JAC Board Class 9th Social Science Notes Geography Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन
→ भारत विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है।
→ भारत में लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पेड़-पौधे तथा लगभग 90,000 जातियों के जानवर तथा विभिन्न प्रकार की मछलियाँ ताजे एवं समुद्री पानी में पायी जाती हैं। इस दृष्टि से भारत एशिया में चौथा एवं विश्व में दसवाँ स्थान रखता है।
→ बिना फूल वाले पेड़-पौधे जैसे शैवाल (एलेगी) एवं कवक (फंजाई) भी बहुत बड़ी संख्या में हमारे देश में पाये जाते हैं। प्राकृतिक वनस्पति का आशय वनस्पति के उस भाग से है जो मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है
→ और लम्बे समय तक उस पर मानवीय प्रभाव नहीं पड़ता। वनस्पति तथा वन्य प्राणियों में इतनी विविधता भू-भाग, मृदा, तापमान, सूर्य का प्रकाश, वर्षण आदि के कारण है।
→ सन् 2003 में वनों का कुल क्षेत्रफल 68 लाख वर्ग किमी. था।
→ सन् 2011 में भारत में वनों का कुल क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का 21.05 प्रतिशत था। पृथ्वी पर पादपों एवं जीवों का वितरण मुख्यतः जलवायु द्वारा निर्धारित होता है।
→ हमारे देश में 5 प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पायी जाती हैं जिनमें उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन, उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन, कंटीले वन एवं झाड़ियाँ, पर्वतीय वन एवं मैंग्रोव वन हैं।
→ उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, लक्षद्वीप, अंडमान, और निकोबार द्वीप समूहों, असम के ऊपरी भागों तथा तमिलनाडु के तट तक सीमित है।
→ उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन भारत के सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हैं इन्हें मानसूनी वन भी कहते हैं।
→ जिन क्षेत्रों में 70 से. मी से कम वर्षा होती है वहाँ कंटीले वन तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अन्तर पाया जाता है।
→ तटवर्तीय क्षेत्रों में जहाँ ज्वार-भाटा आता है वहाँ मैंग्रोव वन पाये जाते हैं।
→ भारत में मछलियों की लगभग 2,546 प्रजातियाँ पायी जाती हैं जो संसार में पाई जाने वाली कुल मछलियों का 12 प्रतिशत है। भारत में अनेक प्रकार के सरीसृप, उभयचरी एवं स्तनधारी जीव पाये जाते हैं जो संसार के कुल प्राणियों का 5 से 8 प्रतिशत है।
→ धरातल पर एक विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र को ‘जीवोम’ कहते हैं।
→ भारतीय जीव सुरक्षा अधिनियम सन् 1972 में लागू किया गया था।
→ भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ शेर और बाघ दोनों पाये जाते हैं।
→ एशियाई शेर केवल गुजरात के ‘गिर’ जंगलों में पाये जाते हैं। भारत सरकार ने पादप और जीव सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु अनेक उपाय किये हैं जिनमें 18 जीवमण्डल आरक्षित क्षेत्र
स्थापित करना प्रमुख है।
→ भारत में 103 नेशनल पार्क, 535 वन्य प्राणी अभयारण्य एवं कई चिड़ियाघर राष्ट्र की पादप और जीव सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु बनाए गए हैं।
→ हम सभी को अपनी अतिजीविता के लिये प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के सन्तुलन हेतु प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवों के महत्व को समझना चाहिये। यह पर्यावरण के विशिष्ट उपहार एवं देश की समृद्धि का आधार हैं। महत्वपूर्ण भौगोलिक शब्दावली
→ जैव विविधता सन्तुलित पर्यावरण निर्मित करने वाले भिन्न-भिन्न किस्म के जन्तु और पेड़-पौधों का बड़ी संख्या में अस्तित्वशील रहना।
→ वनस्पति जगत – किसी विशिष्ट प्रदेश, क्षेत्र अथवा काल के किसी विशिष्ट जाति के पेड़-पौधे जिन्हें एक समूह में रखा जाता है।
→ प्राकृतिक वनस्पति – किसी स्थान, क्षेत्र या प्रदेश में जलवायु के अनुसार स्वत: ही उत्पन्न हुए पेड़-पौधे, झाड़ियाँ, घास आदि को उस प्रदेश की प्राकृतिक वनस्पति कहते हैं।
→ अक्षत वनस्पति – मानव की सहायता के बिना प्राकृतिक रूप से उत्पन्न पादप समुदाय।
→ देशज वनस्पति – वह वनस्पति जो मूल रूप से भारत में ही जन्मी एवं विकसित हुई हैं।
→ विदेशज पौधे-भारत के बाहर से लाये गये पेड़-पौधे।
→ शंकुधारी वन-वे सदाहरित वृक्ष जिनके पत्ते सुई के समान नुकीले होते हैं।
→ पर्णपाती वन-ऐसे वृक्ष जो प्रत्येक वर्ष किसी समय विशेष पर अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।
→ अल्पाइन वनस्पति-3,600 मीटर से अधिक ऊँचाई पर पर्वतीय क्षेत्रों में पायी जाने वाली वनस्पति।
→ नवीकरण योग्य संसाधन-वह संसाधन जिनका नये सिरे से पुनर्निर्माण सम्भव है।
→ पारिस्थितिक तंत्र-एक तंत्र जो भौतिक पर्यावरण एवं उसमें रहने वाले पादप एवं जीव-जन्तुओं से मिलकर बना
→ जीवोम – धरातल पर एक विशिष्ट प्रकार की वनस्पति या प्राणी जीवन वाले विशाल पारिस्थितिक तंत्र को जीवोम कहते हैं।
→ मृदा – पृथ्वी की ऊपरी सतह, जो मूल चट्टानों के विखण्डित पदार्थों, वनस्पति और जीव-जन्तुओं के अवशेषों से बनती है।
→ वन – वृक्षों से परिपूर्ण एक गहन क्षेत्र।
→ नेशनल पार्क – वह आरक्षित क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक वनस्पति, प्रकृति की सुन्दरता और वन्य जीवों को उनके प्राकृतिक पर्यावरण में संरक्षित रखा जाता है।
→ विनष्ट प्रजातियाँ – पादप और जीवों की वह प्रजातियाँ जो नष्ट हो गई हैं।
→ संकटापन्न प्रजातियाँ – पादप और प्राणियों की वे प्रजातियाँ जिनके लुप्त होने की आशंका है।
→ वन्य प्राणी अभयवन – वह प्राकृतिक वन्य क्षेत्र जिसमें वन्य प्राणियों को पकड़ना एवं शिकार करना पूर्णरूपेण प्रतिबन्धित होता है।
→ वन्य प्राणी-पशु – पक्षी और समस्त प्रकार के जीव-जन्तु जो अपने प्राकृतिक पर्यावरण में स्वतन्त्र रूप से विचरण करते हैं।
→ जीवमण्डल – वायुमण्डल, स्थलमण्डल और जलमण्डल के मध्य एक संकरी पट्टी जहाँ समस्त जीव-जन्तु पाये जाते हैं।
→ स्तनधारी – शिशुओं को जन्म देने एवं उन्हें स्तनपान कराने वाले जन्तुओं का जैविक वर्गीकरण।
→ उभयचर – स्थल एवं जल क्षेत्रों पर रहने में सक्षम जन्तु।
→ पशु-पक्षी – किसी दिये हुए क्षेत्र की जैव सम्पदा।