Jharkhand Board JAC Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 History Important Questions Chapter 12 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. गाँधीजी दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापस आए
(क) जनवरी, 1915 में
(ख) मार्च, 1915 में
(ग) दिसम्बर, 1915 में
(घ) सितम्बर, 1915 में
उत्तर:
(क) जनवरी, 1915 में
2. गाँधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह किया था –
(क) दक्षिणी अमेरिका में
(ख) दक्षिणी अफ्रीका में
(ग) दक्षिणी आस्ट्रेलिया में
(घ) दक्षिणी भारत में
उत्तर:
(ख) दक्षिणी अफ्रीका में
3. गाँधीजी के राजनीतिक गुरु थे –
(क) बाल गंगाधर तिलक
(ख) महादेव गोविन्द रानाडे
(ग) गोपालकृष्ण गोखले
(घ) वल्लभ भाई पटेल
उत्तर:
(ग) गोपालकृष्ण गोखले
4. गाँधीजी ने फसल चौपट होने पर लगान माफ करने की माँग कहाँ की ?
(क) सूरत में
(ख) चंपारन में
(ग) बिहार में
(घ) खेड़ा में
उत्तर:
(घ) खेड़ा में
5. जलियाँवाला बाग काण्ड हुआ था –
(क) लाहौर में।
(ख) अमृतसर में
(ग) कराची में
(घ) कलकत्ता में
उत्तर:
(ख) अमृतसर में
6. खिलाफत आन्दोलन चलाने वाले नेता थे –
(क) मोहम्मद अली व शौकत अली
(ख) जिला- जवाहरलाल
(ग) गाँधीजी और सरदार पटेल
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) मोहम्मद अली व शौकत अली
7. काला विधेयक किसे कहा जाता है?
(क) इलबर्ट
(ख) रॉलेट एक्ट
(ग) शिक्षा बिल
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) रॉलेट एक्ट
8. सरकारी आँकड़ों के अनुसार 1921 में कुल हड़तालें हुई –
(क) 496
(ख) 396
(ग) 284
(घ) 398
उत्तर:
(ख) 396
9. गाँधीजी ने नमक यात्रा (दांडी मार्च) की थी –
(क) मार्च, 1930 में
(ख) जून, 1931 में
(ग) मार्च, 1931 में
(घ) अप्रैल, 1930 में
उत्तर:
(क) मार्च, 1930 में
10. अमृतसर में जलियाँवाला बाग काण्ड हुआ था-
(क) 13 अप्रैल, 1919 में
(ख) 14 फरवरी, 1919 में
(ग) 17 अप्रैल, 1919 में
(घ) 25 दिसम्बर, 1919 में
उत्तर:
(क) 13 अप्रैल, 1919 में
11. भारतीय राष्ट्र का पिता माना गया है-
(क) महात्मा गाँधी को
(ख) पं. जवाहरलाल नेहरू कॉ
(ग) सुभाष चन्द्र बोस को
(घ) सरदार वल्लभ भाई पटेल को
उत्तर:
(क) महात्मा गाँधी को
12. निम्न में से किस राष्ट्रवादी नेता ने सम्पूर्ण देशभर में रॉलट एक्ट के खिलाफ एक अभियान चलाया था?
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ख) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) सरदार पटेल
उत्तर:
(ग) महात्मा गाँधी
13. चरखे के साथ भारतीय राष्ट्रवाद की सर्वाधिक स्थायी पहचान बन गए।
(क) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ख) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ग) महात्मा गाँधी
(घ) शहिद अमीन
उत्तर:
(ग) महात्मा गाँधी
14. निम्न में से किस वर्ष अंग्रेज सदस्यों वाला साइमन कमीशन भारत आया था –
(क) सन् 1928
(ग) सन् 1936
(ख) सन् 1930
(घ) सन् 1942
उत्तर:
(क) सन् 1928
15. कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की घोषणा अपने किस अधिवेशन में की थी?
(क) सूरत अधिवेशन
(ख) लाहौर अधिवेशन
(ग) बम्बई अधिवेशन
(घ) नागपुर अधिवेशन
उत्तर:
(क) सूरत अधिवेशन
16. गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ –
(क) लखनऊ में
(ग) लन्दन में
(ख) कोलम्बो में
(घ) जयपुर
उत्तर:
(ग) लन्दन में
17. निम्न में से किस वर्ष नया गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट पारित हुआ?
(क) सन् 1935
(ग) सन् 1940
(ख) सन् 1936
(घ) सन् 1956
उत्तर:
(क) सन् 1935
18. निम्न में से किस गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गाँधी ने निम्न जातियों के लिए पृथक निर्वाचिका की माँग का विरोध किया –
(क) प्रथम
(ख) द्वितीय
(ग) तृतीय
(घ) चतुर्थ
उत्तर:
(ख) द्वितीय
19. “मुझे सम्राट का सर्वोच्च मन्त्री इसलिए नहीं नियुक्त किया गया है कि मैं ब्रिटिश साम्राज्य के टुकड़े-टुकड़े कर दूँ।” यह कथन किस ब्रितानी प्रधानमन्त्री का था?
(क) विंस्टन चर्चिल
(ख) मारग्रेट पैचर
(ग) जेम्स मैकडोनाल्ड
(घ) लार्ड वेवेल
उत्तर:
(क) विंस्टन चर्चिल
20. ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ?
(क) अप्रैल, 1941 में
(ख) अगस्त, 1942 में
(ग) जनवरी, 1943 में
(घ) अक्टूबर, 1946 में
उत्तर:
(ख) अगस्त, 1942 में
21. निम्न में से किस राजनेता द्वारा ‘ए बंच ऑफ लेटर्स’ का संकलन किया गया-
(क) जवाहरलाल नेहरू द्वारा
(ख) महात्मा गाँधी द्वारा
(ग) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा
(घ) डॉ. राधाकृष्णन द्वारा
उत्तर:
(क) जवाहरलाल नेहरू द्वारा
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. मोहनदास करमचंद गाँधी दो दशक रहने के बाद …………… में अपनी गृहभूमि भारत वापस आ गए।
2. गाँधीजी ने सन् ……………. में भारत छोड़ा था।
3. ……………. भी गाँधीजी की तरह गुजराती मूल के लंदन में प्रशिक्षित वकील थे।
4. गांधीजी ने …………….. एक्ट के खिलाफ अभियान चलाया।
5. ……………. आन्दोलन मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था।
6. सरकारी आँकड़ों के मुताबिक 1921 में …………… हुई जिनमें ‘लाख श्रमिक शामिल थे।
7. …………… के विद्रोह के बाद पहली बार ……………… आन्दोलन के परिणामस्वरूप अंग्रेजी राज की नींव हिल गई।
8. फरवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रान्त के ……………. पुरवा में एक पुलिस स्टेशन पर आक्रमण कर उसमें आग लगा दी।
9. गाँधीजी को मार्च, 1922 में ……………. के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया
10. 1929 में दिसम्बर के अन्त में कांग्रेस ने अपना वार्षिक अधिवेशन …………… शहर में किया।
उत्तर:
1 जनवरी, 1915
2. 1893
3 मोहम्मद अली जिन्ना
4. गॅलेट
5. खिलाफत
6. 396
6 7.1857, असहयोग
8. चौरी-चौरा
9 राजद्रोह
10 लाहौर।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कौनसा कानून ‘काला कानून’ कहलाता था ?
उत्तर:
रॉलेट एक्ट।
प्रश्न 2.
गांधीजी के लिए ‘महात्मा’ शब्द का प्रयोग किसने किया?
उत्तर:
गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने।
प्रश्न 3.
खिलाफत का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
खिलाफत का उद्देश्य था-खलीफा पद की पुनर्स्थापना करना।
प्रश्न 4.
चौरी-चौरा कांड कहाँ हुआ था?
उत्तर:
उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा नामक जगह पर।
प्रश्न 5.
दांडी मार्च कब और कितने सदस्यों के साथ गांधीजी ने शुरू किया?
उत्तर:
12 मार्च, 1930 को 78 सदस्यों के साथ।
प्रश्न 6.
तृतीय गोलमेज सम्मेलन के विचार-विमर्श की परिणति किस कानून के रूप में सामने आयी ?
उत्तर:
1935 का भारत सरकार कानून।
प्रश्न 7.
महात्मा गाँधी के तीन सत्याग्रह आन्दोलनों का उल्लेख कीजिए जो असहयोग आन्दोलन से पहले प्रारम्भ किये गये थे।
उत्तर:
- चंपारन सत्याग्रह
- अहमदाबाद सत्याग्रह
- खेड़ा सत्याग्रह।
प्रश्न 8.
हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए गाँधीजी द्वारा किस आन्दोलन का समर्थन किया गया?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन का।
प्रश्न 9.
गाँधीजी द्वारा कौन से गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया गया?
उत्तर:
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में।
प्रश्न 10.
पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में जारी किया गया?
उत्तर:
1929 के लाहौर अधिवेशन में।
प्रश्न 11.
1905-07 के स्वदेशी आन्दोलन ने कौन से तीन उग्रवादी काँग्रेसी नेताओं को जन्म दिया?
उत्तर:
- बाल गंगाधर तिलक
- विपिनचन्द्र पाल और
- लाला लाजपत राय।
प्रश्न 12.
1915 से पहले के काँग्रेस के किन्हीं दो प्रमुख उदारवादी नेताओं के नाम लिखिये।
उत्तर:
(1) गोपालकृष्ण गोखले
(2) सुरेन्द्रनाथ बनर्जी।
प्रश्न 13.
भारत में गाँधीजी की पहली महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपस्थिति कब हुई ?
उत्तर:
फरवरी, 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में।
प्रश्न 14.
असहयोग आन्दोलन का क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन के बाद भारतीय राष्ट्रवाद जन-आन्दोलन में बदल गया।
प्रश्न 15.
16 अगस्त, 1946 को जिला ने पाकिस्तान की स्थापना की माँग के समर्थन में कौनसा दिवस मनाने का आह्वान किया?
उत्तर:
प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस।
प्रश्न 16.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अन्तर्गत गाँधीजी द्वारा संचालित आन्दोलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- असहयोग आन्दोलन
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- भारत छोड़ो आन्दोलन।
प्रश्न 17.
गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन कब स्थगित किया?
उत्तर:
12 फरवरी, 1922 को
प्रश्न 18.
गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन क्यों स्थगित कर दिया?
उत्तर:
चौरी-चौरा की हिंसात्मक घटना के कारण।
प्रश्न 19.
किस उद्योगपति ने राष्ट्रीय आन्दोलन का खुला समर्थन किया?
उत्तर:
जी. डी. बिड़ला ने।
प्रश्न 20.
गांधीजी किन नामों से पुकारे जाते थे?
उत्तर:
‘गाँधी बाबा’, ‘गाँधी महाराज’, ‘महात्मा’ के नामों से।
प्रश्न 21.
कांग्रेस ने अपना वार्षिक अधिवेशन लाहौर में कब किया?
उत्तर:
1929 में दिसम्बर के अन्त में।
प्रश्न 22.
दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन किसकी अध्यक्षता में आयोजित किया गया?
उत्तर:
पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में।
प्रश्न 23.
सम्पूर्ण देश में ‘स्वतन्त्रता दिवस’ कब मनाया गया?
उत्तर:
26 जनवरी, 19301
प्रश्न 24.
गाँधीजी ने दाण्डी मार्च कब शुरू किया और किस स्थान से किया ?
उत्तर:
(1) 12 मार्च, 1930 को
(2) साबरमती आश्रम से।
प्रश्न 25.
गांधीजी ने नमक सत्याग्रह कब शुरू किया ?
उत्तर:
6 अप्रैल, 1930 को दाण्डी यात्रा की समाप्ति पर नमक बनाकर।
प्रश्न 26.
नमक- कर कानून को तोड़ने की घोषणा गाँधीजी ने कब की थी और कहाँ की थी?
उत्तर:
(1) 5 अप्रैल, 1930 को
(2) झण्डी में
प्रश्न 27.
नमक सत्याग्रह में किस महिला ने बढ़- चढ़कर हिस्सा लिया था?
उत्तर:
कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने।
प्रश्न 28.
किस महिला ने गाँधीजी को सलाह दी थी कि वह अपने आन्दोलन को पुरुषों तक ही सीमित न रखें?
उत्तर:
कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने।
प्रश्न 29.
पहला गोलमेज सम्मेलन कब आयोजित किया गया और कहाँ किया गया?
उत्तर:
(1) नवम्बर 1930 में।
(2) लन्दन में।
प्रश्न 30.
गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ ?
उत्तर:
5 मार्च, 1931 को
प्रश्न 31.
दूसरा गोलमेज सम्मेलन कब और कहाँ आयोजित किया गया?
उत्तर:
(1) दिसम्बर, 1931 में
(2) लन्दन में।
प्रश्न 32.
गाँधीजी किस गोलमेज सम्मेलन में शामिल हुए?
उत्तर:
दूसरे गोलमेज सम्मेलन में।
प्रश्न 33.
गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट कब पारित हुआ?
उत्तर:
1935 में
प्रश्न 34.
1937 के आम चुनाव में कितने प्रान्तों में से कांग्रेस के प्रधानमंत्री सत्ता में आए ?
उत्तर:
11 प्रान्तों में से 8 प्रान्तों के प्रधानमंत्री।
प्रश्न 35.
कांग्रेसी मन्त्रिमण्डलों ने कब त्याग-पत्र दे दिया ?
उत्तर:
अक्टूबर, 1939 में।
प्रश्न 36.
दलितों को पृथक् निर्वाचिका का अधिकार दिए जाने की माँग किस दलित नेता ने की थी?
उत्तर:
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर।
प्रश्न 37.
मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान के निर्माण की माँग कब की थी?
उत्तर:
मार्च, 1940 में
प्रश्न 38.
“मैं सम्राट का सर्वोच्च मन्त्री इसलिए नहीं नियुक्त किया गया हूँ कि मैं ब्रिटिश साम्राज्य के टुकड़े- टुकड़े कर दूँ।” यह किसका कथन था ?
उत्तर:
ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का।
प्रश्न 39.
सर स्टेफर्ड क्रिप्स भारत कब आए?
उत्तर:
मार्च, 1942 में।
प्रश्न 40.
ब्रिटिश सरकार ने स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत क्यों भेजा था ?
उत्तर:
राजनीतिक गतिरोध को दूर करने हेतु।
प्रश्न 41.
भारत छोड़ो आन्दोलन’ कब व किसने आरम्भ किया?
उत्तर:
(1) 8 अगस्त, 1942 को
(2) गाँधीजी ने।
प्रश्न 42.
कांग्रेस के किस नेता ने भारत छोड़ो आन्दोलन में भूमिगत प्रतिरोध गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया ?
उत्तर:
जय प्रकाश नारायण ने।
प्रश्न 43.
ऐसे दो स्थानों के नाम लिखिए जहाँ आन्दोलनकारियों ने अपनी स्वतन्त्र सरकारें स्थापित कर ली थीं।
उत्तर:
(1) सतास
(2) मेदिनीपुर।
प्रश्न 44.
कैबिनेट मिशन भारत कब आया ?
उत्तर:
23 मार्च, 1946
प्रश्न 45.
पाकिस्तान के निर्माण के लिए मुस्लिम लीग ने ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ का कब आह्वान किया?
उत्तर:
16 अगस्त, 19461
प्रश्न 46.
दिल्ली में संविधान सभा के अध्यक्ष ने गाँधीजी को किसकी उपाधि प्रदान की थी?
उत्तर:
‘राष्ट्रपिता’ की।
प्रश्न 47.
गाँधीजी के जीवनी लेखक कौन थे?
उत्तर:
जी. डी. तेन्दुलकर।
प्रश्न 48.
खेड़ा में गाँधीजी ने किसानों के लिए क्या किया?
उत्तर:
गांधीजी ने खेड़ा में फसल चौपट होने पर राज्य सरकार से किसानों का लगान माफ करने की माँग की।
प्रश्न 49.
दाण्डी मार्च पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गांधीजी ने 12 मार्च, 1930 को नमक कानून हेतु साबरमती आश्रम से दाण्डी की यात्रा 24 दिनों में पूरी की।
प्रश्न 50.
“महात्मा गाँधी जन नेता थे।” इस कथन की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
गाँधीजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आन्दोलन में हजारों किसानों, मजदूरों, कारीगरों, बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। वे आम लोगों की तरह रहते थे।
प्रश्न 51.
रॉलेट एक्ट क्या था?
उत्तर:
इसके अनुसार किसी को भी बिना कारण बताए जेल में अनिश्चित काल के लिए बन्द किया जा सकता था।
प्रश्न 52.
दक्षिणी अफ्रीका से लौटने पर किसने महात्मा गाँधी को क्या सलाह दी थी?
उत्तर:
गोपाल कृष्ण गोखले ने गाँधीजी को एक वर्ष तक ब्रिटिश भारत की यात्रा करने की सलाह दी थी।
प्रश्न 53.
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन सफल क्यों नहीं हुआ?
उत्तर:
भारत की स्वतन्त्रता की माँग को स्वीकार न करने तथा साम्प्रदायिकता की समस्या का समाधान न होने के कारण।
प्रश्न 54.
दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधीजी को ‘महात्मा’ बनाया। यह कथन किस इतिहासकार का है?
उत्तर:
चन्द्रन देवनेसन ने।
प्रश्न 55.
खिलाफत आन्दोलन क्या था?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन तुर्की के खलीफा की पुनर्स्थापना के लिए भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था।
प्रश्न 56.
असहयोग आन्दोलन के दो कारण बताइये।
उत्तर:
(1) रॉलेट एक्ट’ के कारण भारतीयों में असन्तोष था
(2) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के कारण भारतीयों में आक्रोश व्याप्त था।
प्रश्न 57.
चौरीचौरा की घटना क्या थी?
उत्तर:
फरवरी, 1922 में सत्याग्रहियों द्वारा चौरी- चौरा (गोरखपुर) में पुलिस थाने में आग लगा दी जिससे 22 पुलिसकर्मी (एक थानेदार तथा इक्कीस सिपाही) जलकर मर गये।
नाम
प्रश्न 58.
गाँधीजी के चार प्रमुख सहयोगियों के लिखिए जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया।
उत्तर:
- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- सुभाष चन्द्र बोस
- जवाहर लाल नेहरू
- अबुल कलाम आजाद।
प्रश्न 59.
असहयोग आन्दोलन के दो प्रभाव बताइये।
उत्तर:
(1) राष्ट्रीय आन्दोलन का क्षेत्र व्यापक हो गया।
(2) राष्ट्रवाद का सन्देश भारत के सुदूर भागों तक फैल गया।
प्रश्न 60.
गांधीजी के दो सामाजिक सुधारों का उल्लेख कीजिये
उत्तर:
(1) छुआछूत के उन्मूलन पर बल देना।
(2) बाल विवाह की कुप्रथा को समाप्त करने पर बल देना ।
प्रश्न 61.
गांधीजी ने चरखा चलाने पर क्यों बल दिया? कोई दो तर्क दीजिये।
अथवा
चरखा राष्ट्रवाद का प्रतीक क्यों चुना गया ?
उत्तर:
(1) चरखा गरीबों को पूरक आय दे सकता था
(2) यह लोगों को स्वावलम्बी बना सकता था।
प्रश्न 62.
1929 में दिसम्बर के अना में आयोजित कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन किन दो दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर:
(1) जवाहरलाल नेहरू का अध्यक्ष के रूप मैं चुनाव
(2) ‘पूर्ण स्वराज’ की उद्घोषणा।
प्रश्न 63.
‘स्वतन्त्रता दिवस’ मनाए जाने के तुरन्त बाद महात्मा गाँधी ने क्या घोषणा की थी?
उत्तर:
गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के लिए एक यात्रा का नेतृत्व करने की घोषणा की।
प्रश्न 64.
गाँधीजी ने नमक कानून को किसकी संज्ञा दी थी?
उत्तर:
ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानूनों में से एक कानून की।
प्रश्न 65.
गाँधीजी ने नमक-कानून के विरुद्ध आन्दोलन करने का क्यों निश्चय किया?
उत्तर:
(1) घरेलू प्रयोग के लिए भी नमक बनाना निषिद्ध था।
(2) लोगों को ऊंचे दाम पर नमक खरीदने के लिए बाध्य किया गया।
प्रश्न 66.
गाँधीजी के अनुसार नमक विरोध का प्रतीक क्यों था?.
अथवा
गाँधीजी ने नमक सत्याग्रह क्यों शुरू किया?
उत्तर:
(1) नमक एकाधिकार लोगों को ग्राम उद्योग से वंचित करता था
(2) भूखे लोगों से हजार प्रतिशत से अधिक की वसूली करना।
प्रश्न 67.
नमक सत्याग्रह के दो कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) वकीलों द्वारा ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार करना
(2) विद्यार्थियों द्वारा सरकारी शिक्षा संस्थानों का बहिष्कार करना।
प्रश्न 68.
नमक सत्याग्रह के दौरान गाँधीजी ने क्या आह्वान किया था?
उत्तर:
(1) स्थानीय अधिकारी सरकारी नौकरियाँ छोड़कर स्वतन्त्रता संघर्ष में शामिल हों ।
(2) ऊंची जाति के लोग दलितों की सेवा करें।
प्रश्न 69.
अमेरिकी समाचार पत्रिका ‘टाइम’ ने क्या कहकर गाँधीजी का मजाक उड़ाया था?
उत्तर:
पत्रिका ने गाँधीजी के ‘तकुए जैसे शरीर तथा ‘मकड़ी जैसे पेडू’ का मजाक उड़ाया था।
प्रश्न 70.
नमक सत्याग्रह की दो विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
(1) यह पहला राष्ट्रीय आन्दोलन था जिसमें महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
(2) यह आन्दोलन पूर्ण अहिंसात्मक था।
प्रश्न 71.
जालियाँवाला बाग कहाँ स्थित है?
उत्तर:
अमृतसर में
प्रश्न 72.
खिलाफत आन्दोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
खलीफा पद की पुनर्स्थापना करना।
प्रश्न 73.
चौरी-चौरा काण्ड कर्ब व कहाँ हुआ था?
उत्तर:
5 फरवरी, 1922 में गोरखपुर।
प्रश्न 74.
साइमन कमीशन भारत क्यों आया?
उत्तर:
भारतीय उपनिवेश को स्थितियों की जाँच- पड़ताल करने के लिए।
प्रश्न 75.
बरदौली में किसान सत्याग्रह किस वर्ष हुआ?
उत्तर:
सन् 1928 में।
प्रश्न 76.
26 जनवरी 1930 को स्वतन्त्रता दिवस मनाए जाने के पश्चात् गाँधीजी ने क्या घोषणा की?
उत्तर:
गाँधीजी ने यह घोषणा की कि वे ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानून को तोड़ने के लिए एक यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
प्रश्न 77.
गाँधीजी ने अपनी नमक यात्रा की पूर्व सूचना किस अंग्रेज वायसराय को दी थी?
उत्तर:
लॉर्ड इर्बिन को।
प्रश्न 78.
अखिल बंगाल सविनय अवज्ञा परिषद् का गठन किसने किया?
उत्तर:
जे. एम. सेन गुप्ता ने
प्रश्न 79.
गाँधी-इरविन समझौते की दो शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) गाँधीजी सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस ले लेंगे।
(2) ब्रिटिश सत्याग्रहियों को मुक्त कर देगी।
सरकार बन्दी बनाए गए
प्रश्न 80.
गाँधीजी को लन्दन से खाली हाथ क्यों लौटना पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करने का आश्वासन नहीं दिया तथा वह साम्प्रदायिकता की समस्या हल नहीं कर सकी।
प्रश्न 81.
गाँधीजी ने निम्न जातियों के लिए पृथक् निर्वाचिका की मांग का विरोध क्यों किया ?
उत्तर:
पृथक् निर्वाचिका की माँग से दलितों का समाज की मुख्य धारा में एकीकरण नहीं हो पायेगा।
प्रश्न 82.
कांग्रेसी मन्त्रिमण्डलों ने क्यों त्याग-पत्र दे दिया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने द्वितीय युद्ध के बाद भारत को स्वतन्त्रता देने की कांग्रेस की माँग को अस्वीकार कर दिया था।
प्रश्न 83.
दूसरे गोलमेज सम्मेलन में गाँधीजी को किन तीन दलों ने चुनौती दी थी?
उत्तर:
(1) मुस्लिम लीग
(2) राजे-रजवाड़े
(3) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर।
प्रश्न 84.
कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के किस सिद्धान्त को कभी स्वीकार नहीं किया?
उत्तर:
दो राष्ट्र सिद्धान्त’।
प्रश्न 85.
किस व्यक्ति ने गाँधीजी की हत्या की भी और कब?
उत्तर:
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने।
प्रश्न 86.
अमेरिका की टाइम पत्रिका’ ने गांधीजी के बलिदान की तुलना किससे की थी?
उत्तर:
अब्राहम लिंकन के बलिदान से।
प्रश्न 87.
किस समाचार-पत्र में गाँधीजी उन पत्रों को प्रकाशित करते थे, जो उन्हें लोगों से मिलते थे?
उत्तर:
‘हरिजन’ में।
प्रश्न 88.
पं. जवाहर लाल नेहरू ने राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान उन्हें लिखे गए पत्रों का एक संकलन तैयार किया था। उसे उन्होंने किस नाम से प्रकाशित किया?
उत्तर:
‘ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स’ (पुराने पत्रों का पुलिन्दा) ।
लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
गाँधीजी के दक्षिण अफ्रीका में उनके द्वारा किए गए कार्यों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका की सरकार के रंग भेदभाव के विरोध में सत्याग्रह का सहारा लिया। उन्होंने वहाँ विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया। गाँधीजी ने उच्च जातीय भारतीयों से दलितों एवं महिलाओं के प्रति भेदभाव का व्यवहार न करने के लिए चेतावनी दी। वास्तव में दक्षिण अफ्रीका ही उनके सत्याग्रह की प्रथम पाठशाला बना तथा उसने ही उन्हें ‘महात्मा’ बना दिया।
प्रश्न 2.
गाँधीजी के रचनात्मक कार्यों पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
गांधीजी ने बुनियादी शिक्षा, ग्राम उद्योग संघ, तालीमी संघ और गौ रक्षा संप स्थापित किये। उन्होंने समाज में फैली शोषण व्यवस्था को समाप्त करने पर बल दिया। उन्होंने कुटीर उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए कार्य किया। चरखा और खादी उनके आर्थिक तंत्र के मुख्य आधार थे। उन्होंने दलितोद्धार, शराबबन्दी, नारी सशक्तिकरण तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता को प्रोत्साहन दिया।
प्रश्न 3.
“दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधीजी को महात्मा बनाया।” यह कथन किसका है? इसके पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
इतिहासकार चंदन देवनेसन ने कहा था कि गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में ही पहली बार अहिंसात्मक विरोध के अपने विशेष तरीकों की प्रयोग किया जिसे सत्याग्रह का नाम दिया गया। यहीं पर उन्होंने विभिन्न धर्मों के मध्य सद्भावना बढ़ाने का प्रयास किया तथा उच्च जातीय भारतीयों को दलितों एवं महिलाओं के प्रति भेदभाव के व्यवहार के लिए चेतावनी दी।
प्रश्न 4.
गाँधीजी ने खिलाफत आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन का अंग क्यों बनाया?
उत्तर:
गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को विस्तार एवं मजबूती देने के लिए खिलाफत आन्दोलन को इसका अंग बनाया। उन्हें यह विश्वास था कि असहयोग को खिलाफत के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिन्दू और मुसलमान आपस में मिलकर औपनिवेशिक शासन का अन्त कर देंगे।
प्रश्न 5.
महात्मा गाँधी के अमरीकी जीवनी लेखक लुई फिशर ने गाँधीजी के बारे में क्या लिखा है?
उत्तर:
लुई फिशर ने लिखा कि “असहयोग भारत और गाँधीजी के जीवन के एक युग का ही नाम हो गया। असहयोग शान्ति की दृष्टि से नकारात्मक किन्तु प्रभाव की दृष्टि से सकारात्मक था। इसके लिए प्रतिवाद, परित्याग एवं स्व- अनुशासन आवश्यक थे। यह स्वशासन के लिए एक प्रशिक्षण था।”
प्रश्न 6.
दलितों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्र का विरोध गाँधीजी द्वारा क्यों किया गया था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गोलमेज सम्मेलन के दौरान गांधीजी ने दमित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा था, “अस्पृश्यों के लिए पृथक् निर्वाचिका का प्रावधान करने से उनकी दासता स्थायी रूप ले लेगी। क्या आप चाहते हैं कि ‘अस्पृश्य’ हमेशा ‘अस्पृश्य’ ही बने रहें? पृथक् निर्वाचिका से उनके प्रति कलंक का यह भाव अधिक मजबूत हो जायेगा। जरूरत इस बात की है कि अस्पृश्यतां का विनाश किया जाए।
प्रश्न 7.
1939 में कॉंग्रेस मंत्रिमण्डल ने सरकार से इस्तीफा क्यों दिया?
उत्तर:
1937 में सीमित मताधिकार के आधार पर हुए चुनावों में काँग्रेस की 11 में से 8 प्रांतों में सरकारें बनीं। सितम्बर, 1939 में दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया। महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि अगर अंग्रेज युद्ध की समाप्ति पर स्वतंत्रता देने को राजी हों तो काँग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है सरकार ने कांग्रेस का प्रस्ताव खारिज कर दिया। इसके विरोध में काँग्रेस ममण्डलों ने अक्टूबर, 1939 में इस्तीफा दे दिया।
प्रश्न 8.
प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ का आह्वान किसने किया था और इसका क्या परिणाम रहा?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन की असफलता के बाद जिना ने पाकिस्तान की स्थापना के लिए लीग की माँग के समर्थन में एक ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ का आह्वान किया। इसके लिए 16 अगस्त, 1946 का दिन तय किया गया। उसी दिन कलकत्ता में खूनी संघर्ष शुरू हो गया। यह हिंसा कलकत्ता से शुरू होकर ग्रामीण बंगाल, बिहार, संयुक्त प्रांत तथा पंजाब तक फैल गई। कुछ स्थानों पर हिन्दुओं ने मुसलमानों को तथा मुसलमानों ने हिन्दुओं को अपना निशाना बनाया।
प्रश्न 9.
“महात्मा गाँधी भारतीय राष्ट्र के पिता थे।” कैसे?
उत्तर:
गाँधीजी भारतीय स्वतन्त्रता संघर्ष में भाग लेने वाले सभी नेताओं में सर्वाधिक प्रभावशाली और सम्मानित थे। उन्होंने किसानों, मजदूरों, कारीगरों, व्यापारियों, बुद्धिजीवियों, हिन्दुओं, मुसलमानों, सभी भारतीयों को संगठित किया और उनमें राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया। उन्होंने 1920 से 1947 तक असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं भारत छोड़ो आन्दोलन का नेतृत्व किया और सम्पूर्ण भारत में राष्ट्रवाद का और स्वाधीनता प्राप्त करने का जोश भर दिया।
प्रश्न 10.
गाँधी इर्विन समझौता कब हुआ? इसकी शर्तें बताइए। रैडिकल राष्ट्रवादियों ने गाँधी इर्विन समझौते की आलोचना क्यों की?
उत्तर:
गाँधी इर्विन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। इस समझौते में निम्न बातों पर सहमति बनी –
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लेना
- समस्त राजनैतिक कैदियों की रिहाई
- तटीय क्षेत्रों में नमक उत्पादन की अनुमति देना।
रैडिकल राष्ट्रवादियों ने गांधी इर्विन समझौते की आलोचना की। क्योंकि गाँधीजी अंग्रेजी वायसराय से भारतीयों के लिए राजनीतिक स्वतन्त्रता का आश्वासन प्राप्त नहीं कर पाये थे। गाँधीजी को इस सम्भावित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केवल वार्ताओं का आश्वासन मिला था।
प्रश्न 11.
क्रिप्स मिशन भारत कब आया ? क्रिप्स वार्ता क्यों टूट गयी?
उत्तर:
क्रिप्स मिशन मार्च, 1942 में भारत आया। सर स्टेफर्ड क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर बल दिया कि यदि धुरी शक्तियों के विरुद्ध ब्रिटेन कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो उसे व्यवसाय की कार्यकारी परिषद में किसी भारतीय को रक्षा सदस्य नियुक्त करना होगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा असहमति देने पर यह वार्ता टूट गयी।
प्रश्न 12.
गाँधीजी के प्रारम्भिक जीवन तथा दक्षिण अफ्रीका में उनके कार्यकलापों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1915 से पूर्व लगभग 22 वर्षों तक मोहनदास करमचंद गाँधी (महात्मा गाँधी) विदेशों में रहे। इन वर्षों का अधिकांश हिस्सा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में व्यतीत किया। गाँधीजी एक वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका गए थे और बाद में वे इस क्षेत्र के भारतीय समुदायों के नेता बन गए। गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रथम बार वहाँ की सरकार की रंग-भेद एवं जातीय भेद के विरुद्ध सत्याग्रह के रूप में अपना अहिंसात्मक तरीके से विरोध किया तथा विभिन्न धर्मों के मध्य सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया।
प्रश्न 13.
रॉलेट एक्ट सत्याग्रह से ही गाँधीजी एक सच्चे राष्ट्रीय नेता बन गए।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
गांधीजी ने ‘रॉलेट एक्ट’ के विरुद्ध सम्पूर्ण देश में आन्दोलन चलाया। इसकी सफलता से उत्साहित होकर गाँधीजी ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध ‘असहयोग आन्दोलन’ की माँग कर दी। जो लोग भारतीय उपनिवेशवाद को समाप्त करना चाहते थे, उनसे आग्रह किया गया कि वे स्कूलों, कालेजों तथा न्यायालयों का बहिष्कार करें तथा कर न चुकाएँ। गाँधीजी ने कहा कि असहयोग आन्दोलन के द्वारा भारत एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेगा।
प्रश्न 14.
खिलाफत आन्दोलन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन (1919-1920) मुहम्मद अली और शौकत अली के नेतृत्व में संचालित भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था। इस आन्दोलन की निम्नलिखित मांगें थीं—पूर्व में आटोमन साम्राज्य के सभी इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे जजीरात-उल-अरब इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहे तथा खलीफा के पास काफी क्षेत्र हों। गाँधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
प्रश्न 15.
26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस को किस रूप में मनाए जाने की गाँधीजी ने अपील की?
उत्तर:
गाँधीजी ने सुझाव दिया कि 26 जनवरी को सभी गाँवों और शहरों में स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाए, संगोष्ठियां आयोजित की जाएं तथा राष्ट्रीय ध्वज को फहराए जाने से समारोहों की शुरुआत की जाए। दिन में सूत कातने, दलितों की सेवा करने, हिन्दुओं व मुसलमानों के पुनर्मिलन आदि के कार्यक्रम आयोजित किये जाएं। इस दिन लोग यह प्रतिज्ञा लेंगे कि भारतीय लोगों को भी स्वतन्त्रता प्राप्त करने का अधिकार है।
प्रश्न 16.
गाँधीजी ने नमक सत्याग्रह क्यों शुरू किया?
उत्तर:
- प्रत्येक भारतीय के घर में नमक का प्रयोग होता था, परन्तु उन्हें घरेलू प्रयोग के लिए नमक बनाने का अधिकार नहीं था
- उन्हें दुकानों से ऊँचे दाम पर नमक खरीदने के लिए बाध्य किया जाता था।
- नमक के उत्पादन तथा बिक्री पर सरकार का एकाधिकार था, जो बहुत अलोकप्रिय था।
- यह भारतीयों को बहुमूल्य सुलभ ग्राम उद्योग से वंचित करता था।
- यह राष्ट्रीय सम्पदा के लिए विनाशकारी था।
प्रश्न 17.
लन्दन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में गाँधीजी के दावे को किन तीन पार्टियों से चुनौती सहन करनी पड़ी?
उत्तर:
(1) मुस्लिम लीग का कहना था कि वह मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हित में काम करती है। कांग्रेस मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हित में काम नहीं करती है।
(2) राजे-रजवाड़ों का दावा था कि कांग्रेस का उनके नियन्त्रण वाले भू-भाग पर कोई अधिकार नहीं है।
(3) डॉ. भीमराव अम्बेडकर का कहना था कि गांधीजी और कांग्रेस पार्टी दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
प्रश्न 18.
स्टेफर्ड क्रिप्स मिशन क्यों असफल हो गया?
उत्तर:
मार्च, 1942 में ब्रिटिश सरकार ने स्टेफर्ड क्रिप्स को वार्ता हेतु भारत भेजा। कांग्रेस ने इस बात पर बल दिया कि यदि धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार कांग्रेस का समर्थन चाहती है, तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद में किसी भारतीय को एक रक्षा-सदस्य के रूप में नियुक्त करना चाहिए। इसी बात पर वार्ता टूट गई और स्टेफर्ड क्रिप्स खाली हाथ स्वदेश लौट गए।
प्रश्न 19.
नमक सत्याग्रह का महत्त्व प्रतिपादित कीजिये।
उत्तर:
- इस घटना ने गाँधीजी को संसार भर में प्रसिद्ध कर दिया।
- इस सत्याग्रह में भारतीय महिलाओं ने भारी संख्या में हिस्सा लिया। स्वियों ने शराब की दुकानों तथा विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर धरना दिया और अपने आप को गिरफ्तारी के लिए पेश किया।
- इस सत्याग्रह से अंग्रेजों को पता चल गया कि अब उनका राज बहुत दिन नहीं टिक सकेगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में हिस्सा देना पड़ेगा।
प्रश्न 20.
महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस क्यों लिया?
उत्तर:
5 फरवरी, 1922 को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा नामक गाँव में पुलिस ने कांग्रेस के सत्याग्रहियों पर गोलियाँ चलाई, तो भीड़ क्रुद्ध हो उठी और उसने एक थाने में आग लगा दी। इसके फलस्वरूप एक थानेदार तथा 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। चौरी- चौरा की इस हिंसात्मक घटना से गाँधीजी को प्रबल आघात पहुँचा और उन्होंने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।
प्रश्न 21.
दाण्डी यात्रा की प्रमुख घटनाओं की न्व्याख्या कीजिये। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने अपने 78 आश्रमवासियों को लेकर साबरमती आश्रम से दाण्डी नामक स्थान की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने अपनी यात्रा पैदल चल कर 24 दिन में तय की। 6 अप्रैल, 1930 को वहाँ उन्होंने नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया। इस प्रकार सम्पूर्ण भारत में नमक सत्याग्रह शुरू हो गया। इस आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को व्यापक बनाया, स्वियों में जागृति पैदा की इस आन्दोलन से अंग्रेजों को पता चल गया कि अब उनका राज बहुत दिनों तक नहीं टिक सकेगा।
प्रश्न 22.
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट तथा अपने लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी के विरुद्ध 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में लोगों ने एक सार्वजनिक सभा आयोजित की जनरल डायर ने शान्तिप्रिय तथा निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाने का आदेश दिया। इस बर्बरतापूर्ण कार्यवाही में 400 लोग मारे गए तथा सैकड़ों लोग घायल हो गए। इससे भारतीय जनता में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ और सम्पूर्ण देश में इस हत्याकाण्ड की कटु आलोचना की गई।
प्रश्न 23.
“चम्पारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चम्पारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा। गाँधीजी में गरीबों के प्रति गहरी सहानुभूति थी। वर्ष 1917 का अधिकांश समय महात्मा गाँधी को बिहार के चम्पारन जिले में किसानों के लिए काश्तकारी की सुरक्षा साथ-साथ अपनी पसन्द की फसल उपजाने की स्वतन्त्रता दिलाने में बीता। गाँधीजी ने भारत में सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 ई. में चम्पारन में ही किया था।
वर्ष 1918 ई. में गाँधीजी गुजरात के अपने गृह राज्य में दो अभियानों में व्यस्त रहे। सर्वप्रथम उन्होंने अहमदाबाद के एक श्रम विवाद में हस्तक्षेप करके कपड़ा मिलों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए काम करने की बेहतर स्थितियों की माँग की। इसके पश्चात् उन्होंने खेड़ा में फसल चौपट होने पर राज्य में किसानों का लगान माफ करने की माँग की। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन आन्दोलनों ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा।
प्रश्न 24.
असहयोग आन्दोलन से भारतीयों ने क्या उम्मीदें लगा रखी थीं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1920 ई. के कलकत्ता अधिवेशन में महात्मा गाँधी के प्रस्ताव ‘असहयोग आन्दोलन’ से भारतवासियों को अत्यधिक आशाएँ थीं। इसे हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं –
- विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से देशी वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा।
- सरकारी उत्सवों का बहिष्कार कर देशी उत्सवों को प्रोत्साहन तथा पुनः प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।
- साम्प्रदायिक रूप से हिन्दू तथा मुस्लिमों में एकता स्थापित होगी।
- राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधने तथा राष्ट्रवाद को बढ़ाने में सहायता प्राप्त होगी।
- इस आन्दोलन से विभिन्न भारतीय नेताओं को एक मंच अवश्य प्राप्त होगा।
प्रश्न 25.
खिलाफत आन्दोलन की प्रमुख मांगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन (1919-20 ) मुहम्मद अली जिन्ना एवं शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था। इस आन्दोलन की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं –
- पहले के ऑटोमन साम्राज्य के समस्त इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे।
- जजीरात-उल-अरब ( अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन ) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें।
- खलीफा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित रखने योग्य बना सके।
प्रश्न 26.
मार्च 1922 में महात्मा गाँधी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के पश्चात् सजा सुनाते समय जस्टिस एन. ब्रूमफील्ड ने क्या टिप्पणी की?
उत्तर:
मार्च 1922 ई. में महात्मा गाँधीजी को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर जाँच की कार्यवाही करने वाली समिति की अध्यक्षता करने वाले जज जस्टिस सी. एन. ब्रूमफील्ड ने उन्हें सजा सुनाते समय महत्त्वपूर्ण भाषण दिया। जज ने अपनी टिप्पणी में लिखा ” इस बात को नकारना असम्भव होगा कि मैंने आज तक जिनकी जांच की है या करूंगा आप उनसे अलग श्रेणी के हैं इस तथ्य को नकारना असम्भव होगा कि आपके लाखों देशवासियों की दृष्टि में आप एक महान् देश-भक्त व नेता हैं।
यहाँ तक कि राजनीति में जो लोग आपसे अलग विचार रखते हैं वे भी आपको उच्च आदर्शों और पवित्र जीवन वाले व्यक्ति के रूप में देखते हैं।” चूँकि गाँधीजी ने कानून की अवहेलना की थी अतः उस न्यायपीठ के लिए गाँधीजी को 6 वर्ष की सजा सुनाया जाना आवश्यक था। लेकिन जज ब्रूमफील्ड ने कहा कि “यदि भारत में घट रही घटनाओं की वजह से सरकार के लिए सजा के इन वर्षों कराना सम्भव हुआ तो इससे नहीं होगा।” में कमी और आपको मुक्त मुझसे ज्यादा कोई प्रसन्न
प्रश्न 27.
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआ। इसके अनुसार, 26 जनवरी, 1930 को देश के विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर और देशभक्ति के गीत गाकर ‘स्वतन्त्रता दिवस’ मनाया गया। यह अधिवेशन दो दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण था –
(1) पं. जवाहरलाल नेहरू का अध्यक्ष के रूप में चुनाव, जो बुवा पीढ़ी को नेतृत्व की छड़ी सौंपने का प्रतीक था।
(2) इसमें पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई।
प्रश्न 28.
दाण्डी यात्रा के समय गाँधीजी ने वसना गाँव में ऊँची जाति वालों को संबोधित करते हुए क्या कहा था?
उत्तर:
गांधीजी ने उच्च जाति के लोगों से कहा, “यदि आप स्वराज के हक में आवाज उठाते हैं तो आपको दलितों की सेवा करनी पड़ेगी। सिर्फ नमक कर या अन्य करों की समाप्ति से ही स्वराज नहीं मिल जायेगा। स्वराज के लिए आपको अपनी उन गलतियों के लिए प्रायश्चित करना पड़ेगा जो आपने दलितों के साथ की हैं। स्वराज के लिए हिन्दू, मुसलमान, पारसी और सिक्ख सबको एकजुट होना पड़ेगा। ये स्वराज प्राप्त करने की सीढ़ियाँ हैं।”
प्रश्न 29.
गाँधीजी और नेहरूजी के आग्रह पर काँग्रेस ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर कौनसा प्रस्ताव पारित किया था?
उत्तर:
काँग्रेस ने ‘दो राष्ट्र सिद्धान्त’ को कभी स्वीकार नहीं किया था। जब उसे अपनी इच्छा के विरुद्ध विभाजन पर मंजूरी देनी पड़ी तो भी उसका दृढ़ विश्वास था कि “भारत बहुत सारे धर्मों और नस्लों का देश है और उसे ऐसे ही बनाए रखना चाहिए।” पाकिस्तान में हालात जो भी रहें, भारत “एक लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होगा जहाँ सभी नागरिकों को पूर्ण अधिकार प्राप्त होंगे तथा धर्म के आधार पर भेदभाव के बिना सभी को राज्य के द्वारा संरक्षण का अधिकार होगा।”
प्रश्न 30.
भारत विभाजन के समय हुए दंगों में गाँधीजी ने लोगों से क्या अपील की ?
उत्तर:
गांधीजी के जीवनी लेखक डी. जी. तेंदुलकर ने लिखा है कि सितम्बर और अक्टूबर के दौरान गाँधीजी “पीड़ितों को सांत्वना देते हुए अस्पतालों और शरणार्थी शिविरों में चक्कर लगा रहे थे।” उन्होंने “सिवानों, हेन्दुओं और मुसलमानों से अपील की कि वे अतीत को भुलाकर अपनी पीड़ा पर ध्यान देने के बजाय एक दूसरे के प्रति भाईचारे का हाथ बढ़ाने तथा शान्ति से रहने का संकल्प लें।”
प्रश्न 31.
गाँधीजी का भारत में राष्ट्रवाद के आधार को और अधिक व्यापक बनाने में किस प्रकार सफल रहे?
उत्तर:
महात्मा गाँधी का जनता से अनुरोध निस्सन्देह कपट से मुक्त था। भारतीय राजनीतिक के सन्दर्भ में तो बिना किसी संकोच के यह कहा जा सकता है कि वह अपने प्रयत्नों से राष्ट्रवाद के आधार को और अधिक व्यापक बनाने में सफल रहे। निम्न बिन्दुओं से यह तथ्य स्पष्ट है –
- गाँधीजी के नेतृत्व में भारत के विभिन्न भागों में कांग्रेस की नयी शाखाएँ खोली गयीं।
- रजवाड़ों में राष्ट्रवादी सिद्धान्त को बढ़ावा देने के लिए प्रजामण्डलों की स्थापना की गई। हम
- गाँधीजी ने राष्ट्रवादी सन्देश का प्रसारे अंग्रेजी भाषा में करने की बजाय मातृभाषा में करने को प्रोत्साहन दिया।
प्रश्न 32.
1943 में हुए सतारा आन्दोलन की महानता और विशेषता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1943 में महाराष्ट्र में सतारा जिले के कुछ नेताओं ने सेवा दलों और तूफान दलों (ग्रामीण इकाई) के साथ मिलकर एक प्रति (समानान्तर ) सरकार की स्थापना कर ली थी। उन्होंने सतारा में जन अदालतों का आयोजन किया और सम्पूर्ण महाराष्ट्र में रचनात्मक कार्य किए। कुनबी किसानों के दबदबे और दलितों के सहयोग से चलने वाली सतारा की प्रति सरकार, ब्रिटिश सरकार द्वारा किए जा रहे दमन के बावजूद 1946 के चुनाव तक चलती रही।
प्रश्न 33.
आप कैसे कह सकते हैं कि गाँधीजी सर्वसाधारण के पक्षधर एवं हिमायती थे? 1916 से 1918 के मध्य की घटनाओं से इस कथन की पुष्टि कीजिये।
उत्तर:
(1) फरवरी, 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन के समय गाँधीजी ने बोलते समय मजदूरों और गरीबों की उपेक्षा किये जाने की आलोचना की।
(2) गाँधीजी ने कहा कि हमारे लिए स्वशासन या स्वराज का तब तक कोई अर्थ नहीं है जब तक हम किसानों से उनके श्रम का लगभग सम्पूर्ण लाभ स्वयं या अन्य लोगों को ले लेने की अनुमति देते रहेंगे। दिसम्बर, 1916 में उन्होंने चंपारन में तथा 1918 में अहमदाबाद और खेड़ा में सत्याग्रह किये।
प्रश्न 34.
1919 में पास किए गए रौलेट एक्ट के प्रति भारतीय जनमानस की प्रतिक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1919 में रॉलेट एक्ट पास किया गया जिसके अनुसार –
(1) अंग्रेज बिना किसी कारण के भारतीयों को गिरफ्तार कर सकते थे तथा बिना मुकदमा चलाए उन्हें जेल में रख सकते थे।
(2) पंजाब जाते समय गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा स्थानीय नेता भी गिरफ्तार कर लिए गए।
(3) 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थी व निर्दोष जनता पर गोलियां चलवाई। इस भीषण नरसंहार में 400 लोग मारे गए।
प्रश्न 35.
गाँधीजी की दाण्डी यात्रा के बारे में विभिन्न स्रोतों द्वारा किन-किन बातों का पता लगा? लिखिए।
उत्तर:
(1) 12 मार्च, 1930 को गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दाण्डी के लिए कूच किया।
(2) पुलिस रिपोर्ट के अनुसार जगह-जगह गाँधीजी ने भाषण दिए जिसमें दलितों को उनका हक देने, सभी धर्मावलम्बियों को एकजुट होने का आह्वान किया।
(3) अमेरिकी पत्रिका टाइम ने पहले गांधीजी के कमजोर शरीर का मजाक उड़ाया। परन्तु बाद में टाइम ने लिखा कि यात्रा को भारी जनसमर्थन मिल रहा है।
प्रश्न 36.
दलितों के उत्थान में डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के प्रमुख योगदानों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ. अम्बेडकर दलितों के मसीहा थे। उन्होंने अपना तन-मन-धन दलितों के उत्थान में लगा दिया। उन्होंने प्रथम गोलमेज कान्फ्रेन्स में भाग लिया और उनकी दयनीय दशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में सवर्ण हिन्दुओं द्वारा दलितों के शोषण किए जाने की निन्दा की और उनके लिए पृथक् निर्वाचिका की माँग की। उन्होंने दलितों के लिए स्कूल खुलवाये।
प्रश्न 37.
“भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में जन-आन्दोलन था?” समालोचना कीजिये।
उत्तर:
अगस्त, 1942 में गाँधीजी ने अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ प्रारम्भ किया। यह आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे। इस आन्दोलन ने युवा वर्ग को बहुत बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। इस आन्दोलन के दौरान सतारा में स्वतंत्र’ सरकार भी बनी, जो 1946 तक चलती रही। वस्तुतः 1942 का आन्दोलन वास्तव में जन-आन्दोलन था।
प्रश्न 38.
जस्टिस सी. एन. बूमफील्ड ने गाँधीजी को सजा सुनाते हुए क्या कहा?
उत्तर:
जस्टिस सी. अपनी टिप्पणी में लिखा, “इस तथ्य को नकारना असम्भव होगा कि आपके लाखों देशवासियों की दृष्टि में आप एक महान देशभक्त और नेता हैं। यहाँ तक कि राजनीति में जो लोग आपसे भिन्न विचार रखते हैं वे भी आपको उच्च आदर्शों और पवित्र जीवन वाले व्यक्ति के रूप में देखते हैं। चूँकि गाँधीजी ने कानून की अवहेलना की थी, अतः उस न्यायपीठ के लिए गाँधीजी को 6 वर्षों की जेल की सजा सुनाया जाना जरूरी था।”
प्रश्न 39.
“गाँधीजी भारतीय राष्ट्रवाद को सम्पूर्ण भारतीय लोगों का और अधिक अच्छे ढंग से प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाना चाहते थे।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने महसूस किया कि भारतीय राष्ट्रवाद वकीलों, डॉक्टरों और जमींदारों जैसे विशिष्ट वर्गों द्वारा निर्मित था। फरवरी, 1916 में गाँधीजी ने बनारस हिन्दू ‘विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए कहा था कि “हमारी मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से ही हो सकती है, न तो वकील, न डॉक्टर, न ही जमींदार इसे सुरक्षित रख सकते हैं।” अतः गाँधीजी लाखों किसानों और मजदूरों को भारतीय राष्ट्रवाद का अभिन्न अंग बनाना चाहते थे।
प्रश्न 40.
गाँधीजी के बारे में कौनसी चमत्कारिक शक्तियों की अफवाहें फैली हुई थीं?
उत्तर:
(1) गाँधीजी के बारे में यह अफवाह भी फैली हुई थी कि उन्हें राजा द्वारा किसानों के दुःखों एवं कष्टों के निवारण के लिए भेजा गया था तथा उनके पास सभी स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों को अस्वीकृत करने की शक्ति थी
(2) गांधीजी की शक्ति ब्रिटिश सम्राट से उत्कृष्ट है और उनके आगमन से ब्रिटिश शासक जिलों से भाग जायेंगे। (3) गाँधीजी की आलोचना करने वाले गाँवों के लोगों के घर गिर गए या उनकी फसलें नष्ट हो गई।
प्रश्न 41.
गाँधीजी सामान्य जन से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गांधीजी आम लोगों की तरह रहते थे, उनकी ही तरह के वस्त्र पहनते थे तथा उनकी भाषा में बोलते थे। गाँधीजी लोगों के बीच एक साधारण धोती में जाते थे। वे किसानों, मजदूरों, कारीगरों, गरीबों, दलितों से गहरी सहानुभूति रखते थे। वे प्रतिदिन कुछ समय के लिए चरखा चलाते थे। वे मानसिक एवं शारीरिक परिश्रम में कोई भेद नहीं मानते थे।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए –
(1) रॉलेट एक्ट
(ii) खिलाफत आन्दोलन।
उत्तर:
(i) रॉलेट एक्ट यद्यपि प्रथम विश्व- बुद्ध (1914-18) के दौरान भारतवासियों ने अंग्रेजों की तन-मन-धन से सहायता की थी, परन्तु विश्वयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को कुचलने के लिए कठोर कानून बनाये। 1919 में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पास किया जिसके अनुसार किसी भी भारतीय को बिना किसी जाँच के कारावास में बन्द किया जा सकता था। रॉलेट एक्ट के पारित किये जाने से गाँधीजी को प्रबल आघात पहुँचा। उन्होंने इस काले कानून के विरुद्ध एक देशव्यापी अभियान चलाया। गाँधीजी की अपील पर अनेक नगरों में हड़ताल की गई।
दिल्ली में लोगों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एक जुलूस निकाला जिस पर पुलिस ने गोलियाँ चलाई जिससे अनेक लोग मारे गए। गाँधीजी को पलवल (हरियाणा) नामक रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया। इससे भारतवासियों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ। पंजाब के लोगों ने रॉलेट एक्ट का घोर विरोध किया।
ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर के स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में लोगों ने एक विशाल सभा आयोजित की। एक अंग्रेज ब्रिगेडियर डाबर ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलवार्थी, जिससे 400 से अधिक लोग मारे गए और हजारों घायल हो गए, इस पर गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया।
(ii) खिलाफत आन्दोलन खिलाफत आन्दोलन (1919-20 ) मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था।
इस आन्दोलन की प्रमुख माँगें निम्नलिखित –
- पहले के आटोमन साम्राज्य के सभी इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे।
- जंजीरात-उल-अरब इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहे।
- खलीफा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित रखने योग्य बन सके।
गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए खिलाफत आन्दोलन को इसका अंग बनाया। उन्होंने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।
प्रश्न 2.
तीनों गोलमेज सम्मेलनों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
तीनों गोलमेज सम्मेलनों को निम्नलिखित शीर्षकों के माध्यम से समझ सकते हैं –
(1) प्रथम गोलमेज सम्मेलन भारतीय संविधान पर विचार करने के लिये लन्दन में 12 नवम्बर, 1930 को प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में कुल 57 भारतीयों ने भागीदारी की। यह वह समय था जब भारत के प्रायः सभी प्रमुख नेता सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण जेल में बन्द थे। इस सम्मेलन में प्रायः कुछ साम्प्रदायिक समस्याओं पर ही चर्चा हुई। इस सम्मेलन में दुर्भाग्य से कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।
(2) द्वितीय गोलमेज सम्मेलन – प्रथम गोलमेज सम्मेलन की असफलता के उपरान्त द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की सफलता के लिये अंग्रेजों ने अत्यधिक प्रयास किये, इसके लिये उन्होंने गाँधीजी को रिहा कर दिया। यहाँ गाँधी- इर्विन में समझौता हुआ था। गाँधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार किया। 7 सितम्बर, 1931 को लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इसमें गाँधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। गाँधीजी का कहना था कि उनकी पार्टी भारत का प्रतिनिधित्व करती है, परन्तु उनके इस दावे को तीन पार्टियों ने चुनौती दी थी। इस सम्मेलन में भाग ले रहे मुस्लिम लीग के जिन्ना का कहना था कि उनकी पार्टी मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हित में काम करती है। अनेक रियासतों के प्रतिनिधि भी इस सम्मेलन में सम्मिलित हुए। उनका दावा था कि कांग्रेस का उनके नियन्त्रण वाले भू-भाग पर कोई प्रभुत्व नहीं है। तीसरी चुनौती डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की ओर से थी। उनका कहना था कि गांधीजी व कांग्रेस पार्टी निचली जातियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।
(3) तृतीय गोलमेज सम्मेलन-जिन दिनों भारत में महात्मा गाँधी ने सशक्तता के साथ सविनय अवज्ञा आन्दोलन चला रखा था उसी समय लन्दन में तृतीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इंग्लैण्ड की एक मुख्य लेबर पार्टी ने इसमें भाग नहीं लिया। भारत में कांग्रेस पार्टी ने भी इस सम्मेलन का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया था। वे भारतीय प्रतिनिधि जो सिर्फ अंग्रेजों की हाँ में हाँ मिलाते थे, ने इस सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में लिये गये निर्णयों को श्वेत-पत्र के रूप में प्रकाशित किया गया। इस श्वेत-पत्र के आधार पर 1935 का भारत सरकार अधिनियम पारित किया गया। कांग्रेस के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
प्रश्न 3.
असहयोग आन्दोलन एक तरह का प्रतिरोध कैसे था? उल्लेख कीजिए।
अथवा
असहयोग आन्दोलन के कारणों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों एवं प्रगति पर एक निबन्ध लिखिए।
अथवा
महात्मा गाँधी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन कब आरम्भ हुआ? इसके उद्देश्य तथा कार्यक्रम क्या थे? यह आन्दोलन क्यों समाप्त हुआ?
अथवा
असहयोग आन्दोलन पर एक लेख लिखिए। उत्तर- असहयोग आन्दोलन के कारण 1920 में गांधीजी द्वारा संचालित असहयोग आन्दोलन के निम्नलिखित कारण थे –
(1) रॉलेट एक्ट 1919 में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित किया जिसके अनुसार किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था। गाँधीजी ने देशभर में ‘रॉलेट एक्ट’ के विरुद्ध एक अभियान चलाया। पंजाब जाते समय गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया।
(2) जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड-13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक सार्वजनिक सभा आयोजित की गई। जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया। इस बर्बरतापूर्ण कार्यवाही में 400 लोग मारे गए तथा सैकड़ों लोग घायल हो गए।
(3) खिलाफत आन्दोलन-गाँधीजी ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों के अन्तर्गत निम्नलिखित बातें सम्मिलित थीं –
- सरकारी स्कूलों तथा कॉलेजों का बहिष्कार करना
- सरकारी उपाधियों तथा अवैतनिक पदों का बहिष्कार करना
- सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार करना
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना तथा स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना।
आन्दोलन की प्रगति ( असहयोग आन्दोलन प्रतिरोध के रूप में ) – कलकत्ता अधिवेशन में असहयोग आन्दोलन के प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार कर लिया गया। हजारों विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों तथा कॉलेजों का बहिष्कार किया तथा वकीलों ने अदालत जाने मना कर दिया। अनेक नगरों में हड़तालें हुई। 1921 में 396 हड़तालें हुई जिनमें 6 लाख श्रमिक शामिल थे। उत्तरी आंध्र के पहाड़ी लोगों ने वन्य कानूनों का उल्लंघन किया। अवध के किसानों ने कर नहीं चुकाया। स्वदेशी का प्रचार हुआ और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया। सरकार ने अनेक कांग्रेसी नेताओं को जेलों में बन्द कर दिया।
चौरी-चौरा काण्ड-5 फरवरी, 1922 को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा नामक गाँव में पुलिस ने कांग्रेस के सत्याग्रहियों पर गोलियाँ चलाई तो भीड़ क्रुद्ध हो उठी और उसने एक थाने में आग लगा दी। इसके फलस्वरूप एक थानेदार तथा 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। चौरी-चौरा काण्ड से गाँधीजी को प्रबल आघात पहुँचा और उन्होंने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया। 10 मार्च, 1922 को सरकार ने गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया और न्यायाधीश ग्रूमफील्ड ने उन्हें 6 वर्ष के कारावास की सजा दी।
असहयोग आन्दोलन का महत्त्व एवं प्रभाव –
(1) सकारात्मक आन्दोलन लुई फिशर के अनुसार असहयोग भारत और गाँधीजी के जीवन के एक युग का ही नाम हो गया। असहयोग शान्ति की दृष्टि से नकारात्मक किन्तु प्रभाव की दृष्टि से बहुत सकारात्मक था। इसके लिए प्रतिवाद, परित्याग तथा स्व-अनुशासन आवश्यक थे यह स्वशासन के लिए एक प्रशिक्षण था।
(2) अंग्रेजी शासन की नींव हिलना-1857 के विद्रोह के बाद पहली बार असहयोग आन्दोलन के परिणामस्वरूप अंग्रेजी शासन की नींव हिल गई।
(3) जन-आन्दोलन-असहयोग आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को व्यापक एवं जनप्रिय बना दिया।
(4) राष्ट्रीयता का प्रसार असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया 1922 तक गाँधीजी ने भारतीय राष्ट्रवाद को एकदम परिवर्तित कर दिया।
प्रश्न 4.
ब्रिटिश सरकार ने गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन क्यों किया? काँग्रेस का इन सम्मेलनों के प्रति क्या रुख रहा? इनका क्या परिणाम निकला?
अथवा
गोलमेज सम्मेलन क्यों आयोजित किये गए? इनके कार्यों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
पृष्ठभूमि भारत में लागू किए जाने वाले संवैधानिक सुधारों के बारे में चर्चा करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने तीन बार गोलमेज सम्मेलनों का आयोजन लंदन में किया। लेकिन इन सम्मेलनों का कोई भी सार्थक परिणाम नहीं निकला।
(1) प्रथम गोलमेज सम्मेलन – भारतीय राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से 1930 में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का लंदन में आयोजन किया गया। इसमें ब्रिटिश सरकार के समर्थक मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा के प्रतिनिधि भी शामिल हुए लेकिन कॉंग्रेस का कोई भी प्रतिनिधि इसमें शामिल नहीं हुआ क्योंकि उस समय सविनय अवज्ञा आन्दोलन चल रहा था। आधारभूत मुद्दों पर किसी सहमति के बिना 1931 में यह सम्मेलन स्थगित कर दिया गया। कॉंग्रेस की गैरहाजिरी में यह सम्मेलन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया।
(2) द्वितीय गोलमेज सम्मेलन – 1931 के आखिर में दूसरा गोलमेज सम्मेलन लन्दन में आयोजित किया गया। इसमें गाँधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। इस सम्मेलन में गांधीजी ने मुस्लिम लीग की पृथक् निर्वाचिका की माँग का विरोध करते हुए पूर्ण स्वराज्य की माँग की। गाँधीजी का कहना था कि उनका दल सम्पूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
परन्तु मुस्लिम लीग, राजे- रजवाड़ों तथा डॉ. अम्बेडकर ने गाँधीजी के दावे को चुनौती दी। मुस्लिम लीग के अनुसार कांग्रेस मुसलमानों का, राजे- रजवाड़ों के अनुसार कांग्रेस देशी रियासतों का तथा डॉ. अम्बेडकर के अनुसार कांग्रेस दलितों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। इस प्रकार दूसरा सम्मेलन भी किसी परिणाम पर नहीं पहुँचा और गाँधीजी को खाली हाथ लौटना पड़ा।
(3) तृतीय गोलमेज सम्मेलन राजनीतिक स्थिति की समीक्षा के लिए तथा संवैधानिक सुधार लागू करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1932 में तीसरा गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया। काँग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया। इसमें इंग्लैण्ड के एक मुख्य राजनीतिक दल लेबर पार्टी ने भी भाग नहीं लिया। इसमें कुछ ऐसे भारतीय प्रतिनिधि सम्मिलित हुए जो अंग्रेजों की हाँ में हाँ मिलाते थे। अन्त में तीनों गोलमेज सम्मेलनों में हुई चर्चाओं के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने 1933 में एक श्वेत पत्र जारी किया, जिसके आधार पर 1935 का भारत सरकार का अधिनियम पारित किया गया।
प्रश्न 5.
“भारत छोड़ो आन्दोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ गाँधीजी का तीसरा बड़ा आन्दोलन था।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया। अगस्त, 1942 ई. में शुरू किए गए इस आन्दोलन को ‘अंग्रेज भारत छोड़ो’ के नाम से जाना गया।
भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने के कारण –
(i) अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति- सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी व जवाहरलाल नेहरू दोनों ही हिटलर व नात्सियों के आलोचक थे। तदनुरूप उन्होंने फैसला किया कि यदि अंग्रेज युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को स्वतन्त्रता देने पर सहमत हों तो कांग्रेस उनके बुद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है। ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस घटनाक्रम ने अंग्रेजी साम्राज्यवादी नीति के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु प्रोत्साहित किया।
(i) क्रिप्स मिशन की असफलता द्वितीय विश्व युद्ध में कांग्रेस व गाँधीजी का समर्थन प्राप्त करने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमन्त्री विंस्टन चर्चिल ने अपने एक | मन्त्री सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि यदि धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद् में किसी भारतीय को एक रक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त करना चाहिए। इसी बात पर वार्ता टूट गयी। क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् गाँधीजी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने का फैसला किया।
भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ-9 अगस्त, 1942 ई. को गाँधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लिया। कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया तथा सभाओं, जुलूसों व समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिए गए। इसके बावजूद देशभर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों एवं तोड़फोड़ की कार्यवाहियों के माध्यम से आन्दोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत होकर अपनी गतिविधियों को चलाते रहे।
आन्दोलन का अन्त-अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रति कठोर रवैया अपनाया फिर भी इस विद्रोह का दमन करने में साल भर से अधिक समय लग गया।
आन्दोलन का महत्त्व भारत छोड़ो आन्दोलन में लाखों की संख्या में आम भारतीयों ने भाग लिया तथा हड़तालों एवं तोड़-फोड़ के माध्यम से आन्दोलन को आगे बढ़ाते रहे। इस आन्दोलन के कारण भारत की ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार यह बात अच्छी तरह जान गई कि जनता में कितना व्यापक असन्तोष है। सरकार समझ गई कि अब वह भारत में ज्यादा दिनों तक शासन नहीं कर पायेगी।
प्रश्न 6.
भारत को स्वतंत्र कराने में गाँधीजी के योगदान का वर्णन कीजिए।’
अथवा
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी के योगदान का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
भारत को स्वतंत्र कराने में गाँधीजी का योगदान भारत को आजादी दिलाने में गाँधीजी की भूमिका मुख्य थी। उन्होंने सत्याग्रह और शान्तिपूर्ण अहिंसा का सहारा लेकर ताकतवर ब्रिटिश साम्राज्य को झुकने पर मजबूर कर दिया। भारत को स्वतंत्र कराने में गांधीजी के योगदान को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है –
(1) भारतीय राष्ट्र के पिता-राष्ट्रवाद के इतिहास में प्रायः एक अकेले व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण के साथ जोड़कर देखा जाता है। महात्मा गाँधी को भारतीय राष्ट्र का ‘पिता’ माना गया है क्योंकि गाँधीजी स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लेने वाले सभी नेताओं में सर्वाधिक प्रभावी और सम्मानित थे।
(2) भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों का कुशलतापूर्वक संचालन –
- असहयोग आन्दोलन – 1920 में गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन चलाया जिसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया। उनके कहने पर भारतीयों ने चाहे वे क्लर्क थे, वकील थे या कारीगर थे, सबने अपना काम करना बन्द कर दिया। विद्यार्थियों ने विद्यालय जाना छोड़ दिया। सभी आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
- सविनय अवज्ञा आन्दोलन – 1930 में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने नमक कानून तोड़ा जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
- भारत छोड़ो आन्दोलन अगस्त – 1942 में गाँधीजी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू किया। गाँधीजी ने इसके लिए ‘करो या मरो’ का नारा बुलन्द किया था।
(3) स्वदेशी आन्दोलन – गाँधीजी ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों के अन्तर्गत स्वदेशी आन्दोलन का समर्थन किया।
(4) भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को विशिष्टवर्गीय आन्दोलन से जनांदोलन बनाया-भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गाँधीजी का सबसे बड़ा योगदान राष्ट्रीय आन्दोलन को जन-आन्दोलन में परिणत करने का था। गाँधीजी ने अपनी पहली महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक सभा, जो फरवरी, 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में हुई, में अपने भाषण में मजदूर गरीबों की ओर ध्यान न देने के कारण भारतीय विशिष्ट वर्ग को आड़े हाथों लिया। इसके बाद उन्होंने अपनी वेशभूषा को गरीब भारतीयों की वेशभूषा के अनुरूप ढाला ताकि गरीब जनता उसे अपने जैसा समझते हुए राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़े इसके अतिरिक्त उन्होंने विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द बढ़ाने का प्रयास किया।
(5) समाज सुधारक गाँधीजी महान समाज सुधारक भी थे। उनका विश्वास था कि स्वतंत्रता के योग्य बनने के लिए भारतीयों को बाल विवाह और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्त होना पड़ेगा। एक मत के भारतीयों को दूसरे मत के भारतीयों के लिए सच्चा संयम लाना होगा और इस प्रकार उन्होंने हिन्दू-मुसलमानों के बीच सौहार्द पर बल दिया। उन्होंने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार और स्वदेशी के अपनाने तथा खादी पहनने पर बल दिया।
(6) हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक गाँधीजी हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने साम्प्रदायिक दंगों का घोर विरोध किया और देश में शान्ति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता बनाये रखने के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान कर दिया।
प्रश्न 7.
महात्मा गाँधी केवल राजनीतिक नेता ही नहीं थे, वे एक समाज सुधारक तथा आर्थिक सुधारक भी थे। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
एक राजनीतिज्ञ के रूप में गांधीजी का महत्त्व तब पता चलता है जब उन्होंने अहिंसक आन्दोलन चलाकर एक साम्राज्यवादी ताकत को हिलाकर रख दिया और देश को आजादी दिलाकर ही दम लिया लेकिन वे एक समाज सुधारक और आर्थिक सुधारक भी थे। यथा –
(1) गाँधीजी एक समाज सुधारक के रूप में- प्रथमतः, गाँधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित की तथा उन्हें अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एकजुट किया। इसका उदाहरण खिलाफत आन्दोलन के साथ असहयोग आन्दोलन को जोड़ना था। दूसरे, समाज सुधारक के रूप में उन्होंने जातीय प्रथा का। विरोध किया। उन्होंने यथासम्भव दलितों का उद्धार किया तथा पहली बार अछूतों को हरिजन नाम से संबोधित किया। उनके उद्धार के लिए हरिजन नामक पत्र निकाला। ये छुआछूत के विरुद्ध लड़े तथा सभी वर्गों और धर्मों से सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध बनाने पर बल दिया। तीसरे, उन्होंने बाल विवाह, छुआछूत का विरोध किया तथा भारतीयों को मत-मतांतरों के बीच सच्चा संगम लाने पर बल दिया।
(2) आर्थिक सुधारक के रूप में एक आर्थिक सुधारक के रूप में उन्होंने निम्न प्रमुख कार्य किए
(i) आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए उन्होंने चरखा चलाने तथा खादी पहनने पर बल दिया जिससे देशी कपड़ा उद्योग को बढ़ावा मिला। गाँवों के विकास और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जिन्हें छोटी पूँजी से परिवार के सदस्य घर से चलाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते थे। उन्होंने मशीनीकरण की नीति का विरोध किया। वे इस बात के विरुद्ध थे कि धन का केन्द्रीकरण केवल कुछ ही लोगों के हाथों में हो जाए।
(ii) उन्होंने अहमदाबाद के मिल मजदूरों को अपना वेतन बढ़वाने के लिए हड़ताल करने को कहा तथा भारत के सभी वर्गों में आर्थिक समानता लाने पर जोर दिया।
(iii) गाँधीजी किसानों के हित के लिए लड़े तथा उनकी रक्षा के लिए स्वयं आगे आए। चंपारन सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह इसके उदाहरण हैं। गाँधीजी के उपर्युक्त कार्यों के आधार पर हम सकते हैं कि गाँधीजी केवल एक राजनीतिक नेता ही नहीं थे अपितु वे समाज सुधारक तथा आर्थिक सुधारक के रूप में भी हमारे सामने आए वे आजादी दिलाने के साथ-साथ देश की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में भी सुधार लाए।
प्रश्न 8.
“1919 तक महात्मा गाँधी ऐसे राष्ट्रवादी के रूप में उभर चुके थे, जिनमें गरीबों के प्रति गहरी सहानुभूति थी।” उदाहरण सहित कथन को सिद्ध कीजिए।
अथवा
भारत में गाँधीजी द्वारा किए गए शुरुआती सत्याग्रहों का वर्णन कीजिए। ये सत्याग्रह गाँधीजी के राजनीतिक जीवन में कहाँ तक सहायक हुए ?
अथवा
चम्पारन सत्याग्रह का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
उत्तर:
1915 में दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटने के बाद गाँधीजी ने प्रारम्भ में कई सत्याग्रह किए जिनका विवरण इस प्रकार है –
(1) चम्पारन सत्याग्रह – गाँधीजी ने अपना प्रथम सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारन नामक स्थान पर किया। वहाँ पर जो किसान नील की खेती करते थे उन पर यूरोपीय निलहे बहुत अत्याचार करते थे। उन किसानों ने गाँधीजी को अपनी समस्या बताई। इस पर गाँधीजी चंपारन पहुँचे। अन्त में सरकार ने किसानों की शिकायतों को दूर करने हेतु कदम उठाये।
(2) खेड़ा सत्याग्रह – 1918 में गुजरात के खेड़ा जिले में फसल खराब होने से किसानों की हालत खराब हो गई। किसानों ने लगान देने से मना कर दिया। गाँधीजी ने उनकी बात का समर्थन किया। यहाँ भी सरकार को झुकना पड़ा और यह निर्णय लिया गया कि जो किसान लगान देने में सक्षम हैं उन्हें ही जमा कराने का आदेश दें। अतः कुछ समय बाद यह आन्दोलन खत्म हो गया।
(3) अहमदाबाद के मिल मजदूरों का संघर्ष – 1918 में अहमदाबाद के कपड़ा मिल मजदूरों ने अपने वेतन को | बढ़वाने के लिए मिल मालिकों से कहा लेकिन मिल- मालिकों ने मना कर दिया। इस पर मजदूरों ने हड़ताल कर दी। गाँधीजी ने मिल मजदूरों की माँग को जायज बताया और अनशन शुरू कर दिया। अन्त में मिल मालिकों ने उनकी बात मान ली। गाँधीजी ने अपना अनशन समाप्त कर दिया तथा हड़ताल भी खत्म हो गई।
(4) सर्वसाधारण के प्रति सहानुभूति-गाँधीजी की आम भारतीयों के प्रति गहरी सहानुभूति थी वे किसानों के शोषण से दुःखी थे। फरवरी, 1916 में उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए कहा था कि “हमारी मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से ही हो सकती है, न तो वकील, न डॉक्टर, न ही जमींदार इसे सुरक्षित रख सकते हैं।” गाँधीजी का कहना था कि हमारे लिए स्वशासन या स्वराज का तब तक कोई अर्थ नहीं है, जब तक हम किसानों से उनके श्रम का लगभग सम्पूर्ण लाभ स्वयं या अन्य लोगों को ले लेने की अनुमति देते रहेंगे।
(5) रोलेट एक्ट सत्याग्रह 1919 में गाँधीजी ने ‘रोलेट एक्ट’ के विरुद्ध सम्पूर्ण देश में सत्याग्रह चलाया। दिल्ली और अनेक शहरों में लोगों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन किया और विशाल जुलूस निकाले पंजाब जाते समय गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अतिरिक्त हजारों कार्यकर्ताओं को जेलों में बंद कर दिया गया। उपर्युक्त आन्दोलनों का कुशल नेतृत्व करने के कारण गाँधीजी भारत के राजनीतिक आकाश पर छा गये और एक जननेता के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। 1919 तक गाँधीजी ऐसे राष्ट्रवादी के रूप में उभर चुके थे, जिनमें गरीबों के प्रति गहरी सहानुभूति थी।
प्रश्न 9.
1930 में गाँधीजी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन का वर्णन कीजिये। यह आन्दोलन कहाँ तक सफल हुआ?
अथवा
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का वर्णन कीजिये। इसका हमारे स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन के निम्नलिखित कारण थे –
1. साइमन कमीशन – 3 फरवरी, 1928 को साइमन कमीशन जब बम्बई पहुँचा तो उसका प्रबल विरोध हुआ क्योंकि इसमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। सरकार की दमनकारी नीति के कारण जनता में तीव्र आक्रोश व्याप्त था।
2. पूर्ण स्वराज्य की माँग-दिसम्बर, 1929 में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में कॉंग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआ। 31 दिसम्बर, 1929 को अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास किया गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन (दांडी यात्रा) का प्रारम्भ स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने के तुरन्त बाद गाँधीजी ने घोषणा की कि वे ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित ‘नमक- कानून’ को तोड़ने के लिए एक यात्रा का नेतृत्व करेंगे। नमक पर राज्य का एकाधिपत्य बहुत अलोकप्रिय था। लोगों को दुकानों से ऊँचे दाम पर नमक खरीदने के लिए बाध्य किया जाता था। यह राष्ट्रीय सम्पदा के लिए विनाशकारी था। नमक कर लोगों को बहुमूल्य सुलभ ग्राम उद्योग से वंचित करता था।
12 मार्च, 1930 को गाँधीजी ने अपने 78 आश्रमवासियों को साथ लेकर साबरमती आश्रम से दांडी (डाण्डी) नामक स्थान की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने लगभग 200 मील की यात्रा पैदल चलकर 24 दिन में तब की 5 अप्रैल, 1930 को वे दाण्डी पहुँचे और 6 अप्रैल को वहाँ उन्होंने मुट्ठीभर नमक बनाकर कानून का उल्लंघन किया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति –
- देश के विशाल भाग में किसानों ने दमनकारी औपनिवेशिक वन कानूनों का उल्लंघन किया।
- कुछ कस्बों में फैक्ट्री कामगार हड़ताल पर चले गये।
- वकीलों ने ब्रिटिश अदालतों का बहिष्कार किया।
- विद्यार्थियों ने सरकारी शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने से इनकार कर दिया।
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना, विदेशी वस्त्रों की होली जलाना तथा स्वदेशी का प्रयोग करना, सविनय अवज्ञा आन्दोलन का एक अन्य कार्यक्रम था।
(1) अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति- सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया। कांग्रेस ने अंग्रेजों को युद्ध में समर्थन देने के लिए दो प्रमुख माँगें प्रस्तुत की –
- युद्ध की समाप्ति के बाद भारत को स्वतंत्रता प्रदान की जाए।
- युद्धकाल में केन्द्र में भारतीयों की राष्ट्रीय सरकार का गठन किया जाए। ब्रिटिश सरकार ने इन मांगों को ठुकरा दिया। अन्ततः 1939 में 8 प्रांतों में कॉंग्रेसी मंत्रिमण्डलों ने त्याग पत्र दे दिया और उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय कर लिया।
(2) क्रिप्स मिशन की विफलता – द्वितीय विश्व युद्ध में काँग्रेस का सहयोग प्राप्त करने की दृष्टि से चर्चिल ने अपने एक मंत्री सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि अगर धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन काँग्रेस का समर्थन चाहता है तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद में किसी भारतीय को एक रक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त करना चाहिए। इसी बात पर वार्ता टूट गई। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद गाँधीजी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू करने का फैसला लिया। भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ- 8 अगस्त, 1942 को मुम्बई में काँग्रेस के विशेष अधिवेशन में गाँधीजी का ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास कर दिया गया।
आन्दोलन की प्रगति – सरकार ने भारत छोड़ो आन्दोलन की घोषणा के बाद 9 अगस्त, 1942 को ही गांधीजी, नेहरूजी आदि अनेक प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इसके बावजूद सम्पूर्ण भारत में हड़तालें और सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए। काँग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोध गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे।
पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में ‘स्वतंत्र’ सरकार (प्रति सरकार) की स्थापना कर दी गई थी।
आन्दोलन का अन्त- अंग्रेजों ने आन्दोलन के प्रति सख्त रवैया अपनाया, फिर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को सालभर से अधिक समय लगा। भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्त्व और परिणाम इस आन्दोलन के निम्न प्रमुख परिणाम निकले –
(1) भारत में राजनीतिक जागृति- भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे। इसके फलस्वरूप भारत में राजनीतिक जागृति में वृद्धि हुई। अब ब्रिटिश सरकार को पता चल गया कि अब वह भारत में अधिक दिनों तक शासन नहीं कर पाएगी।
(2) राष्ट्रीय आन्दोलन में युवकों का प्रवेश – इस आन्दोलन ने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया।
(3) मुस्लिम लीग ने पंजाब व सिन्ध में अपनी पहचान बनाई – इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप मुस्लिम लीग को पंजाब तथा सिन्ध में अपना प्रभाव बढ़ाने का अवसर मिला।