Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. निम्नलिखित में से पृथ्वी की संरचना का मुख्य स्त्रोत क्या है?
(A) भूकम्पीय तरंगें
(B) ज्वालामुखी
(C) पृथ्वी का तापमान
(D) पृथ्वी का घनत्व।
उत्तर:
भूकम्पीय तरंगें।
2. भू-पृष्ठ का घनत्व बताओ
(A) 17.2
(B) 5.68
(C) 2.75
(D) 5.53.
उत्तर:
(C) 2.75.
3. पृथ्वी की अभ्यान्तर परत को क्या कहा जाता है?
(A) सियाल
(B) सीमा
(C) नाइफ
(D) मैंटल।
उत्तर:
(C) नाइफ।
4. अभ्यान्तर में अधिकतम घनत्व का मुख्य कारण क्या है?
(A) अधिक गहराई
(B) अधिक तापमान
(C) तरल पदार्थ
(D) निक्कल तथा लौह धातुएं।
उत्तर:
निक्कल तथा लौह धातुएं।
5. पृथ्वी के भीतरी भाग में तापमान की वृद्धि की औसत दर क्या है?
(A) 1°C प्रति कि०मी०
(B) 12°C प्रति कि० मी०
(C) 1°C प्रति 30 मीटर
(D) 10°C प्रति 100 मीटर।
उत्तर:
(C) 1°C प्रति 30 मीटर।
6. निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य पृथ्वी की आन्तरिक बनावट पर सर्वाधिक प्रकाश डालता है?
(A) गहरी खदानों का खोदा जाना
(B) कुओं का खोदा जाना
(C) भूकम्पीय तरंगें
(D) ज्वालामुखी उद्भेदन।
उत्तर:
(C) भूकम्पीय तरंगें।
7. कौन-सी भूकम्पीय तरंगें पृथ्वी से 2900 किलोमीटर की गहराई के पश्चात् लुप्त हो जाती हैं?
(A) प्राथमिक
(B) गौण
(C) धरातलीय
(D) अनुदैर्ध्य।
उत्तर:
(B) गौण।
8. भूकम्पीय तरंगों को रेखांकित करने वाला यन्त्र
(A) थर्मोग्राफ
(B) सिस्मोग्राफ
(C) हाइग्रोग्राफ
(D) बैरोग्राफ।
उत्तर:
(B) सिस्मोग्राफ।
9. भूपर्पटी में विकसित थरथराहट को कहते हैं
(A) भूसंचरण
(B) पृथ्वी की गति
(C) भूकम्प
(D) पृथ्वी की कामुकता।
उत्तर:
(C) भूकम्प।
10. भूकम्पों के कारण समुद्रों में विकसित विशाल तरंगें होती हैं
(A) समुद्री तरंगें
(B) ज्वारीय तरंगें
(C) सुनामी तरंगें
(D) धरातलीय तरंगें।
उत्तर:
सुनामी तरंगें।
11. पृथ्वी की त्रिज्या कितनी है?
(A) 5370 कि०मी०
(B) 6370 कि०मी०
(C) 7370 कि०मी०
(D) 8370 कि०मी०।
उत्तर:
(B) 6370 कि०मी०।
12. दक्षिणी अफ्रीका की सोने की खानें कितनी गहरी हैं?
(A) 3-4 कि०मी०
(B) 4-5 कि०मी०
(C) 5-6 कि०मी०
(D) 6-7 कि०मी०
उत्तर:
(A) 3-4 कि०मी०
13. सबसे गहरा प्रवेधन कितना गहरा है?
(A) 10 कि०मी०
(B) 11 कि०मी०
(C) 12 कि०मी०
(D) 13 कि०मी०
उत्तर:
(C) 12 कि०मी०
14. प्राकृतिक भूकम्प किस भू-भाग में आते हैं?
(A) स्थल खण्ड
(B) मैंटल
(C) नाईफ्
(D) क्रोड ।
उत्तर:
(A) स्थल खण्ड
15.’P’ व ‘S’ तरंगों के छाया क्षेत्र का अधि केन्द्र से विस्तार है ।
(A) 105-145°
(B) 115-1550
(C) 125-165°
(D) 135-175°
उत्तर:
(A) 105-145°
16. भूकंप की तीव्रता का माप किस वैज्ञानिक के नाम पर है?
(A) कान्ट
(B) लाप्लेस
(C) मरकैली
(D) ऑटो शिमिड।
उत्तर:
(C) मरकैली
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
भूकम्पीय तरंगों के प्रकार बताओ।
उत्तर:
- प्राथमिक तरंगें
- माध्यमिक तरंगें
- धरातलीय तरंगें ।
प्रश्न 2.
धात्विक क्रोड के दो प्रमुख पदार्थ बताओ ।
उत्तर:
निकिल, लोहा
प्रश्न 3.
पृथ्वी की तीन परतों के नाम लिखो
उतर:
सियाल, सीमा, नाइफ
प्रश्न 4.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधन बताओ ।
उत्तर:
खानें, कुएं, छिद्र
प्रश्न 5.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में तापमान वृद्धि की औसत दर क्या है?
उत्तर:
1°C प्रति 32 मीटर।
प्रश्न 6.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी प्रदान करने वाले परोक्ष साधन कौन-से हैं?
उत्तर:
- तापमान
- दबाव
- परतों का घनत्व
- भूकम्पीय तरंगें
- उल्काएं।
प्रश्न 7.
भूकम्पीय तरंगों के अध्ययन करने वाले यन्त्र का क्या नाम है?
उत्तर:
सीस्मोग्राफ (Seismograph)।
प्रश्न 8. कितनी गहराई के पश्चात् ‘S’ तरंगें लुप्त हो जाती हैं?
उत्तर:
2900km.
प्रश्न 9.
कौन-सी तरंगें केवल ठोस माध्यम से ही गुज़र सकती हैं?
उत्तर:
अनुप्रस्थ तरंगें।
प्रश्न 10.
किन प्रमाणों से पता चलता है कि पृथ्वी के आन्तरिक भाग का तापमान अधिक है?
उत्तर:
- ज्वालामुखी
- गर्म जल के झरने
- खानों से।
प्रश्न 11.
सियाल (Sial) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
सियाल शब्द सिलिका तथा एल्यूमीनियम (Si+Al) के संयोग से बना है।
प्रश्न 12.
सीमा (Sima) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
सीमा शब्द सिलिका तथा मैग्नीशियम (Si+Mg) के संयोग से बना है।
प्रश्न 13.
निफे (Nife) शब्द किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
निफे शब्द निकिल तथा फैरस (Ni+Fe) के संयोग से बना है।
प्रश्न 14.
पृथ्वी की केन्द्रीय परत को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अभ्यान्तर या क्रोड या गुरुमण्डल।
प्रश्न 15.
पृथ्वी का औसत घनत्व कितना है?
उत्तर:
5.53.
प्रश्न 16.
सबसे धीमी गति वाली तरंगें कौन-सी हैं?
उत्तर:
धरातलीय तरंगें।
प्रश्न 17.
पृथ्वी के अभ्यान्तर का घनत्व कितना है?
उत्तर:
13.
प्रश्न 18.
अभ्यान्तर का घनत्व सबसे अधिक क्यों है?
उत्तर:
अभ्यान्तर में निकिल तथा लोहे के कारण।
प्रश्न 19.
Volcano ज्वाला शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से बना है?
उत्तर:
यूनानी शब्द ‘Vulan’ का अर्थ-पाताल देवता है।
प्रश्न 20.
पृथ्वी के अन्दर पिघले पदार्थ को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मैग्मा।
प्रश्न 21.
जब मैग्मा पृथ्वी के धरातल से बाहर आ जाता है तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
लावा।
प्रश्न 22.
ज्वालामुखी के तीन प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- सक्रिय ज्वालामुखी
- प्रसुप्त ज्वालामुखी
- मृत ज्वालामुखी।
प्रश्न 23.
भारत में सक्रिय ज्वालामुखी का नाम बताएं।
उत्तर:
अण्डमान द्वीप के निकट बैरन द्वीप।
प्रश्न 24.
ज्वालामुखी शंकु किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी के मुख से निकले पदार्थ मुख के आस-पास जमा हो जाते हैं। धीरे-धीरे ये शंकु का रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शंकु कहते हैं।
प्रश्न 25.
क्रेटर किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी के केन्द्र में कटोरे के समान या कीपाकार गर्त को क्रेटर कहते हैं।
प्रश्न 26.
काल्डेरा किसे कहते हैं?
उत्तर:
विशाल क्रेटर को काल्डेरा कहते हैं।
प्रश्न 27.
भूकम्प किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी का अचानक हिलना।
प्रश्न 28.
भूकम्प आने के तीन कारण लिखो।
उत्तर:
- ज्वालामुखी विस्फोट
- विवर्तनिक कारण
- लचक शक्ति।
प्रश्न 29.
उद्गम केन्द्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के अन्दर जहां भूकम्प उत्पन्न होता है, उसे उद्गम केन्द्र कहते हैं।
प्रश्न 30.
अधिकेन्द्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूकम्प केन्द्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थिर बिन्दु या स्थान को अधिकेन्द्र कहते हैं।
प्रश्न 31.
आग का गोला (Ring of fire) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
परिप्रशान्त महासागरीय पेटी।
प्रश्न 32.
संसार की तीन प्रमुख ज्वालामुखी पेटियों के नाम लिखें।
उत्तर:
- प्रशांत महासागरीय पेटी
- अन्ध महासागरीय पेटी
- मध्य महाद्वीपीय पेटी।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
सियाल (Sial) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम के अंश अधिक मात्रा में हैं। इन दोनों धातुओं के संयोग के कारण इस परत को सियाल (Sial = Silica + Aluminium) कहते हैं। इस परत की औसत गहराई 60 km. है। इस परत का घनत्व 2.75 है। इस परत से महाद्वीपों का निर्माण हुआ है।
प्रश्न 2.
सीमा (Sima ) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सियाल से निचली परत को सीमा कहा जाता है। इस परत से सिलिका तथा मैग्नीशियम धातुएं अधिक मात्रा में मिलती हैं। इसलिए इस परत को सीमा (Sima = Silica + Magnesium) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 2800 km है। इसका औसत घनत्व 4.75 है। महासागरीय तल इसी परत से बना हुआ है।
प्रश्न 3.
निफे (Nife) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह पृथ्वी की सबसे निचली तथा केन्द्रीय परत है। यह सबसे भारी परत है जिसका घनत्व 13 है। इसमें निकिल तथा फैरस (लोहा) धातुएं अधिक हैं। इसलिए इसे (Nife = Nickle + Ferrous) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 3500 km. 1
प्रश्न 4.
पृथ्वी की तीन मौलिक परतों के नाम, गहराई, विस्तार तथा घनत्व बताओ।
उत्तर:
पृथ्वी का निर्माण करने वाली तीन मूल परतें हैं जिनकी रचना भिन्न घनत्व वाले पदार्थों से हुई है
- भू-पृष्ठ (Crust),
- मैण्टल (Mantle, )
- क्रोड (Core)
परत | क्षेत्र | मोटाई | कुल का \% | घनत्व |
(1) भू-पृष्ठ | सियाल | 60 कि॰ मी० | 0.5 | 2.75 |
(2) मैण्टल | सीमा | 2840 कि॰ मी० | 16.5 | 5.68 |
(3) क्रोड | नाइफ | 3500 कि॰ मी० | 83.0 | 17.2 |
प्रश्न 5.
सिस्मोग्राफ किसे कहते हैं? इसका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?
उत्तर:
सिस्मोग्राफ (Seismograph) एक यन्त्र है जिसके द्वारा भूकम्पीय तरंगें तथा तीव्रता मापी जाती है। इस यन्त्र में लगी एक सूई द्वारा ग्राफ पेपर पर भूकम्पीय तरंगों को रेखांकित किया जाता है। इस यन्त्र द्वारा भूकम्प का उद्गम (Focus), भूकम्पीय तरंगों की गति, मार्ग तथा तीव्रता का ज्ञान होता है।
प्रश्न 6.
भूकम्पीय तरंगों के मुख्य प्रकार बताओ। कौन-सी तरंगें धीमी गति वाली हैं तथा कौन-सी तरंगें तेज़ गति वाली हैं?
- प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंगें।
- गौण या अनुप्रस्थ तरंगें
- धरातलीय या लम्बी तरंगें।
धरातलीय तरंगें सब से धीमी गति से चलती हैं। प्राथमिक तरंगें सब से तेज़ गति से चलती हैं।
प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय क्षेत्र किस प्रकार भूकम्प सम्बन्धी सूचना देते हैं?
उत्तर:
अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकम्प सम्बन्धी क्रियाएं शामिल हैं। पृथ्वी के धरातल पर भी विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एक समान नहीं होता है। यह (गुरुत्वाकर्षण बल) ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्यरेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केन्द्र से दूरी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवों पर कम और भूमध्य रेखा पर अधिक होता है । गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है । पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है।
अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है। इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति (Gravity anomaly ) कहा जाता है गुरुत्व विसंगति हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी देती है। चुम्बकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुम्बकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते हैं । भूकम्पीय गतिविधियां भी पृथ्वी की आन्तरिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है ।
प्रश्न 8.
उल्काएं पृथ्वी की आन्तरिक बनावट के विषय में जानकारी देने में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर:
कभी-कभी जलते हुए पदार्थ आकाश से पृथ्वी की ओर गिरते दिखाई देते हैं। इन्हें उल्का (Meteorites) कहते हैं। यह सौर मण्डल का एक भाग है। इनके अध्ययन से पता चलता है कि इनके निर्माण में लोहा और निकिल की प्रधानता है। पृथ्वी की रचना उल्काओं से मिलती-जुलती है तथा पृथ्वी का आंतरिक क्रोड भी भारी पदार्थों (लोहा + निकिल ) से बना हुआ है।
प्रश्न 9.
गुरुमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गुरुमण्डल (Barysphere):
पृथ्वी के केन्द्रीय भाग या आन्तरिक क्रोड को गुरुमण्डल कहते हैं। इसकी औसत गहराई 4980 से 6400 मी० है। यह अत्यधिक भारयुक्त खनिज पदार्थों से बना हुआ है। इसका औसत घनत्व 13 से अधिक है। इसमें लोहा तथा निकिल पदार्थों की अधिकता है। इस भाग को अभ्यान्तर (Core) भी कहा जाता है।
प्रश्न 10.
ज्वालामुखी किसे कहते हैं? ज्वालामुखी के विभिन्न भाग बताओ।
उत्तर:
ज्वालामुखी (Volcano):
ज्वालामुखी क्रिया एक अन्तर्जात क्रिया है जो भू-गर्भ से सम्बन्धित है। ज्वालामुखी धरातल पर एक गहरा प्राकृतिक छिद्र है जिससे भू-गर्भ से गर्म गैसें, लावा, तरल व ठोस पदार्थ बाहर निकलते हैं। सबसे पहले एक छिद्र की रचना होती है जिसे ज्वालामुखी (Volcano) कहते हैं। इस छिद्र से निकलने वाले लावा पदार्थों के चारों ओर फैलने तथा ठण्डा होकर ठोस होने से एक उच्च भूमि का निर्माण होता है जिसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। एक लम्बे समय में कई बार निकासन, शीतलन तथा ठोसीकरण की क्रिया से ज्वालामुखी का निर्माण होता है।
ज्वालामुखी के भाग (Parts of a Volcano):
- ज्वालामुखी निकास-एक छेद जिस से लावा का निष्कासन होता है ज्वालामुखी निकास कहलाता है।
- विवर-ज्वालामुखी विकास के चारों ओर एक तश्तरीनुमा गर्त को विवर कहते हैं।
- कैल्डेरा–विस्फोट से बने खड़ी दीवारों वाले कंड को कैलडेरा कहते हैं।
प्रश्न 11.
भूकम्पों के विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर भूकम्प निम्नलिखित प्रकार के हैं
- विवर्तनिक भूकम्प-सामान्यतः विवर्तनिक (Tectonic) भूकम्प ही अधिक आते हैं। ये भूकम्प भ्रंश तल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
- ज्वालामुखी भूकम्प-एक विशिष्ट वर्ग के विवर्तनिक भूकम्प को ही ज्वालामुखीजन्य (Volcanic) भूकम्प समझा जाता है। ये भूकम्प अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं।
- नियात भूकम्प-खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है, जिससे हल्के झटके महसूस किये जाते हैं। इन्हें नियात (Collapse) भूकम्प कहा जाता है।
- विस्फोट भूकम्प-कभी-कभी परमाणु व रासायनिक विस्फोट से भी भूमि में कम्पन होती है। इस तरह के झटकों को विस्फोट (Explosion) भूकम्प कहते हैं।
- बांध जनित भूकम्प-जो भूकम्प बड़े बांध वाले क्षेत्रों में आते हैं, उन्हें बांध जनित (Reservoir induced) भूकम्प कहा जाता है।
प्रश्न 12.
सुनामी किसे कहते हैं? इनके विनाशकारी प्रभाव की एक उदाहरण दो।
उत्तर:
सुनामी (Tsunami):
कई बार भूकम्प के कारण सागरीय लहरें बहुत ऊंची उठ जाती हैं। जापान में इन्हें सुनामी कहते हैं। ये तूफानी लहरें तटीय प्रदेशों में जान-माल की हानि करती हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से जो भूकम्प आया जिससे 15 मीटर ऊंची लहरें उठीं तथा पश्चिमी जावा में 36,000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। 26 दिसम्बर, 2004 को इण्डोनेशिया के निकट केन्द्रित भूकम्प से हिन्दमहासागर में 30 मीटर ऊंची सुनामी लहरों से लगभग 3 लाख व्यक्तियों की जानें गईं। इण्डोनेशिया, थाइलैंड, अण्डमान द्वीप, तमिलनाडु तट तथा श्रीलंका के तटीय भागों में प्रलय समान तबाही हुई।
प्रश्न 13.
दुर्बलता मण्डल क्या है?
उत्तर:
दुर्बलता मण्डल (Asthenosphere) ऊपरी मैंटल परत का एक भाग है। यह 650 कि० मी० गहरा है। यह परत ठोस तथा लचीले गुट रखती है। इस परत का अनुमान प्रसिद्ध भूकम्प वैज्ञानिक गुट्नबर्ग ने लगाया था। यहां भूकम्पीय लहरों की गति कम होती है। Asthenosphere का अर्थ है दुर्बलता।
प्रश्न 14.
पृथ्वी के धरातल का विन्यास किन प्रक्रियाओं का परिणाम है?
उत्तर:
पृथ्वी पर भू-आकृतियों का विकास बहिर्जात एवं अन्तर्जात क्रियाओं का परिणाम है। दोनों प्रक्रियाएं निरन्तर कार्य करती हैं तथा भू-आकृतियों को जन्म देती हैं।
प्रश्न 15.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधनों के नाम लिखो।
उत्तर:
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधन निम्नलिखित है
- धरातलीय चट्टानें : धरातलीय चट्टानें सुगमता से प्राप्त होती हैं तथा इन से भू-गर्भ की जानकारी मिलती है।
- खनन क्षेत्र : दक्षिणी अफ्रीका की सोने की खानों की गहराई 3-4 किलोमीटर तक है जहां तक जाना सम्भव है।
- विभिन्न परियोजनाएं : गहरे समुद्र में गहराई से पदार्थ प्राप्त करने की योजनाएं भी प्रत्यक्ष साधन हैं।
- ज्वालामुखी उद्गार : ज्वालामुखी उद्गार से लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है तो पृथ्वी की संरचना की जानकारी मिलती है।
प्रश्न 16.
उन दो वैज्ञानिक परियोजनाओं का वर्णन करो जिनसे पृथ्वी के भूगर्भ की जानकारी प्राप्त होगी।
उत्तर:
पृथ्वी के वैज्ञानिक ऐसी दो परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
- गहरे समुद्र में प्रवेश परियोजना (Deep ocean drilling project).
- समन्नित महासागरीय परिवेधन परियोजना (Integrated ocean drilling project) आज तक सबसे गहरा प्रवेधक (Drill) आर्कटिक महासागर के कोला (Kola) क्षेत्र में 12km की गहराई तक किया गया है।
प्रश्न 17.
भूकम्प की माप किस पैमाने पर की जाती है?
उत्तर:
भूकम्पों की माप-भूकम्पीय घटनाओं का मापन भूकम्पीय तीव्रता के आधार पर अथवा आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। भूकम्पीय तीव्रता की मापनी ‘रिक्टर स्केल’ (Richter scale) के नाम से जानी जाती है। भूकम्पीय तीव्रता भूकम्प के दौरान ऊर्जा विमोचन से सम्बन्धित है। इस मापनी के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से 10 तक होती है। तीव्रता गहनता (Intensity scale) ‘हानि की तीव्रता’ मापनी इटली के भूकम्प वैज्ञानिक मरकैली (Mercalli) के नाम पर है। यह मापनी झटकों से हुई प्रत्यक्ष हानि द्वारा निर्धारित की गई है। इसका गहनता का विस्तार 1 से 12 तक है।
तुलनात्मक प्रश्न
(Comparison Type Questions)
प्रश्न 1.
अनुदैर्ध्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) | अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves) |
(1) इन तरंगों में कण आगे बढ़ने की दिशा में चलते हैं। | (1) ये तरंगें दोलन की दिशा पर समकोण चलती हैं। |
(2) इन्हें प्राथामिक तरंगें, ध्वनि तरंगें या P-waves कहा जाता है। | (2) इन्हें द्वितीयक या S-waves भी कहा जाता है। |
(3) इनकी गति कुछ तेज़ होती है। | (3) इसकी गति धीमी होती है। |
(4) ये तरल, गैस तथा ठोस तीनों माध्यमों से गुज़र सकती हैं। | (4) ये केवल ठोस माध्यम से ही गुज़र सकती हैं। |
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) | अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves) |
प्रश्न 2.
भू-पृष्ठ तथा अभ्यान्तर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
भू-पृष्ठ (Crust) | अभ्यान्तर (Core) |
(1) यह पृथ्वी की बाहरी परत है। | (1) यह पृथ्वी की भीतरी परत है। |
(2) यह सबसे हल्की परत है। | (2) यह सब से भारी परत है। |
(3) इस परत का औसत घनत्व $2.75$ है। | (3) इस परत का औसत घनत्व $17.2$ है। |
(4) यह पृथ्वी के $0.5 \%$ भाग को घेरे हुए है। | (4) यह पृथ्वी के $83 \%$ भाग को घेरे हुए है। |
(5) इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम की अधिकता है। | (5) इसमें निकल तथा लोहे की अधिकता है। |
प्रश्न 3.
मैग्मा तथा लावा में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
मैग्मा (Magma) | लावा (Lava) |
(1) पृथ्वी के भीतरी भाग में पिघले हुए गर्म घोल को मैग्मा कहते हैं। | (1) जब उद्भेदन के कारण मैग्मा धरती के बाहर आकर ठण्डा तथा ठोस रूप धारण कर लेता है तो उसे लावा कहते हैं। |
(2) इसमें जल व अन्य गैसें भी मिली होती हैं। | (2) इसमें जल व गैसों के अंश नहीं होते। |
(3) यह पृथ्वी के भीतरी भागों में ऊपरी मैंटल में उत्पन्न होता है। (Magma is hot Sticky molten material.) | (3) यह पृथ्वी के धरातल पर वायुमण्डल के सम्पर्क से ठण्डा व ठोस होता है। (The Solidifed magma is called Lava.) |
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का वर्णन करो। इसकी प्रत्येक पर्त का विवरण दो। अपने कथन के पक्ष में विवेकपूर्ण तर्क दो।
अथवा
पृथ्वी की भूपर्पटी, मैंटल व क्रोड का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना (Structure of the Earth):
पृथ्वी के भू-गर्भ के बारे में विद्वानों ने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए हैं। कुछ विद्वानों ने पृथ्वी के भू-गर्भ को ठोस अवस्था माना है तो कुछ ने इसे गैसीय अथवा तरल अवस्था में माना है। भू-गर्भ की जानकारी प्राप्त करने के लिए मनुष्य के पास कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं है। भीतरी भाग में अत्यधिक तापमान एक बड़ी रुकावट है। पृथ्वी की सबसे गहरी खान केवल 4 km गहरी है। इसीलिए भू-गर्भ की जानकारी के सभी साधन अप्रत्यक्ष (Indirect ) हैं तथा केवल अनुमान ही हैं।
पृथ्वी की विभिन्न परतें (Different Layers of the Earth): वान्डर ग्राट (Vander Gracht) के अनुसार, पृथ्वी की आन्तरिक संरचना निम्नलिखित परतों में हुई है:
1. बाहरी सियाल परत ( Sial):
यह पृथ्वी की ऊपरी परत है। इस परत में सिलिका तथा एल्यूमीनियम का अंश अधिक है। यह सबसे हल्की परत है जिसका घनत्व 2.7 के बीच है। इस परत की औसत गहराई 45 कि० मी० तक है। इससे अधिकतर महाद्वीपों का निर्माण हुआ है। (Sial = Silica + Aluminium)
पृथ्वी की परतें (Layers of the Earth)
2. बाहरी सिलिकेट परत:
भूपर्पटी की इस परत का विस्तार महासागरों के नीचे है। इसमें अधिकतर तलछटी चट्टानें तथा ग्रेनाइट का विस्तार है। इसकी गहराई 45 से 100 कि०मी० तक है। इसका घनत्व 2.75-2.90 तक है
3. आन्तरिक सिलिकेट परत:
सियाल से निचली परत को आन्तरिक सिलिकेट परत कहा जाता है। बाहरी तथा आन्तरिक परत के बीच के अन्तराल को कॉनरैड अन्तराल कहा जाता है। इस परत का घनत्व 3.10 से 4.75 तक है। इसकी गहराई 1700 कि० मी० तक है। इसमें सिलिकेट तथा मैग्नीशियम की अधिकता होती है।
4. सिलिकेट तथा मिश्रित धातु परत (Sima ):
सियाल के नीचे दूसरी मुख्य परत को सीमा कहा जाता है। इसमें सिलिका तथा मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। (Sima = Silica + Magnesium) इस परत की मोटाई 1700 कि० मी० से 2900 कि०मी० है तथा इसका घनत्व 4.75 से 5 तक है। सियाल तथा सीमा को पृथक् करने वाले अन्तराल को मोहरोविसिक अन्तराल कहते हैं। इसकी रचना बैसाल्ट चट्टानों से हुई है।
5. धात्विक नाभि (Nife ):
यह सबसे निचली केन्द्रीय तथा भारी परत है। इसमें निकिल तथा फैरस अधिक मात्रा में पाया जाता है (Nife = Nickle + Ferrous) । इस परत का घनत्व 4.75 से 11 तक है। इस परत की गहराई 2900-4980 कि०मी० है। इस परत को बाह्य धात्विक क्रोड भी कहा जाता है।
6. धात्विक क्रोड (Core):
इस परत में भारी धातुओं की अधिकता है। इसलिए इसका घनत्व 13 से 17 तक है। इसकी गहराई 4980-6400 कि० मी० तक है। इस परत को गुरुमण्डल (Bary sphere) भी कहते हैं।
प्रश्न 2.
भूकम्प किसे कहते हैं? यह कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
भूकम्प (Earthquake):
भूपृष्ठ के किसी भी भाग के अचानक हिल जाने को भूकम्प कहते हैं। (An earthquake is a sudden movement on the crust of the earth.) इस प्रकार भूकम्प धरातल का कम्पन तथा दोलन है जिसके द्वारा चट्टानें ऊपर नीचे सरकती हैं। यह एक आकस्मिक एवं अस्थायी गति है। भूकम्प अपने केन्द्र से चारों ओर तरंगों के माध्यम से आगे बढ़ता है। भूकम्प के कारण – प्राचीन काल में लोग भूकम्प को भगवान् का कोप मानते थे, परन्तु वैज्ञानिकों के अनुसार भूकम्प के निम्नलिखित कारण हैं
- ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruption ): ज्वालामुखी विस्फोट में शक्ति होती है जिससे विस्फोट स्थान के समीपवर्ती क्षेत्र कांप उठते हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से दूर-दूर तक भूकम्प अनुभव किए गए।
- विवर्तनिक कारण (Tectonic Causes ): पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण धरातल पर चट्टानों में मोड़ तथा दरारें पड़ जाती हैं । दरारों के सहारे हलचल होती है और भूकम्प आते हैं।
- पृथ्वी का सिकुड़ना (Contraction of Earth): तापमान कम होने से पृथ्वी सिकुड़ती है तथा चट्टानों में हलचल के कारण भूकम्प आते हैं ।
- लचक शक्ति (Elasticity of Rocks): जब किसी चट्टान पर दबाव पड़ता है तो वह चट्टान उस दबाव को वापस धकेलती है।
- सामान्य कारण (General Causes ): पर्वतीय भागों में भूस्खलन कार्स्ट प्रदेशों में गुफ़ाओं की छतों के धंसने से, तूफानी लहरों के कारण तथा अणु बमों के विस्फोट से साधारण भूकम्प उत्पन्न होते हैं ।
प्रश्न 3.
ज्वालामुखी स्थलाकृति के मुख्य लक्षणों का वर्णन करो।
उत्तर:
ज्वालामुखी क्रिया (Vulcanicity ) वह क्रिया है जिससे गर्म पदार्थ धरातल के नीचे या बाहर प्रकट होते हैं। ज्वालामुखी पृथ्वी की भीतरी शक्तियों (Internal Forces) में से एक है। ज्वालामुखी के मुख से निकले पदार्थ मुख के आस-पास जमा हो जाते हैं। धीरे-धीरे ये शंकु (Cone) का रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शंकु (Volcanic Cones) कहते हैं। ज्वालामुखी स्थल के रूप
1. क्रेटर (Crater):
ज्वालामुखी के छिद्र के ऊपर गर्त बन जाता है। यह कटोरे के समान या कीपाकार (Funnel Shaped) होता है। क्रेटर में जल भर जाने से झील की रचना होती है। जैसे U.S.A. की क्रेटर लेक (Crater Lake) तथा महाराष्ट्र की लोनार झील।
2. काल्डेरा (Caldera ): विशाल क्रेटर को काल्डेरा कहते हैं। तीव्र विस्फोट से शंकु का ऊपरी भाग उड़ जाता है या क्रेटर के धंस जाने से इसका विस्तार बढ़ जाता है। जापान का काल्डेरा इतना बड़ा है कि इसे “Volcano of a Hundred Villages” कहते हैं।
3. राख शंकु (Ash Cone): यह कम ऊंचे शंकु होते हैं जिनकी रचना धूल तथा राख से होती है। इनके किनारे अवतल (Concave) ढाल वाले होते हैं। इसे सिंडर शंकु (Cinder Cone) भी कहते हैं।
4. शील्ड शंकु (Shield Cones): इनका निर्माण पैठिक लावा (Basic Lava) से होता है। पैठिक लावा हल्का तथा पतला होता है। इसमें सिलिका की मात्रा कम होती है। यह लावा दूर तक फैल जाता है। इस प्रकार लम्बे तथा कम ऊंचे शंकु का निर्माण होता है। जैसे हवाई द्वीप समूह के ज्वालामुखी शंकु।
5. गुम्बद शंकु (Lava Dome ): इनका निर्माण एसिड लावा से होता है। यह लावा काफ़ी गाढ़ा तथा चिपचिपा होता है। इसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है। यह मुख के निकट ही जल्दी जम कर गुम्बद बन जाता है। इस प्रकार तीव्र ढाल वाले ऊंचे शंकु का निर्माण होता है। फ्रांस में पाई डी डोम (Puy de dome) 1500 मीटर ऊंचा है।
6. लावा डॉट (Volcanic Plugs ):
जब शंकु पूरी तरह नष्ट हो जाता है तो नली व छिद्र ठोस लावा से भर जाते हैं। यह नली एक डॉट या प्लग की तरह दिखाई देती है। जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में लैसेन चोटी (Lassen Peak)।
7. मिश्रित शंकु (Composite Cones): ये सबसे बड़े व ऊंचे शंकुओं में गिने जाते हैं। इसका निर्माण लावा, राख तथा दूसरे पदार्थों के बारी-बारी जमा होने से होता है। यह जमाव समानान्तर
परतों में होता है। इटली का स्ट्रॉम्बोली (Stromboli) इसका मुख्य उदाहरण है जिसमें प्रति घण्टा के बाद उद्गार होता है। इसे रूम क्रेटर सागर का प्रकाश स्तम्भ (Light house of the Mediterranean) कहते हैं। जापान का फ्यूजीयामा पर्वत इसका सुन्दर उदाहरण है। ढलानों पर बनने वाले छोटे-छोटे शंकुओं को परजीवी शंकु (Parastic Cone) कहते हैं।
8. बेसाल्ट प्रवाह क्षेत्र (Flood basalt provinces): ये ज्वालामुखी अत्यधिक तरल लावा उगलते हैं जो बहुत दूर तक बह निकलता है। संसार के कुछ भाग हजारों वर्ग कि० मी० घने लावा प्रवाह से ढके हैं। इनमें लावा मैग्मा प्रवाह क्रमानुसार होता है और कुछ प्रवाह 50 मीटर से भी।
अधिक मोटे हो जाते हैं। कई बार अकेला प्रवाह सैंकड़ों कि० मी० दूर तक फैल जाता है। भारत का दक्कन ट्रैप, जिस पर वर्तमान महाराष्ट्र पठार पर ज्यादातर भाग पाया जाता है, वृहत् बेसाल्ट लावा प्रवाह क्षेत्र है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि आज की अपेक्षा, आरंभ में एक अधिक वृहत् क्षेत्र इस प्रवाह से ढका था।
9. मध्य-महासागरीय कटक ज्वालामुखी-इन ज्वालामुखियों का उद्गार महासागरों में होता है। मध्य महासागरीय कटक एक श्रृंखला है जो 70,000 कि० मी० से अधिक लंबी है और जो सभी महासागरीय बेसिनों में फैली है। इस कटक के मध्यवर्ती भाग में लगातार उद्गार होता रहता है। अगले अध्याय में हम इसे विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।