Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल
बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. उस तत्त्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का भाग नहीं है।
(A) वाष्पीकरण
(B) वर्षण
(C) जलयोजन
(D) संघनन।
उत्तर:
(C) जलयोजन।
2. महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है
(A) 2-20 मीटर
(B) 20-200 मीटर
(C) 200–2,000 मीटर
(D) 2,000-20,000 मीटर।
उत्तर:
(C) 200-2,000 मीटर।
3. निम्नलिखित में से कौन-सी उच्चावच महासागरों में मिलने वाली लघु आकृति नहीं है?
(A) समुद्री टीला
(B) महासागरीय गंभीर
(C) प्रवाल द्वीप
(D) निमग्न द्वीप।
उत्तर:
(B) महासागरीय गंभीर।
4. निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(A) हिन्द महासागर
(B) अन्ध महासागर
(C) आर्कटिक महासागर
(D) प्रशान्त महासागर।
उत्तर:
(C) आर्कटिक महासागर।
5. लवणता को प्रति समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम) की मात्रा से व्यक्त किया जाता है
(A) 10 ग्राम
(B) 100 ग्राम
(C) 1,000 ग्राम
(D) 10,000 ग्राम।
उत्तर:
(C) 1,000 ग्राम।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दोप्रश्न
प्रश्न 1.
पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी को अक्सर जल ग्रह अथवा नीला ग्रह कहा जाता है, क्योंकि इसके धरातल पर जल का बाहुल्य है। पृथ्वी के धरातल का 71 प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है। उत्तरी गोलार्द्ध के कुल क्षेत्रफल के 60.7 प्रतिशत भाग पर और दक्षिणी गोलार्द्ध के 80.9 प्रतिशत भाग पर जल है। यदि हम पृथ्वी के केवल जलीय धरातल को ध्यान में रखें तो इसका 43 प्रतिशत उत्तरी गोलार्द्ध में तथा 57 प्रतिशत दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है।
प्रश्न 2.
महाद्वीपीय सीमान्त क्या होता है?
उत्तर:
महाद्वीपीय शेल्फ को महाद्वीपीय सीमान्त कहते हैं जहां महाद्वीप समाप्त होते हैं तथा महासागर आरम्भ होते हैं।
प्रश्न 3.
विभिन्न महासागरों के सबसे गहरे गर्तों की सूची बनाइए।
उत्तर:
संसार में सबसे गहरा गर्त कैरियाना गर्त (प्रशान्त महासागर) है। जो 11022 मीटर गहरा है। अन्ध महासागर में प्यरटो रिको गर्त तथा हिन्द महासागर में सण्डा गर्त है। प्रशान्त महासागर में क्यूराईल गर्त, बोनिन गर्त, जापान गर्त, अटाकामा गर्त तथा मिण्डानो गर्त प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 4.
ताप प्रवणता क्या है?
उत्तर:
महासागरों में वह सीमा क्षेत्र जहां तापमान में तीव्र गिरावट आती है ताप प्रवणता कहलाता है।
प्रश्न 5.
जल चक्र की व्याख्या करो।
उत्तर:
महासागरों से जल वाष्पित होकर वायुमण्डल द्वारा उठा लिया जाता है। संघनित होकर यह जल भू-पृष्ठ पर वर्षा, ओले, हिम आदि के रूप में लौट आता है। वर्षण का कुछ भाग पेड़-पौधों तथा भूमि को भिगोने के पश्चात् भू-पृष्ठ पर बहकर नदी-नालों में चला जाता है। यह जल ही है, जो कभी अपरदन भी करता है और जिसका बाढ़ उत्पन्न करने में मुख्य योगदान है। वर्षण का वह भाग, 169 जो भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, उसका कुछ अंश पौधों के वर्धन में और कुछ वाष्पन में उपयोग कर लिया जाता है।
कुछ जल पृथ्वी के गहरे क्षेत्रों में चला जाता है, और झरनों के रूप में बाहर आता है तथा शुष्क मौसम में नदीनालों को संपोषित रखता है। नदियां अंततः समुद्र से मिलती हैं, और इस प्रकार जल फिर वहीं पहुंच जाता है, जहाँ से जल-चक्र आरम्भ हुआ था। कभी न समाप्त होने वाले परिसंचरण के कारण ही इस प्रक्रिया को जलचक्र कहते हैं। जल चक्र की गणितीय अभिव्यक्ति निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है: वर्षण = जलप्रवाह + वाष्पनवाष्पोत्सर्जन।
प्रश्न 6.
समुद्र से नीचे जाने पर आप ताप की किन पर्तों का सामना करेंगे? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?
उत्तर:
बढ़ती हुई गहराई के साथ तापमान में कमी आती है। महासागर के सतहीय एवं गहरी परतों वाले जल के बीच विभाजक क्षेत्र है। यह विभाजक रेखा समुद्री तल से करीब 100 से 400 मीटर नीचे प्रारम्भ होती है एवं कई सौ मीटर नीचे तक विस्तृत (थर्मोक्लाइन) होती है। विभाजक रेखा के इस क्षेत्र में जहां तापमान में तीव्र कमी आती है, उसे ताप प्रवणता कहा जाता है। जल के कुल आयतन का लगभग 90 प्रतिशत गहरे महासागर में ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) के नीचे पाया जाता है। इस क्षेत्र में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। मध्य एवं निम्न अक्षांशों के महासागरों के तापमान की बनावट को सतह से तल की स्थित तीन स्तरीय प्रणाली के द्वारा समझाया जा सकता है।
- पहली परत यह गर्म महासागरीय जल की सबसे ऊपरी परत होती है एवं इसका तापमान 20 डिग्री से० से 25 डिग्री से० के बीच होता है तथा इसकी मोटाई लगभग 500 मीटर होती है। कटिबन्धीय क्षेत्रों में यह परत पूरे वर्ष उपस्थित होती है, परन्तु मध्य अक्षांशों में केवल गर्मी में विकसित होती है।
- दूसरी परत को ताप प्रवणता (थर्मोक्लाइन) परत कहा जाता है, जो कि पहली परत के नीचे उपस्थित होती है एवं गहराई के बढ़ने के साथ इसके तापमान में तीव्र गिरावट आती है। थर्मोक्लाइन की मोटाई 500 से 1,000 मीटर तक होती है।
- तीसरी परत बहुत अधिक ठण्डी होती है तथा गहरे समुद्री तल तक विस्तृत होती है। आर्कटिक एवं अटार्कटिक वृत्तों में, ऊपरी सतह के जल का तापमान लगभग 0 डिग्री से० होता है, इसीलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन होता है। यहां ठण्डे पानी की एक ही परत उपस्थित होती है जो कि ऊपरी सतह से लेकर महासागर के गहरे तल तक विस्तृत होती है।
प्रश्न 7.
समुद्री जल की लवणता क्या है?
उत्तर:
समुद्र जल में पाए जाने वाले समस्त लवणों का योग समुद्र की लवणता कहलाता है। महासागरीय लवणता उस अनुपात को कहते हैं जो घुले हुए लवणों की मात्रा तथा समुद्र जल की मात्रा में होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
जलीय चक्र के विभिन्न तत्त्व किस प्रकार अन्तर सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
महासागरों से जल वाष्पित होकर वायुमण्डल द्वारा उठा लिया जाता है। संघनित होकर यह जल भू-पृष्ठ पर वर्षा, ओले, हिम आदि के रूप में लौट आता है। वर्षण का कुछ भाग पेड़-पौधों तथा भूमि को भिगोने के पश्चात् भू-पृष्ठ पर बहकर नदी-नालों में चला जाता है। यह जल ही है, जो कभी अपरदन भी करता है और जिसका बाढ़ उत्पन्न करने में मुख्य योगदान है। वर्षण का वह भाग, जो भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, उसका कुछ अंश पौधों के वर्धन में और कुछ वाष्पन में उपयोग कर लिया जाता है।
कुछ जल पृथ्वी के गहरे क्षेत्रों में चला जाता है, और झरनों के रूप में बाहर आता है तथा शुष्क मौसम में नदीनालों को संपोषित रखता है। नदियां अंततः समुद्र में मिलती हैं, और इस प्रकार जल फिर वहीं पहुंच जाता है, जहां से जल-चक्र आरम्भ हुआ था। कभी न समाप्त होने वाले परिसंचरण के कारण ही इस प्रक्रिया को जलचक्र कहते हैं। जल चक्र की गणितीय अभिव्यक्ति निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है : वर्षण = जलप्रवाह + वाष्पनवाष्पोत्सर्जन।
प्रश्न 2.
महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
सागरीय जल ताप का एक उत्तम संचालक है। इसी कारण जल, स्थल की अपेक्षा देर से गर्म होता है तथा देर से ठण्डा होता है। सागरीय जल का तापमान सभी स्थानों पर एक समान नहीं होता। सागरीय जल के तापमान का वितरण निम्नलिखित घटकों पर निर्भर करता है
1. भूमध्य रेखा से दूरी:
सागरीय जल की ऊपरी सतह का तापमान अक्षांश के साथ हटता रहता है। भूमध्य रेखा पर यह तापमान 26°C के लगभग रहता है। 40° अक्षांश पर सागरीय जल का तापमान 14°C पाया जाता है तथा 60° अक्षांश पर 1°C। शून्य डिग्री सेल्सियस समताप रेखा ध्रुवीय क्षेत्रों के गिर्द वृत्त बनाती है।
2. प्रचलित पवनें:
स्थायी पवनें समुद्र जल की ऊपरी परत को हटाती रहती हैं तथा नीचे से ठण्डा जल आ जाता है। इस उत्स्रवण (Up welling of water) की क्रिया से तापमान कम हो जाता है। इसके विपरीत समुद्र से स्थल की
ओर आने वाली पवनें गर्म जल इकट्ठा करके तापमान को बढ़ा देती हैं।
3. महासागरीय धाराएं:
महासागरीय धाराएं तापमान में समानता लाने का प्रयत्न करती हैं। गर्म धाराएं ठण्डे प्रदेशों में तापमान को बढ़ा देती हैं। उष्ण गल्फस्ट्रीम के कारण ही पश्चिमी यूरोप में तापमान 5°C से अधिक रहता है। इसके विपरीत ठण्डी धाराएं तापमान को ओर भी कम कर देती हैं, ठण्डी लेब्रेडोर धारा के कारण न्यूफाऊण्डलैण्ड के निकट तापमान 2°C से कम होता है।
4. लवण मे भिन्नता:
अधिक लवण वाले जल का तापमान ऊंचा होता है क्योंकि वह अधिक गर्मी ग्रहण कर सकता है।
5. स्थल खण्डों की स्थिति:
उष्ण कटिबन्ध में स्थल के घिरे हुए सागरों का तापमान अधिक होता है परन्तु शीत कटिबन्ध में कम होता है।
6. समुद्र की गहराई:
समुद्र की गहराई बढ़ने के साथ-साथ तापमान कम होता है। ऊपरी सतह से लेकर 1800 मीटर की गहराई तक सागरीय जल का तापमान 15°C से घटकर 2°C रह जाता है। 1800 से 4000 मीटर की गहराई तक यह तापमान 2°C से घटकर 1.6°C रह जाता है।
7. अंतः समुद्री रोधिकाएं (Submarine Ridges):
कम गहरे भागों में पानी के नीचे रोधिकाएं तापमान में अन्तर डालती हैं।
महासागरीय जल JAC Class 11 Geography Notes
→ जल तथा स्थल वितरण (Distribution of Land and Water): पृथ्वी के धरातल का तीन चौथाई। भाग (70.8%) जल से ढका हुआ है। जबकि एक चौथाई भाग (29.2%) स्थल से घिरा है।
→ प्रमुख महासागर (Oceans): प्रशान्त महासागर, अन्ध महासागर, हिन्द महासागर तथा आर्कटिक महासागर प्रमुख महासागर हैं। प्रशान्त महासागर सबसे बड़ा महासागर है।
→ सागरीय धरातल (Ocean floor): सागरीय धरातल को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
- महाद्वीपीय मग्न तट
- महाद्वीपीय ढाल
- महासागरीय मैदान
- महासागरीय गर्त।
→ महाद्वीपीय मग्न तट (Continental shelf):यह महाद्वीपों के चारों ओर कम गहरा तथा मंद ढलान वाला जलमग्न भाग है। इसकी रचना नदियों, लहरों द्वारा तलछट के निक्षेप से या समुद्र तल के ऊपर उठने से या स्थल भाग के नीचे धंसने से होती है। (600 मीटर गहराई)
→ महाद्वीपीय ढाल (Continental slope): यह महाद्वीपीय मग्न तट से नीचे की ओर तीव्र ढलान है। इसकी गहराई 3660 मीटर तक है।
→ महासागरीय मैदान (Deep Sea plain): समुद्र में चौड़े तथा समतल क्षेत्र को महासागरीय मैदान कहते हैं। जो 3000 से 6000 मीटर गहरा है।
→ महासागरीय गर्त (Ocean deep): महासागरों में सबसे गहरा स्थान मैरियाना गर्त (11033 मीटर) है। महासागरों में ‘V’ आकार की घाटियां (समुद्री कैनियन) पाई जाती हैं।