Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण
बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. प्लीस्टो सिन युग कब हुआ था
(A) 10 लाख वर्ष पूर्व
(B) 15 लाख वर्ष पूर्व
(C) 20 लाख वर्ष पूर्व
(D) 25 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(C) 20 लाख वर्ष पूर्व।
2. विश्व में कितने % पौधे विलोपन की कगार पर है
(A) 5%
(B) 6%
(C) 7%
(D) 8%.
उत्तर:
(D) 8%.
3. प्रोजैक्ट टाईगर कब शुरू किया गया
(A) 1970
(B) 1971
(C) 1972
(D) 1973.
उत्तर:
(D) 1973.
4. पृथ्वी शिखर कब हुआ-
(A) 1990
(B) 1991
(C) 1992
(D) 1993.
उत्तर:
(C) 1992.
5. महा विवधता केन्द्र किस क्षेत्र में है
(A) उष्ण कटिबन्धीय
(B) शीत-उष्ण कटिबन्धीय
(C) शीत
(D) शुष्क।
उत्तर:
(A) उष्ण कटिबन्धीय।
6. WWF (World Wide Fund) का मुख्यालय कहाँ है?
(A) न्यूयार्क
(B) लंदन
(C) पेरिस
(D) स्विटजरलैंड|
उत्तर:
(D) स्विटजरलैंड
7. WWF (World Wide Fund) की स्थापना कब की गई?
(A) 1950
(B) 1961
(C) 1954
(D) 1962.
उत्तर:
(D) 1962.
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मानव के लिये पौधे किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
पौधे मनुष्य को कई प्रकार की फसलें, प्रोटीन देते हैं यह जनसंख्या के पोषण के लिये एक प्राकृतिक साधन हैं।
प्रश्न 2.
मानव के लिये जन्तुओं के महत्त्व का संक्षिप्त का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव के आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के पदार्थ मिलते हैं। इतिहास के प्रारम्भिक काल में मानव पशु पालन पर निर्भर था। असंख्य पशु प्राकृतिक वनस्पति खा कर मांस तथा डेयरी पदार्थ प्रदान करते हैं, जिससे मानव जनसंख्या का पोषण होता है।
प्रश्न 3.
जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
उत्तर:
जैविक विविधता का अस्तित्व तीन विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित हैं-
- प्रजातीय विविधता ( Species Diversity): जो आकृतिक शरीर क्रियात्मक तथा आनुवंशिक लक्षणों द्वारा प्रतिबिम्बित होती है।
- आनुवांशिक विविधता (Genetic Diversity ): जो प्रजाति के भीतर आनुवंशिक या अन्य परिवर्तनों से युक्त होती है।
- पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity): विविधता, जो विभिन्न जैव भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, ज्वारनदमुख आदि द्वारा प्रतिबिम्बित होती है । इस पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित रखना एक महान् चुनौती है।
प्रश्न 4.
जैविक विविधता का संरक्षण क्या है?
उत्तर:
जैविक विविधता का संरक्षण एक ऐसी योजना है जिसका लक्ष्य विकास की निरंतरता को बनाये रखना है। विभिन्न प्रजातियों को कायम रखने के लिये, विकसित करने तथा उनके जीवन कोष को बनाये रखना जो भविष्य में लाभदायक हो।
प्रश्न 5.
जैव विविधता क्या है?
उत्तर:
जैव विविधता दो शब्दों के मेल से बना है (Bio) बायो का अर्थ है जीव तथा (Diversity) का अर्थ है विविधता। साधारण शब्दों में, किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव विविधता कहते हैं।
प्रश्न 6.
जैव विविधता का इतिहास बताओ। किस कटिबन्ध में जैव विविधता अधिक है?
उत्तर;
आज जो जैव विविधता हम देखते हैं, वह 25 से 35 अरब वर्षों के विकास का परिणाम है। मानव जीवन के प्रारम्भ होने से पहले, पृथ्वी पर जैव विविधता किसी भी अन्य काल से अधिक थी। मानव के आने से जैव विविधता में तेज़ी से कमी आने लगी, क्योंकि किसी एक या अन्य प्रजाति का आवश्यकता से अधिक उपभोग होने के कारण, वह लुप्त होने लगी। अनुमान के अनुसार, संसार में कुल प्रजातियों की संख्या 20 लाख से 10 करोड़ तक, लेकिन एक करोड़ ही इसका सही अनुमान है। नयी प्रजातियों की खोज लगातार जारी है और उनमें से अधिकांश का वर्गीकरण भी नहीं हुआ है। (एक अनुमान के अनुसार दक्षिण अमेरिका की ताज़े पानी की लगभग 40 प्रतिशत मछलियों का वर्गीकरण नहीं हुआ।) उष्ण कटिबन्धीय वनों में जैव-विविधता की अधिकता है।
प्रश्न 7.
हॉट-स्पॉट ( Hot Spot ) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन्हें हॉट-स्पॉट कहते हैं। यहां प्रजातियों की संख्या अधिक होती है।
प्रश्न 8.
पारितन्त्र में प्रजातियों की भूमिका बताओ।
उत्तर:
- जीव व प्रजातियां ऊर्जा ग्रहण करती हैं।
- ये कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न करती हैं।
- ये जल व पोषण चक्र बनाने में सहायक हैं।
- वायुमण्डलीय गैसों को स्थिर करती है।
प्रश्न 9.
विदेशज प्रजातियों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वे प्रजातियां जो स्थानीय आवास की मूल प्रजातियाँ नहीं हैं, लेकिन उस ढंग से स्थापित की गई हैं, उन्हें विदेशज प्रजातियां कहते हैं।
प्रश्न 10.
प्रजाति का विलुप्त होना क्या है?
उत्तर:
प्रजाति का विलुप्त होने का तात्पर्य है कि उस प्रजाति का अन्तिम सदस्य भी मर चुका है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
जैव विविधता के क्या कारण हैं?
उत्तर:
जैव विविधता का आधार अपक्षयण है। सौर ऊर्जा और जल ही अपक्षयण में विविधता और जैव विविधता का मुख्य कारण है। वे क्षेत्र जहां ऊर्जा व जल की उपलब्धता अधिक है, वहीं पर जैव विविधता भी व्यापक स्तर पर है
प्रश्न 2.
जैव विविधता सतत् विकास का तन्त्र है? स्पष्ट करो।
उत्तर:
जैव विविधता सजीव सम्पदा है यह विकास के लाखों वर्षों के ऐतिहासिक घटनाओं का परिणाम है। प्रजातियों के दृष्टिकोण से और अकेले जीवधारी के दृष्टिकोण से जैव-विविधता सतत् विकास का तन्त्र है। पृथ्वी पर किसी प्रजाति की औसत अर्ध आयु 10 से 40 लाख वर्ष होने का अनुमान है। ऐसा भी माना जाता है कि लगभग 99 प्रतिशत प्रजातियाँ, जो कभी पृथ्वी पर रहती थीं, आज लुप्त हो चुकी हैं। पृथ्वी पर जैव विविधता एक जैसी नहीं है। जैव-विविधता उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में अधिक होती है। जैसे-जैसे हम ध्रुवीय प्रदेशों की तरफ बढ़ते हैं, प्रजातियों की विविधता तो कम होती जाती है, लेकिन जीवधारियों की संख्या अधिक होती जाती है।
प्रश्न 3.
पौधों और जीवों को संरक्षण के आधार पर विभिन्न प्रजातियों में बांटो
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों व पर्यावरण संरक्षण की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था (IUCN) ने संकटापन्न पौधों व जीवों की प्रजातियों को उनके संरक्षण के उद्देश्य से तीन वर्गों में विभाजित किया है।
1. संकटापन्न प्रजातियाँ (Endangered species):
इसमें वे सभी प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिनके लुप्त हो जाने का खतरा है। अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN ) विश्व की सभी संकटापन्न प्रजातियों के बारे में (Red list) रेड लिस्ट नाम से सूचना प्रकाशित करता है।
2. कमज़ोर प्रजातियाँ (Vulnerable species):
इसमें वे प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जिन्हें यदि संरक्षित नहीं किया गया या उनके विलुप्त होने में सहयोगी कारक यदि जारी रहे तो निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा है। इनकी संख्या अत्यधिक कम होने के कारण, इनका जीवित रहना सुनिश्चित नहीं है।
3. दुर्लभ प्रजातियाँ (Rare species):
संसार में इन प्रजातियों की संख्या बहुत कम है। ये प्रजातियाँ कुछ ही स्थानों पर सीमित हैं या बड़े क्षेत्र में बिखरी हुई हैं।
प्रश्न 4.
जैव विविधता की हानि के चार कारण बताओ।
उत्तर:
- प्राकृतिक आपदाएँ
- टनाशक
- विदेशज प्रजातियां
- अवैध शिकार।
प्रश्न 5
प्रजातियों के संरक्षण के दो पहलू बता ।
उत्तर:
- मानव को पर्यावरण मैत्री सम्बन्धी पद्धतियों का प्रयोग करना चाहिए।
- विकास के लिए सतत् पोषणीय गतिविधियाँ अपनाई जाएं।
- स्थानीय समुदायों की इसमें भागीदारी हो।
प्रश्न 6.
महाविविधता केन्द्र से क्या अभिप्राय है? विश्व के महत्त्वपूर्ण महाविविधता केन्द्र बताओ।
उत्तर:
जिन देशों में उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में अधिक प्रजातीय विविधता पाई जाती है, उन्हें महाविविधता केन्द्र कहते हैं। विश्व में 12 ऐसे देश हैं – मेक्सिको, कोलम्बिया, इक्वेडार, पेरू, ब्राज़ील, ज़ायरे, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इण्डोनेशिया तथा ऑस्ट्रेलिया।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )
प्रश्न 1.
जैविक विवधता के ह्रास से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
उत्तर:
जैविक विविधता का ह्रास (Loss of Biodiversity) जैविक विविधता का स्तर जैविक विविधता का अस्तित्व तीन विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित है:
- प्रजातीय विविधता जो आकृतिक, शरीर क्रियात्मक तथा आनुवंशिक लक्षणों द्वारा प्रतिबिंबित होती है।
- आनुवंशिक विविधता, जो प्रजाति के भीतर आनुवंशिक या अन्य परिवर्तनों से युक्त होती है तथा
- पारिस्थितिक तंत्र विविधता, जो विभिन्न जैव – भौगोलिक क्षेत्रों जैसे- झील, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, ज्वारनदमुख आदि द्वारा प्रतिबिंबित होती है। इन पारिस्थितिक तंत्रों को संरक्षित रखना एक महान् चुनौती है।
मानवीय प्रभाव:
मनुष्य ने पृथ्वी के जैविक स्टॉक के प्रकार और वितरण को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। पृथ्वी के जैविक प्रतिरूप पर बढ़ता हुआ मानव प्रभाव, बढ़ती जनसंख्या और उनकी बढ़ती भोजन एवं स्थान की आवश्यकता का परिणाम है। संसाधनों के लिए मानव माँगों के कारण कुछ प्रजातियाँ समाप्त हो गईं तथा कुछ बची रहीं। आरंभिक मानव एक शिकारी तथा संग्रहणकर्त्ता था । हम उन्हें पुरातन कह सकते हैं, पर पारिस्थितिक दृष्टिकोण से वे पिछड़े हुए नहीं थे। उनकी जीवन शैली उस समय के ज्ञान एवं तकनीक के अनुसार प्रकृति के साथ सफल अनुकूलन था।
प्रजातियों का विलोपन:
भूवैज्ञानिक काल में (प्लीस्टोसीन, लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व) स्तनधारियों के लोप होने का प्रधान कारण जलवायविक अवनति के साथ आदि मानवों द्वारा ज़रूरत से अधिक पशुओं को मारना था । महाप्राणिजात विलोपन की यह घटना अभी समाप्त नहीं हुई है । आजकल यह पृथ्वी के समुद्री पर्यावरण तक पहुँच गई है। यह उस तकनीक का परिणाम है, जिसने मानव के प्रभाव को विश्व के महासागरों की गहराइयों तक पहुँचा दिया है । आधुनिक युग का विलोपन किसी एक पशु समूह जैसे महाप्राणिजात पर ही केंद्रित नहीं है, वरन् इसने विभिन्न प्रकार के पशुओं, विशेषकर पक्षियों, मछलियों तथा, सरीसृपों आदि को भी प्रभावित किया है। तकनीकी नवीनीकरण तथा सामाजिक-आर्थिक कारकों ने आधुनिक युग के इस विलोपन को और तेज़ किया है।
कृषि यंत्रीकरण तथा औद्योगीकरण का प्रभाव:
विलोपन की स्थिति में, पालतू पौधों एवं पशुओं पर आधारित एक नया भोजन स्रोत अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया खेती के यांत्रिकरण तथा औद्योगीकरण ने भारी मात्रा में अनाज के अधिशेष को बढ़ावा दिया है। लेकिन इस अधिशेष अनाज को पैदा करने के दौरान भूमि में मानवकृत परिवर्तनों की श्रृंखला ने प्राकृतिक समुदायों तथा मृदा के प्रतिरूपों में बाधाएँ उत्पन्न कर दी हैं। बदले में इन परिवर्तनों से निकटवर्ती तथा दूरस्थ दोनों समुदायों में गिरावट आई है। अलवणीय जल तंत्र विशेष रूप से महान् परिवर्तनों से गुजरे हैं। खेती ने समुद्री पर्यावरण के जीवों को भी प्रभावित किया है।
- निम्नलिखित प्रभाव स्पष्ट हैं:
- औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के इस युग में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण अधिकाधिक भूमि पर से जंगलों को साफ करके उन्हें कृषि के अंतर्गत लाया गया है।
- अधिक क्षेत्रों में मृदा की जुताई अधिक फसलें पैदा करने के लिए की गई है।
- मकान, सड़कें, पार्क तथा अन्य क्रियाओं के लिए अधिकाधिक भूमि का उपयोग किया गया है।
- इससे संसाधनों का संचलन शहरों की ओर हुआ है।
- मृदा की हानि, पोषकों का संचलन और अविषालु पदार्थों द्वारा पर्यावरण का प्रदूषण वास्तव में ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग तथा अबाधित उत्पादन के लक्षण हैं।
- मानव द्वारा प्रकृति का अनुचित उपयोग बिखरे हुए तथा अधूरे तंत्रों को जन्म देता है। इनका वायु, जल, मृदा तथा पृथ्वी के जैविक संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- नवीन समस्याएं:
- इस समय विश्व के 2 प्रतिशत ज्ञात पशु तथा 8 प्रतिशत ज्ञात पौधे विलोपन के कगार पर खड़े हैं। वास्तव में प्रत्येक औद्योगिक क्रिया जल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
- वर्षा अम्लीय हो गई है।
- सिंचाई, अपरदन तथा पीड़नाशी एवं उर्वरकों के प्रवाह से जुताई खेती एक समस्या बन गई है।
- परिवर्तित जल प्रवाह और अविषालु पदार्थों के अधिप्लावन से शहरी क्षेत्र एवं महामार्ग एक समस्या बन गए हैं।
- खनन क्रिया द्वारा खनन अपशिष्टों के अपवाह तथा जल प्रवाह पर पड़ने वाले प्रभाव के कारण यह भी एक समस्या हो गई है।
- औद्योगिक तथा शहरी मल – व्यवस्था में खतरनाक पदार्थ होते हैं जिससे यूट्रोफिकेशन होता है। ये सभी अलवणीय जल तंत्रों की गुणवत्ता को कम कर देते हैं।
भविष्य:
गत लाखों वर्षों में जीवन एक अत्यधिक संघटित ढाँचे के रूप में उभर कर आया है। जीवन प्रतिस्कंदी है, पर इसे स्थान की आवश्यकता होती है। जब पौधों, पशुओं या मृदा के प्रतिरूप का कोई भाग, विनष्ट हो जाता है, तो जीवन के संपूर्ण ढाँचे का ह्रास होता है। वांछनीय दशा ऐसा विश्व है जहाँ प्रमुख संसाधनों की कमी होने के स्थान पर इनकी पुनः प्राप्ति हो तथा जहाँ प्रजातियों को लोप होने के जगह उनकी निरंतरता बनी रहे। भविष्य में जीवन के प्रतिरूपों की संवृद्धि के उद्देश्यों से किए जाने वाले ऐसे सांस्कृतिक समायोजन मानव के अपने हाथ में हैं। भविष्य में आने वाली पीढ़ी हमारे युग की बुद्धिमानी ( या इसकी कमी) का मूल्यांकन जैविक विविधता को बनाए रखने तथा इससे पृथ्वी पर जीवन की गुणवत्ता कायम रखने में हमारे प्रयासों की सफलता या असफलता के आधार पर करेगी।
प्रश्न 2.
जैव विविधता का विभिन्न स्तरों पर वर्णन करो।
उत्तर:
जैव-विविधता को तीन स्तरों पर समझा जा सकता है
- आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity)
- प्रजातीय विविधता ( Species diversity) तथा
- पारितन्त्रीय विविधता (Ecosystem diversity)।
1. आनुवंशिक जैव विविधता (Genetic biodiversity ):
जीवन निर्माण के लिए जीन (Gene) एक मूलभूत इकाई है। किसी प्रजाति में जीन की विविधता ही आनुवांशिक जैव-विविधता है। समान भौतिक लक्षणों वाले जीवों के समूह को प्रजाति कहते हैं। मानव आनुवंशिक रूप से ‘होमोसेपियन’ (Homosapiens) प्रजाति से सम्बन्धित है जिससे कद, रंग और अलग दिखावट जैसे शारीरिक लक्षणों में काफ़ी भिन्नता है। इसका कारण आनुवंशिक विविधता है विभिन्न प्रजातियों के विकास के फलने-फूलने के लिए आनुवंशिक विविधता अत्यधिक अनिवार्य है।
2. प्रजातीय विविधता ( Species diversity ):
यह प्रजातियों की अनेकरूपता को बताती है। यह किसी निर्धारित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या से सम्बन्धित है। प्रजातियों की विविधता, उनकी समृद्धि, प्रकार तथा बहुलता से आँकी जा सकती है। कुछ क्षेत्रों में प्रजातियों की संख्या अधिक होती है और कुछ में कम जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है, उन्हें विविधता के हॉट स्पॉट (Hot spots) कहते हैं।
3. पारितन्त्रीय विविधता (Ecosystem diversity ):
आपने पिछले अध्याय में पारितन्त्रों के प्रकारों में व्यापक भिन्नता और प्रत्येक प्रकार के पारितन्त्रों में होने वाली पारितन्त्रीय प्रक्रियाएं तथा आवास स्थानों की भिन्नता ही पारितन्त्रीय विविधता बनाते हैं। पारितन्त्रीय विविधता का परिसीमन करना मुश्किल और जटिल है, क्योंकि समुदायों (प्रजातियों का समूह) और पारितन्त्र की सीमाएं निश्चित नहीं हैं।