JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
बू| राजवंश का कौन-सा व्यक्ति सन् 1774 फ्रांस की राजगद्दी पर बैठा
(अ) लुई XVI
(ब) लुई x
(स) नेपोलियन
(द) मिराब्यो।
उत्तर:
(अ) लुई XVI

2. नेपोलियन फ्रांस का सम्राट बना
(अ) सन् 1984 ई. में
(ब) सन् 1804 ई. में
(स) सन् 1815 ई. में
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) सन् 1804 ई. में।

3. फ्रांसीसी क्रान्ति हुई
(अ) सन् 1989 ई. में
(ब) सन् 1789 ई. में
(स) सन् 1946 ई. में
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) सन् 1789 ई. में।

4. राजा के दैवी और निरंकुश अधिकारों का किसने विरोध किया
(अ) जॉन लॉक
(ब) माण्टेस्क्यू
(स) रूसो
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) जॉन लॉक।

5. वॉटर लू की लड़ाई में किसकी पराजय हुई
(अ) नेपोलियन की
(ब) रूसो की
(स) रोबेस्प्येर की
(द) डेस्मॉलिन्स की।
उत्तर:
(अ) नेपोलियन की।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लुई सोलहवाँ फ्रांस की राजगही पर कब्य आसीन हुआ?
उत्तर:
लुई सोलहवाँ फ्रांस की राजगढी पर सन् 1774 ई. में आसीन हुआ।

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प्रश्न 2.
फ्रांसीसी क्रान्ति की शुरुआत किस दिन हुई?
उत्तर:
14 जुलाई, सन् 1789 ई. को।

प्रश्न 3.
लोगों के समूह ने किस किले की जेल को तोड़ डाला?
उत्तर:
बास्तील किले की जेल को लोगों के समूह ने तोड़ छाला।

प्रश्न 4.
फ्रांस का राष्ट्रीय गान कौन-सा है?
उत्तर:
‘मार्सिले’ क्रांस का राष्ट्रीय गान है।

प्रश्न 5.
‘मार्सिले ‘ को किसने लिखा था?
उत्तर:
रॉजेट दि लाइल ने।

प्रश्न 6.
प्रांस के राष्ट्रगान को प्रथम ब्वार कब और किसने गाया?
उत्तर:
फ्रांस के राष्ट्रगान को अप्रैल सन् 1792 .ई को मार्सिलेस के स्वर्यंसेवों ने पेरिस की ओर प्रस्थान करते हुए गाया था।

प्रश्न 7.
प्रांस के दार्शनिकों ने कैसे समाज की परिकल्पना की?
उत्तर:
स्वतन्त्रता, समान नियम एवं समान अवसरों के बिचार पर आधारित समाज की।

प्रश्न 8.
फ्रांस की क्रान्ति का प्रमुख राजनीतिक कारण क्या था?
उत्तर:
सम्राट की निरंकुशता एवं उसका विलासिता-पूर्ण जीवन व्यतीत करना।

प्रश्न 9.
प्रांस की क्रान्ति का प्रमुख आर्थिक कारण क्या था?
उत्तर:
जनता पर करों का अंत्यधिक बोझ एवं पावरोटी की कीमतों का महँगा होना।

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प्रश्न 10.
क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज कितने एस्टेद्स में विभाजित था? नाम लिखें।
उत्तर:
क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेद्स

  1. प्रथम एस्टेट-पादरी वर्ग।
  2. दितीय एस्टेट-कुलीन वर्ग।
  3. तृतीय एस्टेट-जनसाधारण लोग।

प्रश्न 11.
प्रांस की क्रान्ति को किन प्रमुख दार्शनिकों ने प्रभावित किया?
उत्तर:
रुसो, जॉन लॉक एवं मॉन्टेस्त्यू आदि दार्शनिकों ने।

प्रश्न 12.
जॉन लॉक द्वारा लिखित पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
दू ट्रीटाइजेज अंक गवर्नमेण्ट।

प्रश्न 13.
मॉन्टेस्क्यू द्वारा लिखित ग्रत्थ का नाम लिखिए।
उत्तर:
द स्पिरिंट ऑफ द लोंज।

प्रश्न 14.
फ्रांस में सरकार के अन्दर सत्ता विभाजन की बात किसने की?
उत्तर:
मांन्टेस्क्यू ने।

प्रश्न 15.
नैशनल असेम्बली ने संखिधान का प्रारूप कब पूरा किया?
उत्तर:
सन् 1791 ई. में।

प्रश्न 16.
फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व फ्रांसीसी समाज का एकमात्र कौन-सा वर्ग सरकार को कर चुकाता था?
उत्तर:
तृतीय एस्टेट के जनसाधारण लोग।

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प्रश्न 17.
फ्रांसीसी समाज की वर्ग ख्यवस्था में सर्वाधिक संख्या किन लोगों की थी?
उत्तर:
किसानों की लगभग 90 प्रतिशत।

प्रश्न 18.
रूसो द्वारा लिखित पुस्तक का नाम ब्वताइए।
उत्तर:
द सोशल कौन्ट्रैक्ट।

प्रश्न 19.
किस एस्टेट के प्रतिनिधि स्वर्यं को सम्पूर्ण फ्रांसीसी राष्ट्र का प्रवक्ता मानते थे?
उत्तर:
तृतीय एस्टेट्स के प्रतिनिधि।

प्रश्न 20.
20 जून, सन् 1789 ई. को बर्साय के इन्डोर टेनिस कोर्ट में तृतीय एस्टेट्स के प्रतिनिधियों का नेत्त्व किसने किया?
उत्तर:
मिराब्यो और ऑबेसिए ने।

प्रश्न 21.
लाल फ्राइजियन टोपी क्या है?
उत्तर:
दासों द्वारा स्वतन्य होने के बाद पहनी जाने वाली टोपी को लाल फ्राइजियन टोपी के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 22.
फ्रांस में राजदण्ड किसका प्रतीक था?
उत्तर:
फ्रांस में राजदप्ड शाही सत्ता का प्रतीक था।

प्रश्न 23.
अठारहर्वी शताब्दी में जनत्ता में महत्वपूर्ण विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए किसका प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
आकृतियों और प्रतीकों का।

प्रश्न 24.
फ्रांस में ड्लेनों वाली रती किसका प्रतीक थी?
उत्तर:
कानून के मानवीय रूप का।

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प्रश्न 25.
फ्रांस में नव्रनिवाधित असेम्बली को किस नाम से पुकारा गया?
उत्तर:
कन्वेशन के नाम से।

प्रश्न 26.
फ्रांस को कब गणतन्त्र घोषित किया गया?
उत्तर:
21 सितम्बर, सन् 1792 ई. को।

प्रश्न 27.
फ्रांस की क्रान्ति के दो प्रमुख परिणाम क्या हुए?
उत्तर:

  1. पादरी, सामन्त एवं कुलीन वर्ग के अधिकारों का अन्त।
  2. प्रांसीसी लोगों को सप्राट के निरंकुश शासन से मुक्ति।

प्रश्न 28.
विधियट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विधिपट का तात्पर्य है कि कानून सबके लिए समान है एवं इसकी नज़र में सब बराबर हैं।

प्रश्न 29.
टूटी हुई जंजीर से क्या तात्पर्य था?
उत्तर:
टूटी हुई जंजोर से तात्पर्य दासों की आजादी से था।

प्रश्न 30.
फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास व्यापार की समाप्ति कब हुर्श?
उत्तर;
सन् 1848 ईं. में।

प्रश्न 31.
सम्राट लुईं सोलहवें को कब फाँसी दी गई?
उत्तर:
21 जनवरी, सन् 1793 ई, को।

प्रश्न 32.
रोबेस्प्येर को कब गिलोटिन पर चढ़ाया गया?
उत्तर:
जुलाई, सन् 1794 ई. में।

प्रश्न 33.
जैफोबन क्या था? इसके नेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
जैकोधिन सम्पन्न वर्ग से सम्बन्धित फ्रांस के नेताओं का क्लब था। इसका नेता मैक्समिलियन रोबेस्प्येर था।

प्रश्न 34.
त्रिकोणीय दास व्यापार में कौन-कौन से महाद्वीप सम्मिलित थे?
उत्तर:
यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका।

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प्रश्न 35.
जैकोचिन शासन का क्रान्तिकारी सामाजिक सुधार कौन-सा था?
उत्तर:
दास प्रथा का उन्मूलन करना।

प्रश्न 36.
प्रांस में महिलाओं को मत देने का अधिकार कब् मिला?
उत्तर:
सन्, 1946 ई. में।

प्रश्न 37.
फ्रांस का सबसे प्रसिद्ध महिला क्लब कौन-सा था?
उत्तर:
‘”द सोसाइटी अंफ रिवोल्यूशनरी एण्ड़्ड रिपष्लिकन विमेन'”।

प्रश्न 38.
नेपोलियन का पत्तन कब एर्व कहाँ हुआ?
उत्तर:
नेपोलियन का पतन सन् 1815 ई, में वॉटर लू के युद्ध में हुआ।

प्रश्न 39.
फ्रांस में सेंसरशिप की समाप्ति कब हुई?
उत्तर:
सन् 1789 ई. में।

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प्रश्न 40.
नेपोलियन द्वारा किये गये किन्हीं दो महत्वपूर्ण कार्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. निजी सम्पत्ति की सुरक्षा के कानून बनाना।
  2. दशमलव पद्धति पर आधारित नाप-तौल की एक समान प्रणाली चलाना।

प्रश्न 41.
फ्रांसीसी क्रान्ति में उपजे विचारों से प्रेरणा लेने वाले किनहीं दो भारतीयों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. टीपू सुल्तान,
  2. राजा राममोहन राय।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांस की आर्थिक दशा को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
लम्बे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे। फ्रांस के सम्राटों के ऐश्वर्य एवं विलासितापूर्ण जीवन ने फ्रांस की आर्थिक दशा को और भी अधिक खराब कर दिया था। फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बड़ा भाग कर्ज चुकाने हेतु व्यय करने के लिए मजबूर थी। अपने नियमित खर्चों

जैसे-सेना के रख-रखाव, राजदरबार, सरकारी कार्यालयों एवं विश्वविद्यालयों को चलाने के लिए फ्रांसीसी सरकार ने जनता पर और अधिक करों का बोझ डाल दिया, लेकिन उच्च वर्ग के लोगों को कोई ‘कर’ नहीं देना पड़ता था। जनता से लिए गए करों की सम्पूर्ण राशि भी सरकारी खजाने में जमा नहीं होती थी, क्योंकि सरकारी अधिकारियों पर किसी भी प्रकार का कोई नियन्त्रण नहीं था। इस प्रकार अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में फ्रांस की आर्थिक दशा अत्यन्त खराब थी।

प्रश्न 2.
अठारहवीं शताब्दी में फ्रांस की सामाजिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व फ्रांस का समाज निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित था

  1. पादरी वर्ग-इस वर्ग में चर्च के उच्च श्रेणी के पादरी थे। उन्हें कई विशेषाधिकार प्राप्त थे तथा कोई ‘कर’ नहीं देना पड़ता था। इस वर्ग में सम्मिलित लोग धनी थे और विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करते थे।
  2. कुलीन वर्ग-इस वर्ग में उच्च सरकारी अधिकारी एवं बड़े-बड़े जमींदार होते थे। उन्हें भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। वे कृषकों से सामन्ती ‘कर’ वसूल करते थे। इतना ही नहीं, इन लोगों के पास अपनी-अपनी जागीरें होती थीं।
  3. साधारण वर्ग-इस वर्ग में किसान, कारीगर, छोटे कर्मचारी, मजदूर, वकील तथा डॉक्टर आदि शामिल थे। इन लोगों पर करों का अत्यधिक बोझ था, इसके अतिरिक्त इनसे बेगार भी ली जाती थी। यह फ्रांस का सबसे असन्तुष्ट वर्ग था। इस वर्ग में सबसे बड़ा भाग किसानों का था, यह वर्ग अधिकारों से विहीन था। फ्रांस की राज्य-क्रान्ति के विस्फोट में इस वर्ग ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 3.
फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई सन् 1789 का क्या महत्व है?
उत्तर:
फ्रांस के इतिहास में 14 जुलाई सन् 1789 का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन फ्रांस के क्रान्तिकारियों ने बास्तील के किले पर विजय प्राप्त की थी। बास्तील फ्रांस का एक अति प्राचीन किला था, जिसमें राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था। इस किले को राजाओं की निरंकुशता तथा स्वेच्छाचारिता का प्रतीक समझा जाता था। पेरिस की भीड़ ने 14 जुलाई, सन् 1789 ई. के दिन तेजी के साथ बास्तील के किले पर आक्रमण कर दिया। विश्व के इतिहास में यह महत्वपूर्ण एवं अनुपम घटना थी। फ्रांस में यह लोकतन्त्रवाद की विजय एवं निरंकुशवाद की पराजय थी।

प्रश्न 4.
सन् 1789 ई.के बाद के वर्षों में, फ्रांस में पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों के जीवन में अनेक परिवर्तन आए। क्रान्तिकारी सरकारों ने कानून बनाकर स्वतन्त्रता एवं समानता के आदर्शों को दैनिक जीवन में उतारने का प्रयास किया। ऐसे किन्हीं दो कानूनों का उल्लेख करें।
उत्तर:
1. सैंसरशिप की समाप्ति:
क्रान्ति से पूर्व, सभी लिखित सामग्री का प्रकाशन राजा की सहमति के बाद ही हो सकता था, परन्तु क्रान्ति के तत्काल बाद स्वतन्त्रता तथा समानता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए, सैंसरशिप को समाप्त कर दिया गया।

2. साहित्य एवं प्रेस जगत् में क्रान्ति:
सैंसरशिप की समाप्ति के बाद अब प्रेस स्वतन्त्र था। प्रेस की स्वतन्त्रता का अर्थ था कि अब घटनाओं के विरोधी विचार भी अभिव्यक्त किए जा सकते थे। राजनीतिक, दार्शनिक तथा लेखक अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतन्त्र थे। फ्रांस में अखबारों, पर्यों एवं पुस्तकों का प्रचार-प्रसार होने लगा।

प्रश्न 5.
फ्रांसीसी क्रान्ति में मध्यम वर्ग ने क्या भूमिका निभाई?
उत्तर:
अठारहवीं शताब्दी में उदय हुए समाज के मध्यम वर्ग में सभी पढ़े-लिखे लोग थे। इनका मानना था कि समाज के किसी भी व्यक्ति के पास जन्म से विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए। सभी विचारक और दार्शनिक इसी वर्ग से थे। इस वर्ग ने क्रान्ति के लिए वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार की इसके परिणामस्वरूप अन्ततः क्रान्ति हुई।

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प्रश्न 6.
फ्रांसीसी क्रान्ति में जैकोबिन की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
फ्रांसीसी क्रान्ति में जैकोबिन की निम्नलिखित भूमिका थी

  1. जैकोबिन लोगों के राजनीतिक क्लब थे। लोग इन राजनीतिक क्लबों में अड्डे जमा कर सरकारी नीतियों और अपनी कार्य योजना पर बहस करते थे।
  2. मैक्समिलियन रोबेस्प्येर उनका नेता था। जैकोबिन के एक बड़े वर्ग ने गोदी कामगारों की तरह धारीदार लम्बी पतलून पहनने का निर्णय किया।
  3. सन् 1792 ई. में, जैकोबिन ने राजतन्त्र को समाप्त करने के लिए हिंसक विद्रोह की योजना बनाई।
  4. जैकोबिन ने सन् 1793 ई. से सन् 1794 ई. तक फ्रांस पर शासन किया।

प्रश्न 7.
सन् 1791 ई. के फ्रांस के संविधान की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सन् 1791 ई. के फ्रांस के संविधान की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. इसके द्वारा फ्रांस को एक संवैधानिक राजतन्त्र घोषित किया गया।
  2. सम्राट की शक्तियों को सीमित कर दिया गया, उसकी भूमिका अब केवल नाममात्र की रह गई। उसके पास वास्तविक राजनीतिक सत्ता अब नहीं थी।
  3. 25 वर्ष से अधिक उम्र के ऐसे नागरिकों को मत देने का अधिकार दिया गया जो कम से कम तीन दिन की मजदूरी के बराबर कर चुकाते थे। इनके द्वारा निर्वाचक समूह का चुनाव किया जाता था।
  4. नेशनल असेम्बली को कानून बनाने का अधिकार दिया गया। जिसके सदस्यों का चुनाव निर्वाचक द्वारा किया जाता था।
  5. सरकार की शक्ति को कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के बीच विभाजित कर दिया गया।
  6. संविधान के अनुसार सभी नागरिकों के प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करने का उत्तरदायित्व सभी राज्यों का है।

प्रश्न 8.
फ्रांस के इतिहास में कौन-सा काल ‘आतंक का राज’ के नाम से जाना जाता है? इस काल की प्रमुख बातों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सन् 1793 ई. से सन् 1794 ई. तक का काल ‘आतंक का राज’ के नाम से जाना जाता है। इस काल की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं
1. इस काल के दौरान रोबेस्प्येर ने कठोर नियन्त्रण तथा दण्ड की सख्त नीति को अपनाया।

2. उन सभी को, जिन्हें वह गणतन्त्र के शत्रु के रूप में देखता था अर्थात् कुलीन तथा पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, अपने ही दल के सदस्य, जो उसकी नीतियों से सहमत न थे, गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया तथा क्रान्तिकारी अदालत द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया। यदि अदालत द्वारा दोषी पाया जाता तो उन्हें गिलोटिन पर चढ़ाकर मार दिया जाता था।

3. गोश्त तथा पावरोटी की राशनिंग कर दी गई। किसानों को अपने अनाज को शहरों में ले जाने तथा सरकार द्वारा निश्चित कीमत पर बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। अधिक महँगे सफेद आटे के उपयोग को वर्जित कर दिया गया, सभी नागरिकों को साबुत गेहूँ से बनी और बराबरी का प्रतीक मानी जाने वाली ‘समता रोटी’ खाना अनिवार्य कर दिया गया।

प्रश्न 9.
डिरेक्ट्री शासित फ्रांस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैकोबिन सरकार के पतन के बाद फ्रांस की सत्ता मध्यम वर्ग के सम्पन्न लोगों के हाथ में आ गई। सन् 1795 ई. में फ्रांस में नया संविधान तैयार किया गया। नये संविधान के प्रावधानों के तहत् सम्पत्तिविहीन वर्ग के लोगों को मताधिकार से वंचित कर दिया गया। नवीन संविधान में दो चुनी गई विधान परिषदों के गठन का प्रावधान था। इन परिषदों ने पाँच सदस्यों वाली एक कार्यपालिका को नियुक्त किया। इसे ही ‘डिरेक्ट्री’ कहा गया।

इस व्यवस्था के अन्तर्गत किसी एक व्यक्ति के हाथ में शक्तियों के केन्द्रीकरण पर रोक लगायी गयी। इन डिरेक्टरों से अपेक्षा थी कि वे देश में कानून व्यवस्था की दशा सुधारेंगे लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे। डिरेक्टरों का झगड़ा अक्सर विधान परिषदों से होता था और तब परिषद् उन्हें बर्खास्त करने की कोशिश करती। डिरेक्टरों की राजनीतिक अस्थिरता ने सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।

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प्रश्न 10.
ओलम्पदे गज के घोषणा-पत्र में दिए गए स्त्रियों के मूल अधिकारों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
ओलम्प दे गूज एक महान क्रांतिकारी फ्रांसीसी महिला थी, जिसने फ्रांस की महिलाओं के अधिकारों के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। उसके घोषणा-पत्र में दिए गए स्त्रियों के कुछ मूल अधिकार निम्नलिखित थे

  1. महिला जन्मना स्वतन्त्र है और उसके अधिकार भी पुरुष के समान होते हैं।
  2. सभी राजनीतिक संस्थाओं का लक्ष्य महिला और पुरुष के नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा करना होता है। ये अधिकार–स्वतन्त्रता, सम्पत्ति, सुरक्षा और सबसे बढ़कर शोषण के प्रतिरोध का अधिकार हैं।
  3. ‘कानून’ सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति होना चाहिए। सभी महिला एवं पुरुष नागरिकों की या तो व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से विधि-निर्माण में भागीदारी होनी चाहिए।
  4. सभी महिला और पुरुषों को उनकी योग्यता के अनुसार सम्मान तथा सार्वजनिक पद मिलने चाहिए।
  5. कानून की दृष्टि से महिला अपवाद नहीं है। वह विधि-सम्मत प्रक्रिया द्वारा अपराधी लहराई जा सकती है, गिरफ्तार और नजरबन्द की जा सकती है। अत: पुरुषों की भाँति महिलाएँ भी इस कङ्गोर कानून का पालन करें।

प्रश्न 11.
फ्रांस में ‘दास-प्रथा का उन्मूलन’ विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जैकोबिन शासन के दौरान फ्रांसीसी उपनिवेशों में सामाजिक सुधार के अनेक कार्यक्रम आरम्भ किए गए, जिसमें दास-प्रथा का उन्मूलन एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार कार्यक्रम था। फ्रांस में अठारहवीं सदी में दास-प्रथा की अधिक आलोचना नहीं हुई। नेशनल असेम्बली में इस बात पर बहस हुई कि फ्रांसीसी उपनिवेशों में रहने वाले लोगों सहित समस्त फ्रांसीसी जनता को मूलभूत अधिकार प्रदान किए जाएँ अथवा नहीं, परन्तु दास व्यापार पर निर्भर व्यक्तियों के विरोध के कारण नेशनल असेम्बली में दास-प्रथा से सम्बन्धित कोई कानून पास नहीं किया जा सका।

बाद में सन् 1794 ई. के अधिवेशन में फ्रांसीसी उपनिवेशों में निवास करने वाले सभी दासों की मुक्ति का कानून पास कर दिया परन्तु यह कानून अधिक समय तक लागू नहीं रह सका। दस वर्ष पश्चात् नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस में दास-प्रथा को पुनः आरम्भ कर दिया, जिसके कारण बागान मालिकों को अपने आर्थिक हित साधने के लिए अफ्रीकी नीग्रो लोगों को दास बनाने की स्वतन्त्रता मिल गई। सन् 1848 ई. में फ्रांसीसी उपनिवेशों से दास-प्रथा को पूर्णरूप से समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 12.
नेपोलियन बोनापार्ट के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति का एक अप्रत्यक्ष परिणाम सैनिक तानाशाह नेपोलियन बोनापार्ट का उदय था। नेपोलियन ने फ्रांस की राजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता का लाभ उठाकर सेना की मदद से सत्ता पर अधिकार कर लिया। उसने सन् 1804 ई. में स्वयं को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया।

उसने पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय प्राप्त की तथा पुराने राजवंशों को हटाकर नया साम्राज्य स्थापित किया। सन् 1815 ई. में वॉटर लू के युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ और कालान्तर में नेपोलियन की मृत्यु हो गयी। नेपोलियन के क्रांतिकारी कार्यों का असर उसकी मृत्यु के काफी समय बाद सामने आया।

प्रश्न 13.
नेपोलियन स्वयं को यूरोप के आधुनिकीकरण के अग्रदूत के रूप में देखता था। इस कथन को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. यूरोप में बहुत बड़ी संख्या में लोग नेपोलियन को मुक्तिदाता के रूप में देखते थे, जो लोगों के लिए स्वतन्त्रता लाने वाला था।
  2. नेपोलियन ने कई कानून लागू किए, जिनमें निजी सम्पत्ति की सुरक्षा से सम्बन्धित कानून प्रमुख है।
  3. उसने माप एवं तौल की एक समान प्रणाली को लागू किया जो दशमलव पद्धति पर आधारित थी।
  4. नेपोलियन की मृत्यु के बाद भी उसके स्वतन्त्रता सम्बन्धी क्रान्तिकारी विचारों तथा आधुनिक कानूनों को फैलाने वाले क्रान्तिकारी उपायों का प्रभाव लम्बे समय तक लोगों के दिलों पर छाया रहा।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सन् 1789 ई. में फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए उत्तरदायी राजनीतिक कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रांस की क्रान्ति के लिए उत्तरदायी राजनीतिक कारण निम्नलिखित थे
1. युद्धों से फ्रांस की वित्तीय स्थिति का बिगड़ना:
अनेक युद्धों में सम्मिलित होने के कारण फ्रांस अराजकता की ओर बढ़ने लगा था। लुई सोलहवें के शासन के दौरान फ्रांस ने ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में अमेरिकी उपनिवेशों का साथ दिया। इन युद्धों के बाद फ्रांस का खजाना खाली हो गया। फ्रांस को अपने मित्र राष्ट्रों से कर्ज लेना पड़ा, जो उसने कभी वापस नहीं किया। देश की वित्तीय दशा खराब थी।

2. निरंकुश राजतन्त्र:
तत्कालीन यूरोप के लगभग सभी देशों में निरंकुश राजतन्त्र की ही सत्ता थी। फ्रांस में भी निरंकुश राजतन्त्र ही शासन का स्वरूप था। सम्राट प्रजा के हितों की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था, जो क्रान्ति का मुख्य कारण बना।

3. राज्य के मामलों में रानी का हस्तक्षेप:
राजा पर उसकी ऑस्ट्रियन रानी मेरी एन्तोएनेत का काफी प्रभाव था। रानी रियासत की महत्वपूर्ण नियुक्तियों में अपने कृपापात्रों को बढ़ाने के लिए हस्तक्षेप करती थी। राजा पर उसका प्रभाव देश के लिए विनाशकारी साबित हुआ।

4. क्रूर एवं भ्रष्ट प्रशासन:
फ्रांस में प्रशासन भ्रष्ट एवं निरंकुश था। कैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव किया जाता था। लोगों पर भारी जुर्माना लगाया जाता था। जुर्माने का काफी भाग न्यायाधीशों की जेब में चला जाता था। बिना किसी कानूनी अध्यादेश के राजा किसी की भी सम्पत्ति जब्त कर सकता था।

5. कछ लोगों के लिए विशेषाधिकारों का होना:
प्रथम दो एस्टेट्स कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग को जन्म से ही विशेषाधिकार प्राप्त थे उन्हें कर से छूट थी तथा तृतीय एस्टेट के जनसाधारण लोगों से ही कर लिया जाता था जिससे उनमें असन्तोष का भाव था।

प्रश्न 2.
फ्रांस की क्रान्ति के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सन् 1789 ई. की फ्रांस की क्रान्ति विश्व की महानतम घटना थी। इसके मुख्य परिणाम निम्नलिखित थे

  1. इस क्रान्ति ने सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था का अन्त कर दिया।
  2. इस क्रान्ति ने फ्रांस में लम्बे समय से चली आ रही सामन्ती व्यवस्था का अन्त कर दिया।
  3. फ्रांस के क्रान्तिकारियों द्वारा की गई ‘मानव अधिकारों की घोषणा’ (27 अगस्त, सन् 1789 ई.), मानव जाति की स्वतन्त्रता के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण थी।
  4. इस क्रान्ति ने समस्त यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास और प्रसार किया। परिणामस्वरूप यूरोप के अनेक देशों में क्रान्तियों का सूत्रपात हुआ।
  5. इस क्रान्ति ने लोकप्रिय सम्प्रभुता के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
  6. फ्रांस की क्रान्ति ने धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा को जन्म दिया।
  7. इस क्रान्ति ने इंग्लैण्ड, आयरलैण्ड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेश नीति को प्रभावित किया।
  8. फ्रांसीसी क्रान्ति ने मानव जाति को स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व का नारा प्रदान किया।
  9. इस क्रान्ति के फलस्वरूप फ्रांस ने कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, शिक्षा एवं सैन्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की।
  10. कुछ विद्वानों के अनुसार फ्रांस की क्रान्ति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी, क्योंकि इसने समानता का सिद्धान्त प्रतिपादित कर समाजवादी व्यवस्था का मार्ग भी खोल दिया था।
  11. इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
  12. दास प्रथा का उन्मूलन भी इसी क्रान्ति का परिणाम था।

प्रश्न 3.
क्रान्ति से पहले तथा बाद में फ्रांस की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर:
क्रान्ति से पहले तथा बाद में फ्रांस की राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों की तुलना निम्न प्रकार से हैक्रान्ति से पहले क्रान्ति के बाद राजनीतिक परिस्थितियाँ :

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी क्रान्ति से पूर्व, क्रान्ति के दौरान एवं क्रान्ति के बाद में फ्रांसीसी महिलाओं की स्थिति की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश इतिहासकार इस तथ्य को मानते हैं कि सन् 1789 ई. की क्रान्ति के आरम्भ से ही वहाँ की महिलाएँ समाज में अहम् परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों से जुड़ी हुई थीं। उनकी सक्रिय रुचि तथा भूमिका के कारण ही फ्रांसीसी समाज में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। क्रान्ति से पूर्व, क्रान्ति के दौरान एवं क्रान्ति के बाद में फ्रांसीसी महिलाओं की स्थिति निम्न प्रकार थी

1. क्रान्ति से पूर्व तृतीय एस्टेट्स की महिलाएं अपनी जीविका के लिए काम करती थीं। वे धनवान लोगों के घरों में घरेलू नौकरों के रूप में काम करती थीं अथवा वे सिलाई-बुनाई, कपड़ों की धुलाई करती एवं बाजार में सब्जियाँ, फूल और फल बेचती थीं।

2. क्रान्ति के दिनों से पूर्व एवं उसके दौरान फ्रांस की अधिकांश महिलाएँ न तो अच्छी शिक्षा संस्थाओं और न ही व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं तक पहुँचती थीं इसीलिए अच्छी या उच्च नौकरियाँ उनकी पहुँच से बाहर थीं। केवल कुलीन तथा धनी मध्यम वर्गों की महिलाएँ ही कॉन्वेण्ट में शिक्षा प्राप्त करती थीं तथा शिक्षा समाप्ति के बाद उनके अभिभावक ही उनकी शादी के बारे में निर्णय लेते थे।

3. जो भी महिलाएँ काम करती थीं उनका जीवन बहुत ही कठोर होता था, क्योंकि उन्हें घर से बाहर न केवल नौकरी करनी होती थी, बल्कि घर के अन्दर भी उन्हें अपने-अपने परिवारों की देख-भाल करनी होती थी। उन्हें खाना पकाना होता था, पानी लाना होता था, पावरोटी के लिए लम्बी-लम्बी लाइनों में खड़ा होना पड़ता तथा छोटे-छोटे बच्चों का लालन-पालन एवं देख-भाल करनी पड़ती थी।

4. महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता था।

5. क्रान्ति के दिनों में ही फ्रांसीसी महिलाओं ने अपनी आवाज बुलन्द करने के लिए समाचार पत्र निकाले एवं राजनीतिक क्लब बनाये। फ्रांस के विभिन्न शहरों एवं कस्बों में लगभग 60 क्लब बनाये गये। इन सभी क्लबों में ‘द सोसायटी ऑफ रिवोल्यूशनरी एण्ड रिपब्लिक विमेन’ सर्वाधिक प्रसिद्ध क्लब था।

6. फ्रांसीसी महिलाओं ने अपने समाचार-पत्रों तथा राजनीतिक क्लबों के माध्यम से अपनी अनेक राजनीतिक एवं आर्थिक माँगें रखी थीं। उदाहरणार्थ, उनकी एक महत्वपूर्ण माँग यह थी कि उन्हें भी पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त हों। फ्रांस की सभी महिलाओं को वे सभी अधिकार समान रूप से दिये जायें, जो सन् 1791 ई.के संविधान द्वारा पुरुषों को दिए गए हैं। उन्होंने मत देने का अधिकार, चुनाव लड़ने के अधिकार के साथ राजनीतिक पदों पर नियुक्त होने के अधिकार की भी माँग की।

7. प्रारम्भिक वर्षों में, क्रान्तिकारी सरकार ने महिलाओं की स्थिति सुधारने के उद्देश्य से कानूनों को लागू किया तथा उनके जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से राजकीय विद्यालय खोले तथा सभी लड़कियों के लिए स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया।

8. राजनैतिक अधिकारों के लिये महिलाओं का संघर्ष बाद में भी उन्नीसवीं सदी के अन्त एवं बीसवीं सदी के प्रारम्भ तक अन्तर्राष्ट्रीय मताधिकार आन्दोलन के जरिये जारी रहा। अन्ततः सन् 1946 में फ्रांस की महिलाओं ने मताधिकार हासिल कर लिया।

9. फ्रांस में महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए सामाजिक जीवन से जुड़े अनेक कदम उठाये गये

  1. उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके पिता उन्हें विवाह के लिए विवश नहीं कर सकते थे।
  2. नागरिक कानून के अधीन शादी को एक समझौता बनाने के लिए उसका पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया।
  3. तलाक को कानूनी रूप दे दिया गया तथा इसके लिए प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार पुरुषों एवं महिलाओं दोनों को समान रूप से दिया गया।
  4. अब नौकरियों के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा सकता था, वे कलाकार भी बन सकती थीं तथा छोटे-मोटे व्यापार भी कर सकती थीं।

JAC Class 9 Social Science Important Questions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांत

प्रश्न 5.
नेपोलियन की साम्राज्यवादी नीति का वर्णन कीजिए। यह नीति नेपोलियन के पतन में किस सीमा तक सहायक रही?
उत्तर:
नेपोलियन अत्यधिक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसमें साम्राज्यवादी भावना कूट-कूट कर भरी थी। उसके पतन का एक प्रमुख कारण उसका सैनिकवाद था। उसका साम्राज्यवाद सैनिक शक्ति पर आधारित था। फ्रांस के सैनिकवाद ने ही नेपोलियन के उत्थान को सम्भव बनाया था।

राष्ट्रीय सम्मेलन ने भी सैनिकवाद को प्रोत्साहन दिया और डिरेक्ट्री के शासन काल में नेपोलियन ने सैनिकवाद को चरम सीमा पर पहुँचाने का कार्य अपने हाथ में ले लिया। उसकी निरन्तर विजयों ने फ्रांस की सैनिक शक्ति का अत्यधिक विस्तार कर दिया और अब फ्रांस अपनी सैनिक शक्ति के बल पर यूरोप के अन्य राज्यों में अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगा।

सैनिकवाद के प्रसार ने यूरोप में भीषण युद्धों को जन्म दिया, जिनमें फ्रांस की सैनिक शक्ति निरन्तर कम होती गई। नेपोलियन ने सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए फ्रांस में सैनिक सेवा अनिवार्य कर दी। उसने युवा तथा वृद्ध सभी को सेना में भर्ती होने के लिए विवश किया, परन्तु उसकी यह नीति अधिक समय तक सफल न हो सकी जो अन्त में उसके लिए विनाशकारी सिद्ध हुई।

उसने अपनी असीमित साम्राज्यवादी लिप्सा को पूरा करने के लिए इंग्लैण्ड के विरुद्ध युद्ध की घोषणा की, लोग उसकी सेनाओं को हमलावर मानने लगे और इसी के फलस्वरूप उसका पतन हो गया। अत: नेपोलियन की महत्वाकांक्षा, युद्धप्रियता एवं सैनिकवाद ने उसके पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पाठ्य-पुस्तक में दिये गये मानचित्र को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
1. लूहांस किस दिशा में स्थित है?
उत्तर:
लूहांस पूर्व दिशा में स्थित है।

2. क्रान्ति के समय भगदड़ वाले 4 क्षेत्रों के नाम।
उत्तर:
लूहांस, एस्त्रीस, नातेस, रोमीली। नोट-विद्यार्थी मानचित्र को पाठ्य-पुस्तक की पृष्ठ संख्या 9 पर देखें।

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