Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान
JAC Class 9 Hindi शक्र तारे के समान Textbook Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
प्रश्न 1.
महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे ?
उत्तर :
महादेव भाई स्वयं का परिचय गांधी जी का ‘हम्माल’ अथवा ‘पीर – बावर्ची – भिश्ती – खर’ कहकर देते थे।
प्रश्न 2.
‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी ?
उत्तर :
‘यंग इंडिया’ में ‘क्रानिकल’ के हॉर्नीमैन लेख लिखते थे। सरकार ने उन्हें देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया था। इसलिए ‘यंग इंडिया’ में लेखों की कमी रहने लगी थी।
प्रश्न 3.
गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया ?
उत्तर :
गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ को सप्ताह में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया।
प्रश्न 4.
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव जी कहाँ नौकरी करते थे ?
उत्तर :
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव जी सरकार के अनुवाद – विभाग में नौकरी करते थे।
प्रश्न 5.
महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था ?
उत्तर :
महादेव भाई के झोलों में ताज़े-से-ताजे समाचार पत्र, मासिक – पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं।
प्रश्न 6.
महादेव भाई ने गांधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था ?
उत्तर :
महादेव भाई ने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अनुवाद किया था।
प्रश्न 7.
अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे ?
उत्तर :
अहमदाबाद से ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ नामक दो साप्ताहिक – पत्र प्रकाशित होते थे।
प्रश्न 8.
महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे ?
उत्तर :
महादेव भाई काम में रात और दिन के बीच कोई फ़र्क नहीं करते थे। वे निरंतर काम में लगे रहते थे। वे एक घंटे में चार घंटों का काम निपटा देते थे।
प्रश्न 9.
महादेव भाई से गांधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है ?
उत्तर
महादेव भाई की मृत्यु के बाद भी जब प्यारेलाल जी से गांधी जी को कुछ कहना होता था तो उनके मुख से अनायास ही ‘महादेव’ निकलता था।
लिखित –
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1.
गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था ?
उत्तर :
गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस तब कहा था जब वे सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जा रहे थे और उन्हें पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
प्रश्न 2.
गांधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे ?
उत्तर :
गांधी जी से मिलने आनेवालों की बातों को महादेव भाई सुनकर उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गांधी जी के सम्मुख प्रस्तुत करते थे और आनेवालों के साथ उनकी भेंट भी करवाते थे।
प्रश्न 3.
महादेव जी की साहित्यिक देन क्या है ?
उत्तर :
महादेव भाई की भाषा शिष्ट और संस्कार संपन्न थी। इनकी लेखन शैली मनोहारी थी। इन्होंने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया था जो प्रत्येक सप्ताह ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित होता रहा था। बाद में पुस्तक के रूप में इसका प्रकाशन हुआ था।
प्रश्न 4.
महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
उत्तर :
सन् 1935-36 में गांधी जी सेगाँव की सीमा पर झोंपड़ों में रहने लगे थे। महादेव भाई मगनवाड़ी में ही रहते थे। वहीं से वे वर्धा की असहनीय गरमी में रोज़ ग्यारह मील पैदल चलकर आते-जाते थे। यह कार्यक्रम काफ़ी लंबे समय तक चलता रहा। इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उनकी अकाल मृत्यु हो गई।
प्रश्न 5.
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे ?
उत्तर :
महात्मा गांधी कहा करते थे कि महादेव के लिखे नोट के साथ थोड़ा मिलान कर लेना चाहिए था क्योंकि महादेव भाई के द्वारा लिखे गए नोट में कभी कॉमा तक की भी गलती नहीं होती थी
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
प्रश्न 1.
पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया ?
उत्तर :
पंजाब में फ़ौजी शासन ने सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग में निर्दोष लोगों को घेरकर मार दिया था। पंजाब में अधिकांश नेताओं को गिरफ़्तार करके फ़ौजी कानून के अंतर्गत आजीवन कैद की सजाएँ देकर काला पानी भेज दिया गया था। लाहौर से प्रकाशित होनेवाले राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक समाचार-पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को दस वर्ष जेल की सज़ा दे दी गई थी।
प्रश्न 2.
महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था ?
उत्तर :
महादेव जी सेवा-धर्म का पालन करने में निपुण थे। वे लोगों के द्वारा बताई गई बातें भी संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करने और उन्हें गांधी जी के सामने पेश करने, गांधी जी के लेख तैयार करने, उनके यात्रा-वर्णन लिखने, उनकी दैनिक गतिविधियों को देखने तथा सत्यनिष्ठा और विवेकपूर्ण ढंग से विकास करने के कारण सबके लाड़ले बन गए थे।
प्रश्न 3.
महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर :
महादेव जी की लेखन शैली अत्यंत मनोहारी थी। वे अपने लेखन में शिष्ट और संस्कार – संपन्न भाषा का प्रयोग करते थे। गांधी जी से मिलने आनेवाले लोगों की व्यथा-कथा सुनकर स्वयं उनसे हुई बातों की संक्षिप्त तथा सटीक टिप्पणियाँ लिखने में वे अत्यंत निपुण थे। इनके द्वारा लिखी गई तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक तथा अन्य विषयों की टिप्पणियों के आधार पर गांधी जी ‘बांबे क्रॉनिकल’, ‘यंग इंडिया’, ‘नवजीवन’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखते थे। गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद इनकी लेखन शैली का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –
प्रश्न 1.
‘अपना परिचय उनके ‘पीर- बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’
उत्तर :
महादेव भाई लोगों को अपना परिचय गांधी जी के उस परिचारक के रूप में देने में गर्व अनुभव करते थे जो उनके सभी प्रकार के कार्य करने में समर्थ है। वे स्वयं को गांधी जी का ऐसा ही सेवक मानते थे क्योंकि वे उनके सभी कार्य करते थे। इसी में उन्हें गर्व अनुभव होता था कि वे गांधी जी के अनुचर हैं।
प्रश्न 2.
इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
उत्तर :
वकालत का पेशा झूठ बोलने का पेशा माना जाता है क्योंकि इसमें वकील अपने ग्राहक को जिताने के लिए झूठ को सच और सच को झूठ बनाकर प्रस्तुत करते हैं। जो इस कार्य में निपुण होता है वही सफल वकील माना जाता है।
प्रश्न 3.
देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचनाक अस्त हो गए।
उत्तर
महादेव भाई शुक्रतारे के समान अपनी आभा से संसार को मोहित करके अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।
प्रश्न 4.
उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर :
महादेव भाई द्वारा लिखे गए पत्रों की विषय-वस्तु को पढ़कर दिल्ली और शिमला में बैठे हुए वाइसराय भी परेशान हो उठते थे।
भाषा-अध्ययन –
प्रश्न 1.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए –
सप्ताह, अर्थ, साहित्य, धर्म, व्यक्ति, मास, राजनीति, वर्ष।
उत्तर :
साप्ताहिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक, वैयक्तिक, मासिक, राजनैतिक, वार्षिक।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए –
अ, नि, अन, नि, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि।
उत्तर :
- आर्य – अनार्य
- डर – निडर
- सार्थक – निरर्थक
- सुलभ – दुर्लभ
- क्रय – विक्रय
- उपस्थित – अनुपस्थित
- नायक – अधिनायक
- आगत – अनागत
- आकर्षण – विकर्षण
- मार्ग – कुमार्ग
- लोक – परलोक
- भाग्य – दुर्भाग्य
- आयात – निर्यात
- विश्वास – अविश्वास।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
आड़े हाथों लेना, अस्त हो जाना, दाँतों तले अंगुली दबाना, मंत्र-मुग्ध करना, लोहे के चने चबाना।
उत्तर :
1. आड़े हाथों लेना – जब जोसफ़ ने बहाना बनाकर विद्यालय जाने से इनकार किया तो मम्मी ने उसे आड़े हाथों लिया और विद्यालय जाने के लिए विवश कर दिया।
2. अस्त हो जाना – आपसी कलह से बड़े-बड़े घरानों की ख्याति अस्त हो जाती है
3. दाँतों तले अंगुली दबाना – ताजमहल का सौंदर्य देखकर बड़े-बड़े कलाकार भी दाँतों तले अँगुली दबा लेते हैं।
4. मंत्र-मुग्ध करना – लोक-नृतकों ने अपने नृत्य से दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
5. लोहे के चने चबाना – भारतीय सेना से मुकाबला करना लोहे के चने चबाने के समान है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-
वारिस, जिगरी, कहर, मुकाम, रूबरू, फ़र्क, तालीम, गिरफ़्तार।
उत्तर :
- वारिस – उत्तराधिकारी
- जिगरी – दिली
- कहर – संकट
- मुकाम – पड़ाव
- रूबरू – सामने
- फ़र्क – अंतर
- तालीम – शिक्षा
- गिरफ़्तार – बंदी
प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए –
उदाहरण : गांधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गांधी जी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।
- महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर – बावर्ची – भिश्ती – खर’ के रूप में देते थे।
- पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
- दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
- देश-विदेश के समाचार पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
- गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।
उत्तर :
- महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर – बावर्ची भिश्ती – खर’ के रूप में दिया करते थे।
- पीड़ितों के दल – के – दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
- दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
- देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
- गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव जी लिखा करते थे।
योग्यता-विस्तार –
प्रश्न 1.
गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 2.
जलियाँवाला बाग में कौन-सी घटना हुई थी ? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 3.
अहमदाबाद में बापू के आश्रम के विषय में चित्रात्मक जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 4.
सूर्योदय के 2-3 घंटे पहले पूर्व दिशा में या सूर्यास्त के 2-3 घंटे बाद पश्चिम दिशा में एक खूब चमकता हुआ ग्रह दिखाई देता है, वह शुक्र ग्रह है। छोटी दूरबीन से इसकी बदलती हुई कलाएँ देखी जा सकती हैं, जैसे चंद्रमा की कलाएँ।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 5.
वीराने में जहाँ बत्तियाँ न हों वहाँ अँधेरी रात में जब आकाश में चाँद भी दिखाई न दे रहा हो तब शुक्र ग्रह (जिसे हम शुक्रतारा भी कहते हैं) के प्रकाश से अपने साए को चलते हुए देखा जा सकता है। कभी अवसर मिले तो इसे स्वयं अनुभव करके देखिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
परियोजना कार्य –
प्रश्न 1.
सूर्यमंडल में नौ ग्रह हैं। शुक्र सूर्य से क्रमशः दूरी के अनुसार दूसरा ग्रह है और पृथ्वी तीसरा। चित्र सहित परियोजना पुस्तिका में अन्य ग्रहों के क्रम लिखिए।
प्रश्न 2.
‘स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का योगदान’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र पर निम्न स्थानों को दर्शाएँ –
अहमदाबाद, जलियाँवाला बाग (अमृतसर), कालापानी (अंडमान), दिल्ली, शिमला, बिहार, उत्तर प्रदेश।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
JAC Class 9 Hindi शक्र तारे के समान Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘शुक्रतारे के समान’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्वामी आनंद द्वारा रचित पाठ ‘शुक्रतारे के समान’ में गाँधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई के जीवन के कुछ अंशों को प्रस्तुत किया गया है। लेखक के अनुसार महादेव भाई अत्यंत सरल, सज्जन, निष्ठावान, समर्पित एवं निरभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने महात्मा गाँधी की समस्त चिंताओं और उलझनों को अपने सिर पर ले लिया था, इस कारण कोई भी महान व्यक्ति महानतम कार्य तभी कर पाता है जब उसका सहयोगी महादेव भाई जैसा ही हो।
प्रश्न 2.
महादेव भाई के अध्ययन की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर :
महादेव भाई साहित्यिक पुस्तकों की तरह तत्कालीन राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित पुस्तकें अधिक पढ़ते थे। इन पुस्तकों से उन्हें भारत से संबंधित देश-विदेश में होनेवाली गतिविधियों की जानकारी मिल जाती थी। उन्हें ताज़े समाचार-पत्र, मासिक और साप्ताहिक – पत्रों को पढ़ने में विशेष रुचि थी। वे सम-सामयिक विषयों से संबंधित पुस्तकें अधिक पढ़ते थे।
प्रश्न 3.
‘यंग इंडिया’ अख़बार कहाँ से निकलता था ? इसका प्रकाशन करनेवालों ने गाँधी जी को संपादक क्यों बनाया ?
उत्तर :
‘यंग इंडिया’ अख़बार बंबई से निकलता था। इसमें लेखक लिखनेवाले हॉर्नीमैन को ब्रिटिश सरकार ने उनके निर्भीक लेखों के कारण देश निकाला दे दिया, जिससे ‘यंग इंडिया’ अख़बार में लेखों की कमी आ गई। ‘यंग इंडिया’ के मालिकों ने गाँधी जी से संपर्क किया और उन्हें अपने अख़बार का संपादक बनने का आग्रह किया। उन दिनों गाँधी जी को भी अपने लेखों के लिए अख़बार की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
प्रश्न 4.
लेखक साबरमती आश्रम में क्या काम करते थे ?
उत्तर :
लेखक छह महीने के लिए साबरमती आश्रम में रहने के लिए गए। वहाँ उन्होंने शुरू में अख़बारों के ग्राहकों का हिसाब-किताब और साप्ताहिकों को डाक में डलवाने की व्यवस्था देखने का काम किया। कुछ दिनों बाद दोनों साप्ताहिकों के संपादन और छापाखाने की सारी व्यवस्था लेखक पर आ गई। इस प्रकार आश्रम में रहते हुए उन्होंने ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ समाचार-पत्रों के साप्ताहिक अंकों की व्यवस्था का काम किया।
प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार महादेव भाई का व्यक्तित्व कैसा था ?
उत्तर :
लघु तलनीय प्रश्न त उत्तर महादेव भाई का व्यक्तित्व उनके संपर्क में आनेवाले लोगों पर जादुई प्रभाव डालता था, जिसका प्रभाव कई-कई दिन तक रहता था। वे कभी भी किसी से कड़वी या चुभनेवाली बात नहीं करते थे। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके संपर्क में आनेवाले व्यक्ति को चंद्र- शुक्र की प्रभा के साथ दूध से नहला देती थी।
प्रश्न 6.
महादेव भाई से मिलकर कैसा लगता था ?
उत्तर :
महादेव भाई से मिलकर ऐसा लगता था जैसे उनके व्यक्तित्व ने मिलनेवाले को सम्मोहित कर दिया हो। उनका सारा जीवन गाँधी जी के साथ मिलकर एक रूप हो गया था। उनकी संस्कार संपन्न भाषा और मनोहारी रूप सभी को अपनी ओर खींच लेता था। काम-काज में व्यस्त होने पर भी वे प्रतिदिन डायरी लिखा करते थे। उनका यही कार्यशैली मिलनेवाले को सुखद आनंद देती थी।
प्रश्न 7.
महादेव भाई के काम करने की गति कैसी थी ?
उत्तर :
महादेव भाई एक पठनशील नवयुवक थे। उन्हें जब भी अवसर मिलता था वे ‘यंग इंडिया’ तथा ‘नव जीवन’ के लिए लेख लिखते थे। उनकी काम करने की गति बहुत तेज़ थी। वे चार घंटों का काम एक ही घंटे में निपटा देते थे। वे चरखे पर सूत बहुत सुंदर कातते थे। उनके लिए काम के बीच रात – दिन में कोई अंतर नहीं था। किसी को भी उनके खाने-पीने का पता नहीं चलता था कि उन्होंने कब खाया, कब पिया।
प्रश्न 8.
गाँधी जी महादेव भाई से कितना स्नेह करते थे ?
उत्तर :
गाँधी जी महादेव भाई से अत्यधिक स्नेह करते थे। सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में जब गाँधी जी को पंजाब जाते हुए पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया तो उसी समय गाँधी जी ने महादेव भाई के प्रति अपने प्रेम का परिचय देते हुए उन्हें अपना वारिस कह दिया था। सन् 1929 में महादेव भाई ने सारे देश में यात्राएँ की थीं।
शक्र तारे के समान Summary in Hindi
लेखक परिचय :
जीवन-परिचय – स्वामी आनंद का जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में सन् 1887 ई० में हुआ था। इनका बचपन का नाम हिम्मत लाल था। इन्हें दस वर्ष की आयु में कुछ साधु अपने साथ हिमालय की ओर ले गए थे। उन्हीं साधुओं ने इनका नाम स्वामी आनंद रख दिया था। सन् 1907 ई० से स्वामी आनंद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। सन् 1917 ई० में इनका संपर्क गांधी जी से हुआ।
गांधी जी ने इन्हें ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया’ की प्रसार व्यवस्था का कार्यभार दिया। इन्होंने कुछ समय तक महाराष्ट्र से ‘तरुण हिंद’ नामक समाचार-पत्र निकाला था। इन्होंने बाल गंगाधर तिलक के ‘केसरी’ समाचार – पत्र में भी काम किया था। गांधी जी के संपर्क में आने के बाद ही इनका संबंध गांधी जी के निजी सहयोगी महादेव भाई और प्यारेलाल से हुआ।
रचनाएँ – स्वामी आनंद ने ‘तरुण हिंद’, ‘नवजीवन’, ‘केसरी’ आदि समाचार-पत्रों में अनेक लेख लिखे थे।
भाषा-शैली – स्वामी आनंद के आलेख ‘शुक्रतारे के समान’ में गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई के जीवन के विभिन्न पक्षों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक की भाषा अत्यंत सहज एवं व्यावहारिक है। तेजस्वी, मुग्ध, आसेतु, हिमाचल, शिष्ट, संस्कार, संपन्न आदि तत्सम प्रधान शब्दों के साथ-साथ पीर, बावर्ची, भिश्ती, खर, जुल्म, अलावा, स्याह, सफ़ेद, हफ़्ता आदि विदेशी शब्दों का प्रयोग भी मिलता है।
इनकी शैली सहज, प्रभावपूर्ण तथा वर्णनप्रधान है, जैसे- ‘प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार संपन्न भाषा और मनोहारी लेखन – शैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थी।’ इनके वर्णनों में चित्रात्मकता का गुण भी विद्यमान है, जैसे- ‘बिहार और उत्तर प्रदेश के हज़ारों मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी, ‘सोने’ की कीमतवाले ‘गाद’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिए रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहीं मिलेगा नहीं।’ इस प्रकार स्वामी आनंद ने सहज, सरल भाषा एवं रोचक शैली में महादेव भाई के जीवन के कुछ प्रसंग प्रस्तुत किए हैं।
पाठ का सार :
‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के लेखक स्वामी आनंद हैं। इस पाठ में लेखक ने गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की सरलता, सज्जनता, निष्ठा, समर्पण, लगन और विनम्रता का सजीव अंकन किया है। लेखक का मानना है कि जिस प्रकार शुक्रतारा अपनी आभा दिखाकर घंटे-दो घंटे में अस्त हो जाता है उसी प्रकार से गांधी जी के सचिव महादेव भाई भी भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी आभा दिखाकर अचानक ही अस्त हो गए। गांधी जी उन्हें अपने पुत्र से भी अधिक मानते थे।
वे सन् 1917 ई० में गांधी जी के पास आए थे। सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में जब गांधी जी को पंजाब जाते हुए पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया तो उसी समय उन्होंने महादेव भाई को अपना वारिस कह दिया था। सन् 1929 ई० में महादेव भाई ने सारे देश में यात्राएँ की थीं। इन्हीं दिनों पंजाब में फ़ौजी शासन के अत्याचारों और नेताओं की गिरफ़्तारी के समाचार आ रहे थे। ‘ट्रिब्यून’ के संपादक कालीनाथ राय को दस साल की जेल की सजा दी गई थी।
महादेव भाई इन दिनों के जुल्मों की टिप्पणियाँ तैयार करके गांधी जी को देते थे तथा गांधी जी उनके आधार पर ‘बांबे क्रॉनिकल’ में लेख लिखकर भेजते थे। जब ‘क्रॉनिकल’ के संपादक हार्नोमैन को देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया गया तो शंकर लाल बैंकर, उम्मर सोबानी तथा जमना दास द्वारका दास के अनुरोध पर गांधी जी ‘यंग इंडिया’ के संपादक बन गए और इसमें लिखने लगे। ‘यंग इंडिया’ सप्ताह में दो बार प्रकाशित होने लगा।
बाद में ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया’ दोनों अहमदाबाद से प्रकाशित होने लगे थे। लेखक भी साबरमती में रहने लगा और इन दोनों साप्ताहिकों का वितरण, प्रकाशन आदि का कार्य देखने लगा। गांधी जी और महादेव भाई का अधिकांश समय देश भ्रमण में ही व्यतीत होता था। उनके लेख आते रहते थे। महादेव भाई देश-विदेश के प्रमुख समाचारों पर गांधी जी के साथ टीका-टिप्पणी कर लेख भेजते थे।
गांधी जी के पास आने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। इन्होंने नरहरि भाई के साथ वकालत पढ़ी थी और अहमदाबाद में वकालत भी प्रारंभ की थी। लुई फिशर और गंथर भी अपनी टिप्पणियों का मिलान महादेव भाई की टिप्पणियों के साथ करने के बाद ही गांधी जी के पास ले जाते थे। महादेव भाई तत्कालीन राजनीति से संबंधित पुस्तकों को भी पढ़ते रहते थे तथा उनमें भारत से संबंधित जानकारियों को सहेज लेते थे तथा जहाँ भी अवसर मिलता ‘यंग इंडिया’ तथा ‘नवजीवन’ के लिए लेख लिखते रहते थे।
उनकी काम करने की गति बहुत तेज थी। वे चार घंटों का काम एक घंटे में निपटा देते थे। वे सूत बहुत सुंदर कातते थे। उनके लिए काम में रात और दिन के बीच कोई अंतर नहीं होता था। उनके खाने-पीने का भी किसी को पता नहीं चलता था कि कब खाया ? महादेव भाई से मिलकर ऐसा लगता था जैसे उनके व्यक्तित्व ने मिलनेवाले को सम्मोहित कर दिया हो। महादेव भाई का समूचा जीवन गांधी जी के साथ मिलकर एकरूप हो गया था।
उन्हें गांधी जी से अलग करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कामकाज की व्यस्तताओं में भी वे प्रतिदिन डायरी भी लिखते थे। इनकी लेखन शैली अत्यंत शिष्ट, संस्कार-संपन्न भाषा और मनोहारी थी। इन्होंने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया था जो ‘यंग इंडिया’ में हर हफ्ते छपता रहा था। अब उसका पुस्तक संस्करण छप चुका है।
सन् 1934-35 ई० में गांधी जी वर्धा के महिला आश्रम में और मगनवाड़ी में रहने के बाद से गाँव की सीमा पर एक पेड़ के नीचे जा बैठे थे। तभी वहाँ एक-दो झोंपड़े बने और फिर धीरे-धीरे मकान भी बन गए थे। तब तक महादेव भाई, दुर्गा बहन और चिन्नारायण मगनवाड़ी में ही रहते थे। वहीं से वे वर्धा की भयंकर गरमी में भी प्रतिदिन ग्यारह मील चलकर सेवाग्राम आते-जाते थे। इसी के प्रतिकूल प्रभाव से उनकी अकाल मृत्यु हो गई। गांधी जी के मन पर उनकी मृत्यु का बहुत प्रभाव पड़ा था तथा वे भर्तृहरि के भजन की एक पंक्ति सदा दोहराते रहते थे कि ‘ए रे जखम जोगे नहि जशे’ अर्थात् यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं। कई बार जब उन्हें प्यारेलाल जी को बुलाना होता था तो उनके मुख से ‘महादेव’ ही निकलता था।
कठिन शब्दों के अर्थ :
- आभा-प्रभा – चमक, तेज़।
- कोई जोड़ न होना – कोई मुकाबला करने वाला न होना।
- नक्षत्र-मंडल – तारा समूह।
- कलगी रूप – तेज़ चमकनेवाला तारा।
- हम्माल – बोझ उठानेवाला, कुली।
- पीर – महात्मा, सिद्ध।
- बावर्ची – खाना पकानेवाला, रसोइया।
- भिश्ती – मशक से पानी ढोनेवाला व्यक्ति।
- खर – घास, गधा।
- आसेतुहिमाचल – रामेश्वर से हिमाचल तक विस्तीर्ण सेतुबंध।
- दुलारे – प्यारे।
- ब्यौरा – विवरण।
- कालापानी – आजीवन कैद की सज़ा पाए कैदियों को रखने का स्थान, वर्तमान अंडमान-निकोबार द्वीप समूह।
- रूबरू – आमने सामने।
- धुरंधर – प्रवीण, उत्तम गुणों से युक्त।
- टीका-टिप्पणी – व्याख्या, आलोचना।
- चौकसाई – चौकस रहना, नज़र रखना।
- कट्टर – दृढ़, जिसे अपने मत या विश्वास का अधिक आग्रह हो।
- लाडला – प्यारा, दुलारा।
- जिगरी दोस्त – गहरे मित्र।
- पेशा – व्यवसाय।
- स्याह – काला।
- सल्तनत राज्य, हुकूमत।
- व्याख्यान – भाषण, वक्तृता, किसी विषय की व्याख्या या टीका करना।
- फुलस्केप – कागज़ का एक आकार।
- चौथाई – चौथा भाग।
- अग्रगण्य – प्रमुख, सबसे पहले गिना जाने वाला।
- विवरण – वर्णन, व्याख्या।
- अद्यतन – अब तक का, वर्तमान से संबंध रखने वाला।
- गाद – तलहट, गाढ़ी चीज़।
- सराबोर – तरबतर, डूबा हुआ।
- अनवरत – लगातार।
- सानी – बराबरी करनेवाला, उसी मोड़ का दूसरा।
- अनगिनत – जिसे गिना न जा सके।
- सिलसिला – क्रम।
- अनायास – बिना किसी प्रयास के, आसानी से।