Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम् Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 9th Sanskrit व्याकरणम् धातुरूप-प्रकरणम्
1. भू(होना) धातु (वर्तमान काल) परस्मैपदी
2. हस् (हँसना) धातु परस्मैपदी
3. पठ्(पढ़ना) धातु परस्मैपदी
4. नम् (झुकना) धातु परस्मैपदी
5. गम् (गच्छ) (जाना) धातु परस्मैपदी
6. अस् (होना) धातु परस्मैपदी
7. इष् (इच्छ) (इच्छा करना) धातु परस्मैपदी
8. प्रच्छ (पृच्छ्) (पूछना) धातु परस्मैपदी
9. हन् (मारना) धातु परस्मैपदी
10. नृत् (नाचना) धातु परस्मैपदी
11. कृ (कर) (करना) धातु परस्मैपदी
12. चिन्त् (चिन्तय) (सोचना) धातु परस्मैपदी
13. क्रुध् (क्रुध्य्) (क्रोध करना) धातु परस्मैपदी
14. नश् (नश्य) (नष्ट होना) धातु परस्मैपदी
15. ज्ञा (जान्) (जानना) धातु परस्मैपदी
16. भक्ष (भक्षय) (खाना) धातु परस्मैपदी
आत्मनेपदी धातुएँ –
1. सेव (सेवा करना) धातु आत्मनेपदी
2. लभ् (पाना) धातु आत्मनेपदी
3. रुच (रोच्) (चमकना और रुचना, अच्छा लगना)
धातु आत्मनेपदी
4. मुद् (मोद्) (प्रसन्न होना) धातु आत्मनेपदी
उभयपदी धातुएँ
1. याच् (याचना करना, माँगना) धातु परस्मैपदी
2. याच् (याचना करना, माँगना) धातु आत्मनेपदी
3. नी (नय) (ले जाना) धातु परस्मैपदी
4. नी (नय) (ले जाना) धातु आत्मनेपदी
5. ह (हर) (हरण करना) धातु परस्मैपदी
6. हृ (ह) (हरण करना) धातु आत्मनेपदी
7. भज् (सेवा करना,भजन करना) धातु परस्मैपदी
8. भज् (सेवा करना, भजन करना) धातु आत्मनेपदी
9. पच् (पकाना) धातु परस्मैपदी
10. पच् (पकाना) धातु आत्मनेपदी
अन्य महत्त्वपूर्ण धातुएँ
1. वद् (बोलना) परस्मैपदी
2. रक्ष (रक्षा करना) परस्मैपदी
3. दृश् (पश्य) (देखना) परस्मैपदी
4. स्था (तिष्ठ) (ठहरना) परस्मैपदी
5. वस् (रहना) धातु परस्मैपदी
6. जि (जय) (जीतना) धातु परस्मैपदी
7. तृ (तर) (तैरना) धातु परस्मैपदी लोट् लकार (आज्ञार्थक)
8. चर् (चलना) धातु परस्मैपदी
9. दा (देना) धातु परस्मैपदी
10. यच्छ (देना) परस्मैपदी
11. खाद् (खाना) परस्मैपदी
12. चुर् (चोरय्) (चोरी करना) परस्मैपदी
13. कथ् (कथय)(कहना) परस्मैपदी
14. शक् (सकना) परस्मैपदी
15. लिख (लिखना) परस्मैपदी
16. जीव् (जीना) परस्मैपदी
17. पत् (गिरना) परस्मैपदी
18. क्रीड् (खेलना) परस्मैपदी
19. त्यज् (छोड़ना) परस्मैपदी धातुलट् लकार (वर्तमान काल)
20. तुद् (दुःख देना) परस्मैपदी लोट् लकार (आज्ञार्थक)
21. शुभ् (शोभ) (शोभित होना) आत्मनेपद
22. भाष् (बोलना) आत्मनेपदी
अभ्यास
प्रश्न: 1.
तिङ्न्त पद किसे कहते हैं?
उत्तरम् :
धातुओं के अन्त में तिङ् प्रत्यय जोड़े जाते हैं अतः तिङ् जुड़ने के कारण ही इन्हें (धातुओं को) ‘तिङ्न्त पद’ कहा जाता है।
प्रश्न: 2.
तिङ् प्रत्यय कितने होते हैं? उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तरम् :
तिङ् प्रत्यय कुल 18 हैं। 9 का प्रयोग परस्मैपदी धातुओं में तथा शेष 9 का प्रयोग आत्मनेपदी धातुओं में होता है। तिप्, तस्, झ्,ि सिप्, थस्, थ्, मिप्, वस्, मस् का प्रयोग परस्मैपदी में तथा त, आताम्, झ, थास्, आथाम्, ध्वम्, इट, वहि, महिङ् का प्रयोग आत्मनेपदी में किया जाता है।
प्रश्न: 3.
धातु और क्रिया-पद का अन्तर समझाइए।
उत्तरम् :
प्रत्यय जुड़ने से पूर्व क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं, प्रत्यय जुड़ने के बाद ही धातु ‘क्रिया-पद’ बनती है, जो कि कार्य का होना दर्शाती है। बिना प्रत्यय के ‘धातु का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न: 4.
धातुओं के गण से आप क्या समझते हैं? सभी गणों का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तरम् :
संस्कृत में 10 गण (धातुओं के विभाग) होते हैं। प्रत्येक धातु किसी एक गण के अन्तर्गत आती है। गण इस प्रकार हैं-
- भ्वादिगण
- अदादिगण
- जुहोत्यादिगण
- दिवादिगण
- स्वादिगण
- तुदादिगण
- रुधादिगण
- तनादिगण
- यादिगण
- चुरादिगण।
प्रश्न: 5.
क्रिया के मुख्य भेद कितने हैं?
उत्तरम् :
संस्कृत में क्रिया के मुख्य रूप से तीन भेद हैं –
- परस्मैपद
- आत्मनेपद
- उभयपद ।
प्रश्न: 6.
धातुओं के गणों के विभाजन का क्या आधार है?
उत्तरम् :
संस्कृत में प्रत्येक गण की धातुओं के रूप प्रायः एक समान चलते हैं। प्रत्येक गण का नाम उसमें आने वाली सबसे पहली धातु के आधार पर रखा गया है। ये गण दस हैं।
प्रश्न: 7.
दसों धातु-गणों के विकरण प्रत्यय तथा उनसे क्रिया-पद-निर्माण की प्रक्रिया को संक्षेप में लिखिए।
उत्तरम् :
प्रश्न: 8.
लकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तरम् :
संस्कृत में लकार 10 होते हैं –
- लट् लकार (वर्तमान काल)
- लोट् लकार (आज्ञार्थक)
- लृट् लकार (भविष्यत् काल)
- लङ् लकार (अनद्यतन भूत)
- विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक या ‘चाहिए’ के अर्थ में)
- लिट् लकार (अनद्यतन परोक्ष भूत)
- लुट् लकार (अनद्यतन भविष्यत्)
- आशीर्लिङ् (आशीर्वाद) यह लिङ्लकार का ही भेद है।
- लुङ् लकार (सामान्य भूत)
- लुङ् लकार (हेतुहेतुमद् भूत या भविष्यत्)
- लोट्लकार।
प्रश्न: 9.
परस्मैपदी धातुओं के पाँचों लकारों के संक्षिप्त धातु रूप लिखिए।
उत्तरम् :
परस्मैपदी धातुओं के संक्षिप्त धातु रूप
प्रश्न: 10.
आत्मनेपदी धातुओं के पाँचों लकारों के संक्षिप्त धातु-रूप लिखिए –
उत्तरम् :
आत्मनेपदी धातुओं के संक्षिप्त धातु-रूप
प्रश्न: 11.
निम्नलिखित-धातुओं के सभी पुरुषों और वचनों में निर्देशानुसार रूप लिखिए – (1) ‘दृश्’ धातु-लट् अथवा लृट् लकार (2) ‘सेव्’ धातु-लोट् अथवा लङ् लकार (3) ‘लभ्’ धातु-लट् अथवा लोट् लकार (4) ‘नी’ धातु-परस्मैपदी विधिलिङ् अथवा लङ् लकार (5) ‘अस्’ धातु- लट् अथवा लृट् लकार (6) आशक्’ धातु-लोट् अथवा विधिलिङ् लकार (7) ‘इष्’ धातु-विधिलिङ् अथवा लृट् लकार (8) ‘प्रच्छ’ धातु-लोट् अथवा लङ् लकार (9) ‘कृ’ धातु-लट् अथवा लोट् लकार (10) ‘चिन्त्’ धातु-आत्मेनपद में लोट् अथवा विधिलिङ् लकार।
उत्तरम् :
धातु रूपों को देखकर विद्यार्थी स्वयं हल करें।
प्रश्न: 12.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत –
(उचित धातु रूपों से वाक्यों को पूर्ण कीजिए-)
- सः भोजनं …………… (पच्-लुट् लकारे)
- विद्यार्थी ज्ञानं ……… (लभ-लट्लकारे, आत्मनेपदी)
- अहं शीघ्रं परिणाम …………….. (ज्ञा-लट्लकारे)
- सेवकाः स्वामिने …………… (नम्-लट् लकारे)
- श्याम मोहनः च जलं …………… (पा-लट्लकारे)
- श्वः मम मित्रं ………….. (गम्-लुटलकारे)
- शिक्षक: विद्यालये किं ………….. (कृ-लुट्लकारे)
- तौ पुस्तकान् ……………. (पठ्-लुट्लकारे)
- आवां संस्कृतम् …………… (वद्-लङ्लकारे)
- यूयं पुस्तकानि …………… (नी-लुट्लकारे)
- छात्रा: नित्यम् ईश्वरं …………. (भज-विधिलिङ् लकारे)
- शिष्यः गुरून् …………….. (सेव-लोट्लकारे)
- वेदाः चत्वारः …………… (अस्-लट्लकारे)
- श्वः भौमवासरः …………… (भू लट्लकारे)
- त्वं पुस्तकं …………… (पठ्-लोट्लकारे)
- स: संगीतमाध्यमेन निर्माणम् …………… (कृ-लङ्लकारे)
- सर्वे भद्राणि ……………. (दृश्-लोट्लकारे)
- मन्द-मन्दम् पवनः मधुरं संगीतं …………… (जन् लट्लकारे)
- सुरेशः पिपासया पीडितः …………… (अस्-लङ् लकारे)
- आयुष्मान् ……………… (भू-लोट्लकारे)
- शिक्षक: छात्राय …………. (क्रुध्-लट्लकारे)
- रीना शीघ्रम् उन्नतिं ………….. (कृ-लट्लकारे)
- तौ गुरुम् ……………… (सेव्-लट्लकारे)
- वयं विद्यालयं …………….. (गम्- लुट्लकारे)
उत्तरम् :
- पक्ष्यति
- लभते
- जानामि
- नमन्ति
- पास्यतः
- गमिष्यति
- करोति
- पठिष्यतः
- अवदाव
- नेष्यथ
- भजेयुः
- सेवताम्
- सन्ति
- भविष्यति
- पठ
- अकरोत्
- पश्यन्तु
- जनयति
- आसीत्
- भव
- क्रुध्यति
- करोति
- सेवेते
- गमिष्यामः
प्रश्न: 13.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत-(उचित धातुरूपों से वाक्यों को पूर्ण कीजिए)
- रमा सीता च श्वः तत्र ………….. (गम्)
- वयं श्वः फलानि …………… (भक्ष्)
- सः प्रात: व्यायाम ……….. (कृ)
- मह्यम् आम्रफलं …………… (रुच्)
- त्वं मम मित्रम् …………… (अस्)
- ह्यः अहं विद्यालयम् ………….. (गम्)
- मोहनः सदा प्रात: पञ्चवादने ………….. (उत्तिष्ठ)
- अहं गुरून् ……………. (नम्)
- सीता ह्यः मातुः पत्रम् …………….. (लभ्)
- भारते कोऽपि शिक्षाविहीनः न ……………. (अस्)
उत्तरम् :
- गमिष्यतः
- भक्षयिष्यामः
- करोति
- रोचते
- असि
- अगच्छम्
- उत्तिष्ठति
- नमामि
- अलभत
- स्यात्।