JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
नात्सीवाद का उदय हुआ
(अ) इंग्लैण्ड में
(ब) जर्मनी में
(स) फ्रांस में
(द) भारत में।
उत्तर:
(ब) जर्मनी में।
2. मित्र राष्ट्रों में सम्मिलित देश नहीं है
(अ) इंग्लैण्ड
(ब) फ्रांस
(स) संयुक्त राज्य अमेरिका
(द) जर्मनी।
उत्तर:
(द) जर्मनी।
3. आर्थिक महामन्दी की शुरुआत हुई
(अ) सन् 1929 ई. में
(ब) सन् 1939 ई. में
(स) सन् 1949 ई. में
(द) सन् 1990 ई. में।
उत्तर:
(अ) सन् 1929 ई. में।
4. यहूदी लोगों के पूजा गृहों को कहा जाता है
(अ) गैस चैम्बर
(ब) नाजी यूथ लीग
(स) सेननॉग
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(स) सेननॉग।
5. 14 वर्ष से कम आयु के नात्सी लोगों का संगठन कहलाता था
(अ) सेननॉग
(ब) युंगफोक
(स) घेटो
(द) मैन कैम्फ।
उत्तर:
(ब) युंगफोक।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मित्र राष्ट्र कौन-कौन से थे?
उत्तर:
ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
प्रश्न 2.
नात्सी किस भाषा का शब्द है?
उत्तर:
नात्सी जर्मन भाषा के शब्द नात्सियोणाल के प्रारम्भिक अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है।
प्रश्न 3.
हिटलर की पार्टी के लोगों को नात्सी क्यों कहा जाता था?
उत्तर:
हिटलर की पार्टी के नाम का पहला शब्द नात्सियोणाल था इसलिए इस पार्टी के लोगों को नात्सी कहा जाता था।
प्रश्न 4.
नात्सी पार्टी का पूरा नाम क्या था?
उत्तर:
नेशनल सोशलिस्ट पार्टी।
प्रश्न 5.
हिटलर ने पहली नात्सी सरकार का गठन कब किया?
उत्तर:
30 जनवरी, सन् 1933 ई. को हिटलर ने पहली नात्सी सरकार का गठन किया।
प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध में कब और क्यों प्रवेश किया?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने मई सन् 1945 ई. में द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया क्योंक जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के नौ-सैनिक अद्छे पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया।
प्रश्न 7.
विश्व में आर्थिक महामन्दी कब आयी?
उत्तर:
विश्व में आर्थिक महामन्दी सन् 1929-33 ई. के मध्य आयी।
प्रश्न 8.
धुरी शक्तियों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जर्मनी, जापान और इटली के गुट को धुरी शक्तियाँ कहा गया।
प्रश्न 9.
हिटलर के अनुसार उसके राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक कौन थी?
उत्तर:
माँ।
प्रश्न 10.
हिटलर की विदेश नीति के दो प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
- जर्मनी को विश्व की महाशक्ति बनाना।
- विस्तारवादी नीति में विश्वास।
प्रश्न 11.
गाँधीजी ने हिटलर को पत्र लिखकर क्या कहा?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने 24 दिसम्बर, 1940 को हिटलर को जो पत्र लिखा उसमें उन्होंने अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए कहा।
प्रश्न 12.
स्पार्टकिस्ट लीग क्या था?
उत्तर:
स्पार्टकिस्ट लीग जर्मनी में होने वाला एक क्रान्तिकारी विद्रोह था। यह रूस की बोल्शेविक क्रान्ति की तर्ज पर आधारित था।
प्रश्न 13.
महाध्वंस क्या है?
उत्तर:
महाध्वंस नात्सियों की कत्लेआम प्रक्रिया थी, जिसे यहूदियों को मारने के लिए प्रयोग किया जाता था।
प्रश्न 14.
ह्यालमार शाख़्त कौन था? आर्थिक वसूली के सम्बन्ध में उसका क्या सिद्धान्त था?
उत्तर:
ह्यालमार शाख्त एक अर्थशास्त्री था जिसे हिटलर ने कर वसूली का उत्तरदायित्व सौपा था। राज्य द्वारा अनुदित कार्य निर्माण योजनाओं के माध्यम से उसने पूर्ण उत्पादन एवं पूर्ण रोजगार के सिद्धान्त का प्रयोग किया।
प्रश्न 15.
किस कानून के तहत् जर्मनी में तानाशाही स्थापित की गयी?
उत्तर:
विशेषाधिकार अधिनियम (इनेबलिग एक्ट) के तहत् जर्मनी में तानाशाही स्थापित की गयी।
प्रश्न 16.
अति जीविता का सिद्धान्त किसने दिया?
उत्तर:
अति जीविता का सिद्धान्त हर्बर्ट स्पेंसर ने दिया।
प्रश्न 17.
हिटलर की विचारधारा का दूसरा पहलू क्या था?
उत्तर:
हिटलर की विचारधारा का दूसरा पहलू लेबेन्स्राउम या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा से सम्बन्धित था।
प्रश्न 18.
नवम्बर का अपराधी किसे कहा गया?
उत्तर:
वाइमर गणराज्य का साथ देने वाले समाजवादी, कैथौलिक एवं डेमोक्रेट आदि लोगों को नवम्बर का अपराधी कहा गया।
प्रश्न 19.
हिटलर ने राष्ट्रसंघ की सदस्यता से जर्मनी को कब बाहर कर लिया?
उत्तर:
हिटलर ने सन् 1933 ई. में जर्मनी को राष्ट्र संघ की सदस्यता से बाहर कर लिया।
प्रश्न 20.
डॉव्स योगना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मनी को आर्थिक संकट से उबारने हेतु डॉव्स योजना प्रारम्भ की गई थी।
प्रश्न 21.
गैस चैम्बरों को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
नात्सियों द्वारा निर्मित गैस चैम्बरों को संक्रमण मुक्ति क्षेत्र कहा जाता था।
प्रश्न 22.
दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन-सा है?
उत्तर:
वाल स्ट्रीट एक्सचेंज (अमेरिका)।
प्रश्न 23.
हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
हिटलर का जन्म सन् 1889 में आस्ट्रिया में हुआ था।
प्रश्न 24.
छोटी बस्तियाँ क्या थीं?
उत्तर:
यहूदी लोग समाज से अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें छोटी (दड़बा) बस्तियाँ कहा जाता था।
प्रश्न 25.
कंसन्ट्रेशन कैम्प क्या थे?
उत्तर:
बगैर किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद रखने के स्थान कंसन्ट्रेशन कैम्प कहलाते थे। यह चारों ओर बिजली के करंट से प्रवाहित तारों से घिरे रहते थे।
प्रश्न 26.
घेटो बस्तियाँ क्या थीं?
उत्तर:
यहूदी लोग समाज से अलग बस्तियों में – रहते थे जिन्हें घेटो (दड़बा) कहा जाता था।
प्रश्न 27.
हिटलर की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर:
अप्रैल, 1945 में बर्लिन के एक बंकर में हिटलर ने पूरे परिवार सहित आत्महत्या कर ली थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वाइमर गणराज्य का उदय कैसे हुआ?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध में केन्द्रीय शक्तियों की मित्र राष्ट्रों से हार के बाद जर्मनी में सम्राट के द्वारा पद त्याग दिया गया इससे वहाँ की संसदीय पार्टियों को जर्मन राजनीतिक व्यवस्था को नये साँचे में ढालने का मौका मिल गया। इसी सिलसिले में वाइमर में राष्ट्रीय सभा की बैठक बुलाई जिसमें एक लोकतांत्रिक संविधान को पारित कर दिया तथा जर्मन संसद राइखस्टाग के लिए प्रतिनिधियों के चयन हेतु सभी वयस्क नागरिकों को समान मताधिकार दिया गया। इस तरह वाइमर गणराज्य का उदय हुआ।
प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध ने जर्मनी के साथ-साथ पूरे यूरोपीय महाद्वीप को मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक तौर पर तोड़कर रख दिया था। इस युद्ध का हर्जाना नवगठित वाइमर गणराज्य से ही वसूल किया जा रहा था। वाइमर गणराज्य के पक्षधर समाजवादी, कैथलिक और डेमोक्रैट थे। उनका ‘नवम्बर के अपराधी कहकर सार्वजनिक रूप से मजाक उड़ाया जाने लगा। समाज में सिपाहियों को आम नागरिकों की अपेक्षा अधिक सम्मान दिया जाने लगा। राजनेता भी पुरुषों के आक्रामक ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होने के लिए प्रेरित करने लगे।
प्रश्न 3.
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन राजनीति एवं समाज में क्या बदलाव आया? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन राजनीति एवं समाज में निम्नलिखित बदलाव आये
- प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जर्मन समाज दो भागों में विभाजित हो गया-रूढ़िवादी समाज (जो वाइमर गणराज्य का समर्थन नहीं करते थे) एवं अरूढ़िवादी समाज (जो वाइमर गणराज्य का समर्थन करते थे)।
- सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले अधिक सम्मान दिया जाने लगा। सार्वजनिक जीवन में आक्रामक फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान एवं प्रतिष्ठा की चाह बढ़ने लगी।
- राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।
प्रश्न 4.
जर्मनी में आर्थिक संकट के क्या कारण थे?
उत्तर:
जर्मनी में आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे
- मित्र राष्ट्रों द्वारा जर्मनी पर बहुत कठोर शर्ते थोपा जाना।
- जर्मनी ने प्रथम विश्वयुद्ध में बहुत अधिक पूँजी खर्च की थी।
- जर्मनी ने पहला विश्वयुद्ध मोटेतौर पर कर्ज लेकर लड़ा था और युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा। इस दोहरे बोझ से जर्मनी का स्वर्ण भण्डार लगभग समाप्त होने की स्थिति में पहुँच गया था। इस सबके परिणामस्वरूप जर्मनी में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
- जब जर्मनी ने युद्ध का खर्च और हर्जाना चुकाने से इंकार कर दिया तब इसके जवाब में फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा कर लिया। यह भी आर्थिक संकट का एक कारण बना।
प्रश्न 5.
जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का क्या प्रभाव पड़ा? बताइए। उत्तर-जर्मनी के विभिन्न सामाजिक समुदायों पर आर्थिक संकट का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
- मध्यम-वर्ग-मुद्रा के अवमूल्यन के कारण जर्मन के मध्यम वर्ग की, विशेष रूप से वेतनभोगी एवं पेंशनधारियों की बचत सिकुड़ती जा रही थी।
- व्यवसायी वर्ग-व्यापार ठप्प हो जाने से छोटे-मोटे व्यवसायी, स्वरोजगार में लगे लोग और खुदरा व्यापारियों की हालत भी खराब होती जा रही थी। समाज के इन वर्गों को सर्वहाराकरण का भय सता रहा था।
- महिला वर्ग-अपने बच्चों का पेट भर पाने में असफल महिलाओं के मन दुःखी थे।
- कृषक वर्ग-किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से परेशान था।
प्रश्न 6.
उन कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण जर्मनी में हिटलर का उत्कर्ष हुआ।
उत्तर:
जर्मनी में हिटलर के उत्कर्ष में अनेक तत्वों ने सहायता पहुँचाई, जिनका विवरण निम्नलिखित प्रकार से
- हिटलर एक कुशल वक्ता, प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी तथा योग्य नेता था। वह जर्मनवासियों की आहत भावनाओं को उभारना जानता था। जर्मनी की जनता ने उसके सिद्धान्तों का स्वागत किया।
- जर्मनी के अन्य राजनीतिक दलों में एकता का अभाव था। अत: इससे हिटलर के उत्कर्ष को बल मिला।
- जर्मनी में राजतन्त्र के पतन के बाद भी अनेक शक्तिशाली राजतन्त्र समर्थक थे। इनमें बड़े उद्योगपति, भूस्वामी तथा सैनिक अधिकारी शामिल थे, जिन्होंने हिटलर का समर्थन किया।
- वर्साय की अपमानजनक सन्धि से जर्मनी के नागरिक दुःखी थे। हिटलर ने लोगों को विश्वास दिलाया कि यदि सत्ता में आया तो वह इस अपमान का बदला लेगा।
- सन् 1929 ई. में आर्थिक संकट के कारण जर्मनी के 60 लाख लोग बेरोजगार हो गए। हिटलर ने उन्हें अपने पक्ष में कर लिया।
- हिटलर के पास विरोधियों की आलोचना के लिए पर्याप्त कारण एवं भविष्य के लिए आकर्षक कार्यक्रम थे।
प्रश्न 7.
नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास क्या है?
उत्तर:
नवम्बर सन् 1938 ई. के एक जनसंहार में नात्सियों द्वारा यहूदियों के घरों पर हमले किए गए। उनकी सम्पत्ति को लूटा गया एवं यहूदी प्रार्थना घरों को जला दिया गया। इसके अतिरिक्त यहूदियों को गिरफ्तार किया गया यह घटना ‘नाइट ऑफ ब्रोकिन ग्लास’ के नाम से जानी जाती है।
प्रश्न 8.
क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि नात्सियों ने मीडिया का उपयोग अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए, बड़ा ही सावधानीपूर्वक किया? संक्षेप में बताइए। उत्तर:
मैं इस विचार से सहमत हूँ कि नात्सियों ने मीडिया, का उपयोग अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए बड़ा ही सावधानीपूर्वक किया। यह निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है
- नात्सियों ने अपनी लोकप्रियता एवं विश्व दृष्टिकोण फैलाने के लिए तस्वीरों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, आकर्षक नारों एवं इश्तहारी पर्यों का खूब सहारा लिया।
- पोस्टरों के माध्यम से जर्मनी के दुश्मनों का मजाक उड़ाया गया। उनको शैतान के रूप में बताकर अपमानित किया गया।
- समाजवादियों एवं उदारवादियों को कमजोर एवं पथभ्रष्ट तत्वों के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्हें विदेशी एजेंट कहकर बदनाम किया गया।
- यहूदियों के विरुद्ध नफरत फैलाने के उद्देश्य से प्रचार फिल्में विशेषकर ‘द एटर्नल ज्यू’ जैसी फिल्में दिखाई गईं। परम्परागत यहूदियों को खास छवि में प्रस्तुत किया गया।
प्रश्न 9.
महिला अधिकार एवं मातृत्व के विषय में नासियों के दृष्टिकोण की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
महिला अधिकार एवं मातृत्व के विषय में नात्सियों का दृष्टिकोण निम्नलिखित था
- नात्सी पुरुष ‘स्त्री’ को उनके समान अधिकार देने के विरोधी थे। वे इसे समाज को तोड़ने एवं नष्ट करने वाला समझते थे।
- जर्मन महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे अच्छी माँ बनें, शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चे पैदा करें एवं यहूदियों से विवाह तथा विवाहेत्तर सम्बन्ध स्थापित न करें।
- वे अपने बच्चों को नात्सी-जर्मनी की शिक्षा का मूल्य समझाएँ एवं आर्य संस्कृति को बढ़ावा दें।
प्रश्न 10.
‘नात्सीवाद’ से आप क्या समझते हैं? नात्सी पार्टी का कार्यक्रम लिखिए।
उत्तर:
नात्सीवाद एक उग्र तानाशाही आन्दोलन था, जो एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में जर्मनी में चलाया गया था। इसका स्वरूप फासीवाद से अधिक भयंकर था। इस आन्दोलन के बल पर ही हिटलर सन् 1933 ई. में जर्मनी का तानाशाह बना था। नात्सी पार्टी का कार्यक्रम निम्नलिखित था
- महान् जर्मन साम्राज्य का निर्माण करना।
- देश की जनता का पूरी तरह जर्मनीकरण करना तथा विदेशी हस्तक्षेप समाप्त करना।
- जर्मनी की सैनिक शक्ति में वृद्धि करना।
- साम्यवादियों, समाजवादियों और यहूदियों को कुचलना।
- जर्मनी से अलग हुए उपनिवेशों को पुनः प्राप्त करना।
- वर्साय की कठोर एवं अपमानजनक सन्धि का अन्त करना।
प्रश्न 11.
अपने तौर-तरीकों का प्रचार करने के लिए नात्सी शासन ने किस प्रकार भ्रामक शब्दों का प्रयोग किया?
उत्तर:
नात्सी शासन ने अपने विरोधियों पर अमानवीय अत्याचार किये और उन्होंने अपने तौर-तरीकों का प्रचार करने के लिए जो शब्द प्रयोग किये वे बहुत भ्रामक थे। उन्होंने अपने अधिकृत दस्तावेजों में ‘हत्या’ या ‘मौत’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने सामूहिक हत्याओं को विशेष व्यवहार तथा यहूदियों के सन्दर्भ में अन्तिम समाधान का प्रयोग किया।
उन्होंने विकलांगों को यूथनेजिया कहा। ‘इवैक्युएशन’ अर्थात् खाली कराना का आशय था लोगों को गैस चेंबरों में ले जाना। गैस चेंबरों को उन्होंने ‘संक्रमण मुक्ति-क्षेत्र’ कहा। नात्सी जर्मन यहूदियों को केंचुआ, चूहा और कीड़ा जैसे शब्दों से सम्बोधित करते थे।
प्रश्न 12.
वर्साय की सन्धि द्वितीय विश्वयुद्ध का एक प्रमुख कारण कैसे बनी?
उत्तर:
वर्साय का सन्धि-पत्र, जिसके द्वारा युद्ध की समाप्ति हुई थी, मूलत: अन्याय पर आधारित, थी। इस सन्धि-पत्र द्वारा पराजित राष्ट्रों में विशेषकर जर्मनी के साथ बड़ा अपमानजनक व्यवहार किया गया था। जर्मनी को अपने साम्राज्य के अनेक भागों और सभी उपनिवेशों से हाथ धोना पड़ा था। इसके अतिरिक्त जर्मनी को अपने 75 प्रतिशत लौह भण्डार एवं 26 प्रतिशत कोयला भण्डार, फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क एवं लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।
जर्मनी पर इतना बड़ा आर्थिक भार डाला गया, जिसे चुका पाना असम्भव था। उसकी सेना को भी भंग कर दिया गया। जर्मनी पर यह सन्धि बलपूर्वक थोपी गई थी एवं उससे जो व्यवहार किया गया, वह पूर्णतया बदले की भावना पर आधारित था। इस सन्धि में न्याय का कोई भी दृष्टिकोण जर्मनी के प्रति नहीं अपनाया गया। अत: वर्साय की सन्धि जर्मनी के लोगों के लिए एक कलंक था, जिसे वे हर स्थिति में धो डालना चाहते थे। ऐसी स्थिति में युद्ध अनिवार्य हो गया था।
प्रश्न 13.
द्वितीय विश्वयुद्ध विश्वव्यापी’ कैसे बना? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सितम्बर, सन् 1939 ई. में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हुआ, परन्तु सन् 1940 ई. तक यह धीमी गति से चलता रहा, इसका क्षेत्र भी सीमित रहा, परन्तु सन् 1941 ई. में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इसे एक विश्वव्यापी युद्ध बना दिया। जून सन् 1941 ई. में जर्मनी ने सोवियत संघ के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। उस पर लेनिनग्राद, मास्को एवं स्टालिनग्राद अर्थात् तीन ओर से आक्रमण कर दिया गया।
जापान ने दिसम्बर सन् 1941 ई. को प्रशान्त महासागर में हवाई द्वीप में स्थित अमेरिकी नौ-सैनिक बेड़े पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया और उसे भारी नुकसान पहुँचाया अत: बाध्य होकर संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। इसी वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका के विरुद्ध जर्मनी और इटली ने युद्ध की घोषणा कर दी। अतः सन् 1941 ई. के अन्त तक यह युद्ध ‘विश्वव्यापी युद्ध’ में बदल गया।
प्रश्न 14.
नात्सी शासन के जर्मनी पर पड़े प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नात्सी शासन के जर्मनी पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े
- नात्सी पार्टी के अतिरिक्त अन्य सभी पार्टियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। परिणामस्वरूप, जर्मनी में नात्सी तानाशाह हिटलर का साम्राज्य स्थापित हो गया।
- हिटलर ने जर्मनी को आर्थिक संकट से उबारने के लिए नए उद्योगों की स्थापना की जिससे मजदूरों को रोजगार मिल सके। व्यापार की उन्नति के लिए भी अनेक प्रयत्न किए गए।
- समाजवादियों, साम्यवादियों और नात्सी विरोधी नेताओं को यन्त्रणा शिविरों में भेज दिया गया।
- नात्सी शासन द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार का प्रमुख कारण यहूदियों को माना गया। अत: उन पर अनेक अत्याचार किये गये।
- हिटलर ने जर्मनी को शक्तिशाली बनाने के लिए सैनिक शक्ति में वृद्धि की।
प्रश्न 15.
‘नात्सी शासन एक खूखार, आपराधिक राज्य था।’ संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए। उत्तर-नात्सी शासन एक खूखार, आपराधिक राज्य था यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
- नात्सी शासन में पुलिस बल ने काफी अधिक शक्ति प्राप्त कर ली थी।
- कुछ अन्य विशेष सुरक्षा दस्तों का भी गठन किया गया जिनमें-
(अ) गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस),
(ब) एस एस (अपराध नियन्त्रण पुलिस),
(स) सुरक्षा सेवा (एसडी) प्रमुख हैं। - इन नवगठित दस्तों को बेहिसाब असंवैधानिक अधिकार दिए गए। गेस्तापो के यन्त्रणा गृहों में किसी को भी बन्द किया जा सकता था। ये नए दस्ते किसी को भी यातना गृह में भेज सकते थे। किसी को भी बिना कार्यवाही के देश निकाला दिया जा सकता था एवं गिरफ्तार किया जा सकता था। इन्हीं सब कार्यों की वजह से नात्सी शासन को एक खूखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई।
प्रश्न 16.
हिटलर की विचारधारा लेबेन्त्राउम’ या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा को बताइए।
उत्तर:
हिटलर की विचारधारा लेबेन्स्त्राउम या जीवन-परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित प्रकार हैं
- हिटलर मानता था कि अपने लोगों को बसाने के लिए अधिक से अधिक क्षेत्रों पर नियन्त्रण करना आवश्यक है। इससे मातृ देश का क्षेत्रफल बढ़ेगा एवं नए इलाके में जाकर बसने वालों को अपने जन्म स्थान के साथ गहरे सम्बन्ध बनाए रखने में मुश्किल भी नहीं आएगी।
- हिटलर इन विधियों से जर्मनी के लिए असीमित संसाधन एकत्रित करना चाहता था।
- हिटलर जर्मनी की सीमाओं का विस्तार पूर्व दिशा की ओर करना चाहता था जिससे कि समस्त जर्मनों को एक ही जगह एकत्र किया जा सके।
प्रश्न 17.
नात्सीवाद पर आम लोगों की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर:
बहुत सारे लोग नात्सियों द्वारा फैलाये गये शब्दाडंबर एवं धुआँधार प्रचार का शिकार हो गये थे। वे दुनिया को नात्सी नजरों से ही देखने लगे थे। उन्हें विश्वास हो गया था कि नात्सीवाद ही देश को तरक्की पर ले जा सकता है। जर्मनी की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा मूकदर्शक एवं उदासीन बना हुआ था। कुछ लोग पुलिस दमन और मौत की आशंका के बावजूद नात्सीवाद का प्रबल विरोध कर रहे थे। इनमें प्रमुख रूप से कम्युनिस्ट, सोशल डेमोकैट्स एवं यहूदी लोग थे।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लोकतन्त्र के विनाश हेतु एडोल्फ हिटलर द्वारा क्या कदम उठाए गए थे?
उत्तर:
30 जनवरी, सन् 1933 ई. को जर्मनी के राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने एडोल्फ हिटलर को चांसलर का पद सँभालने का न्यौता दिया जो मन्त्रिमण्डल का सबसे शक्तिशाली पद था। अब तक नात्सी रूढ़िवादियों को अपने उद्देश्य के लिए अपने पक्ष में लाने तथा एक बहुत बड़ी रैली करने में हिटलर सफल हो चुका था। सत्ता पाने के बाद हिटलर ने जर्मनी में लोकतन्त्र के ढाँचे को पूर्णतया समाप्त करने के लिए कार्यवाही प्रारम्भ कर दी। लोकतन्त्र के विनाश हेतु हिटलर द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित थे
1. आम उद्घोषणा एवं नागरिक अधिकारों का स्थगन:
फरवरी सन् 1933 ई. में जर्मनी की संसद की इमारत में रहस्यात्मक रूप से आग लग गई। इसका दोषारोपण साम्यवादियों पर कर दिया गया, जबकि कुछ लोगों का कहना था कि यह कार्य हिटलर के समर्थकों का ही था। 28 फरवरी, सन् 1933 ई. की इस अग्नि सम्बन्धी दुर्घटना ने नागरिक अधिकारों एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, भाषण, प्रेस एवं सभा आयोजन जिनकी गारण्टी वाइमर संविधान ने दी थी, को स्थगित कर दिया गया।
2. इसके बाद एडोल्फ हिटलर अपने शत्रु नम्बर एक अर्थात् जर्मनी के साम्यवादियों की ओर मुड़ा। अधिकतर साम्यवादियों को बन्दी बनाकर यातना शिविरों में भेज दिया गया।
3. साम्यवादियों को भारी यातनाएँ दी गईं। उनकी संख्या हजारों में थी लेकिन नात्सियों द्वारा न सिर्फ साम्यवादियों का सफाया किया वरन् 52 किस्म के अन्य लोगों को भी अपने दमन का शिकार बनाया।
4. 3 मार्च, सन् 1933 ई. को प्रसिद्ध इनेबलिंग एक्ट पारित किया गया था। इस अधिनियम ने जर्मनी में तानाशाही की स्थापना की थी। इस अधिनियम ने सभी तरह की राजनीतिक एवं प्रशासनिक शक्तियाँ ‘एडोल्फ हिटलर’ को सौंप दीं। उसे संसद की अवहेलना करने तथा सभी तरह के अध्यादेश जारी करने के अधिकार दे दिए गए।
5. सभी तरह की पार्टियों पर सिवाय नात्सी पार्टी को छोड़कर पूर्णतया प्रतिबन्ध लगा दिया गया। जर्मनी में सभी श्रम संघों को भी अवैध घोषित कर दिया गया। केवल वे ही श्रम संगठन काम कर सकते थे जो नात्सी पार्टी से जुड़े हुए थे।
6. राज्य या देश की अर्थव्यवस्था, मीडिया (जनसंचार माध्यमों), सेना एवं न्यायपालिका पर नात्सियों का पूर्ण नियन्त्रण स्थापित हो गया। जिस तरह से नात्सी लोग चाहते थे, उसी ढंग से समाज पर नियन्त्रण एवं कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए गुप्त सेनाओं का गठन किया गया।
प्रश्न 2.
नात्सी विचारधारा का बच्चों एवं युवाओं पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
नात्सी विचारधारा का बच्चों एवं युवाओं पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
1. स्कूलों पर पूर्ण नियन्त्रण:
हिटलर की देश के युवाओं के प्रति रुचि जुनून के हद तक थी। उसका विचार था कि युवाओं को नात्सी के सिद्धान्तों की शिक्षा देकर ही एक शक्तिशाली नात्सी समाज की स्थापना हो सकती है। इसके लिए बच्चों पर स्कूल के अन्दर तथा बाहर दोनों स्थानों पर नियन्त्रण की व्यवस्था की गयी।
2. स्कूलों का शुद्धीकरण:
सभी स्कूलों को शुद्ध तथा साफ किया गया। इसका अर्थ था कि जो अध्यापक यहूदी थे अथवा जो राजनीतिक तौर पर अविश्वसनीय लगते थे, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। बच्चों को पहले अलग किया जाता था-जर्मन तथा यहूदी एक साथ बैठ नहीं सकते थे अथवा एक साथ खेल नहीं सकते थे। यहूदियों, शारीरिक रूप से अपंगों, जिप्सियों आदि अवांछनीय बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और सन् 1940 ई. के दशक में तो उन्हें भी गैस चैम्बरों में झोंक दिया गया।
3. जीवन का विभाजन:
युवाओं के जीवन को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया। प्रत्येक चरण में उसे विभिन्न प्रशिक्षणों तथा शिक्षण कार्यक्रमों से गुजरना होता था।
4. हिटलर यूथ का गठन:
नात्सियों के युवा संघ की स्थापना सन् 1922 ई. में हुई। चार वर्ष बाद इसे हिटलर यूथ नया नाम दिया गया। नात्सी नियन्त्रण के अधीन युवा आन्दोलन को संयुक्त करने के लिए अन्य सभी युवा संस्थाओं को भंग कर दिया गया तथा उन पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
5. नई शिक्षा नीति:
अपनी विचारधारा को लोकप्रिय बनाने के लिए हिटलर ने एक नई शिक्षा नीति की घोषणा की। इसके अन्तर्गत पाठ्य-पुस्तकों को फिर से लिखा गया। नात्सी के नस्ली विचारों को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए नस्ल विज्ञान नामक विषय का प्रारम्भ कर दिया गया। बच्चों को वफादारी तथा विनम्रता, यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करने की शिक्षा दी।
प्रश्न 3.
नात्सी अथवा हिटलर की प्रचार की कला को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
नात्सी अथवा हिटलर की प्रचार की कला निम्नलिखित थी
1. सांकेतिक शब्द:
निम्न जातियों को निष्कासित करने के लिए वे सांकेतिक भाषा का प्रयोग करते थे। अधिकृत दस्तावेज से उन्होंने कभी ‘मौत’ अथवा ‘हत्या’ शब्दों का प्रयोग नहीं किया। सामूहिक हत्याओं के लिए ‘विशेष व्यवहार’ ‘अन्तिम समाधान’ (यहूदियों के लिए), ‘यूथनेजिया’ (अपंगों के लिए), ‘चयन’ तथा ‘संक्रमण मुक्ति’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता। ‘इवैक्युएशन (खाली करना)’ का अर्थ था लोगों को गैस-चैम्बरों में भेजना। उन्हें ‘संक्रमण मुक्ति क्षेत्र’ कहा जाता था।
2. जनसंचार साधनों का प्रयोग:
शासन के लिए समर्थन पाने को तथा इसकी विचारधाराओं को लोकप्रिय बनाने के लिए जनसंचार का बुद्धिपूर्वक प्रयोग किया जाता। नात्सी विचारों को दृश्य-चित्रों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टरों, नारों तथा इश्तहारी पर्चों द्वारा प्रचार किया जाता। पोस्टरों में जर्मन के ‘दुश्मन’ के रूप में प्रसिद्ध लोगों का मजाक उड़ाया जाता, अपमानित किया जाता तथा उन्हें एक शैतान के रूप में पेश किया जाता। समाजवादियों तथा उदारवादियों को कमजोर तथा पथभ्रष्ट बताया जाता। विदेशी एजेण्ट कहकर उन पर आक्रमण किया जाता। यहूदियों के लिए घृणा उत्पन्न करने के लिए प्रचार फिल्में बनाई जातीं। ‘द एटर्नल ज्यू’ (अक्षय यहूदी) सबसे अधिक शर्मनाक फिल्म थी।
3. स्कूलों में नई शिक्षा नीति:
नात्सी विचारधारा के प्रचार के लिए स्कूलों तथा शिक्षण संस्थाओं का प्रयोग किया जाता था। स्कूल की पाठ्य-पुस्तकों को फिर से लिखा गया। नात्सियों की नस्ली विचारधारा को तर्कसंगत सिद्ध करने के लिए नस्ल विज्ञान नामक एक नवीन विषय आरम्भ किया गया। यहूदी, जिप्सी तथा अश्वेत जैसे अवांछनीय बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। नात्सियों के यूथ लीग की स्थापना सन् 1922 ई. में की गयी।
प्रश्न 4.
महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति का वर्णन करिए।
उत्तर:
महिलाओं के प्रति हिटलर की नीति निम्नलिखित थी
1. पुरुषों की श्रेष्ठता:
नात्सी जर्मनी में बच्चों को अक्सर यह बताया जाता था कि महिलाएँ , पुरुषों से काफी भिन्न हैं। नात्सी, महिलाओं के लोकतान्त्रिक अधिकारों के विरुद्ध थे। लड़कों को सिखाया जाता था कि वे कठोर, आक्रामक तथा ताकतवर बनें। लड़कियों को बताया जाता था कि उन्हें अच्छी आर्य माताएँ बनना है।
तथा ऐसी सन्तानें पैदा करनी हैं, जिनकी रगों में शुद्ध आर्यों का रक्त प्रवाहित हो। लड़कियों को नस्ल की शुद्धता बनाए रखनी है, यहूदियों से दूरी बनाए रखनी है, घर की देखभाल करनी है तथा अपने बच्चों को नात्सी सिद्धान्तों की शिक्षा देनी है। उन्हें आर्य संस्कृति तथा नस्ल का ध्वज वाहक बनना है।
2. महिलाओं के लिए आचार संहिता:
सभी आर्य महिलाओं के लिए हिटलर के शासन में एक आचार संहिता थी। जो महिलाएँ निर्धारित आचार संहिता का उल्लंघन करती थीं उनकी सार्वजनिक रूप से निन्दा की जाती थी और उन्हें कड़ा दण्ड दिया जाता था। बहुत बड़ी संख्या में औरतों को गंजा करके, मुँह पर कालिख पोत कर और उनके गले में तख्ती लटकाकर पूरे शहर में घुमाया जाता था।
उनके गले में तख्ती लटका दी जाती थी जिस पर लिखा होता था-“मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है।” इस आपराधिक कृत्य के लिए अनेक महिलाओं को जेल की सजा के साथ-साथ उनके नागरिक अधिकार, उनके पति एवं उनके परिवार भी छीन लिए गए।
3. पुरस्कार एवं दण्ड:
जो महिलाएँ नस्ली तौर पर अवांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें दण्डित किया जाता था जो महिलाएँ नस्ली रूप से वांछित बच्चे पैदा करती थीं, उन्हें पुरस्कार दिया जाता था। अस्पतालों में उन्हें विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं। दुकानों में उन्हें अधिक छूट मिलती, थियेटर एवं रेलगाड़ी के टिकट सस्ते मिलते थे।
अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं को पदक दिये जाते थे। चार बच्चे पैदा करने वाली माँ को कांसे का, छ: बच्चे पैदा करने वाली माँ को चाँदी का एवं आठ या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली माँ को सोने का पदक दिया जाता था।
मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-पाठ्य-पुस्तक में दिए गए मानचित्र को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. धुरी शक्तियों को सहयोग प्रदान करने वाले देशों के नाम लिखिए।
2. तटस्थ देश कौन-कौन से थे?
3. मानचित्र में बेल्जियम किस दिशा में है?
उत्तर:
- रोमानिया, स्लोवाकिया, हंगरी, बुल्गारिया, फिनलैण्ड।
- स्वीडन, स्पेन।
- पश्चिम दिशा में।