Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न- दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. निम्नलिखित में प्राकृतिक चक्र में ऊर्जा का प्रमुख साधन लौ-सा है?
(A) कार्बन
(B) वनस्पति
(C) सौर विकिरण
(D) वातावरण।
उत्तर;
(C) सौर विकिरण।
2. पौधों द्वारा प्रकाश ऊर्जा को उपयोग करने की क्रिया को क्या कहते हैं?
(A) अपघटन
(B) विघटन
(C) प्रकाश संश्लेषण
(D) विकिरण।
उत्तर:
(A) प्रकाश संश्लेषण।
3. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व पोषक हैं जो जैव मण्डल में मिलता है?
(A) नाइट्रोजन
(B) जल
(C) वनस्पति
(D) वायु।
उत्तर:
(A) नाइट्रोजन।
4. जो जीव अन्य जीवों पर भोजन के लिए निर्भर रहते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
(A) उत्पादक
(B) उपभोक्ता
(C) मासाहारी
(D) शाकाहारी।
उत्तर:
(B) उपभोक्ता।
5. शंकुधारी वनों को कहते हैं-
(A) सेल्वा
(B) टैगा।
(C) सवाना
(D) स्टैप
उत्तर:
(B) टैगा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
जैव मण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जैव मण्डल से तात्पर्य पृथ्वी के उस भाग से है जहां सभी प्रकार के जीवन पाये जाते हैं। जैव मण्डल के क्षेत्र में सभी जीवित प्राणियों, मनुष्य, वनस्पति एवं जीवों की क्रियाएं सम्मिलित हैं।
प्रश्न 2.
जैव मण्डल क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
इस क्षेत्र में सभी प्रकार के जीवन सम्भव हैं। पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इसी वातावरण में ही पनप सकते हैं, इसलिए यह महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 3.
जीवों (Organisms) के मुख्य दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
- वनस्पति जगत् (Plant kingdom)
- प्राणी जगत् (Animal kingdom)
प्रश्न 4.
‘आदिम मानव’ (होमोसेपियन) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी पर मिलने वाले सर्वप्रथम मानव को आदिम मानव कहा जाता है।
प्रश्न 5.
पारिस्थितिकी (Ecology) की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
पर्यावरण तथा जीवों के बीच पारस्परिक क्रियाओं के अध्ययन को पारिस्थितिकी कहते हैं।
प्रश्न 6.
पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) के घटकों (Components) के दो वर्ग बताओ।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र के दो मुख्य वर्ग हैं
- जैव (Organic)
- अजैव (Inorganic)।
प्रश्न 7.
प्राकृतिक चक्रों को कौन चलाता है?
उत्तर:
सौर विकिरण ऊर्जा।
प्रश्न 8.
सभी जीवों के निर्माण में कौन-से तीन महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
- कार्बन
- हाइड्रोजन
- ऑक्सीजन।
प्रश्न 9.
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव जाति के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए।
प्रश्न 10.
प्राकृतिक चक्र में ऊर्जा का प्रमुख साधन क्या है?
उत्तर:
सौर विकिरण (Solar Radiation )।
प्रश्न 11.
जीवों के तीन मुख्य वर्ग।
उत्तर::
- शाकाहारी (Herbivores)
- मांसाहारी (Carnivores)
- सर्वाहारी (Omnivores)।
प्रश्न 12.
प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की परिभाषा दो।
उत्तर:
पौधों द्वारा प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल को कार्बोहाइड्रेट में बदलने की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
प्रश्न 13.
अपघटक (Decomposers) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अपघटक वे सूक्ष्म जीव तथा जीवाणु हैं जो अवशेषों या गले-सड़े जैसे पदार्थों को अपना भोजन बनाते हैं।
प्रश्न 14.
पर्यावरण के जैव और अजैव अंगों में अन्तर बताओ।
उत्तर:
जैव अंग – पर्यावरण में पेड़, पौधे और प्राणी जैव अंग कहलाते हैं। जैव मण्डल के पोषक तत्त्व ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन तथा खनिज पदार्थ हैं। अजैव अंग – पर्यावरण में मिट्टी, वायु, जल, खनिज, चट्टानें अजैव अंग हैं। जैवीय अंग, विघटन के पश्चात् अजैव अंग बन जाते हैं।
प्रश्न 15.
पृथ्वी पर जीवन कहां-कहां पाया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन लगभग हर जगह पाया जाता है। जीवधारी भूमध्यरेखा से ध्रुवों तक समुद्री तल से हवा में कई किलोमीटर तक, सूखी घाटियों में, बर्फीले जल में, जलमग्न भागों में, व हज़ारों मीटर गहरे धरातल के भूमिगत जल तक में पाए जाते हैं।
प्रश्न 16.
एक प्रमुख परितन्त्र का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वन एक प्रमुख परितन्त्र है।
प्रश्न 17.
जैवण्डल शब्द किसने सर्वप्रथम दिया?
उत्तर:
एडवर्ड सुवेस।
प्रश्न 18.
‘पारिस्थितिक तन्त्र’ को सर्वप्रथम किसने दिया?
उत्तर:
ए० जी० टांसले।
प्रश्न 19.
‘उपभोक्ताओं के तीन मुख्य वर्ग बताइए।
उत्तर:
- शाकाहारी
- मांसाहारी
- (iii) सर्वाहारी।
प्रश्न 20.
बायोम किसे कहते हैं?
उत्तर:
विशेष परिस्थितियों में जन्तुओं व पादपों के आपसी सम्बन्धों के कुल योग को बायोम कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र (Eco System) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्रकृति के विभिन्न संघटक जीवन तथा विकास के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। स्थलाकृतियां, वनस्पति तथा जीव-जन्तु एक-दूसरे से मिल कर एक वातावरण का निर्माण करते हैं जिसे पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। यह वातावरण पृथ्वी पर विभिन्न रूपों में ऊर्जा उत्पन्न करने में सहायक होता है जो जीवों के विकास में सहायता करता है। इस प्रकार स्थलाकृतियों, वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं में एक चक्र पाया जाता है जिससे हमें प्रकृति के जैविक पहलू को समझने में सहायता मिली है।
प्रश्न 2.
पारिस्थितिकी सन्तुलन (Ecological Balance) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पृथ्वी पर विभिन्न भौगोलिक संघटकों में एक जीवन चक्र (Life Cycle) होता है। पहले वे उत्पन्न होते हैं, विकसित होकर प्रौढ़ावस्था (Maturity) में पहुंचते हैं तथा फिर समाप्त हो जाते हैं। यह चक्र एक लम्बे समय में समाप्त हो जाता है। जीव-जन्तु, वनस्पति पौधे आदि विकसित होकर एक अन्तिम चरण (Final Stage) में पहुंच जाते हैं। इस अवस्था में सभी जीवों की जल, भोजन, वायु आदि आवश्यकताएं पूरी हो जाती हैं। जैव संख्या तथा वातावरण के बीच एक सन्तुलन स्थापित हो जाता है। इस अवस्था को पारिस्थितिकी सन्तुलन कहते हैं। इस अवस्था के पश्चात् इन संघटकों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
प्रश्न 3.
जैव मण्डल (Biosphere) का वातावरण में क्या स्थान है?
उत्तर:
जैव मण्डल प्राकृतिक वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। इसमें सभी जीवित प्राणियों, मनुष्य, वनस्पति एवं जीवों की क्रियाएं सम्मिलित हैं। (Bios-phere is the realm of all living forms.) यह क्षेत्र पृथ्वी को जीवन आधार प्रदान करता है । वातावरण के अन्य क्षेत्र जीव रूपों को उत्पन्न व क्रियाशील होने में सहायक होते हैं। जैव मण्डल का विस्तार महासागरों की अधिकतम गहराई से लेकर वायुमण्डल की ऊपरी परतों तक है। मानव इस जैव मण्डल में वातावरण की समग्रता लाने में क्रियाशील रहता है। मानव पृथ्वी की सम्पदाओं का बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग और संरक्षण कर सकता है। इसलिए जैव मण्डल सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है।
प्रश्न 4.
ऑक्सीजन चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
ऑक्सीजन चक्र (The oxygen cycle ):
प्रकाश संश्लेषण क्रिया का प्रमुख सह परिणाम (By product) ऑक्सीजन है। यह कार्बोहाइड्रेट्स के ऑक्सीकरण में सम्मिलित है जिससे ऊर्जा, कार्बन डाइऑक्साइड व जल विमुक्त होते हैं। ऑक्सीजन चक्र बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। बहुत से रासायनिक तत्त्वों और सम्मिश्रणों में ऑक्सीजन पाई जाती है। यह नाइट्रोजन के साथ मिलकर नाइट्रेट बनाती है तथा बहुत से अन्य खनिजों व तत्त्वों से मिलकर कई तरह के ऑक्साइड बनाती है जैसे – आयरन ऑक्साइड, एल्यूमिनियम ऑक्साइड आदि सूर्यप्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, जल अणुओं (H2O) के विघटन में ऑक्सीजन उत्पन्न होती है और पौधों की वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया के दौरान भी यह वायुमण्डल में पहुंचती हैं।
प्रश्न 5.
वायुमण्डल के नाइट्रोजन का भौमीकरण कैसे होता है? वर्णन करें।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (The Nitrogen Cycle):
वायुमण्डल की संरचना का प्रमुख घटक नाइट्रोजन वायुमण्डलीय गैसों का 79 प्रतिशत भाग है। विभिन्न कार्बनिक यौगिक जैसे- एमिनो एसिड, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन व वर्णक (Pigment) आदि में यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है। वायु में स्वतन्त्र रूप से पाई जाने वाली नाइट्रोजन को अधिकांश जीव प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करने में असमर्थ हैं) केवल कुछ विशिष्ट प्रकार के जीव जैसे- कुछ मृदा जीवाणु व ब्लू ग्रीन एलगी (Blue green algae) ही इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में ग्रहण करने में सक्षम हैं। सामान्यतः नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है। नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक (Biological) है, अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं। स्वतन्त्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व सम्बन्धित पौधों की जड़ें व रन्ध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमण्डल में पहुँचती है।
वायुमण्डल में भी बिजली चमकने (Lightening) व कोसमिक रेडियेशन (Cosmic radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है, महासागरों में कुछ समुद्री जीव भी इसका यौगिकीकरण करते हैं। वायुमण्डलीय नाइट्रोजन के इस तरह यौगिक रूप में उपलब्ध होने पर हरे पौधे में इसका स्वांगीकरण (Nitrogen assimilation) होता है । शाकाहारी जन्तुओं द्वारा इन पौधों के खाने पर इसका (नाइट्रोजन) कुछ भाग उनमें चला जाता है। फिर मृत पौधों व जानवरों के नाइट्रोजनी अपशिष्ट (Excretion of nitrogenous wastes) मिट्टी, में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं। कुछ जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं व पुनः हरे पौधों द्वारा नाइट्रोजन – यौगिकीकरण हो जाता है। कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु इन नाइट्रेट को पुनः स्वतन्त्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं और इस प्रक्रिया को डी नाइट्रीकरण (De-nitrification) कहा जाता है। ( इस तरह नाइट्रोजन चक्र चलता रहता है)
प्रश्न 6.
कार्बन चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
कार्बन चक्र (The carbon cycle ):
सभी जीवधारियों में कार्बन पाया जाता है। यह सभी कार्बनिक – यौगिक का मूल तत्त्व हैं। जैवमण्डल में असंख्य कार्बन यौगिक के रूप में जीवों में विद्यमान हैं। कार्बन चक्र कार्बन डाइऑक्साइड का परिवर्तित रूप है। यह परिवर्तन पौधों में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के यौगिकीकरण द्वारा आरम्भ होता है। इस प्रक्रिया से कार्बोहाइड्रेट्स व ग्लूकोस बनता है, जो कार्बनिक यौगिक जैसे- स्टार्च, सेल्यूलोस, सरकोज़ (surcose) के रूप में पौधों में संचित हो जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स का कुछ भाग सीधे पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयोग हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान विघटन से पौधों के पत्तों व जड़ों द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त होती है, शेष कार्बोहाइड्रेट्स, जो पौधों की जैविक क्रियाओं में प्रयुक्त नहीं होते, वे पौधों के उत्तकों में संचित हो जाते हैं। ये पौधे या तो शाकाहारियों के भोजन बनते हैं, अन्यथा सूक्ष्म जीवों द्वारा विघटित हो जाते हैं।
प्रश्न 7.
खनिज चक्र का वर्णन करें।
उत्तर:
खनिज चक्र (Mineral cycles ):
जैव मण्डल में मुख्य भू- रासायनिक तत्त्वों- कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और हाइड्रोजन के अतिरिक्त पौधों व प्राणी जीवन के लिए अत्यधिक महत्त्व के बहुत से अन्य खनिज मिलते हैं। जीवधारियों के लिए आवश्यक ये खनिज पदार्थ प्राथमिक तौर पर अकार्बनिक रूप में मिलते हैं, जैसे- फॉस्फोरस, सल्फर, कैल्शियम और पोटाशियम प्रायः ये घुलनशील लवणों के रूप में मिट्टी में या झील में अथवा नदियों व समुद्री जल में पाए जाते हैं। जब घुलनशील लवण जल चक्र में सम्मिलित हो जाते हैं, तब ये अपक्षय प्रक्रिया द्वारा पृथ्वी की पर्पटी पर और फिर बाद में समुद्र तक पहुँच जाते हैं। अन्य लवण तलछट के रूप में धरातल पर पहुँचते हैं और फिर अपक्षय से चक्र में शामिल हो जाते हैं। सभी जीवधारी अपने पर्यावरण में घुलनशील अवस्था में उपस्थित खनिज लवणों से ही अपनी खनिजों की आवश्यकता को पूरा करते हैं। कुछ अन्य जन्तु पौधों व प्राणियों के भक्षण से इन खनिजों को प्राप्त करते हैं। जीवधारियों की मृत्यु के बाद ये खनिज अपघटित व प्रवाहित होकर मिट्टी व जल में मिल जाते हैं।
प्रश्न 8.
पारितन्त्र से क्या अभिप्राय है? पारितन्त्र के प्रमुख प्रकार बताओ।
उत्तर:
पारितन्त्र के प्रकार (Types of Ecosystems) – प्रमुख पारितन्त्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं।
1. स्थलीय (Terrestrial) पारितन्त्र 2. जलीय (Aquatic) पारितन्त्र स्थलीय पारितन्त्र को पुनः बायोम (Biomes) में विभक्त किया जा सकता है। बायोम, पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय सम्बन्धी तत्त्व करते हैं। अतः विशेष परिस्थितियों में पादप व जन्तुओं के अन्तःसम्बन्धों के कुल योग को ‘बायोम’ कहते हैं। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी सम्बन्धी अवयव भी शामिल हैं।
संसार के कुछ प्रमुख पारितन्त्र : वन, घास क्षेत्र, मरुस्थल और टुण्ड्रा (Tundra) पारितन्त्र हैं। जलीय पारितन्त्र को समुद्री पारितन्त्र व ताज़े जल के पारितन्त्र में बाँटा जाता है। समुद्री पारितन्त्र में महासागरीय, तटीय ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति (Coral reef), पारितन्त्र सम्मिलित हैं। ताज़े जल के पारितन्त्र में झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल (Marshes and bogs) शामिल हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Question)
प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र पर मानव के प्रभाव की विवेचना करो।
उत्तर:
मनुष्य वातावरण का एक अभिन्न अंग है। जैव मण्डल के असंख्यक जीवों में मानव का भी एक रूप है। मनुष्य अपने वातावरण को अपने ज्ञान व तकनीकी की मदद से प्रभावित करता है । मानव ने अनेक प्राणियों को पालतू बनाया है, अनेक पौधों की कृषि की है ताकि उनका अधिक-से-अधिक उपयोग हो सके। मनुष्य ने पौधों व वस्तुओं में परिवर्तन करके नई जातियों की खोज की है जिनसे मूल आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। कुछ जातियां सदा के लिए विलुप्त हो गई हैं। नई जातियों का विकास क्रम निरन्तर चल रहा है।
मानव ने जैवमण्डल के संसाधनों का उपयोग करने का प्रयत्न किया है, परन्तु इस प्रयत्न से पारिस्थितिक तन्त्र में एक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। कई पौधे और जीव-जन्तु दूर-दूर नये प्रदेशों में पहुंचा दिए गए हैं। ये बड़ी तीव्र गति से संख्या में बढ़ते जा रहे हैं। इनके प्रभाव से वातावरण में बदलाव आया है। मानवीय क्रियाओं के हस्तक्षेप से भी कई क्षेत्रों में वातावरण या पारिस्थितिक तन्त्र में परिवर्तन हुआ है। कई क्षेत्रों में वनों की कटाई से वन्य प्राणियों के जीवन में परिवर्तन हुआ है। इससे मिट्टी कटाव की समस्या उत्पन्न हुई है।
अधिक कृषि, अत्यधिक पशु चारण तथा स्थानान्तरी कृषि से मिट्टी कटाव में वृद्धि हुई है। शुष्क प्रदेशों में जल सिंचाई से मिट्टी में रेह की समस्या उत्पन्न हुई है तथा कई रोग उत्पन्न हो गए हैं। इस प्रकार भूमि, वायु तथा जल में इतना प्रदूषण हो गया है कि ये मनुष्य के प्रयोग के अयोग्य बन गए हैं। पिछले कुछ सालों से पर्यावरण के प्रदूषण तथा वायु, जल तथा भोजन में रसायनों की अधिक मात्रा ने मानवीय स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डाला है। मानवीय हस्तक्षेप ने प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता पर प्रभाव डाला है। प्राकृतिक साधनों का तीव्र गति से प्रयोग किया जा रहा है।
आने वाले वर्षों में इन संसाधनों की कमी हो जाएगी। हो सकता है कि इतनी लापरवाही से प्रयोग के कारण यह संसाधन इस सीमा तक नष्ट हो जाएं कि निकट भविष्य में वे मानव जाति के लिए उपलब्ध न हों। उदाहरण के लिए शिकार से वन्य प्राणियों की कई जातियां विलुप्त हो गई हैं । खनिज तेल के साधन भी अधिक देर तक नहीं चलेंगे। आधुनिक संसार में पर्यावरण की अधिकतर समस्याओं का जन्मदाता स्वयं मानव है अतः उसका समाधान भी उसके द्वारा भी हो सकता है। मानव को भौतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करके जीना पड़ेगा ताकि जैव मण्डल में पारिस्थितिक सन्तुलन को बिना बिगाड़े संसाधनों का उपयोग किया जा सके।