसंचार क्या है? जनसंचार के विभिन्न साधन (माध्यम) कौन से हैं? भारत जैसे देश में जनसंचार का क्या महत्व है?
उत्तर:
जनसंचार-जनसंचार से तात्पर्य एक ही समय में बहुत अधिक संख्या में व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने से है। दूसरे शब्दों में, जब जनसाधारण तक संदेश या सूचनाएँ भेजनी हों तो उसे जनसंचार कहते हैं। जनसंचार के प्रमुख साधनों में रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह संचार, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें एवं चलचित्र आदि सम्मिलित हैं।
- जनसंचार माध्यम लोगों को मनोरंजन के साथ-साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं नीतियों के विषय में जागरूक करते हैं।
- जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए दूरस्थ शिक्षा प्रदान की जाती है।
- जनसंचार माध्यम से लोगों के लिए अनेक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं।
- जनसंचार माध्यम से व्यक्तियों के स्वास्थ्य व अन्य समस्याओं से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं।
- कृषि एवं औद्योगिक उत्पादकता से सम्बन्धित कार्यक्रम भी दिखाये जाते हैं। ..
- जनसंचार तंत्र विभिन्न साधनों के माध्यम से सूचना और शिक्षा प्रदान करके लोगों में राष्ट्रीय नीति एवं कार्यक्रमों के विषय में जागरूकता उत्पन्न करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- आकाशवाणी (All India Radio), राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम प्रसारित करता है।
- दूरदर्शन देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश देने का माध्यम है तथा विश्व के वृहतम् समाचार-तन्त्रों में से एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों हेतु मनोरंजक, खेल-जगत सम्बन्धी व ज्ञानवर्धक कार्यक्रम प्रसारित करता है।
प्रश्न 9.
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय डाक व्यवस्था की तीन मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार से हैं
- भारत का डाक:
संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम संचार तंत्र है। यह निजी पत्र-व्यवहार, पार्सल तथा मनीआर्डर आदि को संचालित करता है। लिफाफा, बंद चिट्ठी, कार्ड, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर रेल तथा वायुयान द्वारा पहुँचाये जाते हैं। - द्वितीय श्रेणी:
की डाक में किताबें, रजिस्टर्ड पैकेट, अखबार तथा मैगज़ीन शामिल हैं। इनके लिए स्थल व जल परिवहन का उपयोग किया जाता है। - हाल ही में बड़े शहरों व नगरों में डाक:
संचार में शीघ्रता हेतु छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मैट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, व्यापार चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 10.
परिवहन और संचार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन और संचार में निम्नलिखित अन्तर हैं
परिवहन | संचार |
1. परिवहन द्वारा व्यक्तियों एवं माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है। | 1. संचार के साधन व्यक्तिगत संचार एवं जनसंचार के माध्यम से व्यक्तियों को सूचनाएँ उपलब्ध कराते हैं। |
2. परिवहन जल, थल एवं वायु के माध्यम से किया जा सकता है। | 2. संचार के साधनों में डाकतार, टेलीफोन, रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्र, पत्र-पत्रिकाओं एवं चलचित्रों को सम्मिलित किया जाता है। |
3. परिवहन के साधनों का आर्थिक विकास में योगदान है। | 3. संचार के साधन भी आर्थिक विकास में योगदान देते हैं। |
4. औद्योगिक विकास, व्यापार व आवागमन पूर्णतः परिवहन साधनों पर निर्भर है। | 4. संचार के साधन औद्योगिक विकास एवं परिवहन को सुव्यवस्थित बनाने में मदद करते हैं। |
5. परिवहन के साधन समय एवं स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं। | 5. संचार के साधनों पर समय व स्थान का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में सड़कों को सक्षमता के आधार पर कितने भागों में बाँटा जा सकता है? विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सड़कों को सक्षमता के 84. 88 आधार पर छ: भागों में बाँटा जा सकता है
1. स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग भारत दिल्ली:
कोलकाता, चेन्नई-मुम्बई व दिल्ली को राष्ट्रीय महा राजपार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग जोड़ने वाली 6 लेन वाली सड़क को महा किश्तवाड़ राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। इस महा पाकिस्तान राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के वृहद नगरों फिरोजपुर जालंधर चीन के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम (तिब्बत) करना है। इस महाराजमार्ग के अन्तर्गत दो गलियारे निर्मित किये गये हैं:
- उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है।
- पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिल्चर को बड़ौदादी भोपाल पोरबंदर से जोड़ता है। यह महा राजमार्ग परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है।
2. राष्ट्रीय राजमार्ग:
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक संकेत सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव स्वर्णिम चतुर्भुज केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। इन भागों की पहचान राष्ट्रीय राजमार्ग विनापल्ली संख्या के आधार पर की जाती है। उदाहरण- दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 के नाम से जाना जाता है।
3. राज्य राजमार्ग:
राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। ये राष्ट्रीय राजमार्गों को भी आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं। राज्य राजमार्गों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व राज्यों के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है।
4. जिला मार्ग:
ये सड़कें जिला मुख्यालयों को जिले की तहसीलों, प्रमुख नगरीय केन्द्रों एवं कस्बों से जोड़ती हैं। इन सड़कों के निर्माण एवं रखरखाव का दायित्व जिला परिषद् का होता है।
5. ग्रामीण सड़कें:
इस वर्ग के अन्तर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों एवं गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिनके तहत देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।
6. सीमांत सड़कें:
भारत सरकार प्राधिकरण के अन्तर्गत सीमा सड़क संगठन देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व रखरखाव करता है। इन सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में अभिगम्यता बढ़ी है एवं ये सड़कें इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सहायक हुई हैं।
प्रश्न 2.
भारत में रेल परिवहन को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
भारत में रेल परिवहन का विकास:
भारत में रेल परिवहन का इतिहास सन् 1853 से प्रारम्भ होता है। भारत में सर्वप्रथम 16 अप्रैल, 1853 को पुराने ढंग की एक रेलगाड़ी मुम्बई से थाणे के मध्य 34 किमी. लम्बे रेलमार्ग पर चलायी गयी। इसके पश्चात् भारतीय रेल का कार्यक्षेत्र बढ़ता चला गया। भारतीय रेल वार्षिक पुस्तिका 2017-18 के अनुसार भारत में रेलमार्गों की कुल लम्बाई 68,442 किमी है।
1. रेलमार्ग के प्रकार:
पटरियों के मध्य दूरी अथवा गेज की दृष्टि से भारत में तीन प्रकार के रेलमार्ग पाये जाते हैं
2. सँकरी लाइन:
ये मार्ग अधिकांशतः पर्वतीय भागों में मिलते हैं। छोटी लाइन की चौड़ाई 0.762 व 0.610 मीटर होती है।
3. मीटर गेज लाइन:
इसकी चौड़ाई 1 मीटर होती है। भारत में तीव्रगति से औद्योगिक विकास के कारण इन लाइनों को बड़ी लाइनों में परिवर्तित किया जा रहा है।
4. बड़ी लाइन:
बड़ी लाइन की चौड़ाई 1.676 मीटर होती है। ये रेलमार्ग देश के सभी महत्वपूर्ण नगरों, व्यापारिक औद्योगिक केन्द्रों व बन्दरगाहों को जोड़ते हैं। रेल परिवहन का महत्व- भारत में रेल परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
- भारतीय रेलवे वस्तुओं और यात्रियों के परिवहन का एक प्रमुख साधन है। यह वस्तुओं के परिवहन का लगभग तीन चौथाई हिस्सा अकेले ढोता है, जबकि कुल यात्री परिवहन में इसका लगभग 60 प्रतिशत योगदान है।
- भारतीय रेलवे लोह अयस्क, कोयला, खाद्यान्न, खनिज अयस्क एवं सीमेंट आदि जैसे भारी एवं स्थूल वस्तुओं के परिवहन का सबसे सुगम साधन है।
- रेलवे ने भारत में कृषि एवं उद्योगों के विकास में भी विशेष योगदान दिया है।
- रेलवे ने श्रमिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने में भी योगदान दिया है।
- भारतीय रेलवे ने देश के लोगों को बहुत बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान किये हैं।
- रेलवे लोगों एवं राज्यों को एक साथ जोड़कर देश में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1. भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक:
भारत में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं। भारत के विशाल उत्तरी मैदान में विस्तृत भूमि एवं सघन जनसंख्या के कारण रेलवे का सघन जाल है। प्रायद्वीपीय भारत में रेलमार्ग ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों में छोटी पहाड़ियों एवं सुरंगों आदि से होकर गुजरते हैं।
हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में दुर्लभ उच्चावच एवं विरल जनसंख्या के कारण रेलमार्गों का बहुत कम विकास हुआ है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र एवं गुजरात के कच्छ क्षेत्र में भी रेलवे का विकास बहुत कम हुआ है। रेल परिवहन के प्रखण्ड: भारतीय रेल परिवहन को निम्नलिखित रेल प्रखण्डों में बाँटा गया है
नाम रेल प्रखण्ड | मुख्यालय |
1. उत्तरी-पूर्वी सीमान्त रेलमण्डल | मालेगाँव (गुवाहाटी) |
2. उत्तरी-पूर्वी रेल मण्डल | गोरखपुर |
3. पूर्वी रेल मण्डल | कोलकाता |
4. दक्षिणी-पूर्वी रेल मण्डल | कोलकाता |
5. पूर्वी तटीय रेल मण्डल | भुवनेश्वर |
6. पूर्वी-मध्य रेल मण्डल | हाजीपुर |
7. दक्षिणी-पूर्वी-मध्य रेल मण्डल | बिलासपुर |
8. उत्तर-मध्य रेल मण्डल | इलाहाबाद |
9. पश्चिम-मध्य रेल मण्डल | जबलपुर |
10. उत्तरी रेल मण्डल | नई दिल्ली |
11. उत्तरी-पश्चिमी रेल मण्डल | जयपुर |
12. पश्चिमी रेल मण्डल | मुम्बई (चर्चगेट) |
13. दक्षिणी-मध्य रेल मण्डल | सिकन्दराबाद |
14. मध्य रेल मण्डल | मुम्बई (टर्मिनस) |
15. दक्षिणी-पशिचमी रेल मण्डल | हुबली |
16. दक्षिणी रेल मण्डल मेट्रो रेलमण्डल | चेन्नई |
17. दक्षिणी तटीय रेलमण्डल | मार्कस्ट्रीट कोलकाता |
2. भारत में रेल परिवहन की समस्याएँ भारत में रेल परिवहन की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:
- बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों द्वारा बिना टिकट यात्रा करना।
- कुछ लोगों द्वारा अनावश्यक रूप से आपात जंजीर खींचना।
- रेलवे की सम्पत्ति की चोरी करना।
- रेलवे की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाना।
- मानवीय गलतियों के कारण रेल दुर्घटनाएँ होना।
- भूस्खलन के कारण प्रायः देश के किसी-न-किसी भाग में रेलवे ट्रैक का धंसना आदि।
प्रश्न 3.
भारत में पाइपलाइन परिवहन के विकास को समझाइए।
अथवा
भारत में पाइपलाइन परिवहन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन का एक नवीन साधन है। खनिज तेल, पेट्रोलियम, पैट्रो उत्पाद, प्राकृतिक गैस आदि के परिवहन के लिए पाइपलाइनें सस्ता एवं द्रुतगामी साधन हैं।
(i) पाइपलाइन परिवहन का उपयोग:
वर्तमान में पाइपलाइनों का प्रयोग परिवहन हेतु विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिसका विवरण निम्नलिखित है
- शहरों एवं उद्योगों को जल परिवहन के लिए पाइपलाइन का प्रयोग किया जाता है।
- कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पादों तथा तेल एवं प्राकृतिक गैस क्षेत्र से प्राप्त होने वाली प्राकृतिक गैस को तेल शोधनशालाओं, कारखानों तथा बड़े तापीय विद्युतगृहों तक पहुँचाने के लिए पाइपलाइन का उपयोग किया जाता है।
- ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है।
(ii) पाइपलाइन परिवहन का महत्व:
पाइपलाइन परिवहन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
- पाइपलाइनों का विस्तार स्थल व जल क्षेत्रों में समान रूप से किया जा सकता है।
- पाइपलाइनों को बिछाने में बहुत धन व्यय करना पड़ता है लेकिन इनके संचालन की लागत न्यूनतम है।
- पाइपलाइन सबसे सुरक्षित एवं सुनिश्चित आपूर्ति का महत्वपूर्ण साधन है।
- पाइपलाइन द्वारा पदार्थों के परिवहनं से समय एवं ऊर्जा की बचत होती है।
- पाइपलाइन के माध्यम से परिवहन प्रदूषण रहित होता है।
(iii) भारत में पाइपलाइन परिवहन:
भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. ऊपरी असम के तेल क्षेत्रों से इलाहाबाद तक:
यह पाइपलाइन असम के डिग्बोई नामक स्थान से प्रारम्भ होती है तथा गुवाहाटी व बरौनी होती हुई इलाहाबाद के रास्ते कानपुर तक जाती है। इस पाइपलाइन की तीन अन्य शाखाएँ हैं
- बरौनी से राजबंध होती हुई हल्दिया तक।
- राजबंध से मोरीग्राम तक।
- गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक।
2. सलाया (गुजरात) से जालंधर (पंजाब) तक:
यह पाइपलाइन गुजरात में सलाया नामक स्थान से प्रारम्भ होकर वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत होती हुई पंजाब में जालंधर तक जाती है। इस पाइप लाइन की शाखाएँ
कोयली, चक्शु व अन्य स्थानों को भी जोड़ती हैं।
3. एच. बी. जे. गैस पाइपलाइन:
यह मैस पाइपलाइन हजीरा (गुजरात) से प्रारम्भ होकर विजयपुर (मध्य प्रदेश) होती हुई उत्तर प्रदेश के जगदीशपुर नामक स्थान तक जाती है। इस गैस पाइपलाइन की कई शाखाएँ हैं। ये शाखाएँ राजस्थान में कोटा, उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों तक जाती हैं।
प्रश्न 4.
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत के प्रमुख बन्दरगाहों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख समुद्री पत्तन (बंदरगाह) निम्नलिखित हैं:
1. कांडला पत्तन:
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित यह एक ज्वारीय पत्तन है। मुम्बई पत्तन से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए इस पत्तन का निर्माण किया गया था। यह पत्तन जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिक एवं खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।
2. मुम्बई पत्तन:
मुम्बई भारत का सबसे बड़ा पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। इस पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखते हुए इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया है, जो इस सम्पूर्ण क्षेत्र को एक समूह पत्तन की सुविधा प्रदान करता है।
3. मार्मागाओ पत्तन:
यह पत्तन गोवा राज्य में स्थित है। लोह अयस्क के निर्यात के सन्दर्भ में यह देश का एक महत्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल निर्यात का लगभग 50 प्रतिशत लौह अयस्क निर्यात किया जाता है।,
4. न्यू मंगलौर पत्तन:
यह पत्तन कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह अयस्क का निर्यात करता है।
5. कोच्चि पत्तन:
यह पत्तन केरल राज्य में स्थित है। यह सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पत्तन एक लेगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।
6. तूतीकोरिन पत्तन:
यह पत्तन तमिलनाडु के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर स्थित है। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है। इस पत्तन की पृष्ठभूमि अत्यन्त समृद्ध है। यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों; जैसे-श्रीलंका, मालदीव एवं भारत के तटीय क्षेत्रों की विभिन्न वस्तुओं के व्यापार को चालित करता है।
7. चेन्नई:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित यह पत्तन तमिलनाडु में स्थित है। यह देश का प्राचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा एवं लदे सामान की दृष्टि से इसका मुम्बई पत्तन के बाद द्वितीय स्थान है।
8. विशाखापट्टनम पत्तन:
यह आन्ध्र प्रदेश में स्थित है। यह पत्तन स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लोह अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था।
9. पारादीप पत्तन:
ओडिशा राज्य में स्थित यह पत्तन लोह अयस्क का निर्यात करता है।
10. कोलकाता पत्तन:
यह एक अन्त:स्थलीय नदीय पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। हुगली नदी के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।
11. हल्दिया पत्तन:
कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार के दबाव को कम करने के लिए हल्दिया को सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।
प्रश्न 5.
व्यापार का अर्थ, प्रकार, घटक एवं महत्व बताइए।
अथवा
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।
उत्तर:
व्यापार का अर्थ:
व्यापार से अभिप्राय राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं, सेवाओं व विचारों के आदान-प्रदान से है। व्यापार के अन्तर्गत वस्तुओं व सेवाओं का परिवहन व संचलन लोगों व स्थानों के मध्य होता है। जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है तो उस वस्तु का परिवहन कम उत्पत्ति व अधिक आवश्यकता वाले स्थानों की ओर कुछ नियम व शर्तों के अधीन होता है। वस्तुओं के स्थानान्तरण की यही प्रवृत्ति व्यापार कहलाती है। दूसरे शब्दों में, वस्तुओं व सेवाओं के लेन-देन, आदान-प्रदान, विनिमय अथवा आयात-निर्यात को व्यापार कहते हैं।
1. व्यापार के प्रकार-क्षेत्र के आधार पर व्यापार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है:
- स्थानीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं व सेवाओं का आदान-प्रदान एक क्षेत्र विशेष के लोगों द्वारा स्थानीय रूप से किया जाता है, तो उसे स्थानीय व्यापार कहते हैं।
- राज्यस्तरीय व्यापार-जब कच्चे माल, निर्मित वस्तुओं और सेवाओं का आधार दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य होता है तो उसे राज्यस्तरीय, क्षेत्रीय अथवा प्रादेशिक व्यापार कहा जाता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-जब कच्चा माल, तैयार माल और सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के मध्य होता है तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
2. व्यापार के घटक:
व्यापार के दो घटक होते हैं: आयात, निर्यात। आयात व निर्यात का अन्तर ही देश के व्यापार संतुलन का निर्धारण करता है। यदि निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं। इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असन्तुलित व्यापार कहलाता है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व:
विभिन्न देशों की भौगोलिक परिस्थितियाँ समान नहीं हैं, जिस कारण वस्तुओं के उत्पादन एवं औद्योगिक विकास में भिन्नता पायी जाती है। आवश्यकता की विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति दूसरे देशों व स्थानों से आयात-निर्यात द्वारा की जाती है। यही प्रक्रिया व्यापार कहलाती है। व्यापार का महत्व प्रत्येक देश के लिए होता है। व्यापार का महत्व निम्न प्रकार है
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश के आर्थिक विकास स्तर को मापने में बैरोमीटर का काम करता है।
- इससे देश-विदेश के निवासियों के जीवन-स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा देश की माँग की पूर्ति के साथ-साथ सूचनाओं का विस्तार भी होता है।
- इससे सम्बन्धित देशों के मध्य सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक सम्बन्ध मजबूत होते हैं।
- देश के आर्थिक विकास और नागरिकों के जीवन-स्तर को उन्नत बनाने में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- इससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है तथा उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
- इससे उत्पादक व उपभोक्ता देशों के मध्य सम्बन्ध प्रगाढ़ होते हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा भूमण्डलीकरण में सहायता प्राप्त होती है।
- इससे देशों की अर्थव्यवस्था के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उच्चस्तरीय सन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य विकसित व सम्पन्न अर्थव्यवस्था के प्रतीक हैं, जबकि निम्नस्तरीय असन्तुलित आयात-निर्यात मूल्य पिछड़ेपन और विपन्न अर्थव्यवस्था को सूचित करते हैं।
मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
दिए गए भारत के रेखा-मानचित्र में निम्न को दर्शाइए
1. प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की स्थिति।
2. पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर स्थित पत्तनों की स्थिति
3. जवाहरलाल नेहरू समुद्री पत्तन।
4. पूर्व-पश्चिम गलियारे का’ सिरे का स्टेशन।
5. थिरूवनंथपुरम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
6. हल्दिया – प्रमुख समुद्री पत्तन।
7. कोच्चि – प्रमुख समुद्री पत्तन।
8. पारादीप – समुद्री पत्तन।
9. राजा साँसी – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
10. कांडला – प्रमुख समुद्री पत्तन।
11. मीनाम्बक्कम – अन्तर्राष्ट्रीय हवाई पत्तन।
उत्तर:
आरेख सम्बन्धी प्रश्न
प्रश्न 1.
परिवहन के साधनों को आरेख द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित तालिका को A और B स्थानों पर उपयुक्त शब्द लिखते हुए पूरा कीजिए परिवहन के साधन
उत्तर: