Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. विकास का कौन-सा तत्त्व विरोधाभास नहीं है?
(A) पारिस्थितिक निम्नीकरण
(B) ग़रीबी
(C) कुपोषण
(D) उच्च साक्षरता।
उत्तर:
(D) उच्च साक्षरता।
2. कौन-सा तत्त्व विकास का प्रतीक नहीं ?
(A) संचार जाल
(B) उच्च शिक्षा
(C) औद्योगीकरण
(D) कुपोषण।
उत्तर:
(D) कुपोषण।
3. UNDP द्वारा मानव विकास रिपोर्ट का सर्वप्रथम प्रकाशन कब हुआ?
(A) 1970
(B) 1980
(C) 1990
(D) 1995.
उत्तर:
(D) 1995.
4. भारत का औसत मानव सूचकांक मूल्य है
(A) 0.802
(B) 0.702
(C) 0.602
(D) 0.502.
उत्तर:
(C) 0.602
5. एशिया के निम्नलिखित देशों में किस देश का मानव सचकांक मल्य अधिक है?
(A) जापान
(B) थाईलैण्ड
(C) श्रीलंका
(D) ईरान।
उत्तर:
(A) जापान
6. भारत में प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय है
(A) 15813 रु०
(B) 17813 रु०
(C) 18813 रु०
(D) 20813 रु०
उत्तर:
(D) 20813 रु०
7. किस राज्य में ग़रीबी रेखा से नीचे लोगों का प्रतिशत अधिक है ?
(A) बिहार
(B) उड़ीसा
(C) आन्ध्र प्रदेश
(D) असम।
उत्तर:
(B) उड़ीसा
8. भारत में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार है –
(A) 50
(B) 60
(C) 70
(D) 80
उत्तर:
(C) 70
9. भारत में मृत्यु दर प्रति हज़ार है
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8
10. भारत में किस राज्य में साक्षरता दर उच्चतम है ? ।
(A) गोवा
(B) केरल
(C) मिज़ोरम
(D) महाराष्ट्र।
उत्तर:
(B) केरल
11. भारत में किस राज्य में मानव सूचकांक मूल्य निम्नतम है ?
(A) राजस्थान
(B) बिहार
(C) असम
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर:
(B) बिहार
12. Small is Beautiful पुस्तक के लेखक कौन थे ?
(A) माल्यस
(B) महात्मा गांधी
(C) ई० एफ० शूमाकर
(D) ब्रुडलैण्ड।
उत्तर:
(D) ब्रुडलैण्ड।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र ने कब सर्वप्रथम मानव विकास प्रतिवेदन प्रस्तुत किया?
उत्तर:
1990 में।
प्रश्न 2.
सन् 2011 में भारत का विश्व में मानव विकास सूचकांक में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
134वां।
प्रश्न 3.
भारत में शिशु मृत्यु दर कितनी है?
उत्तर:
70 प्रति हज़ार।
प्रश्न 4.
भारत में औसत जीवन प्रत्याशा कितनी है?
उत्तर:
65 वर्ष।
प्रश्न 5.
भारत में साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
74%.
प्रश्न 6.
भारत में साक्षरता दर सबसे कम किस राज्य में है?
उत्तर:
बिहार (47.53%)।
प्रश्न 7.
भारत में किस राज्य में साक्षरता दर सबसे अधिक है?
उत्तर:
केरल (95.6%)।
प्रश्न 8.
भारत में सकल घरेलू उत्पाद कितना है?
उत्तर:
3200 अरब रुपए।
प्रश्न 9.
भारत में निर्धनता का प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
26% (26 करोड़ ग़रीब लोग)।
प्रश्न 10.
भारत के किस राज्य में मानव सूचकांक अधिकतम है?
उत्तर:
केरल (0.638)।
प्रश्न 11.
मानव विकास के चार पक्ष बताओ।
उत्तर:
आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक।
प्रश्न 12.
मानव विकास के तीन सूचकांक बताओ।
उत्तर:
दीर्घ जीविता, ज्ञान तथा उच्च जीवन स्तर।
प्रश्न 13.
भारत में शिशु मृत्यु दर कितनी है?
उत्तर:
70 प्रति हज़ार।
प्रश्न 14.
भारत में स्त्री तथा पुरुष साक्षरता दर कितनी है ?
उत्तर:
स्त्री साक्षरता दर 54.16 प्रतिशत तथा पुरुष साक्षरता दर 75.85 प्रतिशत है।
प्रश्न 15.
भारत के साक्षर लोगों की कितनी संख्या है ?
उत्तर:
90 करोड़।
प्रश्न 16.
भारत में सबसे कम मानव सूचकांक किस राज्य में है ?
उत्तर:
बिहार में 0.367.
प्रश्न 17.
वर्तमान विकास ने कौन से संकट उत्पन्न किए हैं ?
उत्तर:
सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलन तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण।
प्रश्न 18.
हमारे सांझा संसाधनों की त्रासदी के क्या कारण हैं?
उत्तर:
वायु, मृदा, जल व ध्वनि प्रदूषण।
प्रश्न 19.
UNDP द्वारा सर्वप्रथम मानव विकास रिपोर्ट कब प्रकाशित की गई?
उत्तर:
1990 में।
प्रश्न 20.
2001 की जनगणना के अनुसार उत्तर भारत में अधिकतम लिंगानुसार वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
केरल।
प्रश्न 21.
2001 की जनगणना के अनुसार न्यूनतम साक्षरता वाला राज्य कौन-सा है ?
उत्तर:
बिहार।
प्रश्न 22.
उस राज्य का नाम लिखें जहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या (10% से कम) न्यूनतम है।
उत्तर:
जम्मू कश्मीर।
प्रश्न 23.
किसी एक राज्य का नाम लिखें जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग़रीबी रेखा से नीचे है ?
उत्तर:
बिहार।
प्रश्न 24.
मानव विकास रिपोर्ट 2001 के अनुसार भारत के किस राज्य का मानव विकास सूचकांक अधिकतम है ?
उत्तर:
केरल।
प्रश्न 25.
भारत में कितने प्रतिशत व्यक्ति ग़रीबी रेखा से नीचे है ?
उत्तर:
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
मानव विकास का लक्ष्य क्या है ? इसके तीन प्रमुख पक्ष बताओ।
उत्तर:
मानव विकास का लक्ष्य लोगों का कल्याण होना चाहिए। केवल धन के द्वारा जन कल्याण सम्भव नहीं।
इसके प्रमुख पक्ष हैं –
- आर्थिक विकास
- सामाजिक विकास
- सांस्कृतिक विकास।
प्रश्न 2.
मानव विकास की परिभाषा दो। इसके प्रमुख पक्ष बताओ।
उत्तर:
मानव विकास से अभिप्राय है लोगों के विकल्पों को परिवर्धित करने की प्रक्रिया। इसके प्रमुख तत्त्व दीर्घ स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर हैं। राजनीतिक स्वतन्त्रता, मानव अधिकारों की गारन्टी, आत्म-निर्भरता तथा स्वाभिमान अन्य पक्ष हैं। इस प्रकार लोगों के विकल्पों के परिवर्द्धन की प्रक्रिया और जन कल्याण के स्तर को ऊंचा उठाना ही मानव विकास है।
प्रश्न 3.
‘मानव विकास की प्रक्रिया का केन्द्र बिन्दु है’ व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव विकास का लक्ष्य है जन कल्याण। इसलिए मानव ही इस विकास का केन्द्र बिन्दु है। विकास लोगों के लिए हो न की लोग विकास के लिए हों। लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि की क्षमताओं को सुधारने के लिए पूरे अवसर मिलने चाहिए ताकि वे अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग कर सकें। इन निर्णयों में पुरुष, स्त्रियां, बच्चे सभी शामिल हों। सब को मानवीय, आर्थिक और राजनीतिक स्वतन्त्रता प्राप्त करने के अवसर प्राप्त हों। विकास का मुख्य लक्ष्य मानव जीवन की समृद्धि होना चाहिए।
प्रश्न 4.
‘मानव विकास सूचकांक एक मिश्र संकेतक है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
जीवन की गुणवत्ता और जन कल्याण के स्तर का मात्रात्मक मापन कठिन है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने मानव विकास सूचकांक (HDI) के रूप में एक मिश्र संकेतक का निर्माण किया है, जो मानव विकास के विविध आयामों का मापन है।
इस सूचकांक में तीन संकेतन शामिल हैं –
- दीर्घ जीविता
- ज्ञान आधार
- उच्च जीवन स्तर।
प्रश्न 5.
‘जीवन प्रत्याशा विशेष रूप से बढ़ी है।’ कारण बताओ।
उत्तर:
- जीवन प्रत्याशा बढ़ने का कारण निरन्तर बढ़ती खाद्य सुरक्षा है।
- दूसरा कारण चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार है।
- 1951 में अनाज और दालों की प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपलब्धि 394.9 ग्राम थी जो 2001 में बढ़कर 413 ग्राम हो गई।
- अस्पतालों तथा डिस्पेन्सरियों की संख्या में वृद्धि हुई है।
- डॉक्टरों तथा नों की संख्या में भी 10 गुणा वृद्धि हुई है।
प्रश्न 6.
नगरों के विकास के विरोधाभासों का वर्णन करो।
उत्तर:
विशाल नगरों में इमारतों, सड़कों तथा सुविधाओं के साथ-साथ विशाल विरोधाभास भी पाए जाते हैं।
जैसे –
- झुग्गी और गन्दी बस्तियां
- ट्रैफिक जाम व भीड़
- अपराध व निर्धनता
- भीख मांगना, प्रदूषित जल, वायु।
प्रश्न 7.
मानव विकास सम्बन्धी विकल्प कौन-से हैं ?
उत्तर:
- दीर्घ और स्वस्थ जीवन
- शिक्षित होना
- राजनीतिक स्वतन्त्रता
- गारन्टीकृत मानवाधिकार
- व्यक्तिगत आत्म सम्मान।
प्रश्न 8.
कुछ विकसित राज्यों में भी ग़रीबों की संख्या अधिक है?
उत्तर:
उत्तरी भारत के विकसित राज्यों में प्रतिवर्ष आय 4000 रु० से अधिक है परन्तु इन राज्यों में उपभोग की वस्तुओं पर खर्च अधिक है। यह खर्च 690 रु० प्रति व्यक्ति प्रतिमाह है। इसलिए इन राज्यों में भी ग़रीबों की संख्या अधिक है।
प्रश्न 9.
ग़रीबी की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
ग़रीबी वंचित रहने की अवस्था है। निरपेक्ष रूप से यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ और यथोचित उत्पादक जीवन जीने के लिए आवश्यक ज़रूरतों को सन्तुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिम्बित करती है।
प्रश्न 10.
2000 रु० प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष आय वाले राज्यों में क्या आर्थिक समस्याएं हैं?
उत्तर:
बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में लोगों की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष आय 2000 रु० से कम है तथा उपभोग वस्तुओं पर 520 रु० प्रतिमाह खर्च है। यहां ग़रीबी, बेरोजगारी तथा अपूर्ण रोजगारी जैसी आर्थिक समस्याएं हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
विश्व में मानवीय विकास में भारत का कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
भारत का विश्व के 172 देशों में 134वां स्थान है। (2011 में) भारत का स्थान मध्यम स्तर के मानवीय विकास देशों के वर्ग में है। जहां HDI-0.571 से अधिक है। विभिन्न देशों में नार्वे (0.963), ऑस्ट्रेलिया (0.955), श्रीलंका (0.751), पाकिस्तान (0.527) मानवीय विकास का सूचकांक है।
प्रश्न 2.
मानवीय विकास को मापने के लिए कौन-से सूचकांक प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर:
HDI – आंकने के लिए निम्नलिखित संकेतक प्रयोग किए जाते हैं –
(क) स्वास्थ्य सम्बन्धी संकेतक-जन्म दर, मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, पोषण।
(ख) जीवन प्रत्याशा-जीवित रहने की सम्भावना का समय।
(ग) सामाजिक सूचकांक-साक्षरता, शिक्षा, स्त्री, साक्षरता, छात्र अध्यापक अनुपात।
(घ) आर्थिक उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति आय, वेतन, रोजगार, सकल घरेलू उत्पाद।
प्रश्न 3.
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु-दर की 1951 के पश्चात् प्रवृत्तियों का वर्णन करो।
उत्तर:
1951 में मृत्यु दर 25 से घटकर 2011 में केवल 8.1 प्रति हज़ार रह गई है। परन्तु जन्म दर उतनी गति से नहीं कम हुआ है। शिशु, मृत्यु दर 148 प्रति हज़ार घटकर 70% रह गई है। जीवन प्रत्याशा 37 वर्ष से बढ़कर 62 वर्ष हो गई है। जन्मदर 40 से घटकर 26 रह गई है।
प्रश्न 4.
भारत में साक्षरता दर कम होने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
भारत में साक्षरता दर 2011 में 74.20% है। पुरुष साक्षरता 73.20% है। जबकि महिला साक्षरता 54.50% है। ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 59.4% है जबकि नगरीय क्षेत्रों में साक्षरता दर 80.30% है।
भारत में निम्न साक्षरता दर के कारण –
- ब्रिटिश शासन का भारत में साक्षरता की ओर कम ध्यान था।
- निर्धनता के कारण बच्चे कार्य करने में जुट जाते हैं। वे शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते।
- स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। स्कूल लगभग 5 km की दूरी पर स्थित हैं।
- उच्च शिक्षा प्राप्ति के अवसर भी कम हैं।
प्रश्न 5.
स्वाधीनता के पश्चात् भारत में साक्षरता की उन्नति की समीक्षा करो।
उत्तर:
स्वाधीनता से पहले भारत में साक्षरता दर कम थी। 1951 में 18.33% से बढ़कर 2001 में 65.38% हो गई है। देश में शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता में भिन्नता है। इसी प्रकार पुरुष तथा महिला साक्षरता में भी भिन्नता है। 1951-2000 की अवधि में साक्षरता दर तीन गुणा बढ़ी है जबकि महिला साक्षरता दर 6 गुणा बढ़ी है।
भारत-साक्षरता दर 1951-2001
वर्ष | कुल व्यक्ति (%) | पुरुष (%) | स्त्री (%) |
1951 | 18.33 | 27.17 | 8.56 |
1961 | 28.30 | 40.40 | 15.35 |
1971 | 34.45 | 45.96 | 29.97 |
1981 | 43.57 | 56.38 | 29.76 |
1991 | 52.21 | 64.13 | 39.29 |
2001 | 65.38 | 75.85 | 54.16 |
प्रश्न 6.
भारत में उच्च तथा निम्न साक्षरता वाले प्रदेश बताओ।
उत्तर:
भारत में बिहार में सबसे कम 40.53% साक्षरता दर है जबकि केरल में 90, 92% साक्षरता दर है। भारत के 22 राज्यों में तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय औसत से अधिक साक्षरता दर है जबकि 13 प्रदेशों में कम है। केरल, मिज़ोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़ तथा पांडिचेरी में उच्च साक्षरता दर है जबकि बिहार, झारखण्ड तथा जम्मू कश्मीर में निम्न साक्षरता दर है।
प्रश्न 7.
भारत में स्वास्थ्य संकेतकों की प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वास्थ्य संकेतक मानव विकास का प्रमुख अंग है। इसका मापन जन्म दर, मृत्यु दर तथा जीवन प्रत्याशा के रूप में किया जाता है।
(क) (i) मृत्यु दर (Death Rate) – मृत्यु दर भारत में तेजी से घटी है। 1951 में मृत्यु दर 25.1% प्रति हज़ार थी जो 1999 में घट कर 8.7 तक रह गई है। मृत्यु दर में 16.4 अंकों की कमी आई है।
(ii) शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate) – शिशु मृत्यु दर 1951 की तुलना में आधी है। यह 148 प्रति हज़ार से घटकर 70 रह गई है।
(iii) बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate) – चार वर्ष से कम बच्चों की मृत्यु दर 51.9 से घट कर 22.5 प्रति हज़ार है। इससे स्पष्ट है कि स्वास्थ्य सेवाओं में पर्याप्त सुधार हुआ है।
(ख) (i) जन्म दर (Birth Rate) – जन्म दर धीमी गति से घटी है। 1951 में यह 40.8 से घट कर 1999 में 26.1 प्रति हज़ार रह गई है। इसमें 14.7 अंकों की कमी आई है।
(ii) प्रजनन दर (Fertility Rate) – 1951 में प्रजनन दर 6 बच्चे प्रति स्त्री थी जो 1999 में घटकर 2.99 रह गई है।
(ग) जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) – जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। 1991 में पुरुष जीवन प्रत्याशा केवल 37.1 वर्ष तथा स्त्री प्रत्याशा 36.2 वर्ष थी परन्तु 2011 में यह बढ़ कर क्रमश: 62.30 तथा 65.27 वर्ष हो गई है।
प्रश्न 8.
मानव विकास क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
पाल स्ट्रीटन के अनुसार निम्नलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है
(1) विकास की सभी क्रियाओं का अन्तिम उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
(2) मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट, स्वस्थ, शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक, अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अत: उत्पादकता के आधार पर भी मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत माना जाता है।
(3) मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितैषी भी है। मानव विकास ग़रीबी को घटाने, वनों के विनाश, मरुस्थलों के फैलाव व मृदा अपरदन रोकने में सहायक होता है। गरीबी के घटने से निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाता है।
(4) सुधरी मानवीय दशाएं और घटी गरीबी, स्वस्थ और सभ्य समाज के निर्माण में योगदान देती हैं तथा लोकतन्त्र तथा सामाजिक स्थिरता को बढ़ाती हैं।
अतः मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से सम्बन्धित न होकर, मानव के सम्पूर्ण विकास से सम्बन्धित है।
प्रश्न 9.
आर्थिक विकास तथा मानव विकास में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर”
आर्थिक विकास और मानव विकास की संकल्पनाओं में आधारभूत अन्तर है। पहले में मानव की आय बढ़ाने पर ही मुख्य रूप से बल दिया जाता है, जबकि दूसरे में मानवीय विकल्पों के बढ़ाने पर बल दिया जाता है। मानवीय विकल्प हैं-आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास। ऐसे विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य हैं, लेकिन इसका परिप्रेक्ष्य भिन्न होता है। इसमें निहित मूल सिद्धान्त आय का उपयोग है न कि स्वयं आय। इसी से मानवीय विकल्पों में वृद्धि होती है। इस प्रकार राष्ट्रों की वास्तविक सम्पदा उनके लोग हैं। अत: विकास का मुख्य लक्ष्य मानव जीवन की समृद्धि ही होना चाहिए।
प्रश्न 10.
मानव संसाधन विकास तथा मानव विकास में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
मानव विकास का अर्थ है जन कल्याण। इसका उद्देश्य है लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करना। मानव विकास लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है।
मानव संसाधन विकास का अर्थ है संसाधनों का उपयोग करना। यह क्रिया मानव कुशलता, प्रौद्योगिकी तथा विकास स्तर पर निर्भर करता है। कोई संसाधन तब तक संसाधन नहीं बनता जब तक उसका पूरा उपयोग न हो।
प्रश्न 11.
मानव विकास के संकेतक का वर्णन करो।
उत्तर:
जीवन की गुणवत्ता और जनकल्याण के स्तर का मात्रात्मक मापन कठिन है। फिर भी मानव विकास के विविध आयामों के मापन क लिए एक व्यापक मापक की खोज करते-करते संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने एक मिश्र संकेतक का निर्माण किया है, जिसे अब मानव विकास सूचकांक के रूप में जाना जाता है।
इसमें –
- दीर्घजीविता
- ज्ञान आधार और
- उच्च जीवन स्तर शामिल हैं।
संकेतक को सरल बनाए रखने के लिए केवल सीमित चरों को ही शामिल किया गया है।
प्रारम्भ में जीवन प्रत्याशा को दीर्घजीविता के संकेतक के रूप में, प्रौढ़ साक्षरता को ज्ञान के संकेतक के रूप में, क्रय शक्ति समता के लिए, समायोजित प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद को अच्छे जीवन के संकेतक के रूप में चुना गया था। इन चरों को विभिन्न इकाइयों में अभिव्यक्त किया जाता है। इसीलिए अनेक संकेतकों के स्थान पर एक मिश्र संकेतक के निर्माण के लिए एक विधितन्त्र का विकास किया गया था।
प्रश्न 12.
‘विकास स्वतन्त्रता है’ व्याख्या करो।
अथवा
विकास क्षेत्र यूरोप-केन्द्रित विचार की व्याख्या करो।
उत्तर:
पश्चिमी देशों के विचार के अनुसार विकास स्वतन्त्रता है। इसका सम्बन्ध आधुनिकीकरण, अवकाश, सुविधा व समृद्धि से जुड़ा हुआ है। वर्तमान समय में कम्प्यूटरीकरण, औद्योगीकरण सक्षम परिवहन और जाल, बृहत शिक्षा प्रणाली, आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं, सुरक्षा इत्यादि को विकास का प्रतीक समझा जाता है। विकास के स्तर को इन वस्तुओं की उपलब्धता और गम्यता के सन्दर्भ में पाया जाता है। परन्तु यह विकास का एक तरफा दृश्य है। भारत जैसे उत्तर-उपनिवेशी देश के लिए उपनिवेशवाद, सीमांतीकरण, सामाजिक भेदभाव और प्रादेशिक असमता विकास का दूसरा पहलू है। इसलिए कहा जाता है कि विकास और पर्यावरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
प्रश्न 13.
विकास की निम्नतर मानवीय दशाओं का किन प्रक्रियाओं से सम्बन्ध है? वर्तमान विकास किन समस्याओं का कारण है ?
उत्तर:
विकास का एक अन्य अन्तर्सम्बन्धित पक्ष भी है जिसका निम्नतर मानवीय दशाओं से सीधा सम्बन्ध है। इसका सम्बन्ध पर्यावरणीय प्रदूषण से है जो पारिस्थितिक संकट का कारक है। वायु, मृदा, जल और ध्वनि प्रदूषण न केवल ‘हमारे साझा संसाधनों की त्रासदी’ का कारण बने हैं अपितु हमारे समाज के अस्तित्व के लिए भी खतरा
बन गए हैं।
परिणामस्वरूप, निर्धनों में सामर्थ्य के गिरावट के लिए तीन अन्तर्संबंधित प्रक्रियाएं कार्यरत हैं –
(क) सामाजिक सामर्थ्य में कभी विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बन्धनों के कारण
(ख) पर्यावरणीय सामर्थ्य में कभी प्रदूषण के कारण, और
(ग) व्यक्तिगत सामर्थ्य में कभी बढ़ती बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण। अन्ततः उनके जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उपर्युक्त अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वर्तमान विकास सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलन और पर्यावरणीय निम्नीकरण के मुद्दों के साथ स्वयं को जोड़ नहीं पाया है। इसके विपरीत इसे व्यापक रूप से सामाजिक वितरक अन्यायों, जीवन की गुणवत्ता और मानव विकास में गिरावट, पारिस्थितिक संकट और सामाजिक अशान्ति का कारण माना जा रहा है।
प्रश्न 14.
मानव विकास की प्रकृति कौन-से कारक निर्धारित करते हैं?
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक में निम्न स्कोर का होना गम्भीर चिन्ता का विषय है, स क मूल्यों के परिकलन के लिए चुने गए सूचकों का वर्णन निम्नलिखित है
(1) उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और नव-साम्राज्यवाद जैसे ऐतिहासिक कारको
(2) मानवाधिकार उल्लंघन, प्रजाति, धर्म, लिंग और जाति के आधार पर सामाजिक भेदभाव जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक कारक
(3) अपराध आतंकवाद और युद्ध जैसी सामाजिक समस्याएं और
(4) राज्य की प्रकृति, सरकार का स्वरूप (लोकतन्त्र अथवा तानाशाही), सशक्तिकरण का स्तर जैसे राजनीतिक कारकों के प्रति संवेदनशीलता का अभाव ये कारक मानव विकास की प्रकृति के निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भारत तथा अन्य अनेक विकासशील देशों के सम्बन्ध में इन पक्षों का विशेष महत्त्व है।
प्रश्न 15.
आर्थिक उपलब्धियों के सचक बताओ। इस बारे कौन-सी विषमताएं हैं?
उत्तर:
आर्थिक उपलब्धियों के सूचक-आर्थिक उपलब्धियों के निम्नलिखित सूचक हैं –
(1) समृद्ध संसाधन आधार और
(2) इन संसाधनों तक सभी, विशेष रूप से निर्धन, पद-दलित और हाशिए पर छोड़ दिए गए लोगों की पहुंच
(3) उत्पादकता, ये कल्याण और मानव विकास की कुंजी है। सकल घरेलू उत्पादन और इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को किसी देश के संसाधन आधार/अक्षयनिधि का माप जाना जाता है। भारत के लिए ऐसा आकलन किया गया है कि इसका सकल घरेलू उत्पाद (प्रचलित कीमतों पर) 3200 करोड़ रु० था और इस प्रकार प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय 20,813 रु० थी। प्रत्यक्ष रूप से आंकड़े एक प्रभावशाली निष्पादन का संकेत देते हैं। विषमताएं-गरीबी, वंचना, कुपोषण, निरक्षरता, अनेक प्रकार के पूर्वाग्रह और इन सबसे बढ़कर सामाजिक वितरण, अन्याय और बड़े पैमाने की प्रादेशिक विषमताएं इन सभी तथाकथित आर्थिक उपलब्धियों को झूठा साबित करती हैं।
प्रश्न 16.
स्वस्थ जीवन के सूचक बताओ। इनके सम्बन्ध में भारत में प्रगति का वर्णन करो।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के सूचक-रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन और यथोचित दीर्घायु एक स्वस्थ जीवन के सूचक हैं।
- शिशु मर्त्यता
- माताओं में प्रजननोत्तर मृत्यु दर को घटाने के उद्देश्य से पूर्व
- प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता
- वृद्धों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं
- पर्याप्त पोषण और
- व्यक्तियों की सुरक्षा एक स्वस्थ और लम्बे जीवन के कुछ महत्त्वपूर्ण माप हैं।
भारत में प्रगति –
1. मृत्यु दर का घटना-कुछ स्वास्थ्य सूचकों के क्षेत्र में भारत में सराहनीय कार्य किया है, जैसे मृत्यु दर का 1951 में 25.1 प्रतिशत से घटकर 1999 में 8.1 प्रति हजार होना।
2. शिशु मर्त्यता का घटना-इसी अवधि में शिशु मर्त्यता का 148 प्रति हज़ार से 70 प्रति हज़ार होना।
3. जीवन प्रत्याशा में वृद्धि-इसी प्रकार 1951 से 1999 की अवधि में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में पुरुषों के लिए 37.1 वर्ष से 62.3 वर्ष तथा स्त्रियों के लिए 36.2 वर्ष से 65.3 वर्ष की वृद्धि करने में भी सफलता मिली। यद्यपि ये महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, फिर भी बहुत कुछ करना बाकी है।
4. जन्म दर का घटना-इसी प्रकार, इसी अवधि के दौरान भारत ने जन्म दर को 40.8 से 26.1 तक नीचे लाकर अच्छा कार्य किया है, किन्तु यह जन्म दर भी अनेक विकसित देशों की तुलना में काफी ऊंची है।
प्रश्न 17.
ऐसे कौन-से कारण हैं जिनके फलस्वरूप मानव विकास अति आवश्यक है ?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों के कारण मानव विकास अति आवश्यक हैं –
(i) विकास की सभी क्रियाओं का अन्तिम उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
(ii) मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट, स्वस्थ, शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक, अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अत: उत्पादकता के आधार पर भी मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत माना जाता है। . .
(iii) मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितैषी भी है। गरीबी के घटने से वनों का विनाश, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाता है।
(iv) सुधरी मानवीय दशाएं और घटी गरीबी स्वस्थ और सभ्य समाज के निर्माण में योगदान देती हैं तथा लोकतन्त्र तथा सामाजिक स्थिरता को बढ़ाती हैं।
अतः मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से सम्बन्धित न होकर, मानव के सम्पूर्ण विकास से सम्बन्धित है। इसलिए यह अति आवश्यक है।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
भारत में समाज के विभिन्न वर्गों के विकास के अवसरों का वितरण समान नहीं है उदाहरण देकर व्याख्या करो।
उत्तर:
इस प्रकार, भारत के लिए विकास अवसरों के साथ-साथ उपेक्षाओं एवं वंचनाओं का मिला-जुला थैला है।
(1) यहां महानगरीय केन्द्रों और अन्य विकसित अन्तर्वेशों (इनक्लेव) जैसे कुछ क्षेत्र हैं जहां इनकी जनसंख्या के एक छोटे से खण्ड को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
(2) दूसरे छोर पर विशाल ग्रामीण क्षेत्र और नगरीय क्षेत्रों की गन्दी बस्तियां हैं जिनमें पेयजल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएं और अवसंरचना इनकी अधिकांश जनसंख्या के लिए उपलब्ध नहीं है।
(3) यह एक सुस्थापित तथ्य है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब किसानों और गन्दी बस्तियों में बड़ी संख्या में रहने वाले लोगों इत्यादि का बड़ा समूह सर्वाधिक हाशिए पर है।
(4) स्त्री जनसंख्या का बड़ा खण्ड इन सबमें से सबसे ज़्यादा कष्टभोगी है।।
(5) यह भी समान रूप से सत्य है कि वर्षों से हो रहे विकास के बाद भी सीमान्त वर्गों में से अधिकांश की सापेक्षिक के साथ-साथ निरपेक्ष दशाएं भी बदतर हुई हैं। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग पतित निर्धनता पूर्ण और अमानवीय दशाओं में जीने को विवश हैं।
प्रश्न 2.
पर्यावरण, संसाधन तथा विकास में सम्बन्ध बताओ। इस बारे विभिन्न लेखकों के विचार बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या, पर्यावरण और विकास-मानव विकास सामाजिक विज्ञानों में प्रयुक्त होने वाली एक जटिल संकल्पना है। यह जटिल है क्योंकि युगों से यही सोचा जा रहा है कि विकास एक मूलभूत संकल्पना है और यदि एक बार इसे प्राप्त कर लिया गया तो यह समाज की सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय समस्याओं का निदान हो जाएगा।
यद्यपि विकास ने मानव जीवन की गुणवत्ता में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण सुधार किया है परन्तु अनेक संकट भी उत्पन्न किए हैं जैसे –
- प्रादेशिक विषमताएं
- सामाजिक असमानताएं
- भेदभाव
- वंचना
- लोगों का विस्थापन
- मानवाधिकारों पर आघात
- मानवीय मूल्यों का विनाश तथा
- पर्यावरणीय निम्नीकरण भी बढ़ा है।
सम्बद्ध मुद्दों की गम्भीरता और संवेदनशीलता को भांपते हुए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने अपनी 1993 की मानव विकास रिपोर्ट में विकास की अवधारणा में अभिभूत कुछ स्पष्ट पक्षपातों और पूर्वाग्रहों को संशोधित करने का प्रयत्न किया है। लोगों की प्रतिभागिता और उनकी सुरक्षा 1993 की मानव विकास रिपोर्ट के प्रमुख मुद्दे थे। इसमें मानव विकास की न्यूनतम दशाओं के रूप में उत्तरोत्तर लोकतन्त्रीकरण और लोगों के बढ़ते सशक्तिकरण पर बल दिया गया था।
नागरिक समाजों की भूमिका-नागरिक समाजों को विकसित देशों द्वारा प्रतिरक्षा खर्चों में कटौती, सशस्त्र बलों के अपरियोजन, प्रतिरक्षा से आधारभूत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन की ओर संक्रमण और विशेष रूप से निशस्त्रीकरण तथा नाभिकीय युद्धास्त्रों की संख्या घटाने के लिए जनमत तैयार करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। एक नाभिकीय-कृत विश्व में शान्ति और कल्याण दो प्रमुख वैश्विक चिन्ताएं हैं।
जनसंख्या तथा संसाधान-इस उपागम के दूसरे छोर पर नव-माल्थस वादियों, पर्यावरणविदों और आमलवादी पारिस्थितिकविदों द्वारा व्यक्त विचार हैं। उनका विश्वास है कि एक प्रसन्नचित्त एवं शांत सामाजिक जीवन के लिए जनसंख्या और संसाधनों के बीच उचित सन्तुलन एक आवश्यक दशा है। इन विचारकों के अनुसार जनसंख्या और संसाधनों के बीच का अन्तर 18वीं शताब्दी के बाद बढ़ा है। विगत 300 वर्षों में विश्व के संसाधनों में बहुत थोड़ी वृद्धि हुई है जबकि मानव जनसंख्या में विपुल वृद्धि हुई है। विकास ने केवल विश्व के सीमित संसाधनों के बहुविध प्रयोगों को बढ़ाने में योगदान दिया है जबकि इन संसाधनों की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
इस प्रकार विकास के किसी भी क्रियाकलाप के समक्ष परम कार्य जनसंख्या और संसाधनों के बीच समता बनाए रखना है। सर राबर्ट माल्थस मानव जनसंख्या की तुलना में संसाधनों के अभाव के विषय में चिन्ता व्यक्त करने वाले पहले विद्वान् थे। प्रत्यक्ष रूप से यह विचार तर्कसंगत और विश्वासप्रद लगता है परन्तु यदि विवेचनात्मक ढंग से देखा जाए तो इसमें कुछ अन्तर्निहित दोष हैं जैसे कि संसाधन एक तटस्थ वर्ग नहीं है। संसाधनों की उपलब्धता का होना इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि उनका सामाजिक वितरण। संसाधन हर जगह असमान रूप से वितरित हैं।
समृद्ध देशों और लोगों की संसाधनों के विशाल भण्डारों तक पहुंच’ है जबकि निर्धनों के संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त शक्तिशाली लोगों द्वारा अधिक से-अधिक संसाधनों पर नियन्त्रण करन पर नियन्त्रण करने के लिए किए गए अनंत प्रयत्नों और उनका अपनी असाधारण विशेषता को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग करना ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अन्तर्विरोधों के प्रमुख कारण हैं।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता लम्बे समय से ही जनसंख्या, संसाधनों और विकास के प्रति संवेदनशील रही हैं कहना गलत नहीं होगा कि प्राचीन ग्रन्थ मूलतः प्रकृति के तत्त्वों के बीच सन्तुलन और समरसता के प्रतिचिंतित थे। महात्मा गांधी ने अभिनव समय में ही दोनों के बीच सन्तुलन और समरसता के प्रबलन को प्रेषित किया है। गांधी जी हो रहे विकास, विशेष रूप से इसमें जिस प्रकार औद्योगिकीकरण द्वारा नैतिकता, आध्यात्मिकता, स्वावलम्बन, अहिंसा और पारस्परिक सहयोग और पर्यावरण के ह्रास का सांस्थितीकरण किया गया है, के प्रति आशंकित थे।
उनके विचार में व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है। उनके विचार क्लब ऑफ रोम की रिपोर्ट ‘लिमिट्स टू गोथ’ (1972), शूमाकर की पुस्तक ‘स्माल इज ब्यूटीफुल’ (19 74) बुंडलैंड कमीशन की रिपोर्ट ‘ऑवर कामन फ्यूचर’ (1987) और अन्त में ‘एजेंडा-21 रिपोर्ट ऑफ द रियो कान्फेरेंस’ (1993) में भी प्रतिध्वनित हुए हैं।