JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय वन सेवा की स्थापना की
(अ) भेंडिस ने
(ब) हिटलर ने
(स) सामिन ने
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) भेंडिस ने।
2. प्रथम वन अधिनियम कब लागू हुआ
(अ) सन् 1856 ई. में
(ब) सन् 1865 ई. में
(स) सन् 1947 ई. में
(द) सन् 1857 ई. में।
उत्तर:
(ब) सन् 1865 ई. में।
3. श्रीलंका में घुमंतू कृषि को किस नाम से पुकारा जाता है
(अ) लादिंग
(ब) तावी
(स) चितमेन
(द) चेना।
उत्तर:
(द) चेना।
4. धया, पेंदा, बेवर, झूम, पोडू, आदि किस देश की घुमंतू कृषि के नाम हैं
(अ) भारत
(ब) श्रीलंका
(स) चीन
उत्तर:
(अ) भारत।
5. जावा में वन सम्बन्धी ‘भस्म कर भागो नीति” किन लोगों ने अपनायी थी
(अ) जापानियों ने
(ब) डचों ने
(स) पुर्तगालियों ने
(द) अंग्रेजों ने।
उत्तर:
(ब) डचों ने।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आपके द्वारा प्रयोग की जाने वाली कोई चार ऐसी वस्तुएँ बताइए। जो जंगल से प्राप्त होती हैं।
उत्तर:
1. कागज,
2. मेज-कुर्सीं
3. गोंद,
4. मसाले।
प्रश्न 2.
सन् 1600 ईं. तक भारत के कुल भू-भाग के कितने हिस्से पर खेती होती थी?
उत्तर:
सन् 1600 ई. तक भारत के कुल भू-भाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी।
प्रश्न 3.
अंग्रेजों ने किन-किन व्यावसाखिक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया।
उत्तर:
पटसन, गन्ना, गेहूँ एवं कपास के उत्पादन को।
प्रश्न 4.
19वीं सदी की शुरुआत में इंग्लैण्ड में किस वृक्ष के जंगल लुप्त होने लगे थे।
उत्तर:
बलूत वृक्ष के।
प्रश्न 5.
औपनिवेशिक शासकों को किन-किन उदेश्यें की पूर्ति हेतु बड़ी मात्रा में लकड़ी की आवश्यकता होती थी?
उत्तर:
- रेलवे के विस्तार हेतु,
- शाही नौसेना हेतु जलयान बनाने के लिए।
प्रश्न 6.
ब्रैंडिस द्वारा वनों की रक्षा हेतु दिया गया प्रमुख सुझाव लिखिए।
उत्तर:
जंगलों के प्रबन्धन हेतु व्यवस्थित तंत्र विकसित करने के लिए कानून के निर्माण का सुझाव।
प्रश्न 7.
भारतीय वन सेवा की स्थापना कब्र की गयी?
उत्तर:
सन् 1864 ई. में।
प्रश्न 8.
इम्पीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीद्यूट की स्थापना कब एवं कहाँ की गयी?
उत्तर:
सन् 1906 ई. में देहरादून में।
प्रश्न 9.
अंग्रेजों ने डायद्रिघ ब्रैडिस नामक जर्मन विशेषज्ञ को भारत क्यों बुलाया?
उत्तर:
अंग्रेजों को इस बात की चिन्ता थी कि स्थानीय लोगों द्वारा जंगलों का उपयोग एवं व्यापारियों द्वारा पेड़ों की अंधधिंध कटाई से जंगल नही हो जाएँंगे इसलिए उन्होंने डायट्रिच ब्रैंडिस को भारत बुलाया।
प्रश्न 10.
वन विनाश के लिए उत्तरदायी कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
- बढ़ती जनसंख्या,
- औद्योगीकरण।
प्रश्न 11.
कलांग कौन थे?
उत्तर:
कलांग जावा के कुशल लकड़हारे एवं घुमन्तू किसान थे।
प्रश्न 12.
सन् 1878 ई. के वन अधिनियम द्वारा वनों को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया?
उत्तर:
तीन भागों में:
- आरक्षित वन,
- सुरक्षित वन,
- ग्रामीण वन।
प्रश्न 13.
वैज्ञानिक वानिकी क्या है?
उत्तर:
वन विभाग द्वारा पेड़ों की कटाई की वह पद्धति जिसमें पुराने पेड़ काट कर उनकी जगह नये पेड़ लगाये जाते हैं?
प्रश्न 14.
आरक्षित वन क्या थे?
उत्तर:
सबसे अच्छे जंगलों को आरक्षित वन कहा गया। ग्रामवासी इन जंगलों से उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे।
प्रश्न 15.
ग्रामवासी ईंधन या घर बनाने के लिए लकड़ी कहाँ से ले सकते थे?
उत्तर:
ग्रामवासी इंधन या घर बनाने के लिए केवल सुरक्षित या फ्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।
प्रश्न 16.
महुआ का क्या-क्या उपयोग होता है?
उत्तर:
महुआ के फूल से शराब बनाई जाती है। बीजों से वेल भी निकाला जाता है।
प्रश्न 17.
भारत में अंग्रेजों के लिए रेल अनिवार्य क्यों थी?
उत्तर:
शाही सेना के आवागमन और औपनिवेशिक व्यापार के लिए रेल अंग्रेजों के लिए अनिवार्य थी।
प्रश्न 18.
बीड़ी बनाने में किस वनोत्पाद का प्रयोग होता है?
उत्तर:
बीड़ी बनाने में सूखे हुए तेंदू के पत्तों का प्रयोग होता है। बच्चे, महिलाएँ और वृद्ध इन पत्तों को एकत्र करते हैं।
प्रश्न 19.
वनों के विनाश में ठेकेदारों की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
ठेकेदारों ने बिना सोचे-समझे पेड़ काटना शुरू कर दिया जिससे रेल लाइनों के आस-पास तेजी से जंगल गायब होने लगे।
प्रश्न 20.
बड़े जंगाली जानवरों के प्रति अंग्रेजों के क्या विचार थे?
उत्तर:
अंग्रेजों का विचार था कि बड़े जंगली जानवरों को मारकर वे हिन्दुस्तान को सभ्य बनाएँगे।
प्रश्न 21.
बस्तर कहाँ स्थित है?
उत्तर:
बस्तर जिला छत्तीसगढ़ राज्य के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित है।
प्रश्न 22.
बस्तर में कौन-कौन से आदिवासी समुदाय रहते हैं?
उत्तर:
बस्तर में मरिया, मुरिया गोंड, धुरवा, भतरा, हलबा आदि अनेक आदिवासी समुदाय रहते है।
प्रश्न 23.
देवसारी किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि एक गाँव के लोग दुसरे गाँव के जंगल से अल्प मात्रा में लकड़ी लेना चाहते हैं तो इसके बदले में उन्हें शुल्क अदा करना पड़ता है। इसे देवसारी कहते हैं।
प्रश्न 24.
औपनिवेशिक काल में वनों और गोदामों से भारी लकड़ी के दुकड़ों को उठाने के लिए किस पशु का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर:
हाथी का।
प्रश्न 25.
बागान किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी विशेष प्रजाति के पौधों को सीधी कतारों में लगाने की प्रक्रिया को बागान कहते है।
प्रश्न 26.
इण्डोनेशिया के किस द्वीप को चावल उत्पादक द्वीप के रूप में जाना जाता है?
उत्तर:
इण्डोनेशिया देश के जावा द्वीप को चावल उत्पादक द्वीप के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 27.
जावा पर जापानियों के नियन्त्रण से पहले डचों ने वन सम्बन्धी कौन-सी नीति अपनायी?
उत्तर:
भस्म-कर-भागो नीति।
प्रश्न 28.
किन्हीं दो बागानी फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चाय, रबड़।
प्रश्न 29.
भारत में रेल लाइनों का जाल किस दशक में तेजी से फैला?
उत्तर:
भारत में रेल लाइनों का जाल सन् 1860 ई. के दशक में तेजी से फैला।
प्रश्न 30.
जार्ज यूल नामक अंग्रेज अफसर ने कितने बाघों को मारा था?
उत्तर:
400 बाघों को।
प्रश्न 31.
वे कौन-से कारण हैं जिन्होंने बस्तर के लोग्री को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाया?
उत्तर:
- जंगल के दो-तिहाई भाग को आरक्षित करना।
- घुमतू खेती को रोकना।
- शिकार एवं वन्य उत्पादों के संग्रह पर पाबन्दी लगाना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उन सभी वस्तुओं की सूची बनाइए जो वनों से प्राप्त होती हैं और जिन्हें आप अपने घरों एवं विद्यालय में प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
हमें वनों से निम्नलिखित वस्तुएँ प्राप्त होती हैं जिनका प्रयोग हम अपने घरों एवं विद्यालय में करते हैं
- फर्नीचर जैसे कुर्सियाँ, मेज तथा दरवाजे एवं खिड़कियाँ।
- पुस्तकों का कागज।
- मसाले जिनका हम भोजन में प्रयोग करते हैं।
- रंग जिनसे कपड़ों की रंगाई की जाती है।
- पैंसिल में प्रयुक्त लकड़ी वनों से प्राप्त होती है।
- बीड़ी बनाने हेतु तेंदू पत्ते वनों से मिलते हैं।
- गोंद, रबड़, शहद, चाय, कॉफी आदि भी वनों से मिलते हैं।
- चाकलेट बनाने में प्रयुक्त होने वाला तेल, जो साल के बीजों से मिलता है।
- खाल से चमड़ा बनाने में प्रयोग होने वाला टैनिन।
- दवाइयाँ बनाने हेतु काम में ली जाने वाली जड़ी-बूटियाँ।
- इसके अतिरिक्त वनों से हमें बाँस, ईंधन के लिए लकड़ी, घास, कच्चा कोयला, फल-फूल आदि मिलते हैं।
प्रश्न 2.
जनसंख्या वृद्धि का जंगलों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि का जंगलों पर प्रभाव-बढ़ती हुई जनसंख्या की रहने, खाने एवं कपड़े पहनने आदि की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जंगलों को काटा जाने लगा जिसके परिणामस्वरूप जंगल सिकुड़ते चले गये। सन् 1600 में हिन्दुस्तान के कुल भू-भाग के – भाग पर खेती होती थी जो अब बढ़कर लगभग – भाग तक पहुँच गयी है। अत: हम कह .. सकते हैं कि जनसंख्या वृद्धि का जंगलों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
प्रश्न 3.
उपनिवेशकालीन भारत में रेलवे के विस्तार ने जंगलों को किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
उपनिवेशकाल में अंग्रेजों ने अपने माल की ढुलाई के लिए रेलवे का काफी विकास किया लेकिन इसका दुष्परिणाम भारतीय जंगलों को भुगतना पड़ा। क्योंकि नयी रेल पटरियों को बिछाने के लिए लगाये जाने वाले स्लीपर जंगली लकड़ी से बनाये जाते थे। जैसे-जैसे रेल लाइनों का विस्तार होता गया वैसे-वैसे ही पटरी बिछाने के लिए स्थान हेतु तथा स्लीपरों के लिए जंगल काटे जाने लगे। अत: रेलवे के विस्तार ने जंगलों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
प्रश्न 4.
बागान पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जब व्यावसायिक उद्देश्य से एक विशाल क्षेत्र पर एक ही प्रकार के पेड़ उगाये जाते हैं तो वे बागान कहलाते हैं। यूरोप में चाय, कॉफी और रबड़ की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने भारत में जंगलों को साफ करके बागान लगाये थे। इन बागानों के कारण जगलों का एक भारी हिस्सा काटकर समाप्त कर दिया गया था।
प्रश्न 5.
”इंग्लैण्ड की शाही नौ-सेना भी भारत में वन-विनाश के लिए उत्तरदायी थी।” कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इंग्लैण्ड की शाही नौ-सेना के लिए लकड़ी की आपूर्ति की समस्या वहाँ बलूत के वन विलुप्त होने के कारण उत्पन्न हो गई थी। अत: शाही नौ सेना हेतु जलयान बनाने के लिए लकड़ी की आपूर्ति के कारणवश अंग्रेजों ने बड़े पैमाने पर भारतीय वनों को काटा।
प्रश्न 6.
ब्रिटिश शासकों ने झूम खेती को प्रतिबन्धित क्यों किया?
उत्तर:
ब्रिटिश शासकों ने निम्न कारणों से झूम खेती को हानिप्रद मानते हुए प्रतिबन्धित किया
- ब्रिटिश शासकों का यह मानना था कि उस भूमि पर जहाँ कुछ वर्षों के बाद झूम खेती की जाती थी, रेलवे के लिए आवश्यक लकड़ी हेतु पेड़ नहीं उगाए जा सकते थे।
- झूम खेती के कारण बार-बार स्थान परिवर्तन करने के कारण अधिकारियों के लिए कर-निर्धारण करना अत्यन्त कठिन था।
- ब्रिटिश शासकों का यह मानना था कि जब झूम कृषि के लिए जंगल को जलाकर साफ किया जाता है तो उस समय मूल्यवान पेड़ों के भी आग में जलकर नष्ट होने की सम्भावना बहुत अधिक रहती है।
प्रश्न 7.
वैज्ञानिक वानिकी के अन्तर्गत वन-प्रबन्धन के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए?
उत्तर:
वैज्ञानिक वानिकी के अन्तर्गत वन-प्रबन्धन के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए
- वैज्ञानिक वानिकी के अन्तर्गत उन प्राकृतिक वनों को काट दिया गया जिनमें विविध प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते थे।
- काटे गए वनों के स्थान पर सीधी पंक्ति में एक ही प्रकार के वृक्ष लगाए गए।
- वन-विभाग के अधिकारियों ने वनों का सर्वेक्षण किया और विभिन्न प्रकार के वृक्षों के अधीन क्षेत्र का अनुमान लगाया।
- वन विभाग के अधिकारियों ने वनों के उचित प्रबन्ध के लिए विभिन्न प्रकार की व्यापक योजनाएँ तैयार की।
- वन अधिकारियों ने योजना बनाते समय यह भी निर्णय किया कि प्रति वर्ष जितने वृक्ष काटे जाएँ उस क्षेत्र में उतने ही वृक्ष लगाए जाएँ।
प्रश्न 8.
सन् 1878 ई. के वन अधिनियम द्वारा क्या परिवर्तन लाए गए थे?
उत्तर:
सन् 1878 ई. के वन अधिनियम द्वारा निम्नलिखित परिवर्तन लाए गए थे:
- वनों का तीन श्रेणियों में वर्गीकरण कर दिया गया-आरक्षित, सुरक्षित और ग्रामीण वन।
- गाँव के निवासियों को आरक्षित वनों में किसी भी प्रकार के वनोत्पाद को संगृहीत करने की अनुमति नहीं थी।
- ग्रामीण घर बनाने या ईंधन के लिए सुरक्षित या ग्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।
प्रश्न 9.
घुमंतू कृषि क्या है?
उत्तर:
घुमंतू कृषि के अन्तर्गत पेड़ों, झाड़ियों एवं घास को काटकर वन-भूमि का छोटा-सा टुकड़ा साफ किया जाता है, फिर उन्हें जला दिया जाता है। जलाने के बाद प्राप्त राख को मिट्टी में मिला दिया जाता है ताकि उपजाऊपन को बढ़ाया जा सके। तब उस स्थान पर कुछ वर्षों के लिए कृषि की जाती है। जब उस स्थान का उपजाऊपन कम हो जाता है, तो अन्य स्थान पर कृषि आरम्भ की जाती है। अत: इस प्रकार की ‘कृषि’ के अन्तर्गत किसान एक स्थान से दूसरे स्थान पर कृषि के लिए घूमते रहते हैं।
प्रश्न 10.
वन अधिनियम के लागू होने से गाँव वालों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
वन अधिनियम के लागू होने से गाँव वालों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े
- दैनिक गतिविधियाँ, जैसे-घरों के लिए लकड़ी काटना, पशुओं को चराना, कन्द-मूल फल एकत्रित करना, शिकार करना, मछली पकड़ना आदि गैर-कानूनी बन गए।
- इन सभी गतिविधियों पर पाबन्दी लगा दी गई। गाँव वाले जंगलों से लकड़ी चुराने लगे।
- यदि वे जंगलों से लकड़ी चुराते समय पकड़े जाते तो उन्हें वन-रक्षकों को घूस देनी पड़ती थी या वे उनसे मुफ्त खाने-पीने की माँग करते थे।
- जलाने हेतु लकड़ी एकत्र करने वाली महिलाएँ दुःखी हुईं क्योंकि उन्हें पुलिस एवं जंगल के चौकीदारों द्वारा परेशान किया जाता था।
प्रश्न 11.
ब्लैण्डाँगडिएन्स्टेन व्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
ब्लैण्डाँगडिएन्स्टेन जावा की डच सरकार और वहाँ के वनवासियों के बीच किया गया एक समझौता था। इस प्रणाली के अन्तर्गत डचों ने इस शर्त पर भूमि पर कर न देने की कुछ गाँवों को छूट दे दी थी कि यदि वे सामूहिक रूप से पेड़ काटने तथा उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए श्रम तथा भैंसें मुफ्त में प्रदान करने के लिए कार्य करेंगे। इस व्यवस्था को ब्लैण्डाँगडिएन्स्टेन के नाम से जाना गया। बाद में, कर छूट की अपेक्षा, ग्रामीणों को थोड़ी-सी मजदूरी दी जाने लगी, परन्तु वन भूमि पर कृषि करने के उनके अधिकार पर रोक लगा दी थी।
प्रश्न 12.
सुरोन्तिको सामिन कौन था? उसका क्या कहना था?
उत्तर:
सुरोन्तिको सामिन जावा के रान्दुब्लातुंग गाँव का निवासी था। सन् 1890 ई. के आस-पास उसने सागौन के जंगलों पर राजकीय मालिकाना अधिकार के प्रश्न पर डच सरकार का विरोध किया। उसका कहना था कि हवा, पानी, भूमि एवं लकड़ी डच सरकार की बनाई हुई नहीं है, अत: उन पर उसका कोई अधिकार नहीं हो सकता।
प्रश्न 13.
किन कारणों से औपनिवेशिक काल में कृषि का विस्तार तेजी से हुआ? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में कृषि का विस्तार तेजी से हुआ जिसके प्रमुख दो कारण अग्रलिखित थे
1. कच्चे पदार्थों की आवश्यकता तथा खाद्य समस्या:
अंग्रेजों ने जूट, चीनी, कपास तथा नील आदि व्यापारिक फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया क्योंकि ब्रिटिश उद्योगों में इनका प्रयोग कच्चे पदार्थों के रूप में होता था। उन्होंने खाद्यान्नों के उत्पादन को भी प्रोत्साहित किया क्योंकि बढ़ती हुई शहरी जनसंख्या के भोजन के लिए इनकी आवश्यकता थी।
2. अनुत्पादित वन:
19वीं शताब्दी के आरम्भ में औपनिवेशिक शासन ने सोचा था कि वन अनुत्पादित हैं। जिन्हें कृषि के अधीन लाकर कृषि उत्पादों को किया जा सकता है तथा राज्य की आमदनी भी बढ़ाई जा सकती है।
प्रश्न 14.
जंगलों पर वन विभाग का नियन्त्रण स्थापित हो जाने से क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
जंगलों पर वन विभाग का नियन्त्रण स्थापित हो जाने से निम्नलिखित प्रभाव पड़े
- जंगलों पर वन विभाग का नियन्त्रण स्थापित हो जाने से वन-उत्पादों का व्यापार प्रारभ हो गया। बहुत-सी व्यापारिक कम्पनियाँ व्यापार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए भारत आईं।
- ब्रिटिश सरकार ने कई बड़ी यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों को विशेष क्षेत्रों में वन उत्पादों के व्यापार की इजारेदारी सौंप दी।
- लोगों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियाँ प्रभावित हुईं। स्थानीय लोगों द्वारा शिकार करने और पशुओं को चराने पर पाबन्दी लगा दी गई।
- अनेक चरवाहे और घुमंतू समुदाय को “अपराधी कबीला” कहा जाने लगा। इन्हें ब्रिटिश सरकार की निगरानी में फैक्ट्रियों, खदानों तथा बागानों में काम करने के लिए मजबूर किया गया।
प्रश्न 15.
वनों के संरक्षण के विभिन्न उपायों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
वनों का संरक्षण निम्नलिखित उपायों द्वारा किया जा सकता है
- हमें वृक्षारोपण का कार्य करते रहना चाहिए। यह कार्य उपलब्ध खाली स्थान, नदियों एवं बाँधों के आस-पास के क्षेत्र में अच्छे ढंग से हो सकता है।
- वन हमारी राष्ट्रीय निधि हैं। हमारा दायित्व वनों के अन्धाधुन्ध कटाव को रोकना है।
- आज के वैज्ञानिक युग में हमें ऐसी फसलों की खोज कर लेनी चाहिए जो पहाड़ी, शुष्क, रेतीली एवं बंजर भूमि में सरलता से उगाई जा सके।
- हमें वनों पर दबाव कम करने के लिए प्लास्टिक, कागज, बोर्ड आदि से निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 16.
इस कथन को सिद्ध कीजिए कि-‘वन राष्ट्र की निधि हैं।
उत्तर:
किसी भी राष्ट्र की प्रगति में वन संसाधनों का विशेष,महत्व होता है। वनों से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं, जो निम्नलिखित हैं
- वर्षा कराने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वृक्ष वातावरण को शीतल बना देते हैं, जिससे वाष्प-कणों से तृप्त वायु उनके ऊपर से गुजरती है, तो वह ठण्डी होकर वर्षा का रूप धारण कर लेती है। यह वर्षा कृषि के लिए अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होती है।
- वनों का मृदा अपरदन रोकने में महत्वपूर्ण योगदान होता है। वृक्ष बहने वाले जल के रास्ते में अवरोधक बनकर खड़े हो जाते हैं और जल के वेग को कम कर देते हैं, जिससे मृदा-कणों को बहाकर ले जाने की उतनी शक्ति नहीं रहती।
- वनों से मूल्यवान पदार्थ, जैसे-लकड़ी, गोंद, रबड़ आदि प्राप्त होते हैं। वनों से प्राप्त कच्ची लकड़ी से कागज की लुगदी एवं कच्चे रबड़ से मोटरगाड़ियों के लिए टायर आदि निर्मित किए जाते हैं।
- वन में उगने वाले घास-फूस पर अनेक पशुओं का जीवन निर्भर करता है।
- वनों से प्राप्त जड़ी-बूटियों से अनेक प्रकार की दवाइयाँ बनायी जाती हैं।
- वन नदियों की बाढ़ को रोकने एवं उनकी गति धीमी करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
- वनों से अनेक लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
- वन सूखे को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि वन ‘राष्ट की निधि हैं’।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बस्तर के लोगों की बगावत की विस्तार से व्याख्या करें।
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बस्तर के लोगों की बगावत की व्याख्या निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की जा सकती है
1. बगावत के कारण:
- सन् 1905 ई. में, ब्रिटिश सरकार ने वनों का दो-तिहाई आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा।
- स्थानान्तरित कृषि पर प्रतिबन्ध लगाया।
- शिकार करने तथा वन उत्पादों को एकत्र करने पर प्रतिबन्ध लगाया। इन समस्त कदमों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए स्थानीय लोगों को मजबूर किया।
2. बगावत की कार्य-प्रणाली:
- लोगों ने अपनी ग्राम पंचायतों, बाजारों तथा त्योहारों के मौके पर इन सब विषयों पर चर्चा करनी आरम्भ कर दी। कांगेर वन के धुरवा समुदाय द्वारा इस सम्बन्ध में पहल की गई, जहाँ सबसे पहले आरक्षण लागू हुआ। इस विद्रोह का मुख्य नेता नेथानार गाँव का गुंडा धूर था।
- सन् 1910 ई. में गाँवों में आम की शाखाओं, मिट्टी के ढेले, मिर्ची तथा तीरों को घुमाना आरम्भ हुआ वास्तव में, ये ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध बगावत करने के लिए, ग्रामीणों को आमन्त्रित करने के सन्देश थे। प्रत्येक गाँव ने बगावत के खर्चों के लिए कुछ न कुछ योगदान दिया।
- बाजारों को लूटा गया, अधिकारियों तथा व्यापारियों के घरों, स्कूलों तथा पुलिस स्टेशनों को लूटा एवं जलाया गया और अनाज का पुनर्वितरण किया गया। जिन पर आक्रमण किया गया, उनमें से अधिकतर औपनिवेशिक शासन तथा दमन के कानूनों से सम्बन्ध रखते थे।
3. विद्रोह का दमन:
ब्रिटिश सरकार ने बगावत को दबाने के लिए सेना भेजी। आदिवासी नेताओं ने समझौता करने का प्रयास किया, परन्तु अंग्रेजों ने उनके शिविरों को घेरकर उन पर गोली चलाई। इसके बाद उन्होंने गाँव की ओर मार्च किया तथा बगावत में भाग लेने वालों को सजा दी। अधिकतर गाँव खाली हो गए क्योंकि लोग जंगलों में भाग गए थे। अंग्रेजों को फिर से नियन्त्रण पाने में तीन महीने लग गए, परन्तु वे गुंडा धूर को कभी पकड़ न पाए।
4. बगावत के परिणाम:
बागियों की बहुत बड़ी जीत यह रही कि आरक्षण पर कार्य कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया तथा आरक्षित क्षेत्र को भी सन् 1910 ई. से पहले की योजना से लगभग आधा कर दिया गया।