JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

JAC Class 10th Economics वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Textbook Questions and Answers

JAC Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न देशों के मध्य परस्पर सम्बन्ध एवं तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण कहलाती है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय किया जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं, प्रौद्योगिकी, पूँजी एवं श्रम का इनके मध्य प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण के अन्तर्गत विदेशी व्यापार अवरोधक हटा लिये जाते हैं जिससे पूँजी व श्रम का स्वतन्त्र रूप में आवागमन होता है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ता है, आयात-निर्यात में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त उत्पादन व उत्पादकता का स्तर बढ़ता है।

प्रश्न 2.
भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
अथवा
“भारत में 1991 से विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया था।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
‘अथवा
स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेशों पर प्रतिबन्ध क्यों लगाया? इन अवरोधों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगा दिए थे। ये अवरोधक सन् 1991 तक लगे रहे। सरकार ने विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश में उत्पादकों की रक्षा करने के लिए यह प्रतिबन्ध लगाए। सन् 1950 एवं 1960 के दशक में भारतीय उद्योग अपनी प्रारम्भिक अवस्था में था। इस अवस्था में आयातों से प्रतिस्पर्धा इन उद्योगों को बढ़ने नहीं देती।

यही कारण था कि भारत सरकार ने आयातों को केवल मशीनरी, उर्वरक, खनिज तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं तक ही सीमित रखा और विदेश व्यापार व विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाया। इन अवरोधकों को सरकार इसलिए हटाना चाहती थी क्योंकि सन् 1991 तक भारतीय उत्पादक विश्व के उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो गये थे। अब यह महसूस किया जाने लगा था कि प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा . क्योंकि उन्हें अपनी गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक होगा।

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प्रश्न 3.
श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की कैसे मदद करेगा ?
उत्तर:
श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों की निम्नलिखित प्रकार से मदद करेगा

  1. श्रम कानूनों में लचीलेपन के कारण कम्पनियाँ श्रमिकों को अस्थाई रूप से रोजगार में लगाएँगी जिससे कि उन्हें श्रमिकों को पूरे वर्ष का भुगतान न करना पड़े।
  2. कम्पनियाँ श्रमिकों से अधिक घण्टे एवं अत्यधिक माँग की अवधि में रात . में भी काम कराएँगी। इस प्रकार वे श्रम लागतों में कमी कर अधिक लाभ कमाएँगी।

प्रश्न 4.
दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं ?
अथवा
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपनी उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने के लिए ध्यान में रखने योग्य किन्हीं तीन परिस्थितियों की परख कीजिए।
उत्तर:
दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ निम्न प्रकार से उत्पादन पर नियन्त्रण स्थापित करती हैं:
1. संयुक्त उत्पादन द्वारा:
कभी-कभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ कुछ देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं। संयुक्त उत्पादन से स्थानीय कम्पनी को दोहरा लाभ प्राप्त होता है। प्रथम, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अतिरिक्त निवेश के लिए धन प्रदान कर सकती हैं जैसे कि तीव्र उत्पादन के लिए मशीनें खरीदना। दूसरा, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन की नवीनतम प्रौद्योगिकी अपने साथ ला सकती हैं।

2. स्थानीय कम्पनियाँ खरीद कर:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनियों को खरीदकर अपने उत्पादन का विस्तार करती हैं। अपार सम्पदा वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ यह आसानी से कर सकती हैं।

3. छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आर्डर देना:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एक अन्य तरीके से भी उत्पादन नियन्त्रित करती हैं। विकसित देशों की बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आर्डर देती हैं। वस्त्र, जूते चप्पल एवं खेल का सामान ऐसे उद्योग हैं जहाँ विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इन उत्पादों की आपूर्ति की जाती है। ये कम्पनियाँ इन वस्तुओं को अपने ब्रांड नाम से उपभोक्ताओं को बेच देती हैं।

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प्रश्न 5.
विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते हैं? क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए?
उत्तर:
विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण इसलिए चाहते हैं ताकि वे बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा विदेशी व्यापार व विदेशी निवेश के माध्यम से विकासशील देशों में अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें। इसके अतिरिक्त विकसित देश ऊँची दर का लाभ अर्जित करने के लिए विकासशील देशों में निवेश करना चाहते हैं।

विकासशील देशों को भी बदले में विकसित देशों द्वारा अनुचित ढंग से अपनाये गये व्यापार अवरोधक को हटाने, उनके बाजार तक पहुँच तथा अधिक आर्थिक सहायता की माँग करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विकासशील देश समान हितों वाले अन्य विकासशील देशों के साथ मिलकर विकसित देशों के प्रभाव का विरोध कर सकते हैं तथा उचित व सही नियमों के लिए वे विश्व व्यापार संगठन व अन्य संगठनों से बातचीत कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है।’ इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
अथवा
“वैश्वीकरण का प्रभाव समान रूप में नहीं पड़ता है।” उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है यह बिल्कुल सत्य है। यह सभी के लिए लाभप्रद नहीं है। कुछ वर्गों पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा है जबकि कुछ वर्गों पर इसका प्रतिकूल एवं हानिकारक प्रभाव भी पड़ा है। अनेक लोग वैश्वीकरण से प्राप्त लाभों से वंचित भी रह गये हैं।
उपर्युक्त कथन की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है:
(i) सकारात्मक प्रभाव-विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं।

  1. स्थानीय व विदेशी उत्पादकों के मध्य प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में रह रहे धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं। वे अब अनेक वस्तुओं और सेवाओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता तथा कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामस्वरूप, ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतम जीवन स्तर का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं।
  2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने शहरी क्षेत्रों में सेलफोन, मोटर गाड़ियाँ, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों, ठण्डे पेय पदार्थों, जंक खाद्य पदार्थों एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं के निवेश में रुचि दिखाई है जिससे शहरी क्षेत्रों में पढ़े-लिखे लोगों एवं कुशल श्रमिकों के लिए बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं।
  3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कम्पनियों के लाभ में वृद्धि हुई है।
  4. प्रमुख भारतीय कम्पनियों द्वारा नवीनतम तकनीकी व उत्पादन प्रणाली अपनाये जाने के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा से लाभ हुआ है। कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सहयोग कर लाभ अर्जित किया है।
  5. वैश्वीकरण ने कुछ वृहत् भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभरने के योग्य बनाया है।
  6.  वैश्वीकरण सूचना प्रौद्योगिकी, आँकड़ा प्रविष्टि, लेखांकन, प्रशासनिक कार्य, इंजीनियरिंग आदि कई सेवाएँ प्रदान करने वाली कम्पनियों के लिए नए अवसर उत्पन्न किए हैं। आज ये सेवाएँ भारत जैसे देशों में सस्ती दरों पर उपलब्ध हैं और विकसित देशों को इनका निर्यात भी किया जाता है।

(ii) नकारात्मक प्रभाव विभिन्न वर्गों पर वैश्वीकरण के निम्नलिखित नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं

  1. वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं। कुछ छोटे उद्योगों; जैसे-बैटरी, संधारण, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल आदि को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण बहुत नुकसान झेलना पड़ा है।
  2. कई उद्योग बन्द हो गये जिसके कारण अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं।
  3. वैश्वीकरण तथा प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन में बहुत परिवर्तन ला दिया है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता आजकल श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इसका अर्थ है कि अब श्रमिकों का रोजगार सुनिश्चित एवं सुरक्षित नहीं रह गया है।
  4. नियोक्ता श्रम लागतों में निरन्तर कटौती कर रहे हैं वे कम वेतन पर श्रमिकों से अधिक समय काम ले रहे हैं।
  5.  वैश्वीकरण ने धनिक एवं निर्धन वर्ग के मध्य अन्तर में और अधिक वृद्धि की है।

प्रश्न 7.
व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण, वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाता है?
उत्तर:
व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण, वैश्वीकरण प्रक्रिया में निम्नलिखित प्रकार से सहायता पहुँचाता है।
1. व्यापार अवरोधकों का हटना:
उदारीकरण की नीति के अन्तर्गत भारत सरकार ने वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात से विभिन्न प्रतिबन्धों को हटा लिया है। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में वस्तुओं का आयात करने के लिए एवं भारतीय कम्पनियाँ विदेशों में वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात करने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी नियाँ भारत में अपने कार्यालय एवं कारखाने स्थापित कर सकती हैं।

2. निवेश का उदारीकरण:
इस नीति के अन्तर्गत बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं। अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सेलफोन, मोटरगाड़ी, बैंकिंग, ठण्डे पेय पदार्थों व इलेक्ट्रोनिक उत्पादों आदि क्षेत्र में निवेश किया है। भारत सरकार व राज्य सरकारें भी विभिन्न सुविधाएँ प्रदान कर देश में निवेश हेतु बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को आमन्त्रित कर रही हैं। देश में विदेशी निवेश निरन्तर बढ़ रहा है।

3. सूचना व संचार प्रौद्योगिकी का विकास:
उदारीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप भारत में सूचना व प्रौद्योगिकी का पर्याप्त विकास हुआ है जिससे वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला है। सूचना व संचार प्रौद्योगिकी ने अन्य देशों में सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

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प्रश्न 8.
विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार मदद करता है? यहाँ दिए गए उदाहरण से भिन्न उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
“विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को आपस में जोड़ता है।” कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
अथवा
विदेशी व्यापार किस प्रकार विभिन्न देशों के बाजारों का एकीकरण कर रहा है? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
कुछ ही वर्षों में हमारे बाजार किस प्रकार परिवर्तित हो गए हैं? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में निम्नलिखित प्रकार से मदद करता है

  1. सभी देश लगभग एक-दूसरे पर निर्भर हो गए हैं। प्रत्येक देश को वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करना पड़ता है।
  2. विदेश व्यापार घरेलू बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए एक अवसर प्रदान करता है। उत्पादक केवल अपने देश के बाजारों में ही अपने उत्पाद नहीं बेच सकते हैं बल्कि विश्व के अन्य देशों के बाजारों से भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
  3. इसी प्रकार-दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं का आयात कर सकते हैं। इससे क्रेताओं के समक्ष उन वस्तुओं के घरेलू उत्पादन के अन्य विकल्पों का विस्तार होता है।
  4. विदेश व्यापार के खुलने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है। बाजार में वस्तुओं के विकल्पों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हो जाती है।
  5. दो बाजारों में एक ही वस्त्र का मूल्य एक समान होने लगता है।
  6. इस प्रकार विदेशी व्यापार में दो देशों के उत्पादक एक-दूसरे से हजारों मील दूर होकर भी एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।

उदाहरण:
भारत में सूती व ऊनी वस्त्रों का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन होता है। भारत में किसी भी अन्य देश द्वारा इनकी माँग करने पर इन वस्तुओं का निर्यात किया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ, भारत में खनिज तेल की कमी है। अतः भारत खनिज तेल उत्पादक देशों से इसका आयात कर सकता है। इस प्रकार विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में मदद करता है।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर:
निःसन्देह वैश्वीकरण भविष्य में भी जारी रहेगा। आज से लगभग 20 वर्ष पश्चात् सम्पूर्ण विश्व एक बड़े बाजार के रूप में दिखाई देगा। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  1. सम्पूर्ण विश्व में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का अत्यधिक विस्तार होगा।
  2. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार विश्व बाजारों को एक-दूसरे के निकट ले आएगा।
  3. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा विदेशी निवेश में अत्यधिक वृद्धि होगी।
  4. श्रम की गतिशीलता बढ़ने से कुशल व अकुशल श्रमिक समस्त विश्व में फैल जाएँगे।
  5. विभिन्न देशों के मध्य विदेशी व्यापार में अत्यधिक वृद्धि होगी।
  6. अधिकाधिक वस्तुओं, सेवाओं, निवेश व प्रौद्योगिकी का विभिन्न देशों के मध्य आवागमन बढ़ेगा।
  7. विभिन्न देशों में लोगों का वृहत स्तर पर आवागमन होगा।
  8. सांस्कृतिक मूल्यों के आदान-प्रदान मे वृद्धि होगी।
  9. रोजगार में वृद्धि होगी। सम्भवतः बेरोजगारी का समापन हो जायेगा।
  10. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा का लाभ प्राप्त होगा।
  11. लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

प्रश्न 10.
मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं-एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुँचाई है, दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब दोगे ?
उत्तर:
दो व्यक्तियों को वैश्वीकरण के पक्ष व विपक्ष में तर्क करता हुआ पाने पर मैं कहूँगा कि वैश्वीकरण ने एक ओर हमारे देश के विकास को कोई क्षति नहीं पहुँचायी है क्योंकि वैश्वीकरण विकास के लिए अति आवश्यक है। वैश्वीकरण ने रोजगार का सृजन किया है, इससे धनी उपभोक्ता, उत्पादक, कुशल व अच्छे पढ़े-लिखे श्रमिक अधिक लाभान्वित हुए हैं।

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है। उत्पादन व उत्पादकता का स्तर बढ़ा है, परिवहन व संचार की कम लागत के कारण विदेशी व्यापार का हिस्सा बढ़ा है वैश्वी रण ने देश की अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतियोगी बनाया है। अतः भारत विदेशी प्रतिस्पर्धा के समक्ष ठहरने में समर्थ हो गया है।

वहीं दूसरी ओर वैश्वीकरण के कुछ दुष्प्रभाव भी पड़े हैं। कई छोटे उत्पादक व श्रमिक बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण: जपरीत रूप से प्रभावित हुए हैं। कई छोटे कारखाने बन्द हो गये हैं। वे वैश्वीकरण के लाभों से लाभान्वित नहीं हुए हैं। अतः भारत सरकार को चाहिए कि वह वैश्वीकरण को अधिक न्यायसंगत बनाने का प्रयास करे। न्यायसंगत वैश्वीकरण सभी के लिए समान अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करेगा कि इसके लाभों में सभी की उपयुक्त हिस्सेदारी हो।

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प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह ……. की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इस का अर्थ है कि अन्य देशों के साथ ……. बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि ………। जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प इसलिए बढ़ते ………….. और ……….. के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम ……
उत्तर:
दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह वैश्वीकरण की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथ विदेशी व्यापार बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि उन्हें लाभ कमाने की आशा है। जबकि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प हैं इसलिए बढ़ते विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश के प्रभाव का अर्थ है उत्पादकों के बीच अधिकतम प्रतिस्पर्धा ।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

(क) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर (अ) मोटर गाड़ियों खरीदती हैं।
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन (ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कम्पनियाँ। (स) कॉल सेंटर
(घ) आई. टी. ने सेवाओं के उत्पादन व प्रसार में सहायता (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी की है।
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने उत्पादन करने के लिए (य) व्यापार अवरोधक। निवेश किया है।

उत्तर:

(क) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों पर (ब) कपड़ा, जूते, चप्पल, खेल के सामान के लिए किया जाता है।
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार नियमन (य) व्यापार अवरोधक। निवेश किया है।
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कम्पनियाँ। (द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी की है।
(घ) आई. टी. ने सेवाओं के उत्पादन व प्रसार में सहायता (स) कॉल सेंटर
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने उत्पादन करने के लिए (अ) मोटर गाड़ियों खरीदती हैं।

प्रश्न 13.
सही विकल्प का चयन कीजिए
(अ) वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन देखा गया है
(क) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
(ग) देशों के बीच वस्तुओं, निवेशों और लोगों का
उत्तर:
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का

(आ) विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है
(क) नये कारखानों की स्थापना ।
(ख) स्थानीय कम्पनियों को खरीद लेना
(ग) स्थानीय कम्पनियों से साझेदारी करना
उत्तर:
(ख) स्थानीय कम्पनियों को खरीद लेना

(इ) वैश्वीकरण ने जीवन स्तर के सुधार में सहायता पहुँचाई है
(क) सभी लोगों के
(ख) विकसित देशों के लोगों के
(ग) विकासशील देश के श्रमिकों के
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) विकसित देशों के लोगों के

अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप

इन प्रश्नों को विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें।

पाठगत एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

आओ- इस पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 57)

प्रश्न 1.
यह दर्शाने के लिए निम्न कथन की पूर्ति करें कि वस्त्र उद्योग में उत्पादन-प्रक्रिया कैसे विश्व-भर में फैली हुई एक ब्रांड लेवल पर ‘मेड इन थाइलैण्ड’ लिखा है, परन्तु उसमें एक भी थाई उत्पाद नहीं है। हम विनिर्माण- प्रक्रिया का विश्लेषण करते हैं और प्रत्येक चरण में सर्वोत्तम निर्माण को देखते हैं। हम इसे विश्व-स्तर पर कर रहे हैं। जैसे, वस्त्र निर्माण में कंपनी कोरिया से सूत ले सकती है
उत्तर:
एक ब्रांड लेबल पर ‘मेड इन थाइलैण्ड’ लिखा है, परन्तु उसमें एक भी थाई उत्पाद नहीं है। हम विनिर्माण-प्रक्रिया का विश्लेषण करते हैं और प्रत्येक चरण में सर्वोत्तम निर्माण को देखते हैं। हम इसे विश्व-स्तर पर कर रहे हैं, जैसे वस्त्र निर्माण में कंपनी कोरिया से सूत ले सकती है। चीन और भारत में कपड़े का विनिर्माण कर सकती हैं। भारत के पास वस्त्र उद्योग से सम्बंधित उच्च कोटि के कुशल इंजीनियर उपलब्ध हैं जो उनका संचालन कर सकते हैं।

यहाँ अंग्रेजी बोलने में दक्ष शिक्षित युवक भी हैं, जो ग्राहक देखभाल सेवाएँ उपलब्ध करा सकते हैं। इन वस्त्रों को समस्त विश्व में बेचा जा सकता है। इन समस्त सुविधाओं के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लागत में लगभग 40 से 50 प्रतिशत की कमी होती है जिससे उन्हें बहुत अधिक मात्रा में लाभ होता है।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 59)

नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर दें एक अमेरिकी कंपनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 देशों में प्रसार के साथ विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कंपनी है। फोर्ड मोटर्स 1995 में भारत आयी और चेन्नई के निकट 1,700 करोड़ रुपए का निवेश करके एक विशाल संयंत्र की स्थापना की। यह संयंत्र भारत में जीपों एवं ट्रकों के प्रमुख निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा के सहयोग से स्थापित किया गया। वर्ष 2017 तक फोर्ड मोटर्स भारतीय बाजारों में 88,000 कारें बेच रही थी, जबकि 1,81,000 कारों का निर्यात भी भारत से दक्षिण अफ्रीका, मेक्सिको, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका किया गया। कंपनी विश्व के दूसरे देशों में अपने संयंत्रों के लिए फोर्ड इंडिया का विकास पुर्जा आपूर्ति केन्द्र के रूप में करना चाहती है।

प्रश्न 1.
क्या आप मानते हैं कि फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है? क्यों?
उत्तर:
हाँ, हम मानते हैं कि फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी है क्योंकि मूल रूप से अमरीकी कम्पनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 देशों में अपना व्यापार कर रही है। यह विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कम्पनी है।

प्रश्न 2.
विदेशी निवेश क्या है? फोर्ड मोटर्स ने भारत में कितना निवेश किया था?
उत्तर:
किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं। फोर्ड मोटर्स ने भारत में 1700 करोड़ रुपये का निवेश किया था।

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प्रश्न 3.
भारत में उत्पादन संयंत्र स्थापित करके फोर्ड मोटर्स जैसी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ केवल भारत जैसे देशों के विशाल बाजार का ही लाभ नहीं उठाती हैं, बल्कि कम उत्पादन लागत का भी लाभ प्राप्त करती हैं। कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
सामान्यतः बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उसी स्थान पर उत्पादन संयंत्र स्थापित करती हैं जो बाजार के निकट हो, जहाँ कम लागत तथा कुशल व अकुशल श्रमिक उपलब्ध हों, जहाँ उत्पादन के उच्च कारकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो तथा. सम्बन्धित देशों की सरकारी नीतियाँ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अनुकूल हों।

इन समस्त सुविधाओं की उपलब्धता के कारण भारत बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए एक पसंदीदा देश बन गया है। भारत में न केवल विशाल जनसंख्या के कारण विशाल बाजार उपलब्ध है बल्कि कम लागतों पर कुशल व अकुशल दोनों ही प्रकार के श्रमिक उपलब्ध कराता है। फोर्ड मोटर्स जैसी. अन्य बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भी भारत में इन्हीं सुविधाओं का लाभ उठाया है।

प्रश्न 4.
आपके विचार से कंपनी अपने वैश्विक कारोबार के लिए कार के पुों के विनिर्माण केन्द्र के रूप में भारत का विकास क्यों करना चाहती है? निम्न कारकों पर विचार करें
(अ) भारत में श्रम और अन्य संसाधनों पर लागत।
(ब) कई स्थानीय विनिर्माताओं की उपस्थिति, जो फोर्ड मोटर्स को कलपुर्जी की आपूर्ति करते हैं।
(स) अधिक संख्या में भारत और चीन के ग्राहकों से निकटता।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है जहाँ आने वाले समय में कारों की माँग में बहुत अधिक वृद्धि हो सकती है जिसके कारण फोर्ड मोटर्स को एक अच्छा बाजार प्राप्त हो सकता है। इसलिए फोर्ड कम्पनी वैश्विक स्तर पर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कार के पुर्जी के विनिर्माण केन्द्र के रूप में भारत का विकास करना चाहती है।

(अ) भारत में विशाल जनसंख्या के कारण बेरोजगारी व अर्द्धबेरोजगारी पर्याप्त रूप से विद्यमान है। यहाँ पर्याप्त कुशल व अकुशल श्रमिक बहुत कम लागत पर उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त भारत में अन्य संसाधनों की लागतें भी कम हैं।

(ब) भारत में कई प्रकार के छोटे पैमाने की स्थानीय औद्योगिक इकाइयाँ विनिर्माणकर्ता के रूप में फोर्ड मोटर्स को कल-पुर्षों की आपूर्ति करती हैं। जिनके पास कीमत, गुणवत्ता प्रदान करने एवं श्रम शर्तों का निर्धारण करने की अपार क्षमता होती है।

(स) भारत और चीन दोनों पड़ौसी देश हैं। दोनों ही देशों के ग्राहकों से निकटता है तथा वे फोर्ड कम्पनी को विशाल बाजार प्रदान कर सकते हैं।

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प्रश्न 5.
भारत में फोर्ड मोटर्स द्वारा कारों के निर्माण से उत्पादन किस प्रकार परस्पर सम्बन्धित होगा?
उत्तर:
भारत में फोर्ड मोटर्स द्वारा कारों के निर्माण से उत्पादन परस्पर इस प्रकार सम्बन्धित होगा कि भारत की अनेक छोटी-छोटी कम्पनियाँ संयुक्त रूप से फोर्ड मोटर्स कम्पनी के साथ विनिर्माण केन्द्रों का संचालन कर सकेंगी।

प्रश्न 6.
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियों से किस प्रकार अलग हैं?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियों से निम्नलिखित प्रकार से अलग हैं

बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अन्य कम्पनियाँ
(i) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एक से अधिक देशों में अपनी औद्योगिक इकाइयाँ व कार्यालय स्थापित करती हैं। (i) अन्य कम्पनियों की औद्योगिक इकाइयाँ व कार्यालय एक ही देश में स्थापित किये जाते हैं।
(ii) ये एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियन्त्रण व स्वामित्व रखती हैं। (ii) ये एक देश के भीतर ही उत्पादन पर नियन्त्रण व स्वामित्व रखती हैं।
(iii) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में पूँजी निवेश अधिक होता है। (iii) इन कम्पनियों में पूँजी निवेश कम होता है।
(iv) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पादन की माँग और पूर्ति बड़े पैमाने पर होती है। (iv) अन्य कम्पनियों के उत्पादन की माँग व पूर्ति छोटे पैमाने पर होती है।
(v) इन कम्पनियों के उत्पादन की लागत कम होती है। इसलिए ये अधिक लाभ कमाती हैं। (v) इन कम्पनियों की उत्पादन की लागत अधिक होने के कारण ये कम लाभ कमा पाती हैं।
(vi) इन कम्पनियों की इकाइयों का आकार विशाल होता है। (vi) इत़ कम्पनियों की इकाइयाँ छोटी होती हैं।

प्रश्न 7.
लगभग सभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं; जैसे: नोकिया, कोका-कोला, पेप्सी, होन्डा, नाइकी। क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि ऐसा क्यों है ?
उत्तर:
लगभग सभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं; जैसे नोकिया, ‘कोका-कोला, पेप्सी, होन्डा, नाइकी आदि । क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान व कई यूरोपीय देश विकसित देश हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को देश के बाहर अपने उत्पादन और बाजारों का विस्तार करने के लिए पर्याप्त मात्रा में धन, नवीनतम प्रौद्योगिकी, कुशल प्रबन्धन, उच्च-स्तरीय उद्यमीय क्षमता आदि की आवश्यकता होती है। इतना सब कुछ सामान्यतः गरीब देशों की कम्पनियों के पास नहीं होता है। यही कारण है कि लगभग सभी प्रमुख कम्पनियाँ अमेरिका, जापान या यूरोप की हैं।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 61)

प्रश्न 1.
अतीत में देशों को जोड़ने वाला मुख्य माध्यम क्या था? अब यह अलग कैसे है?
उत्तर:
अतीत में देशों को जोड़ने वाला मुख्य माध्यम विदेशी व्यापार था। अतीत में विदेशी व्यापार समुद्र द्वारा किया जाता था परन्तु अब यह विभिन्न मार्गों; जैसे: वायु मार्गों, स्थल मार्गों, समुद्री मार्गों एवं दूरसंचार माध्यमों आदि से होता है। इसके अतिरिक्त विदेशी व्यापार का परिणाम विभिन्न देशों के बाजारों के जुड़ने के रूप में निकला है। इसलिए अब यह अलग है।

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प्रश्न 2.
विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
1. विदेशी व्यापार: दो या दो से अधिक देशों में वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान विदेशी व्यापार कहलाता है। विदेश व्यापार देशों के बाजारों को जोड़ने में सहायक होता है तथा यह उत्पादकों को घरेलू बाजारों के बाहर पहुँचने का अवसर प्रदान करता है।

2. विदेशी निवेश: किसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा दूसरे देश में किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश अधिक लाभ कमाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 3.
हाल के वर्षों में चीन भारत से इस्पात आयात कर रहा है। व्याख्या करें कि चीन द्वारा इस्पात का आयात कैसे प्रभावित करेगा
(क) चीन की इस्पात कंपनियों को
(ख) भारत की इस्पात कंपनियों को
(ग) चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों को
उत्तर:
(क) चीन की इस्पात कंपनियों को भारत की इस्पात कम्पनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी, जिससे उनके लाभ में कमी आयेगी तथा उनके व्यापारिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

(ख) भारत की इस्पात कंपनियाँ इस्पात की अधिक माँग होने से अपने व्यवसाय का विस्तार करेंगी, अतः उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

(ग) चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों को चीन में ही कच्चा माल शीघ्र व कम कीमतों पर मिल जायेगा जिससे चीन में अन्य औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए इस्पात खरीदने वाले उद्योगों के लाभ में वृद्धि हो जायेगी।

प्रश्न 4.
चीन के बाजारों में भारत से इस्पात का आयात किस प्रकार दोनों देशों के इस्पात बाजार के एकीकरण में सहायता करेगा? व्याख्या करें।
उत्तर:
चीन के बाजारों में भारत से इस्पात का आयात निम्न प्रकार से दोनों देशों के इस्पात बाजार के एकीकरण में सहायता करेगा

  1. दोनों देशों के इस्पात व्यापारियों व कम्पनी प्रतिनिधियों का आवागमन बढ़ेगा।
  2. चीन कच्चे इस्पात का आयात करेगा तथा भारत चीन से निर्मित माल का आयात करेगा।
  3. दोनों देशों के उत्पादक संयुक्त उपक्रम के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।
  4. दोनों देशों के बाजारों में समान गुणवत्ता वाले इस्पातों एवं उससे निर्मित वस्तुओं की कीमतें बराबर होंगी।
  5. भारतीय इस्पात घरेलू बाजार से चीन के बाजार तक पहुँच जायेगा।
  6. दोनों देशों के उत्पादन एक-दूसरे से निकट प्रतिस्पर्धा करेंगे।
  7. दोनों देश अच्छे मित्रों की तरह वस्तुओं और सेवाओं का विनिर्माण कर सकेंगे।
  8. दोनों देशों के मध्य नवीनतम उन्नत प्रौद्योगिकी का भी आदान-प्रदान होगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 62)

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
वैश्वीकरण का जन्म विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश के कारण हुआ है। ये दोनों क्रियाएँ मुख्यतः बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा सम्पादित की जाती हैं। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। ये कम्पनियाँ अन्य देशों में अपने उत्पादन का विस्तार कर रही हैं। विभिन्न देशों के बीच अधिक से अधिक वस्तुओं और सेवाओं, निवेश और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। विगत कुछ वर्षों की तुलना में विश्व के अधिकांश देश एक-दूसरे के अपेक्षाकृत अधिक सम्पर्क में आए हैं।

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प्रश्न 2.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है?
उत्तर:
निम्नलिखित विभिन्न तरीकों के द्वारा देशों को परस्पर संबंधित किया जा सकता है

  1. विभिन्न देशों के बीच लोगों का आवागमन।
  2. विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं व सेवाओं का आवागमन
  3. देशों के बीच विदेशी व्यापार द्वारा।
  4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की संख्या में वृद्धि द्वारा।
  5. नवीनतम एवं उन्नत प्रौद्योगिकी का आवागमन।

प्रश्न 3.
सही विकल्प का चयन करेंदेशों को जोड़ने से वैश्वीकरण के परिणाम होंगे
(क) उत्पादकों के बीच कम प्रतिस्पर्धा होगी
(ख) उत्पादकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होगी
(ग) उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा में परिवर्तन नहीं होगा।
उत्तर:
(ख) उत्पादकों के बीच अधिक प्रतिस्पर्धा होगी।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 63)

लंदन के पाठकों के लिए प्रकाशित एक समाचार पत्रिका की डिजाइनिंग और छपाई दिल्ली में की जाती है। पत्रिका का पाठ्य-विषय इंटरनेट के द्वारा दिल्ली कार्यालय को भेज दिया जाता है। दिल्ली कार्यालय में डिज़ाइनर दूरसंचार सुविधाओं का उपयोग करके लंदन कार्यालय से पत्रिका की डिज़ाइन के बारे में निर्देश प्राप्त करते हैं।

डिज़ाइन तैयार करने का काम कंप्यूटर पर किया जाता है। छपाई के बाद पत्रिकाओं को वायुमार्ग से लंदन भेजा जाता है। यहाँ तक कि डिज़ाइन और छपाई के पैसे का भुगतान इंटरनेट (ई-बैंकिग) के द्वारा लंदन के एक बैंक से दिल्ली के एक बैंक को तत्काल कर दिया जाता है।

प्रश्न 1.
ऊपर दिए गए उदाहरण में, उत्पादन में प्रौद्योगिकी के प्रयोग का उल्लेख करने वाले शब्दों को रेखांकित करें।
उत्तर:
लंदन के पाठकों के लिए प्रकाशित एक समाचार पत्रिका की डिजाइनिंग और छपाई दिल्ली में की जाती है। पत्रिका का पाठ्य-विषय इंटरनेट के द्वारा दिल्ली कार्यालय को भेज दिया जाता है। दिल्ली कार्यालय में डिज़ाइनर दूरसंचार सुविधाओं का उपयोग करके लंदन कार्यालय से डिज़ाइन के बारे में निर्देश प्राप्त करते हैं ।

डिज़ाइन तैयार करने का काम कम्प्यूटर पर किया जाता है। छपाई के बाद पत्रिकाओं को वायुमार्ग से लंदन भेजा जाता है। यहाँ तक कि डिज़ाइन और छपाई के पैसे का भुगतान इंटरनेट (ई-बैंकिंग) के द्वारा लंदन के एक बैंक से दिल्ली के एक बैंक को तत्काल कर दिया जाता है।

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प्रश्न 2.
सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से कैसे जुड़ी हुई है ? क्या सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के बिना वैश्वीकरण सम्भव होता?
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी के अन्तर्गत दूर-संचार सुविधाओं (टेलीग्राफ, टेलीफोन, मोबाइल फोन व फैक्स) ने सम्पूर्ण विश्व में एक-दूसरे से सम्पर्क करने, सूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद को आसान बना दिया है। आज हम इन सुविधाओं के माध्यम से व्यापार कर सकते हैं।

विभिन्न बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत जैसे विकासशील देशों में कॉल सेन्टर स्थापित करके विश्व में फैले ग्राहकों को जानकारी प्रदान कर रही हैं। इस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से जुड़ी हुई है। सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार के बिना वैश्वीकरण सम्भव नहीं होता।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 64)

प्रश्न 1.
विदेशी व्यापार के उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश पर से सरकार द्वारा निर्धारित अवरोधों व प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया विदेशी व्यापार का उदारीकरण कहलाता है।

प्रश्न 2.
आयात पर कर एक प्रकार का व्यापार अवरोधक है। सरकार आयात होने वाली वस्तुओं की संख्या भी सीमित कर सकती है। इसे कोटा कहते हैं। क्या आप चीन के खिलौनों के उदाहरण से व्याख्या कर सकते हैं कि व्यापार अवरोधक के रूप में कोटा का प्रयोग कैसे किया जा सकता है ? आपके विचार से क्या इसका प्रयोग किया जाना चाहिए ? चर्चा करें।
उत्तर:
यदि भारत सरकार चीन के खिलौनों पर कोटा अर्थात् आयात होने वाले खिलौनों की संख्या पर एक सीमा निर्धारित करती है तो भारतीय बाजारों में चीनी खिलौनों की आपूर्ति कम हो जायेगी। बाजार में चीनी खिलौनों की सीमितता के कारण भारतीय क्रेताओं के पास सस्ती कीमतों पर चीन निर्मित खिलौने खरीदने का विकल्प भी कम हो जायेगा। धीरेधीरे भारतीय खिलौनों की माँग में वृद्धि हो जायेगी और भारतीय खिलौना निर्माताओं को लाभ की प्राप्ति होगी।

साथ ही साथ देश के बेरोजगार श्रमिकों को भी रोजगार की प्राप्ति होगी। इस तरह कोटा प्रणाली का प्रयोग व्यापार अवरोधक के रूप में किया जा सकता है। मेरे विचार से भारत में इसका प्रयोग सीमित रूप में किया जाना चाहिए। इससे कुछ उद्योगों को संरक्षण प्राप्त होगा तथा बेरोजगारी के समाधान में भी मदद मिलेगी।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 66)

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें…..
विश्व व्यापार संगठन ……. देशों की पहल पर शुरू हुआ था। विश्व व्यापार संगठन का ध्येय …….” है। विश्व व्यापार संगठन सभी देशों के लिए ……… से सम्बन्धित नियम बनाता है और देखता है कि ……… व्यवहार में, देशों के बीच व्यापार ……… नहीं है। विकासशील देश, जैसे भारत ……… है जबकि अधिकांश स्थितियों में विकसित देशों ने अपने उत्पादकों को संरक्षण देना जारी रखा है।
उत्तर:
विकसित, विदेशी व्यापार का उदारीकरण, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार, इन नियमों के उपरान्त, पूर्णतः मुक्त, ने व्यापार अवरोधक हटा लिया।

प्रश्न 2.
आपके विचार से विभिन्न देशों के बीच अधिकाधिक न्यायसंगत व्यापार के लिए क्या किया जा सकता है ?
उत्तर:
मेरे विचार से विभिन्न देशों के बीच अधिकाधिक न्याय-संगत व्यापार के लिए निम्नलिखित प्रयास किये जा सकते हैं

  1. विदेशी निवेश व विदेशी व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबन्धों को एक निश्चित सीमा तक हटाया जाना चाहिए।
  2. सभी देशों से चाहे वे विकासशील हों अथवा विकसित व्यापार अवरोधक हटाये जाने चाहिए।
  3. उदारीकरण की नीति को अपनाया जाना चाहिए।
  4. विकासशील देशों को विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के समक्ष संयुक्त रूप से मजबूती के साथ अपने विचार रखने चाहिए।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
उपर्युक्त उदाहरण में, हमने देखा कि अमेरिकी सरकार किसानों को उत्पादन के लिए भारी धनराशि देती है। कभी-कभी सरकार कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं जैसे पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सहायता देती है। यह न्यायसंगत है या नहीं, चर्चा करें।
उत्तर:
नहीं, यह न्याय-संगत नहीं है क्योंकि अमेरिकी सरकार इस सहायता द्वारा औद्योगिक उत्पादन के साथ-साथ कृषि उत्पादन के द्वारा सम्पूर्ण विश्व बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहती है। अमेरिकी सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही इस भारी धनराशि के कारण अमेरिकी किसान अपने कृषि उत्पादों को असाधारण रूप से कम कीमत पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेचने में सफल हो जाते हैं।

इस सबका भारत जैसे विकासशील देशों के किसानों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। यही कारण है कि विकासशील देश, विकसित देशों की सरकारों से सवाल कर रहे हैं कि हमने विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार व्यापार अवरोधकों को कम कर दिया लेकिन आप लोगों ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों को नजरअंदाज कर दिया और अपने किसानों को भारी धनराशि देना बरकरार रखा है।

आप लोगों ने हमारी सरकारों को अपने किसानों की सहायता बंद करने को कहा, परन्तु आप स्वयं यही काम कर रहे हैं। क्या यह युक्त और न्यायसंगत व्यापार है? हाँ, यह न्यायसंगत हो सकता है, यदि मांग के अनुसार उत्पादन में वृद्धि के लिए मुद्रा के रूप में कुछ सहायता दी जाए परन्तु यह शर्त समस्त प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन पर लागू की जानी चाहिए।

कभी-कभी सरकारों द्वारा कुछ विशेष प्रकार की वस्तुओं जैसे पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली सहायता को मैं न्यायसंगत मानता हूँ क्योंकि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन चुकी है। यदि इस प्रकार कुछ मात्रा में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान हो तो यह सम्पूर्ण विश्व के हित में होगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 67)

प्रश्न 1.
प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को कैसे लाभ हुआ है ?
अथवा
“वैश्वीकरण और उत्पादकों के बीच वृहत्तर प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।” उदाहरणों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
प्रतिस्पर्धा से भारत के लोगों को निम्नलिखित प्रकार से लाभ हुआ है

  1. प्रतिस्पर्धा के कारण लोग अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएँ कम कीमत पर खरीद सकते हैं।
  2. उपभोक्ताओं विशेषकर शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे अमीर वर्ग के उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प उपलब्ध हो गये हैं। वे अब अनेक वस्तुओं की उत्कृष्टता, गुणवत्ता व कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं।
  3. पहले की तुलना में लोगों के जीवन-स्तर में सुधार आया है। अब ते अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का उपयोग कर रहे हैं।
  4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सेलफोन, मोटर गाड़ियों, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों, ठण्डे पेय पदार्थों एवं जंक खाद्य पदार्थों जैसी वस्तुओं एवं बैंकिंग सुविधाओं में निवेश किया है, जिससे इन उद्योगों में रोजगार के नये अवसर उत्पन्न हुए हैं।
  5. कुछ भारतीय कम्पनियों ने विदेशी कम्पनियों के साथ सफलतापूर्वक सहयोग कर लाभ प्राप्त किया है।
  6. कई बड़ी भारतीय कम्पनियों ने उन्नत तकनीकी और उत्पादन प्रणाली में निवेश कर अपने उत्पादन मानकों में वृद्धि की है।
  7. कुछ बड़ी भारतीय कम्पनियों ने अपने कामकाज का सम्पूर्ण विश्व में विस्तार कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में अपने को उभारा है; जैसे-टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी आदि।
  8. विभिन्न सेवा प्रदान करने वाली भारतीय कम्पनियों एवं सूचना व मंचार प्रौद्योगिकी वाली कम्पनियों के लिए अवसरों का सृजन हुआ है।

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प्रश्न 2.
क्या और भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभारना चाहिए? इससे देश की जनता को क्या लाभ होगा?
उत्तर:
हाँ, और भारतीय कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभारना चाहिए। इससे देश की जनता को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होंगे

  1. इससे देश के लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे।
  2. इससे लोगों को विभिन्न देशों के मध्य प्रतिस्पर्धा होने के कारण कम कीमत पर गुणवत्तापूर्ण वस्तुएँ उपलब्ध हो सकेंगी।
  3. ये भारतीय कम्पनियाँ विदेशों से नई प्रौद्योगिकी लाएँगी एवं उत्पादन के मापदण्डों में वृद्धि करेंगी।
  4. भारतीय कम्पनियाँ जब विश्व के अन्य देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में काम करेंगी तो देश के लिए विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।

प्रश्न 3.
सरकारें अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास क्यों करती हैं?
उत्तर:
सरकारें निम्नलिखित कारणों से अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने का प्रयास करती हैं

  1. देश में आधारभूत संरचना के विकास के लिए
  2. औद्योगिक विकास के लिए
  3. तकनीकी विकास के लिए
  4. कृषि विकास के लिए
  5. देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए।

प्रश्न 4.
अध्याय 1 में हमने देखा कि एक का विकास दूसरे के लिए कैसे विध्वंसक हो सकता है। भारत के कुछ लोगों ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की स्थापना का विरोध किया है। पता कीजिए, ये लोग कौन हैं और वे इसका विरोध क्यों कर रहे हैं ?
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार व राज्य सरकारों ने भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विशेष कदम उठाये हैं। जिनमें विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना प्रमुख है। भारत के कुछ लोगों ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का विरोध किया है। इन लोगों में किसान व आदिवासी लोग हैं। ये लोग विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि इन लोगों को डर है कि सेज की स्थापना से उनकी भूमि छीन ली जाएगी और उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 68)

प्रश्न 1.
रवि की लघु उत्पादन इकाई बढ़ती प्रतिस्पर्धा से किस प्रकार प्रभावित हुई ?
उत्तर:
रवि ने सन् 1992 ई. में तमिलनाडु के होसुर शहर में संधारित्रों का निर्माण करने वाली अपनी कम्पनी शुरू करने के लिए बैंक से ऋण लिया। तीन वर्षों के भीतर वह अपने उत्पादन का विस्तार करने में सक्षम हो गया। सरकार ने सन् 2001 ई. में विश्व व्यापार संगठन के समझौते के अनुसार संधारित्रों के आयात पर से प्रतिबन्धों को हटा लिया। अब बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के ब्रांडों से उनकी प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हो गयी।

इस प्रतिस्पर्धा ने भारतीय टेलीविजन कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ संयोजन कार्य करने के लिए विवश कर दिया। ये कम्पनियाँ रवि जैसे लोगों द्वारा निर्धारित कीमतों से कम कीमतों पर विदेशों से संधारित्रों का आयात करने लगी। इससे रवि की कम्पनी पर अपने अस्तित्व का संकट छा गया। अब रवि पहले की अपेक्षा आधे से भी कम संधारित्रों का उत्पादन करता है। रवि के कुछ मित्रों ने इस व्यवसाय की अपनी लघु उत्पादन इकाइयों को तो बंद कर दिया है।

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प्रश्न 2.
दूसरे देशों के उत्पादकों की तुलना में उत्पादन लागत अधिक होने के कारण क्या रवि जैसे उत्पादकों को उत्पादन रोक देना चाहिए? आप क्या सोचते हैं?
उत्तर:
दूसरे देशों के उत्पादकों की तुलना में उत्पादन लागत अधिक होने के कारण रवि जैसे उत्पादकों को अपना उत्पादन नहीं रोकना चाहिए बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकी एवं उत्पादन विधियों को अपनाकर अपने उत्पादन की गुणवत्ता सुधारनी चाहिए तथा उत्पादन लागत को घटाना चाहिए। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ साझेदारी भी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त कम ब्याज दर पर ऋण लेकर अपनी प्रौद्योगिक इकाई का विस्तार करना चाहिए।

प्रश्न 3.
नवीनतम अध्ययनों ने संकेत किया है कि भारत के लघु उत्पादकों को बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा के लिए तीन चीजों की आवश्यकता है
(अ) बेहतर सड़कें, बिजली, पानी, कच्चा माल, विपणन और सूचना तंत्र,
(ब) प्रौद्योगिकी में सुधार एवं आधुनिकीकरण, और
(स) उचित ब्याज दर पर साख की समय पर उपलब्धता।
1. क्या आप व्याख्या कर सकते हैं कि ये तीन चीजें भारतीय उत्पादकों को किस प्रकार मदद करेंगी?
2. क्या आप मानते हैं कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए इच्छुक होंगी? क्यों?
3. क्या आप मानते हैं कि इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका है? क्यों?
4. क्या आप कोई ऐसा उपाय सुझा सकते हैं जिसे कि सरकार अपना सके? चर्चा करें।
उत्तर:
1. यदि हमें बेहतर सड़कें मिलेंगी तो हम कच्चे माल व उत्पादित वस्तुओं के परिवहन में तेजी ला सकते हैं तथा तीव्रता से वस्तुओं का उत्पादन कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी में सुधार ला सकते हैं। उचित ब्याज दर पर साख (ऋण) की उपलब्धता से हम उत्पादन लागत को कम करके लघु उत्पादकों की किस्म में सुधार ला सकते हैं। ऐसा करके हम लघु उद्योगों की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ा सकते हैं। फलस्वरूप भारतीय उत्पादकों को नवीन प्रौद्योगिकी एवं अन्य दो चीजें, उत्पादन गतिविधियों में निवेश के लिए प्रेरित करेंगी।

2. नहीं, मैं नहीं मानता हूँ कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए इच्छुक होंगी क्योंकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ऐसे क्षेत्रों में निवेश करती हैं जहाँ से वह शीघ्रतापूर्वक अधिक से अधिक लाभ अर्जित कर सकें परन्तु इन क्षेत्रों में निवेश करने पर प्रतिफल देरी से मिलते हैं व लाभ भी बहुत कम होता है।

3. हाँ, मैं मानता हूँ कि इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका है। इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने में बहुत अधिक धनराशि का व्यय होता है जो कि सरकार के अतिरिक्त अन्य कोई व्यय नहीं कर सकता है। इन सुविध गाओं से सामाजिक कल्याण होता है, जो किसी भी लोक कल्याणकारी सरकार का प्रमुख लक्ष्य होता है।

4. सरकार देश में निवेश करने के लिए विदेशों में रहने वाले भारतीयों को आमन्त्रित करे। इन क्षेत्रों में निवेश करने के लिए उदार नीति अपनाये। इन क्षेत्रों के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन दे। उद्यमियों को अधिक से अधिक सुविधायें उपलब्ध कराये।

आओ-इन पर विचार करें (पृष्ठ संख्या 70)

प्रश्न 1.
वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रतिस्पर्धा ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:
वस्त्र उद्योग के श्रमिकों, भारतीय निर्यातकों और विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रतिस्पर्धा ने निम्नलिखित रूप से प्रभावित किया है

  • वस्त्र उद्योग के श्रमिकों पर प्रभाव
    1. श्रमिकों का रोजगार अब सुनिश्चित नहीं है। वे अब अस्थायी रूप से काम करते हैं।
    2. श्रमिकों की मजदूरी कम हो गई है।
    3. श्रमिकों को अधिक घण्टे काम करना पड़ता है।
    4. वस्त्रों की अत्यधिक माँग की स्थिति में उन्हें नियमित रूप से रात में भी काम करना पड़ता है।
    5. वस्त्र व्यवसायियों को मिलने वाले लाभ में उन्हें न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिल पाता है।
  • भारतीय निर्यातकों पर प्रभाव:
    1. उन्हें बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से उत्पादन आदेश प्राप्त हो रहे हैं।
    2. उन्हें अपने वस्त्रों की उत्पादन लागतों को कम करने का प्रयास करना पड़ रहा है।
    3. वे श्रम लागतों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
    4. वे अपने कारखानों में श्रमिकों को अस्थायी रूप से काम पर लगा रहे हैं, ताकि उन्हें वर्ष-भर श्रमिकों को वेतन नहीं देना पड़े।
  • विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों पर प्रभाव:
    1. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए सबसे सस्ती वस्तुओं की तलाश करती हैं।
    2. वस्त्र निर्यातकों के मध्य प्रतिस्पर्धा से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण से मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा मिल सके, इसके लिए.प्रत्येक निम्नलिखित वर्ग क्या कर सकते हैं?
(क) सरकार,
(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता,
(ग) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ,
(घ) श्रमिको
उत्तर:
वैश्वीकरण से मिले लाभों में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा मिल सके, इसके लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं
(क) सरकार:
सरकार श्रमिकों के पक्ष में कुछ श्रम कानून; जैसे-वर्षभर स्थायी नियुक्ति, नियमित मजदूरी व कार्य के घण्टे आदि बना सकती है तथा उन्हें लागू करने के लिए उत्पादकों को मजबूर भी कर सकती है। इस तरह सरकार श्रमिकों को संरक्षण प्रदान कर सकती है।

(ख) निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता:
निर्यातक फैक्ट्रियों के नियोक्ता को अपने श्रमिकों को उचित मजदूरी, रोजगार सुरक्षा, काम के घण्टों का निर्धारण, अतिरिक्त समय काम करने का भत्ता, स्वास्थ्य बीमा व भविष्य निधि आदि सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिए।

(ग) बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ:
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को उन्हीं निर्यातकों को वस्तुओं की आपूर्ति का उत्पादन आदेश देना चाहिए जो श्रम कानूनों का कठोरतापूर्वक पालन करते हैं। इसके अतिरिक्त बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने श्रमिकों को पर्याप्त सुविधाएँ दें तथा उत्पादन इकाइयों के प्रति उदार रुख अपनायें।

(घ) श्रमिक:
श्रमिकों को अपनी नियोक्ता कम्पनी के हित में काम करना चाहिए, बार-बार हड़ताल नहीं करें, हिंसा व संघर्ष का रास्ता छोड़ें, अपने निजी स्वार्थ का त्याग करें, अपने दायित्वों के प्रति जवाबदेह बनें। इसके अतिरिक्त उन्हें श्रमिक संघों की स्थापना करनी चाहिए एवं उनके माध्यम से निर्यातकों से लाभ में से अपना उचित हिस्सा प्राप्त करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।

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प्रश्न 3.
वर्तमान समय में भारत में बहस है कि क्या कम्पनियों को रोजगार नीतियों के मुद्दे पर लचीलापन अपनाना चाहिए। इस अध्याय के आधार पर नियोक्ताओं और श्रमिकों के पक्षों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत में बहस है कि क्या कम्पनियों को रोजगार नीतियों के मुद्दे पर लचीलापन अपनाना चाहिए। इस अध्याय के आधार पर नियोक्ताओं और श्रमिकों का पक्ष निम्नलिखित प्रकार से है
1. नियोक्ताओं का पक्ष अधिकांश नियोक्ता श्रमिकों को अस्थायी रूप से काम पर लगाना पसन्द करते हैं। इसका अर्थ है कि श्रमिकों का रोजगार अब सुरक्षित नहीं है। नियोक्ता विश्व स्तर पर बढ़ रही प्रतिस्पर्धा के कारण अपनी लागतों को कम करने का भरपूर प्रयास करते हैं। वे श्रमिकों को अस्थायी रूप से रोजगार पर लगाना चाहते हैं जिससे कि उन्हें श्रमिकों को पूरे वर्ष की मजदूरी का भुगतान न करना पड़े।

2. श्रमिकों का पक्ष-वैश्वीकरण व प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को बहुत अधिक प्रभावित किया है। श्रमिक रोजगार की लचीली नीतियों के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि इन लचीली नीतियों के कारण उनका रोजगार अब सुनिश्चित नहीं रह गया है। उन्हें वर्षभर काम नहीं मिलता है तथा कम मजदूरी पर अधिक समय काम करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त उन्हें वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में भी उचित हिस्सा नहीं दिया गया है।

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