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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 12 ध्वनि
→ किसी कण की वह गति जो एक निश्चित समय के बाद बार-बार दोहराई जाती है, आवर्ती गति कहलाती है।
→ किसी कण द्वारा सरल रेखा में एक निश्चित बिन्दु के इधर-उधर आवर्ती गति हो रही हो तो यह गति काम्पनिक गति या दोलनी गति कहलाती है।
→ माध्यम में कणों के कम्पनों के अनुसार तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
- अनुप्रस्थ तरंगें
- अनुदैध्र्य तरंगें।
→ ध्वनि विभिन्न वस्तुओं के कंपन करने के कारण उत्पन्न होती है तथा ध्वनि तरंगें, अनुदैध्र्य तरंगें होती हैं।
→ ध्वनि माध्यम में क्रमागत संपीडनों तथा विरलनों के रूप में संचरित होती है।
→ ध्वनि तरंगों में दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। इसे λ से प्रदर्शित करते हैं।
→ तरंग द्वारा माध्यम के घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिए गए समय को आवर्तकाल T कहते हैं।
→ एकांक समय में दोलनों की कुल संख्या को आवृत्ति (v) कहते हैं। v = \(\frac { 1 }{ T }\)
→ तरंग की चाल, उसकी आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य के गुणनफल के बराबर होती है, अर्थात् v = v λ
→ किसी एकांक क्षेत्रफल से 1 सेकंड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
→ ध्वनि की चाल मुख्यतः संचरित होने वाले माध्यम की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर करती है।
→ ध्वनि के आपतित होने की दिशा तथा परावर्तित होने की दिशा, परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब से समान कोण बनाते हैं और तीनों एक ही तल में होते हैं।
→ स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि एवं परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 s का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए।
→ ध्वनि के तीन अभिलक्षण होते हैं-
- तारत्व
- प्रबलता
- गुणता।
→ मानव में ध्वनि की श्रव्यता की आवृत्तियों का औसत परास 20 हर्ट्ज से 20 किलो हर्ट्ज होता है।
→ 20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि तथा 20 किलोहर्ट्ज से अधिक आवृत्ति की ध्वनि को पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
→ पराध्वनि के चिकित्सा तथा प्रौद्योगिक क्षेत्रों में अनेक उपयोग हैं।
→ सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसका प्रयोग समुद्र की गहराई नापने, समुद्र की गहराई में किसी अदृश्य वस्तु की उपस्थिति का पता लगाने में किया जाता है।
→ सोनार में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग किया जाता है।
→ एकल आवृत्ति की ध्वनि को टोन कहते हैं तथा अनेक आवृत्तियों के मिश्रण से उत्पन्न ध्वनि को स्वर (Node) कहते हैं।