Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 6 दिये जल उठे
JAC Class 9 Hindi दिये जल उठे Textbook Questions and Answers
बोध-प्रश्न –
प्रश्न 1.
किस कारण से प्रेरित होकर स्थानीय कलेक्टर ने पटेल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया ?
उत्तर :
सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी द्वारा चलाए जाने वाले दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में रास नामक स्थान पर गए थे। वहाँ जैसे ही उन्होंने बोलना आरंभ किया तो स्थानीय मैजिस्ट्रेट ने निषेधाज्ञा लागू कर दी और पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया। सरदार पटेल को स्थानीय कलेक्टर शिलंडी के आदेश पर गिरफ्तार किया गया था। इसका मुख्य कारण यह था कि वह सरदार पटेल से ईर्ष्या रखता था। सरदार पटेल ने पिछले आंदोलन के समय उसे अहमदाबाद से भगा दिया था। अब जब सरदार पटेल रास पहुँचे तो उसने मौका देखकर उन्हें वहाँ गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया।
प्रश्न 2.
जज को पटेल की सज़ा के लिए आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा ?
उत्तर :
वल्लभभाई पटेल को रास से गिरफ़्तार करके पुलिस के पहरे में बोरसद की अदालत में लाया गया था। जज को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह उन्हें किस धारा के तहत और कितनी सजा दे। साथ ही बिना मुकदमा चलाए जेल भेज दिए जाने पर जनता के भड़कने का डर था। इसी कारण जज को अपने आठ लाइन के फैसले को लिखने में डेढ़ घंटा लगा। उसने पटेल को 500 रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने की जेल की सजा सुनाई।
प्रश्न 3.
“मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।” यहाँ पटेल के कथन का आशय उद्धृत पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सरदार वल्लभभाई पटेल के इस कथन का आशय यह है कि वे तो अब जेल जा रहे हैं किंतु देश की आज़ादी के लिए आंदोलन को जारी रखने का कार्य अब महात्मा गांधी और साबरमती आश्रम के लोगों को करना है। जब सरदार पटेल को साबरमती जेल लाया गया तो उन्होंने महात्मा गांधी और आश्रमवासियों को संबोधित करते हुए यह कहा था। वे चाहते थे कि देश को आज़ाद कराने का जो आंदोलन चल रहा था वह उनके जेल जाने के बाद भी चलता रहे। देश की स्वतंत्रता के आंदोलन को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से ही पटेल ने यह कहा था।
प्रश्न 4.
” इनसे आप लोग त्याग और हिम्मत सीखें” – गांधी जी ने यह किसके लिए और किस संदर्भ में कहा ?
उत्तर :
गांधी जी को यह कथन रास में रहने वाले दरबार समुदाय के लोगों से कहा। गांधी जी ने रास पहुँचकर वहाँ के लोगों को देश की आज़ादी के विषय में बताया। वे जानते थे कि वहाँ दरबार समुदाय के लोग अधिक संख्या में रहते हैं। अतः उन्होंने दरबार समुदाय के लोगों के विषय में बताया कि वे बड़ी-बड़ी रियासतों के मालिक थे। उनकी ऐशो-आराम की ज़िंदगी थी किंतु वे देश की आज़ादी के लिए सब कुछ छोड़ आए। अतः सब लोगों को दरबार समुदाय के त्याग और हिम्मत से सबक सीखना चाहिए। गांधी ने लोगों को देश की आज़ादी के लिए प्रोत्साहित करने के संदर्भ में यह सब कहा था।
प्रश्न 5.
पाठ द्वारा यह कैसे सिद्ध होता है कि- ‘कैसी भी कठिन परिस्थिति हो उसका सामना तात्कालिक सूझबूझ और आपसी मेल-जोल से किया जा सकता है।’ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
गांधी जी को रात के अंधेरे में महिसागर नदी पार करनी थी। उनके साथ कुछ सत्याग्रही भी थे। अँधेरा इतना घना था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था। थोड़ी देर में कई हजार लोग नदी के तट पर पहुँच गए। उन सबके हाथों में दीये थे। यही दृश्य नदी के दूसरे किनारे का भी था। इस प्रकार सारा वातावरण दीयों की रोशनी से जगमगा उठा और महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय, जवाहर लाल नेहरू की जय के नारों के बीच सबने महिसागर नदी को पानी और कीचड़ में चलकर पार कर लिया। इससे यही सिद्ध होता है कि कैसी भी कठिन स्थिति क्यों न हो, यदि उसका सामना सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जाए तो उस स्थिति का मुकाबला किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
महिसागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था ? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
महिसागर नदी के तट पर घनी अंधेरी रात में भी मेला-सा लगा हुआ था। नदी के दोनों किनारों पर लोगों के हाथों में टिमटिमाते दीये थे। वे लोग गांधी जी और अन्य सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। जब गांधी जी नाव पर चढ़ने के लिए नाव तक पहुँचे तो महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल की जय-जयकार के नारे लगने लगे। थोड़ी ही देर में नारों की आवाज़ दूसरे तट से भी आने लगी। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह नदी का तट न होकर पहाड़ों की घाटी हो, जहाँ से टकराकर आवाज़ वापस लौट आया करती है। आधी रात के समय नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दीये लेकर खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके मन में अपने देश को आज़ाद कराने की कितनी ललक थी। नदी के दोनों किनारों पर खड़े लोगों के हाथों में टिमटिमाते दीये बहुत आकर्षक लग रहे थे।
प्रश्न 7.
” यह धर्मयात्रा है। चलकर पूरी करूंगा।”- गांधीजी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है ?
उत्तर :
महिसागर नदी का क्षेत्र दलदली और कीचड़ से युक्त मिट्टी वाला था। इसमें लगभग चार किलोमीटर पैदल चलना होता था। लोगों ने गांधी जी से कहा कि वे उन्हें कंधे पर उठा कर ले चलते हैं, परंतु गांधी जी ने इसे धर्मयात्रा कहा और कहा कि वे स्वयं चलकर इसे पूरा करेंगे। उनके इस कथन से उनके चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन को धर्म की लड़ाई मानते थे तथा अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करना चाहते थे। वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे। वे अपने लक्ष्य की ओर स्वयं बढ़कर जाना चाहते थे।
प्रश्न 8.
गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे कि गांधी कोई काम अचानक और चुपके से करेंगे। फिर भी उन्होंने किस डर से और क्या एहतियाती कदम उठाए ?
उत्तर :
जब गांधी जी ने दांडी यात्रा आरंभ की तो ब्रिटिश साम्राज्य के कुछ लोगों का मत यह था कि गांधी जी और उनके सत्याग्रही महिसागर नदी के किनारे जाकर अचानक नमक बनाकर कानून तोड़ देंगे। गांधी को समझने वाले वरिष्ठ अधिकारियों का मत इससे विपरीत था। वे जानते थे कि गांधी जी कोई भी काम अचानक और चुपके से नहीं करते। इस बात को भली-भाँति जानते हुए भी उनके मत में गांधी जी द्वारा नमक कानून तोड़े जाने का डर था। अतः उन्होंने एहतियात बरतते हुए महिसागर नदी के तट से सारे नमक भंडार हटा दिए और उन्हें नष्ट करा दिया।
प्रश्न 9.
गांधी जी के पार उतरने पर भी लोग नदी के तट पर क्यों खड़े रहे ?
उत्तर :
महात्मा गांधी और उनके साथ अनेक सत्याग्रहियों ने आधी रात को महिसागर नदी को पार किया। नदी के दोनों किनारों पर लोग अपने हाथों में दीये लेकर खड़े थे। जब गांधी जी ने नदी को पार कर लिया तब भी लोग तट पर दीये लेकर खड़े थे। उनके वहाँ खड़े रहने का कारण यह था कि उन लोगों को कुछ और सत्याग्रहियों के वहाँ आने की आशा थी। उन लोगों को नदी पार कराने के उद्देश्य से ही वे वहाँ खड़े थे।
JAC Class 9 Hindi दिये जल उठे Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
जब पटेल को साबरमती जेल लाया जाना था तो आश्रम का वातावरण कैसा था ?
उत्तर :
सरदार पटेल को बोरसद से साबरमती जेल लाया जाना था। साबरमती जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से ही होकर जाता था। आश्रम के लोग बड़ी बेसब्री से पटेल का इंतजार कर रहे थे। वे बार-बार हिसाब लगा रहे थे कि पटेल कितनी देर में उनके आश्रम के पास से गुजरेंगे। आश्रम के लोग पटेल की एक झलक पाने के लिए लालायित थे। समय का अनुमान लगाकर स्वयं महात्मा गांधी भी आश्रम से बाहर निकल आए। उनके पीछे-पीछे आश्रम के सभी लोग सड़क के किनारे खड़े हो गए थे। सबमें पटेल की एक झलक पाने की उत्सुकता थी।
प्रश्न 2.
पटेल की गिरफ़्तारी पर देश के अन्य नेताओं की क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर :
पटेल की गिरफ़्तारी पर देश के आम लोगों के साथ-साथ सभी नेताओं में भी गहरा रोष था। दिल्ली में मदन मोहन मालवीय ने केंद्रीय असेंबली में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की कड़ी निंदा की गई थी। मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि सरदार पटेल की गिरफ़्तारी आम व्यक्ति की स्वतंत्रता के सिद्धांत पर हमला है। महात्मा गांधी भी पटेल की गिरफ़्तारी पर बहुत नाराज हुए थे।
प्रश्न 3.
त्याग और हिम्मत का मानव जीवन में क्या स्थान है? जीवन मूल्यों के आधार पर बताइए कि मानव के सर्वांगीण विकास में त्याग और हिम्मत का क्या स्थान है?
उत्तर :
मनुष्य त्यांग एक प्रकार का समर्पण भाव है। यह भाव मानव में तब आता है जब वह पूर्णतः स्वार्थ रहित हो जाता है। उसके मन में किसी प्रकार का कोई छल-कपट नहीं होता। तब वह समाज तथा सामाजिक कल्याण के कार्यों से जुड़ जाता है। के सर्वांगीण विकास में त्याग का अपना अहम स्थान है। त्याग मानव को अन्य मनुष्यों से श्रेष्ठ बनाता है। उसे सामाजिक कल्याण की भावना से जोड़ता है। त्याग व्यक्ति के अंदर हिम्मत तथा साहस का संचार करता है। उसे बल प्रदान करता है। समाज में सम्मान तथा सत्कार दिलाता है। त्याग की भावना से ओत-प्रोत होकर व्यक्ति स्वयं के लिए न जीकर देश तथा उसके हितों के लिए जीता है।
उसका जीवन अन्य लोगों के लिए मार्ग-दर्शन का काम करता है। वह उन्हें नई शक्ति तथा प्रेरणा देने का काम करता है। अतः स्पष्ट है कि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब उसमें त्याग की भावना का समावेश हो। यही त्याग की भावना स्वतः उसमें हिम्मत का संचार करके उसे सेवा के पथ पर अग्रसर करती है। उसके मनोबल को ऊँचा करते हुए उसे कर्तव्यपरायण बनाती है। स्वयं के हित उसके लिए निरर्थक हो जाते हैं। राष्ट्रहित, समाज कल्याण तथा सामाजिक उन्नति ही उसका ध्येय बनकर रह जाता है।
प्रश्न 4.
“ दिये जल उठे” शीर्षक पाठ प्रतीकात्मक है। मूल्य-बोध के आधार पर बताइए कि विश्वास और आपसी एकता कब और कैसे क्रांति अथवा बदलाव का रूप ले लेती है?
उत्तर :
विश्वास मानव मन का आंतरिक भाव है। यह भाव सहसा किसी में नहीं जगता। इसके लिए परिश्रम करना पड़ता है। वर्णित पाठ में सरदार पटेल और महात्मा गांधी का आचरण ही उन्हें लोगों से जोड़ता है। उनका देश के प्रति त्याग तथा समर्पण भाव लोगों में विश्वास जगाता है कि वे उनके सहयोग से देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उनके इसी भाव के कारण लोगों का विश्वास उन पर जम जाता है। उनके इसी विश्वास का प्रमाण उनका एकजुट होना है।
उनकी एकजुटता तब परिलक्षित होती है जब वे अपने विश्वास और सहयोग भाव से युक्त होकर नदी के दोनों किनारे हाथ में दीये लेकर खड़े हो जाते हैं। घोर अंधकार को अपने विश्वास की रोशनी से जगमगा देते हैं। उनका यही विश्वास आपसी सहयोग से युक्त होकर एक बदलाव का सूचक बनता है कि अब बहुत हुआ, हमें आजादी चाहिए। गुलामी के अंधकार को समाप्त कर आजादी की सुनहरी रोशनी चाहिए। यह बदलाव की स्थिति क्रांति का रूप बन जाती है तब ताकतवर से ताकतवर व्यक्ति भी विश्वास और एकता के समक्ष ढेर हो जाता है।
प्रश्न 5.
गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के विषय में जनसभा में क्या कहा ?
उत्तर :
महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन को कुशासन बताया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश राज में तो निर्धन व्यक्ति से लेकर राजा तक सभी दुखी हैं। किसी को सुख प्राप्त नहीं हो रहा है। देश के सभी नवाब अंग्रेज़ी सरकार के हाथ की कठपुतली बनकर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेज़ी राज तो राक्षसी राज है और इसका नाश कर देना चाहिए।
प्रश्न 6.
ब्रिटिश शासकों में किस-किस वर्ग के लोग थे ?
उत्तर :
ब्रिटिश शासकों में विभिन्न राय रखने वाले लोग थे। उन लोगों में गांधी जी को लेकर विभिन्न राय थी। एक वर्ग ऐसा था, जिन्हें लगता था कि गांधी जी और उनके सत्याग्रही महिसागर नदी के किनारे नमक बनाने के कानून का उल्लंघन करके नमक बनाएँगे। गांधी जी को अच्छा समझने वाले अधिकारी इस बात से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि गांधी जी कोई भी काम कानून तोड़कर नहीं करेंगे।
प्रश्न 7.
उन दिनों नमक की रखवाली के लिए चौकीदार क्यों रखे जाते थे ?
उत्तर :
उन दिनों नमक बनाना सरकारी काम था। महिसागर नदी के किनारे समुद्री पानी काफ़ी नमक छोड़ जाता था। इसलिए उसकी रखवाली के लिए सरकारी नमक- चौकीदार रखे जाते थे। यह सब इसलिए भी किया जाता था कि आम आदमी नमक की चोरी न कर ले।
प्रश्न 8.
गांधी जी को नदी पार कराने की ज़िम्मेदारी किसे सौंपी गई ?
उत्तर :
गांधी जी को नदी पार कराने की ज़िम्मेदारी रघुनाथ काका को सौंपी गई थी। उन्होंने इस काम के लिए एक नई नाव खरीदी। गांधी जी को नदी पार कराने के काम के कारण रघुनाथ काका को निषादराज कहा जाने लगा था।
प्रश्न 9.
नदी के दोनों ओर दिये क्यों जल रहे थे ?
उत्तर :
आधी रात के समय नदी के किनारे पर बहुत अँधेरा था। समुद्र का पानी भी बहुत चढ़ गया था। छोटे-मोटे दियों से अँधेरा दूर नहीं होने वाला था। थोड़ी देर में उस अँधेरी रात में गांधी जी को आगे का सफ़र तय कराने के लिए दोनों किनारों पर हजारों की संख्या में दिये जल उठे। एक किनारे पर वे लोग थे जो गांधी जी को विदा करने आए थे। दूसरे किनारे पर वे लोग थे जो गांधी जी का स्वागत करने आए थे।
प्रश्न 10.
‘दिये जल उठे’ – पाठ के आधार पर महिसागर नदी के किनारे के दृश्यों का वर्णन करें।
उत्तर :
महिसागर नदी के तट पर घनी अंधेरी रात में भी मेला-सा लगा हुआ था। नदी के दोनों किनारों पर लोगों के हाथों में टिमटिमाते दिये थे। वे लोग गांधी जी और अन्य सत्याग्रहियों का इंतजार कर रहे थे। जब गांधी जी नाव पर चढ़ने के लिए नाव तक पहुँचे तो महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल की जय-जयकार के नारे लगने लगे। थोड़ी ही देर में नारों की आवाज़ दूसरे तट से भी आने लगी। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह नदी का तट न होकर पहाड़ों की घाटी हो, जहाँ से टकराकर आवाज़ वापस लौट आया करती है। आधी रात के समय नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिये लेकर खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके मन में अपने देश को आज़ाद कराने की कितनी ललक थी। नदी के दोनों किनारों पर खड़े लोगों के हाथों में टिमटिमाते दिये बहुत आकर्षक लग रहे थे।
प्रश्न 11.
‘दिये जल उठे’-पाठ के आधार पर स्पष्ट करें कि गांधीजी प्रत्येक स्थिति का सामना करना जानते थे।
उत्तर :
महिसागर नदी का क्षेत्र दलदली और कीचड़ से युक्त मिट्टी वाला था। इस में लगभग चार किलोमीटर पैदल चलना होता था। लोगों ने गांधी जी से कहा कि वे उन्हें कंधे पर उठा कर ले चलते हैं, परंतु गांधी जी ने इसे धर्मयात्रा कहा और कहा कि वे स्वयं चलकर इसे पूरा करेंगे। उनके इस कथन से उनके चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि वे अंग्रेजों के विरुद्ध अपने आंदोलन को धर्म की लड़ाई मानते थे तथा अपना प्रत्येक कार्य स्वयं करना चाहते थे। वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते थे।
वे अपने लक्ष्य की ओर स्वयं बढ़कर जाना चाहते थे। उन्हें रात के अंधेरे में महिसागर नदी पार करनी थी। उनके साथ कुछ सत्याग्रही भी थे। अँधेरा इतना घना था कि हाथ को हाथ नहीं सूझता था। थोड़ी देर में कई हज़ार लोग नदी के तट पर पहुँच गए। उन सबके हाथों में दिये थे। यही दृश्य नदी के दूसरे किनारे का भी था। इस प्रकार सारा वातावरण दीयों की रोशनी से जगमगा उठा और महात्मा गांधी की जय, सरदार पटेल की जय, जवाहर लाल नेहरू की जय के नारों के बीच सबने पानी और कीचड़ में चलकर महिसागर नदी को पार कर लिया। इससे यही सिद्ध होता है कि कैसी भी कठिन स्थिति क्यों न हो, यदि उसका सामना सूझबूझ और आपसी मेलजोल से किया जाए तो उस स्थिति का मुकाबला किया जा सकता है।
दिये जल उठे Summary in Hindi
पाठ का सार :
‘दिये जल उठे’ पाठ मधुकर उपाध्याय द्वारा लिखित है जिसमें उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने में तत्कालीन नेताओं के योगदान को दर्शाया है। सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने देश को आजाद कराने के लिए समय-समय पर अनेक आंदोलन किए। इन आंदोलनों में एक दांडी कूच भी था। सरदार पटेल इसी दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में गुजरात के रास नामक स्थान पर गए थे।
वहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें 500 रुपये जुर्माने के साथ तीन महीने की सज़ा सुनाई गई। पटेल की इस गिरफ़्तारी से लोगों में बड़ा रोष था। देश भर में उनकी गिरफ्तारी पर अनेक प्रतिक्रियाएँ हुईं। मदनमोहन मालवीय ने केंद्रीय सभा में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की निंदा की गई। उधर मोहम्मद अली जिन्ना ने सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ़्तारी को अभिव्यक्ति के सिद्धांत पर हमला बताया।
सरदार पटेल को रास से बोरसद की अदालत लाया गया और वहाँ से उन्हें साबरमती जेल भेज दिया गया। जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से होकर जाता था। आश्रमवासी अपने प्रिय नेता पटेल की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे। वे सड़क के दोनों किनारे खड़े हो गए। वहाँ पटेल और गांधी की एक संक्षिप्त मुलाकात हुई। पटेल ने गांधी जी और आश्रमवासियों से कहा, “मैं चलता हूँ।
अब आपकी बारी है।” पटेल के गिरफ्तार होने के बाद सारी जिम्मेवारी गांधी जी ने संभाल ली। वे रास पहुँचे और उन्होंने दरबार समुदाय के लोगों को देश को आजाद कराने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। इस बीच जवाहर लाल नेहरू ने गांधी जी से मिलने की इच्छा व्यक्त की किंतु गांधी जी ने मना कर दिया। गांधी जी ने दांडी कूच शुरू करने से पहले ही निश्चय किया कि वे अपनी यात्रा ब्रिटिश अधिकार वाले भू-भाग से ही करेंगे। गांधी जी और अन्य सत्याग्रही गाजे-बाजे के साथ रास पहुँचे।
गांधी जी ने वहाँ जनसभा को संबोधित करके लोगों को सरकारी नौकरियाँ छोड़ने के लिए प्रेरित किया गांधी जी और सत्याग्रही जब रास से चलकर कनकपुरा पहुँचे तो एक वृद्धा ने गांधी जी को देश से आज़ाद कराने की बात कही। उन्होंने उसे आश्वासन दिया कि वे अब देश को आजाद कराके ही लौटेंगे। गांधी जी ने अपनी दांडी यात्रा को धर्मयात्रा की संज्ञा दी और उसमें किसी प्रकार का आराम न करने की बात कही। गांधी और अन्य सत्याग्रही अंततः मही नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ उनके स्वागत में बहुत सारे लोग खड़े थे। आधी रात के समय मही नदी के तट पर अद्भुत नजारा था।
सभी लोग अपने हाथों में दिये लेकर खड़े थे। जैसे ही महात्मा गांधी नाव से नदी पार करने के लिए नाव तक पहुँचे तो महात्मा गांधी, पटेल और नेहरू के जयकारों से मही नदी के दोनों किनारे गूँज उठे। गांधी जी नदी पार करके विश्राम करने के लिए झोंपड़ी में चले गए। गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग हाथों में दीये लिए खड़े रहे। वे अन्य सत्याग्रहियों के पार उतरने की प्रतीक्षा कर रहे थे। उस समय महीं नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिये लिए खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके हृदय में अपने देश को आजाद कराने वाले नेताओं के प्रति कितनी श्रद्धा थी। साथ ही वे देश को शीघ्र आजाद हुआ देखना चाहते थे।
कठिन शब्दों के अर्थ :
- सत्याग्रह – गांधी जी द्वारा देश की स्वतंत्रता के लिए चलाया गया आंदोलन।
- कबूल – स्वीकार।
- निषेधाज्ञा – मनाही का आदेश।
- क्षुब्ध – नाराज़।
- संक्षिप्त – छोटी-सी।
- प्रतिक्रिया – किसी कार्य के परिणामस्वरूप होने वाला कार्य।
- भर्त्सना – निंदा।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – बोलने की आज़ादी।
- नज़ीर – उदाहरण।
- भव्य – शानदार।
- रियासतदार – रियासत या इलाके का मालिक।
- प्रयाण – प्रस्थान।
- पुश्तैनी – पीढ़ियों से चला आ रहा।
- इस्तीफ़ा – त्याग-पत्र।
- आधिपत्य – प्रभुत्व।
- जिक्र – वर्णन।
- तुच्छ – हीन।
- ठंडी बयार – ठंडी हवा।
- स्वराज – स्वराज्य, अपना राज्य।
- कुशासन – बुरा शासन।
- रंक – गरीब, निर्धन व्यक्ति।
- संहार – नाश करना।
- हुक्मरानों – शासकों।
- परिवर्तन – बदलाव।
- नज़ारा – दृश्य।
- प्रतिध्वनि – किसी शब्द के उपरांत सुनाई पड़ने वाला, उसी से उत्पन्न शब्द, गूँज, अनुगूँज।
- संभवत: – शायद।