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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 2 बहुपद
चर / अचर : चर का मान स्थिर नहीं होता है। इसे हम स्वेच्छा से बदल सकते हैं जबकि अचर का मान स्थिर रहता है। हम चरों को अक्षरों x, y, z आदि से व्यक्त करते हैं तथा अचरों को वास्तविक संख्याओं या अक्षरों a, b, c द्वारा व्यक्त करते हैं।
बीजीय व्यंजक = [(एक अचर) × चर], कुछ निश्चित चर तथा अचर राशियों के योग, अन्तर, गुणन, भाग के आधार पर बने व्यंजक को बीजीय व्यंजक कहते हैं।
एक चरीय बहुपद : सभी बीजीय व्यंजकों में केवल एक चर हो तथा उस चर के घातांक पूर्ण संख्या हों, तो इस रूप के व्यंजकों को एक चरीय बहुपद कहते हैं।
एक चर वाला बहुपद p(x) निम्न रूप का x में बीजीय व्यंजक है :
p(x) = a0 + a1x + a2x2 + a3x3 + …….. + anxn
जहाँ a0, a1, a2, ……… an अचर हैं और (a ≠ 0) तथा इन्हें x0, x1, x2, x3, ……… xn के गुणांक भी कहते हैं।
बहुपद : यदि बीजीय व्यंजक में x (चर) की सभी घातें धनात्मक पूर्ण संख्या हों, उसे बहुपद कहते हैं।
उदाहरण के लिए, y-2 बहुपद नहीं है क्योंकि चर y की घात ऋणात्मक है जबकि y2 बहुपद है।
बहुपद के प्रकार : (A) पदों के आधार पर :
(i) एकपदी (Monomial) व्यंजक : वह बहुपद जिसमें केवल एक पद हो, एकपदी बहुपद कहलाता है।
जैसे- 2x, 2, 5x3, y और u4 आदि।
(ii) द्विपदीय (Binomial) व्यंजक : वह बहुपद जिसमें दो पद हों, द्विपदी बहुपद कहलाता है।
जैसे- x + 1, x2 + 3, y10 + 1, x2 + u10 आदि।
(iii) त्रिपदीय (Trinomial) व्यंजक : वह बहुपद जिसमें तीन पद हों, त्रिपदी बहुपद कहलाता है।
जैसे- x4 + x3 + 2, 5x2 + 4 + 3x आदि ।
(B) घात के आधार पर :
(i) रैखिक बहुपद : वह बहुपद जिसकी घात एक हो, रैखिक बहुपद कहलाता है। उदाहरण के लिए,
p(x) = 4x + 5, q(y) = 2y, r(t) = t + \(\sqrt{2}\) आदि ।
(ii) द्विघाती बहुपद : वह बहुपद जिसकी घात दो हो, द्विघाती बहुपद कहलाता है। उदाहरण के लिए,
2x2 + 5, 5x2 + 3x + π, x2 + \(\frac{2}{5}\)x आदि ।
किसी व्यंजक की सबसे बड़ी घात को बहुपद की घात कहते हैं।
शून्य बहुपद : यदि a0 = a1 = a2 = a3 ……… an = 0
अर्थात सभी अचर शून्य हों तो बहुपद शून्य बहुपद कहलाता है। शून्य बहुपद की घात को परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
- एक चर वाले प्रत्येक रैखिक बहुपद में एक शून्यांक होता है।
- स्थिर (अचर) बहुपद का कोई शून्यांक नहीं होता है।
- प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का शून्यांक होता है।
बहुपद का शून्यक: किसी बहुपद में चर के स्थान पर किसी वास्तविक संख्या को प्रतिस्थापित करने पर यदि बहुपद का मान शून्य आता है वह वास्तविक संख्या उस बहुपद का शून्यक कहलाती है।
शेषफल प्रमेय : माना बहुपद p(x) एक या एक से अधिक घात वाला एक बहुपद है। p(x) को रैखिक बहुपद (x – a) से भाग देने पर शेषफल p(a) के बराबर होता है तथा p(a) = 0।
- यदि p(a) = 0 हो, तो (x – a) बहुपद p(x) का एक गुणनखण्ड होता है।
- यदि p(a) ≠ 0 हो, तो (x – a) बहुपद p(x) का एक गुणनखण्ड है।
बीजीय सर्वसमिकाएँ :
- (x + y)2 = x2 + y2 + 2xy
- (xy)2 = x2 + y2 – 2xy
- (x2 – y2) = (x + y) (x – y)
- (x + y + z)2 = x2 + y2 + z2 + 2xy + 2yz + 2zx
- (x + y)3 = x3 + y3 + 3(x + y)xy = x3 + y3 + 3x2y + 3xy2
- (x – y)3 = x3 – y3 – 3(x – y)xy = x3 – y3 – 3x2y + 3xy2
- x3 + y3 + z3 – 3xyz = (x + y + z) (x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx)
- (x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab