JAC Board Class 9th Social Science Important Questions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
जैसलमेर के निकट थार के रेगिस्तान में ऊँट पालकों की बस्ती को कहा जाता है
(अ) थारू
(ब) मारू राइका
(स) ढंडी
(द) राइका
उत्तर:
(स) ढंडी।
2. किस चरवाहा समुदाय के गाँव कच्छ के रन में स्थित हैं
(अ) मालधारी
(ब) राइका
(स) बंजारे
(द) धनगर।
उत्तर:
(अ) मालधारी।
3. राजस्थान के रेगिस्तान में रहने वाला चरवाही समुदाय है
(अ) धनगर
(ब) राइका
(स) कुरुमा
(द) गोल्ला।
उत्तर:
(ब) राइका।
4. थार मरुस्थल भारत के किस राज्य में स्थित है
(अ) राजस्थान
(ब) उत्तर प्रदेश
(स) गुजरात
(द) केरला
उत्तर:
(अ) राजस्थान।
5. निम्न में से अफ्रीका का प्रमुख चरवाहा समुदाय नहीं है
(अ) बेदुईन्स
(ब) मासाई
(स) बोरान
(द) बंजारे।
उत्तर:
(द) बंजारे।
6. सन् 1947 ई. से पूर्व सिन्ध जाने वाले राजस्थान के राइका चरवाहे अब अपने ऊँटों एवं भेड़ों को चराई के लिए कहाँ लेकर जाते हैं
(अ) पंजाब
(ब) उत्तर प्रदेश
(स) हरियाणा
(द) जम्मू-कश्मीर।
उत्तर:
(स) हरियाणा।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बुग्याल क्या हैं?
उत्तर:
बुग्याल ऊँचे पहाड़ों पर 12000 फुट से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित विशाल चरागाह होते हैं।
प्रश्न 2.
जम्मू-कश्मीर राज़्य में भेड़-बकरी पालने वाले समुदाय का नाम बताइए।
उत्तर:
गुज्जर बक्करवाल।
प्रश्न 3.
गुज्जर बक्करवाल समुदाय शीतकाल में कहाँ डेरा डाल लेते हैं?
उत्तर:
शिबालिक की निचली पहाड़ियों में।
प्रश्न 4.
हिमाचल प्रदेश में रहने वाले चरवाहा समुदाय का नाम बताइए।
उत्तर:
गढ़ी समुदाय।
प्रश्न 5.
हिमाचल प्रदेश के गही्दी समुदाय के चरवाहे ग्रीष्म ॠतु में कहाँ रहते हैं?
उत्तर:
लाहौल और स्पीवि क्षेत्र में।
प्रश्न 6.
भाषर किसे कहते हैं?
उत्तर:
गढ़वाल और कुमाऊँ के इलाके में पहाड़ियों के निचले हिस्से के आस-पास पाये जाने वाले शुष्क या सूखे जंगल के इलाके को भाचर कहते हैं।
प्रश्न 7.
महाराष्ट्र में पाये जाने बाले किसी एक चरवाही समुदाय का नाम बताइए।
उत्तर:
धनगर समुदाय।
प्रश्न 8.
धनगर समुदाय वर्षा क्रहतु में कहाँ रहते थे?
उत्तर:
धनगर समुदाय वर्षा ऋतु में महाराप्थ के मध्य पठारों में रहते थे।
प्रश्न 9.
हिमाचल क्षेत्र के चरवाहा समुदायों की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:
मौसम के अनुरूप अपने को छालना एवं विभिन्न इलाकों में प्रवास करना।
प्रश्न 10.
हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में रहने वाले किन्हीं तीन चरवाहा समुदाय के नाम लिखिए।
उत्तर:
- भोटिया,
- शेरपा,
- किन्नौरौ।
प्रश्न 11.
औपनिवेशिक सरकार ने कल अपराधी जनजाति अधिनियम पारित किया? चरवाही ‘ कर’ कब से लागू किया था?
उत्तर:
उन्नीसर्वीं सदी के मध्य से।
प्रश्न 13.
मासाई समुदाय अफ्रीका महाद्वीप के किस भाग में रहते हैं?
उत्तर:
पूर्वीं भाग में।
प्रश्न 14.
मासाई मुख्य रूप से क्या कार्य करते हैं?
उत्तर:
पशुपालन का कार्य।
प्रश्न 15.
विश्व के किस महाद्दीप में विश्व की आधी से अधिक चरवाह्म आबादी रहती है?
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप में।
प्रश्न 16.
बदलती हुई परिस्थितियों में मासाई कौन-कौन से खाद्य पदार्थो पर निर्भर होते जा रहे हैं?
उत्तर:
बदलती हुई परिस्थितियों में मासाई मक्का, चावल, आलू एवं गोभी जैसे खान्य पदाध्थों पर निर्भर होत्ते जा रहे हैं।
प्रश्न 17.
‘मासाई’ शब्द्र का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
‘मासाई’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘मेरे ‘लोग’ है।
प्रश्न 18.
काफिला क्या है?
उत्तर:
कफिला का अर्थ है-लोगों का समूह। जब घुर्मतू चरवाहे लोग एक साथ मिलकर सफर करते हैं तो लोगों के इस समूह को काफिला कहते हैं?
प्रश्न 19.
किन्हीं चार समुदायों का नाम बताइए जो आवाजाही के वार्षिक चक्र को अपनाते हैं?
उत्तर:
- भोटिया,
- गुज्जर बक्करवाल,
- गद्दी,
- शेरपा,
- किजौरी।
प्रश्न 20.
दक्षिण भारत के किन्ही दो चरवाहा समुदायों के नाम बताइए।
उत्तर:
कुरुबा, गोल्ला।
प्रश्न 21.
राजस्थान के किसी एक चरवाहा समुदाय का नाम बताइए।
उत्तर:
राइका।
प्रश्न 22.
अफ्रीका के किन्हीं पाँच घुमंतु चरवाहा समुदायों के नाम बताइए।
उत्तर:
- मासाई,
- सोमाली,
- बोरान,
- बेदुईन्स,
- तुर्काना।
प्रश्न 23.
कीनिया के एक चरवाहा समुदाय का नाम लिखिए।
उत्तर:
मासाई।
प्रश्न 24.
मासाई समाज कितनी सामाजिक श्रेणियों में बँटा हुआ है? नाम लिखिए।
उत्तर:
मासाई समाज दो सामाजिक श्रेणियों में बँटा हुआ है:
- वरिक्ठ जन (ऐल्डर्स),
- योद्धा (वॉरियर्स)।
प्रश्न 25.
किन्ही चार पशुओं के नाम बताइए जिन्हें घुमंतू चरवाहे पालते हैं।
उत्तर:
ऊँट, भेड़, बकरी, भैस।
प्रश्न 26.
चरागाहों को शिकारगाह बनाने पर अफ्रीका में कौन से शिकारगाह अस्तित्व में आए?
उत्तर:
कीनिया में मासाई मारा एवं सम्बुरु नेशनल पार्क तथा तंज़ानिया में सेरेनेनेटी पार्क जैसे शिकारगाह इसी तरह अस्तित्व में आए।
प्रश्न 27.
औपनिवेशिक शासन से पहले मासाईलैण्ड का क्षेत्र किन भागों में फैला हुआ था?
उत्तर:
अपनिवेशिक शासन से पहले मासाईलैण्ड का क्षेत्र उत्तरी कीनिया से लेकर तंज़ानिया के घास के मैद्रानों तक फैला हुआ था।
प्रश्न 28.
बंजारे चरवाहे कहाँ रहते थे?
उत्तर:
बंजारे चरवाहे उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश एवं महाराट्र के कई क्षेत्रों में रहते थे।
प्रश्न 29.
मासाई योद्धाओं की वेशभूषा क्या होती है?
उत्तर:
मासाई योद्धा गहरे लाल रंग की शुका और चमकदार मोतियों के आभूषण पहनते हैं।
प्रश्न 30.
पर्यांरणणादी तथा अर्थशाख्ती किस बात को गम्भीरता से मानने लगे हैं?
उत्तर:
पयाँवरणवादी तथा अर्धशाख्ली इस बात को गम्भीरता से मानने लगे हैं कि घुमंतू चरवाहों की जीवनशैली संसार के बहुत से पहाड़ी और सूखे क्षेत्र में जीवन-यापन के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है।
प्रश्न 31.
जावा किसलिए प्रसिद्ध है? किस औपनिवेशिक शक्ति ने इस पर शासन किया?
उत्तर:
जावा (इंडोनेशिया) चावल उत्पादक द्वीप के रूप में जाना जाता है। यह छच का उपनियेश था।
प्रश्न 32.
कलांग कौन थे?
उत्तर:
जावा में कलांग समुद्दाय के लोग कुशल लकड़हारे और घुमंतू किसान धे।
प्रश्न 33.
बंड़ी क्या है?
उत्तर:
मारु राड़काओं का निवास ठंडी कहलाता है।
प्रश्न 34.
पाँच भौगोलिक भागों के नाम लिखों जहाँ चरवाही कार्य होता है।
उत्तर:
- पर्वत,
- पठार,
- मैदान,
- मरुस्थल,
- वन।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जम्मू और कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बकरवाल लोग भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े रेवड़ रखते थे। ये 19वीं सदी में अपने मवेशियों के लिए चरागाहों की तलाश में यहाँ आये थे। समय बीतता गया और वे यहीं के होकर रह गये। जाड़े के दिनों में वे शिवालिक की निचली पहाड़ियों में तथा अप्रैल के अन्त में वे उत्तर दिशा में जाने लगते थे। सितम्बर में वे निचली पहाड़ियों में चले जाते थे। इस प्रकार वे घुमंतू प्रकृति के चरवाहे थे।
प्रश्न 2.
राजस्थान के राइका समुदाय के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
राइका पशुचारक समुदाय राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर एवं बीकानेर जिलों में निवास करते हैं। ये इलाके मरुस्थली हैं। बरसात के दिनों में यहाँ कुछ चारा मिलने के कारण राइका लोग यहाँ निवास करते हैं एवं अपने पशुओं को चराते हैं। अक्टूबर आते ही राइका लोग चरागाह की तलाश में दूसरे इलाके में चल देते हैं।
इस तरह जब फिर से बरसात प्रारम्भ होती है तब पुनः वापस लौटते हैं। ये लोग पशुचारक के साथ-साथ खेतिहर भी हैं। राइका का एक वर्ग ऊँट पालता है, जबकि दूसरा वर्ग कुछ भेड़-बकरियों को पालता है। 1947 के भारत-पाक विभाजन से यह बुरी तरह प्रभावित हुए।
प्रश्न 3.
धनगर समुदाय की वार्षिक आवाजाही के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारकों का उल्लेख गरिए।
उत्तर:
धनगर समुदाय की वार्षिक आवाजाही के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं
- चारे की कमी के कारण, अक्टूबर-नवम्बर में, धनगर समुदाय महाराष्ट्र के मध्य पठार से बाहर चले जाते थे।
- अनाज के ढूंठों की उपलब्धता के कारण वे कोंकण चले जाते थे।
- कोंकण के स्थानीय लोग धनगरों का स्वागत करते थे क्योंकि धनगरों का झुण्ड उनके खेतों के लिए खाद प्रदान करता था।
- धनगरों को स्थानीय लोगों से अनाज भी मिलता था।
प्रश्न 4.
धनगर चरवाहा समुदाय की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
धनगर चरवाहा समुदाय की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- धनगर चरवाहा महाराष्ट्र का एक प्रमुख चरवाहा समुदाय है।
- बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में धनगर चरवाहा समुदाय की जनसंख्या लगभग 4,67,000 थी।
- धनगर चरवाहा समुदाय बरसात के मौसम में महाराष्ट्र के मध्य पठारों में रहते हैं। यह एक अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र है जहाँ वर्षा बहुत कम होती है।
- मानसून की वर्षा प्रारम्भ होते ही धनगर चरवाहे कोंकण और तटीय इलाके छोड़कर सूखे पठारों की ओर लौट जाते हैं क्योंकि भेड़ें गीली मानसूनी हालात को सहन नहीं कर पाती हैं।
प्रश्न 5.
कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश के गोल्ला समुदाय की वार्षिक गतिक्रियाएँ जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बक्करवाल समुदाय से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर के गुज्जर बक्करवाल समुदाय की गतिक्रियाएँ शीत तथा ग्रीष्म ऋतुओं के चारों ओर चक्कर लगाती हैं। सर्दियों में जब ऊँचे पर्वत बर्फ से ढक जाते हैं, वे निचली पहाड़ियों में आ जाते हैं तथा गर्मियों में वे फिर से ऊँची पहाड़ियों की ओर चल देते हैं। गोल्ला समुदाय की गतिक्रियाएँ मानसून के आगे और पीछे हटने के चारों ओर चक्कर लगाती हैं। शुष्क ऋतु में वे तटीय क्षेत्रों की ओर चल देते हैं तथा बरसात आने पर वहाँ से सूखे पठारों की ओर लौट आते हैं क्योंकि भेड़ें गीले मानसूनी हालात को सहन नहीं कर पाती।
प्रश्न 6.
चरवाहा समुदायों की वार्षिक आवाजाही के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चरवाहा समुदायों की वार्षिक आवाजाही के लिए अग्रलिखित कारण उत्तरदायी हैं
1. प्रतिकल जलवायविक दशाएँ:
चरवाहा समुदायों की गतिशीलता के लिए उत्तरदायी एक प्रमुख कारक प्रतिकूल जलवायविक दशाएँ हैं। सर्दियों में पहाड़ों की ऊँचाई पर तापमान बहुत कम होता है इसलिए वे नीचे उतर आते हैं।
2. चारे की कमी:
सर्दियों में ऊँचे पहाड़ बर्फ से ढके रहते हैं, इसलिए वहाँ चारे की कमी होती है। परिणामस्वरूप, लोग सर्दियों में निचली पहाड़ियों में आ जाते हैं क्योंकि वहाँ चारे की कोई कमी नहीं
होती।
प्रश्न 7.
औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित अपराधी जनजाति अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित अपराधी जनजाति अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- इस अधिनियम के द्वारा दस्तकारों, व्यापारियों एवं चरवाहों के अनेक समुदायों को अपराधी समुदायों की सूची में रखा गया।
- इस अधिनियम के अन्तर्गत उनकी गतिविधियों पर अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगा दिये गये, जैसे मुख्य अधिसूचित गाँवों में बस जाने का आदेश, बिना अनुमति पत्र के आवागमन पर रोक आदि।
- दस्तकारों, व्यापारियों एवं चरवाहों पर ग्राम पुलिस नजर रखने लगी।
प्रश्न 8.
भारत में औपनिवेशिक शासन ने चरवाही समुदाय के जीवन पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शासन ने चरवाही समुदाय के जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव डाला
- विभिन्न चरागाह क्षेत्रों पर भिन्न-भिन्न कानूनों द्वारा चरवाही समुदायों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
- चरागाह क्षेत्र के कम होने के कारण चरवाही समुदाय के पशु मरने लगे एवं पशुओं की संख्या कम होने लगी।
- औपनिवेशिक शासकों ने विभिन्न चरागाह क्षेत्रों में चरवाही टैक्स लगा दिया।
- स्थायी जीवन न व्यतीत करने के कारण घुमंतू लोगों को स्वभावतः अपराधी मान लिया गया।
- औपनिवेशिक शासन की कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाहियों के कारण चरवाही समुदाय के लोगों को अपने पशुओं की संख्या कम करनी पड़ी तथा अन्य व्यवसाय की ओर ध्यान लगाना पड़ा।
प्रश्न 9.
वन अधिनियम द्वारा किये गये बदलाव से चरवाहे किस प्रकार से बचे?
उत्तर:
वन अधिनियम द्वारा किये गये बदलाव से चरवाहे निम्न प्रकार से बचे
- जब एक जगह के चरागाह को बन्द कर दिया गया तो चरवाहों ने अपनी आवाजाही को दूसरी ओर परिवर्तित कर लिया।
- चरवाहों ने अपनी पशुओं की संख्या कम कर दी एवं पशुचारण के साथ-ही-साथ आय के अन्य स्रोतों में लग गए।
- चरवाहे आधुनिक विश्व में हो रहे परिवर्तनों के अनुरूप अपनी जिन्दगी बदलने की कोशिश करने लगे।
प्रश्न 10.
चरवाहा समुदायों की जिन्दगी किन-किन बातों पर टिकी हुई है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चरवाहा समुदायों की जिन्दगी निम्नलिखित बातों पर टिकी हुई है
- चरवाहों को इस बात का हमेशा ध्यान रखना पड़ता है कि उनके रेवड़ एक स्थान पर कितने दिनों तक रह सकते हैं। साथ ही उन्हें पानी कहाँ मिल सकता है।
- सिर्फ किन इलाकों में कितने दिन रहना पड़ेगा यही नहीं, बल्कि इसका भी ध्यान रखना पड़ता है कि उन्हें किन इलाकों से गुजरने की छूट मिल सकती है तथा किससे नहीं।
- इन समुदायों को अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था के लिए खेती, चरवाही एवं व्यापार भी करना पड़ता है।
- सफर करते समय चरवाहों को यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि किसानों से उनका सम्बन्ध अच्छा बने ताकि उनके खेतों में अपने पशुओं को चरा सकें। साथ ही उनके खेतों को उपजाऊ बना सकें।
प्रश्न 11.
वन अधिनियम द्वारा किये गये परिवर्तन के फलस्वरूप चरवाहों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
वन अधिनियम द्वारा किये गये परिवर्तन के फलस्वरूप चरवाहों की निम्नलिखित प्रतिक्रिया हुई
- चरागाहों की कमी के कारण कई चरवाहों ने अपने पशुओं की संख्या कम कर दी तथा कुछ चरवाहों ने नये-नये चरागाहों की भी खोज की।
- कुछ धनी चरवाहों ने अपने पशुचारक जीवन को त्यागकर कुछ भूमि खरीद ली एवं अपने घर बना लिए। वे कृषि करने लगे।
- परन्तु कुछ गरीब चरवाहों की स्थिति ब्याज पर कर्ज लेने के कारण दिन-प्रतिदिन बिगड़ती गई। फलस्वरूप, वे खेतिहर मजदूर बनते गए।
प्रश्न 12.
‘चरागाह भूमि के बड़े क्षेत्र शिकारगाहों में परिवर्तित कर दिए गए थे”। इसका भी अफ्रीका के घुमंतू चरवाहों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। कोई दो उदाहरण देकर कथन को स्पष्ट करिए।
उत्तर:
चरागाह भूमि के बड़े क्षेत्र शिकारगाहों में परिवर्तित कर दिए गए थे। इनका भी अफ्रीका के घुमंतू चरवाहों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। यह निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है
1. चरागाह भूमि के बड़े:
बड़े क्षेत्र शिकारगाहों में परिवर्तित कर दिए गए, जैसे-कीनिया में मासाईमारा एवं साम्बूरू नेशनल पार्क एवं तंज़ानिया में सेरेन्गेटी पार्क आदि। चरवाहों को इन आरक्षित क्षेत्रों में जाने की आज्ञा न थी, वे न तो इन क्षेत्रों में जानवरों का शिकार कर सकते थे और न ही पशुओं को चरा सकते थे। इससे उनके चराई क्षेत्रों में कमी आ गई।
2. बड़े:
बड़े चरागाहों के समाप्त होने से मौजूदा चरागाहों पर अधिक दबाव पड़ा परिणामस्वरूप चारे की कमी उत्पन्न हो गई।
प्रश्न 13.
औपनिवेशिक शासन का मासाई लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन का मासाई लोगों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
- औपनिवेशिक शासन ने सन् 1885 ई. में ब्रिटिश कीनिया और जर्मन तांगान्यिका के बीच एक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा खींचकर मासाईलैण्ड के दो बराबर टुकड़े कर दिये गये।
- सरकार ने गोरे लोगों को बसाने के लिए मासाई समुदाय के लोगों से अच्छे चरागाहों को अपने कब्जे में ले लिया तथा इस समुदाय के लोगों को दक्षिणी कीनिया और उत्तरी तंज़ानिया के छोटे से क्षेत्र में समेट दिया गया।
- औपनिवेशिक शासन के दौरान मासाई लोगों की गतिविधियों को सीमित कर दिया गया। .
- मासाई समुदाय के लोग अपने पशुओं को नये चरागाहों में नहीं ले जा सकते थे। अतः सूखे के दौरान बड़ी संख्या में उनके पशु भूख तथा बीमारी के कारण मर गये।
- चरागाह क्षेत्र कम होने, सूखे के दुष्परिणाम के कारण मासाई समुदाय के लोगों के पास पशुओं की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई तथा उन्हें अपने जीवन-यापन के लिए अन्य व्यवसायों की ओर अग्रसर होना पड़ा।
प्रश्न 14.
मासाई समुदाय के वरिष्ठ जनों (ऐल्डर्स )तथा योद्धाओं (वॉरियर्स )पर औपनिवेशिक शासन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मासाई समुदाय के वरिष्ठ जनों तथा योद्धाओं पर औपनिवेशिक शासन का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा
- औपनिवेशिक शासन में अंग्रेजों ने मासाई समुदाय की प्राचीन सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ दिया।
- अंग्रेजों ने विभिन्न मासाई उपसमूहों के मुखिया को नियुक्त करना आरम्भ किया, जो कि अपने-अपने कबीलों के सभी कामों के लिए उत्तरदायी थे।
- उन्होंने हमला करने तथा युद्धों पर प्रतिबन्ध लगा दिये थे।
- परिणामस्वरूप, वरिष्ठ जनों तथा योद्धाओं की पारम्परिक सत्ता बहुत कमजोर हो गई।
प्रश्न 15.
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में किस प्रकार से मासाईलैण्ड का विभाजन औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा हुआ?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में निम्न प्रकार से मासाईलैण्ड का विभाजन औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा किया गया
- सन् 1885 ई. में मासाईलैण्ड का विभाजन एक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के द्वारा ब्रिटिश कीनिया एवं जर्मन तांगान्यिका में कर दिया गया।
- श्वेत लोगों को बसाने के लिए सरकार ने अच्छे चरागाह अपने कब्जे में ले लिए एवं मासाईयों को दक्षिणी कीनिया एवं उत्तरी तंज़ानिया में समेट दिया गया।
- इस दौरान उनसे 60 प्रतिशत जमीन छीन ली गई एवं उन्हें ऐसे सूखे इलाकों में कैद कर दिया गया, जहाँ न तो अच्छी वर्षा होती थी और न ही हरे-भरे चरागाह थे।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों के जीवन में बहुत अधिक बदलाव आया”। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों के जीवन में बहुत अधिक बदलाव आया, जिसे निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
1. कृषि योग्य जमीन का विस्तार:
औपनिवेशिक सरकार ने गैर-कृषि भूमि को कृषि-योग्य भूमि में परिवर्तित कर दिया क्योंकि सरकार इसे अनुत्पादक एवं बेकार मानती थी। इससे न तो लगान में वृद्धि होती थी न ही कृषि उपज प्राप्त होती थी। कृषि योग्य भूमि बनाने के लिए “परती भूमि विकास” के लिए नियम बनाये गये। अन्ततः प्रभाव यह हुआ कि चरागाहों की कमी हो गई।
2. घुमंतू समुदायों पर नियंत्रण:
सरकार घुमंतू चरवाहों को शक की नजर से देखती थी। क्योंकि एक स्थान विशेष पर निवास करने वाले व्यक्तियों की तुलना में इन पर शासन करना मुश्किल हो जाता था। इसलिए इन्हें नियन्त्रित करने के लिए सन् 1871 में “अपराधी जनजाति अधिनियम’ बनाकर कई समुदायों को अपराधी जनजाति घोषित करके कई इलाकों में उनकी आवाजाही पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे इनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ।
3. वन अधिनियम लागू करना:
वन अधिनियम पारित करके वनों को ‘आरक्षित’ एवं ‘संरक्षित वन घोषित कर दिया गया। फलस्वरूप, पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबन्ध लग गया, जिससे चरागाहों का क्षेत्र भी सीमित होता चला गया। इससे चरवाहों की जिन्दगी बुरी तरह प्रभावित हुई। अब उन्हें नए चरागाह तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा।
4. सरकार द्वारा राजस्व वृद्धि के प्रयास:
सरकार ने अपनी राजस्व वृद्धि करने के लिए 19वीं सदी के मध्य में ‘चरवाही टैक्स’ लगा दिया। उन्होंने जमीन, नहरों के पानी, नमक क्रय-विक्रय एवं पशुओं पर भी टैक्स आरोपित कर दिए। 1850-80 के बीच टैक्स वसूली का काम बोली लगाकर ठेकेदारों को दिया जाने लगा। अधिकाधिक कमाई के चक्कर में ठेकेदार खूब टैक्स वसूली करने लगे, जिससे चरवाहों की स्थिति दयनीय होने लगी।
प्रश्न 2.
घुमंतू चरवाहा समुदायों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। उत्तर-चरवाहा समुदायों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. प्रमुख व्यवसाय:
घुमंतू चरवाहे मुख्यत: पशु-पालन पर निर्भर थे। इनके द्वारा पाले गये प्रमुख पशु-बकरियाँ, भेड़ें, ऊँट तथा भैंसे थीं। कुछ घुमंतू चरवाहे फसलें भी उगाते थे।
2. गतिक्रियाएँ:
घुमंत चरवाहे किसी भी क्षेत्र में निरुद्देश्य नहीं जाते थे, बल्कि उन्हें सही भू-क्षेत्रों की अच्छी पहचान थी। वे अपनी गतिक्रियाओं के क्षेत्रों की भौतिक तथा सांस्कृतिक विशेषताओं के प्रति जागरूक थे।
3. भोजन:
चरवाहा कबीले माँस की अपेक्षा अनाज ही खाते थे। वे गेहूँ, चावल, बाजरा तथा मक्का खाते थे। कुछ खाद्यान्न वे स्वयं उगाते थे और कुछ अपनी गतिक्रियाओं के मार्ग से व्यवस्थित करते थे।
4. पशुओं का चुनाव:
घुमंतू चरवाहे स्थानीय सांस्कृतिक तथा भौतिक लक्षणों के अनुसार झुंडों के लिए पशुओं का प्रकार तथा संख्या का चुनाव करते थे। पशुओं का चुनाव विशेष जलवायु, वनस्पति के अनुकूल प्रजातियों की योग्यता तथा पशुओं की प्रतिष्ठा पर आधारित होती थी। उत्तरी अफ्रीका तथा मध्य पूर्व में अधिकतर ऊँट पाले जाते थे। इसके अतिरिक्त भेड़ तथा बकरियाँ पाली जाती थीं।
5. आर्थिक जीवन:
अधिकतर घुमंतू चरवाहे वस्तु विनिमय प्रणाली को अपनाते थे, जबकि कुछ धन का भी प्रयोग करते थे। वे भोजन अथवा अनाज के लिए पशुओं का आदान-प्रदान करते थे।
6. परिवर्तनशील जीवन:
19वीं शताब्दी में यूरोपीय उपनिवेशों के विस्तार ने घुमंतू चरवाहों के जीवन को प्रभावित किया था। यूरोपियों ने अपने प्रयोग के लिए भूमि पर अपना अधिकार कर लिया। इसी कारण, स्थानीय लोगों के जीने के पारम्परिक ढंग में हमेशा के लिए परिवर्तन हो गया। यूरोपियों ने मूल निवासियों को उनकी भूमि अथवा क्षेत्रों से निकाल दिया था।
मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित चरवाहा समुदायों को प्रदर्शित कीजिए
1. गुज्जर समुदायों का क्षेत्र,
2. धनगर समुदाय का क्षेत्र,
3. कुरुबा समुदाय का क्षेत्र,
4. मालधारी समुदाय का क्षेत्र,
5. राइका समुदाय का क्षेत्र,
6. गद्दी समुदाय का क्षेत्र। उत्तर
प्रश्न 2.
दिए गए अफ्रीका के रेखा मानचित्र पर प्रमुख चरवाहा समुदायों के नामों को अंकित कीजिए।
उत्तर: