Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 वैश्वीकरण
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. भारत में नई आर्थिक नीति शुरू हुई।
(अ) 1990 में
(ब) 1991 में
(स) 1992 में
(द) 1993 में
उत्तर:
(ब) 1991 में
2. एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का प्रवाह है।
(अ) विश्व के एक हिस्से से विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना
(ब) पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना
(स) वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
3. निम्न में से कौनसा वैश्वीकरण का कारण नहीं है।
(अ) किसी देश की पारंपरिक वेशभूषा
(ब) प्रौद्योगिकी
(स) विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव
(द) संचार के साधनों की तरक्की
उत्तर:
(अ) किसी देश की पारंपरिक वेशभूषा
4. वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की शक्ति में वृद्धि हुई है।
(अ) कानून-व्यवस्था के सम्बन्ध में
(ब) राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में
(स) नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटाने के सम्बन्ध में
(द) आर्थिक कार्यों के सम्बन्ध में
उत्तर:
(स) नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटाने के सम्बन्ध में
5. वैश्वीकरण के कारण जिस सीमा तक वस्तुओं का प्रवाह बढ़ा है उस सीमा तक प्रवाह नहीं बढ़ा है।
(अ) पूँजी का
(ब) व्यापार का
(स) लोगों की आवाजाही का
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) लोगों की आवाजाही का
6. आर्थिक वैश्वीकरण का दुष्परिणाम है।
(अ) व्यापार में वृद्धि
(ब) पूँजी के प्रवाह में वृद्धि
(स) जनमत के विभाजन में वृद्धि
(द) विचारों के प्रवाह में वृद्धि
उत्तर:
(स) जनमत के विभाजन में वृद्धि
7. भारत में नई आर्थिक नीति के संचालक हैं।
(अ) डॉ. मनमोहन सिंह
(ब) यशवन्त सिन्हा
(स) वी. पी. सिंह
(द) इन्दिरा गांधी
उत्तर:
(अ) डॉ. मनमोहन सिंह
8. टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच किसकी क्रांति कर दिखाई है?
(अ) विचार की
(ब) संचार की
(स) पूँजी की
(द) वस्तु की
उत्तर:
(ब) संचार की
9. वैश्वीकरण के किस प्रभाव ने पूरे विश्व के जनमत को गहराई से बाँट दिया है?
(अ) आर्थिक
(ब) सामाजिक
(स) राजनीतिक
(द) व्यावहारिक
उत्तर:
(अ) आर्थिक
10. वैश्वीकरण के किस प्रभाव को देखते हुए इस बात का भय है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृति को खतरा पहुँचाएगी?
(अ) राजनीतिक
(ब) आर्थिक
(स) सांस्थानिक
(द) सांस्कृतिक
उत्तर:
(द) सांस्कृतिक
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1…………………….. वैश्वीकरण की प्रक्रियाओं के समर्थकों का तर्क है कि इससे समृद्धि बढ़ती है।
उत्तर:
आर्थिक
2. कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का ……………………. कहा है।
उत्तर:
पुनः उपनिवेशीकरण
3. वैश्वीकरण एक ………………………….. धारणा है।
उत्तर:
बहुआयामी
4. वैश्वीकरण से हर संस्कृति अलग और विशिष्ट हो रही है, इस प्रक्रिया को ……………….. कहते हैं।
उत्तर:
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण
5. औपनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का ……………………….. तथा बने-बनाये सामानों का ………………… देश था।
उत्तर:
निर्यातक, आयातक
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण का बुनियादी अर्थ क्या है?
उत्तर:
वैश्वीकरण का बुनियादी अर्थ है – विचार, पूँजी, वस्तु और सेवाओं का विश्वव्यापी प्रवाह।
प्रश्न 2.
वर्ल्ड सोशल फोरम (W.S.F.) क्या है?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम वैश्वीकरण का विरोध करने वाले पर्यावरणविदों, मजदूरों, युवकों और महिला कार्यकर्ताओं का एक विश्वव्यापी मंच है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की नीति में अभी भी सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन कौन-सा है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी।
प्रश्न 4.
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ की पहली बैठक कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम की पहली बैठक 2001 में ब्राजील में हुई।
प्रश्न 5.
वर्ल्ड सोशल फोरम की चौथी बैठक कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम की चौथी बैठक 2004 में मुम्बई में हुई।
प्रश्न 6.
जनार्दन काल सेंटर में काम करते हुए हजारों किलोमीटर दूर बसे अपने ग्राहकों से बात करता है, यह वैश्वीकरण का कौनसा पक्ष है?
उत्तर:
इसमें जनार्दन सेवाओं के वैश्वीकरण में हिस्सेदारी कर रहा है।
प्रश्न 7.
कोमिन्टर्न का सम्बन्ध किस एशियाई देश से था?
उत्तर:
कोमिन्टर्न का सम्बन्ध साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद के शिकार हुए चीन से था।
प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरंतरता से क्या पैदा हुआ है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विभिन्न प्रवाहों की निरन्तरता से ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा हुआ है।
प्रश्न 9.
राष्ट्रवाद की आधारशिला किस प्रौद्योगिकी ने रखी?
उत्तर:
छपाई (मुद्रण) की तकनीक ने।
प्रश्न 10.
किन आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार क्रांति कर दिखाई है?
उत्तर:
टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने।
प्रश्न 11.
विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी किसके कारण संभव हुई है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण।
प्रश्न 12.
कोई ऐसी दो घटनाओं के नाम लिखिये जो राष्ट्रीय सीमाओं का जोर नहीं मानतीं।
उत्तर:
- बर्ड फ्लू
- सुनामी किसी एक राष्ट्र की हदों में सिमटे नहीं रहते।
प्रश्न 13.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व में कल्याणकारी राज्य की धारणा की जगह किस धारणा ने ले ली है?
उत्तर:
न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा ने।
प्रश्न 14.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत राज्य अब किन कामों तक ही अपने को सीमित रखता है?
उत्तर:
राज्य अब कानून और व्यवस्था को बनाए रखने तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करने तक ही अपने को. सीमित रखता है।
प्रश्न 15.
भूमंडलीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यातायात और संचार के साधनों ने दुनिया के देशों को एक-दूसरे से जोड़कर विश्व ग्राम में बदल दिया है। इसी को भूमंडलीकरण कहते हैं।
प्रश्न 16.
वैश्वीकरण के दौर में अब आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक कौन है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के दौर में अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।
प्रश्न 17.
वैश्वीकरण के जिम्मेदार कोई दो कारण बताइये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के जिम्मेदार दो कारण ये हैं।
- प्रौद्योगिकी में तरक्की
- विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव।
प्रश्न 18.
वैश्वीकरण के कारण किस क्षेत्र में राज्य की शक्ति में वृद्धि हुई है?
उत्तर:
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते अब राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं
प्रश्न 19.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए किस भय को बल मिला है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस भय को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी ।
प्रश्न 20.
विश्व – संस्कृति के नाम पर क्या हो रहा है?
उत्तर:
विश्व – संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है।
प्रश्न 21.
वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का एक सकारात्मक प्रभाव यह है कि इससे हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है।
प्रश्न 22.
औपनिवेशिक दौर में भारत किस प्रकार का देश था?
उत्तर:
पनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक तथा बने-बनाए सामानों का आयातक देश था।
प्रश्न 23.
स्वतंत्रता के बाद भारत ने आर्थिक दृष्टि से कौनसी नीति अपनाई?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाई।
प्रश्न 24.
संरक्षणवाद की नीति क्या है?
उत्तर;
संरक्षणवाद की नीति वैश्वीकरण का विरोध करती है तथा देशी उद्योगों एवं वस्तुओं को प्रतिस्पर्द्धा से बचाने हेतु चुंगी तथा तटकर का पक्ष लेती है।
प्रश्न 25.
मैक्डोनाल्डीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
मैक्डोनाल्डीकरण का तात्पर्य है कि संसार की विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने आप को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं।
प्रश्न 26.
साम्राज्यवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कोई देश अपनी सीमा से बाहर के क्षेत्र के लोगों के आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर अपना आधिपत्य स्थापित कर ले, उसे साम्राज्यवाद कहते हैं।
प्रश्न 27.
‘संरक्षणवाद’ की नीति से भारत को क्या दिक्कतें पैदा हुईं।
उत्तर:
संरक्षणवाद की नीति के कारण प्रथमतः भारत स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास के क्षेत्र में ध्यान नहीं दे पाया। दूसरे, भारत की आर्थिक वृद्धि दर धीमी रही।
प्रश्न 28.
1991 में भारत ने आर्थिक सुधारों की योजना क्यों शुरू की?
उत्तर:
- वित्तीय संकट से उबरने तथा
- आर्थिक वृद्धि की ऊँची दर हासिल करने के लिए 1991 में भारत आर्थिक सुधारों की योजना शुरू की।
प्रश्न 29.
आर्थिक सुधारों की योजना की दो विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
- इसके अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों पर से आयात प्रतिबंध हटाये गए।
- व्यापार और विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया गया।
प्रश्न 30.
वामपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वामपंथी आलोचकों का कहना है कि वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक खास अवस्था है जो धनी और निर्धनों के बीच की खाई को और बढ़ायेगा।
प्रश्न 31.
दक्षिणपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
दक्षिणपंथी आलोचकों का कहना है कि इससे राज्य कमजोर हो रहा है; परम्परागत संस्कृति की हानि होगी।
प्रश्न 32. वैश्वीकरण के विरोधी आंदोलनों का स्वरूप क्या है?
उत्तर:
वैश्वीकरण विरोधी बहुत से आंदोलन वैश्वीकरण के विरोधी नहीं बल्कि वैश्वीकरण के साम्राज्यवादी समर्थक कार्यक्रम के विरोधी हैंहोगी ।
प्रश्न 33.
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन क्यों हुए?
उत्तर:
ये विरोध-प्रदर्शन आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोधमें हुए।
प्रश्न 34.
सिएटल (1999) के विरोध प्रदर्शनकारियों का क्या तर्क था?
उत्तर:
सिएटल (1999) के विरोध प्रदर्शनकारियों का तर्क था कि उदीयमान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया है।
प्रश्न 35.
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच कौनसा है?
उत्तर:
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ (WSF) है।
प्रश्न 36.
वर्ल्ड सोशल फोरम’ में कौन लोग सम्मिलित हैं?
उत्तर:
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ में मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट -उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।
प्रश्न 37.
भारत में वैश्वीकरण का विरोध करने वाले किन्हीं दो क्षेत्रों का नाम बताइये।
उत्तर:
- वामपंथी राजनैतिक दल
- इन्डियन सोशल फोरम
- औद्योगिक श्रमिक और किसान संगठन।
प्रश्न 38.
भारत में दक्षिणपंथी खेमों से वैश्वीकरण का विरोध किस संदर्भ में किया जा रहा है?
उत्तर:
भारत में दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण के विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है।
प्रश्न 39.
बहुराष्ट्रीय निगम से क्या आशय है?
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय निगम वह कम्पनी है जो एक से अधिक देशों में अपनी आर्थिक व व्यापारिक गतिविधियाँ चलाती है।
प्रश्न 40.
सांस्कृतिक समरूपता से क्या आशय है?
उत्तर:
सांस्कृतिक समरूपता का आशय हैथोपना। विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति को विकासशील देशों में थोपना।
प्रश्न 41.
सामाजिक सुरक्षा कवच से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वैश्वीकरण के प्रभाव से बचाने का सांस्थानिक उपाय को सामाजिक सुरक्षा कवच कहा गया है।
प्रश्न 42.
बहुराष्ट्रीय निगम से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
वह कंपनियाँ जो एक से अधिक दिशाओं में आर्थिक गतिविधियाँ चलाती हैं।
प्रश्न 43.
क्या साम्राज्यवाद ही वैश्वीकरण है?
उत्तर:
नहीं, साम्राज्यवाद में एक देश अपनी सीमा के बाहर के देश पर आर्थिक और राजनीतिक कब्जा करता है जबकि वैश्वीकरण में इस प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होता है।
प्रश्न 44.
कल और आज के वैश्वीकरण में आप क्या अंतर देखते हैं?
उत्तर:
पहले दो देशों के बीच वस्तु तथा कच्चे माल का आवागमन होता था और आज के युग में व्यक्ति, विचार, पूँजी, तकनीक तथा कच्चे माल का आवागमन होता है। वस्तु,
प्रश्न 45.
दो महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
- अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष
- विश्व व्यापार संगठन।
प्रश्न 46.
वैश्वीकरण के लिए अपरिहार्य कारक क्या है?
उत्तर:
प्रौद्योगिकी
प्रश्न 47.
भारत वैश्वीकरण को किन तरीकों से प्रभावित कर रहा है? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- भारत विदेशी भूमि पर भारतीय संस्कृति तथा रीति-रिवाजों को बढ़ावा दे रहा है।
- भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया है।
प्रश्न 48.
आर्थिक वैश्वीकरण का सरकारों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ पीछे कर रही हैं।
प्रश्न 49.
वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का वैश्वीकरण के संदर्भ में क्या कहना है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का कहना है कि वैश्वीकरण ने चुनौतियाँ पेश की हैं और लोगों को इसका सामना सजग और सचेत रूप में करना चाहिए।
प्रश्न 50.
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप हर संस्कृति अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं।
लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ क्या है?
उत्तर:
वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) – नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के विरोध में वामपंथी आलोचकों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक खास अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी ( तथा इनकी संख्या में कमी) और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।
प्रश्न 3.
दक्षिणपंथी आलोचक वैश्वीकरण के विरोध में क्या तर्क देते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचकों को
- राजनीतिक अर्थों में राज्य के कमजोर होने की चिंता है।
- आर्थिक क्षेत्र में वे चाहते हैं कि कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद का दौर फिर कायम हो और
- सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि इससे परंपरागत संस्कृति की हानि होग ।
प्रश्न 4.
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण को परिभाषित कीजिए।
अथवा
सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण की प्रक्रिया से क्या आशय है?
उत्तर:
सांस्कृतिक विभिन्नीकरण:
वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। इसका आशय यह है कि सांस्कृतिक मेलजोल का प्रभाव एकतरफा नहीं होता है, बल्कि दुतरफा होता है।
प्रश्न 5.
विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश का द्योतक है। स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण में विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश के समान होगा। जिस प्रकार मुक्त आकाश सम्पूर्ण पक्षियों के लिए खुला होता है, ठीक उसी प्रकार विश्व को एक सामाजिक मंच मान लिया जाये तो सभी जगह उदारीकरण की अर्थव्यवस्था आ जायेगी जो सभी के लिए खुली होगी।
प्रश्न 6.
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये कि वैश्वीकरण में परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है।
उत्तर:
बाहरी संस्कृति के प्रभावों से कभी-कभी परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। उदाहरण के लिए, नीली जीन्स भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ खूब चलती है। जीन्स के ऊपर कुर्ता पहने अमरीकियों को देखना अब संभव है।
प्रश्न 7.
स्पष्ट कीजिये कि कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है।
उत्तर:
कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है। उदाहरण के लिए बर्गर, मसाला- डोसा का विकल्प नहीं है, इसलिए बर्गर से मसाला डोसा को कोई खतरा नहीं है। इससे इतना मात्र हुआ है कि हमारे भोजन की पसंद में एक और चीज शामिल हो गयी ह ।
प्रश्न 8.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान क्यों नहीं बढ़ी है?
उत्तर:
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह के समान नहीं बढ़ी है। क्योंकि विकसित देश अपनी वीजा नीति के जरिये अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को अभेद्य बनाए रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक आकर कहीं उनके नागरिकों के नौकरी-धंधे न हथिया लें।
प्रश्न 9.
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
- वैश्वीकरण के कारण वित्तीय क्रियाकलापों में तेजी आती है।
- वैश्वीकरण में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
- वैश्वीकरण में बहुराष्ट्रीय निगमों का अधिक विकास होता है।
- वैश्वीकरण में भौगोलिक और राजनैतिक गतिरोध कम हो जाता है।
प्रश्न 10.
जनार्दन के एक काल सेंटर में काम करने तथा विदेशी ग्राहकों को सेवा प्रदान करने, रामधारी का अपनी बेटी के लिए चीनी – साइकिल खरीदने तथा सारिका के नौकरी करने में वैश्वीकरण के कौन-कौनसे पहलू दिखते हैं?
उत्तर:
उक्त तीनों उदाहरणों में वैश्वीकरण का कोई न कोई पहलू दिखता है। यथा।
- जनार्दन सेवाओं में वैश्वीकरण में हिस्सेदारी कर रहा है.
- रामधारी जन्मदिन के लिए चीनी – साइकिल के रूप में जो उपहार खरीद रहा है उससे हमें विश्व के एक भाग से दूसरे भाग में वस्तुओं की आवाजाही का पता लगता है।
- सारिका के सामने जीवन-मूल्यों के बीच दुविधा की स्थिति है। यह दुविधा अन्ततः उन अवसरों के कारण पैदा हुई है जो उसके परिवार की महिलाओं कों पहले उपलब्ध नहीं थे, लेकिन आज वे एक सच्चाई हैं और जिन्हें व्यापक स्वीकृति मिल रही है।
प्रश्न 11.
वैश्वीकरण की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजि।
अथवा
वैश्वीकरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण की अवधारणा – एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है। प्रवाह प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं, जैसे- विचार – प्रवाह, पूँजी – प्रवाह, वस्तु – प्रवाह, व्यापार – प्रवाह, आवाजाही का प्रवाह आदि। विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना विचार प्रवाह है। पूँजी का एक से ज्यादा देशों में जाना पूँजी प्रवाह है; वस्तुओं का कई देशों में पहुँचना वस्तु प्रवाह है और उनका व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही क्रमशः व्यापार प्रवाह तथा लोगों की आवाजाही का प्रवाह है। इन सब प्रवाहों की निरन्तरता से ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा हुआ है और फिर यह जुड़ाव निरन्तर बना रहता है। इस सबका मिला-जुला रूप ही वैश्वीकरण की अवधारणा है।
प्रश्न 12.
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है क्योंकि इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव हैं। यथा।
- आर्थिक आयाम: वैश्वीकरण के कारण व्यापार में खुलापन आता है, व्यापार में वृद्धि होती है, पूँजी निवेश बढ़ता है, वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही एक देश से दूसरे देश में बढ़ती है।
- राजनैतिक आयाम: वैश्वीकरण के कारण दुनिया में लोककल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गई है और इसकी जगह न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की धारणा ने ले ली है।
- सांस्कृतिक आयाम: वैश्वीकरण से हमारी पसंद-नापसंद का निर्धारण होता है। हम जो कुछ खाते-पीते- पहनते हैं अथवा सोचते हैं। सब पर इसका असर नजर आता है। अतः स्पष्ट है कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है।
प्रश्न 13.
आपकी राय में वैश्वीकरण के क्या कारण हैं? किन्हीं चार की विवेचना कीजिये।
अथवा
वैश्वीकरण के चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण के कारकों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
हमारी राय में वैश्वीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैंअथवा
- प्रौद्योगिकी और वैश्वीकरण: विचार, पूंजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण संभव हुई है। इसी प्रकार हमारे सोचने के तरीके पर भी प्रौद्योगिकी का प्रभाव पड़ा है।
- विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव: विश्व के विभिन्न भागों के लोग अब इस बात को लेकर सजग हैं कि विश्व के एक भाग में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे भाग में भी पड़ेगा। इससे वैश्वीकरण को बढ़ावा मिला।
- आर्थिक प्रवाह में तीव्रता: न्यूनतम हस्तक्षेप की राज्य की अवधारणा, पूँजीवादी व्यवस्था के वर्चस्व तथा बहुराष्ट्रीय निगमों की बढ़ती भूमिका ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है।
- साम्यवादी गुट का पतन: साम्यवादी गुट के पतन के बाद पूँजीवाद का वर्चस्व स्थापित हुआ जिसने वैश्वीकरण को गति दी।
प्रश्न 14.
वैश्वीकरण ने विश्व की राज व्यवस्थाओं को प्रभावित किया है।
अथवा
आपके मतानुसार कोई चार प्रभावों की विवेचना कीजिए। वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव क्या हैं?
अथवा
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया, राज्य की क्षमता में कमी- वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता यानी सरकारों को जो करना है, उसे करने की ताकत में कमी आती है। यथा
(अ) पूरी दुनिया ने वैश्वीकरण के दौर में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को त्याग कर न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य की अवधारणा को अपना लिया है।
(ब) वैश्वीकरण के चलते राज्य अब आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का ही निर्धारण करता है।
(स) बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आयी है। राज्य की ताकत में वृद्धि – कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में वृद्धि हुई है।
(द) अब राज्यों के हाथ में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं।
प्रश्न 15.
आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया से क्या आशय है?
उत्तर:
र्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया – आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया से आशय है। विश्व में वस्तुओं, पूँजी, श्रम तथा विचारों के प्रवाह का व्यापक होना।
- वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार का इजाफा हुआ है क्योंकि आयात प्रतिबंधों को कम किया गया है।
- वैश्वीकरण के चलते दुनियाभर में पूँजी की आवाजाही पर अब अपेक्षाकृत कम प्रतिबंध हैं इसलिए विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
- वैश्वीकरण के चलते अब विचारों के सामने राष्ट्र की सीमाओं की बाधा नहीं रही, उनका प्रवाह अबाध हो उठा है। इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
- वैश्वीकरण के चलते एक देश से दूसरे देश में लोगों की आवाजाही भी बढ़ी है। एक देश के लोग अब दूसरे देश में जाकर नौकरी कर रहे हैं।
प्रश्न 16.
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में तर्क दीजिये।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में तर्क-आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में निम्न प्रमुख तर्क दिये जाते हैं।
- जनमत का विभाजन: आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व में जनमत बड़ी गहराई से बंट गया है।
- सरकारों द्वारा सामाजिक न्याय की उपेक्षा- आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ खींच रही हैं और इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले लोग चिंतित हैं क्योंकि इससे नौकरी और जनकल्याण के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जायेंगे।
- विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण: आर्थिक वैश्वीकरण विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण है।
- गरीब देशों के लिए अहितकर: वैश्वीकरण से गरीब देशों के गरीब लोग आर्थिक रूप से बर्बादी की कगार पर पहुँच जाएंगे।
प्रश्न 17.
आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में तीन तर्क दीजिये।
उत्तर:
आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में तर्क-आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में अग्रलिखित तर्क दिये जाते संजीव पास बुक्स
- समृद्धि का बढ़ना: आर्थिक वैश्वीकरण से समृद्धि बढ़ती है और खुलेपन के कारण ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
- व्यापार में वृद्धि: आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि होती है। इससे पूरी दुनिया को फायदा होता है।
- पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना: आर्थिक वैश्वीकरण से लोगों में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। पारस्परिक निर्भरता की रफ्तार अब तेज हो चली है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सरकार, व्यवसाय तथा लोगों के बीच जुड़ाव बढ़ रहा है।
प्रश्न 18.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया किस रूप में विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी?
उत्तर:
वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है। सांस्कृतिक समरूपता में विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति को लादा जा रहा है। राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और संसार वैसा ही दीखता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है। यही कारण है कि बर्गर या नीली जीन्स की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमरीकी जीवनशैली के गहरे प्रभाव से है। विभिन्न संस्कृतियाँ वैश्वीकरण की सांस्कृतिक समरूपता के तहत अब अपने को प्रभुत्वशाली अमरीकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे – धीरे खत्म हो रही है और यह समूची मानवता के लिए भी खतरनाक है।
प्रश्न 19.
आपके अनुसार क्या भविष्य में वैश्वीकरण जारी रहेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हाँ, वैश्वीकरण भविष्य में भी जारी रहेगा। इसके निम्न कारक हैं।
- प्रत्येक व्यक्ति तथा देश एक दूसरे पर निर्भर है।
- कोई भी व्यक्ति स्वयं अपनी आवश्यकता को पूरी नहीं कर सकता है।
- क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का निर्माण और आपसी निर्भरता के कारण।
- भविष्य में विश्व सहयोग बढेगा तथा विकसित देश दूसरे देशों के शोषण के बजाय सहयोग करेंगे।
प्रश्न 20.
वैश्वीकरण की दिशा में भारत द्वारा उठाये गये किन्हीं चार कदमों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत के वैश्वीकरण की दिशा में बढ़ते कदम: भारत ने वैश्वीकरण की दिशा में निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाये हैं।
- उद्योग नीति में सुधार: सन् 1991 से भारत सरकार ने नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत कुछ उद्योगों को छोड़कर सभी उद्योगों को लाइसेंस मुक्त कर दिया है।
- विदेशी निवेश को बढ़ावा: भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के अवसरों का पता लगाने के प्रयास तेज करने पर बल दिया गया है। उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 51 प्रतिशत तक विदेशी पूँजी निवेश को तथा अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में निवेश करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- विदेशी प्रौद्योगिकी समझौते: भारत सरकार ने औद्योगिक विकास और प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से विदेशों से प्रौद्योगिकी समझौते करने पर विशेष बल दिया है।
- विनिमय दर: 1992-93 से भारतीय रुपये को विदेशी मुद्रा में पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है।
प्रश्न 21.
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
अथवा
वैश्वीकरण का प्रतिरोध क्यों हो रहा है? प्रमुख कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का प्रतिरोध निम्न कारणों से हो रहा है।
- वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवाद की खास अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीबों को और ज्यादा गरीब बनाती है।
- राजनीतिक अर्थ में वैश्वीकरण में राज्य के कमजोर होने की चिंता है। इससे गरीबों के हितों की रक्षा करने की राज्य की क्षमता में कमी आती है।
- सांस्कृतिक स्तर पर परम्परागत संस्कृति की हानि हो रही है। लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य तथा तौर-तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
- यह साम्राज्यवाद का नया रूप है। इसके चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लाभ अधिकांश जनता तक नहीं पहुँचता है। इससे तृतीय विश्व के देशों में गरीबी व आर्थिक असमानता बढ़ती जा रही है।
प्रश्न 22.
वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों में राज्यों की बदलती भूमिका का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों में राज्यों की भूमिका में परिवर्तन आया है। यथा।
- वैश्वीकरण के कारण राज्यों की आत्मनिर्भरता की नीतियाँ समाप्त होती जा रही हैं; क्योंकि वर्तमान वैश्वीकरण के युग में कोई भी विकासशील देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।
- वैश्वीकरण के युग में पूँजी निवेश के कारण विकासशील देशों ने भी अपने बाजार विश्व के लिए खोल दिये हैं।
- वैश्वीकरण के कारण अंब प्रत्येक देश आर्थिक नीति को बनाते समय विश्व में होने वाले आर्थिक घटनाक्रम तथा विश्व संगठनों जैसे विश्व बैंक व विश्व व्यापार संगठन के प्रभाव में रहता है।
- राज्यों द्वारा बनाई जाने वाली निजीकरण की नीतियाँ, कर्मचारियों की छंटनी, सरकारी अनुदानों में कमी तथा कृषि से संबंधित नीतियों पर वैश्वीकरण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
प्रश्न 23.
भारतीय राजनीति का दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण का विरोध क्यों कर रहा है?
उत्तर:
भारतीय राजनीति का दक्षिणपंथी खेमा वैश्वीकरण का विरोध कर रहा है क्योंकि इस खेमे के अनुसार केबल नेटवर्क के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे विदेशी टी.वी. चैनलों के कारण स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राएँ वैलेन्टाइन डे मना रहे हैं तथा पश्चिमी पोशाकों की तरफ उनकी अभिरूची बढ़ रही है।
प्रश्न 24.
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री स्तरीय बैठक में क्या घटनाएँ हुई थीं?
उत्तर:
1999 में सिएटल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री – स्तरीय बैठक में वैश्वीकरण के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। ये विरोध आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोध में ये प्रदर्शन हुए थे। विरोधियों के अनुसार उदीयमान वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया था।
प्रश्न 25.
आजादी हासिल करने के बाद भारत ने क्या फैसला किया? इन फैसलों की वजह से कौनसी दिक्कतें पैदा हुई?
उत्तर:
औपनिवेशिक दौर में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी नीति के परिणामस्वरूप भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक देश था तथा बने बनाए सामानों का आयातक देश था। आजादी हासिल करने के बाद ब्रिटेन के साथ अपने अनुभवों से सबक लेते हुए भारत ने फैसला किया कि दूसरे पर निर्भर रहने के बजाय खुद सामान बनाया जाए तथा दूसरे देशों को निर्यात की अनुमति नहीं होगी ताकि हमारे अपने उत्पादक चीजों का बनाना सीख सकें। इस ‘संरक्षणवाद’ से कुछ नयी दिक्कतें पैदा हुईं। कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई तो कुछ जरूरी क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, आवास और प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया जितने के वे हकदार थे। भारत में आर्थिक वृद्धि की दर धीमी रही।
प्रश्न 26.
क्या हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण केवल एक आर्थिक आयाम है?
उत्तर:
नहीं, वैश्वीकरण केवल एक आर्थिक आयाम नहीं है बल्कि यह राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों वाली बहुआयामी अवधारणा है। वैश्वीकरण विचारों, पूँजी, वस्तुओं और लोगों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया है।
प्रश्न 27.
” वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है।” कथन के पक्ष में अपना तर्क दीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ अन्य देशों के साथ अन्योन्याश्रितता के आधार पर अर्थव्यवस्था के एकीकरण से है। यह राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति वाली अवधारणा है तथा इसमें विचारों, पूँजीगत वस्तुओं और लोगों के आदान-प्रदान की प्रक्रिया होती है।
प्रश्न 28.
एक उग्रवादी समूह ने एक बयान जारी किया जिसमें कॉलेज की छात्राओं को पश्चिमी कपड़े पहने की धमकी दी गई थी। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
यह कथन वैश्वीकरण की सांस्कृतिक निहितार्थों को दर्शाता है, जो कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सिकुड़ने का नेतृत्व करने के लिए पश्चिमी संस्कृति को थोपने के बारे में एक रक्षा समूह के डर के रूप में है।
प्रश्न 29.
भारत पर वैश्वीकरण के प्रभावों के विषय में दो भिन्न विचारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत पर वैश्वीकरण के प्रभावों पर दो विचार निम्न है।
- वैश्वीकरण अपनाने से भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
- वैश्वीकरण के बारे में इसके आलोचकों का विचार है कि भारत द्वारा वैश्वीकरण की योजनाएँ लागू करने से देश के श्रम बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।
प्रश्न 30.
यह कहना कहाँ तक सही है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ऊपर दिया गया कथन सही है क्योंकि वैश्वीकरण से राज्य की संप्रभुता प्रभावित होना हैं। राज्यों को वैश्विक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करना होता है। उदाहरण के लिए वैश्विक बाजार की भूमिका में वृद्धि, समुन्नत प्रौद्योगिकी, पर्यावरण संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानून कुछ हद तक राज्यों की संप्रभुता को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 31.
नव-उपनिवेशवाद क्या है?
उत्तर:
समय तथा युग के साथ-साथ उपनिवेशवाद का रूप भी बदल गया है। नव उपनिवेशवाद परंपरागत उपनिवेशवाद का एक नया रूप है। ‘नव उपनिवेशवाद’ का लक्ष्य सैनिक तथा राजनीतिक प्रभुत्व के स्थान पर आर्थिक प्रभुत्व की स्थापना करना है। एक समृद्ध तथा शक्तिशाली देश, कमजोर देश को आर्थिक सहायता देकर उस देश की नीतियाँ तथा राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण करता है और उन नीतियों तथा गतिविधियों को अपने लाभ की ओर प्रभावकारी बनाता है।
प्रश्न 32.
कल और आज के वैश्वीकरण में अंतर के कुछ तर्क दीजिए।
उत्तर:
कल और आज के वैश्वीकरण में बहुत अंतर है। इसको हम निम्न तर्क द्वारा देख सकते हैं।
- आज न केवल वस्तुएँ बल्कि लोग भी बड़ी संख्या में एक देश से दूसरे देश में जा रहे हैं।
- पहले पूर्व के देशों को ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रमुखता प्राप्त थी किन्तु आज विपरीत स्थिति है। पश्चिम की वस्तुओं को भी उतना ही सम्मान मिलता है।
- कई कंपनियाँ विकासशील देशों के उत्पाद पर अपना लेबल लगाकर पूरे विश्व बाजार में विकसित देशों के उत्पाद के रूप में बेच रही है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये इसके अंग तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ एवं परिभाषा; वैश्वीकरण विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की वैश्विक आवाजाही से जुड़ी वह परिघटना है, जिसमें इन प्रवाहों का धरातल सम्पूर्ण विश्व है और इन प्रवाहों की गति तीव्र तथा निरन्तरता लिए हुए है जो अन्ततः ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव पैदा कर रही है। गाय ब्रायंबंटी के शब्दों में, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाजार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या के देशान्तरगमन तथा विशेषतः लोगों, वस्तुओं, पूँजी तथा विचारों के गतिशील होने से ही संबंधित नहीं है बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।
- वैश्वीकरण के अंग- विद्वानों के मतानुसार वैश्वीकरण के प्रमुख अंग निम्नलिखित हैं।
- व्यापार या वस्तुओं का विभिन्न देशों में निर्बाध प्रवाह,
- विभिन्न देशों में पूँजी का स्वतन्त्र प्रवाह,
- तकनीक तथा विचार का बेरोकटोक प्रवाह तथा
- विभिन्न देशों में श्रम प्रवाह।
- वैश्वीकरण के लिए निर्देशक सिद्धान्त: वैश्वीकरण के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं।
- राजकोषीय अनुशासन।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को खुला रखना।
- संस्थागत एवं रचनात्मक सुधार।
- बाजार की शक्तियों द्वारा आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं को निर्धारित करना।
- निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देना।
- व्यापार का उदारीकरण करना।
- कर प्रणाली में सुधार करना।
- पारदर्शिता लाना।
- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के निर्देशों का पालन करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग।
प्रश्न 2.
“वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है। “इस कथन की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा के रूप में: वैश्वीकरण एक बहुआयामी धारणा है; इसके राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। यथा।
- वैश्वीकरण का राजनैतिक आयाम: वैश्वीकरण के प्रमुख राजनीतिक आयाम इस प्रकार हैं।
- वैश्वीकरण के कारण राज्य अब मुख्य कार्यों, जैसे: कानून-व्यवस्था तथा नागरिक सुरक्षा तक ही अपने को सीमित रखता है। इससे आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में राज्य की शक्तियाँ कम हुई हैं।
- वैश्वीकरण के चलते अब राज्यों के हाथों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इससे राज्य की क्षमता बढ़ी है।
- वैश्वीकरण का आर्थिक आयाम: आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में दुनिया के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तेज हो जाता है। इसके चलते दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है, पूँजी के निवेश की बाधाएँ हटी हैं, विचारों का प्रवाह अबाध हुआ है।
- वैश्वीकरण के सांस्कृतिक आयाम: वैश्वीकरण में राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपनी छाप छोड़ती हैं और संसार वैसा ही दीखता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है। इससे विश्व की सांस्कृतिक धरोहरें खत्म हो रही हैं। दूसरी तरफ, हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ रहा है, और प्रभुत्वशाली संस्कृति के सांस्कृतिक प्रभावों के अन्तर्गत ही परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना स्थानीय संस्कृति का परिष्कार भी हो रहा है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के कारण तथा इसके राजनैतिक प्रभावों का विवेचन कीजिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के कारण: वैश्वीकरण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
1. प्रौद्योगिकी: प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के कारण ही विचार, पूंजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही में आसानी हुई है।
2. विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव: विश्वव्यापी प्रवाहों की निरन्तरता से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक पैदा हुआ और इस जुड़ाव ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को तीव्र कर दिया है।
वैश्वीकरण के राजनैतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के राजनैतिक प्रभाव का विवेचन निम्नलिखित तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।
- वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति को कमजोर किया है- यथा-
- वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में अब राज्य कुछेक मुख्य कामों, जैसे कानून व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना आदि तक ही अपने को सीमित रखता है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।
- बहुराष्ट्रीय निगमों का बढ़ता प्रभाव: वैश्वीकरण के चलते पूरे विश्व में बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आती हैं।
- कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है।
- वैश्वीकरण ने राज्य की शक्ति में वृद्धि भी की है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकता है। इस सूचना के दम पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से काम कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव पर एक निबंध लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव: वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं।
I. वैश्वीकरण के नकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव:
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस भय मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी; क्योंकि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लाता है जिसमें विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इस कारण विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे पूरे विश्व में विभिन्न संस्कृतियों की समृद्ध धरोहर धीरे धीरे खत्म होती जा रही है। यह स्थिति समूची मानवता के लिए खतरनाक है।
II. वैश्वीकरण के सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव- वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव भी पड़े हैं। जैसे
1. बाहरी संस्कृति के प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है; जैसे—बर्गर के साथ-साथ मसाला- डोसा भी अब हमारे खाने में शामिल हो गया है।
2. इसके प्रभावस्वरूप कभी-कभी संस्कृति का परिष्कार भी होता है, जैसे- नीली जीन्स के साथ खादी का कुर्ता पहनना।
3. वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। प्रश्न 5. वैश्वीकरण के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क दीजिये।
उत्तर:
- वैश्वीकरण के पक्ष में तर्कवैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये गये हैं।
- वैश्वीकरण से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ा है।
- वैश्वीकरण के कारण पूँजी की गतिशीलता बढ़ी है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश बढ़ा है तथा विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया द्वारा विकासशील देशों को उन्नत तकनीक का लाभ मिल सकता है।
- वैश्वीकरण ने विश्वव्यापी सूचना क्रांति को जन्म दिया है। इससे सामाजिक गतिशीलता बढ़ी है।
- वैश्वीकरण के कारण रोजगार की गतिशीलता में भारी वृद्धि हुई है।
- वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क: वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं।
- वैश्वीकरण की व्यवस्था धनिकों को ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है। इससे आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है तथा तीसरी दुनिया के देशों में गरीबी बढ़ती जा रही है।
- वैश्वीकरण से राज्य की गरीबों के हित की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
- वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य तथा तौर- तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
- वैश्वीकरण के चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रभुतासम्पन्न राष्ट्रों द्वारा विकासशील देशों के बाजारों को हस्तगत करने के लिए कमजोर राष्ट्रों पर जबरन थोपी जा रही है।
प्रश्न 6.
वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
वैश्वीकरण विरोधी आंदोलन: वैश्वीकरण की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। वैश्वीकरण के विरोध में आंदोलन किये जा रहे हैं। वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलनों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. किसी खास कार्यक्रम का विरोध:
वैश्वीकरण – विरोधी बहुत से आन्दोलन वैश्वीकरण की धारणा के विरोधी नहीं हैं; बल्कि वे वैश्वीकरण के किसी खास कार्यक्रम के विरोधी हैं जिसे वे साम्राज्यवाद का एक रूप मानते हैं।
2. बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन:
वैश्वीकरण के प्रति विरोध के प्रदर्शन मुख्यतः आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर-तरीकों के अपनाने के विरोध में हुए थे। उनका तर्क था कि उदीयमान वैश्विक आर्थिक- व्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया है।
3. वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF ):
नव-उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्व व्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ (WSF) है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं ।
प्रश्न 7.
भारत सरकार द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में क्या-क्या कदम उठाये गये हैं तथा उसके क्या प्रभाव पड़े हैं? समझाइये
उत्तर:
- भारत द्वारा वैश्वीकरण की दिशा में उठाये गये कदम सन् 1991 के बाद से आर्थिक सुधारों को अपनाते हुए भारत ने वैश्वीकरण की दिशा में निम्नलिखित प्रमुख कदम उठाये हैं।
- 1990 के दशक में उदारीकरण वैश्वीकरण की नीति के तहत औद्योगिक लाइसेंस युग को समाप्त कर दिया गया, सार्वजनिक क्षेत्र में कटौती की गई, व्यापारिक गतिविधियों पर सरकार का एकाधिकार समाप्त कर दिया गया तथा निजीकरण सम्बन्धी कार्यक्रमों की पहल की गई।
- 1990 के दशक के दौरान ही विभिन्न क्षेत्रों पर आयात बाधायें हटायी गईं। इन क्षेत्रों में व्यापार और विदेशी निवेश भी शामिल थे।
- भारतीय शुल्क दरों में तेजी से कमी की गई। भारत में वैश्वीकरण के सकारात्मक परिणाम
- वैश्वीकरण के भारत में निम्नलिखित सकारात्मक परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं।
- वैश्वीकरण को अपनाने से भारत में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर तथा विकास दर में तेजी से वृद्धि हुई है।
- उदारीकरण के बाद GDP विकास में जो उछाल आया, उसने भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार ला दिया।
- वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप भारत में गरीबी में जीवन-यापन कर रहे लोगों का अनुपात धीरे-धीरे घट रहा है। भारत में वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव
- आर्थिक सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर कुछेक प्रतिकूल प्रभाव भी डाले हैं, यथा।
- वैश्वीकरण के कारण कृषि में सब्सिडी को कम किये जाने से अनाज की कीमतों में वृद्धि हुई है तथा कृषि क्षेत्र में आधारिक संरचना में कमी आई है।
- वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारतीय बाजार को धीरे-धीरे हड़प रही हैं।
- अपनी विनिवेश नीति के तहत सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने से सरकार को बहुत नुकसान उठाना पड़
प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के प्रतिरोध को लेकर भारत के अनुभव क्या हैं?
उत्तर:
भारत में भी वैश्वीकरण का प्रतिरोध हुआ है और कई आंदोलन हुए हैं। सामाजिक आंदोलनों के द्वारा हमें आस-पड़ोस की दुनिया और समाज को समझने में सहायता मिलती है। इस आंदोलनों के माध्यम से हम अपनी समस्याओं का हल तलाश सकते हैं। भारत में वैश्वीकरण का विरोध कई माध्यमों द्वारा हो रहा है।
- वामपंथी राजनीतिक दलों ने आर्थिक वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज उठाई है तो दूसरी तरफ मानवाधिकार- कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता इंडियन सोशल फोरम के मंचों के माध्यम से नव-उदारवादी वैश्वीकरण के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
- औद्योगिक श्रमिक और किसानों के संगठनों ने बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रवेश का विरोध किया है।
- कुछ औषधीय वनस्पतियों जैसे ‘नीम’ को अमरीकी और यूरोपीय कंपनी ने पेटेन्ट कराने का प्रयास किया इसका भी कड़ा विरोध हुआ है।
- वैश्वीकरण का विरोध राजनीति के दक्षिण पंथी खेमा भी कर रहा है। यह खेमा विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है जैसे- केवल नेटवर्क के द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे विदेशी टी.वी. चैनलों से लेकर वैलेन्टाईन- डे मनाने तथा स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं की पश्चिमी पोशाकों के लिए बढ़ी अभिरुचि का विरोध भी शामिल है।
प्रश्न 9.
वैश्वीकरण की व्याख्या कीजिए। वैश्वीकरण को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान रहा है?
उत्तर:
अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण मौलिक रूप से प्रवाह से संबंधित है। ये प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं। दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाने वाले विचार, दो या दो से अधिक स्थानों के बीच पूँजी का टकराव, सीमाओं के पार होने वाली वस्तुओं और दुनिया के विभिन्न भागों में बेहतर आजीविका की तलाश में घूम रहे लोग ‘विश्वव्यापी अन्तर्सम्बन्ध’ एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जो इन निरंतर प्रवाह के परिणामस्वरूप बना और टिका हुआ है। जबकि वैश्वीकरण का कोई एक कारण नहीं है अपितु प्रौद्योगिकी इसका एक अपरिहार्य वजह है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल के वर्षों में टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के आविष्कार ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बीच संचार में क्रांति लाई है। जब शुरू में मुद्रण हुआ तो यह राष्ट्रवाद के निर्माण का आधार बना। इसलिए आज हमें यह भी उम्मीद करनी चाहिए कि प्रौद्योगिकी हमारे व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि हमारे सामाजिक जीवन के बारे में सोचती है। दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में अधिक आसानीपूर्वक आने जाने के लिए विचारों, पूँजी, वस्तुओं और लोगों की क्षमता को तकनीकी विकास द्वारा बड़े पैमाने पर संभव बनाया गया है। इन प्रवाहों की गति भिन्न हो सकती है।
प्रश्न 10.
वैश्वीकरण की प्रक्रिया को आलोचक कैसे देखते हैं?
उत्तर:
वैश्वीकरण ने कुछ सकारात्मक आलोचनाओं को भी इसके सकारात्मक प्रभावों के बावजूद आमंत्रित किया है। इसके महत्त्वपूर्ण तर्कों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है।
1. आर्थिक:
(अ) विदेशी लेनदारों को शक्तिशाली बनाने के लिए बड़े पैमाने पर उपभोग के सामान पर सब्सिडी में कमी।
(ब) इसने अमीर और गरीब राष्ट्रों के बीच असमानता बढ़ा दी है, अमीर राष्ट्र और अधिक अमीर और गरीब राष्ट्र और अधिक गरीब हुए हैं।
(स) राज्यों ने भी विकसित और विकासशील राष्ट्रों के बीच असमानताएँ पैदा की हैं।
2. राजनीतिक:
(अ) राज्य के कल्याण कार्यों को कम कर दिया गया है।
(ब) राज्यों की संप्रभुता प्रभावित हुई है ।
(स) राज्य अपने लिए निर्णय लेने में कमजोर हुए हैं।
3. सांस्कृतिक:
(अ) लोग अपने पुराने मूल्यों और परंपराओं को खो रहे हैं।
(ब) दुनिया कम शक्तिशाली समाज पर अपना प्रभुत्व जमा रही है।
(स) यह संपूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सिकोड़ता है।