JAC Board Class 10th Social Science Important Questions History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद
वस्तुनिष्ठ
प्रश्न 1.
निम्न में से किस वर्ष महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे
(क) 1915 ई.
(ख) 1951 ई.
(ग) 1927 ई.
(घ) 1918 ई.
उत्तर:
(क) 1915 ई.
2. सत्याग्रह निम्नलिखित में से क्या था ?
(क) शुद्ध आत्मिक बल
(ख) कमज़ोर का हथियार
(ग) भौतिक (शारीरिक बल)
(घ) हथियारों का बल
उत्तर:
(क) शुद्ध आत्मिक बल
3. चौरी-चौरा कांड किस वर्ष हुआ
(क) 1920 ई.
(ख) 1922 ई.
(ग) 1925 ई.
(घ) 1928 ई.
उत्तर:
(ख) 1922 ई.
4. कुछ घटनाएँ नीचे दी गई हैं। उचित कालक्रमानुसार क्रम का चयन कीजिए
1. साइमन कमीशन का भारत आना ।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग
3. भारत अधिनियम 1919
4. चंपारन सत्याग्रह सही विकल्प का चयन कीजिए
(क)3-2-4-1
(ख) 1-2-3-4
(ग) 2-3-1-4
(घ) 4-3-1-2
उत्तर:
(घ) 4-3-1-2
5. किस घटना से सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत हुई
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा
(ख) जब गाँधी-अम्बेडकर समझौता हुआ
(ग) जब गाँधीजी ने इरविन को पत्र लिखा
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) जब गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ा
6. पूना पैक्ट किन दो नेताओं के मध्य हुआ?
(क) गाँधीजी व नेहरू
(ख) नेहरू व सुभाषचन्द्र बोस
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर
(घ) गाँधीजी व सरदार पटेल
उत्तर:
(ग) गाँधीजी व डॉ.अम्बेडकर
7. निम्नलिखित में से किसने ‘वन्देमातरम्’ लिखा?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ग) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
(घ) द्वारकानाथ टैगोर
उत्तर:
(ख) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
8. निम्न में से किसने आन्दोलन से प्रेरित होकर भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया
(क) बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ख) कृपाल सिंह शेखावत ने ।
(घ) राजा रवि वर्मा ने
उत्तर:
(ख) अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. भारत आने के बाद गाँधीजी ने कई स्थानों पर ……. आंदोलन चलाया।
उत्तर:
सत्यग्राह
2. ………. आंदोलन जनवरी, 1921 में प्रारंभ हुआ।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत,
3. फरवरी माह, 1992 ई. में ………. कांड हुआ।
उत्तर:
चौरी-चौरा,
4. ………. को गांधी-इरविन समझौता हुआ।
उत्तर:
मार्च,
5. ………. ने भारत माता की छवि को चित्रित किया।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर।
अति लयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सत्याग्रह के विच्चार में किस बात पर जोर दिया जाता है?
उत्नर:
सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति के आय्रह एबं सत्य की खोज पर जोर दिया आता है।
प्रश्न 2.
सत्याय्रह से कर्मा अभिप्राय है?
उत्तर:
मात्मा गाँधी के अनुसार, सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है। मत्य ही आत्मा का आधार होता है। इसीलिए इस बल को सत्याग्रह का नाम दिया गया है।
प्रश्न 3.
उन तीन स्थानों के नाम बताइए जहाँ गाँधीजी ने सत्याग्रह किया था ?
उत्तर:
गाँधीजी के सत्याग्रह से सम्बन्धित तीन स्थान-
- चंपारन-बिहार,
- खेड़ा-गुजरात,
- अहमदाबाद – गुजरात।
प्रश्न 4.
भारत में सबसे पहले महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह किस स्थान पर आयोजित किया था?
उत्तर: चंपारन (बिहार, 1916) में।.
प्रश्न 5.
चंपारन में गाँधी ने किसानों को क्या प्रेरणा दी?
उत्तर:
सन् 1916 में गाँधीजी ने बिहार के चंपारन का दौरा कर दमनकारी शासन व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न 6.
तैरेट एकड दर्यो तागू किया गया था?
अथवा
भारतीयों ने किस विधेयक को ‘काला कानून’ का
उत्तर:
रॉलेट एक्ट को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने तथा राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बन्द रखने के लिए लागू किया गया। भारतीयों ने इसे ‘काला कानून’ कहा और विरोध किया।
प्रश्न 7.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड कब व कहाँ हुआ?
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में हुआ।
प्रश्न 8.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए कौन
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के लिए जनरल डायर उत्तरदायी था जिसने निहत्थी जनता पर गोली चलाने का आदेश दिया।
प्रश्न 9.
भारत में खिलाफ़ आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया गया ?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार द्वारा तुर्की के खलीफा के साथ किये गये विश्वासघात के कारण मुसलमानों में असन्तोष था। खलीफा की प्रतिष्ठा की पुनस्थ्थापना हेतु भारत में खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था।
प्रश्न 10.
खिलाफ्त समिति का गठन कब व क्यों किया गया ?
उत्तर:
खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च, 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।
प्रश्न 11.
हिन्द स्वराज पुस्तक के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर:
हिन्द स्वराज्य पुस्तक के लेखक महात्मा गाँधी थे।
प्रश्न 12.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई?
उत्तर:
दिसम्बर, 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम को स्वीकृति प्राप्त हुई।
प्रश्न 13.
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ तथा इसमें किसने हिस्सा लिया ?
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन जनवरी, 1921 में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया।
प्रश्न 14.
पिकेर्टिंग क्या है ?
उत्तर:
प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, कारखाना अथवा कार्यालय के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।
प्रश्म 15.
अवध किसान सभा किसके द्वारा बमाई गई?
उतर:
अवध किसान सभा जवाहरलाल नेहरू, बाबा रामचंत्र और कुछ अन्य लोगों द्वारा बनाई गई।
प्रश्न 16.1
920 के दशक में किस राज्य में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ?
उत्तर:
1920 के दशक में आन्ध्र प्रदेश राज्य की गूड़ेम पहाड़ियों में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन शुरू हुआ था।
प्रश्न 17.
“इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट” क्या था?
उत्तर:
इनलेंड इमिग्रेशन एक्ट 1859 ई. में बना था। इसके तहत बागानों में काम करने वाले मजदूर बिना इजाजत बागानों से बाहर नहीं जा सकते थें।
प्रश्न 18.
गाँधीजी ने किस घटना के कारण असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया ?
अथवा
गाँधीजी ने 1922 में असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:
चौरी-चौरा की हिंसात्मक घटना के कारण गाँधी जी ने फरवरी, 1922 में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।
प्रश्न 19.
साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्य-शैली का अध्ययन करने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया था ?
प्रश्न 20.
पूर्ण स्वराज की माँग कांग्रेस के किस अधिवेशन में और कब रखी गयी?
अथवा
कांग्रेस ने किस अधिवेशन में “पूर्ण स्वराज्य”‘ की माँग की?
उत्तर:
पूर्ण स्वराज की माँग दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रखी गयी।
प्रश्न 21.
1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
जवाहर लाल नेहरु।
प्रश्न 22.
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में क्या तय किया गया?
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में यह तय किया गया कि 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा तथा उस दिन लोग पूर्ण स्वराज्य के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे।
प्रश्न 23.
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व धा?
उत्तर:
1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया था।
प्रश्न 24.
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को कौन शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया?
उत्तर:
देश की एकजुटता के लिए गाँधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया।
प्रश्न 25.
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा का प्रमुख उद्देश्य अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ना था।
प्रश्न 26.
गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ? इस समझौते की मुख्य बात क्या थी?
उत्तर:
5 मार्च, 1931 को गाँधी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते के माध्यम से गाँधीजी ने लन्दन में आयोजित होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी सहमति प्रदान की थी।
प्रश्न 27.
लेजिस्लेटिव असेंबली पर कब व किसने बम फेंका ?
उत्तर:
1929 ई. में भगतसिहह एवं बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम फेंका था।
प्रश्न 28.
यह किसने कहा था कि “हम बम और पिस्तौल की उपासना नहीं करते बल्कि समाज में क्रांति चाहते हैं।”
उत्तर:
भगतसिंह ने।
प्रश्न 29.
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा किस स्वतन्त्रता सेनानी ने दिया?
उत्तर:
‘इंकलाब जिन्दाबाद’ का नारा सरदार भगतसिंह ने दिया था।
प्रश्न 30.
गाँवों में सम्पत्न कृषकों एवं उत्तर प्रदेश के जाटों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों सक्रिय भाग लिया?
उत्तर:
क्योंकि वे व्यावसायिक फसलों की खेती के कारण व्यापार में मंदी एवं गिरती कीमतों से परेशान थे।
प्रश्न 31.
अधिकांश व्यवसायी स्वराज को कैसे युग के रूप में देखते थे?
उत्तर:
जहाँ व्यापार पर औपनिवेशिक पाबन्दियाँ नहीं होंगी एवं व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।
प्रश्न 32.
किसने व कब दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया?
अथवा
दमित वर्ग एसोसिएशन का गठन कब हुआ? 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन 1930 में किसने दलितों को ‘दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया। में संगठित किया।
उत्तर:
सन् 1930 ई. में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।
प्रश्न 33.
दलित वर्गों ने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग क्यों की?
उत्तर:
दलित वर्गों का मत था कि उनकी सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तिकरण से ही दूर हो सकती है। इसलिए उन्होंने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की।
प्रश्न 34.
पूना समझौता कब और किन-किन के मध्य हुआ?
उत्तर:
पूना समझौता सितम्बर, 1932 में महात्मा गाँधी व डॉ. भीमराम अम्बेडकर के मध्य हुआ था।
प्रश्न 35.
पूना पैक्ट की किन्हीं दो मुख्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. दलित वर्गों के लिए प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें दी जायें,
2. दलित वर्गों के लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही-हो।
प्रश्न 36.
‘आनंदमठ’ उपन्यास के लेखक का नाम बताइए।
उत्तर:
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय।
प्रश्न 37.
अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित भारत माता की पेंटिंग की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में दर्शाया, जिसमें वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
दक्षिणी अफ्रीका में महात्मा गाँधी सत्याग्रह में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने 6 नवम्बर, 1913 ई. को न्यूकैसल से ट्रांसवाल की ओर बढ़ रहे मजदूरों के जुलूस का नेतृत्व किया। इस जुलूस को जब अंग्रेज सरकार द्वारा रोका गया तो हजारों मजदूर अश्वेतों के अधिकारों का हनन करने वाले नस्लभेदी कानूनों के खिलाफ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह में सम्मिलित हो गये।
प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट क्या था? इस एक्ट का किसने विरोध किया?
उत्तर:
रॉलेट एक्ट, इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल द्वारा पारित एक ऐसा कानून था जिसके तहत ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने एवं राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द रखने की अनुमति मिल गयी थी। इस एक्ट का भारतीयों ने विरोध किया।
प्रश्न 3.
अंग्रेज सरकार ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में क्या-क्या कदम उठाए?
अथवा
राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उठाए गए किन्हीं तीन दमनकारी उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेज सरकार ने रॉलट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में निम्नलिखित कदम उठाए
- रैलियों एवं जुलूसों पर रोक लगाई गयी।
- अंग्रेजी सरकार द्वारा रेलवे व संचार व्यवस्था की सुरक्षा हेतु इंतजाम किये गये।
- अमृतसर के स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार किया गया।
- दिल्ली में महात्मा गाँधी के प्रवेश पर रोक लगा दी गयी।
- अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया तथा जनरल डायर ने कमान संभाल ली।
प्रश्न 4.
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलियाँवाला बाग घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया निम्न प्रकार थीं
- जलियाँवाला बाग घटना की खबर फैलते ही उत्तर भारत के अनेक शहरों में लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतरने लगे।
- हड़तालें होने लगीं, लोग पुलिस का सामना करने लगे तथा सरकारी इमारतों को निशाना बनाने लगे।
प्रश्न 5.
गाँधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन क्यों किया?
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी सम्पूर्ण भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आन्दोलन चलाना चाहते थे लेकिन उनका मानना था कि हिन्दू और मुसलमानों को एक-दूसरे के नजदीक लाए बिना ऐसा कोई आन्दोलन नहीं चलाया जा सकता इसलिए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। मोहम्मद अली एवं शौकत अली बन्धुओं जैसे युवा मुस्लिम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त जन कार्यवाही की सम्भावना तलाशने के लिए महात्मा गाँधीजी के साथ चर्चा शुरू कर दी थी।
प्रश्न 6.
महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग की नीति क्यों अपनायी?
अथवा
गाँधीजी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय क्यों किया?
उत्तर:
अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ में महात्मा गाँधी ने कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था तथा यह शासन इसी सहयोग की वजह से चलाया जा रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्षभर के भीतर ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज की स्थापना हो जायेगी। अत: गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।
प्रश्न 7.
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की कौन-कौन सी योजनाएँ थीं?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
महात्मा गाँधी द्वारा सुझाए गए असहयोग आन्दोलन के संदर्भ में प्रमुख प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के पीछे गाँधीजी की निम्नलिखित योजनाएँ थीं
- असहयोग आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए।
- अंग्रेज सरकार द्वारा दी गई समस्त पदयिय वापिस कर दी जाने
- भारतीयों को सरकारी नाकारयों, सेना, पुलिस, अदालतों, म्कलों, विधाया परिषदों एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए।
- यदि अंग्रेज सरकार दमनात्मक कार्यवाही करती है तो एक व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत की जायेगी।
प्रश्न 8.
भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति क्या प्रतिक्रिया हुई ?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के किन्हीं तीन आर्थिक प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असहयोग आन्दोलन का क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘असहयोग आन्दोलन’ किस प्रकार शहरी मध्य वर्ग की हिस्सेदारी के साथ शहरों में हुआ? आर्थिक मोर्चे पर इसके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- भारत के शहरी मध्यम वर्ग में असहयोग आन्दोलन के प्रति निम्नलिखित प्रतिक्रियाएँ हुईं
- हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का परित्याग कर दिया।
- प्रधानाध्यापकों एवं अध्यापकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
- वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिया।
- मद्रास (वर्तमान चेन्नई) के अतिरिक्त अधिकांश प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
- असहयोग आन्दोलन के आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित थे
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों पर धरने दिये गये तथा विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई।
- 1921 से 1922 ई. के मध्य विदेशी कपड़ों का आयात आधा हो गया। उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई।
- जब लोगों ने विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।
प्रश्न 9.
कुछ समय पश्चात् शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन धीमा पड़ने लगा। क्यों?
अथवा
असहयोग आन्दोलन के धीरे-धीरे धीमा हो जाने के पीछे कौन से कारण उत्तरदायी थे?
अथवा
शहरों में असहयोग आन्दोलन के मंद होने के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शहरों में असहयोग-खिलाफत आन्दोलन के धीमा पड़ने/पतन के निम्नलिखित कारण थे
- वृहत् स्तर पर मिलों में बनने वाले कपड़ों की अपेक्षा खादी के कपड़े महँगे थे जिन्हें गरीब नहीं खरीद सकते थे। अतः गरीब लोगों ने मिलों के कपड़े पहनने ही पसन्द किए।
- वैकल्पिक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की प्रक्रिया के धीमा होने के कारण विद्यार्थी व शिक्षक राजकीय विद्यालयों में वापस लौटने लगे।
- वकीलों के लिए बेरोजगारी एक समस्या बन गयी। अत: वे अपने काम पर धीरे-धीरे वापस लौटने लगे।
प्रश्न 10.
अवध के किसानों की क्या समस्याएँ थीं? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अवध के किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं
- अवध के तालुकदारों एवं जमींदारों द्वारा किसानों से अधिक लगान एवं अन्य प्रकार के कर वसूले जा रहे थे।
- किसानों को जमींदारों के खेतों पर बेगार अर्थात् बिना किसी पारिश्रमिक के काम करना पड़ता था।
- एक पट्टेदार के रूप में किसानों के पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से बेदखल कर दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके।
प्रश्न 11.
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए क्या किया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहे भारतीय नेताओं को सन्तुष्ट करने के लिए निम्नलिखित घोषणाएँ की
- वायसराय लॉर्ड इरविन ने भारत को एक डोमिनियन स्टेट्स प्रदान करने के अस्पष्ट प्रस्ताव की घोषणा की।
- भारत के भावी संविधान के बारे में चर्चा करने के लिए एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने से पहले गाँधीजी ने क्या किया?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने से पहले गाँधीजी ने 31 जनवरी, 1930 को वायसराय इरविन को पत्र लिखकर अपनी 11 सूत्री माँगें उसके समक्ष पी। इन्हीं माँगों में से एक थी नमक कर को समाप्त करना। गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार को 11 मार्च 1930 ई. तक सभी माँगें मान ल. की चेतावनी दी अन्यथा वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ कर देंगे।
प्रश्न 13.
महात्मा गाँधी ने अंग्रेज सरकार के विरुद्ध लड़ने के लिए नमक को ही अस्त्र के रूप में क्यों चुना?
उत्तर:
- नमक भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था जिसका प्रयोग अमीर व गरीब दोनों समान रूप से करते हैं।
- ब्रिटिश सरकार ने नमक पर कर तथा उसके उत्पादन पर सरकारी एकाधिकार स्थापित कर रखा था जो कि ब्रिटिश सरकार का एक दमनकारी पहलू था।
- स्वतन्त्रता आन्दोलन को व्यापक आधार प्रदान करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक अस्त्र के रूप में चुना।
प्रश्न 14.
गाँधीजी की नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या था? गाँधीजी द्वारा इस उद्देश्य की पूर्ति किस प्रकार की गई?
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा 12 मार्च, 1930 को साबरमती से प्रारम्भ होकर 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचकर समाप्त हुई। गाँधीजी की इस नमक यात्रा का मुख्य उद्देश्य अंग्रेज सरकार द्वारा निर्मित नमक कानून को तोड़ना था। गाँधीजी ने समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाकर इस उद्देश्य को पूर्ण किया।
प्रश्न 15.
गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस क्यों लिया ?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान अप्रैल, 1930 में महात्मा गाँधी के साथी खान अब्दुल गफ्फार खान एवं मई, 1930 में महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी से आन्दोलन उग्र हो गया। लोगों ने हिंसक गतिविधियों की जिससे कई लोग मारे गये। अतः जनता द्वारा की जाने वाली हिंसात्मक कार्यवाहियों के कारण गाँधीजी ने आन्दोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया।
प्रश्न 16.
गाँवों के सम्पन्न किसान समुदाय ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में क्यों भाग लिया?
अथवा
सम्पन्न कृषक सिविल नाफरमानी आन्दोलन में क्यों सम्मिलित हुए?
उत्तर:
- सम्पन्न कृषक व्यापारिक फसलों का उत्पादन करते थे, कीमतों में गिरावट के कारण व्यापार में मन्दी आ गई, जिसके कारण उनकी आय में बहुत कमी आ गई थी।
- उनकी नगद आय समाप्त होने से उनके द्वारा राजकीय लगान चुकाना मुश्किल हो गया।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा लगान में कमी करने से इन्कार कर दिया गया था।
- इससे सम्पन्न कृषकों में रोष उत्पन्न हो गया और वे सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय हो गये।
प्रश्न 17.
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ में गरीब किसानों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते थे। महामंदी के लम्बी खिंचने तथा नकद आमदनी के कम होने पर उनके लिए जमीन का किराया चुकाना मुश्किल हो गया। अतः वे लगान में कमी के साथ ही जमींदारों को दिए जाने वाले भाड़े की माफी चाहते थे। इसलिए उन्होंने कई क्रांतिकारी आन्दोलनों में भाग लिया। इन आन्दोलनों का नेतृत्व प्रायः समाजवादियों तथा कम्युनिस्टों द्वारा किया जाता था। कांग्रेस ‘भाड़ा विरोधी’ आन्दोलनों का समर्थन करने में संकोच करती थी क्योंकि इससे अमीर किसानों तथा जमींदारों के नाराज होने का डर था। अत: गरीब किसानों तथा कांग्रेस के मध्य संबंध अनिश्चित बने रहे।
प्रश्न 18.
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
महिलाओं ने सविनय अवज्ञान आन्दोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1930 ई. के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर महिलाओं ने भाग लिया। गाँधीजी के नमक सत्याग्रह के दौरान वे अपने घरों से बाहर निकलीं। उन्होंने जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया तथा विदेशी वस्त्रों एवं शराब की दुकानों पर विरोध प्रदर्शन किया। कई महिलाएँ जेल भी गईं। शहरी क्षेत्रों में जो महिलाएँ उच्च जाति वर्ग की तथा ग्रामीण क्षेत्रों में से धनिक कृषक परिवारों में से थीं, वे राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र कर्त्तव्य मानती थीं।
प्रश्न 19.
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए ? संक्षेप में बताइए।
अथवा
गाँधी द्वारा हरिजनों को उनके अधिकारों को दिलाने के लिए लिए तीन प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने अछूतों को उनके अधिकार दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किये
- गाँधीजी ने अछूतों को हरिजन अर्थात् ईश्वर की सन्तान बताया।
- उन्होंने मन्दिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों एवं कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया।
- मैला ढोने वालों के काम को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए उन्होंने स्वयं शौचालय साफ किए।
- गाँधीजी ने ऊँची जातियों का आह्वान किया कि वे अपना हृदय परिवर्तन करें एवं अस्पृश्यता के पाप का त्याग करें।
प्रश्न 20.
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता कौन थे? इस संगठन की प्रमुख माँगें क्या थीं?
उत्तर:
मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे। मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचक मण्डल की माँग की किन्तु बाद में मुस्लिम लीग अपनी इस माँग को छोड़ने के लिए तैयार हो गयी बशर्ते मुसलमानों को केन्द्रीय सभा में सीटों का आरक्षण दिया जाए तथा मुस्लिम बाहुल्य प्रान्तों में मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए।
प्रश्न 21.
बंगाल में ‘स्वदेशी आन्दोलन’ के दौरान किस प्रकार का झण्डा तैयार किया गया था? इसकी मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान हरे, पीले व लाल रंग का एक तिरंगा झण्डा तैयार किया गया। मुख्य विशेषताएँ:
- इसमें कमल के आठ फूलों को दर्शाया गया जो कि ब्रिटिश भारत में आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- इसमें अर्द्धचंद्र दर्शाया गया जो हिन्दुओं और मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता था।
प्रश्न 22,
1921 तक किसने स्वराज का झण्डा’ तैयार कर लिया था? स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1921 तक महात्मा गाँधी ने भी स्वराज का झण्डा तैयार कर लिया था। मुख्य विशेषताएँ
- यह झण्डा तिरंगा (सफेद, हरा व लाल) था।
- इसके बीच में गाँधीवादी प्रतीक चरखें को स्थान दिया गया था जो स्वावलंबन का प्रतीक था।
- यह झण्डा जुलूसों में थामकर चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में उत्पन्न नई आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा भारत में पैदा की गई नयी आर्थिक स्थिति के संदर्भ में किन्हीं तीन तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर प्रथम विश्वयुद्ध के निहितार्थों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
- प्रथम विश्वयुद्ध ने नई आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति पैदा कर दी थी।
- युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, जिसकी भरपाई युद्ध-ऋणों व करों में वृद्धि से की गई।
- युद्ध के दौरान देश में विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई। 1913 से 1918 ई. के मध्य कीमतें लगभग दो गुनी हो गईं जिसके कारण सामान्य जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्हें अपनी सीमित आमदनी से घरेलू आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदना मुश्किल हो गया।
- अंग्रेजों ने गाँवों के लोगों को जबरदस्ती सेना में भर्ती कर लिया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रोष फैल गया।
- आर्थिक कठिनाइयों के कारण लोगों का जीवन स्तर निम्न होने से उन्हें अनेक बीमारियों ने घेर लिया जिनमें फ्लू की महामारी प्रमुख थी।
प्रश्न 2.
किन्हीं ऐसे तीन कार्यों को बताइए जो गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद किए ?
अथवा
भारत आने के बाद गाँधी जी ने किन-किन तीन स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया?
गाँधीजी ने निम्नलिखित सत्याग्रह क्यों किए
(अ) चम्पारन,
(ब) खेड़ा,
(स) अहमदाबाद।
अथवा चम्पारन किसान आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के तुरन्त बाद महात्मा गाँधी द्वारा किए गए कार्य अथवा सत्याग्रह निम्नलिखित थे
1. बिहार के चम्पारन में अंग्रेज सरकार द्वारा बागान श्रमिकों का शोषण किया जाता था। महात्मा गाँधी को यह जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंने 1916 ई. में चम्पारन का दौरा कर सत्याग्रह के माध्यम से दमनकारी बागान व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
2. फसल खराब हो जाने एवं प्लेग की महामारी के कारण गुजरात के खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की स्थिति में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाये। – जी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने 1917 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया।
3. अहमदाबाद के सूती कपड़ा मिलों के मजदूर अपनी कठोर सेवा शतों से परेशान थे। गाँधीजी को यह जानकारी मिलने पर उन्होंने सन् 1918 ई. में अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह का आयोजन किया।
प्रश्न 3.
खिलाफत आन्दोलन क्या था? राष्ट्रीय आन्दोलन में इसके महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन तुर्की साम्राज्य को पराजय का सामना करना पड़ा था। भारतीय मुसलमान अंग्रेज सरकार से नाराज थे क्योंकि उसने तुर्की के सुल्तान के साथ उचित व्यवहार नहीं किया। तुर्की के सुल्तान को विश्वभर के मुसलमानों का आध्यात्मिक नेता (खलीफा) माना जाता था।
इस आशय की खबर फैली हुई थी कि इस्लामिक विश्व के आध्यात्मिक नेता (खलीफा) ऑटोमन सम्राट पर एक कठोर सन्धि थोपी जायेगी। इस प्रकार से खलीफा को अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। मोहम्मद अली व शौकत अली इसके प्रमुख नेता थे।
गाँधीजी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधीजी ने दूसरे अन्य नेताओं को खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करने एवं स्वराज्य के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफत आन्दोलन का बहुत अधिक महत्त्व था। इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गति प्रदान की तथा हिन्दू व मुसलमानों में एकता स्थापित की। मुसलमानों ने भी असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
प्रश्न 4.
1909 में गाँधी जी द्वारा रचित पुस्तक का नाम बताइए। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति क्यों अपनावी?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जी ने 1909 में ‘हिन्दू स्वराज’ नामक पुस्तक का लेखन किया था। गाँधी जी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन उसी सहयोग की वजह से चल रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्ष भर के भीतर ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज्य की स्थापना हो जायेगी।
असहयोग का विचार आन्दोलन कैसे बन सकता था? गाँधी जी का सुझाव था कि यह आन्दोलन चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। सर्वप्रथम लोगों को सरकार द्वारा दी गई उपाधियाँ लौटा देनी चाहिए तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए, यदि ब्रिटिश सरकार भारतीयों पर दमन का रास्ता अपनाती है तो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन खत्म कर दिया जाए।
प्रश्न 5.
देहात में असहयोग आन्दोलन के फैलने का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन शहरों से बढ़कर देहात में भी फैल गया। प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् देश के विभिन्न भागों में चले किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में समा गए। अवध में किसानविद्रोह का नेतृत्व संन्यासी बाबा रामचन्द्र कर रहे थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों व जमीदारों के विरुद्ध था।
जवाहरलाल नेहरू ने अनेक गाँवों का दौरा कर किसानों को असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित करने का प्रयास किया। 1921 में जब असहयोग आन्दोलन फैला तो तालुकदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले होने लगे। आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में फैले आन्दोलन का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू कर रहे थे। उन्होंने लोगों को खादी पहनने एवं शराब छोड़ने को प्रेरित किया।
प्रश्न 6.
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की क्या समस्याएँ थीं?
अथवा
वे कौन-कौन से कारण थे जिनकी वजह से आन्ध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों के आदिवासी किसानों ने विद्रोह किया ?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों की निम्नलिखित समस्याएँ थीं जिसकी वजह से उन्होंने विद्रोह किया
- ब्रिटिश सरकार ने सम्पूर्ण वन क्षेत्र में लोगों के प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी थी।
- आदिवासी लोग अपने मवेशियों को वन क्षेत्र में नहीं चरा सकते थे।
- अब आदिवासी लोग वन क्षेत्र से जलावन की लकड़ी एवं फल इकट्ठा नहीं कर सकते थे।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें सड़कों के निर्माण कार्य में बेगार करने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा आदिवासी लोगों के परम्परागत अधिकारों को छीना जा रहा था जिससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था। इन समस्याओं के कारण पहाड़ी क्षेत्र के आदिवासी किसानों ने 1920 के दशक के प्रारम्भ में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन के रूप में विद्रोह कर दिया।
प्रश्न 7.
गाँधीजी की ‘नमक यात्रा’ को स्पष्ट कीजिए और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना बताइए।
अथवा
‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ का कार्यक्रम क्या था? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा-नमक कर को समाप्त करने की गाँधीजी की माँग को ब्रिटिश सरकार द्वारा नहीं माना गया फलस्वरूप गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वसनीय सहयोगियों के साथ प्रसिद्ध दांडी यात्रा की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती में गाँधीजी के आश्रम से लेकर गुजरात के तटीय शहर दांडी तक 240 किमी लम्बी थी।
6 अप्रैल, 1930 ई. को गाँधीजी दांडी पहुँचे तथा समुद्री पानी को उबालकर नमक बनाकर उन्होंने नमक कानून को तोड़ा। यहीं से सविनय आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना-गाँधीजी द्वारा प्रारम्भ सविनय अवज्ञा आन्दोलन की कार्य-योजना में निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं
- नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ना,
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना एवं स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना,
- महिलाओं द्वारा शराब व विदेशी वस्तुओं की दुकानों पर धरना देना,
- अंग्रेजों को सहयोग न करना,
- औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करना,
- सरकारी कर्मचारियों द्वारा अपनी नौकरियों से त्याग-पत्र देना,
- जन-सामान्य द्वारा सरकारी स्कूलों व कॉलेजों का बहिष्कार करना।
प्रश्न 8.
इतिहास की पुनर्व्याख्या ने राष्ट्रवाद की भावनाओं को बढ़ावा देने में किस प्रकार मदद की?
अथवा
“भारत के इतिहास की पुनर्व्याख्या राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक और साधन थी।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।
उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अतः राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उसकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए एवं संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया। निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रथम विश्व युद्ध द्वारा थोपी गई पाँच प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित थीं:
1. करों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इन खर्चों की पूर्ति हेतु सरकार ने करों में वृद्धि कर दी। सीमा शुल्क को बढ़ा दिया तथा आयकर नामक एक नया कर भी लगा दिया गया। इससे जनता दुखी हो गई।
2. कीमतों में वृद्धि-प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वस्तुओं की कीमतें लगभग दो गुनी हो चुकी थीं। बढ़ती हुई कीमतों के कारण आम जनता की कठिनाइयाँ बढ़ गयीं और उनका जीवन निर्वाह करना भी कठिन हो रहा था।
3. सैनिकों की बलपूर्वक भर्ती-प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सरकार को अधिक से अधिक सैनिकों की आवश्यकता थी। अतः गाँवों में भारतीय युवाओं को सेना में बलपूर्वक भर्ती किया गया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश फैल गया।
4. दुर्भिक्ष और महामारी का प्रकोप-वर्ष 1918-1920 व 1920-1921 में देश में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। उसी समय देशभर में फ्लू की महामारी फैल गयी। दुर्भिक्ष व महामारी के कारण 120-130 लाख भारतीय मौत के मुँह में समा गए।
5. जनता की आकांक्षाएँ पूरी न होना-भारतीय जनता को यह आशा थी कि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् उसके कष्टों एवं कठिनाइयों का अन्त हो जायेगा परन्तु उनकी आकांक्षाएँ पूरी नहीं हुई। इस कारण भी भारतीयों में घोर असन्तोष फैला हुआ था।
प्रश्न 2.
गाँधीजी के सत्याग्रह सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए। गाँधीजी के किन गुणों ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को एक जन आन्दोलन बना दिया?
उत्तर:
महात्मा गाँधी जनवरी, 1915 दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। गाँधीजी ने एक नए तरह के आन्दोलन पर चलते हुए दक्षिण अफ्रीका की नस्लभेदी सरकार से सफलतापूर्वक लोहा लिया था। इस पद्धति को वह सत्याग्रह कहते थे। सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था।
सत्याग्रह का अर्थ यह था कि यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है, तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का भारत में राष्ट्रवाद 45 सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। सत्याग्रह के लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिंझोड़ना चाहिए।
उत्पीड़क शत्रु को हिंसा के जरिए सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाए सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है। गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा का यही मार्ग सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है। गाँधीजी के अहिंसावादी गुणों के कारण उनके साथ विद्यार्थी, शिक्षक, वकील, किसान, उद्योगपति, श्रमिक व सभी जाति, धर्मों के लोग जुड़ गये और उनके आन्दोलन ने जन आन्दोलन का रूप ले लिया।
प्रश्न 3.
रॉलेट एक्ट क्या था? गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध एवं ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति का वर्णन कीजिए।
अथवा
रॉलेट एक्ट का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
गाँधीजी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट-देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना गया। इस कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकद्मा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।
गाँधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोध-गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये। दुकानों को बन्द कर दिया गया। ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति-गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई।
अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दीं। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया।
ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए भी एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलाबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में घायल हो गये।
प्रश्न 4.
असहयोग:
खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे कौन-कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार थीं?
अथवा
गाँधीजी ने असहयोग व खिलाफत आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? किस कारण यह आन्दोलन वापस ले लिए गए?
अथवा
1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के खिलाफ गाँधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला क्यों लिया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
असहयोग-खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ होने के पीछे निम्नलिखित परिस्थितियाँ जिम्मेदार थीं
1. प्रथम विश्वयुद्ध द्वारा पैदा की गई परिस्थितियाँ:
प्रथम विश्वयुद्ध 1914 ई. से 1918 ई. के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध के कारण रक्षा व्यय में बहुत अधिक वृद्धि हुई, इन खर्चों की भरपाई के लिए करों में वृद्धि की गयी। युद्ध के कारण कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया तथा आयकर शुरू कर दिया गया। इन सब कारणों से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयीं।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जबरन सेना में भर्ती करने के कारण बहुत अधिक रोष व्याप्त था। सन् 191819 एवं 1920-21 में देश के अधिकांश भागों में फसल खराब हो गयी थी, जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव उत्पन्न हो गया था। दुर्भिक्ष एवं फ्लू की महामारी के कारण अनेक लोग मारे गये। लोगों को ऐसी उम्मीद थी कि विश्वयुद्ध की समाप्ति से उनकी मुसीबत कम होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
2. गाँधीजी की दक्षिण अफ्रीका से वापसी एवं सत्याग्रह:
महात्मा गाँधी जनवरी 1915 ई. में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा एवं सत्याग्रह का नया तरीका अपनाकर वहाँ की औपनिवेशिक सरकार से सरलतापूर्वक टक्कर ली। भारत में भी उन्होंने अनेक स्थानों; जैसे-चंपारन (बिहार), खेड़ा (गुजरात) एवं अहमदाबाद (गुजरात) आदि में सफलतापूर्वक सत्याग्रह का आयोजन किया। इन सत्याग्रहों ने असहयोग आन्दोलन को आधार प्रदान किया।
3. रॉलेट एक्ट:
भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउन्सिल ने रॉलेट एक्ट कानून को पारित कर दिया। इस एक्ट के तहत पुलिस के अधिकारों में बहुत अधिक वृद्धि हुई। इस कानून के तहत सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए तथा राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द रखने का अधिकार मिलं गया था। अतः गाँधी जी ने इस एक्ट के खिलाफ राष्ट्रव्यायी सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का फैसला लिया।
4. जलियाँवाला बाग की घटना:
जलियाँवाला बाग की घटना ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन का और अधिक विरोधी बना दिया। पहले से ही रॉलेट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन हो रहे थे। जलियाँवाला बाग में लोग वैशाखी मेले के साथ-साथ इस एक्ट का विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। जनरल डायर ने वहाँ पहुँचकर निहत्थी भीड़ को गोलियों से भून दिया। इस हत्याकांड में अनेक लोग मारे गये व अनेक घायल हुए। जैसे ही इस हत्याकांड की खबर देश की जनता में फैली, लोग अंग्रेज सरकार के विरुद्ध सड़कों पर उतर पड़े।
आन्दोलन वापस लेने के कारण निम्नलिखित थे:
1. गोरखपुर स्थित चौरी:
चौरा के बाज़ार से गुज़र रहा एक शान्तिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया। इस घटना के बारे में सुनते ही महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन रोकने का आहवान किया।
2. फरवरी:
1922 में महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला कर लिया क्योंकि उनको लगता था कि आन्दोलन हिंसक हाता जा रहा है और सत्याग्रहियों को व्यापक प्रशिक्षण की ज़रूरत है।
3. आन्दोलन यापन लेने का:
एक कारण यह भी था कि कांग्रेस के कुछ नेता इस तरह के जनसंघर्षों से थक चुके थे तथा वे प्रान्तीय परिपदी के चुनाव में हिस्सा होना चाहते थे जिससे कि वे ब्रिटिश नीतियों का विरोध कर सकें।
प्रश्न 5.
अवध किसान आन्दोलन के घटनाक्रम का वर्णन कीजिए। किसानों ने विरोध प्रदर्शन कैसे किया ?
उत्तर:
अवध में संन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों के आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे। बाबा रामचन्द्र इससे पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर काम कर चुके थे। उनका आन्दोलन तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ था, जो किसानों से भारी-भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल कर रहे थे। किसानों को बेगार करनी पड़ती थी।
पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं होते थे। उन्हें बार-बार पट्टे की जमीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका कोई अधिकार स्थापित न हो सके। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म हो और दमनकारी ज़मींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। बहुत सारे स्थानों पर ज़मींदारों को नाई-धोबी की सुविधाओं से भी वंचित करने के लिए पंचायतों ने नाई-धोबी कार्य बन्द करने का फैसला लिया।
भारत में राष्ट्रवाद (47) जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गाँवों का दौरा किया, गाँव वालों से बातचीत की और उनकी व्यथा समझने का प्रयास किया। अक्टूबर तक जवाहर लाल नेहरू, बाबा रामचन्द्र तथा कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन कर लिया गया।
महीने भर में इस पूरे इलाके के गाँवों में संगठन की 300 से ज्यादा शाखाएँ बन चुकी थीं। अगले साल जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो कांग्रेस ने अवध के किसान संघर्ष को इस आन्दोलन में शामिल करने का प्रयास किया लेकिन किसानों के आन्दोलन में ऐसे स्वरूप विकसित हो चुके थे जिनसे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं था।
प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन किन परिस्थितियों में चलाया गया?
अथवा
1930 में महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निर्णय कैसे किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं नमक आन्दोलन निम्न परिस्थितियों में चलाया गया
1. साइमन कमीशन की असफलता:
भारत में राष्ट्रवादियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन कर दिया। इस आयोग का प्रमुख कार्य भारत में संवैधानिक कार्य शैली का अध्ययन कर उसके बारे में सुझाव देना था।
इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण 1928 ई. में इस कमीशन के भारत पहुँचने पर उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। इस तरह यह कमीशन भारतीय लोगों एवं नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।
2. पूर्ण स्वराज की माँग:
दिसम्बर, 1929 ई. में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया। इस अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय किया गया।
उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे। परन्तु इस उत्सव की ओर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया। अत: महात्मा गाँधी को स्वतन्त्रता के इस अमूर्त विचार को दैनिक जीवन के ठोस मुद्दे से जोड़ने के लिए कोई और रास्ता ढूँढ़ना था।
3. गाँधीजी की 11 माँगें:
31 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने भारतीय जनता के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए अंग्रेज वायसराय लॉर्ड इरविन के समक्ष 11 माँगों को प्रस्तुत करते हुए एक पत्र लिखा। इनमें एक प्रमुख माँग थी-नमक पर लगाए कर को समाप्त करना। महात्मा गाँधी का यह पत्र एक चेतावनी की तरह था। यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी।
लॉर्ड इरविन ने गाँधीजी की शर्ते मानने से इन्कार कर दिया फलस्वरूप गाँधीजी ने अपने विश्वासपात्र 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से दांडी तक यात्रा की। गाँधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत थी।
4. आर्थिक कारण:
1929 ई. की आर्थिक महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषकर कृषि पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादों की कीमतें बहुत अधिक गिर गयीं वहीं दूसरी ओर औपनिवेशिक सरकार ने लगानों में वृद्धि कर दी जिससे किसानों को अपनी उपज बेचकर लगान चुकाना भी कठिन हो गया। व्यापारी वर्ग औपनिवेशिक सरकार के व्यापार नियमों से परेशान थे। इन सब कारणों ने आन्दोलन करने के मार्ग को प्रशस्त किया।
प्रश्न 7.
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रवाद को साकार करने में लोककथाओं, गीतों एवं चित्रों आदि के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न सहायक तत्वों के योगदान का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा सकता है
1. चित्र:
किसी भी राष्ट्र की पहचान सबसे अधिक किसी चित्र में अंकित की जाती है। इससे लोगों को एक ऐसी छवि निर्मित करने में सहायता मिलती है जिसके माध्यम से वे राष्ट्र को पहचान सकते हैं। स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा से सन् 1905 में अबनीन्द्रनाथ द्वारा बनाए चित्र में भारत माता को एक संन्यासिनी के रूप में चित्रित किया गया, इस चित्र में वह शान्त, गम्भीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती हैं। इस छवि में भारत माता को शिक्षा, भोजन व कपड़े देती हुई दर्शाया गया है। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद की आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।
2. चिह्न एवं प्रतीक:
भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार के साथ-साथ राष्ट्रवादी नेता लोगों को एकजुट करने एवं उनमें राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करने के लिए विभिन्न चिह्नों एवं प्रतीकों का भरपूर उपयोग होने लगा। . बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन के दौरान एक तिरंगा झंडा तैयार किया गया जिसमें हरा, पीला व लाल रंग थे।
इस तिरंगे झण्डे में ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल तथा हिन्दुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता हुआ एक अर्धचन्द्र दर्शाया गया था। 1921 ई. तक गाँधीजी ने भी स्वराज का एक झण्डा तैयार कर लिया था, यह भी तिरंगा था, इसमें सफेद, हरा व लाल रंग था। इस झण्डे के मध्य में गाँधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलम्बन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।
3. लोक कथाएँ एवं गीत:
भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने में आन्दोलन ने भी राष्ट्रवाद के विकास में पर्याप्त योगदान दिया। 19वीं सदी में अन्त में राष्ट्रवादियों ने भाटों एवं चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं का संग्रह करना प्रारम्भ कर दिया। वे लोकगीतों व जनश्रुतियों को एकत्रित करने के लिए गाँव-गाँव घूमने लगे। उनकी मान्यता थी कि ये लोक कथाएँ हमारी उस परम्परागत संस्कृति की सही तस्वीर प्रस्तुत करती हैं जो बाहरी शक्तियों के प्रभाव से भ्रष्ट व दूषित हो चुकी हैं।
बंगाल में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक कथा गीतों, बाल गीतों एवं मिथकों का संग्रह करने का प्रयास किया। उन्होंने लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने ‘द फोकलोर्स ऑफ सदर्न इण्डिया’ के नाम से तमिल लोक कथाओं का विशाल संग्रह चार खण्डों में प्रकाशित किया। उनका मत था कि लोक कथाएँ राष्ट्रीय साहित्य होती हैं। यह लोगों के वास्तविक विचारों एवं विशिष्टताओं की सबसे विश्वसनीय अभिव्यक्ति हैं।
4. इतिहास की पुनर्व्याख्या:
राष्ट्रवाद के विकास के लिए इतिहास की पुनर्व्याख्या को साधन बनाया गया। 19वीं शताब्दी के अन्त तक समस्त भारतीय यह महसूस करने लगे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेज भारतीयों को पिछड़ा तथा आदिम मानते थे जो अपना शासन स्वयं नहीं चला सकते थे। इसके जवाब में भारत के लोग अपनी महान उपलब्धियों की खोज में अतीत की ओर देखने लगे।
उन्होंने प्राचीन समय के गौरवपूर्ण विकास के बारे में लिखा जब भारत में कला, वास्तुशिल्प, विज्ञान एवं गणित, धर्म और संस्कृति, कानून एवं दर्शन, हस्तकला एवं व्यापार उन्नत अवस्था में थे। उनका मानना था कि इस महान युग के पश्चात् पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। अत: राष्ट्रवादी इतिहास में भारत की महानता एवं उनकी उपलब्धियों पर गर्व का आह्वान किया गया था। ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत देश की दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया गया।
स्रोत पर आधारित प्रश्न
दिए गए स्रोत को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
स्रोत : शहरों में आंदोलन
आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यवर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई। हज़ारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए। प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रांतों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया।
मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के ज़रिए उन्हें वे अधिकार मिल सकते हैं जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिल पाते हैं इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।
आर्थिक मोर्चे पर असहयोग का असर और भी ज़्यादा नाटकीय रहा। विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई, और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था।
उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इनकार कर दिया। जब बहिष्कार आंदोलन फैला और लोग आयातित कपड़े को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा।
प्रश्न 1.
परिषद् चुनावों के बहिष्कार के संबंध में जस्टिस पार्टी’ की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जस्टिस पार्टी का मत था कि काउंसिल में प्रवेश के द्वारा वह उन अधिकारों को हासिल कर सकती है जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्मणों को मिलते हैं। अत: उसने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।
प्रश्न 2.
‘आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन’ का असर नाटकीय क्यों रहा?
उत्तर:
विदेशी सामानों का बहिष्कार किए जाने, शराब की दुकानों की पिकेटिंग करने तथा विदेशी कपड़ों की होती जलाने के कारण आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन का असर नाटकीय रहा।
प्रश्न 3.
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार’ आन्दोलन से पड़े प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘विदेशी कपड़ा व्यापार’ पर ‘बहिष्कार आन्दोलन’ के प्रभाव के कारण लोगों ने आयापित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़ों को पहनना शुरू कर दिया जिससे भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघो का उत्पादन बढ़ गया।
मानचित्र कार्य
1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चंकरण
(ii) खेड़ा
2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) दिल्ली
(ii) जलियाँवाला बाग
3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) अवध
(ii) बंबई
4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिएअंकित कीजिए-
(i) साबरमती
(ii) पूना
5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण। अंकित कीजिए-
6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) बंगाल
(ii) पंजाब
7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
(i) चौरी-चौरा
(ii) कलकत्ता
8. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) चेन्नई (मद्रास)
(ii) दांडी
9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) बंगाल
(ii) बारदोली।
10. भारत के रेखा मानचित्र में भारत के राष्ट्रवाद से जड़े अंकित कीजिए किन्हीं दो स्थलों को दर्शाइए।
(i) अहमदाबाद
(ii) अमृतसर।
11. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को
(i) अमृतसर
(ii) चंपारण।
12. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
(i) सूरत
(ii) गोवा।
13. दिए गए भारत के रेखा मानत्रित मानचित्र मेंनिम्नलिखित को अंकित कीजिए
- अहमदाबाद
- दादरा और नगर हवेली
- सिक्किम
- दिल्ली
1. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- वह स्थान जहाँ दिसंबर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। (नागयुर)
- वह स्थान जो किसानों के सत्याग्रह से जुड़ा था। – खेडा (गुजरता)
- वह स्थान जो असहयोग आन्दोलन को वापस लेने से जुड़ा था। – चौरी-चौरा
- अथवा
वह स्थान जहाँ 22 पुलिस वालों को हिंसक भीड़ द्वारा जला दिया था और इस कारण गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया था।
- अथवा
- वह स्थान जहाँ नील उगाने वाले किसानों का आन्दोलन हुआ था। – चंपारन (बिहार)
2. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- सन् 1918 में सूती कपड़ा मिलों के मजदूरों के समर्थन में गाँधी जी ने सत्याग्रह किया। – अहमदाबादं (गुजरात)
- 10 अप्रैल, 1919 में अंग्रेजों ने शांतिपूर्ण जुलूस पर गोलीबारी की। -अमृतसर (पंजाब)
3. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- वह स्थान जहाँ सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ हुआ। -दांडी (गुजरात)
- वह स्थान जहाँ 1927 का (में) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन हुआ था। -मद्रास
- वह स्थान जहाँ जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था। -अमृतसर (पंजाब)
4. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
- वह स्थान जहाँ 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -लाहोर
- वह स्थान जहाँ नील की ख्वेती करने वाले किसानों ने सत्याग्रह आयोजित किया था। – चंपारन (बिहार)
5. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए
- सितम्बर 1920 में यहाँ कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। अथवा लेजिस्लेटिव असेम्बली पर भगतसिंह व बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका।
- दिसम्बर 1920 में हुए कांग्रेस अधिवेशन का स्थल। -नागपुर
6. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- वह स्थान जहाँ 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। -मद्रास
- वह स्थान जहाँ गाँधीजी ने सूती मिल मजदूरों के पक्ष में सत्याग्रह किया। – हमदाबाद (गुजरात)
7. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- 6 जनवरी, 1921 को पुलिस ने किसानों पर गोलियाँ चलाईं। – रायबरेली (उत्तरप्रदेश)
- वह स्थान जहाँ महात्मा गाँधी के सत्याग्रह के आह्वान पर बागानी मजदूरों ने बागान छोड़ दिए। – असम
8. दिए गए भारत के रेखा मानचिन्न में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- शांतिपूर्ण जुलूस तथा पुलिस के हिंसक टकराव में सत्याग्रहियों ने एक पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया। -चौरी-चौरा (उत्तरप्रदेश)
- सन 1931 में कांग्रेस की बैठक हुई जिसमें महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरु आदि उपस्थित थे। -इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश)
9. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- वह स्थान जहाँ से गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया था। -साबरमती (गुजरात)
- वह स्थान जहाँ 1927 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। गएास भार
10. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए-
- वह स्थान जहाँ सितम्बर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। -कलकत्ता
- वह स्थान जहाँ किसान सत्याग्रह हुआ था। – खेड़ा (गुजरात)