Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. ऐलन सी० सेम्पुल किस देश से सम्बन्धित है ?
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका
(B) फ्रांस
(C) जर्मनी
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका
2. निम्नलिखित में से कौन-सा भूगोलवेत्ता, फ्रांस से सम्बन्धित है ?
(A) हंटिंगटन
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश
(C) सेम्पुल
(D) ट्रिवार्था।
उत्तर:
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश
3. भूगोल की कौन-सी उपशाखा मानव भूगोल से सम्बन्धित नहीं है ?
(A) जनसंख्या भूगोल
(B) आर्थिक भूगोल
(C) भौतिक भूगोल
(D) सामाजिक भूगोल।
उत्तर:
(C) भौतिक भूगोल
4. विडाल डी लॉ ब्लॉश ने किस उपागम का समर्थन किया ?
(A) निश्चयवाद
(B) सम्भावनावाद
(C) मानववाद
(D) कल्याणवाद।
उत्तर:
(B) सम्भावनावाद
5. कौन-सा तत्त्व भौतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) जलवायु
(B) धरातल
(C) कृषि
(D) जल।
उत्तर:
(C) कृषि
6. किसने नव-नियतिवाद का प्रतिपादन किया ?
(A) ग्रिफिथ टेलर
(B) ब्लाश
(C) हंटिंगटन
(D) रिटर।
उत्तर:
(A) ग्रिफिथ टेलर
7. कौन-सा तत्त्व सांस्कृतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) ग्राम
(B) नगर
(C) पत्तन
(D) जलवायु।
उत्तर:
(D) जलवायु।
8. किस सिद्धान्त द्वारा अग्नि की खोज हुई ?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घर्षण
(C) डी० एन० ए०
(D) गति का नियम।
उत्तर:
(B) घर्षण
9. किस तत्त्व को ‘माता-प्रकृति’ कहते हैं ?
(A) भौतिक पर्यावरण
(B) सांस्कृतिक पर्यावरण
(C) राजनीतिक पर्यावरण
(D) औद्योगिक पर्यावरण।
उत्तर:
(A) भौतिक पर्यावरण
10. उपनिवेश युग में किस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया ?
(A) क्षेत्रीय विभिन्नता
(B) क्षेत्रीय संघटन
(C) व्यावहारिक
(D) प्रादेशिक।
उत्तर:
(D) प्रादेशिक।
11. मनोविज्ञान मानव भूगोल की किस उपशाखा से सम्बन्धित है ?
(A) व्यवहारवादी भूगोल
(B) नगरीय भूगोल
(C) जनसंख्या भूगोल
(D) आर्थिक भूगोल।
उत्तर:
(A) व्यवहारवादी भूगोल
12. महामारी विज्ञान भूगोल की किस किस उपशाखा से सम्बन्धित है ? .
(A) ऐतिहासिक
(B) लिंग
(C) चिकित्सा
(D) सैन्य।
उत्तर:
(C) चिकित्सा
13. किस उप-विज्ञान को जनांकिकी कहते हैं ?
(A) सांस्कृतिक भूगोल
(B) जनसंख्या भूगोल
(C) आर्थिक भूगोल
(D) नगरीय भूगोल।
उत्तर:
(B) जनसंख्या भूगोल
14. कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(A) प्रदूषण औद्योगिक विकास के कारण होता है
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है
(C) भूतापन हरित गैसों के कारण है
(D) प्रदूषण के कारण भू-अवनयन होता है।
उत्तर:
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
‘भूगोल’ किन दो शब्दों के सुमेल से बना है ?
उत्तर:
दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo (पृथ्वी) + Graphy (चित्रण करना)।
प्रश्न 2.
पर्यावरण के दो प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण।
प्रश्न 3.
भूगोल का एक विषय के रूप में केन्द्रीय कार्य क्या है ?
उत्तर:
पृथ्वी को मानव का निवास स्थान के रूप में समझना।
प्रश्न 4.
सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग किसने किया ?
उत्तर:
एक यूनानी दार्शनिक इरेटोस्थनीज ने किया था।
प्रश्न 5.
इडियोग्राफिक शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
विवरणात्मक।
प्रश्न 6.
भौतिक पर्यावरण के तत्त्व बताओ।
उत्तर:
भू-आकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति, प्राणिजात तथा वनस्पति जात।
प्रश्न 7.
सांस्कृतिक पर्यावरण के तत्व बताओ।
उत्तर:
घर, ग्राम, नगर, रेलें-सड़कों का जाल, उद्योग, खेत पत्तन।
प्रश्न 8.
प्रौद्योगिकी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उत्पादन में प्रयोग होने वाले औज़ार तथा तकनीकें।
प्रश्न 9.
भौतिक पर्यावरण को ‘माता-प्रकृति’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
आदि कबीलों में, प्रकृति एक शक्तिशाली बल है, पूज्य है तथा संरक्षित है। लोग प्रकृति पर संसाधनों के लिए निर्भर रहते हैं।
प्रश्न 10.
उपनिवेश युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया ?
उत्तर:
अन्वेषण तथा विवरण के साथ प्रादेशिक विश्लेषण।
प्रश्न 11.
1930-50 के युग में कौन-से उपागम प्रयोग किए गए ?
उत्तर:
क्षेत्रीय विभिन्नता तथा स्थानिक संगठन।
प्रश्न 12.
सामाजिक भूगोल के साथ सम्बन्धित पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:
- व्यवहारवादी भूगोल – मनोविज्ञान
- सांस्कृतिक भूगोल – मानवविज्ञान
- लिंग भूगोल – समाज शास्त्र
- ऐतिहासिक भूगोल – इतिहास
- चिकित्सा भूगोल – चिकित्सा शास्त्र
प्रश्न 13.
आर्थिक भूगोल से सम्बन्धित सामाजिक विज्ञान की पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:
- संसाधन भूगोल-संसाधन अर्थशास्त्र
- कृषि-भूगोल-कृषि विज्ञान।
- विपणन भूगोल-व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य शास्त्र।
- पर्यटन भूगोल-पर्यटन प्रबन्धन।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
भूगोल की परिभाषा दो। भूगोल के अध्ययन की तीन विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्रीय तथा स्थानिक विभिन्नताओं का विज्ञान है। भूगोल शब्द दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo = पृथ्वी तथा Graphy = वर्णन, के सुमेल से बना है। इस प्रकार भूगोल पृथ्वी के धरातल का वर्णन है। इसके अध्ययन क्षेत्र की तीन मुख्य विशेषताएं हैं –
- यह एक समाकलनात्मक अध्ययन है।
- यह एक आनुभविक अध्ययन है।
- यह एक व्यावहारिक अध्ययन है।
प्रश्न 2.
“भूगोल के अध्ययन की पहुंच विस्तृत है।” कारण बताओ।
उत्तर:
- भूगोल विश्वव्यापी प्रकृति का विज्ञान है।
- इसमें भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक वातावरण दोनों क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है।
इसमें किसी भी घटक का जो दिक् एवं काल के सन्दर्भ में परिवर्तित होता है का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 3.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।
प्रश्न 4.
“भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान दोनों ही है।” व्याख्या करो।
उत्तर:
भूगोल एक समाकलन का विज्ञान है। भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करके किसी क्षेत्र का एक भौगोलिक चित्र प्रस्तुत किया जाता है। भौतिक वातावरण का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक विज्ञान जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान आदि बहुत उपयोगी हैं। सामाजिक विज्ञान मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करने में सहायता करते हैं। इनके द्वारा भौतिक तत्त्वों का कृषि, मानव बस्तियों आदि पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार भूगोल प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों को परस्पर जोड़ता है तथा इसे दोनों वर्ग के विज्ञानों में गिना जाता है।
प्रश्न 5.
‘भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है।
प्रश्न 6.
मानव भूगोल के उद्देश्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या और वातावरण के संसाधनों का अध्ययन करना है ताकि इन संसाधनों का प्रयोग मानव प्रगति और विकास के लिए किया जा सके। वातावरण का मानवीय क्रियाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा मानव द्वारा इनमें क्या परिवर्तन किए गए हैं। इस प्रकार मानव भूगोल का उद्देश्य मानव, वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध का अध्ययन करना है।
प्रश्न 7.
‘मानव भूगोल में मानव का केन्द्रीय स्थान है’ इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूतल पर भौतिक दशाओं के समूह (Set of Surroundings) द्वारा घिरा है जिसे पर्यावरण कहते हैं। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक (Geographical factor) है। मानव मिट्टी को अपने भोजन प्राप्ति के लिए प्रयोग करता है तथा पशुपालन, मत्स्यन, भेड़ पालन द्वारा भोजन प्राप्त करता है। प्राकृतिक झरनों से जलविद्युत् उत्पन्न करता है। कोयले के प्रयोग से उद्योगों को शक्ति प्रदान करता है। मनुष्य की स्थिति केन्द्रीय है। उसके चारों ओर प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण की क्रियाएं होती हैं, परन्तु वह प्रकृति का दास नहीं है वरन् उसमें परिवर्तन करके उसे अपने अनुकूल बनाता है।
प्रश्न 8.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है। जैसे रैट्ज़ेल के अनुसार, “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है।
मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in nature) कहना ही उचित है। जैसा कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blach) ने कहा है, ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह उस पर कार्य करे।’
प्रश्न 9.
नव-नियतिवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
नव-नियतिवाद (Neo-Determinism):
प्रकृति ने मानव को विकास के भरपूर अवसर प्रदान किए हैं परन्तु मानव इनका एक सीमा तक प्रयोग कर सकता है। इसलिए सम्भववाद पर कई विद्वानों ने आलोचना की है। ग्रिफिथ टेलर ने इस आलोचना द्वारा नव नियतिवाद की विचारधारा प्रस्तुत की। उसके अनुसार एक भूगोलवेत्ता का कार्य एक परामर्शदाता का है न कि प्रकृति की आलोचना करने का है। यह निश्चयवाद तथा सम्भावनावाद में एक मध्यमार्ग है। इसे ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ (Stop and Go determinism) कहते हैं।
प्रश्न 10.
एलेन सेम्पुल द्वारा मानव भूगोल की दी गई परिभाषा के तीन मूल बिन्दु कौन-कौन से हैं ?
अथवा
मानव भूगोल की प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
एलेन सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल पृथ्वी और अथक मानव के परस्पर परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है। इसके मूल तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं
- मानव समाज तथा पृथ्वी तल के बीच सम्बन्ध
- मानव-वातावरण सम्बन्ध प्रगतिशील है
- मानव प्रगति प्रकृति पर निर्भर है।
प्रश्न 11.
“मानव भूगोल का अध्ययन प्रगतिशील है तथा इसमें मानवीय समाज के अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।” व्याख्या करो। .
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषा समय-समय पर बदलती रहती है।
- सबसे पहले विद्वानों में अरस्तु, बकॅल, हम्बोलट तथा स्ट्टिर ने इतिहास पर धरातल के प्रभाव का अध्ययन किया।
- कालान्तर में रैट्ज़ेल तथा सैम्पल ने इसकी आलोचना की।
- ब्लॉश ने पारिस्थितिकी तथा पार्थिव एकता को मानव भूगोल के दो मूल सिद्धान्त माना।
- हंटिंगटन ने जलवायु के समाज, सभ्यता तथा इतिहास पर प्रभाव पर अधिक बल दिया।
- उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि मानव भूगोल में मूल रूप से अधिक बल मानवीय समाज के अध्ययन पर दिया गया है।
प्रश्न 12.
मानव भूगोल में सम्भववाद उपागम की तीन मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
- इस उपागम के अनुसार मानव अपने वातावरण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर सकता है
- प्रकृति पर विजय प्राप्त करना सम्भव है।
- प्रकृति अवसर प्रदान करती है तथा मानव इनका लाभ उठा सकता है।
प्रश्न 13.
मानव भूगोल के छः उपागमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के छ: उपागम निम्नलिखित हैं –
- अन्वेषण और विवरण
- प्रादेशिक विश्लेषण
- क्षेत्रीय विभेदन
- स्थानिक संगठन
- मानवतावादी, आमूलवादी और व्यावहारवादी विचारधाराओं का उदय
- भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद।
प्रश्न 14.
मानव भूगोल के छः भिन्न क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के निम्नलिखित छः क्षेत्र है –
- सामाजिक भूगोल
- नगरीय भूगोल
- राजनीतिक भूगोल
- जनसंख्या भूगोल
- आवास भूगोल
- आर्थिक भूगोल।
प्रश्न 15.
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र कौन-से हैं ?
उत्तर:
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र निम्नलिखित हैं –
- संसाधन भूगोल
- कृषि भूगोल
- उद्योग भूगोल
- विपणन भूगोल
- पर्यटन भूगोल
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।
प्रश्न 16.
मानव भूगोल में प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है ?
उत्तर:
जब भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बांट कर समुचा अध्ययन करते हैं तो उस विवरणात्य अध्ययन को प्रादेशिक विधि कहते हैं।
प्रश्न 17.
सम्भववाद का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सम्भवाद (Possiblism)-निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छापूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम हो
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
भूगोल में द्वैतवाद से क्या अभिप्राय है ? नोमोथेटिक तथा इडियोग्राफ़िक शब्दों के क्या अर्थ है ?
उत्तर:
(i) भूगोल के द्वैतवाद के आशय के व्यापक तर्क-वितर्क हैं कि क्या भूगोल का अध्ययन प्रादेशिक या क्रमबद्ध होना चाहिए। इसे द्वैतवाद कहते हैं। नोमोथेटिक शब्द का अर्थ है भूगोल का नियमबद्ध होना तथा इडियोग्राफ़िक शब्द के अर्थ है कि भूगोल का विवरणात्मक होना।
(ii) क्या भौगोलिक परिघटनाओं की व्याख्या सैद्धान्तिक आधार पर होनी चाहिए अथवा ऐतिहासिक संस्थागत उपागम के आधार पर हो।
(iii) इसी प्रकार द्वैतवाद प्रकृति तथा मानव के बीच बौद्धिक अभ्यास का मुद्दा है।
प्रश्न 2.
“भौतिक और मानवीय दोनों परिघटनाओं का वर्णन मानव शरीर रचना विज्ञान से प्रतीकों का प्रयोग करते हुए रूपकों के रूप में किया जाता है” उदाहरण देकर व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव शरीर रचना विज्ञान से कुछ शब्दों का प्रयोग भौतिक और मानवीय परिघटनाओं के लिए किया जाता है।
उदाहरण-
- हम पृथ्वी के ‘रूप’ (Face) का वर्णन करते हैं।
- हम ‘तुफान की आँख’ (Eye of the storm) शब्द प्रयोग करते हैं।
- ‘नदी के मुख’ (Mouth of the river) का प्रयोग किया जाता है।
- ‘हिम नदी की नासिका’ (Snouth of the glacier) शब्द का प्रयोग होता है।
- जलडमरू मध्य की ग्रीवा (Neck) शब्द प्रयोग होता है।
- प्रदेशों, गाँवों, नगरों का वर्णन जीवों (organisms) के रूप में होता है।
- सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों के जाल को ‘परिसंचरण की धमनियां’ (Arteries of Circulation) कहते हैं।
प्रश्न 3.
रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में किस तत्त्व पर बल दिया गया है ?
उत्तर:
रैटजेल के अनुसार, “मानव भगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।” इस परिभाषा में संश्लेषण शब्द पर बल दिया गया। भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों का संश्लेषण किया जाता है।
प्रश्न 4.
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में मुख्य शब्द क्या है ?
उत्तर:
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” इस परिभाषा में सम्बन्धों की गत्यात्मकता मुख्य शब्द है। मानवीय क्रियाएं बदलती रहती हैं। पृथ्वी के भौतिक लक्षण बदलते रहते हैं। दोनों के आपसी सम्बन्धों में भी परिवर्तनशीलता होती रहती है।
प्रश्न 5.
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में कौन-सी नई संकल्पना प्रस्तुत की गई है ?
उत्तर:
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, ‘मानव भूगोल हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों और इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना है। इस परिभाषा में नई संकल्पना है। यह पृथ्वी तथा मानव के बीच सम्बन्ध का अध्ययन है। भौतिक पर्यावरण के तत्त्व तथा मानवीय वातावरण के तत्त्व एक-दूसरे से अन्योन्यक्रिया (Interact) करते हैं।
प्रश्न 6.
“प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।” उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तथ्य दो।
‘अथवा
प्रौद्योगिकी स्तर, मनुष्य व प्रकृति के आपसी सम्बन्धों को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर:
मानव कुछ उपकरणों तथा तकनीकों की सहायता से उत्पादन तथा निर्माण करता है। इसे प्रौद्योगिकी कहते हैं। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद प्रौद्योगिकी का विकास करके उत्पादन करता है।
उदाहरण:
- घर्षण (friction) तथा ऊष्मा की संकल्पनाओं ने मानव को अग्नि की खोज में सहायता की।
- डी० एन० ए० (D.N.A) तथा आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
- हम अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 7.
‘मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करती हैं। उदाहरण दो।
उत्तर:
बेहतर और सक्षम प्रौद्योगिकी के प्रयोग से मानव भौतिक पर्यावरण से संसाधन का प्रयोग करता है। मानव पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा सम्भावनाओं को जन्म देता है। प्रकृति सम्भावनाओं को जन्म देती है तथा मानव इनका उपयोग करता है। इस प्रकार प्रकृति का मानवीकरण होता है। इसे सम्भववाद (Possibilism) कहते हैं।
मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र है जैसे –
- उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य विश्रामस्थल
- विशाल नगरीय प्रसार
- खेत, फलोद्यान तथा चरागाहें
- तटों पर पत्तन
- महासागरीय तल पर महासागरीय मार्ग
- अंतरिक्ष में उपग्रह।
अन्तर स्पष्ट करो
प्रश्न 1.
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
(i) भौतिक वातावरण प्राकृतिक तत्त्वों से बना है जैसे जलवायु धरातल, जल प्रवाह, प्राकृतिक संसाधन, खनिज, मृदा, जल तथा वन। .
(ii) सांस्कृतिक वातावरण मानव निर्मित लक्षणों से बना है जिसमें जनसंख्या तथा मानव बस्तियाँ प्रमुख हैं। इनका सम्बन्ध कृषि, निर्माण उद्योग तथा परिवहन से है।
प्रश्न 2.
निश्चयवाद तथा सम्भववाद में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ की संक्षिप्त परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद (Determinism):
इस विचारधारा के अनुसार मानवीय क्रियाओं पर वातावरण का नियन्त्रण है। इसके अनुसार किसी सामाजिक वर्ग का इतिहास, सभ्यता, रहन-सहन तथा विकास स्तर भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मानव एक क्रियाशील कारक नहीं है। इस विचारधारा को यूनानी तथा रोमन विद्वानों हिप्पोक्रेटस, अरस्तु, हेरोडोटस तथा स्ट्रेबो ने प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् अल-मसूदी, अल अदरीसी, इब्बन खालदून, काण्ट, हम्बोलट, रिट्टर तथा रैटजेल ने इस पर विशेष कार्य किया। अमेरिका में कुमारी सैम्पुल तथा हंटिंगटन ने इस विचारधारा को लोकप्रिय बनाया।
सम्भववाद (Possiblism):
निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छा पूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासिक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम है।
प्रश्न 3.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
1930 के दशक से 1960 के दशक की अवधि में भूगोल के उपागम बताओ।
उत्तर:
प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography):
- इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है।
- यह अध्ययन समाकलित होता है।
- यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है।
क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):
- इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्त्व का अध्ययन होता है।
- यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
- यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
मानव भूगोल से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की परिभाषाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
मानव भूतल पर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण प्राणी है। वह भूतल पर वातावरण। एक क्रियाशील अंश है। मानव पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अपने उद्देश्यों के लिए प्रयोग करता है। मानव प्रकृति का दास नहीं है, वरन् उसमें उचित परिवर्तन लाता है और उसे अपने अनुकूल बनाता है। कई बार वह अपने जीवन को वातावरण के अनुसार ढाल कर समझौता भी कर लेता है। वातावरण की विभिन्नता के कारण विभिन्न प्रदेशों के निवासियों की शारीरिक रचना, जातीय गुण, रहन-सहन, वेष-भूषा, कार्य क्षमता तथा योग्यता में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं।
टुण्ड्रा प्रदेश के एस्कीमों का जीवन कठोर तथा संघर्षपूर्ण होता है। मानसून प्रदेश में लोगों का मुख्य कार्य कृषि है। शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में लोग पशुपालन करते हैं तथा घास व जल की तलाश में घूमते रहते हैं। इस प्रकार मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक भू-दृश्य (Physical landscape) का उपयोग करके एक सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। इस प्रकार मानव भूगोल और पृथ्वी के बीच सम्बन्धों का एक क्रमबद्ध विश्लेषण प्रस्तुत करता है।
मानव भूगोल की परिभाषाएं (Definitions of Human Geography):
मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं लस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं जैसे- गांव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत आता है। विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की निम्नलिखित परिभाषाएं दी गई हैं –
1. रैट्ज़ेल के अनुसार (According to Ratzel):
फ्रेडरिक रैट्जेल को वर्तमान मानव भूगोल का जन्मदाता माना जाता है। रैट्ज़ेल के अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वग वातावरण से सम्बन्धित होते हैं जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।
2. कुमारी सेम्पुल के अनुसार (According to E.C. Semple):
रैट्ज़ेल की शिष्या कुमारी सेम्पुल के अनुसार, “मानव । अस्थायी पृथ्वी और चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the changing relationships between the unresting man and the unstable earth.”)
3. विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनसार (According to Vidal de la Blaches):
फ्रांसीसी विद्वान विडाल डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, “मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is study of inter-relationship of earth and man.”)
4. जीन ब्रून्ज के अनुसार (According to Brunhes):
“मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव की क्रिया-कलापों से प्रभावित होते हैं।” (“Human geography is the study of all these facts in which human activity plays a part.”)
5.ऐल्सवर्थ हंटिंगटन के अनुसार (According to Elesworth Huntington):
“मानव भूगोल में भौगोलिक वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के पारस्परिक सम्बन्धों के वितरण और स्वरूप का अध्ययन होता है।” (“Human geography may be defined as the study of nature and distribution of relationships between geographical environment and human activities.”)
6. डी० एच० डेविस के अनुसार (According to D. H. Davis):
“मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण और मानवीय क्रियाओं के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the relationships between natural environment and human activities.”)
7. ह्वाइट और रेनर के अनुसार (According to White and Renner):
“भूगोल प्रमुखतः मानव पारिस्थितिकी है जिसमें पृथ्वी की पृष्ठ भूमि से मानव समाजों का अध्ययन होता है।” (“Geography is primarily human Ecology and the study of human society in relation to the earth background.”)
8. डिकेन तथा पिट्स के अनुसार (According to Dickens and Pits):
“मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों को समाविष्ट किया जाता है।” (“Human geography is looked upon as the study of man and his works.”)
सारांश (Conclusion):
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि भूगोल वेत्ताओं के विचारों में मतभेद हैं। फिर भी यह समानता है कि मानव भूगोल मनुष्य और उसके वातावरण में अन्तर्सम्बन्धों की समस्याओं का अध्ययन करता है। मानव भूगोल विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन करता है तथा मानव अपने वातावरण से किस प्रकार अनुकूलन (Adaptation) और सामंजस्य (Adjustment) स्थापित करके उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन (Modification) करता है।
प्रश्न 2.
मानव भूगोल के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव मानव पर अनुभव किया जाता रहा है। प्राचीन सभ्यताओं में यूनान, मिस्र, भारत, चीन आदि देशों के लोग सूर्य, वायु, अग्नि, जल, वर्षा आदि को देवता मान कर इनकी पूजा करते थे। परन्तु वर्तमान मानव भूगोल का वैज्ञानिक विकास 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ है। ईसा से 6 शताब्दी पूर्व थेल्स (Thals) तथा अनैग्जीमेंडर (Aneximander) ने जलवायु तथा मानव के सम्बन्धों का वर्णन किया था।
इसके पश्चात्। अरस्तु तथा हेरोडोटस ने मानव जीवन पर वातावरण के प्रभाव को प्रधान माना था। आठवीं शताब्दी में अरब विद्वानों ने कुछ प्रादेशिक भूगोल में मानवीय जीवन का वर्णन किया है। मानव भूगोल का वर्तमान युग जर्मन विद्वानों ने आरम्भ किया। इन विद्वानों में कांट (Kant), रिटर (Ritter), हम्बोल्ट (Humbult), फ्रबल (Frobel), रट्ज़ेल (Ratzel) विशेष रूप से प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने निश्चयवाद, सम्भववाद आदि विचारधाराओं का विकास किया।
फ्रांस में भी मानव भूगोल का बहुत विकास हुआ। विडाल-डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blache), जीन बूंज (Jean Brunhes), डिमांजिया (Demangeon) और फैब्रे (Febre) ने कई पुस्तकें लिखीं। उत्तरी अमेरिका तथा ब्रिटेन में भी कई विद्वानों ने मानव भूगोल के क्षेत्र में कार्य किया है। कुमारी सेम्पुल (Semple), हंटिंगटन, बोमेन (Bowman), सावर (Saver), ग्रिफ्फिथ टेलर (G. Taylor), हरबर्टसन (Herbertson) तथा मैकिंडर (Makinder) का योगदान उल्लखेनीय रहा है।
प्रश्न 3.
मानव भूगोल की प्रकृति तथा अध्ययन क्षेत्र का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography):
मानव भूगोल की प्रकृति का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्नताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन को समझना है। पृथ्वी के विभिन्न प्रदेशों में निवासियों के रंग रूप, कार्य क्षमता, आजीविका साधन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि में बहुत अन्तर मिलते हैं। ये अन्तर भौगोलिक वातावरण के कारण मिलते हैं। मानव और भौतिक वातावरण का सम्बन्ध सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। फिंच और ट्रिवार्था के अनुसार मानव और उसकी संस्कृति ही मानव भूगोल का विषय क्षेत्र है। इस सम्बन्ध में मानव भूगोल जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक, भूमध्य तथा कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।
मानव भूगोल का उद्देश्य एवं प्रकृति के सम्बन्ध में प्रो० ब्लॉश का यह कथन है, “पृथ्वी पर मनुष्य का प्रभाव और उसके व्यवसायों का अध्ययन ही मानव भूगोल है।” मानव भूगोल संसाधनों के उपयोग द्वारा व्यवसायों की आर्थिक संरचनाओं (Economic Structures), उद्योगों, परिवहन, संचार साधन तथा मानवीय बस्तियों के वितरण का अध्ययन करता है। मानव भूगोल का अध्ययन मानवीय पारिस्थितिकी (Human Ecology) का व्यापक अध्ययन है। इसमें मानव और भौतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण का मानवीय जीवन और उसकी क्रियाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन किया जाता है। मानव किस प्रकार वातावरण-समायोजन तथा प्रादेशिक व्यवस्थापन द्वारा क्षेत्रीय संगठन करता है। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक है, परन्तु यह वातावरण का अंग नहीं। मानव की स्थिति केन्द्रीय है। मानव अपने प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन करके सांस्कृतिक भूदृश्य का निर्माण करता है। इस प्रकार मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों जैसे सौर शक्ति, गुरुत्व तथा सौर प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसी प्रकार मानव भूगोल में सांस्कृतिक वातावरण की शक्तियों का भी अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार आर्थिक, जनसांख्यिकीय, ऐतिहासिक विज्ञानों के लिए मानव भूगोल का ज्ञान आवश्यक है।
मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Human Geography):
मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र बहुत व्यापक है। परन्तु कई विद्वानों के विचारों में मतभेद हैं। मानव भूगोल को भूमि का विज्ञान, अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान तथा प्रादेशिक अध्ययन का विज्ञान कहा जाता है। वास्वत में भौगोलिक परिस्थितियों और मनुष्य के कार्यों के सम्बन्ध का वितरण और प्रकृति ही मानव भूगोल की विषय सामग्री है।
मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के पांच प्रमुख अंग
(Five aspects of the Scope of Human Geography)
- किसी प्रदेश की जनसंख्या और उसकी क्षमता।
- उस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन।
- उस प्रदेश का सांस्कृतिक प्रतिरूप।
- मानव-वातावरण का समायोजन का रूप।
- समय के साथ-साथ कालिक विकास।
प्रश्न 4.
मानव भूगोल की विभिन्न शाखाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features) के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे-खेती, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण.(Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं –
1. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं।
2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलाप में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है।
3. जनसंख्या भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु-दर, वृद्धि दर आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।
4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है।
5. राजनीतिक नीतिक भगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासनिक निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं।
6. नगरीय भूगोल (Urban Geography):
यह उपशाखा नगरीय आवास के अध्ययन तथा नियोजन के लिए प्रयोग की जाती है।
7. आवास भूगोल (Settlement Geography):
यह उपशाखा नगरीय तथा ग्रामीण बस्तियों के अध्ययन में सहायक है।
प्रश्न 5.
“द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मानव भूगोल ने सामाजिक समस्याओं के समाधान पर अधिक बल दिया है।” व्याख्या करो।
अथवा
मानववाद तथा कल्याणवाद में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् भूगोल के कई क्षेत्रों में बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं। मानव भूगोल में मानव समाज की कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्न किए गए। मानव भलाई, निर्धनता, असमानताएं (सामाजिक तथा प्रादेशिक) आदि कई नई समस्याएं उभर कर सामने आईं।
इसलिए समय-समय पर कई उपागम प्रयोग किए गए –
1. व्यावहारिक उपागम (Positivism):
यह उपागम 1950-60 के दशक में प्रचलित हुई। इसमें मात्रात्मक विधियों पर अधिक बल दिया गया। कई विद्वानों जैसे B. L. Berry, David Harvey तथा William Bunge इस उपागम के समर्थक थे। इस विधि से व्यावहारिक उद्गम का जन्म हुआ। यह विचार मनोविज्ञान से सम्बन्धित है जिसमें मानवीय शक्तियों को मान्यता दी गई है।
2. कल्याण उपागम (Welfare Approach):
बढ़ती हुई असमानताओं के कारण मानवीय कल्याण विचारधारा का जन्म हुआ। निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानताओं, नगरों के इर्द-गिर्द झोंपड़ियों की समस्याओं पर अधिक ध्यान दिया गया। D.M. Smith तथा David Harvey ने इसका समर्थन किया। इसमें Who (कौन) ? What (क्या)? Where.(कहाँ) ? तथा How (कैसे) ? पर बल दिया गया।
(a) Who (कौन) का सम्बन्ध क्षेत्र से है।
(b) What (क्या) का सम्बन्ध वस्तुओं से है।
(c) Where (कहाँ) का सम्बन्ध निवास क्षेत्र से है।
(d) How (कैसे) का सम्बन्ध असमानताओं के उत्पन्न होने के कारण से है।
3. मानववाद (Humanism):
इस उपागम में मानव के क्रियाशील होने पर जोर दिया गया है। मानव की मानवीय . जागृति, मानव शक्ति, मानवीय उत्पादकता में भूमिका का अध्ययन किया जाता है।